• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest बेरहम है तेरा बेटा......1

कौन सा पात्र आपको ज्यादा पसदं है।

  • सोनू- कस्तुरी

    Votes: 7 77.8%
  • सोनू- फातीमा

    Votes: 2 22.2%
  • बेचन- शीला

    Votes: 0 0.0%
  • बेचन- सुगना

    Votes: 3 33.3%
  • कल्लू- मालती

    Votes: 2 22.2%

  • Total voters
    9
  • Poll closed .

Nikhil143

New Member
27
277
49
बेरहम हैं तेरा बेटा --------1
अपडेट------12







बेचन अपनी अम्मा को चोदने के बाद उसके उपर ही लेट जाता है ।
और इधर जाग चुकी झुमरी भी, बोलती है की कोई मेरा पानी भी तो निकाल दो ...........

अब आगे ---------

सुगना---- अरे बहु रोज तो ये तेरा पानी निकलता है।
झुमरी---- जब से बिमार हू अम्मा तब से एक बार भी लंड नही गया ।

बेचन---- पहले तू ठीक हो जा रानी फीर तेरा भी पानी निकाल दूंगा ।

और फीर बेचन अपनी अम्मा की चुचियो में मुह लगा देता है ......।
सुगना---- अरे हरामी फीर से चोदेगा क्या?

बेचन---- मन तो कर रहा है,
सुगना--- तो फीर डाल कर फीर से गदर मचा दे,

बेचन ने अपना लंड फीर से अपनी अम्मा के बुर में डाल हुमचने लगता है ।
उस रात पता नही कितनी बार बेचन ने अपनी अम्मा को चोदा होगा ............... ।


सुबह सुबह वैभवी तैयार हो कर अपनी मां के साथ कार में बैठ स्टेशन की तरफ़ निकल देती है ।
उसका दील एक बार सोनू को देखने का कर रहा था, लेकीन इतनी सुबह सुबह उसे सोनू कहा दिखेगा .....यही सोचती हुई वो स्टेशन पर पहुंच जाती है ।

स्टेशन पर ट्रेन आकर खड़ी होती है, वो ट्रेन में अपनी सीट पर बैठ जाती है और जैसे ही ट्रेन जाने को होती है उसे सोनू भागते हुए दिखा ।

वैभवी ट्रेन के दरवाजे पर आ जाती है , जिसकी वजह से सोनू उसे देख लेता है । सोनू के पैरो की रफ्तार तेज होती है और धीरे चल रही ट्रेन से आगे भागते वो वैभवी के पास पहुंच जाता है ।

सोनू (ट्रेन के साथ भागते हुए)---- आप आज जा रही थी, एक बार बता तो देना चाहिये था ।

वैभवी की पलकें भीग चुकी थी उसे यकीं नही था की सोनू उसे इस कदर चहता है,

वैभवी---- मेरी हिम्मत नही पड़ी बताने की ।
सोनू की सांसे भागते भागते फूलने लगी थी ........

सोनू--- अच्छा ठीक है, फीर कब आओगी?
वैभवी--- 2 महिने बाद, आ जाऊंगी मैं ......

sonu(हांफते हुए)----- अच्छा .......भूल तो नही जाओगी मुझे । दोस्त माना है ना ।

वैभवी ये सुनते ही, उसे ऐसा लगा की अभी ट्रेन से उतर जाऊं और सोनू को अपनी बाहों में भर कर बोलू अब तुम मेरे सिर्फ दोस्त नही बल्की मेरी जिन्दगी हो ............लेकीन जब तक वैभवी सोनू को कुछ जवाब देती ट्रेन स्टेशन के साथ साथ सोनू को भी दूर छोड़ चुकी थी ।

सोनू स्टेशन के आखरी छोर पर खड़ा अपनी आंखो में आंसू लिए वैभवी को देखता रहा, और वैभवी भी रोते हुए अपना हाथ हिलाते सोनू को अलविदा कह रही थी ।

वो दोनो एक दुसरे को तब तक देखते रहे जब तक की वो एक दुसरे के आंखों से ओझल नही हो जाते .........

sonu जैसे ही पीछे की तरफ़ घुमा उसे पारुल खड़ी दिखी, सोनू के भीग चुके आंखो को देख कर पारुल की आंखे भी नम हो जाती है .......aur वो सोचने लगती है की ( किसी ने सच ही कहा है जब प्यार होता है तो सारी दुनिया उसे बेगाना लगती है सिर्फ एक उसे छोड़ कर)


सोनू बिना कुछ बोले वहां से निकल जाता है .................।


इधर घर में कस्तूरी अपनी बुर मसल मसल कर सोनू के लंड को याद कर रही थी , लेकीन शायद उसे ये नही पता था की जिसे वो याद कर रही है वो पहले से ही किसी के याद में पागल हैं ।

कस्तूरी अपनी बुर मसल ही रही थी की तभी वहा सोनू आ जाता है ।
कस्तूरी सोनू को देख उसे अपनी बाहो में भर लेती हैं ......।

सोनू उसे अपने से दूर कर देता है ......जिसकी वजह से कस्तूरी को ऐसा करना अच्छा नही लगता ।

कस्तूरी--- क्या हो गया है तुझे? पिछले 2 दिनो से ना तू बात कर रहा है और ना ही ठीक से खाना खा रहा है .......।

अगर मै पसंद नही तो वो भी बोल दे मै तेरे पास नही आऊंगी ।

सोनू--- कस्तूरी को अपनी बाहो में भरते हुए ..... नही मेरी जान ऐसी कोई बात नही हैं, कौन बोला की तू मुझे पसंद नही है, वो तो बस मेरा मुड़ खराब था इसीलए।

कस्तूरी सोनू के होठो को चूमती हुई---- क्या बात है सोनू मुझे बता की अखिर ऐसी कौन सी बात है जो तुझे परेशान कर रही है ।

सोनू कस्तूरी को अपनी बाहो में उठा लेता हैं और उसे छत पर ले कर आ जाता है ।
छत के कमरे में खाट पर कस्तूरी को लिटा कर खुद उसके उपर लेट जाता है ........।

कस्तूरी कुछ बोलने ही वाली थी की सोनू ने उसके होठो को अपने होठो में कैद कर लेता है ।

उसकी यादों में सिर्फ वैभवी का चेहरा घूम रहा था, वो भूल गया था की इस वक़्त वो अपनी चाची के उपर लेटा है ।
वो कस्तूरी को वैभवी समझ उसे ऐसे चूम और चुस रहा था जैसे की उसके नीचे वैभवी हो।

कस्तूरी भी आज इतनी मदमस्त हो गई थी की वो समझ ही नही पाई की हमेशा बेरहमी से चोदने वाला आज इसको क्या हो गया ।
सोनू कस्तूरी के पुरे चेहरे को चाट चाट कर भिगा दीया था .....कस्तूरी का पुरा चेहरा सोनू के थूक से भीग गया था ।

ऐसा अहसास कस्तूरी को पहले कभी नही हुआ था, आज पता नही क्यूँ सोनू की हर एक छुअन उसे अपना सा लग रहा था ।
उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसे कोई बेइन्तहा प्यार करने वाला उसका पति उसके साथ है .....।

सोनू कस्तूरी के चेहरे को चूम्ते हुए उसके गर्दनो को अपनी होटो में पुरा भर चारो तरफ़ चूमने चाटने लगता हैं ।
कस्तूरी अपनी आंखे बंद किये जैसे किसी दुसरी दुनिया में पहुंच गई हो ........।


आज कस्तूरी को एक अजीब सा प्यारा अहसास हो रहा था ......उसकी बुर ने पानी उग्ल्ना शुरु कर दीया था ।
सोनू धीरे धीरे चूम्ते हुए उसकी चुचियो पर आ जाता है और उसकी एक चुची को अपने मुह में जैसे ही मुह में लेके चुसता हैं .......।

कस्तूरी----- आह ......मेरे राजा, आज क्या हो गया हैं तुझे .....शुरु से ही मजा देने लग गया हैं ।
लेकीन सोनू तो जैसे उसकी आवज ही नही सुन रहा था ......वो कस्तूरी की चुचियो को चुस चुस कर फूला देता हैं ।
कस्तूरी से इतनी मस्ती सही नही जा रही थी अब उसकी बुर लंड के लिए तैयार हो चुकी थी ।

तभी सोनू का एक हाथ कस्तूरी की बुर पर पड़ता है और सोनू ने अपनी एक उंगली कस्तूरी के बुर में घुसा कर आगे पीछे करने लगा ......।

कस्तूरी----- आह सोनू, बेटा मार डालेगा क्या? जल्दी से डाल दे अपना........मुसल अपनी चाची की बुर में ........आह कीस रंडी के खयाल में खोया हैं .....आह ।


सोनू इतना सुनते ही उसका पारा आसमां पर चढ़ गया, क्युकी वो वैभवी के खयाल में ही खोया था ।

सोनू का गुस्सा बहुत तेज था ., उसने कस्तूरी के गाल पर जोर का थप्पड़ जड़ दीया ।

सोनू---- साली बहुत आग है ना तेरे भोस्ड़ी में, आज इसका वो हाल करूंगा की..........

कस्तूरी---- आह राजा तो कर ना, देखती हू तेरे लंड में कितना ताकत हैं ।

सोनू अपने बेरहमी पर आ गया, उसने कस्तूरी के दोनो टाँगे सटा कर हवा में उठाया जिससे कस्तूरी की बुर की फान्के एक दुसरे से चिपक गई ......... और सोनू जबरन अपना लंड उसके बुर में घुसने लगा ।

एक जोर के झटके से कस्तूरी की बुर अन्दर चिर्ते हुए सोनू का लंड लेने लगी ।
कस्तूरी का चेहरा लाल हो चुका और इतनी जोर की चिल्लाहट से कमरा गूंज गया ।


सोनू ने फाटक से अपना लंड बाहर खींच लीया और कस्तूरी की टाँगे cross कर दीया जिससे कस्तूरी की बुर और सिकुड़ गई ।

अब सोनू ने फिर से अपना लंड कस्तूरी के बुर में घुसना चाहा लेकीन टाँगे cross होने की वजह से कस्तूरी के बुर की छंद जकड़ गई थी ।
फीर भी सोनू ने जबरन अपना लंड उसके बुर में अपने लंड का टोपा फंसा कर अपनी पुरी ताकत से जड़ तक घुसा दीया ।




कस्तूरी-- आ..............आ......मां, मर जाऊँगी .............सोनू, रहम कर........आ।
कस्तूरी का दर्द उसकी चिन्खो से बयाँ हो रहा था, इतनी जोर की चिल्लाहत से नीचे बैठे सुनीता और अनीता भागते हुए छत पर आ गई ।

छत पर आते ही, उन्होने जो नजारा देखा तो दंग रह गई .....।

कस्तूरी जोर जोर से चिल्ला रही थी उसके चेहरे की हालत बता रही थी की, वो सोनू के लंड को बहुत मश्क़िल से ले पा रही है ।

और वो सोनू से बार बार, अपनी अटक चुकी आवाज़ से कह रही थी, की मुझें माफ़ कर दे सोनू, निकाल ले इसे मैं नही ले पाऊंगी ।

लेकीन सोनू ने अपने धक्को की रफ्तार और तेज कर दी ......।

सुनीता और अनीता का गला सुख चुका था, सोनू को किसी जानजानवर की तरह चोद्ता देख ।

सोनू---- चल साली गांड खोल । पीछे कुतीया बन ....
कस्तूरी को थोड़ा आराम मील सोनू के लंड निकलने से ......।

कस्तूरी (रोते हुए)----- मैने ऐसा क्या कह दीया, सोनू जो तू इतनी बेरहमी से चोद रहा है मुझे ।

सोनू---- कुछ नही, बस तू कुतीया बन, और अपनी गांड में मेरा लंड ले
कस्तूरी की हालत और खराब हो जाती हैं, वो सोनू को अपनी बाहो में भर लेती हैं, और रोते हुए कहती हैं ।

कस्तूरी---- इतनी बेरहमी मत कर, सोनू बेटा कुछ गलत बोल दीया हो तो माफ़ कर दे ।

सोनू कस्तूरी को वैसे ही बाहो में उठा लेता हैं, और उसकी दोनो टांगो को अपने दोनो बाहो में भर उसका पीठ पकड़ जकड़ लेता हैं ।

कस्तूरी अब सोनू के बाहो में जकड़ी हुई थी, उसका गांड सीधा सोनू के लंड के उपर था ।

कस्तूरी सोनू के गले में अपना हाथ डाले उसके बाहो में थी, और सोनू नीचे जमीन पर उसको उठाये खड़ा था ।

सोनू--- चल मदर्चोद, अपने एक हाथ से मेरा लंड अपनी गांड में घुसा ।
कस्तूरी समझ चुकी थी की आगे आनेवाला दर्द बहुत भयानक हैं .....उसकी आंखो से आंसू निकलने लगता हैं ।

कस्तूरी---- नही सोनू, वहा नही मैं मर जाऊंगी, और रोने लगती हैं ।
सोनू(कस्तूरी को उठाये)--- साली ज्यादा नाटक मत कर, जितना बोल रहा हूं उतना कर,

कस्तूरी--- मरती क्या ना करती, वो रोते हुए अपना एक हाथ नीचे ले जाकर सोनू के लंड को अपनी गांड के छंद पर टिका देती है,

सोनू कस्तूरी को अपने हाथ के सहारे नीचे करते हुए, जोर का धक्का मारता है .....जिससे कस्तूरी की गांड फटती चली जाती हैं,
कस्तूरी--- आ...aa.aaaaaaaeeeeeeeeii........आआआ...... aaah ,
अपना पुरा मुह खोल कर चिल्लाने लगती हैं, लेकीन सोनू जोर जोर से उसकी गांड मारने लगता हैं ......। हद तो तब हो जाती हैं, जब सोनू कस्तूरी को ही अपने लंड पर उसे उठा उठा कर उछल्ने लगता हैं ।


सोनू का लंड कस्तूरी के गांड के औकात से अन्दर जैसे ही घुसना चालू कीया ........खून की लरि उसके गांड से बहते नीचे जमीन पर गिरने लगी .......और साथ ही कस्तूरी एक जोर की चिल्लहट से बेहोश हो जाती है ......।
सोनू पगला चुका उसे खाट पर लिटा, बगल में पड़े पानी के ग्लास से पानी निकाल कस्तूरी के चेहरे पर जोर से पानी का छिटा मारता है ......जिससे कस्तूरी होश में आती हैं ।


सोनू कस्तूरी का बाल जोर से खींचता हैं---- क्या हुआ साली, इतनी जल्दी हार मान गई, अभी तो और लंड बचा है पुरा कहा ली तुने, और सोनू फीर से उसे उसी अवश्था में उथाने लगा ......।


कस्तूरी का रो रो कर गला सुख गया था, वो किसी तरह बस यहा से निकलना चाहती थी ।

कस्तूरी---- छोड़ दे सोनू ......मैं तेरे हाथ जोडती हू, मेरी बुर फाड़ दे मगर गांड में नही ले पाऊंगी, देख तेरी चाची हूं मैं इतना कहा तो मान ले मेरा ......aaaaaaaaaaaaआ.............aआ.............म.......री।

सोनू का लंड फीर से कस्तूरी के गांड में घुस चुका था,
बाहर खड़ी सुनीता और अनीता का हाथ पैर सुन्न हो चुका था । और सुनीता की नज़र कस्तूरी की गांड के छेंंद पर पड़ी, जो सोोनू के लंड ने बुुरी..........तरह खोल.....दीया था ......और कस्तूरी के गांड से रीस रीस कर।
खून नीचे टपक रहा था .....लेकीन सोनू का लंड उसके गांड में अभी भी बुरी तरह अन्दर बाहर हो रही थी ।
कस्तूरी सोनू के बाहो में पड़ी सिर्फ दर्द बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी ......लेकिन सोनू ने इस बार कस्तूरी को अपने दोनो हाथो से उपर उठाया लंड गांड से बाहर निकला, लेकिन सोनू ने वापस कस्तूरी को नीचे की तरफ़ जोर से लाया और नीचे से अपना गांड भी उछाल कर धक्के दीया दोनो तरफ़ से धक्के पड़ने सें .........कस्तूरी सोनू से चिपक दर्द से छटपटाने लगती हैं .......।


और जोर से.......आmmmmmmmmmm ......... आ........... हाँ मां .......मार डालेगा .....ये आज।


कस्तूरी की हालत सुनीता से देखी नही जाती, वो झट से दरवाजा खोलती हैं ........जिसे सोनू अपनी मां को देख सुन्न हो जाता हैं ।

और कस्तूरी को नीचे खाट पर लिटा देता हैं .......।
सुनीता गुस्से में लाल पास में पड़ी लकड़ी से सोनू को सटा सट मारने लगती हैं .......।



सुनीता(सोनू को दंडे से मरती हुई)----- हरामी ...... तुने औरतो को समझ क्या रखा हैं ......खिलौना ......हैं , जिसे तू जैसे चाहे वैसे इस्त्ट्तेमाल करेगा ।
सोनू मार खाता रहा और अपने कपड़े पहनता रहा ......।

दर्द से निढ़ाल हो चुकी कस्तूरी भी सुनीता को रोक रही थी और इधर अनीता भी उसको पकड़ रही थी ।

सुनीता--- नही हट जा अनीता, औरते मर्दो के पास आती है ताकी वो भी अपने शरीर को संतुष्ट कर पाये ......लेकिन ये हरामी औरतो को खिलौना समझता हैं, थोड़ा भी रहम नही हैं इसके अन्दर ......जानजानवर हैं ये ।

और फीर एक जोर का दंडा खींच कर मारती हैं सोनू अपना बेल्ट उठाने नीचे झुक्ता हैं और वो दंडा सीधा उसके सर पर लगता है ....... और सोनू वही नीचे निढ़ाल हो कर गीर जाता हैं ........।


सोनू के गिरते ही सुनीता का गुस्सा गायब हो जाता हैं ....वो सोनू के तरफ़ बढती हैं ......
सोनू को अपने गोद में उसका सर उठाती हाय, उसके सर से बहुत खून निकल रहा था .....और सोनू बेहोश हो चुका था ।


सुनीता----- रोते हुए ......हाय राम ये मैने क्या कर दीया ।
वो सोनू को 2,3 बार झिंझोद्ती हैं लेकिन सोनू के तरफ़ से कोई हलचल नही होती ..............




डाक्टर साहिबा .....डाक्टर साहिबा .....जोर जोर की आवाज़ अस्पताल में गूंज रही थी ।
ये आवाज़ राजू की थी जो सोनू को सुनीता और अनीता के साथ अस्पताल ले कर आया था ......।

पारुल आवाज़ सुनते ही, अपने cabin से बाहर आती हैं ......।

राजू--- डाक्टर देखो ना मेरे भाई को चोट लग गई हैं आप कुछ किजीये ।

पारुल जैसे ही सोनू को देखती हैं ......वो खून से लत्पथ अपनी मां सुनीता के गोद में लेटा था ।

पारुल की हालत खराब हो जाती हैं .....वो फटाफट नर्स को सोनू को अन्दर लाने के लिििि बोलतीी हैं ।


सोनू को हॉस्पिटल के सरकारी special ward ले आया गया ।

सब लोग बाहर खड़े रोते बिल्खते पारुल का इन्तज़ार करने लगे ......।
कुछ देर बाद पारुल बाहर आती हैं ......।


सुनीता---- डॉक्टर साहिबा कैसा है मेरा बेटा ।
पारुल--- देखीये सुनीता जी, सोनू का खून बहुत निकल बह गया है हमे खून की शख्त ज़रुरत हैं ।


सुनीता पागल हो चुकी---- म .....मेरा खून ले लो डॉक्टर साहिबा लेकिन मेरे बेटे को बचा लो ......।


पारुल---- ठीक है सुनीता जी आप अपना blood चेक करवा लो हमे A+ का ही ब्लड चाहिये ।

और फिर सुनीता पारुल के साथ blood checkup के लिए अन्दर ward में चली जाती हैं .............
 

Nikhil143

New Member
27
277
49
बेरहम हैं तेरा बेटा-------१
अपडेट........१३






..पारुल सुनीता का ब्लड चेक करने के बाद सुनीता से बोली की आप का ब्लड ग्रुप सोनू के ब्लड ग्रुप से अलग है तो हम आपका खून नही ले सकते ।

सुनीता एक दम घबरा गई .......वो रोते रोते पारुल के सामने हाथ जोडती है की आप कुछ भी करके मेरे बेटे को बचा लो ।

राजू--- डॉक्टर आप मेरा खून ले लो लेकीन भैया को बचा लो ।
पारुल --- नही राजू, तुम्हारी उम्र के हिसाब से मैं तुम्हरा भी खून नही ले सकती ।

पारुल को भी चिंता हो रही थी की वक़्त बहुत कम है और ब्लड सोनू को जल्दी ना मिला तो उसकी जान को खतरा हो सकता है .....पारुल यही सोच ही रही थी की अचानक से उसके दिमाग आया की A+ ब्लड ग्रुप तो मेरा भी हैं .......।

वो फटाफट नर्स को आवाज़ देती हैं और उस वार्ड में चल देती है जीस वार्ड में सोनू था ।

सोनू के बगल वाली पेशेंट बेड पर लेटती हुई वो नर्स को अपना ब्लड सोनू को चढ़ाने के लिए कहती हैं ।

नर्स ने फटाफट सिरिंज इन्जेच्ट कीया और पारुल का ब्लड सोनू को चढ़ाने लगी ।

ब्लड चढ़ाने के बाद पारुल उठ कर बाहर आती हैं ........।

पारूल---- सुनीता जी डरने की कोई बात नही सोनू को ब्लड मील गया हैं । वो खतरे से बाहर हैं 2, 4 घंटे में उसे होश आ जायेगा ।


सुनीता पारुल के आगे हाथ जोड़ती हुइ -- डॉक्टर साहिबा पता नही ये अहसान मैं आपका कैसे चुका पाऊंगी । आपने अपना खून दे के मेरे बेटे की जान बचाई ।

पारुल-- अरे सुनीता जी ये तो मेरा फर्ज था ।(और मन में सोचती की अगर मैने ब्लड नही दीया होता तो मेरी बेटी मुझे जान से मा .र देती.)

ये कहते हुए पारुल वापा अपने केबिन में चली जाती है।

अस्पताल में आज , सुनीता के साथ साथ अनीता और राजू बैठे थे।
तभी वहां फातीमा भी आ जाती है

फातिमा---- अरे सुनीता क्या हुआ सोनू को,।

फातिमा काफी घबराई हुई दिख रही थी ,

सुनीता फातिमा को देखते ही रोने लगती है।
फातिमा-- अ रे क्या हुआ कुछ बताएगी भी।

पारुल-- उन्हें थोड़ा आराम करने दीजिए, उनको थोड़ा सदमा लगा है। और सोनू अब बिल्कुल खतरे से बाहर हैं।

ये सुनते ही फातिमा को भी तसल्ली मिली.........।

तभी पारुल के फोन की घंटी बजी ट्रिंग ट्रिंग........... पारुल ने फोन उठाया ये फोन किसी और ने नहीं बल्कि वैभवी का था।

पारुल-- हा मेरा बेटा कहा तक पहुंची।
वैभवी-- अरे कहां तक पहुंची मा, मेरा तो मन कर रहा है वापस लौट आऊं।

पारुल-- अरे ३ महीने की तो बात हैं, जैसे ही एक्साम्स खत्म होंगे चली आना।

वैभवी-- मा कुछ अच्छा नहीं लग रहा है......। सोनू दिखा था आपको?

ये सुनते ही पारुल थोड़ा घबराई वो नहीं चाहती थी की सोनू के इस हादसे के बारे में वैभवी को बताए नहीं तो ठीक से अपना एक्सामस भी नहीं दे पाएगी।

पारुल-- हा...... हा दिखा था, थोड़ा उदास था, लेकिन जब तू आएगी तो वो उदासी भी उसकी गायब हो जाएगी।

वैभवी (ठंडी आहे भरते हुए)-- हा.... ठीक कहा मा, लेकिन ये तीन महीना मुझे तीन सौ साल के बराबर लग रहा है।

पारुल-- ओ हो, बड़ी बसब्र हो रही है मेरी गुड़िया........
वैभवी--- क्या...... मा , तुम भी ना, चलो अब मै फोन रखती हूं।

पारुल-- ठीक हैं बेटा पहुंच कर कॉल कर देना।
वैभवी-- ओक , मा और फोन डिस्कनेक्ट कर देती हैं।


इधर पारुल जैसे ही अपने कान से फोन हटती है,।

नर्स--- मैडम , उनको होश आ गया।

पारुल ये सुन कर की खुश हो जाती हैं और अपने केबिन से बाहर निकलते हुए सीधा सुनीता के पास जाती हैं।


पारुल-- सुनीता जी अब रोना बंद कीजिए , सोनू को होश आ गया है।

रो रों कर लाल पड़ चुका सुनीता का खूबसूरत चेहरा, अपने बेटे के होश में आने की बात सुनकर उसने जान आ जाती है..... जैसे एक मुरझाए हुए पेड़ में पानी पड़ने से उसमे जान आने लग जाती हैं.... उसी तरह सुनीता भी अपने आंख के आंसू पोच्छते हुए पारुल से बोली।


सुनीता-- के..क्या मै देख सकती हूं अपने बेटे को ?

पारुल--- हा..... हा सुनीता जी, जाकर मील लो,
। सुनीता ये सुन कर सीधा भागते हुए, सोनू के वार्ड में पहुंची..... सोनू अपनी आंखे खोल छत की तरफ उपर देख रहा था।


सुनीता सोनू के पास आकर बैठ जाती है, अपने बेटे के सर में बंधी पट्टी को देख कर उसका दिल मानो जोर जोर से रोने लगता हैं।

सुनीता की आंखो से लगातार पानी की आंसू बह रहे थे और उसे अपने आप पर पछतावा हो रहा था।

सुनीता (कांपते हुए)--- बे.... टा।

लेकिन सोनू को कोई फर्क ही नहीं हुआ.... उसकी नजर जहा थी वहीं गड़ी रही, उसने अपनी मां की आवाज़ सुन कर भी नजर अंदाज़ कर दिया, उसने एक बार अपनी मा की तरफ देखा भी नहीं।

सुनीता अब तक चार पांच बार सोनू को आवाज़ दे चुकी थी.... लेकिन शायद सोनू ही अपने मा से बात नहीं करना चाहता था।

सुनीता--- देख मुझसे ऐसे नाराज़ मत हो, नहीं तो में जी नहीं पाऊंगी, तेरे सिवा और कोई है भी नहीं मेरा.....( सुनीता भचक bhachak कर रों रही थी)

लेकिन सोनू को कोई फ़र्क ही नहीं पड़ा, उसे उसके मा के आंसू भी बेकार से लग रहे थे।

सुनीता-- सुन... ना, ए मेरे लाल, मत रूठ अपनी मां से। तू.... तू चाहे तो वो डंडा लेकर मुझे भी मार ले, लेकिन एक बार मुझसे बात कर ले..... उसकी लगातार आंखो से आंसू निकलते निकलते सुर्ख लाल हो चुके थे...... सुनीता अब तक ये समझ चुकी थी की सोनू उससे एकदम रूठ चुका है..... लेकिन उसे ये बात सताए जा रही थी की ये रुसवाई कब तक की है..... कहीं मेरा ज़िन्दगी भर मुझसे बात नहीं किया तो.... अपने मन में ढेर सारे सवालों की झड़ी लगाकर वो खुद से ही पूछ रही थी और रोते हुए अपना हाथ सोनू के हाथ पर रख देती है।

तभी वहां पारुल आ जाती है.........।

पारुल--- कैसे हो सोनू अब, कैसा लग रहा है?

सोनू--- अब ठीक लग रहा है मैडम जी, लेकिन मेरा सर बहुत तेज दर्द कर रहा है। ऐसा लग रहा है मुझे अब आराम करना चाहिए?

पारुल-- हा... हा , सोनू तुम आराम करो, सुनीता जी अब चलिए थोड़ा सोनू को आराम करने दीजिए.....।
लेकिन सुनीता को जैसे पारुल की आवाज़ नहीं सुनाई दे रही थी , वो अपना एक हाथ सोनू के हाथ पर रख उसके मासूम चेहरे में खोई हुई थी।

तभी पारुल ने सुनीता को थोड़ा झिंझोड़ कर बोला-- सुनीता जी।

सुनीता जैसे नींद के आगोश से बाहर निकली.....।

सुनीता-- ह..... हा।

पारुल--- कहां खो गई आप, वो ठीक है अब, सोनू को थोड़ा आराम करने दीजिए, चलिए अब चलते है।

सुनीता--- डॉक्टर साहिबा म.... मै यहां सिर्फ बैठी रहूंगी, उससे बात भी नहीं करूंगी, लेकिन मै अभी मेरे बच्चे को छोड़ कर जाना नहीं चाहती।

पारुल-- मै आप की भवनावो को समझ सकती हूं, लेकिन आप यहां रहोगी तो उसे नींद नहीं आएगी..... समझिए थोड़ा।

सुनीता ना चाहते हुए भी अपने दिल पर पत्थर रख वो बाहर की तरफ चल देती है... बाहर जाते हुए सुनीता ने कई बार पीछे मुड कर सोनू की तरफ देखा, लेकिन सोनू ने एक बार भी नहीं अपनी मा की तरफ तांका।


__________________________________________________

आज झुमरी खाट पर से कई दिनों के बाद उठी थी, शायद अब वो बिल्कुल ठीक थी।
वो आंगन में बने गुसल खाने में नहा रही थी....... गूसल खाना भी एकदम ना के बराबर ही था, बस थोड़ी थोड़ी इंट की दीवारें उठी थी सर के बराबर तक दरवाजे का नामो निशान भी नहीं था।
। झुमरी नहाते हुए..... अपने ब्लाउस की दो बटन खोल देती है।


और अपनी साड़ी निकाल कर, नीचे रख देती है, झुमरी अपनी पेटीकोट थोड़ा अपनी जांघ तक सरका कर, रगड़ रगड़ कर नहा रही थी.... उसकी मोटी मोटी गोरी जांघं इतनी मांसल थी की अगर कोई उसकी जांघ देख ले तो बीना झुमरी को चोदे रह नहीं सकता।

झुमरी अपनी जांघो को मसलते मसलते उस रात हुई धमाके दार चुदाईई को याद करने लगी, जब उसका मर्द बेचैन अपनी मां को हुमच हुमाच कर चोद रहा था..... और सुगना भी उसे और जोर जोर से चोद ने के लिए उकसा रही थी......।

अनायास ही ये सब सोच झुमरी का हाथ पेटीकोट से होते हुए उसके बूर पर पर पहुंच गई।
झुमरी की बूर पनिया चुकी थी.... अपना एक हाथ झुमरी ने अपने बड़ी बड़ी चूचियों पर रख मसलते लगती है.... और नीचे पेटीकोट के अंदर अपने बूर में दो उंगलियां घुसा कर अन्दर बाहर कर रही थी।

अब झुमरी की सिसकारी निकलने लगी और मन में बड़बड़ाती हुई.....।

झुमरी----। सी ईईईईई.... आह, कुत्ता जब मुझे चोदने को होता है, तो आह.... उसके लन्ड की ताकत खत्म हो जाती है... और अपनी मां को उछल उछल कर चोद रहा था।

झुमरी अपनी मस्ती में मस्त अपनी चूचियां और बूर मसल रही थी... वो शायद भूल चुकी थी कि उसने बाहर का दरवाजा बंद नहीं किया है.......।


बाहर शेशन जो कि बेचन का बड़ा भाई है.... वो खेत के झोपड़े की चाभी लेने, सीधा घर के अंदर घुस गया..... उसे ओसार में कोई नहीं दिखा तो वो बैचन को आवाज़ लगते आंगन में चला आया.....।

आंगन में पहुंचते ही शेशान ने जो नज़ारा देखा देखते ही, उसके पैर वहीं थम्हे के थाम्हे रह गए.... झुमरी अपनी मस्ती में मस्त अपना एक हाथ पेटीकोट में डाल कर, अपनी बूर में कचाकच उंगलियां पेल रही थी.... और एक हाथ से अपनी ब्लाउस के उपर ही चूचियां दबा रही थी..... इतना कामुक नज़ारा देख शेसन की हालत को लकवा मार जाता है.... उसके बदन में तो सरसराहट होती है.... लेकिन उसके लन्ड को कोई फर्क नहीं पड़ता।

शेसान अब करीब ७० साल का हो गया था उसके, लंड्ड ने उसका साथ छोड़ दिया था..... वो ये नज़ारा देख कर अपने मन में खुद को गाली देते हुए बाहर निकाल जाता है।

शेसंन---- साला आज अगर लंड खड़ा होता तो , झुमरी बहू को चोद देता..... और यही सोचते सोचते जैसे ही घर में पहुंचा, उसे उसके कमरे से कुछ आवाज़ सुनाई दी। ये आवाज़ इतनी धीमी थी की समझ में नहीं आ रहा था की क्या बाते हो रही है।

शेसन धीरे धीरे क़दमों से उस कमरे तक पहुंचा, और अपना कान दरवाजे से सटा दिया।

अन्दर से आवाज़ आ रही थी...... शीला भाभी मान जाओ ना एक बार अपना ये मखहन जैसा बदन मेरे नाम कर दो कसम से मज़ा आ जाएगा।

ये सुनते ही शेसन के पैरो तले ज़मीन खिसक गई... क्यूकी ये आवाज़ बेचन की थी, उसके छोटे भाई की।
ओ हड़बड़ा गया और उसके दिमाग का पारा बहुत तेज़ होने लगा था, उसने नज़र इधर उधर घुमाई उसे एक मोटा डंडा दिखा, ओ डंडे को उठाकर सोचा की आज तो बेचन को जान से मार दूंगा.... और जैसे ही दरवाजा खोलने को हुआ, उसे उसकी औरत शीला की आवाज़ सुनाई पड़ी।

वो बोल रही थी.... क्या देवर जी आह... क्या करते हो, शर्म नहीं आती इतने जोर से मसलते हो.... आह, दर्द होता है। छोड़िए मुझे आप, नहीं करना है ये सब मुझे... आह।

शेसंन का हाथ दरवाज़े तक पहुंच कर रुक जाता है..... वो सोचने लगा की शीला आह उह क्यों कर रही है, आखिर ये बेचन कर क्या रहा है शीला के साथ..... यही उत्सुकता और मन में गुस्से से भरा शेसन्न बगल में लगी सीढ़ियों के सहारे खिड़की से अन्दर जैसे ही झांकता है उसके रौंगटे खड़े हो जाते है......।

कहानी जारी रहेगी दोस्तो........ अपडेट लेट मील रहा है उसके लिए सोरी.... थोड़ा बिज़ी हूं.... लेकिन आगे से अपडेट बराबर मिलता रहेगा.
 

Nikhil143

New Member
27
277
49
बेरहम है तेरा बेटा.....१
अपडेट-----१४




खिड़की से झांकते हुए पाया की, उसका भाई बेचन उसकी औरत शीला को अपनी बाहों में जकड़े हुए उसकी एक चूची को अपने हाथ के मुट्ठी में एक दम से दबोचे हुए था। और शीला छटपटा कर उसे छोड़ने को क रही थी।

अद्भुद नज़ारा था , शीला की उम्र लगभग 55 साल की होगी लेकिन फिर भी इस उम्र में गजब की भरी हुई बदन लिए हुए किसी भी जवान मर्द का पानी निकाल सकती थी।

शीला-- आह.. छोड़िए ना देवर जी, क्या कर रहे हो, आपके भईया अगर आ गए ना तो हम दोनों की खैर नहीं।


बेचन(शीला की चूचियों को मसलते हुए)-- आह भाभी लगता है भईया तुझे कुछ ज्यादा ही मजा देते है... जो तुझे अपने इस देवर पर तरस नहीं आ रहा है.... और कहते हुए शीला की चूचियों को जोर से दबा दिया।

शीला......- आ.......ह, देवर जी, मार डालोगे क्या।
शीला बेचन की बाहों में किसी खिलौने की तरह पड़ी हुई थी, जिसे बेचन बड़े मजे ले ले कर उसकी चूचियां मसल रहा था।



बेचन--- एक बार पुरी नंगी हो जा ..... भाभी , बस एक बार।

शीला की बची खुची जवानी बेचन के इस तरह मसलने से रंग लाने लगी थी, वो जानबूझ कर नाटक कर रही थी।
शीला-- नहीं देवर जी छोड़िए मुझे, ये सब अच्छा नहीं लगता अब इस उम्र में। आपके भईया अगर......
बेचन बीच में ही बात काटते हुए-- अरे भाभी आप तो भईया के उपर ही अटकी पड़ी हो कब से.... तभी बेचन ने शीला की ब्लाउस अपनी उंगलियों में पकड़ जोर से खींच कर फाड़ दिया।
शीला -- हाय री दाईया.... ये क्या किया आपने देवर जी... और अपने दोनों हाथो से अपनी चूचियों को छुपाने लगी।



बेचन,-- क्यू तड़पा रही है भाभी , देख ना तेरी ये मस्त चूचियां देख कर मेरे लंड की क्या हालत हो गई है।

अनायास ही शीला की नजर बेचन के पजामे पर पड़ी जो अब तक वहां पर तम्बू बना था..... ये देख शीला शर्मा गई और अपनी आंखे नीचे कर ली।

बेचन शीला को इस कदर शरमाते देख उसकी हिम्मत बढ़ गई वो झट से खाट पर से उठा और शीला को अपनी बांहों में कस कर दबोच लिया।
बेचन-- क्या हुआ भाभी लगता है पसंद नहीं तुझे?
शीला कुछ बोल नहीं पाई और अपना सर नीचे ही झुका कर रखी रही।

बेचन-- भाभी अब सहा नहीं जाता... निकाल दे अपनी ये साड़ी और बन जा अपने देवर की रखैल...।
शीला ये सुनते ही पूरी की पूरी अंदर तक हिल गई..... उसके जांघो के बीच काफी सा लो से वो झनझनाहट जो आनी बंद हो गई थी, बेचैन के एक शब्द ने उसके बूर को आखिर गुदगुदा ही दिया,,।

शीला-- देवर जी आप जाओ यहां से,
शीला बोल ही रही थी कि उसने नजर उठा कर जैसे ही बेचन की तरफ देखा बेचन ने अपना पायजामा निकाल कर अपना लंड हाथ में ले लिया था और उसे धीरे धीरे आगे पीछे कर रहा था।
६ इंच का लंड देख शीला की जवानी बेकाबू होने लगी, थोड़ा सा शर्म और इज्जत की मारी शीला अपनी नजर झुकाए वहीं खड़ी रही...।

ये देख बेचन की हालत और खराब होने लगी उसका लंड तो पहले से ही उफान मार रहा था। जब से अपनी मां को चोदा था उसने और अब अपनी बिटिया सीमा का बूर खोलने की खुशी उसके तन बदन दोनों को आग लगा रही थी।

बेचन--- अरे भाभी, देख ना मेरा लंड खड़ा है और तू है कि अपनी मुंडी झुकाए खड़ी है।
चल आजा मेरी जान अपने देवर का लंड अपने मुंह में ले के चूस......।

शीला तो मानो जैसे पानी पानी हो गई थी क्युकी आज तक ऐसी बाते उसके मर्द ने भी उससे नहीं करी थी, और लंड चूसने का सुन कर तो तो उसके भोसड़े में तो जैसे तहलका मच गया हो, क्युकी लंड चूसना तो आज तक वो सिर्फ गाली गलौच के समय ही सुनी थी लेकिन कभी चूसा नहीं था।

शीला के लिए लंड चूसने का ये पहला अहेसास था, लेकिन मारे शर्म से वो खुल नहीं पा रही थीं।
शीला ये सब सोच ही रही थी कि तभी बेचन ने आगे बढ़कर उसकी साड़ी के पल्लू को पकड़ लिया और एक झटके में खींचने लगा जिससे शीला चारो तरफ नाचने लगी और उसकी साड़ी देखते देखते ही उसके बदन पर से उतरने लगी......।

शीला--- नहीं देवर जी ऐसा मत करो, ये ग़लत है।
लेकिन बेचन ने आखिर उसकी साड़ी को पूरा उतार ही दिया, अब शीला सिर्फ पेटीकोट में और एक नीले रंग के ब्लाउज में खड़ी थी।
अपनी मोटी मोटी कमर लिए शीला अपनी दोनों हाथो से अपने ब्लाउज के ऊपर हाथ रख उसे छुपाने की कोशिश कर रही थी।

और इधर बेचन शीला की बड़ी बड़ी चूचियां और मोटी गांड़ देख पागल हुए जा रहा था।

बेचन--- आह भाभी, कसम से क्या गांड़ है तेरी, मज़ा आ जाएगा जब तेरी गांड़ में मेरा लंड घुसेगा तो।

शीला ऐसी बाते सुनकर और शर्मा जाती लेकिन उसे ऐसी बातों में मजा भी बहुत आ रहा था।

शीला--- आप बहुत गंदे हो देवर जी, ऐसी गंदी बातें कर के आप को शर्म नहीं आ रही है?

बेचन(अपने लंड को मसलते हुए)---- आह , मेरी शीला रानी.... भईया नहीं करते क्या तुझसे ऐसी बाते?

शीला--- वो तुम्हारी तरह गंदे थोड़ी है, वो ऐसी गंदी बाते कभी नहीं करते।

बेचन ने शीला को फिर से एक बार अपनी बाहों में कस कर भर लिया... और शीला का पेटी कोट उपर उठाते हुए उसके दोनों बड़ी बड़ी चूतड़ों को अपनी हथेलियों में दबोच उसे जोर जोर से मसलने लगा।

शीला--- हाय..... राम, क्या..... आ.... कर रहे हो.... दर्द हो रहा है...। छोड़ दो देवर..... जी।

बेचन--- अरे शीला रानी, तेरी गांड़ हैं ही इतनी मस्त, पता नहीं वो भंडवा मेरा भाई तेरी गांड़ की नथ क्यू नही उतार पाया।

शीला--- आह.... देवर जी...धीरे.... करो।
बेचन-- भईया ने कभी नहीं दबाया तेरी इन मस्त चूतड़ों को?

शीला-- बेचन की बाहों में पड़ी... आह न.... नहीं।
बेचन-- तू चिंता मत कर शीला रानी, अब से तेरी गांड़ की सेवा में करूंगा, तेरी इस मोटी गांड़ में अपना लंड डाल कर खूब तेरी गांड़ करूंगा। क्यू मरवाएगी ना अपनी ये गांड़ मुझसे?

शीला को बहुत ज्यादा शर्म आ रही थी, ऐसी बाते उसके बदन में आग भी लगा रही थी और उसकी शर्म उसे रोक रही थी, वो भी चाहती थी की पूरा खुल कर मजे लू लेकिन गांव की औरतं इतनी जल्दी भला कैसे बेशर्म हो सकती है।

शीला-- आह हटो, आप इतनी गंदी गंदी बात कर रहे हो, मुझे शर्म आती है, आप तो बेशर्म हो कर मेरी मसले जा रहे हो और पूछते हो की।

बेचन- - क्या मसले जा रहा हूं भाभी?
शीला-- आप मसल रहे हो, तो आ....ह, आप को नहीं पता क्या?

बेचन-- मुझे नहीं पता तू ही बता दे ना मेरी , रखैल ।

शीला-- आप मर्द लोग ऐसे ही होते हो.... आह, खुद तो मजे लेते हो औरतों को मसल मसल कर और दर्द की परवाह तो होती नहीं त आप मर्दों को।

बेचन ने शीला के बूर में अपनी दो उंगलियों को घिसोड़ कचकाच पेलने लगा, शीला की बूर पानी उगलने लगी।

शीला--- आह..... अम्मा. हाय री.... देवर जी, ।
बेचन-- तेरी बूर तो पानी छोड़ रही है भाभी, कसम से बहुत कसी कसी लग रही है।
बेचन खड़े खड़े ही , अपनी उंगलियां शीला की बूर में पेले जा रहा था.... और शीला भी मस्त मज़े में अपनी टांगे चौड़ी कर के उंगलियां पेलवाने का मजा ले रही थी।
पूरे कमरे में शीला की सिसकारियों से आवाज़ गूंज रही थी, और शेशन खिड़की से ये नज़ारा देख पागल हो गया था, वो कभी सोच भी नहीं सकता था की उसकी औरत ये सब भी कर सकती है... शीला जिस तरह बेचन की बाहों में खड़ी अपनी दोनों टांगे चौड़ी कर के अपनी बूर बेचन की उंगलियों से पिलवा रही थी, वो नज़ारा ही एक दम मादक भरा था।
शेशन ने अपनी औरत को कभी भी नंगा नहीं देखा था, रात के अंधेरे में ही उस की चूद्दाई कर देता था, और अब तो उसका लंड भी खड़ा नहीं होता।

बेचन--- (उंगलियां पेलते हुए)--- कैसा लग रहा है भाभी, मजा आ रहा है कि नहीं।

शीला--- आह....म.... देवर जी, आप गंदे हो, आह दैया री... कितना अंदर डालोगे अपनी आह उंगलियां.... फाड़ दोगे क्या अपनी भाभी की बूर।

अपनी औरत के मुंह से ऐसी बात सुनकर शेशन का हाल बेहाल हो गया, क्युकी शीला भी ऐसी बाते कर सकती है उसे पता नहीं था।

और इधर बेचन समझ चुका था , की भाभी की बूर अब लंड मांग रही है, और वैसे भी काफी समय हो गया था उसे लगा उसका भाई कभी भी आ सकता है तो जल्दी से पहले चोद लेता हूं बाद में फिर कभी इत्मीनान से इसे चोदूंगा और वैसे भी अब ये मना नहीं करेगी।

बेचन--- भाभी अपना पेटीकोट उठा कर झुक जा, अब तेरी बूर में अपना लंड डालूंगा और चोदूंगा नहीं तो तेरा bhandwa मर्द आ जायेगा।

शीला--- आह, देवर जी नहीं मत करो ना मत चोदो मुझे... लेकिन शीला ने अपनी पेटीकोट को ऊपर सरका कर खाट पकड़ झुक गई....।

बेचन के सामने अब शीला पूरी नंगी बड़ी बड़ी गांड़ थी, और उसकी झांटों से घिरी बूर बेचन के ६ इंच लंड को और कड़क बना रही थी।
बेचन ने समय का तकाज़ा समझ जल्दी से चोदने का फैसला लिया हालांकि वो शीला को और रगड़ना और मसलना चाहता था लेकिन उसे डर था कि कहीं अगर शेसन आ गया तो गड़बड़ हो जाएगा।


बेचन--- आह भाभी, क्या मस्त गांड़ है.... तेरी गांड़ में ही डाल दूं क्या?
शीला अपनी पेटीकोट उठाए अपनी गांड़ बाहर की तरफ निकले झुकी थी कसम से क्या नज़ारा था जिस तरह से एक ५७ साल की औरत अपनी मदमस्त गांड़ खो ले.... अपने देवर के लंड का इंतजार कर रही थी।

शीला--- नहीं... देवर जी उसमे मत डालो... ।
बेचन(फिर से शीला के बूर में उंगलियां डाल)--- तो कहा डालू रानी.... तेरी इस बूर में डालू, बहुत गरम है... देख कैसे पानी चुआ रही है मेरे लंड के लिए।

शीला से अब रहा नहीं जा रहा था उसका बूर एकदम से गरम हो चुका था और वो थोड़ी भी देरी नहीं करना चाहती थी।

शीला--- आह, देवर जी , कब तक झुकाए रखोगे अपनी रखैल को... डाल भी दो अब।

खिड़की में से झांकता हुए शेसन अपनी औरत के मुंह से बेचन की रखैल वाली बात सुनकर लाल पीला हो गया... वो सोचने लगा वाह री शीला तू इतनी बड़ी छीनाल है मै कभी समझ ही नहीं पाया।

और इधर जैसे ही बेचन ने अपनी भाभी के मुंह से अपनी रखैल शब्द सुना तो पागल हो गया और अपना कड़क लंड शीला के बूर की फांकों में फंसा जोर का धक्का मारा और पूरा लंड एक बार में ही घुसा दिया।

शीला---- हाय री.... मेरी बूर... फाड़ दिया...aaaaaaaaaaaa... निकाल लो बहुत दर्द हो रहा है....आह... नहीं... धी...... रे...।

शीला की चिल्लहट, और बेचन की पागलों जैसी दक्केमारी देख कर शेसन सन्न रह गया.... उसने ऐसी चूदाईई ना कभी देखी थी और ना कभी की थी.... शीला पूरी हिल जाती जब बेचन जोर जोर से शीला की बूर में धक्का मारता... और शीला अपना मुंह खोले चिल्लाती।

बेचन--- आह.... भाभी बहुत मज़ा आ रहा है तेरी बूर में... कैसा लग रहा है तेरे देवर का लंड।

शीला को भी अब मज़ा आने लगा था , शीला बेचन के जोश की दीवानी हो गई थी जीस तरह वो उसे कस कस कर चोद रहा था.... उसे उसके पति ने कभी नहीं चोदा था।

शीला-- आह.... देवर जी, बहुत मज़ा आ रहा है.... आह पहले क्यों नहीं चोदा अपनी भाभी को.... कब से सुख गई थी मेरी बूर... हा... हा... देवर जी ऐसे ही आह.... मा इतना मज़ा कभी नहीं आया था री।

बेचन की रफ्तार और तेज हो गई पूरे कमरे में फच्छ फाच्छ की आवाज़ और शीला की सिसकारियां माहौल को और भी मादक बना रही थी।

बेचन-- आह शीला, पहले ही चोद देता तुझे गलती हो गई... अब ले अपने देवर का लंड ।

शीला--- आह देवर जी..... बहुत अन्दर जा रहा है आपका लंड बहुत मज़ा आ रहा है... मेरा तो... आह पानी निकलने वाला है... चोदो मुझे ऐसे ही, मै गई देवर जी..... आह।

बेचन--- आह भाभी मेरा भी निकलने वाला है... कहा डालू अपना पानी।

शीला--- आ........... मेरी बु..... र में ही डाल दो.... और शीला अपनी का बदन अकड़ने लगा और वो झरने लगी.... और बेचन ने भी एक दमदार धक्का लगाया और अपना पूरा पानी शीला की बूर में भरने लगा।

तूफ़ान गुजर गया था.... दोनों अपनी सांसों को काबू में कर रहे थे.... शीला अब अपना पेटीकोट नीचे कर के खड़ी हो चुकी थी और बेचन अपना ढीला पड़ चुका लंड हाथ में लिए खड़ा बोला।

बेचन--- मज़ा आया भाभी।
शीला तो शर्मा गई.... पूरा।
शीला--- धत बेशरम..... कह कर अपनी साड़ी पहनने लगी।

बेचन--- शीला को पीछे से अपनी बाहों में भर कर उसकी दोनो चूचियां मसलने लगता है।

शीला-- आह.... अभी आपका मन नहीं भरा जो फिर से लग गए।
बेचन-- अरे मेरी जान तू है ही इतनी मस्त की तुझे देख फिर से मन हो जाता है।

शीला--- नहीं.. छोड़ो मुझे, एक तो चोद चोद कर मेरी हालत खराब कर दी आपने और फिर से मन हो रहा है..... अब जाओ नहीं तो आपके भईया आ जाएंगे।

बेचन--- अभी तो जा रहा हूं हूं रानी.... लेकिन फिर कब चुद्वाएगी?
शीला ये सुन शर्मा जाती है..... और बोली।

शीला--- अब तो मै आपकी ही हूं जब मन करे तब चोद लेना।
ये बात सुन कर शेसन एक दम टूट सा गया और कुत्ते जैसा मुंह बनाकर बाहर चला गया........।

और फिर कुछ देर बाद बेचन भी अपने घर पर चल दिया।

हॉस्पिटल में बैठी सुनीता के साथ साथ फातिमा , राजू, और अनीता चुप थे।
सुनीता की हालत तो समझ में ही नहीं आ रही थी दीवार के सहारे अपना सर टिकाए लगातार उपर ताक रही थी..... उसे सोनू के बचपन के दिन याद आ गए... वो सोचने लगी कि एक बच्चे के लिए मै पूरी पांच साल तड़पती रही कहा कहा नहीं गई मंदिरों में हर जगह और जब भगवान ने मुझे एक बच्चा दिया तो मुझे उसकी कद्र ही नहीं.... यही सोचते सोचते उसकी आंखे भर आती है......
 

desilauda4u

Member
334
180
43
bahut badiya update tha,lekin pata nahi ye sonu kab sunita ko apne lapete me lega,me dekhna chahta hu sonu kis bedardi se apni maa ko chodega
 

PARADOX

ଗପ ହେଲେ ବି ସତ
6,068
3,447
189
kirket.md.jpg

:announce:Hii friends...:asw:....


Friends finally came the day we were eagerly waiting for:toohappy:. Waiting for 4 years is now going to end. Legends are in front of the eyes and their courage is waiting for us. In this particular moment, we have brought one last opportunity for you, which can benefit you a lot:woot:. All you have to do that join us in a quiz contest. So let's get one last try and one last win and then crown :cough: will be on head.

Prove yourself as a legend of prediction...:pimp:

Just take a part of our last few quiz contests...
ICC WC-19 SEMI FINAL 1 INDIA VS NEW ZEALAND QUIZ THREAD & ICC WC-19 SEMI FINAL 1 INDIA VS NEW ZEALAND CC THREAD.... Click here....:declare:
 
Top