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- 14
मधु आंटी बूढ़ी तरह से हांफ रही थी, और उनका एक हाथ बेडशीट को मुट्ठी मे कैसा हुआ था वही दूसरा मेरे बालो को नोच रहा था, आंटी की हालत को मैं महसूस कर अपने जीभ की रफ़्तार बढ़ा दी और आंटी का कमर हिचकोले खाने लगा और उनके मुँह से किए घायल बिल्ली के जैसा आवाज़ निकलने लगा।
-है रे मर गई मैं तो आये मेरी मा बचा ले मुझे
आंटी का झांघ मेरे सर को पकड़ लिया और वो बूढ़ी तरह से हंफाने लगी, और मेरे मुँह मे पानी की एक धार आयी जिसे मैं पिने लगा, ये पानी मेरे लिए ज़म ज़म के पानी से काम नहीं था। आंटी ने मेरे सर को काफ़ी देर कसा रखा और फिर धारासाय हो गयी, और मैं मधु आंटी को के ऊपर चढ़ उनके होंठ पे अपना होंठ रख दिया और आंटी के चुत का नमकीन पानी उनके मुँह मे उतरने लगा, और मैंने उन्हें दीप किश देने लगा।
इसी तरह कुछ देर मे मधु आंटी को होंस आया तो वो मुझे पकड़ मुझे प्यार करने लगी लेकिन मेरा इरादा कुछ और मैंने उनसे पूछा।
-क्यों मधु आंटी कभी ऐसा मजा आया था पहले आपको
मधु आंटी जो काफ़ी शर्माती थी, वो मेरे बात से लजा जाती है, वहीँ मैं मधु आंटी पे चढ़ हौले हौलेे उनके दूध छूने लगा।
-कहाँ था आंटी मैं आपको जन्नत की सैर करवाऊंगा
आंटी फिर शर्मा जाती है, और मैं आंटी का हाथ पकड़ लेता हूं।
-सच बताइये आंटी मेरे साथ मज़ा आया ना?
संकुछाते हुए ही सही मधु ने सर हाँ मे हिला दिया और मैं अंदर से पागल होते जा रहा था।
-आंटी सच बताइये अंकल के अलावा कभी किसी के साथ कुछ किया है, अब आप मुझसे मत छिपाइये, मैं थोड़े आपको जज करने वाला हूं
मैं मधु आंटी का जवाब से ज्यादा उनके प्यारे से चेहरे पे उठे भाव को देखना चाहता था, वैसे मधु ने अपना सर हाँ मे हिलाया, और मैं अंदर से ख़ुश हो गया...
मैं आगे बढ़ा और मधु आंटी को चूमने लगा और वो मेरा पूरा साथ देने लगी थी और यही तो मैं चाहता था, मैं आगे बढ़ा और आंटी का हाथ अपने लंड पे रख दिया, और अपना एक हाथ ऑन्टी के कमर पे रखा और उनके कान चबाने लगा।
आंटी की सिसकियां निकलने लगी, और पुरे शिदात से उन्हें गरम कर रहा था।
मधु का हाथ मेरे लंड पे अपने आप चलाने लगा, और मैं समझ गया की रोड गरम है, और मैं मधु आंटी के बच्चे हुए कपडे निकल फेके और खुद अपना पंत और अंडरवियर झट से निकल फेका और हम दोनों बिलकुल नंगे थे।
मधु ऑन्टी शर्मा के सर दूसरी और कर लेती है वहीँ मैं ऑन्टी के पास गया और उन्हें धकेल मैंने बेड पे लेटा दिया और खुद उनके ऊपर चढ़ गया, आंटी का सीना ऊपर निचे हो रहा था वहीँ मेरा लंड उनके पेट पे टकरा रहा था।
-आंटी अब आप छोटी बच्ची तो हैँ नहीं आपको तो इस खेल का सब पता है...
मैं चाहता था की आंटी खुद मेरा लंड अपने चुद मे डाले, और इसके लिए मैं उन्हें उकसाने लगा,
तभी आंटी बहुत धीरे से बोली
-कंडोम चढ़ा लो ना, प्लीज
मैं ये सुन हंस दिया, और आंटी के हो था पे अपने होंठ लगा दिए और अपना लंड पकड़ उसका टोपा आंटी के चुत के मुँह पे सटा दिया और आंटी के मुँह मे अपना जीभ डाल दिया।
मधु ऑन्टी मेरे इस हमाले से पागल हुए जा रही थी, और उनका पूरा शरीर कांपने लगा और जिस चीज का मुझे इंतजार था वो हो गया, आंटी ने मेरे गांड के फँक पकड़ अपना झांघ मेरी और फेका और मेरा लंड सट की आवाज़ के साथ मधु आंटी मे चुत मे दाखिल हो गया, और मधु ने मुझे कस के पकड़ लिया, मुझसे ये बदस्त नहीं हुआ और मैं अंदर घुसाते ही पानी छोड़ दिया, जिस से मधु आंटी अचानक ही बहुत गुस्सा हो गयी और मुझे तेज़ी से धक्का दिया और मैं पीछे खिसक गया।
-हटो मेरे ऊपर से, तूँ तो मेरे पति से गइल गुज़रा है
मैं उनकी बात पे हंस दिया और फिर उन्हें धकेल मैंने ऊके शरीर को बेड पे गिरा दिया और उन्हें चूमने लगा, आंटी सांत हुई और मैं आंटी के ऊपर से उठा और बेड के बगल मे रखा बोतल से पानी पी और एक सिजिरेट जलाया, मुझे ये सब करते हुए मधु आंटी देख रही थी, सिजिरेट पीते हुए मैंने मधु आंटी को भी दी लेकिन उन्होंने मना कर दिया और मैं सिजिरेट पी मुतने बेड मे कोने मे ही मूतने लगा जिसे देख मधु आंटी चौंक गयी, लेकिन मुझे फरक नहीं पड़ रहा था, मैं मूतने के बाद वापस बेड पे आया और मधु आंटी को पकड़ने की कोसिस की तो वो उठ कधी हुई।
-छी कितने गंदे हो तुम, छी छी मुझसे ये सब बदस्त नहीं होगा, मैं जा रही हूं...
ये कह मधु अपना कपड़ा ढूँढाने लगी, और मैं वहीँ कोने मे बैठा एक और सिजिरेट निकला और पिने लगा, और मैं मधु को घूर रहा था, मधु ने झट से अपने सारे कपडे पहन लिए और मेरी और देखा और कहाँ की ये जो आज हुआ वो गलती थी और मुझे भूल जाने को कहा, मैं इस बात पे हंसा और मधु आंटी के पास गया और मैंने दुबारा पकड़े की कोसिस की तो वो फिर पीछे खिसकी, मैं उनका मूड देख समझ गया की सायद हवस उतर चूका है और मैं पीछे हट गया, और मैंने आंटी को कुछ नहीं कहा और वापस बिस्तर पे लेट अपने दुबारा खड़े हुए लंड को सहलाने लगा जिसे देख मधु वही अड़ गयी बेचारी की हालत भी तो पतली थी मैंने ये भाँम्प लिया और अपने बगल के टेबल से नारियल तेल डाल लंड को चमकाने लगा, और मेरी इस हरकत को मधु नज़रअंदाज़ नहीं कर पायी, और मैं खड़ा हो मधु के पास गया और मैंने बड़े प्यार से उसके कपडे उतारे और बेचारी मधु को मैंने बिस्तर पे लेता दिया, और उसके पैर फैला दिए और अपना लंड वापस से उसके चुत पे लगा दिया, मधु मेरी और ना देख इधर उधर देख रही थी, मैं अपना लंड पे जोड़ डाला और चट की आवाज़ के साथ मेरा लंड दुबारा मधु की चुत मे था, मैं कुछ पल संत रहा और फिर मधु आंटी को चोदने लगा, और कुछ ही पल मे मधु आंटी सिसकियां मरने लगी...
-मजा आ रहा है ना आंटी
मैंने छोड़ते हुए मधु आंटी से पूछा तो लज़्ज़त की नज़र से उन्होंने मुझे देखा और मैंने अपनी रफ़्तार तेज़ कर दी...
और मैं और मधु आंटी लज़्ज़तों के समुन्दर मे गोटे खाने लगे...
-आह आह सी सी एह और ज़ोर से
करीब 10 मिनट के घमासान के बाद मैंने वापस मधु ऑन्टी को जोड़ से पकड़ा और उनके चुत पे दुबारा अपना माल भर दिया और मधु ऑन्टी इस दफा ख़ुश दिख रही थी...
-अब बताइये ऑन्टी आपके पति से अच्छा था या ख़राब...
ये सुन मधु आंटी हंस देती है, और खुद अपना कपड़ा पहनने लगाती हैँ, और खुश ही देर मे मैं अकेला कमरे मे था और मैं अपना फ़ोन निकल लेता हूं।
मेरा नाम शालू कुमार हैँ और मैं नवाबों के शहर लखनऊ का रहने वाला हूं, और मैं एक निहायती हरामी आदमी हूं। और मैंने कई अजीब गरीब कारनामा किये हैँ और मेरा नाम इन्ही हराकतों की वजह से अख़बार मे भी आ चुके हैँ...
मेरे बाप ने मुझे घर से निकल दिया था।
-है रे मर गई मैं तो आये मेरी मा बचा ले मुझे
आंटी का झांघ मेरे सर को पकड़ लिया और वो बूढ़ी तरह से हंफाने लगी, और मेरे मुँह मे पानी की एक धार आयी जिसे मैं पिने लगा, ये पानी मेरे लिए ज़म ज़म के पानी से काम नहीं था। आंटी ने मेरे सर को काफ़ी देर कसा रखा और फिर धारासाय हो गयी, और मैं मधु आंटी को के ऊपर चढ़ उनके होंठ पे अपना होंठ रख दिया और आंटी के चुत का नमकीन पानी उनके मुँह मे उतरने लगा, और मैंने उन्हें दीप किश देने लगा।
इसी तरह कुछ देर मे मधु आंटी को होंस आया तो वो मुझे पकड़ मुझे प्यार करने लगी लेकिन मेरा इरादा कुछ और मैंने उनसे पूछा।
-क्यों मधु आंटी कभी ऐसा मजा आया था पहले आपको
मधु आंटी जो काफ़ी शर्माती थी, वो मेरे बात से लजा जाती है, वहीँ मैं मधु आंटी पे चढ़ हौले हौलेे उनके दूध छूने लगा।
-कहाँ था आंटी मैं आपको जन्नत की सैर करवाऊंगा
आंटी फिर शर्मा जाती है, और मैं आंटी का हाथ पकड़ लेता हूं।
-सच बताइये आंटी मेरे साथ मज़ा आया ना?
संकुछाते हुए ही सही मधु ने सर हाँ मे हिला दिया और मैं अंदर से पागल होते जा रहा था।
-आंटी सच बताइये अंकल के अलावा कभी किसी के साथ कुछ किया है, अब आप मुझसे मत छिपाइये, मैं थोड़े आपको जज करने वाला हूं
मैं मधु आंटी का जवाब से ज्यादा उनके प्यारे से चेहरे पे उठे भाव को देखना चाहता था, वैसे मधु ने अपना सर हाँ मे हिलाया, और मैं अंदर से ख़ुश हो गया...
मैं आगे बढ़ा और मधु आंटी को चूमने लगा और वो मेरा पूरा साथ देने लगी थी और यही तो मैं चाहता था, मैं आगे बढ़ा और आंटी का हाथ अपने लंड पे रख दिया, और अपना एक हाथ ऑन्टी के कमर पे रखा और उनके कान चबाने लगा।
आंटी की सिसकियां निकलने लगी, और पुरे शिदात से उन्हें गरम कर रहा था।
मधु का हाथ मेरे लंड पे अपने आप चलाने लगा, और मैं समझ गया की रोड गरम है, और मैं मधु आंटी के बच्चे हुए कपडे निकल फेके और खुद अपना पंत और अंडरवियर झट से निकल फेका और हम दोनों बिलकुल नंगे थे।
मधु ऑन्टी शर्मा के सर दूसरी और कर लेती है वहीँ मैं ऑन्टी के पास गया और उन्हें धकेल मैंने बेड पे लेटा दिया और खुद उनके ऊपर चढ़ गया, आंटी का सीना ऊपर निचे हो रहा था वहीँ मेरा लंड उनके पेट पे टकरा रहा था।
-आंटी अब आप छोटी बच्ची तो हैँ नहीं आपको तो इस खेल का सब पता है...
मैं चाहता था की आंटी खुद मेरा लंड अपने चुद मे डाले, और इसके लिए मैं उन्हें उकसाने लगा,
तभी आंटी बहुत धीरे से बोली
-कंडोम चढ़ा लो ना, प्लीज
मैं ये सुन हंस दिया, और आंटी के हो था पे अपने होंठ लगा दिए और अपना लंड पकड़ उसका टोपा आंटी के चुत के मुँह पे सटा दिया और आंटी के मुँह मे अपना जीभ डाल दिया।
मधु ऑन्टी मेरे इस हमाले से पागल हुए जा रही थी, और उनका पूरा शरीर कांपने लगा और जिस चीज का मुझे इंतजार था वो हो गया, आंटी ने मेरे गांड के फँक पकड़ अपना झांघ मेरी और फेका और मेरा लंड सट की आवाज़ के साथ मधु आंटी मे चुत मे दाखिल हो गया, और मधु ने मुझे कस के पकड़ लिया, मुझसे ये बदस्त नहीं हुआ और मैं अंदर घुसाते ही पानी छोड़ दिया, जिस से मधु आंटी अचानक ही बहुत गुस्सा हो गयी और मुझे तेज़ी से धक्का दिया और मैं पीछे खिसक गया।
-हटो मेरे ऊपर से, तूँ तो मेरे पति से गइल गुज़रा है
मैं उनकी बात पे हंस दिया और फिर उन्हें धकेल मैंने ऊके शरीर को बेड पे गिरा दिया और उन्हें चूमने लगा, आंटी सांत हुई और मैं आंटी के ऊपर से उठा और बेड के बगल मे रखा बोतल से पानी पी और एक सिजिरेट जलाया, मुझे ये सब करते हुए मधु आंटी देख रही थी, सिजिरेट पीते हुए मैंने मधु आंटी को भी दी लेकिन उन्होंने मना कर दिया और मैं सिजिरेट पी मुतने बेड मे कोने मे ही मूतने लगा जिसे देख मधु आंटी चौंक गयी, लेकिन मुझे फरक नहीं पड़ रहा था, मैं मूतने के बाद वापस बेड पे आया और मधु आंटी को पकड़ने की कोसिस की तो वो उठ कधी हुई।
-छी कितने गंदे हो तुम, छी छी मुझसे ये सब बदस्त नहीं होगा, मैं जा रही हूं...
ये कह मधु अपना कपड़ा ढूँढाने लगी, और मैं वहीँ कोने मे बैठा एक और सिजिरेट निकला और पिने लगा, और मैं मधु को घूर रहा था, मधु ने झट से अपने सारे कपडे पहन लिए और मेरी और देखा और कहाँ की ये जो आज हुआ वो गलती थी और मुझे भूल जाने को कहा, मैं इस बात पे हंसा और मधु आंटी के पास गया और मैंने दुबारा पकड़े की कोसिस की तो वो फिर पीछे खिसकी, मैं उनका मूड देख समझ गया की सायद हवस उतर चूका है और मैं पीछे हट गया, और मैंने आंटी को कुछ नहीं कहा और वापस बिस्तर पे लेट अपने दुबारा खड़े हुए लंड को सहलाने लगा जिसे देख मधु वही अड़ गयी बेचारी की हालत भी तो पतली थी मैंने ये भाँम्प लिया और अपने बगल के टेबल से नारियल तेल डाल लंड को चमकाने लगा, और मेरी इस हरकत को मधु नज़रअंदाज़ नहीं कर पायी, और मैं खड़ा हो मधु के पास गया और मैंने बड़े प्यार से उसके कपडे उतारे और बेचारी मधु को मैंने बिस्तर पे लेता दिया, और उसके पैर फैला दिए और अपना लंड वापस से उसके चुत पे लगा दिया, मधु मेरी और ना देख इधर उधर देख रही थी, मैं अपना लंड पे जोड़ डाला और चट की आवाज़ के साथ मेरा लंड दुबारा मधु की चुत मे था, मैं कुछ पल संत रहा और फिर मधु आंटी को चोदने लगा, और कुछ ही पल मे मधु आंटी सिसकियां मरने लगी...
-मजा आ रहा है ना आंटी
मैंने छोड़ते हुए मधु आंटी से पूछा तो लज़्ज़त की नज़र से उन्होंने मुझे देखा और मैंने अपनी रफ़्तार तेज़ कर दी...
और मैं और मधु आंटी लज़्ज़तों के समुन्दर मे गोटे खाने लगे...
-आह आह सी सी एह और ज़ोर से
करीब 10 मिनट के घमासान के बाद मैंने वापस मधु ऑन्टी को जोड़ से पकड़ा और उनके चुत पे दुबारा अपना माल भर दिया और मधु ऑन्टी इस दफा ख़ुश दिख रही थी...
-अब बताइये ऑन्टी आपके पति से अच्छा था या ख़राब...
ये सुन मधु आंटी हंस देती है, और खुद अपना कपड़ा पहनने लगाती हैँ, और खुश ही देर मे मैं अकेला कमरे मे था और मैं अपना फ़ोन निकल लेता हूं।
मेरा नाम शालू कुमार हैँ और मैं नवाबों के शहर लखनऊ का रहने वाला हूं, और मैं एक निहायती हरामी आदमी हूं। और मैंने कई अजीब गरीब कारनामा किये हैँ और मेरा नाम इन्ही हराकतों की वजह से अख़बार मे भी आ चुके हैँ...
मेरे बाप ने मुझे घर से निकल दिया था।