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Incest बेटी का हलाला अपने ही बाप के साथ

shubhamsunhare

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GIF dalne ke tumhri maa chudai jati hai kya bsdk story likha nahi aati kya mc
 
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Incestlala

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अब्बास -" ज़ैनब बेटी. अब मैं क्या कहूं? तुमने तो मेरे मन की बात कह दी. मैं तुम्हे उस्मान के साथ जाने को कह तो रहा था पर असल में मैं अब तुम्हारे इस सुन्दर शरीर और तुम्हारी टाइट चूत और गांड को कैसे भूल पाउँगा. चलो ठीक हैं. अब उस्मान के साथ दोबारा निकाह के बाद भी हम अपना यह रिश्ता सदा कायम रखेंगे. दुनिया की नजरों में हम बाप बेटी होंगे और एक दुसरे के लिए हम मियां बीवी होंगे. एक बेटी होने के नाते तुम कभी भी इस घर में आ सकती हो, न तो किसी को कोई शक होगा और न ही उस्मान को कोई एतराज हो सकता है. तुम्हारा जब भी चुदवाने का मन हो अपने अब्बा के पास आ जाना और मेरा भी जब तुम्हे चोदने का मन होगा मैं अपनी बेटी को बुलवा लिया करूँगा. ठीक है? चलो अब जल्दी से तैयार हो जाओ उस्मान के आने का टाइम हो रहा है. "

ज़ैनब ने हाँ में सर हिलाया और उठ कर तैयार होने चली गयी.

थोड़ी देर में दोनों बाप बेटी तैयार हो गए और तभी उस्मान भी आ गया.

आते ही उसने अब्बास को सलाम किया और बैठ गया. उसे यह पूछने में शर्म आ रही थी कि क्या दोनों बाप बेटी का हलाला हो गया है? (यानि क्या दोनों में चुदाई हो चुकी है?). ज़ैनब भी चुप करके बैठी थी.

पर अब्बास समझ गया और बोला

"बेटा उस्मान. यह हमारी जिंदगी का सबसे अजीब दिन था. ज़ैनब मेरी बेटी है पर देखो अल्लाह ने हमें किस मोड़ पर ला खड़ा किया है कि मुझे ही उस से निकाह करना पड़ा और हलाला करना पड़ा. पर मैं यह नहीं भूल पाया की वो मेरी बेटी है. मैंने अल्लाह को खुश करने के लिए थोड़ा सा हलाला किया ताकि तुम्हारा निकाह उस से दोबारा हो सके. पर अब मैं उसे तलाक दे देता हूँ ताकि तुम उस से दोबारा निकाह कर सको. पर अल्लाह गवाह है की अब मेरे तलाक देने के बाद में अपने जेहन से इस गुजर चुकी मनहूस रात के वाकया को सदा के लिए भुला दूंगा और आज के बाद अब ज़ैनब फिर से मेरे लिए मेरी बेटी ही होगी. और मेरे दिल में उसके लिए एक बाप का ही प्यार होगा. "

अब्बास झूठ मूठ कह रहा था और ज़ैनब भी दिल ही दिल में हंस रही थी.

खैर इसके बाद अब्बास ने ज़ैनब को तलाक दे दिया और फिर एक मौलवी के रूप में उसने दोबारा से उस्मान और ज़ैनब का निकाह पढ़वा दिया.

इस सब के बाद ज़ैनब ने नाश्ता बनाया और तीनों ने बैठ कर नाश्ता किया.,

फिर उस्मान बोला

"अब्बा जान अब हम चलते हैं. अल्लाह के रहमोकरम से सब ठीक हो गया है और किसी को पता भी नहीं चला है. अब हम चलते हैं. ज़ैनब अब भी आपकी बेटी है और वो जब चाहे आपसे मिलने आ सकती है."

ज़ैनब बर्तन उठा कर किचन में धोने चली गयी.

उस्मान बोला -" अब्बा मेरा थोड़ा पेट खराब है. मैं जरा टॉयलेट हो कर आता हूँ. फिर मैं और ज़ैनब चलते हैं. "

यह कह कर उस्मान टॉयलेट चला गया.

ज्योंही उस्मान टॉइलेट के लिए गया. तुरंत अब्बास उठ कर ज़ैनब के पास आया और बोला

"ज़ैनब बेटी. अब तुम मुझे छोड़ कर चली जाओगी. यह सोच कर ही मेरा दिल बैठा जा रहा है. मेरा और खास कर मेरे इस लण्ड का तुम्हारे बिना क्या होगा. देखो तुम्हारी याद में यह कब से टाइट होकर खड़ा है. और तुम्हारे जाने के दुःख से आंसू बहा रहा है. "

यह कहकर अब्बास ने अपना लण्ड जो कि बिलकुल टाइट था, अपनी लुंगी हटा कर दिखाया। अब्बास का लण्ड इतना टाइट था की उसकी नसें भी साफ़ दिखाई दे रही थी.

ज़ैनब ने अपने अब्बा का लण्ड हाथ में पकड़ लिया और उसे प्यार से सहलाते हुए बोली. "अरे अब्बा! आप ऐसे न कहें. सच में मेरा भी दिल जाने का बिलकुल नहीं है. आप ऐसे बोलेंगे तो मैं अभी रो पड़ूँगी. आप चिंता न करें। मैं जल्दी ही कोई बहाना बना कर आपसे मिलने आ जाउंगी. और फिर आप जिस तरह चाहें मुझे चोद लेना. अभी तो मेरी दुबारा शादी भी हो चुकी है उस्मान से. और वो मेरे को लेकर जाने वाला है."

अब्बास बोला

"वो तो सब ठीक है बेटी. मैं तुम्हारे दिल का हाल भी जानता हूँ. पर इस खड़े लण्ड का क्या करूँ. तुम्हे देख देख कर तो यह और भी टाइट हो रहा है. तुम ऐसे करो, कि जब तक उस्मान टॉयलेट से बाहर आता है. तुम किचन में आ जाओ और अपना लेहंगा ऊपर उठा लो ताकि मैं जल्दी से एक राउंड छोड़ लेता हूँ फटाफट। हम किचन से देखते रहेंगे और ज्योंही उस्मान आएगा मैं अपना लण्ड निकाल लूंगा. अब जल्दी से किचन में चलो. "

ज़ैनब ने कहा " अब्बा. मन तो मेरा भी यही कर रहा है की जाने से पहले फटाफट एक राउंड चुदाई का हो जाये पर यह ठीक नहीं होगा। बहुत खतरा है. उस्मान किसी भी टाइम बाहर आ सकते हैं. यदि पकडे गए तो बहुत मुश्किल हो जाएगी. और हमारा यह मिलान आगे भी नहीं चल पायेगा. इसलिए आप किसी तरह अपने मन को समझा लीजिये. या एक काम करते है कि किचन में चलते है और मैं फटाफट आपकी मुठ मार देती हूँ. आपका पानी भी निकल जायेगा और आपको शांति भी मिल जाएगी. चुदाई का तो टाइम नहीं है. बस आप जरा जल्दी कीजिये. "

यह कहकर ज़ैनब ने अब्बास का लण्ड हाथ में पकडे पकडे ही उसे हिलाना शुरू कर दिया और उसे खींच कर किचन की ओर जाने लगी.

इसी तरह मुठ मारते मारते दोने किचन में चले गए.

ज़ैनब ने उन्हें हाथ से धीरे से दीवार की तरफ धकेला जिससे ठीक खिड़की के बगल की दीवार से चिपका कर खड़े हो गए.

फिर उन्हें वहीं खड़े रहने का इशारा किया।

चूंकि किचन में लाइट थोड़ी काम थी तो बाहर से वैसे भी कुछ दिखाई नहीं देने वाला था।

ज़ैनब अब्बा के बगल में आकर खिड़की से सट कर ऐसे खड़ी हो गई कि उसे टॉयलेट का दरवाजा अंदर दिखाई देता रहा.

ज़ैनब ने थोड़ा और एडजस्ट कर लिया उनके लंड को मुट्ठी में भर कर उस को आगे-पीछे कर खड़े-खड़े ही मुठ मारने लगी।

अब्बास थोड़े घबराते हुए ज़ैनब हाथ को हल्का सा पकड़ते हुए धीमे से बोले- अरे बेटा, यहां मत करो, फर्श गंदा हो गया तो दिक्कत हो जाएगी।

दरअसल अब्बा डर रहे थे कि कहीं उनके लंड का पानी निकल कर फर्श पर गिर ना जाए।

ज़ैनब ने उंगली से चुप रहने का इशारा करते हुए कहा- कुछ नहीं होगा, आप चुपचाप खड़े रहिए!

थोड़ी देर इस तरह हाथ से अब्बा का लंड हिलाने के बाद ज़ैनब ने हाथ हटा लिया और उनसे खिड़की की तरफ इशारा करते हुए धीमे से उनसे कहा- यहां से अंदर ध्यान दिए रहिएगा.

अभी अब्बास कुछ समझ पाते … तभी ज़ैनब घूम कर उनके सामने आ गई और घुटनों के बल नीचे बैठ गई और उनके कुर्ते को ऊपर उठा कर ज़ैनब ने अपना सिर कुर्ते के अंदर कर लिया, जिससे उनके कुर्ते से उसका सर ढक गया।

फिर ज़ैनब ने एक हाथ से लंड की पकड़ा और सुपारे को मुंह में लेकर चूसने लगी।

ज़ैनब जान रही थी कि अबकी बार देर तक लंड चूसने को मिलेगा क्योंकि अब्बा पहले ही 2 बार झड़ चुके हैं तो तीसरी बार में वे थोड़ी देर से झड़ेंगे।

वैसे भी लंड को चूसने में उसे बहुत मजा आता था इसलिए उसे उनके देर से झड़ने में कोई दिक्कत भी नहीं थी। बस एक ही डर था कि कहीं उस्मान जल्दी बाहर न आ जाये

वहीं इस तरह घर में उस्मान से छुपकर अब्बा के लंड को चूसना दोनों को और उत्तेजित कर रहा था।

अब इस बेटी अब्बा खेल में अब्बास को भी मजा आने लगा था।

उन्होंने कुर्ते के ऊपर से ही अपना एक हाथ ज़ैनब सिर पर रख दिया था और मजे से अपनी कमर हल्का-हल्का हिलाते हुए लंड चुसवा रहे थे।

इसी तरह करीब ५-७ मिनट तक लगातर लंड चूसने के बाद अब्बा तेजी से अपनी कमर हिलाने लगे.

ज़ैनब समझ गई कि अब वे झड़ने वाले हैं।

तो ज़ैनब भी तेजी से सर को आगे-पीछे कर लंड चूसने लगी.

फिर अचानक अब्बा अपनी कमर को तेज झटका देते हुए ज़ैनब मुंह में लंड का सारा पानी निकाल दिया।

ज़ैनब भी लंड को तब तक मुंह में लेने के लिए चूसती रही जब तक लंड का एक-एक बूंद पानी नहीं पी लिया।

लण्ड से दो बार पहले भी पानी निकल चुका था तो इस बार बस थोड़ा ही पानी निकला जिसे ज़ैनब पूरा पी गयी।

कुछ ही देर में अब्बा का लंड ढीला हो गया था … उसके बाद ज़ैनब ने लंड को मुंह निकाला और अब्बा की लुंगी से ही मुंह को पौंछा और खड़ी हो गई।

अब्बा की सांसें अभी भी तेज चल रही थीं … जैसे कहीं से दौड़ कर आ रहे हों.

ज़ैनब ने धीमे से अब्बा से कहा- देखा, फर्श भी गंदा नहीं हुआ और काम भी हो गया।

अब ज़ैनब और अब्बा एक-दूसरे से इतने खुल चुके थे कि हमारी बातों से ऐसा लग ही नहीं रहा था कि ज़ैनब और वे बाप-बेटी हैं।

इतनी देर में टॉयलेट का दरवाजा खुलने की आवाज़ आयी. उस्मान बाहर आ रहा था.

दोनों बाप बेटी फटाफट अलग हुए और ज़ैनब ने फ्रिज से कोल्ड ड्रिंक का बोतल निकाला और उसे गिलासों में डालने लगी.

अब्बास भी प्लेटों में खाने का सामन डालने लगा।

उस्मान दोनों बाप बेटी को किचन में देख कर उधर ही आ गया, पर तब तक दोनों लण्ड चुसाई का काम ख़तम कर चुके थे.

फिर सभी बाहर सोफे पर आ गए और कोल्ड ड्रिंक वगैरह पी कर दोनों चलने लगे.

उस्मान ने मोटरसाइकिल निकाला और दोनों उस पर बैठ गए.

अब्बास ने धीरे से पीछे बैठी अपनी बेटी के चूतड़ पर चुपके से हाथ फेरते हुए कहा.

"बेटी ज़ैनब ! अब जल्दी ही आना और कुछ दिन रह कर जाना। तुम्हे तो मालूम ही है की तुम्हारी अम्मी की मौत के बाद मैं कितना अकेला रह गया हूँ. तुम आ जाती हो तो घर में रौनक आ जाती है. और उस्मान बेटे तुम भी जल्दी जल्दी चक्कर लगा लिया करो. मुझे भी अच्छा लगता है. "

उस्मान बेचारा सोच रहा था की एक बाप अपनी बेटी को प्यार से बुला रहा है. पर उस बेचारे को क्या पता था की असली बात क्या है. उसे तो यह भी पता नहीं था की इस बात करते समय भी अब्बास की ऊँगली उसकी बेटी ज़ैनब की गांड की दरार में चल रही है.

वो बोला "जी अब्बाजान. हम अक्सर आते रहेंगे और यदि मुझे टाइम न भी लगे तो ज़ैनब आ जाया करेगी. "

ज़ैनब भी मुस्कुरा कर चुपके से अपने बाप अब्बास को आँख मार कर बोली.

"जी अब्बा. मुझे मालूम है कि आप मुझे कितना प्यार करते है. आप फ़िक्र न करे. मैं अब आपको अम्मी की कोई भी कमी महसूस नहीं होने दूँगी."

उस्मान भी हाँ में गर्दन हिलता रहा. उस बेचारे को क्या पता था कि उस की बीवी अपने बाप को उसकी अम्मी की कमी किस तरह महसूस नहीं होने देगी.

फिर उस्मान और ज़ैनब जल्दी ही वापिस आने का वायदा करके चल पड़े.

इस तरह एक बाप और बेटी का हलाला निकाह हुआ। उस दिन के बाद आज तक उन दोनों का सम्बन्घ उसी तरह चल रहा है. ज़ैनब मौका मिलते ही अपने अब्बा के पास आ जाती है और दोनों खूब जोर जोर से चुदाई का खेल खेलते है. अब्बास अपनी बेटी के तीनों छेदों (मुंह गांड और चूत )का भरपूर मजा लूट रहा है और ज़ैनब को भी अब उस्मान के लण्ड के छोटे होने का कोई गम नहीं है क्योंकि उस की प्यास भुजाने के लिए उस के बाप का मोटा और खूब बड़ा लण्ड हमेशा तैयार है.

समाप्त
Superb story
 
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