Jay1990
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Super update upcoming update ka intjar
Nice updateअशोक की बीवी हाथ में लालटेन लिए हुए ही वह घर के बाहर आ गई आगे-आगे राजू था,,,अब उसकी दिलचस्पी अशोक की औरतों में कुछ ज्यादा ही बढ़ती जा रही थी वह अशोक की औरतों के बारे में सोच रहा था कि कहां गदर आई जवानी की मालकिन और कहां सुखा हुआ मरियल सा अशोक,,,, औरतों का स्वाद चख चुका राजू समझ गया था कि अशोक की औरत शारीरिक रूप से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं होती होगी,,,,,,,,,, राजू का मन अब वापस घर लौटने का बिल्कुल भी नहीं था,,, क्योंकि उसकी आंखों के सामने जवानी से भरपूर एक औरत खड़ी थी जोकि एक ऐसे इंसान की औरत थीजिसमें दमखम बिल्कुल भी नहीं था और हमेशा शराब के नशे में धुत रहता था ऐसे हालात में वह अपनी बीवी को कैसे संतुष्ट कर पाता होगा,,, इसलिए राजू अपने मन में सोचने लगा कि अगर थोड़ी सी कोशिश की जाए तो आज की रात उसके जिंदगी की हसीन रात बन सकती है,,, क्योंकि मौका और दोस्तों से दोनों राजू के पक्ष में था,,,।
राजा अशोक की औरत से दो कदम आगे चलते हुए बैलगाड़ी के पीछे आ गया और उसके पीछे पीछे अशोक की औरत है जिसके हाथ में अभी भी लालटेन थी और लालटेन की पीली रोशनी में बैलगाड़ी के अंदर बेसुध हो कर लेटा हुआ अशोक साफ नजर आ रहा था जिसे देख कर ही पता चल रहा था कि वह बिल्कुल कि होश में नहीं था,,,,।
रुको मैं उठाता हूं चाची,,,,(इतना कहकर अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अशोक की टांग को पकड़े हुए था और नजर घुमाकर अपने बिल्कुल पास में खड़ी अशोक की औरत के खूबसूरत चेहरे को देख रहा था क्योंकि लालटेन की रोशनी में बहुत ज्यादा ही खूबसूरत नजर आ रहा था उसे देखते हुए राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि तुम्हें चाची कहूं या कुछ और क्योंकि तुम्हारी उम्र देख कर मुझे लगता नहीं है कि तुम्हें चाहे कहना योग्य होगा वैसे तो समाज के रीति रिवाज के हिसाब से में इन्हें चाचा कहता हूं तो लाजमी है कि तुम्हें चाची ही कहना पड़ेगा लेकिन मुझे तुम्हें चाहती कहने में खुद को शर्म महसूस हो रही है क्योंकि तुम एकदम बेहद जवान और खूबसूरत औरत हो,,,, और तुम्हें चाची कहने में एक उम्र की सीमा बंध सी जाती है,,, इसलिए समझ में नहीं आ रहा है कि तुम्हें क्या कहूं,,,,(इतना कहने के साथ ही अशोक की औरत का जवाब सोने भी नहीं हुआ अशोक को उठाने की कोशिश करने लगा और अशोक की औरत अपनी खूबसूरती की तारीफ एक अपरिचित जवान लड़के के मुंह से सुनकर पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी,,,, अशोक की बीवी को अपने जाल में फंसाने का यह राजू की तरफ से फेंका गया पहला पासा था,,, और इस पहले पासे में ही अशोक की बीवी चारों खाने चित हो गई थी,,,, भला एक औरत को अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना क्यों ना पसंद होगा,,,, अशोक की बीवी से कुछ भी बोला नहीं जा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले राजू की बातों को सुनकर वह अशोक के बारे में भूल गई,,,, तभी अशोक की बीवी के सामने जानबूझकर अपना दम दिखाते हुए बिना उसकी बीवी का मदन लिए हुए ही वह कमर से अशोक को पकड़कर उठाया और अपने कंधे पर किसी बोझ की तरह रख दिया,,,, चाहे देख कर अशोक की बीवी भी हैरान रह गई,,, क्योंकि राजू ने एक झटके में ही उसे कंधे पर उठा दिया था और,,, बोला,,,।
Ashok ki bibi kapde utarne k bad
अरे यार कितना मरियल सा शरीर है ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा है कि मैंने एक इंसान को उठाया हूं,,,।
(मरियल शब्द जानबूझकर राजू ने बोला था क्योंकि वहां अशोक की बीवी को एहसास दिलाना चाहता था कि उसका पति बेहद कमजोर और मरियल है इसके मुकाबले वह एकदम जवान और हट्टा कट्टा गठीला बदन वाला है,,, राजू की बात को सुनकर अशोक की बीवी कुछ बोली नहीं लेकिन उसे इस बात का एहसास हुआ था कि उसका पति वाकई में राजु के मुकाबले कुछ भी नहीं था,,, अशोक को कंधे पर उठाकर व दरवाजे की तरफ जाने लगा और बोला,,)
जल्दी से बताओ कहां ले चलना है,,,?
अरे हां रुको,,,,,(इतना कहने के साथ ऐसी हालत में लालटेन दिए हुए अशोक की बीवी जल्दी से कमरे में दाखिल हुई हर आंगन में ही खटिया गिरा कर बोली)
यहीं पर लिटा दो,,,
(और इतना सुनते ही राजू तुरंत आगे बढ़ा और खटिया पर आराम से उसे लिटा दिया उसकी हालत देखने पर राजू समझ गया था कि यह सुबह तक पहुंच में आने वाला नहीं है और उसके पास पूरा मौका था आज की रात रंगीन करने का लेकिन कैसे इस बारे में अभी उसने कोई उसका भी नहीं बनाई थी,,, खटिया पर लेटा लेने के बाद अपना हाथ झाड़ते हुए बोला)
तुम इन्हें समझाती क्यों नहीं,,,, शराब पी पी कर अपनी हालत खराब कर लिए हैं,,,
अब कितना समझाए बबुआ,,, हमारी तो यह एक नहीं सुनते,,, हमारी तो किस्मत खराब हो गई है,,,,,,
सच में मैं तो बिलकुल भी होश नहीं है कि कहां सो रहा हूं,,,,
वैसे तुम कौन हो बबुआ तुम्हें में पहली बार देख रही हूं,,,
मै हरिया का बेटा हूं,,,,
अच्छा-अच्छा हरिया भाई साहब,,,,, 3 दिन पहले मुझे मिले थे मैं उनसे बोली थी कि कुछ समझाईए ईन्हें,,,
अरे पिताजी तो इन्हें बहुत समझाते हैं मेरे सामने ही ऐसी हालत होने से पहले ही कितना समझाए थे लेकिन यह माने नहीं और उन्होंने ही मुझे इन्हें सही सलामत घर पर छोड़ने के लिए बोले थे,,,,
भाई साहब बहुत अच्छे हैं काश उनकी बात ये मान लीए होते तो ऐसी हालत नहीं होती,,,,(अभी भी उसके हाथों में लालटेन थी और लालटेन की रोशनी में उसकी ,भरी हुई छातियां एकदम साफ नजर आ रही थी ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे शायद गर्मी की वजह से वह खोले हुए थी,,, लेकिन वजह चाहे जो भी हो इस समय वह राजू के लंड की एठन बढ़ा रही थी,,, अशोक की बीवी की बात सुनकर राजू बोला)
अभी भी सुधर जाए तो भी,,,
अब भगवान जाने कब इन्हें अक्ल आएगी,,,,,,,(अशोक की बीपी एकदम सहज होकर बातें कर रही थी उसके मन में राजू को लेकर ऐसा वैसा कुछ भी नहीं था लेकिन राजू के मन में उसे लेकर के ढेर सारी भावनाएं उमड रही थी,,, अशोक की बीवी एकदम सहज होते हुए बोली,,) अरे बबुआ रात तो काफी हो गई है ऐसे में घर जाना ठीक नहीं है,,, एक काम करो तुम आज की रात यही रुक जाओ,,,।
नहीं नहीं मैं चला जाऊंगा,,,,
अरे कैसे चले जाओगे एक तरह से तुम आज की रात हमारे मेहमान हो,,, पर इतना तो जानती हूं कि तुम मेरे पति को यहां लेकर आए हो तो अभी तक खाना भी नहीं खाए होंगे,,,, रुको मैं खाना गर्म कर देती हूं,,,,
Uski badi badi chuchiya dekh k raju mast us ja raha tha
नहीं नहीं तुम रहने दो मैं तुम्हें तकलीफ नहीं देना चाहता हूं वैसे भी तुम कम तकलीफ में नहीं हो,,,
अरे बाबुआ यह तो रोज का हो गया है,,,,,, पर शायद जिंदगी भर का हो गया है,,, रुको मैं अभी खाना गर्म कर देती हूं,,,(वह लालटेन लिए चूल्हे के पास जाने लगी,,, राजू उसे परेशान करना नहीं चाहता था लेकिन क्या करें उसे भूख भी लगी थी और वह कुछ कहता इससे पहले वह खुद ही उसे रुकने के लिए बोल दी थी,,,,, रुकने के लिए बोल कर उसने तो राजू के लिए सोने पर सुहागा कर दी थी,,,, अशोक की औरत चोली के पास बैठकर चूल्हा जलाने लगी,,,लेकिन चुना ठीक से चल नहीं रहा था तो राजू ही उसकी मदद करने के लिए उसके पास गया और बैठ कर चुल्हा जलाने लगा,,,,,, दोनों बैठे हुए थे राजू दियासलाई जलाकर सूखी लकड़ी को जलाने की कोशिश कर रहा था और,,, अशोक की बीवी थोड़ा सा झुक कर फूंक मारकरलकड़ी के साथ डाले हुए सूखे पत्ते को जलाने की कोशिश कर रही थी उसके झुकने की वजह से और ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खुले होने की वजह से उसकी आधे से ज्यादा चूचियां बाहर को लुढकी हुई नजर आ रही थी,,, जिस पर बार-बार राजू की नजर चली जा रही थी मन तो उसका कर रहा था कि अपने हाथों से इसके ब्लाउज के बटन खोल कर दोनों खरबूजा को हाथ में लेकर जी भर कर दबा दबा कर उनसे खेले,,, लेकिन इतनी जल्दी वह हिम्मत दिखाने के बारे में सोच भी नहीं सकता था क्योंकि उसके मन में क्या चल रहा है इस बारे में राजू को बिल्कुल भी मालूम नहीं है रांची पहले माहौल को पूरी तरह से समझ लेने के बाद ही अगला कदम बढ़ाता था,,, चोला चलाते हुए राजू अशोक की बीवी से बोला,,,।)
मैं तुमको चाची कहकर कर बोलु तो तुम्हें एतराज तो नहीं होगा,,,
अब एतराज कैसा बबुआ जमाने का दस्तूर ही यही है,,, अगर तुमने चाचा कहते हो तो मुझे चाची कहोगे ना अब भाभी तो थोड़ी ना कहोगे,,,
बात तो ठीक ही कह रही है चाची लेकिन तुम्हारी उम्र तुम्हारी खूबसूरती देखकर तुम्हें चाची कहने का मन नहीं कर रहा है,,,
तो फिर क्या कहने का मन कर रहा है,,,
भाभी,,,,
(राजू की बात सुनकर अशोक की बीवी हंसने लगी और उसे हंसता हुआ देखकर राजू के मन में प्रसंता के भाव नजर आने लगे क्योंकि हंसते हुए वह बेहद खूबसूरत लग रही थी,,, उसे हंसता हुआ देखकर राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) सच भाभी,,,मैं तो तुम्हें भाभी हीं कहूंगा क्योंकि तुम्हारी उम्र चाची कहलवाने वाली नहीं है,,,, तुम हंसते हुए कितनी खूबसूरत लगती हो,,,।
(इतना सुनकर अशोक के बीवी राजू की तरफ एक तक देखने लगी और फिर हंसने लगी और हंसते हुए बोली,,)
बबुआ तुम बहुत अच्छी अच्छी बातें करते हो और सच कहे तो जिस तरह से तुम मेरी खूबसूरती की तारीफ कर रहे हो ना आज तक उन्होंने बिल्कुल भी नहीं किया,,(खटिया पर सो रहे अपने पति की तरफ इशारा करते हुए) यहां तक कि हमारी तरफ ठीक से देखते तक नहीं है बसु का बैल गाड़ी लेकर निकल जाते हैं और रात को इसी तरह से नशे में धुत होकर घर पर आते हैं,,,,(ऐसा कहते हुए पढ़ाई में रखी हुई सब्जी को कढ़ाई सहित चूल्हे पर रखकर उसे गर्म करने लगी,,)
एक बात कहूं भाभी,,,
कहो,,,
सच में तुम्हारी किस्मत खराब है,,,
वह क्यों,,,?
क्योंकि भाभी तुम्हें देखकर कोई इनको, (अशोक की तरफ इशारा करते हुए) इन्हें थोड़ी ना कहेगा कि यह आपके पति है,,, तुम्हारा पति तो होना चाहिए था कोई बांका जवान गठीला बदन वाला लंबा चौड़ा जो तुम्हें अपनी बाहों में भर ले तो तुम्हारे दामन में दुनिया भर की खुशियां भर दे,,,
Gulabi
(राजू की बातें सुनकर बहुत सोच में पड़ गई,,, क्योंकि वह भी जानती थी कि उसकी शादी ऐसे इंसान से नहीं होना चाहिए था लेकिन मजबूरी से गरीबी से मां-बाप परेशान थे इसलिए जो हाथ लगा उसी से बिहा कर दिया,,,,)
बात तो तुम ठीक ही कह रहे हो लेकिन किस्मत का लिखा कौन टाल सकता है शायद मेरी किस्मत में यही था,,,,(कढ़ाई गर्म हो रही थी इसलिए वह दोनों हाथों में कपड़े का टुकड़ा लेकर कढ़ाई को नीचे उतार दी,,, वह खाना परोसने लगी और राजु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)
भाभी मुझे यह सवाल तो नहीं पूछना चाहिए था लेकिन फिर भी मैं पूछ ही लेता हूं कि बच्चे कितने हैं,,,
Gulabi ki khubsurat gaand
बच्चे,,,,(इतना कहकर ना कुछ देर तक जगह किसी ख्यालों में खो गई और फिर थोड़ी देर बाद बोली) नहीं नहीं शादी के 2 साल हो गए हैं लेकिन बच्चे नहीं हैं और ऐसी हालत में तो अच्छा ही है कि नहीं है,,,
नहीं भाभी ऐसा क्यों बोल रही हो बच्चे तो भगवान का दिन होते हैं और बच्चे होंगे तब तुम भी बच्चों में खोई रहोगी तुम्हें भी खुशी मिलेगी,,,,
(राजू की बात से वह पूरी तरह से सहमत थी लेकिन 2 साल हो गए थे बच्चे क्या वह ठीक से संभोग सुख भी प्राप्त नहीं कर पाई थी क्योंकि उसके बदन के मुकाबले उसका पति कुछ भी नहीं था एकदम बढ़िया सा शरीर लेकर जब भी उसके ऊपर चढ़ता था तो तुरंत पानी फेंक देता था असली जवानी का सुख तो वह भोग ही नहीं पाई थी,,, फिर भी वह अपना मन मारते हुए राजु से बोली,,)
हो जाएगा जब होना होगा,,,(इतना कहते हुए वह भोजन की थाली राजू की तरफ आगे बढ़ा दी और पानी लाने के लिए कोने में रखें मटके की तरफ जाने लगी,,,और जाते समय राजू की नजर उसकी गोल गोल गांड पर थी जोकि जवानी के रस से पूरी तरह से भरी हुई थी जिस पर मर्दाना हाथों का शायद सही उपयोग नहीं हुआ था इसलिए गांड का घेराव खेली खाई औरतो वाला बिल्कुल भी नहीं था,,, गांड का आकार एकदम सुगठित था,,,,, शादी को 2 साल हो गया था लेकिन 2 साल में वह बजाना सुख से पूरी तरह से शायद वंचित ही रह गई थी या उसे असली सुख प्राप्त नहीं हुआ था इसलिए उसके बदन में ज्यादा बदलाव नहीं आया था बस थोड़ा सा भराव आ चुका था,,,, फिर भी मटकती हुई गांड देखकर राजू के हौसले पश्त होने लगे,,, प्यासी नजरों से उसके कमर के नीचे के घेराव को देखता है जा रहा था और अपनेपहचाने में उठ रहे तूफान को अपने हाथों से दबाने की कोशिश करता जा रहा था,,,, वह अशोक की बीवी की गांड देख ही रहा था कि वह बोली,,,।
अरे बबुआ तुमने तो हाथ धोए ही नही ,, आ जाओ मैं हाथ धुला देती हूं,,,,
(और इतना सुनते ही राजू अपनी जगह से खड़ा हुआ और
हाथ धो कर वापस आ गया हुआ था ली क्या है बैठ गया और जैसे ही पहला निवाला मुंह में डालने लगा कि तभी वह अशोक की बीवी की तरफ देखते हुए बोला,,,)
तुम खाना खाई हो भाभी,,,,
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नहीं मुझे भूख नहीं है,,, इंतजार करते करते सो गई और फिर लगता है कि मेरी भूख भी सो गई,,,।
अरे ऐसे कैसे मैं तुम्हारे हिस्से का खाना खा जाऊं ऐसा नहीं हो सकता,,,
नहीं बबुआ मुझे भूख नहीं है,,,
नहीं नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं चलेगा मैं तुम्हें खाना खिला कर ही रहूंगा ,,(और इतना कहने के साथ ही राजू अपनी थाली में से निवाला लेकर अशोक की बीवी की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
चलो चलो मैं खोलो,, जल्दी से,,,
अरे बबुआ यह क्या कर रहे हो,,,, मैं तुम्हारे हाथों से खाना खाऊंगी,,,,
अरे तू क्या हो गया खाना ही तो खिला रहे हु जहर थोड़ी खिला रहा हूं,,,,
नहीं मुझे शर्म आ रही है,,,
अरे शर्म कैसी,,,,, चलो जल्दी से मुंह खोलो तुम्हें मेरी कसम,,,,।
(अशोक की बीवी को बहुत शर्म आ रही थी क्योंकि एक जवान लड़के के हाथों से वह खाना कैसे खा ले क्योंकि आज तक उसने ऐसा कभी नहीं की थी और ना ही किसी ने उसे अपने हाथों से खाना ही खिलाया था इसलिए मुझे बहुत शर्म आ रही थी लेकिन ना जाने कैसा आकर्षण था राजू की बातों में कि वह उसकी बातें सुनकर मंत्रमुग्ध हुए जा रही थी,,, उसके थोड़ा सा जबरदस्ती करने से अपना मुंह खोल दी और राजू ने निवाला उसके मुंह में डाल दिया और वह शर्माते हुए खाने लगी,,,और फिर जब एक बार शुरू हुआ तो आगे बढ़ता ही रहा राजू ने धीरे-धीरे करके मुझे खाना खिलाना शुरू कर दिया और वह शर्मा संभालकर खाना खाने लगी लेकिन इस तरह से खाना खाने में उसके बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी और सबसे ज्यादा हाल-चाल उसे ना जाने की अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में महसूस हो रही थी,,,, खाना खाते खाते उसे अपनी बुर की ली होती हुई महसूस हो रही थी,,,,।
और दूसरी तरफ जब हरिया अकेला ही घर पहुंचा तो मधु राजू के बारे में पूछने लगी और हरिया ने सब कुछ बता दिया,,, आज की रात अकेले गुजारना पड़ेगा इस बात से गुलाबी परेशान हो गई थी क्योंकि उसे भी राजू का लंड लिए बिना नींद नहीं आती थी,,, लेकिन तभी उसके मन में जो ख्याल आया वही ख्याल हरिया के मन में भी आ चुका था,,,,,,,।लेकिन यह बात हरिया गुलाबी से कहता गुलाबी उससे पहले ही मौका देकर करो से रात को अपने कमरे में आने के लिए आमंत्रण दे दी थी,,,,।
लेकिन हरिया अपनी बीवी की चुदाई किए बिना उसके कमरे में नहीं जा सकता था क्योंकि उसकी बीवी की भी आदत थी जब तक वह जमकर चुदवा नहीं लेती थी तब तक उसे नींद नहीं आती थी और चुदवाने के बाद वह बहुत ही गहरी नींद में सोती थी जिससे हरिया का काम आसान हो जाता,,, इसलिए जल्दी से खाना खाकर वह अपनी बीवी को संतुष्ट करने में लग गया था,,,
दूसरी तरफ रांची और अशोक की बीवी ने भी खाना खा लिया था वह लोग खाना खाकर हाथ धो ही रहे थे कि तभी उन्हें दूर से आवाज सुनाई दी,,,
जागते रहो,,,, जागते रहो,,,,,,
यह आवाज सुनकर की बीवी एकदम से घबरा गई,,, लेकिन राजू के चेहरे पर घबराहट बिल्कुल भी नहीं थी,,,, अशोक की बीवी को घबराई हुई देखकर राजू बोला,,।
क्या हुआ भाभी इतनी घबराई हुई क्यों हो,,,
अरे बबुआ से मिल रहे हो गांव में चोर उचक्के आने का डर है इसलिए तो जागते रहो जागते रहो की आवाज आ रही है,,,।
अरे भाभी तुम चिंता मत करो मैं हूं ना,,, यहां कोई आने वाला नहीं है और अगर आ भी गया तो तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं हूं ना तीन-चार लोगों को तो मैं संभाल लूंगा,,, और एक दो बचेंगे तो उसे तो तुम ही संभाल लेना,,,
नहीं बबुआ मुझे तो चोर लोगों से बहुत डर लगता है,,,,,
चलो कोई बात नहीं मैं सब को संभाल लूंगा,,,,
गर्मी बहुत थी इसलिए कमरे में सोने का सवाल ही नहीं उठता था इसलिए अशोक की बीवी में अपने पति के बगल में ही खटिया लगा दी,,, आंगन ऊपर से पूरी तरह से खुला हुआ था और चारों तरफ दीवार से गिरी हुई थी,,,, यहां पर हवा बहुत अच्छी लग रही थी लेकिन राजू को नींद थोड़ी आने वाली थी,,,, राजू खटिया पर बैठकर अशोक की बीवी से बोला,,,।
भाभी तुम कहां सोओगी,,,
अरे मैं यही नीचे जाकर सो जाऊंगी तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो बबुआ,,,,।(ऐसा क्या कर वह दोनों खटिया के बीच में चटाई बिछाकर बैठ गई और कुछ देर तक दोनों इधर उधर की बातें करने लगे अशोक की बीवी को भी राजू से बातें करना अच्छा लग रहा था उसे पता ही नहीं चला कि उसका पति नशे में धुत होकर वही सो रहा है वह अपने पति के बारे में बिल्कुल भी भूल चुकी थी कुछ देर बातें करने के बाद थोड़ी रात गहरी होने लगी,,, तो वह खड़ी होकर तभी दरवाजे के पास जाती तो कभी वापस आ जाती राजू उसे देखकर समझ नहीं पा रहा था कि माजरा क्या है आखिरकार वह पूछ ही लिया,,,।
अरे भाभी क्या हुआ ऐसे क्यों रात को चहल कदमी कर रही हो,,,,
क्या बताऊं बबुआ मुझे तो शर्म आ रही है बताने में,,,
अरे ऐसी कौन सी बात है जो मुझे बताने में शर्म आ रही है,,,
मुझे बाहर जाना है बड़े जोरों की,,,,पपपप,,,पैशाब लगी है,,,
(भोली भाली खूबसूरत औरत के मुंह से पेशाब शब्द सुनते ही राजू के लंड ने ठुनकी मारना शुरू कर दिया,,,)
Bahut majaa aane wala hai apgle part meअशोक की बीवी हाथ में लालटेन लिए हुए ही वह घर के बाहर आ गई आगे-आगे राजू था,,,अब उसकी दिलचस्पी अशोक की औरतों में कुछ ज्यादा ही बढ़ती जा रही थी वह अशोक की औरतों के बारे में सोच रहा था कि कहां गदर आई जवानी की मालकिन और कहां सुखा हुआ मरियल सा अशोक,,,, औरतों का स्वाद चख चुका राजू समझ गया था कि अशोक की औरत शारीरिक रूप से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं होती होगी,,,,,,,,,, राजू का मन अब वापस घर लौटने का बिल्कुल भी नहीं था,,, क्योंकि उसकी आंखों के सामने जवानी से भरपूर एक औरत खड़ी थी जोकि एक ऐसे इंसान की औरत थीजिसमें दमखम बिल्कुल भी नहीं था और हमेशा शराब के नशे में धुत रहता था ऐसे हालात में वह अपनी बीवी को कैसे संतुष्ट कर पाता होगा,,, इसलिए राजू अपने मन में सोचने लगा कि अगर थोड़ी सी कोशिश की जाए तो आज की रात उसके जिंदगी की हसीन रात बन सकती है,,, क्योंकि मौका और दोस्तों से दोनों राजू के पक्ष में था,,,।
राजा अशोक की औरत से दो कदम आगे चलते हुए बैलगाड़ी के पीछे आ गया और उसके पीछे पीछे अशोक की औरत है जिसके हाथ में अभी भी लालटेन थी और लालटेन की पीली रोशनी में बैलगाड़ी के अंदर बेसुध हो कर लेटा हुआ अशोक साफ नजर आ रहा था जिसे देख कर ही पता चल रहा था कि वह बिल्कुल कि होश में नहीं था,,,,।
रुको मैं उठाता हूं चाची,,,,(इतना कहकर अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अशोक की टांग को पकड़े हुए था और नजर घुमाकर अपने बिल्कुल पास में खड़ी अशोक की औरत के खूबसूरत चेहरे को देख रहा था क्योंकि लालटेन की रोशनी में बहुत ज्यादा ही खूबसूरत नजर आ रहा था उसे देखते हुए राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि तुम्हें चाची कहूं या कुछ और क्योंकि तुम्हारी उम्र देख कर मुझे लगता नहीं है कि तुम्हें चाहे कहना योग्य होगा वैसे तो समाज के रीति रिवाज के हिसाब से में इन्हें चाचा कहता हूं तो लाजमी है कि तुम्हें चाची ही कहना पड़ेगा लेकिन मुझे तुम्हें चाहती कहने में खुद को शर्म महसूस हो रही है क्योंकि तुम एकदम बेहद जवान और खूबसूरत औरत हो,,,, और तुम्हें चाची कहने में एक उम्र की सीमा बंध सी जाती है,,, इसलिए समझ में नहीं आ रहा है कि तुम्हें क्या कहूं,,,,(इतना कहने के साथ ही अशोक की औरत का जवाब सोने भी नहीं हुआ अशोक को उठाने की कोशिश करने लगा और अशोक की औरत अपनी खूबसूरती की तारीफ एक अपरिचित जवान लड़के के मुंह से सुनकर पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी,,,, अशोक की बीवी को अपने जाल में फंसाने का यह राजू की तरफ से फेंका गया पहला पासा था,,, और इस पहले पासे में ही अशोक की बीवी चारों खाने चित हो गई थी,,,, भला एक औरत को अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना क्यों ना पसंद होगा,,,, अशोक की बीवी से कुछ भी बोला नहीं जा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले राजू की बातों को सुनकर वह अशोक के बारे में भूल गई,,,, तभी अशोक की बीवी के सामने जानबूझकर अपना दम दिखाते हुए बिना उसकी बीवी का मदन लिए हुए ही वह कमर से अशोक को पकड़कर उठाया और अपने कंधे पर किसी बोझ की तरह रख दिया,,,, चाहे देख कर अशोक की बीवी भी हैरान रह गई,,, क्योंकि राजू ने एक झटके में ही उसे कंधे पर उठा दिया था और,,, बोला,,,।
Ashok ki bibi kapde utarne k bad
अरे यार कितना मरियल सा शरीर है ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा है कि मैंने एक इंसान को उठाया हूं,,,।
(मरियल शब्द जानबूझकर राजू ने बोला था क्योंकि वहां अशोक की बीवी को एहसास दिलाना चाहता था कि उसका पति बेहद कमजोर और मरियल है इसके मुकाबले वह एकदम जवान और हट्टा कट्टा गठीला बदन वाला है,,, राजू की बात को सुनकर अशोक की बीवी कुछ बोली नहीं लेकिन उसे इस बात का एहसास हुआ था कि उसका पति वाकई में राजु के मुकाबले कुछ भी नहीं था,,, अशोक को कंधे पर उठाकर व दरवाजे की तरफ जाने लगा और बोला,,)
जल्दी से बताओ कहां ले चलना है,,,?
अरे हां रुको,,,,,(इतना कहने के साथ ऐसी हालत में लालटेन दिए हुए अशोक की बीवी जल्दी से कमरे में दाखिल हुई हर आंगन में ही खटिया गिरा कर बोली)
यहीं पर लिटा दो,,,
(और इतना सुनते ही राजू तुरंत आगे बढ़ा और खटिया पर आराम से उसे लिटा दिया उसकी हालत देखने पर राजू समझ गया था कि यह सुबह तक पहुंच में आने वाला नहीं है और उसके पास पूरा मौका था आज की रात रंगीन करने का लेकिन कैसे इस बारे में अभी उसने कोई उसका भी नहीं बनाई थी,,, खटिया पर लेटा लेने के बाद अपना हाथ झाड़ते हुए बोला)
तुम इन्हें समझाती क्यों नहीं,,,, शराब पी पी कर अपनी हालत खराब कर लिए हैं,,,
अब कितना समझाए बबुआ,,, हमारी तो यह एक नहीं सुनते,,, हमारी तो किस्मत खराब हो गई है,,,,,,
सच में मैं तो बिलकुल भी होश नहीं है कि कहां सो रहा हूं,,,,
वैसे तुम कौन हो बबुआ तुम्हें में पहली बार देख रही हूं,,,
मै हरिया का बेटा हूं,,,,
अच्छा-अच्छा हरिया भाई साहब,,,,, 3 दिन पहले मुझे मिले थे मैं उनसे बोली थी कि कुछ समझाईए ईन्हें,,,
अरे पिताजी तो इन्हें बहुत समझाते हैं मेरे सामने ही ऐसी हालत होने से पहले ही कितना समझाए थे लेकिन यह माने नहीं और उन्होंने ही मुझे इन्हें सही सलामत घर पर छोड़ने के लिए बोले थे,,,,
भाई साहब बहुत अच्छे हैं काश उनकी बात ये मान लीए होते तो ऐसी हालत नहीं होती,,,,(अभी भी उसके हाथों में लालटेन थी और लालटेन की रोशनी में उसकी ,भरी हुई छातियां एकदम साफ नजर आ रही थी ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे शायद गर्मी की वजह से वह खोले हुए थी,,, लेकिन वजह चाहे जो भी हो इस समय वह राजू के लंड की एठन बढ़ा रही थी,,, अशोक की बीवी की बात सुनकर राजू बोला)
अभी भी सुधर जाए तो भी,,,
अब भगवान जाने कब इन्हें अक्ल आएगी,,,,,,,(अशोक की बीपी एकदम सहज होकर बातें कर रही थी उसके मन में राजू को लेकर ऐसा वैसा कुछ भी नहीं था लेकिन राजू के मन में उसे लेकर के ढेर सारी भावनाएं उमड रही थी,,, अशोक की बीवी एकदम सहज होते हुए बोली,,) अरे बबुआ रात तो काफी हो गई है ऐसे में घर जाना ठीक नहीं है,,, एक काम करो तुम आज की रात यही रुक जाओ,,,।
नहीं नहीं मैं चला जाऊंगा,,,,
अरे कैसे चले जाओगे एक तरह से तुम आज की रात हमारे मेहमान हो,,, पर इतना तो जानती हूं कि तुम मेरे पति को यहां लेकर आए हो तो अभी तक खाना भी नहीं खाए होंगे,,,, रुको मैं खाना गर्म कर देती हूं,,,,
Uski badi badi chuchiya dekh k raju mast us ja raha tha
नहीं नहीं तुम रहने दो मैं तुम्हें तकलीफ नहीं देना चाहता हूं वैसे भी तुम कम तकलीफ में नहीं हो,,,
अरे बाबुआ यह तो रोज का हो गया है,,,,,, पर शायद जिंदगी भर का हो गया है,,, रुको मैं अभी खाना गर्म कर देती हूं,,,(वह लालटेन लिए चूल्हे के पास जाने लगी,,, राजू उसे परेशान करना नहीं चाहता था लेकिन क्या करें उसे भूख भी लगी थी और वह कुछ कहता इससे पहले वह खुद ही उसे रुकने के लिए बोल दी थी,,,,, रुकने के लिए बोल कर उसने तो राजू के लिए सोने पर सुहागा कर दी थी,,,, अशोक की औरत चोली के पास बैठकर चूल्हा जलाने लगी,,,लेकिन चुना ठीक से चल नहीं रहा था तो राजू ही उसकी मदद करने के लिए उसके पास गया और बैठ कर चुल्हा जलाने लगा,,,,,, दोनों बैठे हुए थे राजू दियासलाई जलाकर सूखी लकड़ी को जलाने की कोशिश कर रहा था और,,, अशोक की बीवी थोड़ा सा झुक कर फूंक मारकरलकड़ी के साथ डाले हुए सूखे पत्ते को जलाने की कोशिश कर रही थी उसके झुकने की वजह से और ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खुले होने की वजह से उसकी आधे से ज्यादा चूचियां बाहर को लुढकी हुई नजर आ रही थी,,, जिस पर बार-बार राजू की नजर चली जा रही थी मन तो उसका कर रहा था कि अपने हाथों से इसके ब्लाउज के बटन खोल कर दोनों खरबूजा को हाथ में लेकर जी भर कर दबा दबा कर उनसे खेले,,, लेकिन इतनी जल्दी वह हिम्मत दिखाने के बारे में सोच भी नहीं सकता था क्योंकि उसके मन में क्या चल रहा है इस बारे में राजू को बिल्कुल भी मालूम नहीं है रांची पहले माहौल को पूरी तरह से समझ लेने के बाद ही अगला कदम बढ़ाता था,,, चोला चलाते हुए राजू अशोक की बीवी से बोला,,,।)
मैं तुमको चाची कहकर कर बोलु तो तुम्हें एतराज तो नहीं होगा,,,
अब एतराज कैसा बबुआ जमाने का दस्तूर ही यही है,,, अगर तुमने चाचा कहते हो तो मुझे चाची कहोगे ना अब भाभी तो थोड़ी ना कहोगे,,,
बात तो ठीक ही कह रही है चाची लेकिन तुम्हारी उम्र तुम्हारी खूबसूरती देखकर तुम्हें चाची कहने का मन नहीं कर रहा है,,,
तो फिर क्या कहने का मन कर रहा है,,,
भाभी,,,,
(राजू की बात सुनकर अशोक की बीवी हंसने लगी और उसे हंसता हुआ देखकर राजू के मन में प्रसंता के भाव नजर आने लगे क्योंकि हंसते हुए वह बेहद खूबसूरत लग रही थी,,, उसे हंसता हुआ देखकर राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) सच भाभी,,,मैं तो तुम्हें भाभी हीं कहूंगा क्योंकि तुम्हारी उम्र चाची कहलवाने वाली नहीं है,,,, तुम हंसते हुए कितनी खूबसूरत लगती हो,,,।
(इतना सुनकर अशोक के बीवी राजू की तरफ एक तक देखने लगी और फिर हंसने लगी और हंसते हुए बोली,,)
बबुआ तुम बहुत अच्छी अच्छी बातें करते हो और सच कहे तो जिस तरह से तुम मेरी खूबसूरती की तारीफ कर रहे हो ना आज तक उन्होंने बिल्कुल भी नहीं किया,,(खटिया पर सो रहे अपने पति की तरफ इशारा करते हुए) यहां तक कि हमारी तरफ ठीक से देखते तक नहीं है बसु का बैल गाड़ी लेकर निकल जाते हैं और रात को इसी तरह से नशे में धुत होकर घर पर आते हैं,,,,(ऐसा कहते हुए पढ़ाई में रखी हुई सब्जी को कढ़ाई सहित चूल्हे पर रखकर उसे गर्म करने लगी,,)
एक बात कहूं भाभी,,,
कहो,,,
सच में तुम्हारी किस्मत खराब है,,,
वह क्यों,,,?
क्योंकि भाभी तुम्हें देखकर कोई इनको, (अशोक की तरफ इशारा करते हुए) इन्हें थोड़ी ना कहेगा कि यह आपके पति है,,, तुम्हारा पति तो होना चाहिए था कोई बांका जवान गठीला बदन वाला लंबा चौड़ा जो तुम्हें अपनी बाहों में भर ले तो तुम्हारे दामन में दुनिया भर की खुशियां भर दे,,,
Gulabi
(राजू की बातें सुनकर बहुत सोच में पड़ गई,,, क्योंकि वह भी जानती थी कि उसकी शादी ऐसे इंसान से नहीं होना चाहिए था लेकिन मजबूरी से गरीबी से मां-बाप परेशान थे इसलिए जो हाथ लगा उसी से बिहा कर दिया,,,,)
बात तो तुम ठीक ही कह रहे हो लेकिन किस्मत का लिखा कौन टाल सकता है शायद मेरी किस्मत में यही था,,,,(कढ़ाई गर्म हो रही थी इसलिए वह दोनों हाथों में कपड़े का टुकड़ा लेकर कढ़ाई को नीचे उतार दी,,, वह खाना परोसने लगी और राजु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)
भाभी मुझे यह सवाल तो नहीं पूछना चाहिए था लेकिन फिर भी मैं पूछ ही लेता हूं कि बच्चे कितने हैं,,,
Gulabi ki khubsurat gaand
बच्चे,,,,(इतना कहकर ना कुछ देर तक जगह किसी ख्यालों में खो गई और फिर थोड़ी देर बाद बोली) नहीं नहीं शादी के 2 साल हो गए हैं लेकिन बच्चे नहीं हैं और ऐसी हालत में तो अच्छा ही है कि नहीं है,,,
नहीं भाभी ऐसा क्यों बोल रही हो बच्चे तो भगवान का दिन होते हैं और बच्चे होंगे तब तुम भी बच्चों में खोई रहोगी तुम्हें भी खुशी मिलेगी,,,,
(राजू की बात से वह पूरी तरह से सहमत थी लेकिन 2 साल हो गए थे बच्चे क्या वह ठीक से संभोग सुख भी प्राप्त नहीं कर पाई थी क्योंकि उसके बदन के मुकाबले उसका पति कुछ भी नहीं था एकदम बढ़िया सा शरीर लेकर जब भी उसके ऊपर चढ़ता था तो तुरंत पानी फेंक देता था असली जवानी का सुख तो वह भोग ही नहीं पाई थी,,, फिर भी वह अपना मन मारते हुए राजु से बोली,,)
हो जाएगा जब होना होगा,,,(इतना कहते हुए वह भोजन की थाली राजू की तरफ आगे बढ़ा दी और पानी लाने के लिए कोने में रखें मटके की तरफ जाने लगी,,,और जाते समय राजू की नजर उसकी गोल गोल गांड पर थी जोकि जवानी के रस से पूरी तरह से भरी हुई थी जिस पर मर्दाना हाथों का शायद सही उपयोग नहीं हुआ था इसलिए गांड का घेराव खेली खाई औरतो वाला बिल्कुल भी नहीं था,,, गांड का आकार एकदम सुगठित था,,,,, शादी को 2 साल हो गया था लेकिन 2 साल में वह बजाना सुख से पूरी तरह से शायद वंचित ही रह गई थी या उसे असली सुख प्राप्त नहीं हुआ था इसलिए उसके बदन में ज्यादा बदलाव नहीं आया था बस थोड़ा सा भराव आ चुका था,,,, फिर भी मटकती हुई गांड देखकर राजू के हौसले पश्त होने लगे,,, प्यासी नजरों से उसके कमर के नीचे के घेराव को देखता है जा रहा था और अपनेपहचाने में उठ रहे तूफान को अपने हाथों से दबाने की कोशिश करता जा रहा था,,,, वह अशोक की बीवी की गांड देख ही रहा था कि वह बोली,,,।
अरे बबुआ तुमने तो हाथ धोए ही नही ,, आ जाओ मैं हाथ धुला देती हूं,,,,
(और इतना सुनते ही राजू अपनी जगह से खड़ा हुआ और
हाथ धो कर वापस आ गया हुआ था ली क्या है बैठ गया और जैसे ही पहला निवाला मुंह में डालने लगा कि तभी वह अशोक की बीवी की तरफ देखते हुए बोला,,,)
तुम खाना खाई हो भाभी,,,,
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नहीं मुझे भूख नहीं है,,, इंतजार करते करते सो गई और फिर लगता है कि मेरी भूख भी सो गई,,,।
अरे ऐसे कैसे मैं तुम्हारे हिस्से का खाना खा जाऊं ऐसा नहीं हो सकता,,,
नहीं बबुआ मुझे भूख नहीं है,,,
नहीं नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं चलेगा मैं तुम्हें खाना खिला कर ही रहूंगा ,,(और इतना कहने के साथ ही राजू अपनी थाली में से निवाला लेकर अशोक की बीवी की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
चलो चलो मैं खोलो,, जल्दी से,,,
अरे बबुआ यह क्या कर रहे हो,,,, मैं तुम्हारे हाथों से खाना खाऊंगी,,,,
अरे तू क्या हो गया खाना ही तो खिला रहे हु जहर थोड़ी खिला रहा हूं,,,,
नहीं मुझे शर्म आ रही है,,,
अरे शर्म कैसी,,,,, चलो जल्दी से मुंह खोलो तुम्हें मेरी कसम,,,,।
(अशोक की बीवी को बहुत शर्म आ रही थी क्योंकि एक जवान लड़के के हाथों से वह खाना कैसे खा ले क्योंकि आज तक उसने ऐसा कभी नहीं की थी और ना ही किसी ने उसे अपने हाथों से खाना ही खिलाया था इसलिए मुझे बहुत शर्म आ रही थी लेकिन ना जाने कैसा आकर्षण था राजू की बातों में कि वह उसकी बातें सुनकर मंत्रमुग्ध हुए जा रही थी,,, उसके थोड़ा सा जबरदस्ती करने से अपना मुंह खोल दी और राजू ने निवाला उसके मुंह में डाल दिया और वह शर्माते हुए खाने लगी,,,और फिर जब एक बार शुरू हुआ तो आगे बढ़ता ही रहा राजू ने धीरे-धीरे करके मुझे खाना खिलाना शुरू कर दिया और वह शर्मा संभालकर खाना खाने लगी लेकिन इस तरह से खाना खाने में उसके बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी और सबसे ज्यादा हाल-चाल उसे ना जाने की अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में महसूस हो रही थी,,,, खाना खाते खाते उसे अपनी बुर की ली होती हुई महसूस हो रही थी,,,,।
और दूसरी तरफ जब हरिया अकेला ही घर पहुंचा तो मधु राजू के बारे में पूछने लगी और हरिया ने सब कुछ बता दिया,,, आज की रात अकेले गुजारना पड़ेगा इस बात से गुलाबी परेशान हो गई थी क्योंकि उसे भी राजू का लंड लिए बिना नींद नहीं आती थी,,, लेकिन तभी उसके मन में जो ख्याल आया वही ख्याल हरिया के मन में भी आ चुका था,,,,,,,।लेकिन यह बात हरिया गुलाबी से कहता गुलाबी उससे पहले ही मौका देकर करो से रात को अपने कमरे में आने के लिए आमंत्रण दे दी थी,,,,।
लेकिन हरिया अपनी बीवी की चुदाई किए बिना उसके कमरे में नहीं जा सकता था क्योंकि उसकी बीवी की भी आदत थी जब तक वह जमकर चुदवा नहीं लेती थी तब तक उसे नींद नहीं आती थी और चुदवाने के बाद वह बहुत ही गहरी नींद में सोती थी जिससे हरिया का काम आसान हो जाता,,, इसलिए जल्दी से खाना खाकर वह अपनी बीवी को संतुष्ट करने में लग गया था,,,
दूसरी तरफ रांची और अशोक की बीवी ने भी खाना खा लिया था वह लोग खाना खाकर हाथ धो ही रहे थे कि तभी उन्हें दूर से आवाज सुनाई दी,,,
जागते रहो,,,, जागते रहो,,,,,,
यह आवाज सुनकर की बीवी एकदम से घबरा गई,,, लेकिन राजू के चेहरे पर घबराहट बिल्कुल भी नहीं थी,,,, अशोक की बीवी को घबराई हुई देखकर राजू बोला,,।
क्या हुआ भाभी इतनी घबराई हुई क्यों हो,,,
अरे बबुआ से मिल रहे हो गांव में चोर उचक्के आने का डर है इसलिए तो जागते रहो जागते रहो की आवाज आ रही है,,,।
अरे भाभी तुम चिंता मत करो मैं हूं ना,,, यहां कोई आने वाला नहीं है और अगर आ भी गया तो तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं हूं ना तीन-चार लोगों को तो मैं संभाल लूंगा,,, और एक दो बचेंगे तो उसे तो तुम ही संभाल लेना,,,
नहीं बबुआ मुझे तो चोर लोगों से बहुत डर लगता है,,,,,
चलो कोई बात नहीं मैं सब को संभाल लूंगा,,,,
गर्मी बहुत थी इसलिए कमरे में सोने का सवाल ही नहीं उठता था इसलिए अशोक की बीवी में अपने पति के बगल में ही खटिया लगा दी,,, आंगन ऊपर से पूरी तरह से खुला हुआ था और चारों तरफ दीवार से गिरी हुई थी,,,, यहां पर हवा बहुत अच्छी लग रही थी लेकिन राजू को नींद थोड़ी आने वाली थी,,,, राजू खटिया पर बैठकर अशोक की बीवी से बोला,,,।
भाभी तुम कहां सोओगी,,,
अरे मैं यही नीचे जाकर सो जाऊंगी तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो बबुआ,,,,।(ऐसा क्या कर वह दोनों खटिया के बीच में चटाई बिछाकर बैठ गई और कुछ देर तक दोनों इधर उधर की बातें करने लगे अशोक की बीवी को भी राजू से बातें करना अच्छा लग रहा था उसे पता ही नहीं चला कि उसका पति नशे में धुत होकर वही सो रहा है वह अपने पति के बारे में बिल्कुल भी भूल चुकी थी कुछ देर बातें करने के बाद थोड़ी रात गहरी होने लगी,,, तो वह खड़ी होकर तभी दरवाजे के पास जाती तो कभी वापस आ जाती राजू उसे देखकर समझ नहीं पा रहा था कि माजरा क्या है आखिरकार वह पूछ ही लिया,,,।
अरे भाभी क्या हुआ ऐसे क्यों रात को चहल कदमी कर रही हो,,,,
क्या बताऊं बबुआ मुझे तो शर्म आ रही है बताने में,,,
अरे ऐसी कौन सी बात है जो मुझे बताने में शर्म आ रही है,,,
मुझे बाहर जाना है बड़े जोरों की,,,,पपपप,,,पैशाब लगी है,,,
(भोली भाली खूबसूरत औरत के मुंह से पेशाब शब्द सुनते ही राजू के लंड ने ठुनकी मारना शुरू कर दिया,,,)
लाजवाबबहुत ही सुंदर लाजवाब और गजब का कामुक अपडेट है भाई मजा आ गया
अशोक के बिबी की गदराई जवानी को देख कर राजु मंत्रमुग्ध हो गया
मरीयल सा अशोक उसे तृप्त नहीं कर सकता ये समज गया और औरतों से खेलाखाया राजुने उसपर सुबसुरती का फासा फेक दिया और वो उसकी चाल में फसते जा रही हैं
सोने से पहले अशोक की बीबी की चहलकदमी राजू के समज के बहार थी पुछने पर जब पेशाब का बताया तो उसका लंड ठुमकी लेने लगा
अब अंधेरे में पेशाब करने जायेगी तो राजू साथ ही होगा फिर क्या चुदाई का घमासान होना ही होना तय हैं खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा