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Incest बाप खिलाड़ी बेटी महाखिलाडीन (Completed)

Rajizexy

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good story
 

Rajizexy

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Rajizexy

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xxxlove

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Great story Rakesh Bhai
 

Rajizexy

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Nice start
 

Rakesh1999

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Great story Rakesh Bhai


Bahut bahut thanks bhai.
 
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Nevil singh

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यह कहानी मेरे दोस्त रमेश की है. रमेश एक बिजनेस मैन होने के नाते अच्छा खासा कमा लेता था. मगर जवान लड़कियों को चोदने का उसे जबरदस्त शौक था.

उसके घर में उसकी खूबसूरत बीवी रति और उसकी बेहद खूबसूरत बेटी रिया भी थी. रिया भी अलग बिजनेस करती थी. वह देखने में बहुत खूबसूरत थी और एकदम श्रद्धा कपूर के जैसी दिखती थी.

सुबह के नाश्ते के बाद एक दिन रिया और रमेश घर से निकल रहे थे कि रिया का फोन बज पड़ा.
फोन उठा कर रिया ने कहा- हाँ, बोलो रत्न?
उधर से रत्न ने कुछ बोला.
रिया- तुम्हें मेरा रेट पता नहीं क्या? आगे से दस हजार।

रत्न फिर कुछ बोला.
रिया- पीछे भी चाहिए तो बीस हज़ार और ऊपर फ्री।
रत्न ने फिर कुछ जवाब दिया.
रिया- ओके! रात दस बजे पक्का। बॉय!
इतना कह कर रिया ने फ़ोन रख दिया.

उसकी मां रति भी ये बातें सुन रही थी.
वो बोली- बेटा यह क्या काम करती हो तुम जो यूँ रात- रात भर बाहर रहना पड़ता है तुम्हें?
रिया- ओहो! मां कितनी बार तो बताया है कि इवेंट ऑर्गेनाइस करती हूं।

रति- वह तो ठीक है मगर यह आगे- पीछे और ऊपर का क्या चक्कर है?
रिया- मां आगे का मतलब है सॉफ्ट ड्रिंक्स जो आगे के दरवाज़े से खुले आम आ जा सकें।
रति- अच्छा, फिर पीछे और ऊपर?

रिया- पीछे का मतलब है शराब, जो सिर्फ पीछे के रास्ते से छुपाकर आती है और ऊपर मतलब खाना।
रति- बेटा यह गैर कानूनी है. इसमें खतरा है तो ऐसा क्यों करती है?

रमेश- रति, तुम भी ना बहुत डरपोक हो। यह मेरी बेटी है। इसे अच्छी तरह पता है कि बिजनेस कैसे किया जाता है, यह कोई ख़राब काम नहीं कर रही. देखना एक दिन यह अपने बिजनेस में हमारा नाम जरूर रोशन करेगी।

रिया- थैंक यू डैड। बाय, अब मैं चलती हूँ. कल सुबह 10 बजे तक आ जाउँगी।
यह बोल कर रिया घर से निकल गयी.
laajwaab
 

Nevil singh

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रति रमेश से- आपने तो इसे सिर पर चढ़ा रखा है. जब हमारे पास इतना पैसा है ही तो इसे ऐसे काम करने की इसे क्या जरूरत है? और तुम भी तो इसकी पॉकेट मनी नहीं बढ़ाते. आखिर वह भी तो अब बड़ी हो गयी है. उसके खर्चे भी तो बढ़ गए हैं।

रमेश- रति तुम समझती नहीं हो. मैं जानबूझ कर उसकी पॉकेट मनी नहीं बढाता. मैं चाहता हूँ कि वह अपने पैरों पर खुद खड़ी हो. आखिर एक न एक दिन यह सब उसी का तो होने वाला है और तब उसका यह एक्सपीरियंस काम आएगा।

रति- हां हां! समझ गयी. तुम, तुम्हारी बेटी और तुम्हारा बिजनेस!
रमेश ने रति को अपनी बांहों में कस लिया और बोला- अरे जानू … ग़ुस्सा क्यों होती हो. तुम तो मेरी जान हो। तुम नाराज़ हो जाओगी तो ऐसा लगेगा कि मेरी जान ही मुझसे नाराज़ हो गयी और अगर जान नाराज़ हो जाए तो मैं तो मर ही जाऊंगा।

वो रमेश के मुंह पर हाथ रखते हुए बोली- छी! ऐसा मत कहो. तुमसे पहले मेरी ही जान निकल जाए।
रमेश ने रति को अपने सीने से लगा लिया और बोला- अब मैं चलता हूँ. रात को देर से लौटूँगा या फिर सुबह ही लौटूं शायद।

रति- बस यही तो है बुरी आदत है आप दोनों बाप- बेटी में! मुझे तो घर में सिर्फ पहरेदार ही बना दिया है आप दोनों ने।
रमेश- मेरी जान, यूँ उदास होकर मत विदा करो. अच्छा नहीं होता. ज़रा मुस्करा दो।
वो मुंह बना कर बोली- तुम भी न, हमेशा अपनी बात मनवा ही लेते हो। ठीक है जाओ, और हाँ रात में ही आने की कोशिश करना।

रमेश- बॉय!
रति- बॉय! जल्दी आने की कोशिश करना।
अब रमेश भी घर से निकल गया.
parbhavi
 

Nevil singh

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कुछ देर के बाद वह ऑफिस पहुंच गया. वो सीधा अपने केबिन में गया और जाते ही उसकी सेक्रेटरी रीता जो एक 32 या 33 साल की मगर ज़िस्म से गदराई हुई माल थी, पीछे- पीछे वह भी रमेश के केबिन में घुस गई.

रीता- गुड मॉर्निंग सर!
रमेश- गुड मोर्निंग। सिट् डाउन।
रमेश थोड़ी देर तक फाइल्स के पेज पलटने के बाद गुस्से में बोला- रीता आर यू क्रेज़ी?
रीता- क्या हुआ सर? एनी प्रॉब्लम?

रमेश- प्रॉब्लम क्या … ऐसे काम होता है? तुम तो मुझे बर्बाद कर दोगी। यह फाइल्स अब तक क्लियर क्यों नहीं हैं?
रीता- सर … वो … वो …
रमेश- क्या वो-वो लगा रखा है? पता नहीं मैंने तुम्हें काम पर किसलिए रखा हुआ है!

रमेश के गुस्से को देखते हुए रीता उठी और रमेश के पास जाकर खड़ी हो गयी. उसने अपनी साड़ी का पल्लू थोड़ा सरका दिया जिससे वो नीचे गिर गया. उसने रमेश का हाथ पकड़ा और अपने बूब्स पर रखवा दिया.

रीता दिमाग से भले ही पैदल थी लेकिन वह अपने जिस्म की कीमत अच्छी तरह से जानती थी. इसलिए उसने रमेश को अपनी चूत के जाल में उलझा कर रखा हुआ था. यही कारण था कि रमेश उसको चाह कर भी काम से नहीं निकाल पा रहा था.

रमेश ने पहले अपने हाथ से रीता के बूब्स को जार से दबाया और फिर उसे अपनी गोद में खींच कर बैठा दिया. उसके चेहरे को पकड़ कर उसके होंठों पर अपने होंठ रखने ही वाला था कि उसके केबिन का दरवाजा नॉक हुआ.

रमेश और रीता हड़बड़ा गये और रीता झट से रमेश की गोद से उठ गई.
रमेश सँभलते हुए- कम इन।
दरवाज़ा खुला और रमेश का मैनेजर राजन अंदर आया।

रमेश- बोलो राजन? एनी प्रोब्लम?
राजन- सर वो … अब तक राना एंड संस की फाइल क्लियर नहीं हुई है और वह अपना अकाउंट जल्दी क्लियर करने का प्रेशर बना रहे हैं।
रमेश- क्यों क्लियर नहीं हुई अब तक?

राजन- सर, वह रीता के हाथों में यह सारी बातें हैं. अब वह ही बतायेगी कि क्यों देर हो रही है? मगर जल्द क्लियर न करने से हमें बहुत नुकसान हो सकता है क्योंकि आगे वह हमारे साथ काम नहीं करना चाहेंगे।

रमेश- आई सी। (मैं देखता हूं). ओके ठीक है, तुम जाओ मैं देखता हूँ।
rochak
 
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