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Incest बिल्ला और रंगा के कारनामे

NickCarter

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Dear All
I am starting a new thread for another transliterated story. It is very long and so I thought I should start a new thread. I read this story on the net a few years and found to hot, so I am transliterating it(converting into devnagri font). Let me know how you like it.
Warning: It contains incest and a quite raw and graphic description of sexual acts. Those offended by such things should stay away.

बिल्ला अपने भाई रवि को बीडी देते हुए बोला,

बिल्ला: आज तो नशा ही नही आ रहा है.

और देसी दारु की बोतल-जो कि आधी हो चुकी थी- उसको उठाकर मुँह से लगाकर गटकने लगा. रात के सन्नाटे मे दोनो भाई गाँव की एक पुलिया जो उनकी घर से लगभग २०० कदम की दूरी पर थी, वहा बैठ कर दारु का मजा ले रहे थे और साथ मे बीडी के लम्बे लम्बे कश मारते जा रहे थे.

उनका घर उस पुलिया से साफ नजर आता था. उनका घर खपरेल वाला कच्चा मकान था जिस मे एक बडा सा आँगन था और एक पुराने जमाने का बडा सा दरवाजा था जो कि उन्हे उस पुलिया से खुला दिखाई पड रहा था. दरवाजे के बाहर एक रास्ता था जिसे पूरा गाँव पास की नदी पर जाने के लिये इस्तेमाल करता था. उस नदी का घाट भी बिल्ला और रवि के घर से २०० कदम की दूरी पर ही था. उनका यह घर नदी की तरफ का आखरी मकान था.


जिस पुलिया पर ये दोनो बैठे थे उसके पीछे की ओर आम का काफी बडा बगीचा था और उस बगिचे के पीछे से थोडा बहुत जन्गल शुरु हो जाता था. गाँव काफी छोटा था लगभग ४०-५० मकान बने होन्गे. रवि की उमर लगभग २५ साल के करीब थी और बिल्ला उससे २ साल छोटा था. दोनो भाई बचपन से ही दोस्तो की तरह रहते है और वह ऐसे लगते है जैसे जुडवा हो. दोनो हट्टे कट्टे और मजबूत कद काठी के थे.


बिल्ला: यार रवि, चूत मारने का इतना मन करता है लेकिन कोई चूत का जुगाड ही नही बनता है.

रवि: हाँ यार बिल्ला, उस दिन थोडे पैसे जोडकर चूत के जुगाड मे शहर के रन्डी बजार भी हो आये. लेकिन भोसडी की ने हम दोनो भाई से पैसा ले लिया और दो मिनट मे ही बोल दिया कि चल हट रे हो गया. मेरा तो लन्ड भी ठीक से खडा नही हुआ था. उस कुतिया ने दो दो कन्डोम मेरे लन्ड पर लगा दिये थे. भला तू ही बता, ऐसे दो मिनट मे क्या चुदाई हो पाती है.


बिल्ला: यार चोदने के लिये तो हमारे जैसे मोटे लन्ड को कम से कम दो दो घन्टा तो मिलना चहिये. तभी हम खुश हो पायेन्गे.


रवि: हा यार तू ठीक कहता है. एक बात कहूँ, मै जब भी सुधा काकी की मोटी गान्ड को सोच कर मूठ मारता हूँ तो कम से कम आधा घन्टा तो काकी की मोटी मोटी गान्ड को सोच सोच कर मुठियाने मे लग ही जाता है. तब जाकर मेरा माल बाहर निकलता है. तुझे भी तो इतना ही टाईम लगता है ना?


बिल्ला: हाँ यार. तूने कहा सुधा काकी की बात कर दी, मेरा तो लन्ड कडक होने लग गया है.


और लुन्गी के उपर से दोनो भाई अपने अपने लन्ड को मसलने लगे.


सुधा काकी ५० साल के लगभग की होगी पर साली के मोटे चुचे और फैले हुए भारी भारी चुतड देख कर तो कई मर्दोको ऐसा लगता था कि सीधे जाकर इसकी मोटी गान्ड मे लन्ड पेल दू.


दारु की बोतल से बची हुई दारु गटकते हुए दोनो भाई अपना अपना लन्ड मसल रहे थे.


रवि: यार बिल्ला मेरा लन्ड तो मोटी गान्ड का ही दीवाना है.


बिल्ला: रवि, अरे मेरा भी यही हाल है कि मोटे मोटे चुतड मिल जाये तो फाड कर रख दू. मोटे चुतडो को देख कर तो मेरे मुँह से लार टपकने लगती है.


इन दोनो भाईयो का यह रोज का काम था. दिनभर अपने घर के बाहर लुन्गी पहनकर बैठ जाते थे और अपने गाँव की नदी की ओर जाने वाली सारी औरतो के मटकते चुतड देख देख कर अपना लन्ड मसलते बैठे रहते. जब कोई औरत नही दिखाई देती तो पडोस मे रहने वाली सुधा काकी के आँगन की ओर नजर गडा कर उसके आने जाने का इन्तजार करने लगते. सारे गाँव की औरतो के गदराए अन्गो की चर्चा के अलावा इन दोनो भाईयो के पास कोई काम नही था. इत्तेफाक से दोनो के विचार भी बिलकुल एक जैसे थे. शायद ये इनके खून का असर था. सुधा काकी इन दोनो के सगे ताउ की औरत थी, लेकिन सुधा काकी और इन दोनो की माँ कमला की लडाई काफी पुराने समय से थी. उस लडाई की वजहसे दोनो परिवार के लोगो का आपस मे बोलचाल नही था.

इन दोनो की माँ कमला थोडी मोटी और भरे भरे बदन की एक ४५ साल की औरत थी. उसके दूध और मोटे मोटे चुतडो के मुकाबले पूरे गाँव मे किसी भी औरत के दूध और चुतड नही थे. हा सुधा काकी जरुर थोडा बहुत टक्कर जरुर देती थी लेकिन सुधा काकी अगर १९ थी तो कमला २० थी. कमला का पती मनोहर लाल, जो कि दिन और रात शराब के नशे मे धुत रहता था, उसका अधिकतर समय दारु के ठेके पर ही बीत जाता था. मनोहर लाल के बारे मे गाँव मे एक बात दबी आवाजोमे कही जाती थी कि काफी साल पहले नदी के किनारे के एक पेड के पीछे अपनी माँ गोमती- जो कि अब मर चुकी थी- उस को चोद रहा था जिसे गाँव के कुछ लोगो ने देख लिया था.

कमला अपने बेटो के साथ पास के जन्गल से लकडिया काट कर बेचती थी. थोडीबहुत खेती भी थी जो वो दो भाई मिलकर करते थे. ऐसे उनका गुजारा ठीकठाक चल रहा था. कमला रोज सुबह सुबह घर का सारा काम करके दोपहर का खाना बान्ध कर दोनो भाईयोको अपने साथ ही जन्गल ले जाती थी. फिर वहा दोनो बेटे लकडिया काटने लगते और कमला उन लकडियो के गट्ठे बना लेती थी. शाम तक ये लोग लकडिया लेकर घर आ जाते थे और दुकान मे बेच देते थे. कमला की एक बेटी थी जो बिल्ला से २ साल छोटी थी. अभी तीन महिने पहले ही उसकी शादी हो चुकी थी सो अभी वह अपने ससुराल मे थी.


सुधा काकी का एक ही बेटा था- मदन- जिसकी शादी हो चुकी थी. वह शहर मे किसी कारखाने मे रोज की मजदूरी करके वही रहता था. उसकी बीवी सन्ध्या अपने साँस ससुर के पास गाँव मे रहती थी. वह करीब २८ साल की उमर की होगी.
 
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NickCarter

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Here is the update

एक दिन सुबह सुबह दोनो भाई घर के बाहर बैठे बैठे गप्पे लगा रहे थे.

रवि: यार बिल्ला देख तो, सन्ध्या भाभी लाल घागरा चोली मे क्या मस्त लग रही है.

बिल्ला: सही है यार. कसम से, इसकी चूत भी मस्त लाल होगी. मदन तो शहर मे लन्ड पकडता रहता है. और यह बेचारी यहाँ लन्ड के लिये तरसती रहती है. यार रवि, इसकी ही चूत मारने को मिल जाए तो हमारा भी काम बन जायेगा और इस बेचारी की चूत को भी ठन्डक मिल जाएगी. वह बेचारी हमे दुआये भी देगी कि कोई तो इसकी चूत के बारे मे सोचता है.

गाँव मे सभी औरते ज्यादातर लहन्गा और चोली ही पहनती थी. गाँवकी औरते पँटी या ब्रा कभी पहनती भी नही. सुबह सुबह सन्ध्या पानी भरने के लिये हॅन्डपम्प के पास आ गई तो दोनो भाई उसकी मोटी मोटी छातिया और उसके चिकने पेट और नाभी को किसी भूखे शेर की तरह घूर घूर कर अपना लन्ड मसलने लगे.

सन्ध्या ने अपना घागरा नाभी के काफी नीचे बान्धा हुआ था जिससे उसकी नाभी और पेट ऐसा नजर आ रहा था जैसे कुँवारी लौन्डियो का पेट नजर आता है. दोनो भाई जहाँ कुर्सी डाले बैठे थे, उनकी कुर्सी से हॅन्डपम्प लगभग २० मीटर की दूरी पर था.

बिल्ला: यार रवि, इसको एक बार अपना काला और मोटा लन्ड निकालकर दिखा दू क्या? साली अभी पानी भरते भरते पानी पानी हो जाएगी. देख क्या मस्तानी चुचिया उपर नीचे होती है जब ये हॅन्डपम्प चलाती है. सच कहूँ रवि, अगर इसको हम यह बता दे कि जिस हॅन्डपम्प के डन्डे को इसने पकड रखा है वह बिलकुल हमारे लन्ड की मोटाई का है तो यह डर के मारे हॅन्डपम्प का डन्डा छोड देगी और फिर कभी पानी भरने नही आएगी.
यह कहकर बिल्ला जोरसे हसने लगा.

रवि: हा हा हा...... तू ठीक कहता है बिल्ला, इतना मोटा डन्डा तो सुधा काकी ही पकड सकती है. पर वो साली भोसडी की जाने कहा गान्ड मरवा रही है, नजर नही आ रही है.

तभी सन्ध्या पानी की बालटी लेकर अपने आँगन मे चली गई और वहा से सुधा काकी अपने मोटे मोटे चुतड मटकाते हुई बाहर बरामदे मे झाडु लगाने लगी. सुधा काकी के मोटे मोटे चुतड देख कर बिल्ला और रवि का लन्ड झटके मारने लगा.

बिल्ला (अपना लन्ड मसलते हुए)- हाय मेरी रानी कितनी मोटी और चौडी गान्ड है तेरी....... हाय रवि एक बार इस घोडी की मोटी गान्ड मिल जाये तो साली की गान्ड मार मार कर लाल कर देन्गे.

तभी सुधा काकी उनकी ओर मुँह करके झाडु लगाने लगी, जिससे उसके मोटे मोटे स्तन (मम्मे / बूब्स) आधे से ज्यादा उसकी चोली से बाहर गिरकर झलक रहे थे. उसका चरबी वाला लटका हुआ पेट और गहरी नाभी और पेट के मांसल उठाव को देख कर दोनो भाईयो का हाथ अपने लन्ड पर तेज तेज चलने लगा.

रवि: यार बिल्ला सुधा काकी नन्गी कैसी लगती होगी रे, मेरा तो यह सोच सोच कर पानी न निकल जाए.

बिल्ला- चिन्ता मत कर रवि अभी थोडी देर मे भोसडी की नहाने आएगी तब आधी नन्गी तो हो ही जाएगी.
यह कहकर बिल्ला चुपचाप अपने लन्ड को मसलने लगा.

थोडी देर बाद सुधा काकी अपनी चोली और घागरा लेकर हॅन्डपम्प पर आ गई और अपने घागरे को अपने घुटनो के उपर करके बैठ कर कपडे धोना शुरु कर दिया. उसकी गदराई पिन्डलियो और मोटी मोटी गोरी जान्घो को देख कर बिल्ला और रवि के मुँह मे पानी भर गया. सुधा काकी कपडे को ब्रश से घिसती थी तो उसकी बडी बडी पपितो जैसी चुचिया बहुत तेजी से उपर नीचे हिलती थी.

बिल्ला: यार रवि, मादरचोद ५० साल की है पर इसका गदराया शरीर देखकर लन्ड लुन्गी फाडकर बाहर आता जा रहा है.

कपडे धोने के बाद सुधा काकी अपने दोनो हाथो से अपनी चोली के हुक खोलने लगी. अपने दोनो हाथ उपर करके अपनी चोली निकालते वक्त उसकी बालो से भरी बगल देख कर दोनो भाईयो के मुँह से एक सिसकारी निकल गई जैसे ‘आह हा मजा आ गया’.

सुधा काकी की चोली निकलने पर उसकी पहाड जैसी मोटे मोटे चुचिया दोनो भाईयो के सामने आ गई.

सुधा काकी पालथी मार कर बैठ गई. उसका गदराया उठा हुआ पेट गहरी नाभी और मोटे मोटे चुचे बिलकुल नन्गे करके जब वह बैठ गई तो इतनी मस्तानी लग रही थी कि पूछो मत. अगर उसका सगा बेटा भी अपनी माँ को इस हालत मै देख ले तो उसकी अपनी माँ के ऐसे मस्ताने नन्गे बदन से पूरा नन्गा होकर चिपक जाने की इच्छा जरूर जाग जाती.

यही हाल रवि और बिल्ला का था. उनका मोटा लन्ड हल्की हल्की पानी की बुन्दो से चिपचिपाने लगा था.

सुधा काकी ने दो चार मग पानी अपने नन्गे जिस्म पर डाला और फिर साबुन से अपनी चुचिया और पेट पर साबुन मलने लगी. जब वह अपने मोटे पपिते जैसे दूध पर साबुन लगा कर रगडती तो उसके दूध उसके हाथ मे पूरे सम नही पाते थे और साबुन की मसलाई से इधर उधर छलक जाते थे. चुचियोको मसलने के बाद वह अपने उभरे हुए पेट पर साबुन मलने लगी.

बिल्ला- रवि ये भोसडीकी अपने पेट को ऐसे सहला रही है जैसे कह रही हो आ मेरी चूत मै लन्ड डाल डाल कर मेरा पेट और उठा दे.

रवि-(टकटकी लगाए हुए)- हाय बिल्ला क्या मदमस्त घोडी है रे, मेरा तो पानी छूटने की कगार पर है.

तभी सुधा काकीने एक टान्ग लम्बी करके अपने घागरे को जान्घ की जड तक चढा लिया. उसकी जान्घे भरपूर मांसल और गोरी गोरी, बिलकुल कसी हुई लग रही थी.

रवि- बिल्ला इसकी मोटी जान्घे तो दो हाथो मे भी न समाए. फिर इसके चुतड पकडने के लिये कितने हाथ लगाने पडेन्गे.

बिल्ला - अरे रवि एक बात तूने देखी है की औरत की उमर ढल जाती है पर उसकी गान्ड और जान्घो की चिकनाहत वैसे ही रहती है. क्या मस्त चोदने लायक माल है, वाह......इसे छोटा मोटा चुडक्कड चोद ही न पाये, इस मस्तानी घोडी की चूत और गान्ड तो हमारे जैसा मोटा काला लन्ड ही मस्त कर पाएगा.

तभी सुधा काकी ने एक घुटने की जान्घो की जडो तक साबुन लगाने के बाद उस जान्घ को मोडे मोडे दूसरे पैर की जान्घो से भी अपना घागरा हटा कर मोड कर साबुन लगाने लगी. अब सुधा काकी उपर से लेकर पेट और कमर तक तो नन्गी थी ही. साथ ही उसका घागरा उसकी चूत और जान्घो की जडो तक सिमट कर रह गया था और वह अपनी दोनो जान्घो को फैलाए अपनी एडिया पत्थर से घिस रही थी.

बिल्ला- देख रवि ऐसे जान्घे फैला कर बैठी है जैसे कह रही हो की आके घुस जा मेरे मस्ताने भोसडे मे.

सुधा दोनो पैरो के बल बैठ कर पूरी बालटी का पानी एक साथ अपने सर पे डाल कर खडी हो गई. घूमकर रवि और बिल्ला की ओर अपनी गान्ड करके हॅन्डपम्प चलाने लगी. उसका पूरा घागरा गीला होकर उसकी गान्ड से चिपक गया था और उसकी मोटी गान्ड की दरार मे फस गया था. इस स्थिती मे उसकी मोटी गान्ड साफ झलकने लगी थी. ऐसा लगता था जैसे दो मोटे मोटे तरबूज थोडी थोडी गॅप मे लगा दिये हो. रवि अपना लन्ड मसलते हुए बोला,

रवि: यार बिल्ला, क्या सोचता है, जा के फसा दू क्या अपना लन्ड इसकी मोटी गान्ड मे. हाय रे, क्या चुतड है रे......ये तो मादरचोद हमारी जान लेने पर तुली है. यार बिल्ला इसको हमने हमेशा हर तरह से नन्गी नहाते देखा है लेकिन इसका भोसडा और इसकी मोटी गान्ड नन्गी देखने को कभी नही मिली. यार कुछ चक्कर चला कर इसकी मोटी गान्ड और उसका छेद देखने का बडा दिल कर रहा है. यार एक आयडिया है मेरे दिमाग मे, बताऊ?

बिल्ला - हा तो बता न यार.

रवि- सुन यह रोज पुलिया के पीछे के खेत मे शौच करने जाती है बस यही एक तरीका है इसकी गान्ड देखने का. वहा आसपास काफी पेड भी है वही छुप कर हम इसकी गान्ड देखने कल चलते है.

बिल्ला - ठीक है कल ही इसकी गान्ड का भरपूर मजा लेकर इसकी गान्ड देखते हुए वही पर मूठ मारेन्गे.

गाँव मे अक्सर औरते अपनी चोली खोलकर वही नहा लिया करती है. सुधा काकी ने अपने उपर अब मग से पानी डालना शुरु कर दिया और फिर अपना घागरा ढीला करके एक दो मग पानी अपने घागरे के अन्दर चूत के उपर भी डाला. तभी गाँव की एक दो औरते और आ गई और वो भी वही कपडे धोने लगी और अपनी अपनी चोलिया उतार कर नहाने लगी. उनके दूध और गान्ड का भरपूर आनन्द लेने के बाद वो सारी औरते चली गई. अब हॅन्डपम्प पर कोई नही बचा.

बिल्ला - अभी लन्ड हिला ले क्या.

रवि- नही यार, जब तक माँ को नन्गी हम दोनो नही देख लेते तब तक हमर माल निकलता ही कहा है.
उन दोनो ने अपनी गर्दन अपने घर के दरवाजे की ओर घुमा दी और अपने घर के आँगन मे देखने लगे.
 
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NickCarter

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Sorry for the delay friends. Here is the next update.

कमला घर के आँगन मे झाडु मार रही थी. कमला की मोटी गान्ड के मुकाबले पूरे गाँव मे किसी भी औरत की गान्ड नही थी. मोटी मोटी केले के तनो जैसे मासल जान्घो के उपर उसके मोटे चुतड जरुरत से ज्यादा बाहर की ओर उठे हुए थे. बिलकुल गोल शेप लिये हुए उसकी गान्ड के पट और गान्ड के बीच की दरार इतनी ज्यादा विपरीत दिशा मे फैली हुई थी कि खडे खडे लन्ड गान्ड मे घुस सकता था. जब वह झुक कर झाडु मार रही थी तो उसके विशाल मोटे चुतड और ज्यादा बाहर की ओर निकलकर उसके चलने के साथ थिरक रहे थे.

बिल्ला - अपनी माँ की मोटी गान्ड जैसी गान्ड तो इस दुनिया मे कही नही होगी. इन मोटे मोटे चुतडो को देख कर तो लगता है मेरे लन्ड की नशे फट जाएगी.

रवि- बिल्ला मुझे तो लगता है की अभी जाकर माँ का घागरा उठा कर अपना मोटा काला लन्ड सीधे गान्ड मे फसा दू. यार बिल्ला माँ के ये मोटे मोटे चुतड देख देख कर मेरा लन्ड लगता है लुन्गी मे छेद कर देगा.

बिल्ला- हा यार रवि तू ठीक कहता है. मुझे तो माँ की मोटी गान्ड मे अपना मुँह भरने का बहुत मन होता है. अगर यह नन्गी होकर हमारे सामने आ जाये तो इसको दिन रात चोदते ही रहेन्गे.

रवि- बिल्ला यह नन्गी कैसी दिखती होगी रे, मै तो माँ को पूरी नन्गी करके देखने के लिये मरा जा रहा हूँ.

कमला झाडु मार कर सीधे उनकी ओर मुँह करके खडी हुई तो उसका पेट दोनो भाईयो के सामने आ गया. कमला अपनी फूली हुई चूत से बस दो इन्च उपर अपना घागरा बान्धती थी. उसका पेट काफी चरबी के कारन उठा हुआ था. ऐसा नन्गा पेट देख कर अच्छे अच्छे तपस्वी अपना लन्ड मुठियाने लगते. कमला की नाभी इतनी बडी और गहरी थी कि किसी भी जवान लन्ड के टोपे को अगर नाभी मे डाला जाए तो उसका टोपा नाभी मे फिट हो जाए.

बिल्ला- यार रवि माँ का उठा हुआ पेट देख कितना गदराया हुआ लगता है. ऐसा लगता है जैसे ६ माह की गर्भवती हो. सोच रवि जब अपनी माँ का पेट और नाभी इतनी मस्त और विशाल है तो इसकी चूत कितनी फूली हुई और बडी होगी.

रवि - बिल्ला सिर्फ उतना ही नही, अपनी माँ के दूध भी कितने मोटे मोटे और बिलकुल तने हुए है. एक एक दूध ५-५ किलो का होगा और निप्पल कितने तने हुए और बडे बडे है. उस दिन जब हमने माँ को हॅन्डपम्प मे नहाते देखा था तब इसके मोटे दूध और निप्पल देख कर मन करने लगा की हम दोनो भाई एक एक दूध को अपने दोनो हाथो से पकडकर भी दबायेगे तो हमारे दोनो हाथो मे नही समायेगे. और निप्पल तो इतने मोटे मोटे है जैसे बडे बडे आकार के बेर होते है. अभी भी इसके दूध मे कितना रस भरा हुआ है.

बिल्ला- अरे रवि जब ये कल नहा रही थी तो इसकी जान्घो के पात देख कर मेरे मुँह मे तो पानी आ गया था. ऐसे मोटी मोटी केले के तने जैसे गोरे गोरे जान्घो के पात को अपने हाथो से मसलने और दबाने मे काफी मजा आ जायेगा.

रवि- चिन्ता मत कर बिल्ला. अब इसके नहाने का टाईम हो रहा है. आज फिर हम दोनो इसके मस्ताने नन्गे बदन को देख कर लुन्गी मे ही अपना पानी निकाल लेन्गे.

बिल्ला- रवि मुझे तो याद भी नही है की हमने अपनी माँ की मांसल जवानी का मादक रुप देख देख कर कितनी बार अपना पानी छोडा होगा.

रवि- बिल्ला अपनी माँ की गान्ड और चूत सून्घने और चाटने का बडा मन करता है यार. माँ की फूली हुई चूत और मोटी गान्ड की क्या मदमस्त खुशबू होगी. मै तो उसको नन्गी करके उस पर चढने के लिये मरा जा रहा हूँ.

दोनो भाईयो के काले और मोटे लन्ड अपनी माँ की गदराई जवानी देख देख कर लार टपका रहे थे. तभी कमला कुछ कपडे लेकर हॅन्डपम्प की ओर आ गई.

कमला- रवि और बिल्ला, क्यू रे, तुम दोनो नही नहाओगे. चलो जल्दी नहा लो फिर हमे जन्गल भी चलना है.

फिर कमला हॅन्डपम्प के पास आकर कपडे रख कर बैठ गई और उसने कपडे धोना शुरु कर दिया. रवि और बिल्ला दोनो के लन्ड खडे थे. वो दोनो सोच रहे थे कि कैसे लुन्गी उतार कर केवल कच्छे मे जाए, हमारा मोटा लन्ड तो खडा है.

बिल्ला- रवि अरे चल, आज अपनी माँ को भी अपने मोटे लन्ड के दर्शन करवा देते है. शायद इसकी भी फूली हुई चूत हमारे काले डन्डे को देख कर फडकने लगे. अगर यह हम दोनो से चुदवा ले तो फिर घर मे ही मोटी गान्ड और चूत का जुगाड हो जायेगा. इस तरह दोनो भाई एक साथ रात भर अपनी गदराई माँ को चोदते पडे रहेन्गे.

यह सुनकर रवि उठ कर खडा हो गया और दोनो भाई अपनी अपनी जगह से उठ कर हॅन्डपम्प के पास आकर पानी भरने लगे. इसी अवस्था मे वो दोनो अपनी माँ के सामने खडे हो गये. कमला अपने कपडे धो चुकी थी और उसने रवि और बिल्ला से कहा,

कमला- लाओ तुम्हारी बनियन और लुन्गी भी दे दो, धो देती हूँ.

दोनो भाईयो ने अपनी अपनी बनियन और लुन्गी खोल दी. अब तक उनका लन्ड थोडा ढीला पड चुका था. कमला ने उनकी लुन्गी और बनियन धो दी और दोनो मुस्टन्डो को कहा,

कमला- अब खडे क्या हो, चलो जल्दी से नहा लो.
यह कहते हुए कमला अपनी चोली के हुक खोलने लगी. जैसे ही उसने अपने दोनो हाथ उठाकर अपनी चोली खोली उसके मोटे मोटे पपिते एक दम से बाहर आ गये. अपनी माँ के मोटे मोटे पपितो और गदराए उठे हुए पेट देखकर रवि और बिल्ला का लन्ड एक दम से खडा हो गया. कमला की नजर भी अपने दोनो बेटो के मोटे मोटे लम्बे डन्डे पर पडी तो उसका मुँह खुला का खुला रह गया. दोनो भाई अपनी नन्गी माँ को देख कर अपने लन्ड को खडा होने से रोक नही सके थे और उनका लन्ड फुल्ल अवस्था मे आकर झटके मारने लगा था. कमला एक टक बडे गौर से उन दोनो के मोटे डन्डे को देखे जा रही थी. तभी दोनो भाई जल्दी से पालथी मार कर बैठ गये और अपनी माँ की मोटी चुचियो और उठे हुए पेट को देखते हुए उसका चेहरा देखने लगे जो कि उनकी मोटे लन्ड के दर्शन से लाल हो चुका था. तभी कमला ने मेहसूस किया कि दोनो भाई उसके गदराए बदन को घूँर रहे है. वह अपने बेटो के चेहरो को देख कर शरमा गई की कैसे अपनी खुद की माँ को अधनन्गी देख कर इनका लन्ड खडा हो गया है. उसके चेहरे पर एक हलकी सी मुस्कान आ गई.


कमला को चुदे हुए एक जमाना बीत गया था. मनोहर लाल अपनी जवानी मे ही शराब के प्रती समर्पित हो गया था. वह कमला की जवानी को केवल सुलगा कर छोड चुका था. कमला अपनी फूली चूत की प्यास अपने मन मे दबा कर ही अपनी जिन्दगी गुजार रही थी. पर आज कुछ ऐसा हुआ था कि अपने दोनो हट्टे कट्टे बेटो के मोटे झूलते हुए लन्ड को देख कर उसकी फूली हुई चूत मे कुछ कुलबुलाहट सी होने लगी थी. वह अपना सन्यम खोने लगी थी. न चाहते हुए भी उसका हाथ एक बार अपनी चूत को घागरे के उपर से थोडा खुरेदने के लिए चला गया और दोनो भाई उसकी इस हरकत को देख कर उसके मन की स्थिती को खूब अच्छी तरह भान्प चुके थे. उनका मोटा लन्ड बैठे हुए भी उनकी कच्छे मे तम्बु की तरह तना हुआ था. और वह बिना कमला की परवाह किए अपने शरीर पर साबुन मलते हुए अपनी माँ की मोटी मोटी गदराई चुचियो को देख देख कर मजा ले रहे थे. कमला की नजरे अपने बेटो के मोटे लन्ड पर बार बार जाकर टिकी जा रही थी. वह भी अपने आप को रोक न सकी और अपने गोरे गदराए बदन पर पानी डाल कर अपनी मोटी चुचियो पर साबुन लगा कर उन्हे कस कस कर रगडने लगी. अपनी चुचियो को अपने हाथो से दबा दबा कर रगडती हुई बोला,

कमला- सारा दिन झाडू लगा लगा कर कर कितना मैल शरीर मे जमा हो जाता है.

अपने हाथो को उठा कर अपनी बगल मे हाथ फेरने लगी. बिल्ला और रवि ने जब अपनी माँ की बालो से भरी बगल देखी तो उनका लन्ड झटके दे दे कर हिलने लगा. दोनो भाई साबुन लगाते लगाते बीच बीच मे अपने लन्ड को भी मसल देते थे जो कमला की चूत से पानी बहाने के लिये काफी था.

कमला ने अब अपनी दोनो जान्घो को थोडा फैला कर अपने घागरे को घुटनो की जडो तक चढा कर अपनी गोरी गोरी पिन्डलियो और गदराई जान्घो पर साबुन लगाना शुरु कर दिया. दोनो भाइयो का मन कर रहा था कि अपनी माँ को यही लिटा कर उसके नन्गे बदन पर चढ कर उसे अभी चोद दे.
बीच बीच मे कमला अपने घागरे को, जो की दोनो जान्घो के बीच उसकी चूत के पास सिमट गया था, अपनी चूत पर दबा कर अपनी जान्घो को अपने दोनो बेटो को दिखा दिखा कर रगड रही थी. फिर अपनी जान्घो पर जब उसने पानी डाला तो उसकी गोरी मोटी मोटी जान्घे चमकने लगी. तभी कमला ने कहा,
कमला- अरे बिल्ला, जरा मेरी पीठ तो रगड दे.

बिल्ला ‘अच्छा माँ’ कहता हुआ खडा हो गया. ऐसा करनेसे उसका मोटा डन्डा उसकी माँ के सामने तन गया जिसे कमला देख कर सिहर गई और उसकी चूतसे पानी बहने लगा.

बिल्ला जल्दी से अपनी माँ की नन्गी पीठ के पीछे अपने दोनो पैरो के पन्जो पर बैठ गया. उसने अपनी माँ की गोरी गदराई पीठ को बडे प्यार से सहला सहला उसे रगडने लगा और उसकी जवानी का मजा लेने लगा.

कमला - अरे बेटा थोडा तगडा हाथ लगा कर मसल, बडा मैल हो जाता है पीठ पर....

बिल्ला अपनी माँ की पीठ से बिलकुल लिपट कर तगडे तरीके से उसकी गदराई पीठ पर हाथ फेरने लगा. उसका खडा लन्ड उसकी माँ की कमर पर चुभने लगा. अपने बेटे के मोटे लन्ड की इतनी गहरी चुभन को महसूस करते ही कमला का हाथ अपने बस मे नही रहा और उसने एक बार फिर अपने हाथो के पन्जो से अपनी चूत को दबोच लिया. बिल्ला अपनी माँ की पीठ रगडता हुआ उसके बगल तक अपना हाथ भरने की कोशिश करने लगा. कमला ने अपने हाथो को थोडा फैला दिया और बिल्ला अपनी माँ की उठी चुचियो को भी साईड से महसूस करने लगा.

कुछ देर पीठ रगडने के बाद कमला ने कहा

कमला-चल अब जल्दी से नहा लो बेटा फिर हमे जन्गल भी चलना है.

कमलाने खडी होकर अपना नाडा खोल दिया और मग से पानी भर कर अपने बेटो के सामने अपने घागरे के अन्दर एक दो मग पानी डाल कर घागरे के उपर से खडे खडे अपनी चूत को एक दो बार मसल डाला. फिर दूसरा मग उठा कर अपने सर पे डाल कर भीगा हुआ घागरा छोड दिया.


दोनो भाई नीचे बैठे होने के कारन दोनो को एक दो सेकन्ड के लिये अपनी माँ की कमर से लेकर पैरो तक पूरी नन्गी चूत, मोटी जान्घे सब कुछ एक पल के लिये आन्खो के सामने आ गया. अपनी माँ की ऐसी गदराई जवानी और फूली हुई चूत देख कर उनके लन्ड झटके मारने लगे.

कमला दोनो के चेहरे देखकर थोडा मुस्कुराई और फिर कपडे उठाने के लिये जैसे ही झुकी उसकी मोटी गान्ड दोनो के मुँह से सिर्फ ४ इन्च की दूरी पर थी जिसे दोनो आँखे फाड फाड कर देख रहे थे. तभी कमला ने अपना हाथ अपनी गान्ड के पीछे लाकर अपनी गुदा को अपनी चारो उन्गलियो से रगडा, जैसे गीली गान्ड का पानी पोछ रही हो, और कपडे उठा कर खडी होकर अपने घर के दरवाजे की ओर चल दी.

कमला द्वारा अपनी गान्ड के छेद का पानी पोछने के कारन उसका घागरा उसकी मोटी गान्ड की दरार मे फस गया था. वह अपने बडे बडे मोटे तरबूज से चुतड मटकाती हुई अपने दरवाजे की ओर जाने लगी.

दोनो भाईयो का हाल बेहाल हो चुका था. दोनो अपनी माँ के मटकते मोटे गदराए मांसल चुतडो और उसमे फसे उसके घागरे और उसकी मोटी दरार को देख कर बर्दाश्त नही कर सके और अपना लन्ड हिलाने लगे. घर के अन्दर तक कमला के मोटे मोटे मटकते चुतडो को देख देख कर अपना पानी छोडने लगे. दोनो भाई अपनी माँ के मोटे चुतडो को देख कर तबियत से झडे और फिर एक दूसरे को देख कर मुस्कुराते हुए बोले,

बिल्ला- यार आज तो मजा आ गया .

फिर दोनो नहा कर तैयार होकर अपने कपडे पहनकर अपनी माँ के साथ जन्गल की ओर कुल्हाडी और रस्सिया लेकर चल पडे.
 

NickCarter

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Here is the update
आगे आगे कमला अपने भारी भरकम मोटे मोटे चुतड हिलाती चल रही थी. पीछे पीछे उसके दोनो बेटे बिल्ला और रवि चले आ रहे थे. दोनो की कातिल निगाहे अपनी माँ की मस्तानी लचकती गान्ड पर थी. चलते चलते उनके कपडे से उनके डन्डे सीधे खडे नजर आ रहे थे. माँ उनके थोडे ही आगे थी इसलिए दोनो कुछ बोल नही रहे थे लेकिन अपनी माँ के मस्ताने चुतडो को देख देख कर दोनो मन्द मन्द मुस्कुराते हुए चले आ रहे थे. उनकी नजरे एक दूसरे से बखुबी बाते कर रही थी. वह दोनो अपनी माँ के मांसल चुतडो को देखने मे इतने खोए हुए थे कि उन्हे यह भी नही पता चला की कमला ने पीछे मुड कर उनकी नजर कहा है यह देख लिया था. साथ ही दोनो के मोटे लन्ड- जो सर उठाए खडे थे-उन्हे भी देख चुकी थी. आज जबसे कमला ने अपने दोनो बेटो के लन्ड को देखा था तब से उसकी चूत भी एक तगडे लन्ड के लिये तडपने लगी थी.
इसलिये कमला को अपने दोनो बेटो द्वारा उसकी मोटी गान्ड को देखने पर एक अनोखा आनंद प्राप्त हो रहा था. वह मन ही मन खुश होती हुई अपनी मोटी गान्ड को जानबूझ कर और भी मटका मटका कर चल रही थी. उसके इस तरह के थिरकते और मटकते चुतडो को देख कर दोनो भाई रस से भरे जा रहे थे और उन्हे अपनी माँ घागरे के होते हुए भी नन्गी नजर आ रही थी. दोनो चलते चलते अपने मोटे लन्ड को मसलते जा रहे थे. कमला बीच बीच मे अपने दोनो बेटो को उसकी गान्ड देख देख कर लन्ड मसलते देखकर वह मस्त होने लगी. उसकी चूत भी काफी सारा पानी छोडने लगी और उसे अपनी गान्ड देख कर अपने बेटो के लन्ड मसलने की हरकत ने सनसना दिया था. वह जानबूझ कर चलते हुए अपनी गान्ड मे खुजली करने लगी जिसे देख कर एक पल को तो बिल्ला और रवि को लगा की अभी पकड कर अपनी माँ को पूरी नन्गी करके यही चोद देते है. कमला थोडी थोडी देर मे अपनी गान्ड के छेद मे खुजली करती हुई अपनी मोटी गान्ड ऐसे मटका रही थी जैसे कह रही हो कि आ जाओ और मेरी गान्ड मे लन्ड डालकर मुझे चोद दो.

कमला और उसके बेटो ने घर के सामने वाली पुलिया पार कर ली. फिर आम के बगीचे शुरु हो गये. कमला नीचे गिरे हुए आमो को उठाने के लिये जानबूझ कर झुक गई और अपनी मोटी गान्ड अपने बेटो को दिखा दिखा कर मजे लेने लगी. आम का बगीचा पार करते ही थोडा जन्गल शुरु हो गया. तभी कमला के पैरो मे कोई कान्टा चुभा जिससे वह आआह्ह्ह आहहह करती हुई झुक कर कान्टा निकालने लगी. दोनो भाई ऐसे मौके की हमेशा तलाश मे रहते थे. उन दोनो ने झट से अपनी माँ की मोटी गान्ड पर हाथ फेरते हुए कहा- क्या हुआ माँ.

कमला - अरे कुछ नही बेटा जरा कान्टा चुभ गया.

कमला झुकी हुई कान्टा निकाल रही थी और दोनो भाई प्यार से अपनी माँ के चुतड सहला रहे थे. घागरा बिलकुल पतला होने के कारन बिल्ला ने बडे प्यार से पीछे से अपनी माँ की फूली हुई चूत को अपने पूरे पन्जे से सहलाते हुए कहा

बिल्ला- निकला क्या माँ

कमला- स्स्स्स्स......आआह्ह्ह बेटा, अभी नही निकला रे.

जब की कान्टा निकल चुका था.
तभी बिल्ला ने उसकी गान्डपरसे हाथ हटाया तो रवि ने इस बार अपनी पूरी हथेली को सीधे अपनी माँ की भरी हुई गान्ड पर रख कर दबा कर पूछा,

रवि- क्या नही निकल रहा क्या माँ?

तब तक कमला की चूत से पानी आ गया था और उसके घागरे से लगता हुआ रवि के हाथो मे लग गया था. कमला कुछ न बोलती हुई खडी हुई और सीधी होकर चल दी. तब रवि ने अपने हाथ पर लगे पानी को सून्घ लिया और बिल्ला को भी सुन्घा दिया. कमला ने अपने दोनो बेटो को अपनी चूत का पानी सून्घते देख लिया और उसकी चूत बुरी तरह लन्ड खाने के लिये फडफडाने लगी.
कमला की बुर गीली हो चुकी थी. उससे रहा नही जा रहा था. इतने साल की चुदास अचानक अपने दोनो बेटो के मोटे लन्ड को देख कर भडक उठी थी और उसकी चूत बुरी तरहसे पानी ही पानी फेक रही थी. जब जन्गल मे थोडा आगे पहुँचे तो कमला ने कहा,

कमला-बेटा मुझे बहुत जोरो की पेशाब लगी है.

यह सुन कर दोनो मस्त हो गये.

कमला - बेटा यहाँ कही जगह दिख नही रही है. तुम दोनो एक काम करो, उधर मुँह घुमा लो तो मे पेशाब कर लूँ.

दोनो भाईयोने हामी भर दी और उन दोनो ने अपना मुँह दूसरी ओर घुमा लिया. कमला जानती थी की ये दोनो मुड कर जरुर देखेन्गे इसलिए उसने जानबूझ कर उन दोनो की तरफ पीठ करके बडे आराम से खडे खडे अपना पूरा घागरा अपनी कमर तक उठा दिया. दोनो भाई जल्दी से अपना सर घुमा कर जैसे ही देखा उनका मुँह खुला का खुला रह गया. उनकी माँ पूरी नन्गी थी. उसके मोटे मोटे फैले हुए भारी चुतड और लम्बी लम्बी और काफी ज्यादा गदराई मोटी मोटी जान्घो को थोडा पैर फैला कर कमला धीरे धीरे अपनी गान्ड पीछे की ओर निकाल कर बैठने लगी. उसकी गान्ड का गहरा मोटा छेद और पूरे एक बित्ते की फूली हुई चूत और चूत की फटी फान्को के बीच गुलाबी कलर का बडा सा छेद देख कर दोनो का लन्ड झटको पर झटके मारने लगा. उनकी माँ अपने भारी भरकम चुतडो को फैलाकर मूतने बैठ गई. दोनो भाई अपनी फटी फटी आन्खो से अपनी माँ की मोटी मोटी गान्ड को देखकर अपना लन्ड कपडोके उपरसे मसलने लगे. उनका मोटा काला लन्ड १० इन्च लम्बे और ३ इन्च मोटे डन्डे जैसे खडा था. दोनो भाई अपनी माँ की मस्तानी गोरी गान्ड देखकर पागल हो गये. उन्होने इतनी मोटी और मस्तानी गान्ड पूरी नन्गी आज तक नही देखी थी. घागरे के उपर से जितनी बडी गान्ड उनकी माँ की नजर आती थी उससे डबल उसके विशाल चुतड नन्गे होकर उन्हे नजर आ रहे थे. तभी कमला की फूली हुई चूत से एक मोटी धार एक सीटी की आवाज के साथ निकलने लगी जिसे देख कर दोनो भाई के लन्ड के टोपो का रन्ग लाल हो गया. दोनो अपने लन्ड को तेजी से झटके मारने लगे.

करीब २ मिनट तक कमला आराम से बैठी मूतती रही. फिर जब खडी हुई तो अपने घागरे से अपनी चूत दोनो टान्गे फैलाकर थोडा झुक कर पोछने लगी. दोनो भाई ने झटसे अपना सर वापस पीछे घुमा लिया. लेकिन उन्हे अपनी तरफ देखते हुए कमला ने देखा तो था. वह मन्द मन्द मुस्कुराते हुए बोली,

कमला- चलो बेटा, मैने पेशाब कर लिया.
तभी रवि बोला,

रवि- माँ हमे भी पेशाब करना है आप भी अपना मुँह उधर घुमा लो.
कमला ने कहा कि ठीक है बेटा कर लो.
दोनो भाई जानबूझ कर थोडा सा मुडे ताकि उनकी माँ उनके लन्ड को आराम से देख सके. अपना सर नीचे झुकाकर दोनो ने जब अपने खडे काले काले लन्ड बाहर निकाले तो कमला उनका लन्ड देखती ही रह गई. उसकी आँखे फटी की फटी रह गई क्योन्कि उसने भी अपने जीवन मे इतने मोटे और बडे लन्ड कभी भी नही देखे थे. अपने सामने एक नही दो दो मोटे काले डन्डे और उस पर बडा सा लाल रन्ग का सुपडा देख कर कमला के मुँह मे पानी आ गया. उसकी बुर अपने बेटो का मोटा काला लन्ड देखकर फडकने लगी. दोनो भाई अपनी माँ के लाल हुए चेहरे को देखने लगे. कुछ देर बाद उन्होने अपने अपने लन्ड को वापस अपनी कपडेमे छुपा लिया.

कमला ने जल्दी से अपना मुँह आगे की ओर किया. दोनो भाई अपनी माँ के पास पहुच कर दोनो ने एक एक हाथ से अपनी माँ के चुतडो को हाथ लगा कर आगे की ओर ढकेलते हुए कहा,

रवि- चल माँ हम पेशाब कर चुके.

जब दोनो ने अपनी माँ के मोटे मोटे चुतडो को छुआ तो दोनो ही सिहर गये. यह ऐसा एहसास था जैसे कोई जबरदस्त कसी हुई गान्ड की औरत सिर्फ साडी पहने हो और उसके चुतडो को सहलाओ तो कैसा एहसास होता है. क्योन्कि उनकी माँ ने केवल घागरा पहना था. घागरे का कपडा काफी चिकना और पतला था.
कमला चलते हुए अपने बेटो के सामने अपनी गान्ड ऐसे मटका कर चल रही थी जैसे अभी अपनी गान्ड मरवा लेगी. दोनो भाईयो के मोटे लन्ड बैठने का नाम नही ले रहे थे और उनकी माँ उन्हे नन्गी नजर आ रही थी. वह दोनो बडे गौर से अपनी माँ के मस्ताने चुतडो को देखते हुए उसकी गान्ड के पीछे चले आ रहे थे.

जन्गल पहुँचकर दोनो भाईयो ने अपनी कपडे बदलकर लुन्गी पहन ली. लुन्गी को अपनी जान्घो तक मोड कर बान्धकर पेड पर चढ गए और सुखी सुखी टहनी काटने लगे.
कमला नीचे बैठ कर लकडिया समेटने लगी. करीब दो घन्टे तक लकडिया काटने के बाद कमला ने कहा,

कमला- अब तुम दोनो नीचे आ जाओ, खाना खा लो.
कमला ने अपने साथ लाई हुई रोटिया और साग निकालकर दोनो बेटो को दिया और खुद भी खाने लगी. खाना खाने के बाद एक पेड की छाया के नीचे कमला लेट गई और दोनो बेटे उसके पैरो की ओर पेड से टिक कर बैठ गये. कुछ देर पेड की छाव मे लेटे लेटे कमला ने आँखे बन्द करते हुए बोला,

कमला-बेटा मे थोडा थक गई हूँ तो एक घन्टा सो जाती हूँ. तुम दोनो कही जाना नही.

बिल्ला- ठीक है माँ तुम सो जाओ हम यही बैठे है.
कमला ने अपनी आँखे बन्द कर ली लेकिन उसकी आँखो मे नीन्द कहाँ थी? वह आँखे बन्द किये बस लेटी थी लेकिन उसकी आँखो के सामने तो अपने बेटो के काले लन्ड लहरा रहे थे और उसकी बुर चिपचिपा रही थी.

कमला कुछ देर अपने दोनो पैरो को मोड कर पीठ के बल लेटी हुई थी. बिल्ला ने रवि की और इशारा करते हुए-जो की कमला के पैरो के बिलकुल पास बैठा था उसे अपनी माँ के घागरे की ओर इशारा किया. रवि ने उसका इशारा समझते ही अपनी माँ के दोनो पैरो के बीच मे लटके घागरे को धीरे से उठा कर उसके घुटनो मे चढा दिया, जिससे कमला के पैरो के बीच की जगह से पूरा घागरा उठ गया. अब दोनो भाई चुपके से एक एक कर के अपनी मुँह अपनी माँ की दोनो टान्गो के बीच घुसा कर अपनी माँ की फूली हुई चूत देखने लगे. अन्दर जो नजारा था उसे देखकर उनका मुँह खुला का खुला रह गया. उनके माँ की चूत बिलकुल पाव रोटी की तरह गदराई और फूली हुई थी जिसके बीच एक लम्बी लकीर उसकी चूत को बीच से चीर कर गान्ड के छेद से मिल रही थी. यह सीन देख कर उनके लन्ड झटके मारने लगे और दोनो ने अपने अपने लन्ड अपनी लुन्गी से निकालकर अपने हाथ मे ले लिये और वही बैठे बैठे हिलाने लगे.

बिल्ला धीरे से बोला,

बिल्ला- यार रवि अपनी माँ की चूत कितनी गदराई हुई है. मेरा लन्ड देख, अपनी माँ की चूत को फाडने के लिये मचल रहा है.

जन्गल के शान्त वातावरन मे उन दोनो की कामुक बाते कमला को साफ सुनाई दे रही थी. उसने धीरे से अपनी आन्खो को थोडा खोल कर देखा तो दोनो के काले काले मोटे लम्बे लन्ड देख कर कमला के मुँह मे पानी आने लगा. उससे रहा नही गया. वह अपनी चूत खूब नन्गी कर के अपने बेटो को दिखाना चाहती थी. तभी उसने धीरे से अपनी जान्घो को थोडा फैला दिया जिससे उसकी फूली हुई चूत की फान्के पूरी तरह खुल गई. उसकी चूत का गुलाबी रस से भरा छेद दोनो भाईयो के सामने खुल गया जिसे देख कर दोनो भाईयो के आन्खो मे लाल डोरे तैरने लगे. उन दोनो ने अपने लन्ड को अपनी माँ की फटी हुई चूत देख कर तबियत से मुठियाना चालु कर दिया. कमला उनके लन्ड देख देख कर बैचैन हो रही थी और उसका मन कर रह था की अभी के अभी इन दोनो मुस्टन्डोके मोटे लन्ड उसकी चूत को फाड फाड कर खूब कस कस कर चोदे. तभी रवि ने धीरे से कमला को ‘माँ,माँ ’ पुकारते हुए अन्दाजा लिया. जब कमला की तरफ से कोई जवाब नही मिला तो रवि ने उसकी दोनो जान्घो को और खोल दिया. कमला ने भी अब अपने पैरो को पूरा फैला कर पसार दिया जिससे उसकी फैली हुई फान्के बिलकुल अलग हो कर अपनी चूत का पूरा गुलाबी कटाव और काफी तना हुआ लहसुन अपने बेटो को दिखाने लगी. उसकी जान्घो के बीच इतना गॅप हो चुका था कि पूरी चूत साफ दिखाई दे रही थी.

बिल्लाने धीरे से अपने घुटनो के बल बैठकर अपनी माँ के घागरे मे अपना मुँह भर लिया. अपनी नाक को वो अपनी माँ की फूली हुई खुली चूत के बिलकुल पास ले गया और बहुत तेजी से साँस खीच कर अपनी माँ की फटी हुई चूत को सून्घने लगा. उस गन्ध ने उसे बिलकुल मदहोश कर दिया. वह खूब जोर जोर से साँस ले ले कर अपनी माँ की फूली हुई चूत की मादक गन्ध को सून्घने लगा. बिल्ला जब अपनी नाक से साँस लेकर अपनी माँ की फूली हुई चूत सून्घता फिर साँस छोडता जिससे कमला की खुली हुई चूत पर गरम गरम साँसो की हवा पडने लगी. वह समझ गई कि उसका बेटा उसकी चूत के बिलकुल नजदीक अपनी नाक लगा कर उसकी चूत की मादक गन्ध को सून्घ रहा है. इस खयाल से तो वह इतनी बेचैन हो गई की उसकी चूत से पानी बह बह कर उसकी गान्ड के छेद तक पहुँच गया. फिर रवि ने पीछे से हाथ लगा कर बिल्ला को इशारा किया तो बिल्ला ने अपनी माँ के घागरे से अपना मुँह बाहर निकाला. फिर रवि ने अपना मुँह अपनी माँ के घागरे के अन्दर डाल कर उसकी चूत की मादक गन्ध को अपनी नाक से सून्घना शुरु कर दिया.

करीब आधे घन्टे तक दोनो भाई बारी बारी से अपनी माँ की चूत सून्घते रहे. वो दोनो उसे चोदने के लिये मरे जा रहे थे. और दोनो कहते जा रहे थे कि यार हमारी माँ की चूत कितनी मस्त और फूली हुई है अगर यह एक एक बार हम दोनो भाईयो का लन्ड अपनी चूत मे घुसाकर मरवा ले तो फिर हम इसे दिन रात अपने घर मे नन्गी रख कर दिन रात इसकी फूली हुई चूत मारेन्गे.

कमला अपने बेटो द्वारा खुद की चूत मारने की बात सुन कर सनसना गई और उसे लगा जैसे पडे पडे ही उसकी चूत से पेशाब निकल जायेगा. दोनो भाई अपनी माँ को चोदने की खुली बाते कर कर के पागल हो रहे थे. फिर जब उनसे बर्दाश्त नही हुआ तो वही अपनी माँ की फूली हुई चूत को देखते हुए दोनो भाई ने तबियत से अपना लन्ड हिलाया और अपना सारा माल छोड कर हाफने लगे.

जब कमला को एहसास हो गया की दोनो ने उसकी चूत को देख देख कर मुठ मार ली है तब थोडा कसमसाकर सोये से उठने का नाटक करती हुई उठ बैठी.

कमला-तुम दोनो कही गये तो नही थे ?

रवि- नही माँ हम दोनो तो तेरे पैरो के पास ही बैठे थे.

कमला-अच्छा चलो अब लकडिया रस्सी से बान्धो और चलने की तैयारी करो, नही तो शाम हो जाएगी.
दोनो भाई अपनी लुन्गी ठीक करते हुए लकडियो के गट्ठे बनाने लगे. सबसे छोटा गट्ठा अपनी माँ के सर पे लाद दिया और बडे बडे गट्ठे अपने सर पर लाद कर अपनी माँ को आगे चलने को कह कर पीछे पीछे चलते हुए अपनी माँ के गदराए चुतडो को देखते हुए घर की ओर चलने लगे.
 

NickCarter

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Guys I have already written the complete story. Please let me know if you would like to receive further updates
 

MS DHONI

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Yes bro i want you to continue & give regular updates....I would love to enjoy this story....1st you post 2-3 updates & then comments will flow...Best of luck for the would be amazing narration..
:party:
 
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Hotttt story
 

sunoanuj

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Mitr dete raho updates bahut hee badhiya kahani hai ...
 
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