Ajju Landwalia
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खाना खाने के बाद राकेश अपने कमरे में चला गया था वह एकदम निराश हो चुका था क्योंकि उसे भी उसे लड़की की तलाश करते-करते महीना गुजर गए थे राकेश के पिताजी मनोहर लाल तो उम्मीद ही छोड़ दिए थे इसलिए अब वह अपने बेटे को कुछ बोलते ही नहीं थे वह भी खाना खाकर अपने कमरे में सोने के लिए चले गए थे और राकेश अपने कमरे में आकर कुर्सी पर बैठा हुआ था कि तभी हवा का झोंका आया और टेबल पर रखा हुआ फोटो एकदम से नीचे गिर गया और राकेश की नजर उसे पर पड़ी राकेश उसे फोटो को गौर से देखने लगा और जैसे-जैसे उसे फोटो वाला चेहरा स्पष्ट होते जा रहा था वैसे-वैसे राकेश के चेहरे के भाव बदलते जा रहे थे उसकी ० आंखों की चमक बढ़ती जा रही थी और वह धीरे-धीरे झुकता हुआ उसे फोटो को अपने हाथ में दे दिया और गौर से देखने के बाद उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे उसकी आंखें चमकने लगी क्योंकि यह उसी लड़की का फोटो था जिसकी तलाश में वहां देवदास बन बैठा था,,,,, वह एकदम से अपनी कुर्सी से उठकर खड़ा हो गया और उसे फोटो को लेकर अपने पिताजी के कमरे की तरफ भागा,,,,।
पापा,,,,, पापा,,,,,, पापा,,,,,(ऐसा कहते हुए वह अपने पापा के कमरे पर पहुंच गया और दरवाजे पर तब तक देने लगा दरवाजे पर हो रही दस्तक की आवाज सुनकर मनोहर लाल की आंख खुल गई और वह तुरंत उठकर बैठ गए क्योंकि बड़ी जोरों से दरवाजा खटखटाया जा रहा था,,,,,, बिस्तर पर उठकर बैठने के बाद वह टेबल पर पड़ा अपना चश्मा हाथों में लेकर उसे आंखों पर लगा लिए और बोले,,,,)
क्या हुआ राकेश जोर-जोर से क्यों दरवाजा खटखटा रहा है,,,,।
अरे पापा पहले दरवाजा तो खोलो तब मैं सब कुछ बताता हूं,,,,।
(मनोहर लाल को बड़ा अजीब लगा क्योंकि आज उसके बेटे की आवाज में पहले जैसी उमंग और तरंग थी वह बेहद उत्साहित नजर आ रहा था इसलिए मनोहर लाल तुरंत बिस्तर पर से नीचे उठ गए और जाकर दरवाजा खोल दिए दरवाजा के खोलते ही राकेश एकदम से कमरे में आते हुए बोला,,,)
मिल गई पापा मिल गई,,,।
अरे कौन मिल गई कुछ बताया भी,,,!(आश्चर्य से राकेश की तरफ देखते हुए बोले)
अरे वही लड़की मिल गई जिसकी तलाश महीनो से कर रहा था,,,।
क्या बात कर रहा हैबेटा,,,(यह खबर मनोहर लाल के लिए भी बेहद उत्साहित कर देने वाली थी क्योंकि उन्होंने भी आस खो दिया था,,,)
हां पापा वह लड़की मिल गई,,,।
लेकिन कहां मिल गई कुछ तो बता,,,,।
Mooh bola bhai or rooplaal ki bibi
यह देखिए,,,(हाथ में लिया हुआ फोटो अपने पिता जी को दिखाते हुए राकेश बोला,,,)
अरे यह तो मेरे दोस्त रूपलाल की बेटी है,,,,(फोटो को देखकर उत्साहित होते हुए मनोहर लाल बोले)
सच पापा,,,,.
हां इस फोटो को तो मनोहर लाल खुद ही मुझे दिए थे कि एक बार जरूर गौर करना,,, और यह फोटो देखकर ही मैं इसे अपनी बहू के रूप में स्वीकार कर लिया था,,,,।
फिर देर किस बात की है पापा मुझसे अब इंतजार नहीं होता,,,।
(मनोहर लाल अपने बेटे की उत्सुकता को समझ सकते थे,,, क्योंकि जो लड़का पागलों की तरह किसी लड़की की तलाश में इधर-उधर भटक रहा हो अगर वह अचानक उसकी आंखों के सामने आ जाए तो उसकी क्या हालत होती है मनोहर लाल अच्छी तरह से समझ रहे थे इसलिए वह अपने बेटे को समझाते हुए बोले,,,)
अरे हां बेटा मैं समझ सकता हूं लेकिन तू चिंता मत कर यह रिश्ता एकदम पक्का समझ,,,, बस सुबह होने की देरी है मैं खुद रूप लाल के घर जाऊंगा,,,,।
सच पापा,,,।
तो क्या अरे मुझे भी तो बेसब्री से इंतजार है कि कब तू दूल्हा बने कब इस घर में बहु आए तब मैं नाती पोता से खेलूं,,,,, तो बिल्कुल भी चिंता मत कर कमरे में जाकर सो जा,,,,।
थैंक यू पापा,,,,,,,,( राकेश एकदम खुश होता हुआ बोला,,,, और इतना कह कर वह अपने पिताजी के कमरे से बाहर चला गया मनोहर लाल भी खुश हो गए थे क्योंकि आप उनकी इच्छा पूरी होने वाली थी इसलिए वह भी खुश होते हुए दरवाजा बंद करके कल के इंतजार में सो गए,,,,.
और राकेश अपने कमरे में पहुंच कर भी उसे चैन नहीं मिल रहा था वह बार-बार उसे फोटो को देख रहा था और उस रेस्टोरेंट वाली घटना को याद कर रहा था जब दोनों के बीच टक्कर हुई थी क्या गजब का नजारा था राकेश उसे देखा ही रह गया था और मन ही मन उसे अपनी दुल्हन बनाने की कसम खा लिया था लेकिन उसकी तलाश में जिस तरह के पापड़ बेलने पड़े थे उससे उसका भी मनोबल टूट गया था उसे भी लगने लगा था कि अब वह उसे दोबारा नहीं मिलने वाली है लेकिन तभी किस्मत में पलटी खाई और वह खुद उसकी झोली में आ गई यही सब सोता हुआ वह अपने बिस्तर पर लेट कर उसे लड़की की फोटो देख रहा था जिसका नाम आरती था उसका नाम था उसे नहीं मालूम था,,,,,।
Moohbola Bhai or rooplaal ki bibi
उसे फोटो को देखते हुए उसके तन-बाद में अजीब फिल्म चलने लगी थी वह उसे फोटो को अपने सीने से लगाकर कब गहरी नींद में सो गया उसे भी पता नहीं चला जब सुबह नींद खुली तो 7:00 बज रहे थे वह जल्दी-जल्दी उठकर तैयार होने लगा उसके पिताजी पहले से ही उसका चाय पर इंतजार कर रहे थे वह जल्दी से नहा धोकर तैयार हो गया और अपने पिताजी के पास पहुंच गया,,, अपने पिताजी के पास पहुंचते ही वह एकदम उत्साहित स्वर में बोला,,,,)
आप जा रहे हैं ना पापा,,,।
हां बेटा मैं जा रहा हूं लेकिन चाहे तो पी लेने दे और तू भी चाय नाश्ता कर ले अब तेरी भी परेशानी दूर हो गई है और मेरी भी मुझे तो लग रहा था कि अब तो शादी ही नहीं करने वाला है,,,।
Moohbola Bhai or rooplaal ki bibi
सच कहूं तो पापा मुझे भी लगने लगा था कि मुझे वह लड़की अब दोबारा नहीं मिलने वाली है लेकिन सच्चे प्यार की हमेशा जीत होती है,,,,।
हां यह तो है तू सच में उस लड़की से सच्चा प्यार करता हैं,,, और मजे की बात यह है कि वह लड़की मेरे सबसे जिगरी दोस्त की लड़की है और एक मजे की बात कहूं,,,।
क्या,,,,(चाय का कप उठाते हुए)
जब तेरी शादी के बारे में बात भी नहीं किया था तब मेरा दोस्त रूपलाल खुद मुझे अपनी बेटी के लिए कोई अच्छा सा लड़का ढूंढने के लिए बोला था और आज देखो मुझे क्या पता था कि वही लड़की मेरे घर की बहू बनने वाली है,,,, सच में बेटा तेरी पसंद बहुत अच्छी है आज मुझे फक्र होता है कि तू मेरा बेटा है,,,,।
मुझे भी बहुत फ़क्र है कि आप मेरे पापा हैं,,,,,।
चल अब जल्दी से चाय नाश्ता कर ले मुझे बहू देखने के लिए भी जाना है,,,,।
मैं भी चलूंगा पापा,,,,,(राकेश उत्साहित होता हुआ बोला)
नहीं अभी के लिए मैं केवल खुद ही जाऊंगा और तू चिंता मत कर तेरी शादी पक्की है,,,,।
( जवाब में राकेश मुस्कुराने लगा और चाय की चुस्की लेने लगा,,, और मनोहर लाल की चाय की चुस्की लेते हुए बोले)
तेरे आने पर जो पार्टी रखे थे उसमें भी वह लोग आए थे लेकिन मैं उन लोगों पर ध्यान नहीं दिया था और साथ में वह लड़की की थी जिसके लिए तू पागलों की तरह महीने से घूम रहा है अगर इस समय तू देख लिया होता तो इतनी मेहनत ना करनी पड़ती और उसी समय तेरी सगाई भी हो जाती,,,।
अब पापा उस चका चौंध में कुछ समझ में नहीं आया,,,,,,,।
चलो कोई बात नहीं देर आए दुरुस्त आए,,,,,(ऐसा कहते हुए मनोहर लाल गरमा गरम चाय का मजा लेने लगे थोड़ी ही देर में मनोहर लाल चाय खत्म कर चुके थे और खाली चाय का कप ट्रे में रखते हुए बोले,,,)
अब मैं चलता हूं आज का दिन भी बहुत शुभ है और सुबह-सुबह रूपलाल घर पर ही मिल जाएगा तो बात हो जाएगी,,,,।
ठीक है पापा आप जाइए,,,,।
(सेठ मनोहर लाल ड्राइवर से गाड़ी निकालने के लिए बोले और थोड़ी देर में गाड़ी में बैठकर रूपलाल के घर के लिए निकल गए,,,।
जहां दूसरी तरफ दूसरा ही माहौल बना हुआ था क्योंकि रूपलाल की बीवी अपने दूर के भाई को घर पर बुलाकर अपनी लड़की के रिश्ते के बारे में बात कर चुकी थी और वह बहुत ही ज्यादा अच्छा रिश्ता घर पर लेकर आने वाला था और इस बारे में पति-पत्नी दोनों में बातें हो रही थी और यह बात आरती भी पास में ही बैठकर सुन भी रही थी,,,,।
चलो कोई बात नहीं अपनी बेटी आरती के लिए भला कौन से लड़कों की कमी है एक से एक लड़के मिल जाएंगे,,,, मनोहर लाल का लड़का तो पागल लगता है जो अनजानी लड़की के पीछे दीवानों की तरह घूम रहा है,,,,(चाय का कप होठों से लगाते हुए रूपलाल की बीवी बोली,,,, पास में ही बैठी आरती सब कुछ सुन रही थी आरती को इतना तो अंदाजा लग गया था कि सेट मनोहर लाल का लड़का उसी की तलाश में है लेकिन अब उसे भी लगने लगा था कि दोनों का रिश्ता होने वाला नहीं है क्योंकि बात कुछ आगे नहीं बढ़ रही थी इसलिए थोड़ी बहुत उदासी उसके चेहरे पर नजर आ रही थी और अपनी बीवी की बात सुनकर रूप लाल जो की अखबार पढ़ रहे थे वह बोले,,,)
Rooplaal ki bibi ki chudai
कल साले साहब आए थे उनसे कुछ बात आगे बढी,,,।
जरूर वह जल्द ही कोई अच्छा रिश्ता लेकर आएगा और मुझे पूरा यकीन है कि वह यह काम बड़ी बखूबी निभा पाएगा क्योंकि उसके द्वारा जितने भी रिश्ते हुए हैं सब एक से बढ़कर एक हैं मुझे पूरी उम्मीद थी अपनी बेटी के लिए भी मेरा भाई अच्छा रिश्ता लेकर आएगा,,,,।
कल साले साहब से ज्यादा बातचीत नहीं हो पाई तुमने उन्हें जाने क्यों दिया रोक ली होती,,,।
(अपने पति की बात सुनकर वह अपने मन में सोचने लगी कि सच में उसे रोक लेना चाहिए था क्योंकि दोपहर में जिस तरह का मजा उसने दिया था अभी तक उसकी बुर में हल्का-हल्का दर्द महसूस हो रहा था और चलने में थोड़ा सा दिक्कत आ रही थी और इसी तरह की चुदाई तो वह चाहती थी जो कि बरसों बाद उसकी हुई थी,,,, रूपलाल की बीवी एक तीर से दो निशाना लगाना चाहती थी एक तो अपनी बेटी के लिए रिश्ता भी तय कर लेना चाहती थी और दूसरी अपनी जवानी की प्यास भी पूजा लेना चाहती थी और एक साथ दोनों बात भी हो चुकी थी अपनी बेटी की बात भी कर चुकी थी और अपने मुंह बोले भाई के लंड को अपनी बुर में लेकर अपनी प्यास भी बुझ चुकी थी,,, वह अपने मन में यही सोच रही थी कि सच में उसे लेना चाहिए था तीन-चार दिन अगर रुक जाता तो वह भी चीज भर कर चुदाई का मजा लूट लेती ,, अपनी बीवी को इस तरह से ख्यालों में खोया देखकर रूपलाल बोले,,,)
अरे भाग्यवान क्या हुआ क्या सोचने लगी कहीं नाराज होकर तो नहीं चला गया जो इस तरह से परेशान नजर आ रही हो,,,।
नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है लेकिन यह ख्याल तो मुझे आया ही नहीं कि मुझे दो-तीन दिन के लिए रोक लेना चाहिए था वह बस चाय पिया और बातें किया और चला गया मैं उसे रोक भी नहीं पाई लेकिन बहुत ही जल्द वो आएगा तब तीन-चार दिनों के लिए उसे रोक लुंगी,,,,।
हां यह सही रहेगा,,,, और आरती बेटा तू बिल्कुल भी चिंता मत कर एक से बढ़कर एक लड़के हैं जो तुझे रानी बनाकर रखेंगे,,,,।
अरे पापा मुझे कोई चिंता नहीं है और वैसे भी मैं तुमसे पहले भी कह चुकी हूं कि अभी मेरा शादी का कोई इरादा नहीं है मुझे अभी पढ़ना है बस आप लोग ही जल्दबाजी कर रहे हैं,,,,(वैसे तो जिस तरह की बातें घर में हो रही थी उसे उसे पता चल गया था कि अब उसके लिए दूसरा लड़का ढूंढना शुरू हो गया है और इस बात का गम भी उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था लेकिन वह किसी तरह से अपने अंदर के जज्बात को छुपाए हुए थे और एकदम सहज होते हुए बातें कर रही थी ताकि उसके मम्मी पापा को यह ना लगे कि इस रिश्ते के न होने से उसके मन में कोई दुख है,,,, आरती की बात सुनकर उसकी मम्मी बोली।)
Rooplaal ki bibi ki chudai
हमें भी पता है बेटी की तु पढ़ना चाहती है,,, लेकिन शादी भी सही समय पर हो जाए तो अच्छा ही होता है,,, और यही उम्र भी सही है शादी के लिए अगर तीन-चार साल ऐसे ही निकल गए तो बड़ी दिक्कत आ जाती है अच्छा रिश्ता मिलाने में और मैं नहीं चाहती कि तेरे साथ ऐसी कोई मुसीबत पेश आए अगर परिवार अच्छा हुआ तो आगे पढ़ लेना यह तो परिवार की मर्जी पर आधार रखता है वैसे भी अब पढ़ाई लिखाई के कोई मायने नहीं है अच्छी जगह विवाह हो जाए अच्छा घर बार मिले बस यही तो चाहिए,,,।
क्या मम्मी तुम्हारी सोच भी कितनी घटिया है,,, जमाना बदल गया यार देखो लड़कियां कहां से कहां पहुंच गई है और तुम हो कि जल्दी से जल्दी अपनी बेटी की शादी करके ससुराल भेज देना चाहती हो,,,,।
(वैसे तो आरती अपनी मम्मी से इस तरह की बातें नहीं करना चाहती थी लेकिन मनोहर लाल के वहां रिश्ता ना हो सके नहीं की सपने में थोड़ा बहुत गुस्सा उसके मन में भी था इसलिए वह अपनी बात के जरिए अपना गुस्सा निकल रही थी और आरती की बात सुनकर उसकी मां बोली,,,)
मैं कुछ भी नहीं सुनना चाहती मुझे जल्दी से जल्दी तेरी शादी करनी है तो करनी है,,,,।
(अब यह सब बातें हो ही रही थी कि घर के गेट पर मोटर गाड़ी रुकने की आवाज आई तो सभी लोग घर के गेट की तरफ देखने लगे जो कि बंद था गाड़ी को रोकना हुआ देखकर रूपलाल बोला)
यह कौन आ गया,,,,?
कोई होगा कारखाने वाला,,,,।
(गाड़ी का दरवाजा खुला और सेठ मनोहर लाल गाड़ी में से बाहर निकल कर आए और खुद ही घर का गेट खोलने लगे,,,, रूपलाल उसकी बीवी और आरती तीनों गेट की तरफ देख रहे थे लेकिन तीनों को पता नहीं चल रहा था कि आखिर कार ये है कौन,,,, तभी गेट खुला और रूपलाल गेट पर मनोहर लाल को देखकर एकदम दंग हो गया और अपनी जगह से एकदम से उठकर खड़ा हो गया और आगे बढ़ते हुए बोला,,,,)
अरे मनोहर,,,, आज यहां का रास्ता कैसे भूल गए,,,,।
Rooplaal ki bibi ki chudai
अरे पूछो मत रूप लाल आज मैं अपनी बहू से मिलने आया हूं,,,,।
(इतना सुनते ही रूप लड़की बीवी आश्चर्य से मनोहर लाल की तरफ तो कभी रूपलाल की तरफ देखने लगी रूपलाल को भी समझ में नहीं आ रहा था कि मनोहर लाल ने क्या बोला इसलिए तसल्ली करने के लिए बोला,,,)
क्या कहा मैं कुछ सुना नहीं,,,!
अरे रूपलाल कान में तेल डाल तुझे ठीक से सुनाई नहीं देता,,, मैंने कहा कि मैं अपनी बहू से मिलने आया हूं,,,,।
ममममम,,,, मैं कुछ समझ नहीं,,,,।
तु समझेगा भी नहीं,,,, भाभी जी मुंह मीठा करवाइए पहली बार समधी अपने समाधी के घर आया है ,,।
यह पहेलियां क्यों बुझवा रहे हैं भाई साहब,,,,।
अरे कोई पहेली नहीं है,,,,(इतना कहने के साथ ही मनोहर लाल खुद ही कुर्सी अपनी तरफ खींच कर बैठ गया और फिर से अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
अरे रूपलाल तुम्हारे यहां अपने समधि का इसी तरह से स्वागत करते हैं,,,,,।
(अभी भी ना तो रूपलाल को समझ पा रहा था और नहीं उसकी बीवी दोनों एक दूसरे को आश्चर्य से देख रहे थे और आरती भी आश्चर्य से मनोहर लाल की तरफ देख रही थी मनोहर लाल ही उन तीनों की शंका को दूर करते हुए बोले,,,)
अरे रूप लाल तुम्हारी बेटी वही लड़की है जिसके पीछे मीना से मेरा बेटा पागलों की तरह घूम रहा है उसे ढूंढ रहा है,,,,(अब आरती को सबको समझ में आ गया था इतना सुनते ही वह शर्म के मारे एकदम से अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और भागते हुए अपने कमरे की तरफ चली गई अब कुछ-कुछ रूपलाल को और उसकी बीवी को भी समझ में आने लगा था इसलिए दोनों के चेहरे पर आश्चर्य प्रसन्नता के भाव नजर आ रहे थे लेकिन फिर भी अपनी तसल्ली के लिए रूपलाल फिर से बोला,,,)
मैं कुछ समझा नहीं,,,।
तो सच में कुछ नहीं समझा कि ना समझने का सिर्फ बहाना कर रहा है,,,।
देख मनोहर तो हम दोनों की दिल की धड़कन बढ़ा रहे हैं कुछ समझ में नहीं आ रहा है साफ-साफ बोल,,,।
अरे मेरा बेटा तुम्हारी बेटी आरती से शादी करना चाहता है उसे मेरे घर की बहू बनाना चाहते हैं,,,,।
(इतना सुनते ही रूपलाल की बीवी अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और एकदम खुश हो गई और वह बोली)
क्या बात कर रहे हैं भाई साहब,,,,।
मैं बिल्कुल सच कह रहा हूं राकेश तुम्हारी लड़की की तलाश में दिन रात एक किए हुए था तुम्हारी लड़की ही थी जो रेस्टोरेंट में उससे टकराई थी,,,,, वह तो अचानक कल रात को उसकी नजर फोटो पर पड़ी और वह एकदम से खुश होता हुआ मेरे कमरे में चलाया और मुझे सब कुछ बताया उसे तो सुबह होने का भी इंतजार करना मुश्किल हुआ जा रहा था मैं ही बड़ी मुश्किल से उसे मनाया हूं,,,।
ओहहह मनोहर तुमने तो हम लोगों की चिंता पल भर में ही दूर कर दी अभी आरती की शादी की बात ही कर रहे थे,,,,।
अब तुम्हें बिल्कुल भी चिंता करने की जरूरत नहीं है जल्दी से मुंह मीठा करवाओ,,,,।
अरे भाग्यवान देख क्या रही हो जल्दी से जाओ मिठाई लेकर आओ,,,,।
मैं अभी लाइ,,,(और इतना कहने के साथ ही रूपलाल की बीवी जल्दी से घर में गई और थोड़ी ही देर में मिठाई और पानी लेकर आई और टेबल पर रखते हुए बोली,,,)
लीजिए भाई साहब,,,,
यह तुम्हारी ही दुकान की मिठाईहै,,,(रूपलाल अपनी बीवी के सुर में और मिलना हुआ बोला और मनोहर लाल मिठाई का टुकड़ा उठाकर उसे मुंह में डालते हुए,,,बोले,,,)
यह तो देख कर ही पता चल रहा है,,,,,,,(मिठाई का करो पानी पीने के बाद मनोहर लाल अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोले,,,) अब जल्दी से मुझे बहू से मिला दो मैं भी अपनी बहू से मिलने के लिए बेकरार हूं मैं भी तो देखो मेरे बेटे की पसंद कैसी है,,,।
(इतना सुनते ही रूपलाल अपनी बीवी से बोले)
अरे भगवान जल्दी से जो आरती को बुलाकर लाओ,,,,।
तैयार होने की कोई जरूरत नहीं है जैसे ही है वैसे ही लेते आना,,,,,(मनोहर लाल बोले,,)
थोड़ी ही देर में आरती जिस अवस्था में थी उसी अवस्था में शर्माते हुए सिर्फ मनोहर लाल के सामने आकर खड़ी हो गई तैयार होने का समय बिल्कुल भी नहीं था वह सलवार कमीज पहनी हुई थी बस अपने दुपट्टे को सर पर रखकर शर्म में से नज़रे नीचे झुकाए हुए खड़ी हो गई थी,,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करना है तो आरती की मां बोली,,,।
पैर छुओ अपने ससुर जी के,,,।
(इतना सुनते हैं आरती आगे पड़ी हो शेठ मनोहर लाल के पैर छूकर आशीर्वाद की आशीर्वाद देते हुए सेठ मनोहर लाल बोले,,)
जीती रहो बेटी मुझे अपने बेटे की पसंद पर पूरा भरोसा था,,,,, ड्राइवर गाड़ी में जो पैकेट रखा हुआ है उसे लेकर आना तो,,,(इतना सुनते ही ड्राइवर तुरंत गया और गाड़ी में से पैकेट निकाल कर ले आया और सेट मनोहर लाल उसे पैकेट को लेकर टेबल पर उसे खोलने लगे पैकेट के अंदर एक महंगा नेकलेस था जिसमें कीमती हीरा जड़ा हुआ था उसे अपने हाथों से अपनी बहू को थमते हुए बोले,,,)
येलो बहु तुम्हारे लिए मुंह दिखाई,,,,(इतना सुनते हैं आरती आगे बड़ी और अपने होने वाले ससुर के हाथों से नेकलेस का सेट ले ली और वहीं पर शर्मा कर खड़ी रह गई तो मनोहर लाल ही बोले,,)
अब तुम जाओ बेटी ,,,( ईतना सुनकर आरती चली गई उसके जाते ही सेट मनोहर लाल खुश होते हुए रूप लाल से बोले,,,,)
अब मुझे चलना चाहिए लेकिन जल्द ही पंडित जी से कोई अच्छा सा मुहूर्त निकाल कर दोनों की सगाई कर देते हैं और फिर एक महीने बाद शादी,,,।
जैसी तुम्हारी मर्जी मनोहर लाल वैसा ही होगा जैसा तुम चाहते हो,,,,।
तो ठीक है जल्द ही में इजाजत चाहता हूं जल्दी ही मुलाकात होगी,,,।(इतना कहकर मनोहर लाल कुर्सी पर से उठकर खड़े हो गए तो रूप लाल के साथ-साथ उनकी बीवी भी अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और हाथ जोड़कर अभिवादन करने लगी और फिर मनोहर लाल गाड़ी में बैठकर अपनी दुकान के लिए निकल गए आज मनोहर लाल के परिवार के लिए बहुत ही शुभ दिन था बहुत ही खुशी से भरा हुआ दिन था पति-पत्नी एक दूसरे को देखकर बहुत खुश हो रहे थे क्योंकि उनके मन की इच्छा जो पूरी हो गई थी बहुत ही जल्द आरती मनोहर लाल की बहू बनने वाली थी,,,)
Sidhiyo pe chadhti huyi rooplaal ki bibi
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Bahut hi shandar update he rohnny4545 Bhai
Aakhirkar Rakesh aur aarti ka rishta pakka ho gaya...................
Ab maja aayega jab rakesh ka samna aarti ke maa se hoga..........
Ho sakta he aarti se pehle uski maa ko hi thok de.........
Keep rocking Bro