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रात के 11 बज रहे थे …पर हमारी आंखों से नीन्द कोसों दूर थी। मैं बालकनी में आ गयी। गुड्डू ने भी कमरे की लाईट बुझा दी…और मेरे पीछे पीछे छत की बालकनी में आ गया। सब तरफ़ अन्धेरा था… दो मकान के आगे वाली स्ट्रीट लाईट जल रही थी। मेरे मन में वासना सुलग उठी थी और अब मेरा बेटा भी उसी आग में जल रहा था। उसका खडा हुआ लन्ड अन्धेरे में भी उठा हुआ साफ़ नजर आ रहा था। कुछ देर तो वह मेरे पास खड़ा रहा …फिर मेरे पीछे आ गया। उसने मेरे कन्धों पर हाथ रख दिया… मैंने उसे कुछ नहीं कहा… बस झुरझुरी सी आ गयी।
उसकी हिम्मत बढ़ी और मेरी कमर में हाथ डाल कर अपने लन्ड को मेरे चूतडों से सटा लिया।

उसके लन्ड का चूतडों पर स्पर्श पाते ही मेरे शरीर में सिरहन उठने लगी। उसके लन्ड का भारीपन और मोटा पन और साईज मेरे चूतडों पर महसूस होने लगा। मेरे सलवार में वो घुसा जा रहा था। मैंने गुड्डू की तरफ़ मासूमियत से देखा।

गुड्डू ने मेरी आंखों में देखा … उसे मौन इशारों मे स्वीकृति मिल गयी।
गुड्डू ने अपने हाथ मेरे बूब्स पर रख दिये..और दबा दिये… मैं उसे हाथ हटाने की असफ़ल कोशिश करने लगी…वास्तव में मैं हाथ हटाना ही नहीं चाहती थी।

“बेटा… हाय रे… मत कर ना…” मैंने उसकी तरफ़ धन्यवाद की निगाहों से देखा…और अपने स्तनों को दबवाने के लिये और उभार दिये… नीचे चूतडों को और भी लन्ड पर दबा दिया।
उसकी हिम्मत बढ़ी और मेरी कमर में हाथ डाल कर अपने लन्ड को मेरे चूतडों से सटा लिया।

उसके लन्ड का चूतडों पर स्पर्श पाते ही मेरे शरीर में सिरहन उठने लगी। उसके लन्ड का भारीपन और मोटा पन और साईज मेरे चूतडों पर महसूस होने लगा। मेरे सलवार में वो घुसा जा रहा था। मैंने गुड्डू की तरफ़ मासूमियत से देखा।

गुड्डू ने मेरी आंखों में देखा … उसे मौन इशारों मे स्वीकृति मिल गयी।
गुड्डू ने अपने हाथ मेरे बूब्स पर रख दिये..और दबा दिये… मैं उसे हाथ हटाने की असफ़ल कोशिश करने लगी…वास्तव में मैं हाथ हटाना ही नहीं चाहती थी।

“बेटा… हाय रे… मत कर ना…” मैंने उसकी तरफ़ धन्यवाद की निगाहों से देखा…और अपने स्तनों को दबवाने के लिये और उभार दिये… नीचे चूतडों को और भी लन्ड पर दबा दिया।