Alok
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आखिरकार सेठ मनोहर लाल का एकलौता पुत्र राकेश अपनी पढ़ाई खत्म करके और इंजीनियर की डिग्री लेकर घर लौट रहा था।उसे लेने के लिए खुद मनोहर लाल अपने ड्राइवर के साथ रेलवे स्टेशन पर पहुंच गए थे ।मनोहर लाल का उनके साथ था वह पहली बार अपने मालिक को मुझे भाभी खुश हो रहा था अपने मालिक से बोला।
सेठ जी मैं पहली बार आपको खुश होता हुआ देख रहा हूं ।
क्या करूं मोहन दिन ही कुछ ऐसा है ।शायद तुम नहीं जानते मोहन बेटे से मिलने के लिए बाप कितना तड़पता है... और ऐसे हालात में उसकी तड़प और बढ़ जाती है जब उसके परिवार में उसके बेटे के सिवा और कोई ना हो...
मैं समझ सकता हूं मालिक आपके मन पर क्या गुजरती हैं... क्योंकि मैं आपको कईं बार उदास बैठा हुआ देखता हूं मेरा दिल खुद तड़प उठता है... सच कहूं तो मालिक आज आपको खुश देखकर मैं भी बहुत खुश हूं और छोटे मालिक आ रहे हैं यह बात जानते ही मेरे मन में कितनी खुशी हो रही है शायद मैं बात नहीं सकता क्योंकि हवेली की खुशियां जो लौटने वाली है.... मैं तो कहता हूं मालिक का विवाह करके उन्हें बंधन में बांध ं दीजिए ताकि वह आपको और घर छोड़कर कभी न जाए...
तुम ठीक कह रहे हो मोहन मैं भी यही सोच रहा हूं कोई अच्छी सी लड़की देख कर राकेश का विवाह कर दु,,, ( सेठ मनोहर लाल का इतना कहना था कि रेलवे स्टेशन पर अनाउंस होने लगा कि ट्रेन आने वाली है और इतना सुनकर मनोहर लाल का दिल जोरो से धड़कने लगा और थोड़ी ही देर में ट्रेन रेलवे प्लेटफार्म पर आ गई... राकेश अपने पिताजी को देखकर बहुत खुश हुआ और आगे बढ़कर अपने पिता के पेर को छूकर आशीर्वाद लिया और गाड़ी में बैठकर घर पर आ गया...
अपने बेटे के आने की खुशी में सेठ मनोहर लाल पूरे घर को दुल्हन की तरह सजवा दिए थे... यह देखकर राकेश हैरान होता हुआ बोला...
क्या बात है पिताजी घर दुल्हन की तरह क्यों सजा हुआ है...
तेरे आने की खुशी में बेटा...( गाड़ी में से उतरते हुए शेठ मनोहर लाल जी बोले,,)
मेरे आने की खुशी में...( थोड़ा हैरान होते हुए राकेश बोल तो इस बार उसके पिताजी की जगह उनका ड्राइवर बीच में बोल पड़ा..)
जी छोटे मालिक तुम्हारे आने की खुशी में बड़े मालिक ने पूरे घर को दुल्हन की तरह सजवा दिया है तुम नहीं जानते छोटे मालिक की बड़े मालिक कितना खुश है.... वह तो तुम्हारे आने की खुशी में घर में पार्टी भी दिए हैं...,( इतना सुनते ही रहते थे हैरान होता हुआ अपने पिताजी की देखने लगा और मनोहर लाल राकेश की तरफ देखकर मुस्कुरा रहे थे... अपने पिताजी की खुशी और अपने लिए उनके दिल में इतना प्यार देखकर राकेश बहुत खुश हुआ और जाकर अपने गले से लगा लिया,,,,
थोड़ी ही देर में दोनों डिनर टेबल पर भोजन कर रहे थे मनोहर लाल बहुत खुश थे राकेश भी बहुत खुश था क्योंकि उसे उम्मीद नहीं थी उसके आने की खुशी में उसके पिताजी घर में पार्टी देंगे और पूरे घर को सजा कर रखेंगे वह खाना खाते हुए बोला..
इन सब की क्या जरूरत थी पिताजी आखिरकार में आ तो गया हूं...
तू आ गया है बेटा इसलिए तो यह सब कर रहा हूं तू नहीं जानता कि मैं कितना खुश हूं एक बाप को इससे ज्यादा और क्या चाहिए जब उसका बेटा उसके साथ हो... तेरे आने की खुशी में शहर के बड़े-बड़े लोगों को इनवाइट किया है....
पार्टी कब है पिताजी,,,,!( मुंह में निवाला डालते हुए राकेश बोला)
बस इसी रविवार को...
क्या कह रहे हैं पिताजी इतनी जल्दी रविवार को इतने कम समय में इंतजाम कैसे हो पाएगा...( हैरान होता हुआ राकेश बोला और वैसे भी राकेश का हैरान होना लाजिमी था क्योंकि दो दिन रह गए थे रविवार को और ऐसे में इतनी बड़ी पार्टी देना इतने कम समय में संभव नहीं था लेकिन राकेश की बात सुनकर मुस्कुराते हुए मनोहर लाल बोले)
सारा इंतजाम हो गया है तुझे टेंशन लेने की जरूरत नहीं है जिस दिन तेरा खत मिला था उसी दिन से मैं सारी तैयारी कर चुका था...
( इतना सुनते ही राकेश एकदम खुश हो गया और एकदम खुश होता हुआ बोला ....)
पिताजी आप कितने अच्छे हैं मैं कितना भाग्यशाली हूं कि मुझे तुम्हारे घर बेटे के रूप में जन्म लेने का मौका मिला....
( अपने बेटे की बात सुनते ही सेठ मनोहर लाल को अपनी स्वर्गवासी पत्नी याद आ गई और उनकी आँखों में आंसू आ गए लेकिन वह अपने बेटे से अपनी आंखों के आंसुओं को छुपा ले गए थे,,,,
दूसरे दिन राकेश टहलने के लिए मार्केट की तरफ निकल गया... वैसे तो उसके पास खुद की मोटरसाइकिल थी लेकिन वह पैदल ही मार्केट की तरफ निकल गया था क्योंकि बहुत दिन गुजर गए थे वह अपने शहर के मार्केट में गया नहीं था और वैसे भी मार्केट घूमने का सबसे अच्छा तरीका होता है,,, पैदल घूमना,,,,
घूमते घूमते हुए काफी थक चुका था गर्मी का समय था इसलिए उसे गर्मी भी बहुत लग रही थी इसलिए एक अच्छी सी रेस्टोरेंट पर ठंडा पीने के लिए गया,,, वह रेस्टोरेंट की सीढ़ियां चढ़ रहा था की तभी सामने से आ रही एक लड़की से वह टकरा गया उसके हाथ में किताबें और कोका कोला की बोतल थी जिसमें स्टो डालकर वह पी रही थी,,,,, उस लड़की से टकराने की वजह से... राकेश एकदम से चौंक गया था और उसे लड़की के हाथ से उसकी किताबें छोड़कर नीचे गिर गई थी और उसके हाथ में जो कोका कोला था उसमें से कोल्ड ड्रिंक निकल कर राकेश के शर्ट पर गिर गई थी,,,, लेकिन इसका ध्यान उसे बिल्कुल भी नहीं था उसे इस बात की चिंता थी कि टकराने की वजह से उसे लड़की के हाथ से किताबें नीचे गिर चुकी थी जिसे वह तुरंत नीचे झुक कर उठने लगा था और वह लड़की के नीचे झुक कर अपनी किताबों को समेटने लगी थी वह दोनों एक दूसरे को सॉरी सोरी कह रहे थे,,, लेकिन इसमें राकेश की कोई भी गलती नही थी और इस बात को वह लड़की भी जानती थी इसीलिए शर्मिदा हो कर वह उससे माफी मांग रही थी,,,, और राकेश उसे शांत्वना देते हुए बोल रहा था...
देखिए इसमें आपकी कोई गलती नहीं है नहीं थोड़ा ध्यान नहीं दिया,,,
नहीं नहीं इसमें आपकी कोई गलती नहीं है नहीं लापरवाह हो गई थी मुझे देखना चाहिए था...
( दोनों एक दूसरे की तरफ देखे बिना ही नीचे गिरी हुई किताबों को बटोर रहे थे और तभी किताबों को देते समय और लेते समय दोनों की नजरे आपस में टकराई तो दोनों एक दूसरे को ध्यान से देखने लगे राकेश तो उस लड़की को देखता ही रह गया,,,, वह उसकी आंखों की खूबसूरती में पूरी तरह से डूबने लगा था और वह लड़की भी राकेश को गौर से देख रही थी,,,, अभी वहां पर उस लड़की की सहेलियां आ गई और वह लोग चुटकी लेते हुए बोली,,,,)
एक दूसरे से माफी मांगने का प्रोग्राम खत्म हो चुका हो तो घर की तरफ चलें...
( लड़कियों की आवाज को सुनकर दोनों का ध्यान एकदम से टूटा हुआ दोनों एकदम से उठकर खड़े हो गए और राकेश ही सबसे पहल बोल पड़ा ,,)
देखिए इसमें तुम्हारी सहेली की कोई भी गलती नहीं है मै हीं लापरवाह हो चुका था मुझे देखकर चलना चाहिए था,,,,
ठीक है मिस्टर आइंदा से देख कर चलिएगा,,,( उनमें से ही एक लड़की चुटकी लेते हुए बोली)
जी जरूर ईतना कहते हुए राकेश लड़की के खूबसूरत चेहरे की तरफ ही देख रहा था और वह लड़की राकेश के इस नजरीए से शर्मा रही थी लेकिन तभी उसकी नजर राकेश की शर्ट पर पड़ी जिस पर उसके हाथ का कोका-कोला गिर गया था,,,वह एकदम से हैरान होते हुए बोली,,,
ओहह,,,, आपकी शर्ट पर तो दाग लग गया है,,,,
( उसके इतना कहते ही राकेश अपने शर्ट की तरफ देखा तो सच में उसे पर कोका-कोला गिरा हुआ था लेकिन वह बिल्कुल भी नाराजगी ना दर्शाते हुए,,, बोला,,,,)
कोई बात नही दाग ही तो है धूल जाएंगे आप बिल्कुल भी चिंता ना करें,,,,.
( राकेश की दरिया दिली देखकर वह लड़की मुस्कुराने लगी और सॉरी बोलकर वहां से चलने लगी लेकिन बार-बार पलट कर वह राकेश की तरफ देख रही थी राकेश भी उसी को ही देख रहा था यह देखकर उसकी सहेली चुटकी लेते हुए बोली,,,)
क्या बात है,,, कहीं पहली नजर का प्यार तो नहीं हो क्या मेरी लाडो रानी को...
धत्,,,, कैसी बाते करती है... मेरी ही गलती थी मैं ही उससे टकरा गई और वह तो अच्छा हो उसे इंसान का कि मुझे कुछ बोला नहीं और खुद ही सॉरी बोल रहा है...
तेरी खूबसूरती देखकर सॉरी बोल रहा होगा...
धात कुछ भी बोलती रहती है....
( इतना कहकर वह लोग वहां से चले गए लेकिन राकेश उसे लड़की को तब तक देखता रहे क्या जब तक कि वह लड़की उसकी निगाहों से ओझल नहीं हो गई,,,,,
रात के 11:00 बज रहे थे नैना देवी अपने सारे काम निपटाकर,,, आरती के कमरे में जाकर उसे दूध का गिलास देकर अपने कमरे में आ गई,,,, यह देख करवा खुश हुई कि उसका पति रुप लाल अभी भी जाग रहा था और किताब पढ़ रहा था वह जल्दी से कमरे को बंद कर दी और अपने बदन से
कपड़े उतारना शुरू कर दी... यह देखकर रूपलाल हाथ में ली हुई किताब को टेबल पर रख दिया... और अपनी बीवी की काम रूप को देखने लगा,,, नैना एकदम मस्त होकर अपने बदन से कपड़े उतारना शुरू कर दी थी अपनी साड़ी को उतार कर वहां नीचे जमीन पर फेंक दी थी और अपने पति के सामने वह केवल पेटिकोट और ब्लाउज में थी,,,, मोटी मोटी पपैया जैसी चुचीया.. ब्लाउज में ठीक तरह से समा नहीं पा रही थी.... देवी का पेट थोड़ा निकला हुआ था लेकिन उसके बदन की कद काठी उसकी लंबाई के हिसाब से उसका निकला हुआ पेट छिप जाता था और उसकी खूबसूरती और ज्यादा बढ़ जाती थी,,,, नैना देवी काफी उत्तेजित नजर आ रही थी उसके चेहरे का रंग सुर्ख गुलाबी हो चुका था और वह अपने ब्लाउज के बटन खोलते हुए अपने पति की तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी और बोल रही थी...
( अच्छा हुआ तुम जाग रहे हो वरना आज भी सो जाते तो मेरे अरमानों पर पानी फीर जाता,,,,)
Naina
तुम्हारा यह रूप देखकर भला किसको नींद आएगी..( इतना कहते हुए रूप लाल भी अपने कपड़े उतारना शुरू कर दिया और दूसरी तरफ उसकी बीवी नैना अपने ब्लाउस उतार कर उसे भी जमीन पर फेंक दी थी और अपने पेटिकोट की डोरी खींचकर पेटीकोट को एक झटके में अपने कदमों में गिर चुकी थी और इस समय वह अपने पति की आंखों के सामने केवल ब्रा और पेटी में खड़ी थी,,,, वाकई में इस रूप में और उम्र के इस पड़ाव में भी बला की खूबसूरत लग रही थी.... वह सिर्फ ब्रा और पेंटिं मैं बिस्तर की तरफ आगे पड़ी और बिस्तर के करीब पहुंचते ही अपना पैर उठाकर घुटनों के परिवार बिस्तर चढ़ गई और देखते ही देखते हैं वह अपने पति के पैरो के बीच में आ चुकी थी... अपने अंडरवियर को खुद रूप लाल अपने हाथों से उतर कर एकदम नंगा हो गया तो नंगा होने के बाद उसका लंड अभी भी पूरी तरह से तैयार नहीं था जिसे अपने हाथों में लेकर उसकी बीवी इधर-उधर हिला कर सीधे अपने मुँह में भर ली और उसे चुस कर तैयार करने लगी.... थोड़ी बहुत मेहनत के बाद रूपलाल का लंड उसकी बीवी नैना के मुंह में बड़ा होने लगा,,, और यह एहसास होते ही नैना अपने पति के दोनों टांगों के बीच से निकाल कर वहां पीठ के बल लेट गई लेकिन लेटने से पहले वह अपने हाथों से ही अपने ब्रा का हो खोलकर अपनी ब्रा को अपने बदन से अलग कर चुकी थी जिसकी वजह से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां एकदम से लहराने लगी थी जिसे देख रूपलाल के मुंह में पानी आने लगा था... रूपलाल से रहा नहीं गया और वह अपनी बीवी की दोनों चूचियों को अपने हाथ में लेकर दबाना शुरू कर दिया,,,,, लेकिन उसकी बीवी उसे रोकते हुए बोली...
बस रहने दीजिए आग तो मेरी बुर में लगी हुई है जल्दी से इसकी आग बुझाईए वरना कहीं,,, आपकी टंकी खाली हो गई तो मेरी आग बुझ नहीं पाएगी...
चिंता मत करो मेरी जान आज तो मैं पूरा तैयार हो गया हूं...( और इतना कहने के साथ अपने हाथों से अपनी बीवी की पैंटी उतार कर उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया औप उसके दोनों टांगों के बीच जाकर जगह बनाकर अपने लंड उसकी बुर से सटाकर एक जोरदार से धक्का मारा और उसका पूरा लंड उसकी बीवी की बुर में समा गया.... उसके बीवी के मुंह से हल्की सी आहह निकली और रूप लाल अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,,,.
आराम से धीरे-धीरे वरना एकदम गरम हो जाओगे तो निकल जाएगा...
कुछ नहीं होगा मेरी जान...( इतना कहकर रूप लाल अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया लेकिन बड़ी तेजी से कमर हिला रहा था मजा तो नैना देवी को बहुत आ रहा था लेकिन वह आने वाले पल के बारे में सोच कर घबरा भी रही थी.... थोड़ी ही देर में रूपलाल पसीने से तरबतर हो गया और एकदम से ढह गया,,,, वह झड़ चुका था नैना को संतुष्ट किए बिना ही उसका पानी निकल चुका था इसी बात का डर नैना को था इसीलिए वह उस से धीरे-धीरे करने को कह रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका पति में एकदम से पानी छोड़ देता है और उसे प्यासी तड़पने के लिए छोड़कर सो जाता है जिसका डर था वही आज भी हुआ था....
नैना एकदम क्रोधित हो गई थी लेकिन वह कुछ कर सकते की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी रूपलाल अपनी बीवी के ऊपर से उठा और बगल में एकदम से लेट गया...
मेरी तो किस्मत ही फुट गई है तुमसे शादी करके,,,,( छत की तरफ देखते हुए नैना बोली तो रूपलाल धीरे से बोला,,,,)
इस उम्र में तुम्हें भी इन सब चीजों की चाह छोड़ देनी चाहिए.....( रूपलाल जानबूझकर उम्र का लिहाजा करने का बहाना बनाकर इन सब चीजों से हाथ छुड़ाना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि इस उम्र में वह अपनी बीवी को खुश नहीं कर पा रहा था,,,,, अपने पति की यह बात सुनकर वह एकदम गुस्से में बोली...)
ऐसा क्यों क्या मेरा मन नहीं करता मेरा मन बहुत करता है तुम बूढ़े हो चुके हो मैं नहीं मेरे बदन में अभी भी जवानी बरकरार है बस तुमसे ही मेरी जवानी की प्यास बुझती नहीं है तुम मेरी जवानी की प्यास बुझा पाने में समर्थ नहीं हो.... सबसे बेकार हो तुम अपने पड़ोस की निर्मला को देख लो इस उम्र में भी उसका पति रात भर सोने नहीं देता,,,, बहू पोते नाते वाली हो गई है... लेकिन फिर भी रोज चुदवाती है रोज उसका पति उसे खुश करता है और एक तुम हो तुमसे कुछ भी नहीं होता....
( उसका इतना कहना था कि रूपलाल करवट बदलकर चादर तानकर दूसरी तरफ मुंह फेर लिया क्योंकि वह जानता था कि जो कुछ भी उसकी बीवी का रही है वह सच है इस उम्र में वह अपनी पत्नी को खुश करने में समर्थ नहीं था जिसका उसे भी मलाल था लेकिन वह कुछ भी कर सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था,,,, नैना देवी कुछ देर तक अपनी किस्मत को कोसते हुए घर की छत की तरफ देखती रह गई और नग्न अवस्था में ही करवट लेकर सो गई...
Bahut hi shandaar aur lajwab update hai lagta hai party me pyar ki suruaat hone wali haiसेठ मनोहर लाल बहुत खुश नजर आ रहे थे और खुशी की बात ही थी क्योंकि उनका बेटा इंजीनियर बनकर घर लौट रहा था और अभी अगले सप्ताह,,,, सेठ मनोहर लाल की खुशी समा नहीं रही थी,,, जो भी परिचित उनसे मिलता था सबसे अपनी खुशी जाहिर कर रहे थे,,, और वह लोग भी शेठ मनोहर लाल की खुशी में खुश हो रहे थे,,,, और इसी खुशी में मैं सेट मनोहर लाल पार्टी देना चाहते थे जिसमें शहर के माने जाने लोगों को आमंत्रित करना चाहते थे,,,, और उनके मन में अपने बेटे के विवाह के बारे में भी ख्याल उमड़ रहा था वह अपनी मन में यही सोच रहे थे कि इस बार वह अपनी बेटी को कहीं नहीं जाने देंगे अच्छी लड़की से विवाह करके वह राकेश को अपने खानदानी व्यवसाय में लगा देना चाहते थे ऐसा करने से वह अपने बेटे के करीब भी रहने का बहाना ढूंढ रहे थे,,,।
वैसे भी राकेश के सिवा इस दुनिया में उनका और कोई नहीं था और उसे बेटे से भी वह परसों पढ़ाई की वजह से दूर ही रहते थे लेकिन जब उनके बेटे ने इंजीनियरिंग का कोर्स पूरा कर लिया तब उनके मन में यही ख्याल रहा था कि अब बस बहुत हो गया अब वह अपनी बाकी की जिंदगी अपने बेटे अपने बहू और अपने पोते पोतियो के साथ गुजारना चाहते थे इसीलिए वह और भी ज्यादा खुश थे क्योंकि वह अच्छी तरह से जाते थे कि उनका बेटा उनकी बात मानने से कभी भी इनकार नहीं करता था,,,, और उन्हें पूरी उम्मीद थी कि उनका बेटा उनकी बात जरूर मानेगा,,,,।
मनोहर लाल खुद ही मेहमानों की लिस्ट बनाने लगे और कार्ड छपवाकर पूरे शहर में जो भी जाने-माने लोग थे जो भी उनके पहचान के थे जो भी उनके बड़े और पुराने ग्राहक थे सभी को पार्टी के लिए आमंत्रण भेज दिया,,,, और एक आमंत्रण कार्ड सेट मनोहर लाल ने अपनी परम मित्र रूप लाल के घर भी भिजवा दिया था,,,,।
रूपलाल कुर्सी पर बैठकर समाचार पत्रिका पढ़ रहे थे कि तभी उनकी नजर टेबल पर पड़े कार्ड पर पड़ी तो उन्होंने समाचार पत्रिका को एक तरफ रखकर उसे आमंत्रण कार्ड को अपने हाथ में ले लिया और नाम पढ़ते ही उनके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी उन्हें मुस्कुराता हुआ देखकर उनकी धर्मपत्नी,,, नैना देवी बोल पड़ी,,,।
क्या बात है जी बहुत मुस्कुरा रहे हैं,,,।
मुस्कुरा ही रहा हूं खुश हो रहा हूं,,,,,
ऐसी कौन सी बात है जो खुश हो रहे हैं,,,,(चाय का कप लेकर नैना देवी भी ठीक अपने पति के सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई,,,, वैसे नैना देवी इस उम्र में भी बाला की खूबसूरत लगती थी लंबी कट काटी और भरे बदन की होने की वजह से उनकी खूबसूरती में चार चांद लग जाता था लंबे घने बाल गोल चेहरा आंखें बड़ी-बड़ी लाल-लाल होठ,, हल्का सा पेट निकला हुआ जो कि उनकी खूबसूरती में और भी ज्यादा इजाफा कर देता था बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियां ब्लाउज में ठीक से समा भी नहीं पाती थी,,, नितंबों का गोलाकार उभार इस उम्र में भी मर्दों के आकर्षण का केंद्र बिंदु बना हुआ था वैसे भी कई हुई साड़ी में नैना देवी की गांड और भी ज्यादा खूबसूरत नजर आती थी,,,, रूपलाल अपनी बीवी से बहुत प्यार करते थे लेकिन उम्र का तक आज इस तरह हावी हो गया था की चाह कर भी अपनी बीवी को शरीर सुख नहीं दे सकते थे और वैसे भी कभी-कभार कोशिश करने पर,,,, उनके कट्टे से गोली निकलने से पहले ही दग जाती थी,,, जिससे नैना देवी गुस्सा कर दूसरी तरफ मुंह करके सो जाती थी और इससे ज्यादा वह कुछ कर भी नहीं सकती थी क्योंकि संस्कारों में जो बंधी हुई थी,,,, लेकिन फिर भी यह गुस्सा भी केवल इस पल के लिए होता था और अगले पल सब कुछ ठीक हो जाता था इसीलिए रूप लाल भी अपनी बीवी की तरफ से निश्चिंत थे वरना भाभी दूसरे मर्दों की तरह अपनी बीवी के लिए फिक्र करते रहते क्योंकि वह दुनिया की रीति रिवाज से अच्छी तरह से वाकिफ थे वह जानते थे कि जो मर्द औरत को अपने नीचे सुख और खुशी नहीं दे पता चल नहीं ऐसी औरत दूसरे मर्दों के नीचे आ जाती है लेकिन इस बात से वह पूरी तरह से निश्चित हो गए थे,,,,,)
मेरा दोस्त है ना मनोहर लाल,,,,।
अच्छा अच्छा वह मिठाई वाले भाई साहब,,,,
हां वही उनका लड़का इंजीनियर बनकर अगले सप्ताह घर लौट रहा है और उसकी खुशी में उन्होंने घर में पार्टी दिए हैं जिसमें हम सभी को आमंत्रित किए हुए हैं,,,।
अच्छा तो यह कार्ड उसी के लिए है,,,,
हां,,,, तुम तो जानती ही हो उनके एक ही लड़का है राकेश अरे उसे बचपन में हम दोनों ने खिलाया भी तो है अपनी आरती के साथ तो खेलता था,,,,।
(अपने पति के मुंह से इतना सुनते ही नैना देवी की आंखों में चमक नजर आने लगी,,, और वह एकदम से उत्साहित होते हुए बोली,,,,)
अच्छा वही राकेश,,,,,
हां वही अगले सप्ताह घर लौट रहा है इंजीनियर बनकर,,,,
तुम्हारी बात सुनकर तो मेरे अरमानों को पंख लगने लगे,,,
अरमानों को पंख में कुछ समझ नहीं,,,,(आश्चर्य से अपनी बीवी की तरफ देखते हुए रूपलाल बोले)
जवान बेटी के बाप हो गए हो लेकिन इतना भी नहीं समझते,,,,
अरे भाग्यवान तुम क्या कहना चाहती हो मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,।
तुम तो सच में एकदम कभी-कभी बुद्धू हो नजर आते हो,,,, गांव गए थे आरती के लिए लड़का ढूंढने मिला क्या,,,,।
नहीं बात बनी नहीं,,,,
तो क्यों ना आरती के लिए,,,,, राकेश,,,
(इतना सुनते ही रूपलाल,,, अपनी बीवी की बात को बीच में काटते हुए बोले,,,)
नहीं नहीं ऐसा कैसे हो सकता है हैसियत में मनोहर के आगे हम लोग कुछ भी नहीं है भले ही हमारा खुद का बिजनेस है,,,, लेकिन हमारा और उनका मुकाबला नामुमकिन है,,,,।
अरे वह तो तुम्हारे दोस्त है ना दोस्ती रिश्तेदारी में बदल जाएगी,,,,
नहीं यार नैना मेरे रिश्ते के बारे में बात भी नहीं कर सकता कहीं मनोहर गलत समझ गया तो उसे ऐसा लगेगा कि कारोबार देखकर दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलने चला है नहीं नहीं मुझसे ऐसा नहीं होगा,,,,।
किसी बातें कर रहे हो हमारी बेटी एकदम परी की तरह खूबसूरत है उसे तो देखते ही कोई भी पसंद कर देगा,,,
हां यह हो सकता है अगर मनोहर अपनी आरती को पसंद कर ले तो बात बन सकती है बाकी मैं आगे से चलकर उसे रिश्ते की बात करूं तो यह नहीं हो सकता दोस्ती में दरार आ सकती है,,,,।
चलो कोई बात नहीं मैं तुम्हारी बात से सहमत हूं लेकिन पार्टी में आरती को भी लेकर चलेंगे अगर भगवान जाएंगे तो मनोहर लाल अपनी आरती को जरूर अपनी बहू के रूप में देखना पसंद करेंगे और मुझे तो पूरा यकीन है की आरती मनोहर के घर की बहू बनेगी और अगर ऐसा हो गया तो हम दोनों गंगा नहा लेंगे,,,,।
तुम्हारी बात ठीकहै,,, अगर सब कुछ सही हुआ तो ऐसा रिश्तेदार ढूंढने से भी नहीं मिलेगा अपनी बेटी तो उनके घर में राज करेगी तुम ठीक रहती हो पार्टी में हम आरती को भी लेकर चलेंगे,,,,
(रूपलाल का इतना कहना था कि,,, उनकी बेटी आरती हाथ में किताब के उन दोनों के पास आए,,,)
नमस्ते पापा,,, नमस्ते मम्मी,,,(अपनी मम्मी पापा के पैर छूकर नमस्ते करते हुए आरती बोली अपनी बेटी के इस व्यवहार पर रूप लाल और उनकी बीवी दोनों करके हो जाते थे रूपलाल अपनी बेटी को आशीर्वाद देते हुए बोले,,,,)
खुश रहो बेटी तुम्हारी यही आदत तुम्हारे ससुराल जाने के बाद हम दोनों को बहुत तडपाएगी,,, ऐसे माहौल में तुम्हारी जैसी संस्कारी बेटी पानी बहुत किस्मत की बात है और हम दोनों बहुत किस्मत वाले हैं जो तुम मेरे घर पर जन्म ली हो,,,,
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पापा ऐसी बात है तो मैं शादी नहीं करूंगी मैं जिंदगी भर तुम दोनों के साथ रहूंगी और वैसे भी मैं तुम दोनों को छोड़कर कहीं भी जाने नहीं देना चाहती,,,,।
अरे पगली मां बाप का बस चले तो भला अपनी फूल जैसी बच्ची को दूसरों के घर क्यों भेजे लेकिन दुनिया का यही रीति रिवाज है की बेटी को दूसरों के घर ही जाना पड़ता है,,,,
मैं दूसरों के घर नहीं जाऊं की बल्कि मेरी शादी किसके साथ होगी मैं उसे अपने घर पर लाऊंगी,,,
अच्छा घर जमाई बनकर,,, ताकि शादी के बाद भी मुझे तुम दोनों की सेवा करना पड़े,,,।
मम्मी,,,,,(इठलाते हुए आरती अपनी मां के गले लग गई और नैना देवी उसके सर पर हाथ रखकर सहलाने लगी जैसी मां थी वैसी बेटी थी जिस तरह की खूबसूरती से कुदरत ने नैना देवी को नवाजा था उसी तरह की खूबसूरती उनकी बेटी आरती को भी झोली भर भर कर दिया था,,,, आरती भी अपनी मां की तरह ही लंबी कट काटी थी और गोराई में तो वह अपनी मां से एक कदम बढ़कर थी,,, वह इतनी गोरी थी कि हल्के से अगर उसके बदन पर चिकोटी भी काट लो तो टमाटर की तरह लाल हो जाती थी,,,,, नैना देवी की तरह ही गोल चेहरा तीखे नेन नक्श,,,, उसके भी थे,,,। पूरी तरह से जवान हो चुकी आरती की चूचियां कश्मीरी से की तरह एकदम गोल-गोल थी जो की उसके कुर्ती में से उसका उभार एकदम साफ नजर आता था और उसकी छाती का उभार उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देता था,,, पतली सी कमनीय काया के निचले भाग में उसके उभरे हुए नितंबों का जोड़ मिलना बहुत मुश्किल था वह बहुत ही खूबसूरत थी लिए हुए उभरा हुआ नजर आता था और उसकी सलवार में तो ऐसा लगता था कि जैसे तूफान उमड़ रहा हो मर्दों की नजर हमेशा उसके नितंबों पर टिकी हुई रहती थी क्योंकि ना तो ज्यादा बड़ी थी और ना ही ज्यादा छोटी,,, एकदम सीमित रूप से सुगठित आकार में थी इसीलिए तो आरती के नितंब और उसकी चूचियां उसकी खूबसूरती के केंद्र बिंदु बने हुए थे,,,,,,,)
कॉलेज जा रही है,,,, लंच बॉक्स ली कि नहीं,,,
ले ली हूं मम्मी और दही भी ले ली हूं,,,
ठीक है,,, सही समय पर खा लेना,,,,
जी मम्मी,,,, बाय मम्मी बाय पापा,,,
(इतना कहते हुए आरती अपने कॉलेज के बैग को अपने कंधों में डालकर मुस्कुराते हुए घर का मुख्य गेट को अपने हाथों से खोलकर सड़क पर आ गई ,, और कुछ देर पैदल चलने के बाद,,,, एक चौराहे पर आकर रुक गई क्योंकि यहां पर उसकी सहेली आई थी और दोनों साथ मिलकर जाते थे 5 मिनट जैसा इंतजार करने के बाद उसकी सहेली भी उसे चौराहे पर आ गई और दोनों साथ में मिलकर कोलेज जाने लगे,,,।)