अध्याय 6
आज भी घर आकर मुझे काजल का वैसा ही प्यार मिला जैसा रोज मिलता था,लेकिन आज मैं एक बोझ में था उस हकीकत का बोझ जो अभी मेरी कल्पनाओ में था,काजल के चहरे पर कोई सिकन न थी न ही कोई ग्लानी के भाव,वही मुस्कुराता मासूम सा चहरा,वही नश्छल आँखे,मैं उसका चहरा देखता ही रहा अपलक निर्विचार,
क्या देख रहे है आप,आज कुछ खामोश से है,कोई प्रोब्लम है क्या ऑफिस में,
नहीं बस सोच रहा था की तुम कितनी सुंदर हो,क्यों हो इतनी मासूम,इतनीं निश्छल,इतनी पावन,
काजल ने मुझे घुर कर देखा,.क्या हुआ है आपको
कुछ नहीं आज कोई आया था क्या नहीं तो क्यों बस ऐसे ही
काजल को शक तो था की मुझे कुछ हुआ है पर मैं उससे क्या कहता की मैं तुमपे शक कर रहा हु, क्या पूछता उससे की क्या वो किसी गैर मर्द के साथ,,छि छि मैं इतना कैसे गिर सकता हु की काजल के बारे में ऐसा सोचु..मैं प्यार से काजल के पास गया और उसे अपनी बाहों में भर लिया,मेरे आलिंगन में एक गहरा प्यार था जिसका आभाष काजल को हो गया था,उसने अपना सर पीछे करते हुए मेरे होठो को अपने होठो से रगड़ना शुरू कर दिया मैंने भी अपना मुह खोल उसके प्यारे गुलाबी लबो के रस का पान करने लगा…
हम डायनिंग टेबल के पास खड़े हो अपनी प्रेम लीला में खोये हुए थे,ये तन्द्रा तब टूटी जब प्यारे खासते हुए कमरे में प्रवेश किया,काजल तुरंत मुझसे दूर हो गयी उसकी आँखे शर्म से झुक गयी,मैं भी थोडा शर्मिन्दा हुआ पर जब मैंने प्यारे को देखा तो मै निश्चिंत हो गया क्योकि वो एक आश्चर्य से हमें निहार रहा था जैसे पूछ रहा हो क्या हुआ ऐसे क्यों रियेक्ट कर रहे हो..
रात मैंने काजल को जी भर के प्यार किया पर आज मैं बहुत उतावला दिख रहा था काजल के कई बार मुझसे कहा की आराम से मैं कही भागे थोड़ी जा रही हु पर मेरा दिल कहता रहा इसे दूर मत कर जैसे अगर मैं उससे दूर हुआ तो कभी मिल नहीं पाउँगा,मैं उसके जिस्म को घंटो तक चूमता ही रहा हर कोनो को चूमता रहा मेरे लार से उसका पूरा बदन चिपचिपा हो गया था ऐसी कोई जगह न बची थी जो मैंने अपने लार से भिगोया न हो,…
आज काजल की गहरइयो में न जाने कितने देर तक सैर करता रहा,उसे अपने प्यार से भिगोया उसके शारीर में अपने वीर्य की धार छोड़ी और उसे उसके पुरे शारीर में लगाया,आम तौर पर मैं जो नहीं करता वो सब आज किया और काजल???काजल मेरी बेकरारी से बहुत खुश थी मेरी हरकते उसके चहरे पे मुस्कान ले आती थी और मैं उसकी मुस्कान को देखकर और भी बेताब और उग्र हो रहा था…
आँखे बंद किये हुए उसके चमकीले और लालिमा लिए चहरे पर वो मुस्कान जो प्रियतम के सताने पर प्रिय के चहरे पर आता है वो किसी कत्लगाह से कम कातिल और मैखाने से कम नशीला नहीं होता…
मैं प्यार के नशे में था या काजल के पता नहीं पर मैं नशे में जरूर था और मैं उसी नशे में जिन्दगी भर रहना चाहता था,,..
पर ये नशा कब तक का था ये तो वक्त की बात थी..
अध्याय 7
गहरा प्यार गहरी तृप्ति देता है मानो ध्यान की गहराई हो,इसीलिए तो अनेको तंत्र के जानकर सम्भोग की तुलना समाधी से करते है,मैंने भी काजल के गहरे प्यार में था और अपने जिस्म के परे अपनी रूह का आभास मुझे उसके प्यार में डूब जाने को मजबूर करता था,हमारा मिलन गहरे तलो पर होता था जो मेरे लिए किसी ध्यान या पूजा से कम न थी..उस रात हम सो ही ना पाए,शायद भोर में नींद आई,इतनी गहरी नींद जिसके लिए आदमी तरसता है,मुझे अपने प्यार से ही मिल गया,सुबह सुनहरी थी और मन में कोई ग्लानी के भाव नही थे,प्यार मन को स्वक्छ किये था,
सुबह फिर वही कहानी शुरू हो गयी,मैं सुबह वाक पे निकला और वही पेड़ वही बच्चो का उसे गोदना मैं फिर परेशान हो गया,वो पेड़ मुझे मेरी काजल की याद दिलाता है,कोई उसे चोट पहुचाय मुझे अच्छा नहीं लगता पर कभी कभी ऐसा लगता है की कही कोई मेरी काजल को तो चोट नाही पंहुचा रहा लेकिन काजल के व्यवहार से तो ऐसा नही लगता,और कौन है जो उसे चोट पहुचायेगा कभी मन भारी होने लगता,न जाने क्यों अब हद हो चुकी थी दिल और दिमाग की जंग जारी थी थका देने वाली जंग में आखिर दिल हार ही गया,दिमाग ने कहा एक बार तसल्ली कर ही लेते है दिमाग को तो शकुन मिल जायेगा,
यह शुकून कितना दुःख देने वाला था ये तो मैं नही जनता था लेकिन मैंने फिर अपना लेपटॉप का विडियो ओंन रखने का फैसला किया,ऑफिस से आकर मैंने विडियो अपने मोबाइल में डाल लिया,और रात एक बजे का अलार्म डाल सो गया,दिल इतना मचला हुआ था की नींद ही नही आ रही थी,आज कोई प्यार हमारे बीच नही हुई काजल शायद समझ गयी थी की आज मैं बहुत ज्यादा थका हुआ हु,लगभग एक बजे मैं उठा,अलार्म तो बज ही नहीं पाया था,देखा काजल आज भी नही थी,धडकते दिल के साथ मैं उठा और बिना कोई आवाज किये बाहर आया,काजल वहा नहीं थी,ना ही आहट ही थी,मैं बहार आ गया पर काजल नही दिखी मेरी धड़कने बड़ने लगी एक अजीब घबराहट ने मुझे घेर लिया था,एक अनसुलझी सी पहेली थी मैंने बहुत ही तेज रफ़्तार से अपने कदम बाहर बढाये पुरे बंगले में तलासने लगा कही कोई निशान न मिला,आख़िरकार मैं प्यारे के रूम में पंहुचा काजल की आवाज सुनाई दी दिल को तसल्ली हुई लेकिन अगले ही पल एक अजीब से कशमकश ने मुझे घेर लिया इतने रात को काजल यहाँ क्या कर रही है,दिल की धड़कने तो बड़ी साथ ही आँखों में खून उतर आया था,ये गुस्सा था जलन थी या कुछ और था मुझे नही पता पर मेरा शारीर जल रहा था,मैंने चाहा की जाकर सीधे काजल से पूछ लू ये क्या है पर मेरा दिल किसी भी तरह काजल को दोषी मानने को तैयार ही नहीं हो रहा था,मैं अंदर न जाकर बाहर से ही उनकी बाते सुनने लगा,
क्या करू ये तो पागल ही है,काजल की आवाज गूंजी,ये उसने लगभग खिलखिलाते हुए कहा था
लेकिन बहु रानी लगता नही की साहब आपको जादा प्यार करते है,आप तो उन्हें कितना चाहती है,
मैं सकते में आ चूका था,आखिर ये हो क्या रहा है,
नहीं काका वो मुझपर अपनी जान लुटाते है,उनकी आँखों में मैंने हमेशा अपने लिए सिर्फ प्यार ही देखा है,प्यार को देखने के लिए भी आँखे चाहिए काका काजल के बातो में एक गंभीरता थी,प्यारे ने थोड़ी देर कुछ न कहा फिर अच्छा बहु रानी चाय पियेंगी,आपके लिए लाल चाय बनाऊ ऐसे भी आपको नींद तो आएगी नहीं,
हा चाचा बना दो ना,क्या करू कॉलेज की पुरानी बीमारी है,रात भार नींद नहीं आती,और खामखाह आपको परेशान होना पड़ता है,
आप भी कैसी बाते कर रही है बहु रानी जब से आप आई है मुझे भी लगता है इस दुनिया में मेरा कोई अपना है,वरना….प्यारे की बातो में एक दर्द था,
बस हो गया आज से आप ऐसी बाते नही करेंगे,मैं हु ना,आपके दर्द बाटने के लिए, मैं आपकी हर सेवा करुँगी,काजल फिर हस पड़ी और प्यारे भी,
आप भी ना,मेरे भाग की आप मुझसे दो बाते कर ले,ऐसे बहु रानी मुझे साहब की किस्मत पर जलन होती है,असल में हर इन्सान को हो,आप सी प्यार करने वाली हर किसी के नसीब में नहीं होती,:
मैं वहा खड़ा हुआ खुद अपने नसीब पर फक्र करने लगा,की ऐसी बीबी है मेरी जो नौकर तक का दिल जीत ली है,इतने रात में एक नौकर के रूम में जाना ऐसे तो शक पैदा करता है पर मेरा शक जाता रहा,मैं सामान्य हो गया और वहा से चला गया,लेटे लेटे यही सोचता रहा की काजल इतना प्यार करने वाली है,सबको सम्मान देती है,अपने घर में भी सबकी लाडली है,यहाँ भी,इतने बड़े घर की बेटी इतनी पड़ी लिखी और नौकर के साथ चाय पि रही है,सिर्फ इसलिए की वो अकेला है,उसका दुख दर्द बाँट रही है,लगभग एक घंटे की बेचैनी ने मुझे सोने न दिया ओर काजल भी नहीं आयी मैंने सोचा क्यों न चाचा की चाय मैं भी पी लू,मैं बहार जाने लगा रूम के बाहर रुका एक उत्सुकता लिए की ये लोग क्या बात कर रहे होंगे,पर जैसे ही कानो में काजल की आवाज गूंजी मेरे पैरो की जमीन ही खिसक गयी,
हुम्म्म्मम्म काका हुम्म्मम्म एक नशीली आवाज काजल जैसे पुरे मस्ती में थी,
आह बहु रानी आह क्या जिस्म है तुम्हारा,बिलकुल मक्खन सा,आह आह आह कमरे से सिर्फ सिस्कारियो की आवाज ही नही आ रही थी बल्कि काजल की चुडिया और पायल भी एक लय में खनक रहे थे,छम छम की आवाजे सिस्कारियो से लयबद्ध थी,मैं इतना भी नादान तो नहीं था की उन सिसकियो और आहो का मतलब न समझ सकू मेरी चेतना जाने सी हुई,मैं जमीन में गिर ही गया आँखे पथरा गयी मुझे लगा ये कोई दुखद स्वप्न होगा जो कुछ देर में शायद चला जाय,मैं अपने आप को मारने लगा,ये सोच की अभी मैं जागूँगा और अपने को अपने बिस्तर में पाउँगा,लेकिन मैं गलत था,साली रंडी तुझे तो नंगा करके पुरे शहर में दौड़ाउंगा..आह आह प्यारे के ये शब्द ने मेरे सबर का बांध तोड़ दिया,मेरे आँखों में आंसू थे जो कुछ बूंदों में ही अपना सभी दर्द छिपाए हुए थे,,,,मैं प्यारे को जान से मारना चाहता था,लेकिन
जो आप चाहो कर लो आह,थोडा दम लगाओ न काका,मैं फूल हु मुझे रौंद दो रगडो नकाजल की उत्तेजना अपने चरम में थी,आहो की रफ़्तार में तेजी आ रही थी,मैं ठगा सा खड़ा रहा काजल कितना मजा ले रही है क्या मेरे प्यार में कुछ कमी है,लेकिन अभी कुछ देर पहले तो उसने ही स्वीकारा था की वो मुझसे और मैं उससे बेतहाशा प्यार करता हु फिर क्यों……
मेरे सवालो का जवाब तो काजल ही दे सकती थी या प्यारे,अपने उत्तेजना के चरम पर वो बस आहे भरते रहे और एक पूरा माहोल उन आहो से गूंज उठा काजल को लगने वाले धक्के इतने ताकतवर थे की उसकी आवाज कामरस के चपचपाने की आवाज के साथ बाहर तक आ रही थी,वो सिर्फ वासना से भरो आवाज नहीं थी बल्कि मेरे प्यार का खात्मा था,….एक चीख के साथ ये खेल ख़त्म हुआ पर मैं कुछ बोलने के हालत में नहीं रह गया था,मैं आखो में अपने अरमानो की खाख लिए अपने कमरे में चला गया,मैं कोई सवाल पूछने या उसका उत्तर जानने के स्थिति में नहीं था,मैं अपने ही खयालो में खोया लेटा रहा,बहुत देर हो चुकी थी काजल नहीं आई मैंने अपनी आँखे बंद की ही थी,एक प्यारा सा चुम्मन मेरे माथे में किया गया,इतना प्यार भरा की उसके प्यार की गहराई को मैं समझ सकता था,मैंने आँखे खोली काजल अपने भग्न वेश में मेरे बगल में सोयी थी मैं अब भी उसे कुछ न कह पा रहा था,वो आज भी उतनी है ,मासूम लग रही थी,मैं अपने आप को ये भी न समझा पा रहा था की आखिर ये हकीकत है या कोई सपना,मैं काजल को बस देखता रहा जब तक मेरी आँखे नही लग गयी…………..