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Nice updateनेहा का बर्ताव भी दिन प्रति दिन अजीब होता जा रहा था, उसके लिये जो भी रिश्ते आती उनमेसे कुछ ना कुछ खोट निकाल लेती थी. मा भी परेशान थी कि कैसे इसकी शादी होगी या फिर जिन्दगी भर कुवारी बैठी रहेगी अपने घर मे.....
इसी दौरान मुझे पूना मे जॉब मिल गया, अच्छा खासा था कम्पनी शहरसे थोडी दूर थी लेकिन आने जाने के लिए कम्पनी की बस थी. मै वहा जाकर काम मे व्यस्त हो गया, इतना कि मुझे मा-नेहा का खयाल कम रहता. वो लोग मुझे बीच बीच मे फोन करते रहते लेकिन बहुत ज्यादा बाते नही हुआ करती थी. बस एक चीज की प्रॉब्लेम थी. मैने जो मकान किराये पे लिया था वो मकान का मालिक सिर्फ शादीशुदा लोगोको मकान देता था, अकेले मर्द को नही. मैने उसको झूठ बोला था कि मै शादीशुदा हू और मेरी बीवी आनेवाली है. उसका भतिजा- अनिल- मेरा दोस्त बन गया. उसका एक स्टुडिओ था जो कैसे तो भी चल रहा था. मै उसे मदद करता था, कभी कुछ पैसे दिया करता था.
मा अक्सर नेहा को लेकर परेशान रहती थी और पूछती कि पूना मे कोई लडका देखने मे है कि नही. एक दिन उसने कहा कि मै नेहा को ही पूना भेज देती हू. यह सुनकर मै अन्दरसे खुश हुआ, मुझे उसकी नन्गी तसवीर याद आने लगी और मैने हामी भर दी.
मेरे घर मे चार कमरे है. एक को मै अपनी नेहा के लिये तैयार किया. कमरा सजाया, और उसमे वेब-कॅम फ़िट किया जो की उसके कमरे की सारी फ़िल्म बना कर रिकार्ड करे. उस कॅमेरा का कनेक्शन मैने मेरे लॅपटॉप से जोड दिया. मुझे पता तो चले की मेरी बहना कितनी उतावली हो जाएगी बिना किसी मर्द के लन्ड के? अपने रूम मे मै वीसीआर और कुछ ब्लू फ़िल्म्स रख डाली और कुछ मस्तराम की किताबे अलमारी मे रखी. मै अपनी बहन को पटा कर चोदने की ताक मे था.
अगले दिन शनिवार को नेहा को मै स्टेशन से लेने गया. नेहा ने जीन्स और टी शर्ट पहनी हुई थी और उसके बाल छोटे कटे हुये थे. उसके सीने का उभार देख कर मेरे दिल की धडकन तेज़ हो गयी. नेहा बिलकुल किसी हिरॉईन जैसी दिख रही थी.
उसकी चुची किसी पहाडी की चोटी की माफ़िक कडी थी. लोग उसे घूर रहे थे जिसका मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था. जब नेहा ने मुझे देखा तो दौड कर मेरी बाहो मे आ गयी. आलिन्गन मे लेते ही मुझे उसके जिस्म की मादक सुगन्ध मह्सूस हुई और उसकी चुची मेरे सीने के अन्दर घुसने को व्याकुल थी.
" कैसी हो, नेहा? कब से तेरी राह देख रहा था. वाह, मेरी बहना तू तो और भी सुन्दर हो गयी हो ! बहुत प्यारी लग रही हो मेरी बहना!" मैने कहा तो नेहा बोल उठी,
" सच भैय्या? मै तो सोच रही थी की तुम मेरी राह कम देख रहे थे और कुछ और अधिक देख रहे थे. भैय्या लडकिया मर्दो की नज़र पहचान लेती है. वैसे तूम भी बहुत स्मार्ट दिख रहे हो! लगता है शहर का असर है"
मुझे लगा की नेहा ने मुझे उसकी चुची को घूरते हुये देख लिया था. मै शरम के मारे चुप रहा. रास्ते मे बाईक पर जब मै ब्रेक मरता तो नेहा का सीना मेरी पीठ से जा टकराता और मेरी पॅन्ट मे तम्बू बन जाता. मुझे मह्सूस हो रह था की नेहा शरारती ढन्ग से मुस्कुरा रही थी.
"मुझे अच्ही तरह से पकड कर रखो, कही गिर ना जन!" मैने कहा तो नेहा ने मुझे कमर से कस के पकड लिया और उसका हाथ मेरे लन्ड से कोई अधीक दूर नही था. उसकी सान्स मेरी गर्दन से टकरा रही थी. उत्तेजना की हालत मे हम घर पहुन्च गये.
" भैय्या रसोई कहा है? मै कुछ खाना बन देती हून’ घर जा कर नेहा ने कहा. रसोई तो मै खोली भी नही थी."
"रसोई तो बन्द है, मेरी बहना, खाना तो बाज़ार से लाता हू. मै खाना बनाना नही जनता, येह तो तुम जानती ही हो" मैने कहा तो नेहा मुझ से लिपट कर बोली,
Thanks broNice one
Zabardast update bhaiमै राज, उमर २३ साल का एक जवान कम्प्युटर प्रोफेशनल हू. मेरे पिताजी गौरीशन्कर का देहान्त आज से ३ साल पहले हो गया था. घर मे मा शोभा और बहन नेहा रहते थे. मा की उमर ४६ साल की है. मा बहुत गोरी, सुन्दर और मासल जिस्म वाली औरत है. उसकी शादी बहुत कम उमर मे हुई थी जबकि पिताजी उमर मे उससे काफी बडे थे.
एक बार मेरे कुछ दोस्त घरपर आए थे, उन्होने मा-पिताजी को देखा तो दन्ग रह गए. मा ने उन्हे हमेशा की तरह चाय-नास्ता परोसा था और पिताजी वहीपे हमारे साथ बैठकर गपशप कर रहे थे. लेकिन मेरे दोस्तोका ध्यान ना तो पकोडोमे था और ना ही पिताजीकी बातोपे. वो बस टकटकी लगाए मेरी मा को देख रहे थे, यहा तक कि उनमेसे एक दोस्त तो सारी चाय अपने कपडेपर गिरा दी. हम सब हस पडे और फिर पिताजीने उसे अन्दर जाकर शर्ट बदलनेके लिए कहा. कुछ देर बाद हम मेरे घरसे निकल पडे और दूसरे दोस्त के घर गए.
मेरी साइकल लगाने मे थोडी देर लगी तो मै कुछ समय बाद घर मे दाखिल हुआ. घर मे प्रवेश करते हुए मैने मेरे दोस्तोकी बाते सुनी और थोडा रुक गया.
एक दोस्त: अरे पूछ मत, गजब की माल है........
दूसरा: पकोडे परोसते हुए उसकी पल्लु खिसका था, क्या मम्मे है, मेरा तो देखतेही खडा हुआ....और फिर मेरी चाय गिर गई.
पहला: हा तू तो है ही बेवकूफ........
दूसरा: अबे नही, वो तो बहाना था, मै तो अन्दर घुसना चाहता था, शर्ट बदलते हुए मैने बहुत गौर से देखा राज की मा को, अन्दर तो एकदम खुलके दिख रही थी.
मै यह बाते सुनकर स्तब्ध हो गया, तो ये कमीने मेरी मा के बारेमे ही बाते कर रहे थे.
उस दिन तो मैने किसी तरहसे समय बिता लिया लेकिन मुझे अहसास हुआ कि मा एक बेहद खूबसूरत और सेक्सी औरत है जिसपर सिर्फ मै ही नही बल्कि बहुत लोगोकी बुरी नजर है.
एक बार इन्ही दोस्तोके घर मै दोपहर मे बैठा था तो एक और दोस्त वहा पे आया. ये दोस्त बहुत चालू टाईप का था, हमेशा लडकियोकी और औरतोकी बात करता था. उसका नाम था मदन.
मदन: अरे ये देखो मै क्या लाया हू.
हमने देखा, उसने एक ब्लू-फिल्म की सीडी लाई थी, फिर क्या, हम लोग वहीपे सीडी लगाके बैठ गए. पिक्चर बहुत हॉट थी, एक लडका किसी रिश्तेदारके घर चला जाता है, जहापे कई औरते होती है और सारी उससे उम्रमे बडी होती है. वो शैतान लडका बारी बारीसे हर एक के साथ यौन सबन्ध बना लेता है. इन सब घटनाओका चित्रण बहुत दिलचप तरीकेसे किया था और फिल्म की औरतेभी बहुत सेक्सी थी. हम सब यह फिल्म देखकर बहुत उत्तेजित हुए.
फिल्म खतम होनेके बाद मै निकल पडा, मदन भी मेरे साथ था, बाते करते करते हम जा रहे थे तो मदन ने पूछा
मदन: राज तुझे फिल्म कैसी लगी
मै: हा बहुत सेक्सी थी यार...
मदन: मुझे भी..........असल मे मुझे ऐसीही फिल्मे पसन्द है
मै: ऐसी मतलब, वोही ना सेक्सी वाली...
मदन: नही रे, ऐसी मतलब............रिश्तोमे चुदाई वाली.
Dhasu update bhaiमदन की बात सुनकर मै हैरान हो गया, कुछ ना बोलते मै साईकल चला जा रहा था, तो मदन ने एक कोने मे मुझे रोक दिया और बोला
मदन: देख राज तू बुरा मत मान, मैने जो मनमे आया सो बोल दिया, तू मेरा जिगरी यार है इसलिए, तू बुरा मान गया तो बोल दे......
मै: नही ऐसी बात नही.........
मदन: सच कहू दोस्त.......तू नाराज तो नही होगा.
मै: नही, ऐसी क्या बात है........
मदन: मै सचमे तुम्हारे घर आता हू तो हमेशा तेरी मा को देखता हू.......वो....वो...मुझे वो बहुत अच्छी लगती है.
मै यह बात सुनकर चुप हो गया, मदन की इस नीयत का मुझे शक था लेकिन आज वो यकीन मे बदल गया.
मै: मदन, तू इतना साफ साफ बोल रहा है तो सुन, तेरी बहन रीना भी आज कल बहुत सुन्दर दिखने लगी है.
ये बात सही भी थी, रीना वाकई दिखनेमे बहुत सुन्दर थी, उसके वक्ष भी बडे दिखने लगे थे आजकल....
मदन: हा यार वो तो है, मै कई बार उसे और मेरी मा को घूरते रहता हू, खास करके जब वो झुककर काम करते है तो मै हमेशा उन दोनोके इर्द गिर्द रहता हू ताकि उनके चुचियोकी झलक दिखे.......
यह मदन तो और भी चालू निकला. इसके आगे मै कुछ बोलू इसके पहले उसीने कहा
मदन: हा लेकिन राज, तेरी मा मेरी मा से ज्यादा सेक्सी है...........
और फिर हम वहीपे खडे खडे अपनेही रिश्तेदारोके बारेमे गन्दी बाते करते रहे.
उस दिन मदन ने मुझे एक नई सोच दी, उसके बाद मै भी अपनी मा और बहन के अन्गोको गौरसे देखता निहारता और मूठ मारते वक्*त उनका जिस्म नजरके सामने लाता.
मा अब भी जवान लगती है, बडी बडी चुचिया और भरा पूरा चुतड......वो हमेशा साडी पहनती थी और ब्लाउझ मे से उसकी चुची की झलक देख कर कई बार मेरा लन्ड खडा हो जाता था.
एक बार मै दोपहर को जल्दी घर आया, दरवाजेपे ताला लगा था, शायद सब लोग कही गए होगे यह सोचकर अपनी चाबी से दरवाजा खोलकर अन्दर आ के बैठा था, कुछ समय बाद घर की बेल बजी, मैने दरवाजा खोला तो देखता ही रह गया, दरवाजेपे मा खडी थी, हाथमे कुछ थैलिया, पसीनेसे लथपथ......उसने गुलाबी कलरकी साडी पहनी थी और एक झीना सा ब्लाउझ.....क्या गजब की सेक्सी दिख रही थी, मै तो उसे घूरता रह गया.
मा चिल्लाकर बोली: खडे खडे मुह क्या देख रहा है, चल ये सामान ले जा और मुझे एक गिलास ठन्डा पानी ले आ.......
मै ने फौरन उसे पानी ला कर दिया और सामान किचन मे जाकर रखने लगा. काम खतम करने पर मै बाहर के कमरे मे आया तो मा वहा पे नही थी, शायद अपने कमरेमे गई होगी यह सोचकर मै मा-पिताजीके बेडरूम पे गया और मैने दरवाज ढकेल दिया और मुझे एक और शॉक लगा. अन्दर मा कपदे बदल रही थी, उसके बदन पे एक छोटीसी ब्रा और पेटिकोट था. अचानक दरवाजा खुलनेपे मा भी कुछ देर आश्चर्यसे देखने लगी और मै उसके सुन्दर गठीले बदन को निहारता रह गया. कुछ पल बाद मा को होष आया और वो चिल्लाई
मा: क्या कर रहे हो, दिखता नही मै चेन्ज कर रही हू.......
मैने डरकर दरवाजा बन्द कर लिया और वहासे चलता पडा. लेकिन उस दिन के बाद मै कई बार मा के बदन को याद करते मूठ मारता था.
मेरे पिताजी की तबियत अचानक एक दिन बिगड गई, उन्हे दिल का दौरा पडा था और फिर कुछ दिन बाद वो उसी बीमारी का शिकार बन गए और हमे छोड कर चल दिए. अब घर मे हम तीन लोग रह गए. मैने एक जॉब करना शुरु किया था, नेहा अब भी पढ रही थी, मै जॉबके साथ पढाई करता था. कुछ महिने तो उदासी मे चले गए. कुछ दिन बाद फिर मेरे दोस्त घर पे आए और मुझे लेकर बाहर घूमने चले गए. मै थोडा नॉर्मल होने लगा. ऐसेमे एक दिन दोस्तोके घर फिरसे ब्लू-फिल्म लगाकर बैठे थे. फिर एक बार एक नौजवान और एक अधेड उम्र की औरत की कहानी थी, मै बेचैन हो गया और वहासे चल पडा. लेकिन मेरे मन मे फिर एक बार मा के प्रति बुरे खयाल आने शुरु हो गए. शायद मा भी मर्द की कमी मेह्सूस होती होगी लेकिन लाज शरमसे शायद वो कुछ नही कहती. रात को मैने अक्सर उसके कमरेसे कामुक सिसकारिया सुनता था, उस वक्*त शायद वो अपनी चुत मे उन्गली कर के अपनी प्यास शान्त करती थी.
मेरी बहन नेहा भी जवान हो चुकी थी और उसके रिश्ते की बात चल रही थी. नेहा की उमर उस वक्*त कोई २० साल की होगी. नेहा भी बहुत सुन्दर और सेक्सी थी बिलकुल मेरी मा क जवानी का रूप थी, गोरी, हसमुख, स्लिम और बहुत ही कसा हुआ बदन थी. एक दिन मैने उसे नहाते हुए देखा था, क्या ज़ालिम हुस्न था मेरी बहन का! गोरे बदन पर जब वो साबुन मल कर नहा रही थी तो मेरा लन्ड काबू मे नही रहा. उसके हाथ कभी उसकी मस्त चुची पर और कभी उसकी मस्त गोरी गोल गान्ड पर चलते और मेरे दिल की धडकन तेज़ होती रही. मै यह सब नजारा बाथरूम के दरवाज़े के छेद से देख रहा था और अपनी पॅन्ट की झिप खोल कर लन्ड की मुठिया रहा था. मेरा हाल बुरा हो रहा था, कुछ ही पलोमे मै झड गया लेकिन मेरी बहन नेहा के नन्गे जिस्म की तस्वीर मेरी आन्खो से ओझल ना हो पायी.
Ab aayga maza jab 8 inch ka teri behen ke chut me jaygaनेहा का बर्ताव भी दिन प्रति दिन अजीब होता जा रहा था, उसके लिये जो भी रिश्ते आती उनमेसे कुछ ना कुछ खोट निकाल लेती थी. मा भी परेशान थी कि कैसे इसकी शादी होगी या फिर जिन्दगी भर कुवारी बैठी रहेगी अपने घर मे.....
इसी दौरान मुझे पूना मे जॉब मिल गया, अच्छा खासा था कम्पनी शहरसे थोडी दूर थी लेकिन आने जाने के लिए कम्पनी की बस थी. मै वहा जाकर काम मे व्यस्त हो गया, इतना कि मुझे मा-नेहा का खयाल कम रहता. वो लोग मुझे बीच बीच मे फोन करते रहते लेकिन बहुत ज्यादा बाते नही हुआ करती थी. बस एक चीज की प्रॉब्लेम थी. मैने जो मकान किराये पे लिया था वो मकान का मालिक सिर्फ शादीशुदा लोगोको मकान देता था, अकेले मर्द को नही. मैने उसको झूठ बोला था कि मै शादीशुदा हू और मेरी बीवी आनेवाली है. उसका भतिजा- अनिल- मेरा दोस्त बन गया. उसका एक स्टुडिओ था जो कैसे तो भी चल रहा था. मै उसे मदद करता था, कभी कुछ पैसे दिया करता था.
मा अक्सर नेहा को लेकर परेशान रहती थी और पूछती कि पूना मे कोई लडका देखने मे है कि नही. एक दिन उसने कहा कि मै नेहा को ही पूना भेज देती हू. यह सुनकर मै अन्दरसे खुश हुआ, मुझे उसकी नन्गी तसवीर याद आने लगी और मैने हामी भर दी.
मेरे घर मे चार कमरे है. एक को मै अपनी नेहा के लिये तैयार किया. कमरा सजाया, और उसमे वेब-कॅम फ़िट किया जो की उसके कमरे की सारी फ़िल्म बना कर रिकार्ड करे. उस कॅमेरा का कनेक्शन मैने मेरे लॅपटॉप से जोड दिया. मुझे पता तो चले की मेरी बहना कितनी उतावली हो जाएगी बिना किसी मर्द के लन्ड के? अपने रूम मे मै वीसीआर और कुछ ब्लू फ़िल्म्स रख डाली और कुछ मस्तराम की किताबे अलमारी मे रखी. मै अपनी बहन को पटा कर चोदने की ताक मे था.
अगले दिन शनिवार को नेहा को मै स्टेशन से लेने गया. नेहा ने जीन्स और टी शर्ट पहनी हुई थी और उसके बाल छोटे कटे हुये थे. उसके सीने का उभार देख कर मेरे दिल की धडकन तेज़ हो गयी. नेहा बिलकुल किसी हिरॉईन जैसी दिख रही थी.
उसकी चुची किसी पहाडी की चोटी की माफ़िक कडी थी. लोग उसे घूर रहे थे जिसका मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था. जब नेहा ने मुझे देखा तो दौड कर मेरी बाहो मे आ गयी. आलिन्गन मे लेते ही मुझे उसके जिस्म की मादक सुगन्ध मह्सूस हुई और उसकी चुची मेरे सीने के अन्दर घुसने को व्याकुल थी.
" कैसी हो, नेहा? कब से तेरी राह देख रहा था. वाह, मेरी बहना तू तो और भी सुन्दर हो गयी हो ! बहुत प्यारी लग रही हो मेरी बहना!" मैने कहा तो नेहा बोल उठी,
" सच भैय्या? मै तो सोच रही थी की तुम मेरी राह कम देख रहे थे और कुछ और अधिक देख रहे थे. भैय्या लडकिया मर्दो की नज़र पहचान लेती है. वैसे तूम भी बहुत स्मार्ट दिख रहे हो! लगता है शहर का असर है"
मुझे लगा की नेहा ने मुझे उसकी चुची को घूरते हुये देख लिया था. मै शरम के मारे चुप रहा. रास्ते मे बाईक पर जब मै ब्रेक मरता तो नेहा का सीना मेरी पीठ से जा टकराता और मेरी पॅन्ट मे तम्बू बन जाता. मुझे मह्सूस हो रह था की नेहा शरारती ढन्ग से मुस्कुरा रही थी.
"मुझे अच्ही तरह से पकड कर रखो, कही गिर ना जन!" मैने कहा तो नेहा ने मुझे कमर से कस के पकड लिया और उसका हाथ मेरे लन्ड से कोई अधीक दूर नही था. उसकी सान्स मेरी गर्दन से टकरा रही थी. उत्तेजना की हालत मे हम घर पहुन्च गये.
" भैय्या रसोई कहा है? मै कुछ खाना बन देती हून’ घर जा कर नेहा ने कहा. रसोई तो मै खोली भी नही थी."
"रसोई तो बन्द है, मेरी बहना, खाना तो बाज़ार से लाता हू. मै खाना बनाना नही जनता, येह तो तुम जानती ही हो" मैने कहा तो नेहा मुझ से लिपट कर बोली,