अपडेट 10
सुबहा मेरी आँख खुली मेने फोन की तरफ हाथ बढ़ाया फोन पे जोर से गंटी आ रही थी मेने बिना देखे फोन कान पे लगाया। फोन माँ का था। कब से फोन कर रही हूँ कहा रहे गया है । मैं पहुचने वाली हु तुम मुझे रेलवे स्टेसशन लेने आ जाना। मैं जी माँ बोलकर फोन रख फटाफट तैयार होने लगता हूँ। यहाँ मुझे याद आया कि क्या जबर्दस्त रात को चुदाई की थी सरिता की
लंड अभी भी खड़ा था । तभी सरिता रूम मैं एंटर करती है।
उसके गीले बाल और गोले चेहरा छरहरी काया उसमे से उसकी लाल लटकती ब्रा देख मैं लंड विकराल रूप ले लेता है मैं उसके पास जाके उसको कस के गले लगा लेता हूं
अजी छोड़िये ना
ना
अरे
क्या कर रहे हो सुबहा सुबहा अभी मैं नहा के आई हूं
छोड़िये
ओर मेने उसके लाल होंटो पे चुंबन ले लेता हूं।
आप बहुत नटकट है।
अच्छा कहा जा रहे हो
वो माँ आ रही है आज।
क्या
आपने मुझे बताया नही
मुझे तो अभी याद आया।
तभी सरिता अच्छा जाते हुए हमें भी बाज़ार छोड़ दो कुछ सब्जियां और जरूरी सामान लाना है।
अच्छा चेलो
ओर मैं गाड़ी स्टार्ट कर निकल जाते है।
मेने माँ को फोन किया माँ कहा तक आ गए
बेटा आदा घण्टा ओर लगेगा
ओर फोन कट जाता है
तभी मेने गाड़ी मैं सरिता के बूब्स पे हाथ लगा देता हूं
सरिता - कोई देख लेगा
मैं - कोई नही देखगा इसमे तुम बाहर देख सकते हो बाहर वाला अंदर नही देख सकता।
सरिता - मेरे सीने पे सेर रख
तुम सच मे मुझसे प्यार करते हो।
मैं -तुम्हे कोई शक है
सरिता - नही वो मुझे इतना प्यार को आज तक किसी ने नही किया
मैं- उसका हाथ पकड़ अपने लंड पे लगा देता हूं
सरिता - ये हमेसा युही तनकर क्यों रहता है और उसपे एक चापत मार देती है।
मैं- आआहाआआआआ
सरिता -हाइ दैया लग गयी।
मैं- ह्ना मेरी रानी
सरिता - उसको पेंट से बहार निकाल कहाँ लगी
मैं- आआहाआआआआ
सरिता
ओर मेने उसके होंटो को मेरे होंटो मैं ले लिया
लंड को देख सरिता की आंखे फैल गयी।
हाय राम इतना बड़ा
मेने धिरे से सरिता के कान को काट थे हुए इससे चूस के शांत करो ना
बहूत बड़ा और मोटा है ये कैसे जायगा मुह मैं
ना ना
मुझसे नही होगा
अब तुमने इसकी ये हालात की है तुम्हे इससे सही करना होगा।
अच्छा
ओर मेने उसके पीछे बालो से हाथ बड़ा कर सीधे लंड पे मुह दबा दिया
वो धिरे से मेरे गुलाबी टोपे पे अपने मुह को रगडकर हाथ से छूंने लगी।
मैं - आआहाआसाआसाआआआसाया
सरिता तुम बहुत प्यारी हो
वो मेरे लौड़े को अपने हाथ में पकड के हिलाने लगी. मेरे तो होश उड़े हुए थे. मैं जोर जोर से सरिता के बूब्स को दबाता जा रहा था. सरिता मेरे लंड को बड़े ही प्यार से सहलाती जा रही थी.
और उसके बाद सरिता ने जो किया वो तो मैंने सोचा ही नहीं था. सरिता ने अपना सर निचे किया और मेरे लौड़े को अपने मुहं में भर लिया. वाऊ, सरिता के मुहं की चिकनाहट बड़ी ही सेक्सी थी जिससे मुझे दुगुना मजा आने लगा.
सरिता अपने मुहं को आगे पीछे करने लगी और जोर जोर से लौड़े को मुहं में आगे पीछे करती रही. मैंने अपना हाथ उसके के माथे पर रखा और उसे लौड़े पर दबा दिया. और निचे से मैं अपनी गांड उठा के सरिता के मुहं में लंड को धकेलता रहा.
10 मिनिट ऐसे ही लंड चूसने के बाद सरिता के मुहं में ही मैंने अपने वीर्य का फव्वारा छोड़ दिया. सरिता आराम से वीर्य पी गई और उसने लौड़े को चाट के साफ़ कर दिया. सरिता ने मुहं से लौड़े को सब तरफ से साफ़ किया और उठ गई.
ओर मेने देखा ट्रैन का टाइम हो गया और मै सरिता को बाजार ड्रा किया और बोला तुम जो लेना है ले लो मैं अभी वापस यही तुम्हारा वैट करुगा
ओर वो मेरी तरफ स्माइल पास करके चेली गयी
मैं स्टेशन माँ को देखा मेने उन्हें प्रणाम किया और समान उठ के गाड़ी तरफ जाने लगे।
माँ कितना दुबला हो गया है कुछ खाता नही क्या
मैं ओह माँ पता नही सब माताओ को अपने बच्चे दुबले क्यों नज़र आते है
मैं फिट हु एकदम
माँ - रहने दे रहने दे मुझे मत सीखा
ओर मैं ओर माँ दोनों गाढ़ी मैं बैठ रवाना हो जाते है
ओर कुछ दूर जाकर मेने गाढ़ी रोक दी
माँ क्या हुआ
कुछ नही वो सरिता बाजार से कुछ लेने गयी है। आती ही होगी।
सरिता कौन
वो खाना घर का साफ सफाई वोही करती है।
तभी सरिता आ जाती है।
ओर माँ को देख
प्रणाम अममा
खुश रहो
ओर मैं पीछे का गेट खोल देता हूं।
सरिता अंदर बैठ जाती हैं।
क्यों सरिता तू इसका ख्याल नही रखती
देख मेरे बेटे को कितना दुबला हो गया है।
वो माजी
क्या वो वो
अब मैं आ गयी हु ना
ओर हम युही बाते करते करते घर पहूच जाते है।
।