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Incest बेटा है या.....घोड़(ALL IN ONE)

फीर मचायेगें है की नही?

  • हां

    Votes: 9 81.8%
  • जरुर मचायेगें

    Votes: 8 72.7%
  • स्टोरी कैसी लगी

    Votes: 0 0.0%

  • Total voters
    11
  • Poll closed .

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Well-Known Member
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छोटा अपडेट है लेकीन बडा धमाकेदार हैं मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Vk248517

I love Fantasy and Sci-fiction story.
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अगला प्रसारण



"ठाकुर साहब, हमने रामू और चंपा को बहुत खोजा, पर वो हमें नही मीले।"

ये सुनकर ठाकुर गुस्से में लाल सोफे पर से उठते हुए बोला-

"उन मादरचोदो को ढुंढ कर उनकी गांड में गोली दाग दो। और उस छीनाल और उसके बेटे का कुछ पता चला?"

"न...नही ठाकुर साहब, ठकुराईन और छोटे मालीक का भी कुछ पता नही चला।"

ठाकुर के अंदर गुस्से की ज्वार फूट रही थी। पर वो खुद को शांत करते हुए बोला-


"ठीक है, ये बताओ की कज़री के उपर तुम लोग नज़र तो रख रहे हो ना?"

"अरे हाँ मालिक, मैं आपको बताना भूल गया। आज गाँव में मुझे सुधा दीखाई दी। आखिर इतने सालों बाद वो गाँव में आयी। थी कहां अब तक वो?"

"सु...सुधा....!!!'"

"जी मालिक!!"

ये सुनकर ठाकुर के हांथ-पांव ठंढे पड़ गये। वो समझ गया की वीधायक का काम तमाम हो चुका है। पर वो अभी भी इस बात पर हैरान था की, आखिर सुधा आजाद कैसे हुई? कहीं उसने कजरी को सब कुछ बता तो नही दीया? कहीं उसे संकीरा के बारे में पता तो नही चल गया? जरुर सुधा ने सारा कीस्सा बतलाया होगा। तो इसका मतलब की...वो अपने बेटे से विवाह जरुर करेगी। नही...नही मैं ऐसा नही होने दूंगा।"


ठाकुर हंजार सवाल खुद से करते हुए सोंच रहा था। तभी अचानक ही अपने लट्ठेर से बोल पड़ा--

"देखो तुम लोग एक काम करो। आज रात २ बजे कीसी तरह से कज़री को उसके घर से अगवा कर लो। और उसके बेटे, सुधा और पप्पू का काम तमाम कर देना। समझ गये।"

लट्ठेर ने ठाकुर की बात सुनकर एक-दुसरे का मुह ताकते हुए हीचकीचाते हुए बोले-

"जी.....जी मालीक।"

और फीर हवेली से बाहर नीकल गये...


---------------

मरीयम मंदीर के अंदर प्रवेश करती है। जुम्मन,राजीव और नंदिनी गाड़ी से बाहर नीकल कर वहीं खड़े होकर मरीयम का इंतज़ार करने लगे। तभी मंदिर के अंदर से मरीयम बाहर नीकलते हुए जुम्मन के पास आती है।

"टेक लीया माथा मेरी राजकुमारी,, चलो अब चलते है।" - कहते हुए जुम्मन जैसे ही गाड़ी की तरफ बढ़ा।

"इतनी जल्दी भी क्या है मेरे राजकुमार?"

मरीयम की बात सुनकर जुम्मन वापस एक बार फीर मरीयम की तरफ जैसे मुड़ा तो सामने का नज़ारा देख कर दंग रह गया। उसने देखा की मंदिर मे से संपूरा बाहर नीकल रहा है। संपूरा को देखकर जुम्मन तुरंत अपना धनुष अपने कंधे पर से नीकालते हुए संपूरा की तरफ तान देता है।

ये देख कर संपूरा मुस्कुराते हुए मरीयम के समीप पहुंचा और उसे कस कर अपनी बांहों की आगोश में जकड़ते हुए बोला--

"मुझे माफ कर देना मेरी रानी, मेरी वजह से तुम्हे इतनी तकलीफ़ उठानी पड़ी।"

जुम्मन को कुछ समझ में नही आ रहा था की तभी उसने देखा की मरीयम अपनी दोनो बाहें संपूरा के गले में डालते हुए मुस्कुरा कर बोली--

"कैसी बात कर रहे है स्वामि, मैं तो आपकी दासी हूँ। और आपके आदेश का पालन करना तो मेरा कर्तब्य है।"

जुम्मन के सर पर जूं रेंगने लगी। वो समझ चुका था की वो संपूरा के शाजिश का शिकार हुआ है।

"धो...खा, संपूरा अगर हीम्मत थी तो सामने से मारता ये छल करके अपने आप को तूने खुद को बुज्दील साबीत कर दीया रे।"

"हा...हा...हा!! बुज्दील और मैं। याद कर बुज्दीलों की तरह कौन भागा था? वो तो अच्छा हुआ की तू मेरी पत्नी को सांथ ले कर भागा। पर यही तेरे लीए बुरा साबित हुआ। मुझे पता था तेरी आदत का की तू भागेगा जरुर और मेरी पत्नी को भी सांथ लेकर भागने का प्रयास करेगा। और वही हुआ। वही हुआ जुम्मन जैसा मैने सोंचा था। आज मैं तेरी बली इस देवी माँ को चढ़ाउगां।"

कहते हुए संपूरा जुम्मन के नज़दीक जा पहुंचा। जुम्मन थर-थर कांपने लगा जब उसने देखा की संपूरा के समस्त सेना दल उसे चारो तरफ से घेर लीया है।

राजीव और नंदिनी के हलक तो सूख चले थे। नंदिनी और राजीव दोनो गाड़ी के गेट के पास ही खड़े थे। नंदिनी ने मौके का फायदा उठाया और अचानक से गाड़ी का दरवाजा खोलते हुए गाड़ी के अंदर बैठ जाती है। ये देख राजीव भी गाड़ी का दरवाजा खोलने के लीए लपका ही था की, सुमेर की चाकू उसके गर्दन पर अटक गयी।"


"मोहतरमा बाहर आ जाईये, नही तो इस बच्चे का सर धड़ से अलग हो जायेगा।"

संपूरा मुस्कुराते हुए बोला...

राजीव तो थर-थर कांप रहा था। और उसकी जान तो तब नीकल गयी जब उसने देखा की उसकी माँ ने गाड़ी चालू करते हुए तेज गती से गाड़ी चलाते हुए वहां से नीकल गयी। राजीव तो बस हैरत और डर से देखता ही रह गया।

"कौन थी ये औरत? जो बीना तेरी परवाह कीये तूझे मरने के लीये छोड़ गयी।"

जुम्मन राजीव के करीब आते हुए बोला...

"म...मेरी माँ थी।"

राजीव की आवाज में डर साफ झलक रही थी। उसे डरा देख संपूरा एक बार फीर मुस्कुराते हुए बोला-

"तू डर मत! मैं तूझे कुछ नही करुंगा। तूने मेरा कुछ नही बीगाड़ा है, छोड़ दे इसे सुमेर।"

संपूरा की बात सुनकर, सुमेर चाकू को राजीव के गले से हटा लेता है। चाकू हटते ही राजीव वहां से भाग खड़ा होता है। उसे डर कर भागता देख समस्त सेना दल ठहाके लगा कर हसंने लगते है।

"वो तो बच गया, पर तू नही बचेगा जुम्मन।"

और इतना कहकर संपूरा ने अपना हांथ बढ़ाकर जुम्मन के गले में पड़े ताबीज़ को नीकालने ही वाला था की, उसे खुद की गर्दन पर चाकू की धार महसूस हुई। उसने अपना मस्तीष्क थोड़ा इधर-उधर हीला कर देखा तो पाया की ये हुमेरा थी जीसने उसकी गर्दन पर चाकू रखा था।


संपूरा के होश उड़ चुके थे। वो कांपती आवाज मे बोला।

"हु...हुमेरा तुम।"

"हां संपूरा मैं, आखिर मेरे बेटे की तरकीब ने काम कर ही दीया। शाबाश! बेटे।"

"बेटा...." - संपूरा चौंकते हुए बोला।

"हां संपूरा, बेटा। यानी मैं सुमेर। तू जाल तो काफी अच्छा बुनता है। पर मुझसे अच्छा नही। मेरे दीमाग ने जाल बुनना तब शुरु कीया था। जब तूने मुझे संकीरा का लालच देकर मुझे अपनी तरफ कीया था। मै तेरी तरफ आया, इसलिए क्यूंकि मुझे भी वही चाहिए था जो तूझे चाहिए था। संकीरा का रेखा चीत्र। जो मेरे पिता मुझे कभी नही देते।"

"मगर देख तेरी वजह से मुझे रेखा चीत्र हांसील हो गया। और दोनो रेखा चीत्र तेरी वजह से ही हांसील हुआ। तूने जब जुम्मन से रेखाचीत्र हांसिल करने वाली तरकीब बनायी। तो मैं इंतज़ार कर रहा था। (तीव्र आवाज में) और आज ये घड़ी आ ही गयी....."

कहते हुए सुमेर ने अपनी तेजधारी चाकू के एक वार से ही जुम्मन का सर धड़ से अलग कर दीया। और जब तक संपूरा कुछ समझता हुमेरा तेज धार की चाकू ने संपूरा के सर को धड़ से अलग कर दीया। ऐसा खौफनाक मंजर देख मरीयम डर से वहां से भागने लगी की तभी उसकी पीठ पर तीरो की वर्षा हो गयी और वो भी कराहते हुए नीचे ज़मीन पर धड़ाम से गीर पड़ी....

"
Nice updates
 

Arun Rai

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You are NOT supposed to abuse/threaten/harass a member or his family directly or indirectly. This will be your first and final warning!

If you feel that someone is abusing you, feel free to contact any staff member via Private Message.

Yug Purush [/abuse[
 
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Vk248517

I love Fantasy and Sci-fiction story.
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Oh bhaya hosh sambhal k bat kro.
Sb writer ko time lagta hai story continues krne me.
1 to sal bhar baad aaye hain story ko pdenge phir uske according updates likhenge.

Kisi time nhi milta to kisi ko families problem ho skta hai koi busy ho skta hai. Jo bhi writer ko time milta hai to updates deta hi hai der sher deta hi hai.

Aur sbse phle dusro ko bolne se phle apne yrr se sirf ek story hi likh kr dekho tb tumko smjh me aayega writer ka dard kitna mehnat krta hai apna writer.

Bolne se phle ek dekh lo tumhare bolne se dusro kya tklif phunchti hai. 😡😡😡😡😡😡
 
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