काम खत्म करके हरिया अपने घर आ जाता है आज उसने रजनी की दबी हुई वासना जगा दी थी कहने को रजनी उसकी मालकिन थी लेकिन जिस तरह के स्तनपान का सुख उसे आज हरिया ने दिया था रजनी नौकर और मालिक के बीच का भेद भूल चुकी थी वो बस हरिया से अपनी बूर चुदवाना चाहती थी उसके मन मे हरिया का लंड लेने की लालसा बढ गई थी और वो हरिया को फसाने की तरकीब सोचने लगी ।
इधर हरिया घर पहुँच जाता है
सूगना- आ गया बेटा, चल खाना लगा देती हू खा ले ।
हरिया - हा माई बहुत जोरो की भूख लगी है
सूगना- का हुआ रे तेरा मुह काहे बना हुआ है ? फिर लाला जी ने उ गाली दी ...कौन सी गाली है उ .....हा, माधरचोद , लाला जी ने फिर से तुझे माधरचोद कहा क्या ?
हरिया - (भोलेपन से) नही माई लाला जी तो शहर गए है , मालकिन ने वही गाली मुझे दी माई , और इसका मतलब क्या होता है बता ना माई ?
सूगना - तू ध्यान मत दिया कर ....लाला जी की वजह से हमारे घर चूल्हा जलता है बचवा
हरिया- माई तोसे एक बात और कहनी है
सूगना - हा बचवा बोल
हरिया-माई उ ..माई आज मैने मालकिन का दूध दुहा
सूगना -वो तो तू रोज करता है बेटा इसमे कौन सी नयी बात है
हरिया- नही माई भैंस का नही, खुद मालकिन का दूध दुहा पर दूध नही निकला (हरिया ने भोलापन मे सब बता दिया)
सूगना- का नासपिटे इ कैसे किया तूने
हरिया- माई मै क्या करता .. मालकिन ने खुद कहा तो मैने पहले उनका दूध पिया फिर लोटे मे दूध निकालने की बहुत कोशिश की पर दूध नही निकला
सूगना-क्या ! तूने मालकिन का दूध पिया
हरिया- हा माई दोनो थनो को पिया
(सूगना ये सुनकर गरम होने लगती है कि कैसे उसके बेटे ने मालकिन की चूचियो को पिया होगा)
सूगना- हाए रे नासपिटे तुझे शर्म नही आई ...कैसा लग रहा था मालकिन का दूध (इतना कहकर साडी के उपर से ही अपनी चुत को दबा देती है )
हरिया-अच्छा लगा था माई , बिल्कुल वैसा जैसे अपनी माई का दूध लगता है नरम नरम
(ये सुनकर सूगना गर्म हो जाती है और उसका मन भी हरिया को चूची पिलाने का करने लगता है )
सूगना - नही रे माधरचोद ..तोरी माई के दूध जितना मीठा मालकिन का दूध नही होगा मेरे बच्चे
हरिया - माई आप भी माधरचोद कह रही हो ....मालकिन का दूध आप जैसा ही था
सूगना - तो और का कहूँ हराम के जने ...लगता है तू अपनी माई के चूचियो का स्वाद भूल गया है तोका याद दिलवाना पड़ेगा (इतना कहकर सूगना अपनी चोली के बटन खोलकर अपनी चूचियो को आजाद कर देती है )
यह देखकर हरिया खूश हो जाता है
हरिया - माई दूध पिलाएगी हमका
सूगना - हा मेरे बच्चे जा जाकर तेल ले आ ( और इतना कहकर सूगना चौपाया बन जाती है और अपने पैरो के बीच इतना गैप रखती है ताकी हरिया नीचे से घुस सके और आराम से लेटकर उसकी चूचियो को पी सके )
हरिया तेल ले आता है और बिना कुछ बोले सूगना के पैरो के बीच से घुसकर उसके नीचे पीठ के बल लेट जाता है और सूगना की दोनो पपीते जैसी चूचियो को हाथो मे थाम लेता है
सूगना- आहहह रे नासपिटे मुह खोल और चूस अपनी माई की चूची (हरिया बिलकुल वैसा ही करता है एक छोटे बच्चे की तरह अपनी माॅ का दूध पीने लगता है, सूगना हरिया से अपनी चूचिया मसलवाना चाहती थी उसकी बूर पानी छोडने लगी थी एक जवान बेटा उसकी चूचियो को चूस रहा था वो चाहकर भी अपनी भावनाओ को काबू नही कर पा रही थी )
सूगना - बेटा दौनों हाथो से दबादबाकर पी मसलकर पी बेटवा दांत से काट तभी माई का दूध आएगा
हरिया बिलकुल वैसा ही करता है अपनी माॅ के निप्पलों को दांत से हल्के से काटता है और दोनो चूचियो को मसलमसलकर पीता है हरिया के ऐसा करने से सूगना बूरी तरह चूदवासी हो जाती है उसकी बूर गर्म भट्टी की तरह तपने लगती है
सूगना- आहहहहहहह मेरे बच्चे सीईईईईईईईई और कसकर पकड दबादबाकर माधरचोद पी माॅ के लौडे
हरिया- माई पी तो रहा हू दूध नही आ रहा है
सूगना - पीता रह बचवा आहहहहहहहह सीईईईईईईईईई हाए मेरे लाल, जोर से पी पूरा दूध पी जा बेटे
चूची दबाते दबाते दूध पीने से हरिया के लंड मे मे भी तनाव आ चुका था लेकिन हरिया को इस बात का एहसास नही था वो बस अपनि माई का दून पीने मे व्यस्त था, सूगना पूरी तरह चुदवासी हो चुकी थी उसे बस झडना ना और वो अपने आपे से बाहर हो चुकी थी उसे कुछ समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे उसने आव देखा न ताल और वो हरिया कि कमर पर बैठ गई, एक जवान बेटा निप्पलों को काट कर दूध पीने की कोशिश कर रहा था, कमर पर बैठते ही उसे हरिया के खडे लंड का एहसास हुआ उसके मन मे बस हरिया का जवान लंड लेने की ईच्छा होने लगी उसे पाप का बोध न रहा वो धीरे धीरे हरिया के कमर पर साडी के उपर से अपनी कमर रगड़ने लगी
हरिया - आहहह माई दूध नही आ रहा है
सूगना को बस झडना था वो पूरी तरह बेचैन हो चुकी थी उसे एक तरकीब सूझी और वो हरिया के उपर से उठकर किनारे जाकर खडी ही गई, हरिया मन मसोस कर रह गया
हरिया - माई हमको पीने दो ना ( उसे चूची चूसने मे बहुत आनंद आ रहा था )
सूगना - नही बेटे , तोरे माई का चूचियो मे दूध नही आ सकता ये बात मै भूल गई थी बचवा
हरिया - माई काहे नही आ सकता , हमका पीने दे माई
(इतना कहकर हरिया खडा हो जाता है और उसकी पतलून मे बना तंबू सूगना तिरछे नजर से देखती है और चुदवासी हो जाती है मन मे सोचने लगती है इतनी सी उम्र मे इतना बडा है बडा होगा तो कैसा होगा)
सूगना- वो बेटवा चार साल पहले तोरा दूध पीना छूट गया था, क्यूँकी उ पुराने पीपल पर रहनेवाली डायन मे मुझे श्राप दिया था
(ये बस सुगना की तरकीब थी अपने बेटे को फसाने के लिए )
हरिया- कैसा श्राप माई
सूगना - बेटा उ डायन मेरे सपने मे आकर मुझसे बोली थी "सूगना आज से तोरे छाती मे दूध नही आएगा काहे से तू दिनभर अपने बेटे को दूध पिलाती है "
हरिया - तो आप का बोली माई ?
सूगना - मै डर गई थी बचवा मै कुछ ना बोली पर वो डायन फिर बोली " सूगना तोरे ऐसी जगह से दूध निकलेगा जहा से तू अपने बेटे को पिलाने का सोच भी नही सकती" इसलिए बेटा चार साल से मैने तुझे अपना दूध नही पिलाया
हरिया- तो कौन सी जगह से आता है माई दूध , ऐसी कौन सी जगह है माई मुझे बता मुझे दूध पीना है माई
( सूगना को तो बस जैसे यही सूनना था )
सूगना - बेटा बहुत गंदी जगह है रे मेरे लाड़ले तू वहा से दूध नही पी सकता बेटा
हरिया- नही माई मुझे बस दूध पीना है कोई भी जगह क्यू न हो माई बस मुझे अपनी माई का दूध पीना है
सूगना- नही मेरे लाल , अपनी माई के सूसू वाली जगह पर तू कैसे मुह लगाएगा कैसे पीएगा अपनी माई के बूर से निकलते सफेद दूध को
(इतना कहकर सूगना और गर्म हो जाती है और हरिया के जवाब का इंतजार करने लगती है)
हरिया- सूसू वाली जगह से दूध ! छी माई , (कुछसोकर) लेकिन माई मुझे पीना है
यह सूनकर सूगना पूरी तरह कामोत्तेजीत हो जाती है
सूगना- हाए रे माधरचोद .....अपनी माई की बूर को पीएगा
हरिया- हा माई मुझे बस दूध पीना है
(सूगना की तरकीब काम कर गई वो बस हरिया से अपनी बूर चटवाकर कर खूद को शांत करना चाहती थी )
सूगना- ठीक है तू चाहता है तो पिला देती हू रे ....चल खटिया पर चल
(सूगना की बूर इस खयाल से ही पावरोटी की तरह फूल कर गर्म हो गई थी कि उसका सगा बेटा उसकी बूर चूसने जा रहा है यह सोचकर उसकी बूर नमकीन पानी छोड रही थी )
हरिया - ठीक है माई
दोनो माॅ बेटे खटिया पर आ जाते है और सूगना लेटकर धीरे धीरे अपनी साडी और पेटीकोट उपर सरकारने लगती है मारे शरम के उसके दिल की धड़कन तेज हो गई थी और उसकी बूर आग की तरह जल रही थी
सूगना - आजा बचवा मेरे दोनो पैरन के बीच आ जा देख अपनी माई की बूर को पी जा मेरे लाल
हरिया अपनी माॅ के पैरो के बीच बैठ जाता है और देखता है उसकी माॅ अपनी दो उंगलियों से चुत को फैलाकर उसे चुत चाटने का न्यौता दे रही है
हरिया- माई क्या इसी मे से दूध आएगा
सूगना- हाए, हा मेरे बच्चे इसी मे से दूध आएगा लेकिन दूध बहुत अंदर है तुझे मेहनत करनी होगी अपनी माई की बूर को चूसना होगा तभी दूध निकलेगा मेरे लाल, और याद रहे ये दूध बहुत मीठा होगा मेरे बच्चे पी जा अपने माई की बूर को (इतना कहकर सूगना अपने दौनों पैरो को फैला देती है जिससे उसकी बूरी पूरी तरह खू ल जाती है)
हरिया बिना देर किये सूगना की बिना बालों वाली बूर पर अपने होठ रख देता है उसे बूर काफी गर्म महसूस होती है वो तुरंत होठ हटा लेता है
हरिया - माई ये तो जल रही है
सूगना - हा रे माधरचोद अब देर ना कर पी जा मेरे बच्चे
हरिया फिर अपना मुह अपनी माॅ के चूत पर रख देता है
इस बार सूगना अपना हाथ हरिया के सिर पर रखकर सहलाने लगती है
सूगना - हा ऐसी ही आहहहहहहहहह ओ माईईईईईईईईईई हा ऐसे ही चाट मेरे बच्चे पी जा आहहहहहहहहहहह पी जा मेरी बूर को चाट दून निकलेगा जीभ अंदर घूँसा नासपिटे आहहहहहह .....हा ऐसे ही आहहहहहहहहह ओहहहहहहहहहहह माईईईईईईईईईई रे अंदर बाहर कर जीभ को मेरे लाल आहहहहहहहहहह ( अपनी दोनो जांघों से हरिया के चेहरे को दबा लेती है ) आहहहहहहहहहहहह मेरे जिगर के टुकडे आहहहहहहह ओहहहहह ओह्ह मेरे पूत चाट पी जा अपने माई की चुत
हरिया भी गरम हो चुका था उसे चुत चाटने मे बहुत आनंद आ रहा था उसे चुत का कसैला स्वाद अमृत प्रतीत हो रहा था उसका लंड पूरी तरह खडा हो चुका था वो तेजी से अपनी मा की बूर को चूस रहा था
सूगना से बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था वो आपने चरम पर आ चुकी थी
सूगना - आहहहहहहहहह माधरचोद आहहह अदभुत आहहहहह मै झड गई, देख निकल रहा है तेरे माई की बूर से दूध पी जा बेटे
हरिया सूगना का सारा रस पी जाता है और बूर को चाटकर साफ कर देता है
सूगना उठकर खडी हो जाती है और नजरें झुकाए कपडे पहनने लगती है
हरिया- माई दूध मीठा तो नही था पर था बहुत स्वादिष्ट अब मै रोज पिऊंगा
यह सुनकर सूगना खूश हो जाती है लेकिन कुछ नही बोलती और रसोईघर मे जाकर खाना परोसती है
दोनो माॅ बेटे खाना खाकर सो जाते है ।