आहहहहह,,,, रमा तृप्त हो चुकी थी,,,,,, उसे इस बात की संतुष्टि और खुशी थी की,, राजू जैसा जवान लड़का,,, उसके खूबसूरत जवानी के रस को अपने हाथों से मैं छोड़ कर उसे संतुष्ट कर दिया और इस बात का दुख भी था कि उसका पति राजू के जैसा गठीला बदन वाला क्यों नहीं है और उसमें राजू की तरह मर्दाना ताकत क्यों नहीं है,,,,,, निश्चित रूप से रमा को इस बात का अफसोस था कि उसके पति का लंड राजू के लंड की तरहमोटा तगड़ा और लंबा क्यों नहीं है , जिसमें उसे पहली बार संभोग के असली सुख से वाकिफ कराया,,,,,,,।
Shyam ki ma
अनजाने में ही रमा राजू के द्वारा अपनी सास की चुदाई देखी थी और इस तरह से राजू ताबड़तोड़ धक्के लगा रहा था उसी समय उसकी मर्दाना ताकत से वह पूरी तरह से वाकिफ हो चुकी थी बस उसे महसूस करना बाकी था और हम अपनी आंखों से साफ तौर पर देखी थी कि जब-जब राजू जोर-जोर से अपने लंड को उसके साथ की बुर में पेल रहा था और वह भी पीछे से खड़ा होकर तब तक उसके साथ की भारी-भरकम गांड नदी के पानी की तरह लहरा उठती थी,,, और बस उसी अनुभव के लिए उस पल को महसूस करने के लिए रमा पूरी तरह से तड़प उठी थी,,,,।
लेकिन इतने आराम से राजू के मर्दाना ताकत को अपने अंदर महसूस करने को उसे मिल जाएगा इस बारे में उसने कभी सोचे नहीं थी उसे लगा था कि राजू को वह उसके सास के साथ के शारीरिक संबंध के संदर्भ में राजू के साथ खुद संभोग सुख प्राप्त करेगी लेकिन यह सब करने की भी जरूरत नहीं पड़ी थी बस हल्का सा अपनी जवानी का जलवा दिखाई और सब कुछ अपने आप ही हो गया,,,,,।
Shyam ki ma kapde utarne k bad
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राजू की जिंदगी में रोज एक चांद जुडता जा रहा था,,, तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी जिंदगी में इतनी सारी औरतें आएंगी और अभी एक से बढ़कर एकवह पहले ही सोचता था कि उसे यह सुनहरा मौका शादी के बाद अपनी बीवी के साथ ही मिल पाएगा और इसके लिए उसे सब्र भी था लेकिन जो सिलसिला शुरू हुआ तो वह अब भी जारी था,,,।
श्याम अपनी मां के साथ खाना खा रहा था,,, घर पर उन दोनों के सिवा और कोई नहीं था क्योंकि झुमरी घर पर नहीं थी खाना खाते हुए श्याम अपनी मां से बोला,,।
क्यों मा मौका बहुत अच्छा है,,, बस तुम्हारे साड़ी उठाने की देरी है,,,
चल चुपचाप खाना खा,,,, बडा आया है साड़ी उठवाने वाला,,,, तेरी जल्दबाजी में किसी दिन हम दोनों पकड़े जाएंगे,,,।
ऐसा क्यों कह रही हो मां,,,(अपना हाथ बढ़ा कर ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मां की चूची दबाते हुए बोला,,,)
आहहहह,,,हट ,,,रहने दे,,,,,,, देखा नहीं उस दिन तेरा दोस्त कैसे खेत पर आ गया था अच्छा हुआ कि उसने देखा नहीं वरना उसी दिन हम दोनों पकड़े जाते ,,,, और मुझे तो डर था कि कहीं अपना मुंह चुप रखने के एवज में वो भी मेरी चुदाई ना कर देता,,,,,,
क्या मां तुम भी खामखा डरती हो,,,, ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला,,,
Shyam apni ma ko is haalat me dekhkar mast ho gaya tha
नहीं नहीं मैं कहती हूं अगर हो गया होता तो क्या करता,,,(अपनी मां की बात सुनकर श्याम खामोश रहा क्योंकि वह जानता था कि रंगे हाथ पकड़े जाने पर वह भी कुछ नहीं कर सकता था उसकी मां अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) अगर सोच वह हम दोनों को चुदाई करते हैं देख लिया होता और हम दोनों के रिश्ते के बारे में तुम्हें जानता ही है ऐसा गंदा काम वह अपनी आंखों से देख लिया होता तो,,, जाहिर है कि ,,, तुझे चुदाई करता हुआ देखकर उसका भी मन बहकना लगता अगर ऐसे में वह अपना मुंह बंद करने के लिए यह कहता की ,,, जो कुछ भी अपनी आंखों से देखा है वह किसी को भी नहीं कहेगा बदले में मेरी चुदाई करना चाहता तब तू क्या कहता इंकार कर देता,,,,(श्याम अभी भी चुप था) नहीं कर पाता,,,, इसीलिए कहती हूं सोच समझकर किया कर,,,, कहीं भी शुरू पड़ जाता है।।
तुम तो ऐसै कह रही हो मां,,, कि जैसे तुम्हारा मन बिल्कुल भी नहीं था,,, आखिर खेतों में हम दोनों ने कितनी बार चुदाई किया है कभी पकड़े गए क्या,,, और तुम्हारा भी तो मन बहुत करता रहता है,,,। तुम नहीं कहती रहती हो अाज मेरी बुर में बहुत खुजली हो रही है,,,यह खुजली मिटा दे,,,
(अपने बेटे की मुंह से यह सुनकर वह एकदम से शर्म आ गई और बोली,,,)
अच्छा यह बात है ना,,, कोई बात नहीं अब मैं बिल्कुल भी नहीं कहूंगी की मेरी बुर में खुजली हो रही तब हीलाते रहना अपने हाथ से,,,,(श्याम की मां गुस्सा करते हुए दूसरी तरफ मुंह करके बैठ गई या देखकर श्याम एकदम से घबरा गया क्योंकि वह अपनी मां की चुदाई करते हुए अपनी गर्मी शांत करता था और से अच्छा भी लगता था अगर उसकी मां उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं रखेगी तो उसे अपने हाथ से ही हीलाना पड़ेगा,,, आए र इसके सिवा उसके पास कोई दूसरा जुगाड़ नहीं था,,, इसलिए वह अपनी मां को मनाते हुए बोला,,,)
क्या मां तुम भी नाराज हो गई,,,, तुम तो जानती हो तुम्हारे बिना मेरा मन कही नहीं लगता,,,,,, और इस तरह से नाराज हो जाओगी तब तो मैं मर ही जाऊंगा,,,,
तो जा कर मर जा,,, मुझे क्या इस तरह से इल्जाम लगाते हुए तुझे शर्म नहीं आती,,,
क्या मां जो कुछ भी कहा सच तो था,,, क्या तुम्हें मजा नहीं आता,,, अपने बेटे से चुदवाने में,,,(श्याम की मां कुछ बोल नहीं रही थी बस मुंह फुला कर बैठी थी,,, श्याम अपनी मां को मनाने की लाख कोशिश कर रहा था,,,,, श्याम की मां अपने बेटे से नाराज नहीं होना चाहती थी लेकिन उसकी बात से उसे गुस्सा आ गया था,,,,,यह बात उसे भी अच्छी तरह से मालूम था कि अपने बेटे के साथ चुदवाने में उसे भी बहुत मजा आता है और यह सिलसिला एक बार शुरू हुआ तो अब तक जारी था,,, श्याम के पिताजी तीन चार साल पहले ही गुजर गए थे,,, श्याम की मां खेतों में काम कर कर के अपने बदन की बनावट और गठीलेपन को बरकरार रखे हुए थी,,,अभी भी श्याम की मां जवान थी इसलिए उसकी दोनों टांगों के बीच गर्मी महसूस होना लाजमी था,,, संभोग सुख की तृष्णा से वह पूरी तरह से ग्रस्त हो चुकी थी पति के ना होने पर उसकी यह प्यास बढ़ती जा रही थी उसे अपनी बुर में लंड लेने की प्यास कुछ ज्यादा ही तड़प दिखा रही थी और ऐसे ही एक दिन दोपहर में अपनी प्यास को अपने हाथ से ही बुझाने की कोशिश करते हुए खेतों में से एक मोटा तगड़ा बैंगन लेकर आई,,, उस समय घर पर कोई नहीं था और उसकी बुर में पूरी तरह से मस्ती छाई हुई थी चींटियां रेंग रही थी जल्द से जल्द में अपनी खुजली को मिटाना चाहती थी इसलिए जल्दबाजी में दरवाजा बंद करना भूल गई और कमरे में आकर अपने सारे वस्त्र निकालकर एकदम नंगी हो गई और बैगन के आगे ढेर सारा सरसों का तेल लगा कर उसे अपनी दोनों टांगे फैलाकर अपनी गुलाबी छेद में डालने की कोशिश करने लगी और उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकलने लगी,,,, और उसी समय खेल कर श्याम अपने घर पर आ गया दरवाजा तो पहले से ही खड़ा था इसलिए बिना कुछ बोले अंदर कमरे में प्रवेश कर गया और अंदर का नजारा देखते ही उसके होश उड़ गए उसकी आंखों के सामने उसकी मां एकदम नंगी नीचे चटाई बिछाकर,,,,,अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी बुर में बैगन डालने की कोशिश कर रही थी,, यह देखते हैं शयाम को तो होश उड़ गए,,, साथ मे श्याम की मां भी एकदम हड़बड़ा गई,,वह अपने आप को छुपाने की भरपूर कोशिश करने लगी लेकिन आप उसके लिए कोशिश नाकाम हो चुकी थी उसकी हरकत उसके बेटे की आंखों में वासना की चमक को जगा गई थी वह अपनी मां के नंगे बदन को देखकर पूरी तरह से मस्त हो गया था जिंदगी में पहली बार किसी औरत को एकदम नंगी देख रहा था और वह भी खुद की अपनी मां को,,,वह प्यासी नजरों से अपनी मां की चूचियों को देख रहा था उसकी दोनों टांगों के बीच के मुस्कुरा भी छेद को देख रहा था जिसमें वह अभी भी उस बैगन को लगाए हुए थी,,,,,,,, उस समय शयाम की मां कुछ बोल नहीं पाई,,, दोनों की अपनी-अपनी जरूरत थी दोनों तरफ खामोशी छाई हुई थी,,,, पल भर में ही श्याम की मां ने निर्णय ले ली की अब वह अपनी प्यास अपने बेटे से बुझाएगी इसलिए अपने बदन के अंगों को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही थी,,,। श्याम की मां मुस्कुराने लगी अपनी मां की तरफ आकर्षित होता चला गया और उस दिन वह,,, दोनों अपने पवित्र रिश्ता को तोड़ कर एक दूसरे में समा गए और तब से यह सिलसिला आज तक जारी था,,, श्याम की मा भी अच्छी तरह से जानती थी कि शाम के बिना उसे भी अच्छा लगने वाला नहीं है,,, लेकिन फिर भी झूठ मुठ का गुस्सा दिखा रही थी,,, श्याम अपनी मां को समझाते हुए बोला,,,)
चलो अच्छा ठीक है तुम्हें देखकर मेरा ही लंड खड़ा हो जाता है बस,,,, अब तो खुश,,,।
(अपने बेटे की बात सुनते ही शयाम कि मा मुस्कुराने लगी,,, और बोलो,,,)
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दरवाजा बंद कर दे,,, अब कोई गलती नहीं,,,।
(इतना सुनते ही श्याम जल्दी से उठा और दरवाजा बंद कर दिया और तब उसकी मां कोने में खड़ी होकर अपनी साड़ी कमर तक उठा दी और उसकी बड़ी-बड़ी गांड देखकर श्याम का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया और वह तुरंत अपनी मां के पीछे आ गया और अपने पजामे को उतारकर अपना लंड,, पीछे से अपनी मां की बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया,,,, श्याम के पास सर्वप्रथम यही जरिया था अपनी मर्दानगी दिखाने का,,, और इसी के चलते ही वह राजू का मजाक उड़ाया करता था क्योंकि राजू बहुत शर्मिंदा लड़का था और श्याम चुदाई का अनुभव अपनी मां से ले चुका था,,, इसलिए औरतों के मामले में,,अपने दोस्तों में राजू में वह अपना हाथ ऊपर रखना चाहता था भले ही वह अपनी मां के साथ ही चुदाई करता था लेकिन फिर भी उसके अंदर चुदाई के मामले में आत्मविश्वास था,,,, श्याम को अभी भी ऐसा ही लगता था कि सिर्फ उसके हमउम्र लड़कों में वही चुदाई का सुख भोग रहा है,,,, बाकी सब अपने हाथ से काम चला रहे हैं जिसमें उसे लगता था कि , राजू भी वैसा ही होगा लेकिन वह कहां जानता था कि राजू उससे चार कदम आगे था,, अपनी मां की चुदाई करते हुए श्याम अपने मन में यही सोच रहा था कि जो कुछ भी उसकी मां बोल रही थी उसमें सच्चाई थी अगर वाकई में राजू उन दोनों को उस हाल में देख लिया होता तो शायद अपना मुंह बंद करने के एवज में वह भी वही चीज मांगता है जो वह कर रहा था अगर ऐसा हो जाता तो राजू पूरी तरह से उसकी मां पर छा जाता,,, क्योंकि राजू के लंड से श्याम अच्छी तरह से वाकिफ हो चुका था और जिस तरह का प्यासा पन उसकी मा में था,,,शयाम को पक्का यकीन था कि उसकी मराजो की दीवानी हो जाती और उसका पत्ता साफ हो जाता,,, यही सोचकर वह घबरा गया था लेकिन इस समय अपनी मां की बुर की गर्मी को शांत करने में लगा था,,,,)
दूसरी तरफ झुमरी नदी के किनारे मटकी लेकर पानी भरने गई थी वह कपड़े धोने भी गई थी वह कपड़े धो रही थी उसका पूरा दिन कपड़े धोने में लगा हुआ था और धीरे-धीरे उसकी मटकी नदी के पानी में आगे बढ़ रही थी,,, राजू भी किस्मत से वही अपनी गाय और बकरियों को पानी पिला रहा था तभी उसकी नजर झुमरी पर पड़ी तो उसकी आंखों में चमक आ गई और वह तुरंत उसके पास पहुंच गया,,, झुमरी कपड़े धोने में पूरी तरह से लीन हो चुकी थी,,, और राजू उसके पास पहुंचकर बोला,,,।
झुमरी तुम यहां क्या कर रही हो,,,
अब लगता है कि दिखाई भी नहीं दे रहा है,,, जैसा उस दिन बिना बोले कमरे में घुस आए थे,,,,।
देखो झुमरी उस दिन के लिए मैं तुमसे हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं,,, उस दिन जो कुछ भी हुआ था अनजाने में हुआ था मुझे नहीं मालूम था कि तुम नहा रही हो,,,,
Jhumri kapde utarkar nangi hone k bad
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लेकिन बाहर खड़े होकर बोलना तो चाहिए था घर में कोई है कि नहीं तुम तो बिना कुछ बोले ही अंदर आ गए,,, ( झुमरी कपड़े धोते हुए बोली,,, राजू भी उसके पास बैठ गया और कपड़ों को वह भी बात बात में धोने लगा,,,, ठुमरी यह देखकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,, राजू का इस तरह से उसके पास बैठकर कपड़ों को धोना अच्छा लग रहा था,,,)
मुझे क्या मालूम था मुझे लगा कि श्याम अंदर ही होगा इसलिए बिना बोले आ गया था,,,
चलो कोई बात नहीं लेकिन आइंदा से आना तो दरवाजा खटखटा कर ही आना,,,,
आइंदा से ऐसा ही करूंगा,,,,
(दोनों के बीच फिर से खामोशी छा गई झुमरी कपड़े धोने में लगी हुई थी और राजू चोर नजरों से उसकी खूबसूरती का रस पी रहा था झुमरी उसे अच्छी लगने लगी थी,,, नदी पर इस समय कोई भी नहीं था क्योंकि दोपहर का समय था और चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था शीतल हवा बह रही थी,,, और ऐसे में नदी के किनारे बड़े-बड़े पत्थरों पर बैठकर कपड़े धोने का मजा ही कुछ और था यह एहसास राजू को पहली बार हो रहा था,,,, चुप्पी तोड़ते हुए राजू बोला,,,)
बुरा ना मानो तो एक बात कहूं,,,
कहो,,,,
तुम,,,, तुम मतलब की,,,,
अरे तुम तो नहीं कहते रहोगे कि कुछ बोलोगे भी,,,,
मेरा मतलब है कि ,,, तुम हमेशा अपने सारे कपड़े उतार कर नहाती हो,,,
Jhumri k dashahari aam
हां तो क्या हुआ,,,, मैं हमेशा से ही अपने सारे कपड़े उतार कर नहाती हु,(झुमरी एकदम बेझिझक होकर बोली,,, क्योंकि उसका स्वभाव ही यही था वह किसी चीज से शर्म नहीं करती थी जो मन में आता था वह बोल देती थी लेकिन ऐसा नहीं था उसका स्वभाव इस तरह का था तो उसका चरित्र भी इस तरह का हो,,,,,,आज तक उसने अपने चरित्र पर दाग नहीं लगने दी थी ना ही किसी को अपने बदन को स्पर्श करने दी थी,,,,,, क्योंकि कुछ महीने पहले ही जब वह खेतों में पानी दे रही थी तो अंधेरा हो गया था उसने गांव के दो मनचले लड़केमौके का फायदा उठाने की पूरी कोशिश किए थे तो उनका पूरी तरह से विरोध करते हुए झुमरी घास काटने वाली हसीया से उन दोनों पर वार कि थी और वह दोनों जान बचाकर भागे थे,,,,,,, झुमरी का इस तरह से बेझिझक होकर बोलना राजू के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रहे थे,,,,)
तुम्हें चाची कुछ नहीं कहती की कपड़े पहन कर क्यों नहीं नहाती कोई देख लेगा तो,,,, श्याम ही कभी मेरी जगह आ जाता तो,,,
मुझे कोई नहीं कहता और हां मेरा भाई तो बिल्कुल नहीं आ सकता क्योंकि मैं उसे चेतावनी दे चुकी हूं कि अगर ऐसा कभी हुआ तो मैं उसकी जान ले लूंगी और मेरे गुस्से से वह अच्छी तरह से वाकिफ है,,,,।
लेकिन फिर भी तो दरवाजा बंद करके नहाना चाहिए था,,,
अरे मुझे पता था कि मां और भाई दोनों खेत पर गए हैं तो कोई आने वाला नहीं था,,, मुझे क्या मालूम था कि तुम आज आओगे,,,।
मैं तो अनजाने में आ गया था कोई जानबूझकर नहीं आया था,,,
हां मैं जानती हूं लेकिन चले जाना चाहिए था ना,,, तू तो बस देखता ही रह गया,,,(कपड़े धोते हुए राजू की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए बोली उसकी मुस्कुराहट में राजू का अपनापन लग रहा था इसलिए वह भी जवाब देते हुए बोला)
क्या करूं मुझे तो कुछ समझ में नहीं आया,,,
क्यों समझ में नहीं आया,,,,,,
नजारा ही कुछ ऐसा था,,, मैं तो बस देखता ही रह गया,,,(राजू आप अपने दिल की बात बताने की ठान लिया था)
क्यों कभी देखा नहीं था क्या,,,
मां कसम पहले कभी भी मैंने इस तरह का दृश्य नहीं देखा था,,,,(राजू की बातें सुनकर कपड़े धोते हुए भी झुमरी मन ही मन खुश होने लगी) पहली बार में किसी लड़की को एकदम नंगी देखा था,,,,(राजू नंगी शब्द पर ज्यादा जोर देते हुए बोला और इस शब्द का असर झुमरी पर भी हो रहा था वह मंद मंद मुस्कुरा रहे थे उसको मुस्कुराता हुआ देखकर राजू की हीम्मत बढ़ने लगी थी,,,)
देख कर चले जाना चाहिए था ना वहां रुका क्यों रह गया था,,,।
भला कोई जवान लड़का जवान लड़की को एकदम नंगी और वह भी एक दम नहाती हुई देख ले तो क्या वहां चला जाएगा बिल्कुल भी नहीं जाएगा उसकी तो सुध बुध सब खो जाएगी,,, एक जवान खूबसूरत लड़की को नंगी देख कर बिना पिए ही 4 बोतलों का नशा हो जाएगा,,,, कसम से मेरा तो दिमाग काम करना ही बंद कर दिया था,,,
क्यों,,,?
क्योंकि पहले भी मैं तुम्हें देख चुका हूं लेकिन कपड़ों में पहली बार मैंने बिना कपड़ों के देखा तो मुझे पता चला कि तुम कितनी खूबसूरत हो,,,(अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर जो मेरे मन ही मन और ज्यादा प्रसन्न होने लगी,,,, झुमरी से इस तरह की बात करके राजू के भी तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,,,,)
चल झूठा,,,
नहीं नहीं सच कह रहा हूं जल्दी तुम बहुत खूबसूरत हो उस दिन पहली बार मुझे एहसास हुआ जब तुम्हें पूरी तरह से नंगी नहाते हुए देखा,,,(इस तरह की बातें राजू को करते हुए झुमरी रोक देना चाहती थी लेकिन उसकी बातों में उसकी खूबसूरती की तारीफ की थी इसलिए वहां उसे रोक नहीं पा रही थी और राजू की हिम्मत इसलिए बढ़ती जा रही थी और वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) सच कहूं तो तुम्हारी पहली बार में किसी खूबसूरत लड़की की गांड को देखा था नहीं तो गांड के बारे में मैंने कभी कल्पना भी नहीं किया था कि बिना कपड़ों के गांड इतनी खूबसूरत दिखती है,,, तुम्हारी खूबसूरत खरबूजे जैसी गोल गोल गांड देखकर मेरी हालत खराब हो गई,,,।
(अपनी कांड की तुलना खरबूजे से होते ही उसकी हंसी छूट गई और वह हंसते-हंसते बोली)
किसके जैसी,,,
खरबूजे जैसी,,,
खरबूजे जैसी,,,,( और इतना कहकर जोर जोर से हंसने लगी,,,हंसते हुए चोरी और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी लेकिन हंसने का कारण राजु को पता नहीं चल रहा था कि वह हंस क्यों रही है इसलिए राजू बोला,,,)
तुम हंस क्यों रही हो,,,,
हंसो नहीं तो और क्या करूं कोई उसकी तुलना खरबूजे से करता है क्या,,,।
मुझे खरबूजा सबसे ज्यादा अच्छा लगता है इसलिए तो खरबूजे की तरह बोला,,,,।
क्या तुझे सच में मेरी खरबूजे जैसी लगी,,,,,,
हां सच में,,,,
पागल है तू,,,
तुम हो ही इतनी खूबसूरत पागल तो हो ही जाऊंगा,,,,,
चल कोई बात नहीं लेकिन इतना देखने के बाद भी तू चला क्यों नहीं गया,,, चले जाना चाहिए था ना,,,
जाने वाला ही था,, लेकिन तभी तुम मेरी तरफ घूम गई और फिर जो नजर आया उसे देखकर मेरी सांसे बंद हो गई,,,।
(इस बार राजू के कहने का मतलब को जोड़ी अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए उसके चेहरे पर शर्म की लाली मचाने लगी किन फिर भी वह राजू से और ज्यादा सुनना चाहती थी उसकी खूबसूरती की तारीफ सुनना चाहती थी इसलिए वह बोली,,,)
क्या नजर आया,,,?(झुमरी उत्सुकता दिखाते हुए बोली,, राजू को लगने लगा था कि झुमरी भी बहुत जल्दी उसकी बाहों में आने वाली है,,,, इसलिए वह बोला,,)
तुम्हारी खूबसूरत छाती,,,, तुम्हारी छातियों की शोभा बढ़ाती दोनों दशहरी आम,,,,ऊफफफ,,, मेरे तो मुंह में पानी आने लगा था,,,,
दशहरी आम,,,,(इतना कहकर झुमरी फिर से हंसने लगी,,, उसे फिर से हंसता हुआ देखकर राजू बोला,,)
अब क्यों हंस रही हो,
हंसु नहीं तो और क्या करूं,,,,दशहरी आम,,,, तुझे दशहरी आम भी पसंद है,,,,।
कोई खास नहीं लेकिन,,, तुम्हारी छातियों को देखकर मुझे दशहरी आम याद आ गया और सच कहूं तो पल भर में ही मुझे दशहरी आम भी सबसे प्रिय लगने लगा,,,,।
लेकिन दशहरी तो बड़े बड़े होते हैं लंबे लंबे,,,, और मेरे तो,,,(इतना कहकर झुमरी रुक गई,,,)
हां मैं जानता हूं,,,दशहरी आम बड़े बड़े होते हैं तुम्हारे छोटे छोटे हैं लेकिन जब बड़े होंगे तो एकदम दशहरी आम की तरह और भी ज्यादा खूबसूरत और रसीले हो जाएंगे,,,।
(इस बार अपनी चूचियों की तारीफ सुनकर झुमरी शर्म से पानी पानी हो गई राजू के कहे अनुसार अभी सच में उसकी सूचना दशहरी आम की तरह बड़ी-बड़ी नहीं थी लेकिन फिर भी बेहद आ कर सकते इतना तो अच्छी तरह से जानती थी शर्म के मारे झुमरी इससे ज्यादा नहीं बोल पाई तो राजू खुद ही उसकी तारीफ के पुल बांधते हुए बोला,,)
और जब मेरी नजर तुम्हारी चिकनी कमर के नीचे नाभि के सीधे नीचे की तरफ गई तो मेरे तो होश उड़ गए,,,,,,,
क्यों,,? (उत्तेजना के मारे झुमरी कांपते स्वर में बोली)
नाभि के नीचे ही तो असली खजाना दोनों टांगों के बीच,,, तुम्हारी वह पतली दरार,,,, लहसुन की कली कि तरह लग रही थी,,,।
(राजू की बातों को सुनकर झुमरी अपने अंदर उत्तेजना का अनुभव करने लगी इस तरह की बातें उसी से आज तक किसी ने भी नहीं की थी इसलिए इस तरह की मादक बातें उसके तन बदन में आग लगा रही थी,,,, उसे लगने लगा कि वह बहुत रही है इसलिए राजू को तुरंत रोकते हुए बोली,,)
बस कर अब बहुत हो रहा है,,,(तभी वह अपनी नजर नदी की तरफ घुमाई तो उसकी मटकी दूसरे किनारे पर जा पहुंची थी,,, और वह एकदम से बड़बड़ाते हुए बोली,,,)
हाय दैया मेरी मटकी तो वह जा लगी,,,, अब क्या होगा मां तो मुझे मार ही डालेगी,,,,(झुमरी एकदम घबराते हुए बोली और उसको इस तरह से घबराता हुआ देखकर राजु उसे समझाते हुए बोला,,,)
अरे अरे तुम चिंता मत करो मैं लेकर आता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही वो अपना कुर्ता निकाल कर वहीं पास में रख दिया उसके गोरा और गठीला बदन देखकर झुमरी के बदन में अजीब सी हलचल होने लगी वो शरमा कर दूसरी तरफ नजर घुमा ली औरराजू तुरंत नदी में छलांग लगा दी और तैरता हुआ दूसरे किनारे पर पहुंच गए और वहां से मटकी लेकर आ गया,,, और झुमरी को मटकी थमाते हुए बोला,,,।)
जब तक मैं हूं तब तक तुम्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है,,,,
(राजू की यह बात सुनकर की झुमरी मुस्कुराने लगी और तभी उसकी नजर सामने की तरफ गई तो वह हंसते हुए बोली,,,)
जाओ संभालो तुम्हारी बकरी और गाय वह देखो दूसरे के खेतों में जा रही है,,,।
(इतना सुनते ही राजू एकदम से चिल्लाता हुआ और भागता हुआ बोला,,)
अरे बाप रे,,,, अरे रुक जा बस वहीं रुक जा आगे मत बढ़ना,,,(ऐसा कहते हुए राजू भागता हुआ गाय और बकरी के पीछे जाने लगा और उसका चिल्लाना और उसका भागना देखकर झुमरी जोर-जोर से हंसने लगी और नदी का पानी मटकी में भरकर वहां से वापस घर को लौट गई,,, झुमरी और राजू के प्रेम प्रकरण की शुरुआत हो चुकी थी,,।)
Jhumari ki madmast chaal