parkas
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Bahut hi badhiya update diya hai Hills bhai...बूढ़ा पति पार्ट 3
प्यार की दस्तक
वक्त बीतते बीतते १ साल हो गया। भीमा और निशा आज भी मन्नू को याद करते है। निशा जानती थी की मन्नू कैसे उसे प्यार करना चाहता था लेकिन हो न सका। दोनो पति पत्नी अपने चार बच्चो के साथ खुश थे।
रही बात श्वेता और नटवर को तो श्वेता ने दो हफ्ते पहले नटवर के बच्चे को जन्म दिया। श्वेता ने लड़के को जन्म दिया। दोनो बच्चे को लेकर खुश तो थे लेकिन मन्नू की याद उन्हे भी सता रही थी।
आज पूरी हवेली सजी हुई थी। वजह दो थी। एक श्वेता के बच्चे क्या जन्म। बच्चे का नाम किशन रखा गया। दूसरी वजह थी निशा को 60 करोड़ की डील मिली। इस डील में उसके कंपनी को साड़ी कई देशों में बेचे जानेवाली थी। श्वेता ने किशन को इस डील की सफलता का कारण बताया। हवेली में जश्न का माहोल था। हर तरफ शोर गुल चल रही थी।
उस्मान चाचा और उनकी बेगम अपने पांच बच्चो के साथ आए। निशा ने सभी का स्वागत किया। नटवर और श्वेता बच्चे के साथ लोगो से मुलाकात कर रहे थे।
निशा जरीन के साथ बगीचे में थी।
"बताओ जरीन कैसी कट रही है जिंदगी ?" निशा ने पूछा।
"सब अल्लाह का करम है। और तुम बताओ। कैसे है तुम्हारी टीम ? चार खिलाड़ी हैरान तो नही कर रहे न ?" जरीन ने छेड़ते हुए पूछा।
"और नही। उनके लिए आया है। तुम अपना हाल बताओ।" निशा ने हल्के से जरीन के कमर पर चिकोटी भरते हुए कहा।
"Aaahhhh। तुम भी ना। जेबा के बाद उस्मान ने मुझे पांच बच्चो की अम्मी बनाया। अब कहते है कि 3 और बच्चे कर ले तो हमारे 10 बच्चे हो जायेंगे।"
"और तुम्हारा क्या इरादा है ?"
"बस अब और नहीं। अब मैं उन्हे एक और ही दे सकती हूं। आखिर सेहत भी तो कुछ होता है।"
"वो मान गए ?"
"हां मानना ही पड़ेगा।"
जरीन और निशा दोनो हंसने लगे।
"और निशा तुम्हारा क्या इरादा है ?"
"भीमा और मेरे चार लड़के है। लेकिन सभी लड़के। मैने उनसे साफ साफ कह दिया। मुझे लड़की चाहिए। तो बस हम सोच रहे है एक और बार बच्चा कर ले।"
रात के अंधेरे में पटाको के शोर गुल के बीच लोगो का जश्न और खुशियां बस ऐसे ही खुशनुमार था हवेली का वातावरण। लेकिन को दिखाता है जरूरी नहीं वही सत्य हो। श्वेता और नटवर बच्चे को लेकर अपने घर वापिस आ गए।
पूरे जश्न को रात बीती और रात के 2 बजे सभी मेहमान अपने अपने घर को चल दिए। श्वेता बच्चे को दूध पिलाकर सुला दी। अपने कपड़े बदल रही श्वेता को अचानक से नटवर के आने की आवाज आई। आधे कपड़े में खड़ी श्वेता के सामने नटवर खड़ा हाथ में तकिया लिए खड़ा था।
"तुम पहन लो कपड़े और सुनो ये तकिया अपने पास रखो। सोने में आसानी होगी।"
बिना कुछ बोला मुस्कुराते हुए श्वेता ने कपड़े पहन लिया। नटवर बिस्तर पर लेटा हुआ पास में पड़े बच्चे को देख रहा था।
"क्या देख रहे हो इसे ?" श्वेता ने पूछा।
"बस एक सपने को पूरे होते हुए देखा।"
"कौन सा और कैसा सपना ?"
"यही कि मेरी भी कोई औलाद हो।"
"अब यही सच्चाई है कि आप मेरे बच्चे के पिता है। सच कहूं मुझे मां बनाकर आपने मेरी जिंदगी को पूरा कर दिया। " श्वेता ने हल्के से नटवर के गाल पर kiss करते हुआ कहा।
"श्वेता क्या तुम्हे मन्नू की याद नहीं आती ?" नटवर ने पूछा।
"क्या फायदा याद करके भी। अब वो चले गए है। अगर उन्हें वापिस आना होता तो आ जाते।"
"कभी कभी सोचता हूं कि मेरी वजह से वो आज हमसे दूर है।"
"बस भी करिए आप। कब तक ऐसी दुख भरी बाते करेंगे ?"
"सच कहूं श्वेता। बचपन से उसे अपने साथ रखा। पता नही इस बुढ़ापे में वो क्या कर रहा होगा ?"
रात के अंधेरे में ग़म के सहारे नटवर सो गया। नटवर से मिलो दूर मुंबई में एक झोपड़ी पर बुड्ढा आदमी शराब के नशे में लेटा हुआ था। वो बुड्ढा आदमी मन्नू था। मन्नू का कोई ठिकाना नहीं था। वो दिन में मजदूरी करता और रात में शराब पीता। मन्नू जैसे मरा हुआ आदमी बन गया।
71 साल का बुड्ढा मन्नू अपने झोपड़ी में था। थोड़ा सा नशा उतरा तो बाहर निकाला और शराब लेने। रात के सन्नाटे में उसके चलने की आवाज। जंगल के बीचों बीचों रहता मन्नू सड़क के पर शराब लेने जा रहा था। अभी जंगल से बाहर सड़क के पास आया तो देखा कि एक गाड़ी पेड़ से चिपकी हुई थी। वो गाड़ी काफी महंगी थी और उसमे एक जवान और खूबसूरत लड़की बेहोश पड़ी थी। ब्लैक कलर का sleveless ड्रेस और बेहद आकर्षण दिखनेवाली लड़की कोई ऐसी वैसी नहीं थी। वो एक बहुत बड़ी बिजनेस वूमन थी। उसका नाम अनामिका है। अनामिका की उमर 26 साल की है। अनामिका बहुत बड़े होटल की इकलौती मालकिन है। करीब 2 बड़े बड़े होटल की मालकिन है।
मन्नू को समझ में नही आ रहा था कि वो क्या करे ? कैसे भी करके मन्नू ने अनामिका को बाहर निकालकर अपने झोपड़ी में ले गया। जैसे तैसे करके उसे सहर देते हुए अपनी झोपड़ी में में ले आया। मन्नू ने देखा की अंधेरे में भी उसका गोरा जिस्म चमक रहा था। दूध जैसा सफेद रंग उसके शरीर का और खुशबू बदन से जो आ रही थी उसकी तो बात ही अलग थी। मन्नू ने सोचा कि क्यों न उसे आज रात इसी झोपड़ी में रख ले। ताकि वो आराम से सो जाए और होश आते ही अपने घर चली जाए। मन्नू ने उसे अपने खटिया पर लेटा दिया। उसका आधा पैर खुला और ऊपर sleveless कपड़े होने की वजह से आधा ऊपर का शरीर खुला था। मन्नू ने तुरंत रजाई से उसके शरीर को ढाक दिया।
अनामिका को देख मन्नू का नशा उतर गया। अब वो ये सोच रहा था कि उसके घरवाले को कैसे बताएं वापिस मन्नू गाड़ी को तरफ गया और कागजात ढूंढ रहा था। वहां उसे अनामिका के घर का नंबर मिला। फोन लगाया तो कोई उठाया नहीं। फिर उसने सोचा कि थोड़ी देर और उसके गाड़ी की तलाश करे। तलाश करने पर उसे एक डायरी मिली जिसमें इसके पहचान के लोगो का संपर्क सूत्र था। उसने देखा कि राहुल सक्सेना का नंबर था जो अनामिका का भाई है। राहुल वैसे 38 साल का है। नंबर कुछ अजीब सा था। बिना कुछ सोचे मन्नू ने फोन लगाया। फोन लगाते ही पता चला को ये नंबर अमेरिका का कोई नंबर है। मन्नू सोचा अनामिका के बारे में बताना सही नहीं वरना खामखां कोई परेशान हो जाएगा।
मन्नू वापिस अपने झोपडी में आ गया। रात काफी हो चुकी थी और अनामिका के सामने दरवाजे के पास बैठा मन्नू भी नींद में खो गया। सुबह सात बजे। चिड़िया की आवाजों ने अनामिका को नींद से जगाया। अनामिका की आँखें खुली तो खुद को अंजान जगह पाया। किसी खटिया में और उसका बदन रजाई से ढका हुआ था। अनामिका ने देखा तो एक बूढ़ा आदमी उसके सामने सोया हुआ पड़ा है। अनामिका जैसे ही खटिया से उठी तो आवाज से मन्नू भी उठा। मन्नू तुरंत खड़ा हो गया।
अनामिका थोड़े डर से बोली "मैं कहां हूं और आप कौन है ?"
मन्नू दिलासा देते हुए कहा "आपका हाइवे में accident हो गया था। और आपको मै यहां अपने झोपडी में लाया हूं। घबराइए मत आप सुरक्षित है।"
अनामिका को मन्नू की आंखों में सच्चाई दिखी और वो थोड़ा राहत को सांस लेते हुए वापिस खटिया में बैठी।
मन्नू पूछा "आप ठीक तो है न ? कोई कमजोरी तो नहीं आ रही आपको ?"
"नहीं मैं ठीक हूं। वैसे आपका नाम क्या है ? और आप करते क्या है ?"
"की मेरा नाम मन्नू है। मैं बस कुछ खास नहीं मजदूरी करता हूं। यहां वहां जो काम मिल जाए।"
अनामिका थोड़ा आराम से बोली "क्या मुझे मेरा फोन मिल सकता है ?"
"हां हां क्यों नहीं। आपके बगल ही रखा है।"
अनामिका ने झट से अपना फोन उठाया और अपनी भाभी को फोन किया।
वैसे आपको बता दूं। अनामिका को सिर्फ भाभी हो है इस दुनिया में उसके साथ। अनामिका का भाई 6 साल पहले दोनों को छोड़कर चला गया था अमेरिका। माता पिता के मरने के बाद बड़ी से बड़ी प्रॉपर्टी को हथियाकर विदेश चला गया और अपना बिजनेस चालू रखा। अनामिका के पास थोड़ी बहुत प्रॉपर्टी बची थी। जिसमें दो होटल और एक आलीशान घर था। अब आप सोचेंगे कि बड़े बड़े दो होटल कैसे छोड़ दिया राहुल ने। तो आपको ये बता दूं कि उस वक्त होटल घंटे में था और करोड़ों का कर्जा उसपर था। अनामिका पहले से ही अच्छे दिमागवली औरत है। अपने सहज स्वभाव और तेज दिमाग से पिछले साल ही दोनों होटल को कर्ज से मुक्त किया और बिजनेस को वापिस फायदे की तरफ लेकर आई। अनामिका का सब कुछ उसकी भाभी ही है। भाभी का नाम तनुजा है और उनकी उम्र 31 साल की है।
मन्नू से रहा नहीं गया और पूछ पड़ा "वैसे आपका ये हाल कैसे हुआ ?"
अनामिका लंबी सांस लेते हुए बोली "पिछले दो दिन से हमारे होटल में बहुत बड़ा फंक्शन था। एक बिजनेस मीटिंग थी। देश विदेश के लोगों ने इसमें भाग लिया। दो दिन तक मैं इस काम में लगी थी। एक मिनिट भी नहीं सोई। कल वापिस आते वक्त हल्के से नींद आ गई और बंद हो गई आंखें। इसीलिए ये सब हुआ।"
मन्नू थोड़ा गुस्से में बोल पड़ा "आजकल के लोग खुद को बड़े समझदार समझते है। आप भी उन में से एक। लेकिन सच कहूं आप बिल्कुल भी समझदार नहीं। अरे भला कोई ऐसी गलती करता है ? मान लो कुछ हो जाता तो ? मान लो कोई और आपके साथ बैठा होता तो ? सच में हर चीज को हल्के में आप बड़े घर के लोग क्यों लेते है ? आपका क्या ? आप तो मरकर ऊपर चले जायेंगे। लेकिन आपके अपनो का क्या ? खुदगर्जी की भी कोई मर्यादा होती है।"
मन्नू के गुस्से को शांत करते हुए अनामिका ने कह "आप सही कह रहे है। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।"
तभी एक गाड़ी झोपडी के पास आ पहुंची। उस गाड़ी से अनामिका की भाभी तनुजा बाहर निकली। तनुजा जो बहुत ही खूबसूरत और नम्र स्वभाव की महिला है। पीले रंग की साड़ी में वो बाहर आई और अनामिका को देख थोड़ा रो पड़ी। अनामिका अपने भाभी के गले लगी।
"माफ कर दो भाभी। मुझसे गलती हो गई।" अनामिका ने गले लगते हुए कहा।
"जैसे सासु मां और ससुर जी के बाद तुम्हारे भाई हमे छोड़कर चले गए वैसे तू भी चलो जा। अकेली कर दे मुझे। आखिर तुम्हे मेरी कोई परवाह भी है ?" तनुजा ने रोते हुए कहा।
अनामिका आंसू पोछते हुए कहा "अब से ऐसा नहीं होगा। I am sorry."
"कोई बात नहीं।"
तभी अनामिका ने तनुजा का परिचय मन्नू से करवाया। दोनों में थोड़ी बातचीत हुई और फिर दोनों भाभी ननद वहां से चले गए। मन्नू भी राहत की सांस ली।
अगले दिन मन्नू सुबह सुबह मजदूरी के लिए झोपडी से बाहर निकला कि वही गाड़ी उसके घर के पास आई। उस गाड़ी से एक ड्राइवर और 70साल का बूढ़ा निकला।
उस बुड्ढे ने मन्नू से पूछा "आप ही मन्नू है न ?"
मन्नू ने जवाब दिया "हां मैं ही हु। लेकिन आप कौन ?"
"जी मुझे वैसे मेरा नाम गुलाब है। मैं अनामिकाजी के घर 35 सालों से का करता हूं। मेमसाब ने आपको याद किया। आप हमारे साथ घर चलिए।"
मन्नू मान गया और फिर वो गाड़ी में बैठ गया। अनामिका का घर शहर से ३० किलोमीटर दूर था। वहां एक खाली वीराने से इलाके से गुजरकर गाड़ी एक आलीशान घर पर पहुंची। मन्नू को तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था। अब आगे क्या होगा बने रहिए इस कहानी के साथ।
अनामिका का घर
अनामिका
Nice and beautiful update...