• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest बैलगाड़ी,,,,,

rohnny4545

Well-Known Member
13,316
34,741
259
बहुत ही बेहतरीन अपडेट

लगता है कि सोनी आम के बाग में आज ही अपने आमों का रस राजू को पिला देगी


और राज से आज ही अपनी गुरु दक्षिणा भी वसूल कर लेगी



अगले अपडेट का बहुत बेसब्री से इंतजार है जिसमें राजू और सोनी के बीच के संभोग दृश्य हमें पढ़ने को मिलेंगे
Thanks for your'omments dost
 

MaijuLover

New Member
82
186
33
सोनी आज बहुत खुश नजर आ रही थी,,,, जिसे वह महीनों से ढूंढ रही थी आज वह उसके पास पढ़ने के लिए आ रहा था सोनी को यह पता नहीं था कि वह उसे वास्तव में शिक्षा का अभ्यास कराने के लिए बुला रही थी या,,, संभोग कला के अध्याय के हर एक पन्ने को बड़ी बारीकी से पढ़ाने के लिए,,,,,,, सोनी को अपनी मदमस्त जवानी पर पूरा भरोसा था कि वह राजू को अपनी दोनों टांगों के बीच लेकर आएगी,,, और अपनी प्यासी जवानी की प्यास बुझाएगी,,, राजू के जबरदस्त लंड की वजह से उसकी रातों की नींद हराम हो गई थी,,, दिन रात उसकी आंखों के सामने राजू का टनटनाया हुआ लंड ही नजर आता था,,। जिसे पाने के लिए उसे अपनी बुर के अंदर लेने के लिए उसका तन बदन मचल रहा था,,,,,।किसी भी हाल में वह राज्यों को अपने आगे घुटने टेक देने पर मजबूर करने के लिए पूरी तैयारी के साथ घर से निकली थी,,, अपने नितंबों पर साड़ी का कसाव कुछ ज्यादा ही बढ़ा कर उसने साड़ी को पहनी थी,,, ताकि उसकी गांड और ज्यादा बड़ी लगे क्योंकि वह अच्छी तरह से जानते थे कि मर्दों की निगाह औरतों के किस अंग पर सबसे पहले पडती है और सबसे ज्यादा आकर्षित करती है,,, औरतों की बड़ी बड़ी गांड देखकर ही मर्दों की उत्तेजना ज्यादा बढ़ जाती है इसीलिए वह किसी भी प्रकार की कसर छोड़ना नहीं चाहती थी वह चाहती थी कि उसकी बड़ी-बड़ी मटकती गांड देखकर राजू पूरी तरह से मदहोश हो जाए उसका ईमान डगमगा जाए,,,, और इसीलिए ब्लाउज भी अपनी चूचियों की साईज से छोटा ही पहनी थी,,, और उसकी चुचियों की बीच की गहरी लकीर काफी लंबी नजर आ रही थी,,,, और आधे से ज्यादा चुची ब्लाउज से बाहर जा रही थी,,,, और आज उसने साड़ी भी पारदर्शी पहनी हुई थी जिसमें से सब कुछ नजर आ रहा था,,, कुल मिलाकर यह सब सोनी ने राजू के लिए जाल बिछा कर रखी थी उसे एक पंछी की तरह अपनी जवानी के जाल में फंसाना चाहती थी,,,,और वैसे भी दुनिया का कौन सा मर्द होगा जो ऐसी खूबसूरत औरत की मदमस्त जवानी के जाल में फंसना चाहता हो,,,,,,

Soni ki badi badi chuchiyo ko dekh kar raju ka man use dabane ka kar raha tha

आम का बगीचा सोनी का ही था गांव से अलग होने की वजह से यहां पर कोई आता जाता नहीं था इसलिए शिक्षा और संभोग के लिए ये जगह बहुत अच्छी थी,,,,,,, सोनी ऊंची नीची पगडंडियों से होती हुई आगे बढ़ रही थी और ऊंची नीची पगडंडियों पर पैर रखने की वजह से उसकी गांड की थिरकन कुछ ज्यादा ही बढ़ जा रही थी,,, बेहद मादक और अद्भुत दृश्य था,,, सोनी को इस तरह से ऊंची नीची पगडंडियों पर चलते हुए देखना भी,,किस्मत की बात थी उसकी मदमस्त कर देने वाली गांड की चाल देखकर अच्छे अच्छों का लंड खड़ा हो जाता था और यह बात सोनी भी अच्छी तरह से जानती थी,,,, उसके लिए यह बात सबसे अच्छी थी कि वह काम से बाहर रहती थी और गांव और बगीचे के बीच का रास्ता हमेशा सुनसान रहता था,,,, इसलिए उसकी ऐसी मादक चाल देखने वाला वहां कोई नहीं था,,,।
थोड़ी देर में चलते-चलते सोनी अपने गंतव्य स्थल पर पहुंच गई,,, आम का बगीचा काफी बड़ा था,, और काफी खाना भी था उसे उसे बड़े-बड़े पेड़ और सभी पेड़ों पर आम लगे हुए थे,,,,, लदा लद आम लगे होने के कारण नजारा काफी खूबसूरत दिखाई दे रहा था,,,,,,, आम के बगीचे में एक झोपड़ी नुमा घर बना हुआ था,,,, जिसमें आम की रखवाली करने वाला माली रहता था लेकिन अभी वहां कोई नहीं रहता था,,,, पास में ही पानी पीने के लिए हेड पंप लगा हुआ था,,,,।
Raju ko yad karke soni ki chut gili huyi ja rahi thi

राजू श्याम और उसके दोस्त एक घने पेड़ के नीचे खड़े होकर सोनी का इंतजार कर रहे थे,,,,वह लोग आम के बगीचे को चकर पकर देख रहे थे क्योंकि उनमें से कोई भी यहां पर कभी भी नहीं आया था और इतने सारे आम लगे होने की वजह से वह लोगों के मुंह में पानी आ रहा था,,,, राजू को तो केवल सोनी का ही इंतजार था,,,, और सामने से आती हुई देखकर राजू का मन हर्षोल्लास से भर गया,,, उसके दिल की धड़कन तेज हो गई ऐसा लग रहा था कि जैसे आसमान से उतरकर कोई परी उसके सामने चलती हुई उसके पास आ रही हो,,,, अद्भुत मादस चाल देखकर राजू के साथ साथ बाकी लोगों का भी दिल मचलने लगा था,,,, सोनी बला की खूबसूरत थी,,,,। सभी के सभी आख फाड़े उसी को ही देख रहे थे,,,, उसका जलवा खूबसूरती अद्भुत थी,,,। पास में पहुंचते ही वह लोग शालीनता दिखाते हुए हाथ जोड़कर सोनी का अभिवादन किया जवाब में इतना भी मुस्कुरा कर उन लोगों का अभिवादन की,,,, खास करके उसकी नजर राजू पर ही टिकी हुई थी उसका भोला मासूम चेहरा देखकर सोनी को यकीन नहीं हो रहा था कि इतने मासूम भोले चेहरे वाले लड़के के पजामे में बलशाली औजार होगा,,,।

वह मादक मुस्कान बिखेरते हुए राजू से बोली,,,,

तुम जाओ पहले उसमें से टेबल लेकर के आओ,,,(उस घास फूस की झोपड़ी की तरफ उंगली से इशारा करते हुए बोली,,,आते ही राजू से बातचीत की शुरुआत होते ही राजू तो मन ही मन प्रसन्न होने लगा लेकिन श्याम अंदर ही अंदर क्रोधित होने लगा खुश होकर राजू तुरंत और छोकरी की तरफ गया और लकड़ी से बने दरवाजे को धीरे से खोलकर अंदर से टेबल लेकर बाहर आ गया,,,,।)
Soni apni chut ki pyas apni ungliyo se bujhane ki koshis karte huye


हां ठीक है इसे यहां पर रख दो,,,,(आपके घने पेड़ के नीचे छांव देखकर सोनी वही टेबल रखने के लिए बोली जिस पर बैठकर वह उन लोगों को पढ़ाने वाली थी,,, राजू अच्छे से साफ करके टेबल वही रख दिया,,,, खास करके टेबल के ऊपर वाले भाग को वह अच्छे से साफ करके धुल मिटटी साफ कर दिया था ताकि,,,उसकी साड़ी गंदी ना हो जाए क्योंकि टेबल पर ही वह अपनी खूबसूरत गांड रखकर बैठने वाली थी,,,,, राजू के हाऊ भगत को देखकर सोनी मन ही मन खुश होने लगी और मुस्कुराते हुए टेबल पर अपनी गांड रख कर बैठ गई,,,,)

अब तुम लोग बैठ जाओ,,,,

(सोनी की बात सुनते ही लड़की नीचे जमीन पर बैठ गए,,, और वह एक शिक्षिका के तौर पर उन लड़कों से बोली,,)

आज तुम लोगों का पहला दीन है,,,, इसलिए एक दूसरे का परिचय होना जरूरी है,,,, मेरा नाम सोनी है,,,, और तुम लोग अपना नाम एक-एक करके बताओ,,,,
(उसकी बात सुनकर सब लड़के बारी-बारी से अपना नाम बताने लगे,,, राजू की बारी है आते ही सोनी बोली)

तुम्हारा नाम क्या है,,,,


मेरा नाम राजू है,,,

बड़ा प्यारा नाम है,,,,
(इतना कहकर सोनी मुस्कुराने लगी राजू को भी सोने की बातें उसकी मुस्कुराहट बहुत अच्छी लग रही थी खास करके उसका ध्यान सोनी की छातियों पर जा रहा था,,, क्योंकि पारदर्शी साड़ी पहनी होने की वजह से उसकी भरपूर छातियां अपने संपूर्ण आभा बिखेर रही थी,,, राजू के मुंह में तो पानी आ रहा था ऐसा नहीं था की सिर्फ राजू की नजर उस पर थी,,, बाकी लड़कों की भी नजर उसकी गोलाकार छातियों पर जा रही थी ऐसा लग रहा था कि सभी के सभी पढ़ने नहीं करती उसे ताकने झांकने के लिए आए हैं,,, अपने नाम की तारीफ सुनकर राजू से भी रहा नहीं गया और वह भी जवाब में बोला,,,)


तुम्हारा नाम भी बहुत खूबसूरत है,,,सोनी,,, हम लोग आपको सोनी दीदी कह कर बुलायेंगे,,,

सोनी दीदी,,,,( राजू के मुंह से सोनी दीदी सुनकर वह अपने आप में ही बोलते हुए अपने मन में सोचने लगी कि सोनी दीदी,,,, अगर इन लड़कों के साथ राजू कि मुझे सोनी दीदी कहेगा तो मैं तो उसकी बड़ी बहन हो जाऊंगी तभी उसके मन में ख्याल आया कि वैसे तो वह अपने बड़े भाई की भी छोटी बहन है फिर भी तुम अपने बड़े भाई से चुदवाती है अगर राजू भी उसे चोदेगा तो कौन सी आफत आ जाएगी,,, मन में यह ख्याल आते ही उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी और वह मुस्कुरा कर बोली,,,)

ठीक है तुम लोग मुझे सोनी दीदी कहना,,,, अच्छा यह तो हो गया हम लोगों का परिचय अब थोड़ी पढ़ाई कर लेते हैं इससे पहले तो तुम लोग कभी पढ़े नहीं होगे,,,
Soni ki madhosh jawani



जी सोनी दीदी,,,,(श्याम एकदम से बोला क्योंकि वह भी सोनी से किसी भी तरह से बातचीत करना चाहता था)


ठीक है इसलिए तुम लोगों को शुरू से पढ़ाना होगा तभी जाकर कुछ सीख पाओगे वरना कुछ नहीं आएगा,,,,,, तुम लोग पहले थोड़ा थोड़ा दूरी बना कर बैठ जाओ क्योंकि तुम लोगों के पास लिखने के लिए पाटी नहीं है,,,कुछ दिन तक ऐसे ही पढ़ लो उसके बाद में तुम लोगों को पाटी लाकर दूंगी तब उस पर लिखना,,,।


ठीक है दीदी,,,,(उनमें से एक लड़का बोला और सभी लोग अपने से थोड़ी थोड़ी दूरी बना कर बैठ गए,,,)

हां अब ठीक है,,,,अब मैं तुम लोगों को क ख ग घ सिखाऊंगी,,,,(इतना कहते हुए वह टेबल पर से उठ कर खड़ी हो गई,,,जिस पेड़ के नीचे बैठी थी उस पेड़ की तरफ मुंह करके कुछ सोचने लगी ऐसा करने पर उसकी पीठ उन लड़कों की तरफ हो गई और सभी लड़कों की नजर उसकी कसी हुई गांड पर चली गई जो कि बेहद आकर्षक लग रही थी उसकी पतली चिकनी कमर देख कर ऊन लड़कों का ईमान फिसल रहा था,,, श्याम की भी हालत पतली हो रही थी राजू पूरी तरह से उसके रूप रंग का दीवाना हो गया था,,, राजू अच्छी तरह जानता था कि साड़ी के अंदर वह गजब का माल छुपा कर रखी है क्योंकि वह इकलौता सक्सेना उन लड़कों में जिसने अपनी आंखों से सोनी की नंगी गांड को देखा था उसे पेशाब करते हुए देखा था,,, और उसकी मदमस्त गोरी गोरी गोल गांड को देखकर उसका दीवाना हो गया था और साथ ही पेशाब करते समय उसकी बुर से निकल रही मधुर आवाज को सुनकर वह पूरी तरह से बावला हो गया था जिसके चलते वह अपने आप पर काबू नहीं कर पाया था और उसी जगह पर उसे पेशाब करते हुए देख कर मुठ मारना शुरू कर दिया था और वहीं पर अपना पानी गिरा दिया था,,,,बाकी के लड़के तो सिर्फ उसके बारे में कल्पना भर कर सकते थे लेकिन राजू ने जो देखा था शायद इस बारे में उन लोगों को आभास तक नहीं था इसीलिए तो राजू अच्छी तरह से जानता था कि उसकी कसी हुई साड़ी के अंदर कैसा बवाल छुपा हुआ है जिसे देख कर राजू का लंड तुरंत खड़ा हो गया था,,,,। सोनी कुछ देर तक पेड़ की तरफ देखकर सोचती रही फिर वापस मुड़कर,,, राजू से बोली,,,।


राजू तुम मेरे साथ चलो झोपड़ी में से ब्लैक बोर्ड लाना है,,,(ऐसा कहते हुए वहां अपनी साड़ी की किनारी को अपनी कमर में खोसने लगी यह नजारा राजू के साथ सर बाकी लड़कों के लिए भी जान लेवा था मांसल चिकनी कमर देखकर सभी लड़कों के मन पर भारी असर हो रहा था सोनी की बात सुनकर,,, राजू आश्चर्य जताते हुए बोला,,,)

क्या क्या-क्या लाना है दीदी,,,,


अरे तुम चलो तो सही,,,(सोनी अच्छी तरह से जानती थी कि ब्लैक बोर्ड के बारे में इन लोगों को कुछ भी पता नहीं है इसीलिए वह बताना नहीं बल्कि दिखाना चाहती थी,,,, और इतना कहकर वह आगे आगे चलने लगी,,,,राजू अपनी जगह पर खड़ा हो गया था और उसके पीछे-पीछे चलने लगा था उसके पीछे-पीछे चलने में भी राजू की हालत खराब हो रही थी क्योंकि उसकी आंखों के सामने ही उसकी मतवाली मदमस्त बड़ी बड़ी गांड मटक रही थी उसे देखकर राजू का मन कर रहा था कि आगे बढ़ कर उसकी गांड को अपनी बाहों में भर लें और उस पर चुंबनों की बरसात कर दें,,, सोने की जवानी पूरी तरह से गदराई हुई थी उसकी जवानी को रोंदने वाला उसके रस को निचोड़ने वाला मर्द अभी तक उसे मिला नहीं था,,, इसलिए उसकी जवानी और ज्यादा उफान मार रही थी,,,, श्याम और उसके साथी उन दोनों को जाते हुए देखते रह गए उसकी मटकती हुई गांड को देखकर श्याम आपने साथी से बोला,,)

हाय क्या चीज है यार कसम से अगर ये अपनी आंखों के सामने कपड़े उतार कर नंगी हो जाए तो मुझे तो लगता है कि हम लोगों का खड़े-खड़े पानी निकल जाए,,,,


हां यार सच कह रहा है तू शायद इसकी जवानी को संभाल पाना अपने लोगों के बस की बात नहीं है,,, इसलिए तो राजू ही ठीक है,,,,,
(अपने साथी की इस तरह की बातें सुनकर श्याम उसे गुस्से से देखने लगा और बोला)

क्यों रे पागल हो गया क्या तू हम लोगों में कौन सी कमी है जो हम लोग इसकी जवानी को संभाल नहीं पाएंगे,,,


अरे यार तू नाराज मत हो लेकिन तो यह बात अच्छी तरह से जानता है कि औरतों को मोटे तगड़े लंबे लंड से ही मजा आता है और राजू का लंड देखा हा ना तु तेरी बोलती बंद हो गई थी,,,,
(राजू के लंड का जिक्र आते ही श्याम खामोश हो क्या क्योंकि वह अपनी आंखों से देख चुका था वाकई में उसका लंड एकदम मुसल कि तरह था,,, उन लोगों की बात सुन उनका एक साथी बीच में बोल पड़ा ,,,)


अरे तुम लोगों की शामत आई है क्या अपनी मौत को दावत दे रहे हो,,, उसके बारे में गंदी गंदी बातें कर रहे हो अगर पता है उसे भनक लग गई तो क्या होगा,,,,, साले मारे जाओगे पता भी नहीं चलेगा कहां चले गए लाला की बहन है,,,, और उसके पास हम लोगों की सब लोगों की जमीन गिरवी पड़ी है कुर्सी पता चल गया कि तुम लोग उसकी बहन के बारे में गंदी गंदी बातें करते हो तो तुम्हारी जुबान खींच लेगा,,,,


(उसकी बात सुनते ही सब खामोश हो गए क्योंकि जो कुछ भी वह कह रहा था वह सच था ,,, लाला बहुत हारामी था और उसके पास सभी लोगों की जमीन गिरवी पड़ी थी इसलिए कोई भी उससे जानबूझकर भी दुश्मनी मोल लेना नहीं चाहता था इसलिए वह लोग एकदम खामोश बैठे हैं और राजू और सोनी दोनों ऊस छोटे से झोपड़ी के करीब पहुंच गए,,,,।)

अब क्या करना है दीदी,,,,


दरवाजा खोलो,,,,,

(इतना सुनते ही राजू लकड़ी के दरवाजे को धीरे से खोल दिया पहले सोनी जोकि लंबाई में थोड़ी बड़ी होने के नाते अंदर प्रवेश करते समय थोड़ा सा झुककर अंदर की तरफ जाने लगी और इस तरह से झुकने में उसकी बड़ी बड़ी गांड बाहर की तरह उभर कर सामने आ गई है देखकर राजू का मन कर रहा था कि उसे पीछे से पकड़ ले उसके साड़ी कमर तक उठाकर उसकी चुदाई कर दें लेकिन ऐसा कर सकने की हिम्मत उसने बिल्कुल भी नहीं दी क्योंकि वह यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि वह लाला की बहन थी,,, सोनी के अंदर प्रवेश करते ही राजु भी पीछे पीछे हल्का सा झुककर अंदर घुस गया,,, अंदर पहुंचते ही बोला,,,)

Soni ki tu thirkati huyi badi badi gaand dekhkar raju ekdam madhosh gaya

host image
अब क्या करना है दीदी,,,?


कहीं-कहीं ब्लैक बोर्ड रखा होगा,,, उसे ढूंढना है,,,(सोनी इधर-उधर चकर पकर देखते हुए बोली,,हालांकि वह झूठ तो रही थी ब्लैकबोर्ड लेकिन उसके मन में कुछ और चल रहा था वह किसी भी तरह से राजु को अपनी जवानी का जलवा दिखाना चाहती तो उसे अपनी जवानी का रस खिलाना चाहती थी उसे उत्तेजित करना चाहती थी इसीलिए उस बारे में युक्ति सोच रही थी,,,)

दीदी तुम जो कुछ भी कह रही हो इस बारे में मुझे बिल्कुल भी पता नहीं है,,,

मैं जानती हूं राजू,,,,(इतना कहते हुए उसे ब्लैक बोर्ड दिखाई दे क्या जो की झोपड़ी के अंदर थोड़ी ऊंचाई पर रखा हुआ था,,,, वह चाहती तो टेबल पर चढ़कर उसे उतार सकती थीलेकिन उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था क्योंकि झोपड़ी के अंदर आते ही उसकी नजर सीडी पर पड़ी थी जो कि तीन चार पट्टे की ही थी ज्यादा ऊंचाई उसकी नहीं थी और वह राजू को उत्तेजित करने के लिए उसी सीडी का उपयोग करना चाहती थी,,,)

राजू तुम वो सीढ़ी लेकर आओ,,,,(उंगली से कोने की तरफ इशारा करते हुए बोली और राजू तुरंत वह सीढी लेकर आ गया,,,)

लो दीदी,,,,(इतना कहते हुए वह सीडी को सोनी के एकदम करीब अपने हाथ का सहारा देकर रखते हुए बोला सोनी राजू की हर एक हरकत को देख रही थी उसे देखकर उत्तेजित होने जा रही थी बार-बार उसे उसके पजामे के अंदर उसका लंड झुलता हुआ नजर आ रहा था,,, सोने के मन में क्या चल रहा है राजू को इसका आभास तक नहीं था,,, अगर उसे पहले से ही सोने के मन का आभास हो जाता तो शायद यह सारा तिकडम रचाना ही नहीं पड़ता,,, अब तक तो वह सोनी की साड़ी उठाकर उसकी चुदाई कर दिया होता,,,,,,, सोनी उस छोटी सी सीढ़ी को बड़े गौर से देख रही थी नीचे से दूसरे नंबर की पाटी,, एकदम ढीली थी जो कि कभी भी टूट सकती थी,,, और उसी को देखकर उसके मन में युक्ति जन्म ले रही थी उसका दिमाग बड़ी जोरों से चल रहा था शायद ऐसे मामले में उसका दिमाग और ज्यादा तेज चलने लगता था,,, सोनी जानबूझकर सीढ़ी के नीचे वाले पाटी की मजबूती परखने के लिए नीचे की तरफ झुक गई जिसकी वजह से उसके साड़ी का पल्लू उसके कंधे से नीचे गिर गया और उसकी मदमस्त कर देने वाली चुचियां,,,,जो कि जंगली कबूतर की तरह ब्लाउज के अंदर कैद अपने पंख फड़फड़ा रहे थे वह तुरंत बाहर आने के लिए बेकाबू हो गए,,,, सोने की भारी-भरकम छातियों को देखते हुए राजू की हालत खराब हो गई,,,, राजू का मन एकदम से ललच उठा,,,उसकी चुचियों को देखते ही राजु मन में ख्याल आने लगा कि एक एक चूची 1 लीटर दूध से भरी होगी,,,,जिसे मुंह में भर कर पीने में बहुत मजा आएगा,,,, चुचियों के साईज से छोटा ब्लाउज अपने छोटे-छोटे बटन के सहारे ना जाने कैसे उसकी भारी-भरकम चुचियों को सहारा देकर थामे हुए था,,,,,,अगर थोड़ा सा और झटका खाता तो शायद उसके ब्लाउज के बटन चरचरा कर टूट जाता है और उसकी मदमस्त कर देने वाली चूचियां एकदम से बाहर आकर राजू से गुफ्तगू करने लगती,,,,राजू अपने मन में यही सोच रहा था कि कहां से उसके ब्लाउज का बटन टूट जाता है तो उसे उसकी नंगी चूचियों को देखने का मौका मिल जाता नंगी गांड के दर्शन तो वह झाड़ियों में कर ही चुका था,,, वह एकटक आंखें आंखें झुकी हुई सोनी की ब्लाउज में लटक रहे चुचियों को देख रहा थाइस बेहद कामोत्तेजक नजारे का असर राजू को अपनी दोनों टांगों के बीच होता हुआ महसूस हो रहा था,,, उसके लंड में तनाव आना शुरू हो गया था,,, और सोनी अपनी जाल फेंकने में कामयाब हो गई थी लेकिन वह तसल्ली कर लेना चाहती थी कि वह पूरी तरह से अपनी चाल में कामयाब हुई है कि नहीं क्योंकि वह जानबूझकर इस तरह से चुकी थी और अपनी साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा ही थी यही देखने के लिए राजू की तरफ देखिए कि वह उसकी चूचियों की तरफ देख रहा है कि नहीं और उसे अपनी चूचियों की तरफ पागलों की तरह देखता पाकर वह मन ही मन खुश होने लगी,,,, जितना झलक दिखाना था उतना सोनी ने दिखा चुकी थी और मुस्कुरा कर अपने पल्लू को पकड़कर खड़ी होते हुए अपनी साड़ी के पल्लू को अपने कंधे पर रखकर दोनों हाथों से उसे अपनी छातियों पर खींचकर ढकते हुए बोली,,,


बाप रे मुझे तो शर्म आ रही है,,,,(राजू अभी भी उसकी भारी-भरकम छातियों की तरफ देख रहा था,,, राजू को इस तरह से ताकता हुआ देख कर सोनी को अपनी बुर में कुछ होता हुआ महसूस हो रहा था,,,, सोनी की बात सुनकर राजू बोला,,,)

किस बात के लिए दीदी,,,


इसीलिए कि मेरा साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिर गया,,,


अरे वह तो जानबूझकर थोड़ी ना गिरा है अनजाने में गिर गया,,,,,


हां कह तो तुम सच ही रहे हो,,,,(इतना क्या करूं मुस्कुराने लगी,,, और सीढ़ी को यह जगह लगाने के लिए बोल कर वह बोली,,,)

संभाल तो लोगे ना,,,


हां दीदी सामान तो लूंगा लेकिन मुझे कह दो मैं उतार दूंगा क्या उतारना है,,,


तुम्हें अगर मालूम होता तो तुम ही को बोलती लेकिन तुम्हें मालूम नहीं है इसलिए मुझे ही उतारना होगा,,,, तीन चार लकड़ियों के के बीच दबा हुआ है,,,,,,,


ठीक है दीदी तुम सीढ़ी पर चढ़ो मै संभाल लूंगा,,,


मेरा वजन ज्यादा है राजू,,,



कोई बात नहीं दीदी मैं भी हट्टा कट्टा जवान हूं आराम से संभाल लूंगा,,,
(राजू की बात सुनते ही सोनी मन ही मन मुस्कुराने लगी और अपने मन में ही बोली इसीलिए तो अपनी जवानी तुझे सोपने का इरादा कर लि हुं)

चलो तुम पर मुझे पूरा भरोसा है आराम से पकड़ना,,, दूसरे नंबर की पाटी एकदम कमजोर है,,,(सीढी को योग्य स्थान पर लगाते हुए वह बोली,,)

चिंता मत करो दीदी में गिरने नहीं दूंगा,,,(राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था सोनी के तन से उठा रही मादक खुशबू राजू को मदहोश कर रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था इतने करीब से वह सोनी के खूबसूरत बदन की गर्मी को अपने अंदर महसूस कर रहा था हालांकि वह पहले भीसाड़ियों के अंदर सोने की नंगी गांड को देख चुका है उस के नंगे पन के दर्शन कर चुका है लेकिन इस समय के हालात कुछ और थे,,, सोनी के द्वारा बिना कपड़े उतारे ही राजू पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था,,, इसका असर उसे अपने दोनों टांग के बीच होता हुआ महसूस हो रहा था,,,, राजू की बात सुनकर वह तसल्ली के साथ सीढ़ी पर चढ़ने लगी पहली सीढ़ी पर पैर रखने से पहले वह अपनी साड़ी को थोड़ा सा उठा कर अपनी कमर में खोंश दी जिससे उसकी साड़ी उसके घुटने तक उठ गई और उसकी नंगी दूधिया चिकनी पिंडलिया नजर आने लगी,,,जिसे देखते ही राजू की आंखों में हमारी जाने लगी राजू का मन उसकी नंगी चिकनी टांगों को छूने का कर रहा था लेकिन ऐसा कर सकने की हिम्मत उसमें बिल्कुल भी नहीं थी,,,, झोपड़ी के अंदर क्या हो रहा है बाहर बैठे लड़कों को इसका अहसास तक नहीं था लाला की बहन होने के नाते वालों किसी भी प्रकार की गलती नहीं करना चाहते थे इसलिए वहीं बैठे रह गए ,,, हालांकि उन लोगों के मन में भी उत्तेजना का सैलाब रहा था लेकिन किसी तरह से वह लोग अपने आप पर काबू किए हुए थे,,,


राजू की किस्मत बड़े जोरों पर थी कुछ ही दिन में उसे एक-एक करके नई-नई औरतों का संगत प्राप्त होता जा रहा था पहले कमला चाची फिर उसकी खुद की जवान होगा और अब लाला की बहन सोनी जो अपनी जवानी के जलवे बिखेर रही थी,,,, सोनी का भी दिल जोरों से धड़क रहा था साड़ी को थोड़ा सा उठा कर कमर मैं खोसने की जगह वह अपने मन में सोच रही थी कि क्यों ना साड़ी को कमर तक उठाकर राजू को अपने नंगे पन का दर्शन करा दे अपनी बुर्का दर्शन करा दे जिसे देखकर वह पूरी तरह से बावला हो जाए और उसका गुलाम बन जाए,,, लेकिन ऐसा करना शायद उसके भी संस्कार में नहीं था खुले तौर पर वह इस तरह की हरकत नहीं करना चाहती थी भले ही वह अपनी कामुक अवस्था को संभालना पा रही हो लेकिन खुले तौर पर इस तरह की हरकत उसे भी मंजूर नहीं थी वह इस खेल में धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहती थी,,,, ताकि राजू को भी लगे कि सब कुछ अनजाने में हुआ है,,,सोनी अपनी जवानी का जलवा बिखेरने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी और वह अपनी एक टांग सीढ़ी पर रखकर चढना शुरु कर दी थी पहली सीढ़ी मजबूत थी इसलिए उसे दिक्कत नहीं हुई लेकिन वो जानती थी कि दूसरी सीढ़ी कमजोर है और उस पर धीरे से पैर रखकर वह आगे बढ़ने लगी दूसरी सीढ़ी पर पहुंचते ही टांग उठाने की वजह से उसकी गोलाकार गांड बड़े-बड़े तरबूज की तरह उभर कर सामने आ गई,,, मानो कि जैसे खेतों में झाड़ियों के बीच सबसे बड़ा तरबूज उठाए खड़ा हो,,,,गोल गोल गांड देख कर राजू की हालत खराब हो रही थी उसका मन कर रहा था कि अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर उसकी गांड को थाम ले उसकी गर्मी को अपने अंदर महसूस करें,,, लेकिन वह सिर्फ देखता ही रह गया,,, देखते ही देखते सोनी तीसरे सीढ़ी पर चढ़ चुकी थी और नीचे खड़ा राजू,,, नजर उठाए ऊपर की तरफ देख रहा था उसकी कोशिश पूरी थी कि उसकी नजर उसकी साड़ियों के बीच अंदर तक पहुंच जाएं लेकिन सोनी नहीं पीनी भी साड़ी ऊपर नहीं उठाई थी कि उसकी नजर उसकी दोनों टांगों के बीच पहुंच पाती अंदर बहुत अंधेरा था इसलिए उसे कुछ नजर नहीं आ रहा था,,, सोनी राजू को बराबर समय दे रही थी ताकि वह उसकी खूबसूरत जवानी के रस को अपनी आंखों से पी सके,,,,,,।


ठीक से पकड़े रहना राजू,,,, कहीं में गिर ना जाऊं,,,


नहीं गिरोगी दीदी मैं पकड़ा हूं,,,


अरे सीढ़ी नहीं मेरे पैर पकड़ मेरे पैरों में कंपन हो रहा है मेरा पैर कांप रहा है,,,, कहीं में गिर ना जाऊं,,,,
(फिर पकड़ने वाली बात सुनकर राजू का दिल जोरो से धड़कने लगा एक तरह से उसके नंगे जिस्म को छुने का आमंत्रण था और वह ऐसा मौका भला कैसे अपने हाथ से जाने देता उसकी बात सुनते ही तुरंत सीढ़ीयों को छोड़कर वह सोने की टांग को पकड़ लिया और वही उसकी पिंडलियों को जिसे अपनी हथेली में दबाते ही उसका तन बदन जोश से भर गया,,,, और सोनी की भी हालत खराब हो गई राजू के प्रति को पूरी तरह से आकर्षित हो चुकी थी इसलिए कहा क्योंकि हथेली अपनी नंगी चिकनी टांग पर पढ़ते हैं उसकी बुर से मदन रस की बूंद टपक गई यह सोने की तरफ से राजू के चरणों में समर्पण का भाव था और पूरी तरह से राजू को समर्पित हो चुकी थी मन से लेकिन अभी तन से बाकी था,,,,)

अब ठीक है ना दीदी,,,


हां राजू संभालना,,,
(राजू का तो लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था पजामे में तंबू सा बन गया था,,,, सोनी ऊंचाई पर रखे हुए ब्लैक बोर्ड को उतारने लगी जो कि दो चार लकड़ियों के नीचे रखा हुआ था,,,,ब्लैक बोर्ड को उतारते समय उसके मन में गई हो रहा था कि राजू जिस तरह से नीचे खड़ा होकर ऊपर की तरफ देख रहा है अगर वह अपनी साड़ी को उठाकर थोड़ा और ऊपर कर दी होती तो उसे उसकी जवानी की दहलीज नजर आने लगती,,,और , राजू को वह पूरी तरह से अपना दीवाना बना देती,,,,लेकिन जितना भी व कर रही थी राजू के लिए काफी था राजू पूरी तरह से अपने अंदर उत्तेजना का अनुभव कर रहा था एक तो उसके बदन से उठ रही खुशबू उसके होश उड़ा रही थी,,, और ऊपर से वह उसकी नंगी पिंडलियों को पकड़े हुए था जिससे उसका जोश दुगुना होता जा रहा था,,,। उत्तेजना के मारे सोनी को भी अपनी कच्छी गीली होती महसूस हो रही थी,,।

जिस चीज को वह ढूंढ रही थी वह मिल चुका था वह उसके हाथों में था अब नीचे उतरना चाहती थी,,,, इसलिए मैं अपना एक पैर नीचे की तरफ लाकर पाटी,, पर रख दी,,,बार-बार राजू की नजर उसकी गोलाकार गांड पर चली जा रही थी जो कि ऊपर नीचे पैर करने की वजह से उसकी गांड कुछ ज्यादा ही उभरकर बड़ी हो जा रही थी जिसे अपने दोनों हाथों में थामने का मन कर रहा था,,,,, सोनी भी यही चाहती थी कि राजू अपने हाथों में उसकी दोनों गांड की फाको को थाम ले,,, और अपने मन में बस यही सोच ही रही थी वह सोच रही थी आखिरी सीढ़ी जब आएगी तो जरूर वह कुछ ऐसा करेगी जिससे राजू को उसकी गांड पकड़ना ही पड़ेगा,,,,। अंतिम दो सीढ़ी बाकी थी और दूसरे नंबर की सीढ़ी कमजोर थी वह तीसरी सीडी पर आराम से खड़ी थी,,,, राजू ठीक सीढ़ियों के इर्द गिर्द अपनी दोनों टांगों को रखकर बीचो-बीच खड़ा था,,, ताकि अगर सोनी गिरे तो वह उसे थाम ले,,,,वह दूसरी सीढ6 पर अपने पैर रखती ईससे पहले ही उत्तेजना के मारे वो एकदम से लड़खड़ा गई,,,,

अरे अरे राजू देखना,,,,( और उसका इतना कहना था कि उसका पैर फिसल गया तीसरी सीढ़ी से ही नीचे फिसल कर गिरने लगी,,,,, लेकिन राजू पूरी तरह सचेत था एकदम तैनात,,,, वह सोनी की टांगों को पकड़े रह गया और उसकी हथेली उसकी नंगी चिकनी टांग ऊपर फिसलते हुए जैसे-जैसे भी नीचे आ रही थी वैसे वैसे उसकी हथेली उपर की तरफ जा रही थी,,,,और उसके पैर नीचे जमीन को छूते इससे पहले ही राजू की हथेली उसकी कमर तक पहुंच गई थी और उसकी साड़ी कमर तक उठ गई थी क्योंकि राजू की हथेली उसकी कमर पर थी और उसकी सारी पूरी तरह से उसकी हथेली के ऊपर टिकी हुई थी,,, लेकिन राजू ने अपनी मजबूत हाथों का सहारा देकर उसे थाम लिया था उसे गिरने नहीं दिया था ना ही उसे चोट लगने दिया था,,,,।
जैसे ही सोनी के पैर जमीन पर पड़े उसकी सांसे तेजी से चलने लगी वो एकदम से घबरा गई थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह सीढ़ी पर से नीचे गिर गई है क्योंकि वह तो दूसरी सीढ़ी पर पैर रखकर सिर्फ नाटक करने वाली थी लेकिन वह हकीकत में ही गिर गई थी,,,,,, जब उसे इस बात का एहसास हुआ तब वह अपने आपको राजू की बाहों में पाई जैसा कि वह चाहती भी थी लेकिन यह सब अनजाने में हुआ था,,,, राजू की दोनों हथेली सोने की चिकनी मांसल कमर पर थी,,, जोकि राजु ने कभी ऐसा सपने में भी नहीं सोचा था,,,, सोनू का बदन राजू के बदन से एकदम चिपका हुआ था एक तरह से राजू ने उसे कमर पकड़कर अपनी बाहों में ले लिया था पजामे के अंदर राजू का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था जो कि तुरंत उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी बड़ी बड़ी गांड के बीच धंसना शुरू कर दिया था,,।राजू कोचर इस बात का एहसास हुआ तो वह पूरी तरह से मस्त हो गया पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगा क्योंकि वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसका लंड इस तरह से उसकी गांड को स्पर्श होगा,,, पल भर में राजू की सांसे तेजी से चलने लगी दूसरी तरफ सोनी की भी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,,,,


राजू ने उसे अपनी मजबूत बजाओ में पकड़ कर उसे गिरने से बचाया था इस बात की तसल्ली सोनी को अच्छी तरह से थी लेकिन जैसे ही उसे अपनी गांड के बीचों बीच कुछ कठोर चीज है जो भी महसूस हुई तो एकदम से दंग रह गई,,,तब जाकर उसे इस बात का अहसास हुआ कि वह राजू की बाहों में थी और राजू का लंड जोकि पजामे में होने के बावजूद भी उसकी गांड में धंशा जा रहा था,,, पल भर में सोनी की भी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,,, जिस तरह से वह राजू के साथ उसे उत्तेजित करना चाहते थे अनजाने में ही वह होता जा रहा था,,,

राजू के मोटे तगड़े लंबे लंड की ताकत को वह अपनी गांड पर महसूस कर रही थी,,,, उसे अंदाजा लग गया था कि राजू का लंड कितना दमदार है,,,वह अपनी स्थिति की तरफ ध्यान दे तो उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी साड़ी पूरी तरह से कमर तक उठ गई है और कमर के नीचे वह पूरी तरह से अपनी कच्छी को छोड़कर नंगी ही थी और उसका कच्छी के लिए सोनी को अपने आप पर गुस्सा आने लगा था अपने मन में सोचने लगी कि अगर कच्छी ना पहनी होती तो आज राजू के लंड को अपने गांड के बीचो बीच अपनी बुर पर महसूस कर ली होती,,,, राजू था कि उसे छोड़ने का नाम नहीं ले रहा था उसे तो मजा आ रहा था चिकनी कमर को अपने दोनों हाथों में थाम कर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह सोनी को चोदने की तैयारी कर रहा हो,,, राजू अपने आपको किस्मत वाला समझने लगा था मौके का फायदा उठाते हुए अपनी कमर को वह आगे की तरफ फैल रहा था जिसका एहसास सोनी को बड़े अच्छे से हो रहा था और राजू की इस हरकत पर वह पूरी तरह से पानी पानी हुए जा रही थी,,,उसे उम्मीद नहीं थी कि अनजाने में ही उसकी साड़ी कमर तक उठ जाएगी और वह भी राजू के हांथो,,,,।

सोनी अपने मन में सोच रही थी कि अब राजू छोड़ेगा अब राजू छोड़ेगा लेकिन ऐसा नहीं हो रहा था वह तो और मदहोशी के साथ उसे पकड़े हुए था और साथ ही पजामे में होने के बावजूद भी,,, अपने लंड को उसकी बड़ी बड़ी गांड के बीचो-बीच दे रहा था,,,, लेकिन उसे भी गांड के बीच कपड़ा सा महसूस हो रहा था इसलिए वह सोनी को ऊपर से नीचे की तरफ देख रहा था उसकी साड़ी पूरी तरह से कमर तक उठी हुई थी और इसीलिए उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार साड़ी पूरी तरह से ऊपर की तरह टूट जाने के बावजूद भी कौन सा कपड़ा लगा हुआ है क्योंकि वह भी नहीं जानता था कि शहरी औरतें साड़ी के अंदर कच्छी पहनती हैं,,,,,, सोनी की बुर पूरी तरह से पानी छोड़ रही थी,,, अगर बाहर दूसरे लड़के ना होते तो उसी समय राजू के लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवा ली होती,, लेकिन इस समय मजबूर थीलेकिन अपनी हरकत से भी राजू ने उसे पूरी तरह से उत्तेजना के महासागर में डुबो दिया था उसकी कच्ची पूरी तरह से काम रस से गीली हो चुकी थीउसे इस बात का डर था कि काफी समय हो गया था झोपड़ी के अंदर कहीं कोई लड़का यहां आ ना जाए इसलिए वह राजू से बोली,,,।



bbcode image
अच्छा हुआ राजू तूने मुझे संभाल लिया वरना आज तो मैं गिर गई होती,,,

मेरे होते हुए मैं तुम्हें गिरने नहीं दूंगा दीदी,,,


बस कर अब छोड़ो मुझे ब्लैकबोर्ड बाहर लेकर चलना है,,,

(राजू का छोड़ने का मन बिल्कुल भी नहीं कर रहा था सोने के बदन की गर्माहट उसे पूरी तरह से उत्तेजित किए हुए थी और उसकी बड़ी बड़ी गांड का स्पर्श पाकर उसका लंड लोहे के रोड की तरह हो गया था,,, लेकिन फिर भी उसकी बात मानते हुए वह उसे अपनी बाहों की कैद से आजाद कर दिया,,,, सोनी की सांसे अभी भी ऊपर नीचे हो रही थी,,,, राजू से अलग होते हैं सोनी अपनी साड़ी को व्यवस्थित करने लगी व्यवस्थित करते समय,,, राजू को उसकी कच्छी नजर आ गई जिसे देख कर उसे थोड़ा अचरज हुआ लेकिन समझ नहीं पाया,,,,सोनी बहुत खुश थी क्योंकि उसकी नजर राजू की पर जाने की तरफ चली गई थी जो की पूरी तरह से उठा हुआ था,, और वह यही चाहती भी थी,,, सोनी का दिल जोरों से धड़क रहा,,,अपनी साड़ी को व्यवस्थित करने के बाद वह मुस्कुराते हुए राजू के पजामे में बने तंबू को देख कर बोली,,।)


तो यही था जो मेरे पीछे चुभ रहा था,,, लगता है बहुत बड़ा है,,,।
(सोनी के मुंह से इतना सुनकर राजू पूरी तरह से उत्तेजना से गदगद हो गया उसे लगने लगा कि जैसे उसके लिए रास्ता साफ होता जा रहा है वह मन ही मन बहुत खुश होने लगा लेकिन अपने पजामे में बने तंबू को छुपाने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं किया,,,, बस खड़ा मुस्कुरा रहा था और उसकी मुस्कुराहट को देखकर सोनी भी समझ गई थी कि यही वह लड़का है जो उसकी जवानी की गर्मी को शांत करेगा,,,,)

चलो जल्दी चलो काफी देर हो गई में हमें,,,(इतना सुनकर जैसे ही राजू चलने को हुआ राजू के तंबू की तरफ देखते हुए वह बोली,,,)

इस हाल में चलोगे,,(उंगली से राजू के तंबू की तरफ इशारा करते हुए) ऐसे चलोगे तो वह लोग क्या सोचेंगे मैं चलती हूं तुम इस ब्लैकबोर्ड को साफ करके लेते आना तब तक तुम्हारे पजामे का तूफान शांत हो जाएगा,,, और हां सबके साथ छूटने पर जाना जरूर लेकिन थोड़ी देर में वापस इधर ही आ जाना क्योंकि मैं तुम्हारा यही इंतजार करूंगी,,,(इतना कहकर वो मुस्कुरा कर बाहर निकल गई और राजू उसे देखता रह गया और फिर जल्दी-जल्दी ब्लैकबोर्ड को साफ करने लगा,,, इतनी देर में उसका लंड शांत भी हो गया और वह ब्लैकबोर्ड लेकर बाहर आ गया,,,।)
Ekdam Kadak Update Bhai
 

Enjoywuth

Well-Known Member
4,172
4,710
158
Is trah ke kamuk update sirf Ronny bhai hi de sakte hain..Har kahani main ek naya pan aur naye kirdaar...Wakai Ronny bhai hindi ke jadugar ho aap... Lajawab..
 

Kammy sidhu

Member
258
515
108
सोनी आज बहुत खुश नजर आ रही थी,,,, जिसे वह महीनों से ढूंढ रही थी आज वह उसके पास पढ़ने के लिए आ रहा था सोनी को यह पता नहीं था कि वह उसे वास्तव में शिक्षा का अभ्यास कराने के लिए बुला रही थी या,,, संभोग कला के अध्याय के हर एक पन्ने को बड़ी बारीकी से पढ़ाने के लिए,,,,,,, सोनी को अपनी मदमस्त जवानी पर पूरा भरोसा था कि वह राजू को अपनी दोनों टांगों के बीच लेकर आएगी,,, और अपनी प्यासी जवानी की प्यास बुझाएगी,,, राजू के जबरदस्त लंड की वजह से उसकी रातों की नींद हराम हो गई थी,,, दिन रात उसकी आंखों के सामने राजू का टनटनाया हुआ लंड ही नजर आता था,,। जिसे पाने के लिए उसे अपनी बुर के अंदर लेने के लिए उसका तन बदन मचल रहा था,,,,,।किसी भी हाल में वह राज्यों को अपने आगे घुटने टेक देने पर मजबूर करने के लिए पूरी तैयारी के साथ घर से निकली थी,,, अपने नितंबों पर साड़ी का कसाव कुछ ज्यादा ही बढ़ा कर उसने साड़ी को पहनी थी,,, ताकि उसकी गांड और ज्यादा बड़ी लगे क्योंकि वह अच्छी तरह से जानते थे कि मर्दों की निगाह औरतों के किस अंग पर सबसे पहले पडती है और सबसे ज्यादा आकर्षित करती है,,, औरतों की बड़ी बड़ी गांड देखकर ही मर्दों की उत्तेजना ज्यादा बढ़ जाती है इसीलिए वह किसी भी प्रकार की कसर छोड़ना नहीं चाहती थी वह चाहती थी कि उसकी बड़ी-बड़ी मटकती गांड देखकर राजू पूरी तरह से मदहोश हो जाए उसका ईमान डगमगा जाए,,,, और इसीलिए ब्लाउज भी अपनी चूचियों की साईज से छोटा ही पहनी थी,,, और उसकी चुचियों की बीच की गहरी लकीर काफी लंबी नजर आ रही थी,,,, और आधे से ज्यादा चुची ब्लाउज से बाहर जा रही थी,,,, और आज उसने साड़ी भी पारदर्शी पहनी हुई थी जिसमें से सब कुछ नजर आ रहा था,,, कुल मिलाकर यह सब सोनी ने राजू के लिए जाल बिछा कर रखी थी उसे एक पंछी की तरह अपनी जवानी के जाल में फंसाना चाहती थी,,,,और वैसे भी दुनिया का कौन सा मर्द होगा जो ऐसी खूबसूरत औरत की मदमस्त जवानी के जाल में फंसना चाहता हो,,,,,,

Soni ki badi badi chuchiyo ko dekh kar raju ka man use dabane ka kar raha tha

आम का बगीचा सोनी का ही था गांव से अलग होने की वजह से यहां पर कोई आता जाता नहीं था इसलिए शिक्षा और संभोग के लिए ये जगह बहुत अच्छी थी,,,,,,, सोनी ऊंची नीची पगडंडियों से होती हुई आगे बढ़ रही थी और ऊंची नीची पगडंडियों पर पैर रखने की वजह से उसकी गांड की थिरकन कुछ ज्यादा ही बढ़ जा रही थी,,, बेहद मादक और अद्भुत दृश्य था,,, सोनी को इस तरह से ऊंची नीची पगडंडियों पर चलते हुए देखना भी,,किस्मत की बात थी उसकी मदमस्त कर देने वाली गांड की चाल देखकर अच्छे अच्छों का लंड खड़ा हो जाता था और यह बात सोनी भी अच्छी तरह से जानती थी,,,, उसके लिए यह बात सबसे अच्छी थी कि वह काम से बाहर रहती थी और गांव और बगीचे के बीच का रास्ता हमेशा सुनसान रहता था,,,, इसलिए उसकी ऐसी मादक चाल देखने वाला वहां कोई नहीं था,,,।
थोड़ी देर में चलते-चलते सोनी अपने गंतव्य स्थल पर पहुंच गई,,, आम का बगीचा काफी बड़ा था,, और काफी खाना भी था उसे उसे बड़े-बड़े पेड़ और सभी पेड़ों पर आम लगे हुए थे,,,,, लदा लद आम लगे होने के कारण नजारा काफी खूबसूरत दिखाई दे रहा था,,,,,,, आम के बगीचे में एक झोपड़ी नुमा घर बना हुआ था,,,, जिसमें आम की रखवाली करने वाला माली रहता था लेकिन अभी वहां कोई नहीं रहता था,,,, पास में ही पानी पीने के लिए हेड पंप लगा हुआ था,,,,।
Raju ko yad karke soni ki chut gili huyi ja rahi thi

राजू श्याम और उसके दोस्त एक घने पेड़ के नीचे खड़े होकर सोनी का इंतजार कर रहे थे,,,,वह लोग आम के बगीचे को चकर पकर देख रहे थे क्योंकि उनमें से कोई भी यहां पर कभी भी नहीं आया था और इतने सारे आम लगे होने की वजह से वह लोगों के मुंह में पानी आ रहा था,,,, राजू को तो केवल सोनी का ही इंतजार था,,,, और सामने से आती हुई देखकर राजू का मन हर्षोल्लास से भर गया,,, उसके दिल की धड़कन तेज हो गई ऐसा लग रहा था कि जैसे आसमान से उतरकर कोई परी उसके सामने चलती हुई उसके पास आ रही हो,,,, अद्भुत मादस चाल देखकर राजू के साथ साथ बाकी लोगों का भी दिल मचलने लगा था,,,, सोनी बला की खूबसूरत थी,,,,। सभी के सभी आख फाड़े उसी को ही देख रहे थे,,,, उसका जलवा खूबसूरती अद्भुत थी,,,। पास में पहुंचते ही वह लोग शालीनता दिखाते हुए हाथ जोड़कर सोनी का अभिवादन किया जवाब में इतना भी मुस्कुरा कर उन लोगों का अभिवादन की,,,, खास करके उसकी नजर राजू पर ही टिकी हुई थी उसका भोला मासूम चेहरा देखकर सोनी को यकीन नहीं हो रहा था कि इतने मासूम भोले चेहरे वाले लड़के के पजामे में बलशाली औजार होगा,,,।

वह मादक मुस्कान बिखेरते हुए राजू से बोली,,,,

तुम जाओ पहले उसमें से टेबल लेकर के आओ,,,(उस घास फूस की झोपड़ी की तरफ उंगली से इशारा करते हुए बोली,,,आते ही राजू से बातचीत की शुरुआत होते ही राजू तो मन ही मन प्रसन्न होने लगा लेकिन श्याम अंदर ही अंदर क्रोधित होने लगा खुश होकर राजू तुरंत और छोकरी की तरफ गया और लकड़ी से बने दरवाजे को धीरे से खोलकर अंदर से टेबल लेकर बाहर आ गया,,,,।)
Soni apni chut ki pyas apni ungliyo se bujhane ki koshis karte huye


हां ठीक है इसे यहां पर रख दो,,,,(आपके घने पेड़ के नीचे छांव देखकर सोनी वही टेबल रखने के लिए बोली जिस पर बैठकर वह उन लोगों को पढ़ाने वाली थी,,, राजू अच्छे से साफ करके टेबल वही रख दिया,,,, खास करके टेबल के ऊपर वाले भाग को वह अच्छे से साफ करके धुल मिटटी साफ कर दिया था ताकि,,,उसकी साड़ी गंदी ना हो जाए क्योंकि टेबल पर ही वह अपनी खूबसूरत गांड रखकर बैठने वाली थी,,,,, राजू के हाऊ भगत को देखकर सोनी मन ही मन खुश होने लगी और मुस्कुराते हुए टेबल पर अपनी गांड रख कर बैठ गई,,,,)

अब तुम लोग बैठ जाओ,,,,

(सोनी की बात सुनते ही लड़की नीचे जमीन पर बैठ गए,,, और वह एक शिक्षिका के तौर पर उन लड़कों से बोली,,)

आज तुम लोगों का पहला दीन है,,,, इसलिए एक दूसरे का परिचय होना जरूरी है,,,, मेरा नाम सोनी है,,,, और तुम लोग अपना नाम एक-एक करके बताओ,,,,
(उसकी बात सुनकर सब लड़के बारी-बारी से अपना नाम बताने लगे,,, राजू की बारी है आते ही सोनी बोली)

तुम्हारा नाम क्या है,,,,


मेरा नाम राजू है,,,

बड़ा प्यारा नाम है,,,,
(इतना कहकर सोनी मुस्कुराने लगी राजू को भी सोने की बातें उसकी मुस्कुराहट बहुत अच्छी लग रही थी खास करके उसका ध्यान सोनी की छातियों पर जा रहा था,,, क्योंकि पारदर्शी साड़ी पहनी होने की वजह से उसकी भरपूर छातियां अपने संपूर्ण आभा बिखेर रही थी,,, राजू के मुंह में तो पानी आ रहा था ऐसा नहीं था की सिर्फ राजू की नजर उस पर थी,,, बाकी लड़कों की भी नजर उसकी गोलाकार छातियों पर जा रही थी ऐसा लग रहा था कि सभी के सभी पढ़ने नहीं करती उसे ताकने झांकने के लिए आए हैं,,, अपने नाम की तारीफ सुनकर राजू से भी रहा नहीं गया और वह भी जवाब में बोला,,,)


तुम्हारा नाम भी बहुत खूबसूरत है,,,सोनी,,, हम लोग आपको सोनी दीदी कह कर बुलायेंगे,,,

सोनी दीदी,,,,( राजू के मुंह से सोनी दीदी सुनकर वह अपने आप में ही बोलते हुए अपने मन में सोचने लगी कि सोनी दीदी,,,, अगर इन लड़कों के साथ राजू कि मुझे सोनी दीदी कहेगा तो मैं तो उसकी बड़ी बहन हो जाऊंगी तभी उसके मन में ख्याल आया कि वैसे तो वह अपने बड़े भाई की भी छोटी बहन है फिर भी तुम अपने बड़े भाई से चुदवाती है अगर राजू भी उसे चोदेगा तो कौन सी आफत आ जाएगी,,, मन में यह ख्याल आते ही उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी और वह मुस्कुरा कर बोली,,,)

ठीक है तुम लोग मुझे सोनी दीदी कहना,,,, अच्छा यह तो हो गया हम लोगों का परिचय अब थोड़ी पढ़ाई कर लेते हैं इससे पहले तो तुम लोग कभी पढ़े नहीं होगे,,,
Soni ki madhosh jawani



जी सोनी दीदी,,,,(श्याम एकदम से बोला क्योंकि वह भी सोनी से किसी भी तरह से बातचीत करना चाहता था)


ठीक है इसलिए तुम लोगों को शुरू से पढ़ाना होगा तभी जाकर कुछ सीख पाओगे वरना कुछ नहीं आएगा,,,,,, तुम लोग पहले थोड़ा थोड़ा दूरी बना कर बैठ जाओ क्योंकि तुम लोगों के पास लिखने के लिए पाटी नहीं है,,,कुछ दिन तक ऐसे ही पढ़ लो उसके बाद में तुम लोगों को पाटी लाकर दूंगी तब उस पर लिखना,,,।


ठीक है दीदी,,,,(उनमें से एक लड़का बोला और सभी लोग अपने से थोड़ी थोड़ी दूरी बना कर बैठ गए,,,)

हां अब ठीक है,,,,अब मैं तुम लोगों को क ख ग घ सिखाऊंगी,,,,(इतना कहते हुए वह टेबल पर से उठ कर खड़ी हो गई,,,जिस पेड़ के नीचे बैठी थी उस पेड़ की तरफ मुंह करके कुछ सोचने लगी ऐसा करने पर उसकी पीठ उन लड़कों की तरफ हो गई और सभी लड़कों की नजर उसकी कसी हुई गांड पर चली गई जो कि बेहद आकर्षक लग रही थी उसकी पतली चिकनी कमर देख कर ऊन लड़कों का ईमान फिसल रहा था,,, श्याम की भी हालत पतली हो रही थी राजू पूरी तरह से उसके रूप रंग का दीवाना हो गया था,,, राजू अच्छी तरह जानता था कि साड़ी के अंदर वह गजब का माल छुपा कर रखी है क्योंकि वह इकलौता सक्सेना उन लड़कों में जिसने अपनी आंखों से सोनी की नंगी गांड को देखा था उसे पेशाब करते हुए देखा था,,, और उसकी मदमस्त गोरी गोरी गोल गांड को देखकर उसका दीवाना हो गया था और साथ ही पेशाब करते समय उसकी बुर से निकल रही मधुर आवाज को सुनकर वह पूरी तरह से बावला हो गया था जिसके चलते वह अपने आप पर काबू नहीं कर पाया था और उसी जगह पर उसे पेशाब करते हुए देख कर मुठ मारना शुरू कर दिया था और वहीं पर अपना पानी गिरा दिया था,,,,बाकी के लड़के तो सिर्फ उसके बारे में कल्पना भर कर सकते थे लेकिन राजू ने जो देखा था शायद इस बारे में उन लोगों को आभास तक नहीं था इसीलिए तो राजू अच्छी तरह से जानता था कि उसकी कसी हुई साड़ी के अंदर कैसा बवाल छुपा हुआ है जिसे देख कर राजू का लंड तुरंत खड़ा हो गया था,,,,। सोनी कुछ देर तक पेड़ की तरफ देखकर सोचती रही फिर वापस मुड़कर,,, राजू से बोली,,,।


राजू तुम मेरे साथ चलो झोपड़ी में से ब्लैक बोर्ड लाना है,,,(ऐसा कहते हुए वहां अपनी साड़ी की किनारी को अपनी कमर में खोसने लगी यह नजारा राजू के साथ सर बाकी लड़कों के लिए भी जान लेवा था मांसल चिकनी कमर देखकर सभी लड़कों के मन पर भारी असर हो रहा था सोनी की बात सुनकर,,, राजू आश्चर्य जताते हुए बोला,,,)

क्या क्या-क्या लाना है दीदी,,,,


अरे तुम चलो तो सही,,,(सोनी अच्छी तरह से जानती थी कि ब्लैक बोर्ड के बारे में इन लोगों को कुछ भी पता नहीं है इसीलिए वह बताना नहीं बल्कि दिखाना चाहती थी,,,, और इतना कहकर वह आगे आगे चलने लगी,,,,राजू अपनी जगह पर खड़ा हो गया था और उसके पीछे-पीछे चलने लगा था उसके पीछे-पीछे चलने में भी राजू की हालत खराब हो रही थी क्योंकि उसकी आंखों के सामने ही उसकी मतवाली मदमस्त बड़ी बड़ी गांड मटक रही थी उसे देखकर राजू का मन कर रहा था कि आगे बढ़ कर उसकी गांड को अपनी बाहों में भर लें और उस पर चुंबनों की बरसात कर दें,,, सोने की जवानी पूरी तरह से गदराई हुई थी उसकी जवानी को रोंदने वाला उसके रस को निचोड़ने वाला मर्द अभी तक उसे मिला नहीं था,,, इसलिए उसकी जवानी और ज्यादा उफान मार रही थी,,,, श्याम और उसके साथी उन दोनों को जाते हुए देखते रह गए उसकी मटकती हुई गांड को देखकर श्याम आपने साथी से बोला,,)

हाय क्या चीज है यार कसम से अगर ये अपनी आंखों के सामने कपड़े उतार कर नंगी हो जाए तो मुझे तो लगता है कि हम लोगों का खड़े-खड़े पानी निकल जाए,,,,


हां यार सच कह रहा है तू शायद इसकी जवानी को संभाल पाना अपने लोगों के बस की बात नहीं है,,, इसलिए तो राजू ही ठीक है,,,,,
(अपने साथी की इस तरह की बातें सुनकर श्याम उसे गुस्से से देखने लगा और बोला)

क्यों रे पागल हो गया क्या तू हम लोगों में कौन सी कमी है जो हम लोग इसकी जवानी को संभाल नहीं पाएंगे,,,


अरे यार तू नाराज मत हो लेकिन तो यह बात अच्छी तरह से जानता है कि औरतों को मोटे तगड़े लंबे लंड से ही मजा आता है और राजू का लंड देखा हा ना तु तेरी बोलती बंद हो गई थी,,,,
(राजू के लंड का जिक्र आते ही श्याम खामोश हो क्या क्योंकि वह अपनी आंखों से देख चुका था वाकई में उसका लंड एकदम मुसल कि तरह था,,, उन लोगों की बात सुन उनका एक साथी बीच में बोल पड़ा ,,,)


अरे तुम लोगों की शामत आई है क्या अपनी मौत को दावत दे रहे हो,,, उसके बारे में गंदी गंदी बातें कर रहे हो अगर पता है उसे भनक लग गई तो क्या होगा,,,,, साले मारे जाओगे पता भी नहीं चलेगा कहां चले गए लाला की बहन है,,,, और उसके पास हम लोगों की सब लोगों की जमीन गिरवी पड़ी है कुर्सी पता चल गया कि तुम लोग उसकी बहन के बारे में गंदी गंदी बातें करते हो तो तुम्हारी जुबान खींच लेगा,,,,


(उसकी बात सुनते ही सब खामोश हो गए क्योंकि जो कुछ भी वह कह रहा था वह सच था ,,, लाला बहुत हारामी था और उसके पास सभी लोगों की जमीन गिरवी पड़ी थी इसलिए कोई भी उससे जानबूझकर भी दुश्मनी मोल लेना नहीं चाहता था इसलिए वह लोग एकदम खामोश बैठे हैं और राजू और सोनी दोनों ऊस छोटे से झोपड़ी के करीब पहुंच गए,,,,।)

अब क्या करना है दीदी,,,,


दरवाजा खोलो,,,,,

(इतना सुनते ही राजू लकड़ी के दरवाजे को धीरे से खोल दिया पहले सोनी जोकि लंबाई में थोड़ी बड़ी होने के नाते अंदर प्रवेश करते समय थोड़ा सा झुककर अंदर की तरफ जाने लगी और इस तरह से झुकने में उसकी बड़ी बड़ी गांड बाहर की तरह उभर कर सामने आ गई है देखकर राजू का मन कर रहा था कि उसे पीछे से पकड़ ले उसके साड़ी कमर तक उठाकर उसकी चुदाई कर दें लेकिन ऐसा कर सकने की हिम्मत उसने बिल्कुल भी नहीं दी क्योंकि वह यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि वह लाला की बहन थी,,, सोनी के अंदर प्रवेश करते ही राजु भी पीछे पीछे हल्का सा झुककर अंदर घुस गया,,, अंदर पहुंचते ही बोला,,,)

Soni ki tu thirkati huyi badi badi gaand dekhkar raju ekdam madhosh gaya

host image
अब क्या करना है दीदी,,,?


कहीं-कहीं ब्लैक बोर्ड रखा होगा,,, उसे ढूंढना है,,,(सोनी इधर-उधर चकर पकर देखते हुए बोली,,हालांकि वह झूठ तो रही थी ब्लैकबोर्ड लेकिन उसके मन में कुछ और चल रहा था वह किसी भी तरह से राजु को अपनी जवानी का जलवा दिखाना चाहती तो उसे अपनी जवानी का रस खिलाना चाहती थी उसे उत्तेजित करना चाहती थी इसीलिए उस बारे में युक्ति सोच रही थी,,,)

दीदी तुम जो कुछ भी कह रही हो इस बारे में मुझे बिल्कुल भी पता नहीं है,,,

मैं जानती हूं राजू,,,,(इतना कहते हुए उसे ब्लैक बोर्ड दिखाई दे क्या जो की झोपड़ी के अंदर थोड़ी ऊंचाई पर रखा हुआ था,,,, वह चाहती तो टेबल पर चढ़कर उसे उतार सकती थीलेकिन उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था क्योंकि झोपड़ी के अंदर आते ही उसकी नजर सीडी पर पड़ी थी जो कि तीन चार पट्टे की ही थी ज्यादा ऊंचाई उसकी नहीं थी और वह राजू को उत्तेजित करने के लिए उसी सीडी का उपयोग करना चाहती थी,,,)

राजू तुम वो सीढ़ी लेकर आओ,,,,(उंगली से कोने की तरफ इशारा करते हुए बोली और राजू तुरंत वह सीढी लेकर आ गया,,,)

लो दीदी,,,,(इतना कहते हुए वह सीडी को सोनी के एकदम करीब अपने हाथ का सहारा देकर रखते हुए बोला सोनी राजू की हर एक हरकत को देख रही थी उसे देखकर उत्तेजित होने जा रही थी बार-बार उसे उसके पजामे के अंदर उसका लंड झुलता हुआ नजर आ रहा था,,, सोने के मन में क्या चल रहा है राजू को इसका आभास तक नहीं था,,, अगर उसे पहले से ही सोने के मन का आभास हो जाता तो शायद यह सारा तिकडम रचाना ही नहीं पड़ता,,, अब तक तो वह सोनी की साड़ी उठाकर उसकी चुदाई कर दिया होता,,,,,,, सोनी उस छोटी सी सीढ़ी को बड़े गौर से देख रही थी नीचे से दूसरे नंबर की पाटी,, एकदम ढीली थी जो कि कभी भी टूट सकती थी,,, और उसी को देखकर उसके मन में युक्ति जन्म ले रही थी उसका दिमाग बड़ी जोरों से चल रहा था शायद ऐसे मामले में उसका दिमाग और ज्यादा तेज चलने लगता था,,, सोनी जानबूझकर सीढ़ी के नीचे वाले पाटी की मजबूती परखने के लिए नीचे की तरफ झुक गई जिसकी वजह से उसके साड़ी का पल्लू उसके कंधे से नीचे गिर गया और उसकी मदमस्त कर देने वाली चुचियां,,,,जो कि जंगली कबूतर की तरह ब्लाउज के अंदर कैद अपने पंख फड़फड़ा रहे थे वह तुरंत बाहर आने के लिए बेकाबू हो गए,,,, सोने की भारी-भरकम छातियों को देखते हुए राजू की हालत खराब हो गई,,,, राजू का मन एकदम से ललच उठा,,,उसकी चुचियों को देखते ही राजु मन में ख्याल आने लगा कि एक एक चूची 1 लीटर दूध से भरी होगी,,,,जिसे मुंह में भर कर पीने में बहुत मजा आएगा,,,, चुचियों के साईज से छोटा ब्लाउज अपने छोटे-छोटे बटन के सहारे ना जाने कैसे उसकी भारी-भरकम चुचियों को सहारा देकर थामे हुए था,,,,,,अगर थोड़ा सा और झटका खाता तो शायद उसके ब्लाउज के बटन चरचरा कर टूट जाता है और उसकी मदमस्त कर देने वाली चूचियां एकदम से बाहर आकर राजू से गुफ्तगू करने लगती,,,,राजू अपने मन में यही सोच रहा था कि कहां से उसके ब्लाउज का बटन टूट जाता है तो उसे उसकी नंगी चूचियों को देखने का मौका मिल जाता नंगी गांड के दर्शन तो वह झाड़ियों में कर ही चुका था,,, वह एकटक आंखें आंखें झुकी हुई सोनी की ब्लाउज में लटक रहे चुचियों को देख रहा थाइस बेहद कामोत्तेजक नजारे का असर राजू को अपनी दोनों टांगों के बीच होता हुआ महसूस हो रहा था,,, उसके लंड में तनाव आना शुरू हो गया था,,, और सोनी अपनी जाल फेंकने में कामयाब हो गई थी लेकिन वह तसल्ली कर लेना चाहती थी कि वह पूरी तरह से अपनी चाल में कामयाब हुई है कि नहीं क्योंकि वह जानबूझकर इस तरह से चुकी थी और अपनी साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा ही थी यही देखने के लिए राजू की तरफ देखिए कि वह उसकी चूचियों की तरफ देख रहा है कि नहीं और उसे अपनी चूचियों की तरफ पागलों की तरह देखता पाकर वह मन ही मन खुश होने लगी,,,, जितना झलक दिखाना था उतना सोनी ने दिखा चुकी थी और मुस्कुरा कर अपने पल्लू को पकड़कर खड़ी होते हुए अपनी साड़ी के पल्लू को अपने कंधे पर रखकर दोनों हाथों से उसे अपनी छातियों पर खींचकर ढकते हुए बोली,,,


बाप रे मुझे तो शर्म आ रही है,,,,(राजू अभी भी उसकी भारी-भरकम छातियों की तरफ देख रहा था,,, राजू को इस तरह से ताकता हुआ देख कर सोनी को अपनी बुर में कुछ होता हुआ महसूस हो रहा था,,,, सोनी की बात सुनकर राजू बोला,,,)

किस बात के लिए दीदी,,,


इसीलिए कि मेरा साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिर गया,,,


अरे वह तो जानबूझकर थोड़ी ना गिरा है अनजाने में गिर गया,,,,,


हां कह तो तुम सच ही रहे हो,,,,(इतना क्या करूं मुस्कुराने लगी,,, और सीढ़ी को यह जगह लगाने के लिए बोल कर वह बोली,,,)

संभाल तो लोगे ना,,,


हां दीदी सामान तो लूंगा लेकिन मुझे कह दो मैं उतार दूंगा क्या उतारना है,,,


तुम्हें अगर मालूम होता तो तुम ही को बोलती लेकिन तुम्हें मालूम नहीं है इसलिए मुझे ही उतारना होगा,,,, तीन चार लकड़ियों के के बीच दबा हुआ है,,,,,,,


ठीक है दीदी तुम सीढ़ी पर चढ़ो मै संभाल लूंगा,,,


मेरा वजन ज्यादा है राजू,,,



कोई बात नहीं दीदी मैं भी हट्टा कट्टा जवान हूं आराम से संभाल लूंगा,,,
(राजू की बात सुनते ही सोनी मन ही मन मुस्कुराने लगी और अपने मन में ही बोली इसीलिए तो अपनी जवानी तुझे सोपने का इरादा कर लि हुं)

चलो तुम पर मुझे पूरा भरोसा है आराम से पकड़ना,,, दूसरे नंबर की पाटी एकदम कमजोर है,,,(सीढी को योग्य स्थान पर लगाते हुए वह बोली,,)

चिंता मत करो दीदी में गिरने नहीं दूंगा,,,(राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था सोनी के तन से उठा रही मादक खुशबू राजू को मदहोश कर रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था इतने करीब से वह सोनी के खूबसूरत बदन की गर्मी को अपने अंदर महसूस कर रहा था हालांकि वह पहले भीसाड़ियों के अंदर सोने की नंगी गांड को देख चुका है उस के नंगे पन के दर्शन कर चुका है लेकिन इस समय के हालात कुछ और थे,,, सोनी के द्वारा बिना कपड़े उतारे ही राजू पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था,,, इसका असर उसे अपने दोनों टांग के बीच होता हुआ महसूस हो रहा था,,,, राजू की बात सुनकर वह तसल्ली के साथ सीढ़ी पर चढ़ने लगी पहली सीढ़ी पर पैर रखने से पहले वह अपनी साड़ी को थोड़ा सा उठा कर अपनी कमर में खोंश दी जिससे उसकी साड़ी उसके घुटने तक उठ गई और उसकी नंगी दूधिया चिकनी पिंडलिया नजर आने लगी,,,जिसे देखते ही राजू की आंखों में हमारी जाने लगी राजू का मन उसकी नंगी चिकनी टांगों को छूने का कर रहा था लेकिन ऐसा कर सकने की हिम्मत उसमें बिल्कुल भी नहीं थी,,,, झोपड़ी के अंदर क्या हो रहा है बाहर बैठे लड़कों को इसका अहसास तक नहीं था लाला की बहन होने के नाते वालों किसी भी प्रकार की गलती नहीं करना चाहते थे इसलिए वहीं बैठे रह गए ,,, हालांकि उन लोगों के मन में भी उत्तेजना का सैलाब रहा था लेकिन किसी तरह से वह लोग अपने आप पर काबू किए हुए थे,,,


राजू की किस्मत बड़े जोरों पर थी कुछ ही दिन में उसे एक-एक करके नई-नई औरतों का संगत प्राप्त होता जा रहा था पहले कमला चाची फिर उसकी खुद की जवान होगा और अब लाला की बहन सोनी जो अपनी जवानी के जलवे बिखेर रही थी,,,, सोनी का भी दिल जोरों से धड़क रहा था साड़ी को थोड़ा सा उठा कर कमर मैं खोसने की जगह वह अपने मन में सोच रही थी कि क्यों ना साड़ी को कमर तक उठाकर राजू को अपने नंगे पन का दर्शन करा दे अपनी बुर्का दर्शन करा दे जिसे देखकर वह पूरी तरह से बावला हो जाए और उसका गुलाम बन जाए,,, लेकिन ऐसा करना शायद उसके भी संस्कार में नहीं था खुले तौर पर वह इस तरह की हरकत नहीं करना चाहती थी भले ही वह अपनी कामुक अवस्था को संभालना पा रही हो लेकिन खुले तौर पर इस तरह की हरकत उसे भी मंजूर नहीं थी वह इस खेल में धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहती थी,,,, ताकि राजू को भी लगे कि सब कुछ अनजाने में हुआ है,,,सोनी अपनी जवानी का जलवा बिखेरने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी और वह अपनी एक टांग सीढ़ी पर रखकर चढना शुरु कर दी थी पहली सीढ़ी मजबूत थी इसलिए उसे दिक्कत नहीं हुई लेकिन वो जानती थी कि दूसरी सीढ़ी कमजोर है और उस पर धीरे से पैर रखकर वह आगे बढ़ने लगी दूसरी सीढ़ी पर पहुंचते ही टांग उठाने की वजह से उसकी गोलाकार गांड बड़े-बड़े तरबूज की तरह उभर कर सामने आ गई,,, मानो कि जैसे खेतों में झाड़ियों के बीच सबसे बड़ा तरबूज उठाए खड़ा हो,,,,गोल गोल गांड देख कर राजू की हालत खराब हो रही थी उसका मन कर रहा था कि अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर उसकी गांड को थाम ले उसकी गर्मी को अपने अंदर महसूस करें,,, लेकिन वह सिर्फ देखता ही रह गया,,, देखते ही देखते सोनी तीसरे सीढ़ी पर चढ़ चुकी थी और नीचे खड़ा राजू,,, नजर उठाए ऊपर की तरफ देख रहा था उसकी कोशिश पूरी थी कि उसकी नजर उसकी साड़ियों के बीच अंदर तक पहुंच जाएं लेकिन सोनी नहीं पीनी भी साड़ी ऊपर नहीं उठाई थी कि उसकी नजर उसकी दोनों टांगों के बीच पहुंच पाती अंदर बहुत अंधेरा था इसलिए उसे कुछ नजर नहीं आ रहा था,,, सोनी राजू को बराबर समय दे रही थी ताकि वह उसकी खूबसूरत जवानी के रस को अपनी आंखों से पी सके,,,,,,।


ठीक से पकड़े रहना राजू,,,, कहीं में गिर ना जाऊं,,,


नहीं गिरोगी दीदी मैं पकड़ा हूं,,,


अरे सीढ़ी नहीं मेरे पैर पकड़ मेरे पैरों में कंपन हो रहा है मेरा पैर कांप रहा है,,,, कहीं में गिर ना जाऊं,,,,
(फिर पकड़ने वाली बात सुनकर राजू का दिल जोरो से धड़कने लगा एक तरह से उसके नंगे जिस्म को छुने का आमंत्रण था और वह ऐसा मौका भला कैसे अपने हाथ से जाने देता उसकी बात सुनते ही तुरंत सीढ़ीयों को छोड़कर वह सोने की टांग को पकड़ लिया और वही उसकी पिंडलियों को जिसे अपनी हथेली में दबाते ही उसका तन बदन जोश से भर गया,,,, और सोनी की भी हालत खराब हो गई राजू के प्रति को पूरी तरह से आकर्षित हो चुकी थी इसलिए कहा क्योंकि हथेली अपनी नंगी चिकनी टांग पर पढ़ते हैं उसकी बुर से मदन रस की बूंद टपक गई यह सोने की तरफ से राजू के चरणों में समर्पण का भाव था और पूरी तरह से राजू को समर्पित हो चुकी थी मन से लेकिन अभी तन से बाकी था,,,,)

अब ठीक है ना दीदी,,,


हां राजू संभालना,,,
(राजू का तो लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था पजामे में तंबू सा बन गया था,,,, सोनी ऊंचाई पर रखे हुए ब्लैक बोर्ड को उतारने लगी जो कि दो चार लकड़ियों के नीचे रखा हुआ था,,,,ब्लैक बोर्ड को उतारते समय उसके मन में गई हो रहा था कि राजू जिस तरह से नीचे खड़ा होकर ऊपर की तरफ देख रहा है अगर वह अपनी साड़ी को उठाकर थोड़ा और ऊपर कर दी होती तो उसे उसकी जवानी की दहलीज नजर आने लगती,,,और , राजू को वह पूरी तरह से अपना दीवाना बना देती,,,,लेकिन जितना भी व कर रही थी राजू के लिए काफी था राजू पूरी तरह से अपने अंदर उत्तेजना का अनुभव कर रहा था एक तो उसके बदन से उठ रही खुशबू उसके होश उड़ा रही थी,,, और ऊपर से वह उसकी नंगी पिंडलियों को पकड़े हुए था जिससे उसका जोश दुगुना होता जा रहा था,,,। उत्तेजना के मारे सोनी को भी अपनी कच्छी गीली होती महसूस हो रही थी,,।

जिस चीज को वह ढूंढ रही थी वह मिल चुका था वह उसके हाथों में था अब नीचे उतरना चाहती थी,,,, इसलिए मैं अपना एक पैर नीचे की तरफ लाकर पाटी,, पर रख दी,,,बार-बार राजू की नजर उसकी गोलाकार गांड पर चली जा रही थी जो कि ऊपर नीचे पैर करने की वजह से उसकी गांड कुछ ज्यादा ही उभरकर बड़ी हो जा रही थी जिसे अपने दोनों हाथों में थामने का मन कर रहा था,,,,, सोनी भी यही चाहती थी कि राजू अपने हाथों में उसकी दोनों गांड की फाको को थाम ले,,, और अपने मन में बस यही सोच ही रही थी वह सोच रही थी आखिरी सीढ़ी जब आएगी तो जरूर वह कुछ ऐसा करेगी जिससे राजू को उसकी गांड पकड़ना ही पड़ेगा,,,,। अंतिम दो सीढ़ी बाकी थी और दूसरे नंबर की सीढ़ी कमजोर थी वह तीसरी सीडी पर आराम से खड़ी थी,,,, राजू ठीक सीढ़ियों के इर्द गिर्द अपनी दोनों टांगों को रखकर बीचो-बीच खड़ा था,,, ताकि अगर सोनी गिरे तो वह उसे थाम ले,,,,वह दूसरी सीढ6 पर अपने पैर रखती ईससे पहले ही उत्तेजना के मारे वो एकदम से लड़खड़ा गई,,,,

अरे अरे राजू देखना,,,,( और उसका इतना कहना था कि उसका पैर फिसल गया तीसरी सीढ़ी से ही नीचे फिसल कर गिरने लगी,,,,, लेकिन राजू पूरी तरह सचेत था एकदम तैनात,,,, वह सोनी की टांगों को पकड़े रह गया और उसकी हथेली उसकी नंगी चिकनी टांग ऊपर फिसलते हुए जैसे-जैसे भी नीचे आ रही थी वैसे वैसे उसकी हथेली उपर की तरफ जा रही थी,,,,और उसके पैर नीचे जमीन को छूते इससे पहले ही राजू की हथेली उसकी कमर तक पहुंच गई थी और उसकी साड़ी कमर तक उठ गई थी क्योंकि राजू की हथेली उसकी कमर पर थी और उसकी सारी पूरी तरह से उसकी हथेली के ऊपर टिकी हुई थी,,, लेकिन राजू ने अपनी मजबूत हाथों का सहारा देकर उसे थाम लिया था उसे गिरने नहीं दिया था ना ही उसे चोट लगने दिया था,,,,।
जैसे ही सोनी के पैर जमीन पर पड़े उसकी सांसे तेजी से चलने लगी वो एकदम से घबरा गई थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह सीढ़ी पर से नीचे गिर गई है क्योंकि वह तो दूसरी सीढ़ी पर पैर रखकर सिर्फ नाटक करने वाली थी लेकिन वह हकीकत में ही गिर गई थी,,,,,, जब उसे इस बात का एहसास हुआ तब वह अपने आपको राजू की बाहों में पाई जैसा कि वह चाहती भी थी लेकिन यह सब अनजाने में हुआ था,,,, राजू की दोनों हथेली सोने की चिकनी मांसल कमर पर थी,,, जोकि राजु ने कभी ऐसा सपने में भी नहीं सोचा था,,,, सोनू का बदन राजू के बदन से एकदम चिपका हुआ था एक तरह से राजू ने उसे कमर पकड़कर अपनी बाहों में ले लिया था पजामे के अंदर राजू का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था जो कि तुरंत उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी बड़ी बड़ी गांड के बीच धंसना शुरू कर दिया था,,।राजू कोचर इस बात का एहसास हुआ तो वह पूरी तरह से मस्त हो गया पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगा क्योंकि वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसका लंड इस तरह से उसकी गांड को स्पर्श होगा,,, पल भर में राजू की सांसे तेजी से चलने लगी दूसरी तरफ सोनी की भी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,,,,


राजू ने उसे अपनी मजबूत बजाओ में पकड़ कर उसे गिरने से बचाया था इस बात की तसल्ली सोनी को अच्छी तरह से थी लेकिन जैसे ही उसे अपनी गांड के बीचों बीच कुछ कठोर चीज है जो भी महसूस हुई तो एकदम से दंग रह गई,,,तब जाकर उसे इस बात का अहसास हुआ कि वह राजू की बाहों में थी और राजू का लंड जोकि पजामे में होने के बावजूद भी उसकी गांड में धंशा जा रहा था,,, पल भर में सोनी की भी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,,, जिस तरह से वह राजू के साथ उसे उत्तेजित करना चाहते थे अनजाने में ही वह होता जा रहा था,,,

राजू के मोटे तगड़े लंबे लंड की ताकत को वह अपनी गांड पर महसूस कर रही थी,,,, उसे अंदाजा लग गया था कि राजू का लंड कितना दमदार है,,,वह अपनी स्थिति की तरफ ध्यान दे तो उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी साड़ी पूरी तरह से कमर तक उठ गई है और कमर के नीचे वह पूरी तरह से अपनी कच्छी को छोड़कर नंगी ही थी और उसका कच्छी के लिए सोनी को अपने आप पर गुस्सा आने लगा था अपने मन में सोचने लगी कि अगर कच्छी ना पहनी होती तो आज राजू के लंड को अपने गांड के बीचो बीच अपनी बुर पर महसूस कर ली होती,,,, राजू था कि उसे छोड़ने का नाम नहीं ले रहा था उसे तो मजा आ रहा था चिकनी कमर को अपने दोनों हाथों में थाम कर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह सोनी को चोदने की तैयारी कर रहा हो,,, राजू अपने आपको किस्मत वाला समझने लगा था मौके का फायदा उठाते हुए अपनी कमर को वह आगे की तरफ फैल रहा था जिसका एहसास सोनी को बड़े अच्छे से हो रहा था और राजू की इस हरकत पर वह पूरी तरह से पानी पानी हुए जा रही थी,,,उसे उम्मीद नहीं थी कि अनजाने में ही उसकी साड़ी कमर तक उठ जाएगी और वह भी राजू के हांथो,,,,।

सोनी अपने मन में सोच रही थी कि अब राजू छोड़ेगा अब राजू छोड़ेगा लेकिन ऐसा नहीं हो रहा था वह तो और मदहोशी के साथ उसे पकड़े हुए था और साथ ही पजामे में होने के बावजूद भी,,, अपने लंड को उसकी बड़ी बड़ी गांड के बीचो-बीच दे रहा था,,,, लेकिन उसे भी गांड के बीच कपड़ा सा महसूस हो रहा था इसलिए वह सोनी को ऊपर से नीचे की तरफ देख रहा था उसकी साड़ी पूरी तरह से कमर तक उठी हुई थी और इसीलिए उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार साड़ी पूरी तरह से ऊपर की तरह टूट जाने के बावजूद भी कौन सा कपड़ा लगा हुआ है क्योंकि वह भी नहीं जानता था कि शहरी औरतें साड़ी के अंदर कच्छी पहनती हैं,,,,,, सोनी की बुर पूरी तरह से पानी छोड़ रही थी,,, अगर बाहर दूसरे लड़के ना होते तो उसी समय राजू के लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवा ली होती,, लेकिन इस समय मजबूर थीलेकिन अपनी हरकत से भी राजू ने उसे पूरी तरह से उत्तेजना के महासागर में डुबो दिया था उसकी कच्ची पूरी तरह से काम रस से गीली हो चुकी थीउसे इस बात का डर था कि काफी समय हो गया था झोपड़ी के अंदर कहीं कोई लड़का यहां आ ना जाए इसलिए वह राजू से बोली,,,।



bbcode image
अच्छा हुआ राजू तूने मुझे संभाल लिया वरना आज तो मैं गिर गई होती,,,

मेरे होते हुए मैं तुम्हें गिरने नहीं दूंगा दीदी,,,


बस कर अब छोड़ो मुझे ब्लैकबोर्ड बाहर लेकर चलना है,,,

(राजू का छोड़ने का मन बिल्कुल भी नहीं कर रहा था सोने के बदन की गर्माहट उसे पूरी तरह से उत्तेजित किए हुए थी और उसकी बड़ी बड़ी गांड का स्पर्श पाकर उसका लंड लोहे के रोड की तरह हो गया था,,, लेकिन फिर भी उसकी बात मानते हुए वह उसे अपनी बाहों की कैद से आजाद कर दिया,,,, सोनी की सांसे अभी भी ऊपर नीचे हो रही थी,,,, राजू से अलग होते हैं सोनी अपनी साड़ी को व्यवस्थित करने लगी व्यवस्थित करते समय,,, राजू को उसकी कच्छी नजर आ गई जिसे देख कर उसे थोड़ा अचरज हुआ लेकिन समझ नहीं पाया,,,,सोनी बहुत खुश थी क्योंकि उसकी नजर राजू की पर जाने की तरफ चली गई थी जो की पूरी तरह से उठा हुआ था,, और वह यही चाहती भी थी,,, सोनी का दिल जोरों से धड़क रहा,,,अपनी साड़ी को व्यवस्थित करने के बाद वह मुस्कुराते हुए राजू के पजामे में बने तंबू को देख कर बोली,,।)


तो यही था जो मेरे पीछे चुभ रहा था,,, लगता है बहुत बड़ा है,,,।
(सोनी के मुंह से इतना सुनकर राजू पूरी तरह से उत्तेजना से गदगद हो गया उसे लगने लगा कि जैसे उसके लिए रास्ता साफ होता जा रहा है वह मन ही मन बहुत खुश होने लगा लेकिन अपने पजामे में बने तंबू को छुपाने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं किया,,,, बस खड़ा मुस्कुरा रहा था और उसकी मुस्कुराहट को देखकर सोनी भी समझ गई थी कि यही वह लड़का है जो उसकी जवानी की गर्मी को शांत करेगा,,,,)

चलो जल्दी चलो काफी देर हो गई में हमें,,,(इतना सुनकर जैसे ही राजू चलने को हुआ राजू के तंबू की तरफ देखते हुए वह बोली,,,)

इस हाल में चलोगे,,(उंगली से राजू के तंबू की तरफ इशारा करते हुए) ऐसे चलोगे तो वह लोग क्या सोचेंगे मैं चलती हूं तुम इस ब्लैकबोर्ड को साफ करके लेते आना तब तक तुम्हारे पजामे का तूफान शांत हो जाएगा,,, और हां सबके साथ छूटने पर जाना जरूर लेकिन थोड़ी देर में वापस इधर ही आ जाना क्योंकि मैं तुम्हारा यही इंतजार करूंगी,,,(इतना कहकर वो मुस्कुरा कर बाहर निकल गई और राजू उसे देखता रह गया और फिर जल्दी-जल्दी ब्लैकबोर्ड को साफ करने लगा,,, इतनी देर में उसका लंड शांत भी हो गया और वह ब्लैकबोर्ड लेकर बाहर आ गया,,,।)
Wow bro.. too much romantic update and great writer, continue story bro
 

masterji1970

मम्मी का दीवाना (पागल)
531
783
94
एक बेहद लाजवाब और अनोखी कहानी का प्रारंभ हुया। आप की पिछ्ली कोई भी कहानी मैं ने नहीं पड़ी। लेकिन इस एक अपडेट से आप ने अपनी असलियत जाहिर कर दिया है, आप कहानी को किस तरह सजाते संवारते हैं।
मात्र एक अपडेट से ही आप ने पाठकों के सामने कहानी के छवि को स्पष्ट कर दिया। और साथ ही बातों बातों में सारी जानकारियां भी दे डाली। वाह क्या कहने।
मैं इसी तरह के रायटर का गुणग्राहक बन जाता हुँ। साथ हूँ आखिर तक। बने रहिए।
यह तो आपने बहुत ही सत्य काया है दोस्त /

rohnny4545 जी की कहानियां तो अप्रतीम होती ही हैं साथ में विशेष रूप से हिंदी फॉण्ट वाली कहानियां मुझे बहुत पसंद हैं, वाही इनकी सौगात है //

 

masterji1970

मम्मी का दीवाना (पागल)
531
783
94
राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि कुछ ही देर में उसे उसकी मां की खूबसूरत गांड के दर्शन जो होने वाले थे,,राजू अपने अंदर अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था इतना ज्यादा उत्तेजना तो उसे कमला चाची को चोदते समय भी नहीं महसूस हुआ था जितना कि सिर्फ अपनी मां को नंगी देखकर वह महसूस कर रहा था,,,,राजू के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी कमरे के अंदर का दृश्य धीरे-धीरे और ज्यादा गर्म होता जा रहा था जिसकी राजू को कल्पना भी नहीं थी,,,। बार-बार राजू के पिताजी राजू की मां को अपनी बड़ी बड़ी गांड दिखाने को कहते थे हालांकि वह पूरी तरह से नंगी थी लेकिन उसकी दूसरी तरफ थी जिसे राजू की पिताजी देखकर और ज्यादा उत्तेजित होना चाहते थे,,,, राजू अपने मन में यही सोच रहा था कि उसके पिताजी और उसकी मां की चुदाई बरसों से करते आ रहे थे और अनगिनत बार उसकी मां को अपने हाथों से नंगी करके उसके वजन के हर एक अंग को देख चुके थे लेकिन फिर भी उसकी मदमस्त गांड को देखने के लिए लालायित थे ,,, और उसने तो कभी भी अपनी मां को ना तो गलत नजरिए से देखा था और ना ही बिना कपड़ों के,,, तो फिर वह क्यों ना ज्यादा उत्सुक हो अपनी मां को नंगी देखने के लिए और वैसे मौका ए दस्तूर भी यही था क्योंकिउसकी आंखों के सामने बगल वाले कमरे में उसकी मां बिना कपड़ों के एकदम नंगी खड़ी थी लेकिन नंगी होने के बावजूद भी ना तो राजु को अपनी मां की रसीली बुर दिखाई दे रही थी और ना ही उसकी मादकता भरी गांड नजर आ रही थी,,। इसलिए तो उसके पिताजी से भी ज्यादा उत्सुक वह खुद का अपनी मां की गांड देखने के लिए,,,।

राजू की मां की बड़ी बड़ी गांड

free image hosting


बेहद अद्भुत और मादकता का रस घोलता हुआ यह नजारा राजू के बगल वाले कमरे में दृश्य मान हो रहा था जिसकी राजू ने कभी कल्पना भी नहीं किया था यह तो उसकी बुआ की ही बदौलत था जो उसे ऐसा कामुक और मनोरम दृश्य देखने को मिल रहा था,,,,,,राजू का मन अभी भी मानने को तैयार नहीं था कि वह अपनी आंखों से ही अपने पिताजी और अपनी मां को इस हालत में देख रहा है,,,,कमरे में राजू की मां एकदम नंगी खड़ी थी खटिया पर उसके पिताजी पीठ के बल लेटे हुए थे और अपने खड़े लंड को जोर जोर से हिला रहे थे,,,, और एक हाथ से राजू की मां की चिकनी जांघों पर अपना हाथ फेर रहे थे,,, यह देखकर राजू की भी हालत खराब हो रही थी,,,।


अब दिखा भी तो मेरी जान इतना क्या तड़पाना,,,,


आप भी ना बच्चों की तरह जीतने पर बैठ जाते हैं,,,।


बच्चे क्या ईस तरह की जीद करते हैं,,,,,,, गांड़ देखने की,,,(हरिया मुस्कुराते हुए बोला)

आप भी ना,,,,


चलो दिखा भी दो,,,,

(मधु जानती थी कि उसके पति जिस चीज के लिए जिद करते हैं अपनी जीत पूरी करके ही रहते हैं और वैसे भी अपनी नंगी गांड दिखाने में मधु को कोई आपत्ति नहीं थी,,, लेकिन उसे शर्म महसूस हो रही थी,,, फिर भी वह बोली,,,)

चलिए कोई बात नहीं दिखा देती हूं लेकिन ज्यादा परेशान मत करना रात काफी हो गई है मुझे नींद भी आ रही है,,,।


हाय मेरी जान सो जाना लेकिन पहले जी भर कर चुदवा लेना,,,,
(अपनी मां और पिताजी की बातें सुनकर राजू के तन बदन में उत्तेजना के शोले भड़कने लगे थे राजू को अपनी मां का इस तरह से मुस्कुराना और एकदम नंगी होकर खड़े रहना बेहद लुभावना लग रहा था पल-पल वह अपनी मां के प्रति आकर्षित होते चले जा रहा था और रह रह कर उसे अपनी मां में सिर्फ एक औरत नजर आती थी,,,। जो कि एक औरत के प्रति आकर्षण का ही नतीजा था वरना वह अपनी मां को आज तक इस नजरिए से कभी नहीं देखा था,,,राजू के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी क्योंकि मैं जानता था कि कुछ ही पल में उसकी मां उसके पिताजी को अपनी भारी भरकम गोरी गोरी गांड दिखाने वाली है जिसे राजू ने आज तक नहीं देखा था और ना ही उसके बारे में कभी कल्पना किया था,,, मधु जानती थी किवह बेहद खूबसूरत है इस उमर में भी उसकी जवानी बरकरार थी तभी तो उसका पति उसके ऊपर पूरी तरह से लट्टु था,,,, मधु मुस्कुरा रही थी और हरिया के मुंह में पानी आ रहा था धीरे-धीरे मधु अपने पीठ को पीठ को क्या अपनी गांड को अपने पति हरिया की तरफ करने लगी,,,,,,, वह बड़े मादक तरीके से गोल घूमते हुए अपने पति की तरफ गांड कर रही थी राजू को मालूम था कि जिस तरह से उसकी मां गोल घूम कर अपने पति की तरह काम करने जा रहे हैं थोड़ी देर के लिए ही सही उसे अपनी मां की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड के दर्शन करने को जरूर मिलेंगे,,,, और जैसे ही राजू की मां की गांड राजू की तरफ हुई राजू के तो जैसे होश ही उड़ गए,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई लगता था मानो जैसे वक्त रुक गया कुछ सेकंड के लिए राजू के जीवन की सबसे अद्भुत अतुलनीय पल बन गया बेहद यादगार पल था राजू के लिए राजू ने कभी अपनी मां की गांड के लिए नहीं किया था उसे बिना कपड़ों के देखेगा इस बारे में कभी सोचा भी नहीं था कि जो कुछ भी हो रहा था वह राजू के जीवन में बदलाव लाने के लिए काफी था,,,,।
राजू की मां की रसीली बुर

image upload
कमला चाची की बड़ी बड़ी गांड देखने के बाद राजू को यही लगा था कि औरतों की गांड खूबसूरत होती है लेकिन आज अपनी मां की मदमस्त कर देने वाली गांड को देखकर राजू को यह समझ में आ गया था कि उसकी मां की गांड बेहद खूबसूरत है कमला चाची की गांड उसकी मां की गांड के आगे कुछ भी नहीं थी गांड की दोनों फांकें बड़े-बड़े तरबूज की तरह लग रही थी जिस पर मुंह लगाकर उसके रस को पी जाने का मन राजू का कर रहा था,,, तरबूज के टुकड़ों की तरह दांत से दबा कर अपनी मां की भरपूर जवानी के केंद्र बिंदु उसकी बड़ी-बड़ी गांड को काटने का मन कर रहा था,,,। इस मादकता भरे दृश्य को देख पाना राजू के बस में बिल्कुल भी नहीं था लेकिन फिर भी वह किसी तरह से अपने आप को संभाले हुए उसे दृश्य के हर एक रस के बूंदों को अपनी आंखों से पी रहा था,,,, राजू की आंखो में खुमारी छाने लगी थीशराब का नशा कैसा होता है उसे बिल्कुल भी नहीं पता था लेकिन अपनी मां के नंगे बदन को उसकी नंगी गांड को देखकर नशे पन का एहसास उसे जरूर हो रहा था,,,, पजामे में गदर मचा हुआ था वह कैसे अपने आप को संभाले हुए था यह भी अपने आप में काबिले तारीफ था वरना सबसे खूबसूरत औरत को नंगी देख लेने पर अपने आप ही पानी निकल जाता है,,,।

देखते ही देखते मधु अपनी गांड को अपनी पति हरिया के सामने कर दी,,, और हरिया अपनी बीवी की मदमस्त गांड को परोसे हुए स्वादिष्ट व्यंजन की तरह दोनों हाथों से झपट लिया और उसे अपनी तरफ खींच लिया उसकी कमर में हाथ डाले वह मधु को अपने ऊपर गिरा लिया और अगले ही पल मधु की भारी-भरकम गांड,,,राजू के पिताजी के मुंह पर थी एक तरह से मधु की गांड के नीचे राजू के पिता जी का चेहरा पूरी तरह से ढक गया था मानव की गांड की चादर ओढ़ा दी गई हो,,,, यह दृश्य देखकर राजू की हालत एकदम से खराब हो गई राजू अपने मन में सोचने लगा कि उसके पिताजी की किस्मत कितनी अच्छी है कि एक खूबसूरत औरत की गांड उसके चेहरे पर है,,,,अखिलेश पर मधु को जब एहसास हुआ कि उसकी भारी-भरकम कार्ड उसके पति के चेहरे पर है तो वह एकदम से हिचकते हुए बोली,,,,।


हाय दैया यह क्या कर रहे हैं आप उठने दीजिए मुझे,,,,


नहीं मेरी रानी बस ऐसे ही बैठे रहो,,, इसी तरह से तुम्हारी गांड चाटना चाहता हूं तुम्हारी बुर का रस पीना चाहता हूं,,,,
(और हरिया का इतना कहना था कि अकेले ही पल मधु की आंखें मदहोशी के आलम में मूंदने लगी उसके चेहरे के हाव-भाव बदलने लगे उसके होंठ हल्के से खुले के खुले रह गए,,,, क्योंकि हरिया एक साथ अपनी जीभ से उसकी गांड का छेद और उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया था राजू तो यह देखकर पूरी तरह से पागल हो गया,,,उसके पिताजी का चेहरा उसकी मां की गांड के नीचे पूरी तरह से ढका हुआ था इसलिए उसे ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन अपने पिताजी की बात सुनकर उसे इतना तो पता चल गया था कि उसके पिताजी उसकी मां की गांड और बुर दोनों अपनी जीभ से चाट रहे हैं,,,, औरत और मर्द के बीच का यह एक और प्रकरण किताबी पन्ने की तरह राजू की आंखों के सामने खुल रहा था ,,,उसे तो इस क्रिया के बारे में पता ही नहीं था वह तो बस दो बार कमला चाची की बुर में लंड डालकर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था उसे और कुछ ज्यादा मालूम नहीं था लेकिन वह अपनी आंखों के सामने अपने पिताजी और अपने मां की रंगरेलियां उनके मादकता भरे क्रीडा को देखकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,,।

कुछ देर पहले जो मधु अपने पति के चेहरे पर अपनी गांड रखे होने की वजह से शर्मिंदगी महसूस कर रही थी वही मधु अब बड़े मजे से धीरे-धीरे अपनी बड़ी बड़ी गांड को अपने पति के चेहरे पर रगड़ रही थी राजू यह देखकर पूरी तरह से मस्त हो जा रहा था अपनी मां की कामलीला को देख कर उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी उसकी आंखें देख रही थी उसमें सच्चाई ही सच्चाई थी जरा भी झूठा पन दिखावा नहीं था,,,, धीरे-धीरे मधु के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज फूटने लगी थी जो कि राजू के कानों तक आराम से पहुंच रहे थे राजू अपनी मां के बदलते चेहरे के हाव भाव को देखकर इतना तो अंदाजा लगा रहा था कि इस क्रिया को करने में उसकी मां को बहुत मजा आ रहा है उसके पिताजी के दोनों हाथ ऊपर की तरफ होकर उसकी मां की कमर को थामे हुए थे और ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी कमर को जोर से पकड़ कर उसकी कमर को अपने चेहरे पर और जोर से दबा रहे हैं यह आसन और यह क्रिया राजू के लिए बिल्कुल नया था लेकिन इससे राजू का जो श भी बढ़ता जा रहा था इस दृश्य के चलते राजू का हाथ अपने आप ही पजामे के अंदर चला गया और अपने खड़े लंड को पकड़ लिया,,,,,,


दीवार के छोटे से छेद में से राजू को अद्भुत और मनोरम दृश्य नजर आ रहा था वह बार-बार अपनी बुआ की तरफ देख ले रहा था जो कि बेसुध होकर सोई हुई थी अच्छा हुआ वह सो रही है अगर जाग गई होती तो उसे यह दृश्य देखने का मौका नहीं मिलता अपने मन में सोचते हुए अपनी मां के खूबसूरत बदन के हर एक अंग को और उसकी हरकत को बारीकी से देख रहा था,,,। उसकी मां गहरी सांसे दे रही थी और उसकी सांसो की गति के साथ उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां दशहरी आम की तरह झूल रही थी राजू का मन कर रहा था कि वह भी कमरे में घुस जाए और अपने दोनों हाथों में उसकी मां की चूची पकड़ कर उसे जी भर कर प्यार करें,,, यह ख्याल मन में आते ही राजू के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगती थी राजू को समझ में नहीं आ रहा था कि जब जब अपनी मां के बारे में गंदे विचार अपने मन में लाता था तब तक उसकी उत्तेजना इतनी ज्यादा क्यों बढ़ जाती थी लेकिन उसे इस ख्याल से आनंद भी आता था,,,,।

आहहहहह,,,,, आहहहहहह,,,,सईईईईईईईई,,,, आहहहहहहह,,, मेरे राजा बहुत मजा आ रहा है पूरी जीभ अंदर तक डालिए,,,,, हां,,,,,,,ऐसे ही,,,,,ऊफफफ,,,,,ऊमममममम,,,,
(राजू तो अपने मां के मुंह से इस तरह की रंगत भरी बातें सुनकर एकदम मस्त हुआ जा रहा था उसकी मां की हरकत को देखकर उसकी बातों को सुनकर उसे साथ पता चला था कि उसकी मां को बहुत मजा आ रहा है क्योंकि वह पूरी जीभ अंदर तक डाल कर चाटने के लिए बोल रही थी,,, इसका मतलब साफ था कि बुर में जीभ डालकर चाटा भी जाता है,,,,वह अपनी मन में इस बात को सोचकर और ज्यादा उत्तेजित हुआ जा रहा था वह सोचने लगा था कि औरत की बुर में जीभ डालने पर कैसा महसूस होता है राजू इस अनुभव से अवगत होना चाहता था,,,,वह धड़कते दिल के साथ पजामे में अपना हाथ डाले कमरे के अंदर के दृश्य को देख रहा था कुछ देर तक इसी तरह से चलता रहा,,,, तभी उसकी मां पीछे की तरफ झुकते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसके पिताजी के लंड को पकड़ ली,,,, यह दृश्य राजू को साफ नजर आ रहा था,,,,। वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी मां इस तरह से हरकत करेगी वह आप उसके पिताजी के लंड को पकड़ कर जोर जोर से हिला रही थी,,,, कि तभी राजू के पिता जी बोले,,,,।)


आहहहहह मेरी रानी ऐसे नहीं मुंह में लेकर चूसो,,,
(अपने पिताजी के मुंह से यह बातें सुनते ही राजू के दिल की धड़कन और ज्यादा बढ़ने लगी उसके मां और उसके पिताजी की एक-एक हरकत बारी-बारी से राजू के तन बदन में आग लगा रही थी एक-एक करके औरत और मर्द के बीच का यह रहस्य खुलता जा रहा था,,,, जिससे राजू पूरी तरह से आकर्षित हुआ जा रहा था उसके पिताजी के कहे अनुसार औरत आदमी का लंड चुसती है,,, अपने मन में सोचने लगा कि कमला चाची उसे चोदना तो सिखाई लेकिन उसके बारीकियों से उसे परिचित नहीं करवाई,,,,,, उसके पिताजी की बात सुनते ही उसकी मां अपनी बड़ी बड़ी गांड को उसके पिताजी के चेहरे पर रखे हुए ही पीछे की तरफ झुक गई और उसके पिताजी के लंड को मुंह में डालकर चुसना शुरु कर दी,,,। राजू के बदन में कंपन होना शुरू हो गया,,, राजू को अपनी मां का यह रुप बेहद लुभावना और कामुकता से भरा हुआ लग रहा था,,, जिसके प्रति राजू आकर्षित होता चला जा रहा था,,,, राजू की मां को ज्यादा उत्तेजित हो गई थी वह अपनी गांड को उसके पिताजी के चेहरे पर जोर जोर से पटक रही थी,,, शायद कामुकता भरे इस पल में मर्द औरत के भारी-भरकम वजन को भी बड़े आसानी से झेल जाता है तभी तो उसके पिताजी उसकी मां की पड़ी पड़ी गांड के वार को उसकी पटक पर बड़े आराम से अपने चेहरे पर झेल कर मस्त हुए जा रहे थे,,,।

कुछ देर तक यह दृश्य ऐसे ही चलता रहा,,,, रात और ज्यादा गहरी हो चली थी चारों तरफ सन्नाटा ही सन्नाटा था केवल रह-रहकर कुत्तों के भोंकने के ही आवाज आ रही थी,,,। ऐसे में सारा गांव नींद की आगोश में सो चुका था लेकिन राजू के पिताजी और उसकी मां की नींद उड़ी हुई थी वह दोनों शारीरिक क्रीड़ा में पूरी तरह से लिखते हो चुके थे इस बात से अनजान की बगल वाले कमरे में से उनका जवान बेटा उनकी काम क्रीड़ा को अपनी आंखों से देख रहा हैं,,,,। पूरी तरह से मस्त होने के बाद मधु अपने पति के ऊपर से उठी तो हरिया बोला,,,,।


कहां जा रही हो मेरी रानी,,,


कहीं नहीं जा रही हूं मेरे राजा तुम खटिया पर से उठ जाओ तो मैं लेटु,,, तभी ना मुझे चोदोगे,,,,
(राजू तो अपनी मां के मुंह से चोदने वाली बात सुनकर एकदम से हैरान और मस्त हुआ जा रहा था वह अपनी मां को आज तक एक सीधी-सादी और संस्कारों से भरी हुई औरत ही समझता था लेकिन आज उसका एक नया रूप देख रहा था इसलिए वह हैरान था,,,लेकिन इसमें दोष राजू का बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि राजू पति और पत्नी के बीच के रिश्ते से पूरी तरह से अनजान था वह यह बात नहीं जानता था कि दिन भर संस्कार से भरी हुई औरत अपने परिवार को संभालने वाली औरत,,,रात में अपने पति के साथ अपने सारे कपड़े उतार कर संस्कार और मर्यादा के दीवारों को गिरा कर,,, अपने पति के साथ चुदाई में मस्त हो जाती है,,,, मधु की बातें सुनकर हरिया बोला,,,)

नहीं नहीं मेरी रानी आज तुम मेरे ऊपर चढोगी,,,,


यह क्या कह रहे हैं आप सारी कसरत आप मुझसे करवाएंगे,,,,
इस तरह से मधु हरिया के ऊपर कूद रही थी


हां मेरी रानी अब जल्दी से चढ जाओ,,,,,

(अपने पिताजी की बात सुनकर राजू हैरान था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था ऊपर चढ़ जाने वाली बात उसे समझ में नहीं आई थी,,,,,लेकिन थोड़ी ही देर बाद सब कुछ साफ हो गया उसे सब कुछ समझ में आ गया कि उसके पिताजी किस बारे में बात कर रहे थे थोड़ी देर ना नूकुर करने के बाद मधु मान गई घुटने के बल होकर अपने पति के इर्द-गिर्द अपनी दोनों घुटनों को रख कर,,,एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपने हाथ से अपने पति का लंड पकड़ ले और से धीरे से अपनी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रख दी ऊपर चढ़ने के मतलब को अब राजु अच्छी तरह से समझ गया था,,,, देखते ही देखते उसकी मां अपने पति के मोटे तगड़े लंबे लंड को धीरे-धीरे अपनी बुर की गहराई में उतार ली,,,, राजू पहली बार अपनी मां की फोटो को देख रहा था एकदम खूबसूरत गुलाबी पत्ती से सुशोभित हल्के हल्के रोशनी बाल की गहराई लिए हुए अपनी मां की बुर को देखकर राजू पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो गया,,,, राजू अपनी मां की बुर को देखकर अपने मन में यही सोचने लगा कि उसकी बुआ की बुर और उसकी मां की बुर में ज्यादा फर्क नहीं था लेकिन दूर से देखने के बाद भी राजू इतना तो समझ गया था कि उसकी बुआ की दूर से ज्यादा उसकी मां की बुर मजा देती है,,,,। राजू धीरे-धीरे अपनी मां के नंगे बदन के हर एक अंग को देख लिया था,,, और उसे अपनी मां के भजन के हर एक अंग बेहद खूबसूरत और लुभावना लग रहा था,,,।


can i upload a picture to google search

राजू को एकदम साफ नजर आ रहा था उसकी मां उसके पिताजी के लंड पर चढ़ी हुई थी और उसके पिताजी का लंड उसकी मां की बुर की गहराई के अंदर था मधु की सांसे गहरी चल रही थी और वह धीरे-धीरे अपनी गांड को ऊपर नीचे करते हुए उसके पिताजी के लंड को अंदर बाहर ले रही थी यह आसन यह तरीका देखकर राजू का मन मचल उठा,,,,बार-बार उसकी नजर अपनी बुआ के ऊपर जा रही थी बगल के कमरे में अपनी मां की चुदाई देखकर राजू का मैंने अपनी बुआ पर मचल रहा था क्योंकि वह उसके साथ एक ही खटिया पर सोती थी और उसे इस बात का अहसास होने लगा था कि उसकी बुआ भी इस छेद में से अपनी भैया और भाभी की चुदाई देखकर मस्त होती है,,,इस बात का अंदाजा राजू लगा चुका था कि उसकी बुआ को भी यह सब अच्छा लगता है वरना वह छोटे से छेद में से बगल वाले कमरे के दृश्य को कभी नहीं देखती,,, अंदर का दृश्य इतना ज्यादा उत्तेजना से भरा हुआ था कि राजू के मन में आ रहा था कि वह अपने बुआ की चुदाई कर दें क्योंकि चोदना तो उसे आ ही गया था और चुदाई करने से पहले क्या-क्या किया जाता है यह भी वह अपने मां और पिता जी से सीख रहा था,,,।


राजू का पूरा ध्यान उसके पिताजी का नाम और उसकी मां की बुर पर टिका हुआ था,,,। उसकी आंखों के सामने उसके पिताजी कारण उसकी मां की बुर के अंदर बाहर हो रहा था,,। राजू की हालत खराब हो रही थी वह अपने मन में यही सोच रहा था कि काश वह उसके पिताजी की जगह होता तो उसकी मां उसके ऊपर होती और उसका लंड उसकी मां की बुर में होता,,,तो कितना मजा आता क्योंकि दो बार बार चुदाई के सुख से रूबरू हो चुका था वह जानता था कि चुदाई में बहुत मजा आता है,,,, धीरे-धीरे राजू की मां अपनी गांड जोर-जोर से अपने पति के लंड पर पटकने लगी ,,। जिसके साथ उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां भी जोर जोर से उछल रही थी जिसे उसके पिताजी अपना हाथ आगे बढ़ाकर दोनों हाथों में थाम ले उसे जोर जोर से दबाने लगे अपने पिताजी को इस तरह से अपनी मां की चूची को दबा कर के देख कर राजू को वह दिन याद आ गया जब वहां की कमला चाची को चोदते हुए उसकी चूची को अपने हाथ में पकड़ कर दबाने के लिए मचल रहा था लेकिन ऐसा करने की हिम्मत नहीं थी,,,।राजू अपने मन में यही सोच रहा था कि चोदते सभी औरतों की चूची दबाने में ज्यादा मजा आता होगा और यही सोचते हुए अपने पजामे को घुटने तक नीचे गिरा दिया,,, और अपने लंड को जोर से अपनी मुट्ठी में भर कर आगे पीछे करके हिलाने लगा,,, राजु को मुठ मारने का ज्ञान बिल्कुल भी नहीं था और ना ही उसने आज तक मारा था लेकिन अपनी मां की मदमस्त चुदाई देखकर वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था और अनजाने में ही वह मुठ मारना शुरू कर दिया,,,।

उसके पिताजी नीचे से भी अपनी कमर को ऊपर की तरफ दे मार रहे थे शायद उत्तेजना में उसकी चुदाई करते हुए वह अपने आप पर काबू नहीं रख पा रहे थे मधु राजू की मां पूरी तरह से मस्त होकर जोर-जोर से अपने गांड को हरिया के लैंड पर पटक रही थी राजू अपने पिताजी के लंड को देख कर उसकी तुलना अपने लंड से करने लगा था जो कि हर हाल में उसके पिताजी के लंड से उत्तम कोटि का था,,, और इसीलिए राजू इस बात से सहमत हैं कि अगर उसकी मां की पूरी में उसका लंड जाएगा तो उसकी मां को उसके पिताजी की चुदाई से ज्यादा मजा आएगा,,,।

दोनों तरफ का माहौल पूरी तरह से गर्म हो चुका था हरिया और मधु एक साथ चरमोत्कर्ष के करीब पहुंच चुके थे और दूसरी तरफ राजू भी अपने लंड को हिलाते हुए पानी निकालने के करीब था,,, तभी राजू की मां के मुंह से तेज सिसकारी फूट पड़ी,,,।

ससहहहह,,आहहहहह,आहहहहहह,, मैं तो गई,,,, मैं तो गई मेरे राजा,,,,,आहहहहहहहह,,,,,


मैं भी गया मेरी रानी,,,,(और इतना कहने के साथ ही दोनों झड़ गए,,, साथ ही राजू जी अपनी पिचकारी दीवार पर मार दिया,,,,राजू की सांसे तेज चल रही थी उसका पानी निकल चुका था लेकिन फिर भी वह दीवार के उस छोटे से छेद में से अंदर अपने मां पिताजी को देख रहा था जो कि उसकी मां उसके पिताजी के ऊपर निढाल होकर गिर गई थी और उसके पिताजी,, उसकी मां को बाहों में लेकर उसकी पीठ सहला रहे थे अब राजू के लिए वहां खड़े रहना उचित नहीं था,,,आज का यह अनुभव राजू के जीवन का सबसे बड़ा सड़क साबित होने वाला था वह अपने माता-पिता की चुदाई को देखकर बहुत कुछ सीख चुका था वह अपने पहचाने को ऊपर करके वापस खटिए पर आ गया उसकी बुआ बेसुध होकर सो रही थी,,, लो खटिया पर पीठ के बल लेटा हुआ था,,, वह अभी भी अपनी सांसो को दुरुस्त नहीं कर पाया था,,, पानी निकल जाने की वजह से,,, उसका दिमाग थोड़ा ठंडा महसुस कर रहा थाइसलिए अपनी बुआ के बारे में कुछ सोच पाता इससे पहले ही वह नींद की आगोश में चला गया,,,।
वाह जी वाह ! क्या विस्तृत बर्णन किया है दोस्त / मम्मी पापा की चुदाई जिसने एक बार देख ली वो सारी उम्र नहीं भूल सकता दोस्त (ये मुझ से अच्छी प्रकार से कौन जान सकता है ) वो कहते है ना की "जिस तन लागा सो तन जाने..." मैं जब भी मम्मी पापा की चुदाई की कहानी पड़ता हूँ तो मेरी आँखों के सामने बचपन से (कई बार ) देखि हुई मम्मी पापा की चुदाई और मम्मी का उछल कर चुदवाना याद आ जाता है ... और भी बहुत है जो आँखों क सामने सजीव जो जाता है ...

एक बार फिर से धन्यवाद और शुबकामनाएं !!
 
Top