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Incest बैलगाड़ी,,,,,

rohnny4545

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Kya kahani liking h Bahut hi jabardust, kamuk
Bhaiya apse ek nivedan h app bur shabd ki jagah choot or bhosda shades ka bhi prayog karen uttejna adhik hoti h sath hi choot ke bare m likhte samay vistar se choot ka varnan kare hum burton ko maza aata h
Agli bar se aisa hi hoga.. me vistar se varnana karunga
 

rohnny4545

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सोनी बला की खूबसूरत औरत थी,,, कामुकता उसके बदन के हर एक अंग से टपकती रहती थी,,, एकदम गोरी चिकनी मांसल देह वाली वतन का हर एक कटाव मर्दों के टांगों के बीच की हालत खराब कर दे इस तरह से बनी हुई थी,,, नितंबों का घेराव गजब का आकर्षण बांधा हुआ था,,, कसी हुई साड़ी में उसके गोलाकार नितंब बेहद आकर्षक लगते थे मानो के जैसे बड़े-बड़े तरबूज साड़ी के अंदर छुपा दिए गए हो,,,,,,,,,


लाला अपनी बहन की खूबसूरती को अच्छी तरह से जानता था इसलिए तो उसके मजबूरी का पूरा फायदा उठा रहा था और सोनी भी संस्कार वाली औरत नहीं थी,,,, उसके चरित्र में भी कामुकता झलकती थी मर्दों का आकर्षण उसे शुरू से रहा था,,,।,,,अब उसकी नजर राजू पर थी उसके मर्दाना अनु को देखकर वह पूरी तरह से उससे मिलने के लिए व्याकुल हो चुकी थी उसकी अनुभवी आंखें राजू के मर्दाना अंग को देखकर पहचान गई थी कि उसमें बहुत दम है और वह उस‌दम को अपनी बुर के अंदर महसूस करना चाहती थी,,, कौन सी प्रयास में लगी हुई थी कि उसे जोरों की पेशाब लग गई थी,,, पेशाब करने के लिए झाड़ियों के अंदर जाने लगी थी क्योंकि वह जानती थी कि सड़क पर पेशाब करने से किसी की भी नजर उस पर पड सकती थी,,,, उसकी सहेली शांति भी उसके साथ हो चली थी,,,।


झाड़ियों के बीच पहुंचकर एक अच्छी सी जगह देख कर सोनी पेशाब करने के लिए रुक गई अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर देखने लगी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है भले ही वह मर्दों के प्रति आकर्षित हो जाती थी संभोग सुख प्राप्त करने के लिए कुछ भी कर सकती थी लेकिन फिर भी उसकी एक मर्यादा थी,,,,वह जो कुछ भी करती थी दुनिया की नजर से बचकर करती थी किसी को कानों कान खबर नहीं होने देती थी,,,,,,, यही वजह थी कि आज तक किसी को कानों कान इस बात की भनक तक नहीं थी कि लाला की बहन चरित्र की गिरी हुई औरत है,,,,।
Madhu pani bharte huye


अच्छी सी जगह देखकर सोनी खड़ी हो गई थी वह पेशाब करने की तैयारी में थी उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी होती वास्तव में सोनी को इस हाल में देख पाना कि शायद मर्दों की किस्मत की बात थी लेकिन अब तक उसे पेशाब करते हुए किसी ने नहीं देखा था,,,, लेकिन आज शायद जो अभी तक नहीं हुआ था आज होने वाला था,,,,,,,


क्या हुआ मालकिन रुकी में कर लो ना यहां कौन देखने वाला है,,,,

Madhu ki madak adaa kapde dhote huye

english to binary



हां यही तो देख रही हूं पूरी तरह से तसल्ली कर लेने के बाद ही औरतों को बैठ कर पेशाब करना चाहिए नहीं तो तू मर्दों की नजर को तो जानती ही है,,,,


हां मालकिन आप सच कह रही हो,,, मर्दों को तो बस मौका मिलना चाहिए तांक झांक करने का,,,,मैं भी जा अपने घर के पीछे पेशाब करने के लिए जाती हूं तो सामने वाले घर का जवान लड़का हमेशा घूरते रहता है,,,, मुझे तो बहुत शर्म आती है लेकिन क्या करूं मजबूरी रहती है,,,।
Soni raju k khyalo me khoyi huyi


हां यही तो किसी को पता भी नहीं सकती ना ही कुछ कह सकती हो अगर बोलोगी तो बोलोगी भी गोल-गोल बात को घुमा देंगे,,,

हां मालकिन,,,, सच कह रही हूं एक दो बार बोलने की कोशिश भी की,,, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ बल्कि वह तो यह कह कर मेरा मुंह बंद कर दिया कि वह सबको बता देगा कि जानबूझकर मैं जब खड़ा रहता हूं तभी आ कर के पेशाब करती है,,, और मुझे गंदे गंदे इशारे करके अपने पास बुलाती है,,,, सच कहूं तो यह सुनकर मेरी तो बोलती ही बंद हो गई,,,, दुनिया वालों को तो आप जानती ही हो,,,, घुमा फिरा कर इसमें मेरा ही दोष देते,,,,,


अच्छा की तूने की बात को आगे नहीं बढ़ाई वरना गांव वाले तेरा ही दोष देते,,,, औरतों की गांड को इस हाल में देखना मर्दों को कुछ ज्यादा ही अच्छा लगता है तू जानती है मर्द को औरत की गांड सबसे ज्यादा अच्छी लगती है खास करके बड़ी बड़ी गोरी गांड,,,, ईसी के पीछे लट्टु होकर घूमते रहते हैं,,,,।
(सोनी और उसकी सहेली शांति दोनों आपस में बातें कर रहे थे कि हम दोनों की फुसफुसाहट राजू के कानों तक पहुंच गई,,, वह बकरियां चराने आया थाऔर उसे की पेशाब लग गई थी इसलिए वहां झाड़ियों के अंदर चला आया था क्योंकि यहां पर ठंडक थी और बाहर खड़ी थी आने की वजह से गर्मी लग रही थी,,,, उन दोनों औरतों को झाड़ियों के बीच खड़ा देखकर उन दोनों को बातें करते हुए देखकर राजू एक पेड़ के पीछे छुप गया और उन दोनों को चोर नजरों से देखने लगा सोनी पर नजर पड़ते ही उसके होशो हवास उड़ने लगे थे क्योंकि सोनी बेहद खूबसूरती भरा हुआ बदन राजू के होश उड़ा रहा था,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस समय यह दोनों झाड़ियों के बीच क्या कर रही थी,,,, इसलिए एकदम चोर कदमों से पेड़ के पीछे छुप कर उन दोनों की क्रियाकलापों को और उनकी बातों को सुनने लगा,,, अभी तक राजू इस बात का अंदाजा भी नहीं लगा पाया था कि वह दोनों झाड़ियों के अंदर करने क्या है और वह भी इतनी खड़ी दुपहरी में,,,)

इसीलिए शांति मैं जितना हो सकता है उतना अपने आप को बचाकर रखती हूं कहीं भी आते जाते रास्ते में कहीं के साथ लगती तो मैं ऐसी जगह को तलाश करती हूं जहां पर कोई नहीं होता झाड़ियों के पीछे छुप कर ही मौके साफ करती हूं क्योंकि मैं चाहती हूं कि कोई मर्द मेरी गांड को देख ना पाए,,,, क्योंकि मर्दों को औरतों की क्या पसंद होती है,,,,(शांति की तरफ प्रश्नवाचक दृष्टि से देखते हुए बोली,,,)


गांड,,,,,,(शांति हंसते हुए बोली)


हां,,,,,, अब जाकर तुझे समझ में आया है,,,,

(गांड शब्द सुनकर और उन दोनों का हंसना देकर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी क्योंकि उसे लगने लगा कि कुछ ना कुछ जरूर होने वाला है,,,, उसका दिल जोरो से धड़कने लगा,,,,,)


जल्दी से पेशाब कर लेती हूं वैसे ही देर हो चुकी है,,,,।
(यह सुनकर तो राजू की सांसे अटक गई खूबसूरत औरत के मुंह से वह पेशाब करने की बात सुन रहा था,,, और उसके हाव-भाव से राजू को ऐसा ही लग रहा था कि वह उसकी आंखों के सामने ही पेशाब करने वाली है,,,, यह एहसास राजू के लंड में हरकत करने को मजबूर कर दिया और पल भर में ही राजू का लंड अपनी औकात में आ गया,,,, राजू को दूसरी वाली जिसका नाम शांति था ठीक-ठाक लग रही थी लेकिन गोरे बदन वाली हुस्न की मल्लिका सुडोल देह वाली सोनी राजू के तन बदन में आग लगा रही थी उसका गोरा बदन गठीला तराशा हुआ जिस्म राजू के लंड की अकड़ को बढ़ा रही थी,,,, वह अपने सांसो को दुरुस्त किए हुए उस नजारे को देख रहा था जहां पर सोनी खड़ी होकर अभी भी चारों तरफ देख रही थी जहां पर वह खड़ी थी वह जगह थोड़ी सी खुली हुई थी बाकी झाड़ियों से गिरी हुई थी,,,,।जब वह चारों तरफ तसल्ली भरी नजर से घूम कर देख रही थी तभी राजू कि मुझे उसकी गोलाकार गांड पर पड़ी थी तभी से वह उसकी गांड का दीवाना हो गया था,,,, अच्छी तरह से समझ गया था कि साड़ी के अंदर उसका बदन किसी बेश कीमती खजाने से कम नहीं है,,,, राजु उसकी गांड देखने के लिए लालायित हो गया,,,,


अरे मालकिन अब करोगी भी या चक्रर पकर देखती ही रहोगी,,,।


हां हां कर रही हैं मुझे भी जोरों की ही लगी है,,,,
(इतना कहकर वह धीरे-धीरे की साड़ी को उठाना शुरू कर दिया देखकर राजू के तन बदन में आग लगने लगी उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी सोनी पेशाब करने के लिए पूरी तरह से तैयार थी और देखती देते उसकी साड़ी घुटनों तक आ गई राजू की किस्मत बड़े जोरों पर थी क्योंकि उसकी पीठ ठीक राजू के सामने थे मतलब की राजू उसकी गांड के प्रति पूरी तरह से मोहित था और थोड़ी देर में उसने उसकी नंगी गांड दिखने वाली थी पेशाब तो राजू कभी-कभी थी लेकिन इस समय अपनी सांसो को भी रोक कर खड़ा था कि उसकी आहट का उन दोनों को पता ना चल जाए वरना एक खूबसूरत दृश्य पर परदा पड़ जाएगा,,,। सोनी की मांसल पिंडलिया बहुत खूबसूरत लग रही थी सोनी की साड़ी घुटनों तक आ चुकी थी,,,, शांति भी खड़ी होकर सोनी को ही देख रही थी क्योंकि सोनी को भी पता था की खूबसूरती में वह सबसे आगे थी,,, गोरा रंग होने के कारण उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहता था,,, राजू से भी रहा नहीं जा रहा था मुठ मारने के लिए उसकी आंखों के सामने बेहद कामुकता भरा दृश्य नजर आ रहा था इसलिए वह इस दृश्य का पूरा फायदा उठाते हुए अपने पजामे को नीचे करके अपने लंड को बाहर निकाल लिया और सोनी की कामुक अदाओं को देखकर धीरे-धीरे अपने लंड को हीलाना शुरू कर दिया,,,।

कैसा लग रहा था कि मानो सोनी को सब कुछ पता हो और वह धीरे-धीरे अपनी खूबसूरत बदन को दिखाकर राजू को तड़पा रही हो,,,, वह उसी अदा से धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी शांति को भी मजा आ रहा था एक औरत होने के नाते एक औरत की खूबसूरती से उसे अपने अंदर जलन भी महसूस हो रही थी लेकिन कर भी क्या सकती थी आखिरकार वह उसकी मालकिन जो थी और उसे सहेली की तरह रखती थी,,, जैसे-जैसे सोनी की दूधिया मोटी मोटी जांघें नजर आने लगी वैसे वैसे सोनू का हाथ अपने लंड पर बड़ी तेजी से चलने लगा,,, केले के तने की तरह एकदम चिकनी जांघों को देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था वह उसकी गोरी चिकनी जानू को अपने होठ लगाकर चूमना चाहता था अपनी जीभ से चाटना चाहता था,,,,,पहले उसके मन में इस तरह के ख्याल कभी भी नहीं आती थी उसकी आंखों के सामने बने कितनी खूबसूरत औरत क्यों ना खडी हो लेकिन जब सेबुर्के नमकीन रस का स्वाद उसके मुंह लग गया तब से औरतों को देखने का नजरिया उसका बदल गया था और उन्हें देख कर वो अपने मन में गंदे विचारों को जन्म देने लगा था,,, इसीलिए इस तरह के गंदे ख्याल सोनी को देखकर उसके मन में उम्र रहे थे देखते देखते सोनी की साड़ी कमर तक आ गई,,, यह नजारा देखकर राजू को लगने लगा कि कहीं उसकी सांसे ना अटक जाए,,,,,,
Soni jhadiyo k bich


कुदरत का बनाया हुआ बेहद खूबसूरत अंग उसकी आंखों के सामने एकदम नंगा था जिसे देखकर राजू की संभोग की इच्छा तीव्र हो रही थी वह उस औरत की चुदाई करने की अभिलाषा रखने लगा,,,, उसका बस चलता तो अभी उसे यही पकड़ कर पटक कर चोदने लगता लेकिन राजू का चरित्र अभी इतना गिरा नहीं था कितनी घिनौनी हरकत करता वह रजामंदी होने पर ही चुदाई करता अपनी मनमानी कभी नहीं करता क्योंकि इतना तो उसे ज्ञात हो ही चुका था की मर्जी के बिना मजा भी नहीं आता,,,,

सोनी अपनी साड़ी को कमर तक उठाए खड़ी थी उसकी गोरी गोरी उभरी हुई गदराई गांड सुनहरी धूप में चमक रही थी,,,। एक अजीब सा मादकता भरा आकर्षण सोनी की गांड में था जिसे देखकर राजू पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,, शांति भी इसके आकर्षण से बच नहीं पाई थी वह भी अपनी तिरछी नजर से सोनी की गांड को देख रही थी यह देख कर सोनी बोली,,,,,।


तुम ऐसे क्यों देख रही हो तुम्हारे पास भी तो ऐसे ही है,,,


तुम्हारी बहुत खूबसूरत है एकदम गोरी गोरी और उभरी हुई,,,, सच कहूं तो मर्दों को तुम्हारी जैसी ही गांड अच्छी लगती है,,,


तुम्हें कैसे मालूम ,,,(सोनी मुस्कुराते हुए बोली)


मैं किसी लड़के के मुंह से सुनी थी कि उन लोगों को औरत की बड़ी-बड़ी गाड़ी हई पसंद आती है,,,


तुम्हारी भी तो है,,,,


लेकिन तुम्हारी तरह नहीं है मालकिन,,,, काश मेरी भी तुम्हारी जैसी होती तो अब तक ना जाने कितनों को अपने पीछे पीछे घुमाते होती,,,,।


चल बड़ी आई मर्दों को पीछे पीछे घुमाने वाली अगर कोई पीछे पड़ गया ना तो उस दिन समझ में आएगा,,,, की कितनी बड़ी मुसीबत मोल ले ली है,,,,‌।

(राजू उन दोनों की बातों को सुनकर पूरी तरह से उत्तेजित बजा रहा था क्योंकि वह दोनों गार्ड की खूबसूरती के बारे में ही बातें कर रही थी और अपने मुंह से ही बता रही थी कि औरतों की बड़ी-बड़ी गाड़ी मर्दों को ज्यादा पसंद आती हो और उन दोनों का कहना भी सही था क्योंकि राजू खुद यह अब हंस कर चुका था कि उसे भी औरतों की बड़ी-बड़ी गांड ही पसंद आती है,,,, राजू जोर-जोर से मुट्ठ मार रहा था,,,, राजू के पास चुदाई करने के लिए दे दो बुर का जुगाड़ थालेकिन इस समय यहां पर उन दोनों दोनों में से कोई भी बुर उपस्थित नहीं थी और इसलिए लंड की गर्मी को शांत करने के लिए बस यही एक तरीका रह गया था,,,, जिसे वह बखूबी निभा रहा था,,,)

चलो बहुत देर हो गई है भैया को पता चलेगा कि मैं इतनी देर गांव में लगा दी तो गुस्सा करेंगे,,,,
(और इतना कहने के साथ ही सोनी अपनी बड़ी बड़ी गांड लेकर वहीं बैठ गई ठीक राजू की आंखों के सामने और अगले ही पल पेशाब करने लगी,,,, क्षण भर में ही मुतने की मधुर धुन बांसुरी की ध्वनि की तरह राजू के कानों में सुनाई देने लगी राजू एकदम बावला हो गया या मधुर धुन सुनकर उसके होश उड़ गए और वह जोर-जोर से अपना लंड हिलाना शुरू कर दिया पीछे से सोनी का पिछवाड़ा देखकर राजू की हालत खराब होने लगी,,,,,, सोनी का पिछवाड़ा राजू को इतना खूबसूरत लग रहा था मानो कि जैसे खेतों में दो खूबसूरत बड़े-बड़े तरबूज रख दिए गए हो,,,, राजू का मन इस समय उसकी गांड चाटने को कर रहा था हालांकि अभी तक राजू में ना तो कमला चाची की और ना ही अपनी बुआ गुलाबी की गांड को चाटा था,,, लेकिन इस समय सोने की खूबसूरती और उसकी खूबसूरत गांव को देखकर उसके मन में यह इच्छा तीव्र हो रही थी,,,,
Soni ko pesab karte huye dekh kar raju ekdam mast ho raha tha

बुर से निकल रही सीटी की आवाज बांसुरी की मधुर धुन की तरह उसे मोहित कर रही थी,,,, सोनी बड़ी आनंदित होकर मूत्र विसर्जन कर रही थी,,,, बड़े जोरों की पेशाब लगने की वजह से उसे राहत महसूस होने लगी थी,,,, अपने पैरों के आगे की घास को वह पूरी तरह से अपने पेशाब से भिगो डाली थी मानो कि जैसे घास में पानी दिया गया हो,,,राजू जानता था कि थोड़ी देर में पेशाब करके वह उठ जाएगी और एक खूबसूरत नजारे पर पर्दा डाल देगी इसलिए वह उसकी खूबसूरत गांड की आकर्षण मैं जोर-जोर से मुठ मार कर अपना पानी निकाल देना चाहता था इसलिए उसकी हथेली बड़ी जोरों से चल रही थी,,,,, और थोड़ी ही देर में जैसे ही हो पेशाब करके खड़ी हुई अपनी साड़ी को वह नीचे करती इससे पहले ही राजू के लंड से गर्म पानी की पिचकारी फुट पड़ी,,,राजू के लिए पहला मौका था जब वह बाहर किसी औरत को नग्न अवस्था में देखकर अपना लंड हिला कर पानी निकाला था उसे बहुत ही मजा आया था लेकिन उस औरत को चोदने के ख्याल से यह मजा कम ही था,,,,

राजू की आंखों के सामने ही वह अपनी साड़ी को नीचे करके फिर से बेश कीमती खजाने को छुपा ली,,,,राजू अपने क्यों जाने को ऊपर करके हम खड़ा रहा मैं देखना चाहता था कि वह दोनों जाती कहां है,,,, तभी सोनी बोली,,।


चल जल्दी कर गांव से लौटना भी है,,,,
(इतना कहने के साथ ही वह दोनों झाड़ियों से बाहर निकल गई और राजू भी अपनी बकरी को लेकर गांव की तरफ जाने लगा क्योंकि वह दोनों उसी तरफ जा रही थी)
 
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ToorJatt7565

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सोनी बला की खूबसूरत औरत थी,,, कामुकता उसके बदन के हर एक अंग से टपकती रहती थी,,, एकदम गोरी चिकनी मांसल देह वाली वतन का हर एक कटाव मर्दों के टांगों के बीच की हालत खराब कर दे इस तरह से बनी हुई थी,,, नितंबों का घेराव गजब का आकर्षण बांधा हुआ था,,, कसी हुई साड़ी में उसके गोलाकार नितंब बेहद आकर्षक लगते थे मानो के जैसे बड़े-बड़े तरबूज साड़ी के अंदर छुपा दिए गए हो,,,,,,,,,


लाला अपनी बहन की खूबसूरती को अच्छी तरह से जानता था इसलिए तो उसके मजबूरी का पूरा फायदा उठा रहा था और सोनी भी संस्कार वाली औरत नहीं थी,,,, उसके चरित्र में भी कामुकता झलकती थी मर्दों का आकर्षण उसे शुरू से रहा था,,,।,,,अब उसकी नजर राजू पर थी उसके मर्दाना अनु को देखकर वह पूरी तरह से उससे मिलने के लिए व्याकुल हो चुकी थी उसकी अनुभवी आंखें राजू के मर्दाना अंग को देखकर पहचान गई थी कि उसमें बहुत दम है और वह उस‌दम को अपनी बुर के अंदर महसूस करना चाहती थी,,, कौन सी प्रयास में लगी हुई थी कि उसे जोरों की पेशाब लग गई थी,,, पेशाब करने के लिए झाड़ियों के अंदर जाने लगी थी क्योंकि वह जानती थी कि सड़क पर पेशाब करने से किसी की भी नजर उस पर पड सकती थी,,,, उसकी सहेली शांति भी उसके साथ हो चली थी,,,।

झाड़ियों के बीच पहुंचकर एक अच्छी सी जगह देख कर सोनी पेशाब करने के लिए रुक गई अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर देखने लगी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है भले ही वह मर्दों के प्रति आकर्षित हो जाती थी संभोग सुख प्राप्त करने के लिए कुछ भी कर सकती थी लेकिन फिर भी उसकी एक मर्यादा थी,,,,वह जो कुछ भी करती थी दुनिया की नजर से बचकर करती थी किसी को कानों कान खबर नहीं होने देती थी,,,,,,, यही वजह थी कि आज तक किसी को कानों कान इस बात की भनक तक नहीं थी कि लाला की बहन चरित्र की गिरी हुई औरत है,,,,।


अच्छी सी जगह देखकर सोनी खड़ी हो गई थी वह पेशाब करने की तैयारी में थी उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी होती वास्तव में सोनी को इस हाल में देख पाना कि शायद मर्दों की किस्मत की बात थी लेकिन अब तक उसे पेशाब करते हुए किसी ने नहीं देखा था,,,, लेकिन आज शायद जो अभी तक नहीं हुआ था आज होने वाला था,,,,,,,


क्या हुआ मालकिन रुकी में कर लो ना यहां कौन देखने वाला है,,,,


हां यही तो देख रही हूं पूरी तरह से तसल्ली कर लेने के बाद ही औरतों को बैठ कर पेशाब करना चाहिए नहीं तो तू मर्दों की नजर को तो जानती ही है,,,,


हां मालकिन आप सच कह रही हो,,, मर्दों को तो बस मौका मिलना चाहिए तांक झांक करने का,,,,मैं भी जा अपने घर के पीछे पेशाब करने के लिए जाती हूं तो सामने वाले घर का जवान लड़का हमेशा घूरते रहता है,,,, मुझे तो बहुत शर्म आती है लेकिन क्या करूं मजबूरी रहती है,,,।


हां यही तो किसी को पता भी नहीं सकती ना ही कुछ कह सकती हो अगर बोलोगी तो बोलोगी भी गोल-गोल बात को घुमा देंगे,,,

हां मालकिन,,,, सच कह रही हूं एक दो बार बोलने की कोशिश भी की,,, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ बल्कि वह तो यह कह कर मेरा मुंह बंद कर दिया कि वह सबको बता देगा कि जानबूझकर मैं जब खड़ा रहता हूं तभी आ कर के पेशाब करती है,,, और मुझे गंदे गंदे इशारे करके अपने पास बुलाती है,,,, सच कहूं तो यह सुनकर मेरी तो बोलती ही बंद हो गई,,,, दुनिया वालों को तो आप जानती ही हो,,,, घुमा फिरा कर इसमें मेरा ही दोष देते,,,,,


अच्छा की तूने की बात को आगे नहीं बढ़ाई वरना गांव वाले तेरा ही दोष देते,,,, औरतों की गांड को इस हाल में देखना मर्दों को कुछ ज्यादा ही अच्छा लगता है तू जानती है मर्द को औरत की गांड सबसे ज्यादा अच्छी लगती है खास करके बड़ी बड़ी गोरी गांड,,,, ईसी के पीछे लट्टु होकर घूमते रहते हैं,,,,।
(सोनी और उसकी सहेली शांति दोनों आपस में बातें कर रहे थे कि हम दोनों की फुसफुसाहट राजू के कानों तक पहुंच गई,,, वह बकरियां चराने आया थाऔर उसे की पेशाब लग गई थी इसलिए वहां झाड़ियों के अंदर चला आया था क्योंकि यहां पर ठंडक थी और बाहर खड़ी थी आने की वजह से गर्मी लग रही थी,,,, उन दोनों औरतों को झाड़ियों के बीच खड़ा देखकर उन दोनों को बातें करते हुए देखकर राजू एक पेड़ के पीछे छुप गया और उन दोनों को चोर नजरों से देखने लगा सोनी पर नजर पड़ते ही उसके होशो हवास उड़ने लगे थे क्योंकि सोनी बेहद खूबसूरती भरा हुआ बदन राजू के होश उड़ा रहा था,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस समय यह दोनों झाड़ियों के बीच क्या कर रही थी,,,, इसलिए एकदम चोर कदमों से पेड़ के पीछे छुप कर उन दोनों की क्रियाकलापों को और उनकी बातों को सुनने लगा,,, अभी तक राजू इस बात का अंदाजा भी नहीं लगा पाया था कि वह दोनों झाड़ियों के अंदर करने क्या है और वह भी इतनी खड़ी दुपहरी में,,,)

इसीलिए शांति मैं जितना हो सकता है उतना अपने आप को बचाकर रखती हूं कहीं भी आते जाते रास्ते में कहीं के साथ लगती तो मैं ऐसी जगह को तलाश करती हूं जहां पर कोई नहीं होता झाड़ियों के पीछे छुप कर ही मौके साफ करती हूं क्योंकि मैं चाहती हूं कि कोई मर्द मेरी गांड को देख ना पाए,,,, क्योंकि मर्दों को औरतों की क्या पसंद होती है,,,,(शांति की तरफ प्रश्नवाचक दृष्टि से देखते हुए बोली,,,)


गांड,,,,,,(शांति हंसते हुए बोली)


हां,,,,,, अब जाकर तुझे समझ में आया है,,,,

(गांड शब्द सुनकर और उन दोनों का हंसना देकर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी क्योंकि उसे लगने लगा कि कुछ ना कुछ जरूर होने वाला है,,,, उसका दिल जोरो से धड़कने लगा,,,,,)


जल्दी से पेशाब कर लेती हूं वैसे ही देर हो चुकी है,,,,।
(यह सुनकर तो राजू की सांसे अटक गई खूबसूरत औरत के मुंह से वह पेशाब करने की बात सुन रहा था,,, और उसके हाव-भाव से राजू को ऐसा ही लग रहा था कि वह उसकी आंखों के सामने ही पेशाब करने वाली है,,,, यह एहसास राजू के लंड में हरकत करने को मजबूर कर दिया और पल भर में ही राजू का लंड अपनी औकात में आ गया,,,, राजू को दूसरी वाली जिसका नाम शांति था ठीक-ठाक लग रही थी लेकिन गोरे बदन वाली हुस्न की मल्लिका सुडोल देह वाली सोनी राजू के तन बदन में आग लगा रही थी उसका गोरा बदन गठीला तराशा हुआ जिस्म राजू के लंड की अकड़ को बढ़ा रही थी,,,, वह अपने सांसो को दुरुस्त किए हुए उस नजारे को देख रहा था जहां पर सोनी खड़ी होकर अभी भी चारों तरफ देख रही थी जहां पर वह खड़ी थी वह जगह थोड़ी सी खुली हुई थी बाकी झाड़ियों से गिरी हुई थी,,,,।जब वह चारों तरफ तसल्ली भरी नजर से घूम कर देख रही थी तभी राजू कि मुझे उसकी गोलाकार गांड पर पड़ी थी तभी से वह उसकी गांड का दीवाना हो गया था,,,, अच्छी तरह से समझ गया था कि साड़ी के अंदर उसका बदन किसी बेश कीमती खजाने से कम नहीं है,,,, राजु उसकी गांड देखने के लिए लालायित हो गया,,,,


अरे मालकिन अब करोगी भी या चक्रर पकर देखती ही रहोगी,,,।


हां हां कर रही हैं मुझे भी जोरों की ही लगी है,,,,
(इतना कहकर वह धीरे-धीरे की साड़ी को उठाना शुरू कर दिया देखकर राजू के तन बदन में आग लगने लगी उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी सोनी पेशाब करने के लिए पूरी तरह से तैयार थी और देखती देते उसकी साड़ी घुटनों तक आ गई राजू की किस्मत बड़े जोरों पर थी क्योंकि उसकी पीठ ठीक राजू के सामने थे मतलब की राजू उसकी गांड के प्रति पूरी तरह से मोहित था और थोड़ी देर में उसने उसकी नंगी गांड दिखने वाली थी पेशाब तो राजू कभी-कभी थी लेकिन इस समय अपनी सांसो को भी रोक कर खड़ा था कि उसकी आहट का उन दोनों को पता ना चल जाए वरना एक खूबसूरत दृश्य पर परदा पड़ जाएगा,,,। सोनी की मांसल पिंडलिया बहुत खूबसूरत लग रही थी सोनी की साड़ी घुटनों तक आ चुकी थी,,,, शांति भी खड़ी होकर सोनी को ही देख रही थी क्योंकि सोनी को भी पता था की खूबसूरती में वह सबसे आगे थी,,, गोरा रंग होने के कारण उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहता था,,, राजू से भी रहा नहीं जा रहा था मुठ मारने के लिए उसकी आंखों के सामने बेहद कामुकता भरा दृश्य नजर आ रहा था इसलिए वह इस दृश्य का पूरा फायदा उठाते हुए अपने पजामे को नीचे करके अपने लंड को बाहर निकाल लिया और सोनी की कामुक अदाओं को देखकर धीरे-धीरे अपने लंड को हीलाना शुरू कर दिया,,,।

कैसा लग रहा था कि मानो सोनी को सब कुछ पता हो और वह धीरे-धीरे अपनी खूबसूरत बदन को दिखाकर राजू को तड़पा रही हो,,,, वह उसी अदा से धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी शांति को भी मजा आ रहा था एक औरत होने के नाते एक औरत की खूबसूरती से उसे अपने अंदर जलन भी महसूस हो रही थी लेकिन कर भी क्या सकती थी आखिरकार वह उसकी मालकिन जो थी और उसे सहेली की तरह रखती थी,,, जैसे-जैसे सोनी की दूधिया मोटी मोटी जांघें नजर आने लगी वैसे वैसे सोनू का हाथ अपने लंड पर बड़ी तेजी से चलने लगा,,, केले के तने की तरह एकदम चिकनी जांघों को देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था वह उसकी गोरी चिकनी जानू को अपने होठ लगाकर चूमना चाहता था अपनी जीभ से चाटना चाहता था,,,,,पहले उसके मन में इस तरह के ख्याल कभी भी नहीं आती थी उसकी आंखों के सामने बने कितनी खूबसूरत औरत क्यों ना खडी हो लेकिन जब सेबुर्के नमकीन रस का स्वाद उसके मुंह लग गया तब से औरतों को देखने का नजरिया उसका बदल गया था और उन्हें देख कर वो अपने मन में गंदे विचारों को जन्म देने लगा था,,, इसीलिए इस तरह के गंदे ख्याल सोनी को देखकर उसके मन में उम्र रहे थे देखते देखते सोनी की साड़ी कमर तक आ गई,,, यह नजारा देखकर राजू को लगने लगा कि कहीं उसकी सांसे ना अटक जाए,,,,,,
Soni jhadiyo k bich


कुदरत का बनाया हुआ बेहद खूबसूरत अंग उसकी आंखों के सामने एकदम नंगा था जिसे देखकर राजू की संभोग की इच्छा तीव्र हो रही थी वह उस औरत की चुदाई करने की अभिलाषा रखने लगा,,,, उसका बस चलता तो अभी उसे यही पकड़ कर पटक कर चोदने लगता लेकिन राजू का चरित्र अभी इतना गिरा नहीं था कितनी घिनौनी हरकत करता वह रजामंदी होने पर ही चुदाई करता अपनी मनमानी कभी नहीं करता क्योंकि इतना तो उसे ज्ञात हो ही चुका था की मर्जी के बिना मजा भी नहीं आता,,,,

सोनी अपनी साड़ी को कमर तक उठाए खड़ी थी उसकी गोरी गोरी उभरी हुई गदराई गांड सुनहरी धूप में चमक रही थी,,,। एक अजीब सा मादकता भरा आकर्षण सोनी की गांड में था जिसे देखकर राजू पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,, शांति भी इसके आकर्षण से बच नहीं पाई थी वह भी अपनी तिरछी नजर से सोनी की गांड को देख रही थी यह देख कर सोनी बोली,,,,,।


तुम ऐसे क्यों देख रही हो तुम्हारे पास भी तो ऐसे ही है,,,


तुम्हारी बहुत खूबसूरत है एकदम गोरी गोरी और उभरी हुई,,,, सच कहूं तो मर्दों को तुम्हारी जैसी ही गांड अच्छी लगती है,,,


तुम्हें कैसे मालूम ,,,(सोनी मुस्कुराते हुए बोली)


मैं किसी लड़के के मुंह से सुनी थी कि उन लोगों को औरत की बड़ी-बड़ी गाड़ी हई पसंद आती है,,,


तुम्हारी भी तो है,,,,


लेकिन तुम्हारी तरह नहीं है मालकिन,,,, काश मेरी भी तुम्हारी जैसी होती तो अब तक ना जाने कितनों को अपने पीछे पीछे घुमाते होती,,,,।


चल बड़ी आई मर्दों को पीछे पीछे घुमाने वाली अगर कोई पीछे पड़ गया ना तो उस दिन समझ में आएगा,,,, की कितनी बड़ी मुसीबत मोल ले ली है,,,,‌।

(राजू उन दोनों की बातों को सुनकर पूरी तरह से उत्तेजित बजा रहा था क्योंकि वह दोनों गार्ड की खूबसूरती के बारे में ही बातें कर रही थी और अपने मुंह से ही बता रही थी कि औरतों की बड़ी-बड़ी गाड़ी मर्दों को ज्यादा पसंद आती हो और उन दोनों का कहना भी सही था क्योंकि राजू खुद यह अब हंस कर चुका था कि उसे भी औरतों की बड़ी-बड़ी गांड ही पसंद आती है,,,, राजू जोर-जोर से मुट्ठ मार रहा था,,,, राजू के पास चुदाई करने के लिए दे दो बुर का जुगाड़ थालेकिन इस समय यहां पर उन दोनों दोनों में से कोई भी बुर उपस्थित नहीं थी और इसलिए लंड की गर्मी को शांत करने के लिए बस यही एक तरीका रह गया था,,,, जिसे वह बखूबी निभा रहा था,,,)

चलो बहुत देर हो गई है भैया को पता चलेगा कि मैं इतनी देर गांव में लगा दी तो गुस्सा करेंगे,,,,
(और इतना कहने के साथ ही सोनी अपनी बड़ी बड़ी गांड लेकर वहीं बैठ गई ठीक राजू की आंखों के सामने और अगले ही पल पेशाब करने लगी,,,, क्षण भर में ही मुतने की मधुर धुन बांसुरी की ध्वनि की तरह राजू के कानों में सुनाई देने लगी राजू एकदम बावला हो गया या मधुर धुन सुनकर उसके होश उड़ गए और वह जोर-जोर से अपना लंड हिलाना शुरू कर दिया पीछे से सोनी का पिछवाड़ा देखकर राजू की हालत खराब होने लगी,,,,,, सोनी का पिछवाड़ा राजू को इतना खूबसूरत लग रहा था मानो कि जैसे खेतों में दो खूबसूरत बड़े-बड़े तरबूज रख दिए गए हो,,,, राजू का मन इस समय उसकी गांड चाटने को कर रहा था हालांकि अभी तक राजू में ना तो कमला चाची की और ना ही अपनी बुआ गुलाबी की गांड को चाटा था,,, लेकिन इस समय सोने की खूबसूरती और उसकी खूबसूरत गांव को देखकर उसके मन में यह इच्छा तीव्र हो रही थी,,,,
Soni ko pesab karte huye dekh kar raju ekdam mast ho raha tha

बुर से निकल रही सीटी की आवाज बांसुरी की मधुर धुन की तरह उसे मोहित कर रही थी,,,, सोनी बड़ी आनंदित होकर मूत्र विसर्जन कर रही थी,,,, बड़े जोरों की पेशाब लगने की वजह से उसे राहत महसूस होने लगी थी,,,, अपने पैरों के आगे की घास को वह पूरी तरह से अपने पेशाब से भिगो डाली थी मानो कि जैसे घास में पानी दिया गया हो,,,राजू जानता था कि थोड़ी देर में पेशाब करके वह उठ जाएगी और एक खूबसूरत नजारे पर पर्दा डाल देगी इसलिए वह उसकी खूबसूरत गांड की आकर्षण मैं जोर-जोर से मुठ मार कर अपना पानी निकाल देना चाहता था इसलिए उसकी हथेली बड़ी जोरों से चल रही थी,,,,, और थोड़ी ही देर में जैसे ही हो पेशाब करके खड़ी हुई अपनी साड़ी को वह नीचे करती इससे पहले ही राजू के लंड से गर्म पानी की पिचकारी फुट पड़ी,,,राजू के लिए पहला मौका था जब वह बाहर किसी औरत को नग्न अवस्था में देखकर अपना लंड हिला कर पानी निकाला था उसे बहुत ही मजा आया था लेकिन उस औरत को चोदने के ख्याल से यह मजा कम ही था,,,,

राजू की आंखों के सामने ही वह अपनी साड़ी को नीचे करके फिर से बेश कीमती खजाने को छुपा ली,,,,राजू अपने क्यों जाने को ऊपर करके हम खड़ा रहा मैं देखना चाहता था कि वह दोनों जाती कहां है,,,, तभी सोनी बोली,,।


चल जल्दी कर गांव से लौटना भी है,,,,
(इतना कहने के साथ ही वह दोनों झाड़ियों से बाहर निकल गई और राजू भी अपनी बकरी को लेकर गांव की तरफ जाने लगा क्योंकि वह दोनों उसी तरफ जा रही थी)
Sat chit aanand ki anubhuti hoti hai bhai tumhari kahani pr ke
Bs iss baar update thora chhota diye ho. Lekin yeh bhi bahut khoob likha hai.
Mera ek suggestion tha is ke liye ke agar abhi sony raaju ko hilate huye aur raaju sony ko mutte huye dekh lete to thora aur suspense aur swaad ban jata story mein.
Baaki jaisa aapko theek lge vaisa hi Likhiyega
 

rohnny4545

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Sat chit aanand ki anubhuti hoti hai bhai tumhari kahani pr ke
Bs iss baar update thora chhota diye ho. Lekin yeh bhi bahut khoob likha hai.
Mera ek suggestion tha is ke liye ke agar abhi sony raaju ko hilate huye aur raaju sony ko mutte huye dekh lete to thora aur suspense aur swaad ban jata story mein.
Baaki jaisa aapko theek lge vaisa hi Likhiyega
Dhanyawad dost
 

Lutgaya

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रात भर की कामुकता से भरी हुई अद्भुत संभोग क्रीडा से थक कर दोनों गहरी नींद में सो गए और सुबह जब नींद के लिए तो दोनों एकदम से हड़बड़ा गए क्योंकि काफी समय हो गया था इसलिए मधु दरवाजे को खटखटा रही थी,,,।
दरवाजा खटखटाने की आवाज से कब दोनों की नींद खुली तो दोनों अपनी अपनी स्थिति से वाकिफ होते ही एकदम से घबरा गए,,,क्योंकि दोनों के बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था दोनों रात की तरह संपूर्ण नग्नावस्था में थे रात को चुदाई के असीम सुख को भोगकर दोनों एक-दूसरे को बाहों में लिए उसी तरह से सो गए थे,,,,,।
गुलाबी का खूबसूरत बदन


गुलाबी अरे वो गुलाबी अभी तक सो रही है,,, देख नहीं रही है सूरज सर पर चढ़ आया है,,,, उठ जल्दी उठ,,,,।
(मधु दरवाजे पर दस्तक देते हुए बोली,,,)

हां ,,,,, आई भाभी आज जरा आंख लग गई थी,,,, तुम चलो मैं आती हूं,,,,


ठीक है मैं आंगन में झाड़ू लगा देती हूं तु अंदर झाड़ू लगा दे,,,
खूबसूरत गांड की मालकिन मधु


ठीक है भाभी,,,,(मधु झाड़ू लेकर घर के आंगन में झाड़ू लगाने लगी और गुलाबी तुरंत खटिए पर ऊठ कर बैठ गई,,,।)

बापरे आज तो बहुत देर हो गई,,,,


रात भर चुदवाई हो तो देर तो होगी ही,,,(राजू अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर,, गुलाबी के फूल आते हुए कबूतर को दबाते हुए बोला,,,,)

आहहहह क्या कर रहा है,,,, रात भर में तेरा मन भरा नहीं क्या,,,! (राजू के हाथ को अपनी चूची पर से हटाते हुए बोली,,,)


तुमको लगता है बुआ एक बार में मन भर जाएगा,,,,


हां तु सच कह रहा है,,, अगर ऐसा होता तो भैया तेरी मां की रोज चुदाई ना करते,,,,

(एक बार फिर से बातों ही बातों में अपनी मां का जिक्र होते ही राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, अपनी मां का जिक्र होते ही राजू फिर से गुलाबी की चूची को पकड़ते हुए बोला,,)

बुआ तुम रोज दीवार के छेद से मां और पिताजी की चुदाई देखती थी ना,,,,(गुलाबी की चूची को जोर से दबाते हुए बोला,,,)
खटिया पर लेटी हुई गुलाबी

उन्हीं दोनों से तो सब कुछ सीखी हूं देख देख कर ही मैंने यह सब सीख गई तभी तो रात को इतना मजा आया,,,


बुआ फिर से मजा लेना चाहती हो,,,(इतना कह कर राजू अपनी दोनों टांगों के बीच देखने लगा जहां पर उत्तेजना के मारे फिर से उसका लंड खड़ा होने लगा था,, राजू के दोनों टांगों के बीच गुलाबी की भी नजर गई तो वह एक बार फिर से शर्म से पानी पानी होने लगी उसकी बुर में पानी इकट्ठा होने लगा,,,, एक बार फिर से गुलाबी का भी मन मचल उठा था उसे अपनी बुर के अंदर लेने के लिए,,,, राजू गुलाबी कई उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाते हुए एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर हिलाने लगा यह देखकर गुलाबी की हालत और खराब होने लगी,,,)


क्या कहती हो बुआ एक बार फिर से लेट जाओ,,, मजा आ जाएगा,,,,
(गुलाबी का मन मचल उठा था,,, वह एकटक राजू के लंड को देखे जा रही थी लेकिन इस समय उसके पास समय का अभाव था क्योंकि उठने में वैसे भी देरी हो चुकी थी,,, अभी अभी उसकी भाभी भी उसे उठाकर गई थी,,, इसलिए मन होते हुए भी अपने मन को मार कर वह खटिया पर से उठने को हुई तो तुरंत राजू अपनी बाहों को उसकी कमर में डालकर अपनी तरफ खींच लिया जिसकी वजह से गुलाबी उसके ऊपर लुढ़क गई गुलाबी ऊपर थी और राजू नीचे गुलाबी की पीठ राजू की छाती से सटी हुई थी उसके गोलाकार नितंब सीधे-सीधे एकदम सटीक तरीके से राजू के लंड पर टिके हुए थे,,,,,,एक ही रात में राजू इतना खुल जाएगा गुलाबी को इसकी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी राजू की हरकत की वजह से उसके तन बदन में एक बार फिर से आग लगने लगी थी,,,,वैसे भी सुबह-सुबह बदन में उत्तेजना का असर कुछ ज्यादा ही होता है,,,।


बस बुआ एक बार,,, एक बार डाल लेने दो,,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपने लंड को पकड़ कर,,, अपनी बुआ की बुर से सटा दिया और उसमें डालने की कोशिश करने लगा,,, राजू की इस हरकत की वजह से गुलाबी के तन बदन कामोत्तेजना की लहर उठने लगी,,, उसका भी मन करने लगा कि वह एक बार फिर से राजु से चुदवा ले,,,लेकिन वह मौके की नजाकत को अच्छी तरह से समझती थी वह जानती थी कि देर होने पर किसी भी समय उसकी भाभी फिर से आ जाएगी,,,,,, गुलाबी का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि राजू के लंड का सुपाड़ा उसकी गुलाबी बुर के छेद से रगड़ खा रहा था जिसे राजू अंदर डालने की कोशिश कर रहा था,,, राजू के हाथों में एक बार फिर से गुलाबी का गुलाबी बदन था,, उसके गोलाकार नितंब उसके लंड से सटा हुआ था जो कि उसकी उत्तेजना में निरंतर वृद्धि कर रहा था,,, राजू एक बार फिर से अपनी बुआ को चोदना चाहता था और इसीलिए वह फिर से प्रयास करते हुए अपने लंड के सुपाड़े को उसकी गुलाबी बुर के छेद में डालने की कोशिश कर रहा था लेकिन गुलाबी जानती थी कि चुदाई का यह समय ठीक नहीं है,,,, वह दोनों पकड़े जा सकते थे,,,, संभोग के असीम सुख की भावना मे वह खुद बहने लगी थी एक बार तो उसका मन हुआ कि खुद अपनी दोनों टांगें खोलकर उसके लंड पर सवार हो जाए और यह भावना मन में आता ही वह अपनी दोनों टांगों को खोल भी दी थी लेकिन तभी उसे भान हुआ की ऐसी हालत में वह पकड़ी जा सकती थी,,,, इसलिए वह अपने भतीजे के ऊपर से उठने की कोशिश करने लगी लेकिन उसका भतीजा अपना जौर दिखाते हुए उसकी कमर में दोनों हाथ डालकर उसे नीचे दबाए हुए था भले ही उसको लैंडस्की दूर में प्रवेश नहीं कर पा रहा था लेकिन इस स्थिति में भी उसे स्वर्ग का सुख प्राप्त हो रहा था धर्म धर्म गोल-गोल कांड को अपने ऊपर महसूस कर के वह असीम आनंद की अनुभूति कर रहा था,,,।

राजू गुलाबी की चूत में डालने की कोशिश करते हुए


छोड़ राजू मुझे जाने दे देर हो रही है,,,,


नहीं बुआ एक बार और देखो ना मेरा खड़ा हो गया है,,,


तो क्या करूं अभी समय उचित नहीं है,,,


अरे क्यों उचित नहीं है बस एक बार डालना ही तो है,,,


तुझे क्या लगता है कि तू डाल कर निकाल लेगा,,, कितनी देर तक चुदाई करता है तू तेरी मां आ गई तो हम दोनों पकड़े जाएंगे और अगर एक बार पकड़े गए तो यह सब खेल यहीं रुक जाएगा,,,, क्या तू हमेशा मजा लेना नहीं चाहता,,,


चाहता हूं ना बुआ,,,


तो फिर अभी जाने दे तेरी मां भी तो गजब हो जाएगा और वैसे भी हम दोनों साथ में सोते हैं जब चाहे तब इस खेल को खेल सकते हैं,,,।
(अपनी बुआ की बात सुनकर राजू अपने मन में सोचने लगा कि उसकी बुआ ठीक ही कह रही है,,, अगर दोनों पकड़े गए थे इस खेल पर। लग जाएगा और वह ऐसा नहीं चाहता था क्योंकि अभी अभी तो यह खेल शुरू हुआ था इसलिए वह अपना मन मार कर बोला,,)


तुम ठीक कह रही हो बुआ लेकिन रात को करने देना,,,



बिल्कुल तुझे मजा आ रहा है तो क्या मुझे नहीं आ रहा है मुझे कि बहुत मजा आ रहा है मैं भी एक गेम खेलना चाहती हूं लेकिन अभी तू जानता ही नहीं कि तेरी मां किसी भी वक्त आ जाएगी,,,,(इतना कहते हुए वह राजू के ऊपर से उठने लगी गुलाबी की पीठ राजू की तरफ थी राजू पीठ के बल खटिया पर लेटा हुआ था पीछे से गुलाबी की गांड कहर ढा रही थी राजू का मन रुकने को बिल्कुल भी नहीं कर रहा था अपने मन को मार करवा एक बार गुलाबी को जाने दे रहा था लेकिन उसकी गांड को देखकर उसका मन मचल उठा रहा था लेकिन फिर भी वह जानता था की मनमानी करना ठीक नहीं है इसलिए अपने मन को मनाते हुए अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बुआ की गांड पर अपना हाथ फेरने लगा,,, और बोला)


बुआ तुम्हारी गांड कितनी मस्त है,,,
राजु और गुलाबी


मेरे से भी अच्छी तो तेरी मां की देखा नहीं नंगी होने के बाद कितनी खूबसूरत लगती है,,,
(अपनी बुआ की बातें सुनकर राजू कुछ बोला नहीं लेकिन उसकी कहीं बात वाकई में सच थी,,,,अपनी बुआ की बात से एक बार फिर से उसकी आंखों के सामने उसकी मां का नंगा बदन नाचने लगा,,,, गुलाबी खटिए पर से उठ कर अपने कपड़ों को ढूंढने लगी जो कि नीचे जमीन पर बिखरे पड़े थे,,,, राजू उसी तरह से लेटा रहा उसका लंड आसमान की तरफ सर उठाए खड़ा था,,,, गुलाबी राजू की लंड को देखकर पूरी तरह से मोहित हो चुकी थी क्योंकि बिना सहारे वह पूरी तरह से एकदम से हटाना के डंडे की तरह खड़ा था,,,, गुलाबी अपने मन में सोच रही थी कि अगली बार उसकी भाभी जिस तरह से उसकी भईया के लंड पर उठक बैठक करती है उसी तरह से वह भी करेगी,,,। गुलाबी अपने मन में यह सोचते हुए अपनी कुर्ती उठा ली और उसे कहने लगी ऊपर से अपने गले में डालकर वह कुर्ती को पहन रही थी और राजू उसे बड़े गौर से देख रहा था क्योंकि आज तक उसने अपनी बुआ को कपड़े पहनते भी नहीं देखा था हां रात को कपड़े उतारते हुए जरूर देखा था,,, औरतों का कपड़ा पहनना और उसे उतारना भी एक अद्भुत कला के साथ-साथ मादकता भरा एहसास है जो कि देखने वालों के होश उड़ा देता है ,,, राजू भी अपनी बुआ को बड़े मजे ले कर देख रहा था देखते ही देखते उसकी बुआ कुर्ती को पहन लेंगे और नीचे चुप कर सलवार उठाने लगी,,,, ऐसा करते हुए उसकी गांड राजू की तरफ थी ,,, जोकि झुकने की वजह से उसकी गोल गोल गांड कुछ ज्यादा ही भरकर सामने नजर आने लगी जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आने लगा,,,,,

Gulabi apni salwar utarte huye

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गुलाबी सलवार उठा कर खड़ी हो गई और उसे सीधा करके अपने पैर में डालकर पहनने लगी,,, और अगले ही पल खूबसूरत मादकता भरे नजारे पर पर्दा पड़ गया,,,,,, पहली बार में ही मोटे तगड़े लंबे लंड को अपनी बुर में लेने की वजह से गुलाबी को अपनी बुर में मीठा मीठा दर्द महसूस हो रहा था,,,,,, लेकिन यह मीठा मीठा दर्द भी उसे आनंद ही दे रहा था,,,। अपने कपड़े पहन लेने के बाद वह राजु से बोली,,,।


तू भी उठ कर कपड़े पहन ले नहीं तो मैं दरवाजा खोलने जा रही हूं,,,

नहीं रुको मैं पहनता हूं ,,,(इतना कहने के साथ ही वह भी खटिया पर से खड़ा हो गया और अपना पजामा ढूंढने लगा,,, उसे पहचाना ढुढते हुए देखकर गुलाबी बोली,,,)

उतारते समय नहीं पता था कि कहां उतार रहा है,,,।


क्या करूं बुआ,,, तुम्हें चोदने की लालच में कुछ पता ही नहीं चला कि क्या कर रहा हूं,,,,(अपने पजामे को इधर-उधर ढूंढते हुए बोला,,,)


वो रही खटिया के नीचे,,,,(गुलाबी उंगली के इशारे से दिखाते हुए बोली,,,)

बाप रे रात को पता ही नहीं चला कि कपड़ा उतार के कहां फेंका,,,,।

हां रात को मजा लेने के लिए तो आनन-फानन में सब निकाल कर फेंक दिया,,,,


क्या करूं बुआ तुम चीज ही कुछ ऐसी हो,,,(ऐसा कहते हुए राजू खटिया के नीचे से अपने पजामे को उठाया और पहनने लगा,,,, अपने पजामे को जैसे ही वह ऊपर तक लाया तो,,अभी भी पूरी तरह से खड़ा होने की वजह से पजामे को ठीक से वह और उपर नहीं चढ़ा पा रहा था,,, राजू के खड़े लंड को देखकर गुलाबी बोली,,,)

तेरा तो अभी तक खड़ा है,,,,


क्या करूं बुआ तुम्हारी वजह से एक बार अंदर डाल लेने दीए होती तो यह भी शांत हो जाता,,,,।


रुक मैं अंदर डाल देती हुं,,,(इतना कहने के साथ ही गुलाबी आगे बढ़ी हो तुरंत चला चुके हैं उनको अपनी मुट्ठी में दबा कर उसे पजामे के अंदर करने लगी,,,, राजू को अपनी बुआ की हरकत एकदम मस्त कर गई,,,)

देख रही हो बुआ कितना गर्म है,,,


हारे बहुत गर्म है,,,


इससे भी ज्यादा गरम तुम्हारी बुर है,,,, अंदर जाते ही ऐसा लगता है कि मानो अभी मेरा लंड पिघल जाएगा,,,,(राजू की बात सुनकर गुलाबी मंद मंद मुस्कुराते हुए बोली)

तुझे देखकर लगता नहीं था कि तू इतना हरामी किस्म का लड़का है देखने में कितना शरीफ रखते हैं रात को ही पता चला कि तू कितना हरामि है,,,


मुझे भी तो रात को ही पता चला कि तुम कितनी मस्त हो,,,


चल अब जल्दी कर मैं बाहर जा रही हुं,,, (पजामे के अंदर राजू के खड़े लंड को व्यवस्थित करते हुए बोली,,,)


ठीक है बुआ,,,,(इतना कहकर राजू गुलाबी के गुलाबी होंठ पर अपने होंठ रख कर चुंबन कर लिया,,,)


बहुत तेज है तू,,,(पर इतना क्या कर मुस्कुराते हुए दरवाजा खोलकर बाहर चली गई,,, राजू अपनी बुआ को जाते को देखता रह गया उसे यकीन नहीं हो रहा था कि रात को जो कुछ भी हुआ था वह हकीकत है उसे सब कुछ सपना समझ रहा था क्योंकि उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसकी सीधी-सादी हुआ इतनी बड़ी छिनार होगी जो खुद चुदवाने के लिए तड़प रही थी,,,। लेकिन जो कुछ भी हुआ था उसे से ऐसा ही लग रहा था कि राजू की दसों उंगलिया अब घी में थी,,, रात को जो कुछ भी होगा वह सब कुछ राजू की आंखों के सामने एक एक करके घूमने लगा था,,,, उसकी बुआ इतनी खूबसूरत और मस्त हो गई ईस बारे में उसे कभी अंदाजा भी नहीं था,,,अपनी बुआ की कसी हुई बुर में लंड डालकर जिस तरह का आना तो उसने प्राप्त किया था वह उसके लिए अतुल्य और अमूल्य था,,,,रात की गर्माहट भरी चुदाई का एहसास अभी भी उसके तन बदन को गर्माहट दे रहा था,,, रात को फिर अपनी बुआ की चुदाई करेगा यह एहसास उसके तन बदन मे उत्तेजना की लहर को और ज्यादा बढ़ा रहा था,,,। थोड़ी देर तक होगा अपने लैंड को शांत करने के लिए वहीं बैठा रहा जब सब कुछ सामान्य हो गया कमरे से बाहर निकला,,,।

गुलाबी झाड़ू लगाते लगाते अपनी भाभी के पास पहुंच गई तो उसकी भाभी उसे देख कर बोली,,,।


रात भर राजू से चुदवा रही थी क्या जो सुबह आंख नहीं खुली,,,,,,,(मधु झाड़ू लगाते हुए बोली,,, गुलाबी तो अपनी भाभी की बात सुनते ही एकदम सन्न रह गई एक पल को तो लगा कि जैसे वह रात वाली बात को जानती हो लेकिन तभी गुलाबी का एहसास हुआ कि उसकी भाभी को मजाक करने का आदत था लेकिन फिर भी आज का मजाक गुलाबी के लिए तो जानलेवा ही था क्योंकि आज वहां अपने बेटे को लगाकर उसे मजाक की थी जो कि गुलाबी कभी सोची नहीं थी,,,)


क्या भाभी तुम भी इस तरह का मजाक करती हो शर्म नहीं आती अपने ही बेटे के बारे में इस तरह की बात करते हुए,,,
(गुलाबी जानबूझकर गुस्सा दिखाते हुए बोली,,)



अरे तू तो नाराज हो गई मैं तो यूं ही मजाक की थी देखती नहीं है कि अब वह बड़ा हो गया है,,,, लेकिन है एकदम बुद्धू,,,, दुनियादारी की तो खबर ही नहीं है उसको,,,
( मधु यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा बड़ा हो गया है,,, और जिस उम्र से वो पूछ रहा था मधु भली-भांति जानती थी कि इस उम्र में लड़की चुदाई करना शुरू कर देते हैं तो उसका बेटा भी चोदने लायक हो गया था,,,,,,और गुलाबी अपनी भाभी की बात सुनकर मन ही मन में सोचने लगी कि वह भी तो नहीं है अब वह जवान हो गया है पूरा मर्द हो गया है,,, रात भर उसकी चुदाई करके उसकी बुर कौ दर्द दे गया है,,,, गुलाबी अपने मन में ही बोलने लगी कि अब वह बच्चा नहीं रहा मौका मिलेगा तो वह तुम्हारी भी चुदाई कर देगा,,,)

अरे हो जाएगी दुनियादारी की खबर भाभी अभी ज्यादा बड़ा थोड़ी हुआ है,,,,,,, अब चलो जल्दी से खाना बना लो भैया इंतजार कर रहे होंगे,,,,


हां तेरे भैया को तो काम ही क्या है खाना और पेलना,,,,

क्या कहा भाभी,,,

ककक ,,, कुछ नहीं मे जल्दी खाना बना देती हु,,,


ठीक है भाभी मैं तब तक दूसरे काम कर लेती हूं,,,,

(और वह दोनों काम में व्यस्त हो गए,,, दूसरी तरफ सोनी आज गांव में जाने का फैसला कर ली थी खास करके राजू के लिए,,, वह अपनी एक सहेली शांति को तैयार की और गांव के लिए निकल पड़ी उसकी मंजिल राजू था वह राजू को किसी तरह से पढ़ाने के लिए मनाना चाहती थी ताकि पढ़ाने के बहाने वह,,, अपनी प्यास बुझा सके,,,,,,,, गांव में पहुंचने से पहले एक बड़ा तालाब पड़ता है जहां पर गांव के जानवर घास चारा करते थे और तालाब का पानी पिया करते थे,,,, तालाब पर पहुंचते ही सोनी को बड़े जोरों की दोपहर का समय था इसलिए चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था,,,)


शांति मुझे जोरो की पिशाब लगी है तु यहीं रुक मे कर के आती हूं,,,,(इतना कहकर वह पगडंडी वाले रास्ते को छोड़कर झाड़ियों के अंदर जाने लगी तो पीछे से शांति आवाज लगाते हुए बोली,,,)


रुको मालकिन मै भी आती हूं मुझे भी जोरों की लगी है,,,
(इतना कहकर वह भी झाड़ियों के अंदर जाने लगी,, सूरज एकदम सर के ऊपर तक रहा था चारों तरफ दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा था,,,,ऐसे में सोनिया और उसकी सहेली शांति दोनों झाड़ियों के अंदर पेशाब करने के लिए जा रही थी क्योंकि मैंने इस बात का डर था कि कहीं कोई उन्हें पेशाब करते हुए देख ना ले,,,)
शानदार अपडेट
 

Lutgaya

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सोनी बला की खूबसूरत औरत थी,,, कामुकता उसके बदन के हर एक अंग से टपकती रहती थी,,, एकदम गोरी चिकनी मांसल देह वाली वतन का हर एक कटाव मर्दों के टांगों के बीच की हालत खराब कर दे इस तरह से बनी हुई थी,,, नितंबों का घेराव गजब का आकर्षण बांधा हुआ था,,, कसी हुई साड़ी में उसके गोलाकार नितंब बेहद आकर्षक लगते थे मानो के जैसे बड़े-बड़े तरबूज साड़ी के अंदर छुपा दिए गए हो,,,,,,,,,


लाला अपनी बहन की खूबसूरती को अच्छी तरह से जानता था इसलिए तो उसके मजबूरी का पूरा फायदा उठा रहा था और सोनी भी संस्कार वाली औरत नहीं थी,,,, उसके चरित्र में भी कामुकता झलकती थी मर्दों का आकर्षण उसे शुरू से रहा था,,,।,,,अब उसकी नजर राजू पर थी उसके मर्दाना अनु को देखकर वह पूरी तरह से उससे मिलने के लिए व्याकुल हो चुकी थी उसकी अनुभवी आंखें राजू के मर्दाना अंग को देखकर पहचान गई थी कि उसमें बहुत दम है और वह उस‌दम को अपनी बुर के अंदर महसूस करना चाहती थी,,, कौन सी प्रयास में लगी हुई थी कि उसे जोरों की पेशाब लग गई थी,,, पेशाब करने के लिए झाड़ियों के अंदर जाने लगी थी क्योंकि वह जानती थी कि सड़क पर पेशाब करने से किसी की भी नजर उस पर पड सकती थी,,,, उसकी सहेली शांति भी उसके साथ हो चली थी,,,।


झाड़ियों के बीच पहुंचकर एक अच्छी सी जगह देख कर सोनी पेशाब करने के लिए रुक गई अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर देखने लगी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है भले ही वह मर्दों के प्रति आकर्षित हो जाती थी संभोग सुख प्राप्त करने के लिए कुछ भी कर सकती थी लेकिन फिर भी उसकी एक मर्यादा थी,,,,वह जो कुछ भी करती थी दुनिया की नजर से बचकर करती थी किसी को कानों कान खबर नहीं होने देती थी,,,,,,, यही वजह थी कि आज तक किसी को कानों कान इस बात की भनक तक नहीं थी कि लाला की बहन चरित्र की गिरी हुई औरत है,,,,।
Madhu pani bharte huye


अच्छी सी जगह देखकर सोनी खड़ी हो गई थी वह पेशाब करने की तैयारी में थी उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी होती वास्तव में सोनी को इस हाल में देख पाना कि शायद मर्दों की किस्मत की बात थी लेकिन अब तक उसे पेशाब करते हुए किसी ने नहीं देखा था,,,, लेकिन आज शायद जो अभी तक नहीं हुआ था आज होने वाला था,,,,,,,


क्या हुआ मालकिन रुकी में कर लो ना यहां कौन देखने वाला है,,,,

Madhu ki madak adaa kapde dhote huye

english to binary



हां यही तो देख रही हूं पूरी तरह से तसल्ली कर लेने के बाद ही औरतों को बैठ कर पेशाब करना चाहिए नहीं तो तू मर्दों की नजर को तो जानती ही है,,,,


हां मालकिन आप सच कह रही हो,,, मर्दों को तो बस मौका मिलना चाहिए तांक झांक करने का,,,,मैं भी जा अपने घर के पीछे पेशाब करने के लिए जाती हूं तो सामने वाले घर का जवान लड़का हमेशा घूरते रहता है,,,, मुझे तो बहुत शर्म आती है लेकिन क्या करूं मजबूरी रहती है,,,।
Soni raju k khyalo me khoyi huyi


हां यही तो किसी को पता भी नहीं सकती ना ही कुछ कह सकती हो अगर बोलोगी तो बोलोगी भी गोल-गोल बात को घुमा देंगे,,,

हां मालकिन,,,, सच कह रही हूं एक दो बार बोलने की कोशिश भी की,,, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ बल्कि वह तो यह कह कर मेरा मुंह बंद कर दिया कि वह सबको बता देगा कि जानबूझकर मैं जब खड़ा रहता हूं तभी आ कर के पेशाब करती है,,, और मुझे गंदे गंदे इशारे करके अपने पास बुलाती है,,,, सच कहूं तो यह सुनकर मेरी तो बोलती ही बंद हो गई,,,, दुनिया वालों को तो आप जानती ही हो,,,, घुमा फिरा कर इसमें मेरा ही दोष देते,,,,,


अच्छा की तूने की बात को आगे नहीं बढ़ाई वरना गांव वाले तेरा ही दोष देते,,,, औरतों की गांड को इस हाल में देखना मर्दों को कुछ ज्यादा ही अच्छा लगता है तू जानती है मर्द को औरत की गांड सबसे ज्यादा अच्छी लगती है खास करके बड़ी बड़ी गोरी गांड,,,, ईसी के पीछे लट्टु होकर घूमते रहते हैं,,,,।
(सोनी और उसकी सहेली शांति दोनों आपस में बातें कर रहे थे कि हम दोनों की फुसफुसाहट राजू के कानों तक पहुंच गई,,, वह बकरियां चराने आया थाऔर उसे की पेशाब लग गई थी इसलिए वहां झाड़ियों के अंदर चला आया था क्योंकि यहां पर ठंडक थी और बाहर खड़ी थी आने की वजह से गर्मी लग रही थी,,,, उन दोनों औरतों को झाड़ियों के बीच खड़ा देखकर उन दोनों को बातें करते हुए देखकर राजू एक पेड़ के पीछे छुप गया और उन दोनों को चोर नजरों से देखने लगा सोनी पर नजर पड़ते ही उसके होशो हवास उड़ने लगे थे क्योंकि सोनी बेहद खूबसूरती भरा हुआ बदन राजू के होश उड़ा रहा था,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस समय यह दोनों झाड़ियों के बीच क्या कर रही थी,,,, इसलिए एकदम चोर कदमों से पेड़ के पीछे छुप कर उन दोनों की क्रियाकलापों को और उनकी बातों को सुनने लगा,,, अभी तक राजू इस बात का अंदाजा भी नहीं लगा पाया था कि वह दोनों झाड़ियों के अंदर करने क्या है और वह भी इतनी खड़ी दुपहरी में,,,)

इसीलिए शांति मैं जितना हो सकता है उतना अपने आप को बचाकर रखती हूं कहीं भी आते जाते रास्ते में कहीं के साथ लगती तो मैं ऐसी जगह को तलाश करती हूं जहां पर कोई नहीं होता झाड़ियों के पीछे छुप कर ही मौके साफ करती हूं क्योंकि मैं चाहती हूं कि कोई मर्द मेरी गांड को देख ना पाए,,,, क्योंकि मर्दों को औरतों की क्या पसंद होती है,,,,(शांति की तरफ प्रश्नवाचक दृष्टि से देखते हुए बोली,,,)


गांड,,,,,,(शांति हंसते हुए बोली)


हां,,,,,, अब जाकर तुझे समझ में आया है,,,,

(गांड शब्द सुनकर और उन दोनों का हंसना देकर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी क्योंकि उसे लगने लगा कि कुछ ना कुछ जरूर होने वाला है,,,, उसका दिल जोरो से धड़कने लगा,,,,,)


जल्दी से पेशाब कर लेती हूं वैसे ही देर हो चुकी है,,,,।
(यह सुनकर तो राजू की सांसे अटक गई खूबसूरत औरत के मुंह से वह पेशाब करने की बात सुन रहा था,,, और उसके हाव-भाव से राजू को ऐसा ही लग रहा था कि वह उसकी आंखों के सामने ही पेशाब करने वाली है,,,, यह एहसास राजू के लंड में हरकत करने को मजबूर कर दिया और पल भर में ही राजू का लंड अपनी औकात में आ गया,,,, राजू को दूसरी वाली जिसका नाम शांति था ठीक-ठाक लग रही थी लेकिन गोरे बदन वाली हुस्न की मल्लिका सुडोल देह वाली सोनी राजू के तन बदन में आग लगा रही थी उसका गोरा बदन गठीला तराशा हुआ जिस्म राजू के लंड की अकड़ को बढ़ा रही थी,,,, वह अपने सांसो को दुरुस्त किए हुए उस नजारे को देख रहा था जहां पर सोनी खड़ी होकर अभी भी चारों तरफ देख रही थी जहां पर वह खड़ी थी वह जगह थोड़ी सी खुली हुई थी बाकी झाड़ियों से गिरी हुई थी,,,,।जब वह चारों तरफ तसल्ली भरी नजर से घूम कर देख रही थी तभी राजू कि मुझे उसकी गोलाकार गांड पर पड़ी थी तभी से वह उसकी गांड का दीवाना हो गया था,,,, अच्छी तरह से समझ गया था कि साड़ी के अंदर उसका बदन किसी बेश कीमती खजाने से कम नहीं है,,,, राजु उसकी गांड देखने के लिए लालायित हो गया,,,,


अरे मालकिन अब करोगी भी या चक्रर पकर देखती ही रहोगी,,,।


हां हां कर रही हैं मुझे भी जोरों की ही लगी है,,,,
(इतना कहकर वह धीरे-धीरे की साड़ी को उठाना शुरू कर दिया देखकर राजू के तन बदन में आग लगने लगी उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी सोनी पेशाब करने के लिए पूरी तरह से तैयार थी और देखती देते उसकी साड़ी घुटनों तक आ गई राजू की किस्मत बड़े जोरों पर थी क्योंकि उसकी पीठ ठीक राजू के सामने थे मतलब की राजू उसकी गांड के प्रति पूरी तरह से मोहित था और थोड़ी देर में उसने उसकी नंगी गांड दिखने वाली थी पेशाब तो राजू कभी-कभी थी लेकिन इस समय अपनी सांसो को भी रोक कर खड़ा था कि उसकी आहट का उन दोनों को पता ना चल जाए वरना एक खूबसूरत दृश्य पर परदा पड़ जाएगा,,,। सोनी की मांसल पिंडलिया बहुत खूबसूरत लग रही थी सोनी की साड़ी घुटनों तक आ चुकी थी,,,, शांति भी खड़ी होकर सोनी को ही देख रही थी क्योंकि सोनी को भी पता था की खूबसूरती में वह सबसे आगे थी,,, गोरा रंग होने के कारण उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहता था,,, राजू से भी रहा नहीं जा रहा था मुठ मारने के लिए उसकी आंखों के सामने बेहद कामुकता भरा दृश्य नजर आ रहा था इसलिए वह इस दृश्य का पूरा फायदा उठाते हुए अपने पजामे को नीचे करके अपने लंड को बाहर निकाल लिया और सोनी की कामुक अदाओं को देखकर धीरे-धीरे अपने लंड को हीलाना शुरू कर दिया,,,।

कैसा लग रहा था कि मानो सोनी को सब कुछ पता हो और वह धीरे-धीरे अपनी खूबसूरत बदन को दिखाकर राजू को तड़पा रही हो,,,, वह उसी अदा से धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी शांति को भी मजा आ रहा था एक औरत होने के नाते एक औरत की खूबसूरती से उसे अपने अंदर जलन भी महसूस हो रही थी लेकिन कर भी क्या सकती थी आखिरकार वह उसकी मालकिन जो थी और उसे सहेली की तरह रखती थी,,, जैसे-जैसे सोनी की दूधिया मोटी मोटी जांघें नजर आने लगी वैसे वैसे सोनू का हाथ अपने लंड पर बड़ी तेजी से चलने लगा,,, केले के तने की तरह एकदम चिकनी जांघों को देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था वह उसकी गोरी चिकनी जानू को अपने होठ लगाकर चूमना चाहता था अपनी जीभ से चाटना चाहता था,,,,,पहले उसके मन में इस तरह के ख्याल कभी भी नहीं आती थी उसकी आंखों के सामने बने कितनी खूबसूरत औरत क्यों ना खडी हो लेकिन जब सेबुर्के नमकीन रस का स्वाद उसके मुंह लग गया तब से औरतों को देखने का नजरिया उसका बदल गया था और उन्हें देख कर वो अपने मन में गंदे विचारों को जन्म देने लगा था,,, इसीलिए इस तरह के गंदे ख्याल सोनी को देखकर उसके मन में उम्र रहे थे देखते देखते सोनी की साड़ी कमर तक आ गई,,, यह नजारा देखकर राजू को लगने लगा कि कहीं उसकी सांसे ना अटक जाए,,,,,,
Soni jhadiyo k bich


कुदरत का बनाया हुआ बेहद खूबसूरत अंग उसकी आंखों के सामने एकदम नंगा था जिसे देखकर राजू की संभोग की इच्छा तीव्र हो रही थी वह उस औरत की चुदाई करने की अभिलाषा रखने लगा,,,, उसका बस चलता तो अभी उसे यही पकड़ कर पटक कर चोदने लगता लेकिन राजू का चरित्र अभी इतना गिरा नहीं था कितनी घिनौनी हरकत करता वह रजामंदी होने पर ही चुदाई करता अपनी मनमानी कभी नहीं करता क्योंकि इतना तो उसे ज्ञात हो ही चुका था की मर्जी के बिना मजा भी नहीं आता,,,,

सोनी अपनी साड़ी को कमर तक उठाए खड़ी थी उसकी गोरी गोरी उभरी हुई गदराई गांड सुनहरी धूप में चमक रही थी,,,। एक अजीब सा मादकता भरा आकर्षण सोनी की गांड में था जिसे देखकर राजू पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,, शांति भी इसके आकर्षण से बच नहीं पाई थी वह भी अपनी तिरछी नजर से सोनी की गांड को देख रही थी यह देख कर सोनी बोली,,,,,।


तुम ऐसे क्यों देख रही हो तुम्हारे पास भी तो ऐसे ही है,,,


तुम्हारी बहुत खूबसूरत है एकदम गोरी गोरी और उभरी हुई,,,, सच कहूं तो मर्दों को तुम्हारी जैसी ही गांड अच्छी लगती है,,,


तुम्हें कैसे मालूम ,,,(सोनी मुस्कुराते हुए बोली)


मैं किसी लड़के के मुंह से सुनी थी कि उन लोगों को औरत की बड़ी-बड़ी गाड़ी हई पसंद आती है,,,


तुम्हारी भी तो है,,,,


लेकिन तुम्हारी तरह नहीं है मालकिन,,,, काश मेरी भी तुम्हारी जैसी होती तो अब तक ना जाने कितनों को अपने पीछे पीछे घुमाते होती,,,,।


चल बड़ी आई मर्दों को पीछे पीछे घुमाने वाली अगर कोई पीछे पड़ गया ना तो उस दिन समझ में आएगा,,,, की कितनी बड़ी मुसीबत मोल ले ली है,,,,‌।

(राजू उन दोनों की बातों को सुनकर पूरी तरह से उत्तेजित बजा रहा था क्योंकि वह दोनों गार्ड की खूबसूरती के बारे में ही बातें कर रही थी और अपने मुंह से ही बता रही थी कि औरतों की बड़ी-बड़ी गाड़ी मर्दों को ज्यादा पसंद आती हो और उन दोनों का कहना भी सही था क्योंकि राजू खुद यह अब हंस कर चुका था कि उसे भी औरतों की बड़ी-बड़ी गांड ही पसंद आती है,,,, राजू जोर-जोर से मुट्ठ मार रहा था,,,, राजू के पास चुदाई करने के लिए दे दो बुर का जुगाड़ थालेकिन इस समय यहां पर उन दोनों दोनों में से कोई भी बुर उपस्थित नहीं थी और इसलिए लंड की गर्मी को शांत करने के लिए बस यही एक तरीका रह गया था,,,, जिसे वह बखूबी निभा रहा था,,,)

चलो बहुत देर हो गई है भैया को पता चलेगा कि मैं इतनी देर गांव में लगा दी तो गुस्सा करेंगे,,,,
(और इतना कहने के साथ ही सोनी अपनी बड़ी बड़ी गांड लेकर वहीं बैठ गई ठीक राजू की आंखों के सामने और अगले ही पल पेशाब करने लगी,,,, क्षण भर में ही मुतने की मधुर धुन बांसुरी की ध्वनि की तरह राजू के कानों में सुनाई देने लगी राजू एकदम बावला हो गया या मधुर धुन सुनकर उसके होश उड़ गए और वह जोर-जोर से अपना लंड हिलाना शुरू कर दिया पीछे से सोनी का पिछवाड़ा देखकर राजू की हालत खराब होने लगी,,,,,, सोनी का पिछवाड़ा राजू को इतना खूबसूरत लग रहा था मानो कि जैसे खेतों में दो खूबसूरत बड़े-बड़े तरबूज रख दिए गए हो,,,, राजू का मन इस समय उसकी गांड चाटने को कर रहा था हालांकि अभी तक राजू में ना तो कमला चाची की और ना ही अपनी बुआ गुलाबी की गांड को चाटा था,,, लेकिन इस समय सोने की खूबसूरती और उसकी खूबसूरत गांव को देखकर उसके मन में यह इच्छा तीव्र हो रही थी,,,,
Soni ko pesab karte huye dekh kar raju ekdam mast ho raha tha

बुर से निकल रही सीटी की आवाज बांसुरी की मधुर धुन की तरह उसे मोहित कर रही थी,,,, सोनी बड़ी आनंदित होकर मूत्र विसर्जन कर रही थी,,,, बड़े जोरों की पेशाब लगने की वजह से उसे राहत महसूस होने लगी थी,,,, अपने पैरों के आगे की घास को वह पूरी तरह से अपने पेशाब से भिगो डाली थी मानो कि जैसे घास में पानी दिया गया हो,,,राजू जानता था कि थोड़ी देर में पेशाब करके वह उठ जाएगी और एक खूबसूरत नजारे पर पर्दा डाल देगी इसलिए वह उसकी खूबसूरत गांड की आकर्षण मैं जोर-जोर से मुठ मार कर अपना पानी निकाल देना चाहता था इसलिए उसकी हथेली बड़ी जोरों से चल रही थी,,,,, और थोड़ी ही देर में जैसे ही हो पेशाब करके खड़ी हुई अपनी साड़ी को वह नीचे करती इससे पहले ही राजू के लंड से गर्म पानी की पिचकारी फुट पड़ी,,,राजू के लिए पहला मौका था जब वह बाहर किसी औरत को नग्न अवस्था में देखकर अपना लंड हिला कर पानी निकाला था उसे बहुत ही मजा आया था लेकिन उस औरत को चोदने के ख्याल से यह मजा कम ही था,,,,

राजू की आंखों के सामने ही वह अपनी साड़ी को नीचे करके फिर से बेश कीमती खजाने को छुपा ली,,,,राजू अपने क्यों जाने को ऊपर करके हम खड़ा रहा मैं देखना चाहता था कि वह दोनों जाती कहां है,,,, तभी सोनी बोली,,।


चल जल्दी कर गांव से लौटना भी है,,,,
(इतना कहने के साथ ही वह दोनों झाड़ियों से बाहर निकल गई और राजू भी अपनी बकरी को लेकर गांव की तरफ जाने लगा क्योंकि वह दोनों उसी तरफ जा रही थी)
आज का अपडेट मस्त है

सोनी को चोदने से पहले राजू गुलाबी का एक विस्तृत चुदाई सेशन और दे दो भाई जी
और हां लगता है शान्ति की चुत में भी काफी अशान्ति है। तो सोनी शान्ति दोनों की सेवा राजू से करवा दीजिए।
 

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रात भर की कामुकता से भरी हुई अद्भुत संभोग क्रीडा से थक कर दोनों गहरी नींद में सो गए और सुबह जब नींद के लिए तो दोनों एकदम से हड़बड़ा गए क्योंकि काफी समय हो गया था इसलिए मधु दरवाजे को खटखटा रही थी,,,।
दरवाजा खटखटाने की आवाज से कब दोनों की नींद खुली तो दोनों अपनी अपनी स्थिति से वाकिफ होते ही एकदम से घबरा गए,,,क्योंकि दोनों के बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था दोनों रात की तरह संपूर्ण नग्नावस्था में थे रात को चुदाई के असीम सुख को भोगकर दोनों एक-दूसरे को बाहों में लिए उसी तरह से सो गए थे,,,,,।
गुलाबी का खूबसूरत बदन


गुलाबी अरे वो गुलाबी अभी तक सो रही है,,, देख नहीं रही है सूरज सर पर चढ़ आया है,,,, उठ जल्दी उठ,,,,।
(मधु दरवाजे पर दस्तक देते हुए बोली,,,)

हां ,,,,, आई भाभी आज जरा आंख लग गई थी,,,, तुम चलो मैं आती हूं,,,,


ठीक है मैं आंगन में झाड़ू लगा देती हूं तु अंदर झाड़ू लगा दे,,,
खूबसूरत गांड की मालकिन मधु


ठीक है भाभी,,,,(मधु झाड़ू लेकर घर के आंगन में झाड़ू लगाने लगी और गुलाबी तुरंत खटिए पर ऊठ कर बैठ गई,,,।)

बापरे आज तो बहुत देर हो गई,,,,


रात भर चुदवाई हो तो देर तो होगी ही,,,(राजू अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर,, गुलाबी के फूल आते हुए कबूतर को दबाते हुए बोला,,,,)

आहहहह क्या कर रहा है,,,, रात भर में तेरा मन भरा नहीं क्या,,,! (राजू के हाथ को अपनी चूची पर से हटाते हुए बोली,,,)


तुमको लगता है बुआ एक बार में मन भर जाएगा,,,,


हां तु सच कह रहा है,,, अगर ऐसा होता तो भैया तेरी मां की रोज चुदाई ना करते,,,,

(एक बार फिर से बातों ही बातों में अपनी मां का जिक्र होते ही राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, अपनी मां का जिक्र होते ही राजू फिर से गुलाबी की चूची को पकड़ते हुए बोला,,)

बुआ तुम रोज दीवार के छेद से मां और पिताजी की चुदाई देखती थी ना,,,,(गुलाबी की चूची को जोर से दबाते हुए बोला,,,)
खटिया पर लेटी हुई गुलाबी

उन्हीं दोनों से तो सब कुछ सीखी हूं देख देख कर ही मैंने यह सब सीख गई तभी तो रात को इतना मजा आया,,,


बुआ फिर से मजा लेना चाहती हो,,,(इतना कह कर राजू अपनी दोनों टांगों के बीच देखने लगा जहां पर उत्तेजना के मारे फिर से उसका लंड खड़ा होने लगा था,, राजू के दोनों टांगों के बीच गुलाबी की भी नजर गई तो वह एक बार फिर से शर्म से पानी पानी होने लगी उसकी बुर में पानी इकट्ठा होने लगा,,,, एक बार फिर से गुलाबी का भी मन मचल उठा था उसे अपनी बुर के अंदर लेने के लिए,,,, राजू गुलाबी कई उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाते हुए एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर हिलाने लगा यह देखकर गुलाबी की हालत और खराब होने लगी,,,)


क्या कहती हो बुआ एक बार फिर से लेट जाओ,,, मजा आ जाएगा,,,,
(गुलाबी का मन मचल उठा था,,, वह एकटक राजू के लंड को देखे जा रही थी लेकिन इस समय उसके पास समय का अभाव था क्योंकि उठने में वैसे भी देरी हो चुकी थी,,, अभी अभी उसकी भाभी भी उसे उठाकर गई थी,,, इसलिए मन होते हुए भी अपने मन को मार कर वह खटिया पर से उठने को हुई तो तुरंत राजू अपनी बाहों को उसकी कमर में डालकर अपनी तरफ खींच लिया जिसकी वजह से गुलाबी उसके ऊपर लुढ़क गई गुलाबी ऊपर थी और राजू नीचे गुलाबी की पीठ राजू की छाती से सटी हुई थी उसके गोलाकार नितंब सीधे-सीधे एकदम सटीक तरीके से राजू के लंड पर टिके हुए थे,,,,,,एक ही रात में राजू इतना खुल जाएगा गुलाबी को इसकी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी राजू की हरकत की वजह से उसके तन बदन में एक बार फिर से आग लगने लगी थी,,,,वैसे भी सुबह-सुबह बदन में उत्तेजना का असर कुछ ज्यादा ही होता है,,,।


बस बुआ एक बार,,, एक बार डाल लेने दो,,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपने लंड को पकड़ कर,,, अपनी बुआ की बुर से सटा दिया और उसमें डालने की कोशिश करने लगा,,, राजू की इस हरकत की वजह से गुलाबी के तन बदन कामोत्तेजना की लहर उठने लगी,,, उसका भी मन करने लगा कि वह एक बार फिर से राजु से चुदवा ले,,,लेकिन वह मौके की नजाकत को अच्छी तरह से समझती थी वह जानती थी कि देर होने पर किसी भी समय उसकी भाभी फिर से आ जाएगी,,,,,, गुलाबी का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि राजू के लंड का सुपाड़ा उसकी गुलाबी बुर के छेद से रगड़ खा रहा था जिसे राजू अंदर डालने की कोशिश कर रहा था,,, राजू के हाथों में एक बार फिर से गुलाबी का गुलाबी बदन था,, उसके गोलाकार नितंब उसके लंड से सटा हुआ था जो कि उसकी उत्तेजना में निरंतर वृद्धि कर रहा था,,, राजू एक बार फिर से अपनी बुआ को चोदना चाहता था और इसीलिए वह फिर से प्रयास करते हुए अपने लंड के सुपाड़े को उसकी गुलाबी बुर के छेद में डालने की कोशिश कर रहा था लेकिन गुलाबी जानती थी कि चुदाई का यह समय ठीक नहीं है,,,, वह दोनों पकड़े जा सकते थे,,,, संभोग के असीम सुख की भावना मे वह खुद बहने लगी थी एक बार तो उसका मन हुआ कि खुद अपनी दोनों टांगें खोलकर उसके लंड पर सवार हो जाए और यह भावना मन में आता ही वह अपनी दोनों टांगों को खोल भी दी थी लेकिन तभी उसे भान हुआ की ऐसी हालत में वह पकड़ी जा सकती थी,,,, इसलिए वह अपने भतीजे के ऊपर से उठने की कोशिश करने लगी लेकिन उसका भतीजा अपना जौर दिखाते हुए उसकी कमर में दोनों हाथ डालकर उसे नीचे दबाए हुए था भले ही उसको लैंडस्की दूर में प्रवेश नहीं कर पा रहा था लेकिन इस स्थिति में भी उसे स्वर्ग का सुख प्राप्त हो रहा था धर्म धर्म गोल-गोल कांड को अपने ऊपर महसूस कर के वह असीम आनंद की अनुभूति कर रहा था,,,।

राजू गुलाबी की चूत में डालने की कोशिश करते हुए


छोड़ राजू मुझे जाने दे देर हो रही है,,,,


नहीं बुआ एक बार और देखो ना मेरा खड़ा हो गया है,,,


तो क्या करूं अभी समय उचित नहीं है,,,


अरे क्यों उचित नहीं है बस एक बार डालना ही तो है,,,


तुझे क्या लगता है कि तू डाल कर निकाल लेगा,,, कितनी देर तक चुदाई करता है तू तेरी मां आ गई तो हम दोनों पकड़े जाएंगे और अगर एक बार पकड़े गए तो यह सब खेल यहीं रुक जाएगा,,,, क्या तू हमेशा मजा लेना नहीं चाहता,,,


चाहता हूं ना बुआ,,,


तो फिर अभी जाने दे तेरी मां भी तो गजब हो जाएगा और वैसे भी हम दोनों साथ में सोते हैं जब चाहे तब इस खेल को खेल सकते हैं,,,।
(अपनी बुआ की बात सुनकर राजू अपने मन में सोचने लगा कि उसकी बुआ ठीक ही कह रही है,,, अगर दोनों पकड़े गए थे इस खेल पर। लग जाएगा और वह ऐसा नहीं चाहता था क्योंकि अभी अभी तो यह खेल शुरू हुआ था इसलिए वह अपना मन मार कर बोला,,)


तुम ठीक कह रही हो बुआ लेकिन रात को करने देना,,,



बिल्कुल तुझे मजा आ रहा है तो क्या मुझे नहीं आ रहा है मुझे कि बहुत मजा आ रहा है मैं भी एक गेम खेलना चाहती हूं लेकिन अभी तू जानता ही नहीं कि तेरी मां किसी भी वक्त आ जाएगी,,,,(इतना कहते हुए वह राजू के ऊपर से उठने लगी गुलाबी की पीठ राजू की तरफ थी राजू पीठ के बल खटिया पर लेटा हुआ था पीछे से गुलाबी की गांड कहर ढा रही थी राजू का मन रुकने को बिल्कुल भी नहीं कर रहा था अपने मन को मार करवा एक बार गुलाबी को जाने दे रहा था लेकिन उसकी गांड को देखकर उसका मन मचल उठा रहा था लेकिन फिर भी वह जानता था की मनमानी करना ठीक नहीं है इसलिए अपने मन को मनाते हुए अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बुआ की गांड पर अपना हाथ फेरने लगा,,, और बोला)


बुआ तुम्हारी गांड कितनी मस्त है,,,
राजु और गुलाबी


मेरे से भी अच्छी तो तेरी मां की देखा नहीं नंगी होने के बाद कितनी खूबसूरत लगती है,,,
(अपनी बुआ की बातें सुनकर राजू कुछ बोला नहीं लेकिन उसकी कहीं बात वाकई में सच थी,,,,अपनी बुआ की बात से एक बार फिर से उसकी आंखों के सामने उसकी मां का नंगा बदन नाचने लगा,,,, गुलाबी खटिए पर से उठ कर अपने कपड़ों को ढूंढने लगी जो कि नीचे जमीन पर बिखरे पड़े थे,,,, राजू उसी तरह से लेटा रहा उसका लंड आसमान की तरफ सर उठाए खड़ा था,,,, गुलाबी राजू की लंड को देखकर पूरी तरह से मोहित हो चुकी थी क्योंकि बिना सहारे वह पूरी तरह से एकदम से हटाना के डंडे की तरह खड़ा था,,,, गुलाबी अपने मन में सोच रही थी कि अगली बार उसकी भाभी जिस तरह से उसकी भईया के लंड पर उठक बैठक करती है उसी तरह से वह भी करेगी,,,। गुलाबी अपने मन में यह सोचते हुए अपनी कुर्ती उठा ली और उसे कहने लगी ऊपर से अपने गले में डालकर वह कुर्ती को पहन रही थी और राजू उसे बड़े गौर से देख रहा था क्योंकि आज तक उसने अपनी बुआ को कपड़े पहनते भी नहीं देखा था हां रात को कपड़े उतारते हुए जरूर देखा था,,, औरतों का कपड़ा पहनना और उसे उतारना भी एक अद्भुत कला के साथ-साथ मादकता भरा एहसास है जो कि देखने वालों के होश उड़ा देता है ,,, राजू भी अपनी बुआ को बड़े मजे ले कर देख रहा था देखते ही देखते उसकी बुआ कुर्ती को पहन लेंगे और नीचे चुप कर सलवार उठाने लगी,,,, ऐसा करते हुए उसकी गांड राजू की तरफ थी ,,, जोकि झुकने की वजह से उसकी गोल गोल गांड कुछ ज्यादा ही भरकर सामने नजर आने लगी जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आने लगा,,,,,

Gulabi apni salwar utarte huye

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गुलाबी सलवार उठा कर खड़ी हो गई और उसे सीधा करके अपने पैर में डालकर पहनने लगी,,, और अगले ही पल खूबसूरत मादकता भरे नजारे पर पर्दा पड़ गया,,,,,, पहली बार में ही मोटे तगड़े लंबे लंड को अपनी बुर में लेने की वजह से गुलाबी को अपनी बुर में मीठा मीठा दर्द महसूस हो रहा था,,,,,, लेकिन यह मीठा मीठा दर्द भी उसे आनंद ही दे रहा था,,,। अपने कपड़े पहन लेने के बाद वह राजु से बोली,,,।


तू भी उठ कर कपड़े पहन ले नहीं तो मैं दरवाजा खोलने जा रही हूं,,,

नहीं रुको मैं पहनता हूं ,,,(इतना कहने के साथ ही वह भी खटिया पर से खड़ा हो गया और अपना पजामा ढूंढने लगा,,, उसे पहचाना ढुढते हुए देखकर गुलाबी बोली,,,)

उतारते समय नहीं पता था कि कहां उतार रहा है,,,।


क्या करूं बुआ,,, तुम्हें चोदने की लालच में कुछ पता ही नहीं चला कि क्या कर रहा हूं,,,,(अपने पजामे को इधर-उधर ढूंढते हुए बोला,,,)


वो रही खटिया के नीचे,,,,(गुलाबी उंगली के इशारे से दिखाते हुए बोली,,,)

बाप रे रात को पता ही नहीं चला कि कपड़ा उतार के कहां फेंका,,,,।

हां रात को मजा लेने के लिए तो आनन-फानन में सब निकाल कर फेंक दिया,,,,


क्या करूं बुआ तुम चीज ही कुछ ऐसी हो,,,(ऐसा कहते हुए राजू खटिया के नीचे से अपने पजामे को उठाया और पहनने लगा,,,, अपने पजामे को जैसे ही वह ऊपर तक लाया तो,,अभी भी पूरी तरह से खड़ा होने की वजह से पजामे को ठीक से वह और उपर नहीं चढ़ा पा रहा था,,, राजू के खड़े लंड को देखकर गुलाबी बोली,,,)

तेरा तो अभी तक खड़ा है,,,,


क्या करूं बुआ तुम्हारी वजह से एक बार अंदर डाल लेने दीए होती तो यह भी शांत हो जाता,,,,।


रुक मैं अंदर डाल देती हुं,,,(इतना कहने के साथ ही गुलाबी आगे बढ़ी हो तुरंत चला चुके हैं उनको अपनी मुट्ठी में दबा कर उसे पजामे के अंदर करने लगी,,,, राजू को अपनी बुआ की हरकत एकदम मस्त कर गई,,,)

देख रही हो बुआ कितना गर्म है,,,


हारे बहुत गर्म है,,,


इससे भी ज्यादा गरम तुम्हारी बुर है,,,, अंदर जाते ही ऐसा लगता है कि मानो अभी मेरा लंड पिघल जाएगा,,,,(राजू की बात सुनकर गुलाबी मंद मंद मुस्कुराते हुए बोली)

तुझे देखकर लगता नहीं था कि तू इतना हरामी किस्म का लड़का है देखने में कितना शरीफ रखते हैं रात को ही पता चला कि तू कितना हरामि है,,,


मुझे भी तो रात को ही पता चला कि तुम कितनी मस्त हो,,,


चल अब जल्दी कर मैं बाहर जा रही हुं,,, (पजामे के अंदर राजू के खड़े लंड को व्यवस्थित करते हुए बोली,,,)


ठीक है बुआ,,,,(इतना कहकर राजू गुलाबी के गुलाबी होंठ पर अपने होंठ रख कर चुंबन कर लिया,,,)


बहुत तेज है तू,,,(पर इतना क्या कर मुस्कुराते हुए दरवाजा खोलकर बाहर चली गई,,, राजू अपनी बुआ को जाते को देखता रह गया उसे यकीन नहीं हो रहा था कि रात को जो कुछ भी हुआ था वह हकीकत है उसे सब कुछ सपना समझ रहा था क्योंकि उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसकी सीधी-सादी हुआ इतनी बड़ी छिनार होगी जो खुद चुदवाने के लिए तड़प रही थी,,,। लेकिन जो कुछ भी हुआ था उसे से ऐसा ही लग रहा था कि राजू की दसों उंगलिया अब घी में थी,,, रात को जो कुछ भी होगा वह सब कुछ राजू की आंखों के सामने एक एक करके घूमने लगा था,,,, उसकी बुआ इतनी खूबसूरत और मस्त हो गई ईस बारे में उसे कभी अंदाजा भी नहीं था,,,अपनी बुआ की कसी हुई बुर में लंड डालकर जिस तरह का आना तो उसने प्राप्त किया था वह उसके लिए अतुल्य और अमूल्य था,,,,रात की गर्माहट भरी चुदाई का एहसास अभी भी उसके तन बदन को गर्माहट दे रहा था,,, रात को फिर अपनी बुआ की चुदाई करेगा यह एहसास उसके तन बदन मे उत्तेजना की लहर को और ज्यादा बढ़ा रहा था,,,। थोड़ी देर तक होगा अपने लैंड को शांत करने के लिए वहीं बैठा रहा जब सब कुछ सामान्य हो गया कमरे से बाहर निकला,,,।

गुलाबी झाड़ू लगाते लगाते अपनी भाभी के पास पहुंच गई तो उसकी भाभी उसे देख कर बोली,,,।


रात भर राजू से चुदवा रही थी क्या जो सुबह आंख नहीं खुली,,,,,,,(मधु झाड़ू लगाते हुए बोली,,, गुलाबी तो अपनी भाभी की बात सुनते ही एकदम सन्न रह गई एक पल को तो लगा कि जैसे वह रात वाली बात को जानती हो लेकिन तभी गुलाबी का एहसास हुआ कि उसकी भाभी को मजाक करने का आदत था लेकिन फिर भी आज का मजाक गुलाबी के लिए तो जानलेवा ही था क्योंकि आज वहां अपने बेटे को लगाकर उसे मजाक की थी जो कि गुलाबी कभी सोची नहीं थी,,,)


क्या भाभी तुम भी इस तरह का मजाक करती हो शर्म नहीं आती अपने ही बेटे के बारे में इस तरह की बात करते हुए,,,
(गुलाबी जानबूझकर गुस्सा दिखाते हुए बोली,,)



अरे तू तो नाराज हो गई मैं तो यूं ही मजाक की थी देखती नहीं है कि अब वह बड़ा हो गया है,,,, लेकिन है एकदम बुद्धू,,,, दुनियादारी की तो खबर ही नहीं है उसको,,,
( मधु यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा बड़ा हो गया है,,, और जिस उम्र से वो पूछ रहा था मधु भली-भांति जानती थी कि इस उम्र में लड़की चुदाई करना शुरू कर देते हैं तो उसका बेटा भी चोदने लायक हो गया था,,,,,,और गुलाबी अपनी भाभी की बात सुनकर मन ही मन में सोचने लगी कि वह भी तो नहीं है अब वह जवान हो गया है पूरा मर्द हो गया है,,, रात भर उसकी चुदाई करके उसकी बुर कौ दर्द दे गया है,,,, गुलाबी अपने मन में ही बोलने लगी कि अब वह बच्चा नहीं रहा मौका मिलेगा तो वह तुम्हारी भी चुदाई कर देगा,,,)

अरे हो जाएगी दुनियादारी की खबर भाभी अभी ज्यादा बड़ा थोड़ी हुआ है,,,,,,, अब चलो जल्दी से खाना बना लो भैया इंतजार कर रहे होंगे,,,,


हां तेरे भैया को तो काम ही क्या है खाना और पेलना,,,,

क्या कहा भाभी,,,

ककक ,,, कुछ नहीं मे जल्दी खाना बना देती हु,,,


ठीक है भाभी मैं तब तक दूसरे काम कर लेती हूं,,,,

(और वह दोनों काम में व्यस्त हो गए,,, दूसरी तरफ सोनी आज गांव में जाने का फैसला कर ली थी खास करके राजू के लिए,,, वह अपनी एक सहेली शांति को तैयार की और गांव के लिए निकल पड़ी उसकी मंजिल राजू था वह राजू को किसी तरह से पढ़ाने के लिए मनाना चाहती थी ताकि पढ़ाने के बहाने वह,,, अपनी प्यास बुझा सके,,,,,,,, गांव में पहुंचने से पहले एक बड़ा तालाब पड़ता है जहां पर गांव के जानवर घास चारा करते थे और तालाब का पानी पिया करते थे,,,, तालाब पर पहुंचते ही सोनी को बड़े जोरों की दोपहर का समय था इसलिए चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था,,,)


शांति मुझे जोरो की पिशाब लगी है तु यहीं रुक मे कर के आती हूं,,,,(इतना कहकर वह पगडंडी वाले रास्ते को छोड़कर झाड़ियों के अंदर जाने लगी तो पीछे से शांति आवाज लगाते हुए बोली,,,)


रुको मालकिन मै भी आती हूं मुझे भी जोरों की लगी है,,,
(इतना कहकर वह भी झाड़ियों के अंदर जाने लगी,, सूरज एकदम सर के ऊपर तक रहा था चारों तरफ दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा था,,,,ऐसे में सोनिया और उसकी सहेली शांति दोनों झाड़ियों के अंदर पेशाब करने के लिए जा रही थी क्योंकि मैंने इस बात का डर था कि कहीं कोई उन्हें पेशाब करते हुए देख ना ले,,,)
Gajab bhai
सोनी बला की खूबसूरत औरत थी,,, कामुकता उसके बदन के हर एक अंग से टपकती रहती थी,,, एकदम गोरी चिकनी मांसल देह वाली वतन का हर एक कटाव मर्दों के टांगों के बीच की हालत खराब कर दे इस तरह से बनी हुई थी,,, नितंबों का घेराव गजब का आकर्षण बांधा हुआ था,,, कसी हुई साड़ी में उसके गोलाकार नितंब बेहद आकर्षक लगते थे मानो के जैसे बड़े-बड़े तरबूज साड़ी के अंदर छुपा दिए गए हो,,,,,,,,,


लाला अपनी बहन की खूबसूरती को अच्छी तरह से जानता था इसलिए तो उसके मजबूरी का पूरा फायदा उठा रहा था और सोनी भी संस्कार वाली औरत नहीं थी,,,, उसके चरित्र में भी कामुकता झलकती थी मर्दों का आकर्षण उसे शुरू से रहा था,,,।,,,अब उसकी नजर राजू पर थी उसके मर्दाना अनु को देखकर वह पूरी तरह से उससे मिलने के लिए व्याकुल हो चुकी थी उसकी अनुभवी आंखें राजू के मर्दाना अंग को देखकर पहचान गई थी कि उसमें बहुत दम है और वह उस‌दम को अपनी बुर के अंदर महसूस करना चाहती थी,,, कौन सी प्रयास में लगी हुई थी कि उसे जोरों की पेशाब लग गई थी,,, पेशाब करने के लिए झाड़ियों के अंदर जाने लगी थी क्योंकि वह जानती थी कि सड़क पर पेशाब करने से किसी की भी नजर उस पर पड सकती थी,,,, उसकी सहेली शांति भी उसके साथ हो चली थी,,,।


झाड़ियों के बीच पहुंचकर एक अच्छी सी जगह देख कर सोनी पेशाब करने के लिए रुक गई अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर देखने लगी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है भले ही वह मर्दों के प्रति आकर्षित हो जाती थी संभोग सुख प्राप्त करने के लिए कुछ भी कर सकती थी लेकिन फिर भी उसकी एक मर्यादा थी,,,,वह जो कुछ भी करती थी दुनिया की नजर से बचकर करती थी किसी को कानों कान खबर नहीं होने देती थी,,,,,,, यही वजह थी कि आज तक किसी को कानों कान इस बात की भनक तक नहीं थी कि लाला की बहन चरित्र की गिरी हुई औरत है,,,,।
Madhu pani bharte huye


अच्छी सी जगह देखकर सोनी खड़ी हो गई थी वह पेशाब करने की तैयारी में थी उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी होती वास्तव में सोनी को इस हाल में देख पाना कि शायद मर्दों की किस्मत की बात थी लेकिन अब तक उसे पेशाब करते हुए किसी ने नहीं देखा था,,,, लेकिन आज शायद जो अभी तक नहीं हुआ था आज होने वाला था,,,,,,,


क्या हुआ मालकिन रुकी में कर लो ना यहां कौन देखने वाला है,,,,

Madhu ki madak adaa kapde dhote huye

english to binary



हां यही तो देख रही हूं पूरी तरह से तसल्ली कर लेने के बाद ही औरतों को बैठ कर पेशाब करना चाहिए नहीं तो तू मर्दों की नजर को तो जानती ही है,,,,


हां मालकिन आप सच कह रही हो,,, मर्दों को तो बस मौका मिलना चाहिए तांक झांक करने का,,,,मैं भी जा अपने घर के पीछे पेशाब करने के लिए जाती हूं तो सामने वाले घर का जवान लड़का हमेशा घूरते रहता है,,,, मुझे तो बहुत शर्म आती है लेकिन क्या करूं मजबूरी रहती है,,,।
Soni raju k khyalo me khoyi huyi


हां यही तो किसी को पता भी नहीं सकती ना ही कुछ कह सकती हो अगर बोलोगी तो बोलोगी भी गोल-गोल बात को घुमा देंगे,,,

हां मालकिन,,,, सच कह रही हूं एक दो बार बोलने की कोशिश भी की,,, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ बल्कि वह तो यह कह कर मेरा मुंह बंद कर दिया कि वह सबको बता देगा कि जानबूझकर मैं जब खड़ा रहता हूं तभी आ कर के पेशाब करती है,,, और मुझे गंदे गंदे इशारे करके अपने पास बुलाती है,,,, सच कहूं तो यह सुनकर मेरी तो बोलती ही बंद हो गई,,,, दुनिया वालों को तो आप जानती ही हो,,,, घुमा फिरा कर इसमें मेरा ही दोष देते,,,,,


अच्छा की तूने की बात को आगे नहीं बढ़ाई वरना गांव वाले तेरा ही दोष देते,,,, औरतों की गांड को इस हाल में देखना मर्दों को कुछ ज्यादा ही अच्छा लगता है तू जानती है मर्द को औरत की गांड सबसे ज्यादा अच्छी लगती है खास करके बड़ी बड़ी गोरी गांड,,,, ईसी के पीछे लट्टु होकर घूमते रहते हैं,,,,।
(सोनी और उसकी सहेली शांति दोनों आपस में बातें कर रहे थे कि हम दोनों की फुसफुसाहट राजू के कानों तक पहुंच गई,,, वह बकरियां चराने आया थाऔर उसे की पेशाब लग गई थी इसलिए वहां झाड़ियों के अंदर चला आया था क्योंकि यहां पर ठंडक थी और बाहर खड़ी थी आने की वजह से गर्मी लग रही थी,,,, उन दोनों औरतों को झाड़ियों के बीच खड़ा देखकर उन दोनों को बातें करते हुए देखकर राजू एक पेड़ के पीछे छुप गया और उन दोनों को चोर नजरों से देखने लगा सोनी पर नजर पड़ते ही उसके होशो हवास उड़ने लगे थे क्योंकि सोनी बेहद खूबसूरती भरा हुआ बदन राजू के होश उड़ा रहा था,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस समय यह दोनों झाड़ियों के बीच क्या कर रही थी,,,, इसलिए एकदम चोर कदमों से पेड़ के पीछे छुप कर उन दोनों की क्रियाकलापों को और उनकी बातों को सुनने लगा,,, अभी तक राजू इस बात का अंदाजा भी नहीं लगा पाया था कि वह दोनों झाड़ियों के अंदर करने क्या है और वह भी इतनी खड़ी दुपहरी में,,,)

इसीलिए शांति मैं जितना हो सकता है उतना अपने आप को बचाकर रखती हूं कहीं भी आते जाते रास्ते में कहीं के साथ लगती तो मैं ऐसी जगह को तलाश करती हूं जहां पर कोई नहीं होता झाड़ियों के पीछे छुप कर ही मौके साफ करती हूं क्योंकि मैं चाहती हूं कि कोई मर्द मेरी गांड को देख ना पाए,,,, क्योंकि मर्दों को औरतों की क्या पसंद होती है,,,,(शांति की तरफ प्रश्नवाचक दृष्टि से देखते हुए बोली,,,)


गांड,,,,,,(शांति हंसते हुए बोली)


हां,,,,,, अब जाकर तुझे समझ में आया है,,,,

(गांड शब्द सुनकर और उन दोनों का हंसना देकर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी क्योंकि उसे लगने लगा कि कुछ ना कुछ जरूर होने वाला है,,,, उसका दिल जोरो से धड़कने लगा,,,,,)


जल्दी से पेशाब कर लेती हूं वैसे ही देर हो चुकी है,,,,।
(यह सुनकर तो राजू की सांसे अटक गई खूबसूरत औरत के मुंह से वह पेशाब करने की बात सुन रहा था,,, और उसके हाव-भाव से राजू को ऐसा ही लग रहा था कि वह उसकी आंखों के सामने ही पेशाब करने वाली है,,,, यह एहसास राजू के लंड में हरकत करने को मजबूर कर दिया और पल भर में ही राजू का लंड अपनी औकात में आ गया,,,, राजू को दूसरी वाली जिसका नाम शांति था ठीक-ठाक लग रही थी लेकिन गोरे बदन वाली हुस्न की मल्लिका सुडोल देह वाली सोनी राजू के तन बदन में आग लगा रही थी उसका गोरा बदन गठीला तराशा हुआ जिस्म राजू के लंड की अकड़ को बढ़ा रही थी,,,, वह अपने सांसो को दुरुस्त किए हुए उस नजारे को देख रहा था जहां पर सोनी खड़ी होकर अभी भी चारों तरफ देख रही थी जहां पर वह खड़ी थी वह जगह थोड़ी सी खुली हुई थी बाकी झाड़ियों से गिरी हुई थी,,,,।जब वह चारों तरफ तसल्ली भरी नजर से घूम कर देख रही थी तभी राजू कि मुझे उसकी गोलाकार गांड पर पड़ी थी तभी से वह उसकी गांड का दीवाना हो गया था,,,, अच्छी तरह से समझ गया था कि साड़ी के अंदर उसका बदन किसी बेश कीमती खजाने से कम नहीं है,,,, राजु उसकी गांड देखने के लिए लालायित हो गया,,,,


अरे मालकिन अब करोगी भी या चक्रर पकर देखती ही रहोगी,,,।


हां हां कर रही हैं मुझे भी जोरों की ही लगी है,,,,
(इतना कहकर वह धीरे-धीरे की साड़ी को उठाना शुरू कर दिया देखकर राजू के तन बदन में आग लगने लगी उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी सोनी पेशाब करने के लिए पूरी तरह से तैयार थी और देखती देते उसकी साड़ी घुटनों तक आ गई राजू की किस्मत बड़े जोरों पर थी क्योंकि उसकी पीठ ठीक राजू के सामने थे मतलब की राजू उसकी गांड के प्रति पूरी तरह से मोहित था और थोड़ी देर में उसने उसकी नंगी गांड दिखने वाली थी पेशाब तो राजू कभी-कभी थी लेकिन इस समय अपनी सांसो को भी रोक कर खड़ा था कि उसकी आहट का उन दोनों को पता ना चल जाए वरना एक खूबसूरत दृश्य पर परदा पड़ जाएगा,,,। सोनी की मांसल पिंडलिया बहुत खूबसूरत लग रही थी सोनी की साड़ी घुटनों तक आ चुकी थी,,,, शांति भी खड़ी होकर सोनी को ही देख रही थी क्योंकि सोनी को भी पता था की खूबसूरती में वह सबसे आगे थी,,, गोरा रंग होने के कारण उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहता था,,, राजू से भी रहा नहीं जा रहा था मुठ मारने के लिए उसकी आंखों के सामने बेहद कामुकता भरा दृश्य नजर आ रहा था इसलिए वह इस दृश्य का पूरा फायदा उठाते हुए अपने पजामे को नीचे करके अपने लंड को बाहर निकाल लिया और सोनी की कामुक अदाओं को देखकर धीरे-धीरे अपने लंड को हीलाना शुरू कर दिया,,,।

कैसा लग रहा था कि मानो सोनी को सब कुछ पता हो और वह धीरे-धीरे अपनी खूबसूरत बदन को दिखाकर राजू को तड़पा रही हो,,,, वह उसी अदा से धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी शांति को भी मजा आ रहा था एक औरत होने के नाते एक औरत की खूबसूरती से उसे अपने अंदर जलन भी महसूस हो रही थी लेकिन कर भी क्या सकती थी आखिरकार वह उसकी मालकिन जो थी और उसे सहेली की तरह रखती थी,,, जैसे-जैसे सोनी की दूधिया मोटी मोटी जांघें नजर आने लगी वैसे वैसे सोनू का हाथ अपने लंड पर बड़ी तेजी से चलने लगा,,, केले के तने की तरह एकदम चिकनी जांघों को देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था वह उसकी गोरी चिकनी जानू को अपने होठ लगाकर चूमना चाहता था अपनी जीभ से चाटना चाहता था,,,,,पहले उसके मन में इस तरह के ख्याल कभी भी नहीं आती थी उसकी आंखों के सामने बने कितनी खूबसूरत औरत क्यों ना खडी हो लेकिन जब सेबुर्के नमकीन रस का स्वाद उसके मुंह लग गया तब से औरतों को देखने का नजरिया उसका बदल गया था और उन्हें देख कर वो अपने मन में गंदे विचारों को जन्म देने लगा था,,, इसीलिए इस तरह के गंदे ख्याल सोनी को देखकर उसके मन में उम्र रहे थे देखते देखते सोनी की साड़ी कमर तक आ गई,,, यह नजारा देखकर राजू को लगने लगा कि कहीं उसकी सांसे ना अटक जाए,,,,,,
Soni jhadiyo k bich


कुदरत का बनाया हुआ बेहद खूबसूरत अंग उसकी आंखों के सामने एकदम नंगा था जिसे देखकर राजू की संभोग की इच्छा तीव्र हो रही थी वह उस औरत की चुदाई करने की अभिलाषा रखने लगा,,,, उसका बस चलता तो अभी उसे यही पकड़ कर पटक कर चोदने लगता लेकिन राजू का चरित्र अभी इतना गिरा नहीं था कितनी घिनौनी हरकत करता वह रजामंदी होने पर ही चुदाई करता अपनी मनमानी कभी नहीं करता क्योंकि इतना तो उसे ज्ञात हो ही चुका था की मर्जी के बिना मजा भी नहीं आता,,,,

सोनी अपनी साड़ी को कमर तक उठाए खड़ी थी उसकी गोरी गोरी उभरी हुई गदराई गांड सुनहरी धूप में चमक रही थी,,,। एक अजीब सा मादकता भरा आकर्षण सोनी की गांड में था जिसे देखकर राजू पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,, शांति भी इसके आकर्षण से बच नहीं पाई थी वह भी अपनी तिरछी नजर से सोनी की गांड को देख रही थी यह देख कर सोनी बोली,,,,,।


तुम ऐसे क्यों देख रही हो तुम्हारे पास भी तो ऐसे ही है,,,


तुम्हारी बहुत खूबसूरत है एकदम गोरी गोरी और उभरी हुई,,,, सच कहूं तो मर्दों को तुम्हारी जैसी ही गांड अच्छी लगती है,,,


तुम्हें कैसे मालूम ,,,(सोनी मुस्कुराते हुए बोली)


मैं किसी लड़के के मुंह से सुनी थी कि उन लोगों को औरत की बड़ी-बड़ी गाड़ी हई पसंद आती है,,,


तुम्हारी भी तो है,,,,


लेकिन तुम्हारी तरह नहीं है मालकिन,,,, काश मेरी भी तुम्हारी जैसी होती तो अब तक ना जाने कितनों को अपने पीछे पीछे घुमाते होती,,,,।


चल बड़ी आई मर्दों को पीछे पीछे घुमाने वाली अगर कोई पीछे पड़ गया ना तो उस दिन समझ में आएगा,,,, की कितनी बड़ी मुसीबत मोल ले ली है,,,,‌।

(राजू उन दोनों की बातों को सुनकर पूरी तरह से उत्तेजित बजा रहा था क्योंकि वह दोनों गार्ड की खूबसूरती के बारे में ही बातें कर रही थी और अपने मुंह से ही बता रही थी कि औरतों की बड़ी-बड़ी गाड़ी मर्दों को ज्यादा पसंद आती हो और उन दोनों का कहना भी सही था क्योंकि राजू खुद यह अब हंस कर चुका था कि उसे भी औरतों की बड़ी-बड़ी गांड ही पसंद आती है,,,, राजू जोर-जोर से मुट्ठ मार रहा था,,,, राजू के पास चुदाई करने के लिए दे दो बुर का जुगाड़ थालेकिन इस समय यहां पर उन दोनों दोनों में से कोई भी बुर उपस्थित नहीं थी और इसलिए लंड की गर्मी को शांत करने के लिए बस यही एक तरीका रह गया था,,,, जिसे वह बखूबी निभा रहा था,,,)

चलो बहुत देर हो गई है भैया को पता चलेगा कि मैं इतनी देर गांव में लगा दी तो गुस्सा करेंगे,,,,
(और इतना कहने के साथ ही सोनी अपनी बड़ी बड़ी गांड लेकर वहीं बैठ गई ठीक राजू की आंखों के सामने और अगले ही पल पेशाब करने लगी,,,, क्षण भर में ही मुतने की मधुर धुन बांसुरी की ध्वनि की तरह राजू के कानों में सुनाई देने लगी राजू एकदम बावला हो गया या मधुर धुन सुनकर उसके होश उड़ गए और वह जोर-जोर से अपना लंड हिलाना शुरू कर दिया पीछे से सोनी का पिछवाड़ा देखकर राजू की हालत खराब होने लगी,,,,,, सोनी का पिछवाड़ा राजू को इतना खूबसूरत लग रहा था मानो कि जैसे खेतों में दो खूबसूरत बड़े-बड़े तरबूज रख दिए गए हो,,,, राजू का मन इस समय उसकी गांड चाटने को कर रहा था हालांकि अभी तक राजू में ना तो कमला चाची की और ना ही अपनी बुआ गुलाबी की गांड को चाटा था,,, लेकिन इस समय सोने की खूबसूरती और उसकी खूबसूरत गांव को देखकर उसके मन में यह इच्छा तीव्र हो रही थी,,,,
Soni ko pesab karte huye dekh kar raju ekdam mast ho raha tha

बुर से निकल रही सीटी की आवाज बांसुरी की मधुर धुन की तरह उसे मोहित कर रही थी,,,, सोनी बड़ी आनंदित होकर मूत्र विसर्जन कर रही थी,,,, बड़े जोरों की पेशाब लगने की वजह से उसे राहत महसूस होने लगी थी,,,, अपने पैरों के आगे की घास को वह पूरी तरह से अपने पेशाब से भिगो डाली थी मानो कि जैसे घास में पानी दिया गया हो,,,राजू जानता था कि थोड़ी देर में पेशाब करके वह उठ जाएगी और एक खूबसूरत नजारे पर पर्दा डाल देगी इसलिए वह उसकी खूबसूरत गांड की आकर्षण मैं जोर-जोर से मुठ मार कर अपना पानी निकाल देना चाहता था इसलिए उसकी हथेली बड़ी जोरों से चल रही थी,,,,, और थोड़ी ही देर में जैसे ही हो पेशाब करके खड़ी हुई अपनी साड़ी को वह नीचे करती इससे पहले ही राजू के लंड से गर्म पानी की पिचकारी फुट पड़ी,,,राजू के लिए पहला मौका था जब वह बाहर किसी औरत को नग्न अवस्था में देखकर अपना लंड हिला कर पानी निकाला था उसे बहुत ही मजा आया था लेकिन उस औरत को चोदने के ख्याल से यह मजा कम ही था,,,,

राजू की आंखों के सामने ही वह अपनी साड़ी को नीचे करके फिर से बेश कीमती खजाने को छुपा ली,,,,राजू अपने क्यों जाने को ऊपर करके हम खड़ा रहा मैं देखना चाहता था कि वह दोनों जाती कहां है,,,, तभी सोनी बोली,,।


चल जल्दी कर गांव से लौटना भी है,,,,
(इतना कहने के साथ ही वह दोनों झाड़ियों से बाहर निकल गई और राजू भी अपनी बकरी को लेकर गांव की तरफ जाने लगा क्योंकि वह दोनों उसी तरफ जा रही थी)
Aap itna accha lekhete ho rhonny bhai ki bolne ke liye mere pass kuch sabda hi nahi....
 
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