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Erotica बिगड़ाईल बिल्ला

halkaphulka

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मधु आंटी बूढ़ी तरह से हांफ रही थी, और उनका एक हाथ बेडशीट को मुट्ठी मे कैसा हुआ था वही दूसरा मेरे बालो को नोच रहा था, आंटी की हालत को मैं महसूस कर अपने जीभ की रफ़्तार बढ़ा दी और आंटी का कमर हिचकोले खाने लगा और उनके मुँह से किए घायल बिल्ली के जैसा आवाज़ निकलने लगा।

-है रे मर गई मैं तो आये मेरी मा बचा ले मुझे

आंटी का झांघ मेरे सर को पकड़ लिया और वो बूढ़ी तरह से हंफाने लगी, और मेरे मुँह मे पानी की एक धार आयी जिसे मैं पिने लगा, ये पानी मेरे लिए ज़म ज़म के पानी से काम नहीं था। आंटी ने मेरे सर को काफ़ी देर कसा रखा और फिर धारासाय हो गयी, और मैं मधु आंटी को के ऊपर चढ़ उनके होंठ पे अपना होंठ रख दिया और आंटी के चुत का नमकीन पानी उनके मुँह मे उतरने लगा, और मैंने उन्हें दीप किश देने लगा।

इसी तरह कुछ देर मे मधु आंटी को होंस आया तो वो मुझे पकड़ मुझे प्यार करने लगी लेकिन मेरा इरादा कुछ और मैंने उनसे पूछा।

-क्यों मधु आंटी कभी ऐसा मजा आया था पहले आपको

मधु आंटी जो काफ़ी शर्माती थी, वो मेरे बात से लजा जाती है, वहीँ मैं मधु आंटी पे चढ़ हौले हौलेे उनके दूध छूने लगा।

-कहाँ था आंटी मैं आपको जन्नत की सैर करवाऊंगा

आंटी फिर शर्मा जाती है, और मैं आंटी का हाथ पकड़ लेता हूं।

-सच बताइये आंटी मेरे साथ मज़ा आया ना?

संकुछाते हुए ही सही मधु ने सर हाँ मे हिला दिया और मैं अंदर से पागल होते जा रहा था।

-आंटी सच बताइये अंकल के अलावा कभी किसी के साथ कुछ किया है, अब आप मुझसे मत छिपाइये, मैं थोड़े आपको जज करने वाला हूं

मैं मधु आंटी का जवाब से ज्यादा उनके प्यारे से चेहरे पे उठे भाव को देखना चाहता था, वैसे मधु ने अपना सर हाँ मे हिलाया, और मैं अंदर से ख़ुश हो गया...

मैं आगे बढ़ा और मधु आंटी को चूमने लगा और वो मेरा पूरा साथ देने लगी थी और यही तो मैं चाहता था, मैं आगे बढ़ा और आंटी का हाथ अपने लंड पे रख दिया, और अपना एक हाथ ऑन्टी के कमर पे रखा और उनके कान चबाने लगा।

आंटी की सिसकियां निकलने लगी, और पुरे शिदात से उन्हें गरम कर रहा था।

मधु का हाथ मेरे लंड पे अपने आप चलाने लगा, और मैं समझ गया की रोड गरम है, और मैं मधु आंटी के बच्चे हुए कपडे निकल फेके और खुद अपना पंत और अंडरवियर झट से निकल फेका और हम दोनों बिलकुल नंगे थे।

मधु ऑन्टी शर्मा के सर दूसरी और कर लेती है वहीँ मैं ऑन्टी के पास गया और उन्हें धकेल मैंने बेड पे लेटा दिया और खुद उनके ऊपर चढ़ गया, आंटी का सीना ऊपर निचे हो रहा था वहीँ मेरा लंड उनके पेट पे टकरा रहा था।

-आंटी अब आप छोटी बच्ची तो हैँ नहीं आपको तो इस खेल का सब पता है...

मैं चाहता था की आंटी खुद मेरा लंड अपने चुद मे डाले, और इसके लिए मैं उन्हें उकसाने लगा,

तभी आंटी बहुत धीरे से बोली

-कंडोम चढ़ा लो ना, प्लीज

मैं ये सुन हंस दिया, और आंटी के हो था पे अपने होंठ लगा दिए और अपना लंड पकड़ उसका टोपा आंटी के चुत के मुँह पे सटा दिया और आंटी के मुँह मे अपना जीभ डाल दिया।

मधु ऑन्टी मेरे इस हमाले से पागल हुए जा रही थी, और उनका पूरा शरीर कांपने लगा और जिस चीज का मुझे इंतजार था वो हो गया, आंटी ने मेरे गांड के फँक पकड़ अपना झांघ मेरी और फेका और मेरा लंड सट की आवाज़ के साथ मधु आंटी मे चुत मे दाखिल हो गया, और मधु ने मुझे कस के पकड़ लिया, मुझसे ये बदस्त नहीं हुआ और मैं अंदर घुसाते ही पानी छोड़ दिया, जिस से मधु आंटी अचानक ही बहुत गुस्सा हो गयी और मुझे तेज़ी से धक्का दिया और मैं पीछे खिसक गया।

-हटो मेरे ऊपर से, तूँ तो मेरे पति से गइल गुज़रा है

मैं उनकी बात पे हंस दिया और फिर उन्हें धकेल मैंने ऊके शरीर को बेड पे गिरा दिया और उन्हें चूमने लगा, आंटी सांत हुई और मैं आंटी के ऊपर से उठा और बेड के बगल मे रखा बोतल से पानी पी और एक सिजिरेट जलाया, मुझे ये सब करते हुए मधु आंटी देख रही थी, सिजिरेट पीते हुए मैंने मधु आंटी को भी दी लेकिन उन्होंने मना कर दिया और मैं सिजिरेट पी मुतने बेड मे कोने मे ही मूतने लगा जिसे देख मधु आंटी चौंक गयी, लेकिन मुझे फरक नहीं पड़ रहा था, मैं मूतने के बाद वापस बेड पे आया और मधु आंटी को पकड़ने की कोसिस की तो वो उठ कधी हुई।

-छी कितने गंदे हो तुम, छी छी मुझसे ये सब बदस्त नहीं होगा, मैं जा रही हूं...

ये कह मधु अपना कपड़ा ढूँढाने लगी, और मैं वहीँ कोने मे बैठा एक और सिजिरेट निकला और पिने लगा, और मैं मधु को घूर रहा था, मधु ने झट से अपने सारे कपडे पहन लिए और मेरी और देखा और कहाँ की ये जो आज हुआ वो गलती थी और मुझे भूल जाने को कहा, मैं इस बात पे हंसा और मधु आंटी के पास गया और मैंने दुबारा पकड़े की कोसिस की तो वो फिर पीछे खिसकी, मैं उनका मूड देख समझ गया की सायद हवस उतर चूका है और मैं पीछे हट गया, और मैंने आंटी को कुछ नहीं कहा और वापस बिस्तर पे लेट अपने दुबारा खड़े हुए लंड को सहलाने लगा जिसे देख मधु वही अड़ गयी बेचारी की हालत भी तो पतली थी मैंने ये भाँम्प लिया और अपने बगल के टेबल से नारियल तेल डाल लंड को चमकाने लगा, और मेरी इस हरकत को मधु नज़रअंदाज़ नहीं कर पायी, और मैं खड़ा हो मधु के पास गया और मैंने बड़े प्यार से उसके कपडे उतारे और बेचारी मधु को मैंने बिस्तर पे लेता दिया, और उसके पैर फैला दिए और अपना लंड वापस से उसके चुत पे लगा दिया, मधु मेरी और ना देख इधर उधर देख रही थी, मैं अपना लंड पे जोड़ डाला और चट की आवाज़ के साथ मेरा लंड दुबारा मधु की चुत मे था, मैं कुछ पल संत रहा और फिर मधु आंटी को चोदने लगा, और कुछ ही पल मे मधु आंटी सिसकियां मरने लगी...

-मजा आ रहा है ना आंटी

मैंने छोड़ते हुए मधु आंटी से पूछा तो लज़्ज़त की नज़र से उन्होंने मुझे देखा और मैंने अपनी रफ़्तार तेज़ कर दी...

और मैं और मधु आंटी लज़्ज़तों के समुन्दर मे गोटे खाने लगे...

-आह आह सी सी एह और ज़ोर से

करीब 10 मिनट के घमासान के बाद मैंने वापस मधु ऑन्टी को जोड़ से पकड़ा और उनके चुत पे दुबारा अपना माल भर दिया और मधु ऑन्टी इस दफा ख़ुश दिख रही थी...

-अब बताइये ऑन्टी आपके पति से अच्छा था या ख़राब...

ये सुन मधु आंटी हंस देती है, और खुद अपना कपड़ा पहनने लगाती हैँ, और खुश ही देर मे मैं अकेला कमरे मे था और मैं अपना फ़ोन निकल लेता हूं।

मेरा नाम शालू कुमार हैँ और मैं नवाबों के शहर लखनऊ का रहने वाला हूं, और मैं एक निहायती हरामी आदमी हूं। और मैंने कई अजीब गरीब कारनामा किये हैँ और मेरा नाम इन्ही हराकतों की वजह से अख़बार मे भी आ चुके हैँ...

मेरे बाप ने मुझे घर से निकल दिया था।
 

halkaphulka

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मुझे मधु जैसी औरतें पसंद हैँ, संस्कारी और अच्छे ज़हन वाली, मधु के जाने के बाद मैं गमची शरीर पे डाल सोने चला गया, शाम को मेरे फ़ोन की घंटी बाजी तो मुझे होंस आया, फ़ोन मे हरामी बाप का था, और ये देख मैंने फ़ोन कट कर दी, मुझे मालूम था वो क्यों फ़ोन कर रहा है।

मैं फिर घर से कपडे पहन बस स्टैंड पे गया, मुझे एक खच्चखच भाड़े हुए बस का इंतज़ार था, जो कुछ देर मे आयी और मैं चढ़ गया और कोई खड़ी आंटी को देखने लगा, सामने के तरफ एक औरत बुरखे मे थी और साथ मे उसका पति था ऐसा जान पड़ रहा था, मैं उस आंटी के पीछे जाने की कोसिस की तो उसका मरद मेरे और आंटी के बिच मे आ गया, और मेरा मूड ख़राब हो गया, मन किया की साला इस आदमी को खूब पितु लेकिन मैं ने संयम से काम लिया और उस आदमी को और जगह दे दी खड़े रहने के लिए और उस से युही इधर उधर की बात करने लगा।

बस कंडक्टर आया तो मैंने सबसे अंतिम बस स्टैंड का टिकट लिया और उस आदमी के साथ गुफ़्तगू ज़ारी रखी, अगले बस स्टैंड पे काफ़ी लोग बस मे घुसे और पहले से भाड़े बस और ज्यादा चुस्त हो गया, और वो दाढ़ी वाला अंकल मेरे सामने आ गया और राइट तरफ से मैं बुरखे वाली आंटी मेऱे पहुंच मे आ गयी, और मैंने ज़रा भी देर नहीं की, और झट से अपने हाथ आंटी के गांड पे लगा दिया, और मैं आंटी की रिएक्शन का इंतजार करने लगा, लेकिन कोई रिएक्शन नहीं आया तो मैं ख़ुश हो गया, और सामने अंकल से बातें कर रहा था और साइड मे उन्ही की बीबी के गांड सहला रहा था।

आंटी को भी माजे आ रहे थे, बस वो बस पे दर्सा नहीं सकती थी। किस्मत मेरी फूटी जब अचानक से बस खाली होने लगा और कई लोग उतर गए और मुझे ना चाहते हुए भी एक सीट पकड़ना पड़ा। आंटी मुझे घूर रही थी, सायद वो मेरे कॉन्फिडेंस और डेरिंग से डंग रह गयी थी, मैंने जल्दी से एक कागज़ के टुकड़े पे अपना फ़ोन नंबर लिख आंटी को दिया और आंटी ने छिपा कर रख ली और मैं भी गाडी से उतर गया।

यहाँ मेरा घर था, और मैं एक ऑटो पकड़ घर की और चल दिया, मैं यहाँ मम्मी से पैसे लेने आया था, क्यूंकि मेरे पास कोई जॉब तो था नहीं, मैं घर पहुँचा तो घर पे ताला लगा हुआ था, ये देख मेरा मूड ख़राब हो गया। मैं वहां से पीछे मुरा की मेरे एक पुराने दोस्त की नज़र मुझ पे आ गयी और हम बातें करने लगे।

-अरे शालू भाई आजकल दिखाते नहीं हो, क्या हाल चल है

-अरे क्या बताये अब, सब ठीक ही चल रहा है

हम दोनों बातें करने लगे, ये लड़का मेरी हराकतों से भली भांति वाकिफ था।

मैंने इसकी मा को चोदा था और बदले मे मैंने इससे अपनी बड़ी बहन को हमबिस्तारी करवाई थी,
 

Delta101

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Interesting story.... waiting for next update
 

kamdev99008

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बहुत जबर्दस्त शुरुआत

लगे रहो
 

RajaRam1980

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halkaphulka

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मैं उस लडके के साथ एक गुमटी पे गया और हम दोनों चाय और सुट्टा खरीद पिने लगे और इधर उधर की बातें करने लगे,

-तो गुरप्रीत भाई तेरी मम्मी कैसी हैँ, अभी भी कनाडा मे हैँ क्या वो

-हा यार, वैसी तुझे उनकी याद क्यों आ रही हैँ बे

-अरे तूने मौके पे छक्का लगा लिया होता तो तुझे भी याद आती, तुहि साले मदरचोद नहीं बनाना चाहता था... हा हा हा

-एकदम चुतिया है टू, वैसे आज किसी की ले रहा है की नहीं

-ले तो रहा हूं बे, लेकिन तेरी मम्मी की बात ही कुछ और थी, साले तेरे बाप को पता नहीं चलता तो अभी भी अपना मज़े चलते...

-हा हा हा ये तो हैँ, भाई तूने मुझे बच्चा लिए उसके लिए दिल से धन्यवाद, मुझे तो लग रहा था की मैं भी गया....

-अरे कोई नहीं रे, वैसे तुझे बिगाड़ाने वाला तो मैं ही था ना, वैसे तूने किसी को पटाया की नहीं

-नहीं अभी एक के ऊपर नज़र तो हैँ लेकिन आगे नहीं बढ़ पाया हूं...

-लगे रहे गुरु और कोई मदद चाहिए तो मेरी याद करना...

मुझे मेरी मम्मी रिक्शे से आती दिखी तो मैं उसे अलविदा कर वापस घर पहुंच गया जहाँ मेरी मम्मी मुझे देख मुझे घड़ का चाभी दे देती हैँ, और मैं दरवाज़ा खोलने लगा....

-मम्मी पैसे चाहिए थे,

-आ गया अपना मनहूस सकल लेके, तूँ काम धंधा क्यों नहीं ढूंढ़ लेता है 27 का हो गया है और बाप के मेहनत पे पालता है, वैसे भी हमें समाज मे कहीं का नहीं चोदा है...

मैं उनके इस ताने पे कोई जवाब नहीं दिया, और वो अंदर से मेरे लिए कुछ करेंसी नोट ले आयी, जो मुझे पकड़ा दिया...

-अब निकल जाओ यहाँ से, और हाँ अगर तेरे बाप को पता चला तो ये भी बंद हो जायेगा

मैं पैसे गिनाते हुए घर से बाहर निकला और इस दौरान कुछ नहीं बोला, मैं भी सोचने लगा की साला कुछ ना कुछ पैसों का करना पड़ेगा... और मैं यही सोचते हुए बगल के मोहल्ले की तरफ निकल गया जहाँ शराब की सरकारी दूकान थी...

मैंने एक पॉलीथिन वाली एक सस्ती शराब ख़रीदा और एक प्लास्टिक के गिलास मे डाल सडक के बगल मे बैठ पिने लगा...

पूरा गिलास पिने के बाद मैं खड़ा होते ही लड़खड़ा गया और रोड के बगल एक बेंच पे मैं लेट गया...

....

मैं अगले दिन मधु के घर खाना कहा रहा था, और मधु को मैंने पूरी तरह से नंगा करवाया हुआ था,

-मधु डार्लिंग तू सही मे हाउस वाइफ हैँ, क्या खाना बनती है...

-जल्दी खाओ ना प्लीज

-क्यों रे इतनी उतालवली हो रही है रंडियो साली मदरचोद के पैदाइस

मेरे इन गलियों से वो थोड़ी सेहम गयी... मुझे पैसो की बड़ी किल्लत महसूस हो रही थी, और मैंने ये सोचा की मधु से पैसे पैसे ऐठने मे क्या दिकत है, वैसे भी इसका पति सर्वे मे ाचा कमा लेता है...

मैं धीरे धीरे खाना खाने लगा और मधु को नाचने के लिए कहाँ तो बेचारी भाँगड़ा करने लगी वो भी एकदम गंदी जिसे देख मैं हंसाने लगा।

-मधु तू भी ना, हा हा हा

खाना खाने के बाद मैंने मधु को अपने पास बुलाया और उसके चुत की बालों पे अपना गन्दा हाथ पोछाने लगा तो वो भड़क गयी

-कितना गंदे इंसान हो तुम, खाना खाया है तो हाथ धो ये क्या कर रहे हो...

-अरे जानेमन तूने ही तो ये करपेट खोल रखा है, अगर दिक्कत हो रही है तो इसे साफ कर लो...

-...... मममम साफ मैं कुछ समझी नहीं...

-अरे तू कितनी भोली है, तेरा पति शेविंग करता है

-हाँ करता है,

-वो शेविंग कितना ले आ, चल आज मैं तुझे जवान बनता हूं...

मधु संकुछ रही थी तो मैंने उसके गांड पे चमता मारा तो वो जोड़ से उइ मा चिल्ला देती है..

-जा रही हूं ना हवसी आदमी...

....

मधु शावर मे खड़ी थी और उसके सामने मैं खड़ा था और हम दोनों गरम पानी का मजा ले रहे थे...

मैंने हाथ आगे बढ़ा मधु के सामने बैठ गया और मधु के चुत पे शेविंग क्रीम लगाने लगा....

-ये क्या कर रहे हो, ये गलत है...

-अरे बेबी तेरे जंगल को गार्डन बनाने के लिए ये जरुरी है...

मैंने शेविंग क्रीम लगा मधु माँ चुत अच्छे से झाग से भाड़ दिया और फिर ऊपर खड़ा हो मधु को चूमा और फिर रज़र निकल हौले हौले मधु की झांट साफ करने लगा, मेरी इन हरकत से मधु भी हलकी हलकी सिसकी ले रही थी, मधु का चुत को मैंने बिलकुल साफ कर दिया और फिर शावर चला दिया और खुद मधु को कस कर पकड़ उसे चूमने लगा और वो धारासाय हो मुझे चूमने लगी...

मैं शावर से निकल और साथ मे मधु को भी खींच लाया और मैं उसे ले जा बेड पे पटक दिया...

-कितनी खूबसूरत हो तूँ मधु, लगता ही नहीं की तूँ 2 बेटों की मा हो, उफ्फ्फ तेरे पति को मार तेरे बेटे का बाप बना जाऊं।

-है रे क्या बक रहे हो, अपना मुँह बंद रखो चुतिया मदरचोद...

-हा हा हा गुस्सा भी तेरे ऊपर क्यूट लगता है मेरी जान...
 

halkaphulka

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मैं मधु के ऊपर चढ़ा हुआ था, और हम बड़े प्यार से समूचिंग कर रहे थे, मैं मधु को ख़ुश करना चाह रहा था, आखिर मुझे उससे पैसे जो निकलने थे।

-मधु तेरे शादी के कितने साल हो गए

-उह्ह्हम्ह ये अचानक से क्या पूछ रहे हो

-बस यूँही, बता ना

-करीब 20 साल

-बाप रे, अच्छा तुझे मेरे और पति के अलावा किसी ने चोदा है?

-हा हा हा क्यों जेलस हो क्या

-अरे मैं और जेलस, सवाल ही नहीं उठता है, बता ना...

-ऊपर ऊपर से एक के साथ किया था ही ही ही ही....

मधु को ऐसे हँसता देख मुझे अच्छा लगा और मैं मधु के ऊपर से उतर गया, और अपने लंड पे हाथ रख दिया और ऊपर निचे चलाया...

-साला मेरे लाइफ मे सिर्फ एक ही दिक्कत है

-क्या हुआ तुम्हे शालू कोई दिक्कत

-हाँ लेकिन सायद तू मेरी मदद नहीं कर पायेगी

-बता तो पहले, फिर देखेंगे

-अरे इंसान की एक ही तो दिक्कत है यार, पैसे

-काम क्यों नही जारते तुम

मैं ये उसके मुँह से सुन अपनी मम्मी की याद आ गयी, और मेरा लंड कस गया...

-साली गरीबी का मज़ाक उड़ाती है, साली अल्लाह माफ़ नहीं करेगा

-अरे अरे माफ़ी मेरे बाप

मधु हँसते हुए बोली, और खड़ा हुआ और मधु का हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ गोल गोल नाचने लगा...

मधु को भी मज़ा आ रहा था मेरी इन हराकतों से, और उसका चेहरा चमक रहा था, मैं मधु की कमर पकड़ ली और उसे हिलाने लगा, और मधु मजे से थिराकाने लगी अपनी कमर...

-कुछ रिस्की करेंगी मेरी जान

-उम्म्म मैं कुछ समझी नहीं

-अरे कुछ डेरिंग, जिस से रोमच और लज़्ज़त आये

-नहीं वो मुझसे नहीं होगा,

-अरे होगा मधु, तू हिन्नत तो कर

-नहीं मैं नहीं कर पाऊँगी ऐसा कुछ,

मैंने मधु को छोड़ उसके बाप पकड़े और दूसरे हाँथ से मैंने एक ज़ोद्दार थप्पड़ पुरे ताकत के साथ मधु के गाल पे रसीद दिया, और मधु दर्द से चीख अपने गाल पकड़ ज़मीन पे बैठ गयी...

-साली ज्यादा हैकरी दिखाएगी

मधु डर के काँम्प रही थी और उसके आँख से अंशु बह रहे थे, यही तो मैं चाहता था, साली तो मैंने सेट उसकी मर्ज़ी के लिए नहीं बल्कि अपने मज़े के लिए किया था.

मैं दुबारा मधु का नाक पकड़ उसका अंशु भड़ा चेहरा अपनी और लाया और पूछा

-कुछ मज़े करेंगी मधु मेरी जान

इस दफा मधु हौले से हाँ मे सर हिला देती है, और मैं खड़ा हुआ और मधु के होंठ पे अपना लंड रख दिया, और मधु हौले हौले मुझे चुपे लगाने लगाती है, और मैं वहीँ खड़ा छत को देखता हूं, और सोचने लगा की क्या मस्त लाइफ मैं मेरी और चुपे का मज़ा लेते हुए मुस्कराने लगा

मधु चूसने मे नौसिखिया थी, और मेरा लंड का टोपा ही चूस पाती थी, और मैं उसी मे ख़ुश था क्यूंकि ये उसका पहला लंड था जो उसने मुँह मे भड़ा था, मैं मंज़िल के करीब पहुँचाने लगा तो मैंने मधु के मुँह से लंड खिंच लिया और मधु की गर्दन पकड़ उसे उठाया और उसकी चुत को दबोज खुजने लगा, और मधु हौले से सिसकी लेने लगाती है।

-मधु तू कुछ ज्यादा ही अच्छी औरत है, कुछ ज्यादा ही मममम

मधु मेरी बात को अनसुना कर देती है,

-मधु आज कितना तारीख है, ज्यादा बताओ तो मुझे

-सायद 8 या 9 है.

-मममम अच्छा देख मधु बजाले तू दो बच्चो की मा हो तू एक कच्ची अमियाँ ही हैँ, और तुझे पकाना ज़रूरी है

-ऐन् मैं समझी नहीं, क्या मतलब है तुंहारा...

-मतलब ये है मेरी जान की तुझे आझ से मैं हर रोज़ एक नये लंड की दर्सन करवाऊंगा...

-आईन ये क्या बोल रहे हो, पागल हो क्या तुम, और कैसे चूतिये वो..

-मेरी जान तुझे पकाने के लिए ये ज़रूरी हैँ, और तू चिंता मत कर मैं खुद अपने हाथ से चुन के भेजूंगा...

-अरे मदरचोद साले तू भड़वा है क्या, कैसा अज़्ज़ेब आदमी हो तुम, मैं तुंहारी मासूका बनने को मान गयी और तुम मुझे दूसरे के साथ हुमबिस्तारी करने को कह रहे हो....

-अरे बेबी तू मेरी मासूका ही रहेगी, और मैं कोई भड़वा नहीं हूं हा हा हा हा....

मधु मेरी और चुकाते हुए देख रही थी, वहीँ मैं मधु के बाल सेहला रहा था, और मैंने मधु के गांड सेहलाने लगा और फिर मैं मधु को छोड़ वहां उसके घर से निकल गया, और पीछे मधु हक्का बक्का थी....

........

मैं मधु के घर से निकल गया और हँसाने लगा, मैंने बड़े चालाकी से अपना काम निकलवा लिया था, और मैं मधु का सच मे भड़वा बनने वाला था, मधु जिसे मैं छोड़ के आया था उसे ज़बान मे कोई शब्द ही नहीं थे, और मैं खुशी मे पागल कुछ देर चला ही था की साला सामने से एक गाडी आया और सीधे मुझे कोने पे टक्कर मर दी और मैं धड़ाम से गिर गया और तो और मेरे पीठ पे बुरी तरह से चोट आ गयी और मैं कराहने लगा, साला मेरी फूटी किस्मत, वो गाडी मेरे सामने भागति चली गयी, लेकिन मैंने उस गाडी का नंबर याद कर लिया और मैं उसके बाद बेहोश हो गया और एक छोटी सी भीड़ ने मुझे घर लिया और किसी ने एम्बुलेंने को कॉल कर दिया...
 

halkaphulka

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एक सरकार अस्पताल के गंदे और गालीज़ बदबू भाड़े बिस्तर पे नींद खुली और मेरे एक हाथ और एक पैर मे काफ़ी दर्द हो रहा था, और मेरा गांड फटा पड़ा था डर था की कहीं टूट ना गया हो मेरा हाथ या पैर, कुछ देर मे एक नर्स आयी तो मुझे जगा देख मुझे 2 टेबलेट पकड़ा देती है और मुझे लेते रहने को बोल बाहर निकल जाती है, कुछ देर मे डॉक्टर आता है और मुझे जगा देख मुझे बताता है की मेरे हाथ मे फ्रैक्चर थी, ये सुन मेरा गांड फट गया, मैंने पूछा डॉक्टर को की कितना खर्चा आएगा तो वो मेरी और देखा और कहा की प्लास्टर करने का खर्चा 1500 का आएगा और दवाई का अलग मेरी ये बात सुन हालत पतली हो गयी, लेकिन अब चारा क्या था मेरे सारे पैसे दवाई और प्लास्टर मे चले गए और मैं शाम को अपने फटीचर मकान मे चला गया....

मुझे काफ़ी गुस्सा आ रहा था उस गाडी वाले पे और मैंने उसका नंबर गाडी का जो मैंने याद करा हुआ था लिख के रख लिया ताकि मैं भूल ना जाऊं, दूसरी तरफ मुझे अहसास हुआ की मेरे पास फूटी कौड़ी नहीं है, इस हाल मे मेरे पास एक ही चारा था अपने मम्मी से पैसे मांगू, और मैंने फैसला किया की वापस घर चलाने का वक़्त आ गया है, और मैं बच्चे पैसे ले बस पे चढ़ गया और टिकट काटा कर बैठ गया, आज मैं दोपहर मे था इसलिए सीट्स बैठने के लिए थी...

मैं घर पहुंच गंटी बजाई और मेरे सामने कुछ देर मे मेरा बाप खड़ा था जो मुझे देखते ही गाली देने लगा, लेकिन फिर मेरे हाथ को देख सांत हुआ और मैं घर मे दाखिल हो गया,

-ये क्या हाल बना रखा है, कैसे हुआ ये सब...

-गाड़ी से धक्का लगा है,

-तेरी ही कुछ गलती जोगी...

मेरा बाप मुझे जली कुटी सुनाये जा रहा था वहीँ मैं सुन रहा था, मेरी नज़र मम्मी को खोज रही थी...

-मम्मी कहाँ है,

-बाहर गयी हुई है, मार्किट

मुझसे और बर्दास्त नही हुआ और मैं कुछ बहाना बना के निकल गया, और मेरे पॉकेट मे सिर्फ 30 रुपये बच्चे हुए थे...

मैं बाहर निकला और मैं सोचने लगा की मैं क्या करूँ, और मुझे लगाने लगा की सायद मुझे कोई छोटा मोटा व्यापार कर लेना चाहिए, यहीं सोचे मे पड़ा था की मुझे काम की सोच के ही चक्कर आने लगती है....

मेरे पास एक और ऑप्शन था वो था पैसे उदार लेना लेकिन ये मैं करना नहीं चाहता था। लेकिन मेरे पास एक पत्ता अभी और बची थी, मधु, लेकिन मुझे मालून था की उसे मानना बहुत मुश्किल था, मेरे कहने मे बावजूद भी सायद ही राज़ी हो....

मैंने आखिर मे हार मन कर चोरी करने का फैसला किया, मेऱा प्लान बिलकुल सिंपल था, रात मे अँधेरे मे एक घर मे चोरी करना और फिर उसे बेच देंना। यही सोच मैं एक गली मे सारे घर देखने लगा, मैं कोई खाली मकान खोज रहा था, और नुझे मेरा टारगेट मिल गया, लेकिन फिर मुझे अपने टूटे हाथ का अहसास हुआ और मैं अपने ऊपर हंसने लगा और मैंने फिर किसी साहूकार पैसे उधार लेने की सोची...

मैं दिन भर कई साहूकार के चक्कर लगेज लेकिन साला कोई मुझे पैसे देने को तैयार नहीं था और साला मैं शाम तक थक हार गया और मुझे कुछ समझ मे नहीं आ रहा था...

आखिरकर मैंने एक अंडरग्राउंड ग्रुप से पैसे लेने का फैसला किया और मैं इलाके के एक गैंग के अड्डे पे गया, मेरा एक दोस्त यहाँ पहले से शामिल था और मुझे उम्मीद थी की वो लोन दिलवा देगा।

मैं अड्डे पे पहुंच अपने दोस्त को फ़ोन मिलाया और उसने मुझे अपने लीडर से मिलवाया, मैंने उस से अपने पैसे की बात बताई तो उसने बिना कुछ पूछे अपने तिजोरी से 100 नोट्स की एक गद्दी रखी और मेरे दोस्त को जाने को कहा।

-तू ही वो जो मेरी गाडी के निचे आ गया था, हा हा हा...

-वो गाडी वाला आप थे....

-हा बे, छोटी दुनिया, सुकर मनायो तुझे तो मैं टपकाने वाला था...

-अरे स स स सर क्या बोल रहे हो...

-रिलैक्स बॉय, दारू पिए गा, कॉम्बोड़िआ से कल समय आयी है...

मेरे सामने उसने एक ग्लास मे नेट बना मुझे दी, और खुद एक सिगर निकल पिने लगा...

-बोल तुझे कितने खर्चे की जरुरत है....

-10 हज़ार सर...

-छोटा आदमी छोटी सोच हा हा हा....

मैं चुप रहा और नेहँगा दारु पी झुमने लगा,

-देख लडके तू मेरा एक काम कर देगा तो तुझे मजनू 1 लाख दूंगा कड़क कैश... बोल करेगा...

-क्या करना है मुझे....

-तुझे एक आदमी को टपकाना है, बोल करेगा

मर्डर का नाम सुनके मेरा गांड फट गया और मेरा ये हाल उसे पता चल गया...

-तुझे मैं किसी साधु को मरने को नहीं बोल रहा बेवकूफ...

-कौन है ये,

-तू पहले हाँ बोल की करेगा, सोच ले मुकारा तो मै ही तुझे ठोक दूँ...

मैंने कुछ देर सोचा, मैं पसीने से लठपथ था, और मैंने हाँ बोल दिया...

........

मेरा काम सुनाने मे बहुत सिंपल था, मुझे दुबई जाना था और इललीगल सोना इंडिया लाना था, सुनाने मे ये सीधा सा प्लान बहुत रिस्की था, और मेरी गांड फटी पड़ी थी...

इंडिया से दुबई आने मे कोई दिक्कत नहीं थी, प्रॉब्लम उल्टा मे था, मैं दुबई पहुंच गया और मुझे एक लक्ज़री होटल मे तहराया गया, और अलिसानीय देख मैं चौंक सा गाय, मुझे आर्डर मिले थे की मुझे मुझे होटल रूम से किसी कीमत पे बाहर नहीं निकलना है, शाम को मेरे रूम मे एक आदमी आता है और मुझे गोल्ड के 6 बार पकड़ा चला जाता है... मैंने इंडिया मे लीडर को फ़ोन लगाया और उसे इसकी जानकारी दी, तो उसने मुझे सभासी दी, और फिर इंडिया आने माँ टिकट मुझे ईमेल कर दिया...

फिर मैंने कुछ और बात छेड़ी जो मेरे ज्यादा जरुरी था, चुत...

-सर यहाँ पे कुछ इंतज़ाम नहीं हो सकता है, रात रंगीन करने के लिए...

-बॉय तूने कभी रुस्सियन की ली है

-नहीं माफ़ी महंगा होती है

-चल मैं भिजवा रहा हूं, लेकिन गोल्ड खोने नहीं चाहिए वरना तेरा खानदान का एक अंश भी ज़िंदा नहीं बचेगा...

मैं डरते हुए मोबाइल बंद कर लेट गया, और करीब आधे घंटे के दर्णायन एक रुस्सियन लड़की कमरे मे आयी और मेरे मजे आ गए....
 

Delta101

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