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Ati kamuk Or mazedaar update Rony bhai.
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Bahot behtareenगुलाबी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह अपने बड़े भैया से चुदवाएगी,,, क्योंकि वह अपने बड़े भैया की बहुत इज्जत करती थी उसके बड़े भैया भी उसका हर तरह से ख्याल रखते थे एक अपनी बेटी की तरह ही उसका पालन पोषण करके उसे बड़ा किए थे इसलिए गुलाबी के मन में अपने भैया के लिए बहुत इज्जत थी,,,, लेकिन वक्त और हालात के साथ रिश्ते भी बदलते रहते हैं ऐसा ही गुलाबी के साथ भी हुआ था,,। वह वक्त ,,माहोल और अपनी उपासना के अधीन होकर,,, अपने बड़े भैया के साथ शारीरिक संबंध बना ली थी जिसने उसे अत्यधिक आनंद की अनुभूति हुई थी,,,,,पहले अपनी भतीजी के साथ और सिर्फ अपने बड़े भैया के साथ शारीरिक संबंध बना कर वो पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी,,,
जिस अद्भुत काम क्रीडा को वह दीवार के क्षेंद से देख कर आनंदित होती थी और अपने हाथों से अपनी प्यास बुझाने की नाकाम कोशिश करती थी अब उसी काम क्रीड़ा का वह भरपूर मजा लूट रही थी,,,,,,,
हरिया का मन कभी-कभी अपनी छोटी बहन के साथ शारीरिक संबंध बनाने के बाद कुंठित होने लगता था वह अपने आप पर गुस्सा करने लगता था,,, वह अपने मनोस्थिति को समझ नहीं पा रहा था,,, बार बार सोचता था कि आखिरकार वह ऐसा क्यों किया,,,, उसके मन में डर पैदा होने लगा कि अगर यह बात किसी को पता चल गई तो समाज में उसकी क्या इज्जत रह जाएगी वह तो कहीं का नहीं रहेगा,,,,फिर ऐसी गलती नहीं करेगा ऐसी कसम खाकर वहां अपनी दिनचर्या में लगा हुआ था,,,। धीरे-धीरे दिन गुजरने लगे थे,,,शुरु शुरु में तो वह गुलाबी से नजर तक नहीं मिला पाता था उससे बात करना छोड़ दिया था उसे इस बात का डर था कि कहीं वह अपनी बहन के सामने आएगा तो कहीं उसका मन फिर ना बदल जाए क्योंकि वह अपनी बहन की खूबसूरती का रस पहले ही पी चुका था वह अपनी बहन की खूबसूरती से अच्छी तरह से वाकिफ था वह अपनी बहन के बदन के हर एक अंग से वाकिफ हो चुका था उसमें से झड़ रहे मदन रस का वह रसपान कर चुका था,,,, इसलिए उसे इस बात का डर था कि कहीं वह दोबारा,, अपनी बहन के साथ शारीरिक संबंध ना बना ले,,, इसलिए वह गुलाबी से कतराता रहता था,,,।
गुलाबी कोअपनी और अपने बड़े भैया के बीच की शारीरिक संबंध को लेकर किसी भी प्रकार का मलाल नहीं था,,, वह तो इस रिश्ते के चलते बहुत खुश थी वरना वह आपने शादी का इंतजार कर रही थी कि कब उसकी शादी हो और कब उसे रोज चुदवाने को मिले लेकिन अब घर में ही दो दो लंड का बंदोबस्त हो चुका था हालांकि अपने भैया के साथ एक ही बार शारीरिक संबंध बनाए थे लेकिन रोज रात को अपने जवान भतीजे के साथ अपनी बुर की गर्मी शांत करती थी,,,,,,,।
राजू और सोनी के बीच चुदाई का खेल बिना किसी रूकावट के जारी था ,,, जिसकी भनक अब तक किसी को भी नहीं थी,,,, लेकिन राजू के मन में झुमरी बस गई थी,,,,,, उसका सादगी पर उसका भोलापन पूरी तरह से उसे अपना दीवाना बना दिया था,,,, दिन-रात राजू के जेहन में केवल झुमरी ही नाच रही थी,,, राजू बार-बार उस दृश्य को याद करके मस्त हो जाता था जब वह श्याम को बुलाने के लिए उसके घर पहुंचा था उसे अंदाजा नहीं था कि श्याम के घर पर उसे बेहतरीन नजारा देखने को मिलेगा,,,,। बार-बार झुमरी का नंगा बदन राजू के जेहन में उत्तेजना की लहर दौडा रहा था,,, राजू कभी सोचा भी नहीं था कि उसे इस तरह का दृश्य देखने को मिलेगा,,,,,, झुमरी से उसकी मुलाकात बहुत ही कम होती थी लेकिन तब उसका नजरिया एकदम साफ सुथरा था लेकिन जब से औरतों की संगत में पड़ा था तब से उसका औरतों लड़कियों को देखने का नजरिया पूरी तरह से बदल गया था,,,। झुमरी को एकदम नंगी नहाता हुआ देख कर पहली बार से ऐसा हुआ था कि झुमरी बिना कपड़ों के बेहद खूबसूरत लगती है उसका अंग-अंग तराशा हुआ था,,,। खास करके उसकी गोलाकार खरबूजे जैसी मदमस्त कर देने वाली गांड जो कि बेहद नपे तुले आकार में थी,,,। जिसे देखते ही राजू की आंखों की चमक बढ़ गई थी,,। राजू का मन उस समय झूमरी की नंगी गांड को अपने दोनों हाथों ने दबोचने को कर रहा था,,,लेकिन ऐसा कर सके नहीं कि उसने हिम्मत उस समय बिल्कुल भी नहीं हो रही थी काफी देर तक झुमरी उसी अवस्था में नंगी नहाती रही उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि पीछे खड़ा राजू उसके खूबसूरतयौवन का रस अपनी आंखों से पी रहा है,,,।
राजू के कानों में बार-बार उसके कहे गए शब्द मिश्री से भूल जाते थे जब वह उसे से कही थी कि देख लिया ना अब जा,,,लेकिन राजू उसके कहे गए गई इन शब्दों का मतलब समझ नहीं पा रहा था,,, दिन रात वह झुमरी के उन शब्दों का मतलब को ढूंढता रहता था लेकिन उसे किसी भी प्रकार का निष्कर्ष नहीं मिल पा रहा था,,,, लेकिन वह अपने मन में यही विचार करता था कि,,, अगर उसकी जगह कोई और लड़की होती तो उसे भला-बुरा कहती उसे डांटती उसे धमकाती,,, क्योंकि वह उसे नग्नावस्था में देख रहा था,,,लेकिन उसका यह कहना कि देख लिया ना अब जा इसी के मतलब को वह समझ नहीं पा रहा था,,,,वह फिर अपने ही मन में यही सोचता रहता कि क्या झुमरी जानबूझ कर उसे अपने नंगे बदन का दर्शन करा रही थी,,,, क्योंकि जब वह उसे नहाते हुए देखा था तब उसकी पीठ दरवाजे की तरफ से और चेहरा सामने की तरफ ऐसे में सिर्फ उसके मदमस्त कर देने वाली चिकनी पीठ के साथ-साथ उसकी खूबसूरत गांड नजर आ रही थी,,, लेकिन राजू की तरफ देखने पर भी वह अपने बदन के किसी भी हिस्से को छुपाने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं की थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वो जानबूझकर अपने दोनों नारंगीयो के साथ-साथ अपनी लहसुन को दिखा रही हो,,, और राजू भी इस भरपूर नजारे का पूरा मजा लेते हुए उसके बदन के हर एक अंग के नाप को अपनी आंखों से नाप लिया था ,,,। उसके नाम लाल होठ उसकी खूबसूरत मुस्कान सब कुछ राजू अपने आंखों में और अपने दिल में कैद कर लिया था,,,। इसलिए तो जब जब झुमरी की याद आती थी उसके पहचानने में तंबू बन जाता था और इस समय भी उसका यही हाल था,,,वह किसी ना किसी बहाने शाम के घर जाने लगा था लेकिन उसे झुमरी कहीं नजर नहीं आती थी,,,, उत्तेजना के मारे उसके बदन में आग लगी हुई थी,,, इसीलिए वह कमला चाची के घर पहुंच गया,,,। क्योंकि इस समय कमला चाची ही उसके बदन की गर्मी को शांत कर सकती थी वैसे भी,,, राजू की संभोग गाथा में सर्वप्रथम कमला चाची का ही वर्णन था और वही उसे संभोग कला सिखाने मैं मदद की थी,,,,।
थोड़ी ही देर में राजू कमला चाची के घर के बाहर दरवाजे पर पहुंच गया और बाहर से ही आवाज लगाते हुए बोला,,,।
कमला चाची वो कमला चाची घर पर हो कि नहीं,,,।
(इस आवाज को कमला चाची की बहू रमा अच्छी तरह से पहचानती थी,,, वह समझ गई कि राजु आया है,,, उसके बदन में गुदगुदी होने लगी क्योंकि वह अच्छी तरह से समझती थी कि उसका घर पर आने का क्या मकसद होता है वह जरूर सासु मां को चोदने है इस ख्याल से ही उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी,,,वह गेहूं साफ कर रही थी,,,, इस समय घर पर उसकी सांस नहीं थी इसलिए वह मन ही मन खुश होने लगी,,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दें,,,, फिर से आवाज आई,)
कमला चाची,,,,,, कमला चाची,,,,,,।
(तभी दरवाजा खुला और सामने कमला चाची की बहू रमा नजर आई वह बड़ी हिम्मत जुटाकर दरवाजा खुली थी क्योंकि उसे इस बात का अहसास था कि राजू उसकी सास की चुदाई करने के लिए ही आया है और इस समय उसकी सास नहीं है पता नहीं उसके मन में क्या चल रहा होगा,,, अपनी सास की गैरमौजूदगी में रमा का दिल जोरों से धड़क रहा था उसके भी अरमान मचल रहे थे क्योंकि महीनों गुजर गए थे उसका पति घर पर नहीं था ऐसे में उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होना जायज था,,,,)
माजी तो घर पर नहीं है,,,,
कहां गई है चाची,,,,
किसी काम से गई हैं समय लग जाएगा,,,,
ठीक है तो मैं चलता हूं फिर कभी आ जाऊंगा,,,,(बड़े गौर से घूंघट के अंदर के खूबसूरत चेहरे को देखने की कोशिश करता हुआ राजू बोला लेकिन घूंघट की वजह से उसे कुछ नजर नहीं आ रहा था लेकिन उसकी गोलाकार छातियां जवानी की पूरी किताब के पन्ने पलट रही थी जिसे ऊपर से ही पढ़ कर राजू मस्त हुआ जा रहा था,,,,)
कोई काम था क्या,,,?
नहीं ऐसे ही चाची से बस मिलने आया था यहीं से गुजर रहा था तो अब नहीं है तो फिर कभी आ जाऊंगा,,,
अरे ऐसे कैसे जा रहे हो,,, मैं तो हूं ना,,,,,अगर मां जी को पता चला कि तुम आए थे और बिना रुके चले गए तो हो सकता है मुझ पर नाराज हो जाए इसलिए पानी पी कर ही जाना,,,,,,,।
ठीक है भाभी तुम इतना कहती हो तो पी लेता हूं,,,,
आ जाओ,,,,(इतना कहने के साथ ही रमा एक तरफ खड़ी हो गई ताकि राजू अंदर आ सके और राजू भी कमरे के अंदर प्रवेश कर गया,,,, राजू के कमरे में प्रवेश करते ही रमा दरवाजा बंद कर दि,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, घर में केवल रमा और राजू ही थे,,,और रमा इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि वैसे ही उसकी गैरमौजूदगी में उसकी सांस उसे घर में अपने कमरे में बुलाकर जबरजस्ती दवाई थी जिसे वह अपनी आंखों से देख कर पानी पानी हो गई थी रमा अपने मन में यही सोच रही थी कि जब उसकी सास उम्र दराज होकर भी एक जवान लड़के का लंड लेकर ईतनी मस्त हो गई थी,,तो वह तो अभी पूरी तरह से जवान है उसके साथ राजू क्या करेगा,,,,। इस बात को सोच कर ही उसकी बुर पानी छोड़ रही थी,,,, धड़कते दिल के साथ रमा दरवाजा बंद कर दी,,,,, और राजू खुद ही खटिया गिरा कर उस पर बैठ गया,,, जब वह दरवाजा बंद कर रही थी तो राजू की प्यासी नजरें उसकी उभरी हुई गांड पर ही टिकी हुई थी,,,, औरतों की संगत में अब राजू को हर एक औरत में केवल अपनी प्यास बुझाने का सामान ही नजर आता था,,, रमा की उभरी हुई गांड राजू के पजामे में हलचल मचाने लगी,,,, दरवाजा बंद करके वह राजू की तरफ देख कर घूंघट के अंदर ही मुस्कुराने लगी और घर के अंदर चली गई,,,।
रमा केअंदर जाते ही राजू अपने मन में सोचने लगा कि अगर उसे कमला चाची की बहू चोदने को मिल जाती तो बहुत मजा आ जाता,,,,,,और कमरे के अंदर पहुंचकर रामा यह सोच रही थी कि ऐसा क्या किया जाए कि राजू उसे चोदने के लिए मजबूर हो जाए क्योंकि सामने से यह कहना कि वह चुदवाना चाहती है यह उसके लिए शर्म की बात होती लेकिन उसके बदन की जरूरत इस समय राजू के प्रति आकर्षित कर रही थी,,,,वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जब राजू जैसा जवान लड़का उम्रदराज औरत को इतनी मस्ती के साथ चोद सकता है तो वह तो पूरी तरह से जवान है उसे चोदने के लिए वह तो तडप उठेगा बस हल्का सा इशारा करने की देरी है,,,, बस फिर क्या था रमा अपने अंदर की औरत को जगाने लगी और किसी भी तरह से राजू से संभोग सुख प्राप्त करने के लिए मचल उठी और उसके जुगाड़ में लग गई,,,,,,,।
राजू बाहर खटिया पर बैठा हुआ बड़ी बेसब्री से रमा भाभी का इंतजार कर रहा था उसकी एक झलक पाने के लिए,,, तड़प रहा था,,,,, और यही हाल रमा का भी था,,, इसलिए वहएक गिलास में ठंडा पानी और एक कटोरी में थोड़ा सा गुड लेकर कमरे से बाहर आई,,,अभी भी उसने घूंघट पूरी तरह से नहीं उठाई थी केवल उसके लाल लाल होंठ नजर आ सके बस इतना ही घूंघट ऊपर की तरफ उठाई थी,,,। रमा को गुड़ और पानी लाता देखकर,,, राजू औपचारिक रूप से बोला,,,।
अरे इसकी क्या जरूरत थी भाभी मैं कोई मेहमान थोड़ी हूं जो इतनी खातिरदारी कर रही हो,,,
नहीं-नहीं राजू मुझे इतना तो करना ही होगा वरना माजी को पता चलेगा तो वह क्या बोलेंगी,,,,,,,
अरे भाभी कुछ नहीं बोलूंगी कमला चाची बहुत अच्छी है,,,
मैं तो जानती हूं कमला चाची बहुत अच्छी है,,,,(रमा अपने मन में ही बोली चुदवाती है इसीलिए,,,) इसीलिए तो उन्होंने मुझको सहेज के रखा है कि जब भी कोई द्वार पर आ गई तो उसे यूं ही वापस नहीं भेजना चाहिए,,,
वाह भाभी, कमला चाची के विचार बहुत ही उच्च कोटि के है,,,,,
(काम भी उच्च कोटि के हैं रमा अपने मन में ही बोली,,, राजू कटोरी में से गुड़ का एक टुकड़ा उठाकर उसे मुंह में डालकर खाने लगा,,,, और घूंघट में झांकने की कोशिश करता हुआ बोला,,,)
बहुत ही मीठा गुड़ है भाभी,,,,,
अपने खेत के गन्ने के रस से बना हुआ पुल है इसलिए बहुत स्वादिष्ट है,,,
सच में कमला चाची के रस से बना गुड़ बहुत मीठा है,,,
कमला चाची के रस से नहीं गन्ने के रस से बना गुड़ है,,,(रमा व्यंग कसते हुए बोली,,,)
हा हा,,, वही,,,, आप मजाक बहुत करती हो भाभी,,,
तुम जैसे देवर होंगे तो भाभी तो मजाक करेगी ही,,,
चलो यह तो अच्छा है कि तुम मुझे अपना देवर मानती हो,,,
पूरे गांव भर में तुम ही अच्छे लड़के हो जिसे मैं देवर का दर्जा दे रही हुं,,,,
तब तो मैं बहुत खुश नसीब हु भाभी,,,
खुशनसीब तो मैं हूं जो तुम जैसा देवर मिला है,,,,
(राजू को बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था कि एक ही दिन में जिससे इतना जान पहचान भी नहीं है वह इतना अपनापन क्यों दिखा रही है लेकिन कुछ भी हो रामा की बदन की बनावट उसका गोरा रंग राजू के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी को हवा दे रहा था,,,, रमा भी उसके खूबसूरत चेहरे को बड़े गौर से देख रही थी वाकई में राजू के चेहरे पर मासूमियत और भोलापन दोनों बराबर मात्रा में थी और बदल उसका बेहद गठीला था रमा उसके मासूमियत भरे चेहरे को देखकर,,, यकीन नहीं कर पा रही थी कि जो उस दिन अपनी आंखों से देखी थी वह सच था,,, क्योंकि जिस तरह से वह तेज-तेज अपनी कमर हीलाते हुए धक्के लगाकर उसकी सासु मा को चोद रहा था वह मासुम बिल्कुल नहीं हो सकता,,, रमा की आंखों ने अपनी सास की चुदाई करते हुए जो कुछ भी देखा थाउसने बिल्कुल की रहने की गुंजाइश बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि उसकी कमर ताबड़तोड़ चल रही थी,,,, उसके तेज धकको का उसकी सास भी बड़ी बेशर्मी से मजा ले रही थी,,,। उस दृश्य के बारे में सोच कर रमा की बुर गीली हो रही थी,,,, राजू की नजर उसकी छातियों की गोलाईयों पर थी जिसे अपने हाथों में दबोच कर उसे दबाने का मन कर रहा था उसके लाल-लाल होठों पर अपने होठों पर रखकर पीने को हो रहा था,,, वह अपने मन में यही सोच रहा था कि जब कमला चाची इतना मजा दे सकती है तब रामा कितना मजा देगी,,,, दूसरी तरफ रमा भी पूरी जुगाड़ में थी,,,,पता नहीं आज के जैसा उसे मौका मिल पाता या नहीं इसलिए वह इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहती थी क्योंकि उसकी सास शादी की रस्म में पड़ोस में गई हुई थी,,,,जोकि ज्यादा देर के लिए नहीं गई थी वह कभी भी आ सकती थी लेकिन रमा के पास इतना तो समय था कि वह अपनी बदन की प्यास राजू से बुझा ले,,,,,,, इसलिए वह राजु के ऊपर अपनी जवानी का जलवा बिखेर देना चाहती थी,,,, ओर इसीलिए वह पानी के ग्लास को नीचे रखने के बहाने झुकी और उसके झुकते ही,,,,उसकी मदमस्त कर देने वाली चुचियों का नजारा राजु की आंखों से बच नहीं सका,,, रामा ने पहले से ही अपनी चुचियों का नजारा दिखाने के उद्देश्य से ही अपने ब्लाउस के उपर के दो बटन को खोल दी थी जिसकी वजह से उसके झुकते हुए उसके दोनों खरबूजे एकदम से आधे से ज्यादा बाहर को लटक गए,,,,।
ब्लाउज में से बाहर झांकते उसके दोनों कबूतरों को देखकर,, राजू के खुद के पर फड़फड़ाने लगे उसके पजामे में हलचल होने लगी,,, वह कभी सोचा नहीं था कि इतनी आसानी से उसे रमा भाभी की चूचीया देखने को मिल जाएगी,,,,,, उसकी चुचियों के साथ-साथ दोनों सूचियों की शोभा बढ़ा रहे उसके दोनों अंगूर भी नजर आ रहे थे जिसे मुंह में लेकर चबा जाने की इच्छा हो रही थी,,,।
रमाअपनी चुचियों का भरपूर मजा आ रहा है उसे दिखा देना चाहती थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि अगर दोनों के बीच कुछ हो सकने की संभावना को बढ़ा सकती है तो उस समय इसलिए किया ही नहीं जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आ जाएगा और वह उसके साथ चुदाई करने के लिए तड़प उठेगा,,,,,, राजू की आंखें फटी की फटी रह गई थी बेहद खूबसूरत चुचियां उसके हौसले को बढा रही थी,,, राजू पानी पीना भूल गया था और उसकी हालत को देखकर रामा को शर्म तो आ ही रही थी लेकिन उसके तन बदन की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उसे लगने लगा था कि अब जरूर कुछ,,,वह अपने मन में ठान लेते कि जब उम्र नाराज होकर भी उसकी सासू मां ने जमा लड़के से चुदाई का भरपूर मजा लूट रही है तो वह क्यों नहीं वैसे भी,,, उसका पति कुछ महीनों से बाहर गया हुआ था,,, इसलिए उसकी भी दोनों टांगों के बीच गर्मी कुछ ज्यादा बढ़ गई थी जिसे शांत करना बेहद जरूरी हो गया था,,,,।,,
भ,,,भ,,,भ,, भाभी,,, तुम्हारी चुचीया तो बाहर आ गई,,,।
(राजू आंखें फाड़े उसकी चूचियों की तरफ देखते हुए बेशर्मी भरे शब्दों में बोला वह बिल्कुल भी अपने शब्दों को छुपाने की कोशिश नहीं किया था क्योंकि वहां अच्छी तरह से जानता था कि रमा कुछ महीने से अकेले ही हैं पति की संगत उसे प्राप्त नहीं हुई है और ऐसे में वह प्यासी जरूर होगी,,,, कुछ इस तरह से वह अपनापन दिखाते हुए उससे बातें कर रही थी राजू को लगने लगा था कि यहां पर भी जरूर उसकी दाल गल जाएगी,,,और औरतों की संगत में रहकर औरत के मन में क्या चल रहा है इसकी पहचान उसे होने लगी थी वह समझ गया था कि यह रामा प्यासी है,,,,राजू किस तरह की बातें सुनकर रामा एकदम से शर्म आ गई थी क्योंकि इस तरह की बातें उससे आज तक किसी ने नहीं किया था,,,, लेकिन अंदर ही अंदर वह भी तो यही चाहती थी,,,,,, राजू के मुंह से चूची शब्द सुनकर उसकी बुर कुलबुलाने लगी थी,,,, वह एकदम शरमाते हुए बोली,,,,,,)
हाय दैया,,,, यह भी बड़ी बेलगाम हो गई है कहीं भी निकल जाती है,,,(अपने साड़ी के आंचल से उसे छुपाने की कोशिश करते हुए बोली तो राजू बोला)
लगता है तुम्हारी चुचीया बड़ी बड़ी है इसलिए ब्लाउज में नहीं समा पाती,,,,,,(राजू एकदम खुलकर बातें कर रहा था)
हाय भैया कैसी बातें करते हो,,, तुम्हें लाज नहीं आती,,,
लाज कैसी भाभी जो सच है वही तो बोल रहा हूं,,,, तुम्हारी चूचियां सच मे बड़ी-बड़ी है,,,,
नहीं नहीं इतनी भी बड़ी नहीं है जैसा तुम बोल रहे हो,,,
नहीं भाभी मैं सच कह रहा हूं बड़ी बड़ी है तभी तो अपने आप ब्लाउज के बटन खोल कर बाहर आ गई उसका वजन तुम्हारे ब्लाउज से संभाला नहीं जा रहा है,,,,।
(राजू की उत्तेजना भरी बातें सुनकर रमा की बुर गीली होने लगी थी,,, वह अच्छी तरह से समझ गई थी कि राजू बातों का जादूगर है उसके शब्दों में बहुत ज्यादा उत्तेजना होती है तभी तो वह जिस तरह से बातें कर रहा था उस तरह से उसके पति ने भी बातें नहीं किया था रमा अपने मन में सोचने लगी कि वह तो अपनी बातों से ही उसकी बुर को पूरी तरह से गीली कर दिया है,,,।)
नहीं-नहीं राजू,,,,, इस तरह से बातें मत करो मुझे शर्म आती है पानी पी लो,,,,।
(राजू अब तक के अनुभव से यही सीखा था कि औरतों के नानू कर में ही उसकी हामी होती हैअच्छी तरह से जानता था कि अगर उसकी बात है उसे बुरी लगती तो वहां कब से उसे यहां से जाने के लिए कह चुकी होती लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं कह रही थी बस शर्मा रही थी इसलिए राजू को लगने लगा था कि अब उसके दोनों हाथ में फिर से लड्डू आ गया है,,,, और वह भी बेहद स्वादिष्ट,,,)
अब तो मेरी प्यास पानी से नहीं बुझने वाली भाभी,,,
यह क्या कह रहे हो राजू इस तरह से बातें मत करो,,,(घूंघट में ही अपनी खूबसूरत चेहरे को छिपाए हुए रमा बोली)
जो भी कह रहा हूं सच कह रहा हूं भाभी मेरी एक-एक बात में सच्चाई है तुम बहुत खूबसूरत है मैंने आज तक तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत नहीं देखा,,,,।
(राजू की इस तरह की बातें सुनकर रामा मन ही मन खुश हो रही थी क्योंकि वह उसकी खूबसूरती की प्रशंसा कर रहा था और दुनिया में ऐसी कौन सी औरत है कि जो अपनी खूबसूरती की प्रशंसा नहीं सुनना चाहेगी उसे राजू की बातें अच्छी लग रही थी लेकिन ना जाने क्यों से डर लगने लगा था इसलिए वह उससे बोली,,,)
नहीं नहीं राजू इस तरह से बातें मत करो तुम पानी पी कर चले जाओ वरना मेरी सांस आ जाएगी,,,
तुम्हारी सास आ जाएगी तो क्या हुआ,, मै पराया थोड़ी हूं और वैसे भी,,,तुम ही ने अभी मुझे अपना देवर बनाया है और देवर का इतना तो हक होता ही है,,,(इतना कहते हुए राजू उसका हाथ पकड़ लिया और वह एकदम से शर्मा कर सिहर उठी,,, उसके पति के बाद आज किसी और ने उसकी कलाई थामी थी,,, और इसीलिए एक मर्दाना हाथों में अपनी कलाई पाते ही वह एकदम से सिहर उठी,,,)
आहहहहह,,,राजु,,,, मेरी कलाई दुखने लगी है कितनी जोर से पकड़े हो,,,(अपने हाथ को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली)
मेरा तो मन कर रहा है कि तुम्हारे हाथ को जिंदगी भर ना छोडु,,,।
आहहहह,,, राजू तू बड़ा बेशर्म है अभी जा यहां से,,,।
(ना जाने क्यों अब रमा को डर लगने लगा था उसे शर्म आ रही थी अब तक वह राजू से सब कुछ करवा देने के जुगाड़ में लगी हुई थी और सब कुछ होता देख कर ना जाने क्यों उसके मन में घबराहट हो रही थी,,,, लेकिन राजू भी औरतों की संगत में पक्का खिलाड़ी बन चुका था रमा के मन की बात को वह अच्छी तरह से समझ रहा था,,, रमा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,)
राजू तु पानी पी और जा यहां से कोई देख लेगा तो गजब हो जाएगा,,,,
ठीक है भाभी तुम कहती है तो मैं चला जाऊंगा लेकिन उसके पहले तुम्हें मेरी बात सच है कि गलत यह दिखाना होगा ,,
,कौन सी बात,,,,,?
यही कि तुम्हारी चूचियां छोटी-छोटी है या बड़ी बड़ी,,,
धत्,,,, पागल हो गया है क्या,,,
हां भाभी में पागल हो गया हूं तुम्हारी खूबसूरती देखकर तुम्हारा उसने देख कर मैं तुम्हारा दीवाना हो गया हूं,,,।
(रमा को डर भी लग रहा था और राजू की बातें सुनकर उसे प्रसन्नता भी हो रही थी उसे मजा भी आ रहा था किसी जवान लड़के ने पहली बार उसकी खूबसूरती की तारीफ किया था,,,,)
नहीं-नहीं राजू जो तू कह रहा है वह ठीक नहीं है तू जा यहां से,,,
तो चलो ठीक है मैं भी यहीं बैठा रहता हूं कोई आएगा तो कह दूंगा कि भाभी ने हीं मुझे बुलाई थी,,,।
(इतना सुनते ही रमा के तो होश उड़ गए और वह बोली)
कितना बेशर्म और हटिला है तू,,,
चला जाऊंगा बस दिखा दो एक बार,,,,
तो बहुत जिद कर रहा है,,,(इतना कहते ही राम अपने मन में सोचने लगी कि वह है क्या कर रही है और शिकार हुआ अभी तो उसे अपना सब कुछ सोचना चाहती थी और इसीलिए तो वह उसे अंदर बुलाई थी और आज जब सब कुछ सही होने जा रहा है तो वह खुद ही इंकार कर रही है ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके अंदर से ही आवाज आ रही थी कि रमैया क्या कर रही है ऐसा अच्छा मौका तुझे फिर कभी नहीं मिलने वाला है और वैसे भी अगर तेरी सास देख भी जाती है तो तू भी तो कह सकती है कि वह खुद ही राजू के साथ चुदवाती है और वह अपनी आंखों से भी देख चुकी है दोनों का राज राज ही रह जाएगा ना उसे कोई शिकायत रहेगी ना तुझे कोई भी ऐसा मौका हाथ से जाने मत देन रमा इस मौके का फायदा उठा,,, रमा अपने मन की बात को सुनते हुए बोली)
ठीक है अच्छा मैं तुझे दिखा देती हूं लेकिन इसके बाद तु चले जाना,,,( रमा यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि अगर वह राजू को अपनी चूचियां दिखा देंगे कि किसी भी हारने वाला बिना उसकी चुदाई कीए वहां से जाने वाला नहीं है और यही वह चाहती भी थी,,,)
वाह भाभी मेरी अच्छी भाभी,,,(इतना कहने के साथ ही राजू खटिया पर से खड़ा हो गया और रमा घुंघट में अपने खूबसूरत चेहरे को छिपाए हुए अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी रमा का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि जिंदगी में पहली बार वह किसी गैर मर्द के सामने अपने कपड़े उतार रही थी,,,उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल बढ़ने लगी थी और देखते ही देखते उत्तेजना के मारे राजू के पजामे में तंबू बन गया था जिस पर रमा की नजर पड़ी तो उसके होश उड़ गए अब उसका मन मचलने लगा राजू के लंड को बुर में लेने के लिए,,,, धीरे-धीरे करके रमा अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी और ब्लाउज के दोनों आंखों को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अलग करते हैं अपनी मदमस्त कर देने वाली चुचीयों को राजू की आंखों के सामने नुमाइश करने लगी,,,, गोल गोल तनी हुई चुचियों को देखते ही राजू के मुंह में पानी आ गया,,, अब राजू को किसी के इजाजत की जरूरत नहीं थी क्योंकि एक तरह से रामा की तरफ से उसे निमंत्रण मिल गया था,,, अपने ब्लाउज के बटन खोल ना यह रमा की तरफ से राजू के लिए आमंत्रण ही था जिसे शहर से स्वीकार करते हुए फटी आंखों से राजू उसकी गोल-गोल चुचियों को देखे जा रहा था,,और इस तरह से अपनी चूचियों को दिखाते हुए रमा के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,, थोड़ी देर बाद वह बोली,,,)
बस अब हो गया ना अब जा यहां से,,,,(रमा चाहती तो बिल्कुल भी नहीं थी कि राजू वहां से चला जाए लेकिन फिर भी वहां औपचारिक रूप से उसे जाने के लिए कह रही थी लेकिन मन में यही चाहती थी कि वह रुका रहे और भला राजू कैसे जाने वाला था क्योंकि उसके आंखों के सामने खड़ा करते हुए दो कबूतर जो नजर आ रहे थे जिसका शिकार किए बिना वह वापस जाने वाला नहीं था,,, इसलिए राजू अपना कदम आगे बढ़ाते हुए बोला))
अब कैसे चला जाऊं भाभी मीठा गुड़ खिला दी हो,,, तो पानी कौन पिलाएगा लेकिन अब पानी नही ,,, मेरी प्यास तो तुम्हारा दूध पीकर ही बुझेगी,,,,
(इतना सुनकर रमा कुछ समझ पाते इससे पहले भी फुर्ती दिखाते हुए राजू अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपने दोनों हाथों में धर्म की दोनों चूचियों को थाम लिया था और तुरंत उस पर मुंह लगाकर पीना शुरू कर दिया था यह रमा के लिए बिल्कुल असहनीय था वह ईसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी,,, वह छटपटाती इससे पहले ही वह पूरी तरह से राजू के काबू में आ गई थी,,, औरतों को कैसे काबू में किया जाता है यह कला राजू अच्छी तरह से जानता था बहुत भारी बारिश है बिना रुके उसकी दोनों चूचियों को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया था पल भर में ही रमा के मुंह से सिसकारी की आवाज निकालने लगी उसे मजा आने लगा था क्योंकि इस तरह से उसके पति ने कभी भी उसकी चुचियों को मुंह में लेकर पीया नहीं था,,, इसलिए यह हरकत रमा के लिए बेहद उत्तेजना कारक थी,,,,।
सससहहहह आहहहहहहहहह,,, राजू यह क्या कर रहा है,,,
तुम्हारी सेवा कर रहा हूं भाभी,,,
आहहहहहह यह कैसी सेवा है रे,,,
भाभी या भाभी की देवर के द्वारा की जाने वाली सेवा तुम्हारा कोई देकर नहीं है ना इसलिए तुम्हें अब तक इस सेवा से वंचित रहना पड़ा लेकिन आज तुम मुझे अपना देवर बना दिया अब तुम्हें इस तरह की सेवा बराबर मिलती रहेगी,,,(इतना कहने के साथ ही राजू दोनों हाथों से उसकी जोर-जोर से चूचियां दबाते हुए उसके अंगूर को मुंह में लेकर चूस रहा था,, वह जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी वह राजू के बाल को जोर से पकड़ कर उसे अपने दोनों चूचियों के बीच दबा रही थी,,,, और मजे लेते हुए सिसकारी की आवाज निकाल रही थी,,)
सससहहहह ,,आहहहहहहह,,,,,, राजू,,, चला जा यहां से किसी भी वक्त माजी आ जाएंगी,,,
तो क्या हुआ भाभी,,,,आज तो मैं कह कर लिया हूं कि तुम्हारी सेवा किए बिना मैं यहां से नहीं जाऊंगा,,,,(इतना कहने के साथ ही अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर उसकी गोल-गोल कांड को अपने दोनों हथेलियों में दबाकर जोर-जोर से साड़ी के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया,,,, रमा के ऊपर दोनों तरफ से हमला हो रहा था और वह इस प्यार के लिए हमले को संभाल नहीं पा रही थी उसकी सिसकारी की आवाज बढ़ते ही जा रही थी दोनों चूचियां बारी-बारी उसके मुंह में आ रही थी और वह अपने दोनों हाथों से उसकी गांड को जोर जोर से दबा रहा था,,,।
आहहहहहह राजु आहहहहहहह,,,,,ऊमममममममम,,,
(उसकी गरमा गरम शिकारियों की आवाज सुनकर राजू समझ गया था कि उसे भी मजा आ रहा है इसलिए वह बोला,,,)
कैसा लग रहा है भाभी,,,,
बहुत अच्छा लग रहा है राजू कि मुझे डर भी लग रहा है कहीं माजी आ गई तो गजब हो जाएगा,,,
ओहहहह भाभी कुछ नहीं होगा तभी तो कह रहा हूं जल्दी-जल्दी करने दो,,,,, तुम्हारी चूचियां बहुत रसीली है भाभी,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह रमा की साड़ी को खोलने लगा,,,)
औहहहह यह क्या कर रहा है राजू मेरी साड़ी क्यों उतार रहा है,,,
साड़ी उतारने के बाद ही तो मैं तुम्हारी अच्छी तरह से सेवा कर पाऊंगा भाभी,,,देवर भाभी की सेवा तकरीर अच्छी तरह से कर पाता है जब वह उसे अपने हाथों से नंगी करता है,,,।
(पर इतना कहने के साथ ही धीरे-धीरे राजू मामा की शादी को खोलकर नीचे जमीन पर गिरा दिया रमा भी उसे रोक नहीं रही थीक्योंकि वह भी अच्छी तरह से जानते थे कि साड़ी उतार कर नंगी होने के बाद ही मजा ज्यादा आता है,,, राजू एक झटके में उसके साया का नाड़ा खोल दिया,, उसका साया भरभरा कर उसके कदमों में जा गिरा,,,, पल भर में हीकमला चाची की बहू उसकी आंखों के सामने एकदम नंगी खड़ी थी केवल ब्लाउज ही था जो की पूरी तरह से खुला हुआ था और उसे भी पीछे से अपनी बाहों में लेकर उसका ब्लाउज भी उतार दिया और पीछे से उसे अपनी बाहों में करते हुए उसकी दोनों चूचियों को दबा कर उसकी गर्दन पर चुंबन की बारिश कर दिया,,,,, राजू की हरकत से रमा पूरी तरह से पानी पानी हो गई,,,।
राजू अपने दोनों हथेलियों को उसके पूरे बदन पर इधर से उधर घुमाने लगा रमा को मजा आ रहा था उसका मजा बढ़ता जा रहा था धीरे-धीरे राजू की हथेली उसके पेट के नीचे की तरफ जा रही थी और रमा अच्छी तरह से समझती थी इसलिए अपनी दोनों टांगों को आपस में सटाकर अपने लहसुन को छुपाने की कोशिश करने लगी लेकिन राजू कहां मानने वाला था,,,, राजू भी ताकत दिखाते हुए अपने हाथों से उसकी टांग को खोल कर अपनी हथेली को उसकी दहकती हुई बुर पर रख दिया,,,,और उसे मसलने लगा,,, रमा एकदम से तिलमिला उठी,,,, राजू का लंड पजामे के अंदर पूरी तरह से तन कर खड़ा हो गया था जो कि बार-बार उसकी गांड के बीचोबीच रगड़ खा रहा था,,,। मोटे तगड़े लंबे लंड की रगड अपनी गांड पर महसुय करते ही उसकी राही सही शर्म भी जाती रही इतना तो अच्छी तरह से समझ गई थी कि राजू का लंड उसके पति से बहुत ज्यादा दमदार था,,, इसलिए बहुत तुरंत अपना हाथ पीछे की तरफ ले जाकर उसके पजामे में अपना हाथ डाल दी और उसके खाली लंड को पकड़ ली,,, उत्तेजना के मारे राजु का लंड बहुत गर्म था,,, जिसकी वजह से रमा की हालत खराब होने लगी राजू अच्छी तरह से समझता था कि रामा को क्या चाहिए इसलिए तुरंत अपने पजामे को उतार कर फेंक दिया,,, और नंगा ही उसके पीछे सट गया,,,
अब राजू का लंबा लंड बड़े आराम से उसकी गांड के बीचोबीच रगड़ खा रहा था और रमा पानी पानी हुए जा रही थी,,,। राजू भी काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था क्योंकि उसके हाथों में नई नवेली शादीशुदा औरत जो हाथ लग गई थी जिसकी खूबसूरती है उसकी मादकता भरी खुशबू उसकी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा रही थी,,,। राजू धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करके खिला रहा था मानो कि जैसे उसकी चुदाई कर रहा है और इस हरकत की वजह से रमा मदहोश हुए जा रही थी अभी भी उसके हाथ में राजू का लंड था जिसे वो धीरे-धीरे मुठिया रही थी,,,,। राजू उसकी पूर्व पर अपनी हथेली रखकर उसकी गुलाबी पत्तियों को मसलते हुए अपनी बीच वाली उंगली को उसकी बुर के अंदर डाल दिया और जैसे उसकी उंगली बुर के अंदर प्रवेश के वैसे ही उसकी दर्द भरी कराह फूट पड़ी,,,।
आहहहहह,,,,,,, धीरे से दुख रहा है,,,
क्या भाभी उंगली से इतना दर्द कर रहा है तो मेरा फ्रेंड कैसे लोगी,,,
जो भी करना आराम से करना,,,,।
(और इतना सुनते ही राजू का जोश दोगुना हो गया और वह जल्दी-जल्दी अपनी ऊंगली को उसकी बुर के अंदर बाहर करने लगा,,,, रमा पानी पानी हुए जा रही थी,,,, और थोड़ी देर बाद राजू रमा के ठीक सामने घुटने के बल बैठ गया और उसकी एक टांग उठाते हुए उसे अपने कंधे पर रख दिया ऐसा करने पर रमा की बुर सीधे उसके मुंह पर आ गई उर्वशी भी निकाल कर उसकी गुलाबी बुर के मदन रस को चाटना शुरू कर दिया,, रमा की मदहोशी और उत्तेजना बढ़ने लगी उसके मुख से बड़े तेजी से सिसकारी की आवाज निकलने लगी,,,,।
ओहहहहह ,,,, राजू है क्या,,,आहहहहह,,,,आहहहहहह,,(रामा की उत्तेजना और मदहोशी बढ़ जाना जायस था क्योंकि उसके पति ने अब तक उसकी बुर को कभी चांटा नहीं था इसलिए राजू की इस हरकत पर वह पूरी तरह से मस्त हो गई मानो कि जैसे हवा में उड़ रही हो और राजू लगातार बार-बार अपनी जीभ को उसकी पुर की गहराई में अंदर बाहर करता हुआ उसकी मलाई को चाट रहा था,,,, बिना चोदे ही राजू ने उसे 2 बार झाड़ चुका था,,,
रामा एकदम काम विह्वल होते जा रही थी उसकी बुर में आग लगी हुई थी जल्द से जल्द उसकी बुर में लंड डालना जरूरी हो गया था,,,,।इसलिए राजू तुरंत खड़ा हुआ और एक बार उसके कंधों को पकड़कर उसे नीचे की तरफ बैठाने लगा क्योंकि जो क्रिया कुछ देर पहले वह कर रहा है वही किया हुआ चाहता था कि रमा भी करें,,,, लेकिन रमा उसका इरादा समझते ही थोड़ा आनाकानी कर रही थी,,,लेकिन राजू के समझाने पर वह मान गई और कुछ ही देर बाद बहुत बड़े मजे लेकर लॉलीपॉप की तरह राजू के लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी,,,,कमल चाचा की बहू कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह इस तरह से आनंद ले पाएगी और वह भी खुलकर अपने घर के आंगन में जो कि आसमान पूरी तरह से खुला हुआ था और केवल दीवाल से घिरा हुआ आंगन और दरवाजा लगा हुआ था और दरवाजा बंद था इस तरह से खुले में वह कभी मजा नहीं ली थी इसलिए उसका मजा और दुगुना होता जा रहा था,,,।
नई नवेली दुल्हन के गुलाबी होठों के बीच अपना लंड पाकर राजू अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव करते हुए डर रहा था कि कहीं उसका पानी में निकल जाए इसलिए वह तुरंत अपने लंड को बाहर निकाला,,, और रमा को उसका कंधा पकड़ कर उठाने लगा,,,,।
कहां पर करोगे,,,
यही खटिया पर,,,
माजी आ गई तो,,,
आ गई तो क्या हुआ दरवाजा तो बंद है दरवाजा खुलने से पहले कपड़े पहन लेना,,,
ठीक है जल्दी करना,,,
तुम चिंता मत करो भाभी,,,
(राजू की बात सुनते हीउतावलापन दिखाते हुए खटिया पर पीठ के बल लेट गई और अपनी दोनों टांगों को फैला दी,,, उसका सहयोग देखकर राजू बोला,,,)
यह हुई ना बात,,,(इतना कहने के साथ ही बाहर खटिया पर चढ़कर रमा की दोनों टांगों के बीच में जगह बना कर नीचे अपना दोनों हाथ ले जाकर उसकी गांड को पकड़ लिया और उसे अपनी तरफ खींच कर अपने लिए व्यवस्था करने लगा और अगले ही पल अपने लंड के मोटे सुपाड़े को उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रखकर हल्का सा धक्का लगाया बुर पहले से ही मिली थी इसलिए चिकनाहट पाकर,,, मोटा सुखाड़ा अंदर की तरफ सरकने की कोशिश करने लगा,,, लेकिन सुपाड़ा मोटा था और अब तक रमा अपने पति के पतले लंड से चुदते आ रही थी इस बार उसका किसी असली मर्द से पाला पड़ा था इसलिए उसके चेहरे पर दर्द के भाव नजर आने लगे,,, राजू संभोग क्रिया का पक्का खिलाड़ी बन चुका था इसलिए वो धीरे धीरे कोशिश करते हुए आगे बढ़ने लगा और आखिरकार कामयाबी पाते हुए रामा की गुलाबी बुर के छेद में अपना मोटा सुपाड़ा प्रवेश करा ही दिया,,,, रमा के मुंह से दर्द भरी कराह टूट पड़ी,,,।
आहहहहहह,,,,,
बस बस भाभी हो गया,,,(और इतना कहने के साथ ही धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर की तरफ सरकाना शुरू कर दिया,,,, इसके बाद तो देखते ही देखते राजू का लंड रामा की बुर के अंदरूनी सारी अड़चनों को दूर करता हुआ आगे बढ़ता चला गया राजू का लंड ईतना मोटा था कि धमाकों अपनी बुर की अंदर की दीवारों पर उसकी रगड़ साफ महसूस हो रही थी जिसकी वजह से उसका आनंद बढ़ता जा रहा था,,,
और इस बार राजू अपना सारा अनुभव काम में लगा था वह एक करारा झटका मारा और इस बार उसका नंबर पूरी तरह से विजई पताका लेना था वह उसकी बुर की गहराई में गड गया,,,,,, इस बार राजू का लंड रमा के बच्चेदानी को छू गया था ईसलिए रमा के तन बदन में उत्तेजना कि वह फुहार उठने लगी जैसा कि उसने अभी तक अनुभव भी नहीं की थी,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,,राजू को समझते देर नहीं लगी कि जब सब कुछ हाथ में है इसलिए वह अब हल्के हल्के धक्के लगा कर रमा की चुदाई करना शुरू कर दिया था,,,।
ओहहहह भाभी अब कैसा लग रहा है ,,, ( अपने दोनों हाथों से उसकी कमर को थाम कर उसकी चुदाई करता हुआ बोला,,,)
ओहहहहह मेरे प्यारे देवर बहुत मजा आ रहा है बहुत अच्छा लग रहा है,,,,
ओहहहह भाभी तुम्हारी खुशी में तो मेरी खुशी है भाभी,,, देखना अब यह देवर तुम्हारी कैसी सेवा करता है,,,(और इतना कहने के साथ ही अपना दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर उसकी चुचियों को थाम लिया और जोर जोर से धक्का लगाना शुरू कर दिया,,, फच फच की आवाज से पूरा आंगन गूंज रहा था,,, लेकिन उस आवाज को इस खडई दुपहरी में सुनने वाला कोई नहीं था,,,,,, चरर,,,मरर की आवाज खटिया भी करने लगी थी,,,।रामा को डर लग रहा था कि कहीं राजू के तेज झटकों की वजह से खटिया टूट ना जाए इसलिए उसे आराम से करने के लिए बोल रही थी लेकिन राजू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि आराम से करने में मजा नहीं आता तेजी से ही धक्के लगाने में मजा आता है,,,,और आज उसको भी स्वर्ग का सुख मिल रहा था क्योंकि उसका पति कभी भी तेज रखो के साथ इस की चुदाई कर नहीं पाता था तुरंत ही झड़ जाता था लेकिन राजू बिना झड़े उसकी दो बार पानी निकाल चुका था और तीसरी बार की तैयारी में लगा हुआ था,,,।
स्तन मर्दन की वजह से उसकी दोनों चूचियां टमाटर की तरह लाल हो गई थी,,, उसकी सांसे गहरी चल रही थी,,, राजू के तेज धक्के उसे आनंद की परिभाषा समझा रहे थे,,,, और देखते ही देखते रमा की सांसे तेज चलने लगी उसके बदन की अकड़न बढ़ने लगी राजू को समझते देर नहीं लगी कि उसका पानी निकलने वाला है इसलिए वह तुरंत अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ ले जाकर उसे अपनी बाहों में कस लिया और जोर जोर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए,,,,।
राजू उसकी चुचियों पर सर रखकर जोर जोर से हांफ रहा था,,,, मदहोशी के आलम में रमा अपने आंखों को बंद करके इस एहसास में पूरी तरह से डूब जाना चाहती थी,,, इस तरह का आनंद उसे कभी नहीं आया था,,,, थोड़ी देर बाद राजू उसके ऊपर से उठा और खटिया से नीचे उतर कर अपने कपड़े पहने लगा रमा अभी भी खटिया पर नंगी लेटी हुई थी,,,।
क्या भाभी नंगी ही रहना है क्या उठकर कपड़े पहन लो कमला चाची कभी भी आ जाएंगी,,,।
( इतना सुनते हैं जैसे वह होश में आई हो तीन खटिया पर से उठ कर अपना ब्लाउज जमीन पर से उठाकर उसे पहनने लगी और देखते ही देखते अपने सारे कपड़े पहन कर एकदम व्यवस्थित हो गई,,,)
कैसा लगा भाभी,,,
(इतना सुनते ही रमा शर्मा गई और तुरंत शर्मा कर अंदर कमरे की तरफ भाग गई और राजू खुश था कि आज उसके हाथ एक और खूबसूरत औरत लग गई थी,,, राजू भी वहां से चलता बना,,,)
भाई क्या गजब का अपडेट दिया है मजा आ गया।गुलाबी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह अपने बड़े भैया से चुदवाएगी,,, क्योंकि वह अपने बड़े भैया की बहुत इज्जत करती थी उसके बड़े भैया भी उसका हर तरह से ख्याल रखते थे एक अपनी बेटी की तरह ही उसका पालन पोषण करके उसे बड़ा किए थे इसलिए गुलाबी के मन में अपने भैया के लिए बहुत इज्जत थी,,,, लेकिन वक्त और हालात के साथ रिश्ते भी बदलते रहते हैं ऐसा ही गुलाबी के साथ भी हुआ था,,। वह वक्त ,,माहोल और अपनी उपासना के अधीन होकर,,, अपने बड़े भैया के साथ शारीरिक संबंध बना ली थी जिसने उसे अत्यधिक आनंद की अनुभूति हुई थी,,,,,पहले अपनी भतीजी के साथ और सिर्फ अपने बड़े भैया के साथ शारीरिक संबंध बना कर वो पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी,,,
जिस अद्भुत काम क्रीडा को वह दीवार के क्षेंद से देख कर आनंदित होती थी और अपने हाथों से अपनी प्यास बुझाने की नाकाम कोशिश करती थी अब उसी काम क्रीड़ा का वह भरपूर मजा लूट रही थी,,,,,,,
हरिया का मन कभी-कभी अपनी छोटी बहन के साथ शारीरिक संबंध बनाने के बाद कुंठित होने लगता था वह अपने आप पर गुस्सा करने लगता था,,, वह अपने मनोस्थिति को समझ नहीं पा रहा था,,, बार बार सोचता था कि आखिरकार वह ऐसा क्यों किया,,,, उसके मन में डर पैदा होने लगा कि अगर यह बात किसी को पता चल गई तो समाज में उसकी क्या इज्जत रह जाएगी वह तो कहीं का नहीं रहेगा,,,,फिर ऐसी गलती नहीं करेगा ऐसी कसम खाकर वहां अपनी दिनचर्या में लगा हुआ था,,,। धीरे-धीरे दिन गुजरने लगे थे,,,शुरु शुरु में तो वह गुलाबी से नजर तक नहीं मिला पाता था उससे बात करना छोड़ दिया था उसे इस बात का डर था कि कहीं वह अपनी बहन के सामने आएगा तो कहीं उसका मन फिर ना बदल जाए क्योंकि वह अपनी बहन की खूबसूरती का रस पहले ही पी चुका था वह अपनी बहन की खूबसूरती से अच्छी तरह से वाकिफ था वह अपनी बहन के बदन के हर एक अंग से वाकिफ हो चुका था उसमें से झड़ रहे मदन रस का वह रसपान कर चुका था,,,, इसलिए उसे इस बात का डर था कि कहीं वह दोबारा,, अपनी बहन के साथ शारीरिक संबंध ना बना ले,,, इसलिए वह गुलाबी से कतराता रहता था,,,।
गुलाबी कोअपनी और अपने बड़े भैया के बीच की शारीरिक संबंध को लेकर किसी भी प्रकार का मलाल नहीं था,,, वह तो इस रिश्ते के चलते बहुत खुश थी वरना वह आपने शादी का इंतजार कर रही थी कि कब उसकी शादी हो और कब उसे रोज चुदवाने को मिले लेकिन अब घर में ही दो दो लंड का बंदोबस्त हो चुका था हालांकि अपने भैया के साथ एक ही बार शारीरिक संबंध बनाए थे लेकिन रोज रात को अपने जवान भतीजे के साथ अपनी बुर की गर्मी शांत करती थी,,,,,,,।
राजू और सोनी के बीच चुदाई का खेल बिना किसी रूकावट के जारी था ,,, जिसकी भनक अब तक किसी को भी नहीं थी,,,, लेकिन राजू के मन में झुमरी बस गई थी,,,,,, उसका सादगी पर उसका भोलापन पूरी तरह से उसे अपना दीवाना बना दिया था,,,, दिन-रात राजू के जेहन में केवल झुमरी ही नाच रही थी,,, राजू बार-बार उस दृश्य को याद करके मस्त हो जाता था जब वह श्याम को बुलाने के लिए उसके घर पहुंचा था उसे अंदाजा नहीं था कि श्याम के घर पर उसे बेहतरीन नजारा देखने को मिलेगा,,,,। बार-बार झुमरी का नंगा बदन राजू के जेहन में उत्तेजना की लहर दौडा रहा था,,, राजू कभी सोचा भी नहीं था कि उसे इस तरह का दृश्य देखने को मिलेगा,,,,,, झुमरी से उसकी मुलाकात बहुत ही कम होती थी लेकिन तब उसका नजरिया एकदम साफ सुथरा था लेकिन जब से औरतों की संगत में पड़ा था तब से उसका औरतों लड़कियों को देखने का नजरिया पूरी तरह से बदल गया था,,,। झुमरी को एकदम नंगी नहाता हुआ देख कर पहली बार से ऐसा हुआ था कि झुमरी बिना कपड़ों के बेहद खूबसूरत लगती है उसका अंग-अंग तराशा हुआ था,,,। खास करके उसकी गोलाकार खरबूजे जैसी मदमस्त कर देने वाली गांड जो कि बेहद नपे तुले आकार में थी,,,। जिसे देखते ही राजू की आंखों की चमक बढ़ गई थी,,। राजू का मन उस समय झूमरी की नंगी गांड को अपने दोनों हाथों ने दबोचने को कर रहा था,,,लेकिन ऐसा कर सके नहीं कि उसने हिम्मत उस समय बिल्कुल भी नहीं हो रही थी काफी देर तक झुमरी उसी अवस्था में नंगी नहाती रही उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि पीछे खड़ा राजू उसके खूबसूरतयौवन का रस अपनी आंखों से पी रहा है,,,।
राजू के कानों में बार-बार उसके कहे गए शब्द मिश्री से भूल जाते थे जब वह उसे से कही थी कि देख लिया ना अब जा,,,लेकिन राजू उसके कहे गए गई इन शब्दों का मतलब समझ नहीं पा रहा था,,, दिन रात वह झुमरी के उन शब्दों का मतलब को ढूंढता रहता था लेकिन उसे किसी भी प्रकार का निष्कर्ष नहीं मिल पा रहा था,,,, लेकिन वह अपने मन में यही विचार करता था कि,,, अगर उसकी जगह कोई और लड़की होती तो उसे भला-बुरा कहती उसे डांटती उसे धमकाती,,, क्योंकि वह उसे नग्नावस्था में देख रहा था,,,लेकिन उसका यह कहना कि देख लिया ना अब जा इसी के मतलब को वह समझ नहीं पा रहा था,,,,वह फिर अपने ही मन में यही सोचता रहता कि क्या झुमरी जानबूझ कर उसे अपने नंगे बदन का दर्शन करा रही थी,,,, क्योंकि जब वह उसे नहाते हुए देखा था तब उसकी पीठ दरवाजे की तरफ से और चेहरा सामने की तरफ ऐसे में सिर्फ उसके मदमस्त कर देने वाली चिकनी पीठ के साथ-साथ उसकी खूबसूरत गांड नजर आ रही थी,,, लेकिन राजू की तरफ देखने पर भी वह अपने बदन के किसी भी हिस्से को छुपाने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं की थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वो जानबूझकर अपने दोनों नारंगीयो के साथ-साथ अपनी लहसुन को दिखा रही हो,,, और राजू भी इस भरपूर नजारे का पूरा मजा लेते हुए उसके बदन के हर एक अंग के नाप को अपनी आंखों से नाप लिया था ,,,। उसके नाम लाल होठ उसकी खूबसूरत मुस्कान सब कुछ राजू अपने आंखों में और अपने दिल में कैद कर लिया था,,,। इसलिए तो जब जब झुमरी की याद आती थी उसके पहचानने में तंबू बन जाता था और इस समय भी उसका यही हाल था,,,वह किसी ना किसी बहाने शाम के घर जाने लगा था लेकिन उसे झुमरी कहीं नजर नहीं आती थी,,,, उत्तेजना के मारे उसके बदन में आग लगी हुई थी,,, इसीलिए वह कमला चाची के घर पहुंच गया,,,। क्योंकि इस समय कमला चाची ही उसके बदन की गर्मी को शांत कर सकती थी वैसे भी,,, राजू की संभोग गाथा में सर्वप्रथम कमला चाची का ही वर्णन था और वही उसे संभोग कला सिखाने मैं मदद की थी,,,,।
थोड़ी ही देर में राजू कमला चाची के घर के बाहर दरवाजे पर पहुंच गया और बाहर से ही आवाज लगाते हुए बोला,,,।
कमला चाची वो कमला चाची घर पर हो कि नहीं,,,।
(इस आवाज को कमला चाची की बहू रमा अच्छी तरह से पहचानती थी,,, वह समझ गई कि राजु आया है,,, उसके बदन में गुदगुदी होने लगी क्योंकि वह अच्छी तरह से समझती थी कि उसका घर पर आने का क्या मकसद होता है वह जरूर सासु मां को चोदने है इस ख्याल से ही उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी,,,वह गेहूं साफ कर रही थी,,,, इस समय घर पर उसकी सांस नहीं थी इसलिए वह मन ही मन खुश होने लगी,,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दें,,,, फिर से आवाज आई,)
कमला चाची,,,,,, कमला चाची,,,,,,।
(तभी दरवाजा खुला और सामने कमला चाची की बहू रमा नजर आई वह बड़ी हिम्मत जुटाकर दरवाजा खुली थी क्योंकि उसे इस बात का अहसास था कि राजू उसकी सास की चुदाई करने के लिए ही आया है और इस समय उसकी सास नहीं है पता नहीं उसके मन में क्या चल रहा होगा,,, अपनी सास की गैरमौजूदगी में रमा का दिल जोरों से धड़क रहा था उसके भी अरमान मचल रहे थे क्योंकि महीनों गुजर गए थे उसका पति घर पर नहीं था ऐसे में उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होना जायज था,,,,)
माजी तो घर पर नहीं है,,,,
कहां गई है चाची,,,,
किसी काम से गई हैं समय लग जाएगा,,,,
ठीक है तो मैं चलता हूं फिर कभी आ जाऊंगा,,,,(बड़े गौर से घूंघट के अंदर के खूबसूरत चेहरे को देखने की कोशिश करता हुआ राजू बोला लेकिन घूंघट की वजह से उसे कुछ नजर नहीं आ रहा था लेकिन उसकी गोलाकार छातियां जवानी की पूरी किताब के पन्ने पलट रही थी जिसे ऊपर से ही पढ़ कर राजू मस्त हुआ जा रहा था,,,,)
कोई काम था क्या,,,?
नहीं ऐसे ही चाची से बस मिलने आया था यहीं से गुजर रहा था तो अब नहीं है तो फिर कभी आ जाऊंगा,,,
अरे ऐसे कैसे जा रहे हो,,, मैं तो हूं ना,,,,,अगर मां जी को पता चला कि तुम आए थे और बिना रुके चले गए तो हो सकता है मुझ पर नाराज हो जाए इसलिए पानी पी कर ही जाना,,,,,,,।
ठीक है भाभी तुम इतना कहती हो तो पी लेता हूं,,,,
आ जाओ,,,,(इतना कहने के साथ ही रमा एक तरफ खड़ी हो गई ताकि राजू अंदर आ सके और राजू भी कमरे के अंदर प्रवेश कर गया,,,, राजू के कमरे में प्रवेश करते ही रमा दरवाजा बंद कर दि,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, घर में केवल रमा और राजू ही थे,,,और रमा इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि वैसे ही उसकी गैरमौजूदगी में उसकी सांस उसे घर में अपने कमरे में बुलाकर जबरजस्ती दवाई थी जिसे वह अपनी आंखों से देख कर पानी पानी हो गई थी रमा अपने मन में यही सोच रही थी कि जब उसकी सास उम्र दराज होकर भी एक जवान लड़के का लंड लेकर ईतनी मस्त हो गई थी,,तो वह तो अभी पूरी तरह से जवान है उसके साथ राजू क्या करेगा,,,,। इस बात को सोच कर ही उसकी बुर पानी छोड़ रही थी,,,, धड़कते दिल के साथ रमा दरवाजा बंद कर दी,,,,, और राजू खुद ही खटिया गिरा कर उस पर बैठ गया,,, जब वह दरवाजा बंद कर रही थी तो राजू की प्यासी नजरें उसकी उभरी हुई गांड पर ही टिकी हुई थी,,,, औरतों की संगत में अब राजू को हर एक औरत में केवल अपनी प्यास बुझाने का सामान ही नजर आता था,,, रमा की उभरी हुई गांड राजू के पजामे में हलचल मचाने लगी,,,, दरवाजा बंद करके वह राजू की तरफ देख कर घूंघट के अंदर ही मुस्कुराने लगी और घर के अंदर चली गई,,,।
रमा केअंदर जाते ही राजू अपने मन में सोचने लगा कि अगर उसे कमला चाची की बहू चोदने को मिल जाती तो बहुत मजा आ जाता,,,,,,और कमरे के अंदर पहुंचकर रामा यह सोच रही थी कि ऐसा क्या किया जाए कि राजू उसे चोदने के लिए मजबूर हो जाए क्योंकि सामने से यह कहना कि वह चुदवाना चाहती है यह उसके लिए शर्म की बात होती लेकिन उसके बदन की जरूरत इस समय राजू के प्रति आकर्षित कर रही थी,,,,वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जब राजू जैसा जवान लड़का उम्रदराज औरत को इतनी मस्ती के साथ चोद सकता है तो वह तो पूरी तरह से जवान है उसे चोदने के लिए वह तो तडप उठेगा बस हल्का सा इशारा करने की देरी है,,,, बस फिर क्या था रमा अपने अंदर की औरत को जगाने लगी और किसी भी तरह से राजू से संभोग सुख प्राप्त करने के लिए मचल उठी और उसके जुगाड़ में लग गई,,,,,,,।
राजू बाहर खटिया पर बैठा हुआ बड़ी बेसब्री से रमा भाभी का इंतजार कर रहा था उसकी एक झलक पाने के लिए,,, तड़प रहा था,,,,, और यही हाल रमा का भी था,,, इसलिए वहएक गिलास में ठंडा पानी और एक कटोरी में थोड़ा सा गुड लेकर कमरे से बाहर आई,,,अभी भी उसने घूंघट पूरी तरह से नहीं उठाई थी केवल उसके लाल लाल होंठ नजर आ सके बस इतना ही घूंघट ऊपर की तरफ उठाई थी,,,। रमा को गुड़ और पानी लाता देखकर,,, राजू औपचारिक रूप से बोला,,,।
अरे इसकी क्या जरूरत थी भाभी मैं कोई मेहमान थोड़ी हूं जो इतनी खातिरदारी कर रही हो,,,
नहीं-नहीं राजू मुझे इतना तो करना ही होगा वरना माजी को पता चलेगा तो वह क्या बोलेंगी,,,,,,,
अरे भाभी कुछ नहीं बोलूंगी कमला चाची बहुत अच्छी है,,,
मैं तो जानती हूं कमला चाची बहुत अच्छी है,,,,(रमा अपने मन में ही बोली चुदवाती है इसीलिए,,,) इसीलिए तो उन्होंने मुझको सहेज के रखा है कि जब भी कोई द्वार पर आ गई तो उसे यूं ही वापस नहीं भेजना चाहिए,,,
वाह भाभी, कमला चाची के विचार बहुत ही उच्च कोटि के है,,,,,
(काम भी उच्च कोटि के हैं रमा अपने मन में ही बोली,,, राजू कटोरी में से गुड़ का एक टुकड़ा उठाकर उसे मुंह में डालकर खाने लगा,,,, और घूंघट में झांकने की कोशिश करता हुआ बोला,,,)
बहुत ही मीठा गुड़ है भाभी,,,,,
अपने खेत के गन्ने के रस से बना हुआ पुल है इसलिए बहुत स्वादिष्ट है,,,
सच में कमला चाची के रस से बना गुड़ बहुत मीठा है,,,
कमला चाची के रस से नहीं गन्ने के रस से बना गुड़ है,,,(रमा व्यंग कसते हुए बोली,,,)
हा हा,,, वही,,,, आप मजाक बहुत करती हो भाभी,,,
तुम जैसे देवर होंगे तो भाभी तो मजाक करेगी ही,,,
चलो यह तो अच्छा है कि तुम मुझे अपना देवर मानती हो,,,
पूरे गांव भर में तुम ही अच्छे लड़के हो जिसे मैं देवर का दर्जा दे रही हुं,,,,
तब तो मैं बहुत खुश नसीब हु भाभी,,,
खुशनसीब तो मैं हूं जो तुम जैसा देवर मिला है,,,,
(राजू को बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था कि एक ही दिन में जिससे इतना जान पहचान भी नहीं है वह इतना अपनापन क्यों दिखा रही है लेकिन कुछ भी हो रामा की बदन की बनावट उसका गोरा रंग राजू के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी को हवा दे रहा था,,,, रमा भी उसके खूबसूरत चेहरे को बड़े गौर से देख रही थी वाकई में राजू के चेहरे पर मासूमियत और भोलापन दोनों बराबर मात्रा में थी और बदल उसका बेहद गठीला था रमा उसके मासूमियत भरे चेहरे को देखकर,,, यकीन नहीं कर पा रही थी कि जो उस दिन अपनी आंखों से देखी थी वह सच था,,, क्योंकि जिस तरह से वह तेज-तेज अपनी कमर हीलाते हुए धक्के लगाकर उसकी सासु मा को चोद रहा था वह मासुम बिल्कुल नहीं हो सकता,,, रमा की आंखों ने अपनी सास की चुदाई करते हुए जो कुछ भी देखा थाउसने बिल्कुल की रहने की गुंजाइश बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि उसकी कमर ताबड़तोड़ चल रही थी,,,, उसके तेज धकको का उसकी सास भी बड़ी बेशर्मी से मजा ले रही थी,,,। उस दृश्य के बारे में सोच कर रमा की बुर गीली हो रही थी,,,, राजू की नजर उसकी छातियों की गोलाईयों पर थी जिसे अपने हाथों में दबोच कर उसे दबाने का मन कर रहा था उसके लाल-लाल होठों पर अपने होठों पर रखकर पीने को हो रहा था,,, वह अपने मन में यही सोच रहा था कि जब कमला चाची इतना मजा दे सकती है तब रामा कितना मजा देगी,,,, दूसरी तरफ रमा भी पूरी जुगाड़ में थी,,,,पता नहीं आज के जैसा उसे मौका मिल पाता या नहीं इसलिए वह इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहती थी क्योंकि उसकी सास शादी की रस्म में पड़ोस में गई हुई थी,,,,जोकि ज्यादा देर के लिए नहीं गई थी वह कभी भी आ सकती थी लेकिन रमा के पास इतना तो समय था कि वह अपनी बदन की प्यास राजू से बुझा ले,,,,,,, इसलिए वह राजु के ऊपर अपनी जवानी का जलवा बिखेर देना चाहती थी,,,, ओर इसीलिए वह पानी के ग्लास को नीचे रखने के बहाने झुकी और उसके झुकते ही,,,,उसकी मदमस्त कर देने वाली चुचियों का नजारा राजु की आंखों से बच नहीं सका,,, रामा ने पहले से ही अपनी चुचियों का नजारा दिखाने के उद्देश्य से ही अपने ब्लाउस के उपर के दो बटन को खोल दी थी जिसकी वजह से उसके झुकते हुए उसके दोनों खरबूजे एकदम से आधे से ज्यादा बाहर को लटक गए,,,,।
ब्लाउज में से बाहर झांकते उसके दोनों कबूतरों को देखकर,, राजू के खुद के पर फड़फड़ाने लगे उसके पजामे में हलचल होने लगी,,, वह कभी सोचा नहीं था कि इतनी आसानी से उसे रमा भाभी की चूचीया देखने को मिल जाएगी,,,,,, उसकी चुचियों के साथ-साथ दोनों सूचियों की शोभा बढ़ा रहे उसके दोनों अंगूर भी नजर आ रहे थे जिसे मुंह में लेकर चबा जाने की इच्छा हो रही थी,,,।
रमाअपनी चुचियों का भरपूर मजा आ रहा है उसे दिखा देना चाहती थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि अगर दोनों के बीच कुछ हो सकने की संभावना को बढ़ा सकती है तो उस समय इसलिए किया ही नहीं जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आ जाएगा और वह उसके साथ चुदाई करने के लिए तड़प उठेगा,,,,,, राजू की आंखें फटी की फटी रह गई थी बेहद खूबसूरत चुचियां उसके हौसले को बढा रही थी,,, राजू पानी पीना भूल गया था और उसकी हालत को देखकर रामा को शर्म तो आ ही रही थी लेकिन उसके तन बदन की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उसे लगने लगा था कि अब जरूर कुछ,,,वह अपने मन में ठान लेते कि जब उम्र नाराज होकर भी उसकी सासू मां ने जमा लड़के से चुदाई का भरपूर मजा लूट रही है तो वह क्यों नहीं वैसे भी,,, उसका पति कुछ महीनों से बाहर गया हुआ था,,, इसलिए उसकी भी दोनों टांगों के बीच गर्मी कुछ ज्यादा बढ़ गई थी जिसे शांत करना बेहद जरूरी हो गया था,,,,।,,
भ,,,भ,,,भ,, भाभी,,, तुम्हारी चुचीया तो बाहर आ गई,,,।
(राजू आंखें फाड़े उसकी चूचियों की तरफ देखते हुए बेशर्मी भरे शब्दों में बोला वह बिल्कुल भी अपने शब्दों को छुपाने की कोशिश नहीं किया था क्योंकि वहां अच्छी तरह से जानता था कि रमा कुछ महीने से अकेले ही हैं पति की संगत उसे प्राप्त नहीं हुई है और ऐसे में वह प्यासी जरूर होगी,,,, कुछ इस तरह से वह अपनापन दिखाते हुए उससे बातें कर रही थी राजू को लगने लगा था कि यहां पर भी जरूर उसकी दाल गल जाएगी,,,और औरतों की संगत में रहकर औरत के मन में क्या चल रहा है इसकी पहचान उसे होने लगी थी वह समझ गया था कि यह रामा प्यासी है,,,,राजू किस तरह की बातें सुनकर रामा एकदम से शर्म आ गई थी क्योंकि इस तरह की बातें उससे आज तक किसी ने नहीं किया था,,,, लेकिन अंदर ही अंदर वह भी तो यही चाहती थी,,,,,, राजू के मुंह से चूची शब्द सुनकर उसकी बुर कुलबुलाने लगी थी,,,, वह एकदम शरमाते हुए बोली,,,,,,)
हाय दैया,,,, यह भी बड़ी बेलगाम हो गई है कहीं भी निकल जाती है,,,(अपने साड़ी के आंचल से उसे छुपाने की कोशिश करते हुए बोली तो राजू बोला)
लगता है तुम्हारी चुचीया बड़ी बड़ी है इसलिए ब्लाउज में नहीं समा पाती,,,,,,(राजू एकदम खुलकर बातें कर रहा था)
हाय भैया कैसी बातें करते हो,,, तुम्हें लाज नहीं आती,,,
लाज कैसी भाभी जो सच है वही तो बोल रहा हूं,,,, तुम्हारी चूचियां सच मे बड़ी-बड़ी है,,,,
नहीं नहीं इतनी भी बड़ी नहीं है जैसा तुम बोल रहे हो,,,
नहीं भाभी मैं सच कह रहा हूं बड़ी बड़ी है तभी तो अपने आप ब्लाउज के बटन खोल कर बाहर आ गई उसका वजन तुम्हारे ब्लाउज से संभाला नहीं जा रहा है,,,,।
(राजू की उत्तेजना भरी बातें सुनकर रमा की बुर गीली होने लगी थी,,, वह अच्छी तरह से समझ गई थी कि राजू बातों का जादूगर है उसके शब्दों में बहुत ज्यादा उत्तेजना होती है तभी तो वह जिस तरह से बातें कर रहा था उस तरह से उसके पति ने भी बातें नहीं किया था रमा अपने मन में सोचने लगी कि वह तो अपनी बातों से ही उसकी बुर को पूरी तरह से गीली कर दिया है,,,।)
नहीं-नहीं राजू,,,,, इस तरह से बातें मत करो मुझे शर्म आती है पानी पी लो,,,,।
(राजू अब तक के अनुभव से यही सीखा था कि औरतों के नानू कर में ही उसकी हामी होती हैअच्छी तरह से जानता था कि अगर उसकी बात है उसे बुरी लगती तो वहां कब से उसे यहां से जाने के लिए कह चुकी होती लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं कह रही थी बस शर्मा रही थी इसलिए राजू को लगने लगा था कि अब उसके दोनों हाथ में फिर से लड्डू आ गया है,,,, और वह भी बेहद स्वादिष्ट,,,)
अब तो मेरी प्यास पानी से नहीं बुझने वाली भाभी,,,
यह क्या कह रहे हो राजू इस तरह से बातें मत करो,,,(घूंघट में ही अपनी खूबसूरत चेहरे को छिपाए हुए रमा बोली)
जो भी कह रहा हूं सच कह रहा हूं भाभी मेरी एक-एक बात में सच्चाई है तुम बहुत खूबसूरत है मैंने आज तक तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत नहीं देखा,,,,।
(राजू की इस तरह की बातें सुनकर रामा मन ही मन खुश हो रही थी क्योंकि वह उसकी खूबसूरती की प्रशंसा कर रहा था और दुनिया में ऐसी कौन सी औरत है कि जो अपनी खूबसूरती की प्रशंसा नहीं सुनना चाहेगी उसे राजू की बातें अच्छी लग रही थी लेकिन ना जाने क्यों से डर लगने लगा था इसलिए वह उससे बोली,,,)
नहीं नहीं राजू इस तरह से बातें मत करो तुम पानी पी कर चले जाओ वरना मेरी सांस आ जाएगी,,,
तुम्हारी सास आ जाएगी तो क्या हुआ,, मै पराया थोड़ी हूं और वैसे भी,,,तुम ही ने अभी मुझे अपना देवर बनाया है और देवर का इतना तो हक होता ही है,,,(इतना कहते हुए राजू उसका हाथ पकड़ लिया और वह एकदम से शर्मा कर सिहर उठी,,, उसके पति के बाद आज किसी और ने उसकी कलाई थामी थी,,, और इसीलिए एक मर्दाना हाथों में अपनी कलाई पाते ही वह एकदम से सिहर उठी,,,)
आहहहहह,,,राजु,,,, मेरी कलाई दुखने लगी है कितनी जोर से पकड़े हो,,,(अपने हाथ को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली)
मेरा तो मन कर रहा है कि तुम्हारे हाथ को जिंदगी भर ना छोडु,,,।
आहहहह,,, राजू तू बड़ा बेशर्म है अभी जा यहां से,,,।
(ना जाने क्यों अब रमा को डर लगने लगा था उसे शर्म आ रही थी अब तक वह राजू से सब कुछ करवा देने के जुगाड़ में लगी हुई थी और सब कुछ होता देख कर ना जाने क्यों उसके मन में घबराहट हो रही थी,,,, लेकिन राजू भी औरतों की संगत में पक्का खिलाड़ी बन चुका था रमा के मन की बात को वह अच्छी तरह से समझ रहा था,,, रमा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,)
राजू तु पानी पी और जा यहां से कोई देख लेगा तो गजब हो जाएगा,,,,
ठीक है भाभी तुम कहती है तो मैं चला जाऊंगा लेकिन उसके पहले तुम्हें मेरी बात सच है कि गलत यह दिखाना होगा ,,
,कौन सी बात,,,,,?
यही कि तुम्हारी चूचियां छोटी-छोटी है या बड़ी बड़ी,,,
धत्,,,, पागल हो गया है क्या,,,
हां भाभी में पागल हो गया हूं तुम्हारी खूबसूरती देखकर तुम्हारा उसने देख कर मैं तुम्हारा दीवाना हो गया हूं,,,।
(रमा को डर भी लग रहा था और राजू की बातें सुनकर उसे प्रसन्नता भी हो रही थी उसे मजा भी आ रहा था किसी जवान लड़के ने पहली बार उसकी खूबसूरती की तारीफ किया था,,,,)
नहीं-नहीं राजू जो तू कह रहा है वह ठीक नहीं है तू जा यहां से,,,
तो चलो ठीक है मैं भी यहीं बैठा रहता हूं कोई आएगा तो कह दूंगा कि भाभी ने हीं मुझे बुलाई थी,,,।
(इतना सुनते ही रमा के तो होश उड़ गए और वह बोली)
कितना बेशर्म और हटिला है तू,,,
चला जाऊंगा बस दिखा दो एक बार,,,,
तो बहुत जिद कर रहा है,,,(इतना कहते ही राम अपने मन में सोचने लगी कि वह है क्या कर रही है और शिकार हुआ अभी तो उसे अपना सब कुछ सोचना चाहती थी और इसीलिए तो वह उसे अंदर बुलाई थी और आज जब सब कुछ सही होने जा रहा है तो वह खुद ही इंकार कर रही है ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके अंदर से ही आवाज आ रही थी कि रमैया क्या कर रही है ऐसा अच्छा मौका तुझे फिर कभी नहीं मिलने वाला है और वैसे भी अगर तेरी सास देख भी जाती है तो तू भी तो कह सकती है कि वह खुद ही राजू के साथ चुदवाती है और वह अपनी आंखों से भी देख चुकी है दोनों का राज राज ही रह जाएगा ना उसे कोई शिकायत रहेगी ना तुझे कोई भी ऐसा मौका हाथ से जाने मत देन रमा इस मौके का फायदा उठा,,, रमा अपने मन की बात को सुनते हुए बोली)
ठीक है अच्छा मैं तुझे दिखा देती हूं लेकिन इसके बाद तु चले जाना,,,( रमा यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि अगर वह राजू को अपनी चूचियां दिखा देंगे कि किसी भी हारने वाला बिना उसकी चुदाई कीए वहां से जाने वाला नहीं है और यही वह चाहती भी थी,,,)
वाह भाभी मेरी अच्छी भाभी,,,(इतना कहने के साथ ही राजू खटिया पर से खड़ा हो गया और रमा घुंघट में अपने खूबसूरत चेहरे को छिपाए हुए अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी रमा का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि जिंदगी में पहली बार वह किसी गैर मर्द के सामने अपने कपड़े उतार रही थी,,,उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल बढ़ने लगी थी और देखते ही देखते उत्तेजना के मारे राजू के पजामे में तंबू बन गया था जिस पर रमा की नजर पड़ी तो उसके होश उड़ गए अब उसका मन मचलने लगा राजू के लंड को बुर में लेने के लिए,,,, धीरे-धीरे करके रमा अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी और ब्लाउज के दोनों आंखों को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अलग करते हैं अपनी मदमस्त कर देने वाली चुचीयों को राजू की आंखों के सामने नुमाइश करने लगी,,,, गोल गोल तनी हुई चुचियों को देखते ही राजू के मुंह में पानी आ गया,,, अब राजू को किसी के इजाजत की जरूरत नहीं थी क्योंकि एक तरह से रामा की तरफ से उसे निमंत्रण मिल गया था,,, अपने ब्लाउज के बटन खोल ना यह रमा की तरफ से राजू के लिए आमंत्रण ही था जिसे शहर से स्वीकार करते हुए फटी आंखों से राजू उसकी गोल-गोल चुचियों को देखे जा रहा था,,और इस तरह से अपनी चूचियों को दिखाते हुए रमा के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,, थोड़ी देर बाद वह बोली,,,)
बस अब हो गया ना अब जा यहां से,,,,(रमा चाहती तो बिल्कुल भी नहीं थी कि राजू वहां से चला जाए लेकिन फिर भी वहां औपचारिक रूप से उसे जाने के लिए कह रही थी लेकिन मन में यही चाहती थी कि वह रुका रहे और भला राजू कैसे जाने वाला था क्योंकि उसके आंखों के सामने खड़ा करते हुए दो कबूतर जो नजर आ रहे थे जिसका शिकार किए बिना वह वापस जाने वाला नहीं था,,, इसलिए राजू अपना कदम आगे बढ़ाते हुए बोला))
अब कैसे चला जाऊं भाभी मीठा गुड़ खिला दी हो,,, तो पानी कौन पिलाएगा लेकिन अब पानी नही ,,, मेरी प्यास तो तुम्हारा दूध पीकर ही बुझेगी,,,,
(इतना सुनकर रमा कुछ समझ पाते इससे पहले भी फुर्ती दिखाते हुए राजू अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपने दोनों हाथों में धर्म की दोनों चूचियों को थाम लिया था और तुरंत उस पर मुंह लगाकर पीना शुरू कर दिया था यह रमा के लिए बिल्कुल असहनीय था वह ईसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी,,, वह छटपटाती इससे पहले ही वह पूरी तरह से राजू के काबू में आ गई थी,,, औरतों को कैसे काबू में किया जाता है यह कला राजू अच्छी तरह से जानता था बहुत भारी बारिश है बिना रुके उसकी दोनों चूचियों को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया था पल भर में ही रमा के मुंह से सिसकारी की आवाज निकालने लगी उसे मजा आने लगा था क्योंकि इस तरह से उसके पति ने कभी भी उसकी चुचियों को मुंह में लेकर पीया नहीं था,,, इसलिए यह हरकत रमा के लिए बेहद उत्तेजना कारक थी,,,,।
सससहहहह आहहहहहहहहह,,, राजू यह क्या कर रहा है,,,
तुम्हारी सेवा कर रहा हूं भाभी,,,
आहहहहहह यह कैसी सेवा है रे,,,
भाभी या भाभी की देवर के द्वारा की जाने वाली सेवा तुम्हारा कोई देकर नहीं है ना इसलिए तुम्हें अब तक इस सेवा से वंचित रहना पड़ा लेकिन आज तुम मुझे अपना देवर बना दिया अब तुम्हें इस तरह की सेवा बराबर मिलती रहेगी,,,(इतना कहने के साथ ही राजू दोनों हाथों से उसकी जोर-जोर से चूचियां दबाते हुए उसके अंगूर को मुंह में लेकर चूस रहा था,, वह जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी वह राजू के बाल को जोर से पकड़ कर उसे अपने दोनों चूचियों के बीच दबा रही थी,,,, और मजे लेते हुए सिसकारी की आवाज निकाल रही थी,,)
सससहहहह ,,आहहहहहहह,,,,,, राजू,,, चला जा यहां से किसी भी वक्त माजी आ जाएंगी,,,
तो क्या हुआ भाभी,,,,आज तो मैं कह कर लिया हूं कि तुम्हारी सेवा किए बिना मैं यहां से नहीं जाऊंगा,,,,(इतना कहने के साथ ही अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर उसकी गोल-गोल कांड को अपने दोनों हथेलियों में दबाकर जोर-जोर से साड़ी के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया,,,, रमा के ऊपर दोनों तरफ से हमला हो रहा था और वह इस प्यार के लिए हमले को संभाल नहीं पा रही थी उसकी सिसकारी की आवाज बढ़ते ही जा रही थी दोनों चूचियां बारी-बारी उसके मुंह में आ रही थी और वह अपने दोनों हाथों से उसकी गांड को जोर जोर से दबा रहा था,,,।
आहहहहहह राजु आहहहहहहह,,,,,ऊमममममममम,,,
(उसकी गरमा गरम शिकारियों की आवाज सुनकर राजू समझ गया था कि उसे भी मजा आ रहा है इसलिए वह बोला,,,)
कैसा लग रहा है भाभी,,,,
बहुत अच्छा लग रहा है राजू कि मुझे डर भी लग रहा है कहीं माजी आ गई तो गजब हो जाएगा,,,
ओहहहह भाभी कुछ नहीं होगा तभी तो कह रहा हूं जल्दी-जल्दी करने दो,,,,, तुम्हारी चूचियां बहुत रसीली है भाभी,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह रमा की साड़ी को खोलने लगा,,,)
औहहहह यह क्या कर रहा है राजू मेरी साड़ी क्यों उतार रहा है,,,
साड़ी उतारने के बाद ही तो मैं तुम्हारी अच्छी तरह से सेवा कर पाऊंगा भाभी,,,देवर भाभी की सेवा तकरीर अच्छी तरह से कर पाता है जब वह उसे अपने हाथों से नंगी करता है,,,।
(पर इतना कहने के साथ ही धीरे-धीरे राजू मामा की शादी को खोलकर नीचे जमीन पर गिरा दिया रमा भी उसे रोक नहीं रही थीक्योंकि वह भी अच्छी तरह से जानते थे कि साड़ी उतार कर नंगी होने के बाद ही मजा ज्यादा आता है,,, राजू एक झटके में उसके साया का नाड़ा खोल दिया,, उसका साया भरभरा कर उसके कदमों में जा गिरा,,,, पल भर में हीकमला चाची की बहू उसकी आंखों के सामने एकदम नंगी खड़ी थी केवल ब्लाउज ही था जो की पूरी तरह से खुला हुआ था और उसे भी पीछे से अपनी बाहों में लेकर उसका ब्लाउज भी उतार दिया और पीछे से उसे अपनी बाहों में करते हुए उसकी दोनों चूचियों को दबा कर उसकी गर्दन पर चुंबन की बारिश कर दिया,,,,, राजू की हरकत से रमा पूरी तरह से पानी पानी हो गई,,,।
राजू अपने दोनों हथेलियों को उसके पूरे बदन पर इधर से उधर घुमाने लगा रमा को मजा आ रहा था उसका मजा बढ़ता जा रहा था धीरे-धीरे राजू की हथेली उसके पेट के नीचे की तरफ जा रही थी और रमा अच्छी तरह से समझती थी इसलिए अपनी दोनों टांगों को आपस में सटाकर अपने लहसुन को छुपाने की कोशिश करने लगी लेकिन राजू कहां मानने वाला था,,,, राजू भी ताकत दिखाते हुए अपने हाथों से उसकी टांग को खोल कर अपनी हथेली को उसकी दहकती हुई बुर पर रख दिया,,,,और उसे मसलने लगा,,, रमा एकदम से तिलमिला उठी,,,, राजू का लंड पजामे के अंदर पूरी तरह से तन कर खड़ा हो गया था जो कि बार-बार उसकी गांड के बीचोबीच रगड़ खा रहा था,,,। मोटे तगड़े लंबे लंड की रगड अपनी गांड पर महसुय करते ही उसकी राही सही शर्म भी जाती रही इतना तो अच्छी तरह से समझ गई थी कि राजू का लंड उसके पति से बहुत ज्यादा दमदार था,,, इसलिए बहुत तुरंत अपना हाथ पीछे की तरफ ले जाकर उसके पजामे में अपना हाथ डाल दी और उसके खाली लंड को पकड़ ली,,, उत्तेजना के मारे राजु का लंड बहुत गर्म था,,, जिसकी वजह से रमा की हालत खराब होने लगी राजू अच्छी तरह से समझता था कि रामा को क्या चाहिए इसलिए तुरंत अपने पजामे को उतार कर फेंक दिया,,, और नंगा ही उसके पीछे सट गया,,,
अब राजू का लंबा लंड बड़े आराम से उसकी गांड के बीचोबीच रगड़ खा रहा था और रमा पानी पानी हुए जा रही थी,,,। राजू भी काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था क्योंकि उसके हाथों में नई नवेली शादीशुदा औरत जो हाथ लग गई थी जिसकी खूबसूरती है उसकी मादकता भरी खुशबू उसकी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा रही थी,,,। राजू धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करके खिला रहा था मानो कि जैसे उसकी चुदाई कर रहा है और इस हरकत की वजह से रमा मदहोश हुए जा रही थी अभी भी उसके हाथ में राजू का लंड था जिसे वो धीरे-धीरे मुठिया रही थी,,,,। राजू उसकी पूर्व पर अपनी हथेली रखकर उसकी गुलाबी पत्तियों को मसलते हुए अपनी बीच वाली उंगली को उसकी बुर के अंदर डाल दिया और जैसे उसकी उंगली बुर के अंदर प्रवेश के वैसे ही उसकी दर्द भरी कराह फूट पड़ी,,,।
आहहहहह,,,,,,, धीरे से दुख रहा है,,,
क्या भाभी उंगली से इतना दर्द कर रहा है तो मेरा लंड कैसे लोगी,,,
जो भी करना आराम से करना,,,,।
(और इतना सुनते ही राजू का जोश दोगुना हो गया और वह जल्दी-जल्दी अपनी ऊंगली को उसकी बुर के अंदर बाहर करने लगा,,,, रमा पानी पानी हुए जा रही थी,,,, और थोड़ी देर बाद राजू रमा के ठीक सामने घुटने के बल बैठ गया और उसकी एक टांग उठाते हुए उसे अपने कंधे पर रख दिया ऐसा करने पर रमा की बुर सीधे उसके मुंह पर आ गई उर्वशी भी निकाल कर उसकी गुलाबी बुर के मदन रस को चाटना शुरू कर दिया,, रमा की मदहोशी और उत्तेजना बढ़ने लगी उसके मुख से बड़े तेजी से सिसकारी की आवाज निकलने लगी,,,,।
ओहहहहह ,,,, राजू है क्या,,,आहहहहह,,,,आहहहहहह,,(रामा की उत्तेजना और मदहोशी बढ़ जाना जायस था क्योंकि उसके पति ने अब तक उसकी बुर को कभी चांटा नहीं था इसलिए राजू की इस हरकत पर वह पूरी तरह से मस्त हो गई मानो कि जैसे हवा में उड़ रही हो और राजू लगातार बार-बार अपनी जीभ को उसकी पुर की गहराई में अंदर बाहर करता हुआ उसकी मलाई को चाट रहा था,,,, बिना चोदे ही राजू ने उसे 2 बार झाड़ चुका था,,,
रामा एकदम काम विह्वल होते जा रही थी उसकी बुर में आग लगी हुई थी जल्द से जल्द उसकी बुर में लंड डालना जरूरी हो गया था,,,,।इसलिए राजू तुरंत खड़ा हुआ और एक बार उसके कंधों को पकड़कर उसे नीचे की तरफ बैठाने लगा क्योंकि जो क्रिया कुछ देर पहले वह कर रहा है वही किया हुआ चाहता था कि रमा भी करें,,,, लेकिन रमा उसका इरादा समझते ही थोड़ा आनाकानी कर रही थी,,,लेकिन राजू के समझाने पर वह मान गई और कुछ ही देर बाद बहुत बड़े मजे लेकर लॉलीपॉप की तरह राजू के लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी,,,,कमल चाचा की बहू कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह इस तरह से आनंद ले पाएगी और वह भी खुलकर अपने घर के आंगन में जो कि आसमान पूरी तरह से खुला हुआ था और केवल दीवाल से घिरा हुआ आंगन और दरवाजा लगा हुआ था और दरवाजा बंद था इस तरह से खुले में वह कभी मजा नहीं ली थी इसलिए उसका मजा और दुगुना होता जा रहा था,,,।
नई नवेली दुल्हन के गुलाबी होठों के बीच अपना लंड पाकर राजू अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव करते हुए डर रहा था कि कहीं उसका पानी में निकल जाए इसलिए वह तुरंत अपने लंड को बाहर निकाला,,, और रमा को उसका कंधा पकड़ कर उठाने लगा,,,,।
कहां पर करोगे,,,
यही खटिया पर,,,
माजी आ गई तो,,,
आ गई तो क्या हुआ दरवाजा तो बंद है दरवाजा खुलने से पहले कपड़े पहन लेना,,,
ठीक है जल्दी करना,,,
तुम चिंता मत करो भाभी,,,
(राजू की बात सुनते हीउतावलापन दिखाते हुए खटिया पर पीठ के बल लेट गई और अपनी दोनों टांगों को फैला दी,,, उसका सहयोग देखकर राजू बोला,,,)
यह हुई ना बात,,,(इतना कहने के साथ ही बाहर खटिया पर चढ़कर रमा की दोनों टांगों के बीच में जगह बना कर नीचे अपना दोनों हाथ ले जाकर उसकी गांड को पकड़ लिया और उसे अपनी तरफ खींच कर अपने लिए व्यवस्था करने लगा और अगले ही पल अपने लंड के मोटे सुपाड़े को उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रखकर हल्का सा धक्का लगाया बुर पहले से ही मिली थी इसलिए चिकनाहट पाकर,,, मोटा सुखाड़ा अंदर की तरफ सरकने की कोशिश करने लगा,,, लेकिन सुपाड़ा मोटा था और अब तक रमा अपने पति के पतले लंड से चुदते आ रही थी इस बार उसका किसी असली मर्द से पाला पड़ा था इसलिए उसके चेहरे पर दर्द के भाव नजर आने लगे,,, राजू संभोग क्रिया का पक्का खिलाड़ी बन चुका था इसलिए वो धीरे धीरे कोशिश करते हुए आगे बढ़ने लगा और आखिरकार कामयाबी पाते हुए रामा की गुलाबी बुर के छेद में अपना मोटा सुपाड़ा प्रवेश करा ही दिया,,,, रमा के मुंह से दर्द भरी कराह टूट पड़ी,,,।
आहहहहहह,,,,,
बस बस भाभी हो गया,,,(और इतना कहने के साथ ही धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर की तरफ सरकाना शुरू कर दिया,,,, इसके बाद तो देखते ही देखते राजू का लंड रामा की बुर के अंदरूनी सारी अड़चनों को दूर करता हुआ आगे बढ़ता चला गया राजू का लंड ईतना मोटा था कि धमाकों अपनी बुर की अंदर की दीवारों पर उसकी रगड़ साफ महसूस हो रही थी जिसकी वजह से उसका आनंद बढ़ता जा रहा था,,,
और इस बार राजू अपना सारा अनुभव काम में लगा था वह एक करारा झटका मारा और इस बार उसका नंबर पूरी तरह से विजई पताका लेना था वह उसकी बुर की गहराई में गड गया,,,,,, इस बार राजू का लंड रमा के बच्चेदानी को छू गया था ईसलिए रमा के तन बदन में उत्तेजना कि वह फुहार उठने लगी जैसा कि उसने अभी तक अनुभव भी नहीं की थी,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,,राजू को समझते देर नहीं लगी कि जब सब कुछ हाथ में है इसलिए वह अब हल्के हल्के धक्के लगा कर रमा की चुदाई करना शुरू कर दिया था,,,।
ओहहहह भाभी अब कैसा लग रहा है ,,, ( अपने दोनों हाथों से उसकी कमर को थाम कर उसकी चुदाई करता हुआ बोला,,,)
ओहहहहह मेरे प्यारे देवर बहुत मजा आ रहा है बहुत अच्छा लग रहा है,,,,
ओहहहह भाभी तुम्हारी खुशी में तो मेरी खुशी है भाभी,,, देखना अब यह देवर तुम्हारी कैसी सेवा करता है,,,(और इतना कहने के साथ ही अपना दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर उसकी चुचियों को थाम लिया और जोर जोर से धक्का लगाना शुरू कर दिया,,, फच फच की आवाज से पूरा आंगन गूंज रहा था,,, लेकिन उस आवाज को इस खडई दुपहरी में सुनने वाला कोई नहीं था,,,,,, चरर,,,मरर की आवाज खटिया भी करने लगी थी,,,।रामा को डर लग रहा था कि कहीं राजू के तेज झटकों की वजह से खटिया टूट ना जाए इसलिए उसे आराम से करने के लिए बोल रही थी लेकिन राजू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि आराम से करने में मजा नहीं आता तेजी से ही धक्के लगाने में मजा आता है,,,,और आज उसको भी स्वर्ग का सुख मिल रहा था क्योंकि उसका पति कभी भी तेज रखो के साथ इस की चुदाई कर नहीं पाता था तुरंत ही झड़ जाता था लेकिन राजू बिना झड़े उसकी दो बार पानी निकाल चुका था और तीसरी बार की तैयारी में लगा हुआ था,,,।
स्तन मर्दन की वजह से उसकी दोनों चूचियां टमाटर की तरह लाल हो गई थी,,, उसकी सांसे गहरी चल रही थी,,, राजू के तेज धक्के उसे आनंद की परिभाषा समझा रहे थे,,,, और देखते ही देखते रमा की सांसे तेज चलने लगी उसके बदन की अकड़न बढ़ने लगी राजू को समझते देर नहीं लगी कि उसका पानी निकलने वाला है इसलिए वह तुरंत अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ ले जाकर उसे अपनी बाहों में कस लिया और जोर जोर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए,,,,।
राजू उसकी चुचियों पर सर रखकर जोर जोर से हांफ रहा था,,,, मदहोशी के आलम में रमा अपने आंखों को बंद करके इस एहसास में पूरी तरह से डूब जाना चाहती थी,,, इस तरह का आनंद उसे कभी नहीं आया था,,,, थोड़ी देर बाद राजू उसके ऊपर से उठा और खटिया से नीचे उतर कर अपने कपड़े पहने लगा रमा अभी भी खटिया पर नंगी लेटी हुई थी,,,।
क्या भाभी नंगी ही रहना है क्या उठकर कपड़े पहन लो कमला चाची कभी भी आ जाएंगी,,,।
( इतना सुनते हैं जैसे वह होश में आई हो तीन खटिया पर से उठ कर अपना ब्लाउज जमीन पर से उठाकर उसे पहनने लगी और देखते ही देखते अपने सारे कपड़े पहन कर एकदम व्यवस्थित हो गई,,,)
कैसा लगा भाभी,,,
(इतना सुनते ही रमा शर्मा गई और तुरंत शर्मा कर अंदर कमरे की तरफ भाग गई और राजू खुश था कि आज उसके हाथ एक और खूबसूरत औरत लग गई थी,,, राजू भी वहां से चलता बना,,,)
Awesome updateआग दोनों तरफ बराबर की लगी हुई थी दोपहर का समय था और ऐसे में हरिया खेतों पर काम करने के लिए गया था और खाना लेकर गुलाबी आई थी अपने भैया के लंड को देखकर उसकी गुलाबी 6 में हलचल सी होने लगी थी,,,,।
गुलाबी सरसो के तेल को अपनी हथेली में गिरा ली थी,,,उसका दिल बड़े जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आज क्या आने वाला है लेकिन इतना आभास हो चुका था कि जो भी होने वाला था बहुत ही अच्छा होने वाला था,,,
हरिया कभी सोचा नहीं था कि वह अपनी भावनाओं को इस कदर अपने अंदर बदल देगा और वह भी अपनी बहन के प्रति,,,हरिया की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी धोती के अंदर उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,हरिया यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बहन एकदम जवान खिली हुई थी और शादी की उम्र हो चुकी थी ऐसे में उसका मन भी मचलता होगा चुदवाने को करता होगा इसलिए हरिया को अपनी सोच पर पूरा विश्वास था कि अगर एक बार वह गुलाबी को बहकाने में सफल हो जाएगा तो वह गुलाबी की दोनों टांगों के बीच का रास्ता बड़े आराम से तय कर लेगा,,,,,,
गुलाबी अपने बड़े भैया की उठी हुई धोती की तरफ देखकर सरसों के तेल को बड़े अच्छे से अपनी भैया की जांघों पर लगाने लगी और मालिश करने लगी,,,गुलाबी के कोमल हथेली और उंगली का स्पर्श पाते ही हरिया के तन बदन में उत्तेजना के शोले भड़कने लगे,,, सांसो की गति तेज हो गई और एक अद्भुत सुख की प्राप्ति उसे अपनी दोनों टांगों के बीच के बीच अद्भुत अौजार में महसूस होने लगी,,,, हरिया काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,, अपने भैया की जांघों की मालिश करते समय गुलाबी के तन बदन में भी अजीब सी हलचल हो रही थी,,,, गुलाबी धीरे धीरे आहिस्ता आहिस्ता अपने भैया के लंड की तरफ बढ़ना चाहती थी,,, और उसे पूरा विश्वास था कि वह अपनी हथेली उंगलियों का कमाल दिखाकर वहां तक जरूर पहुंच जाएगी,,,,मालिश करते करते हो अपने भैया की तरफ देख कर मुस्कुरा दे रही थी जवाब में हरिया भी मुस्कुरा दे रहा था,,, दोनों के बीच की यह मुस्कुराहट असीम आनंद की अनुभूति करा रही थी,,, लहराते हुए खेतों के बीच दोनों संपूर्ण रूप से निश्चिंत थे,,, क्योंकि जब आप दोनों चित्रा से जानते थे कि इस समय यहां कोई आने वाला नहीं था गुलाबी भी यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी बाकी कामों में व्यस्त होगी और वैसे भी खाना लेकर खुद आई थी तो उसकी भाभी का यहां आने का सवाल ही नहीं उठता था,,,,,,
कैसा लग रहा है भैया,,,?(गुलाबी अपनी हथेली का कमाल दिखाते हुए हरिया की तरफ देख कर बोली)
थोड़ा थोड़ा आराम महसूस हो रहा है लेकिन थोड़ा ऊपर की तरफ कुछ याद आता है तो महसूस हो रहा है,,,,(हरिया भी अपने मन में यही चाहता था कि उसकी बहन उसके अौजार की तरफ आगे बढ़े उसके मुसल जैसे लंड को देखकर उसे छुने के लिए पकड़ने के लिए व्याकुल हो जाए,,,गुलाबी ने अपने भैया की मनसा को अच्छी तरह से जानती थी क्योंकि वह अपने भैया की छेड़खानी अपनी भाभी के साथ दीवार के छेद में से देख चुकी थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि दिन मेंचरित्रवान बने रहने वाला उसका बड़ा भाई रात को किस कदर औरत के जिस्म से खेलने के लिए व्याकुल हो जाता है तड़प उठता है,,,, हरिया की व्याकुलता गुलाबी की गुलाबी बुर में हलचल को बढ़ा रही थी,,,)
कोई बात नहीं भैया तुम्हारे बदन का सारा दर्द आ जाता रहेगा आज मेरे हाथों का कमाल देखना,,,
यही देखने के लिए तो तुम्हें मालिश करने के लिए बोला हूं,,,, क्योंकि तुम्हारी भाभी बड़ी अच्छे से करती थी,,,
मैं भी बड़े अच्छे से करूंगी भैया,,,
क्या तुम पहले कभी इस तरह की मालिश की हो,,,
नहीं नहीं,,,, पहली बार आपकी ही कर रही हुं,,,
तो देखना ठीक से करना,,,,(अपने लंड के इर्द-गिर्द खुजलाने के बहाने से वह गुलाबी की तरफ की धोती को हल्का सा हटाना चाहता था ताकि गुलाबी उसके लंड को देख सकें और ऐसा हुआ भी बातों ही बातों में खुजलाने के बहाने वह अपनी धोती को हल्के से दूसरी तरफ खींच दिया था जिससे उसके लंड का जड़ वाला हिस्साबड़ी साफ तौर पर गुलाबी को नजर आने लगा था और उसके नीचे उसकी गोलाई के इर्द-गिर्द उसके झांटों का झुरमुट भी नजर आ रहा था,,, गुलाबी की दोनों टांगों के बीच इस दृश्य को देखकर कंपन सी होने लगी भले ही वह राजू के मजबूत लैंड से चुदवाने का सुख रोज प्राप्त कर दी थी लेकिन यह हर औरत और मर्द की कमजोरी होती थी कि एक ही मर्द से या एक ही औरत से उन लोगों का मन कभी नहीं भरता था भले ही वह कितने की खूबसूरत औरत हो या मर्द कितना भी ताकत से भरा हुआ हो,,,यह बात इस समय दोनों पर लागू हो रही थी हरिया और गुलाबी दोनों पर हरिया के पास उसकी खूबसूरत बीवी की जो पूरे गांव में सबसे ज्यादा खूबसूरत और गठीला बदन की मालकिन थी और गुलाबी के पास उसका भतीजा था जो मर्दाना ताकत और मर्दाना अंक की मजबूती से भरा हुआ था लेकिन फिर भी दोनों बहेक रहे थे,,,)
तुम चिंता मत करो भैया भाभी की कमी महसूस होने नहीं दूंगी इस समय मैं तुम्हारी ऐसी मालिश करूंगी कि तुम जिंदगी भर याद रखोगे,,,,
मैं भी यही चाहता हूं गुलाबी मेरे बदन में बहुत दर्द हो रहा है,,, बस थोड़ा उपर की तरफ मालिश कर वही सारा दर्द इकट्ठा हो गया है,,,,(गरम आहे भरता हुआ हरिया बोला अपने भाई की बात सुनकर उसकी मंशा पूरी तरह से साफ हो चुकी थी जो कि गुलाबी अच्छी तरह से समझ गई थी अपने भाई की हरकत और उसकी बातों को सुनकर उसकी गुलाबी गाल सुर्ख लाल होने लगे जो की गुलाबी के गुलाबी चेहरे को और ज्यादा खूबसूरत बना रही थी,,,, वो शरमाते हुए बोली,,,)
ठीक है भैया,,,(पर इतना कहकर वह सरसों के तेल की शीशी से और ज्यादा सरसों का तेल अपनी हथेली पर गिरा कर जांघो के ऊपर लगाकर मालिश करने लगी अपनी भैया की बात मानते हुए अपने दोनों हथेली को हरिया की दोनों जांघों पर रखकर उसे धोती के अंदर अपनी हथेली को सरकाने लगी थी,,,गुलाबी कि इस मदहोश कर देने वाली हरकत हरिया के तन बदन में आग लगा रही थी हरिया को ऐसा लग रहा था कि जैसे मालिश करने वाली उसकी बहन नहीं बल्कि कोई रंडी अपनी हरकतों से उसे उकसा रही है,,,,,, गुलाबी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह खटिया पर अपनी गांड रख कर बैठी हुई थी,,, उसकी जांघों की मोटाई देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी सलवार फट जाएगी,,, गुलाबी की नजरें अपने भाई के लंड की जड़ की तरफ गड़ी हुई थी,,, हरिया की अनुभवी आंखें गुलाबी की नजरों को अच्छी तरह से भाग गई थी वह मन ही मन खुश हो रहा था जो दिखाना चाह रहा था वह गुलाबी बड़ी उत्सुकता से देख रही थी,,,, हरिया यह बात नहीं जानता था कि उसकी बहन उसके और उसकी बीवी के कारनामों को अपनी आंखों से कई बार देख चुकी थी लेकिन गुलाबी के लिए भी यह पहली मर्तबा था जब वह बेहद नजदीक से अपने भैया के लंड का दीदार कर रही थी,,,,गुलाबी अपने भैया के लंड को छुना चाहती थी उसे अपनी उंगलियों से स्पर्श करना चाहती थी,,,, उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी और इसीलिए हरिया भी उत्सुक था वह चाहता था कि उसकी बहन मालिश करते हुए उसके लंड को पकड़ ले ताकि उसके बाद के कार्यक्रम को वह शुरू कर सके,,,, गुलाबी मालिश करते हुए बोली,,,।)
अब कैसा लग रहा है भैया,,,?
बहुत अच्छा लग रहा है ,,, बस इसी तरह से मालिश करती रहो,,,,,,
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हां भैया तुम्हें एकदम आराम हो जाएगा,,,,,(इतना कहते ही गुलाबी अपनी उंगलियों को आगे बढ़ाने का क्या देखते ही देखते गुलाबी अपने भैया की टांगों के बीच पहुंचने लगी,,,, उसकी उंगलियां हरिया के लंड से दो अंगूल दूर ही थी,,, हरिया को इसका आभास हो गया था उसका पूरा बदन में चल रहा था उसके लंड की एेंठन बढ़ती जा रही थी,,,,और गुलाबी पानी पानी हो रही थी,, हरिया को लग रहा था कि उसकी बहन की उंगली उसके लंड पर अब छुई कि तब छुई,,, ठंडी ठंडी हवा कह रही थी जो कि गुलाबी की रोशनी बालों को इधर-उधर लहरा रही थी और वह बार-बार अपनी उंगली का सहारा देकर अपनी उलझती लटो को सुलझाने की कोशिश कर रही थी,,,।)
अच्छा हुआ भैया कि तुमने यहां सरसों के तेल की शीशी रखे थे वरना उसे लेने के लिए घर जाना पड़ता,,,,
हां मैं जानता हूं तभी तो है सरसों की तेल की शीशी रखे रहता हूं क्योंकि तुम्हारी भाभी यहां मेरी मालिश कर देती है,,,
मैं भी भैया भाभी की तरह कर रही हु ना,,,
हां अभी तक तो ठीक कर रही हो लेकिन आगे देखते हैं तुम अपनी भाभी की तरह कर पाती हो कि नहीं,,,,
जब ना कर पाऊं तो बताना,,,,(उत्सुकता और उत्तेजना का मिश्रण गुलाबी के गुलाबी चेहरे पर साफ नजर आ रहा था वह अपने आप को रोक नहीं पा रही थी दो अंगूर की दूरी पर उसके सपनों का खजाना खड़ा हुआ था,,,, जिसे पकड़ने के लिए वह उतावली हुए जा रही थी,,,, आखिरकार अपनी हिम्मत को बढाते हुए वह अपनी उंगलियों को थोड़ा और आगे सरकाई और उसकी उंगलियां दोनों तरफ से एक साथ हरिया के लंड की जड़ पर स्पर्श होने लगी हरिया के लिए यह मौका काफी था वह इसी मौके की तलाश में था जैसे ही उसकी उंगलियों का पोर,, लंड की जड़ों में झांटों की झुरमुटो मे से होकर स्पर्श हुई,,,, हरिया जानबूझकर अपने मुंह से हल्की सी चीज की आवाज निकालते हुए बोला,,,,।)
आहहहहह ,,, मां,,,,,,ओहहहहहहहहह,,,,, बहुत दर्द कर रहा है,,,,।
क्या हुआ भैया क्या हुआ इतनी जोर से क्यों चिल्ला रहे हो,,,,
बहुत दर्द हो रहा है गुलाबी,,,
लेकिन अभी तो आराम हो रहा था,,,,
हां लेकिन जहां तुम्हारी उंगली स्पर्श हुई है वहां बहुत तेज दर्द हो रहा है,,,,
कहां पर स्पर्श हुई मुझे भी बताओ मैं अच्छे से मालिश कर दूंगी,,,,(गुलाबी अच्छी तरह से जानती थी जो कुछ भी हो रहा था इसमें दोनों की सहमति थी बस दोनों अनजान बनने का नाटक कर रहे थे,,,, गुलाबी समझ गई थी किसके भैया के मन में कुछ और चल रहा था)
अरे वहीं पर जहां पर अभी अभी तुम्हारी उंगली छुकर गुजरी है,,,,
कहां यहां,,,,(गुलाबी जानबूझकर अपनी उंगली को इधर-उधर घुमा कर बता रही थी)
नहीं,,,,
यहां,,,,
नहीं नहीं गुलाबी थोड़ा ऊपर कि तरफ,,,,,,,(दर्द से कराहने का नाटक करते हुए बोला,,)
यहां पर,,,,
थोड़ा और ऊपर की तरफ बीच में उंगली लाओ,,,,
(गुलाबी अच्छी तरह से जानते थे कि उसके भैया उसे उसका लैंड पकड़ने के लिए बोल रहे थे लेकिन गुलाबी जानबूझकर अनजान बन रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसके भैया उसे सीधी-सादी लड़की समझते थे,,,, अपने भैया की बात मानते हुएजैसे पहले वह अपनी उंगली का इस पर अपने भाई के लंड की जड़ पर कराई थी उसी तरह से इस बार और उसी तरह से अपने दोनों हाथों की उंगलियों का स्पर्श अपने भाई के लंड पर धोती के अंदर से कराते हुए बोली,,,,)
यहां पर,,,
आहहहहह,,,,,, हां गुलाबी यहीं पर,,,,औहहहह बहुत दर्द हो रहा है,,,,,,,
(गुलाबी का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें जबकि उसका भाई उसे पूरी तरह से इशारा कर चुका था लेकिन फिर भी,,,गुलाबी अपने भैया की नजर में एक संस्कारी लड़की थी जो मर्यादा से और संस्कारों से गिरी हुई थी इस तरह से खुलकर अपने भाई के अनुसार उसके लंड पर मालिश करना उसके लिए उचित नहीं था इसलिए वह असमंजस में पड़ गई थी,,, वह सोचने लगी थी वह हरिया की उठी हुई धोती की तरफ देख रही थी जहां से उसके लंड की जड़ एकदम साफ नजर आ रही थी उसके लंड की जड़ की मजबूती और गोलाई को देखकर,,,, उसकी बुर बर्फ की तरह पिघल रही थी,,, हरीया अपनी बहन की तरफ देख रहा था,,, उसकी असमंजसता को हरिया अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए वह बोला,,,)
क्या हुआ गुलाबी क्या सोच रही हो मुझे बहुत दर्द हो रहा है,,,।
लेकिन भैया,,,,,,
लेकिन क्या गुलाबी,,,,
मेरी उंगली तो,,,,(इसे आगे कहने की हिम्मत गुलाबी में जरूर थी लेकिन वह अपने भैया के सामने खुलकर बोला नहीं चाहती थी इसलिए अपने शब्दों को वही रोक दी)
हां मैं जानता हूं गुलाबी तुम्हारी उंगली मेरे उस पर छु रही है,,,लेकिन मुझे उसी जगह पर बहुत दर्द हो रहा है मुझे मालिश की बहुत जरूरत है इसीलिए तो कह रहा था कि तुम्हारी भाभी होती तो मुझे कोई चिंता करने की जरूरत नहीं थी,,,,।
तो क्या भाभी,,, उसी जगह पर मालिश,,,
तो क्या,,,,, मैंने इसीलिए तो उसे यहां आने के लिए बोला था,,,,, और तुम कहती हो कि भाभी की कमी पूरी कर दूंगी,,,, जाओ तुम से नहीं होगा अपनी भाभी को भेजो,,,,
(गुलाबी का दिल जोरों से धड़क रहा था उसका भाई उसे जाने के लिए बोल रहा था लेकिन वह जाने के लिए तैयार नहीं थी क्योंकि वह जानती थी कि इस तरह का मौका बार-बार आने वाला नहीं था अगर एक बार वह अपने भैया के साथ चुदवा लेती है तो घर में ही उसे दो दो मर्दों का साथ मिल जाएगा और उसकी बुर कभी प्यासी नहीं रहेगी,,, उसकी प्यास हमेशा बुझती रहेगी और रोज-रोज संभोग कला में नयापन महसूस करेगी,,,, इसलिए वह बोली,,,)
क्या सच में ज्यादा दर्द कर रहा है,,,,
तो क्या इसीलिए तो आज में रेलवे स्टेशन नहीं गया,,,, क्योंकि ठीक से बैठा नहीं जा रहा था,,,,
(अपने भैया की बात कसम तरवा पूरी तरह से निश्चिंत हो गई थी कि उसके भैया सच में आज उसके साथ चुदाई करने का सपना देख रहे थे,,,जो कि अगर वह भी आगे बढ़ेगी तो यह सपना हकीकत में बदल जाएगा जैसा कि वह खुद चाहती थी उसे इस तरह से ख्यालों में खोया हुआ देखकर हरिया फिर से बोला)
तुझे विश्वास नहीं होता है तो धोती हटा कर देख क्या हालत हुई है,,,,
मैं,,,(अपने पिया की बात पर एकदम से आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)
तो क्या पगली,,,,
लेकिन भैया,,,,
अरे किसी को कानों कान खबर नहीं पड़ेगा वैसे भी यहां पर देखने वाला कौन है यहां पर कोई आता भी नहीं है,,,,
(हरिया पूरी तरह से इस कोशिश में जुटा हुआ था कि उसकी बहन गुलाबी किसी भी तरह से मान जाए उसके लंड को अपने हाथ से पकड़ ले बस उसके बाद का रास्ता व खुद तय कर लेगा,,,,) क्या सोच रही हो गुलाबी क्या तुम मुझे इसी तरह से दर्द में देखना चाहती हो,,,,
नहीं नहीं भैया,,,,,
तो फिर क्या सोच रही हो धोती हटा कर देख लो उसकी हालत को,,,,
(अपनी भैया की बात सुनकर गुलाबी अपने मन में सोचने लगी कि सती सावित्री बने रहने में कोई भला ही नहीं है और उसका भैया भी यही चाहता है तो वह क्यों ना नूकुर कर रही है उसे कदम लेने का कोई भी फायदा नहीं नजर आ रहा था आखिरकार संभोग सुख से अच्छी तरह से वाकिफ तो उसका खुद का भतीजा ही कराया था एक बार फिर से वह अपनी जवानीअपनी भैया के हाथों में सौंप देगी तो क्या हो जाएगा आखिरकार उसके भैया के हाथों से उसकी जवानी और ज्यादा निखर जाएगी,,,, किस लिए वह अपने मन में ठान ली थी कि जो होगा देखा जाएगा और वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर कांपती उंगलियों से अपने भाई की धोती को पकड़ कर,,,उसे एक तरफ कर दी और अगले ही पल उसकी आंखों के सामने उसके भाई का लहराता हुआ लंड नजर आ गया,,,,, जो की पूरी तरह से काले काले बालों के झांटो की झुरमुटो से घिरा हुआ था,,, गुलाबी की आंखों में चमक आ गई थी आज पहली बार अपने भैया के लंड को बेहद करीब से देख रही थी,,,गुलाबी लंड को देख रही थी हरिया अपनी बहन की खूबसूरत चेहरे के बदलते हाव भाव को देख रहा था उसकी अनुभवी आंखें अपनी बहन की आंखों में आई चमक को बड़े साफ तौर पर देख रही थी,,, हरिया की आंखों में बसना की चमक बढ़ने लगी थी,,, अपनी बहन की जवानी देख कर उसके अंदर हवस आ गई थी,,, अब पीछे कदम हटाना दोनों के बस में नहीं था,,,,
उत्तेजना के मारे हरिया का लंड लार टपका रहा था जोकि उसके लिंग के छोटे से छेद में से बुंद बनकर उसके लंड की संपूर्ण लंबाई को नाप ते हुए उसकी जड़ को भिगो रहे थे,,,,)
Gulabi or hariya
देख रही है गुलाबी,,,,(अपनी अंदरूनी शक्ति से अपने लंड को आगे पीछे बिना छुए हिलाते हुए) देख कर सब इधर-उधर हो रहा है इसे बहुत दर्द हो रहा है,,,
इसे शांत करने का इलाज क्या है भैया,,,,
इसे शांत करने का इलाज सिर्फ तेरे पास है,,,
मेरे पास,,,,(गुलाबी अपने भाई साहब के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी बस अनजान बनने का नाटक कर रही थी)
मेरा मतलब है कि तू इसकी मालिश करेगी तो अपने आप शांत हो जाएगा,,,,
क्या सच में ऐसा होगा यह नीचे बैठ जाएगा,,,,
हां यह नीचे बैठ जाएगा तब इसे पूरा आराम मिल जाएगा,,,, तू करेगी ना मालीश,,,,
हां भैया करूंगी लेकिन मालिश क्या पूरे,,,,, सबकी करनी पड़ेगी,,,(अपने भाई के सामने लंड शब्द कहने में उसे शर्म आ रही थी इसलिए उसकी शर्म को दूर करते हुए हरिया बोला)
Hariya Gulabi dono ekdam nange hone k bad
हां गुलाबी पूरे लंड पर तेल की मालिश करनी होगी,,,
(यह पहला मौका था जब हरिया अपनी बहन के सामने गंदे शब्दों का प्रयोग कर रहा था,,, ऐसा वह समझ रहा था लेकिन गुलाबी इससे भी ज्यादा गंदी गंदी बातें अपने भैया भाभी दोनों के मुंह से सुन चुकी थी लेकिन यह सब हरिया को नहीं मालूम था और गुलाबी भी अपनी भैया के मुंह से लंड शब्द सुनकर पूरी तरह से ऊतेजना से गदगद हो गई थी,,,।)
लेकिन भैया कोई देख लिया तो,,,
अरे पगली यहां कौन देखने वाला है,,,,, कोई नहीं देखेगा,,,, यहां पर ऐसे भी आता ही कौन है,,,,।(हरिया अपनी बहन गुलाबी को समझाने की पूरी कोशिश कर रहा था वैसे भी गुलाबी सबको समझ गई थी बस ना समझने का नाटक कर रही थी उसकी निगाह बार-बार अपने भाई के खड़े लंड पर जो कि आसमान की तरफ आंख उठा कर देख रहा था उसकी तरफ बार-बार चली जा रही थी,,,,गुलाबी अपने जीवन में पहली मर्तबा अपने भाई का ही लंड देखी थी भले ही दूर से लेकिन उसके भाई का ही लंड उसकी जिंदगी में पहला लंड था,, जिसके भूगोल से आकार से वह पूरी तरह से वाकिफ हुई थी,,,, हरिया को तो मौका मिल ही गया था अपने बहन के नंगे पन का दर्शन करने का तभी तो उसके मन में अपनी बहन के ही प्रति वासना ने जन्म लिया,,,, धीरे-धीरे हरिया अपनी धोती को अपनी कमर से अलग कर चुका था कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगा था,,,,और अपनी बहन की हालत को बढ़ाने के लिए वह बार-बार रह रह कर अपने लंड की जड़ को पकड़ कर उसे हिला दे रहा था और अपने भाई के हिलते हुए लंड को देखकर गुलाबी डामाडोल हो रही थी,,,,बुर से निकल रहे काम रस की वजह से उसकी सलवार गीली हो चुकी थी,,,।)
अब सोच क्या रही हो गुलाबी,,,,, मालिश करो मुझे दर्द से छुटकारा दो,,,,
(गुलाबी अच्छी तरह से जानती है कि उसके भैया किस दर्द की बात कर रहे हैं,,,, गुलाबी भी अपने भाई की बात मानते हुए सरसों के तेल की शीशी वापस उठा ली और इस बार वह तेल को अपनी हथेली पर ना गिरा कर सीधे सीसी से तेल की धार को लंड की धार पर गिराने लगी,,,, हरिया पूरी तरह से मस्ती के सागर में डूबता चला जा रहा था अपनी खूबसूरत बीवी के साथ ना जाने कितनी बार बार वर्षों से चुदाई करता चला आ रहा था लेकिन आज गुलाबी की वजह से जिस तरह का उत्तेजना कांड हो उसे अपने बदन में हो रहा था इस अनुभव उसे कभी नहीं हुआ था,,, और ना तो आज तक उसने इस तरह की मालिश करवाई थी,,,,, देखते ही देखते हरिया का लंड सरसों के तेल में पूरी तरह से डूब गया,,,,सरसों के तेल की शीशी का ढक्कन लगाकर होगा उसे खटिया के नीचे रखते हुए बोली,,,)
अब,,,,,
अब क्या मालिश करो,,,,
मतलब कि कैसे,,,,,
तुम्हें सब कुछ सिखाना पड़ेगा दोनों हाथ से इसी तरह से तो की जाती है मालिश,,,,
ठीक है भैया,,,
कर लोगी ना,,,, देखो तुमने मुझसे वादा की हो की मुझे तुम्हारी भाभी की कमी महसूस नहीं होने दोगी,,,,
बिल्कुल नहीं भैया भाभी से भी अच्छी तरह से मालिश करूंगी,,,,
तो देर किस बात की है शुरू हो जाओ ताकि जल्द से जल्द मैं इस दर्द से निजात पा सकूं,,,,
ठीक है भैया,,,,(और इतना कहने के साथ ही गुलाबी अपने कांपते हाथों को आगे बढ़ा कर अपनी भैया के लैंड को दोनों हाथों से थाम ली और उसे हल्के हल्के मालिश करने लगी गुलाबी का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है अपनी भैया की चुदाई भले ही वह देखा करती थी लेकिन कभी सोची नहीं थी कि इस तरह से वह अपने भैया के लंड की मालिश कर पाएगी,,,,, उत्तेजना से गुलाबी की बुर का हाल बुरा था,,,. धीरे-धीरे गुलाबी बड़े अच्छे से मालिश करने लगी थी हरिया के लंड की मोटाई वह अपनी पूरी हथेली महसूस कर रही थी उसके लंड की गर्मी से उसकी बुर पिघल रही थी,,,,,,, हरिया का पूरा वजूद मस्ती के सागर में गोते लगा रहा था वह पूरी तरह से अपनी मां को सातवें आसमान में उड़ता हुआ महसूस कर रहा था,,,,, वह कभी सोचा नहीं था कि उसकी बहन उसे इतना मजा देगी,,,,आज वह गुलाबी के हाथों की हरकत को महसूस करके अपनी खूबसूरत बीवी को भूल चुका था,,,,, रिश्ते नातों को वह एक तरफ रख कर मर्द और औरत का खेल खेल रहा था,,,।
अपने भाई के लंड की मालिश करने में गुलाबी को और ज्यादा मजा आ रहा था,,,, वह अपनी दोनों हथेली में ऊपर नीचे करके अपने भाई के लंड को पकड़े हुए थी अपने मन में यही सोच रहे थे कि राजू का लंड भले ही इससे थोड़ा मोटा और लंबा है लेकिन उसके भैया का भी लंड लाजवाब है,,,। गुलाबी अपने मन में यही सोच रही थी कि,,, यहीं लंड उसकी भाभी की बुर में जाता है वह कितना मस्त हो जाती हैं,,, कितने मजे लेने कर इसी लंड को अपनी बुर में लेती है,,,, जरूर उसके भैया उसकी भाभी को पूरी तरह से मजा देते हैं,,,, और यही मजा गुलाबी खुद लेना चाहती थी,,,, और इस समय वह पूरी तरह से हकदार भी थी ,,,,।
हरिया का लंड पूरी तरह से सरसों के तेल में सना हुआ था,, सरसों का तेल पाकर हरिया का लंड और ज्यादा बलवान हो गया था,,,, हरिया को अपने ऊपर पूरी तरह से विश्वास था वह अच्छी तरह से जानता था कि अगर उसकी बहन उसके लिए अपनी दोनों टांगे खोल देगी तो वह अपने लंड से उसे पूरी तरह से मस्त कर देगा,,,, और अभी तक वह अपनी बहन की सहमति को देखते हुए उसे विश्वास हो गया था कि उसकी बहन जरूर उसे आज मस्त कर देगी,,,, गुलाबी की हाथों में हरीया को जादू सा महसूस हो रहा था,,,, इसलिए उसके मुंह से ना चाहती हुए भी हल्की-हल्की मस्ती भरी सिसकारी की आवाज फुट पड रही थी जिसे सुनकर गुलाबी और ज्यादा मस्त हुई जा रही थी,,,,।
आहहहहहहह आहहहहहह ओहहहहहहह,,, गुलाबी तुम्हारे हाथों में तो जादू है,,,,
क्यों भैया,,,,,
बहुत आराम मिल रहा है,,,,
मैं कहती थी ना भाभी से भी अच्छा मालिश करूंगी,,,, मैं कर तो रही हूं ना,,,,
हां गुलाबी तुम अपनी भाभी से भी अच्छा कर रही हो,,,, ऐसा आराम तो मुझे कभी नहीं मिला,,,,,आहहहहहहह,,,,,,
(सरसों के तेल में सना हुआ हरिया का लंड और ज्यादा चमक रहा था गुलाबी उत्तेजना के मारे अपनी भैया के लंड को अपनी हथेली में जोर जोर से दबा दे रही थी,,,, मुसल जैसे लंड को अपनी हथेली में पकड़ कर गुलाबी अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहे थे उसकी बुर कुल बुला रही थी उसे अपने अंदर लेने के लिए,,,, उसका मन कर रहा था कि अपनी सलवार उतार कर अपनी भैया के लंड पर अपनी गुलाबी बुर रख दे और उसे अपने अंदर ले ले,,,, और शायद उसका यह करना उसके भैया को जरा भी हैरानी महसूस नहीं होने देता क्योंकि उसका भाई भी यही चाहता था लेकिन इस तरह की हिम्मत करने कि उसे अभी जरूरत बिल्कुल भी नहीं थी वह नहीं चाहती थी कि उसकी भैया को किसी भी प्रकार की भनक हो की वह खुद इस खेल को खेलना चाहती है,,, इसलिए वह अपने भैया के लंड की मालिश करते हुए बोली,,,।
Gulsbi hariya par puri tarah se cha gayi thi
इससे ऐसा कौन सा काम कर दिए थे भैया की इतना ज्यादा दर्द कर रहा था,,,,,(गुलाबी मुस्कुराते हुए अपने भैया के लंड की मालिश करते हुए बोली,,)
क्या बताऊं गुलाबी जाने दे बताने जैसा नहीं,, है,,
क्यों भैया बताने जैसा क्यों नहीं है
वह कुछ और बात है तुझसे कहा नहीं जाता,,,
वाह भैया,,,, अपने इसकी मालिश करवा रहे हो और बता नहीं पा रहे हो,,,,
बता तो दो लेकिन तू मेरे बारे में गलत समझेगी तो,,,
नहीं समझूंगी,,,, अगर ऐसा कुछ होता तो मैं मालिश नहीं करती चली जाती,,,,,
तो बता दु किस वजह से मेरा लंड दुख रहा है,,,,।
(हरिया पूरी तरह से बेशर्म बन चुका था अपनी बहन के सामने लंड शब्द कहने में उसे जरा भी झिझक महसूस नहीं हो रही थी क्योंकि वह जल्द से जल्द अपनी बहन की दोनों टांगों के बीच के खजाने को पा लेना चाहता था,,,,, अब दोनों तरफ बराबर से लगी हुई थी हरिया बताने के लिए मचल रहा था और गुलाबी सुनने के लिए तड़प रही थी,,,।)
हां भैया बताओ ना,,,, इतना दर्द क्यों होता है,,,(गुलाबी अपने भैया के लंड के सुपाड़े पर बराबर से तेल लगाकर मसलते हुए बोली,,, जिससे हरिया की आह निकल गई,,,)
तू जिद कर रही हो तो बता देता हूं,,, वो क्या है ना कि तेरी भाभी को धीरे-धीरे बिल्कुल भी पसंद नहीं है,,,,।
(अपने भैया के मुंह से इतना सुनते ही गुलाबी का दिल जोरो से धड़कने लगा वह समझ गई थी किसके भैया किस बारे में बात कर रहे हैं,, फिर भी अनजान बनते हुए बोली,,)
धीरे धीरे मैं कुछ समझी नहीं भैया,,,,
अरे पगली इसीलिए तो कह रहा था कि तू नहीं समझेगी,,,
अरे भाई ऐसे कैसे नहीं समझूंगी मैं भी बड़ी हो गई हूं शादी करने लायक हो गई हुं,,, आखिरकार भाभी भी तो एक औरत है और मूवी एक औरत हम तो भला एक औरत एक औरत की बात क्यों नहीं समझेगी,,,,
(गुलाबी की बातें सुनकर हरिया हंसने लगा वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी बहन कितनी भोली है जबकि वह नहीं जानता था कि उसकी बहन सारे खेल खेल चुकी है,,,,)
हां पगली मैं जानता हूं तू अब बड़ी हो गई है,,, लेकिन अभी भी तू उन सब बातों को समझने लायक नहीं है,,,,
क्या भैया समझाओगे तो क्या नहीं समझूंगी,,,,,(उत्तेजना के मारे गुलाबी अपने भैया के लंड को कस के अपनी मुट्ठी में दबाकर ऊपर की तरफ खींचते हुए बोली गुलाबी की यह हरकत हरिया की उत्तेजना को बढ़ा रही थी)
समझ तो तु जाएगी,,,, लेकिन मुझे डर है कहीं तो कहीं यह बात किसी को बता ना दे अपनी भाभी को ना बता दे,,,,
नहीं नहीं भैया मैं समझदार हूं बेवकूफ थोड़ी हूं जो किसी को भी यह सब बात बता दुं,,,
मतलब तू सच में बड़ी हो गई है,,,
और क्या,,,(गुलाबी इतराते हुए बोली,,)
अच्छा ठीक है तू कहती है तो मैं बता देता हूं,,,,, तेरी भाभी को धीरे-धीरे से चुदवाना पसंद नहीं है,,,,,
(इस बार हरिया एकदम खुलकर बातें करने लगा और अपने भैया के मुंह से चुदाई वाली बात सुनकर गुलाबी उत्तेजना से गदगद हुए जा रही थी,,,, हरिया अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) अब समझ में आया,,,,
जवाब में गुलाबी बोली कुछ नहीं बस हल्के से शरमा गई उसका इस तरह से शर्माना देखकर हरिया की उत्तेजना बढ़ने लगी हरिया का रंग गुलाबी की हथेली में कस्ता चला जा रहा था,,,, अपनी भैया के मुंह से चुदवाना शब्द सुनकर वह कुछ ज्यादा ही जोर से अपने भैया के लंड को दबाना शुरु कर दी थी,,,,गुलाबी अंदर ही अंदर पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी अपने भैया के लंड को लेने के लिए उसकी बुर बार-बार कामरस छोड़ रही थी,,,,।
लगता है तू सब कुछ समझ गई,,,,
नहीं नहीं भैया अभी भी कुछ कुछ रह गया है,,,
मतलब,,,,
मतलब यही कि,,,, धीरे-धीरे से मतलब,,,
अरे पगली,,, तेरी भाभी अपनी बुर में मेरा लंड धीरे धीरे से अंदर बाहर नहीं बल्कि एकदम रफ्तार से अंदर बाहर लेना पसंद करती है और इसी चक्कर में मेरा लंड दर्द करने लगता है,,,,
(इस बार तो अपनी भैया के मुंह से एकदम खुले शब्दों में लंड और बुर शब्द सुनकर उसकी बुर अमृत की बूंद टपका दी उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,, अपने भैया से नजर मिलाने की ताकत उसमें नहीं थी लेकिन अपनी प्रतिक्रिया वह अपने भैया के लंड को जोर जोर से दबा कर दे रही थी गुलाबी के हथेली का कसाव अपने लंड पर महसूस करके हरिया इतना तो समझ गया था कि उसकी बहन भी मजा ले रही है उसे भी मन करने लगा है,,,,)
अब तो तुझे समझ में आ गया होगा ना,,,
हां भैया,,,,(दूसरी तरफ शर्म के मारे मुंह करके मुस्कुराते हुए बोली) लेकिन भैया भाभी को जोर-जोर से क्यों मजा आता है,,,,
पता नहीं क्यों हो सकता है सभी औरतों को जोर-जोर से ही मजा आता हो,,,,, तूने भी तो कभी,,,,, मजा ली होगी,,,,(इस बार हरिया अपने सारे पत्तों को खोल देना चाहता था इसलिए अपनी बहन से ना करने वाली बात वाकई रहा था अपने भाई के मुंह से अपनी इस तरह से खुले शब्दों में बातें सुनकर गुलाबी की बुर फुदकने लगी थी यह बात सच है कि वह भी मजा ले चुकी थी लेकिन अपने भैया से खुलकर कैसे कह दें इसलिए वह अनजान बनते हुए बोली,,)
नहीं नहीं भैया मैंने आज तक ऐसा वैसा कुछ कि नहीं हूं,,,
लेकिन गुलाबी तुम जवान हो शादी लायक हो तुम्हारा मन भी तो करता होगा,,,,(अपनी भैया की यह बात सुनकर बार बोली कुछ नहीं बस खामोश रही तो हरिया अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) अच्छा सच सच बताना गुलाबी देखो यह राज हम दोनों के बीच ही रहेगा,,,,(अपनी भैया की यह बात सुनकर उसका दिल जोरो से धड़कने लगा उसे समझ में नहीं आ रहा था उसके भैया क्या कहने वाले हैं,,) मेरा लंड तुम्हें कैसा लग रहा है,,,,(हरिया की बात सुनकर गुलाबी खामोश रही उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बोलें,, और कुछ बोल नहीं रही थी इसलिए हरिया फिर बोला,,,) देखो गुलाबी डरने वाली बात नहीं है तुम जोर जोर से मेरा लंड दबा दे रही हो मुझे पूरा यकीन है कि तुम्हें भी मजा आ रहा है और हां तुम मालिश तो बहुत अच्छी करती हो मेरा पूरा दर्द खत्म हो गया है,,,, बोलो कैसा लग रहा है,,,
अच्छा,,,,,
पहली बार देख रही हो या पहले भी देख चुकी हो,,,,लंड,,,
पहली बार,,,,(गुलाबी हरिया की तरफ देखे बिना जवाब दे रही थी वह दूसरी तरफ मुंह घुमा कर उत्तर दे रही थी और जोर-जोर से अभी भी अपने भैया के लंड को दबा रही थी,,,)
क्या सच में गुलाबी तुम इतनी खूबसूरत हो जवान हो तो क्या सच में तुम पहली बार लंड देख रही हो,,,
हां भैया में पहली बार देख रही हुं।
(गुलाबी की बातें सुनकर हरिया का सब्र का बांध टूटता चला जा रहा था उससे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था गुलाबी की बातें उसे उत्तेजित कर रही थी और यह जानकर कि वह पहली बार एक मर्द का लंड देख रही है वो और ज्यादा उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,,)
तुम्हें डर तो नहीं लग रहा है ना,,,
नहीं भैया बिल्कुल भी डर नहीं लग रहा है बल्कि ना जाने क्यों अच्छा लग रहा है,,,
ऐसा ही होता है गुलाबी तुम एक जवान लड़की हो इसलिए लंड को पकड़ना तुम्हें अच्छा लग रहा है,,,, लेकिन क्या तुम्हें जरा भी डर नहीं लग रहा है,,,,
किस बात का डर भैया,,,,
अरे मेरा मतलब है कि मेरे लंड की मोटाई और लंबाई तो तुम देख रही हो और इसमें कोई शक नहीं है कि तुम अपनी बुर का छेद भी अच्छी तरह से जानती हो,,,,(हरिया अपनी बहन की बुर का नाम अपने होठों पर लाते हैं वह पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबने लगा उसे अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था और यही हाल गुलाबी का था क्योंकि वहां सीधे-सीधे उसकी बुर के बारे में बोल रहा था,,,,, गुलाबी अच्छी तरह से समझ गई थी कि अब पूरी तरह से खुलने में ही मजा है शर्म आने से काम चलने वाला नहीं है,,,, हरिया अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) लंड की तुलना में तुम्हारी बुर का छेद बहुत छोटा है,,,, छोटा है ना गुलाबी,,,,
हां भैया,,,,,
तो तुम्हें डर नहीं लग रहा है कितना मोटा लंड तुम्हारी बुर के छोटे से छेद में जाएंगा कैसे,,,
मैं भी यही सोच रही थी,,,,, मेरी उसका छेद बहुत छोटा है,,,,
खुल कर बोलो ना गुलाबी जैसे मैं कह रहा हूं किस का छेद छोटा है,,,,
(गुलाबी बोली कुछ नहीं बस खामोश रही)
क्या हुआ चुप क्यों हो बोलो ना किस का छेद छोटा है,,,
(गुलाबी अच्छी तरह से समझ गई थी कि आज दूसरी बार उसकी पुल का उद्घाटन उसके ही बड़े भैया के लंड से लिखा है इसलिए सरमाया सब कुछ त्यागना होगा तभी वह मजा ले पाएगी इसलिए वह बोली,,,)
मेरी बबबबब,, बुर का,,,,
आहहहहहह,,,, देखो तुम्हारे मुंह से बुर शब्द सुनकर कितना मजा आ जाता है,,,,
लेकिन मुझे बहुत शर्म आ रही है,,,,
शर्माने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है गुलाबी,,,, अच्छा तुम देखना चाहती हो कि मोटा लंड छोटे से छेद में जाता कैसे हैं,,,,
हां देखना चाहती हूं,,,, लेकिन कैसे,,,,
इसके लिए तुम्हें मेरा साथ देना होगा,,,,
मैं कुछ समझी नहीं,,,,
(गुलाबी सब कुछ समझ रहे थे लेकिन ना समझने का सिर्फ नाटक कर रही थी उसे भी बहुत मजा आ रहा था वह इस खेल में आगे बढ़ना चाहती थी अभी भी उसके भाई का लंड उसके हाथ में था जिसे वह अब हीलाना शुरू कर दी थी,,,)
समझ जाओगी,,,, लेकिन पहले बोलो मेरा साथ दोगी कि नहीं,,,,
दूंगी,,,,
तो सच सच बताना मेरे लंड की मालिश करते हुए तुम्हारी बुरा पानी छोड़ रही है कि नहीं,,,,
मुझे नहीं पता,,,(गुलाबी शरमाते हुए बोली वह अपनी बुर की हालत को अच्छी तरह से समझ रही थी उसकी बुर पानी पानी हो गई थी,,,)
लेकिन मुझे पता है,,,,
तुमको कैसे पता भैया,,,,
आखिरकार मैं एक मर्द हूं और एक औरत के बदन में क्या क्या बदलाव कब होता है यह अच्छी तरह से जानता हूं,,,
लेकिन मुझे तो नहीं लग रहा है कि तुम जो कुछ भी कह रहे हो वह सच है,,,,
मैं जो कुछ भी कह रहा हूं उसमें बिल्कुल सच्चाई है देखना चाहती हो,,,,
दिखाओ,,,,(गुलाबी अब पूरी तरह से मैदान में उतर जाना चाहती थी इसलिए वह अपनी तरफ से पूरी छूट दे रही थी)
लेकिन यह बात किसी को भी मत बताना,,,
नहीं बताऊंगी,,,,,
तो फिर अभी बताता हूं कि मैं कितना सच कह रहा हूं,,,( इतना कहने के साथ ही हरिया उठ कर बैठ गया और अपने हाथ को सीधे अपनी बहन को लाडी की दोनों टांगों के बीच डालकर सलवार के ऊपर से ही उसकी बुर को टटोलने लगा,,,, उसकी सलवार पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और बुर से निकले काम रस का गीला पन उसे अपनी उंगलियों पर भी महसूस होने लगा था,,,, वह अपनी गिरी उंगली को वापस खींच कर उस पगली को गुलाबी की आंखों के सामने लाते हुए बोला,,,) देख गुलाबी तेरी बुर कितना पानी छोड़ रही है,,,,
(गुलाबी अपनी भैया की उंगलियों में लगी अपने काम रस को देखकर एकदम शर्म से पानी-पानी हो गई,,, और शर्मा कर मुस्कुराते हुए दूसरी तरफ नजर फेर ली और बोली)
धत मुझे शर्म आ रही है,,,,
इसमें शर्माने वाली कौन सी बात है यह तो प्राकृतिक रूप से होता है सब को होता है लेकिन अभी भी तुम्हारी शंका दूर नहीं हुई है ना,,,
कौन सी शंका भैया,,,
यही कि तुम्हारे छोटे से छेद में इतना मोटा लंबा लंड जाएगा कैसे,,,
हां यह शंका तो अभी भी दूर नहीं हुई,,,
दूर करना है,,,,
हां,,,,, लेकिन कैसे ,,,?
हम दोनों को झोपड़ी में चलना होगा,,,,,
कोई आ गया तो,,,(किसी की आने की शंका को जताकर गुलाबी अपनी तरफ से पूरी स्वीकृति दे दी थी और हरिया अपनी बहन के सामान तरण को पूरी तरह से समझ रहा था इसलिए बोला,,)
तुम चिंता मत करो यहां कोई आने वाला नहीं है,,,, बस तुम यह बताओ की झोपड़ी में चलने के लिए तैयार हो की नहीं,,,
तैयार हु,,,(अब गुलाबी पूरी तरह से मजा लेने के लिए तैयार थी,,, राजू से तो रोज ही चुदवा कर मजा ले रही थी लेकिन आज अनुभवी हाथों में अपनी जवानी देना चाहती थी,,, अपनी बहन का जवाब सुनते ही हरिया जिस हाल में था उसी हाल में खटिया पर से नीचे उठा और तुरंत अपनी बहन के पास पहुंचकर उसे अपनी गोद में उठा लिया गुलाबी इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी इसलिए वह पूरी तरह से हैरान हो गई और वह उसे गोद में उठाए हुए झोपड़ी के अंदर जाने लगा हरिया का लंड लंड पूरी तरह से अपनी औकात में था,,, इसलिए सलवार के ऊपर से ही गांड पर ठोकर मारने लगा अपनी गांड पर अपनी भैया के लंड की ठोकर महसूस करके वह पूरी तरह से पानी छोड़ रही थी देखते ही देखते हरिया उसे झोपड़ी के अंदर लेकर आ गुलाबी अच्छी तरह से जानती थी कि अब झोपड़ी के अंदर कौन सा खेल शुरू होने वाला है,,,, गुलाबी जवान खूबसूरत लड़की थी और हरिया इस खेल में पूरी तरह से माहिर गुलाबी को पूरा यकीन था कि उसका भाई अपने अनुभव से उसे पूरी तरह से संतुष्ट कर देगा,,,, झोपड़ी के अंदर पहुंचते ही हरिया गुलाबी को अपनी गोद में से नीचे उतारा और उसे अपनी बाहों में भर कर उसके होठों को अपने होठों में लेकर चूसना शुरू कर दिया गुलाबी पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी अपने भैया के हाथ को का पूरे बदन पर महसूस कर रहे थे सलवार के ऊपर से ही वह अपनी बहन की गांड को जोर जोर से दबा रहा था उसके लंड की ठोकर उसे अपनी टांगों के बीच में सो रही थी जिससे उसकी उत्तेजना चरम शिखर पर पहुंचते चली जा रही थी,,, थोड़ी ही देर में हरिया अपनी हथेली को अपनी बहन के साथ खूबसूरत बदन के कोने-कोने तक पहुंचा रहा था वह कुर्ती के ऊपर से अपनी बहन की चूचियों पर हाथ रखकर जोर जोर से दबा कर उसके गुलाबी होठों का आनंद ले रहा था,,,, स्तन मर्दन की मदहोश कर देने वाली अनुभूति सेवा पूरी तरह से उत्तेजित होने जा रहे कोई और ना चाहते हुए भी एक बार फिर से अपने भाई के लंड को पकड़ कर दबा रही थी उसका मन तो कर रहा था कि खुद ही अपनी सलवार उतार कर अपने भाई के लंड पर सवार हो जाए लेकिन ऐसा कर सकने से वह बच रही थी,,,,)
आहहहह भैया,,,,
क्या हुआ बहना दर्द कर रहा है क्या,,,
हां भैया,,,
तू चिंता मत कर मजा भी बहुत आएगा,,,,(इतना कहने के साथ ही वह सलवार की डोरी को खोलने लगा,,, हरीया अपनी बहन की सलवार की डोरी को खोल कर उसे उसी स्थिति में छोड़ दिया और पल भर में ही गुलाबी की सलवार उसके कदमों में जाकर ई कमर से नीचे वह पूरी तरह से नंगी हो गई हरिया औरत की खूबसूरत बदन से खेलना अच्छी तरह से जानता था इसलिए अगले ही पल वाकई हथेली को अपनी बहन की देखती हुई बुर पर रखकर सहलाने लगा जो की पूरी तरह से पानी पानी हुई थी उसकी हथेली भी पूरी तरह से गुलाबी के काम रस में डूब गई,,,, गुलाबी को बहुत मजा आ रहा था,,,।
आहहहहह भैया,,,
कैसा लग रहा है गुलाबी,,,
बहुत अच्छा लग रहा है भैया,,,
अभी तो और मजा आएगा,,,,
(और इतना कहने के साथ ही वह खुद अपने घुटनों के बल बैठ गया और अपनी बहन के दोनों टांगों को ऊपर कैसे खोलकर एक नजर भर कर अपनी बहन की गुलाबी बुर को देखने लगा जो कि बहुत खूबसूरत थी,,,, हरिया का मन कर रहा था कि उसे खा जाएं उसकी खूबसूरती उसे भा गई थी,,, हरिया अपनी बहन के दोनों टांगों के बीच के खजाने को देख रहा था और गुलाबी अपने भैया को देख रही थी दोनों की स्थिति एक जैसी ही थी दोनों उतावले थे,,, लेकिन हरिया मैं सब्र पूरी तरह से था वह जानता था कि किस तरह से मजा लिया जाता है और मजा दिया जाता है इसलिए अगले ही पल अपने होठों को अपनी बहन की बुर पर रख दिया,,,गुलाबी को इसकी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी और पूरी तरह से मदहोश हो गई और उसके मुंह से हल्की सी चीख निकल गई और इसी के साथ उसकी कमर भी आगे की तरफ बढ़ गई जिसे हरिया अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर उसके नितंबों को अपने दोनों हथेली में जोर से थाम लिया और भूखे की तरह उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया,,,,,।
ऊमममममममम,,,,,,आहहहहहहहहह,,,ऊमममममममम,,,सहहहहहहहरह,,,ओहहहहह भैया,,,,(गुलाबी के सब्र का बांध टूट चुका था वह अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपने भैया के सिर पर हाथ रख दिया और उत्तेजना के मारे खुद ही उसे अपनी दोनों टांगों के बीच खींचने लगी हरिया बहुत खुश हो रहा था क्योंकि उसकी हरकत की वजह से गुलाबी को बहुत मजा आ रहा था और यही तो मैं चाहता था बड़े आराम से और उसकी दोनों टांगों के बीच विजय प्राप्त कर लिया था,,,, अपनी जीभ से गुलाबी गुलाबी बुर से खेल रहा था,,, अपनी जीभ की नोक से उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों को कुरेद रहा था,,, जिससे गुलाबी को असीम आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,,, हरिया यही समझ रहा था कि उसकी बहन का यह पहली बार है वह इस बात से पूरी तरह से अनजान था कि उसकी बहन उसके ही बेटे से चुदवा रही थी,,, हरिया बहुत खुश था कि उसके हाथ एक कुंवारी खूबसूरत जवान लड़की लगी थी जिसकी जवानी को वह होले होले से पी रहा था,,, जितना हो सकता था हरिया अपनी जीभ को बुर के अंदर डालकर उसकी मलाई चाट रहा था,,,, घास फूस की बनी झोपड़ी में पल भर में ही गुलाबी की गरम सिसकारियां गुंजने लगी उसे बेहद आनंद आ रहा था,,,,।
Apne anubhaw se hariya Gulabi ko puri tarah se mast kar raha tha
हरिया अपनी बहन की बुर को जीभ से चाटते हुए अपने लंड के लिए रास्ता बनाने के लिए अपनी उंगली को उसकी बुर में प्रवेश कर दिया उसे ऐसा लग रहा था कि वह अपने लिए रास्ता बना रहा है लेकिन वह यह नहीं जानता था कि उससे भी मोटा और लंबा लंड उसकी बुर की गहराई को रोज नाप रहा था,,,। अपने भैया की ऊंगली को अपनी बुर के अंदर महसूस करके गुलाबी पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी हरिया अपनी उंगली को बुर के अंदर गोल गोल घुमा रहा था जिससे गुलाबी को समझते देर नहीं लगी थी कि उसका भैया अपने अनुभव का पूरा उपयोग दिखा रहा है,,,, गुलाबी गहरी गहरी सांस ले रही थी,,,।
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कुछ देर तक झोपड़ी के अंदर हरिया अपनी बहन की जवानी का रस चूसता रहा,, उसे लगने लगा था कि उसने अपने लिए रास्ता बना लिया है इसलिए खड़ा होकर उसकी कुर्ती को भी उतारने लगा और उसका साथ देते हुए गुलाबी भी अपने दोनों हाथों को ऊपर कर दी ताकि वह उसकी कुर्ती को आराम से निकाल सके अगले ही पर गुलाबी पूरी तरह से उसकी आंखों के सामने नंगी खड़ी थी,,,, यह पहला मौका था जब हरिया अपनी बहन को अपनी आंखों के सामने एकदम नंगी देख रहा था अपनी बहन की मदमस्त कर देने वाली जवानी देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था उसका लंड लार टपका रहा था,,,, छातियों की शोभा बढ़ाने उसके दोनों नारंगी यों को देखकर उसकी प्यास बढ़ने लगी और अगले ही पल का अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बहन की एक नारंगी को अपनी हथेली में दबाते हुए बोला,,,।
गुलाबी तेरी चूची में बहुत रस भरा हुआ है,,,,
(इतना सुनकर गुलाबी के गुलाबी गाल सुर्ख लाल हो गए वह कुछ बोल नहीं पाई बस शर्म आने लगी,,)
अब कैसा लग रहा है गुलाबी,,
बहुत मजा आ रहा है भैया,,,,,
इस खेल में बहुत मजा आता है,,,, बस इस बारे में तुम किसी को कुछ भी मत कहना,,,
मैं किसी को कुछ भी नहीं कहूंगी,,,,
तुम बहुत अच्छी लड़की हो,,,(और इतना कहने के साथ ही एक हाथ से एक चूची दबाते हुए दूसरी चूची पर अपना मुंह ढक दिया और उसे मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया,,, गुलाबी की सूचियों की निप्पल अंगुर के दाने की तरह रस से भरी हुई थी और एकदम कड़क हो गई थी,, जिसे हरिया बारी-बारी से अपने मुंह में लेकर उसका स्वाद ले रहा था,,,,
सरहहह आहहहहहह ऊईईईईईई मां,,,,,ऊहहहहहहह,,,
( झोपड़ी के अंदर गुलाबी की गरमा गरम सिसकारियां गूंज रही थी और उसकी सिसकारियां की आवाज सुनकर हरिया की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी वह बारी बारी से है गुलाबी की नारंगी ओ का रस पी रहा था,,,,)
भैया तुम भाभी के साथ भी इसी तरह से करते हो क्या,,,
तो क्या इसी तरह से तेरी भाभी को बहुत मजा आता है,,,
लेकिन भाभी की तो चूचियां बहुत बड़ी-बड़ी है,,,,
पहले थोड़ी थी जब शादी करके आई थी तो तेरे जैसी ही थी वह तो हमें उस पर इतनी मेहनत करके जोर जोर से दबा दबा कर पीकर उसे एकदम मस्त कर दिया हूं,, अब देखना तेरी भी बड़ी-बड़ी हो जाएगी,,,(अपनी भैया की बात सुनकर गुलाबी शर्माने लगी,,,, हरिया अपनी बहन की नंगी जवानी से पूरी तरह से खेलना चाहता हूं दोपहर का समय था इस समय सब लोग अपने घरों में आराम कर रहे होते हैं और ऐसे में हरिया अपनी बहन की जवानी से खेल रहा था वह भी खेत के बीचो बीच,,,,,,अपनी बहन की नंगी जवानी से खेलने के लिए हरिया भी अपना कुर्ता उतार कर फेंक दिया दोनों एकदम नंगे हो गए,,,, हरिया अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाते हुए बोला,,,)
अब देखना गुलाबी मेरा लंड तुम्हारी गुलाबी 6 दिन में कैसे आराम से घुस जाता है,,,,
क्या तुम सच कह रहे हो भैया,,,(लंड की तरफ देखते हुए)मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा है कितना मोटा लंड मेरी छोटे से छेद में जाएगा कैसे,,,
चला जाएगा गुलाबी बड़े आराम से चला जाएगा बस एक बार तुम इसे मुंह में लेकर चुस लो इसे गीला कर दो तब देखना कितने आराम से जाता है,,,,
(गुलाबी का भी मन अपने भैया के लंड को मुंह में लेकर चूसने को कर रहा था लेकिन वह इतनी जल्दी तैयार कैसे हो सकती थी इसलिए जानबूझकर नाटक करते हुए बोली,,)
धत् ,,,,,ऐसा कहीं किया जाता है क्या,,,,
अरे तो क्या तेरी भाभी भी तो ऐसा करती है वह तो अपने आप ही मुंह में लेकर चूसना शुरू कर देती है,,,क्योंकि वह जानती है कि ऐसा करने पर बड़े आराम से बुर में घुसजाता है,,,
क्या सच में ऐसा होता है,,,
हां रे पगली मैं तुझसे झूठ थोड़ी बोलूंगा,,,, बस एक बार इसे मुंह में लेकर गिला कर दे फिर देख कितना मजा आता है तुझे भी और मुझे भी,,,,
ठीक है तुम कहते हो तो,,,(इतना कहकर गुलाबी नीचे घुटनों के बल बैठ गई,,, और अपने भाई के लंड को पकड़कर उसे धीरे-धीरे मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,, उसे भी मजा आ रहा था उसके परिवार का दूसरा लंड उसके मुंह में था,,, हरिया पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था उसकी आंखों में नशा सा छा रहा था,,,, उसकी कमर अपने आप ही आगे पीछे हीलने लगी,,,, थोड़ी ही देर में हरिया का लंड पूरी तरह से उसके थूक से गीला हो गया,,,,गुलाबी की खेती जवानी की मदहोशी में कहीं उसका लंड पानी में छोड़ दे इस डर से वह अपने लंड को बाहर खींचते हुए बोला,,)
बस बस गुलाबी अब देखना कितने आराम से जाता है,,,,
(गुलाबी के मुंह से लंड बाहर निकलते ही वह गहरी गहरी सांस ले रही थी,,,,, दोनों के बीच की सारी दीवारें गिर चुकी थी भाई-बहन का पवित्र रिश्ता मर्द और औरत में तब्दील हो गया था,,,, हरिया ढेर सारी घास को झोपड़ी के पीछे पीछे रखकर उस पर अपनी धोती बिछा दिया और उसे लेटने के लिए बोला गुलाबी अपनी भैया की बात मानते हुए पीठ के बल लेट गई लेकिन शर्म के मारो अपनी दोनों टांगों को आपस में सटाई हुए थी,,, यह देखकर हरिया मुस्कुराने लगा और अपने लिए जगह बनाते हुए उसकी दोनों टांगों को फैलाते हुए बोला,,,)
टांगों को खोलोगी नहीं तो मजा कैसे ले पाओगी,,,,(और इतना कहते हुएहरिया अपनी बहन की दोनों कामों को खोल दिया उसकी आंखों के सामने हल्के हल्के रेशमी बालों से सुशोभित गुलाबी की गुलाबी बुर नजर आ रही थी जिसे देखकर हरिया के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ रहा था,,,, जिसकी तारीफ किए बिना वह रह नहीं सका और वह बोला)
वाह ऐसा लगता है कि भगवान ने खुद अपने हाथों से तुम्हारी बुर की रचना की है तभी तो इतनी खूबसूरत दिख रही है,,,(अपने बड़े भाई के मुंह से अपनी पुर की तारीफ सुनकर शरमा और लज्जा से वह दूसरी तरफ मुंह फेर ली और हरिया अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ ले जाकर उसकी गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचा और अपनी जांघों पर रख दिया ऐसा करने से गुलाबी की बुर उसके लंड के ठीक सामने और एकदम करीब आ गई हरिया की हर एक हरकत से गुलाबी मस्त हुए जा रही थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसके भैया मैं अनुभव कूट-कूट कर भरा हुआ है,,,,,)
अब देखना गुलाबी कैसे तुम्हारे लिए नामुमकिन कार्य मुमकिन हो जाता है,,,,( और इतना कहने के साथ ही हरिया अपना लंड हाथ में पकड़ कर उसके सुपारी को अपनी बहन की गुलाबी छेद पर रख दिया और उसके गीले पन का फायदा उठाते हुए धीरे-धीरे अंदर की तरफ सरकाने लगा,,,गुलाब यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसके भैया से भी मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर की शेर कर चुका है इसलिएउसे अपनी तरफ से कलाबाजी दिखानी होगी ताकि उसके भैया को बिल्कुल भी शक ना हो इसलिए जैसे-जैसे लंड अंदर की तरफ सड़क रहा था वैसे वैसे जानबूझकर गुलाबी दर्द से तिलमिलाने का नाटक कर रही थी,,, पुरुष का दर्द है देखकर हरिया बार-बार उसे सांत्वना देते हुए बोल रहा था,,,)
बस बस मेरी बहना है बस एक बार अंदर जाने दो फिर मजा ही मजा है,,,
आराम से डालना भैया दर्द हो रहा है,,,
अरे पगली मैं तुझे बिल्कुल भी दर्द होने नहीं दूंगा देखना एकदम आराम से जाएगा,,,,(और इतना कहकर हल्के हल्के अपनी कमर को आगे की तरफ ठेल रहा थागुलाबी की बुर तो पहले से ही मोटा तगड़ा लंड ले चुकी थी इसलिए अंदर जगह बनी हुई थी लेकिन हरिया को बिल्कुल भी शक नहीं हो रहा था क्योंकि गुलाबी नाटक ही कुछ ऐसा कर रही थी वह चेहरे पर ऐसी भावना रही थी कि मानो उसे बहुत दर्द हो रहा है उसके दर्द को कम करने के लिए हरिया बार-बार उसकी चूची को पकड़ कर मसल ने लगता था आखिरकार देखते ही देखते आखरी धक्के में हरिया नेअपने लंड को अपनी बहन की बुर की गहराई में डाल दिया और इस बार अपने नाटक को आखरी मोड देते हुए वह जोर से चीखी,,,,।
हाय दैया मर गई रे भैया मुझसे रहा नहीं जा रहा है बाहर निकालो मैं मर जाऊंगी मुझ पर रहम करो बाहर निकालो,,,
(गुलाबी को दर्द बिल्कुल भी नहीं आ रहा था लेकिन उसकी कलाबाजी बेहद लाजवाब थी उसके माथे पर पसीने की बूंदें टपक रही थी जो कि उत्तेजना की वजह से थी बढ़िया को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके लंड की मोटाई को वह बर्दाश्त नहीं कर पा रही है,,,लेकिन एक बात बिल्कुल सच है कि भले ही गुलाबी नाटक कर रही थी लेकिन उसे अपनी भैया के लंड से मजा भी आ रहा था अपनी बहन को इस तरह से दर्द में तड़पता हुआ देखकर हरिया उसी तरह से रुक गया और वह बोला,,,)
कुछ नहीं कुछ नहीं गुलाबी कुछ नहीं,,, बस थोड़ा सा सब्र रख,,, अभी देखना कितना मजा आता है,,(पर इतना कहने के साथ है कि वह आगे की तरफ झुक कर अपनी बहन की चूची को मुंह में भर लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया वह इस तरह से उसे आनंद देने की कोशिश कर रहा था ताकि वह फिर से उत्तेजित होने लगी और बारी-बारी से उसके दोनों कश्मीरी सेव को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दियागुलाबी को अभी भी बहुत मजा आ रहा था लेकिन थोड़ी देर बाद वह ऐसा नाटक करने लगे कि उसे अपनी भैया की चूची चटाई पर बहुत मजा आ रहा है और वह धीरे-धीरे गरम सिसकारी लेने लगी और उसकी गर्म सिसकारी को सुनकर लहरिया बोला,,,)
अब कैसा लग रहा है गुलाबी,,,
बहुत अच्छा लग रहा है भैया,,,
मैं कहता था ना बहुत मजा आएगा,,,, बोलो तो आगे बढ़ु वरना निकाल लो,,,।
नहीं नहीं भैया ऐसा मत करना निकालना नहीं,,,
तो बोलो ना अब क्या करूं,,,
वही जो भाभी के साथ करते हो,,,
भाभी के साथ क्या करता हूं जरा अपने मुंह से तो बताओ,,,
चुदाई,,,,(गुलाबी एकदम परिसर में बनते हुए बोली क्योंकि से बहुत मजा आ रहा था और अपने भैया के तेज झटकों को अपनी बुर के अंदर महसुस करना चाहती थी,,, अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए वह बोली,,) चोदो भैया मुझे चोदो,,,,
अपनी बहन की मदहोशी और उसकी बात सुनकर हरिया के होठों पर मुस्कान आ गई और वह बोला,,,
यह हुई ना बात अब देखना कितना मजा आता है,,,
(और इतना कहने के साथ ही हरिया अपने लंड को अंदर बाहर करके अपनी बहन की चुदाई करना शुरू कर दिया झोपड़ी के अंदर भाई-बहन का पवित्र रिश्ता तार-तार हो रहा था लेकिन इस रिश्ते के बारे में अब दोनों को बिल्कुल भी परवाह नहीं थी बस आप वह दोनों भाई बहन नहीं बल्कि एक मर्द और औरत हो चुके थे,,,,हरीया धक्के पर धक्के लगा रहा था,,,, बार-बार वह अपनी बहन की चूची को मसलते हुए उसे मुंह में लेकर पीना शुरु कर दे रहा था,,, गुलाबी को बहुत मजा आ रहा था भले ही राजू से उसके पीछा कर लेंगे थोड़ा पतला हो थोड़ा छोटा था लेकिन अनुभव से भरा हुआ था,,,,,
फच फच की आवाज से पूरी झोपड़ी गुंज रही थी,,,, गुलाबी अपने भाई का साथ देते हुए अपने हाथ को आगे बढ़ा कर उसकी जनों को सहला रही थी और बार-बार थोड़ा ऊपर नजर उठा कर अपनी दोनों टांगों के बीच देख ले रही थी,,,वह बड़े आराम से अपनी बुर में अपने भैया का लंड अंदर बाहर होता हुआ देख रही थी,,,,। हरिया रह रह कर बड़ी तेजी से धक्के लगाता था और फिर एकाएक अपनी रफ्तार को कम कर दे रहा था वह यह जताना चाहता था कि औरतों को तेज धक्के में ही ज्यादा मजा आती थी,,,,।बगुला पीके खूबसूरत चेहरे को जो कि पसीने से पूरी तरह से तरबतर हो चुका था उसे देखते हुए बोला,,,।
बोलो मेरी बहन कैसा लग रहा है,,,
बहुत अच्छा लग रहा है भैया ऐसा सुख मैं कभी सोचा भी नहीं था कि मुझे मिलेगा,,,,(हरिया जानबूझकर धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था इसलिए गुलाबी बोली) धीरे-धीरे नहीं भऐया जोर जोर से धक्के लगाओ,,,
(इतना सुनते ही हरिया मुस्कुराने लगा और बोला)
देखी मैं कहता था ना तेज धक्के में ही ज्यादा मजा आता है,,,।
हां भैया तुम सच कहते थे देशभक्तों में ही ज्यादा मजा आता है लेकिन कहीं तुम्हारा लंड फिर से दुखने लगा तो,,,
कोई बात नहीं तू है ना मालिश कर देगी,,,
(इस बात पर दोनों हंसने लगे दोनों को बहुत मजा आ रहा था हरिया एक ही स्थिति में है अपनी बहन की जबरदस्त चुदाई कर रहा था गुलाबी को यकीन नहीं हो रहा था किसी से तेरे से को बाहर छोटे से छेद से देख कर मस्त हो जाती थी और अपनी भाभी की जगह अपने आप की कल्पना करती रहती थी वह दृश्य इस कदर वास्तविक में बदल जाएगा,,)
और गुलाबी में कहता था ना कि देखना तेरे छोटे से छेद में मेरा मोटा लंड आराम से चला जाएगा,,,
हां भैया तुम सच कहते थे मुझे तो इस बारे में बिल्कुल भी पता नहीं था लेकिन तुम मुझे लगता है धीरे-धीरे सब कुछ सिखा दोगे,,,
तू चिंता मत कर मैं तुझे धीरे-धीरे इस कला में माहिर खिलाड़ी बना दूंगा,,,,(और इतना कहकर जोर जोर से धक्के लगाने लगा,,,)
भैया धक्का लगाते हुए मेरी चूची को पियो मुझे और मजा आता है,,,।
क्या बात है गुलाबी ले तेरी ख्वाहिश अभी पूरी कर देता हुं,,,( और इतना कहने के साथ ही वह अपनी बहन पर झुक गया और उसकी चूचियों को बारी-बारी से मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया साथ ही अपने धक्कों को भी जारी रखा,,,,इस दौरान वह एक बार झड़ चुकी थी लेकिन दूसरी बार वह झड़ने के बेहद करीब पहुंच चुकी थी जिसकी वजह से उसकी गरम सिसकारियां की आवाज और ज्यादा तेज हो गई और उसके बदन अकड़ने लगा,,,)
ओहहह भैया मुझे कुछ हो रहा है,,,आहहहह और जोर जोर से धक्के लगा ओ,,,आआआाहहहहहह,आहहहहहह
(हर यह समझ गया था किसकी बहन का पानी निकलने वाला है इसलिए अपने धकको को तेज कर दिया था क्योंकि वह भी चरम सुख के बेहद करीब पहुंच चुका था,,, और वह भी देखते ही देखते जबरदस्त दो चार धक्कों के बाद दोनों का पानी एक साथ निकल गया,,, हरिया अपना पानी निकालते समय अपनी बहन को जोर से अपनी बाहों में कस कर पकड़ लिया था और गुलाबी भी अपनी बाहों का कसम अपने भैया की पीठ पर बढ़ा दी थी दोनों एक साथ झड़ने लगे थे और हरिया अपनी बहन के ऊपर ढेर हो गया,,,,गुलाबी पूरी तरह से मस्त हो चुकी हरिया भी ईस नए पन से पूरी तरह से मदहोश हो चुका था,,, थोड़ी देर बाद हरिया उठा और अपने कपड़े पहनने लगा,,, वासना का तूफान थम चुका था इसलिए शर्म के मारे अपने भैया से नजर नहीं मिला पा रही थी हरिया गुलाबी कि मनो स्थिति को अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए वह बिना कुछ बोले झोपड़ी के बाहर निकल गया,,,गुलाबी जल्दी से अपने कपड़े पहने लगी वह मन ही मन मुस्कुरा दे रहे थे क्योंकि अब घर में ही उसे दो लंड मिल चुके थे जिससे वह जब चाहे तब अपनी प्यास बुझआ सकती थी,,,, वह कपड़े पहन कर झोपड़ी से बाहर निकली और बिना रुके जाते-जाते बोली,,,।
भैया खाना खा लेना और बर्तन लेकर आना मैं जा रही हूं,,,
(हरिया चित्र से समझ रहा था कि उसकी बहन शर्मा रही है इसलिए रुकना नहीं चाहती और वह कुछ बोला भी नहीं,,, गुलाबी के चले जाने के बाद वह खाना खाकर कुछ देर तक वही आराम किया और वापस घर आ गया,,।)
गुलाबी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह अपने बड़े भैया से चुदवाएगी,,, क्योंकि वह अपने बड़े भैया की बहुत इज्जत करती थी उसके बड़े भैया भी उसका हर तरह से ख्याल रखते थे एक अपनी बेटी की तरह ही उसका पालन पोषण करके उसे बड़ा किए थे इसलिए गुलाबी के मन में अपने भैया के लिए बहुत इज्जत थी,,,, लेकिन वक्त और हालात के साथ रिश्ते भी बदलते रहते हैं ऐसा ही गुलाबी के साथ भी हुआ था,,। वह वक्त ,,माहोल और अपनी उपासना के अधीन होकर,,, अपने बड़े भैया के साथ शारीरिक संबंध बना ली थी जिसने उसे अत्यधिक आनंद की अनुभूति हुई थी,,,,,पहले अपनी भतीजी के साथ और सिर्फ अपने बड़े भैया के साथ शारीरिक संबंध बना कर वो पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी,,,
जिस अद्भुत काम क्रीडा को वह दीवार के क्षेंद से देख कर आनंदित होती थी और अपने हाथों से अपनी प्यास बुझाने की नाकाम कोशिश करती थी अब उसी काम क्रीड़ा का वह भरपूर मजा लूट रही थी,,,,,,,
हरिया का मन कभी-कभी अपनी छोटी बहन के साथ शारीरिक संबंध बनाने के बाद कुंठित होने लगता था वह अपने आप पर गुस्सा करने लगता था,,, वह अपने मनोस्थिति को समझ नहीं पा रहा था,,, बार बार सोचता था कि आखिरकार वह ऐसा क्यों किया,,,, उसके मन में डर पैदा होने लगा कि अगर यह बात किसी को पता चल गई तो समाज में उसकी क्या इज्जत रह जाएगी वह तो कहीं का नहीं रहेगा,,,,फिर ऐसी गलती नहीं करेगा ऐसी कसम खाकर वहां अपनी दिनचर्या में लगा हुआ था,,,। धीरे-धीरे दिन गुजरने लगे थे,,,शुरु शुरु में तो वह गुलाबी से नजर तक नहीं मिला पाता था उससे बात करना छोड़ दिया था उसे इस बात का डर था कि कहीं वह अपनी बहन के सामने आएगा तो कहीं उसका मन फिर ना बदल जाए क्योंकि वह अपनी बहन की खूबसूरती का रस पहले ही पी चुका था वह अपनी बहन की खूबसूरती से अच्छी तरह से वाकिफ था वह अपनी बहन के बदन के हर एक अंग से वाकिफ हो चुका था उसमें से झड़ रहे मदन रस का वह रसपान कर चुका था,,,, इसलिए उसे इस बात का डर था कि कहीं वह दोबारा,, अपनी बहन के साथ शारीरिक संबंध ना बना ले,,, इसलिए वह गुलाबी से कतराता रहता था,,,।
गुलाबी कोअपनी और अपने बड़े भैया के बीच की शारीरिक संबंध को लेकर किसी भी प्रकार का मलाल नहीं था,,, वह तो इस रिश्ते के चलते बहुत खुश थी वरना वह आपने शादी का इंतजार कर रही थी कि कब उसकी शादी हो और कब उसे रोज चुदवाने को मिले लेकिन अब घर में ही दो दो लंड का बंदोबस्त हो चुका था हालांकि अपने भैया के साथ एक ही बार शारीरिक संबंध बनाए थे लेकिन रोज रात को अपने जवान भतीजे के साथ अपनी बुर की गर्मी शांत करती थी,,,,,,,।
राजू और सोनी के बीच चुदाई का खेल बिना किसी रूकावट के जारी था ,,, जिसकी भनक अब तक किसी को भी नहीं थी,,,, लेकिन राजू के मन में झुमरी बस गई थी,,,,,, उसका सादगी पर उसका भोलापन पूरी तरह से उसे अपना दीवाना बना दिया था,,,, दिन-रात राजू के जेहन में केवल झुमरी ही नाच रही थी,,, राजू बार-बार उस दृश्य को याद करके मस्त हो जाता था जब वह श्याम को बुलाने के लिए उसके घर पहुंचा था उसे अंदाजा नहीं था कि श्याम के घर पर उसे बेहतरीन नजारा देखने को मिलेगा,,,,। बार-बार झुमरी का नंगा बदन राजू के जेहन में उत्तेजना की लहर दौडा रहा था,,, राजू कभी सोचा भी नहीं था कि उसे इस तरह का दृश्य देखने को मिलेगा,,,,,, झुमरी से उसकी मुलाकात बहुत ही कम होती थी लेकिन तब उसका नजरिया एकदम साफ सुथरा था लेकिन जब से औरतों की संगत में पड़ा था तब से उसका औरतों लड़कियों को देखने का नजरिया पूरी तरह से बदल गया था,,,। झुमरी को एकदम नंगी नहाता हुआ देख कर पहली बार से ऐसा हुआ था कि झुमरी बिना कपड़ों के बेहद खूबसूरत लगती है उसका अंग-अंग तराशा हुआ था,,,। खास करके उसकी गोलाकार खरबूजे जैसी मदमस्त कर देने वाली गांड जो कि बेहद नपे तुले आकार में थी,,,। जिसे देखते ही राजू की आंखों की चमक बढ़ गई थी,,। राजू का मन उस समय झूमरी की नंगी गांड को अपने दोनों हाथों ने दबोचने को कर रहा था,,,लेकिन ऐसा कर सके नहीं कि उसने हिम्मत उस समय बिल्कुल भी नहीं हो रही थी काफी देर तक झुमरी उसी अवस्था में नंगी नहाती रही उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि पीछे खड़ा राजू उसके खूबसूरतयौवन का रस अपनी आंखों से पी रहा है,,,।
राजू के कानों में बार-बार उसके कहे गए शब्द मिश्री से भूल जाते थे जब वह उसे से कही थी कि देख लिया ना अब जा,,,लेकिन राजू उसके कहे गए गई इन शब्दों का मतलब समझ नहीं पा रहा था,,, दिन रात वह झुमरी के उन शब्दों का मतलब को ढूंढता रहता था लेकिन उसे किसी भी प्रकार का निष्कर्ष नहीं मिल पा रहा था,,,, लेकिन वह अपने मन में यही विचार करता था कि,,, अगर उसकी जगह कोई और लड़की होती तो उसे भला-बुरा कहती उसे डांटती उसे धमकाती,,, क्योंकि वह उसे नग्नावस्था में देख रहा था,,,लेकिन उसका यह कहना कि देख लिया ना अब जा इसी के मतलब को वह समझ नहीं पा रहा था,,,,वह फिर अपने ही मन में यही सोचता रहता कि क्या झुमरी जानबूझ कर उसे अपने नंगे बदन का दर्शन करा रही थी,,,, क्योंकि जब वह उसे नहाते हुए देखा था तब उसकी पीठ दरवाजे की तरफ से और चेहरा सामने की तरफ ऐसे में सिर्फ उसके मदमस्त कर देने वाली चिकनी पीठ के साथ-साथ उसकी खूबसूरत गांड नजर आ रही थी,,, लेकिन राजू की तरफ देखने पर भी वह अपने बदन के किसी भी हिस्से को छुपाने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं की थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वो जानबूझकर अपने दोनों नारंगीयो के साथ-साथ अपनी लहसुन को दिखा रही हो,,, और राजू भी इस भरपूर नजारे का पूरा मजा लेते हुए उसके बदन के हर एक अंग के नाप को अपनी आंखों से नाप लिया था ,,,। उसके नाम लाल होठ उसकी खूबसूरत मुस्कान सब कुछ राजू अपने आंखों में और अपने दिल में कैद कर लिया था,,,। इसलिए तो जब जब झुमरी की याद आती थी उसके पहचानने में तंबू बन जाता था और इस समय भी उसका यही हाल था,,,वह किसी ना किसी बहाने शाम के घर जाने लगा था लेकिन उसे झुमरी कहीं नजर नहीं आती थी,,,, उत्तेजना के मारे उसके बदन में आग लगी हुई थी,,, इसीलिए वह कमला चाची के घर पहुंच गया,,,। क्योंकि इस समय कमला चाची ही उसके बदन की गर्मी को शांत कर सकती थी वैसे भी,,, राजू की संभोग गाथा में सर्वप्रथम कमला चाची का ही वर्णन था और वही उसे संभोग कला सिखाने मैं मदद की थी,,,,।
थोड़ी ही देर में राजू कमला चाची के घर के बाहर दरवाजे पर पहुंच गया और बाहर से ही आवाज लगाते हुए बोला,,,।
कमला चाची वो कमला चाची घर पर हो कि नहीं,,,।
(इस आवाज को कमला चाची की बहू रमा अच्छी तरह से पहचानती थी,,, वह समझ गई कि राजु आया है,,, उसके बदन में गुदगुदी होने लगी क्योंकि वह अच्छी तरह से समझती थी कि उसका घर पर आने का क्या मकसद होता है वह जरूर सासु मां को चोदने है इस ख्याल से ही उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी,,,वह गेहूं साफ कर रही थी,,,, इस समय घर पर उसकी सांस नहीं थी इसलिए वह मन ही मन खुश होने लगी,,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दें,,,, फिर से आवाज आई,)
कमला चाची,,,,,, कमला चाची,,,,,,।
(तभी दरवाजा खुला और सामने कमला चाची की बहू रमा नजर आई वह बड़ी हिम्मत जुटाकर दरवाजा खुली थी क्योंकि उसे इस बात का अहसास था कि राजू उसकी सास की चुदाई करने के लिए ही आया है और इस समय उसकी सास नहीं है पता नहीं उसके मन में क्या चल रहा होगा,,, अपनी सास की गैरमौजूदगी में रमा का दिल जोरों से धड़क रहा था उसके भी अरमान मचल रहे थे क्योंकि महीनों गुजर गए थे उसका पति घर पर नहीं था ऐसे में उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होना जायज था,,,,)
माजी तो घर पर नहीं है,,,,
कहां गई है चाची,,,,
किसी काम से गई हैं समय लग जाएगा,,,,
ठीक है तो मैं चलता हूं फिर कभी आ जाऊंगा,,,,(बड़े गौर से घूंघट के अंदर के खूबसूरत चेहरे को देखने की कोशिश करता हुआ राजू बोला लेकिन घूंघट की वजह से उसे कुछ नजर नहीं आ रहा था लेकिन उसकी गोलाकार छातियां जवानी की पूरी किताब के पन्ने पलट रही थी जिसे ऊपर से ही पढ़ कर राजू मस्त हुआ जा रहा था,,,,)
कोई काम था क्या,,,?
नहीं ऐसे ही चाची से बस मिलने आया था यहीं से गुजर रहा था तो अब नहीं है तो फिर कभी आ जाऊंगा,,,
अरे ऐसे कैसे जा रहे हो,,, मैं तो हूं ना,,,,,अगर मां जी को पता चला कि तुम आए थे और बिना रुके चले गए तो हो सकता है मुझ पर नाराज हो जाए इसलिए पानी पी कर ही जाना,,,,,,,।
ठीक है भाभी तुम इतना कहती हो तो पी लेता हूं,,,,
आ जाओ,,,,(इतना कहने के साथ ही रमा एक तरफ खड़ी हो गई ताकि राजू अंदर आ सके और राजू भी कमरे के अंदर प्रवेश कर गया,,,, राजू के कमरे में प्रवेश करते ही रमा दरवाजा बंद कर दि,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, घर में केवल रमा और राजू ही थे,,,और रमा इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि वैसे ही उसकी गैरमौजूदगी में उसकी सांस उसे घर में अपने कमरे में बुलाकर जबरजस्ती दवाई थी जिसे वह अपनी आंखों से देख कर पानी पानी हो गई थी रमा अपने मन में यही सोच रही थी कि जब उसकी सास उम्र दराज होकर भी एक जवान लड़के का लंड लेकर ईतनी मस्त हो गई थी,,तो वह तो अभी पूरी तरह से जवान है उसके साथ राजू क्या करेगा,,,,। इस बात को सोच कर ही उसकी बुर पानी छोड़ रही थी,,,, धड़कते दिल के साथ रमा दरवाजा बंद कर दी,,,,, और राजू खुद ही खटिया गिरा कर उस पर बैठ गया,,, जब वह दरवाजा बंद कर रही थी तो राजू की प्यासी नजरें उसकी उभरी हुई गांड पर ही टिकी हुई थी,,,, औरतों की संगत में अब राजू को हर एक औरत में केवल अपनी प्यास बुझाने का सामान ही नजर आता था,,, रमा की उभरी हुई गांड राजू के पजामे में हलचल मचाने लगी,,,, दरवाजा बंद करके वह राजू की तरफ देख कर घूंघट के अंदर ही मुस्कुराने लगी और घर के अंदर चली गई,,,।
रमा केअंदर जाते ही राजू अपने मन में सोचने लगा कि अगर उसे कमला चाची की बहू चोदने को मिल जाती तो बहुत मजा आ जाता,,,,,,और कमरे के अंदर पहुंचकर रामा यह सोच रही थी कि ऐसा क्या किया जाए कि राजू उसे चोदने के लिए मजबूर हो जाए क्योंकि सामने से यह कहना कि वह चुदवाना चाहती है यह उसके लिए शर्म की बात होती लेकिन उसके बदन की जरूरत इस समय राजू के प्रति आकर्षित कर रही थी,,,,वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जब राजू जैसा जवान लड़का उम्रदराज औरत को इतनी मस्ती के साथ चोद सकता है तो वह तो पूरी तरह से जवान है उसे चोदने के लिए वह तो तडप उठेगा बस हल्का सा इशारा करने की देरी है,,,, बस फिर क्या था रमा अपने अंदर की औरत को जगाने लगी और किसी भी तरह से राजू से संभोग सुख प्राप्त करने के लिए मचल उठी और उसके जुगाड़ में लग गई,,,,,,,।
राजू बाहर खटिया पर बैठा हुआ बड़ी बेसब्री से रमा भाभी का इंतजार कर रहा था उसकी एक झलक पाने के लिए,,, तड़प रहा था,,,,, और यही हाल रमा का भी था,,, इसलिए वहएक गिलास में ठंडा पानी और एक कटोरी में थोड़ा सा गुड लेकर कमरे से बाहर आई,,,अभी भी उसने घूंघट पूरी तरह से नहीं उठाई थी केवल उसके लाल लाल होंठ नजर आ सके बस इतना ही घूंघट ऊपर की तरफ उठाई थी,,,। रमा को गुड़ और पानी लाता देखकर,,, राजू औपचारिक रूप से बोला,,,।
अरे इसकी क्या जरूरत थी भाभी मैं कोई मेहमान थोड़ी हूं जो इतनी खातिरदारी कर रही हो,,,
नहीं-नहीं राजू मुझे इतना तो करना ही होगा वरना माजी को पता चलेगा तो वह क्या बोलेंगी,,,,,,,
अरे भाभी कुछ नहीं बोलूंगी कमला चाची बहुत अच्छी है,,,
मैं तो जानती हूं कमला चाची बहुत अच्छी है,,,,(रमा अपने मन में ही बोली चुदवाती है इसीलिए,,,) इसीलिए तो उन्होंने मुझको सहेज के रखा है कि जब भी कोई द्वार पर आ गई तो उसे यूं ही वापस नहीं भेजना चाहिए,,,
वाह भाभी, कमला चाची के विचार बहुत ही उच्च कोटि के है,,,,,
(काम भी उच्च कोटि के हैं रमा अपने मन में ही बोली,,, राजू कटोरी में से गुड़ का एक टुकड़ा उठाकर उसे मुंह में डालकर खाने लगा,,,, और घूंघट में झांकने की कोशिश करता हुआ बोला,,,)
बहुत ही मीठा गुड़ है भाभी,,,,,
अपने खेत के गन्ने के रस से बना हुआ पुल है इसलिए बहुत स्वादिष्ट है,,,
सच में कमला चाची के रस से बना गुड़ बहुत मीठा है,,,
कमला चाची के रस से नहीं गन्ने के रस से बना गुड़ है,,,(रमा व्यंग कसते हुए बोली,,,)
हा हा,,, वही,,,, आप मजाक बहुत करती हो भाभी,,,
तुम जैसे देवर होंगे तो भाभी तो मजाक करेगी ही,,,
चलो यह तो अच्छा है कि तुम मुझे अपना देवर मानती हो,,,
पूरे गांव भर में तुम ही अच्छे लड़के हो जिसे मैं देवर का दर्जा दे रही हुं,,,,
तब तो मैं बहुत खुश नसीब हु भाभी,,,
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खुशनसीब तो मैं हूं जो तुम जैसा देवर मिला है,,,,
(राजू को बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था कि एक ही दिन में जिससे इतना जान पहचान भी नहीं है वह इतना अपनापन क्यों दिखा रही है लेकिन कुछ भी हो रामा की बदन की बनावट उसका गोरा रंग राजू के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी को हवा दे रहा था,,,, रमा भी उसके खूबसूरत चेहरे को बड़े गौर से देख रही थी वाकई में राजू के चेहरे पर मासूमियत और भोलापन दोनों बराबर मात्रा में थी और बदल उसका बेहद गठीला था रमा उसके मासूमियत भरे चेहरे को देखकर,,, यकीन नहीं कर पा रही थी कि जो उस दिन अपनी आंखों से देखी थी वह सच था,,, क्योंकि जिस तरह से वह तेज-तेज अपनी कमर हीलाते हुए धक्के लगाकर उसकी सासु मा को चोद रहा था वह मासुम बिल्कुल नहीं हो सकता,,, रमा की आंखों ने अपनी सास की चुदाई करते हुए जो कुछ भी देखा थाउसने बिल्कुल की रहने की गुंजाइश बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि उसकी कमर ताबड़तोड़ चल रही थी,,,, उसके तेज धकको का उसकी सास भी बड़ी बेशर्मी से मजा ले रही थी,,,। उस दृश्य के बारे में सोच कर रमा की बुर गीली हो रही थी,,,, राजू की नजर उसकी छातियों की गोलाईयों पर थी जिसे अपने हाथों में दबोच कर उसे दबाने का मन कर रहा था उसके लाल-लाल होठों पर अपने होठों पर रखकर पीने को हो रहा था,,, वह अपने मन में यही सोच रहा था कि जब कमला चाची इतना मजा दे सकती है तब रामा कितना मजा देगी,,,, दूसरी तरफ रमा भी पूरी जुगाड़ में थी,,,,पता नहीं आज के जैसा उसे मौका मिल पाता या नहीं इसलिए वह इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहती थी क्योंकि उसकी सास शादी की रस्म में पड़ोस में गई हुई थी,,,,जोकि ज्यादा देर के लिए नहीं गई थी वह कभी भी आ सकती थी लेकिन रमा के पास इतना तो समय था कि वह अपनी बदन की प्यास राजू से बुझा ले,,,,,,, इसलिए वह राजु के ऊपर अपनी जवानी का जलवा बिखेर देना चाहती थी,,,, ओर इसीलिए वह पानी के ग्लास को नीचे रखने के बहाने झुकी और उसके झुकते ही,,,,उसकी मदमस्त कर देने वाली चुचियों का नजारा राजु की आंखों से बच नहीं सका,,, रामा ने पहले से ही अपनी चुचियों का नजारा दिखाने के उद्देश्य से ही अपने ब्लाउस के उपर के दो बटन को खोल दी थी जिसकी वजह से उसके झुकते हुए उसके दोनों खरबूजे एकदम से आधे से ज्यादा बाहर को लटक गए,,,,।
ब्लाउज में से बाहर झांकते उसके दोनों कबूतरों को देखकर,, राजू के खुद के पर फड़फड़ाने लगे उसके पजामे में हलचल होने लगी,,, वह कभी सोचा नहीं था कि इतनी आसानी से उसे रमा भाभी की चूचीया देखने को मिल जाएगी,,,,,, उसकी चुचियों के साथ-साथ दोनों सूचियों की शोभा बढ़ा रहे उसके दोनों अंगूर भी नजर आ रहे थे जिसे मुंह में लेकर चबा जाने की इच्छा हो रही थी,,,।
रमाअपनी चुचियों का भरपूर मजा आ रहा है उसे दिखा देना चाहती थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि अगर दोनों के बीच कुछ हो सकने की संभावना को बढ़ा सकती है तो उस समय इसलिए किया ही नहीं जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आ जाएगा और वह उसके साथ चुदाई करने के लिए तड़प उठेगा,,,,,, राजू की आंखें फटी की फटी रह गई थी बेहद खूबसूरत चुचियां उसके हौसले को बढा रही थी,,, राजू पानी पीना भूल गया था और उसकी हालत को देखकर रामा को शर्म तो आ ही रही थी लेकिन उसके तन बदन की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उसे लगने लगा था कि अब जरूर कुछ,,,वह अपने मन में ठान लेते कि जब उम्र नाराज होकर भी उसकी सासू मां ने जमा लड़के से चुदाई का भरपूर मजा लूट रही है तो वह क्यों नहीं वैसे भी,,, उसका पति कुछ महीनों से बाहर गया हुआ था,,, इसलिए उसकी भी दोनों टांगों के बीच गर्मी कुछ ज्यादा बढ़ गई थी जिसे शांत करना बेहद जरूरी हो गया था,,,,।,,
भ,,,भ,,,भ,, भाभी,,, तुम्हारी चुचीया तो बाहर आ गई,,,।
(राजू आंखें फाड़े उसकी चूचियों की तरफ देखते हुए बेशर्मी भरे शब्दों में बोला वह बिल्कुल भी अपने शब्दों को छुपाने की कोशिश नहीं किया था क्योंकि वहां अच्छी तरह से जानता था कि रमा कुछ महीने से अकेले ही हैं पति की संगत उसे प्राप्त नहीं हुई है और ऐसे में वह प्यासी जरूर होगी,,,, कुछ इस तरह से वह अपनापन दिखाते हुए उससे बातें कर रही थी राजू को लगने लगा था कि यहां पर भी जरूर उसकी दाल गल जाएगी,,,और औरतों की संगत में रहकर औरत के मन में क्या चल रहा है इसकी पहचान उसे होने लगी थी वह समझ गया था कि यह रामा प्यासी है,,,,राजू किस तरह की बातें सुनकर रामा एकदम से शर्म आ गई थी क्योंकि इस तरह की बातें उससे आज तक किसी ने नहीं किया था,,,, लेकिन अंदर ही अंदर वह भी तो यही चाहती थी,,,,,, राजू के मुंह से चूची शब्द सुनकर उसकी बुर कुलबुलाने लगी थी,,,, वह एकदम शरमाते हुए बोली,,,,,,)
हाय दैया,,,, यह भी बड़ी बेलगाम हो गई है कहीं भी निकल जाती है,,,(अपने साड़ी के आंचल से उसे छुपाने की कोशिश करते हुए बोली तो राजू बोला)
लगता है तुम्हारी चुचीया बड़ी बड़ी है इसलिए ब्लाउज में नहीं समा पाती,,,,,,(राजू एकदम खुलकर बातें कर रहा था)
हाय भैया कैसी बातें करते हो,,, तुम्हें लाज नहीं आती,,,
लाज कैसी भाभी जो सच है वही तो बोल रहा हूं,,,, तुम्हारी चूचियां सच मे बड़ी-बड़ी है,,,,
नहीं नहीं इतनी भी बड़ी नहीं है जैसा तुम बोल रहे हो,,,
नहीं भाभी मैं सच कह रहा हूं बड़ी बड़ी है तभी तो अपने आप ब्लाउज के बटन खोल कर बाहर आ गई उसका वजन तुम्हारे ब्लाउज से संभाला नहीं जा रहा है,,,,।
(राजू की उत्तेजना भरी बातें सुनकर रमा की बुर गीली होने लगी थी,,, वह अच्छी तरह से समझ गई थी कि राजू बातों का जादूगर है उसके शब्दों में बहुत ज्यादा उत्तेजना होती है तभी तो वह जिस तरह से बातें कर रहा था उस तरह से उसके पति ने भी बातें नहीं किया था रमा अपने मन में सोचने लगी कि वह तो अपनी बातों से ही उसकी बुर को पूरी तरह से गीली कर दिया है,,,।)
नहीं-नहीं राजू,,,,, इस तरह से बातें मत करो मुझे शर्म आती है पानी पी लो,,,,।
(राजू अब तक के अनुभव से यही सीखा था कि औरतों के नानू कर में ही उसकी हामी होती हैअच्छी तरह से जानता था कि अगर उसकी बात है उसे बुरी लगती तो वहां कब से उसे यहां से जाने के लिए कह चुकी होती लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं कह रही थी बस शर्मा रही थी इसलिए राजू को लगने लगा था कि अब उसके दोनों हाथ में फिर से लड्डू आ गया है,,,, और वह भी बेहद स्वादिष्ट,,,)
अब तो मेरी प्यास पानी से नहीं बुझने वाली भाभी,,,
यह क्या कह रहे हो राजू इस तरह से बातें मत करो,,,(घूंघट में ही अपनी खूबसूरत चेहरे को छिपाए हुए रमा बोली)
जो भी कह रहा हूं सच कह रहा हूं भाभी मेरी एक-एक बात में सच्चाई है तुम बहुत खूबसूरत है मैंने आज तक तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत नहीं देखा,,,,।
(राजू की इस तरह की बातें सुनकर रामा मन ही मन खुश हो रही थी क्योंकि वह उसकी खूबसूरती की प्रशंसा कर रहा था और दुनिया में ऐसी कौन सी औरत है कि जो अपनी खूबसूरती की प्रशंसा नहीं सुनना चाहेगी उसे राजू की बातें अच्छी लग रही थी लेकिन ना जाने क्यों से डर लगने लगा था इसलिए वह उससे बोली,,,)
नहीं नहीं राजू इस तरह से बातें मत करो तुम पानी पी कर चले जाओ वरना मेरी सांस आ जाएगी,,,
तुम्हारी सास आ जाएगी तो क्या हुआ,, मै पराया थोड़ी हूं और वैसे भी,,,तुम ही ने अभी मुझे अपना देवर बनाया है और देवर का इतना तो हक होता ही है,,,(इतना कहते हुए राजू उसका हाथ पकड़ लिया और वह एकदम से शर्मा कर सिहर उठी,,, उसके पति के बाद आज किसी और ने उसकी कलाई थामी थी,,, और इसीलिए एक मर्दाना हाथों में अपनी कलाई पाते ही वह एकदम से सिहर उठी,,,)
आहहहहह,,,राजु,,,, मेरी कलाई दुखने लगी है कितनी जोर से पकड़े हो,,,(अपने हाथ को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली)
मेरा तो मन कर रहा है कि तुम्हारे हाथ को जिंदगी भर ना छोडु,,,।
आहहहह,,, राजू तू बड़ा बेशर्म है अभी जा यहां से,,,।
(ना जाने क्यों अब रमा को डर लगने लगा था उसे शर्म आ रही थी अब तक वह राजू से सब कुछ करवा देने के जुगाड़ में लगी हुई थी और सब कुछ होता देख कर ना जाने क्यों उसके मन में घबराहट हो रही थी,,,, लेकिन राजू भी औरतों की संगत में पक्का खिलाड़ी बन चुका था रमा के मन की बात को वह अच्छी तरह से समझ रहा था,,, रमा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,)
राजू तु पानी पी और जा यहां से कोई देख लेगा तो गजब हो जाएगा,,,,
ठीक है भाभी तुम कहती है तो मैं चला जाऊंगा लेकिन उसके पहले तुम्हें मेरी बात सच है कि गलत यह दिखाना होगा ,,
,कौन सी बात,,,,,?
यही कि तुम्हारी चूचियां छोटी-छोटी है या बड़ी बड़ी,,,
धत्,,,, पागल हो गया है क्या,,,
हां भाभी में पागल हो गया हूं तुम्हारी खूबसूरती देखकर तुम्हारा उसने देख कर मैं तुम्हारा दीवाना हो गया हूं,,,।
(रमा को डर भी लग रहा था और राजू की बातें सुनकर उसे प्रसन्नता भी हो रही थी उसे मजा भी आ रहा था किसी जवान लड़के ने पहली बार उसकी खूबसूरती की तारीफ किया था,,,,)
नहीं-नहीं राजू जो तू कह रहा है वह ठीक नहीं है तू जा यहां से,,,
तो चलो ठीक है मैं भी यहीं बैठा रहता हूं कोई आएगा तो कह दूंगा कि भाभी ने हीं मुझे बुलाई थी,,,।
(इतना सुनते ही रमा के तो होश उड़ गए और वह बोली)
कितना बेशर्म और हटिला है तू,,,
चला जाऊंगा बस दिखा दो एक बार,,,,
तो बहुत जिद कर रहा है,,,(इतना कहते ही राम अपने मन में सोचने लगी कि वह है क्या कर रही है और शिकार हुआ अभी तो उसे अपना सब कुछ सोचना चाहती थी और इसीलिए तो वह उसे अंदर बुलाई थी और आज जब सब कुछ सही होने जा रहा है तो वह खुद ही इंकार कर रही है ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके अंदर से ही आवाज आ रही थी कि रमैया क्या कर रही है ऐसा अच्छा मौका तुझे फिर कभी नहीं मिलने वाला है और वैसे भी अगर तेरी सास देख भी जाती है तो तू भी तो कह सकती है कि वह खुद ही राजू के साथ चुदवाती है और वह अपनी आंखों से भी देख चुकी है दोनों का राज राज ही रह जाएगा ना उसे कोई शिकायत रहेगी ना तुझे कोई भी ऐसा मौका हाथ से जाने मत देन रमा इस मौके का फायदा उठा,,, रमा अपने मन की बात को सुनते हुए बोली)
ठीक है अच्छा मैं तुझे दिखा देती हूं लेकिन इसके बाद तु चले जाना,,,( रमा यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि अगर वह राजू को अपनी चूचियां दिखा देंगे कि किसी भी हारने वाला बिना उसकी चुदाई कीए वहां से जाने वाला नहीं है और यही वह चाहती भी थी,,,)
वाह भाभी मेरी अच्छी भाभी,,,(इतना कहने के साथ ही राजू खटिया पर से खड़ा हो गया और रमा घुंघट में अपने खूबसूरत चेहरे को छिपाए हुए अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी रमा का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि जिंदगी में पहली बार वह किसी गैर मर्द के सामने अपने कपड़े उतार रही थी,,,उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल बढ़ने लगी थी और देखते ही देखते उत्तेजना के मारे राजू के पजामे में तंबू बन गया था जिस पर रमा की नजर पड़ी तो उसके होश उड़ गए अब उसका मन मचलने लगा राजू के लंड को बुर में लेने के लिए,,,, धीरे-धीरे करके रमा अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी और ब्लाउज के दोनों आंखों को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अलग करते हैं अपनी मदमस्त कर देने वाली चुचीयों को राजू की आंखों के सामने नुमाइश करने लगी,,,, गोल गोल तनी हुई चुचियों को देखते ही राजू के मुंह में पानी आ गया,,, अब राजू को किसी के इजाजत की जरूरत नहीं थी क्योंकि एक तरह से रामा की तरफ से उसे निमंत्रण मिल गया था,,, अपने ब्लाउज के बटन खोल ना यह रमा की तरफ से राजू के लिए आमंत्रण ही था जिसे शहर से स्वीकार करते हुए फटी आंखों से राजू उसकी गोल-गोल चुचियों को देखे जा रहा था,,और इस तरह से अपनी चूचियों को दिखाते हुए रमा के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,, थोड़ी देर बाद वह बोली,,,)
बस अब हो गया ना अब जा यहां से,,,,(रमा चाहती तो बिल्कुल भी नहीं थी कि राजू वहां से चला जाए लेकिन फिर भी वहां औपचारिक रूप से उसे जाने के लिए कह रही थी लेकिन मन में यही चाहती थी कि वह रुका रहे और भला राजू कैसे जाने वाला था क्योंकि उसके आंखों के सामने खड़ा करते हुए दो कबूतर जो नजर आ रहे थे जिसका शिकार किए बिना वह वापस जाने वाला नहीं था,,, इसलिए राजू अपना कदम आगे बढ़ाते हुए बोला))
अब कैसे चला जाऊं भाभी मीठा गुड़ खिला दी हो,,, तो पानी कौन पिलाएगा लेकिन अब पानी नही ,,, मेरी प्यास तो तुम्हारा दूध पीकर ही बुझेगी,,,,
(इतना सुनकर रमा कुछ समझ पाते इससे पहले भी फुर्ती दिखाते हुए राजू अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपने दोनों हाथों में धर्म की दोनों चूचियों को थाम लिया था और तुरंत उस पर मुंह लगाकर पीना शुरू कर दिया था यह रमा के लिए बिल्कुल असहनीय था वह ईसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी,,, वह छटपटाती इससे पहले ही वह पूरी तरह से राजू के काबू में आ गई थी,,, औरतों को कैसे काबू में किया जाता है यह कला राजू अच्छी तरह से जानता था बहुत भारी बारिश है बिना रुके उसकी दोनों चूचियों को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया था पल भर में ही रमा के मुंह से सिसकारी की आवाज निकालने लगी उसे मजा आने लगा था क्योंकि इस तरह से उसके पति ने कभी भी उसकी चुचियों को मुंह में लेकर पीया नहीं था,,, इसलिए यह हरकत रमा के लिए बेहद उत्तेजना कारक थी,,,,।
सससहहहह आहहहहहहहहह,,, राजू यह क्या कर रहा है,,,
तुम्हारी सेवा कर रहा हूं भाभी,,,
आहहहहहह यह कैसी सेवा है रे,,,
भाभी या भाभी की देवर के द्वारा की जाने वाली सेवा तुम्हारा कोई देकर नहीं है ना इसलिए तुम्हें अब तक इस सेवा से वंचित रहना पड़ा लेकिन आज तुम मुझे अपना देवर बना दिया अब तुम्हें इस तरह की सेवा बराबर मिलती रहेगी,,,(इतना कहने के साथ ही राजू दोनों हाथों से उसकी जोर-जोर से चूचियां दबाते हुए उसके अंगूर को मुंह में लेकर चूस रहा था,, वह जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी वह राजू के बाल को जोर से पकड़ कर उसे अपने दोनों चूचियों के बीच दबा रही थी,,,, और मजे लेते हुए सिसकारी की आवाज निकाल रही थी,,)
सससहहहह ,,आहहहहहहह,,,,,, राजू,,, चला जा यहां से किसी भी वक्त माजी आ जाएंगी,,,
तो क्या हुआ भाभी,,,,आज तो मैं कह कर लिया हूं कि तुम्हारी सेवा किए बिना मैं यहां से नहीं जाऊंगा,,,,(इतना कहने के साथ ही अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर उसकी गोल-गोल कांड को अपने दोनों हथेलियों में दबाकर जोर-जोर से साड़ी के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया,,,, रमा के ऊपर दोनों तरफ से हमला हो रहा था और वह इस प्यार के लिए हमले को संभाल नहीं पा रही थी उसकी सिसकारी की आवाज बढ़ते ही जा रही थी दोनों चूचियां बारी-बारी उसके मुंह में आ रही थी और वह अपने दोनों हाथों से उसकी गांड को जोर जोर से दबा रहा था,,,।
आहहहहहह राजु आहहहहहहह,,,,,ऊमममममममम,,,
(उसकी गरमा गरम शिकारियों की आवाज सुनकर राजू समझ गया था कि उसे भी मजा आ रहा है इसलिए वह बोला,,,)
कैसा लग रहा है भाभी,,,,
बहुत अच्छा लग रहा है राजू कि मुझे डर भी लग रहा है कहीं माजी आ गई तो गजब हो जाएगा,,,
ओहहहह भाभी कुछ नहीं होगा तभी तो कह रहा हूं जल्दी-जल्दी करने दो,,,,, तुम्हारी चूचियां बहुत रसीली है भाभी,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह रमा की साड़ी को खोलने लगा,,,)
औहहहह यह क्या कर रहा है राजू मेरी साड़ी क्यों उतार रहा है,,,
साड़ी उतारने के बाद ही तो मैं तुम्हारी अच्छी तरह से सेवा कर पाऊंगा भाभी,,,देवर भाभी की सेवा तकरीर अच्छी तरह से कर पाता है जब वह उसे अपने हाथों से नंगी करता है,,,।
(पर इतना कहने के साथ ही धीरे-धीरे राजू मामा की शादी को खोलकर नीचे जमीन पर गिरा दिया रमा भी उसे रोक नहीं रही थीक्योंकि वह भी अच्छी तरह से जानते थे कि साड़ी उतार कर नंगी होने के बाद ही मजा ज्यादा आता है,,, राजू एक झटके में उसके साया का नाड़ा खोल दिया,, उसका साया भरभरा कर उसके कदमों में जा गिरा,,,, पल भर में हीकमला चाची की बहू उसकी आंखों के सामने एकदम नंगी खड़ी थी केवल ब्लाउज ही था जो की पूरी तरह से खुला हुआ था और उसे भी पीछे से अपनी बाहों में लेकर उसका ब्लाउज भी उतार दिया और पीछे से उसे अपनी बाहों में करते हुए उसकी दोनों चूचियों को दबा कर उसकी गर्दन पर चुंबन की बारिश कर दिया,,,,, राजू की हरकत से रमा पूरी तरह से पानी पानी हो गई,,,।
राजू अपने दोनों हथेलियों को उसके पूरे बदन पर इधर से उधर घुमाने लगा रमा को मजा आ रहा था उसका मजा बढ़ता जा रहा था धीरे-धीरे राजू की हथेली उसके पेट के नीचे की तरफ जा रही थी और रमा अच्छी तरह से समझती थी इसलिए अपनी दोनों टांगों को आपस में सटाकर अपने लहसुन को छुपाने की कोशिश करने लगी लेकिन राजू कहां मानने वाला था,,,, राजू भी ताकत दिखाते हुए अपने हाथों से उसकी टांग को खोल कर अपनी हथेली को उसकी दहकती हुई बुर पर रख दिया,,,,और उसे मसलने लगा,,, रमा एकदम से तिलमिला उठी,,,, राजू का लंड पजामे के अंदर पूरी तरह से तन कर खड़ा हो गया था जो कि बार-बार उसकी गांड के बीचोबीच रगड़ खा रहा था,,,। मोटे तगड़े लंबे लंड की रगड अपनी गांड पर महसुय करते ही उसकी राही सही शर्म भी जाती रही इतना तो अच्छी तरह से समझ गई थी कि राजू का लंड उसके पति से बहुत ज्यादा दमदार था,,, इसलिए बहुत तुरंत अपना हाथ पीछे की तरफ ले जाकर उसके पजामे में अपना हाथ डाल दी और उसके खाली लंड को पकड़ ली,,, उत्तेजना के मारे राजु का लंड बहुत गर्म था,,, जिसकी वजह से रमा की हालत खराब होने लगी राजू अच्छी तरह से समझता था कि रामा को क्या चाहिए इसलिए तुरंत अपने पजामे को उतार कर फेंक दिया,,, और नंगा ही उसके पीछे सट गया,,,
अब राजू का लंबा लंड बड़े आराम से उसकी गांड के बीचोबीच रगड़ खा रहा था और रमा पानी पानी हुए जा रही थी,,,। राजू भी काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था क्योंकि उसके हाथों में नई नवेली शादीशुदा औरत जो हाथ लग गई थी जिसकी खूबसूरती है उसकी मादकता भरी खुशबू उसकी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा रही थी,,,। राजू धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करके खिला रहा था मानो कि जैसे उसकी चुदाई कर रहा है और इस हरकत की वजह से रमा मदहोश हुए जा रही थी अभी भी उसके हाथ में राजू का लंड था जिसे वो धीरे-धीरे मुठिया रही थी,,,,। राजू उसकी पूर्व पर अपनी हथेली रखकर उसकी गुलाबी पत्तियों को मसलते हुए अपनी बीच वाली उंगली को उसकी बुर के अंदर डाल दिया और जैसे उसकी उंगली बुर के अंदर प्रवेश के वैसे ही उसकी दर्द भरी कराह फूट पड़ी,,,।
आहहहहह,,,,,,, धीरे से दुख रहा है,,,
क्या भाभी उंगली से इतना दर्द कर रहा है तो मेरा लंड कैसे लोगी,,,
जो भी करना आराम से करना,,,,।
(और इतना सुनते ही राजू का जोश दोगुना हो गया और वह जल्दी-जल्दी अपनी ऊंगली को उसकी बुर के अंदर बाहर करने लगा,,,, रमा पानी पानी हुए जा रही थी,,,, और थोड़ी देर बाद राजू रमा के ठीक सामने घुटने के बल बैठ गया और उसकी एक टांग उठाते हुए उसे अपने कंधे पर रख दिया ऐसा करने पर रमा की बुर सीधे उसके मुंह पर आ गई उर्वशी भी निकाल कर उसकी गुलाबी बुर के मदन रस को चाटना शुरू कर दिया,, रमा की मदहोशी और उत्तेजना बढ़ने लगी उसके मुख से बड़े तेजी से सिसकारी की आवाज निकलने लगी,,,,।
ओहहहहह ,,,, राजू है क्या,,,आहहहहह,,,,आहहहहहह,,(रामा की उत्तेजना और मदहोशी बढ़ जाना जायस था क्योंकि उसके पति ने अब तक उसकी बुर को कभी चांटा नहीं था इसलिए राजू की इस हरकत पर वह पूरी तरह से मस्त हो गई मानो कि जैसे हवा में उड़ रही हो और राजू लगातार बार-बार अपनी जीभ को उसकी पुर की गहराई में अंदर बाहर करता हुआ उसकी मलाई को चाट रहा था,,,, बिना चोदे ही राजू ने उसे 2 बार झाड़ चुका था,,,
रामा एकदम काम विह्वल होते जा रही थी उसकी बुर में आग लगी हुई थी जल्द से जल्द उसकी बुर में लंड डालना जरूरी हो गया था,,,,।इसलिए राजू तुरंत खड़ा हुआ और एक बार उसके कंधों को पकड़कर उसे नीचे की तरफ बैठाने लगा क्योंकि जो क्रिया कुछ देर पहले वह कर रहा है वही किया हुआ चाहता था कि रमा भी करें,,,, लेकिन रमा उसका इरादा समझते ही थोड़ा आनाकानी कर रही थी,,,लेकिन राजू के समझाने पर वह मान गई और कुछ ही देर बाद बहुत बड़े मजे लेकर लॉलीपॉप की तरह राजू के लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी,,,,कमल चाचा की बहू कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह इस तरह से आनंद ले पाएगी और वह भी खुलकर अपने घर के आंगन में जो कि आसमान पूरी तरह से खुला हुआ था और केवल दीवाल से घिरा हुआ आंगन और दरवाजा लगा हुआ था और दरवाजा बंद था इस तरह से खुले में वह कभी मजा नहीं ली थी इसलिए उसका मजा और दुगुना होता जा रहा था,,,।
नई नवेली दुल्हन के गुलाबी होठों के बीच अपना लंड पाकर राजू अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव करते हुए डर रहा था कि कहीं उसका पानी में निकल जाए इसलिए वह तुरंत अपने लंड को बाहर निकाला,,, और रमा को उसका कंधा पकड़ कर उठाने लगा,,,,।
कहां पर करोगे,,,
यही खटिया पर,,,
माजी आ गई तो,,,
आ गई तो क्या हुआ दरवाजा तो बंद है दरवाजा खुलने से पहले कपड़े पहन लेना,,,
ठीक है जल्दी करना,,,
तुम चिंता मत करो भाभी,,,
(राजू की बात सुनते हीउतावलापन दिखाते हुए खटिया पर पीठ के बल लेट गई और अपनी दोनों टांगों को फैला दी,,, उसका सहयोग देखकर राजू बोला,,,)
यह हुई ना बात,,,(इतना कहने के साथ ही बाहर खटिया पर चढ़कर रमा की दोनों टांगों के बीच में जगह बना कर नीचे अपना दोनों हाथ ले जाकर उसकी गांड को पकड़ लिया और उसे अपनी तरफ खींच कर अपने लिए व्यवस्था करने लगा और अगले ही पल अपने लंड के मोटे सुपाड़े को उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रखकर हल्का सा धक्का लगाया बुर पहले से ही मिली थी इसलिए चिकनाहट पाकर,,, मोटा सुखाड़ा अंदर की तरफ सरकने की कोशिश करने लगा,,, लेकिन सुपाड़ा मोटा था और अब तक रमा अपने पति के पतले लंड से चुदते आ रही थी इस बार उसका किसी असली मर्द से पाला पड़ा था इसलिए उसके चेहरे पर दर्द के भाव नजर आने लगे,,, राजू संभोग क्रिया का पक्का खिलाड़ी बन चुका था इसलिए वो धीरे धीरे कोशिश करते हुए आगे बढ़ने लगा और आखिरकार कामयाबी पाते हुए रामा की गुलाबी बुर के छेद में अपना मोटा सुपाड़ा प्रवेश करा ही दिया,,,, रमा के मुंह से दर्द भरी कराह टूट पड़ी,,,।
आहहहहहह,,,,,
बस बस भाभी हो गया,,,(और इतना कहने के साथ ही धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर की तरफ सरकाना शुरू कर दिया,,,, इसके बाद तो देखते ही देखते राजू का लंड रामा की बुर के अंदरूनी सारी अड़चनों को दूर करता हुआ आगे बढ़ता चला गया राजू का लंड ईतना मोटा था कि धमाकों अपनी बुर की अंदर की दीवारों पर उसकी रगड़ साफ महसूस हो रही थी जिसकी वजह से उसका आनंद बढ़ता जा रहा था,,,
और इस बार राजू अपना सारा अनुभव काम में लगा था वह एक करारा झटका मारा और इस बार उसका नंबर पूरी तरह से विजई पताका लेना था वह उसकी बुर की गहराई में गड गया,,,,,, इस बार राजू का लंड रमा के बच्चेदानी को छू गया था ईसलिए रमा के तन बदन में उत्तेजना कि वह फुहार उठने लगी जैसा कि उसने अभी तक अनुभव भी नहीं की थी,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,,राजू को समझते देर नहीं लगी कि जब सब कुछ हाथ में है इसलिए वह अब हल्के हल्के धक्के लगा कर रमा की चुदाई करना शुरू कर दिया था,,,।
ओहहहह भाभी अब कैसा लग रहा है ,,, ( अपने दोनों हाथों से उसकी कमर को थाम कर उसकी चुदाई करता हुआ बोला,,,)
ओहहहहह मेरे प्यारे देवर बहुत मजा आ रहा है बहुत अच्छा लग रहा है,,,,
ओहहहह भाभी तुम्हारी खुशी में तो मेरी खुशी है भाभी,,, देखना अब यह देवर तुम्हारी कैसी सेवा करता है,,,(और इतना कहने के साथ ही अपना दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर उसकी चुचियों को थाम लिया और जोर जोर से धक्का लगाना शुरू कर दिया,,, फच फच की आवाज से पूरा आंगन गूंज रहा था,,, लेकिन उस आवाज को इस खडई दुपहरी में सुनने वाला कोई नहीं था,,,,,, चरर,,,मरर की आवाज खटिया भी करने लगी थी,,,।रामा को डर लग रहा था कि कहीं राजू के तेज झटकों की वजह से खटिया टूट ना जाए इसलिए उसे आराम से करने के लिए बोल रही थी लेकिन राजू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि आराम से करने में मजा नहीं आता तेजी से ही धक्के लगाने में मजा आता है,,,,और आज उसको भी स्वर्ग का सुख मिल रहा था क्योंकि उसका पति कभी भी तेज रखो के साथ इस की चुदाई कर नहीं पाता था तुरंत ही झड़ जाता था लेकिन राजू बिना झड़े उसकी दो बार पानी निकाल चुका था और तीसरी बार की तैयारी में लगा हुआ था,,,।
स्तन मर्दन की वजह से उसकी दोनों चूचियां टमाटर की तरह लाल हो गई थी,,, उसकी सांसे गहरी चल रही थी,,, राजू के तेज धक्के उसे आनंद की परिभाषा समझा रहे थे,,,, और देखते ही देखते रमा की सांसे तेज चलने लगी उसके बदन की अकड़न बढ़ने लगी राजू को समझते देर नहीं लगी कि उसका पानी निकलने वाला है इसलिए वह तुरंत अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ ले जाकर उसे अपनी बाहों में कस लिया और जोर जोर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए,,,,।
राजू उसकी चुचियों पर सर रखकर जोर जोर से हांफ रहा था,,,, मदहोशी के आलम में रमा अपने आंखों को बंद करके इस एहसास में पूरी तरह से डूब जाना चाहती थी,,, इस तरह का आनंद उसे कभी नहीं आया था,,,, थोड़ी देर बाद राजू उसके ऊपर से उठा और खटिया से नीचे उतर कर अपने कपड़े पहने लगा रमा अभी भी खटिया पर नंगी लेटी हुई थी,,,।
क्या भाभी नंगी ही रहना है क्या उठकर कपड़े पहन लो कमला चाची कभी भी आ जाएंगी,,,।
( इतना सुनते हैं जैसे वह होश में आई हो तीन खटिया पर से उठ कर अपना ब्लाउज जमीन पर से उठाकर उसे पहनने लगी और देखते ही देखते अपने सारे कपड़े पहन कर एकदम व्यवस्थित हो गई,,,)
कैसा लगा भाभी,,,
(इतना सुनते ही रमा शर्मा गई और तुरंत शर्मा कर अंदर कमरे की तरफ भाग गई और राजू खुश था कि आज उसके हाथ एक और खूबसूरत औरत लग गई थी,,, राजू भी वहां से चलता बना,,,)