रूपलाल अपनी बेटी का फोटो मनोहर लाल को दे दिया था,,,,,, मनोहर लाल भी उसे फोटो को अपनी जेब में रखकर अपने घर की तरफ निकल गया था,,,, घर पर पहुंच कर वह उस फोटो को अपने टेबल पर रखकर अपना काम करने लगा,,, खाना बनाने वाली खाना बना रही थी,,,, राकेश अभी घर पर नहीं आया था,,, अपने दोस्तों के साथ दिनभर घर से बाहर निकाल कर वह इस लड़की की खोज में लगा रहता था,,,, उसका भी विश्वास बड़ा गजब का था नहीं उसे लड़की का आता पता मालूम था ना ही उसका नाम मालूम था नहीं यह मालूम था कि वह रहती कहां है किसके साथ आती है घूमती है रेस्टोरेंट में उसे दिन क्या करने आई थी फिर भी उसकी तलाश जारी थी एक विश्वास के साथ कि वह जरूर उसे मिलेगी लेकिन गुजरते जा रहे थे और उसका हौसला टूटता जा रहा था,,,।
Rooplaal ki bibi ki tadapti jawani
राकेश देर रात घर पर पहुंचा तब तक उसके पिताजी सो चुके और वह भी खाना खाकर अपने कमरे में जाकर उस लड़की के बारे में सोचने लगा,,, काफी दिन गुजर जाने की वजह से अब उसके मन में भी शंका जगने लगा था,,, उसे भी लगने लगा था कि वह बेवजह इधर-उधर भटक रहा है ऐसा भी हो सकता है कि वह लड़की कुछ दिनों के लिए ही शहर में आई हो किसी मेहमान के वहां किसी रिश्तेदार के वहां और फिर वापस अपने ठिकाने चली गई हो तभी तो इतने दिनों से इधर उधर घूम रहा हूं उसे कहीं भी वह लड़की नजर नहीं आ रही है वरना इतने दिन में तो अगर इसी शहर की होती तो नजर आ गई होती फिर से मुलाकात हो गई होती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा था,,,।
अपने मन में राकेश सभी यही सोच रहा था कि तभी उसे वह औरत भी याद आ गई जो उसे इसी शहर में दो बार मिल चुकी थी और इसी से अंदाजा लगा रहा था कि अगर इसी शहर की होती तो अगर वह औरत दो बार मिल सकती है तो वह लड़की क्यो नहीं मिल सकती,,,, उस औरत का ख्याल आते ही राकेश के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, क्योंकि वह उसे औरत से दो बार मिल चुका था लेकिन दोनों बाहर उसे औरत को वह अर्धनग्न अवस्था में ही देखा था क्या गजब की किस्मत थी उसकी,,,, एक औरत उसे दो दो बार में एक कपड़े की दुकान में है और एक खुद उसके घर में उसके ही कमरे में उसके ही बाथरूम के अंदर पेशाब करते हुए बहुत ही गजब का इत्तेफाक है,,,,।
राकेश इस बात से भी बेहद हैरान था की उम्र दराज औरत होने के बावजूद भी उसे औरत के प्रति उसका आकर्षण बिल्कुल भी काम नहीं हो रहा है दिन-रात न जाने क्यों उसका ख्याल आ ही जाता है शायद यही वजह था कि उसका वजन एकदम भरा हुआ था लंबा कद काठी गोल चेहरा गोरा बदन बड़ी-बड़ी चूचियां नितंबों का उभार बाहर निकला हुआ,,,, मोटी मोटी जांगे केले के तने की समान एकदम चिकनी,,,, जांघों का वर्णन राकेश अपने मन में इसलिए कर पा रहा था क्योंकि वह उसे औरत की मोटी मोटी जांघों को देखा था,,, लेकिन दोनों बार उसकी किस्मत खराब थी कि उसे औरत की बुर के दर्शन नहीं कर पाए थे क्योंकि इतना समय नहीं मिला था दूसरी बार तो वह औरत उसके ही बाथरूम में पेशाब कर रही थी लेकिन फिर भी सिर्फ उसका पिछवाड़ा देख पाया था उसके गुलाबी छेद पर उसकी नजर नहीं पहुंच पाई थी,,,।
Rooplaal ki bibi
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उस औरत का ख्याल मन में आते ही राकेश का लंड अंगड़ाई लेने लगा था,,,,वह उस औरत का ख्याल करके मुठिया तो मारना चाहता था लेकिन उसका मन नहीं मान रहा था क्योंकि वह इस तरह का लड़का बिल्कुल भी नहीं था लेकिन कुछ दिनों में वह दूसरे लड़कों की तरह हो गया क्योंकि रोज-रोज उसे अंजान औरत का ख्याल करके अपने बदन की गर्मी को शांत करता था लेकिन आज वह मन पक्का करके टेबल पर से ठंडे पानी का गिलास उठाया और एक ही झटके में पी गया और फिर गहरी गहरी सांस लेता हुआ बिस्तर पर लेट गया,,,।
यूं ही चार-पांच दिन गुजर गए,,,, लेकिन उसे फोटो के बारे में मनोहर लाल के घर में बिल्कुल भी जिक्र नहीं हो रहा था क्योंकि खुद मनोहर लाल भी उसे फोटो को टेबल पर रखकर भूल गया था लेकिन इस बारे में रूपलाल के घर में रोज बहस हो रही थी,,,, आज भी सुबह-सुबह चाय के समय पति-पत्नी में बहस हो रही थी,,,।
क्यों जी तुम तो कहते थे की आरती की फोटो मनोहर लाल को दे आए हो फिर वहां से कोई जवाब क्यों नहीं आ रहा है,,,,।
अरे हां भाग्यवान दे तो आया हूं,,, और इस बात को 5 दिन भी हो चुके हैं,,, लेकिन मैं भी यही सोच रहा हूं कि अभी तक जवाब क्यों नहीं आया,,,,।
अरे हाथ पर हाथ रख कर बैठे ही रहोगे कि पता भी लगाओगे,,, किसी बहाने से घर पर ना सही उनकी दुकान पर तो जा ही सकते हो,,,,।
कैसी बातें कर रही हो सामने से जाऊंगा उनको ऐसा ही लगेगा कि इनकी बेटी में कोई खोट तभी इतना उतावले हो रहे हैं,,,,, लेकिन एक बात है आरती की मां,,,,(हम दोनों बातें भी कर रहे थे कि सभी आरती भी हाथ में बैठ के लिए कॉलेज जाने के लिए घर से निकल रही थी और उन दोनों की बात सुनकर वापस उसी जगह पर खड़ी हो गई जहां पर उसे दिन खड़ी होकर उन दोनों की बात सुन रही थी उसे लगा था कि आज भी वह दोनों उसी तरह की बातें करेंगे,,, क्योंकि ना जाने क्यों अब गंदी बातों को सुनने में आरती को भी आनंद आने लगा था,,, रूपलाल अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
लड़का जीद ठान कर रखा है,,,,।
कैसी जीद,,,,
अरे यही कि कहीं रेस्टोरेंट में किसी लड़की से टकरा गया था और वह लड़की उसे भा गई थी और वह उसे लड़की को दिन रात इधर-उधर ढूंढता फिर रहा है,,,,
(आरती को जब लगा कि उसके मम्मी पापा गंदी बात नहीं कर रही तो वह धीरे से उन लोगों के सामने आई और टेबल पर रखा से उठाकर,, बोली,,,)
किसके बारे में बात कर रहे हो पापा,,,,,
अरे उसी लड़के के बारे में जिसके साथ तुम्हारी शादी तय करना चाहते हैं,,,।
Pyasi rooplaal ki bibi
लेकिन आरती के पापा यह कैसी जीद हो गई की कोई लड़की कहीं भी टकरा जाए और तुम उसी से शादी करने के लिए भी नहीं रात शहर में घूमते फिरों,,,,(रूपलाल की बीवी बोली,,,, आरती को भी थोड़ा अजीब लगा उसे पूरी बात समझ में नहीं आई थी इसलिए भाभी कुछ देर के लिए पास में पड़ी कुर्सी पर बैठकर से खाने लगी और उन दोनों की बात सुनने लगी,,,)
अब क्या बताऊं आरती की मां मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है अपनी आरती इतनी सुंदर है कि अगर कोई देख ले तो दुनिया की लड़की को भूल जाए लेकिन वह लड़का है कि दूसरे फोटो को भी देखना गवारा नहीं समझता बस उसी लड़की को ढूंढता फिर रहा है और उसके पिताजी भी उसी का साथ दे रहे हैं,,,,।
अब बाप तो बाप होता है दो-चार बार समझाएं होंगे नहीं मन होगा तो उसकी जिद के आगे यह भी हार गए होंगे,,,,(रूपलाल की बीवी भी हालात को देखते हुए बोली,,, तभी उन दोनों की बात सुनकर आरती बोली,,)
मैं तुम दोनों की बात समझ नहीं पा रही हूं आखिरकार बहस किस बात पर हो रही है,,,,।
अब मैं क्या बताऊं आरती लगता है हम लोगों की किस्मत ही खराब है,,,,।
लेकिन हुआ क्या है यह तो बताओ,,,,!
अपने पापा से हीपूछ ले,,,,।
क्या हुआ पापा क्या बात है और वैसे भी तुम दोनों को मेरी चिंता करने की जरूरत नहीं है अगर नसीब में होगा तो विवाह हो ही जाएगा आप दोनों खामखां चिंता कर रहे हैं और आपस में लड़ रहे हैं,,,।
Rakesh saas or bibi k maje leta hua
अरे बेटी मेरी तो यही तेरी मां को समझाते समझाते थक गया हूं कि शादी विवाह तो किस्मत से होती है किसी से बात कर लेने से दीवाने हो जाता अगर ऊपर वाले ने जोड़ा बनाकर भेजा है तो कहीं ना कहीं मिल ही जाएगा और तेरी मां है की समझती नहीं,,, बस जी के थन कर बैठी है कि मनोहर लाल से बात करो मनोहर लाल से बात करो तुझे मनोहर की बहू बनने के लिए उतावली हो गई है,,,,।
आखिरकार में मां हूं और मन से बेहतर कोई अपने बच्चों का भविष्य नहीं सोच सकता,,,।
तो मैं क्या पराया हूं मैं भी तो इसका बाप हूं मैं भी तो चाहता हूं कि अच्छे घर जाए जहां पर जिंदगी भर खुशी से रहे रानी बन कर रहे लेकिन मैं सोच लेने से थोड़ी ना हो जाएगा,,,, 5 दिन हो गए हैं फोटो दिए कोई जवाब नहीं आ रहा है तो मैं क्या करूं जाकर उनसे पूछूं कि तुमने फोटो देखा कि नहीं देखा अपने बेटे को फोटो दिखाया कि नहीं दिखाई मेरी बेटी तुम्हें पसंद आई कि नहीं आई इस तरह से तो मैं खुद ही अपने बेटे की नुमाइश करता फिरूंगा,, यह सब,,, मुझसे नहीं होगा,,,।
छोड़ो तुम दोनों इस बात को आपस में लड़ना बंद करो,,,, बस मुझे यह बताओ कौन सी जीद पर अड़ा है क्या हो गया है,,,।(आरती की भी दिलचस्पी बढ़ती जा रही थी वह भी जानना चाहती थी कि आखिर कौन सी बात पर मनोहर लाल का लड़का अड़ा हुआ है,,,)
अरे बेटी जब वह अपना पढ़ाई पूरा करके इधर आया था तो अपने दोस्तों के साथ किसी रेस्टोरेंट में गया होगा और वही किसी लड़की से टकरा गया था उसकी चौपडीयां सब गिर गई थी और उसे उठाने में उसकी मदद किया था,,,, और वह लड़की उसके मन में बस गई है जिस दिन रात को पूरे शहर में इधर-उधर घूमता फिरता है लेकिन अभी तक नसों बस लड़की उससे मिल पाई है ना ही उसने अभी उसका नाम जाना है पता जाना है कुछ नहीं जानता बस उसके पीछे घूमता फिर रहा है,,,, अरे कुछ तो पता होना चाहिए ऐसा भी तो हो सकता है कि वह लड़की ईस शहर की हो ही ना,,, अरे रोज ना जाने कितने लोग आते हैं और चले जाते हैं ऐसे में वह लड़कि उसे कैसे मिलेगी और तो और उसके पिताजी भी उसका साथ दे रहे हैं,,,,।
Rakesh bibi or saas k sath
रेस्टोरेंट में टकराने वाली बात को सुनकर आरती एकदम विचार में पड़ गई थी आरती को कुछ याद आ रहा था कुछ दिन पहले वह भी रेस्टोरेंट में एक लड़के से टकराई थी और वह लड़का उसे अच्छा लगा था कहीं यह टक्कर वही तो नहीं क्या मनोहर लाल का लड़का जिस लड़की को ढूंढ रहा है वह लड़की वो खुद ही तो नहीं है,,,, हे भगवान ऐसा हो सकता है,,,, ऐसा अपने मन में सोच कर आरती मन ही मन प्रसन्न होने लगी,,,, और वह अपनी मां से बोली,,,,।
मम्मी ये तो बेवकूफी है,,,, पागल है वह लड़का,,,, जाने दो,,,,(औपचारिकता निभाते हुए आरती अपना बैग लेकर कॉलेज के लिए निकल गई और अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रही थी क्योंकि उसे पूरा विश्वास हो गया था कि राकेश जैसी लड़की के बारे में बात कर रहा था वह लड़की वह खुद है क्योंकि वही रेस्टोरेंट में टकराई थी उसकी ही चौपड़ी नीचे गिरी थी जिसे उठाने में वह मदद किया था,,,, अब तो उसे पूरा यकीन हो गया था कि अब वह बहुत ही ज्यादा शेठ मनोहर लाल के घर की बहू बनेगी और राकेश भी उसे पसंद ही था,,,,।
यह सब सोचते हुए वह फुटपाथ पर चली जा रही थी कि ईतने में उसकी सहेली पीछे से उसे आवाज लगाते हुए रुकने के लिए बोली,,,।
आरती जरा रुक तो कहां भागी जा रही है,,,
(अपना नाम सुनी तो वहां वहीं पर रुक गई और पीछे मुड़कर देखी तो उसकी सहेली वैशाली आ रही थी बड़ी जल्दी-जल्दी वह चली आ रही थी उसे देखकर आरती उसे बोली,,,)
अरे अरे संभल कर गिर मत जाना,,,,,।
अरे यार तू इतनी तेज चली जा रही है कि मुझे भागना पड़ा,,,,, वैसे लगता है कि तू आज लेट हो गई,,,।
हां 5 मिनट,,,, घर से निकलने में देर हो गई,,,,
अच्छा यह बता तेरी शादी की बात चल रही थी ना बात कुछ आगे बढ़ी कि नहीं,,,,(वैशाली आरती केसाथ साथ में चलते हुए बोली,,,)
बात तो चल रही है लेकिन मुझे बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं है मैं भी शादी करना ही नहीं चाहती,,,।
क्या बात करती हैं आरती,,, तेरी जगह में होती तो कब से शादी कर लेगी तू नहीं जानती शादी के बाद रति कितनी रंगीन हो जाती हैं कितना मजा आता है,,,,।
क्या मजा आता है दिन रात कम करो कपड़े धोओ घर की सफाई करो,,, जिंदगी जहन्नुम हो जाती है,,,।
अरे बुद्धू उसके बाद रात को जब बिस्तर पर पति टांगे फैलाकर लंड बुर में डालता है तो कितना मजा आता है,,,,।
(वैशाली की बात सुनते ही आरती के बदन में गुदगुदी होने लगी,,,, उसे अच्छा लग रहा था लेकिन फिर भी जानबूझकर गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,,।)
तो फिर शुरू हो गई वैशाली जब देखो तब तो इसी तरह की बातें करती हैं और तुझे कुछ बातें करने के लिए मिलता नहीं क्या,,,।
अब तेरी जैसी बेवकूफ थोड़ी हूं सीधी साधी बनने का भी कोई मतलब नहीं है,,, यह उम्र ही है मजे लेने का तो मजे लेना चाहिए ऊपर वाले ने दोनों टांगों के बीच जो पतली सी दरार दिया है ना उसमें हमेशा लंड लेना चाहिए तभी उसका सही उपयोग हो सकता है खली मुतने के लिए नहीं,,,,।
तो तू ही लिया कर दूसरों को क्यों बताती है,,,,,(वैशाली की बात सुनकर ना चाहते हुए भी आरती के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी,,)
अरे वाह तू तो ऐसा बोल रही है कि जैसे शादी के बाद तेरा पति तुझे अपने घर तेरी आरती उतारने के लिए ले जाएगा तेरी चुदाई करेगा ही नहीं,,,।
चल मैं तो हाथ भी नहीं लगाने दूंगी इसलिए तो मैं शादी नहीं करना चाहती,,,।
वह तो करना ही पड़ेगा मेरी रानी अब हम दोनों की उम्र शादी के लायक हो चुकी है वह तो अच्छा है तेरे मम्मी पापा तेरे पर इतना ध्यान देते हैं कि तेरी शादी कर रहे हैं एक मुझे देख ले अभी तक मेरे घर में मेरे शादी का कोई नाम ही नहीं लेता,,,।
तो बोल देना जाकर की मेरा शादी करवा दो मुझे रहा नहीं जाता मुझे मर्द की जरूरत है,,,।
अरे बेवकूफ मैं तो बोल भी दूं मैं कितनी मुंह फट हूं मेरे घर वाले अच्छी तरह से जानते हैं वह तो मेरा बड़ा भाई अभी रह गया है शादी करने को इसलिए मेरी बात नहीं हो रही है,,,।
तो तेरे भाई को जाकर बोल,,, अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है तु जल्दी से अपनी शादी कर ताकि मेरा नंबर आए ,,,।
अरे आरती वह बड़ा अडीयल है,,,,,, बोलता जब तक कुछ बनने जाऊंगा तब तक शादी नहीं करूंगा,,, उसकी बात सुनकर मैं अपने मन में ही बोली क्या तब तक अपनी उंगली से काम चलाऊ,,,।
(वैशाली की बात सुनकर आरती की हालत खराब होने लगी वह अपने मन में सोच रही थी कि वैशाली कितनी गंदी लड़की है उसके मन में हमेशा गंदी बात चलती रहती है इसका बस चले तो अपने भाई के साथ भी हम बिस्तर हो जाए बस लंड बुर में जाना चाहिए,,,, लंड बुर शब्द अपने मन में सोच कर ही आरती की दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी वह मदहोश ही जा रही थी उसे अपनी बुर से कुछ बहता हुआ महसूस हो रहा था,,,, वैशाली की बातें उसे बहुत अच्छी लग रही थी लेकिन वह ऊपर से उसकी बातों को अनसुना करने की कोशिश कर रही थी और इसलिए वह बोली,,,,)
तेरा कुछ नहीं हो सकता वैशाली तू बहुत गंदी लड़कीहै,,,,।
अरे बेवकूफ गंदी बनने में ही ज्यादा मजा है,,,, कभी अपनी बुर में उंगली डाली है,,,।
छी ,,,,,, क्या कह रही है वैशाली जरा सोच समझ कर बोल कोई आते-जाते सुन लेगा तो गजब हो जाएगा,,,,।
अरे कोई नहीं सुनने वाला बता तो सही,,,।
नहीं बिल्कुल भी नहीं तेरी जैसी खुजली मुझे नहीं होती,,,,।
काश तुझे भी खुजली होती तो मजा आ जाता,,,।
(वैशाली की चटपटी बातें आरती को मत किया जा रही थी कि तभी वैशाली खुले मैदान में एक गधे को देखें जो की एक गधी के पीछे खड़ा था और उसका लंड नीचे लटक रहा था उस पर नजर पडते ही वैशाली एकदम से चहकते हुए आरती से बोली,,,।)
आरती जल्दी से वह देख,,,,,
क्या,,,?
अरे वह देखसामने,,,,(खुले मैदान में पेड़ के नीचे उंगली से इशारा करते हुए बोली और जैसे ही आरती उसे दिशा में देखी और उसे गधे के ऊपर नजर पढ़ते ही वहां शर्म से पानी पानी हो गई और वैशाली पर गुस्सा दिखाते हुए बोली)
क्या वैशाली तू सच में पागल है क्या वहां देखने की जरूरत क्या है आते जाते कोई देख लेगा तो क्या सोचेगा हम लोगों के बारे में,,,,।
अरे सोचेगा क्या सबको मालूम है हम दोनों की उम्र लंड लेने लायक है,,,,, देख कैसे बाहर निकाला है अब देखना इसके ऊपर चढ़ेगा अभी,,, लेकिन अभी देर है थोड़ा और टाइट होजाए तब,,,,।
(ना चाहते हुए भी आरती उसे गधे की तरफ देख रही थी क्योंकि उसके लंड को देखकर उसके भी मन मैं कुछ कुछ हो रहा था वैशाली की बात सुनकर वह बोली,,,,)
तुझे कैसे मालूम कि यह कब चढेगा कब नहीं चढेगा,,,,।
अरे बेवकूफ जब पूरी तरह से टाइट होगा तभी तो लंड बुर में घुसता है और देख रही है गधे का कितना लंबा और मोटा है अगर ढीला रहा तो घुस ही नहीं पाएगा इसलिए वह भी इंतजार कर रहा है कि पूरा टाइट हो जाए,,,,,(उसका ईतनआ कहना था कि तभी गधे का लंड पुरी तरह से टाइट हो गया,,, और यह देखकर वह एकदम से खुश होते हुए बोली,,,) देख देख पूरा टाइट हो गया अब यह चढेगा,,,,,(आरती सब कुछ देख रही थी उसका इतना कहना था कि वाकई में गधा दोनों टांग ऊपर करके पीछे से गधी के ऊपर चढ़ गया और अपने लंड को उसके छेद में एक झटके में डाल दिया,,,, यह नजारा देखकर आरती के भी बदन में सुरसुरी सी दौड़ने लगी,,,, लेकिन वह पूरी तरह से शर्मा से पानी पानी हुई जा रही थी वह बार-बार अपने अगल-बगल देख ले रही थी कि कहीं-कोई देख तो नहीं रहा है,,, लेकिन किस्मत अच्छी थी कि किसी की भी नजर उन दोनों पर नहीं पड़ी थी इसलिए अब ज्यादा देर तक वहां खड़े रहना आरती उचित नहीं समझ रही थी इसलिए वह खुद ही आगे बढ़ गई,, और जल्दी-जल्दी चलने लगी,,,, पीछे से वैशाली से आवाज दे रही थी लेकिन वह अनसुना करके आगे बढ़ती चली जा रही थी,,,,।
लेकिन इस बीच आरती के मन में ढेर सारे सवाल उठ रहे थे,,, वह अपने मन में सोच रही थी कि क्या वाकई में लंड पूरी तरह से टाइट ना हो तो बुर के अंदर नहीं घुस पाता,,,, यही समस्या तो उसके पापा की भी है जिसके लिए उन्होंने आयुर्वेदिक तेल लेकर आए थे क्या वाकई में पापा का लंड टाइट नहीं हो पता तभी मम्मी परेशान रहती है क्या खड़ा करने के लिए,,, अगर वाकई में वैशाली जिस तरह से बताई और जिस तरह से हुआ अगर वाकई में यह समस्या किसी ने भी आ जाए तो बड़ी समस्या बन जाए जैसा कि उसकी मां झेल रही थी,,,,, मतलब की बुर में लंड तभी जाता है जब लंड एकदम कड़क रहता है लोहे के रोड की तरह,,,,, आरती के मन में यही सब चल रहा था कि तभी उसके कंधे पर वैशाली ने एकदम से हाथ रखकर उसे रोकते हुए बोली,,,।
क्या यार तू तो सारा मजा कीरकीरा कर देती है,,,।
तू ही ले मजा,,,,, और जाकर डलवा ले गधे से,,,।
काश ऐसा हो पता इतना मोटा और लंबा लंड बुर में जाए तो अंदर बाहर होने में कितना मजा आएगा,,,,,,,,
कुछ मजा नहीं आएगा बल्कि देखि उसका फट जाएगी तेरी,,, अब बस बकवास बंद कर कॉलेज आ गया,,,,,(और इतना कहकर आरती और वैशाली दोनों क्लास में चली गई,,,,
दूसरी तरफ रात को शेठ मनोहर लाल अपने हाथ में अपने मित्र रूपलाल की बेटी का फोटो लेकर अपने बेटे के कमरे में पहुंच गए,,,,, और उन्होंने देखा कि उनका बेटा देवदास बन कुर्सी पर बैठकर खिड़की से सड़क की तरफ देख रहे हैं अपने बेटे की हालत उनसे भी अच्छी नहीं जा रही थी क्योंकि वह जानते थे कि उनका बेटा दिन रात उसे लड़की की तलाश में दरबदर भटक रहा है,,,, इसलिए वह धीरे से अपने बेटे के कमरे में प्रवेश करते हुए राकेश के कंधे पर धीरे से हाथ रख दिए और अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस होते ही राकेश ऊपर की तरफ देखने लगा तो देखा उसके पिताजी ने वह एकदम से उठने वाला था कि शेठ मनोहर लाल बोले,,,,।
बैठे रहो,,,,, बेटा कब तक ऐसा चलेगा,,,, धीरे-धीरे दो महीना होने को आ गए,,,, लेकिन वह लड़की नहीं मिला इसका मतलब साफ है कि वह लड़की शहर की थी ही नहीं घूमने फिरने आई होगी और अपने घर चली गई होगी अगर कोई इस शहर की होती तो इतने दिनों में कहीं ना कहीं तो दिखाई देती मेरी मानो बेटा अपनी जीद छोड़ दो,,,, और मैं एक फोटो लेकर आया हूं मेरे ही मित्र की बेटी है जो की बहुत खूबसूरत है,,,,,।
(मनोहर लाल अपने बेटे से बोले जा रहे थे लेकिन ऐसा लग रहा था कि उनकी बातों का उसे पर जरा भी प्रभाव नहीं पड़ रहा है इसलिए वह ज्यादा कुछ ना बोलते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोले,,,)
बेटा मैं समझ सकता हूं तेरी तकलीफ लेकिन तू जिस तरह से इधर-उधर भागा फिर रहा है यह मुझसे देखा नहीं जा रहा है,,, फिर भी एक आखरी उम्मीद लेकर मैं इस फोटो को तेरे टेबल पर रख दे रहा हूं जब फुर्सत मिले तो देख लेना,,,,,,,,,,,।
(फिर भी राकेश पर बिल्कुल भी प्रभाव नहीं पड़ रहा था वह एक टक सड़क की तरफ देख रहा था शेठ मनोहर लाल उस फोटो को टेबल पर रखकर कमरे से बाहर निकल गए,,,,।)
Aarti chudwasi hone k baad