बेरहम है तेरा बेटा----1
अपडेट----8
सोनू अपनी बेेेर..हमी पर उतर आया था.... कस्तुरी की एक चुचीं
की बैंड बजाने के बाद अब.उसकी दुसरी चुचीं की तरफ रूख
मोड़ा...
कस्तरी--- हे। भगवान, इतना जोर से मत दबा रे बेेरहम......आह,
सनूू---- आहसम से रानी.... तेरी चुचीयां तो बवाल हैं।
कस्तुरी-----.....आह....इसी लिए त इतनी जोर जोर से दबाा
रहा है ना.भले मेरी हालत खकुछ भी हो...।
सोनू----- तू सली मजे ले रही है....मुझे सब ........पता है ।
कस्तूरी----हां मुझे सब पता है। तुम भी तो मज़े लेते हो।
सोनू--- चल अब ज़रा कुतीया तो बन ।
कस्तूरी फटाक से कुतीया बन जती है, सोनू कस्तूरी की मोटी
और बडी गांड देखकर पागल हो जता है, वो उस पर जोर से
थप्पड़ लगता है.....
कस्तूरी--- आह .....मा आराम से........
सोनू--- चुप साली एक तो इतनी बडी बडी गांड ले के मेरे लंड
मे आग लगाती है और कहती है आराम से .....आज तो तेरी गांड
का वो हाल करूंगा की तू जीन्दगी भर अपनी गांड में मेरा लंड
लिये घूमेगी ।
कस्तूरी ---- आह मेरे राजा यही तो मै चाहती हू.......की तू
अपना मुसल लंड से मेरि बुर और गांड चौड़ी कर
दे.....आ........आ....न......ही......निका........ल.....सोनू।
अब तक सोनू का लंड कस्तूरी के गांड का सुराख बडा करता अंदर
जड़ तक पहुंच गया था.....और कस्तूरी इधर उधर छटपटा रही थी
लेकिन सोनू उसके कमर को पकड़ बेरहमी से उसकी गांड के छोटे
से सुराख में अपना मोटा लंड पेले जा रहा था.....अचानक
कस्तुरी उसके चंगुल से छूटती है और रोते रोते भाग कर खाट के बगल
एक कोने में अपना गांड पकड़ी बैैैठ जती.......है।
कस्तूरी जोर जोर से रो रही थी।
सोनू अपना मोटा लंड लिये वैसे ही खाट पर था ..... कस्तूरी
रोते रोते सोनू के लंड को देख रही थी जिस पर खून लगा हुआ और
निचे रज़ाई पर टपक रहा था .......
सोनू---- चल मेरी कुतीया जल्दी आ ....देख मेरा लंड कैसा
फुफफुफकार रहा है......।
कस्तूरी (रोते हुए)---- नही नही ...... मेरी गांड फट गायी है .....मैं
अब नही ले सकती .......तू बेरहम है .....तूझे सिर्फ अपनी मज़े की
पड़ी रहती है.....बकी औरतें मरे या जिये उससे तूझे कोई मतलब
नही......।
सोनू---- अच्छा चल आजा आराम से करूँगा ।
कस्तुरी---- नही मुझें पता है तू फाड़ डालेगा.....
सोनू---- अरे मेरी जान फाड़ तो दिया ही है .... अब कितना
फडुगा......।
कस्तुरी----- सच में ना धीरे धीरे करोगे ......।
सोनू--- हा सच में चल अब आ जा......।
कस्तुरी के आंख के आंसू बयाँ कर रहे थे की उसको कितना दर्द हो
रहा था ......वो डर भी रही थी की सोनू4उसका क्या हाल
करेगा ......यही सोचते सोचते ......वो खाट पर अपनी मोटी
गांड सोनू की तरफ कर कुतीया बन जती है........।
सोनू इस बार कस्तूरी की कमर मजबूती से पकड अपना लंड बेरहमी
से फिर से कस्तूरी के गांड में घुसा देता है .....।
कस्तूरी
(चिल्लाते हुए) .....ही........आ.aaaaaaaaaa........आ...मां ....छोड़
.......दे........सोनू ।
सोनू---- चिल्ला साली कितना चिल्लाएगी .....बहुत भगती है
ना .....ले अब मेरा लंड ......अपनी गांड मे.....कसम से तेरी गांड
तो .....आह बहुत टाइट है।
कस्तूरी को तो जैसे होश ही नही था .....उसकी गांड में सोनू
का लंड गदर मचा5रहा था ......और कस्तूरी का चिल्ला
चिल्ला कर गला सुख गया था ......वो अब और दर्द बर्दाश्त
नही कर सकती थी ......उसकी आंखे बंद होने चली थी
......लेकिन तभी सोनू अपना लंड उसकी गांड से निकाल उसकी
बुर पर रख जोर का धक्का देता है।.......
कस्तूरी ........-- आ aaaaaaaa.........आह ...नही ......बेर.....हम
......छोड़ ...आ.....दे।
एक और दर्दनाक चीख कमरे में गूंजती है.......।
सोनू----- साली कितने दिन से नही ....आह......चुदी है .....तेरा
तो बुर भी कमाल का है......।
कस्तुरी----- सोनू .........बे......टा रहम ....आह .....मां
......क्या ......करू ......बहुत दर्द......।
सोनू तो अपनी मस्ती में मस्त उसकी बुर का भी भोस्डा बना
दिया था .......।
लगातर धक्को ने अब कस्तुरी के बुर को अन्दर तक खोल दिया
था ......और सोनू का लंड आराम से ले रही थी .....उसका दर्द
अब कही ना कही सिस्करियो में बदल रही थी। उसकी बुर भी
पनियो से भर गइ थी ....और सोनू अपना पुरा कमर उठा उठा कर
उसे चोद रहा था .......फच्च फच्च की आवाज़ पुरे कमरे में गंज रही
थी ......।
कस्तूरी------ आह .....बेरहम .....बहुत दर्द ....दिया tune...अब
मज़ा आ रहा .....है.......eeeeeeeeeeeee......न.ही.......आ....
आ.....वहां नही......मेरी .....गां.....................ड ।
सोनू ने फीर से अपना लंड उसकी बुर से निकाल उसकी गांड में
पेल दिया था .........जँहा एक तरफ अब कस्तूरी को मज़ा आने
लगा था ......लेकीन सोनू बेरहम शायद अभी कस्तुरी को और
रुलना चहता था .......aअपना लंड कस्तूरी की गांड में डालकर
जोर जोर से धक्का मार रहा था .........।
कस्तूरी(रोते हुए)------- आ........ह...ह......मार .....डाल
....हरामी ....आ .......शायद तभी.....आह....तूझे चैन मिले
.....आ .....भगवान।
शायद कस्तूरी भी सोनू से हार मान गयी थी........।
सोनू----- उसका बॉल खीचते हुए----- कैसा लग रहा है.....जान।
कस्तूरी----- आ.......aआ........मै ....मर ....जाऊंगी .......सोनू
.....निकाल ....ले मेरी गांड से.....।
सोनू---- पहले बोल कभी उछल कर भागेगी?
कस्तूरी-- कभी नही ......
सोनू ने अपना लंड उसके बुर में वापस डाल कर दानदन कस्तूरी
को चोदने लगा......।
कस्तूरी------आ .......मर.....गायी.....रे हर बार इसका
....आ...ह.....लंड मेरी हालत खराब कर देता है.......आ ह.....मजा
आ रहा है ..... sonu.....कितना अन्दर डालेगा .....।
सोनू--- तूझे कितना अन्दर चाहिये .....मधर्चोद ......फट ......एक
थप्पड़ गांड पर जड़ देता है ।
कस्तुरी--- आह.....तू बहुत ....आह ....अंदर डाल चुका है ....
sonu.....बहुत मज़ा आ रहा है ......।
सोनू----- अब मजा आ रहा है रंडी ......साली .....तभी तो
चिल्ला रही थी।
कस्तुरी-----आह ..... so...
.......nuuuuuu........मै गायी .....जोर जोर से चोद फाड़ दे
......आपनी चाची की बुर ......आह मुझे4पता है .......आइ
.........की तू ही औरतों की बुर फाड़ सकता है।
इतना सुनना था की सोनू उसका बाल खींच और उसके गांड पर
थप्पड़ की बरसात करते पूरी जोर से चोदने लगता है.......।
कस्तुरि ---- आ ........beta........मै गयी ........ aur......कस्तुरी
खाट पर मुह के बल गीर अपना पानी छोड़ने लगती है ...... और
उधर सोनू भी उसके गांड पर चढ़ 4,5धक्के जोर का लगता है
.....और अपना पुरा पानी उसकी बुर मे भरने लगता है.....।
कस्तुरी------आह ...सोनू कर दे अपनी चाची को गभिन ......
बना ले मुझे अपनी बच्चे की माँ ।
सोनू अपने लंड का पानी उसकी बुर की गलियो मे छोड़ खाट पर
लेट4जाता है ।
कस्तुरी उसके सिने पर सर रख देती है.......।
कस्तुरी----आज तुने तो मेरी हालत खराब कर दी।
सोनू--- साली .........जोर जोर से चिल्ला कर मज़े ले रही थी तू
।
कस्तुरी----- सच में सोनू ये तेरा लंड अगर दर्द देता है तो पुरा
अध्मरा कर देता है .....और मज़ा देता है तो स्वर्ग की सैर करा
देता है.....।
सोनू----अच्छा ठीक है......गला सुख रहा है .....थोडा पानी
पिला।
कस्तुरी----- ठीक है मेरे राजा लाती हू.......।
और कस्तुरी पानी ला कर सोनू को देती है......सोनू पानी
पिता है और कस्तुरी को बांहों में भर कर धीरे धीरे नींद की
आगोश में चला जाता है........।
सुबह सुबह सीढ़ियो के दरवाजे की खटखटहत की आवाज़ से
कस्तुरी की नींद खुलती है ...... उसके कानो में सुनीता की
आवाज़ आती है।
वो जैसे ही खाट पर से उठती है उसके बदन में दर्द महसूस होता है
......... aur..... उसे ऐसा लग रहा थाा जैसे उसके बुर और गांड को
किसी ने चाकू से ......चीर दिया हो । ऐसा...दर्द हो रहाा
था उसे ।
कस्तुरी----- आह दईया, इस मुए ने तो मेरी हालत खराब कर दी है
....मुझसे तो चला भी नही जा रहा है।
वो लडखडते लडखडते सीढियों तककी पहुँची और दरवाज़ा
खोलती .....।
सुनीता---- कब से चिल्ला रही हूँ सुनाई नही देता तुझे ।
कस्तुरी----- मै तो रात भर चिल्ला रही थी तुमने सुना क्या
दीदी ।
सुनीता-----क... क्या मतलब है तेरा
कस्तुरी----- वही जो तुम सोच रही हो दीदी।
सुनीता---- हे भगवान , तू भी ना ..... तुम सब औरतें मील कर4मेरे
बेटे को बिगाड़ रही हो।
कस्तुरी ------ बड़ा मज़ा देता है दीदी तेरा बेटा .....हाँ बेरहम है
....एक बार जान आफत में डाल देता है ......लेकीन उसके बाद
......आ........ह दीदी क्या बताऊ .......।
सुनीता(थोड़ा मुस्कुरा कर)----- अच्छा ठीक है अब चल घर का
काम करना है ।
कस्तुरी----- नही दीदी मुझसे नही होगा । बहुत दर्द कर रहा है।
सुनीता---- क्या दर्द कर रहा है?
कस्तुरी----- अपने बेटे से पुछ लेना।
सुनीता---- चुप छिनाल ।
और फीर दोनो हंसने लगती है.......।
सुनीता कस्तुरी को सहारा दे कर निचे ले आती है।
सुनीता------ ऐसा क्या कर दिया सोनू ने की तू, फतिमा से भी
ज्यादा तेरी हालत खराब हो गायी।
कस्तुरी------ जिसकी दोनो सुराख सोनू के लंड से खुले
.....उसकी तो यही हालत होगी ना।
सुनीता ये सुन कर अंदर तक हील जाती है........ और कस्तुरी को
पास के खाट पर बिठा कर झाडू मारने लगती है..........।
करीब 9 बजे सोनू उठता है.......और छत से नीचे आता
है.......उसकी मा सुनीता कस्तुरी के बगल में बैठी थी।
कस्तुरी तो सोनू को देख शर्मा जाती है .....और सोनू थोड़ा
मुस्कुरा देता है......।
सुनीता------ क्या हुआ बेटा सुबह सुबह हंस रहा है...... koi अच्छा
सपना देखा क्या?
सोनू----- न....नही मां बस ऐसे ही।
सुनीता----- तू थोडा आराम किया कर । इतनी मेहनत ठीक नही
है ।
सोनू----- अरे मां तेरे अपने घर वालो के लिये ही तो मेहनत करता
हू......खेत मे।
सुनीता----- खेत की बात नही कर रही हू......अच्छा छोड़ तू ,
जाकर नहा ले।
सोनू नहाने के लिये हैण्ड पम्प पर चल देता है............
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पारुल---- बेटा वैभवी कहा है तू?
अन्दर से वैभवी आवाज लगाती है बस आइ मां एक सैकेण्ड ........
रुको ना।
पारुल वैभवी के कमरे में जाती है ........
पारुल----- क्या बात है आज मेरी बेटी तो बहुत खुबसूरत लग रही
है..... कही जा रही है क्या मेरी बेटी?
वैभवी------ अरे हाँ मां पास के स्कूल में ऐड्स के बारे में
something कुछ जागरुक अभियान है, तो सोचा मै भी हिस्सा
ले लूँ । सुबह सुबह आंगनवाड़ी की मुखिया रजनी आइ थी, तो
उन्होने ही बुलाया है।
पारुल---- ये तो बहुत अच्छी बात है बेटा । ठीक है मै हॉस्पिटल
निकल रही हू.....मुझे देर होगी ।
वैभवी----- ठीक है मां bye.....tack care।
और फीर पारुल चली जाती है।
गांव के स्कूल में आज ज्यादा तर गांव के लोग आये थे....... वही पर
सरपंच का बेटा विशाल भी था .......वैभवी अपने स्कूटी से स्कूल
पहुंचती है........विशाल की नजर जैसे ही वैभवी पर पड़ता है । वो
उसकी खूब्सुरती में खो जाता है.......।
वैभवी----- हाथ जोड़कर, नमस्ते रजनी जी।
रजनी---- नमस्ते बेटी..... aao....।
वैभवी अन्दर आती है।
रजनी---- वैभवी बेटी ये हमारे सरपंच के बेटे.....विशाल है। तुमने तो
सुना ही होगा की कैसे सरपंच जी की.....
vaibhavi----- जी रजनी जी।
विशाल वैभवी की तरफ हाथ बढता है.......और वैैैैभावी भी
विशाल से जैसे ही ....... हाथ मिलाती ....... सोनू भी वाही
पहुंच जाता है।
सोनू को वैभवी से विशाल का हाथ मिलना अच्छा नही लगा।
वैभवी की नजर भी सोनू पर पड़ती है ।
वैभवी के साथ कुर्सी पर बगल में विशाल बैठा था । और विशाल
वैभवी से बातें कर रहा था .......और वैभवी भी विशाल से हंस हंस
कर बात कर रही थी ।
सोनू वही खडा ये सब देख जला जा रहा था .......आज पहेली
बार उसे ऐसा अहसास हो रहा था जैसे कोई उससे दूर जा रहा
हो......।
सोनू (सोचते हुए)----- सोनू कही तुझे वैभवी से प्यार तो नही हो
गया...... जो तू इतना जला जा रहा है उसको किसी और के
साथ बात करते देख........नही नही वो तो मुझें पसंद ही नही
करती । हमेशा मुझे एक आवारा लड़का समझती है....... उधर देख
कैसे विशाल से हस कर बात कर रही है ......और मेरे साथ । छोड़
उसका चक्कर सोनू.......।
स्कूल का प्रोग्राम खत्म होने पर.......विशाल वैभवी5को
उसके5स्कूटी तक छोडने आता है......।
ये देख सोनू वहा से कटने ही वाला था की वैभवी ने उसे आवाज
दिया.....।
वैभवी------- हेल्लो...... वो हीरो।
सोनू सुनकर वैभवी के पास आता है।
वैभवी----- अरे विशाल तुम्हारे गांव के लड़को में जरा भी तमीज
नही है की बात कैसे करते है।
विशाल---- तुम्हारे के साथ किसी ने बद्त्मीजी की क्या?
वैभवी---- हा। ये जो लड़का है, इसको बात करने की जरा सी
भी तमीज नही है।
विशाल---- क्या रे सोनू तुने इनके साथ बद्त्मीजी की।
चल माफी मांग।
सोनू---- देखो अगर मैने आपसे अगर कुछ भी बद्त्मीजी की हो तो
माफ़ कर दिजीये....... ।
वैभवी----- ठीक है ......माफ़ किया। आगे से ऐसा वैसा कुछ मत
करना ।
विशाल---- अरे वैभवी...... इसमे इसकी कोई गलती नही है......तुम
हो ही इतनी खूब्सुरत की किसी का भी जुबाँ फिसल जए।
वैभवी----- विशाल तुम भी ना।
विशाल----- ok I am sorry.....if you mind then.
वैभवी----- no..... it's ok.
विशाल----- अब तू खड़ा क्यूँ है जा ......।
सोनू एक नज़र वैभवी की तरफ देखाता है...... शायद
उसके......आंख की पलकें भीग गायी थी.......और फिर वहा से
पैैैदल ही चल देता ........।
सोनू कुछ ही दूर पहुंचा होगा की वैभवी की स्कूटी उसके सामने
आ कर रुकी......सोनू खड़ा हो जाता है।
वैभवी------ क्यूँ हीरो...... पूरी हीरो गिरी निकल गायी......।
सोनू चुप चाप खड़ा रहता है ...... ।
वैभवी------ अरे कुछ बोलोगे भी।
सोनू---- क.....क्या बोलू मैडम, मै ठहरा अनपढ़...... कुछ इधर उधर
निकल गया तो मै फिर से बद्त्मीज की गिनती में शामिल हो
जाऊंगा।
वैभवी---- अरे तुमने कोई बद्त्मीजी नही की है.....वो तो तुम मुझे
परेशान करते थे तो सोचा मै भी परेशान कर लू।
सोनू----- परेशान कर लेती....लेकीन आप ने तो मेरा और सोनू कुछ
नही बोल पाता बस उसकी ...... ankle bheeg jati hai. जो
वैभवी साफ साफ देख सकती थी।
वैभवी----- म......मुझे पता है.....की मुझे ऐसा नही करना चाहिये
था......I'm so sorry उसके लिये।
सोनू---- कोई बात नही मैडम ....... आज के बाद अपको या मुझे
sorry कहने की जरूरत ही नही पड़ेगी ।
वैभवी---- वो कैसे?
सोनू---- क्युकि आज के बाद मै आपको परेशानं ही नही
करूंग......इतना कह सोनू वहा से निकल देता है.......और वैभवी
खड़ी सोनू को देखते रहती है...............