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सोनू हास्पीटल से घर आ गया था.......वो अपने कमरे में खाट पर लेटा था !! राजू भी उसके बगल में बैठा था.....!
राजू - कैसी तबीयत है अब भैया??
सोनू राजू की तरफ देखते हुए बोला.....
सोनू - अब बेहतर लग रहा है....हल्का - हल्का सर में दर्द है बस !!
राजू - सब ठीक हो जायेगा भैया.....बस तुम आराम करो!!
और ये कहकर....राजू वहां से जाने के लीये उठा ही था की , वो एक पल के लीये रुकते हुए बोला-
राजू - भैया लेकीन , आपको काकी ने मारा क्यू??
राजू का सवाल सुनकर....सोनू भी हैरानी मे पड़ गया....वो सोचने लगा की अब इसे क्या बताउं की मां ने कीस लीये मारा.....चाची को चोद रहा था इसलीये....?
राजू - क्या हुआ भैया ? कुछ गलत पुछ लीया क्या....अच्छा तुम आराम करो! बाद में बता देना....!
सोनू (मन) - आह......चलो जान में जान आयी !
राजू के जाते ही......सोनू अपनी आंखे बंद कर लेता है । आंखे बंद करते ही उसके सामने वैभवी का चेहरा आ जाता है!
....सोनू उठ कर खाट पर बैठ जाता है!!
सोनू (मन में) - मैं बार - बार इसके बारे में ही क्यूं सोच रहा हूं.....? क्यूं इसका चेहरा मेरी आंखो के सामने आ जाता है ? जब उसने कह दीया की वो कीसी और से प्यार करती है ! नही , मुझे उसे भूलना ही होगा.......उसे क्या अब तो मैं औरत जात के मुह ही नही लगूगां......एक ने मेरे दील को तोड़ा तो दुसरी ने मेरा सर फोड़ा.....! अब तो बस काम से काम रखना है......हां ये मेरे लीये सही होगा .....!
......उधर सुनीता , सोनू को एक नज़र भर देखने के लीये बेचैन थी.......लेकीन फातीमा.....उसे सोनू के सामने आने से रोक रही थी!
फातीमा - नही सुनीता.....तू समझ , अभी तू सोनू के सामने मत जा....अगर वो तूझे देखेगा तो उसकी तबीयत और बीगड़ जायेगी!!
.....ये तो सुनीता का दील ही जानता था....की उसके उपर क्या बीत रही थी.....एक मां होकर भी अपने बेटे से दुर रहना , उसके दील पर दुखो का पहाड़ टुटने जैसा था.....खैर सुनीता ने अपनी भीगी पलको को अपने नाजुक हाथो से पोछते हुए अपने दील को समझा लीया.....लेकीन उसके मन में एक सवाल घर कर के बैठ गया था की......आखीर कब तक??
......सुनीता रोते हुए अपने कमरे मे चली गयी.....
''फातीमा.....कस्तूरी के साथ ओसार में बैठी थी!
फातीमा - और तू भी , कुछ दीनो तक उसके सामने तक मत जाना......!
कस्तूरी भी क्या करती.....उसने हां में अपना सर हीला दीया.....! थोड़ी देर के बाद......फातीमा उठ कर सोनू के कमरे की तरफ जाती है.....!
'फातीमा को कमरे में देख , सोनू उठ कर बैठ जाता है.....सोनू को उठने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी....ये देखकर , फातीमा लपकते हुए सोनू को पकड़ लेती है!
फातीमा - अरे नही सोनू....तू लेटा रह ,, तेरी तबीयत अभी ठीक नही है!!
फातीमा सोनू को वापस लीटा देती है , और उसके बगल में बैठ जाती है !
फातीमा - अल्लाह करे तू जल्दी से ठीक हो जाये!
फातीमा की बात सुनते हुए सोनू थोड़ा मुस्कुराते हुए बोला-
सोनू - ये तो तुम्हारे अल्लाह और मेरे भगवान ने मेरी गलतीयों की सजा दी है...!
फातीमा - अरे भला तूने क्या गलती कर दी? जो अल्लाह तूझे सजा देगा?
सोनू - अब ये गलती नही तो और क्या है? जीनके पैरो में अपनी जगह बनानी चाहीये.....मैने उनके बुर मे् आशीयां बना रहा था....तो सजा तो मीलनी ही थी!!
सोनू की बात सुनकर......एक पल के लीये फातीमां भी हैरान रह गयी की , ये सोनू कैसी बहकी- बहकी बातें कर रहा है!
फातीमा - अरे तूने कुछ गलत नही कीया है बेटा.....बल्की तूने तो एक औरत को पूरा कीया है.......तू अभी ये सब मत सोच , तू सीर्फ आराम कर!!
'अचानक सोनू के आखों से आसूं नीकलने लगते है....उसने फातीमा के हाथो को अपने हाथो में लेते हुए बोला-
सोनू - अब ये सब सोचने लायक , मेरी मां ने छोड़ा ही नही.....!
सोनू के आखों में आसूं देखकर और इस तरह की बाते सुनकर वो असमंजस में पड़ गयी !
फातीमा - मतलब......मै समझी नही....और तू रो क्यूं रहा है ? क्या कहना क्या चाहता है तू??
सोनू (रोते हुए) - मां ने तो मुझे कही का नही छोड़ा.....!
'अब फातीमा की बेचैनी बढ़ने लगी......वो हैरत भरे लहजे से सोनू के हाथो को अपनी हथेलीयों में भरती हुई थोड़ा रुवासीं होकर बोली-
फातीमा - अल्लाह के लीये.....वो मत बोलना जीस बात का मुझे डर सता रहा है.....!!
सोनू के आखों से आसूओं की धारा बहने लगी.... वो एक गहरी सांस लेते हुए-
सोनू - मां के डंडे ने तो मेरे डंडे को ही सुला दीया.......!
.......ये सुनते ही , फातीमा के उपर मानो पहाड़ टुट पड़ा हो.....आखों से चमक और चेहरे की रंगत ही गायब हो गयी.....!
फातीमा - दे......देख....तू....तू.....अगर हम सब से नाराज है तो.....तो.....हम सब को....जो चाहे....वो सजा दे .मगर अल्लाह के लीये ऐसी बाते मत बोल....!
सोनू - जब से होश आया.....पहले दो - चार दीन लगा की शायद दीमाग में चोट लगने की वजह से होगा......लेकीन आज पूरे दस दीन हो गये ।
फातीमा की मानो , आखें ही बाहर नीकल पड़ी हो......वो फफक - फफक कर रो पड़ी !
फातीमा - हाय अल्लाह.......ये क्या हो गया????
सोनू - ये बात मां को मत बताना.......!
फातीमा - हम डक्टराईन साहीबा के पास.....चलते है । इसका इलाज करायेगें ठीक हो जायेगा!
सोनू - अगर नही ठीक हुआ तो?? मैं शरमीदां नही होना चाहता......!
फातीमा भी सोनू के दील का हाल समझ रही थी......उसके पास कहने के लीये कुछ भी नही बचा , सीवाय आसुंओं के........!
सोनू और फातीमां दोनो एक दुसरे को देख रहे थे......!
फातीमां - तो अब तू सुनीता से नाराज़ नही है.....?
सोनू - पहले था......लेकीन वो मां है ना.....और भला कोयी अपनी मां से कैसे नाराज़ रह सकता है??
फातीमा , सोनू की बात सुनकर रोने लगती है....और कमरे से बाहर चली जाती है!!
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