नहीं मिलेंगे।'
' उसे विशेष सुरक्षा सुविधा हासिल है। ध्यान रखना , कहीं हल्की-सी भी चूकी न हो जाए। तुम्हारी
तरफ से की जाने वाली कोई भी छोटी से छोटी गलती तुम्हे बड़ी मुश्किल में पहुंचा देगी । '
'जानता हूं।'
'अब यह बताओ कि आ र० डी० एक्स० किस ऐड्रेस पर भेज दूं?'
माणिकी देशमुख ने एक पता बताया जिसे सुनते ही लाम्बा ने अपने दिमाग में नोट कर लिया।
' वहां कौन मिलेगा?'
' मेरा बेटा। ' माणिकी देशमुख ने विनायकी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।
'ठीकी है तो सारा प्लान तय हुआ। अब हम चलते हैं। कल आर० डी० एक्स ० उस जगह पहुंच जाएगा।'
माणिकी देशमुख ने उन चारों का अभिवादन किया।
वे चारों एक कतार में हॉल से बाहर निकल
गए।
लम्बा अपने स्थान पर छिपा रहा ।
उसका दिमाग तेजी से काम कर रहा था। उसने तुरन्त ही उसब विल्डिंग से बाहर निकलने का फैसला कर लिया।
वह उन चारों खतरनाकी नकाबपोशों के पीछे जाना चाहता था , लेकिन जब तक उसने सीढियां उतरकर बाउंड्री वॉल पार की , तब तक किसी कार के इंजन का शोर उभरकर दूर होता चला गया।
वह यह भी न देख सका कि इमारत से बाहर निकलने वाली कार कौन-सी थी और उसका नम्बर
क्या था।
उसके हाथ कुछ न लग सका।
उसे मालूम था , उसब विल्डिंग में माणिकी देशमुख का हीं कारोबार चलता था।
अभी तक वे तीनों कारें जिनमें देशमुख अपने आदमियों समेत वहां पहुंचा था , अन्दर ही थीं । इसका साफ मतलब था कि माणिकी देशमुख अभी
अन्दर व्यस्त था।
उसने एक मिनट सोंचा , अग ले ही क्षण वह अपनी कार की ओर चल पड़ा।
उसके दिमाग में नई योजना जन्म ले चुकी थी।
कार में बैठते ही उसने उसे स्टार्ट करके गति दे दी। वह तूफानी रफ्तार से अपनी कार माणिकी
देशमुख की विला की ओर दौड़ा ए चला जा रहा था।
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रंजीत लाम्बा ने माणिकी देश मुख के विला में उस समय सीधा धावा बोल देना उचित अवसर माना था। उसे मालूम था , उस समय विला में माणिकी देशमुख , विनायकी देशमुख , कोठारी और जोजफ में से कोई नहीं था।
उसकी कार धड़धड़ाती हुई विला के फाटकी को उड़ाकर अन्दर दाखिल होती चली गई।
वह यूं भी पूरी तैयारी के साथ आ रहा था। उरसका प्लान थोड़ा-सा लेट हो गया। दो कुत्ते भौंकते हुए कार की ओर दौड़ने लगे।
उसने एक हाथ से स्टेरिंग संभालते हुए पिस्तौल नि का ली और फिर दो ही फायरों ने कुत्तों
का भौंकना बंद कर दिया।
लेकिन!
विला के फाटकी के उड़ने का शोर , कुत्तों का भौंकना और पीछे से दरबान द्वारा
ललकारा जाना , कुल मिलाकर इतना बड़ा शोर हो गया था कि समूचे विला में जाग ही गई थी।
गार्ड अंधाधुंध गोलियां बरसने लगे थे।
उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हुआ था।
लाम्बा ने तेजी से धावा बोला था ।
कुत्तों को निशाना बनाने के तुरन्त बाद उसने दो दस्ती बम विला के पोर्टिको वाले क्षेत्र में फेंके।
दीवारों को थर्रा देने वाले दो विस्फोट हुए।
विला के विभिन्न भागों से गोलियां चलाई जाने लगीं। लम्बा ने गैरेज वाली दिशा में अपनी कार रोकते ही पांच-छ: धुएं के बम आसपास के क्षेत्र में उछाल दिए।
धुएं के बमों ने आनन-फानन में वहां इतना धुवां फैला दिया मानों वहां कोई बहुत बड़ी काली घटा उतर आयी हो।
बारूद की तीखी गंध वहां हर तरफ फैल चुकी थी।
लाम्बा ने कुछ इस तेजी से हमला बोला था कि विला के हर क्षेत्र में अफरा-तफरी फैल गई।
किसी की कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
और!
उसी अफरा-तफरी का फायदा उठाता लम्बा
विला में दाखिल होकर जा पहुंचा उस
कॉरीडोर में जिसके सिरे वाले कमरे में पूनम की मौजूदगी की खबर उसके पास थी।
कॉरीडोर एकदम खाली पड़ा था।
उसे लगा उसका रास्ता साफ था।
गन संभाले वह दबे कदमों से उस तरफ बढ़ने लगा। उसके कान आसपास की आहट सुनने के लिए पूरी तरह सजग थे।
नीचे मचे हड़कम्प की वजह से शायद ऊपर का ध्यान किसी को नहीं था।
उसे लगा उसके लिए रास्ता एकदम साफ है।
वह बिना आहट किए भूपत द्वारा बताए गए कमरे तक पहुंच गया।
कमरे के दरवाजे बंद थे।
उसने इधर-उधर देखा और फिर गन की बैरल से दरवाजे को अंदर की तरफ ठेला।
दरवाजा खुलता चला गया। पूनम उसे सामने ही बैड पर नजर आ गई।
वह तेजी से पूनम की ओर बढ़ने लगा। उस क्षण उसे लगा , पूनम के चेहरे पर विचित्र-से भाव आए हो।
___ अंतिम समय में पूनम ने जोर से इंकार में सिर हिलाया।
उसी क्षण।
एकदम से नीचे गिरते हुए उसने कुलांच लगाई। उसकी गन के दहाने ने आग उगली।
पीछे से प्रकट होने वाले दोनो गार्ड गोलियां के वेग के साथ पीछे वालो दीवार से जा टकराए और दीवार पर खून के दुब बे छोड़ते हुए फर्श पर ढेर हो गए।
चीख मारती पूनम फटी-फटी आंखों से उन दोनों लाशों को देखने लगी।
'पूनम चलो! जल्दी निकलो यहां से! ' फुर्ती से कमरे के बाहर निकलता हुआ लाम्बा उत्तेजनापूर्ण स्वर में चिल्ला या।
पूनम भयभीत अवस्था में उसके पीछे भागी
दोनों एक साथ कॉरीडोर में दौड़ने लगे! बाल कनी के समीप से गुजरते हुए लम्बा ने एक स्मोकी बम हॉल में फेंकी दिया।'
हल्के ध मा के के साथ विला के अंदर धुओं ही धुआ फैलता चला गया।
विला में मौत का तक छा गया।
हर एक बौखलाया हुआ था।
लम्बा वहां ऐसा टेरर फैला चुका था जिससे उबरने का अवसर किसी को भी नहीं मिल पा रहा
था। गार्ड इधर से उधर भाग रहे थे।
पूनम ने उचित समय पर लम्बा को नया रास्ता सुझाया।
विला को स्थिति से लम्बा की इतनी अच्छी वाकफियत नहीं थी जितनी अच्छी पूनम को थी। पूनम ने उसे दायी ओर वाले हॉल से । बाहर निकाल दिया। बाहर दायीं और संकरा पैसेज था जो आगे जाकर ड्राइव-वे से जुड
जाता था।
लेकिन अचानकी ही ड्राइ व- वे दो गार्ड पहुंचे और उनकी नजर लम्बा पर पड़ गई । उस तरफ धु आ कुछ कम हो गया था।
दोनों गार्ड ने जैसे ही अपनि -अपनी गर्ने तनी, पूनम तुरन्त लाम्बा के सामने आ गई।
'खबरदार , जो किसी ने गोली चलाई। ' उसने चिल्लाकर धमकी भरे स्वर में कहा।
गार्ड कर्त्तव्यविमुढ़ स्थिति में खड़े के खड़े रह
गए।
उनकी समझ में नहीं आ रख था कि वे किस तरह से पूनम को रोकें।
पूनम के पीछे से लम्बा ने भी अपनी गन उन दोनों की ओर ता नी हुई थी। वह अपलकी दोनों गा
डों को देख रहा था।
अगर गार्ड हलाकि-सी भी हरकत करते तो वह गोली चलाने को तत्पर था ।
दोनों ओं र तनावपूर्ण स्थिति थी।
सिर्फ पूनाम थी जो बीच में दीवार बनी हुई थी।
त म लोग रास्ते से हट जाओ !' पूनम ने आह त स्वर में कहा।
' नहीं ... हम देशमुख साह व को क्या जवाब देंगे। ' उनमें से एक गार्ड बोला।
_ 'तो! तुम मुझ पर गोली चला दो फिर जवाब दे देना।'
'नहीं !'
'तो फिर यहां से हट जाओ।'
'नहीं !'
पूनम असमंजस की स्थिति में कसमसाई।वहां उसे एक-एक पल भरी प्रतीत हो रहा था। वह नहीं चाहती थी कि हाथ आया वह अवसर खाली चला।
जाए। उसे विला की कैद में गुजरा वक्त किसी खतरनाकी जेल से कम नहीं लगा था। इसलिए वह नहीं चाहती थी कि उसे उसका बाप फिर से उसी जेल
जैसी कैद में पहुंचा दे।
एकाएक उसने नया कदम उठाया।
रंजीत लाम्दा के होलक्टर में फंसे रिवॉल्वर को खींचकर उसने फुर्ती के साथ अपनी कनपटी पर उसकी नाल चिपटा ली।
'खबरदार! अगर तुम लोगों ने रास्ता नहीं छोड़ा तो मैं अपने-आपको गोली मार लूंगी ! ' उसने तीखे स्वर में चेतावनी दी।
'नहीं! हम रास्ता नहीं छोड़ेंगे।'
'रास्ता नहीं छोड़ोगे तो मुसीबत में पड़ जाओगे।'
'नहीं।'
'मेरी लाश यह कहने वाली नहीं कि मुझे किसने गोली मारी। मेरी मौत पर डैडी का बौखला
जाना स्वाभाविकी होगा और बौखलाहट में वह क्या कर जाएंगे , कुछ मालूम नहीं।'
दोनों गार्ड अभी उलझन में फंसे विचार कर ही रहे थे कि पूनम के पीछे से लाम्बा ने एक और धुएं का बम फेंका।
दोनों गार्ड चिल्लाते हुए पीछे हटे।
पलकी झपकते बादलों जैसा घना धुआ वहां फैल गया।
लाम्बा पूनम को अपनी बांहों मे उठाकर तेजी से बायीं ओर की दीवार से सटता हुआ भाग निकला।
हालांकि उसे कुछ नजर नहीं आ रहा था फिर भी अच्छा जे से भाग रहा था।
गोलियां चलने लगी थीं।
लेकिन उसकी , चालाकी कारगर साबित हुई थी। अगर वह उसी लाइन में भागता तो मुमकिन था कि गोलियों का शिकार हो जाता।
फिर उसने भागते-भागते आगे के रास्ते पर दो स्मोकी बम और फेंके। उसके बाद पीछे मुड़कर हैंड ग्रेनेड की पिन दांतों से खींचकर ग्रेनेड पीछे की दिशा में उछाल दिया।
कानों के पर्दे हिला देने वाला धमाका हुआ।
स्मोकी बम के ठहरते धुएं को यकायकी ही उड़ता ग्रेनेड का धुआ किसी तूफान की तरह भड़कता नजर आया।
पीछे उभरने वाली पगचा उस विस्फोट के साथ ही खत्म हो गई।
निकट ही लम्बा की कार थी।
वह फुर्ती से कार की ओर झपटा।
तभी अचानक!
कार की ओट से एक गनर सामने आया।
उसकी गन ने आग उगली।
लम्बा नीचे गिरा। उसने नीचे गिरते हुए अपनी गन से गोलियां बरसानी चाही थीं, लेकिन वह गनर कुछ ज्यादा ही खतरनाकी साबित हुआ।
उसने गजब की फुर्ती से अपनी गन पूनम की ओर तान दी।
'खबरदार! अगर कोई हरकत की तो इसका भेजा उड़ा दंगा। ' वह लम्बा की ओर देखता हुआ गुर्राया।
'नहीं।' लाम्बा चिल्लाया।
'गन वहीं छोड़ दो और दोनों हाथ सिर पर रखकर खडे हो जाओ।'
उसने तुरन्त आ ज्ञा का पालन करते हुए गन वहीं छोड़ दी और वह अपने दोनों हाथों को सिर पर रखकर धीरे-धीरे खड़ा होने लगा।
गनर पूरी तरह सावधान था।
वह कभी पूनम की ओर देखता तो कभी लाम्बा की ओर । उसे देखने से प्रतीत हो रहा था जैसे वह दोनों से बराबर का खतरा महसूस कर रहा था।
'देखो...मुझे जाने दो। ' पूनम प्रतिरोध पूर्ण स्वर में बोली।
'नहीं! खबरदार! कोई हकरत न करना !' वह बार-बार अपनी गन पूनम और लाम्बा की ओर घुमाता हुआ जोर-से बोला।
लाम्बा ने जान-बूझकर अपने हाथ नीचे करने का प्रयास किया।
'हाथ ऊपर ही रहने चाहिएं वरना। ' गनर उत्तेजना की अधिकता में सांस रोककर दांत पीसता हुआ कुछ इस प्रकार गुर्राया कि उसके गले की तमाम
नसें फूल गई।
लम्बा ने इस प्रकार उदास होकर हाथ ऊपर उठाने शुरू किए मानो गनर की सजगता की वजह से उसका कोई होता हुआ काम होत-होते रह गया हो।
'हाथ बीच में मत रोको। सिर तक पहुंचा
दो।'
ये लो।' लाम्बा ने खीझ के साथ दोनों हाथ अपने सिर पर रख लिए।
__' हमें जाने दो...प्लीज हमें जाने दो! ' पूनम ने गनर से विनती करते हुए कहा।
'नहीं!'
'हमें रोककर तुम्हारा कोई फायदा होने वाला नहीं।'
'फायदा नुकसान देशमुख साहब जानें। मेंने अपनी ड्यूटी करनी है।'
लाम्बा देख रहा था।
गनर उस समय पूनम की बातों में उलझा हुआ था। उसके अपने हाथ सिर पर थे ही। गनर के ठीकी पीछे पीठ वाले होलस्टर में उसका रिवाल्वर मौजूद था।
उसने बहुत छोटी-सी हरकत मात्र करनी थी।
पून म से बातों में व्यस्त समय को उचित अवसर मानते हुए उसने दायां हाथ थोड़ा-सा गर्दन के पीछे किया।
कोई हरकत हो रही है , यह जानकारी गनर को भी हुई।
उसकी पुतली फिरने से भी पहले लाम्बा फुर्ती के साथ पीठ वाले होलस्टर से रिवाल्वर खींचकर फायर झोंकी चुका था।
गोली बंदूकधारी का भेजा उड़ाती हुई निकल
गई।
बह प्रतिरोध स्वरूप कुछ भी न कर सका।
उसकी लाश लहराती हुई-सी नीचे गिरने
लगी।
लम्बात जी से दौडता हुआ अपनी कार में जा घुसा।पूनम भी दूसरी ओर वाले दरवाजे को खोलकर अन्दर दाखिल हो गई।
उसके कार में बैठने से पहले ही कार स्टार्ट हो चुकी थी।
तत्पश्चात्।
यूं लगा मानो कार को पंख लग गए हों। वह तूफानी रफ्तार से दौड़ती हुई विला का फाटकी वाला स्थान पार कर गई।
फाटकी अब अपनी जगह बाकी नहीं था। उसे लाम्बा आते समय अपनी कार की टक्कर से उडा चुका था।
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पुलिस के चले जाने के बाद माणिकी देश मुख विला के भूमिगत भाग में कोठारी और जोजफ से मिला।
उसका चेहरा बता रहा था कि वह बहुत अधिकी क्रोध में है।
कोठारी और जोजफ दोनों समझ रहे थे कि उनकी शामत आनी है अब। जो भी
होना था उसे बर्दाश्त करने के लिए वे चुपचाप सिर
झुकाकर उसके सामने खड़े हो गए।
कुछ देर तक वह खामोश रहकर अपलकी उन दोनों को घूरता रहा और फिर तीखे स्वर में गुर्राया - ' कितने सारे आदमियों के बीच से वह हरामजादा लाम्बा मेरी बेटी को उड़ा ले गया और-ये तमाम आदमी तेरे चुने हुए हैं कोठारी। तेरे हिसाब से तूने चु नींदा आदमी मेरी फौज के लिए इकट्ठे किए थे। योग्यताओं से भरपूर थे ये लोग...हां?'
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कोठारी को ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे किसी ने उसे ऊपर से ठोंककर जमीन में घुटनों तक गाड़ दिया हो।
'वो ले गया...ले गया मेरी बेटी को उड़ाकर और तेरे ये मिट्टी के शे र उसके सामने घुटने टेककर खड़े हो गए।
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'मेरे चुने आदमियों की कोई गलती नहीं है साहब। ' कोठारी दबे हुए स्वर में बोला।
'फिर मेरी गलती होगी।'
'नहीं।'
'फिर?'
'आप अगर याद करें तो आपको याद आएगा कि रंजीत लाम्बा का चुनाव भी मैंने ही किया था और कहा था कि वह वाहिद शख्स इतना ज्यादा खतरनाकी है कि बीस-तीस आदमियों पर भी भारी पड़ सकता है। वह बारूद है बारूद। ऐसा बारूद जिसे छूते ही छूने वाला जलकर राख हो जाया करता है। इसीलिए मैं नहीं चाहता था कि उससे किसी तरह की दुश्मनी हो।'
'दुश्मनी मैंने की है...मैंने ?' माणिकी देशमुख क्रोध में चिल्लाया।
मैं उस मामले को सुलझा सकता था। वह समझदार आदमी है। अगर मैं उसे समझाता तो वह पूनम बेबी के रास्ते से हट जाता। '
'कोठारी तू पागल हो गया है। क्या तू नहीं जानता कि माणिकी देशमुख की बेटी की तरफ गलत इरादों से उठने वाली आंख को निकाल लिया जाता है।'
'इस दुनिया में हर किसी को बाप बनाया गया है। 'कोठारी धीमे स्वर में बड़बड़ाया।
'तूने कुछ कहा ?'
' मैं यह कह रहा हूं साहब कि रंजीत लाम्बा अब कुछ नहीं कर सकेना। अगर उसने दोबारा विला में कदम रखने की कोशिश की तो वह बच के जा नहीं सकेगा।'
'अरे बेवकूफ, अब वह विला में कदम रखेगा ही क्यों.. उसने जो करना था वह वो कर
चुका। उसने बंदूकों के साए में छिपी पूनम को बड़ी आसानी से किडनेप कर लिया। '
उसने हम लोगों की गैर मौजूदगी का फायदा उठाकर यह काम किया है। '
'उसने जैसे भी किया मूर्ख! वहमेरी बेटी को ले उड़ा है और अब हमारे सामने सिर्फ एक ही रास्ता रह गया है।'
'कौन-सा रास्ता?'
'जितनी जल्दी हो सके हम उसे तलाश कर
लें।'
' पहले उसे तलाश किया जाए या फिर नेता श्याम दुग्गल के केस पर काम शुरू किया जाए? हमें वह काम भी जल्द से जल्द पूरा करना है। '
' हां... वह काम भी...।'
' ऐसे ही कामों के लिए रंजीत लाम्बा को रखा गया था। अगर इस वक्त वह हमारे साथ होता तो हमारे लिए किसी भी तरह की उलझन न होती। वह
अकेला ही श्याम दुग्गल का काम तमाम कर डालता।
'कोठारी!'
'यसब ॉस ?'
कुछ भी हो जाए , तेरे मुंह से उसके लिए तारीफ ही निकलती है। '
'वह है ही तारीफ के काबिल। '