अपडेट ----24
रितेश अपनी माँ को अपने सीने से लगाए रखा ll उसकी आँखों में ख़ून में अँगारे दहक रहे थे.... ऐसा लग रहा था की..... वो अभी जाकर ठाकुर के सीने में खंज़र आर पार कर के उसे..... मौत के घाट उतार देगा ll
लेकिन तभी............ ll
सुधा -- समय बेहद करीब आ गया हैँ कजरी..... परसो पूर्णमासी की रात हैँ...... और उस रात, तुझे रितेश से शादी करके.... संकिरा के अमृत जल को उन हैवानों से होगा ll
सुधा की बात सुनकर.... कजरी अपनी आँख के आंसुओ को पोछते हुए बोली ll
कजरी -- मैं करुँगी दीदी.... शादी ll और उस हैवान को
भी... मौत घाट उतरूंगी, जिसने मेरी मांग की सिंदूर उजाड़ दी......
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रात होने को हो रही थी.... रेणुका अपने कमरे में बैठी थी ll वो अपने बेटे का इंतेज़ार कर रही थी..... वो इधर - उधर छटपटा रही थी..... और कुछ मन में budbuda रही थी ll
रेणुका -- रात होने वाली हैँ..... और ये राजीव ना jane कहाँ मर गया हैँ... और उधर चामुंडा बाबा मेरा इंतेज़ार कर रहे होंगे ll
उसकी घबराहट उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी... वो अपने कमरे में से बाहर निकल जाती हैँ... और निचे चली आती हैँ ll
दो घंटे बीत गए...... लेकिन अभी भी, राजीव का कुछ खबर नहीं रहा..... की आखिर वो हैँ किधर !! कुछ देर बाद..... ठाकुर सीढ़ियों से निचे उतर रहा था की रेणुका की नज़र ठाकुर पर पड़ी ll
रेणुका झाट से ठाकुर को देखते ही..... छुप जाती हैँ... ll
रेणुका -- ये इतनी रात को कहाँ जा रहे हैँ??
ठाकुर हवेली से बाहर निकल कर अपनी गाड़ी में बैठ कर.... चल देता हैँ ll
रेणुका भी झट से..... अपनी गाड़ी में बैठ कर, ठाकुर का पीछा करने लगती हैँ.... रेणुका पूरी सूझ -बुझ से गाड़ी चला रही थी.... वो अपनी गाड़ी ठाकुर की गाड़ी से कुछ दुरी पर ही चलाती.... ताकि ठाकुर को कोई शक ना हो ll
ठाकुर की गाड़ी जैसे ही सडक से, जंगल की तरफ घूमती हैँ... ll
रेणुका -- ये क्या.... l ठाकुर तो चामुंडा के मठ की तरफ जा रहा हैँ...
रेणुका ने भी गाड़ी उसी दिशा में मोड़ दी... lll
**जल्द ही ठाकुर... चामुंडा के मठ पर पहुँच जाता हैँ ll
रेणुका ने अपनी...... गाड़ी दूर ही खड़ी की और, धीरे -धीरे चामुंडा ke मठ की तरफ बढ़ी ll वो एक झड़ी के पीछे चुप जाती हैँ... जँहा से वो ठाकुर को साफ सुन सकती थी और साफ -साफ देख भी सकती थी ll
चामुंडा -- आओ ठाकुर, आओ ll आखिर चामुंडा की याद आप को आ ही गई... ll
ठाकुर -- चामुंडा...... सबसे पहेली बात, जिसके पीछे तू पड़ा हैँ.... उसकी सबसे बड़ी बात मुझे पता हैँ... मैं तुझे बता देता, लेकिन मुझे तेरी नियत me खोट लगी ll तू अकेला ही उस अमृत जल को पाना चाहता था ll इसलिए वो बात मैं तुझे नहीं बताई ll
चामुंडा -- अरे ठाकुर...... संकिरा के बारे में जितनी खबर मुझे पता हैँ... उतनी किसी को भी नहीं पता l और तुम कहते हो की.... संकिरा का सबसे बड़ा रहस्य तुम जानते हो ll
ये कहकर चामुंडा हंसने लगता हैँ...... ll
ठाकुर -- हस मत चामुंडा, मना तुझे संकिरा के बारे में सब पता हैँ.... हैँ ll लेकिन संकिरा की रानी..... uske बारे में तो मैं जनता हूं ना ll
..... ये सुनकर चामुंडा.... की आँखे फटी की फटी रह जाती हैँ....... मानो उसके आँख अभी बाहर निकल आएंगे, ll
चामुंडा -- क..... क्या??
ठाकुर अपने कदम चामुंडा की तरफ बढ़ता हैँ..... और उसके नजदीक आकर बोला --
ठाकुर -- हा चामुंडा..... मैं उस औरत के बारे में जनता हूं, की वो कौन हैँ.... और इस समय कहाँ हैँ..... लेकिन ये बात मैं तुझे बताऊंगा नहीं, क्यूकी मैं जनता हूं... तू ये बात जानते ही अपना रंग बदल देगा ll
चामुंडा -- नहीं ठाकुर..... अब ऐसा नहीं होगा, अब से हम और तुम दोनों संकिरा के हकदार हुए.... ये चामुंडा अपनी जुबान देता हैँ की, मैं तुम्हारे साथ कोई छल नहीं करूँगा ll
***रेणुका झाड़ियों के पीछे से सारी बात सुन रही थी.... वो हैरत में पड़ गई की, अब ये संकिरा की रानी कौन हैँ और उसका उससे क्या चक्कर हैँ??
ठाकुर -- तो चामुंडा, अब मैं तुम्हे उस औरत से... पूर्णमासी की रात ही भेंट कराऊंगा.... ll
चामुंडा अपने बाल झटकते हुए...... ठाकुर की तरफ बढ़ा...... और बोला --
चामुंडा -- हमें किसी भी हाल में .... उसका विवाह उसके बेटे से रोकना होगा... ठाकुर ll नहीं तो समझो सब ख़त्म..
ठाकुर -- ऐसा कुछ नहीं होगा चामुंडा..... क्यूकी वो औरत एक पवित्र औरत हैँ.... और अपने बेटे से विवाह करने के बारे में तो वो, सपने में भी नहीं सोच सकती ll
चामुंडा -- नहीं ठाकुर.... अगर संकिरा हैँ, और संकिरा की रानी भी इस धरती पर हैँ तो..... उसका अपने बेटे से विवाह भी संभव हैँ ll
ठाकुर एक पल के लिए सोच में पड़ जाता हैँ..... ll उसने सोचा की बात तो चामुंडा की भी ठीक हैँ....
ठाकुर -- ठीक हैँ चामुंडा, मेरे लठेर उन लोगो पर नज़र रखेंगे...... ll
ये कहकर जैसे ही ठाकुर जाने के लिए मुड़ा..... चामुंडा ने कहाँ -
चामुंडा -- एक बात और ठाकुर....
ये सुनते ही ठाकुर.... चामुंडा की तरफ मुड़ा एयर बोला --
ठाकुर -- कैसी बात.... चामुंडा ??
चामुंडा -- अपनी पत्नी से बच कर रहना.... कल वो मेरे पास आई थी...... वो भी संकिरा के अमृत जल के पीछे पागल हैँ..... उसने तुम्हारे बड़े बेटे को तो मौत के घाट.... उतर ही दिया हैँ, और अब दूसरे बेटे की बली देने आज यही आ रही हैँ..... ll
...... ये सुनकर ठाकुर की तो जैसे.... शरीर के सारे पुर्जे सन्न हो गए.... वो अचंभित रह गया ll
ठाकुर -- वो कुतिया पर मुझे..... पहले ही शक था, मैंने गलती की उसे sankira के बारे में बता कर..... आने दो उस हराम की ज़नी को..... आज उसके चमचे बेटे के साथ उसका भी बली यही चढ़ाऊंगा..... ll ये कहते हुए ठाकुर वही मिट्टी के बने पेड़ के ओटले पर बैठ जाता हैँ......
रेणुका की.... तो हालत खराब हो गई.... उसका गला सूखने लगा, वो समझ गई की अब चामुंडा ठाकुर से गाँठ बाँध चूका हैँ...... और अब मेरी जान लिए बिना ठाकुर मानेगा नहीं...... यही सब सोचते हुए वो धीरे से झाड़ के पीछे से निकल कर अपनी गाड़ी तक आ जाती हैँ...... ll
रेणुका गाड़ी में बैठ कर गाड़ी काफ़ी तेजी से चलाती हैँ....... और जल्द ही हवेली, पहुँच जाती हैँ ll वो बहुत घबराई हुई थी.... उसने गाड़ी से निकल कर सीधा अपने कमरे में गई.... अब तक राजीव भी आ गया था ll
राजीव ने अपनी माँ को देखा..... वो बहुत घबराई हुई सी थी..... वो भी अपने माँ के पीछे -पीछे उसके कमरे में गया तो देखा की..... रेणुका अपने कपड़े एक बैग में भर रही थी ll
राजीव -- क्या हुआ माँ तुम इतना घबराई हुई क्यूँ हैँ ?? और ये कपड़े.....
रेणुका के गले se आवाज़ नही निकल रहा था... उसने कांपते हुए लफ्ज़ो में बोला --
रेणुका -- बेटा..... अब ते जगह हमारे लिए... खतरे से खाली नही हैँ..... समय बहुत कम हैँ... चल तू भी अपने कपड़े..... जल्दी से डाल और निकलते हैँ यहाँ से ll
रेणुका की घबराहट और हड़बड़ी देख कर... राजीव भी परेशान हो गया ll
राजीव -- क्यूँ क्या हुआ माँ ?? ?
रेणुका -- तेरे बाप को हमारे बारे में सब... पता चल गया हैँ...... और वो हमें जान से मरने के लिए..... प्यासा हैँ ll समय बहुत कम हैँ बेटा चल जल्फी यहाँ से निकलते हैँ ll
इतना सुनते ही राजीव भी अपने कपड़े.... बैग में डालने लगता हैँ..... ll
****** इधर ठाकुर... चामुंडा के साथ बैठा था ll ठाकुर गुस्से में जाला रहा था.. वो बस रेणुका का इंतजार कर रहा था...
चामुंडा ने ठाकुर की तरफ देखा.... और बोला ll
चामुंडा -- मंदा.... ठाकुर साहब बहुत क्रोधित लग रहे हैँ ll जरा इनको हमारी शराब तो पिलाओ....
ये सुनते ही मंदा... झोपड़े के अंदर चली जाती हैँ ll
कुछ देर बाद मंदा... झोपड़े के अंदर से बाहर आती हैँ.... ठाकुर ने देखा की मंदा के हाथ में एक मिट्टी की हांडी थी.... ll
मंदा बलखाते हुए चल रही थी..... उसकी मोटी गांड... को देखकर ठाकुर के मुँह में पानी आ गया.... और उसका लंड सलामी मरने लगा.... ll
ठाकुर -- मिट्टी की हांडी मंदा से ले लेता हैँ.... और जैसे ही मंदा पलट कर वापस जाती हैँ.... एक बार फिर ठाकुर की नज़र मंदा के मस्त गांड पर ठीक जाती हैँ ll
ठाकुर की नज़र को चामुंडा पहचान गया.....
चामुंडा -- बड़े उतावले हो रहे हो ठाकुर साहब.... ll
ठाकुर ने मिट्टी की हांडी में... भरा हुआ शराब एक बार में ही गटक जाता हैँ..... उस शराब का स्वाद कुछ अजीब ज़रूर था लेकिन.... कुछ समय बाद ही... उस शराब ने ठाकुर के ऊपर जो नशा चढ़ाया.... की ठाकुर तो मस्त हो गया...... ll
ठाकुर -- क्या बात हैँ चामुंडा.... ऐसी शराब तो मैंने आज टक नहीं पी..... ll
ठाकुर की बात सुनकर... चामुंडा थोड़ा मुस्कुराया और फिर बोला --
चामुंडा -- चामुंडा के दर पर.... सिर्फ मज़े ही मज़े हैँ.. ठाकुर साहब !!
ठाकुर मिट्टी की हांडी.... निचे रखते हुए बोला --
ठाकुर - अगर ऐसी बात हैँ तो.... ये जो तुम्हारी दासी हैँ... ये मुझे पसंद आ गई हैँ..... ll
ठाकुर और कुछ बोलता इससे पहले ही चामुंडा ने.... मंदा को कुछ इशारा किया..... ll
मंदा चामुंडा का ishara पाते ही थोड़ा मुस्कुराई.... और फिर ठाकुर की तरफ अपने कदम बढ़ा देती हैँ ll
....... मंदा ठाकुर के नज़दीक आकर... रुक जाती हैँ ll ठाकुर की आँखे शराब के नशे में थोड़ी बंद ज़रूर थी लेकिन वो मंदा को अपनी आँखे फाड़ कर देख रहा था ll..
....... मंदा ने ठाकुर को देखते हुए थोड़ा मुस्कुराया.. और फिर अपने कपड़े उतरने लगी..... ll
मंदा को कपड़े उतरता देख.... ठाकुर अपनी आँखे और चौंडी कर लेता हैँ... ll
अगले पल ही मंदा...... एकदम नंगी ठाकुर ke सामने खड़ी थी..... मंदा की पहाड़ जैसी चूचियाँ लटक रही थी..... जिसे देखकर ठाकुर के लंड ने kohraam मचा दिया..... मंदा ने ठाकुर के हाथ को अपने हाथ में लिया...तो ठाकुर खड़ा हो जाता हैँ ll
मंदा ठाकुर का हाथ पकडे..... झोपड़े की और चल देती हैँ.... ठाकुर भी मंदा के पीछे - पीछे चल देता हैँ ll
झोपड़े के अंदर आते ही..... ठाकुर ने बिना देरी किये मंदा को अपनी बाहो में भर लेता हैँ..... ll
और मंदा के होंठ को अपने होठो में ले कर चूसने लगता हैँ..... मंदा खड़े खड़े ही.... ठाकुर की बाहो में मचलने लगती हैँ..... बो अपनी गांड घूमने लगती हैँ l
तभी ठाकुर ने..... जोर का थप्पड़ मंदा के गांड पर जद दिया.... और मंदा की गांड को अपनी दोनों हथेलिओ में दबोच कर जोर जोर से दबाने लगता हैँ ll
तभी वहां..... चामुंडा भी आ जाता हैँ.....मंदा को ठाकुर की बाहो में देख.... चामुंडा भी मंदा को पीछे से अपनी बाहो में भर लेता हैँ...... और उसके गले पर चुम्बन की झड़ी लगा देता हैँ...
मंदा.... ठाकुर और चामुंडा के बिच में ख़डी थी और ठाकुर और चामुंडा.... उसे बेतहाशा उसके बदन को चूमे कहते जा रहे थे.... ll
चामुंडा ने पीछे से अपना बढ़ाते हुए.... मंदा की चूचियों पर अपनी हथेली कस देता हैँ..... चामुंडा का पत्थर जैसा हाथ पड़ते ही.... मंदा दर्द से छटपटाने लगती हैँ.....
लेकिन चामुंडा ने बेरहमी से और तेज मंदा की चूचियाँ.... दबाने लगता हैँ... ll मंदा की चीख निकलती... उससे पहले ही ठाकुर ने अपने होठो की पकड़..... मंदा के होठो पर मजबूत कर देता हैँ.. ll
मंदा उन दोनों के बिच छटपटा कर रहा जाती हैँ ll
ठाकुर ने अपना होंठ जैसे ही मंदा के होंठ से अलग कीया..... मंदा के मुँह से एक जोर की चीख निकली ll
मंदा -- अ...... आ....... बा...... बा, ेईईईई......धीरे.... द...... बा..... ओ ll
मंदा की चीख..... ठाकुर के जोश को और बढ़ा देती हैँ.... ठाकुर ने झाट से अपने कपड़े उतार दिए ll
और नंगा अपने हाथ में लंड लिए खड़ा हो गया.... चामुंडा ने.... मंदा का बाल पकड़ कर उसे.... ठाकुर के पैरों के पास बिठा दिया... तब टक ठाकुर... ने मंदा का बाल पकड़ कर..... मंदा के मुँह में अपना लंड... एक झटके में..... ठूंस देता हैँ...... ll
मंदा अपने.... हाथ से ठाकुर को पीछे धकेलने की कोशिस करने लगी...... तभी.... चामुंडा ने... मंदा का हाथ उसके ही कपड़े से बाँध देता हैँ ll
ठाकुर..... ने एक जोर के झटके से apna लंड.... मंदा ke गले तक उतर दिया......!!
और उसके साथ ही..... ठाकुर के phone की घंटी भी बाजी.... ll
ठाकुर मंदा के गले तक लंड घुसाए..... अपने फोन को निकलते हुए.... ll
ठाकुर -- कौन.....??
मालिक..... मैं रामु बोल रहा हूं ll
ठाकुर -- अरे साले.... तुझे ये समय ही मिला था फ़ोन करने के liye.... चल रख बाद में करना... ll
रामु -- अरे मालिक...... मालकिन छोटे मालिक के साथ बैग लेकर ना जाने कहाँ जा रही हैँ.... और बो बहुत घबराई हुई भी लग रही थी ll
रामु की बात सुनकर.... ठाकुर की आंखे चढ़ गई... वो झट से मंदा के गले में से.... अपना लंड निकलते हुए.... गुस्से में बोला ll
ठाकुर -- तो मुँह kya देख rha हैँ हरामी?? पीछा कर उन लोग का.... ll
और ये कहकर.... ठाकुर apne kapde पहनने लगता हैँ ll
Ye देख कर चामुडां भी खाट पर से खड़ा होते हुए बोला-
चामुडां - क्या हुआ ठाकुर?
ठाकुर - साली कुतीया......मेरा पीछा करते हुए, यहां तक पहुचं गयी....और वो हमारी बाते सुन ली और अब भाग रही है!!
इतना कहते हुए......ठाकुर , वहां से नीकल जाता है!!
**सुनसान जंगल के रास्तो पर.....रेनुका गाड़ी को काफी तेजी से भगा रही थी....ll
उसके चेहरे पर..... डर के भाव साफ झलक रहा था ll और उसे पसीने भी हो रहे थे...... राजीव का भी किछ ऐसा ही हाल था ll
राजीव... - माँ लगता हैँ कोई पीछा कर रहा हैँ??
रेणुका..... गाड़ी चलाते -चलाते... घबराहट से पीछे की तरफ अपना सिर मोड़ती हुई...... देखि तो 3 गाड़िया.... उसके पीछे लगी थी ll
राजीव -- माँ आगे देख..... !!!
राजीव ने चिल्लाते हुए बोला......
रेणुका.... हरबराहट में जैसे ही आगे देखती हैँ... एक कुत्ता सड़क पार कर रहा था, की तब तक रेणुका उस कुत्ते को कुचलती हुई... आगे निकल गई ll
........ गाड़ी दूसरे रास्ते से घुमा रामु.... और आगे से रोक ll
ठाकुर.... अपनी गाड़ी तेजी से चलाते हुए.... रामु के पीछे अपनी गाड़ी लाते हुए बोला ll
इतना सुनते ही..... रामु ने... गाड़ी को कच्ची सड़क की तरफ घुमा दिया.... ll
राजीव -- माँ.... लगता हैँ अब हमारा बचना मुश्किल हैँ l
रेणुका..... को कुछ भी समझ me नही आ रहा था l शायद उसे भी लगा की अब बचना मुश्क़िल हैँ ll रेणुका के ब्लाउज़ पसीने से भीग चूका था..... उसके चेहरे से होते हुए पसीना..... उसके गले के रास्तो से होते हुए... रेणुका के चूचियों के बीच से होते हुए..... उसके पुरे ब्लाउस को अब तक भीगा दिया था ll
.......... रेणुका ने गाड़ी की रफ़्तार और तेज की.... लेकीन तभी, उसे सामने से एक गाडी आते हुई दिखी... ll
राजीव -- माँ गाड़ी मत रोकना... ये रामु ही हैँ जो आगे से हमें रोकने की कोशिश करना चाहता हैँ.... ll
लेकिन तभी रामु ने..... अपनी गाडी बीच रास्ते में रोकते हुए..... रास्ता ही जाम कर देता ll और गाड़ी से उतर कर दूर हट जाता हैँ ll
...... ये देख राजीव और... रेणुका का हलक सुख जाता हैँ ll क्यूकी आगे का रास्ता रामु ने जाम कर दिया और पीछे से दो गाड़ियों के साथ ठाकुर लगा था ll
...... रेणुका ने राजीव का मुँह देखा..... दोनों डरे हुए थे ll
रेणुका की गाड़ी..... रामु के गाड़ी के एकदम नज़दीक आ गई थी..... रेणुका ने अपनी दाहिने तरफ देखा.... घना और डरावना जंगल था.... उस तरफ, उसेने बिना कुछ सोचे समझें.... उसी तरफ गाड़ी मोड़ देती हैँ ll
रेणुका की गाड़ी...... पेड़ की डालियो को चीरती हुई... घने जंगल में घुस जाती हैँ l