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रमेश मन ही मन सोचता है ‘रन्डी तुझे झूठी कसम खाने की कोई जरूरत नहीं, मैं तुम दोनों सहेलियों के रन्डीपन को जान गया हूँ।’
तभी रेहाना बोली- अंकल मुझे माफ़ कीजिये. मैं जा रही हूँ. यह बात आप किसी को नहीं बताइयेगा।
रेहाना का हाथ पकड़ कर खींचते हुए रमेश बोला- अरे कहाँ चली, जिस काम के लिए पैसे लिये हैं उसे पूरा तो करती जा?
रेहाना- नहीं अंकल, यह गलत है. मैं आपके पैसे लौटा दूंगी।
रमेश- तुम पैसे तो लौटा दोगी, मगर मेरा मूड जो अभी किसी को चोदने का कर रहा है उसका क्या?
रेहाना- अंकल मैं आपकी बेटी की सहेली हूँ, बिल्कुल आपकी बेटी की ही तरह!
हंसते हुए रमेश बोला- हां, मगर करती तो तू भी धंधा ही है ना!
रेहाना- अंकल, मैं आपके साथ कैसे … नहीं … अंकल।
रमेश- कैसे मतलब? मैं यहाँ तुम्हारा कस्टमर हूँ. तुम मेरे साथ भी वैसा ही रेस्पोन्स दो।
रेहाना- मगर अंकल?
रमेश ने रेहाना के होंठों पर अपनी उँगली रखते हुए कहा- श्श्शस् स… सोचो मत रेहाना. यह तुम्हारा काम है और एक अच्छी रंडी को किसी के बारे में ज्यादा सोचने की कोई जरूरत नहीं होती।
रेहाना- मगर अंकल!
रमेश- अगर मगर कुछ नहीं. अब मान भी जाओ ना डार्लिंग।
रेहाना- ठीक है अंकल जैसी आपकी मर्ज़ी. मैं अपना काम पूरी ईमानदारी के साथ करूंगी. ऊपर वाला मुझे माफ करे।
रमेश- अरे इतना अच्छा काम करती हो, ऊपर वाला नाराज़ होगा भी क्यों? वह तो तुम्हें माफ़ करेंगे ही।
रमेश की बात पर रेहाना जोर-जोर से हंसने लगी.
रमेश- हां … हंसी तो फँसी।
रेहाना- आप जैसा तजुरबे वाला आदमी हो तो कोई भी लड़की पट जाए. फिर मैं कैसे ना फंसती?
रेहाना को अपनी ओर खींचते हुए रमेश बोला- आ जा आज तेरी इस चूत और गांड का स्वाद भी चख लूँ।
रेहाना- एक बार चख कर तो देख लो अंकल, कसम से बार-बार इस लड़की को याद करोगे।
रमेश- अच्छा तो यह बात है।
रमेश ने रेहाना की कुर्ती को उपर उठा कर उसके बदन से निकाल दिया और सीधे उसकी ब्रा में कसे बूब्स को अपने हाथ में ले कर दबाने लगा।
फिर रमेश अपना हाथ रेहाना के आगे ले गया और उसके ब्रा के हुक को खोल दिया. रेहाना के बूब्स आजाद हो गये. रमेश ने उसे सोफे पर पटक दिया.
रेहाना सोफे पर बैठ गयी. रमेश ने उसके होंठों को अपने होंठों से लॉक कर दिया और उसके बूब्स को सहलाते दबाते हुए उसको चूसने लगा. दोनों एक दूसरे में खो गये.
कुछ देर होंठों को चूसने के बाद रमेश नीचे खिसक गया और उसके चूचों को मुंह में लेकर चूसने लगा- उम्म … पुच … पुच … आह्ह … ऊंह … हम्म … आह्ह … क्या बूब्स हैं तेरे रेहाना. बहुत मस्त चूची हैं यार।
रमेश के हाथ रेहाना की सलवार को खोल कर उसकी पैंटी को खींचने लगे. रेहाना ने गाडं उठा कर पैंटी निकालने में मदद की. रेहाना नंगी हो गयी. रमेश ने उसे उठाया और सोफे पर झुका लिया.
तभी रेहाना बोली- अंकल मुझे माफ़ कीजिये. मैं जा रही हूँ. यह बात आप किसी को नहीं बताइयेगा।
रेहाना का हाथ पकड़ कर खींचते हुए रमेश बोला- अरे कहाँ चली, जिस काम के लिए पैसे लिये हैं उसे पूरा तो करती जा?
रेहाना- नहीं अंकल, यह गलत है. मैं आपके पैसे लौटा दूंगी।
रमेश- तुम पैसे तो लौटा दोगी, मगर मेरा मूड जो अभी किसी को चोदने का कर रहा है उसका क्या?
रेहाना- अंकल मैं आपकी बेटी की सहेली हूँ, बिल्कुल आपकी बेटी की ही तरह!
हंसते हुए रमेश बोला- हां, मगर करती तो तू भी धंधा ही है ना!
रेहाना- अंकल, मैं आपके साथ कैसे … नहीं … अंकल।
रमेश- कैसे मतलब? मैं यहाँ तुम्हारा कस्टमर हूँ. तुम मेरे साथ भी वैसा ही रेस्पोन्स दो।
रेहाना- मगर अंकल?
रमेश ने रेहाना के होंठों पर अपनी उँगली रखते हुए कहा- श्श्शस् स… सोचो मत रेहाना. यह तुम्हारा काम है और एक अच्छी रंडी को किसी के बारे में ज्यादा सोचने की कोई जरूरत नहीं होती।
रेहाना- मगर अंकल!
रमेश- अगर मगर कुछ नहीं. अब मान भी जाओ ना डार्लिंग।
रेहाना- ठीक है अंकल जैसी आपकी मर्ज़ी. मैं अपना काम पूरी ईमानदारी के साथ करूंगी. ऊपर वाला मुझे माफ करे।
रमेश- अरे इतना अच्छा काम करती हो, ऊपर वाला नाराज़ होगा भी क्यों? वह तो तुम्हें माफ़ करेंगे ही।
रमेश की बात पर रेहाना जोर-जोर से हंसने लगी.
रमेश- हां … हंसी तो फँसी।
रेहाना- आप जैसा तजुरबे वाला आदमी हो तो कोई भी लड़की पट जाए. फिर मैं कैसे ना फंसती?
रेहाना को अपनी ओर खींचते हुए रमेश बोला- आ जा आज तेरी इस चूत और गांड का स्वाद भी चख लूँ।
रेहाना- एक बार चख कर तो देख लो अंकल, कसम से बार-बार इस लड़की को याद करोगे।
रमेश- अच्छा तो यह बात है।
रमेश ने रेहाना की कुर्ती को उपर उठा कर उसके बदन से निकाल दिया और सीधे उसकी ब्रा में कसे बूब्स को अपने हाथ में ले कर दबाने लगा।
फिर रमेश अपना हाथ रेहाना के आगे ले गया और उसके ब्रा के हुक को खोल दिया. रेहाना के बूब्स आजाद हो गये. रमेश ने उसे सोफे पर पटक दिया.
रेहाना सोफे पर बैठ गयी. रमेश ने उसके होंठों को अपने होंठों से लॉक कर दिया और उसके बूब्स को सहलाते दबाते हुए उसको चूसने लगा. दोनों एक दूसरे में खो गये.
कुछ देर होंठों को चूसने के बाद रमेश नीचे खिसक गया और उसके चूचों को मुंह में लेकर चूसने लगा- उम्म … पुच … पुच … आह्ह … ऊंह … हम्म … आह्ह … क्या बूब्स हैं तेरे रेहाना. बहुत मस्त चूची हैं यार।
रमेश के हाथ रेहाना की सलवार को खोल कर उसकी पैंटी को खींचने लगे. रेहाना ने गाडं उठा कर पैंटी निकालने में मदद की. रेहाना नंगी हो गयी. रमेश ने उसे उठाया और सोफे पर झुका लिया.