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श्याम के घर के अंदर का नजारा बेहद ही कामुकता से भरा हुआ था यहां आने से पहले राजू ने ऐसा कुछ भी सोचा नहीं था कि उसे इस तरह का नजारा देखने को मिल जाएगा पर तो इसी उम्मीद में था कि उस दिन की तरह आज भी उसे झुमरी के नंगे बदन का दर्शन करने को मिल जाए तो वह धन्य हो जाए लेकिन यहां तो कुछ और ही चल रहा था,,,।
राजू का दिल बड़े जोरो से धड़कने लगा था,,, राजू की उम्मीद से दुगुना था,,,,।
राजू के पैर दरवाजे पर ही ठिठक गए थे आगे बढ़ने की इतनी हिम्मत नहीं थी ना ही आवाज देने की क्योंकि इस समय का नजारा बेहद गरमा गरम था वह अपने आप को दीवार की ओट में छिपा कर चोरी छिपे उस नजारे को देखने लगा,,,, आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था,,, आखिरकार जो दृश्य उसने देखा था उसकी उसने कल्पना भी नहीं किया था,,,,,
दोपहर का समय होने की वजह से दिन के उजाले में राजू को सब कुछ साफ नजर आ रहा था घर के अंदर सबसे पीछे गुसलखाना बना हुआ था और वह भी खुला हुआ था बस चारों तरफ से कच्ची मिट्टी की दीवार बनाकर घेरा हुआ था,,,,,,, उस दिन तो राजू को जो मेरी एकदम नंगी नहाते हुए नजर आई थी उसे देखकर राजू उस दिन से झुमरी का दीवाना हो गया था और आए दिन उसे से मुलाकात होने लगी थी और इसी चक्कर में आज भी वह श्याम के घर आया था लेकिन,,, इस बार का नजारा कुछ और ज्यादा गरमा गरम था,,,, क्योंकि इस बार राजू की आंखों के सामने झुमरी नहीं बल्कि श्याम की मां थी,,,, जो कि पूरी तरह से नंगी थी बस केवल उसके बदन पर पेटीकोट ही था और वह भी कमर तक उठा हुआ था और वह दीवार के सहारे झुकी हुई थी,,,, उसका बदन पानी से भीगा हुआ था,,,,,, जिसका मतलब साफ था कि वह नहा ही रही थी,,, और नहाते नहाते हैं काम क्रीड़ा शुरू कर दी थी लेकिन जो उसकी चुदाई कर रहा था उसे देखकर राजू के होश उड़ गए थे राजीव क्या उसकी जगह कोई भी होता तो शायद उसके होश उड़ जाते हैं क्योंकि नजारा ही कुछ ऐसा था,,,,।
श्याम की मां दीवार के सहारे झुकी हुई थी उसकी पेटीकोट कमर तक चढ़ी हुई थी उसकी बड़ी-बड़ी को एकदम साफ नजर आ रही थी और पीछे से उसकी बुर में लंड डालने वाला कोई दूसरा नहीं बल्कि उसका खुद का जवान बेटा श्याम था,,,,, इस नजारे को देखते ही राजू पल भर में उत्तेजना ग्रस्त हो गया,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था ,, की एक बेटा अपनी मां को चोदेगा,,,इसलिए कुछ देर तक तो राजू को अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं हुआ कि वह जो कुछ भी देख रहा है वह सही है लेकिन,,,,यह कोई सपना नहीं था हकीकत था जो कुछ भी उसकी आंखें देख रही थी वह सब कुछ सच था उसमें रत्ती भर भी झूठ नहीं था,,,, इसलिए तो राजु और ज्यादा आश्चर्यचकित हो गया था अगर राजू की जगह कोई और मर्द होता तो उसे बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं होता की श्याम की मां किसी गैर मर्द से चुदवा रही है या उसकी मां की जगह श्याम किसी और औरत को चोद रहा है,,,, इस तरह के नजारे को देखकर राजू को बिल्कुल भी आश्चर्य और दुविधा नहीं होती,,,, ।
लेकिन उसकी आंखों के सामने एक मा और एक बेटा थे,,, जिनके बीच बेहद ही पवित्र रिश्ता था,,, और उस पवित्र रिश्ते को एक मां और बेटा दोनों मिलकर कलंकित कर रहे थे,,,,।
अपनी आंखों के सामने एक पवित्र रिश्ता तार तार हो रहा था लेकिन फिर भी राजू कुछ बोल नहीं पा रहा था क्योंकि उसे ना जाने क्यों अच्छा लगने लगा था,,,, और वह इस नजारे का पूरा फायदा उठाना चाहता था,,, राजू दीवार की ओट में खड़ा होकर इस गर्मा गर्म नजारे को देख रहा था,,। श्याम की कमर बड़ी तेजी से चल रही थी और श्याम की मां बड़े मस्ती के साथ अपने ही बेटे से चुदवा रही थी,,,,, एक पल को तो राजू को लगा कि वह आगे काम क्रीड़ा में जुड़ जाए,,, क्योंकि श्याम की मां बदन से बेहद गठीली थी रंग थोड़ा दबा हुआ था लेकिन फिर भी मर्दों को आकर्षित करने लायक सब कुछ था,,, अपने बेटे के ही साथ संभोग सुख प्राप्त करने का कारण राजू अच्छी तरह से समझ रहा था धीरे-धीरे औरत के अंदर की प्यास को राजू समझने लगा था,,, श्याम के पिताजी नहीं थे बरसों पहले उनका देहांत हो चुका था और इसीलिए बरसों से वह अपने बदन की भूख को दबा नहीं सकती थी किसी ने किसी के साथ तो उसे अपने शरीर की भूख मिटानी थी और ऐसे में घर में ही जवान लड़के के साथ वह चुदवा रही थी,,। भले ही उसका सगा बेटा क्यों ना हो,,,।
श्याम की मां की गरम सिसकारी राजू को साफ सुनाई दे रही थी,,,।
सहहह आहहहहह आहहहहह,,, बेटा और जोर से धक्का लगा जोर जोर से चोद मुझे,,,आहहहहहहह,,,,आहहहहहह
लगा तो रहा हूं मा,,,,,(जोर-जोर से कमर हिलाता हुआ) तुम्हारी गांड बहुत बड़ी-बड़ी है,,,,,
तो क्या हुआ अंदर तक डालना,,,,,आहहहहहह,,,, थोड़ा और बड़ा होता तो और मजा आता तब आराम से चला जाता,,,,
छोटा भी तो नहीं है ना,,,, डाल तो रहा हु,,,,,,
(राजू को दोनों मां-बेटे की बातें साफ सुनाई दे रही थी शाम की मां की बात सुनकर राजू के इस बात का अहसास हो गया था कि श्याम की मां को ज्यादा मजा नहीं आ रहा है और ज्यादा मजा लेने की इच्छुक थी,,,, वह अपने मन में सोचने लगा कि अगर शयाम की जगह वो होता तो उसकी मां को पूरी तरह से संतुष्ट कर देता,,,, अब उसे लगने लगा था कि उसका काम हो जाएगा,,,, श्याम इसी समय दोनों के बीच आकर खड़ा हो सकता था लेकिन वह ऐसा नहीं करना चाहता था वह दोनों को किसी भी तरह से परेशान नहीं करना चाहता था लेकिन इतना तो बता कर लिया था कि वह भी झुमरी की मां की चुदाई करके रहेगा क्योंकि उसकी बड़ी-बड़ी गांड देख कर एक बार उसकी लेने के लिए उसका मन मचल गया था,,,।
दोनों मां बेटे की चुदाई देख कर राजू का लंड पजामे में खड़ा होने लगा था,,, और राजू पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को दबा रहा था,,,, राजू अपने मन में सोचने लगा कि शयाम तो छुपा रुस्तम निकला,,, श्याम की बातें सुनकर राजू इतना तो जानता था कि हम हरामि लड़का है लेकिन यह नहीं जानता था कि वह किसी औरत के साथ शारीरिक संबंध बनाता होगा लेकिन वह तो अपनी ही मां की चुदाई कर रहा है,,,, राजू की कमर अभी भी लगातार आगे पीछे हो रही थी लेकिन जिस तरह से राजू अपनीकमर को आगे की तरफ धकेल रहा था कुछ और अंदर तो घुसने के लिए कोशिश कर रहा था उसे देखकर राजु समझ गया था कि पीछे से वह अपनी मां की बराबर ले नहीं पा रहा है,,, और उसकी मां को कुछ ज्यादा चाहिए था जो कि अभी अभी उसकी बातों से ही उसे पता चला था,,,, लेकिन शयाम अभी भी टिका हुआ था यही काबिले तारीफ थी,,,।
सहहह आहहहहह,,, बेटा मेरी चूचियां दबा जोर जोर से दबा,,,,(श्याम की मां झुके हुए ही अपने बेटे को दिशानिर्देश बताते हुए बोली क्योंकि चुदवाते समय चुची मसलवाने में उसे और ज्यादा मजा आता था,,, अपनी मां की बात सुनते ही श्याम अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां की चूची पकड़ लिया और जोर जोर से दबाते हुए धक्के लगाने लगा,,,, राजू श्याम की मां के बारे में पूरी तरह से अनुमान लगा लिया था कि श्याम की मां शौकीन किस्म की औरत थी और अपने बेटे से बहुत बुरी तरह से संतुष्ट नहीं हो पा रही थी,,,, यह सब कुछ ऐसा था जैसे डूबते को तिनके का सहारा इसी से वह काम चला रही थी,,, राजू समझ गया था कि अब उसका काम बन जाएगा,,,,)
मां तुम्हारी चुचीया कितनी बड़ी बड़ी है एकदम पपैया की तरह,,,,
फिर भी तो तू इनसे खेलता नहीं है उसे मैंने लेकर मन भर कर पीता नहीं, है,,,।
क्या करूं मा,,,, तुम्हारी बुर देखते ही मुझे डालने का मन करने लगता है और सब कुछ भूल जाता हूं,,,,
तु सच में बुद्धु है,,,औरतों के बदन से खेलना तुझे बिल्कुल भी नहीं आता भले ही इतने दिनों से तू मेरी चुदाई कर रहा है लेकिन औरत को संतुष्ट करने का गुण तुझ में बिल्कुल भी नहीं है तू तो बस डाला और निकाला बस हो गया,,,।
ओहहहह मां,,,इस खेल में से ज्यादा और क्या करना ही पड़ता है बस यही तो करना पड़ता है डालना और निकालना,,,,
चल तू जल्दी जल्दी कर वरना झुमरि आ जाएगी,,,,,,
झूमरी इतनी जल्दी आने वाली नहीं है मांं बाइक बहाने से उसे शाम के लिए सब्जियां तोड़ने के लिए खेतों में भेजा हूं,,,,
फिर भी तू जल्दी कर मुझे नहाना है,,,,।
(श्याम की मां की बातें सुनकर राजू पूरी तरह से समझ गया था कि उसकी मां बेहद प्यासी है और शयाम को इस खेल में ज्यादा कुछ आता नहीं है इसलिए उसका रास्ता आसान हो जाएगा,,,,,,, श्याम की सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी वह अपने चरम सुख के बेहद करीब था,,,अभी तक दोनों मां-बेटे को इस बात का अहसास तक नहीं हुआ था कि दरवाजे पर राजू खड़ा है कोई उन दोनों की चुदाई देख रहा है,,,। वह दोनों अपनी काम क्रीड़ा में पूरी तरह से मस्त हो गए थे,,,, श्याम का पानी निकलने वाला था इसलिए वह जल्दबाजी दिखाना चाहता था और पीछे से नहीं बल्कि आगे से अपनी मां की लेना चाहता था,, और इसीलिए अपना अपने मां की बुर में से अपना लंड बाहर निकाल लिया और अपनी मां को खड़ी करके उसकी एक टांग को दीवार के सहारे टीका दिया उसकी मां की पीठ राजू की आंखों के सामने थी और श्याम ठीक आगे से अपनी मां को अपनी बाहों में लेते हुए अपनी मां की दोनों टांगों के बीच देखते हुए अपने हाथ से अपने लंड को पकड़ कर उसकी बुर के मुहाने पर रख रहा था,,, और जैसे ही वह अपने लंड के सुपाड़े को अपनी मां की बुर के मुहाने पर रख कर,, गचगचा कर धक्का लगा कर उसे अपनी बाहों में भर कर उसकी गर्दन को चूमना शुरू किया वैसे ही उसकी नजर दरवाजे पर खड़े राजू पर पड़े तो उसके होश उड़ गए,,। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें दोनों की नजरें आपस में टकराई,,, राजू उन दोनों के इस खेल में खलल नहीं पहुंचाना चाहता था इसलिए अपने होठों पर उंगली रख कर उसे शांत रहने का इशारा किया,,,,और फिर अपने हाथ के अंगूठे और उंगली से घोल बनाकर अपने दूसरे हाथ की उंगली को उस गोल में डालकर ,,, उसे चुदाई जारी रखने के लिए इशारा किया और शाम को बाहर मिलने का भी इशारा करके वहां से चला गया अब वहां ज्यादा रुकने का कोई मतलब नहीं था बस मैं यही चाहता था कि दोनों में से एक की नजर उसके ऊपर पड़ जाए तब उसका काम बन जाए,,,, उसका काम बन चुका था वह जा चुका था लेकिन श्याम की हालत खराब हो चुकी थी डर और उत्तेजना दोनों का मिला जुला असर उसके चेहरे पर नजर आ रहा था जिसका प्रभाव सीधे ही उसके लंड पर पड़ रहा था और वह दोबारा धक्का लगा था इससे पहले ही उसका पानी निकल गया,,, उसकी मां जो कि थोड़ा बहुत आश बांध कर रखी थी कि आगे से उसका बेटा अच्छे तरीके से उसकी चुदाई करेगा लेकिन उस पर भी पानी फिर चुका था,,,,,।
- धत्,,,,, अधूरा छोड़ दिया,,,, अब जा यहां से मुझे नहाने दे,,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपने बेटे से अलग हुई और हेडपंप चलाने लगी श्याम को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, उसे इस बात का डर था कि कहीं जो कुछ भी राजू ने देखा है वह सब कुछ किसी को बताना था अगर ऐसा हुआ तो गजब हो जाएगा इसीलिए श्याम अपने मन में यही सोच रहा था कि⁴ राजू से मिलना बहुत जरूरी है,,,।)