समी का विकराल लिँग देखते ही कोमल की आंखे बड़ी हो गई उसकी आंखों के सामने सुबह का नज़ारा घूम गया समी का लिंग भी बिल्कुल अमन के जैसा ही था कोमल के हाथ के गट्टे की बराबर मोटा और लंबा।
"हाय समीर कितना खतरनाक है तुम्हारा क्या खिलाते हो इसको।
"अरे खतरनाक कहाँ है देखो तो कितना प्यारा है।
"तुम इसे प्यारा बोल रहे हो ये तो हालात खराब कर देगा।
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"शायद हालात तो खराब कर दी है इसने।
समीर ने कोमल की जांघों के बीच से झांकती उसकी भीगी हुई लेगिंग को देखते हुए कहा।
समीर की नज़रों का पीछे करती हुई कोमल की आंखे जब अपनी लेगिंग पर पड़ी तो वो शर्म से पानी पानी हो गई।
उसकी लेगिंग अपनी ही चूत के पानी में पूरी भीगी हुई थी और लेगिंग का कपड़ा उसकी चूत के होंठो के बीच फसा हुआ था।
चूत के पानी से भीगने के कारण लेगिंग का पतला से कपड़ा पारदर्शी हो गया था जिसमे से कोमल की चूत पूरी नंगी दिख रही थी।और पानी का धब्बा पल पल बढ़ता ही जा रहा था।
कोमल की चूत से पानी लगातार निकल रहा था जिसको रोकना उसके बस में नही था।
उसको रोकने के लिए अब उसकी चूत में कोई मोटी चीज़ ही ठोकनी पड़ती।
जो उसकी आँखों के सामने थी पर उसका साइज कोमल के मन में डर पैदा कर रहा था।
क्योंकि अपनी चूत का आकार उसको बहुत अच्छे से मालूम था और आंखों के सामने झूलते लंड को देख उसकी गाँड़ फटी जा रही थी।
"कोमल ऊपर देखो ना।
समीर ने गुज़ारिश की।
"उनहु।
कोमल ने अपनी गर्दन को इनकार में हिलाया।
"देखो तो सही।
समीर ने फिरसे गुज़ारिश की।
कोमल ने अपनी आंखों को ऊपर उठाया तो सबसे पहले उसकी आँखों को फिरसे उसे विकराल लिंग के दर्शन सबसे पहले हुए।
लिंग को देखकर उसने अपनी आंखों को समीर के चेहरे की तरफ देखा।
"कोमल अगर तुम नही चाहती तो रहने दो अभी तुम कम्फर्ट नही हो।
"नही।
बस इतना ही कह पाई कोमल
"ठीक है फिर रहने देते है।
समीर ने घुटनो में पड़ी अपनी पेंट को ऊपर चढ़ा लिया।
लंड के पेंट में छुपते ही कोमल ने समीर के बटन बंद करते हाथ को रोक लिया।
"पागल मेरे कहने का मतलब था मैं कम्फर्ट हूँ।
बाहर निकालो इसको।
कोमल ने पैंट के ऊपर से ही लंड पर हाथ फेरते हुए कहा।
समीर ने अपनी पैंट को वापस नीचे कर दिया।उसका फन फनाता हुआ लोड़ा फिरसे खुली हवा में झूलने लगा।
कोमल ने उसको अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया।
कोमल की मुठ्ठी का घेरा उसको पूरा पकड़ पाने में असफल था उसने दूसरा हाथ भी लगाकर उसको दोनों हाथों में थाम लिया।

अपने हाथों से समी के लंड को आगे पीछे हिलाने लगी।
अपने लंड पर कोमल के कोमल हाथों का स्पर्श समी को मदहोश करने लगा।
"उफ्फ्फ कोमल कितने मुलायम हाथ है तुम्हारे ऐसे ही हिलाओ मेरे लौड़े को मेरी जान।
कोमल के हाथों में समी का लोड़ा था पर उसके दिमाग में अभी भी अमन ही घूम रहा था सुबह सुबह छत की तरफ देखता उसके भाई का लोड़ा।
"ओऊह अमन कितना टाइट है तेरा लंड।
कोमल के मुँह से निकले अल्फ़ाज़ को समी ने सुन लिया था पर अभी वो कोमल से इस बारे में बात नही करना चाहता था।वो नही चाहता था कि कोमल के हाथों से मिलता सुख बंद हो जाये।
"कोमल अमन के लंड को प्यार नही करोगी।
समी ने सही समय पर एक कदम निकाल कर शॉट खेला था जिसका असर उसे तुरंत देखने को मिला।
कोमल को लगा जैसे उसका छोटा भाई उससे अपने लंड को प्यार करने को बोल रहा है।
कोमल नीचे घुटनो पर बैठी थी और उसकी आँखों के सामने उसके हाथों में अठखेलिया करता लौड़ा था उसे फर्क नही पड़ रहा था कि लौड़ा किसका है बस उसका दिमाग और कुछ कुछ समी उसको संकेत दे रहे थे कि उसके सामने उसके भाई का लौड़ा है जो उसके दिल में घर कर गया था।
सुबह जिसको देखकर उसने जाने कैसे कैसे सपने देख लिए थे।
समी ने अपने लौड़े को थोड़ा आगे को धकेला तो लौड़े का कैप कोमल के होंठो को छू गया।
जिसको कोमल ने अपने होंठो को खोल कर सहर्ष स्वीकार कर लिया।
कोमल के लिसलिसे होंठो को अपने लौड़े के कैप पर महसूस करते ही समी की सिसकारी निकलती चली गई।
"सीईईईई कोमल ऐसे ही मेरी जान पूरा लेलो अपने मुँह में मेरा लौड़ा।
कोमल ने अपने लिप्स को गोल किया और समी के लंबे लौड़े का पहाड़ी आलू जैसा मोटा सुपाड़ा अपने होंठो में कैद कर लिया और अपनी जीभ से उसको चाटना शुरू कर दिया।
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जैसे ही कोमल की जीभ ने अपना काम करना शुरू किया समी का लौड़ा और फूलता चला गया उसके हाथ कोमल के बालों में चले गए और उसने अपना मुंह ऊपर उठकर भेड़िये की तरह गुर्राहट निकाली।
"आआह आआह कोमल ऐसे ही अपनी जीभ को लंड के होल में डालो।
कोमल ने अपनी जीभ की नोक से लंड के पी-होल को कुरेदना शुरू कर दिया वो अपनी जीभ की नोक बनाकर उसको लौड़े के छेंद में घुसाने की कोशिश कर रही थी।
ये लम्हा हर लड़के को हिला कर रख देता है जब कोई अपनी जीभ को पी-होल में डालने की कोशिश करे।
पेशाब का छेंद स्त्री पुरुष का सबसे संवेदन शील हिस्सा होता है।
इस सब में सबसे मज़े की बात ये थी कि कोमल बिल्कुल वैसा ही करती जाती थी जैसे समी उसको बोल रहा था।
अब ये अमन की दीवानगी का असर था या लंड की चाहत।
कोमल की जीभ के हमलों को समी अब और बर्दाश्त नही कर सकता था उसने कोमल के मुँह से लंड निकाल लिया।
मुँह से लौड़ा निकलते ही कोमल का चेहरा देखने काबिल था।जैसे किसी बच्चे के मुँह से लॉलीपॉप छीन ली गई हो बिल्कुल ऐसा ही चेहरा बना हुआ था कोमल का।
समी ने कोमल को कंधों से पकड़ कर ऊपर उठाया और कोमल के होंठो पर लिथड़ा अपना प्रिकम देख कर उसको ऐसा नशा चढ़ा की उसने अपने तपते होंठो को कोमल के भीगे होंठो से जोड़ दिया काफी देर तक वो कोमल के होंठो को चूसता रहा कोमल भी इस किर्या में उसका पूरा साथ दे रही थी।
"कोमल एक मिनट रुको तुम्हारे कपड़े गंदे हो जायँगे।
अगर चाहो तो निकाल दो।
समी इतना बोलकर अपने कपड़े निकालने लगा।कोमल उसी की और देख रही थी।
कुछ ही पलों में समी कोमल के सामने पूरा मादरजात नंगा खड़ा था।
समी का कसरती बदन देख कर कोमल की आंखे चमकने लगी।उसका बाहर की तरफ निकला चौड़ा सीना कोमल को सबसे ज़्यादा लुभा रहा था।
"क्या हुआ कोमल तुमने कपड़े नही निकाले देखो यंहा इधर उधर मोबिल लगा होगा अगर कपड़ो पर लगेगा तो कपड़े गंदे हो जायँगे।
समी की बात कोमल को सही लगी उसने अपने सिर को नीचे कर कुरती के कॉलर को पकड़ा और अपने हाथों को ऊपर उठाकर उसको अपने सर् से निकालती चली गई पर छातियों पर आते ही कुरती फंस गई गुदाज़ छातियों से कुरती को निकालने में कोमल को थोड़ी परेशानी हुई।
अब कोमल सिर्फ ब्रा और पतली सी लेगिंग में समी के सामने थी।समी अपने आंखे फाड़े कोमल की ब्रा में कैद गुदाज़ छातियों को निहार रहा था जो ब्रा के कोनो से बाहर को छलकी पड़ी थी और छातियों की गहरी लाइन समी के दिल पर छुरिया चला रही थी।
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थोड़ा सा उभरा हुआ पेट और गहरी नाभि उसके नीचे पतली सी लेगिंग उसकी भीगी चूत को छुपाने में नाकाम साबित हो रही थी कोमल की गदराई चूत अपना पूरा उभार दिखा रही थी चूत के ऊपर का प्यूबिक एरिया भी चूत के पानी से भीग कर लगभग नंगा ही नज़र आ रहा था।
अपने सामने कोमल की उफनती जवानी देख समी का हलक सूखने लगा।
और लौड़े से बूंद बनकर पानी टपकने लगा।ऐसा लगता था कि हलक का पानी लंड से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था।
"सीईईईई कोमल मेरी जान इनको भी निकाल दो ना।
समी कोमल के बाकी कपड़ो की तरफ इशारा करते हुए बोला।
"उनहु ये तुम निकालो।
कोमल सर् झुकाकर बोली।
कोमल की मर्ज़ी सुनकर समी उसकी तरफ बढ़ा और अपने चौड़े सीने को उसकी गुदाज़ छातियों में दबाकर अपने हाथों को पीछे उसकी कमर तक ले गया और उसकी फैशनेबल ब्रा के हुक को पकड़ कर खोल दिया।
ब्रा के हुक खुलते ही कोमल की छातियों का साइज और भी बढ़ गया पर उसकी ब्रा अभी भी उसकी गुदाज़ छातियों पर टिकी थी क्योंकि समी का चौड़ा सीना उसको बीच में भीचे हुए था।समी को पता था कि उसके पीछे होते ही कोमल के मदमस्त उन्नत उरोज़ बिल्कुल नंगे होंगे।
धीरे धीरे समी के हाथ कोमल की नंगी पीठ पर घूमते हुए नीचे की तरफ आने लगे।समी के हाथ जैसे ही कोमल की गाँड़ के उभार तक पहुंचे कोमल के जिस्म में झुरझुरी सी फैल गई उसने अपने हाथों को समी के कमर से बांध दिया और कसकर अपनी छातियों को समी के चौड़े सीने से चिपका दिया।
समी ने आसानी से अपने हाथों को इलास्टिक वाली लेगिंग के अंदर घुसा दिया और कोमल के दोनों चूतड़ अपने हाथों में पकड़ कर भींच लिए।
"उईईई आराम से अमन।
ये दूसरी बार था जब समी अमन का नाम सुन रहा था।
उनको कंही न कंही बुरा भी लग रहा था पर अभी वो पहली मुलाकात में ही बात खराब नही करना चाहता था।
कोमल की सीत्कार और अमन के नाम का जाप समी को गुस्सा दिला रहा था इसलिए कोमल के आराम से करने को बोलने का असर उसपर उल्टा हुआ और समी के हाथों में दबे मुलायम चूतड़ पर उसके हाथों की पकड़ और भी बढ़ गई।
"उईईई माँ आराम से दबाओ दर्द होता है।
हालांकि कोमल को अपने जिस्म पर पर-पुरुष स्पर्श अति-उत्साहित करने वाला था पर समी के बेदर्दी से चलते हाथों से उसको दर्द भी महसूस हो रहा था।
समी के हाथ अब लेगिंग के इलास्टिक को पकड़ कर नीचे खींच रहे थे।कुछ ही पलों मैं लेगिंग का नर्म मुलायम कपड़ा कोमल की गाँड़ से नीचे था अब समी के हाथों को रोकने वाला आखरी वस्त्र भी कोमल की गाँड़ से नीचे था।
समी ने नंगी गाँड़ के दोनों पाटो को पकड़ कर विपरीत दिशा में फैलाया और अपनी उंगली को बीच की दरार में डालने लगा।
उफ्फ्फ कोमल की गाँड़ की गहराई में मानो भट्टी जल रही हो समी को अपनी उंगली पिघलती हुई महसूस हुई।
धीरे धीरे समी गाँड़ की गहराई को अपनी उंगली से कुरेदता रहा और कुछ ही पलों में उसको वो द्वार मिल गया जंहा उसकी उंगली पहुंचना चाहती थी।
बिल्कुल मध्य में दो बड़े पहाड़ो के बीच की खाई कोमल का गुदा-द्वार जो बेहद गर्म और मुलायम था।
अपनी गाँड़ के छिद्र पर उंगली का एहसास होते ही कोमल का सिर अपने आप ऊपर होता चला गया और उसने अपनी आंखों से समी की आंखों में देखा।
कोमल के गुलाबी लिप्स देखते ही समी ने अपने प्यासे लबों को कोमल के भीगे लबो से जोड़ दिया।
दोनों के बीच बात ना कि बराबर हो रही थी पर दोनों ही एक दूसरे को पूरी तरह समझ रहे थे।
दोनों ही एक दूसरे के जिस्म की चाहत को समझ रहे थे।
कोमल की लेगिंग से उसकी चूत और गाँड़ अब आज़ाद थी।
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दोनों की सांस जब फूलने लगी तो उन्होंने एक दूसरे के होंठो को छोड़ा।
अब कोमल को अपने और समीर के बीच फसी पड़ी ब्रा भी बुरी लग रही थी।
वो कुछ पल को समीर से अलग हुई और उसके भारी गुदाज़ उरोज़ समीर की छाती से अलग होते ही कोमल की ब्रा सीधी नीचे गिरने लगी जो समीर के पैरों के बीच खड़े खूंटे पर टंग गई।
जिसे देखकर दोनों को ही हँसी आ गई।कोमल ने समीर से अलग होकर अपने पैरों से चिपकी लेगिंग को भी निकाल दिया अब कोमल भी समीर की तरह पूरी नंगी थी।
कोमल से अलग होकर अब समीर की आंखे उस के नंगे जिस्म का मुआयना कर रही थी।
कोमल पूरी तरह एक गदराई हुई जवान लड़की थी दो भारी स्तन उसकी खूबसूरती को और भी बढ़ा रहे थे।
स्तनों के भारी होने की वजह से उसके पेट पर आई चर्बी भी कम महसूस होती थी थोड़े से उभरे पेट पर गहरी नाभि बिल्कुल ऐसी प्रतीत होती थी जैसे 4-5 बार चुद चुका गाँड़ का छल्ला उसके नीचे आरंभ होता था उसका प्यूबिक एरिया जो काफी उभरा हुआ था।
और प्यूबिक एरिया खत्म होते होते शुरू हो जाता था उसकी चूत का कटाव जिसके लिप्स भारी थे जैसे सूजे हुए हो पैरों के आपस में मिलने की वजह से चूत का उभार और भी बढ़ जाता था।
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चूत के लिप्स गदराए हुए होने के कारण दोनों लिप्स बिल्कुल एक दूसरे से चिपके हुए थे।
जैसे दो प्रेमियों का जोड़ा आपस में चिपक जाता है।
चूत से निकला पानी उसकी चूत को और भी चमकदार बना रहा था।
गदराई हुई चूत ऐसी प्रतीत होती थी जैसे दो प्रेमियों के चुम्बन करते होंठ आपस में चिपके हो।
"कोमल ज़रा पीछे घूमो न।
कोमल समी का इशारा अच्छे से समझ गई थी कि वो उसकी जानमारु गाँड़ देखना चाहता है।
पल भर में समी की आंखों के सामने दो विशाल पहाड़ थे।
और समी जानता था कि इन विशाल पहाड़ो को चीर कर उसके छिद्र तक जाने के लिए एक विशाल लंड की ही ज़रूरत थी।
कोमल भी जानती थी अपनी गदराई गाँड़ के बारे में पर वो ये भी जानती थी कि ऐसे लंबे लंड समीर और अमन दोनों के पास थे।
उसको पूरा यकीन था कि उसकी गाँड़ के छिद्र तक दोनों ही अपना लौड़ा आसानी से पहुंचा सकते थे।
अभी समीर कोमल की गाँड़ की गहराई में ही खोया हुआ था कि कोमल ने चुटकी बजाई।
"जनाब इतना टाइम नही है अपने पास।
समीर की आंखे तुरंत दीवार घड़ी की तरफ गई।
कोमल को आये 50 मिनट हो चुके थे और अब तक वो उसके हुस्न के दीदार में ही खोया था।
समीर आगे बढ़ा और उसने फिर एक बार कोमल को अपने गले लगा लिया।बस फर्क इतना था कि इस बार कोमल भी समीर की तरह मादरजात नंगी थी।
दोनों के नंगे जिस्म आपस में मिले तो चिंगारियां निकलने लगी।जहाँ कोमल के हाथ समीर की कमर पर घूम रहे रहे वंही समीर के हाथ कोमल की गाँड़ का भूगोल नाप रहे थे।
"उफ्फ्फ कोमल कितनी सॉफ्ट है तुम्हारी बम।
"उनहु ऐसे नही हिंदी में बोलो।मुझे प्राइवेट पार्ट्स के हिंदी नाम पसंद है देसी भाषा में फिलिंग आती है।
"ठीक है मैडम फिर ये ना कहना कितने गंदे हो।
"बिल्कुल नही कहूंगी।
"कोमल तुम्हारी गाँड़ बहुत सॉफ्ट और चिकनी है।
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"और।
"और तुम्हारे दूध भी बहुत मस्त है।
"और।
"और तुम्हारी चूत आआह कितनी प्यारी है बिल्कुल छोटी बच्ची के जैसी गदराई हुई।
समी ने एक हाथ से चूत को मसलते हुए कहा।
"उईईई प्यार से।क्या तुम्हें पसंद आई मेरी।
"मुझे क्या हर किसी को पसंद आएगी।
पर पूरा बोलो मेरी क्या?
"उनहु मुझे शर्म आती है।
"ऐसे नही चलेगा पूरी नंगी मेरी बाँहो में होकर भी शर्मा रही हो और मुझसे तो हिंदी में सबकुछ बोलने को बोल रही हो।
चलो जल्दी से बोलो मुझे सुन न है तुम्हारे मुँह से इसका नाम।
समी कोमल की चूत को भींच कर बोला।
"उईईई मेरी च च चूत।
आया मज़ा।
"आआह मेरी जान कितना प्यारा लग रहा तुम्हारे मुँह से।
फिरसे बोलो।
"ऐसे ही मसल डालो मेरी चूत को अमन।
कोमल समीर की बाँहो में थी पर उसका माइंड अभी भी अमन को ही याद कर रहा था।
"ये लो मेरी जान।
समीर के हाथ की स्पीड बढ़ गई वो लगातार उसकी चूत को रगड़ रहा था।
कोमल की चूत से निकला पानी समीर की पूरी सहायता कर रहा था।
"उईईई ससससस ऐसे ही ज़ोर से मेरे प्यारे भाई।
ऐसे ही रगड़ो अपनी बहन की चूत।
चूत की मस्ती में कोमल भूल गई कि वो अपने भाई की नही समीर की बाँहो में है।
पर समीर एक ही पल में समझ गया कि कोमल अपने भाई पर फिदा है।अब वो भी कोमल के साथ उसके रंग में रंग गया।
"ये लो दीदी अपने भाई को भी मज़ा दो।
समीर ने कोमल का हाथ पकड़ कर अपने लौड़े पर रख दिया।जैसे कोमल को बस यही तो चाहिए था।वो लंड को पकड़ कर अपने हाथ से उसकी लंबाई और मोटाई को महसूस करने लगी।
और मन ही मन सोचने लगी कि इतना मोटा और लंबा लोड़ा उसकी चूत और गाँड़ के छोटे से छेंद मैं जायेगा कैसे।
पर कहावत है ना।
व्हाट इस डिफरेंट बिटवीन शूज़ एंड चूत।
शूज़ एक्सेप्ट ओनली वन साइज।
बट चूत एक्सेप्ट आल।
समीर अब आगे बढ़ना चाहता था उसने अपनी गर्दन झुका कर कोमल के स्तन को अपने होंठो में भर लिया और अपने दोनों हाथों से कोमल के गदराए जोबन दबाने शुरू कर दिए।
समीर के हाथ चूत से हटते ही कोमल मायूस हो गई थी पर अगले ही पल अपने जोबन दबाए जाने से फिरसे किलकारियां मारने लगी।
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"आआह सीईईईई आराम से काटो नही।
"उम्म आज अपने भाई को रोको नही कोमल दीदी।
आआह कितना मीठा है आपका दूध दीदी।
समीर कोमल को हसीन सपने से बाहर नही निकलने देना चाहता था।
"उईईई अमन मेरे भाई पूरा दूध तुम्हारे लिए है दीदी का पर आराम से चूसो होंठो से दाँतो से नही काटो।
काफी देर तक समीर कोमल के दूध बदल बदल कर चूसता रहा फिर वो उसके पेट को प्यार करता हुआ अपने घुटनों पर बैठता चला गया।
अब उसके सामने कोमल का अनमोल खज़ाना था उसकी महकती भीगी चूत।
जिसको उसने कल ही चिकना कर लिया था।
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कुछ देर तो समीर उसकी खूबसूरत चूत को निहारता रहा फिर उसने अपनी जीभ निकाल कर उस मलाई से भरी हांडी के ढकन पर लगाई और उसको सपड़ सपड़ चाटना शुरू कर दिया।
कोमल के लिए ये मज़ा बिल्कुल नया था समीर की जीभ अपनी चूत के नाज़ुक लबों पर महसूस करके उसका पूरा बदन कांपने लगा।
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"आआह आआह उईईई अमन ऐसे ही चाट खा जा मेरी चूत को।
समीर को जबसे मालूम हुआ था कि अमन कोमल का भाई है तबसे उसको कोमल के मुंह से निकलता अमन का नाम बुरा नही लग रहा था।।
समीर ने अपने हाथों को भी काम पर लगा दिया उसने अपने हाथ से कोमल की चूत के नाज़ुक लिप्स को फैलाया और उसकी चूत के दाने को (क्लिटोरिओस)
को अपनी जीभ से चाटने लगा।
अपनी चूत के दाने पर ये वार कोमल बर्दाश्त ना कर पाई खड़े खड़े उसके पैर कांपने लगे।
उसने समीर के बालों को पकड़ कर उसके मुँह को अपनी चूत पर पूरी ताकत से दबाया और अपनी चूत के अमृत से उसका स्नान करवाने लगी।
"आआह आआह अमन मेरे यार मेरे भाई ये ले अपनी दीदी की चूत का अमृत पी जा पूरा।
झड़ते हुए कोमल और भी जाने क्या क्या बड़बड़ाती रही पर समीर तो बस कोमल की चूत से निकलती मलाई चाटने में व्यस्त था।पूरी तरह अपनी चूत का जूस अपने यार को पिलाने के बाद कोमल को महसूस हुआ कि अब उसके पैर उसका और साथ नही दे सकते वो खड़े खड़े ही ज़मीन पर गिरने लगी पर समीर ने उसको अपनी बाँहो में उठाकर सीट पर बैठाया।
कोमल अपनी आंखें बंद किया अपनी कमर को सीट पर टिकाए अपने ओर्गास्म के मज़े में खोई थी।
तभी उसको अपनी चूत पर किसी सख्त चीज़ का एहसास हुआ।
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अपनी आंखें खोलते ही उसे अपने सामने खड़ा समीर नज़र आया जो अपने लंबे मूसल को उसकी चूत के लिप्स पर सेट कर चुका था बस एक करारा धक्का लगते ही उसकी कौमार्य झिल्ली को फाड़ता हुआ समीर का लोड़ा उसकी चूत में प्रवेश कर जाना था।
"रुको।
"क्या हुआ कोमल।
"प्लीज् रुक जाओ में अभी इसके लिए तैयार नही हुँ।
"अरे इसके लिए क्या तैयार होना बस धक्का लगते ही अंदर चला जायेगा थोड़ा सा दर्द होगा फिर मज़ा ही मज़ा है।
"नही समीर अभी नही में कुछ करती हूँ आपके लिए।
कोमल उसके लौड़े की हालत समझ रही थी और उसकी सख्ती को अपनी चूत पर भी महसूस कर रही रही थी पर उसका दिल कुछ और बोल रहा था।
वो ऐसे किसी को भी अपना कौमार्य नही दे सकती थी।जिसको वो ये तोहफा देना चाहती थी वो कोई और ही था।
"हटो न मुझे उठने तो दो।
कोमल ने नरम आवाज़ में कहा।
समीर की समझ में ये लड़की नही आ रही थी पर वो एक खुद्दार लड़का था वो किसी भी लड़की के साथ जबरदस्ती करने वालो में से नही था।वो अपना खड़ा लौड़ा लेकर कोमल की चूत से दूर हो गया।
कोमल उठकर बैठ गई और समीर की मायूस आंखों में देखकर बोली।
"सॉरी समीर में अभी ये नही कर सकती।
पर तुमने मुझे जो मज़ा दिया है में उसको तुम्हे वापस करने की पूरी कोशिश करूंगी।
इतना बोल कर कोमल समीर के गुस्साए लौड़े को अपने हाथ से पकड़ लेती है।
और धीरे धीरे अपनी जीभ निकाल कर लंड के कैप की तरफ बढ़ती है।
लंड पर चमक रही प्रिकम कि बूंद पर वो अपनी जीभ लगा देती है और जब पीछे हटती है तो बूंद का धागा उसकी जीभ और लंड के बीच नज़र आने लगता है।
"आआह कोमल बस कुछ करदो इसका अब दर्द कर रहा है।।
कोमल समीर की हालत समझ गई थी उसने फिरसे अपनी जीभ को कैप पर लगाया और टिप पर चमक रहे प्रिकम को चाट गई।
"सीईईईई ऐसे ही खा जाओ इसको।

अब कोमल की जीभ पूरे लौड़े को ऊपर से नीचे तक चाटने लगी।
"आआह अंदर लो ना जान।तुम्हारे भाई अमन का लोड़ा तुम्हारे मुंह में जाना चाहता है।
समीर ने चाल चली।और कोमल पर अमन का नाम कुछ ज़्यादा ही हावी था।
कोमल ने अपने होंठो को गोल किया और पूरे कैप को अपने मुँह में भर लिया।
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"आआह ऐसे ही दीदी चाट अपनी जीभ से अपने भाई का लौड़ा।
कोमल ने धीरे धीरे जितना हो सकता था समीर के लौड़े को अपने हलक तक जगह दी और फिर एक जबरदस्त ब्लोवजोब देकर उसको चरम तक ले आई।
"आआह दीदी क्या मस्त चुस्ती हो ऐसे ही बस आने वाला है तेरा भाई आआह आआह आआह
लौड़े से निकली गाढ़ी वीर्ये की पहली पिचकारी कोमल के मुंह में गई और बाकी उसने अपने गुदाज़ स्तनों पर निकलवाई

कोमल का चेहरा स्तन और जाँघे सब वीर्ये से भीग गए थे कोमल को ध्यान आया कि ये वही वीर्ये है जिसको वो कल अपनी पैंटी से चाट रही थी।
वो वीर्ये को अपने स्तनों से उठा उठा कर अपनी जीभ के हवाले करने लगी कुछ ही देर में वो प्यासी बिल्ली अपने जिस्म पर लगा सारा वीर्ये चाट गई थी।
अब वो और ज़्यादा देर यंहा नही रुक सकती थी उसका मन उसको बोल रहा था कि जो भी हुआ था सब गलत था पर ये भी सच था कि उसको मज़ा भी बहुत आया था।
वो अपने कपड़े पहन कर एक नज़र साइड में बैठे समीर की और देखती है और अपने बालों को ठीक करती हुई बाहर निकल जाती है।