सोनी आज बहुत खुश नजर आ रही थी,,,, जिसे वह महीनों से ढूंढ रही थी आज वह उसके पास पढ़ने के लिए आ रहा था सोनी को यह पता नहीं था कि वह उसे वास्तव में शिक्षा का अभ्यास कराने के लिए बुला रही थी या,,, संभोग कला के अध्याय के हर एक पन्ने को बड़ी बारीकी से पढ़ाने के लिए,,,,,,, सोनी को अपनी मदमस्त जवानी पर पूरा भरोसा था कि वह राजू को अपनी दोनों टांगों के बीच लेकर आएगी,,, और अपनी प्यासी जवानी की प्यास बुझाएगी,,, राजू के जबरदस्त लंड की वजह से उसकी रातों की नींद हराम हो गई थी,,, दिन रात उसकी आंखों के सामने राजू का टनटनाया हुआ लंड ही नजर आता था,,। जिसे पाने के लिए उसे अपनी बुर के अंदर लेने के लिए उसका तन बदन मचल रहा था,,,,,।किसी भी हाल में वह राज्यों को अपने आगे घुटने टेक देने पर मजबूर करने के लिए पूरी तैयारी के साथ घर से निकली थी,,, अपने नितंबों पर साड़ी का कसाव कुछ ज्यादा ही बढ़ा कर उसने साड़ी को पहनी थी,,, ताकि उसकी गांड और ज्यादा बड़ी लगे क्योंकि वह अच्छी तरह से जानते थे कि मर्दों की निगाह औरतों के किस अंग पर सबसे पहले पडती है और सबसे ज्यादा आकर्षित करती है,,, औरतों की बड़ी बड़ी गांड देखकर ही मर्दों की उत्तेजना ज्यादा बढ़ जाती है इसीलिए वह किसी भी प्रकार की कसर छोड़ना नहीं चाहती थी वह चाहती थी कि उसकी बड़ी-बड़ी मटकती गांड देखकर राजू पूरी तरह से मदहोश हो जाए उसका ईमान डगमगा जाए,,,, और इसीलिए ब्लाउज भी अपनी चूचियों की साईज से छोटा ही पहनी थी,,, और उसकी चुचियों की बीच की गहरी लकीर काफी लंबी नजर आ रही थी,,,, और आधे से ज्यादा चुची ब्लाउज से बाहर जा रही थी,,,, और आज उसने साड़ी भी पारदर्शी पहनी हुई थी जिसमें से सब कुछ नजर आ रहा था,,, कुल मिलाकर यह सब सोनी ने राजू के लिए जाल बिछा कर रखी थी उसे एक पंछी की तरह अपनी जवानी के जाल में फंसाना चाहती थी,,,,और वैसे भी दुनिया का कौन सा मर्द होगा जो ऐसी खूबसूरत औरत की मदमस्त जवानी के जाल में फंसना चाहता हो,,,,,,
Soni ki badi badi chuchiyo ko dekh kar raju ka man use dabane ka kar raha tha
आम का बगीचा सोनी का ही था गांव से अलग होने की वजह से यहां पर कोई आता जाता नहीं था इसलिए शिक्षा और संभोग के लिए ये जगह बहुत अच्छी थी,,,,,,, सोनी ऊंची नीची पगडंडियों से होती हुई आगे बढ़ रही थी और ऊंची नीची पगडंडियों पर पैर रखने की वजह से उसकी गांड की थिरकन कुछ ज्यादा ही बढ़ जा रही थी,,, बेहद मादक और अद्भुत दृश्य था,,, सोनी को इस तरह से ऊंची नीची पगडंडियों पर चलते हुए देखना भी,,किस्मत की बात थी उसकी मदमस्त कर देने वाली गांड की चाल देखकर अच्छे अच्छों का लंड खड़ा हो जाता था और यह बात सोनी भी अच्छी तरह से जानती थी,,,, उसके लिए यह बात सबसे अच्छी थी कि वह काम से बाहर रहती थी और गांव और बगीचे के बीच का रास्ता हमेशा सुनसान रहता था,,,, इसलिए उसकी ऐसी मादक चाल देखने वाला वहां कोई नहीं था,,,।
थोड़ी देर में चलते-चलते सोनी अपने गंतव्य स्थल पर पहुंच गई,,, आम का बगीचा काफी बड़ा था,, और काफी खाना भी था उसे उसे बड़े-बड़े पेड़ और सभी पेड़ों पर आम लगे हुए थे,,,,, लदा लद आम लगे होने के कारण नजारा काफी खूबसूरत दिखाई दे रहा था,,,,,,, आम के बगीचे में एक झोपड़ी नुमा घर बना हुआ था,,,, जिसमें आम की रखवाली करने वाला माली रहता था लेकिन अभी वहां कोई नहीं रहता था,,,, पास में ही पानी पीने के लिए हेड पंप लगा हुआ था,,,,।
Raju ko yad karke soni ki chut gili huyi ja rahi thi
राजू श्याम और उसके दोस्त एक घने पेड़ के नीचे खड़े होकर सोनी का इंतजार कर रहे थे,,,,वह लोग आम के बगीचे को चकर पकर देख रहे थे क्योंकि उनमें से कोई भी यहां पर कभी भी नहीं आया था और इतने सारे आम लगे होने की वजह से वह लोगों के मुंह में पानी आ रहा था,,,, राजू को तो केवल सोनी का ही इंतजार था,,,, और सामने से आती हुई देखकर राजू का मन हर्षोल्लास से भर गया,,, उसके दिल की धड़कन तेज हो गई ऐसा लग रहा था कि जैसे आसमान से उतरकर कोई परी उसके सामने चलती हुई उसके पास आ रही हो,,,, अद्भुत मादस चाल देखकर राजू के साथ साथ बाकी लोगों का भी दिल मचलने लगा था,,,, सोनी बला की खूबसूरत थी,,,,। सभी के सभी आख फाड़े उसी को ही देख रहे थे,,,, उसका जलवा खूबसूरती अद्भुत थी,,,। पास में पहुंचते ही वह लोग शालीनता दिखाते हुए हाथ जोड़कर सोनी का अभिवादन किया जवाब में इतना भी मुस्कुरा कर उन लोगों का अभिवादन की,,,, खास करके उसकी नजर राजू पर ही टिकी हुई थी उसका भोला मासूम चेहरा देखकर सोनी को यकीन नहीं हो रहा था कि इतने मासूम भोले चेहरे वाले लड़के के पजामे में बलशाली औजार होगा,,,।
वह मादक मुस्कान बिखेरते हुए राजू से बोली,,,,
तुम जाओ पहले उसमें से टेबल लेकर के आओ,,,(उस घास फूस की झोपड़ी की तरफ उंगली से इशारा करते हुए बोली,,,आते ही राजू से बातचीत की शुरुआत होते ही राजू तो मन ही मन प्रसन्न होने लगा लेकिन श्याम अंदर ही अंदर क्रोधित होने लगा खुश होकर राजू तुरंत और छोकरी की तरफ गया और लकड़ी से बने दरवाजे को धीरे से खोलकर अंदर से टेबल लेकर बाहर आ गया,,,,।)
Soni apni chut ki pyas apni ungliyo se bujhane ki koshis karte huye
हां ठीक है इसे यहां पर रख दो,,,,(आपके घने पेड़ के नीचे छांव देखकर सोनी वही टेबल रखने के लिए बोली जिस पर बैठकर वह उन लोगों को पढ़ाने वाली थी,,, राजू अच्छे से साफ करके टेबल वही रख दिया,,,, खास करके टेबल के ऊपर वाले भाग को वह अच्छे से साफ करके धुल मिटटी साफ कर दिया था ताकि,,,उसकी साड़ी गंदी ना हो जाए क्योंकि टेबल पर ही वह अपनी खूबसूरत गांड रखकर बैठने वाली थी,,,,, राजू के हाऊ भगत को देखकर सोनी मन ही मन खुश होने लगी और मुस्कुराते हुए टेबल पर अपनी गांड रख कर बैठ गई,,,,)
अब तुम लोग बैठ जाओ,,,,
(सोनी की बात सुनते ही लड़की नीचे जमीन पर बैठ गए,,, और वह एक शिक्षिका के तौर पर उन लड़कों से बोली,,)
आज तुम लोगों का पहला दीन है,,,, इसलिए एक दूसरे का परिचय होना जरूरी है,,,, मेरा नाम सोनी है,,,, और तुम लोग अपना नाम एक-एक करके बताओ,,,,
(उसकी बात सुनकर सब लड़के बारी-बारी से अपना नाम बताने लगे,,, राजू की बारी है आते ही सोनी बोली)
तुम्हारा नाम क्या है,,,,
मेरा नाम राजू है,,,
बड़ा प्यारा नाम है,,,,
(इतना कहकर सोनी मुस्कुराने लगी राजू को भी सोने की बातें उसकी मुस्कुराहट बहुत अच्छी लग रही थी खास करके उसका ध्यान सोनी की छातियों पर जा रहा था,,, क्योंकि पारदर्शी साड़ी पहनी होने की वजह से उसकी भरपूर छातियां अपने संपूर्ण आभा बिखेर रही थी,,, राजू के मुंह में तो पानी आ रहा था ऐसा नहीं था की सिर्फ राजू की नजर उस पर थी,,, बाकी लड़कों की भी नजर उसकी गोलाकार छातियों पर जा रही थी ऐसा लग रहा था कि सभी के सभी पढ़ने नहीं करती उसे ताकने झांकने के लिए आए हैं,,, अपने नाम की तारीफ सुनकर राजू से भी रहा नहीं गया और वह भी जवाब में बोला,,,)
तुम्हारा नाम भी बहुत खूबसूरत है,,,सोनी,,, हम लोग आपको सोनी दीदी कह कर बुलायेंगे,,,
सोनी दीदी,,,,( राजू के मुंह से सोनी दीदी सुनकर वह अपने आप में ही बोलते हुए अपने मन में सोचने लगी कि सोनी दीदी,,,, अगर इन लड़कों के साथ राजू कि मुझे सोनी दीदी कहेगा तो मैं तो उसकी बड़ी बहन हो जाऊंगी तभी उसके मन में ख्याल आया कि वैसे तो वह अपने बड़े भाई की भी छोटी बहन है फिर भी तुम अपने बड़े भाई से चुदवाती है अगर राजू भी उसे चोदेगा तो कौन सी आफत आ जाएगी,,, मन में यह ख्याल आते ही उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी और वह मुस्कुरा कर बोली,,,)
ठीक है तुम लोग मुझे सोनी दीदी कहना,,,, अच्छा यह तो हो गया हम लोगों का परिचय अब थोड़ी पढ़ाई कर लेते हैं इससे पहले तो तुम लोग कभी पढ़े नहीं होगे,,,
Soni ki madhosh jawani
जी सोनी दीदी,,,,(श्याम एकदम से बोला क्योंकि वह भी सोनी से किसी भी तरह से बातचीत करना चाहता था)
ठीक है इसलिए तुम लोगों को शुरू से पढ़ाना होगा तभी जाकर कुछ सीख पाओगे वरना कुछ नहीं आएगा,,,,,, तुम लोग पहले थोड़ा थोड़ा दूरी बना कर बैठ जाओ क्योंकि तुम लोगों के पास लिखने के लिए पाटी नहीं है,,,कुछ दिन तक ऐसे ही पढ़ लो उसके बाद में तुम लोगों को पाटी लाकर दूंगी तब उस पर लिखना,,,।
ठीक है दीदी,,,,(उनमें से एक लड़का बोला और सभी लोग अपने से थोड़ी थोड़ी दूरी बना कर बैठ गए,,,)
हां अब ठीक है,,,,अब मैं तुम लोगों को क ख ग घ सिखाऊंगी,,,,(इतना कहते हुए वह टेबल पर से उठ कर खड़ी हो गई,,,जिस पेड़ के नीचे बैठी थी उस पेड़ की तरफ मुंह करके कुछ सोचने लगी ऐसा करने पर उसकी पीठ उन लड़कों की तरफ हो गई और सभी लड़कों की नजर उसकी कसी हुई गांड पर चली गई जो कि बेहद आकर्षक लग रही थी उसकी पतली चिकनी कमर देख कर ऊन लड़कों का ईमान फिसल रहा था,,, श्याम की भी हालत पतली हो रही थी राजू पूरी तरह से उसके रूप रंग का दीवाना हो गया था,,, राजू अच्छी तरह जानता था कि साड़ी के अंदर वह गजब का माल छुपा कर रखी है क्योंकि वह इकलौता सक्सेना उन लड़कों में जिसने अपनी आंखों से सोनी की नंगी गांड को देखा था उसे पेशाब करते हुए देखा था,,, और उसकी मदमस्त गोरी गोरी गोल गांड को देखकर उसका दीवाना हो गया था और साथ ही पेशाब करते समय उसकी बुर से निकल रही मधुर आवाज को सुनकर वह पूरी तरह से बावला हो गया था जिसके चलते वह अपने आप पर काबू नहीं कर पाया था और उसी जगह पर उसे पेशाब करते हुए देख कर मुठ मारना शुरू कर दिया था और वहीं पर अपना पानी गिरा दिया था,,,,बाकी के लड़के तो सिर्फ उसके बारे में कल्पना भर कर सकते थे लेकिन राजू ने जो देखा था शायद इस बारे में उन लोगों को आभास तक नहीं था इसीलिए तो राजू अच्छी तरह से जानता था कि उसकी कसी हुई साड़ी के अंदर कैसा बवाल छुपा हुआ है जिसे देख कर राजू का लंड तुरंत खड़ा हो गया था,,,,। सोनी कुछ देर तक पेड़ की तरफ देखकर सोचती रही फिर वापस मुड़कर,,, राजू से बोली,,,।
राजू तुम मेरे साथ चलो झोपड़ी में से ब्लैक बोर्ड लाना है,,,(ऐसा कहते हुए वहां अपनी साड़ी की किनारी को अपनी कमर में खोसने लगी यह नजारा राजू के साथ सर बाकी लड़कों के लिए भी जान लेवा था मांसल चिकनी कमर देखकर सभी लड़कों के मन पर भारी असर हो रहा था सोनी की बात सुनकर,,, राजू आश्चर्य जताते हुए बोला,,,)
क्या क्या-क्या लाना है दीदी,,,,
अरे तुम चलो तो सही,,,(सोनी अच्छी तरह से जानती थी कि ब्लैक बोर्ड के बारे में इन लोगों को कुछ भी पता नहीं है इसीलिए वह बताना नहीं बल्कि दिखाना चाहती थी,,,, और इतना कहकर वह आगे आगे चलने लगी,,,,राजू अपनी जगह पर खड़ा हो गया था और उसके पीछे-पीछे चलने लगा था उसके पीछे-पीछे चलने में भी राजू की हालत खराब हो रही थी क्योंकि उसकी आंखों के सामने ही उसकी मतवाली मदमस्त बड़ी बड़ी गांड मटक रही थी उसे देखकर राजू का मन कर रहा था कि आगे बढ़ कर उसकी गांड को अपनी बाहों में भर लें और उस पर चुंबनों की बरसात कर दें,,, सोने की जवानी पूरी तरह से गदराई हुई थी उसकी जवानी को रोंदने वाला उसके रस को निचोड़ने वाला मर्द अभी तक उसे मिला नहीं था,,, इसलिए उसकी जवानी और ज्यादा उफान मार रही थी,,,, श्याम और उसके साथी उन दोनों को जाते हुए देखते रह गए उसकी मटकती हुई गांड को देखकर श्याम आपने साथी से बोला,,)
हाय क्या चीज है यार कसम से अगर ये अपनी आंखों के सामने कपड़े उतार कर नंगी हो जाए तो मुझे तो लगता है कि हम लोगों का खड़े-खड़े पानी निकल जाए,,,,
हां यार सच कह रहा है तू शायद इसकी जवानी को संभाल पाना अपने लोगों के बस की बात नहीं है,,, इसलिए तो राजू ही ठीक है,,,,,
(अपने साथी की इस तरह की बातें सुनकर श्याम उसे गुस्से से देखने लगा और बोला)
क्यों रे पागल हो गया क्या तू हम लोगों में कौन सी कमी है जो हम लोग इसकी जवानी को संभाल नहीं पाएंगे,,,
अरे यार तू नाराज मत हो लेकिन तो यह बात अच्छी तरह से जानता है कि औरतों को मोटे तगड़े लंबे लंड से ही मजा आता है और राजू का लंड देखा हा ना तु तेरी बोलती बंद हो गई थी,,,,
(राजू के लंड का जिक्र आते ही श्याम खामोश हो क्या क्योंकि वह अपनी आंखों से देख चुका था वाकई में उसका लंड एकदम मुसल कि तरह था,,, उन लोगों की बात सुन उनका एक साथी बीच में बोल पड़ा ,,,)
अरे तुम लोगों की शामत आई है क्या अपनी मौत को दावत दे रहे हो,,, उसके बारे में गंदी गंदी बातें कर रहे हो अगर पता है उसे भनक लग गई तो क्या होगा,,,,, साले मारे जाओगे पता भी नहीं चलेगा कहां चले गए लाला की बहन है,,,, और उसके पास हम लोगों की सब लोगों की जमीन गिरवी पड़ी है कुर्सी पता चल गया कि तुम लोग उसकी बहन के बारे में गंदी गंदी बातें करते हो तो तुम्हारी जुबान खींच लेगा,,,,
(उसकी बात सुनते ही सब खामोश हो गए क्योंकि जो कुछ भी वह कह रहा था वह सच था ,,, लाला बहुत हारामी था और उसके पास सभी लोगों की जमीन गिरवी पड़ी थी इसलिए कोई भी उससे जानबूझकर भी दुश्मनी मोल लेना नहीं चाहता था इसलिए वह लोग एकदम खामोश बैठे हैं और राजू और सोनी दोनों ऊस छोटे से झोपड़ी के करीब पहुंच गए,,,,।)
अब क्या करना है दीदी,,,,
दरवाजा खोलो,,,,,
(इतना सुनते ही राजू लकड़ी के दरवाजे को धीरे से खोल दिया पहले सोनी जोकि लंबाई में थोड़ी बड़ी होने के नाते अंदर प्रवेश करते समय थोड़ा सा झुककर अंदर की तरफ जाने लगी और इस तरह से झुकने में उसकी बड़ी बड़ी गांड बाहर की तरह उभर कर सामने आ गई है देखकर राजू का मन कर रहा था कि उसे पीछे से पकड़ ले उसके साड़ी कमर तक उठाकर उसकी चुदाई कर दें लेकिन ऐसा कर सकने की हिम्मत उसने बिल्कुल भी नहीं दी क्योंकि वह यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि वह लाला की बहन थी,,, सोनी के अंदर प्रवेश करते ही राजु भी पीछे पीछे हल्का सा झुककर अंदर घुस गया,,, अंदर पहुंचते ही बोला,,,)
Soni ki tu thirkati huyi badi badi gaand dekhkar raju ekdam madhosh gaya
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अब क्या करना है दीदी,,,?
कहीं-कहीं ब्लैक बोर्ड रखा होगा,,, उसे ढूंढना है,,,(सोनी इधर-उधर चकर पकर देखते हुए बोली,,हालांकि वह झूठ तो रही थी ब्लैकबोर्ड लेकिन उसके मन में कुछ और चल रहा था वह किसी भी तरह से राजु को अपनी जवानी का जलवा दिखाना चाहती तो उसे अपनी जवानी का रस खिलाना चाहती थी उसे उत्तेजित करना चाहती थी इसीलिए उस बारे में युक्ति सोच रही थी,,,)
दीदी तुम जो कुछ भी कह रही हो इस बारे में मुझे बिल्कुल भी पता नहीं है,,,
मैं जानती हूं राजू,,,,(इतना कहते हुए उसे ब्लैक बोर्ड दिखाई दे क्या जो की झोपड़ी के अंदर थोड़ी ऊंचाई पर रखा हुआ था,,,, वह चाहती तो टेबल पर चढ़कर उसे उतार सकती थीलेकिन उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था क्योंकि झोपड़ी के अंदर आते ही उसकी नजर सीडी पर पड़ी थी जो कि तीन चार पट्टे की ही थी ज्यादा ऊंचाई उसकी नहीं थी और वह राजू को उत्तेजित करने के लिए उसी सीडी का उपयोग करना चाहती थी,,,)
राजू तुम वो सीढ़ी लेकर आओ,,,,(उंगली से कोने की तरफ इशारा करते हुए बोली और राजू तुरंत वह सीढी लेकर आ गया,,,)
लो दीदी,,,,(इतना कहते हुए वह सीडी को सोनी के एकदम करीब अपने हाथ का सहारा देकर रखते हुए बोला सोनी राजू की हर एक हरकत को देख रही थी उसे देखकर उत्तेजित होने जा रही थी बार-बार उसे उसके पजामे के अंदर उसका लंड झुलता हुआ नजर आ रहा था,,, सोने के मन में क्या चल रहा है राजू को इसका आभास तक नहीं था,,, अगर उसे पहले से ही सोने के मन का आभास हो जाता तो शायद यह सारा तिकडम रचाना ही नहीं पड़ता,,, अब तक तो वह सोनी की साड़ी उठाकर उसकी चुदाई कर दिया होता,,,,,,, सोनी उस छोटी सी सीढ़ी को बड़े गौर से देख रही थी नीचे से दूसरे नंबर की पाटी,, एकदम ढीली थी जो कि कभी भी टूट सकती थी,,, और उसी को देखकर उसके मन में युक्ति जन्म ले रही थी उसका दिमाग बड़ी जोरों से चल रहा था शायद ऐसे मामले में उसका दिमाग और ज्यादा तेज चलने लगता था,,, सोनी जानबूझकर सीढ़ी के नीचे वाले पाटी की मजबूती परखने के लिए नीचे की तरफ झुक गई जिसकी वजह से उसके साड़ी का पल्लू उसके कंधे से नीचे गिर गया और उसकी मदमस्त कर देने वाली चुचियां,,,,जो कि जंगली कबूतर की तरह ब्लाउज के अंदर कैद अपने पंख फड़फड़ा रहे थे वह तुरंत बाहर आने के लिए बेकाबू हो गए,,,, सोने की भारी-भरकम छातियों को देखते हुए राजू की हालत खराब हो गई,,,, राजू का मन एकदम से ललच उठा,,,उसकी चुचियों को देखते ही राजु मन में ख्याल आने लगा कि एक एक चूची 1 लीटर दूध से भरी होगी,,,,जिसे मुंह में भर कर पीने में बहुत मजा आएगा,,,, चुचियों के साईज से छोटा ब्लाउज अपने छोटे-छोटे बटन के सहारे ना जाने कैसे उसकी भारी-भरकम चुचियों को सहारा देकर थामे हुए था,,,,,,अगर थोड़ा सा और झटका खाता तो शायद उसके ब्लाउज के बटन चरचरा कर टूट जाता है और उसकी मदमस्त कर देने वाली चूचियां एकदम से बाहर आकर राजू से गुफ्तगू करने लगती,,,,राजू अपने मन में यही सोच रहा था कि कहां से उसके ब्लाउज का बटन टूट जाता है तो उसे उसकी नंगी चूचियों को देखने का मौका मिल जाता नंगी गांड के दर्शन तो वह झाड़ियों में कर ही चुका था,,, वह एकटक आंखें आंखें झुकी हुई सोनी की ब्लाउज में लटक रहे चुचियों को देख रहा थाइस बेहद कामोत्तेजक नजारे का असर राजू को अपनी दोनों टांगों के बीच होता हुआ महसूस हो रहा था,,, उसके लंड में तनाव आना शुरू हो गया था,,, और सोनी अपनी जाल फेंकने में कामयाब हो गई थी लेकिन वह तसल्ली कर लेना चाहती थी कि वह पूरी तरह से अपनी चाल में कामयाब हुई है कि नहीं क्योंकि वह जानबूझकर इस तरह से चुकी थी और अपनी साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा ही थी यही देखने के लिए राजू की तरफ देखिए कि वह उसकी चूचियों की तरफ देख रहा है कि नहीं और उसे अपनी चूचियों की तरफ पागलों की तरह देखता पाकर वह मन ही मन खुश होने लगी,,,, जितना झलक दिखाना था उतना सोनी ने दिखा चुकी थी और मुस्कुरा कर अपने पल्लू को पकड़कर खड़ी होते हुए अपनी साड़ी के पल्लू को अपने कंधे पर रखकर दोनों हाथों से उसे अपनी छातियों पर खींचकर ढकते हुए बोली,,,
बाप रे मुझे तो शर्म आ रही है,,,,(राजू अभी भी उसकी भारी-भरकम छातियों की तरफ देख रहा था,,, राजू को इस तरह से ताकता हुआ देख कर सोनी को अपनी बुर में कुछ होता हुआ महसूस हो रहा था,,,, सोनी की बात सुनकर राजू बोला,,,)
किस बात के लिए दीदी,,,
इसीलिए कि मेरा साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिर गया,,,
अरे वह तो जानबूझकर थोड़ी ना गिरा है अनजाने में गिर गया,,,,,
हां कह तो तुम सच ही रहे हो,,,,(इतना क्या करूं मुस्कुराने लगी,,, और सीढ़ी को यह जगह लगाने के लिए बोल कर वह बोली,,,)
संभाल तो लोगे ना,,,
हां दीदी सामान तो लूंगा लेकिन मुझे कह दो मैं उतार दूंगा क्या उतारना है,,,
तुम्हें अगर मालूम होता तो तुम ही को बोलती लेकिन तुम्हें मालूम नहीं है इसलिए मुझे ही उतारना होगा,,,, तीन चार लकड़ियों के के बीच दबा हुआ है,,,,,,,
ठीक है दीदी तुम सीढ़ी पर चढ़ो मै संभाल लूंगा,,,
मेरा वजन ज्यादा है राजू,,,
कोई बात नहीं दीदी मैं भी हट्टा कट्टा जवान हूं आराम से संभाल लूंगा,,,
(राजू की बात सुनते ही सोनी मन ही मन मुस्कुराने लगी और अपने मन में ही बोली इसीलिए तो अपनी जवानी तुझे सोपने का इरादा कर लि हुं)
चलो तुम पर मुझे पूरा भरोसा है आराम से पकड़ना,,, दूसरे नंबर की पाटी एकदम कमजोर है,,,(सीढी को योग्य स्थान पर लगाते हुए वह बोली,,)
चिंता मत करो दीदी में गिरने नहीं दूंगा,,,(राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था सोनी के तन से उठा रही मादक खुशबू राजू को मदहोश कर रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था इतने करीब से वह सोनी के खूबसूरत बदन की गर्मी को अपने अंदर महसूस कर रहा था हालांकि वह पहले भीसाड़ियों के अंदर सोने की नंगी गांड को देख चुका है उस के नंगे पन के दर्शन कर चुका है लेकिन इस समय के हालात कुछ और थे,,, सोनी के द्वारा बिना कपड़े उतारे ही राजू पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था,,, इसका असर उसे अपने दोनों टांग के बीच होता हुआ महसूस हो रहा था,,,, राजू की बात सुनकर वह तसल्ली के साथ सीढ़ी पर चढ़ने लगी पहली सीढ़ी पर पैर रखने से पहले वह अपनी साड़ी को थोड़ा सा उठा कर अपनी कमर में खोंश दी जिससे उसकी साड़ी उसके घुटने तक उठ गई और उसकी नंगी दूधिया चिकनी पिंडलिया नजर आने लगी,,,जिसे देखते ही राजू की आंखों में हमारी जाने लगी राजू का मन उसकी नंगी चिकनी टांगों को छूने का कर रहा था लेकिन ऐसा कर सकने की हिम्मत उसमें बिल्कुल भी नहीं थी,,,, झोपड़ी के अंदर क्या हो रहा है बाहर बैठे लड़कों को इसका अहसास तक नहीं था लाला की बहन होने के नाते वालों किसी भी प्रकार की गलती नहीं करना चाहते थे इसलिए वहीं बैठे रह गए ,,, हालांकि उन लोगों के मन में भी उत्तेजना का सैलाब रहा था लेकिन किसी तरह से वह लोग अपने आप पर काबू किए हुए थे,,,
राजू की किस्मत बड़े जोरों पर थी कुछ ही दिन में उसे एक-एक करके नई-नई औरतों का संगत प्राप्त होता जा रहा था पहले कमला चाची फिर उसकी खुद की जवान होगा और अब लाला की बहन सोनी जो अपनी जवानी के जलवे बिखेर रही थी,,,, सोनी का भी दिल जोरों से धड़क रहा था साड़ी को थोड़ा सा उठा कर कमर मैं खोसने की जगह वह अपने मन में सोच रही थी कि क्यों ना साड़ी को कमर तक उठाकर राजू को अपने नंगे पन का दर्शन करा दे अपनी बुर्का दर्शन करा दे जिसे देखकर वह पूरी तरह से बावला हो जाए और उसका गुलाम बन जाए,,, लेकिन ऐसा करना शायद उसके भी संस्कार में नहीं था खुले तौर पर वह इस तरह की हरकत नहीं करना चाहती थी भले ही वह अपनी कामुक अवस्था को संभालना पा रही हो लेकिन खुले तौर पर इस तरह की हरकत उसे भी मंजूर नहीं थी वह इस खेल में धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहती थी,,,, ताकि राजू को भी लगे कि सब कुछ अनजाने में हुआ है,,,सोनी अपनी जवानी का जलवा बिखेरने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी और वह अपनी एक टांग सीढ़ी पर रखकर चढना शुरु कर दी थी पहली सीढ़ी मजबूत थी इसलिए उसे दिक्कत नहीं हुई लेकिन वो जानती थी कि दूसरी सीढ़ी कमजोर है और उस पर धीरे से पैर रखकर वह आगे बढ़ने लगी दूसरी सीढ़ी पर पहुंचते ही टांग उठाने की वजह से उसकी गोलाकार गांड बड़े-बड़े तरबूज की तरह उभर कर सामने आ गई,,, मानो कि जैसे खेतों में झाड़ियों के बीच सबसे बड़ा तरबूज उठाए खड़ा हो,,,,गोल गोल गांड देख कर राजू की हालत खराब हो रही थी उसका मन कर रहा था कि अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर उसकी गांड को थाम ले उसकी गर्मी को अपने अंदर महसूस करें,,, लेकिन वह सिर्फ देखता ही रह गया,,, देखते ही देखते सोनी तीसरे सीढ़ी पर चढ़ चुकी थी और नीचे खड़ा राजू,,, नजर उठाए ऊपर की तरफ देख रहा था उसकी कोशिश पूरी थी कि उसकी नजर उसकी साड़ियों के बीच अंदर तक पहुंच जाएं लेकिन सोनी नहीं पीनी भी साड़ी ऊपर नहीं उठाई थी कि उसकी नजर उसकी दोनों टांगों के बीच पहुंच पाती अंदर बहुत अंधेरा था इसलिए उसे कुछ नजर नहीं आ रहा था,,, सोनी राजू को बराबर समय दे रही थी ताकि वह उसकी खूबसूरत जवानी के रस को अपनी आंखों से पी सके,,,,,,।
ठीक से पकड़े रहना राजू,,,, कहीं में गिर ना जाऊं,,,
नहीं गिरोगी दीदी मैं पकड़ा हूं,,,
अरे सीढ़ी नहीं मेरे पैर पकड़ मेरे पैरों में कंपन हो रहा है मेरा पैर कांप रहा है,,,, कहीं में गिर ना जाऊं,,,,
(फिर पकड़ने वाली बात सुनकर राजू का दिल जोरो से धड़कने लगा एक तरह से उसके नंगे जिस्म को छुने का आमंत्रण था और वह ऐसा मौका भला कैसे अपने हाथ से जाने देता उसकी बात सुनते ही तुरंत सीढ़ीयों को छोड़कर वह सोने की टांग को पकड़ लिया और वही उसकी पिंडलियों को जिसे अपनी हथेली में दबाते ही उसका तन बदन जोश से भर गया,,,, और सोनी की भी हालत खराब हो गई राजू के प्रति को पूरी तरह से आकर्षित हो चुकी थी इसलिए कहा क्योंकि हथेली अपनी नंगी चिकनी टांग पर पढ़ते हैं उसकी बुर से मदन रस की बूंद टपक गई यह सोने की तरफ से राजू के चरणों में समर्पण का भाव था और पूरी तरह से राजू को समर्पित हो चुकी थी मन से लेकिन अभी तन से बाकी था,,,,)
अब ठीक है ना दीदी,,,
हां राजू संभालना,,,
(राजू का तो लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था पजामे में तंबू सा बन गया था,,,, सोनी ऊंचाई पर रखे हुए ब्लैक बोर्ड को उतारने लगी जो कि दो चार लकड़ियों के नीचे रखा हुआ था,,,,ब्लैक बोर्ड को उतारते समय उसके मन में गई हो रहा था कि राजू जिस तरह से नीचे खड़ा होकर ऊपर की तरफ देख रहा है अगर वह अपनी साड़ी को उठाकर थोड़ा और ऊपर कर दी होती तो उसे उसकी जवानी की दहलीज नजर आने लगती,,,और , राजू को वह पूरी तरह से अपना दीवाना बना देती,,,,लेकिन जितना भी व कर रही थी राजू के लिए काफी था राजू पूरी तरह से अपने अंदर उत्तेजना का अनुभव कर रहा था एक तो उसके बदन से उठ रही खुशबू उसके होश उड़ा रही थी,,, और ऊपर से वह उसकी नंगी पिंडलियों को पकड़े हुए था जिससे उसका जोश दुगुना होता जा रहा था,,,। उत्तेजना के मारे सोनी को भी अपनी कच्छी गीली होती महसूस हो रही थी,,।
जिस चीज को वह ढूंढ रही थी वह मिल चुका था वह उसके हाथों में था अब नीचे उतरना चाहती थी,,,, इसलिए मैं अपना एक पैर नीचे की तरफ लाकर पाटी,, पर रख दी,,,बार-बार राजू की नजर उसकी गोलाकार गांड पर चली जा रही थी जो कि ऊपर नीचे पैर करने की वजह से उसकी गांड कुछ ज्यादा ही उभरकर बड़ी हो जा रही थी जिसे अपने दोनों हाथों में थामने का मन कर रहा था,,,,, सोनी भी यही चाहती थी कि राजू अपने हाथों में उसकी दोनों गांड की फाको को थाम ले,,, और अपने मन में बस यही सोच ही रही थी वह सोच रही थी आखिरी सीढ़ी जब आएगी तो जरूर वह कुछ ऐसा करेगी जिससे राजू को उसकी गांड पकड़ना ही पड़ेगा,,,,। अंतिम दो सीढ़ी बाकी थी और दूसरे नंबर की सीढ़ी कमजोर थी वह तीसरी सीडी पर आराम से खड़ी थी,,,, राजू ठीक सीढ़ियों के इर्द गिर्द अपनी दोनों टांगों को रखकर बीचो-बीच खड़ा था,,, ताकि अगर सोनी गिरे तो वह उसे थाम ले,,,,वह दूसरी सीढ6 पर अपने पैर रखती ईससे पहले ही उत्तेजना के मारे वो एकदम से लड़खड़ा गई,,,,
अरे अरे राजू देखना,,,,( और उसका इतना कहना था कि उसका पैर फिसल गया तीसरी सीढ़ी से ही नीचे फिसल कर गिरने लगी,,,,, लेकिन राजू पूरी तरह सचेत था एकदम तैनात,,,, वह सोनी की टांगों को पकड़े रह गया और उसकी हथेली उसकी नंगी चिकनी टांग ऊपर फिसलते हुए जैसे-जैसे भी नीचे आ रही थी वैसे वैसे उसकी हथेली उपर की तरफ जा रही थी,,,,और उसके पैर नीचे जमीन को छूते इससे पहले ही राजू की हथेली उसकी कमर तक पहुंच गई थी और उसकी साड़ी कमर तक उठ गई थी क्योंकि राजू की हथेली उसकी कमर पर थी और उसकी सारी पूरी तरह से उसकी हथेली के ऊपर टिकी हुई थी,,, लेकिन राजू ने अपनी मजबूत हाथों का सहारा देकर उसे थाम लिया था उसे गिरने नहीं दिया था ना ही उसे चोट लगने दिया था,,,,।
जैसे ही सोनी के पैर जमीन पर पड़े उसकी सांसे तेजी से चलने लगी वो एकदम से घबरा गई थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह सीढ़ी पर से नीचे गिर गई है क्योंकि वह तो दूसरी सीढ़ी पर पैर रखकर सिर्फ नाटक करने वाली थी लेकिन वह हकीकत में ही गिर गई थी,,,,,, जब उसे इस बात का एहसास हुआ तब वह अपने आपको राजू की बाहों में पाई जैसा कि वह चाहती भी थी लेकिन यह सब अनजाने में हुआ था,,,, राजू की दोनों हथेली सोने की चिकनी मांसल कमर पर थी,,, जोकि राजु ने कभी ऐसा सपने में भी नहीं सोचा था,,,, सोनू का बदन राजू के बदन से एकदम चिपका हुआ था एक तरह से राजू ने उसे कमर पकड़कर अपनी बाहों में ले लिया था पजामे के अंदर राजू का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था जो कि तुरंत उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी बड़ी बड़ी गांड के बीच धंसना शुरू कर दिया था,,।राजू कोचर इस बात का एहसास हुआ तो वह पूरी तरह से मस्त हो गया पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगा क्योंकि वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसका लंड इस तरह से उसकी गांड को स्पर्श होगा,,, पल भर में राजू की सांसे तेजी से चलने लगी दूसरी तरफ सोनी की भी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,,,,
राजू ने उसे अपनी मजबूत बजाओ में पकड़ कर उसे गिरने से बचाया था इस बात की तसल्ली सोनी को अच्छी तरह से थी लेकिन जैसे ही उसे अपनी गांड के बीचों बीच कुछ कठोर चीज है जो भी महसूस हुई तो एकदम से दंग रह गई,,,तब जाकर उसे इस बात का अहसास हुआ कि वह राजू की बाहों में थी और राजू का लंड जोकि पजामे में होने के बावजूद भी उसकी गांड में धंशा जा रहा था,,, पल भर में सोनी की भी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,,, जिस तरह से वह राजू के साथ उसे उत्तेजित करना चाहते थे अनजाने में ही वह होता जा रहा था,,,
राजू के मोटे तगड़े लंबे लंड की ताकत को वह अपनी गांड पर महसूस कर रही थी,,,, उसे अंदाजा लग गया था कि राजू का लंड कितना दमदार है,,,वह अपनी स्थिति की तरफ ध्यान दे तो उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी साड़ी पूरी तरह से कमर तक उठ गई है और कमर के नीचे वह पूरी तरह से अपनी कच्छी को छोड़कर नंगी ही थी और उसका कच्छी के लिए सोनी को अपने आप पर गुस्सा आने लगा था अपने मन में सोचने लगी कि अगर कच्छी ना पहनी होती तो आज राजू के लंड को अपने गांड के बीचो बीच अपनी बुर पर महसूस कर ली होती,,,, राजू था कि उसे छोड़ने का नाम नहीं ले रहा था उसे तो मजा आ रहा था चिकनी कमर को अपने दोनों हाथों में थाम कर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह सोनी को चोदने की तैयारी कर रहा हो,,, राजू अपने आपको किस्मत वाला समझने लगा था मौके का फायदा उठाते हुए अपनी कमर को वह आगे की तरफ फैल रहा था जिसका एहसास सोनी को बड़े अच्छे से हो रहा था और राजू की इस हरकत पर वह पूरी तरह से पानी पानी हुए जा रही थी,,,उसे उम्मीद नहीं थी कि अनजाने में ही उसकी साड़ी कमर तक उठ जाएगी और वह भी राजू के हांथो,,,,।
सोनी अपने मन में सोच रही थी कि अब राजू छोड़ेगा अब राजू छोड़ेगा लेकिन ऐसा नहीं हो रहा था वह तो और मदहोशी के साथ उसे पकड़े हुए था और साथ ही पजामे में होने के बावजूद भी,,, अपने लंड को उसकी बड़ी बड़ी गांड के बीचो-बीच दे रहा था,,,, लेकिन उसे भी गांड के बीच कपड़ा सा महसूस हो रहा था इसलिए वह सोनी को ऊपर से नीचे की तरफ देख रहा था उसकी साड़ी पूरी तरह से कमर तक उठी हुई थी और इसीलिए उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार साड़ी पूरी तरह से ऊपर की तरह टूट जाने के बावजूद भी कौन सा कपड़ा लगा हुआ है क्योंकि वह भी नहीं जानता था कि शहरी औरतें साड़ी के अंदर कच्छी पहनती हैं,,,,,, सोनी की बुर पूरी तरह से पानी छोड़ रही थी,,, अगर बाहर दूसरे लड़के ना होते तो उसी समय राजू के लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवा ली होती,, लेकिन इस समय मजबूर थीलेकिन अपनी हरकत से भी राजू ने उसे पूरी तरह से उत्तेजना के महासागर में डुबो दिया था उसकी कच्ची पूरी तरह से काम रस से गीली हो चुकी थीउसे इस बात का डर था कि काफी समय हो गया था झोपड़ी के अंदर कहीं कोई लड़का यहां आ ना जाए इसलिए वह राजू से बोली,,,।
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अच्छा हुआ राजू तूने मुझे संभाल लिया वरना आज तो मैं गिर गई होती,,,
मेरे होते हुए मैं तुम्हें गिरने नहीं दूंगा दीदी,,,
बस कर अब छोड़ो मुझे ब्लैकबोर्ड बाहर लेकर चलना है,,,
(राजू का छोड़ने का मन बिल्कुल भी नहीं कर रहा था सोने के बदन की गर्माहट उसे पूरी तरह से उत्तेजित किए हुए थी और उसकी बड़ी बड़ी गांड का स्पर्श पाकर उसका लंड लोहे के रोड की तरह हो गया था,,, लेकिन फिर भी उसकी बात मानते हुए वह उसे अपनी बाहों की कैद से आजाद कर दिया,,,, सोनी की सांसे अभी भी ऊपर नीचे हो रही थी,,,, राजू से अलग होते हैं सोनी अपनी साड़ी को व्यवस्थित करने लगी व्यवस्थित करते समय,,, राजू को उसकी कच्छी नजर आ गई जिसे देख कर उसे थोड़ा अचरज हुआ लेकिन समझ नहीं पाया,,,,सोनी बहुत खुश थी क्योंकि उसकी नजर राजू की पर जाने की तरफ चली गई थी जो की पूरी तरह से उठा हुआ था,, और वह यही चाहती भी थी,,, सोनी का दिल जोरों से धड़क रहा,,,अपनी साड़ी को व्यवस्थित करने के बाद वह मुस्कुराते हुए राजू के पजामे में बने तंबू को देख कर बोली,,।)
तो यही था जो मेरे पीछे चुभ रहा था,,, लगता है बहुत बड़ा है,,,।
(सोनी के मुंह से इतना सुनकर राजू पूरी तरह से उत्तेजना से गदगद हो गया उसे लगने लगा कि जैसे उसके लिए रास्ता साफ होता जा रहा है वह मन ही मन बहुत खुश होने लगा लेकिन अपने पजामे में बने तंबू को छुपाने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं किया,,,, बस खड़ा मुस्कुरा रहा था और उसकी मुस्कुराहट को देखकर सोनी भी समझ गई थी कि यही वह लड़का है जो उसकी जवानी की गर्मी को शांत करेगा,,,,)
चलो जल्दी चलो काफी देर हो गई में हमें,,,(इतना सुनकर जैसे ही राजू चलने को हुआ राजू के तंबू की तरफ देखते हुए वह बोली,,,)
इस हाल में चलोगे,,(उंगली से राजू के तंबू की तरफ इशारा करते हुए) ऐसे चलोगे तो वह लोग क्या सोचेंगे मैं चलती हूं तुम इस ब्लैकबोर्ड को साफ करके लेते आना तब तक तुम्हारे पजामे का तूफान शांत हो जाएगा,,, और हां सबके साथ छूटने पर जाना जरूर लेकिन थोड़ी देर में वापस इधर ही आ जाना क्योंकि मैं तुम्हारा यही इंतजार करूंगी,,,(इतना कहकर वो मुस्कुरा कर बाहर निकल गई और राजू उसे देखता रह गया और फिर जल्दी-जल्दी ब्लैकबोर्ड को साफ करने लगा,,, इतनी देर में उसका लंड शांत भी हो गया और वह ब्लैकबोर्ड लेकर बाहर आ गया,,,।)