अमन फ़्रिज के पास खड़ा पानी पी रहा था जब रागनी की नज़र उस पर पड़ी अचानक ही रागनी की आंखे फिसलती हुई उसके लोवर पर आ गई,उफ्फ ये तो फूला हुआ है तो क्या अमन मज़ा ले रहा था,आखिर अमन किस नज़र से देखता है मुझे रागनी उलझती जा रही थी।
अब आगे-
एक तरफ तो वो अमन की आंखों में अपने लिए निष्छल प्रेम देखती पर दूसरी तरफ कुछ बाते उसको बहुत परेशान कर रही थी,जैसे इस वक़्त अमन के लोवर का लण्ड की जगह से फूला हुआ हिस्सा,
photoupload
अभी कुछ देर पहले ही अमन उसको पीछे से चिपका हुआ था,पर उसने ऐसी कोई भी हरकत नही की थी जिससे उसकी नियत गंदी होने के संकेत मिलते पर इस समय उसकी आँखों के सामने जो था उससे साफ ज़ाहिर था कि अमन वासना के अभिभूत था।
"अमन आ जाओ बेटा नाश्ता तैयार है।
रागनी ने अपनी सोंचो को विराम दिया।अमन फ़्रिज के पास से सीधा अपनी माँ की तरफ बढ़ा।
"माँ क्या आपने नाश्ता कर लिया।
अमन ने सपाट शब्दो में अपनी माँ से सवाल किया।
"नही बेटा अभी मुझे भूक नही है, तुम नाश्ता करो में गरम गरम परांठे बनाती हूँ तुम्हारे लिए।
रागनी अमन के पास से वापस किचन की तरफ बढ़ गई।
पर किचन में जाने से पहले उसने एक बार वापस मुड़ कर अपने बेटे की तरफ देखा,अमन की आंखे उसकी मटकती गांड की थिरकन पर ही थी,
अपनी माँ के पलटते ही अमन बाहर की तरफ देखने लगा पर रागनी ने देख लिया था कि अमन उसकी मटकती गांड को ही घूर रहा था।
पर रागनी अभी भी सोच रही थी शायद वो कुछ और देख रहा हो उसको ऐसा लगा हो कि अमन उसके थिरकते चूतड़ देख रहा था।उसने देसी घी को तवे में छोड़ा और रोटी बेल कर घी में छोड़ दी,उसके हाथ बखूबी अपना काम कर रहे थे पर दिमाग में जैसे एक जंग चल रही थी,उसने तय कर लिया कि वो अमन के जाने से पहले आज और अभी उसके दिल में क्या है जान कर रहेगी।कुछ ही सेकंड में परांठा बनाते बनाते उसके दिमाग ने प्लान की रूप रेखा तैयार कर ली थी।उसने अपने कपड़ों को पीछे से आगे की और खींच कर अपने गुदाज़ स्तनों का ऊपरी भाग नंगा कर दिया,आगे से कपड़े के नीचे की और खीचने से उसके भरावदार गुदाज़ स्तन उन्नत शिखर की तरह अपनी चोंचें उठाये खड़े थे जिनके बीच की गहरी खाई अब और गहरी दिखाई पड़ रही थी रागनी ने अपने स्तनों को नीचे से पकड़ कर और बाहर कि तरफ उठा दिया,अब गुदाज़ स्तनों की अर्ध-गोलाइयां पूरी तरह कपड़ो से बाहर थी।
रागनी ने तवे पर तैयार परांठे पर नज़र डाली और एक बार अपने कपड़ों से बाहर छलकने को तैयार गोलाइयों को देख कर अपने बेटे को परांठा परोसने के लिए किचन से निकल गई,सामने से आती अपनी माँ की छलकती गुदाज़ गोरी गोलाइयों पर नज़र पड़ते ही अमन की आंखों ने झपकना भुला दिया।अमन की तंद्रा तब भंग हुई जब रागनी ने उसको पुकारा।
"ले मेरे लाल गरम गरम परांठा।
रागनी अपने बेटे के सामने झुकी हुई उसको परांठा परोस रही थी,अमन की आंखे अपनी माँ की गुदाज़ छातियों के बीच की गहरी दरार में अटकी थी झुकने के कारण रागनी की गुदाज़ छातियों पर रखी किशमिश भी अमन की आंखों के सामने थी,
"दूध भी तो पी मेरे लाल।
रागनी ने दूध का गिलास अमन की तरफ सरकाते हुए बोला।
एक पल को तो अमन को लगा कि उसकी माँ उसको अपनी नुकीली छातियों से दूध पिलाने का निमंत्रण दे रही है,बस थोड़ा सा आगे होते ही उसके होंठो और उसकी माँ की गुदाज़ उरोज़ो पर सजी किशमिश का फासला खत्म हो जाना था,और फिर एक बार बचपन की तरह उसके होंठो में उसकी माँ के निप्पल होते।
अपनी माँ के दूध से भरे कलश देख अमन का लौड़ा लोवर में झटके मारने लगा,अमन की आंखों से ठीक 6-7 इंच दूरी पर लटकते उसकी माँ के गुलाबी उभार उसको ललचा रांहे थे कि आओ और अपने हाथों से पकड़ कर निचोड़ दो हमे,अपने होंठो में लेकर चूस लो,अपने दाँतो में पकड़ कर खींच लो काट लो,पर अमन की हालत ऐसी थी जैसे 4 दिन के भूखे के सामने लज़ीज़ पकवान रखे हो पर वो उनको खा न सकता हो।
रागनी अपने दूध से भरे कलश अपने बेटे के सामने लहराती हुई बारीकी से उसके हाव-भाव का मुआयना कर रही थी,अपने बेटे की हसरत भरी नज़रो ने उसकी जांघो के जोड़ को भी पिघलने पर मजबूर कर दिया था उसका मन कर रहा था कि अभी अपने कपड़ों को निकाल कर अपने बेटे की चाहत पूरी कर दे,अपने खड़े निप्पल अपने हाथों से पकड़ कर अपने बेटे के मुँह में भर दे,और उसकी जांघो पर बैठकर उसके झटके मारते लौड़े की चोट को अपनी गुदाज़ गाँड़ पर महसूस करे,पर हाय री किस्मत उसके संस्कार उसको अपने ही बेटे के साथ इस व्यभिचार की इजाज़त नही दे रहे थे।
कामनी को अपने बेटे को नोटिस करते हुए काफी वक्त गुज़र गया था,और टाइम लेने का मतलब था अमन को पता चल जाना कि उसकी माँ जानबूझ कर उसको अपने स्तनों के दर्शन करवा रही थी।
"चलो बेटा जल्दी से नाश्ता करलो।
इतना बोल कर कामनी अपनी गदराई गाँड़ को मटकाती हुई वापस किचन में चली गई,इस वक़्त कामनी अपनी गाँड़ को कुछ ज़्यादा ही थिरकता हुआ महसूस कर रही थी,शायद उसको पता था कि उसके बेटे के आंखे वंही जमी होगी,अमन की आंखों ने अपनी माँ की गाँड़ को नंगा ही कर दिया था उसको माँ के लचकते हुए चूतड़ बिल्कुल नंगे नज़र आ रहे थे
ऊपर से रागनी की गाँड़ का मटकाना उफ्फ ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो दो तरबूज़ एक दूसरे को रगड़ रगड़ कर छीलना चाहते हो और सॉफ्ट इतने की अगर दोनों के बीच अंडा रख दिया जाए तो 10 कि.मी चलने पर भी अंडा सलामत रहे।
किचन में आते ही रागनी अपनी साँसों को सम्हालने की कोशिश करने लगी,अपने बेटे के मन में झांकने के लिए उसने इतने निर्लज्ज तरीके से अपने जिस्म को अपने बेटे के सामने परोस तो दिया था पर थी तो वो वही धर्म-कर्म वाली भारतीय महिला,अभी रागनी किचन का स्लैब पकड़े अपनी साँसों को सम्हाल रही थी कि उसे अपनी जांघों पर कोई चीज़ रेंगती हुई महसूस हुई वो समझ गई कि ज़रूर उसके पीछे अमन खड़ा ये सब कर रहा है,अपने बेटे के बारे में सोचते ही रागनी की आँखे बंद हो गई और साँसे जो अभी काबू में आई भी नही थी एक बार फिरसे भारी होनी शुरू हो गई।रागनी पलट कर अमन को रंगे हाथों पकड़ने की सोच रही थी,पर अपने जिस्म को मिलते सुख ने उसे ऐसा करने से रोक रखा था,फिर भी अपने संस्कारो द्वारा दुत्कारे जाने पर रागनी अपने हाथ को अमन के गाल पर मारने के लिए उठाए जैसे ही मुड़ी अपने पीछे किसी को ना पाकर जँहा उसे अच्छा लगा और अपने बेटे पर कायम उसका विश्वास पक्का हुआ वंही दूसरी तरफ उसको अपने पीछे अमन के ना होने से दुख भी हुआ क्योंकि उसका हुस्न उसके बेटे को कायल करने में नाकाम साबित हुआ और वो अमन को डिगा नही पाया।
रागनी सोचने लगी फिर उसकी जांघो पर रेंगती चीज़ क्या थी,उसने किचन के गेट से एक बार बाहर की और देखकर पक्का किया कि अमन कहाँ है,अमन को नाश्ता करते देख रागनी को फिरसे अपने जांघों पर कुछ रेंगता महसूस हुआ रागनी के हाथ तुरंत जांघो पर रेंगती चीज़ पर पहुंच गए,
अपनी जांघो पर रेंगती चीज़ पर हाथ लगाते ही अनुभव से परिपूर्ण रागनी को समझते देर ना लगी कि अपने बेटे को रिझाने के चक्कर में ख़ुद उसकी नदी से रिसाव शुरू हो गया था जो लगातार उसकी चूत से बूँद बूँद करके उसकी जांघो से होता हुआ नीचे की तरफ बह रहा था।
अपनी चूत से बहते द्रव को ऊपर की और समेटते हुए रागनी की उंगलियां सीधे उस मुख तक पहुंच गई जँहा से वो द्रव उबल कर बाहर की और आ रहा था,अपनी चूत के होंठों पर उँगलियों के पहुंचते ही रागनी सोचने पर मजबूर हो गई कि अपने बेटे के सनीध्ये में वो कितनी गरम हो जाती है।इतना पानी तो उसकी चूत से तब भी नही निकलता जब उसका पति अपने मूसल से उसकी ओखली की कुटाई करता है।
रागनी अपने पति द्वारा पूर्ण सुख प्राप्त करती थी पर अपने ही बेटे के लिए उसके मन में उपजे कोटूम्भिक व्यभिचार उसकी चूत को एक नए सुख की अनुभूति की सुगबुगाहट देते थे,अपने विचारों में रागनी अपने बेटे के सामने अपनी चूत को फैलाये पड़ी होती थी,जैसे एक सस्ती रंडी अपने ग्राहक को लुभाने के लिए अपना जिस्म परोसती है बिल्कुल वैसे।
अपनी ही कोख से जन्मे अपने बेटे के मोटे लण्ड को अपनी चूत में जगह देने को तैयार एक व्यभिचारी माँ,ये सब व्यभिचारी विचार रागनी को स्खलन की और ले जाने के लिए काफी थे,अमन के मोटे लण्ड को अपनी चूत में जाने के बारे में विचारते ही अपनी चूत पर रखी उसकी उँगलियों ने अपनी पकड़ बना ली भग्नासे पर उँगलियों की थिरकन रागनी को एक बार फिरसे स्वर्ग की सैर पर ले गई,उसकी जांघो की थिरकन बढ़ गई अपनी जांघो को भींच कर उसने अपने दोनों हाथों से किचन के स्लैब को थाम लिया और अपनी थिरकती कमर के साथ झड़ती चली गई,अपने बेटे के खयालो में खोई रागनी लगातार अपनी चूत से गर्म गाढ़ा पानी बाहर निकाल रही थी जो लगातार उसकी जांघो से नीचे बहता जा रहा था,
"उफ्फ्फ अमन क्या क्या करवा रहा है तू मुझसे।
रागनी होंठो में बुदबुदाती हुई नीचे बैठ गई और अपने स्खलन के मज़े लेती रही,
कुछ ही घंटों के अंतराल में रागनी ने दूसरी बार अपनी चूत को अपने बेटे का नाम लेकर स्खलित किया था,और स्खलित होते हुए ये भी महसूस किया था कि अमन के ख़यालो में खोने से उसकी चूत से वीर्ये की धारा भी अत्यधिक मात्रा में निकल रही थी जो उसके मज़े को बयां कर रही थी।
अपने स्खलन से उबर कर रागनी स्लैब पकड़ कर खड़ी हुई पर अपने कपड़ों पर नज़र पड़ते ही उसका मन फिर ग्लानि से भर गया।
"उफ्फ रागनी क्या हो गया है तुझको आखिर अपने ही बेटे पर कैसे इतना मोहित हो गई,कैसी व्यभिचारी नारी है तू जो रिश्तों की गरिमा को भी तार तार कर देती है,डायन भी सात घर छोड़ कर हमला करती है पर तु तो अपने ही घर में वो भी उसके साथ जिसको तूने खुद जना है अपनी योनि से उस ही बालक को तू अब फिरसे अपनी योनि में प्रवेश देना चाहती है वो भी एक मर्द के रूप में उफ्फ्फ रागनी उफ्फ्फ।
रागनी के मन मस्तिक्ष में फिरसे जंग शुरू हो गई थी,अपने बेटे को सामने पाकर उसके अंदर की रंडी जाग जाती थी पर स्खलन प्राप्ति के बाद उसका ज़मीर उसको दुत्कारता था तो वो आत्मग्लानि से भर जाती थी और फिरसे ऐसा ना करने का प्रण करती थी,बहरहाल फिलहाल उसके सामने सबसे बड़ी चुनोती थी सबकी नजरों से बच कर अपने रूम में जाना क्योंकि उसके कपड़ो पर लिपटा उसकी चूत का गाढ़ा द्रव धब्बो कर रूप में साफ दिखाई दे रहा था,उसने अपना दिमाग चलाया,राज भी अभी गार्डन में अखबार में लीन था और अमन नाश्ते में,पर क़ौमल को वो जगा कर आई थी जो किसी भी समय किचन में आ धमकती अभी सिर्फ अमन के ही देखे जाने का डर था पर फिर तो किसी के भी सामने उसको रुसवा होना पड़ सकता था,और ऐसा वो बिल्कुल नही चाहती थी,उसने फैसला कर लिया था कि वो अमन के पीछे से निकल जायेगी और अगर अमन ने देख भी लिया तो वो इस बारे में उससे कोई बात नही करेगा,पर वो अपनी उद्दण्ड बेटियो को जानती थी वो ज़रूर उसकी टांग खींचती।
रागनी बिना आवाज़ किया अपनी जांघो को सिकोड़ती हुई किचन से निकल गई और अपने प्लान में कामयाब भी हो गई अमन ने एक बार भी उसकी तरफ नही देखा।वो लगभग दौड़ती हुई अपने कमरे में दाखिल हुई और अंदर जाते ही रूम के गेट को अंदर की तरफ से बंद करके एक एक करके अपने जिस्म से अपने ही वीर्ये में भीगे कपड़ो को अलग करने लगी कुछ ही पलों में वो अपने संगमरमर जैसे जिस्म को सामने लगे आईने में निहार रही थी,पर शायद वो नही कुछ और भी आंखे थी जो छुपकर उस चार बच्चों की माँ के गदराए हुस्न को निहार रही थी।
किसकी थी ये आंखे???????