बेरहम हैं तेरा बेटा --------1
अपडेट------12
बेचन अपनी अम्मा को चोदने के बाद उसके उपर ही लेट जाता है ।
और इधर जाग चुकी झुमरी भी, बोलती है की कोई मेरा पानी भी तो निकाल दो ...........
अब आगे ---------
सुगना---- अरे बहु रोज तो ये तेरा पानी निकलता है।
झुमरी---- जब से बिमार हू अम्मा तब से एक बार भी लंड नही गया ।
बेचन---- पहले तू ठीक हो जा रानी फीर तेरा भी पानी निकाल दूंगा ।
और फीर बेचन अपनी अम्मा की चुचियो में मुह लगा देता है ......।
सुगना---- अरे हरामी फीर से चोदेगा क्या?
बेचन---- मन तो कर रहा है,
सुगना--- तो फीर डाल कर फीर से गदर मचा दे,
बेचन ने अपना लंड फीर से अपनी अम्मा के बुर में डाल हुमचने लगता है ।
उस रात पता नही कितनी बार बेचन ने अपनी अम्मा को चोदा होगा ............... ।
सुबह सुबह वैभवी तैयार हो कर अपनी मां के साथ कार में बैठ स्टेशन की तरफ़ निकल देती है ।
उसका दील एक बार सोनू को देखने का कर रहा था, लेकीन इतनी सुबह सुबह उसे सोनू कहा दिखेगा .....यही सोचती हुई वो स्टेशन पर पहुंच जाती है ।
स्टेशन पर ट्रेन आकर खड़ी होती है, वो ट्रेन में अपनी सीट पर बैठ जाती है और जैसे ही ट्रेन जाने को होती है उसे सोनू भागते हुए दिखा ।
वैभवी ट्रेन के दरवाजे पर आ जाती है , जिसकी वजह से सोनू उसे देख लेता है । सोनू के पैरो की रफ्तार तेज होती है और धीरे चल रही ट्रेन से आगे भागते वो वैभवी के पास पहुंच जाता है ।
सोनू (ट्रेन के साथ भागते हुए)---- आप आज जा रही थी, एक बार बता तो देना चाहिये था ।
वैभवी की पलकें भीग चुकी थी उसे यकीं नही था की सोनू उसे इस कदर चहता है,
वैभवी---- मेरी हिम्मत नही पड़ी बताने की ।
सोनू की सांसे भागते भागते फूलने लगी थी ........
सोनू--- अच्छा ठीक है, फीर कब आओगी?
वैभवी--- 2 महिने बाद, आ जाऊंगी मैं ......
sonu(हांफते हुए)----- अच्छा .......भूल तो नही जाओगी मुझे । दोस्त माना है ना ।
वैभवी ये सुनते ही, उसे ऐसा लगा की अभी ट्रेन से उतर जाऊं और सोनू को अपनी बाहों में भर कर बोलू अब तुम मेरे सिर्फ दोस्त नही बल्की मेरी जिन्दगी हो ............लेकीन जब तक वैभवी सोनू को कुछ जवाब देती ट्रेन स्टेशन के साथ साथ सोनू को भी दूर छोड़ चुकी थी ।
सोनू स्टेशन के आखरी छोर पर खड़ा अपनी आंखो में आंसू लिए वैभवी को देखता रहा, और वैभवी भी रोते हुए अपना हाथ हिलाते सोनू को अलविदा कह रही थी ।
वो दोनो एक दुसरे को तब तक देखते रहे जब तक की वो एक दुसरे के आंखों से ओझल नही हो जाते .........
sonu जैसे ही पीछे की तरफ़ घुमा उसे पारुल खड़ी दिखी, सोनू के भीग चुके आंखो को देख कर पारुल की आंखे भी नम हो जाती है .......aur वो सोचने लगती है की ( किसी ने सच ही कहा है जब प्यार होता है तो सारी दुनिया उसे बेगाना लगती है सिर्फ एक उसे छोड़ कर)
सोनू बिना कुछ बोले वहां से निकल जाता है .................।
इधर घर में कस्तूरी अपनी बुर मसल मसल कर सोनू के लंड को याद कर रही थी , लेकीन शायद उसे ये नही पता था की जिसे वो याद कर रही है वो पहले से ही किसी के याद में पागल हैं ।
कस्तूरी अपनी बुर मसल ही रही थी की तभी वहा सोनू आ जाता है ।
कस्तूरी सोनू को देख उसे अपनी बाहो में भर लेती हैं ......।
सोनू उसे अपने से दूर कर देता है ......जिसकी वजह से कस्तूरी को ऐसा करना अच्छा नही लगता ।
कस्तूरी--- क्या हो गया है तुझे? पिछले 2 दिनो से ना तू बात कर रहा है और ना ही ठीक से खाना खा रहा है .......।
अगर मै पसंद नही तो वो भी बोल दे मै तेरे पास नही आऊंगी ।
सोनू--- कस्तूरी को अपनी बाहो में भरते हुए ..... नही मेरी जान ऐसी कोई बात नही हैं, कौन बोला की तू मुझे पसंद नही है, वो तो बस मेरा मुड़ खराब था इसीलए।
कस्तूरी सोनू के होठो को चूमती हुई---- क्या बात है सोनू मुझे बता की अखिर ऐसी कौन सी बात है जो तुझे परेशान कर रही है ।
सोनू कस्तूरी को अपनी बाहो में उठा लेता हैं और उसे छत पर ले कर आ जाता है ।
छत के कमरे में खाट पर कस्तूरी को लिटा कर खुद उसके उपर लेट जाता है ........।
कस्तूरी कुछ बोलने ही वाली थी की सोनू ने उसके होठो को अपने होठो में कैद कर लेता है ।
उसकी यादों में सिर्फ वैभवी का चेहरा घूम रहा था, वो भूल गया था की इस वक़्त वो अपनी चाची के उपर लेटा है ।
वो कस्तूरी को वैभवी समझ उसे ऐसे चूम और चुस रहा था जैसे की उसके नीचे वैभवी हो।
कस्तूरी भी आज इतनी मदमस्त हो गई थी की वो समझ ही नही पाई की हमेशा बेरहमी से चोदने वाला आज इसको क्या हो गया ।
सोनू कस्तूरी के पुरे चेहरे को चाट चाट कर भिगा दीया था .....कस्तूरी का पुरा चेहरा सोनू के थूक से भीग गया था ।
ऐसा अहसास कस्तूरी को पहले कभी नही हुआ था, आज पता नही क्यूँ सोनू की हर एक छुअन उसे अपना सा लग रहा था ।
उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसे कोई बेइन्तहा प्यार करने वाला उसका पति उसके साथ है .....।
सोनू कस्तूरी के चेहरे को चूम्ते हुए उसके गर्दनो को अपनी होटो में पुरा भर चारो तरफ़ चूमने चाटने लगता हैं ।
कस्तूरी अपनी आंखे बंद किये जैसे किसी दुसरी दुनिया में पहुंच गई हो ........।
आज कस्तूरी को एक अजीब सा प्यारा अहसास हो रहा था ......उसकी बुर ने पानी उग्ल्ना शुरु कर दीया था ।
सोनू धीरे धीरे चूम्ते हुए उसकी चुचियो पर आ जाता है और उसकी एक चुची को अपने मुह में जैसे ही मुह में लेके चुसता हैं .......।
कस्तूरी----- आह ......मेरे राजा, आज क्या हो गया हैं तुझे .....शुरु से ही मजा देने लग गया हैं ।
लेकीन सोनू तो जैसे उसकी आवज ही नही सुन रहा था ......वो कस्तूरी की चुचियो को चुस चुस कर फूला देता हैं ।
कस्तूरी से इतनी मस्ती सही नही जा रही थी अब उसकी बुर लंड के लिए तैयार हो चुकी थी ।
तभी सोनू का एक हाथ कस्तूरी की बुर पर पड़ता है और सोनू ने अपनी एक उंगली कस्तूरी के बुर में घुसा कर आगे पीछे करने लगा ......।
कस्तूरी----- आह सोनू, बेटा मार डालेगा क्या? जल्दी से डाल दे अपना........मुसल अपनी चाची की बुर में ........आह कीस रंडी के खयाल में खोया हैं .....आह ।
सोनू इतना सुनते ही उसका पारा आसमां पर चढ़ गया, क्युकी वो वैभवी के खयाल में ही खोया था ।
सोनू का गुस्सा बहुत तेज था ., उसने कस्तूरी के गाल पर जोर का थप्पड़ जड़ दीया ।
सोनू---- साली बहुत आग है ना तेरे भोस्ड़ी में, आज इसका वो हाल करूंगा की..........
कस्तूरी---- आह राजा तो कर ना, देखती हू तेरे लंड में कितना ताकत हैं ।
सोनू अपने बेरहमी पर आ गया, उसने कस्तूरी के दोनो टाँगे सटा कर हवा में उठाया जिससे कस्तूरी की बुर की फान्के एक दुसरे से चिपक गई ......... और सोनू जबरन अपना लंड उसके बुर में घुसने लगा ।
एक जोर के झटके से कस्तूरी की बुर अन्दर चिर्ते हुए सोनू का लंड लेने लगी ।
कस्तूरी का चेहरा लाल हो चुका और इतनी जोर की चिल्लाहट से कमरा गूंज गया ।
सोनू ने फाटक से अपना लंड बाहर खींच लीया और कस्तूरी की टाँगे cross कर दीया जिससे कस्तूरी की बुर और सिकुड़ गई ।
अब सोनू ने फिर से अपना लंड कस्तूरी के बुर में घुसना चाहा लेकीन टाँगे cross होने की वजह से कस्तूरी के बुर की छंद जकड़ गई थी ।
फीर भी सोनू ने जबरन अपना लंड उसके बुर में अपने लंड का टोपा फंसा कर अपनी पुरी ताकत से जड़ तक घुसा दीया ।
कस्तूरी-- आ..............आ......मां, मर जाऊँगी .............सोनू, रहम कर........आ।
कस्तूरी का दर्द उसकी चिन्खो से बयाँ हो रहा था, इतनी जोर की चिल्लाहत से नीचे बैठे सुनीता और अनीता भागते हुए छत पर आ गई ।
छत पर आते ही, उन्होने जो नजारा देखा तो दंग रह गई .....।
कस्तूरी जोर जोर से चिल्ला रही थी उसके चेहरे की हालत बता रही थी की, वो सोनू के लंड को बहुत मश्क़िल से ले पा रही है ।
और वो सोनू से बार बार, अपनी अटक चुकी आवाज़ से कह रही थी, की मुझें माफ़ कर दे सोनू, निकाल ले इसे मैं नही ले पाऊंगी ।
लेकीन सोनू ने अपने धक्को की रफ्तार और तेज कर दी ......।
सुनीता और अनीता का गला सुख चुका था, सोनू को किसी जानजानवर की तरह चोद्ता देख ।
सोनू---- चल साली गांड खोल । पीछे कुतीया बन ....
कस्तूरी को थोड़ा आराम मील सोनू के लंड निकलने से ......।
कस्तूरी (रोते हुए)----- मैने ऐसा क्या कह दीया, सोनू जो तू इतनी बेरहमी से चोद रहा है मुझे ।
सोनू---- कुछ नही, बस तू कुतीया बन, और अपनी गांड में मेरा लंड ले
कस्तूरी की हालत और खराब हो जाती हैं, वो सोनू को अपनी बाहो में भर लेती हैं, और रोते हुए कहती हैं ।
कस्तूरी---- इतनी बेरहमी मत कर, सोनू बेटा कुछ गलत बोल दीया हो तो माफ़ कर दे ।
सोनू कस्तूरी को वैसे ही बाहो में उठा लेता हैं, और उसकी दोनो टांगो को अपने दोनो बाहो में भर उसका पीठ पकड़ जकड़ लेता हैं ।
कस्तूरी अब सोनू के बाहो में जकड़ी हुई थी, उसका गांड सीधा सोनू के लंड के उपर था ।
कस्तूरी सोनू के गले में अपना हाथ डाले उसके बाहो में थी, और सोनू नीचे जमीन पर उसको उठाये खड़ा था ।
सोनू--- चल मदर्चोद, अपने एक हाथ से मेरा लंड अपनी गांड में घुसा ।
कस्तूरी समझ चुकी थी की आगे आनेवाला दर्द बहुत भयानक हैं .....उसकी आंखो से आंसू निकलने लगता हैं ।
कस्तूरी---- नही सोनू, वहा नही मैं मर जाऊंगी, और रोने लगती हैं ।
सोनू(कस्तूरी को उठाये)--- साली ज्यादा नाटक मत कर, जितना बोल रहा हूं उतना कर,
कस्तूरी--- मरती क्या ना करती, वो रोते हुए अपना एक हाथ नीचे ले जाकर सोनू के लंड को अपनी गांड के छंद पर टिका देती है,
सोनू कस्तूरी को अपने हाथ के सहारे नीचे करते हुए, जोर का धक्का मारता है .....जिससे कस्तूरी की गांड फटती चली जाती हैं,
कस्तूरी--- आ...aa.aaaaaaaeeeeeeeeii........आआआ...... aaah ,
अपना पुरा मुह खोल कर चिल्लाने लगती हैं, लेकीन सोनू जोर जोर से उसकी गांड मारने लगता हैं ......। हद तो तब हो जाती हैं, जब सोनू कस्तूरी को ही अपने लंड पर उसे उठा उठा कर उछल्ने लगता हैं ।
सोनू का लंड कस्तूरी के गांड के औकात से अन्दर जैसे ही घुसना चालू कीया ........खून की लरि उसके गांड से बहते नीचे जमीन पर गिरने लगी .......और साथ ही कस्तूरी एक जोर की चिल्लहट से बेहोश हो जाती है ......।
सोनू पगला चुका उसे खाट पर लिटा, बगल में पड़े पानी के ग्लास से पानी निकाल कस्तूरी के चेहरे पर जोर से पानी का छिटा मारता है ......जिससे कस्तूरी होश में आती हैं ।
सोनू कस्तूरी का बाल जोर से खींचता हैं---- क्या हुआ साली, इतनी जल्दी हार मान गई, अभी तो और लंड बचा है पुरा कहा ली तुने, और सोनू फीर से उसे उसी अवश्था में उथाने लगा ......।
कस्तूरी का रो रो कर गला सुख गया था, वो किसी तरह बस यहा से निकलना चाहती थी ।
कस्तूरी---- छोड़ दे सोनू ......मैं तेरे हाथ जोडती हू, मेरी बुर फाड़ दे मगर गांड में नही ले पाऊंगी, देख तेरी चाची हूं मैं इतना कहा तो मान ले मेरा ......aaaaaaaaaaaaआ.............aआ.............म.......री।
सोनू का लंड फीर से कस्तूरी के गांड में घुस चुका था,
बाहर खड़ी सुनीता और अनीता का हाथ पैर सुन्न हो चुका था । और सुनीता की नज़र कस्तूरी की गांड के छेंंद पर पड़ी, जो सोोनू के लंड ने बुुरी..........तरह खोल.....दीया था ......और कस्तूरी के गांड से रीस रीस कर।
खून नीचे टपक रहा था .....लेकीन सोनू का लंड उसके गांड में अभी भी बुरी तरह अन्दर बाहर हो रही थी ।
कस्तूरी सोनू के बाहो में पड़ी सिर्फ दर्द बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी ......लेकिन सोनू ने इस बार कस्तूरी को अपने दोनो हाथो से उपर उठाया लंड गांड से बाहर निकला, लेकिन सोनू ने वापस कस्तूरी को नीचे की तरफ़ जोर से लाया और नीचे से अपना गांड भी उछाल कर धक्के दीया दोनो तरफ़ से धक्के पड़ने सें .........कस्तूरी सोनू से चिपक दर्द से छटपटाने लगती हैं .......।
और जोर से.......आmmmmmmmmmm ......... आ........... हाँ मां .......मार डालेगा .....ये आज।
कस्तूरी की हालत सुनीता से देखी नही जाती, वो झट से दरवाजा खोलती हैं ........जिसे सोनू अपनी मां को देख सुन्न हो जाता हैं ।
और कस्तूरी को नीचे खाट पर लिटा देता हैं .......।
सुनीता गुस्से में लाल पास में पड़ी लकड़ी से सोनू को सटा सट मारने लगती हैं .......।
सुनीता(सोनू को दंडे से मरती हुई)----- हरामी ...... तुने औरतो को समझ क्या रखा हैं ......खिलौना ......हैं , जिसे तू जैसे चाहे वैसे इस्त्ट्तेमाल करेगा ।
सोनू मार खाता रहा और अपने कपड़े पहनता रहा ......।
दर्द से निढ़ाल हो चुकी कस्तूरी भी सुनीता को रोक रही थी और इधर अनीता भी उसको पकड़ रही थी ।
सुनीता--- नही हट जा अनीता, औरते मर्दो के पास आती है ताकी वो भी अपने शरीर को संतुष्ट कर पाये ......लेकिन ये हरामी औरतो को खिलौना समझता हैं, थोड़ा भी रहम नही हैं इसके अन्दर ......जानजानवर हैं ये ।
और फीर एक जोर का दंडा खींच कर मारती हैं सोनू अपना बेल्ट उठाने नीचे झुक्ता हैं और वो दंडा सीधा उसके सर पर लगता है ....... और सोनू वही नीचे निढ़ाल हो कर गीर जाता हैं ........।
सोनू के गिरते ही सुनीता का गुस्सा गायब हो जाता हैं ....वो सोनू के तरफ़ बढती हैं ......
सोनू को अपने गोद में उसका सर उठाती हाय, उसके सर से बहुत खून निकल रहा था .....और सोनू बेहोश हो चुका था ।
सुनीता----- रोते हुए ......हाय राम ये मैने क्या कर दीया ।
वो सोनू को 2,3 बार झिंझोद्ती हैं लेकिन सोनू के तरफ़ से कोई हलचल नही होती ..............
डाक्टर साहिबा .....डाक्टर साहिबा .....जोर जोर की आवाज़ अस्पताल में गूंज रही थी ।
ये आवाज़ राजू की थी जो सोनू को सुनीता और अनीता के साथ अस्पताल ले कर आया था ......।
पारुल आवाज़ सुनते ही, अपने cabin से बाहर आती हैं ......।
राजू--- डाक्टर देखो ना मेरे भाई को चोट लग गई हैं आप कुछ किजीये ।
पारुल जैसे ही सोनू को देखती हैं ......वो खून से लत्पथ अपनी मां सुनीता के गोद में लेटा था ।
पारुल की हालत खराब हो जाती हैं .....वो फटाफट नर्स को सोनू को अन्दर लाने के लिििि बोलतीी हैं ।
सोनू को हॉस्पिटल के सरकारी special ward ले आया गया ।
सब लोग बाहर खड़े रोते बिल्खते पारुल का इन्तज़ार करने लगे ......।
कुछ देर बाद पारुल बाहर आती हैं ......।
सुनीता---- डॉक्टर साहिबा कैसा है मेरा बेटा ।
पारुल--- देखीये सुनीता जी, सोनू का खून बहुत निकल बह गया है हमे खून की शख्त ज़रुरत हैं ।
सुनीता पागल हो चुकी---- म .....मेरा खून ले लो डॉक्टर साहिबा लेकिन मेरे बेटे को बचा लो ......।
पारुल---- ठीक है सुनीता जी आप अपना blood चेक करवा लो हमे A+ का ही ब्लड चाहिये ।
और फिर सुनीता पारुल के साथ blood checkup के लिए अन्दर ward में चली जाती हैं .............
अपडेट------12
बेचन अपनी अम्मा को चोदने के बाद उसके उपर ही लेट जाता है ।
और इधर जाग चुकी झुमरी भी, बोलती है की कोई मेरा पानी भी तो निकाल दो ...........
अब आगे ---------
सुगना---- अरे बहु रोज तो ये तेरा पानी निकलता है।
झुमरी---- जब से बिमार हू अम्मा तब से एक बार भी लंड नही गया ।
बेचन---- पहले तू ठीक हो जा रानी फीर तेरा भी पानी निकाल दूंगा ।
और फीर बेचन अपनी अम्मा की चुचियो में मुह लगा देता है ......।
सुगना---- अरे हरामी फीर से चोदेगा क्या?
बेचन---- मन तो कर रहा है,
सुगना--- तो फीर डाल कर फीर से गदर मचा दे,
बेचन ने अपना लंड फीर से अपनी अम्मा के बुर में डाल हुमचने लगता है ।
उस रात पता नही कितनी बार बेचन ने अपनी अम्मा को चोदा होगा ............... ।
सुबह सुबह वैभवी तैयार हो कर अपनी मां के साथ कार में बैठ स्टेशन की तरफ़ निकल देती है ।
उसका दील एक बार सोनू को देखने का कर रहा था, लेकीन इतनी सुबह सुबह उसे सोनू कहा दिखेगा .....यही सोचती हुई वो स्टेशन पर पहुंच जाती है ।
स्टेशन पर ट्रेन आकर खड़ी होती है, वो ट्रेन में अपनी सीट पर बैठ जाती है और जैसे ही ट्रेन जाने को होती है उसे सोनू भागते हुए दिखा ।
वैभवी ट्रेन के दरवाजे पर आ जाती है , जिसकी वजह से सोनू उसे देख लेता है । सोनू के पैरो की रफ्तार तेज होती है और धीरे चल रही ट्रेन से आगे भागते वो वैभवी के पास पहुंच जाता है ।
सोनू (ट्रेन के साथ भागते हुए)---- आप आज जा रही थी, एक बार बता तो देना चाहिये था ।
वैभवी की पलकें भीग चुकी थी उसे यकीं नही था की सोनू उसे इस कदर चहता है,
वैभवी---- मेरी हिम्मत नही पड़ी बताने की ।
सोनू की सांसे भागते भागते फूलने लगी थी ........
सोनू--- अच्छा ठीक है, फीर कब आओगी?
वैभवी--- 2 महिने बाद, आ जाऊंगी मैं ......
sonu(हांफते हुए)----- अच्छा .......भूल तो नही जाओगी मुझे । दोस्त माना है ना ।
वैभवी ये सुनते ही, उसे ऐसा लगा की अभी ट्रेन से उतर जाऊं और सोनू को अपनी बाहों में भर कर बोलू अब तुम मेरे सिर्फ दोस्त नही बल्की मेरी जिन्दगी हो ............लेकीन जब तक वैभवी सोनू को कुछ जवाब देती ट्रेन स्टेशन के साथ साथ सोनू को भी दूर छोड़ चुकी थी ।
सोनू स्टेशन के आखरी छोर पर खड़ा अपनी आंखो में आंसू लिए वैभवी को देखता रहा, और वैभवी भी रोते हुए अपना हाथ हिलाते सोनू को अलविदा कह रही थी ।
वो दोनो एक दुसरे को तब तक देखते रहे जब तक की वो एक दुसरे के आंखों से ओझल नही हो जाते .........
sonu जैसे ही पीछे की तरफ़ घुमा उसे पारुल खड़ी दिखी, सोनू के भीग चुके आंखो को देख कर पारुल की आंखे भी नम हो जाती है .......aur वो सोचने लगती है की ( किसी ने सच ही कहा है जब प्यार होता है तो सारी दुनिया उसे बेगाना लगती है सिर्फ एक उसे छोड़ कर)
सोनू बिना कुछ बोले वहां से निकल जाता है .................।
इधर घर में कस्तूरी अपनी बुर मसल मसल कर सोनू के लंड को याद कर रही थी , लेकीन शायद उसे ये नही पता था की जिसे वो याद कर रही है वो पहले से ही किसी के याद में पागल हैं ।
कस्तूरी अपनी बुर मसल ही रही थी की तभी वहा सोनू आ जाता है ।
कस्तूरी सोनू को देख उसे अपनी बाहो में भर लेती हैं ......।
सोनू उसे अपने से दूर कर देता है ......जिसकी वजह से कस्तूरी को ऐसा करना अच्छा नही लगता ।
कस्तूरी--- क्या हो गया है तुझे? पिछले 2 दिनो से ना तू बात कर रहा है और ना ही ठीक से खाना खा रहा है .......।
अगर मै पसंद नही तो वो भी बोल दे मै तेरे पास नही आऊंगी ।
सोनू--- कस्तूरी को अपनी बाहो में भरते हुए ..... नही मेरी जान ऐसी कोई बात नही हैं, कौन बोला की तू मुझे पसंद नही है, वो तो बस मेरा मुड़ खराब था इसीलए।
कस्तूरी सोनू के होठो को चूमती हुई---- क्या बात है सोनू मुझे बता की अखिर ऐसी कौन सी बात है जो तुझे परेशान कर रही है ।
सोनू कस्तूरी को अपनी बाहो में उठा लेता हैं और उसे छत पर ले कर आ जाता है ।
छत के कमरे में खाट पर कस्तूरी को लिटा कर खुद उसके उपर लेट जाता है ........।
कस्तूरी कुछ बोलने ही वाली थी की सोनू ने उसके होठो को अपने होठो में कैद कर लेता है ।
उसकी यादों में सिर्फ वैभवी का चेहरा घूम रहा था, वो भूल गया था की इस वक़्त वो अपनी चाची के उपर लेटा है ।
वो कस्तूरी को वैभवी समझ उसे ऐसे चूम और चुस रहा था जैसे की उसके नीचे वैभवी हो।
कस्तूरी भी आज इतनी मदमस्त हो गई थी की वो समझ ही नही पाई की हमेशा बेरहमी से चोदने वाला आज इसको क्या हो गया ।
सोनू कस्तूरी के पुरे चेहरे को चाट चाट कर भिगा दीया था .....कस्तूरी का पुरा चेहरा सोनू के थूक से भीग गया था ।
ऐसा अहसास कस्तूरी को पहले कभी नही हुआ था, आज पता नही क्यूँ सोनू की हर एक छुअन उसे अपना सा लग रहा था ।
उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसे कोई बेइन्तहा प्यार करने वाला उसका पति उसके साथ है .....।
सोनू कस्तूरी के चेहरे को चूम्ते हुए उसके गर्दनो को अपनी होटो में पुरा भर चारो तरफ़ चूमने चाटने लगता हैं ।
कस्तूरी अपनी आंखे बंद किये जैसे किसी दुसरी दुनिया में पहुंच गई हो ........।
आज कस्तूरी को एक अजीब सा प्यारा अहसास हो रहा था ......उसकी बुर ने पानी उग्ल्ना शुरु कर दीया था ।
सोनू धीरे धीरे चूम्ते हुए उसकी चुचियो पर आ जाता है और उसकी एक चुची को अपने मुह में जैसे ही मुह में लेके चुसता हैं .......।
कस्तूरी----- आह ......मेरे राजा, आज क्या हो गया हैं तुझे .....शुरु से ही मजा देने लग गया हैं ।
लेकीन सोनू तो जैसे उसकी आवज ही नही सुन रहा था ......वो कस्तूरी की चुचियो को चुस चुस कर फूला देता हैं ।
कस्तूरी से इतनी मस्ती सही नही जा रही थी अब उसकी बुर लंड के लिए तैयार हो चुकी थी ।
तभी सोनू का एक हाथ कस्तूरी की बुर पर पड़ता है और सोनू ने अपनी एक उंगली कस्तूरी के बुर में घुसा कर आगे पीछे करने लगा ......।
कस्तूरी----- आह सोनू, बेटा मार डालेगा क्या? जल्दी से डाल दे अपना........मुसल अपनी चाची की बुर में ........आह कीस रंडी के खयाल में खोया हैं .....आह ।
सोनू इतना सुनते ही उसका पारा आसमां पर चढ़ गया, क्युकी वो वैभवी के खयाल में ही खोया था ।
सोनू का गुस्सा बहुत तेज था ., उसने कस्तूरी के गाल पर जोर का थप्पड़ जड़ दीया ।
सोनू---- साली बहुत आग है ना तेरे भोस्ड़ी में, आज इसका वो हाल करूंगा की..........
कस्तूरी---- आह राजा तो कर ना, देखती हू तेरे लंड में कितना ताकत हैं ।
सोनू अपने बेरहमी पर आ गया, उसने कस्तूरी के दोनो टाँगे सटा कर हवा में उठाया जिससे कस्तूरी की बुर की फान्के एक दुसरे से चिपक गई ......... और सोनू जबरन अपना लंड उसके बुर में घुसने लगा ।
एक जोर के झटके से कस्तूरी की बुर अन्दर चिर्ते हुए सोनू का लंड लेने लगी ।
कस्तूरी का चेहरा लाल हो चुका और इतनी जोर की चिल्लाहट से कमरा गूंज गया ।
सोनू ने फाटक से अपना लंड बाहर खींच लीया और कस्तूरी की टाँगे cross कर दीया जिससे कस्तूरी की बुर और सिकुड़ गई ।
अब सोनू ने फिर से अपना लंड कस्तूरी के बुर में घुसना चाहा लेकीन टाँगे cross होने की वजह से कस्तूरी के बुर की छंद जकड़ गई थी ।
फीर भी सोनू ने जबरन अपना लंड उसके बुर में अपने लंड का टोपा फंसा कर अपनी पुरी ताकत से जड़ तक घुसा दीया ।
कस्तूरी-- आ..............आ......मां, मर जाऊँगी .............सोनू, रहम कर........आ।
कस्तूरी का दर्द उसकी चिन्खो से बयाँ हो रहा था, इतनी जोर की चिल्लाहत से नीचे बैठे सुनीता और अनीता भागते हुए छत पर आ गई ।
छत पर आते ही, उन्होने जो नजारा देखा तो दंग रह गई .....।
कस्तूरी जोर जोर से चिल्ला रही थी उसके चेहरे की हालत बता रही थी की, वो सोनू के लंड को बहुत मश्क़िल से ले पा रही है ।
और वो सोनू से बार बार, अपनी अटक चुकी आवाज़ से कह रही थी, की मुझें माफ़ कर दे सोनू, निकाल ले इसे मैं नही ले पाऊंगी ।
लेकीन सोनू ने अपने धक्को की रफ्तार और तेज कर दी ......।
सुनीता और अनीता का गला सुख चुका था, सोनू को किसी जानजानवर की तरह चोद्ता देख ।
सोनू---- चल साली गांड खोल । पीछे कुतीया बन ....
कस्तूरी को थोड़ा आराम मील सोनू के लंड निकलने से ......।
कस्तूरी (रोते हुए)----- मैने ऐसा क्या कह दीया, सोनू जो तू इतनी बेरहमी से चोद रहा है मुझे ।
सोनू---- कुछ नही, बस तू कुतीया बन, और अपनी गांड में मेरा लंड ले
कस्तूरी की हालत और खराब हो जाती हैं, वो सोनू को अपनी बाहो में भर लेती हैं, और रोते हुए कहती हैं ।
कस्तूरी---- इतनी बेरहमी मत कर, सोनू बेटा कुछ गलत बोल दीया हो तो माफ़ कर दे ।
सोनू कस्तूरी को वैसे ही बाहो में उठा लेता हैं, और उसकी दोनो टांगो को अपने दोनो बाहो में भर उसका पीठ पकड़ जकड़ लेता हैं ।
कस्तूरी अब सोनू के बाहो में जकड़ी हुई थी, उसका गांड सीधा सोनू के लंड के उपर था ।
कस्तूरी सोनू के गले में अपना हाथ डाले उसके बाहो में थी, और सोनू नीचे जमीन पर उसको उठाये खड़ा था ।
सोनू--- चल मदर्चोद, अपने एक हाथ से मेरा लंड अपनी गांड में घुसा ।
कस्तूरी समझ चुकी थी की आगे आनेवाला दर्द बहुत भयानक हैं .....उसकी आंखो से आंसू निकलने लगता हैं ।
कस्तूरी---- नही सोनू, वहा नही मैं मर जाऊंगी, और रोने लगती हैं ।
सोनू(कस्तूरी को उठाये)--- साली ज्यादा नाटक मत कर, जितना बोल रहा हूं उतना कर,
कस्तूरी--- मरती क्या ना करती, वो रोते हुए अपना एक हाथ नीचे ले जाकर सोनू के लंड को अपनी गांड के छंद पर टिका देती है,
सोनू कस्तूरी को अपने हाथ के सहारे नीचे करते हुए, जोर का धक्का मारता है .....जिससे कस्तूरी की गांड फटती चली जाती हैं,
कस्तूरी--- आ...aa.aaaaaaaeeeeeeeeii........आआआ...... aaah ,
अपना पुरा मुह खोल कर चिल्लाने लगती हैं, लेकीन सोनू जोर जोर से उसकी गांड मारने लगता हैं ......। हद तो तब हो जाती हैं, जब सोनू कस्तूरी को ही अपने लंड पर उसे उठा उठा कर उछल्ने लगता हैं ।
सोनू का लंड कस्तूरी के गांड के औकात से अन्दर जैसे ही घुसना चालू कीया ........खून की लरि उसके गांड से बहते नीचे जमीन पर गिरने लगी .......और साथ ही कस्तूरी एक जोर की चिल्लहट से बेहोश हो जाती है ......।
सोनू पगला चुका उसे खाट पर लिटा, बगल में पड़े पानी के ग्लास से पानी निकाल कस्तूरी के चेहरे पर जोर से पानी का छिटा मारता है ......जिससे कस्तूरी होश में आती हैं ।
सोनू कस्तूरी का बाल जोर से खींचता हैं---- क्या हुआ साली, इतनी जल्दी हार मान गई, अभी तो और लंड बचा है पुरा कहा ली तुने, और सोनू फीर से उसे उसी अवश्था में उथाने लगा ......।
कस्तूरी का रो रो कर गला सुख गया था, वो किसी तरह बस यहा से निकलना चाहती थी ।
कस्तूरी---- छोड़ दे सोनू ......मैं तेरे हाथ जोडती हू, मेरी बुर फाड़ दे मगर गांड में नही ले पाऊंगी, देख तेरी चाची हूं मैं इतना कहा तो मान ले मेरा ......aaaaaaaaaaaaआ.............aआ.............म.......री।
सोनू का लंड फीर से कस्तूरी के गांड में घुस चुका था,
बाहर खड़ी सुनीता और अनीता का हाथ पैर सुन्न हो चुका था । और सुनीता की नज़र कस्तूरी की गांड के छेंंद पर पड़ी, जो सोोनू के लंड ने बुुरी..........तरह खोल.....दीया था ......और कस्तूरी के गांड से रीस रीस कर।
खून नीचे टपक रहा था .....लेकीन सोनू का लंड उसके गांड में अभी भी बुरी तरह अन्दर बाहर हो रही थी ।
कस्तूरी सोनू के बाहो में पड़ी सिर्फ दर्द बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी ......लेकिन सोनू ने इस बार कस्तूरी को अपने दोनो हाथो से उपर उठाया लंड गांड से बाहर निकला, लेकिन सोनू ने वापस कस्तूरी को नीचे की तरफ़ जोर से लाया और नीचे से अपना गांड भी उछाल कर धक्के दीया दोनो तरफ़ से धक्के पड़ने सें .........कस्तूरी सोनू से चिपक दर्द से छटपटाने लगती हैं .......।
और जोर से.......आmmmmmmmmmm ......... आ........... हाँ मां .......मार डालेगा .....ये आज।
कस्तूरी की हालत सुनीता से देखी नही जाती, वो झट से दरवाजा खोलती हैं ........जिसे सोनू अपनी मां को देख सुन्न हो जाता हैं ।
और कस्तूरी को नीचे खाट पर लिटा देता हैं .......।
सुनीता गुस्से में लाल पास में पड़ी लकड़ी से सोनू को सटा सट मारने लगती हैं .......।
सुनीता(सोनू को दंडे से मरती हुई)----- हरामी ...... तुने औरतो को समझ क्या रखा हैं ......खिलौना ......हैं , जिसे तू जैसे चाहे वैसे इस्त्ट्तेमाल करेगा ।
सोनू मार खाता रहा और अपने कपड़े पहनता रहा ......।
दर्द से निढ़ाल हो चुकी कस्तूरी भी सुनीता को रोक रही थी और इधर अनीता भी उसको पकड़ रही थी ।
सुनीता--- नही हट जा अनीता, औरते मर्दो के पास आती है ताकी वो भी अपने शरीर को संतुष्ट कर पाये ......लेकिन ये हरामी औरतो को खिलौना समझता हैं, थोड़ा भी रहम नही हैं इसके अन्दर ......जानजानवर हैं ये ।
और फीर एक जोर का दंडा खींच कर मारती हैं सोनू अपना बेल्ट उठाने नीचे झुक्ता हैं और वो दंडा सीधा उसके सर पर लगता है ....... और सोनू वही नीचे निढ़ाल हो कर गीर जाता हैं ........।
सोनू के गिरते ही सुनीता का गुस्सा गायब हो जाता हैं ....वो सोनू के तरफ़ बढती हैं ......
सोनू को अपने गोद में उसका सर उठाती हाय, उसके सर से बहुत खून निकल रहा था .....और सोनू बेहोश हो चुका था ।
सुनीता----- रोते हुए ......हाय राम ये मैने क्या कर दीया ।
वो सोनू को 2,3 बार झिंझोद्ती हैं लेकिन सोनू के तरफ़ से कोई हलचल नही होती ..............
डाक्टर साहिबा .....डाक्टर साहिबा .....जोर जोर की आवाज़ अस्पताल में गूंज रही थी ।
ये आवाज़ राजू की थी जो सोनू को सुनीता और अनीता के साथ अस्पताल ले कर आया था ......।
पारुल आवाज़ सुनते ही, अपने cabin से बाहर आती हैं ......।
राजू--- डाक्टर देखो ना मेरे भाई को चोट लग गई हैं आप कुछ किजीये ।
पारुल जैसे ही सोनू को देखती हैं ......वो खून से लत्पथ अपनी मां सुनीता के गोद में लेटा था ।
पारुल की हालत खराब हो जाती हैं .....वो फटाफट नर्स को सोनू को अन्दर लाने के लिििि बोलतीी हैं ।
सोनू को हॉस्पिटल के सरकारी special ward ले आया गया ।
सब लोग बाहर खड़े रोते बिल्खते पारुल का इन्तज़ार करने लगे ......।
कुछ देर बाद पारुल बाहर आती हैं ......।
सुनीता---- डॉक्टर साहिबा कैसा है मेरा बेटा ।
पारुल--- देखीये सुनीता जी, सोनू का खून बहुत निकल बह गया है हमे खून की शख्त ज़रुरत हैं ।
सुनीता पागल हो चुकी---- म .....मेरा खून ले लो डॉक्टर साहिबा लेकिन मेरे बेटे को बचा लो ......।
पारुल---- ठीक है सुनीता जी आप अपना blood चेक करवा लो हमे A+ का ही ब्लड चाहिये ।
और फिर सुनीता पारुल के साथ blood checkup के लिए अन्दर ward में चली जाती हैं .............