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Incest बेरहम है तेरा बेटा......1

कौन सा पात्र आपको ज्यादा पसदं है।

  • सोनू- कस्तुरी

    Votes: 7 77.8%
  • सोनू- फातीमा

    Votes: 2 22.2%
  • बेचन- शीला

    Votes: 0 0.0%
  • बेचन- सुगना

    Votes: 3 33.3%
  • कल्लू- मालती

    Votes: 2 22.2%

  • Total voters
    9
  • Poll closed .

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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Sorry dosto.........ye story mai hi poora karunga , story padh raha hu.....update aaj raat tak mil jayega.....thanks for you love for this story
welcome back dear .........................
 
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Vijay Sharma

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सुनीता की अचानक आंख खुल जाती है......वो खाट पर उठ कर बैठ जाती है......और अपने सीने पर हाथ रखती हुई खुद से बोली-

सुनीता (मन में) - हे भगवान , ये कैसा सपना देख रही थी मैं....अपने बेटे की दुल्हन बनने जा रही थी मैं.....शुकर है ये सपना ही था.....नही तो पता नही क्या अनर्थ हो जाता!!

''भोर हो गयी थी....चीड़ीयों की चहचहाहट से सुनीता को पता चल गया था.....वो खाट पर से उठकर घर के बाहर दुवारे आ जाती है , और भोर की ताजा और शीतल हवां एक गहरी सांस लेती है......आज सुनीता बहुत खुश थी...क्यूकीं आज सोनू अस्पताल से घर आने वाला था.....लेकीन उसकी खुशी ज्यादा देर तक टीक ना सकी....अपने बेटे का उसके प्रती रुठापन , उसकी खुशी को चंद लम्हो में गायब कर देती है!!


खैर सुनीता अपने मन को समझाते हुए घर के कामों में लग जाती है......!


'दीन का सुरज नीकलते ही......सुनीता , कस्तूरी के साथ रसोयीं घर में खाना बनाने लगती है....वो खाना बनाते हुए अपनी नज़र कस्तूरी पर भी डाल देती....कस्तूरी की चाल बदल चुकी थी.....और ये देख कर सुनीता अपनी हंसी नही रोक पायी और खीलखीला कर हंस पड़ी , हालाकीं सुनीता अपने मुहं पर हाथ रख कर अपनी हंसी को दबाने की नाकाम कोशीश करती है....लेकीन कस्तूरी की नज़रें सुनीता के उपर चली ही जाती है!!

कस्तूरी - क्या हुआ दीदी.....बड़ी हंसी आ रही है? अच्छा आज सोनू घर आने वाला है...इसलीये खुश हो लगता है....!

....कस्तूरी की बात सुनकर ....सुनीता एक बार फीर हंस पड़ी.....कस्तूरी को समझ नही आया तो वो फीर बोली-

कस्तूरी - अरे क्या हुआ दीदी??
सुनीता अपनी हंसी को काबूं में करते हुए बोली-


सुनीता - अरे कुछ नही.....बस ऐसे ही कुछ याद आ गया था...!

कस्तूरी - अच्छा......क्या याद आ गया था दीदी, मुझे भी बताओ ना??

सुनीता एक फीर जोर - जोर से हसते हुए बोली-

सुनीता - जीसे अनाड़ी समझ रही थी तुम और फातीमा.....सोनू ने तुम दोनो को नानी याद करा दी.....तेरी तो चाल ही बदल गयी....!

'सुनीता की बात पर , कस्तूरी का चेहरा शर्म से लाल हो जाता है....वो अपना मुह दुसरी तरफ करके अपने हाथो से अपना मुह छुपा लेती है......ये देखकर सुनीता , कस्तूरी के कंधे पर हाथ रखती हु ई बोली-

सुनीता - ओ .....हो.....मेरी देवरानी को शर्म आ रही है....!

कस्तुरी - दीदी......छोड़ो ना , तुम भी ना......एक तो ना जाने कहां से बेरहम बेटा पैदा कर दीया है!!

सुनीता - ह्म्म......अच्छा है , अब तुम लोग मेरे बेटे के उपर डोरे डालना बंद करो......क्यूकीं अब अगर चुदवाते हुए तुम लोग मर भी गयी ना तो , मैं तो अपने लाल को कुछ बोलने से रही!!

कस्तूरी - ऐसा मत करो दीदी......बीना सोनू के तो मर जाउगीं मै......!

सुनीता - अच्छा.....तो मतलब और फड़वाने का मन है??

कस्तूरी ये बात सुनकर....शर्म से लाल होते हुए बोली-

कस्तूरी - ह्म्म्म्म.......लेकीन बुर बस पीछे नही लुगीं....!

सुनीता - पीछे क्यू नहीं.....उसका जंहा मन करेगा....वहां डालेगा...!

ये सुनकर......कस्तूरी मुस्कुराते हुए बोली-

कस्तूरी - मतलब ये दीदी की तुम चाहती हो की मेरी जान जाये.....!

ये कहकर.....दोनो हंसने लगती है.......!


-----------------------------------------

कल्लू अपने घर पर......खाट पर एकदम शातं बैठा था , और उसकी मां मालती नीचे बैठकर सब्जी काट रही थी.....कल्लू को यूं शातं देख कर मालती बोली-

मालती - क्या हुआ बेटा....इस तरह मन लटकाये क्यूं बैठा है??

कल्लू - कुछ नही मां.....बस सोनू के बारे में सोच रहा था.....!

मालती - अरे हां , तू तो उससे मीलने जाने वाला था ना......!

कल्लू - हां मां......लेकीन.....नही गया.....क्यूकीं मैं नही चाहता की अब मेरी फीर से दोस्ती हो ,

ये सुनकर......मालती का चेहरा मुरझा जाता है...!

मालती - क्यूं बेटा??

कल्लू - क्यूकीं मैं उसके कमीने पन से वाकीफ हूं....दोस्ती होने पर वो घर आने लगेगा ॥ और घर आने लगा तो वो मेरी मां जरुर चोद कर जायेगा!! और ये मै चाहता नही......

.......कल्लू की बात सुनकर , मालती को वो दृश्य सामने आने लगा....जब सोनू , सोहन की गांड बेरहमी से उसके सामने ही मार रहा था!!

मालती - अरे बेटा.......तुझे अपनी मां पर भरोसा नही है क्या?? अब तो तू है मेरी आग शांत करने के लीये तो भला मैं क्यूं उस बेरहम के पास जाने लगी.....!

कल्लू - अच्छा तो वो बेरहम है......और मै क्या हूं??
इतना कहते हुए.....कल्लू अपनी मां को पकड़ कर खीचतां हुआ खाट पर लीटा देता है , और खुद उसके उपर चढ़ जात है!!

मालती - आह.......तू भी उससे कुछ कम नही....बस थोड़ा लंड कम पड़ जाता है तेरा और जल्दी झड़ जाता है!!

.....ये बात कल्लू के गांड में लगी.....उसने बोला-

कल्लू - अच्छा.....तो मेरा लंड तूझे छोटा पड़ता है.....तो जा.....जाके उससे ही चुदवा!! रंडी.....

ये कहकर.....कल्लू खाट पर से उठ कर चला जाता है!!

मालती - अरे बेटा.....मज़ाक कर रही थी....कहा जा रहा है ??

....लेकीन तब तक कल्लू मालती की बात सुनते हुए घर से बाहर चला जाता है!!





Update chhota dene ke liye sorry dosto......kal se real update milega
शानदार अपडेट भाई
अब बस लगातार अपडेट देते रहो भाई
 
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hellboy

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सुनीता की अचानक आंख खुल जाती है......वो खाट पर उठ कर बैठ जाती है......और अपने सीने पर हाथ रखती हुई खुद से बोली-

सुनीता (मन में) - हे भगवान , ये कैसा सपना देख रही थी मैं....अपने बेटे की दुल्हन बनने जा रही थी मैं.....शुकर है ये सपना ही था.....नही तो पता नही क्या अनर्थ हो जाता!!

''भोर हो गयी थी....चीड़ीयों की चहचहाहट से सुनीता को पता चल गया था.....वो खाट पर से उठकर घर के बाहर दुवारे आ जाती है , और भोर की ताजा और शीतल हवां एक गहरी सांस लेती है......आज सुनीता बहुत खुश थी...क्यूकीं आज सोनू अस्पताल से घर आने वाला था.....लेकीन उसकी खुशी ज्यादा देर तक टीक ना सकी....अपने बेटे का उसके प्रती रुठापन , उसकी खुशी को चंद लम्हो में गायब कर देती है!!


खैर सुनीता अपने मन को समझाते हुए घर के कामों में लग जाती है......!


'दीन का सुरज नीकलते ही......सुनीता , कस्तूरी के साथ रसोयीं घर में खाना बनाने लगती है....वो खाना बनाते हुए अपनी नज़र कस्तूरी पर भी डाल देती....कस्तूरी की चाल बदल चुकी थी.....और ये देख कर सुनीता अपनी हंसी नही रोक पायी और खीलखीला कर हंस पड़ी , हालाकीं सुनीता अपने मुहं पर हाथ रख कर अपनी हंसी को दबाने की नाकाम कोशीश करती है....लेकीन कस्तूरी की नज़रें सुनीता के उपर चली ही जाती है!!

कस्तूरी - क्या हुआ दीदी.....बड़ी हंसी आ रही है? अच्छा आज सोनू घर आने वाला है...इसलीये खुश हो लगता है....!

....कस्तूरी की बात सुनकर ....सुनीता एक बार फीर हंस पड़ी.....कस्तूरी को समझ नही आया तो वो फीर बोली-

कस्तूरी - अरे क्या हुआ दीदी??
सुनीता अपनी हंसी को काबूं में करते हुए बोली-


सुनीता - अरे कुछ नही.....बस ऐसे ही कुछ याद आ गया था...!

कस्तूरी - अच्छा......क्या याद आ गया था दीदी, मुझे भी बताओ ना??

सुनीता एक फीर जोर - जोर से हसते हुए बोली-

सुनीता - जीसे अनाड़ी समझ रही थी तुम और फातीमा.....सोनू ने तुम दोनो को नानी याद करा दी.....तेरी तो चाल ही बदल गयी....!

'सुनीता की बात पर , कस्तूरी का चेहरा शर्म से लाल हो जाता है....वो अपना मुह दुसरी तरफ करके अपने हाथो से अपना मुह छुपा लेती है......ये देखकर सुनीता , कस्तूरी के कंधे पर हाथ रखती हु ई बोली-

सुनीता - ओ .....हो.....मेरी देवरानी को शर्म आ रही है....!

कस्तुरी - दीदी......छोड़ो ना , तुम भी ना......एक तो ना जाने कहां से बेरहम बेटा पैदा कर दीया है!!

सुनीता - ह्म्म......अच्छा है , अब तुम लोग मेरे बेटे के उपर डोरे डालना बंद करो......क्यूकीं अब अगर चुदवाते हुए तुम लोग मर भी गयी ना तो , मैं तो अपने लाल को कुछ बोलने से रही!!

कस्तूरी - ऐसा मत करो दीदी......बीना सोनू के तो मर जाउगीं मै......!

सुनीता - अच्छा.....तो मतलब और फड़वाने का मन है??

कस्तूरी ये बात सुनकर....शर्म से लाल होते हुए बोली-

कस्तूरी - ह्म्म्म्म.......लेकीन बुर बस पीछे नही लुगीं....!

सुनीता - पीछे क्यू नहीं.....उसका जंहा मन करेगा....वहां डालेगा...!

ये सुनकर......कस्तूरी मुस्कुराते हुए बोली-

कस्तूरी - मतलब ये दीदी की तुम चाहती हो की मेरी जान जाये.....!

ये कहकर.....दोनो हंसने लगती है.......!


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कल्लू अपने घर पर......खाट पर एकदम शातं बैठा था , और उसकी मां मालती नीचे बैठकर सब्जी काट रही थी.....कल्लू को यूं शातं देख कर मालती बोली-

मालती - क्या हुआ बेटा....इस तरह मन लटकाये क्यूं बैठा है??

कल्लू - कुछ नही मां.....बस सोनू के बारे में सोच रहा था.....!

मालती - अरे हां , तू तो उससे मीलने जाने वाला था ना......!

कल्लू - हां मां......लेकीन.....नही गया.....क्यूकीं मैं नही चाहता की अब मेरी फीर से दोस्ती हो ,

ये सुनकर......मालती का चेहरा मुरझा जाता है...!

मालती - क्यूं बेटा??

कल्लू - क्यूकीं मैं उसके कमीने पन से वाकीफ हूं....दोस्ती होने पर वो घर आने लगेगा ॥ और घर आने लगा तो वो मेरी मां जरुर चोद कर जायेगा!! और ये मै चाहता नही......

.......कल्लू की बात सुनकर , मालती को वो दृश्य सामने आने लगा....जब सोनू , सोहन की गांड बेरहमी से उसके सामने ही मार रहा था!!

मालती - अरे बेटा.......तुझे अपनी मां पर भरोसा नही है क्या?? अब तो तू है मेरी आग शांत करने के लीये तो भला मैं क्यूं उस बेरहम के पास जाने लगी.....!

कल्लू - अच्छा तो वो बेरहम है......और मै क्या हूं??
इतना कहते हुए.....कल्लू अपनी मां को पकड़ कर खीचतां हुआ खाट पर लीटा देता है , और खुद उसके उपर चढ़ जात है!!

मालती - आह.......तू भी उससे कुछ कम नही....बस थोड़ा लंड कम पड़ जाता है तेरा और जल्दी झड़ जाता है!!

.....ये बात कल्लू के गांड में लगी.....उसने बोला-

कल्लू - अच्छा.....तो मेरा लंड तूझे छोटा पड़ता है.....तो जा.....जाके उससे ही चुदवा!! रंडी.....

ये कहकर.....कल्लू खाट पर से उठ कर चला जाता है!!

मालती - अरे बेटा.....मज़ाक कर रही थी....कहा जा रहा है ??

....लेकीन तब तक कल्लू मालती की बात सुनते हुए घर से बाहर चला जाता है!!





Update chhota dene ke liye sorry dosto......kal se real update milega
ok bro waiting for that.plz bhai ab regular updates dete rahiega
 

Nikhil143

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अगला अपडेट.......







सोनू हास्पीटल से घर आ गया था.......वो अपने कमरे में खाट पर लेटा था !! राजू भी उसके बगल में बैठा था.....!

राजू - कैसी तबीयत है अब भैया??

सोनू राजू की तरफ देखते हुए बोला.....

सोनू - अब बेहतर लग रहा है....हल्का - हल्का सर में दर्द है बस !!

राजू - सब ठीक हो जायेगा भैया.....बस तुम आराम करो!!

और ये कहकर....राजू वहां से जाने के लीये उठा ही था की , वो एक पल के लीये रुकते हुए बोला-

राजू - भैया लेकीन , आपको काकी ने मारा क्यू??

राजू का सवाल सुनकर....सोनू भी हैरानी मे पड़ गया....वो सोचने लगा की अब इसे क्या बताउं की मां ने कीस लीये मारा.....चाची को चोद रहा था इसलीये....?

राजू - क्या हुआ भैया ? कुछ गलत पुछ लीया क्या....अच्छा तुम आराम करो! बाद में बता देना....!

सोनू (मन) - आह......चलो जान में जान आयी !

राजू के जाते ही......सोनू अपनी आंखे बंद कर लेता है । आंखे बंद करते ही उसके सामने वैभवी का चेहरा आ जाता है!

....सोनू उठ कर खाट पर बैठ जाता है!!

सोनू (मन में) - मैं बार - बार इसके बारे में ही क्यूं सोच रहा हूं.....? क्यूं इसका चेहरा मेरी आंखो के सामने आ जाता है ? जब उसने कह दीया की वो कीसी और से प्यार करती है ! नही , मुझे उसे भूलना ही होगा.......उसे क्या अब तो मैं औरत जात के मुह ही नही लगूगां......एक ने मेरे दील को तोड़ा तो दुसरी ने मेरा सर फोड़ा.....! अब तो बस काम से काम रखना है......हां ये मेरे लीये सही होगा .....!


......उधर सुनीता , सोनू को एक नज़र भर देखने के लीये बेचैन थी.......लेकीन फातीमा.....उसे सोनू के सामने आने से रोक रही थी!

फातीमा - नही सुनीता.....तू समझ , अभी तू सोनू के सामने मत जा....अगर वो तूझे देखेगा तो उसकी तबीयत और बीगड़ जायेगी!!

.....ये तो सुनीता का दील ही जानता था....की उसके उपर क्या बीत रही थी.....एक मां होकर भी अपने बेटे से दुर रहना , उसके दील पर दुखो का पहाड़ टुटने जैसा था.....खैर सुनीता ने अपनी भीगी पलको को अपने नाजुक हाथो से पोछते हुए अपने दील को समझा लीया.....लेकीन उसके मन में एक सवाल घर कर के बैठ गया था की......आखीर कब तक??

......सुनीता रोते हुए अपने कमरे मे चली गयी.....


''फातीमा.....कस्तूरी के साथ ओसार में बैठी थी!

फातीमा - और तू भी , कुछ दीनो तक उसके सामने तक मत जाना......!

कस्तूरी भी क्या करती.....उसने हां में अपना सर हीला दीया.....! थोड़ी देर के बाद......फातीमा उठ कर सोनू के कमरे की तरफ जाती है.....!

'फातीमा को कमरे में देख , सोनू उठ कर बैठ जाता है.....सोनू को उठने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी....ये देखकर , फातीमा लपकते हुए सोनू को पकड़ लेती है!

फातीमा - अरे नही सोनू....तू लेटा रह ,, तेरी तबीयत अभी ठीक नही है!!
फातीमा सोनू को वापस लीटा देती है , और उसके बगल में बैठ जाती है !

फातीमा - अल्लाह करे तू जल्दी से ठीक हो जाये!

फातीमा की बात सुनते हुए सोनू थोड़ा मुस्कुराते हुए बोला-

सोनू - ये तो तुम्हारे अल्लाह और मेरे भगवान ने मेरी गलतीयों की सजा दी है...!

फातीमा - अरे भला तूने क्या गलती कर दी? जो अल्लाह तूझे सजा देगा?

सोनू - अब ये गलती नही तो और क्या है? जीनके पैरो में अपनी जगह बनानी चाहीये.....मैने उनके बुर मे् आशीयां बना रहा था....तो सजा तो मीलनी ही थी!!

सोनू की बात सुनकर......एक पल के लीये फातीमां भी हैरान रह गयी की , ये सोनू कैसी बहकी- बहकी बातें कर रहा है!

फातीमा - अरे तूने कुछ गलत नही कीया है बेटा.....बल्की तूने तो एक औरत को पूरा कीया है.......तू अभी ये सब मत सोच , तू सीर्फ आराम कर!!

'अचानक सोनू के आखों से आसूं नीकलने लगते है....उसने फातीमा के हाथो को अपने हाथो में लेते हुए बोला-

सोनू - अब ये सब सोचने लायक , मेरी मां ने छोड़ा ही नही.....!

सोनू के आखों में आसूं देखकर और इस तरह की बाते सुनकर वो असमंजस में पड़ गयी !

फातीमा - मतलब......मै समझी नही....और तू रो क्यूं रहा है ? क्या कहना क्या चाहता है तू??

सोनू (रोते हुए) - मां ने तो मुझे कही का नही छोड़ा.....!

'अब फातीमा की बेचैनी बढ़ने लगी......वो हैरत भरे लहजे से सोनू के हाथो को अपनी हथेलीयों में भरती हुई थोड़ा रुवासीं होकर बोली-

फातीमा - अल्लाह के लीये.....वो मत बोलना जीस बात का मुझे डर सता रहा है.....!!

सोनू के आखों से आसूओं की धारा बहने लगी.... वो एक गहरी सांस लेते हुए-

सोनू - मां के डंडे ने तो मेरे डंडे को ही सुला दीया.......!

.......ये सुनते ही , फातीमा के उपर मानो पहाड़ टुट पड़ा हो.....आखों से चमक और चेहरे की रंगत ही गायब हो गयी.....!

फातीमा - दे......देख....तू....तू.....अगर हम सब से नाराज है तो.....तो.....हम सब को....जो चाहे....वो सजा दे .मगर अल्लाह के लीये ऐसी बाते मत बोल....!

सोनू - जब से होश आया.....पहले दो - चार दीन लगा की शायद दीमाग में चोट लगने की वजह से होगा......लेकीन आज पूरे दस दीन हो गये ।

फातीमा की मानो , आखें ही बाहर नीकल पड़ी हो......वो फफक - फफक कर रो पड़ी !

फातीमा - हाय अल्लाह.......ये क्या हो गया????

सोनू - ये बात मां को मत बताना.......!

फातीमा - हम डक्टराईन साहीबा के पास.....चलते है । इसका इलाज करायेगें ठीक हो जायेगा!

सोनू - अगर नही ठीक हुआ तो?? मैं शरमीदां नही होना चाहता......!

फातीमा भी सोनू के दील का हाल समझ रही थी......उसके पास कहने के लीये कुछ भी नही बचा , सीवाय आसुंओं के........!

सोनू और फातीमां दोनो एक दुसरे को देख रहे थे......!

फातीमां - तो अब तू सुनीता से नाराज़ नही है.....?

सोनू - पहले था......लेकीन वो मां है ना.....और भला कोयी अपनी मां से कैसे नाराज़ रह सकता है??

फातीमा , सोनू की बात सुनकर रोने लगती है....और कमरे से बाहर चली जाती है!!

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