अपडेट***21
"***कज़री को जैसे ही.......कीसी मज़बूत बांहो का सहारा मीला!! उसने अपनी नज़र उपर कर के देखा, तो उसे सहारे से पकड़ने वाला कोयी और नही बल्की......रीतेश ही था!!
"कज़री रीतेश को देखते ही.....रोने लगती है!! और रीतेश के सीने से चीपक जाती है......मानो कज़री को अपनी ज़िदगीं जैसे मील गयी हो!
......कज़री को रोता देख.....रीतेश के चेहरे पर गुस्से के बादल मड़राने ....लगे!!
वो दोनो आदमी.......रीतेश को देखकर रुक जाते है!! और एक ने बोला-
.......अबे तू कौन है बे? जो यहां मरने आ गया!!
रीतेश ने अपनी .....आंखे गुस्से से उन दोनो आदमीयो की तरफ घुरते हुए.......बोला-
रीतेश - पता नही तू मुझे मार पायेगा की नही.....दम है तो मार ले!! क्यूकीं मैं तूझे नही छोड़ने वाला हूं.......!!
"रीतेश की बात सुनकर........वो दोनो हसने लगते है!!
उन लोगो को हसता देख......पास में खड़ा अज़य ने बोला!!
अजय- माना की हसनां सेहत के लीये अच्छा होता है....... लेकीन उस समय नही जब 'जान आफ़त में हो!!
अज़य की बात सुनकर.....वो दोनो ने अपने "चाकू नीकाल लीये.....और फीर बोले-
.......तो फीर ठीक है.....देखते है, की कीसकी जान आफ़त में है! हमारी या फीर तुम्हारी.....
ये कहकर......वो दोनो रीतेश की तरफ बढ़े! और जैसे ही वो दोनो .....थोड़ा करीब आये!! रीतेश ने अपना हाथ उपर कीया......और झट से पेड़ की टहनी को झटके से तोड़ते हुए......एक के सर पर दे मारा!! वो बेचारा ज़मीन पर गीरते ही अपना सर पकड़ कर , कलथने लगा!!
उसको कलथता देख......दुसरा आदमी, लम्बी ले लीया......वो तुरतं अपना चाकू वही फेक कर.....भाग गया!
ज़मीन पर गीरा हुआ......आदमी!! कलथ -कलथ कर बेहोश हो गया.....
रीतेश (गुस्से में) - मां तू यहा क्यूँ आयी है? तूझे पता है की, हम कीतना परेशान हो गये थे!! अगर आज़ कुछ हो जाता तूझे तो......!
रीतेश बीना रूके.....एक सासं में ही गुस्से से बोला!!
कज़री.....रीतेश को प्यार भरी नज़रों से देखते हुए बोली-
कज़री - तेरे होते हुए.....भला मुझे क्या हो सकता है!!
और इतना कहकर......कज़री एक बार फीर....रीतेश के सीने से लग जाती है!! रीतेश अपना हाथ कज़री के पीठ पर प्यार से सहलाते हुऐ बोला-
रीतेश - अच्छा........ठीक है, लेकीन तू यहां क्यूं आयी थी?
कज़री.....रीतेश के सीने से अलग होते हुए....सारी कहानी बताती है!! जीसे सुनकर रीतेश ने फीर गुस्सा होते हुए बोला-
रीतेश - अरे.......मा, तूझे पता नही है!! ये पप्पू ठाकुर और विधायक के लीये ही काम करता है!! और तो और .......पप्पू ने ही अपने गांव के दरोगा को जान से मारा है! मैने और अज़य ने अपनी आँखो से देखा है.......
पास में खड़ा अजय भी रीतेश की बात पूरी होते ही बोला-
अजय - हां काकी....रीतेश सच कह रहा है!!
उन दोनो की बात सुनकर.......कज़री ने कहा-
कज़री - मुझे ये तो नही पता था की, दरोगा का खून पप्पू ने ही कीया है| लेकीन इतना ज़रुर पता था की.....पप्पू ठाकुर के लीये काम करता था तो......जरुर वो बुरे काम ही करता होगा!!! लेकीन शायद तूझे सच्चाई नही पता है!!
.........कज़री की बात सुनकर रीतेश और अजय दोनो ही.....असंमजंस में पड़ जाते है|
रीतेश - सच्चाई.......?
अजय- सच्चाई..........?
कज़री - हां.......सच्चाई**
रीतेश - कैसी सच्चाई मां ?
कज़री - पप्पू तेरा मौसेरा.......भाई है!!
ये सुनते ही रीतेश और अजय दोनो ही चौकं जाते है.......!
रीतेश - भ........भाई?
कज़री - हां......बेटा!!
रीतेश - मां ये क्या बोल रही है तू?
.........धांय.......धांय........गोलीयों की आवाज़ गुजीं......!!
गोली की आवाज़ सुनकर रीतेश , अजय और कज़री तीनो चौक जाते है! सारे पंच्छी.....पेड़ो पर से उड़ कर गोलीयों की आवाज़ से......चील्लाते हुए मडंराने लगते है!! शायद ये गोलीयों की आवाज़ उन पंछीयों के लीये नया नही था.......लेकीन रीतेश, अजय और कज़री के तो मानो होश ही उड़ गये!!
कज़री.......गोलीयों की आवाज़ सुनते ही रोने लगती है......और बोली-
कज़री - मार दीया.....हरामीयों ने!!
रीतेश कज़री को रोता हुआ देख बोला-
रीतेश - अजय तू मां.....को ले कर जा!! मैं जाकर देखता हुं की माज़रा क्या है?
अज़य - नही......रीतेश, तू अकेला नही जायेगा मैं भी चलता हू!! काकी को भेज देते है......घर पर|
ये सुनकर कज़री बोली-- नही......मैं भी चलूगीं!!
रीतेश - नही......मा, वहां बहुत खतरा है....तू घर पर चली जा!!
लेकीन कज़री नही मानती.......और साथ चलने की ज़ीद करने लगती है|
थक हार कर ......रीतेश ने कहा- अच्छा ठीक है!!
रीतेश ने.......ज़मीन पर गीरे हुए आदमी के हाथ से! चाकू लेते हुए......उस तरफ बढ़ चलता है.....जीस तरफ गोलीयों की आवाज़ सुनायी दी थी!!
......लगभग दस मीनट चलने के बाद......अजय ने रीतेश को दुसरी तरफ दीखाते हुए इशारा कीया......!!
रीतेश ने उस तरफ देखा तो.......उसे एक पुराना टुटा-फूटा खंडहर दीखा!! और उसके दरवाजे पर दो लोग......अपने हाथो में बंदूक लीये खड़े थे!!
रीतेश - हमें पीछे के रास्ते से चलना होगा.....!
और फीर तीनो.......खंडहर के पीछे की तरफ चल देते है!!
जल्द ही वो खंडहर के पीछे आ जाते है.......रीतेश ने थोड़ा इधर-उधर देखा !! उसे एक टुटी हुई खीड़की दीखाई देता है!!
रीतेश उस खीड़की के पास पहुचं कर .....चुपके से अँदर देखता है तो, दंग रह जाता है|
" पप्पू के दोनो हाथ.....रस्सी से'बंधे थे| उसके पास में दो लोग बंदूके लीये खड़े थे!! उसने अपनी नज़र दुसरी तरफ कीया तो......उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी!!
उसने देखा.......विधायक एक कुर्सी पर बैठा था....और उसने अपनी जांघ पर रज्जो को बीठा रखा था......ये देख कर उसने अपनी नज़र खीड़की से हटाते हुए .....अपनी मां की तरफ करते हुए बोला-
रीतेश - मां ये रज्जो.....काक.....
रितेश और कुछ बोलता , इससे पहले ही कज़री बोली-
कज़री - ये.......पप्पू की सौतेली मां है|
रीतेश के लीये.......ये सब बाते चौका देने वाली थी.....!
रीतेश - सौतेली मां.......तो फीर असली....कौन?
कज़री - पप्पू की असली मां.......सुधा!!
कज़री की आखें.........फटने लगी.......ये देख कर रीतेश बोला-
रीतेश - हां......मां, सुधा.......
लेकीन तभी.....रीतेश अपनी मां का हाव -भाव देखते हुए, उसने उसकी नज़रो का पीछा करते हुए फीर से खीड़की के अँदर झाका तो देखा!!
एक औरत को दो लोग रस्सीयों में बांधे.....ले आते है!!
वो औरत......के बदन में जैसे जान ही न था, बेसुध बेचारी...रस्सीयों में बधीं कीसी लाश की तरह खड़ी थी!!
ये......देख कर कज़री की आंखे आसुओं से छलक जाती है!! रीतेश और अजय कुछ समझ नही पाते!!
रीतेश - मां......!
रीतेश कुछ बोलता......इससे पहले ही कज़री....रोते हुए बोली!!
कज़री - सुधा.....दीदी!! तेरी मौसी.....मुझे लगा था की....ये दरीदें दीदी को मार दीयें है, लेकीन इन लोगो ने तो दीदी.....को!!
और ये कहते हुए.....कज़री रोने लगती है!!
रीतेश अपनी मां की, हालत समझ जाता है और उसे अपने सीने से लगा लेता है......पल भर में रीतेश की पलकें भी भीग जाती है!!
.........आओ सुधा.......कैसा लग रहा है!! कोई तकलीफ़ तो नही है ना, यहां पर.....
ये आवाज़ सुनते ही....रीतेश एक बार फीर खीड़की से झांकने लगता है!!
विधायक......रज्जो की कमर को अपनी हथेलीयों से मलते हुए......और एक हाथ में सीगरेट का कश लगा कर धुएं को हवा में उड़ाते हुए फीर बोला!!
विधायक - अरे.......मैं तो भूल गया था की!! पीछले बीस सालो में.....तूने तो बोलना ही छोड़ दीया है.....लेकीन आज तू बोलेगी!! क्यूकीं आज तेरे लीये सबसे बड़ा दीन है!! पता है क्यूं..........क्यूकीं आज तू अपने बेटे से जो मीलने वाली है!!
विधायक की बात सुनकर..........सुधा का सर जो अभी कमजोरी के कारण नीचे झुका हुआ था.......बाल बीखरे हुए थे.....बदन पर एक मैली सी साड़ी थी.....जो जगह-जगह फ़टे थे!!
........उसने अपना सर.....बहुत धिरे-धिरे उठाते हुए.......धिमी गती में बोला......बे.......टा!!
विधायक - हां तेरा.......बेटा, पूरे 21 साल का हो गया है शायद, लेकीन अफसोस........इतने ही उम्र में मरेगा बेचारा!!
........इतना सुनते ही........सुधा.......विधायक के उपर झटके से अपने लड़खड़ाते हुए कदम बढ़ा कर......विधायक का गीरेबान पकड़ कर। चील्लाते हुए बोली-
सुधा - ....हरामी.......कुत्ते, मैं तुझे जीदां गाड़ दूगीं.......!
सुधा को तड़पते हुए देख......विधायक ने बोला-
विधायक - पहले.....अपने बेटे को तो बचा ले! देख कैसे पानी के लीये......तड़प रहा है!! जा उसे पानी पीला कर बचा ले!!
......इतना सुनते ही......सुधा ने अपनी नज़र पप्पू की तरफ घुमाया......पप्पू रस्सी में बंधा .....पानी.....पानी, बोले जा रहा था!! उसके शरीर और चेहरे पर घाव के नीशान थे!!
सुधा की आंखो में ममता के आंशू उमड़ गये.......मानो बरसो से प्यासी आंखो को आज..... सूकून और दील में राहत मील गयी हो!!
नज़रो की प्यास ही नही बुझ रही हो......मानो!!
सुधा ज़मीन पर रखे......पानी की बोतल की तरफ बढ़ती है.......और जैसे ही बोतल के नज़दीक पहुच कर उठाने की कोशीश करती है.........विधायक ने एक जोर का लात , बोतल पर मारी और बोतल लुढ़कता हुआ ........सुधा से काफी दूर चला जाता है|
........खाली हाथ लीये सुधा.......जमीन पर गीर जाती है......और रोने लगती है!! रोते हुए सुधा अपने दोनो हाथ जोड़ते हुए बोली-
सुधा - रहम.......करो विधायक!! तूने सब कुछ तो बर्बाद कर दीया है......मेरा!! कम से कम मेरे बेटे को तो.......बक्श दे!!
सुधा का.......इस तरह रो-रो कर गीड़गीड़ाते देख, रीतेश , कज़री और अजय के दील में जैसे तुफ़ान उठ गये हो......और आँखो से संमदर बहने लगा!!
विधायक - तू सीर्फ एक ही शर्त पर अपने बेटे की जीदंगी......बचा सकती है!! और मुझे क्या चाहीए ये तू अच्छी तरह से जानती है......!!
सुधा - हां......हां.......हां, तूझे मेरा जीस्म ही चाहीए ना!! कर ले जो भी करना है.....लेकीन मेरे बेटे को......बक्श दे!!
........इतना सुनते ही, विधायक खुशी से झूम उठता है........और रीतेश का पारा मानो आसमन को पार कर गया हो........!!
रीतेश अपने आशूंओ को पोछते हुए........गुस्से में उठा!! और खीड़की पर जोर का लात मारता है........खीड़की कयी हीस्सो में टुट कर , विधायक के पास जा कर गीरता है!!
विधायक.......चौक जाता है.....और जमीन पर पड़े टुटे हुए खीड़की को देखते हुए.......अपनी नज़र उपर करता है.......तो देखता है की, सामने !! रीतेश खड़ा है.......और उसकी आँखो में अँगारे भड़क रहे थे!!
विधायक के हाव-भाव बीगड़ चुके थे.......
विधायक - तू,!!
रितेश ने.......कहा तू नही.......तमीज में बात कर!! और ये कहते हुए रितेश ने अपना हाथ की मुट्ठी हवा में खीचते हुए......जोर का घुसां विधायक के नाक पर जड़ देता है!!
विधायक......धड़ाम से कुर्सी पर गीर जाता है!! और कुर्सी टुट जाती है.......
विधायक के दो आदमी......झट से रितेश के दोनो तरफ कनपटी पर बंदूक लगा देते है.......तब तक रीतेश अपने एक घुटने पर बैठते हुऐ अपने पतलून में से चाकू नीकाल कर.......घप्प......घप्प.....उन दोनो के पेट में घुसा कर चीर-फाड़ देता है!! वो दोनो तो जगह पर ही दम तोड़ देते है!!
तब तक एक ने और बंदूक ताना ही था की.....रीतेश गुलाटी मारते हुए......चाकू फेंक कर उस आदमी को मारा। और वो चाकू सीधा......जा कर उसके गले में घुस जाता है|
और झट से जमीन पर पड़ा हुआ बंदूक......उठा कर विधायक के कनपट्टी पर लगाते हुए बोला-
रितेश - उठ.......साले, कुत्ते!!
विधायक के कनपटी पर.......बंदूक सटा देख , विधायक के सारे आदमी.....अपनी-अपनी बंदूके नीचे फेकं देते है.!!
तभी.......अजय उन बंदूको को इकट्ठा कर लेता है|
सुधा..........कुछ समझ नही पाती, वो बस अपनी आंखे फाड़ कर रितेश को देखती हुई शायद यही सोच रही थी की, आखीर ये बहादूर लड़का है कौन? जो चंद लम्हो में ही.....विधायक के सारे घमंड को मीट्टी में मीला दीया.......
..........तभी एक आवाज़ सुधा के कानो में......पड़ता है!! वो आवाज़ जीसे सुने हुए उसे बीस साल हो गये थे.......वो प्यारी आवाज़ सुनते ही उसके.....हाथ के रोगंटे खड़े होने लगते है.......वो आवाज थी-'......दीदी.......!
***सुधा अपना सर धिरे-धिरे पीछे की तरफ घुमाती है.......और जैसे ही उसके नजरो के सामने कज़री का चेहरा दीखा.......वो फफक......फफक कर रो पड़ती है.......कज़री भी झट से सुधा को अपने गले से लगा लेती है!!
.......दोनो बहनो का मीलन देखकर, रीतेश और अजय के आँखो मेँ भी आंशू आ जाते है!!
विधायक - शाबाश.......मान गया तेरी बहादुरी को.......थोड़ा भी समय नही लगा तूने तो मेरा....तख्ता ही पलट दीया!!
विधायक के नाक से खुन बह रहा था!! और जैसे ही विधायक की आवाज सुधा के कानो में पहूचां......वो कजरी से अलग होते हुए !! रितेश की तरफ देखा और फीर कजरी की तरफ देखते हुए......अपनी एक उँगली रितेश की तरफ इशारा करते हुऐ पुछा-
सुधा - ये........
कजरी - रीतेश........मेरा बेटा?
.........इतना सुनते ही.......सुधा एक बार फीर रीतेश की तरफ देखती है.......जो अभी विधायक का गीरेबान पकड़ा था......ये देखकर उसकी आखें एक बार फीर भर आती है!!
विधायक - लेकीन तू अब कर भी क्या सकता है!! जेल में डालेगा.....विधायक हूं ......ऐसे छुट जाउगां.....ऐसे!!
रीतेश विधायक की बात सुनकर........अपनी आंखे बड़ी करते हुए, विधायक की आँखो में देखता हुआ बोला-
रितेश - तू......इतना मत सोच, ये.......कानून......वानून का लफड़ा में पालता ही नही.......!
ये सुनकर.......विधायक घबरा कर बोला-
विधायक - मतलब !
रितेश - यही की तेरी कहानी खत्म!!
ये सुनकर......विधायक रितेश के कदमो में गीर जाता है......और गीड़गीड़ने लगता है......लेकीन जब उसने देखा की, उसके गीड़गीड़ने का कोई फर्क रीतेश पर नही हो रहा है,तो.....
वो झट से कज़री की तरफ.......बढ़ा और उसके कदमो में गीरते हुए गीड़गीड़ा कर बोला-
विधायक - क...........कज़री, मु.........मुझे बचा ले.......तूझे तो पता है की........मैं तूझे कीतना चाहता हूँ॥
और गीड़गीड़ते हुए विधायक........जमीन पर गीरा हुआ चाकू अपने हाथ में लेकर.......
कहानी जारी रहेगी........