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Incest बेटा है या.....घोड़(ALL IN ONE)

फीर मचायेगें है की नही?

  • हां

    Votes: 9 81.8%
  • जरुर मचायेगें

    Votes: 8 72.7%
  • स्टोरी कैसी लगी

    Votes: 0 0.0%

  • Total voters
    11
  • Poll closed .

Ritesh111

New Member
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अपडेट -- 25








ठाकुर कुछ देर........सड़क के कीनारे खड़ा होकर उस....घने और डरावने जंगल की तरफ देखता है....और फीर बोला-

ठाकुर - मर गये साले!!

......और इतना कहकर ठाकुर...रामू के साथ! हवेली लौट आता है!!

************************
"और इधर कजरी.....अपने बेटे से तन और मन से शादी करने के लीये हामी भरने के बाद.....रीतेश से नज़रे नही मीला पा रही थी!!

रीतेश जब भी अपने मां से बात करता तो, कज़री उससे आंखे नही मीला पाती!!
कज़री.....सुधा के पास से उठ कर खाना लाने जाने लगी!! तो ये देखकर रीतेश भी कज़री के पीछे-पीछे चल देता है!!

"कज़री को पता चल जाता है की, रीतेश भी उसके पीछे-पीछे आ रहा है!!
कज़री के दील की धड़कने तेज होने लगती है.....ऐसा उसके साथ कभी नही हुआ था.!.लेकीन आज जब रीतेश के कदम जैसे-जैसे उसके पीछे बढ़े आ रहे थे! वैसे-वैसे उसके दील जोर-जोर से धड़कने लगा!!

कज़री रसोई घर में पहुचं कर थाली मे खाना निकालने लगती है!! वो नीकाल तो खाना ही रही थी, लेकीन उसका पूरा का पूरा ध्यान रीतेश के कदमो के आहट पर थी.....जो उसकी तरफ़ बढ़े आ रहे थे|

रीतेश जैसे ही कज़री के नज़दीक पहुचता है...कज़री के हाथ से खाने की पौनी गीर जाती है!!

रीतेश - क्या हो गया है.....मां तूझे? आज सुबह से ही अजीब-अजीब हरकत कर रही है....मुझसे ठीक से बात भी नही कर रही है!!

कज़री कुछ बोलती नही.....बस दुसरे तरफ मुह कर के खड़ी रहती है!!
जब कज़री कुछ नही बोलती तो रीतेश उसके कंधे पर हाथ रख देता है!! रीतेश के हाथो की छुवन....कज़री के शरीर के रोम-रोम को भर देता है....उसकी आंखेँ बंद हो जाती है, सांसे तेज हो जाती है!! यूँ तो रीतेश ने कज़री के साथ बहुत मज़ाक कीया था.....अपनी बांहों में भी भरा था!! तो फीर आज ही ऐसा क्यूँ? की रीतेश के सीर्फ एक छुवन ने कज़री के दील की धड़कन तेज कर दी!! शायद इसलीये क्यूकीं कज़री अब रीतेश को अपने बेटे के रुप में ना मनकर अपने पती के रुप में कल्पना करनी लगी हो.....!!

रीतेश- क्या हुआ मां? मुझसे कोई गलती हो गयी क्या?

........कज़री फीर भी कुछ नही बोलती, और खाने की थाली हाथ में लेते हुए रसोई घर से बाहर चली जाती है!!

"कज़री का बीना कुछ बोले और यूं ही चले जाना......रीतेश के मन मे लाखो सवाल खड़ा कर गयी.....!!

......थोड़ी देर बाद रीतेश भी रसोई घर से बाहर नीकल कर आ जाता है!! बाहर सुधा और पप्पू खाना खा रहे थे....और कज़री बगल में बैठी थी!! रीतेश की नज़रे सीर्फ अपनी मां पर ही टीकी थी!!

**कज़री की नज़र एक बार रीतेश की नज़रो से टकराती है....लेकीन अगले पल ही कज़री की नज़रे झुक जाती है!! कज़री का मासुम और सुदर से चेहरे पर से रीतेश की नज़रे ही नही हट रही थी!!

"कज़री को पता था की,रीतेश उसे ही देख रहा है.....उसने सोचा की पता नही ये बेटे की नज़र से देख रहा है या फीर अपनी होने वाली पत्नी के नज़र सै!! अपने ही सवालों मे उलझी कज़री......लाज़ और हया से उसके गाल गुलाबी हो गये.....और वो एक पल भी रीतेश की तरफ मुह करके नही बैठ पायी और अपना मुह दुसरी तरफ घुमा दी!!!

|कीसी ने सच ही कहा है की, औरतो के मन की गहरायी का पता लगाना कीसी के बस की बात नही.......लाज़ और हया उनका एक सबसे बेशकीमती गहना है.....जो एक पवीत्र स्त्री के पास होता है.....तभी तो वो आज लाज और हया कज़री के मुख पर बीछी पड़ी थी!! वो ये भूल चुकी थी की......जीसके बारे मेँ सोच-सोच कर वो शर्माये जा रही है, वो उसका बेटा है.......लेकीन क्या फर्क पड़ता है? जब कोयी औरत कीसी को अपना तन मन सौपन को कायल हो जाये तो, औरतो की लाज़ और हया का यूं उनके मुख पर आ जाना लाज़मी है!! भले ही उसके दील में बसने वाला वो इँसान उसका बेटा ही क्यूं ना हो!!!

........खैर उस रात सब खाना पीना खा कर सोने चले जाते हे!! कज़री के साथ....सुधा उसके कमरे में चली जाती है!!


*******घने और डरावने जंगल मे, रेनुका की गाड़ी छोटे-छोटे झांड़ीयों को कुचलती हुइ आगे बढ़ी जा रही थी!! झाड़ींया इतनी थी की रेनुका को ठीक से कुछ दीखाई भी नही दे रहा था!! फीर भी वो झाड़ीयों को पार करती हुई आगे नीकल जाती है.......और करीब तेजी से आधे घंटे तक गाड़ी को चलाते हुए एक बड़े से बरगद के पेड़ के नीचे रोक देती है!!

**इतने डरावने जँगल में.....सीर्फ कीड़े-मकौड़े और जानवरो की आवाज़ें ही सुनायी दे रही थी!! रैनुका और राजीव का मारे डर के बुरा हाल हो गया था!!

राजीव - म.....मां ये जँगल तो बड़ा ही डरावना लग रहा है!!
रेनुका का भी हाल कुछ वैसा ही था, लेकीन उसने हीम्मत बांधते हुए कहा-

रेनुका - ड......डर कैसा बेटा? कुछ ही समय में सुबह हो जायेगी!!

राजीव - अभी तो समय है मां......तब तक क्या करेगें?

राजीव ने रेनुका की ओर देखते हुए बोला-

रेनुका - तब तक हम??
इतना बोलते ही......रेनुका अपना पल्लू, अपनी मस्त चुचीयों से नीचे सरका देती है!!

**राजीव भी ये देखते ही.....अपनी मां का बाल जोर से पकड़ कर....अपनी बांहों में खीच लेता है!!
रेनुका कीसी भूखी शेरनी की तरह, राजीव के पजामें खोलने लगती है......और खोलने के बाद झट से......राजीव के लंड को अपने मुह में भर लेती है!!

राजीव - आह......साली, आराम से.....चूस!! पूरी रात पड़ी है.....दो मीनट मेँ ही नीकाल देगी क्या?

रेनुका - साले.....मादरचोद, अपनी मां की मुह की गरमी बरदाश्त नही कर पा रहा है.....भोसड़ीवाले मेरी गांड कैसे मारेगा?

और इतना बोलकर......रेनुका फीर से, राजीव का लंड नीगल लेती है!!

राजीव......अपनी मां के बाल पकड़े, उसका सर जोर-जोर से अपने लंड पर झटकने लगा!!

.......राजीव और रेनुका अपने हवस में इतने अंधे हो गये थे की उन्हे इतना भी नही पता की....कोइ गाड़ी के शीशे के बाहर से उन्हे देख भी रहा है!!!

*****और इधर ठाकुर हवेली की तरफ़ जा रहा था की....उसने अपनी गाड़ी बीच रास्ते पर रोकते हुए, बोला-

ठाकुर - रामू, तू हवेली जा मुझे कुछ काम है!! सुबह आउगां!!


.......रामू फीर हवेली की तरफ नीकल जाता है!! हवेली पहुचं कर रामू गाड़ी से जैसे ही नीचे उतरता है.......सामने चंपा खड़ी थी|

चंपा - क्या हुआ रामू? तुम लोग मालकीन के पीछे क्यूँ गये थे?

रामू की नज़र.....चंपा के मदमस्त गोल मटोल गांड पर पड़ती है......तो उसका दीमाग सनका। उसने सोचा की आज तो इस रंडी को जी भर के चोदूंगा!!

रामू- तेरी मालकीन तो, दूनीया से गयी!! अब तेरी बारी है.....तू भी उसकी चमची थी ना!! मूझे सब पता है......आने दो ठाकुर साहब को, सब बताउगा!!

........इतना सुनते ही, चंपा की हालत को जैसे लकवा मार गया हो!!

चंपा - नही रामू.......ऐसा मत कर, ठाकुर साहब मुझे जान से मार देगें!!

रामू - साली......रडीं , तेरा मरना ही ठीक है!!

चंपा - तो तूझे क्या मीलेगा? अगर तू ठाकुर को बता भी देगा तो??

रामू- मतलब??

चंपा.....रामू का हाथ पकड़ कर हवेली के अँदर चली जाती है.....और ठाकुर के कमरे में जाते ही दरवाजा अँदर से बंद कर देती है!! और पल भर में अपनी साड़ी उतार कर नंगी हो जाती है!!

.....रामू ने आज तक कीसी औरत को नंगी नही देखा था!! और उसका लंड तो चंपा के बदन के कटाव देखकर ही खड़ा हो जाता था!! और आज तो चंपा खुद पुरी की पुरी मादरजात नंगी खड़ी थी.....उसके सामने!!

चंपा ने अपने झाटों भरी.....बुर की फांको को अपनी उगंलीयों से फैलाते हुए बोली-

चंपा - ये तूझे कैसा लगा?

रामू के नसो में खून की रफ्तार तेज चलने लगी......उसने चंपा को उठा कर बीस्तर पर पटक दीया!! और झट से चंपा के दोनो टागों को उपर की ओर उठाते हुए.. अपना मुह चंपा के बुर पर लगा कर कीसी कुत्ते की तरह चाटने लगता है!!

चंपा.....मचल उठी, आज तक कीसी ने भी उसके बुर को नही चाटा था!! और आज जब रामू ने उसके बुर को कीसी कुत्ते की तरह जीभ नीकाल कर चाटा तो.....वो मज़े में पागल हो गयी.....उसने अपना एक हाथ रामू के सर पर रखते हुए अपने बुर पर दबाते हुए....सीसकने लगी.!!

चंपा - आ.......ह, चाट ले कुत्ते.....अपनी कुतीया की बुर.....बड़ा मज़ा आ रहा है...रे.....

रामू ने....चंपा के बुर०को चाटते -चाटते एक उगंली उसके बुर में घुसा देता है!!

.....चंपा की बुर पानी उलगने लगती है....चंपा ने रामू का सर पकड़ कर बीस्तर पर पलटते हुए उसके उपर चढ़ जाती है!! और अपना बुर रखते हुए उसके मुह पर बैठ जाती है...!

.....रामू तो कीसी पागल कुत्ते की तरह चंपा की बुर चाटते जा रहा था!!

चंपा - आ......ह, हरामी......धी....रे....चाट,

........तभी रामू ने चंपा को , उठा कर घोड़ी बनने को कहा!!

चंपा भी बीना देरी कीये.....अपनी गांड उठाये घोड़ी बन जाती है!!!

रामू जोश में आकर अपने कपड़े नीकाल फेकंता है!! और अपना खड़ा लंड चंपा के बुर मेँ पेल देता है!!

चंपा - आ.........ह, .रा..........मू.......चो.......द.......मुझे!!

रामू ने चंपा का कमर पकड़ा और ताबड़ तोड़ धक्के लगाने लगा!!

चंपा ने ठाकुर का मोटा लंड पहले खा लीया था, इसलीये वो रामू का हर धक्का सह लेती!!
लेकीन चंपा को रामू के लंड से चुदने में कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था!!

चंपा - चो......द रामू.......आ....आ.......इ.....मां!!

रामू ने......चंपा को नीचे जमनी पर खड़ा कर दीया......और थोड़ा नीचे झुकाते हुए उसके बालो को.....दो हीस्सो में करते हुए अपने दोनो हाथो में पकड़ कर , अपनालंड फीर से चंपा के बुर में पेल देता है!!

रामू चंपा को चोदते हुए.....उसके बालो को अपने दोनो हाथो में पकड़ कर ऐसे खीचता जैसे कोइ घोड़े की सवारी कर रहा हो!!

चंपा - आ......हरामी.....बड़ा मस्त चोद रहा है....मेरा नीकलने वाला है.....मैं गयी.....गयी....

रामू ने अपने धक्के की रफ्तार और तेज कर दी.....पूरे कमरे फच्च , फच्च की आवाज़ और चंपा की मदमस्त चीखे गुजं रही थी.....!!


कुछ देर में ही, रामू अपने लंड का पानी चंपा के बुर में लबालब भर देता है!!


रामू चंपा को लेकर बीस्तर पर......गीर जाता है!! दोनो हाफने लगते है.....चंपा रामू के होठो पर एक चुम्बन जड़ देती है!!


चंपा - कसम से.....इतना मज़ा तो ठाकुर से चुदने पर भी नही आया!!

रामु ने चंपा की चुचीयों को धीरे-धीरे मसलते हुए बोला-

रामू - सच....तो तू मेरी रंडी बनकर क्यूं नही रहती?

चंपा - अब से मैं सीर्फ तेरी ही रंडी हूं!! लेकीन एक काम करना होगा हमें!!

रामू - कैसा काम?

चंपा - कल मैं ठाकुर से एक आखीरी बार चुदवाउगीं!! और फीर उसके तीज़ोरी की चाभी कीसी तरह घसका कर......सारा जेवर और पैसे उड़ा लेगें!!

.....रामू ये सुनते ही रामू चंपा को अपनी बांहों में भर लेता है.....और होठो को उसके होठो से सटा देता है......
 

brego4

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haha yaar story mein ek se badh kar ek changes aa rahe hain

update ki speed bhi usi hisab se rakhna
 
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jonny khan

Nawab hai hum .... Mumbaikar
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Nyc & hottttt updates ..!!!!!
 
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