रात भर की कामुकता से भरी हुई अद्भुत संभोग क्रीडा से थक कर दोनों गहरी नींद में सो गए और सुबह जब नींद के लिए तो दोनों एकदम से हड़बड़ा गए क्योंकि काफी समय हो गया था इसलिए मधु दरवाजे को खटखटा रही थी,,,।
दरवाजा खटखटाने की आवाज से कब दोनों की नींद खुली तो दोनों अपनी अपनी स्थिति से वाकिफ होते ही एकदम से घबरा गए,,,क्योंकि दोनों के बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था दोनों रात की तरह संपूर्ण नग्नावस्था में थे रात को चुदाई के असीम सुख को भोगकर दोनों एक-दूसरे को बाहों में लिए उसी तरह से सो गए थे,,,,,।
गुलाबी का खूबसूरत बदन
गुलाबी अरे वो गुलाबी अभी तक सो रही है,,, देख नहीं रही है सूरज सर पर चढ़ आया है,,,, उठ जल्दी उठ,,,,।
(मधु दरवाजे पर दस्तक देते हुए बोली,,,)
हां ,,,,, आई भाभी आज जरा आंख लग गई थी,,,, तुम चलो मैं आती हूं,,,,
ठीक है मैं आंगन में झाड़ू लगा देती हूं तु अंदर झाड़ू लगा दे,,,
खूबसूरत गांड की मालकिन मधु
ठीक है भाभी,,,,(मधु झाड़ू लेकर घर के आंगन में झाड़ू लगाने लगी और गुलाबी तुरंत खटिए पर ऊठ कर बैठ गई,,,।)
बापरे आज तो बहुत देर हो गई,,,,
रात भर चुदवाई हो तो देर तो होगी ही,,,(राजू अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर,, गुलाबी के फूल आते हुए कबूतर को दबाते हुए बोला,,,,)
आहहहह क्या कर रहा है,,,, रात भर में तेरा मन भरा नहीं क्या,,,! (राजू के हाथ को अपनी चूची पर से हटाते हुए बोली,,,)
तुमको लगता है बुआ एक बार में मन भर जाएगा,,,,
हां तु सच कह रहा है,,, अगर ऐसा होता तो भैया तेरी मां की रोज चुदाई ना करते,,,,
(एक बार फिर से बातों ही बातों में अपनी मां का जिक्र होते ही राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, अपनी मां का जिक्र होते ही राजू फिर से गुलाबी की चूची को पकड़ते हुए बोला,,)
बुआ तुम रोज दीवार के छेद से मां और पिताजी की चुदाई देखती थी ना,,,,(गुलाबी की चूची को जोर से दबाते हुए बोला,,,)
खटिया पर लेटी हुई गुलाबी
उन्हीं दोनों से तो सब कुछ सीखी हूं देख देख कर ही मैंने यह सब सीख गई तभी तो रात को इतना मजा आया,,,
बुआ फिर से मजा लेना चाहती हो,,,(इतना कह कर राजू अपनी दोनों टांगों के बीच देखने लगा जहां पर उत्तेजना के मारे फिर से उसका लंड खड़ा होने लगा था,, राजू के दोनों टांगों के बीच गुलाबी की भी नजर गई तो वह एक बार फिर से शर्म से पानी पानी होने लगी उसकी बुर में पानी इकट्ठा होने लगा,,,, एक बार फिर से गुलाबी का भी मन मचल उठा था उसे अपनी बुर के अंदर लेने के लिए,,,, राजू गुलाबी कई उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाते हुए एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर हिलाने लगा यह देखकर गुलाबी की हालत और खराब होने लगी,,,)
क्या कहती हो बुआ एक बार फिर से लेट जाओ,,, मजा आ जाएगा,,,,
(गुलाबी का मन मचल उठा था,,, वह एकटक राजू के लंड को देखे जा रही थी लेकिन इस समय उसके पास समय का अभाव था क्योंकि उठने में वैसे भी देरी हो चुकी थी,,, अभी अभी उसकी भाभी भी उसे उठाकर गई थी,,, इसलिए मन होते हुए भी अपने मन को मार कर वह खटिया पर से उठने को हुई तो तुरंत राजू अपनी बाहों को उसकी कमर में डालकर अपनी तरफ खींच लिया जिसकी वजह से गुलाबी उसके ऊपर लुढ़क गई गुलाबी ऊपर थी और राजू नीचे गुलाबी की पीठ राजू की छाती से सटी हुई थी उसके गोलाकार नितंब सीधे-सीधे एकदम सटीक तरीके से राजू के लंड पर टिके हुए थे,,,,,,एक ही रात में राजू इतना खुल जाएगा गुलाबी को इसकी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी राजू की हरकत की वजह से उसके तन बदन में एक बार फिर से आग लगने लगी थी,,,,वैसे भी सुबह-सुबह बदन में उत्तेजना का असर कुछ ज्यादा ही होता है,,,।
बस बुआ एक बार,,, एक बार डाल लेने दो,,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपने लंड को पकड़ कर,,, अपनी बुआ की बुर से सटा दिया और उसमें डालने की कोशिश करने लगा,,, राजू की इस हरकत की वजह से गुलाबी के तन बदन कामोत्तेजना की लहर उठने लगी,,, उसका भी मन करने लगा कि वह एक बार फिर से राजु से चुदवा ले,,,लेकिन वह मौके की नजाकत को अच्छी तरह से समझती थी वह जानती थी कि देर होने पर किसी भी समय उसकी भाभी फिर से आ जाएगी,,,,,, गुलाबी का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि राजू के लंड का सुपाड़ा उसकी गुलाबी बुर के छेद से रगड़ खा रहा था जिसे राजू अंदर डालने की कोशिश कर रहा था,,, राजू के हाथों में एक बार फिर से गुलाबी का गुलाबी बदन था,, उसके गोलाकार नितंब उसके लंड से सटा हुआ था जो कि उसकी उत्तेजना में निरंतर वृद्धि कर रहा था,,, राजू एक बार फिर से अपनी बुआ को चोदना चाहता था और इसीलिए वह फिर से प्रयास करते हुए अपने लंड के सुपाड़े को उसकी गुलाबी बुर के छेद में डालने की कोशिश कर रहा था लेकिन गुलाबी जानती थी कि चुदाई का यह समय ठीक नहीं है,,,, वह दोनों पकड़े जा सकते थे,,,, संभोग के असीम सुख की भावना मे वह खुद बहने लगी थी एक बार तो उसका मन हुआ कि खुद अपनी दोनों टांगें खोलकर उसके लंड पर सवार हो जाए और यह भावना मन में आता ही वह अपनी दोनों टांगों को खोल भी दी थी लेकिन तभी उसे भान हुआ की ऐसी हालत में वह पकड़ी जा सकती थी,,,, इसलिए वह अपने भतीजे के ऊपर से उठने की कोशिश करने लगी लेकिन उसका भतीजा अपना जौर दिखाते हुए उसकी कमर में दोनों हाथ डालकर उसे नीचे दबाए हुए था भले ही उसको लैंडस्की दूर में प्रवेश नहीं कर पा रहा था लेकिन इस स्थिति में भी उसे स्वर्ग का सुख प्राप्त हो रहा था धर्म धर्म गोल-गोल कांड को अपने ऊपर महसूस कर के वह असीम आनंद की अनुभूति कर रहा था,,,।
राजू गुलाबी की चूत में डालने की कोशिश करते हुए
छोड़ राजू मुझे जाने दे देर हो रही है,,,,
नहीं बुआ एक बार और देखो ना मेरा खड़ा हो गया है,,,
तो क्या करूं अभी समय उचित नहीं है,,,
अरे क्यों उचित नहीं है बस एक बार डालना ही तो है,,,
तुझे क्या लगता है कि तू डाल कर निकाल लेगा,,, कितनी देर तक चुदाई करता है तू तेरी मां आ गई तो हम दोनों पकड़े जाएंगे और अगर एक बार पकड़े गए तो यह सब खेल यहीं रुक जाएगा,,,, क्या तू हमेशा मजा लेना नहीं चाहता,,,
चाहता हूं ना बुआ,,,
तो फिर अभी जाने दे तेरी मां भी तो गजब हो जाएगा और वैसे भी हम दोनों साथ में सोते हैं जब चाहे तब इस खेल को खेल सकते हैं,,,।
(अपनी बुआ की बात सुनकर राजू अपने मन में सोचने लगा कि उसकी बुआ ठीक ही कह रही है,,, अगर दोनों पकड़े गए थे इस खेल पर। लग जाएगा और वह ऐसा नहीं चाहता था क्योंकि अभी अभी तो यह खेल शुरू हुआ था इसलिए वह अपना मन मार कर बोला,,)
तुम ठीक कह रही हो बुआ लेकिन रात को करने देना,,,
बिल्कुल तुझे मजा आ रहा है तो क्या मुझे नहीं आ रहा है मुझे कि बहुत मजा आ रहा है मैं भी एक गेम खेलना चाहती हूं लेकिन अभी तू जानता ही नहीं कि तेरी मां किसी भी वक्त आ जाएगी,,,,(इतना कहते हुए वह राजू के ऊपर से उठने लगी गुलाबी की पीठ राजू की तरफ थी राजू पीठ के बल खटिया पर लेटा हुआ था पीछे से गुलाबी की गांड कहर ढा रही थी राजू का मन रुकने को बिल्कुल भी नहीं कर रहा था अपने मन को मार करवा एक बार गुलाबी को जाने दे रहा था लेकिन उसकी गांड को देखकर उसका मन मचल उठा रहा था लेकिन फिर भी वह जानता था की मनमानी करना ठीक नहीं है इसलिए अपने मन को मनाते हुए अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बुआ की गांड पर अपना हाथ फेरने लगा,,, और बोला)
बुआ तुम्हारी गांड कितनी मस्त है,,,
राजु और गुलाबी
मेरे से भी अच्छी तो तेरी मां की देखा नहीं नंगी होने के बाद कितनी खूबसूरत लगती है,,,
(अपनी बुआ की बातें सुनकर राजू कुछ बोला नहीं लेकिन उसकी कहीं बात वाकई में सच थी,,,,अपनी बुआ की बात से एक बार फिर से उसकी आंखों के सामने उसकी मां का नंगा बदन नाचने लगा,,,, गुलाबी खटिए पर से उठ कर अपने कपड़ों को ढूंढने लगी जो कि नीचे जमीन पर बिखरे पड़े थे,,,, राजू उसी तरह से लेटा रहा उसका लंड आसमान की तरफ सर उठाए खड़ा था,,,, गुलाबी राजू की लंड को देखकर पूरी तरह से मोहित हो चुकी थी क्योंकि बिना सहारे वह पूरी तरह से एकदम से हटाना के डंडे की तरह खड़ा था,,,, गुलाबी अपने मन में सोच रही थी कि अगली बार उसकी भाभी जिस तरह से उसकी भईया के लंड पर उठक बैठक करती है उसी तरह से वह भी करेगी,,,। गुलाबी अपने मन में यह सोचते हुए अपनी कुर्ती उठा ली और उसे कहने लगी ऊपर से अपने गले में डालकर वह कुर्ती को पहन रही थी और राजू उसे बड़े गौर से देख रहा था क्योंकि आज तक उसने अपनी बुआ को कपड़े पहनते भी नहीं देखा था हां रात को कपड़े उतारते हुए जरूर देखा था,,, औरतों का कपड़ा पहनना और उसे उतारना भी एक अद्भुत कला के साथ-साथ मादकता भरा एहसास है जो कि देखने वालों के होश उड़ा देता है ,,, राजू भी अपनी बुआ को बड़े मजे ले कर देख रहा था देखते ही देखते उसकी बुआ कुर्ती को पहन लेंगे और नीचे चुप कर सलवार उठाने लगी,,,, ऐसा करते हुए उसकी गांड राजू की तरफ थी ,,, जोकि झुकने की वजह से उसकी गोल गोल गांड कुछ ज्यादा ही भरकर सामने नजर आने लगी जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आने लगा,,,,,
Gulabi apni salwar utarte huye
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गुलाबी सलवार उठा कर खड़ी हो गई और उसे सीधा करके अपने पैर में डालकर पहनने लगी,,, और अगले ही पल खूबसूरत मादकता भरे नजारे पर पर्दा पड़ गया,,,,,, पहली बार में ही मोटे तगड़े लंबे लंड को अपनी बुर में लेने की वजह से गुलाबी को अपनी बुर में मीठा मीठा दर्द महसूस हो रहा था,,,,,, लेकिन यह मीठा मीठा दर्द भी उसे आनंद ही दे रहा था,,,। अपने कपड़े पहन लेने के बाद वह राजु से बोली,,,।
तू भी उठ कर कपड़े पहन ले नहीं तो मैं दरवाजा खोलने जा रही हूं,,,
नहीं रुको मैं पहनता हूं ,,,(इतना कहने के साथ ही वह भी खटिया पर से खड़ा हो गया और अपना पजामा ढूंढने लगा,,, उसे पहचाना ढुढते हुए देखकर गुलाबी बोली,,,)
उतारते समय नहीं पता था कि कहां उतार रहा है,,,।
क्या करूं बुआ,,, तुम्हें चोदने की लालच में कुछ पता ही नहीं चला कि क्या कर रहा हूं,,,,(अपने पजामे को इधर-उधर ढूंढते हुए बोला,,,)
वो रही खटिया के नीचे,,,,(गुलाबी उंगली के इशारे से दिखाते हुए बोली,,,)
बाप रे रात को पता ही नहीं चला कि कपड़ा उतार के कहां फेंका,,,,।
हां रात को मजा लेने के लिए तो आनन-फानन में सब निकाल कर फेंक दिया,,,,
क्या करूं बुआ तुम चीज ही कुछ ऐसी हो,,,(ऐसा कहते हुए राजू खटिया के नीचे से अपने पजामे को उठाया और पहनने लगा,,,, अपने पजामे को जैसे ही वह ऊपर तक लाया तो,,अभी भी पूरी तरह से खड़ा होने की वजह से पजामे को ठीक से वह और उपर नहीं चढ़ा पा रहा था,,, राजू के खड़े लंड को देखकर गुलाबी बोली,,,)
तेरा तो अभी तक खड़ा है,,,,
क्या करूं बुआ तुम्हारी वजह से एक बार अंदर डाल लेने दीए होती तो यह भी शांत हो जाता,,,,।
रुक मैं अंदर डाल देती हुं,,,(इतना कहने के साथ ही गुलाबी आगे बढ़ी हो तुरंत चला चुके हैं उनको अपनी मुट्ठी में दबा कर उसे पजामे के अंदर करने लगी,,,, राजू को अपनी बुआ की हरकत एकदम मस्त कर गई,,,)
देख रही हो बुआ कितना गर्म है,,,
हारे बहुत गर्म है,,,
इससे भी ज्यादा गरम तुम्हारी बुर है,,,, अंदर जाते ही ऐसा लगता है कि मानो अभी मेरा लंड पिघल जाएगा,,,,(राजू की बात सुनकर गुलाबी मंद मंद मुस्कुराते हुए बोली)
तुझे देखकर लगता नहीं था कि तू इतना हरामी किस्म का लड़का है देखने में कितना शरीफ रखते हैं रात को ही पता चला कि तू कितना हरामि है,,,
मुझे भी तो रात को ही पता चला कि तुम कितनी मस्त हो,,,
चल अब जल्दी कर मैं बाहर जा रही हुं,,, (पजामे के अंदर राजू के खड़े लंड को व्यवस्थित करते हुए बोली,,,)
ठीक है बुआ,,,,(इतना कहकर राजू गुलाबी के गुलाबी होंठ पर अपने होंठ रख कर चुंबन कर लिया,,,)
बहुत तेज है तू,,,(पर इतना क्या कर मुस्कुराते हुए दरवाजा खोलकर बाहर चली गई,,, राजू अपनी बुआ को जाते को देखता रह गया उसे यकीन नहीं हो रहा था कि रात को जो कुछ भी हुआ था वह हकीकत है उसे सब कुछ सपना समझ रहा था क्योंकि उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसकी सीधी-सादी हुआ इतनी बड़ी छिनार होगी जो खुद चुदवाने के लिए तड़प रही थी,,,। लेकिन जो कुछ भी हुआ था उसे से ऐसा ही लग रहा था कि राजू की दसों उंगलिया अब घी में थी,,, रात को जो कुछ भी होगा वह सब कुछ राजू की आंखों के सामने एक एक करके घूमने लगा था,,,, उसकी बुआ इतनी खूबसूरत और मस्त हो गई ईस बारे में उसे कभी अंदाजा भी नहीं था,,,अपनी बुआ की कसी हुई बुर में लंड डालकर जिस तरह का आना तो उसने प्राप्त किया था वह उसके लिए अतुल्य और अमूल्य था,,,,रात की गर्माहट भरी चुदाई का एहसास अभी भी उसके तन बदन को गर्माहट दे रहा था,,, रात को फिर अपनी बुआ की चुदाई करेगा यह एहसास उसके तन बदन मे उत्तेजना की लहर को और ज्यादा बढ़ा रहा था,,,। थोड़ी देर तक होगा अपने लैंड को शांत करने के लिए वहीं बैठा रहा जब सब कुछ सामान्य हो गया कमरे से बाहर निकला,,,।
गुलाबी झाड़ू लगाते लगाते अपनी भाभी के पास पहुंच गई तो उसकी भाभी उसे देख कर बोली,,,।
रात भर राजू से चुदवा रही थी क्या जो सुबह आंख नहीं खुली,,,,,,,(मधु झाड़ू लगाते हुए बोली,,, गुलाबी तो अपनी भाभी की बात सुनते ही एकदम सन्न रह गई एक पल को तो लगा कि जैसे वह रात वाली बात को जानती हो लेकिन तभी गुलाबी का एहसास हुआ कि उसकी भाभी को मजाक करने का आदत था लेकिन फिर भी आज का मजाक गुलाबी के लिए तो जानलेवा ही था क्योंकि आज वहां अपने बेटे को लगाकर उसे मजाक की थी जो कि गुलाबी कभी सोची नहीं थी,,,)
क्या भाभी तुम भी इस तरह का मजाक करती हो शर्म नहीं आती अपने ही बेटे के बारे में इस तरह की बात करते हुए,,,
(गुलाबी जानबूझकर गुस्सा दिखाते हुए बोली,,)
अरे तू तो नाराज हो गई मैं तो यूं ही मजाक की थी देखती नहीं है कि अब वह बड़ा हो गया है,,,, लेकिन है एकदम बुद्धू,,,, दुनियादारी की तो खबर ही नहीं है उसको,,,
( मधु यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा बड़ा हो गया है,,, और जिस उम्र से वो पूछ रहा था मधु भली-भांति जानती थी कि इस उम्र में लड़की चुदाई करना शुरू कर देते हैं तो उसका बेटा भी चोदने लायक हो गया था,,,,,,और गुलाबी अपनी भाभी की बात सुनकर मन ही मन में सोचने लगी कि वह भी तो नहीं है अब वह जवान हो गया है पूरा मर्द हो गया है,,, रात भर उसकी चुदाई करके उसकी बुर कौ दर्द दे गया है,,,, गुलाबी अपने मन में ही बोलने लगी कि अब वह बच्चा नहीं रहा मौका मिलेगा तो वह तुम्हारी भी चुदाई कर देगा,,,)
अरे हो जाएगी दुनियादारी की खबर भाभी अभी ज्यादा बड़ा थोड़ी हुआ है,,,,,,, अब चलो जल्दी से खाना बना लो भैया इंतजार कर रहे होंगे,,,,
हां तेरे भैया को तो काम ही क्या है खाना और पेलना,,,,
क्या कहा भाभी,,,
ककक ,,, कुछ नहीं मे जल्दी खाना बना देती हु,,,
ठीक है भाभी मैं तब तक दूसरे काम कर लेती हूं,,,,
(और वह दोनों काम में व्यस्त हो गए,,, दूसरी तरफ सोनी आज गांव में जाने का फैसला कर ली थी खास करके राजू के लिए,,, वह अपनी एक सहेली शांति को तैयार की और गांव के लिए निकल पड़ी उसकी मंजिल राजू था वह राजू को किसी तरह से पढ़ाने के लिए मनाना चाहती थी ताकि पढ़ाने के बहाने वह,,, अपनी प्यास बुझा सके,,,,,,,, गांव में पहुंचने से पहले एक बड़ा तालाब पड़ता है जहां पर गांव के जानवर घास चारा करते थे और तालाब का पानी पिया करते थे,,,, तालाब पर पहुंचते ही सोनी को बड़े जोरों की दोपहर का समय था इसलिए चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था,,,)
शांति मुझे जोरो की पिशाब लगी है तु यहीं रुक मे कर के आती हूं,,,,(इतना कहकर वह पगडंडी वाले रास्ते को छोड़कर झाड़ियों के अंदर जाने लगी तो पीछे से शांति आवाज लगाते हुए बोली,,,)
रुको मालकिन मै भी आती हूं मुझे भी जोरों की लगी है,,,
(इतना कहकर वह भी झाड़ियों के अंदर जाने लगी,, सूरज एकदम सर के ऊपर तक रहा था चारों तरफ दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा था,,,,ऐसे में सोनिया और उसकी सहेली शांति दोनों झाड़ियों के अंदर पेशाब करने के लिए जा रही थी क्योंकि मैंने इस बात का डर था कि कहीं कोई उन्हें पेशाब करते हुए देख ना ले,,,)