bantoo
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Nice updateधीरे-धीरे राजू झुमरी के प्यार में पागल हो गया था,,, उसे हर जगह सोते जागते उठते बैठते सिर्फ झुमरी ही नजर आती थी,,, झुमरी से वह सच्चा वाला प्यार करने लगा था,,,,,, उसके साथ किसी भी तरह से बना वक्त बिताना चाहता था लेकिन मौका ही नहीं मिलता था,,,। लेकिन रात को अपनी बुआ की रोज चुदाई करता था,,,,और बुआ भी दिन भर की थकान राजू के मोटे लंड को अपनी बुर में लेकर मिटा देती थी,,,,,,,,,,, लेकिन गुलाबी का मन अपने बड़े भैया से भी चुदवाने का करता था क्योंकि उसे भी अपनी बुर में कुछ अलग अलग अनुभव चाहिए था,,,, रोज रोज एक ही लंड बुर में डलवाकर उसे कुछ नयापन महसूस नहीं हो पा रहा था और वैसे भी,,, अपने बड़े भैया के लंड को अपनी बुर में बड़े आराम से ले सकती थी,,,,,,क्योंकि उसके बड़े भैया और गुलाबी दोनों के बीच में किसी भी प्रकार की चीजें नहीं थी एक बार शारीरिक संबंध बनाने के बाद गुलाबी अपने बड़े भैया से पूरी तरह से खुल चुकी थी लेकिन बड़ा भाई होने के नाते हरिया को अपनी गलती पर पछतावा होता था उसे अपने आप पर बुलाने महसूस होती थी,,,, इसलिए वह अपनी छोटी बहन से कतराता रहता था,,,। लेकिन स्वाद तो गुलाबी की गुलाबी बुर का उसे भी लग गया था,,,,।
Madhu,,,,
this heart coeli lyrics
ऐसे ही एक दिन शाम ढल चुकी थी अंधेरा हो चुका था और,,, मधु चूल्हे के आगे बैठकर रोटियां सेक रही थी ,,,,,, गर्मी का महीना होने की वजह से मधु का तन बदन पसीने से तरबतर हो चुका था पसीने से उसका ब्लाउज पूरी तरह से भीग चुका था,,,,,,,, तभी गुलाबी अपनी भाभी की मदद करने के लिए उधर आई और बोली,,।
लाओ भाभी गर्मी बहुत है मै रोटियां बेल देती हूं,,,,,,(इतना कहते हुए गुलाबी वहां बैठने ही वाली थी कि अभी उसकी भाभी बोली,,,)
नहीं नहीं मैं कर लूंगी तू जा कर देख तेरे भैया अभी तक आए कि नहीं,,,, और हां आए हो तो एक बाल्टी पानी लेकर चली जाना बेल को पानी देना है,,,।
Gulabi ki khubsurat gaand
ठीक है भाभी,,,,(इतना कहकर वह उठ खड़ी हुई जाने के लिए कि तभी उसकी भाभी फिर बोली)
और हां जाते-जाते,,, राजू को इधर भेज देना लालटेन जलाने के लिए अंधेरा बहुत है,,,
ठीक है भाभी,,,,,,(और इतना कहकर गुलाबी घर के बाहर चली गई और बाहर ही उसे राजु नजर आ गया और वह राजू से बोली,,,)
जा तुझे भाभी बुला रही है,,,
किस लिए,,,,
आज भाभी का मन तेरा लेने को कर रहा है इसलिए,,,
धत्,,,, कैसी बातें करती हो,,,
Gulabi or raju
अरे तो क्या और कैसी बातें करूं वहां जाएगा तब ना पता चलेगा कि भाभी तुझे किस लिए बुलाई है,,, मैं बुलाती तो तेरा लेने के लिए ही बुलाती,,,।
बुर में ज्यादा खुजली हो रही है क्या बुआ,,,?
सच कहूं तो आप तो सारा दिन खुजली होती रहती है मेरा बस चले तो तेरा अपनी बुर में लेकर पड़ी रहुं,,,,(गुलाबी अपने होठों पर मादक मुस्कान बिखेरते हुए बोली,,, अपनी बुआ की गरम बातों को सुनकर राजू के पजामे में तंबू बनना शुरू हो गया था इसलिए अंधेरे का फायदा उठाते हुए राजू अपना हाथ आगे बढ़ा कर तुरंत सलवार के ऊपर से अपनी बुआ की बुर पर रखकर उसे दबाते हुए बोला,,,)
रात को मिलना आज सारी खुजली मिटा दूंगा,,,
रोज रात को तो मिलती हूं,,,, फिर भी कसर रह जाती हैं,,,
आज नहीं रह जाएगी,,, आज सारी कसर उतार दूंगा,,,,,
रमा
वह तो रात को ही पता चलेगा,,,,,,
(इतना कहकर गुलाबी आगे बढ़ गई,,, राजू घर के अंदर चला गया,,, अभी तक उसके भैया नहीं आए थे इसलिए वह वहीं बैठ कर अपने भैया का इंतजार करने लगी और अपने मन में सोचने लगे कि एक बार की चुदाई के बाद उसके भैया उसके ऊपर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते आखिरकार ऐसा क्यों हो रहा है जबकि उसके भैया उसकी भाभी की तो रोज लेते हैं,,,,,,गुलाबी को इसीलिए समझ में नहीं आ रहा था कि उसमें कौन सी कमी है कि उसके भैया दोबारा उसके बदन को स्पर्श तक नहीं किए,,, वह अपने मन में यही सोच कर वही खड़ी रह गई ,, वह आज अपने भैया से पूछना चाहती थी कि उसमें कौन सी कमी है जो दोबारा उन्होंने उसकी चुदाई नही कीए है ,,जबकि आज उसका मन बहुत कर रहा था अपने भैया से चुदवाने का,,,,,
मधु की खूबसूरत गांड
दूसरी तरफ रसोई घर में पहुंचते ही राजू अपनी मां से बोला,,,।
क्या हुआ मां,,,?
अरे कुछ नहीं बेटा लालटेन तो जला दे एकदम अंधेरा छाया हुआ है,,,
ठीक है मां,,,, दियासलाई कहा है,,?
राजु अपनी मां के साथ कल्पना करते हुए
the river poem summary
अरे चुल्हे में से आग लेकर जला दे बेवजह दियासलाई की तिल्ली खराब करेगा,,,,,,,(तवे पर रोटी को पलटते हुए बोली,,,,अपनी मां के लिए बातें सुनकर राजु कुछ बोला नहीं औरनीचे बैठ कर अपना हाथ आगे बढ़ाया है और चूल्हे में जल रही पतली लकड़ी को निकालने लगा कि तभी उसकी नजर अपनी मां की भरी हुई छातियों पर पड़ी जिस पर पसीने की बूंदें मोती के दाने की तरह चमक रही थी,,,,ब्लाउज में से झांकती अपनी मां की दोनों चुचियों को देखते ही उसके मुंह में पानी आ गया,,,,,,,यह दूसरी बार था जब रसोईघर में अपनी मां की छातियों को प्यासी नजरों से घुर रहा था,,,। राजू पूरी तरह से अपनी मां की मदमस्त कर देने वाली छातियों के आकर्षण में खो गया,,, उसे इतना भी होश नहीं रहा कि उसे लालटेन जलाना है,,,, गर्मी ज्यादा होने की वजह से मधु ने पहले से ही अपने ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खोल रखी थी जिससे उसके ब्लाउज में कैद उसके दोनों कबूतर बड़े आराम से अपने पंख फड़फड़ा रहे थे,,,,, राजू का मन अपनी मां के दोनों कबूतरों को अपनी हथेली में दबोचने को करने लगा,,,,। पल भर में ही राजू की हालत खराब होने लगी क्योंकि वह जानता था कि भले ही उसके हाथों में बहुत सारी चुचीयां आ चुकी थी जिसे मुंह में लेकर वह पी भी चुका था लेकिनउसकी मां की चूचियों की बात ही कुछ और थी जिसे देखते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फुटने लगती थी,,,,,, रोटियां बेलते समय जैसे ही मधु की नजर अपने बेटे पर पड़ी तो उसकी नजरों को देखकर वह एकदम से सिहर उठी,,, उसे समझते देर नहीं लगी कि उसका बेटा उसकी चूचियों को निहार रहा है वो एकदम से दंग रह गई,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, सीधे सीधे अपने बेटे को बोलने में भी उसे शर्म का आभास हो रहा था इसलिए वह बात को घुमाते हुए बोली,,,।
अरे लालटेन जलाएगा कितना अंधेरा है,,,।
हां,,, हां,,,, जलाता हूं,,,,(अपनी मां की बात सुनते ही राजू हडबडाते हुए बोला,,, और तुरंत चूल्हे में से जलती हुई लकड़ी लेकर उसे से लालटेन को जलाने लगा और थोड़ी देर में अंधेरे को चीरता हुआ उजाला पूरे कमरे में फैल गया,,,, राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, उसे लग रहा था कि जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो,,,, लेकिन फिर भी उसकी मां उसे कुछ बोल नहीं रही थी इसलिए उसे लगने लगा कि उसकी मां का ध्यान उसके हरकत पर नहीं गई है,,,, और अपनी गलती को सुधारते हुए वह आंगन में पड़े खटिया पर जाकर लेट गया,,,, लेकिन मधु के दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से देख रही थी और समझ रही थी कि उसके बेटे का ध्यान उसकी चूचियों पर ही था और इसलिए वह अपने बेटे की इस तरह की हरकत से हैरान थी,,, पहले भी अपने बेटे की इस तरह की हरकत को पकड़ चुकी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा आखिरकार ऐसी हरकत क्यों कर रहा है क्यों उसके बदन को प्यासी नजरों से घूरता रहता है,,,, क्या वह जवान हो गया है,,, अपने इस सवाल का जवाब खुद ही देते हुए अपने मन में बोली,,, हां जवान तो वो हो गया है,,, और जिसका अनुभव हुआ कुवे पर ले भी चुकी थी,,, उसके मोटे तगड़े लंड को अपनी गांड की दरार के बीच बीच महसूस भी कर चुकी थी,,,,,। अपने बेटे की इस तरह की हरकत को याद करके उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी थी,,,,उसे पूरा यकीन हो गया था कि उसका बेटा भी है पूरी तरह से जवान हो गया है और दूसरे लड़कों की तरह ही औरतों मैं दिलचस्पी लेने लगा है तभी तो वह अपनी मां की खूबसूरत बदन को चोरी-छिपे देखते रहता है,,,,।
मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे की इस तरह की हरकत परवाह गुस्सा करें कि उसे समझाएं क्योंकि उसकी हरकत की वजह से उसे खुद समझ में नहीं आ रहा था कि उसके बदन में अजीब सी हलचल क्यों होने लगती थी अभी रोटी बनाते समय भी इस हरकत के चलते उसे अपनी बुर गीली होती महसूस होने लगी थी,,,, जैसे तैसे करके वहां अपना ध्यान रोटी बनाने में लगाने लगी और दूसरी तरफ बैलों के पेरो में बंधे घुंघरू की आवाज को सुनकर,,, गुलाबी के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की हलचल बढ़ने लगी,,,, वह बड़ी बेसब्री से अपने भैया के पास आने का इंतजार करने लगी,,,पर थोड़ी ही देर में घूम रही आवाज एकदम पास आने लगी और देखते ही देखते हरिया अपने बेल गाड़ी को लेकर घर पहुंच गया,,,, उसका भैया अभी बैलगाड़ी से उतरा नहीं था कि तभी गुलाबी बोली,,,।
हरीया और गुलाबी
क्या भैया आज बड़ी देर लगा दी,,,
हां,,, हां गुलाबी आज सवारी बहुत अच्छी मिल गई थी दो चार पैसे की ज्यादा आमदनी हो गई है इसलिए तो आज मैं गरमा गरम जलेबी या ले कर आया हूं,,,,
अरे वाहहह जलेबियां मेरा तो सुनकर ही मुंह में पानी आने लगा,,,,
(जलेबी का नाम सुनकर गुलाबी की हालत को हरिया की तरह से समझ रहा था क्योंकि उसे जलेबी बहुत पसंद थी लेकिन जिस अदा से उसने मुंह में पानी आने वाली बात की थी,,,, उसकी बात को सुनकर हरिया की धोती में हलचल होने लगी थी,,,)
nice updateधीरे-धीरे राजू झुमरी के प्यार में पागल हो गया था,,, उसे हर जगह सोते जागते उठते बैठते सिर्फ झुमरी ही नजर आती थी,,, झुमरी से वह सच्चा वाला प्यार करने लगा था,,,,,, उसके साथ किसी भी तरह से बना वक्त बिताना चाहता था लेकिन मौका ही नहीं मिलता था,,,। लेकिन रात को अपनी बुआ की रोज चुदाई करता था,,,,और बुआ भी दिन भर की थकान राजू के मोटे लंड को अपनी बुर में लेकर मिटा देती थी,,,,,,,,,,, लेकिन गुलाबी का मन अपने बड़े भैया से भी चुदवाने का करता था क्योंकि उसे भी अपनी बुर में कुछ अलग अलग अनुभव चाहिए था,,,, रोज रोज एक ही लंड बुर में डलवाकर उसे कुछ नयापन महसूस नहीं हो पा रहा था और वैसे भी,,, अपने बड़े भैया के लंड को अपनी बुर में बड़े आराम से ले सकती थी,,,,,,क्योंकि उसके बड़े भैया और गुलाबी दोनों के बीच में किसी भी प्रकार की चीजें नहीं थी एक बार शारीरिक संबंध बनाने के बाद गुलाबी अपने बड़े भैया से पूरी तरह से खुल चुकी थी लेकिन बड़ा भाई होने के नाते हरिया को अपनी गलती पर पछतावा होता था उसे अपने आप पर बुलाने महसूस होती थी,,,, इसलिए वह अपनी छोटी बहन से कतराता रहता था,,,। लेकिन स्वाद तो गुलाबी की गुलाबी बुर का उसे भी लग गया था,,,,।
Madhu,,,,
this heart coeli lyrics
ऐसे ही एक दिन शाम ढल चुकी थी अंधेरा हो चुका था और,,, मधु चूल्हे के आगे बैठकर रोटियां सेक रही थी ,,,,,, गर्मी का महीना होने की वजह से मधु का तन बदन पसीने से तरबतर हो चुका था पसीने से उसका ब्लाउज पूरी तरह से भीग चुका था,,,,,,,, तभी गुलाबी अपनी भाभी की मदद करने के लिए उधर आई और बोली,,।
लाओ भाभी गर्मी बहुत है मै रोटियां बेल देती हूं,,,,,,(इतना कहते हुए गुलाबी वहां बैठने ही वाली थी कि अभी उसकी भाभी बोली,,,)
नहीं नहीं मैं कर लूंगी तू जा कर देख तेरे भैया अभी तक आए कि नहीं,,,, और हां आए हो तो एक बाल्टी पानी लेकर चली जाना बेल को पानी देना है,,,।
Gulabi ki khubsurat gaand
ठीक है भाभी,,,,(इतना कहकर वह उठ खड़ी हुई जाने के लिए कि तभी उसकी भाभी फिर बोली)
और हां जाते-जाते,,, राजू को इधर भेज देना लालटेन जलाने के लिए अंधेरा बहुत है,,,
ठीक है भाभी,,,,,,(और इतना कहकर गुलाबी घर के बाहर चली गई और बाहर ही उसे राजु नजर आ गया और वह राजू से बोली,,,)
जा तुझे भाभी बुला रही है,,,
किस लिए,,,,
आज भाभी का मन तेरा लेने को कर रहा है इसलिए,,,
धत्,,,, कैसी बातें करती हो,,,
Gulabi or raju
अरे तो क्या और कैसी बातें करूं वहां जाएगा तब ना पता चलेगा कि भाभी तुझे किस लिए बुलाई है,,, मैं बुलाती तो तेरा लेने के लिए ही बुलाती,,,।
बुर में ज्यादा खुजली हो रही है क्या बुआ,,,?
सच कहूं तो आप तो सारा दिन खुजली होती रहती है मेरा बस चले तो तेरा अपनी बुर में लेकर पड़ी रहुं,,,,(गुलाबी अपने होठों पर मादक मुस्कान बिखेरते हुए बोली,,, अपनी बुआ की गरम बातों को सुनकर राजू के पजामे में तंबू बनना शुरू हो गया था इसलिए अंधेरे का फायदा उठाते हुए राजू अपना हाथ आगे बढ़ा कर तुरंत सलवार के ऊपर से अपनी बुआ की बुर पर रखकर उसे दबाते हुए बोला,,,)
रात को मिलना आज सारी खुजली मिटा दूंगा,,,
रोज रात को तो मिलती हूं,,,, फिर भी कसर रह जाती हैं,,,
आज नहीं रह जाएगी,,, आज सारी कसर उतार दूंगा,,,,,
रमा
वह तो रात को ही पता चलेगा,,,,,,
(इतना कहकर गुलाबी आगे बढ़ गई,,, राजू घर के अंदर चला गया,,, अभी तक उसके भैया नहीं आए थे इसलिए वह वहीं बैठ कर अपने भैया का इंतजार करने लगी और अपने मन में सोचने लगे कि एक बार की चुदाई के बाद उसके भैया उसके ऊपर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते आखिरकार ऐसा क्यों हो रहा है जबकि उसके भैया उसकी भाभी की तो रोज लेते हैं,,,,,,गुलाबी को इसीलिए समझ में नहीं आ रहा था कि उसमें कौन सी कमी है कि उसके भैया दोबारा उसके बदन को स्पर्श तक नहीं किए,,, वह अपने मन में यही सोच कर वही खड़ी रह गई ,, वह आज अपने भैया से पूछना चाहती थी कि उसमें कौन सी कमी है जो दोबारा उन्होंने उसकी चुदाई नही कीए है ,,जबकि आज उसका मन बहुत कर रहा था अपने भैया से चुदवाने का,,,,,
मधु की खूबसूरत गांड
दूसरी तरफ रसोई घर में पहुंचते ही राजू अपनी मां से बोला,,,।
क्या हुआ मां,,,?
अरे कुछ नहीं बेटा लालटेन तो जला दे एकदम अंधेरा छाया हुआ है,,,
ठीक है मां,,,, दियासलाई कहा है,,?
राजु अपनी मां के साथ कल्पना करते हुए
the river poem summary
अरे चुल्हे में से आग लेकर जला दे बेवजह दियासलाई की तिल्ली खराब करेगा,,,,,,,(तवे पर रोटी को पलटते हुए बोली,,,,अपनी मां के लिए बातें सुनकर राजु कुछ बोला नहीं औरनीचे बैठ कर अपना हाथ आगे बढ़ाया है और चूल्हे में जल रही पतली लकड़ी को निकालने लगा कि तभी उसकी नजर अपनी मां की भरी हुई छातियों पर पड़ी जिस पर पसीने की बूंदें मोती के दाने की तरह चमक रही थी,,,,ब्लाउज में से झांकती अपनी मां की दोनों चुचियों को देखते ही उसके मुंह में पानी आ गया,,,,,,,यह दूसरी बार था जब रसोईघर में अपनी मां की छातियों को प्यासी नजरों से घुर रहा था,,,। राजू पूरी तरह से अपनी मां की मदमस्त कर देने वाली छातियों के आकर्षण में खो गया,,, उसे इतना भी होश नहीं रहा कि उसे लालटेन जलाना है,,,, गर्मी ज्यादा होने की वजह से मधु ने पहले से ही अपने ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खोल रखी थी जिससे उसके ब्लाउज में कैद उसके दोनों कबूतर बड़े आराम से अपने पंख फड़फड़ा रहे थे,,,,, राजू का मन अपनी मां के दोनों कबूतरों को अपनी हथेली में दबोचने को करने लगा,,,,। पल भर में ही राजू की हालत खराब होने लगी क्योंकि वह जानता था कि भले ही उसके हाथों में बहुत सारी चुचीयां आ चुकी थी जिसे मुंह में लेकर वह पी भी चुका था लेकिनउसकी मां की चूचियों की बात ही कुछ और थी जिसे देखते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फुटने लगती थी,,,,,, रोटियां बेलते समय जैसे ही मधु की नजर अपने बेटे पर पड़ी तो उसकी नजरों को देखकर वह एकदम से सिहर उठी,,, उसे समझते देर नहीं लगी कि उसका बेटा उसकी चूचियों को निहार रहा है वो एकदम से दंग रह गई,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, सीधे सीधे अपने बेटे को बोलने में भी उसे शर्म का आभास हो रहा था इसलिए वह बात को घुमाते हुए बोली,,,।
अरे लालटेन जलाएगा कितना अंधेरा है,,,।
हां,,, हां,,,, जलाता हूं,,,,(अपनी मां की बात सुनते ही राजू हडबडाते हुए बोला,,, और तुरंत चूल्हे में से जलती हुई लकड़ी लेकर उसे से लालटेन को जलाने लगा और थोड़ी देर में अंधेरे को चीरता हुआ उजाला पूरे कमरे में फैल गया,,,, राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, उसे लग रहा था कि जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो,,,, लेकिन फिर भी उसकी मां उसे कुछ बोल नहीं रही थी इसलिए उसे लगने लगा कि उसकी मां का ध्यान उसके हरकत पर नहीं गई है,,,, और अपनी गलती को सुधारते हुए वह आंगन में पड़े खटिया पर जाकर लेट गया,,,, लेकिन मधु के दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से देख रही थी और समझ रही थी कि उसके बेटे का ध्यान उसकी चूचियों पर ही था और इसलिए वह अपने बेटे की इस तरह की हरकत से हैरान थी,,, पहले भी अपने बेटे की इस तरह की हरकत को पकड़ चुकी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा आखिरकार ऐसी हरकत क्यों कर रहा है क्यों उसके बदन को प्यासी नजरों से घूरता रहता है,,,, क्या वह जवान हो गया है,,, अपने इस सवाल का जवाब खुद ही देते हुए अपने मन में बोली,,, हां जवान तो वो हो गया है,,, और जिसका अनुभव हुआ कुवे पर ले भी चुकी थी,,, उसके मोटे तगड़े लंड को अपनी गांड की दरार के बीच बीच महसूस भी कर चुकी थी,,,,,। अपने बेटे की इस तरह की हरकत को याद करके उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी थी,,,,उसे पूरा यकीन हो गया था कि उसका बेटा भी है पूरी तरह से जवान हो गया है और दूसरे लड़कों की तरह ही औरतों मैं दिलचस्पी लेने लगा है तभी तो वह अपनी मां की खूबसूरत बदन को चोरी-छिपे देखते रहता है,,,,।
मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे की इस तरह की हरकत परवाह गुस्सा करें कि उसे समझाएं क्योंकि उसकी हरकत की वजह से उसे खुद समझ में नहीं आ रहा था कि उसके बदन में अजीब सी हलचल क्यों होने लगती थी अभी रोटी बनाते समय भी इस हरकत के चलते उसे अपनी बुर गीली होती महसूस होने लगी थी,,,, जैसे तैसे करके वहां अपना ध्यान रोटी बनाने में लगाने लगी और दूसरी तरफ बैलों के पेरो में बंधे घुंघरू की आवाज को सुनकर,,, गुलाबी के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की हलचल बढ़ने लगी,,,, वह बड़ी बेसब्री से अपने भैया के पास आने का इंतजार करने लगी,,,पर थोड़ी ही देर में घूम रही आवाज एकदम पास आने लगी और देखते ही देखते हरिया अपने बेल गाड़ी को लेकर घर पहुंच गया,,,, उसका भैया अभी बैलगाड़ी से उतरा नहीं था कि तभी गुलाबी बोली,,,।
हरीया और गुलाबी
क्या भैया आज बड़ी देर लगा दी,,,
हां,,, हां गुलाबी आज सवारी बहुत अच्छी मिल गई थी दो चार पैसे की ज्यादा आमदनी हो गई है इसलिए तो आज मैं गरमा गरम जलेबी या ले कर आया हूं,,,,
अरे वाहहह जलेबियां मेरा तो सुनकर ही मुंह में पानी आने लगा,,,,
(जलेबी का नाम सुनकर गुलाबी की हालत को हरिया की तरह से समझ रहा था क्योंकि उसे जलेबी बहुत पसंद थी लेकिन जिस अदा से उसने मुंह में पानी आने वाली बात की थी,,,, उसकी बात को सुनकर हरिया की धोती में हलचल होने लगी थी,,,)
Dhanyawadवाह जलेबी के चक्कर में एक बार फिर गुलाबो रस पिए गी
Aur idhar Mata Ji ke Samjhne mein bhi धीरे-धीरे a gaya hai ki Unka beta unke Upar chadhkar Unki acche se kutai karna chahta hai....
Bhut ho shandaar update