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Incest बैलगाड़ी,,,,,

Napster

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राजू की आंखों के सामने ही,,, पेशाब की तीव्रता को नहीं सहन कर पाने की स्थिति में अशोक की बीवी अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर अपनी गोरी गोरी गांड दिखाते हुए मुतने बैठ गई थी,,, राजू के एक हाथ में लालटेन थी और एक हाथ में डंडा,,, लालटेन उसने अपने लालच के बस हाथ में पकड़ रखा था डंडा अशोक की बीवी की तसल्ली के लिए,,,, और जिस चीज का लालच करके वह लालटेन लेकर बाहर आया था,,, उसमें उसे सफलता हाथ लगी थी,,,राजू जानबूझकर अशोक की बीवी से महज आठ दस कदमों की दूरी पर ही खड़ा था,,, अशोक की बीवी के भोलेपन का वह फायदा उठा रहा था और इतनी नजदीक खड़े होने की वजह से लालटेन की पीली रोशनी में अशोक की बीवी की गोरी गोरी गांड और ज्यादा चमक रही थी राजू तो यह देखकर एकदम मदहोश होने लगा,,, पजामें में उसका लंड गदर मचाने को तैयार था,,,, गहरी सांस लेते हुए वह इस लुभावने दृश्य का आनंद ले रहा था,,,



अशोक की बीवी मुतना शुरू कर दी थी और उसकी गुलाबी क्षेत्र में से आ रही सीटी की आवाज राजू के कानों में मिश्री घोल रही थी ,,मदहोशी का रस घोल रही थी,,, राजू अपने तन बदन में एक अद्भुत उत्तेजना का संचार होता हुआ महसूस कर रहा था,,,, उतेजना के मारे राजू का गला सूखता जा रहा था,,, चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था एक तो घने पेड़ के नीचे झाड़ियों के पास अशोक की बीवी बैठकर मुत रही थी ,, इसलिए अंधेरा कुछ ज्यादा ही था,,। अशोक की बीवी,, राजू के वादे पर यकीन कर गई थी यही उसके भोलेपन का सबसे बड़ा सबुत था,, उसे ऐसा ही लग रहा था कि,,,, राजू ने वादा किया है तो वह उसकी तरफ नहीं देखता होगा,,, वह शायद जमाने के दस्तूर से वाकिफ नहीं थी,,,,,, इसलिए वह सिर्फ चोर की चिंता करते हुए मुत रही थी और इधर उधर देख रही थी हालांकि पीछे की तरफ से निश्चित थी इसलिए पीछे की तरफ नजर घुमाकर नहीं देख रही थी,,, और इसी का फायदा उठाते हुए राजू एक बेहद खूबसूरत औरत को पेशाब करते हुए देखना उसकी खूबसूरत गोरी गोरी गांड लालटेन की रोशनी में चमक रही थी और उस गांड की चमक देख कर राजू का मन कर रहा था कि उसकी गांड को अपनी जीभ से चाट जाए,,,, राजू खान लंड पूरी तरह से अकड़न पर था,,, उसमें मीठा मीठा दर्द होने लगा था,, लंड की गर्मी शांत करना बहुत जरूरी हो गया था और इस समय उसका जुगाड केवलअशोक की बीवी के पास था लेकिन देखना यह था कि अशोक की बीवी उसके हाथ में कैसे आती है,,,





गुलाबी छेद से आ रही सीटी की आवाज और पेशाब की धार जो की बड़ी तीव्रता से जमीन पर पड़ रही थी उसकी आवाज दोनों मिलकर एक अद्भुत माहौल बना रहे थे,,,। राजू से बिल्कुल भी सहन नहीं हो रहा था उसकी आंखों के सामने बेहद खूबसूरत औरत अपनी नंगी गांड दिखाते हुए पेशाब कर रही थीराजू का मन कर रहा था कि अपना लंड बाहर निकालकर ठीक है उसके पीछे जाकर बैठ जाए और अपने लंड को उसकी गोरी गोरी गांड पर रगडना शुरू कर दें,,,,,,, चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था झिंगुर और कुत्तों की आवाज ही आ रही थी ऐसे में माहौल बनाने के लिए राजू बोला,,,।



आराम से मुत लो भाभी मैं यहीं खड़ा हूं घबराना नहीं,,,।

(राजू की बातों को सुनकर अशोक की बीवी को हिम्मत मिल रही थी लेकिन उसकी यह बात सुनकर अनजाने नहीं वह पीछे नजर करके देखने लगी तो राजू को अपनी ही गांड की तरफ देखता पाकर वह पल भर में ही शर्म से सिहर उठी,,,मैं तुरंत दोनों हाथों के पीछे की तरफ लाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड पर उसे ढकने के लिए रख दी,,,, उसकी इस हरकत पर राजू मन ही मन मुस्कुराने लगा,,, और उसकी इस हरकत की वजह जानने के लिए बोला,,,)

क्या हुआ भाभी,,,?

अरे बबुआ तुम तो मेरी तरफ ही देख रहे हो,,, मुझे शर्म आ रही है तुम तो वादा किए थे कि देखोगे नहीं,,,,


हां भाभी मैंने तुमसे वादा था किया था कि तुम्हारी तरफ देखूंगा नहीं लेकिन तुमको कुछ पता चला,,,,


क्या,,,?

सच में तुम को कुछ भी पता नहीं चला,,,(राजू जानबूझकर बात बनाते हुए बोला,,)

नहीं तो क्या हुआ,,,,(वह अभी भी अपनी गांड की फांकों को अपनी हथेलियों से ढकने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली,,,)

अरे भाभी अच्छा हुआ तुम्हें पता नहीं चला और अच्छा हुआ कि मैं देख रहा था इसमें कुछ गलत समझना नहीं लेकिन अगर देखता नहीं होता तो शायद सांप तुम्हें काट लिया होता,,,।




ससससस,, सांप,,,कककक,,,, किधर है,,,, किधर है,,,,(इतना कहते हुए घबरा करवा अपनी गोल गोल गांड को उठाकर खाली होने लगी तो राजू उसे सांत्वना देते हुए बोला,,,)


अरे अरे,,,,, यह क्या कर रही हो,,,(मौके का फायदा उठाते के राजू आगे बढ़ा और अशोक की बीपी के बेहद करीब पहुंच कर उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे नीचे की तरफ दबाते हुए बोला,,,) बैठ जाओ भाभी,,, ठीक से मुत तो लो,,,, अब सांप नहीं है चला गया,,, ठीक तुम्हारे पीछे से गया है,,,,अगर मैं उसे डंडे की आवाज से बहकाया ना होता तो शायद वह तुम्हारी गांड में काट लेता,,,,(राजू कहा था अभी भी अशोक की बीवी के कंधे पर था और जिस तरह से हुआ है दबाए हुए था उसकी वजह से अशोक की बीवी वापस अपनी जगह पर बैठ गई थी,,,,


बाप रे इतना कुछ हो गया और मुझे पता तक नहीं चला अच्छा हुआ कि तुम पीछे खड़े थे,,,


अरे अच्छा हुआ कि मैं पीछे खड़ा तो था लेकिन अगर तुम्हें दिया हुआ वादा पूरा करता तो शायद इस समय ना जाने क्या हो गया होता वह तो अच्छा हुआ कि तुम्हारी गोरी गोरी गांड को देखने का लालच में अपने मन में रोक नहीं पाया और तुम्हारी गांड देखने के लिए ही मैं तुम्हारी तरफ देख रहा था और तभी एक बड़ा सा सांप गुजरने लगा,,,,

अशोक की बीवी


आवाज देना था ना,,,


आवाज देता तो तुम हड़बड़ा जाती घबरा जाती और ऐसे में तुम छटपटाने लगती और तुम्हारा पैर अगर उस पर पड़ जाता तो बिना कहे वह तुम्हें काट लेता इसलिए मैं दिमाग से काम लिया,,,,,, मैं कुछ बोला नहीं शांत रहा और उसे जमीन पर डंडा पटक कर उसका ध्यान भटकाने लगा और वह ठीक तुम्हारे पीछे से गुजर गया सच कहूं तो मैं भी एकदम घबरा गया था,,,, मेरे होते हुए अगर तुम्हें सांप काट लेता तो मेरी मर्दानगी पर दाग लग जाता,,,,(राजू अभी भी उसके कंधे पर हाथ रखे हुए था अब उसे उसकी गांड एकदम करीब से नजर आ रही थीजो कि लालटेन की रोशनी में कम साफ दिखाई दे रही थी उस पर दाग धब्बे बिल्कुल भी नहीं थे,,, एकदम बेदाग गोरापन था,,,, अशोक की बीवी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह एकदम से घबरा गई थी,,, उसे लग रहा था कि राजू जो कुछ भी बोला वह सच है,,, लेकिन या तो राजू की बनी बनाई बात थी वह पूरी तरह से अशोक की बीवी को अपने विश्वास में ले लेना चाहता था,,, अशोक की बीवी एकदम घबराई हुई थी इसलिए उसकी घबराहट को कम करते हुए राजू बोला,,,)

भाभी तुम्हारी तो पेशाब ही रुक गई सांप का नाम सुनकर,,, तुम चिंता मत करो ठीक से मुत लो,,, मेरे होते हुए तुम्हें कुछ नहीं होगा,,,,( और यह कहते हुए राजू ठीक उसके पीछे थोड़ा सा बगल में बैठ गया उसका हांथ अभी भी उसके कंधे पर था,,,अशोक की बीवी सांप का नाम सुनकर घबरा तो गई थी लेकिन राजू को अपने इतने करीब बैठा हुआ पाकर अजीब सी स्थिति का अनुभव कर रही थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,, क्योंकि इस तरह से तो कभी उसके पति ने भी उसके साथ नहीं बैठा था,,,, राजु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) तुम चिंता मत करो भाभी पेशाब करो वरना रात को फिर लग जाएगी तो,,, क्या करोगी खामखा नींद खराब होगी,,,,(राजू की हिम्मत बढ़ने लगी थी क्योंकि ऐसा कहते हैं राजू कंधे पर से अपने हाथ को हटा कर सीधे उसकी गोरी गोरी गांड पर रख दिया था,,, और इस समय अशोक की बीवी अपनी हथेली से अपनी गांड को ढकने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं कर रही थी क्योंकि सांप का नाम सुनकर हो रहा है एकदम से सिहर उठी थी और उसके दोनों हथेली अपनी गांड पर से अपने आप ही हट गई थी,,, गोरी गोरी गांड पर हाथ फेरते हुए राजू की उत्तेजना बढ़ने लगी थी एक हाथ में अभी भी उसके लालटेन की जिससे उसकी रोशनी में उसको सब कुछ साफ साफ दिखाई दे रहा था,,,एक अनजान जवान लड़की की हथेली अपनी गांड पर महसूस करते हैं कि अपने आप ही उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ में लगी उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था अपने बदन में उसे अजीब सी हलचल महसूस होने लगी थी,,,, और राजू उसी तरह से अपनी हथेली को उसकी गोल गोल गांड पर फिराते हुए एकदम मदहोशी भरे स्वर में बोला,,,),,

मुतो ना भाभी,,,,,,,,(राजू की हरकत की वजह से अशोक की बीवी की सांसे एकदम गहरी चलने लगी थी उसे अजीब सी हलचल महसूस होने लगी थी उसके बदन में सुरूर सा छाने लगा था,,, और अशोक की बीवी को एकदम स्थिर और शांत देखकर राजू कीमत बढ़ने लगी और वापस की गांड की दोनों फांकों के बीच लाते हुए अपनी हथेली को नीचे की तरफ सरकार ने लगा अपनी मोरी को हरकत देते हुए बहुत ही जल्द वह अशोक की बीवी के गांड के छेद पर अपनी उंगली फिराने लगा,,,,अशोक की बीवी एक दम मस्त हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है,,,,, राजू अपनी हरकत को आगे की ओर बढ़ने लगा अशोक की बीवी की गांड का छेद का स्पर्श अपनी उंगली पर होते ही उसका लंड एक दम फूलने पिचकने लगा,,, राजू के साथ-साथ अशोक की बीवी की हालत खराब होती जा रही थी राजू तो खेला खाया लड़का थाबहुत सी औरतों के साथ में इस तरह के संबंध बना चुका था इसलिए अपनी उत्तेजना को किसी हद तक दबाने में कामयाब हो गया था लेकिन अशोक की बीवी की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,,,, उसकी उखडती हुई सांसो को देखकर,,, राजू समझ गया था कि उसे मजा आ रहा है‌ वह मस्ती के सागर में गोते लगा रही है,,,,,,, अभी तक दोबारा उसकी बुर् के गुलाबी छेद से पेशाब की धार नहीं फुटी थी,,, राजू अपनी हथेली को उसकी गांड के छेद पर हल्के से दबाते हुए अपनी उंगली से उसके भूरे रंग के छेद को दबा दिया जिससे ना चाहते हुए भी अशोक की बीवी के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,,सससहहहह,,,, इस आवाज को सुनते ही राजू समझ गया कि उसका काम आसान होने वाला है,,,,,,, इसलिए फिर से,,,मुतो ना भाभी,,,बोलकर वह अपनी उंगलियों को आगे की तरफ बढ़ाने लगा,,, जैसे-जैसे ऊंगलियां बुर की तरफ आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे,, अशोक की बीबी की सांसे अटकने सी लगी थी,,, इस तरह की मदहोशी का अनुभव उसने आज तक नहीं की थी,,, अपने पति के द्वारा भी इस तरह की हरकत का सामना वह कभी नहीं कर पाई थी इसलिए शायद औरतों के खूबसूरत बदन से मर्दो कि इस तरह की हरकत के बारे में उसे कुछ भी समझ नहीं थी,,,,,।

रात की काली स्याह अंधेरे में पेशाब करते समय अशोक की बीवी को राजू पूरी तरह से उकसाने की कोशिश में लगा हुआ था,,,,, जहां उत्तेजना के मारे राजू की हालत खराब थी वहीं दूसरी तरफ अशोक की बीवी पानी पानी हुए जा रही थी क्योंकि इस तरह की छेड़छाड़ उसके पति ने आज तक उसके साथ नहीं किया था,, उसे तो उसकी बस शराब ही भली थी,,,,,,राजू अपनी हरकतों की वजह से पूरी तरह से अशोक की बीवी को अपनी गिरफ्त में ले चुका था,,,, राजू की हरकतों की वजह से पूरी तरह से भावनाओं में बह जाने के सिवा ऐसा लग रहा था कि जो की बीवी के पास दूसरा कोई चारा नहीं था,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और राजू की उंगलियां उसकी गांड के छेद से आगे की तरफ बढ़ते हुए उसकी बुर की तरफ जा रही थी जो कि केवल एक अंगुल की ही दूरी पर ही थी,,, पर मात्र एक अंगुल की दूरी तय करने में राजू के साथ साथ अशोक की बीवी को भी अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी उत्तेजना और डर के मारे अशोक की बीवी की पेशाब रुक गई थी,,, गांड की दोनों फांकों के बीच की गर्माहट राजू अपने तन बदन में अच्छी तरह से महसूस कर रहा था छोटे से छेद की गर्मी से कहीं उसका लंड पिघल न जाए इस बात का भी उसे डर था,,,,

अशोक की बीवी पेशाब करते हुए


राजू की हरकतों की तड़प अशोक की बीवी के चेहरे पर साफ नजर आ रही थी उसकी सांसे भी गवाही दे रही थी कि वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी है और राजू अपनी उंगली को धीरे-धीरे करके ठीक उसकी गरम बुर पर रखते ही,,, उसके कान में धीरे से फुसफुसाते हुए बोला,,,।

मुतो ना भाभी रुक क्यों गई,,,?

बस राजू का इतना कहना था कि उत्तेजना के मारे एक बार फिर से अशोक की बीवी की गुलामी बुर के गुलाबी छेद में से पेशाब की धार चल चला कर बाहर निकलने लगी जोकि राजू की उंगलियों को भी गर्माहट के साथ भीगोते हुए जमीन पर गिर रही थी,,,, राजु एकदम से मस्त हो गया और अशोक की बीवी भी मदहोश होने लगी उसकी आ्खो में खुमारी जाने लगी किसी ने भी आज तक उसके साथ इस तरह की हरकत नहीं किया था,,, इसलिए राजू की इस तरह की हरकत की वजह से वह पूरी तरह से चुदवासी हुई जा रही थी,,,,,,अभी तक की हरकत को अशोक की बीवी किसी भी तरह से रोकने की कोशिश नहीं की थी इसलिए राजू की भी हिम्मत बढ़ती जा रही थी लालटेन उसके हाथों में थी बड़े से डंडे को व नीचे जमीन पर रख दिया था और उसी हाथ से अशोक की बीवी की बुर को रगड़ रहा था,,,आंखें दोनों की बंद हो चुकी थी दोनों अपनी अपनी दुनिया में पूरी तरह से मस्त हो चुके थे अशोक की बीवी पेशाब की धार अभी भी अपनी गुलाबी छेद में से निकाले जा रही थी,,,,,। अशोक की बीवी की बुर का गुलाबी छेद नीचे होने की वजह से राजू ठीक से उसकी बुर के दर्शन नहीं कर पाया था हालांकि अपनी हथेलियों से टटोलकर वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था,,,बुर की गर्माहट अपनी हथेली पर महसुस करते ही वह अशोक की बीवी के कानों में बोला,,,।)

राजु अशोक की बीवी की बुर से खेलता हुआ


तुम्हारी बुर बहुत गर्म है भाभी,,,,

सहहहहह ,,,,आहहहहहह,,,, यह क्या कर रहे हो बबुआ,,(अपनी दोनों आंखों को मदहोशी के आलम में बंद किए हुए ही वह राजू से बोली,,,)

तुम्हें ठीक से मुता रहा था डर के मारे तुम्हारी पेशाब रुक गई थी ना अगर मैं ऐसा ना करता तो तुम्हारी पेशाब रुकी रह जाती है और तुम्हें पेट में दर्द होना शुरू हो जाता,,,(राजू उसी तरह से अशोक की बीवी की बुर को अपनी हथेली से मसलते हुए बोला,,,, और अशोक की बीवी कुछ बोलने के लायक नहीं थी,,,। धीरे-धीरे अशोक की बीवी मूत्र क्रिया संपन्न कर ली लेकिन राजू की हथेली का आनंद लेने में पूरी तरह सेमशगूल हो गई राजू को इस बात का आभास हो गया था वह उसकी मस्ती को धीरे-धीरे और ज्यादा बढ़ा रहा था,,,,,, इसलिए वह धीरे से अपनी एक उंगली को उसकी बुर के अंदर सरका दिया और जैसे ही ऊंगली गुलाबी छेद में प्रवेश की वैसे ही अशोक की बीवी के मुंह से आह निकल गई,,,, उसकी आह की आवाज सुनकर राजू चारों खाने चित हो गया वह पूरी तरह से मदहोश हो गया और अपनी उंगली को पूरी की पूरी उसकी गुलाबी छेद में डालता हुआ बोला,,,,।

आहहहह भाभी मुत ली हो क्या,,,?

हां बबुआ,,,(गरम आहें भरते हुए वह बोली,,,)


तो लो भाभी अब तुम लालटेन पकड़ो मुझे भी जोरो की पेशाब लगी है,,,(राजू पेशाब करने के बहाने से उसे अपने लंड का दर्शन कराना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि वॉच आज इतनी भी भोली भाली हो लेकिन मोटा तगड़ा लैंड देखकर उसकी भी मस्ती पड़ जाएगी और उसे अपनी बुर में लेने के लिए तैयार हो जाएगी,,,, राजु की बात सुनकर अशोक की बीवी बिना कुछ बोले खड़ी हुई और अपने कपड़ों को व्यवस्थित करने के बाद लालटेन को अपने हाथ में ले ली,,, वह लालटेन को हाथ में लेकर पीछे कदम ले जाती इससे पहले ही जल्दबाजी दिखाते हुए राजू तुरंत अपने पजामे में से अपने लंड को बाहर निकाल लिया,, ताकि लालटेन की रोशनी में वह अच्छी तरह से उसके एजेंट के दीदार कर सके,,, और ऐसा ही हुआ,,,, राजू जैसे ही लंड को अपने पजामे में से बाहर निकाल कर पेशाब करना शुरू किया वैसे ही अशोक की बीवी की नजर उसके मोटे तगड़े लंबे लंड पर चली गई जो कि पूरी तरह से खड़ा था,,, इतने मोटे तगड़े लंबे लंड पर नजर जाते ही अशोक की बीवी की हालत खराब हो गई क्योंकि उसने आज तक केवल अपने पति के ही लंड को देखी थी और अपने पति के लंड के साथ ज्यादा मस्ती नहीं कर पाई थी,,, जोकि राजू के लंड से आधा और पतला ही था,, इसलिए राजू के लंड को देखकर वह पूरी तरह से हैरान हो गई,,,। उसके पैर ज्यों के त्यों वही ठीठक कर रह गए,,,,, राजु के लंड को देखकर अशोक की बीवी की आंखों में चमक आ गई थी,,, उसे यह नजारा बेहद अद्भुत और रमणीय लग रहा था,,, तो राजू भी जानबूझकर अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए पेशाब कर रहा था और अशोक की बीवी की तरफ देखते हुए बोला,,,।


आहहहहह ,,,, भाभी ,,, तुमको पेशाब करता हुआ देखकर ,, मुझे भी जोरो की पैशाब लग गई,,,।
(लेकिन इस बार अशोक की बीवी कुछ बोली नही क्योंकि राजू के लंड को देखकर उसकी आंखों में शर्म की लालिमा छा गई थी,,और वह शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे झुका ली थी,,,। राजू मन ही मन प्रसन्न हो रहा था उसका काम धीरे धीरे बनता हुआ नजर आ रहा था उसे अपने पर पूरा विश्वास हो गया था कि जब वहां अपनी उंगली को उसकी बुर में प्रवेश करा दिया तो लंड डालने में कितना देर लगेगा और वह जरा सा भी विरोध नहीं कर पाई थीऔरतों की संगत में राजू को औरतों के मन में क्या चल रहा है इस बारे में थोड़ा थोड़ा समझ में आने लगा था अशोक को देखकर वह समझ गया था कि उसकी बीवी पूरी तरह से प्यासी है तन की प्यार की,,, उसे तृप्ति का अहसास चाहिए संतुष्टि चाहिए जो कि वही उसे प्रदान कर सकता है,,,, पर आज की रात वह अशोक की बीवी के साथ चुदाई का खेल खेलना चाहता था,,,,।

भोली भाली अशोक के बीवी के मन में राजू के लंड को देखकर भी हलचल हो रही थी और वह अपने मन में यही सोच रही थी कि बाप रे इतना मोटा और लंबा लंड,,, उसके पति का तो इसके सामने कुछ भी नहीं है,,, बाप रे यह बुर में कैसे जाता होगा,,, यह सब सोचते हुए उसे अपनी दोनों टांगों के बीच हलचल सी महसूस होने लगी थी जो कि कुछ देर पहले ही राजू ने अपनी हथेली का कमाल दिखाते हुए उसकी बुर से काम रस निकाल दिया था,,। अशोक की बीवी अभी यही सब सोच रही थी कि उसके कानों में फिर से वही आवाज आई जागते रहो जागते रहो,,,, वह एकदम से घबरा गई,,, और राजू से बोली,,,।


जल्दी करो बबुआ,,,मुझे तो बहुत डर लग रहा है आज बाहर बार जागते रहो जागते रहो चिल्ला रहे हैं,,,


अरे भाभी तुम खामखा डरती हो जब मैं तुम्हारे साथ हूं तो किसी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है,,,।


नहीं नहीं बबुआ सब कुछ तो ठीक है लेकिन जल्दी से अंदर चलो,,,(अशोक की बीवी अपने चारों तरफ नजर घुमाते हुए बोली)


ठीक है भाभी मेरा भी हो गया,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह अपने खड़े लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसे अपने पहचाने को थोड़ा आगे की तरफ खींच कर उसे अंदर डालने की कोशिश करने लगा जो कि उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में था इसलिए पजामे के अंदर जाने में थोड़ी मशक्कत करनी पड़ी आखिरकार वह थोड़ी मशक्कत करने के बाद अपनी पजामे में लंड को ठुंसते हुए बोला,,,।)


क्या करूं भाभी बहुत परेशान कर देता है ज्यादा लंबा और मोटा है ना इसलिए पजामे में ठीक से जाता नहीं है,,,(अपने पजामे को व्यवस्थित करते हुए बोला लेकिन अभी भी उसके पजामे में खूंटा बना हुआ था,,, ज्यादा लंबा और मोटा कहकर राजू अशोक की बीवी को और ज्यादा तडपाना चाहता था,,,,,। और राजू की बातों को सुनकर वह तड़प भी रही थी,,, राजू की बातों को सुनकर अनजाने नहीं अचानक उसके मुंह से निकला,,,।

हां सच में बहुत मोटा और लंबा है,,,,
(अशोक की बीवी का जवाब सुनकर राजे मंद मंद मुस्कुराने लगा और उसके हाथों से लालटेन ले लिया और नीचे पड़ा डंडा भी हाथ में उठा लिया आगे-आगे अशोक की बीवी और पीछे पीछे राजू घर में प्रवेश कर गए,,,, अंदर आते ही अशोक की बीवी राजू से बोली)

अच्छे से दरवाजा बंद कर देना,,,


तुम चिंता मत करो भाभी,,,( और इतना कहने के साथ ही राजू लालटेन को नीचे जमीन पर रख दिया और डंडे को एक तरफ दीवार के सहारे खड़ा करके दरवाजा बंद करके उसकी सीटकनी लगा दिया ,,,, वापस अपने बिस्तर की तरफ आने लगा अशोक की बीवी दोनों खटिया के बीच में चटाई बिछाकर उस पर बैठ गई थी,,, उसके मन में भी हलचल मची हुई थी राजु के लंड को लेकर,,,और राजू बिस्तर पर बैठते हुए बोला,,,।)

क्या हुआ भाभी रात भर जागने का विचार है क्या,,,


नहीं बबुआ लेकिन ना जाने क्यों नींद नहीं आ रही है,,,

(अशोक की बीवी की बात सुनकर राजू समझ गया था कि उसे नींद क्यों नहीं आ रही है वह किसी भी तरह से आज की रात अशोक की बीवी की चुदाई करना चाहता था और दूसरी तरफ राजू के पिताजी हरिया खाना खाने के बाद अपनी छोटी बहन गुलाबी को इशारा करके अपने कमरे में चला गया और अपनी बीवी मधु के सारे कपड़े उतार कर उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया और उसे जबरदस्त तरीके से चोदने लगा दो कि पूरी तरह समझ तो गई थी हरिया यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बीवी को जमके चोदने के बाद वह इत्मीनान से गहरी नींद में सोती है और सुबह से पहले उसकी नींद नहीं खुलती,,इसीलिए हरिया अपनी बीवी को पूरी तरह से तृप्त कर देना चाहता था और थोड़ी ही देर में वहां अपनी बीवी की चुदाई करके कुछ देर तक उसके साथ बिस्तर पर लेटा रहा और जब देखा कि उसकी बीवी गहरी नींद में सो गई है तो वह धीरे से खटिया पर से उठा और बिना आवाज के दरवाजा खोल के बाहर से दरवाजा बंद कर लिया ताकि अगर किसी भी तरह से उसकी नींद खुल भी गई तो वह आराम से कोई बहाना बनाकर बच सकता है,,,, और वहां से निकल कर बगल वाले कमरे में जिसमें गुलाबी सोती है वहां दरवाजे पर आकर दरवाजे पर दस्तक देने के लिए जैसे ही वह हाथ दरवाजे पर रखा दरवाजा अपने आप ही खुल गया,,गुलाबी ने पहले से ही दरवाजा को खुला छोड़ दी थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका बड़ा भाई उसकी बीवी की चुदाई करके उसके पास जरूर आएगा,,, जैसे ही दरवाजा खुला
दरवाजे के खुलने की आवाज सुनकर खटिया पर ऐसे ही लेटकर अपने बड़े भाई का इंतजार कर रही गुलाबी तुरंत से उठ कर बैठ गई और दरवाजे पर अपने बड़े भाई को देख कर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई,,, अंदर आकर दरवाजे को बंद करते हुए हरिया बोला,,,।

क्या बात है तुझे नींद नहीं आ रही है,,,


तुम्हारा इंतजार कर रही थी,,,,

(इतना सुनते ही हरिया आगे बढ़ा और खटिया पर बैठते हुए गुलाबी को अपनी बाहों में लेकर उसे खटिया पर पीठ के बल लेटाते हुए उसके ऊपर पूरी तरह से छा गया,,,।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
एक जमाने का भोला भाला राजू औरतों को पटा कर उसे चोदने में महारत हासिल कर चुका है
अशोक के बिबी को बातों में फसाकर और डर दिखा कर उसे जो चाहिए था वो सब हासिल कर रहा था
जैसे अशोक के बिबी को मुतते हुए उसकी गोरी गोरी गदराई गांड देखना,साप का डर दिखाकर उसकी गांड से खेलना बुर में उंगली डालकर उसे अंदर बहार कर उसकी काम उत्तेजना को चरम तक उत्तेजित करना और साथ ही साथ अपना मोटा तगडा और लंबा लंड दिखाकर आग में घी डालकर अपने से चुदने के लिये लगभग तयार कर लेना वाह रे वाह राजु
वही घर में हरीया और गुलाबी का खेल शुरु हो गया
मधु को जमकर चोदकर उसे गहरी निंद आने का प्रबंध हरीया कर चुका है और अब वो अपनी बहन गुलाबी की गुलाबी बुर का रस चखने के लिये उसके कमरें में पहुंच गया है खैर देखते हैं आगे क्या होता है
 

Naik

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राजू की किस्मत वाकई में बहुत तेज थी ऐसा लगता है कि कामदेव ने खुद अपने हाथों से राजे की किस्मत लिखी थी इसलिए,,, आए दिन राजू को नई बुर का स्वाद चखने को मिल रहा था,,,,,, और राजू अपनी किस्मत से बेहद खुश था और अपने आप पर गर्व महसूस करता था,,,


वादे के मुताबिक राजू अपने पिताजी के साथ रेलवे स्टेशन पर जाने लगा धीरे-धीरे उसे बेल गाड़ी चलाने में मजा भी आने लगा और वह बहुत ही जल्द रेलगाड़ी को चलाना सीख गया था,,,, कौन सी जगह का कितना किराया है यह भी उसे बहुत ही जल्द पता चलने लगा,,,,,, रेलवे स्टेशन के अंदर जाना वहां से सवारी लेना उनका सामान लेकर बैलगाड़ी पर रखना यह सब बड़े जल्दी राजू सीख गया था और हरिया बहुत खुश नजर आ रहा था क्योंकि उसकी मदद करने वाला जो मिल गया था हरिया अपने मन में यही सोचता था कि जैसे तैसे करके बाहर लाला का उधार चुका दे तो कुछ उधार पैसे ले करके एक बैलगाड़ी और ले ले ताकि उसका बेटा भी उसकी मदद करें और आमदनी भी अच्छी हो जाए,,,,,,,,,,,


धीरे धीरे राजू की वजह से हरिया की आमदनी बढ़ने लगी थी हरिया बहुत खुश था ऐसे ही एक दिन शाम ढलने वाली थी और हरिया बेल गाड़ी लेकर स्टेशन के बाहर खड़ा था कि कोई आखिरी सवारी मिल जाए तो जाते-जाते कुछ आमदनी हो जाए ,,, हरिया का मित्र अशोक भी वहीं बैठा हुआ था,,, दोनों आपस में बातचीत कर रहे थे,,, और राजू रेलवे स्टेशन के अंदर जाकर ट्रेन आने का इंतजार कर रहा था ताकि सवारी मिल सके,,,,।

अच्छा हुआ हरिया तु अपने बेटे को भी काम पर लगा दिया नहीं तो दिन भर इधर-उधर घूमता रहता,,,,


हां इसीलिए तो,,,, मैं भी सोचा कि कुछ मदद हो जाएगी आजकल खांसी परेशान किए हुए हैं,,,,


तू भी तो दिन भर बीडी फुंकता रहता है ऐसा नहीं कि बीडी छोड़ दु,,,


क्या करूं यार छुटती ही नहीं है,,, और तू भी तो दिन भर शराब पीते रहता है,,, अभी कुछ दिन पहले ही तेरी बीवी मिली थी,,, रोने जैसा मुंह हो गया था,,, तेरे सर आप से एकदम परेशान हो गई है,,,, तू छोड़ क्यों नहीं देता,,,


अब तेरे जैसा हाल मेरा भी है जैसे तुझसे बीड़ी नहीं छोड़ी जा रही वैसे मैं से शराब भी नहीं छोड़ा जा रहा है,,,, हम दोनों साथ में ही भुगतेंगे,,,,(ऐसा कहकर वह हंसने लगा,,,, धीरे-धीरे समय बीत रहा था और सवारी मिलने का नाम नहीं ले रहे थी तो,,, हरिया का मित्र अशोक ने धोती में शराब की बोतल निकाला उसका ढक्कन खोलने लगा देखकर हरिया बोला,,,)

देख अब अभी पीना मत शुरू कर दे तुझे घर भी वापस जाना है रात हो रही है,,,, और तु मुझसे दो गांव आगे रहता है,,,।


अरे कुछ नहीं होगा यार यह तो मेरे रोज का है ले तू भी ले ले,,,,


नहीं नहीं शराब तुझे ही मुबारक हो,,, मेरी तो बीडी ही सही है,,,(ऐसा कहते हुए वह भीअपने कुर्ते की जेब में से बीडी निकाल कर उसे दिया सलाई से सुलगाया और पीना शुरू कर दिया,,, और अशोक पूरी सीसी मुंह में लगाकर घूंट पर घुट मारने लगा,,,, नतीजा यह हुआ कि उसे शराब चढ़ने लगी,,,, थोड़ी ही देर में वह पूरी तरह से नशे में धुत हो गया,,,
अंधेरा हो चुका था घर जाना जरूरी था और सवारी मिलने का कोई ठिकाना ना था हरिया सोचा कि जाकर स्टेशन से राजू को वापस बुला ले और यही सोचकर वह बैलगाड़ी से नीचे उतरा कि सामने से राजू आता हुआ दिखाई दिया वह हरिया के पास आकर बोला,,,,।)

पिताजी आज ट्रेन लेट है देर रात को आएगी और तब तक हम रुक नहीं सकते,,,।


हां तु ठीक कह रहा है,,, इसलिए मैं भी तुझे बुलाने ही वाला था,,,

तो घर चले,,,


हां चलना तो है लेकिन,,ये, अशोक पूरी तरह से नशे में धुत हो गया,, है,,,,।
(इतना सुनते ही राजू अशोक की बेल गाड़ी के पास गया और उसका हाथ पकड़ कर हिलाते हुए बोला)


चाचा ओ चाचा,,, उठो घर नहीं चलना है क्या,,,।
(इतना सुनकर वह थोड़ा सा उठा और)

हममममम,,,,,,,, इतना कहने के साथ फिर से लुढ़क गया,,, उसकी हालत को देखते हुए राजू बोला,,।

पिता जी यह तो बिलकुल भी होश में नहीं है,,,


हां मैं भी देख रहा हूं पता नहीं यह घर कैसे जाएगा,,,जा पाएगा भी कि नहीं और रात को यहां पर छोड़ना ठीक नहीं है यह पूरी तरह से नशे में है अगर कोई चोर उचक्के आ गए तो ईसकी बेल गाड़ी भी लेकर रफूचक्कर हो जाएंगे,,,


तो फिर करना क्या है पिताजी,,,,


करना क्या है इसे घर तक पहुंचाना है,,, तू बैलगाड़ी अच्छे से चला तो लेगा ना,,,


बिल्कुल पिता जी मैं एकदम सीख चुका हूं,,,

Madhu ki gaand



तब तो ठीक है देख रात काफी हो चुकी है,,,,,, चांदनी रात है इसलिए कोई दिक्कत तो नहीं आएगी लेकिन फिर भी इसे इसके घर तक पहुंचाना जरूरी है एक काम कर तु इसकी पहल गाड़ी ले ले और इसे इसके घर पर छोड़ देना,,,,


फिर मैं वहां से आऊंगा कैसे,,,


हां यह बात भी ठीक है,,,,,(कुछ सोचने के बाद)अच्छा तो एक काम करना कि अगर ज्यादा देर हो जाए तो वहीं पर रुक जाना अशोक के वहां ही सो जाना,,,,
(वैसे तो वहां रुकने का उसका कोई इरादा नहीं था क्योंकि रात को गुलाबी गुलाबी बुर चोदे बिना उसका भी मन नहीं मानता था उसे नींद नहीं आती थी,,, फिर भी वह बोला,,)

ठीक है पिताजी जैसा ठीक लगेगा वैसा करूंगा,,,
(राजू अपने मन में यह सोच रहा था कि अगर सही लगा तो वह वापस लौट आएगा अगर ज्यादा रात हो गई तो वहां से आना भी ठीक नहीं है इसलिए वह वहीं रुक जाएगा,,, दोनों चलने की तैयारी करने लगे,,, हरिया आगे आगे अपनी बेल गाड़ी लेकर चल रहा था और पीछे राजू राजू के लिए यह पहला मौका था जब वहां के रेलगाड़ी को संपूर्ण आजादी के साथ चला रहा था बेल की लगाम उसके हाथों में थी जहां चाहे वह वहां मोड सकता था उसी बेल गाड़ी चलाने में मजा भी आ रही थी,,, आगे आगे चलते हुए हरिया उसे निर्देश भी दे रहा था,,,।)

Raghu ka musal or Gulabi ki boor

देखना आराम से जल्दबाजी ना करना कहीं ऐसा ना हो कि बेल भड़क जाए और भागना शुरू कर दे तब दिक्कत हो जाएगी आराम से प्यार से,,,


चिंता मत करो पिताजी मैं चला लूंगा,,,,
(ऐसा कहते हुए राजु अपने पिताजी के पीछे पीछे चलने लगा,,, राजू के साथ-साथ हरिया भी खुश था कि उसका बेटा बड़े आराम से बैलगाड़ी को चला ले रहा है,,, देखते ही देखते राजू का गांव आ गया और मुख्य सड़क से कुछ निर्देश देते हुए हरिया अपनी बैलगाड़ी को नीचे गांव की तरफ उतार लिया और राजू को आगे बढ़ जाने के लिए बोला क्योंकि यहां से 2 गांव आगे अशोक का गांव था,,,। हरिया बिल्कुल सहज था लेकिन जैसे हीराजू बेल गाड़ी लेकर अशोक के गांव की तरफ आगे बढ़ने लगा तभी उसके दिमाग में खुराफात जागने लगी राजू की गैर हाजिरी मे उसका मन मचलने लगा और वो जल्दी जल्दी घर पर पहुंच गया,,,, और दूसरी तरफ राजू अपनी मस्ती में बेल को हांकता हुआ आगे बढ़ता चला जा रहा था,,, चांदनी रात होने की वजह से सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,, रात तो हो चुकी थी लेकिन फिर भी इक्का-दुक्का लोग सड़क पर आते जाते नजर आ जा रहे थे,,, राजू अपने मन में सोचने लगा कि जल्दी से अशोक चाचा को उसके घर पहुंचाकर वापस अपने गांव आ जाएगा क्योंकि गुलाबी की दोनों टांगों के बीच की पतली दरार उसे बहुत याद आ रही थी,,,।

अशोक के गांव को जाने वाली सड़क थोड़ी संकरी थी इसलिए बड़ा संभाल कर राजू अपने बैल को आगे बढ़ा रहा था क्योंकि जरा सा इधर-उधर होने पर बेल गाड़ी नीचे खेतों में उतर जाती है फिर तो और मुश्किल हो जाती इसलिए वह किसी भी प्रकार की गलती नहीं करना चाहता था और चांदनी रात में उसे सहारा भी मिल रहा था,, उसे सब कुछ नजर आ रहा था,,,,।

Raju ki ma ki raseeli boor


तकरीबन 1 घंटा अपने गांव से बैलगाड़ी को और ज्यादा चलाने पर अशोक का गांव आ गया था लेकिन अशोक का घर कौन सा है उसे मालूम नहीं था,,, और रात होने की वजह से कोई नजर भी नहीं आ रहा था,,,, गांव में पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ था और वैसे भी आज रेलवे स्टेशन से आने में देर हो गई थी,,, राजू के मन में अजीब अजीब से ख्याल आ रहे हैं अपने मन में सोचने लगा कि अगर अशोक के घर पर रुकना पड़ गया तो आज की रात वह चुदाई कैसे कर पाएगा,,, गुलाबी को चोदे बिना तो उसका भी मन नहीं मानता था राजू अपने मन में सोचने लगा कि भले ही उसकी बुआ उसे अपनी गांड नहीं देती लेकिन दुनिया की सबसे बेश कीमती खजाना तो उसे सौंप देती है,,, और एक जवान लड़के को रात गुजारने के लिए क्या चाहिए,,,,,,, हे भगवान कहां फंस गया बेवजह मुसीबत मोल ले लिया कह देना चाहिए था कि मुझे बेल गाड़ी अभी ठीक से चलाना नहीं आता ताकि घर पर इत्मीनान से अपनी बुआ के साथ रात तो गुजार सकता था,,,,,, यहां तो कोई नजर भी नहीं आ रहा है,,,अपने मन में यही सोचता हुआ राजू धीरे-धीरे बैलगाड़ी को आगे बढ़ा रहा था वह अपने मन में सोच रहा था कि कोई नजर आ जाता तो उसी से अशोक चाचा का घर पूछ लेता,,,,


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यही सोचता हुआ राजू आगे बढ़ रहा था कि तभी उसे घास फूस की झोपड़ी में एक बुजुर्ग इंसान बैठे हुए नजर आए जो कि जोर-जोर से खास रहे थे,,, बस फिर क्या था राजू तुरंत बैलगाड़ी को खड़ा करके बैलगाड़ी से नीचे उतरा और उस बुजुर्ग इंसान के पास गया और बोला,,,।


दादा प्रणाम,,,

अरे खुश रहो बेटा इतनी रात को कहां,,,


अरे दादा जी अशोक चाचा के घर जाना था बेल गाड़ी वाले,,,


अच्छा-अच्छा अशोक के घर,,,


हां दादा अशोक के घर,,,,


यहां से,,,(जोर जोर से खांसते हुए रुक गए और फिर थोड़ा जल्दी जल्दी सांस लेते हुए बोले मानो कि जैसे उनकी सांस फूल रही हो,,) तीन घर छोड़ने के बाद वह जो बड़ा सा पेड़ नजर आता है ना घना,,,, बस वही अशोक का घर है,,,,(राजू उस बुजुर्ग के उंगली के इशारे की तरफ देखता हुआ)

जो बड़ा सा पेड़ नजर आ रहा है वही ना दादा,,,,

हां बेटा वही,,,


बहुत-बहुत धन्यवाद दादा,,,,
(इतना कहने के साथ ही राजू वापस बैलगाड़ी पर बैठ गया और बेल को हांकने लगा,,,अब बेल को भी अपना ठिकाना मालूम था इसलिए वह बिना रुके हैं उस घने पेड़ के नीचे आकर रुक गया,,,, राजू बैलगाड़ी से नीचे उतरा और दरवाजे पर पहुंच कर दरवाजे की सीटकनी को हाथ में पकड़ कर उसे दरवाजे पर बजाते हुए बोला,,,)


चाची,,,,ओ ,,,,चाची,,,,,,,
(कुछ देर तक किसी भी तरह की आवाज अंदर से नहीं आई तो राजू जोर से दरवाजे के सिटकनी को पटक ते हुए आवाज लगाया,,,)

चाची अरे जाग रही हो कि सो गई,,,,,।
(थोड़ी देर में राजू को अंदर से कुछ हलचल की आवाज सुनाई थी तो वह समझ गया कि चाची जाग गई है,,,, और वह शांत होकर खडा हो गया,,,, दरवाजे की तरफ आते हुए उसे पायल और चूड़ियों की खनकने की आवाज आ रही थी,,, और अगले ही पल दरवाजा खुला,,,और अभी दरवाजा ठीक से खुला ही नहीं था कि तभी राजू बोला,,)

ओ,,, चाची क्या है ना कि अशोक चा,,,,(अभी वह पूरी बात बोल ही नहीं पाया था कि उसके शब्द उसके गले में ही अटक कर रह गए क्योंकि दरवाजा खुलने के साथ जो नजारा उसकी आंखों के सामने दिखाई दिया उसे देखते ही वह एकदम से दंग रह गया,,,, दरवाजे पर एक खूबसूरत औरत खडी थी,,, एकदम गोल चेहरा भरा हुआ,,, बाल एकदम खुले हुए थे वह एक हाथ में लालटेन पकड़ी हुई थी जिसकी पीली रोशनी में उसका खूबसूरत भरा हुआ चेहरा एकदम साफ नजर आ रहा था राजू उसके खूबसूरत चेहरे की तरफ देखता ही रह गया लाल लाल होंठ तीखे नैन नक्श गोरे गोरे गाल एकदम भरे हुए माथे पर बिंदिया और नाक में छोटी सी नथ,,, राजू तो देखता ही रह गया,,,, वह अभी भी थोड़ी नींद में थी राजू कुछ और बोल पाता इससे पहले ही राजू की नजर उस की भरी हुई छाती ऊपर गई तो उसके होश उड़ गए,,, ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे जो कि शायद गर्मी की वजह से वह सोते समय खोल दी थी जिसकी वजह से उसकी आंखें से ज्यादा चूचियां बाहर आने के लिए मचल रही थी और लालटेन की पीली रोशनी में अपनी आभा बिखेर रही थी,,,, अशोक की बीवी को देखकर तो राजू के होश उड़ गए थे वह पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थी लगता ही नहीं था कि यह अशोक की बीवी है क्योंकि अशोक एकदम मरियल सा शराबी व्यक्ति था,,, और उसकी आंखों के सामने जो खड़ी थी वह तो हुस्न की मल्लिका लग रही थी,,,,अभी भी उसकी आंखों में नींद थी इसलिए वह जबरदस्ती अपनी आंखों की पलकों को खोलने की कोशिश करते हुए बोली,,,।)


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कौन ,,,,इतनी रात गए,,,,,


अरे चाची मैं हूं,,, राजू अशोक चाचा को लेकर आया हूं शराब पीकर बेल गाड़ी चलाने के होश में नहीं थे इसलिए मुझे आने पड़ा,,,

(अशोक का जिक्र होते ही वह एकदम से हड़बड़ा गई,,,,,)

कहां है,,,,वो,,,,,(इतना कहते हुए वह दरवाजे पर खड़ी होकर ही बाहर को इधर-उधर झांकने लगी,,,)

अरे बैलगाड़ी में है,,, आओ थोड़ा सहारा देकर उन्हें अंदर ले चलते हैं,,,,)

चलो चलो जल्दी चलो,,, मैंने कितनी बार कहीं हूं कि साथ छोड़ दो लेकिन यह है कि मेरी सुनते ही नहीं,,,(ऐसा कहते हैं शुरुआत में लालटेन लिए हुए घर से बाहर निकल आई)
Bahot zaberdast shaandaar update bhai
 

rohnny4545

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
एक जमाने का भोला भाला राजू औरतों को पटा कर उसे चोदने में महारत हासिल कर चुका है
अशोक के बिबी को बातों में फसाकर और डर दिखा कर उसे जो चाहिए था वो सब हासिल कर रहा था
जैसे अशोक के बिबी को मुतते हुए उसकी गोरी गोरी गदराई गांड देखना,साप का डर दिखाकर उसकी गांड से खेलना बुर में उंगली डालकर उसे अंदर बहार कर उसकी काम उत्तेजना को चरम तक उत्तेजित करना और साथ ही साथ अपना मोटा तगडा और लंबा लंड दिखाकर आग में घी डालकर अपने से चुदने के लिये लगभग तयार कर लेना वाह रे वाह राजु
वही घर में हरीया और गुलाबी का खेल शुरु हो गया
मधु को जमकर चोदकर उसे गहरी निंद आने का प्रबंध हरीया कर चुका है और अब वो अपनी बहन गुलाबी की गुलाबी बुर का रस चखने के लिये उसके कमरें में पहुंच गया है खैर देखते हैं आगे क्या होता है
Waahhhh
 

Naik

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अशोक की बीवी हाथ में लालटेन लिए हुए ही वह घर के बाहर आ गई आगे-आगे राजू था,,,अब उसकी दिलचस्पी अशोक की औरतों में कुछ ज्यादा ही बढ़ती जा रही थी वह अशोक की औरतों के बारे में सोच रहा था कि कहां गदर आई जवानी की मालकिन और कहां सुखा हुआ मरियल सा अशोक,,,, औरतों का स्वाद चख चुका राजू समझ गया था कि अशोक की औरत शारीरिक रूप से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं होती होगी,,,,,,,,,, राजू का मन अब वापस घर लौटने का बिल्कुल भी नहीं था,,, क्योंकि उसकी आंखों के सामने जवानी से भरपूर एक औरत खड़ी थी जोकि एक ऐसे इंसान की औरत थीजिसमें दमखम बिल्कुल भी नहीं था और हमेशा शराब के नशे में धुत रहता था ऐसे हालात में वह अपनी बीवी को कैसे संतुष्ट कर पाता होगा,,, इसलिए राजू अपने मन में सोचने लगा कि अगर थोड़ी सी कोशिश की जाए तो आज की रात उसके जिंदगी की हसीन रात बन सकती है,,, क्योंकि मौका और दोस्तों से दोनों राजू के पक्ष में था,,,।



राजा अशोक की औरत से दो कदम आगे चलते हुए बैलगाड़ी के पीछे आ गया और उसके पीछे पीछे अशोक की औरत है जिसके हाथ में अभी भी लालटेन थी और लालटेन की पीली रोशनी में बैलगाड़ी के अंदर बेसुध हो कर लेटा हुआ अशोक साफ नजर आ रहा था जिसे देख कर ही पता चल रहा था कि वह बिल्कुल कि होश में नहीं था,,,,।


रुको मैं उठाता हूं चाची,,,,(इतना कहकर अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अशोक की टांग को पकड़े हुए था और नजर घुमाकर अपने बिल्कुल पास में खड़ी अशोक की औरत के खूबसूरत चेहरे को देख रहा था क्योंकि लालटेन की रोशनी में बहुत ज्यादा ही खूबसूरत नजर आ रहा था उसे देखते हुए राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि तुम्हें चाची कहूं या कुछ और क्योंकि तुम्हारी उम्र देख कर मुझे लगता नहीं है कि तुम्हें चाहे कहना योग्य होगा वैसे तो समाज के रीति रिवाज के हिसाब से में इन्हें चाचा कहता हूं तो लाजमी है कि तुम्हें चाची ही कहना पड़ेगा लेकिन मुझे तुम्हें चाहती कहने में खुद को शर्म महसूस हो रही है क्योंकि तुम एकदम बेहद जवान और खूबसूरत औरत हो,,,, और तुम्हें चाची कहने में एक उम्र की सीमा बंध सी जाती है,,, इसलिए समझ में नहीं आ रहा है कि तुम्हें क्या कहूं,,,,(इतना कहने के साथ ही अशोक की औरत का जवाब सोने भी नहीं हुआ अशोक को उठाने की कोशिश करने लगा और अशोक की औरत अपनी खूबसूरती की तारीफ एक अपरिचित जवान लड़के के मुंह से सुनकर पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी,,,, अशोक की बीवी को अपने जाल में फंसाने का यह राजू की तरफ से फेंका गया पहला पासा था,,, और इस पहले पासे में ही अशोक की बीवी चारों खाने चित हो गई थी,,,, भला एक औरत को अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना क्यों ना पसंद होगा,,,, अशोक की बीवी से कुछ भी बोला नहीं जा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले राजू की बातों को सुनकर वह अशोक के बारे में भूल गई,,,, तभी अशोक की बीवी के सामने जानबूझकर अपना दम दिखाते हुए बिना उसकी बीवी का मदन लिए हुए ही वह कमर से अशोक को पकड़कर उठाया और अपने कंधे पर किसी बोझ की तरह रख दिया,,,, चाहे देख कर अशोक की बीवी भी हैरान रह गई,,, क्योंकि राजू ने एक झटके में ही उसे कंधे पर उठा दिया था और,,, बोला,,,।

Ashok ki bibi kapde utarne k bad



अरे यार कितना मरियल सा शरीर है ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा है कि मैंने एक इंसान को उठाया हूं,,,।
(मरियल शब्द जानबूझकर राजू ने बोला था क्योंकि वहां अशोक की बीवी को एहसास दिलाना चाहता था कि उसका पति बेहद कमजोर और मरियल है इसके मुकाबले वह एकदम जवान और हट्टा कट्टा गठीला बदन वाला है,,, राजू की बात को सुनकर अशोक की बीवी कुछ बोली नहीं लेकिन उसे इस बात का एहसास हुआ था कि उसका पति वाकई में राजु के मुकाबले कुछ भी नहीं था,,, अशोक को कंधे पर उठाकर व दरवाजे की तरफ जाने लगा और बोला,,)

जल्दी से बताओ कहां ले चलना है,,,?


अरे हां रुको,,,,,(इतना कहने के साथ ऐसी हालत में लालटेन दिए हुए अशोक की बीवी जल्दी से कमरे में दाखिल हुई हर आंगन में ही खटिया गिरा कर बोली)
यहीं पर लिटा दो,,,

(और इतना सुनते ही राजू तुरंत आगे बढ़ा और खटिया पर आराम से उसे लिटा दिया उसकी हालत देखने पर राजू समझ गया था कि यह सुबह तक पहुंच में आने वाला नहीं है और उसके पास पूरा मौका था आज की रात रंगीन करने का लेकिन कैसे इस बारे में अभी उसने कोई उसका भी नहीं बनाई थी,,, खटिया पर लेटा लेने के बाद अपना हाथ झाड़ते हुए बोला)


तुम इन्हें समझाती क्यों नहीं,,,, शराब पी पी कर अपनी हालत खराब कर लिए हैं,,,


अब कितना समझाए बबुआ,,, हमारी तो यह एक नहीं सुनते,,, हमारी तो किस्मत खराब हो गई है,,,,,,




सच में मैं तो बिलकुल भी होश नहीं है कि कहां सो रहा हूं,,,,


वैसे तुम कौन हो बबुआ तुम्हें में पहली बार देख रही हूं,,,


मै हरिया का बेटा हूं,,,,


अच्छा-अच्छा हरिया भाई साहब,,,,, 3 दिन पहले मुझे मिले थे मैं उनसे बोली थी कि कुछ समझाईए ईन्हें,,,

अरे पिताजी तो इन्हें बहुत समझाते हैं मेरे सामने ही ऐसी हालत होने से पहले ही कितना समझाए थे लेकिन यह माने नहीं और उन्होंने ही मुझे इन्हें सही सलामत घर पर छोड़ने के लिए बोले थे,,,,


भाई साहब बहुत अच्छे हैं काश उनकी बात ये मान लीए होते तो ऐसी हालत नहीं होती,,,,(अभी भी उसके हाथों में लालटेन थी और लालटेन की रोशनी में उसकी ,भरी हुई छातियां एकदम साफ नजर आ रही थी ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे शायद गर्मी की वजह से वह खोले हुए थी,,, लेकिन वजह चाहे जो भी हो इस समय वह राजू के लंड की एठन बढ़ा रही थी,,, अशोक की बीवी की बात सुनकर राजू बोला)




अभी भी सुधर जाए तो भी,,,


अब भगवान जाने कब इन्हें अक्ल आएगी,,,,,,,(अशोक की बीपी एकदम सहज होकर बातें कर रही थी उसके मन में राजू को लेकर ऐसा वैसा कुछ भी नहीं था लेकिन राजू के मन में उसे लेकर के ढेर सारी भावनाएं उमड रही थी,,, अशोक की बीवी एकदम सहज होते हुए बोली,,) अरे बबुआ रात तो काफी हो गई है ऐसे में घर जाना ठीक नहीं है,,, एक काम करो तुम आज की रात यही रुक जाओ,,,।


नहीं नहीं मैं चला जाऊंगा,,,,


अरे कैसे चले जाओगे एक तरह से तुम आज की रात हमारे मेहमान हो,,, पर इतना तो जानती हूं कि तुम मेरे पति को यहां लेकर आए हो तो अभी तक खाना भी नहीं खाए होंगे,,,, रुको मैं खाना गर्म कर देती हूं,,,,
Uski badi badi chuchiya dekh k raju mast us ja raha tha


नहीं नहीं तुम रहने दो मैं तुम्हें तकलीफ नहीं देना चाहता हूं वैसे भी तुम कम तकलीफ में नहीं हो,,,

अरे बाबुआ यह तो रोज का हो गया है,,,,,, पर शायद जिंदगी भर का हो गया है,,, रुको मैं अभी खाना गर्म कर देती हूं,,,(वह लालटेन लिए चूल्हे के पास जाने लगी,,, राजू उसे परेशान करना नहीं चाहता था लेकिन क्या करें उसे भूख भी लगी थी और वह कुछ कहता इससे पहले वह खुद ही उसे रुकने के लिए बोल दी थी,,,,, रुकने के लिए बोल कर उसने तो राजू के लिए सोने पर सुहागा कर दी थी,,,, अशोक की औरत चोली के पास बैठकर चूल्हा जलाने लगी,,,लेकिन चुना ठीक से चल नहीं रहा था तो राजू ही उसकी मदद करने के लिए उसके पास गया और बैठ कर चुल्हा जलाने लगा,,,,,, दोनों बैठे हुए थे राजू दियासलाई जलाकर सूखी लकड़ी को जलाने की कोशिश कर रहा था और,,, अशोक की बीवी थोड़ा सा झुक कर फूंक मारकरलकड़ी के साथ डाले हुए सूखे पत्ते को जलाने की कोशिश कर रही थी उसके झुकने की वजह से और ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खुले होने की वजह से उसकी आधे से ज्यादा चूचियां बाहर को लुढकी हुई नजर आ रही थी,,, जिस पर बार-बार राजू की नजर चली जा रही थी मन तो उसका कर रहा था कि अपने हाथों से इसके ब्लाउज के बटन खोल कर दोनों खरबूजा को हाथ में लेकर जी भर कर दबा दबा कर उनसे खेले,,, लेकिन इतनी जल्दी वह हिम्मत दिखाने के बारे में सोच भी नहीं सकता था क्योंकि उसके मन में क्या चल रहा है इस बारे में राजू को बिल्कुल भी मालूम नहीं है रांची पहले माहौल को पूरी तरह से समझ लेने के बाद ही अगला कदम बढ़ाता था,,, चोला चलाते हुए राजू अशोक की बीवी से बोला,,,।)

मैं तुमको चाची कहकर कर बोलु तो तुम्हें एतराज तो नहीं होगा,,,





अब एतराज कैसा बबुआ जमाने का दस्तूर ही यही है,,, अगर तुमने चाचा कहते हो तो मुझे चाची कहोगे ना अब भाभी तो थोड़ी ना कहोगे,,,

बात तो ठीक ही कह रही है चाची लेकिन तुम्हारी उम्र तुम्हारी खूबसूरती देखकर तुम्हें चाची कहने का मन नहीं कर रहा है,,,


तो फिर क्या कहने का मन कर रहा है,,,

भाभी,,,,
(राजू की बात सुनकर अशोक की बीवी हंसने लगी और उसे हंसता हुआ देखकर राजू के मन में प्रसंता के भाव नजर आने लगे क्योंकि हंसते हुए वह बेहद खूबसूरत लग रही थी,,, उसे हंसता हुआ देखकर राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) सच भाभी,,,मैं तो तुम्हें भाभी हीं कहूंगा क्योंकि तुम्हारी उम्र चाची कहलवाने वाली नहीं है,,,, तुम हंसते हुए कितनी खूबसूरत लगती हो,,,।
(इतना सुनकर अशोक के बीवी राजू की तरफ एक तक देखने लगी और फिर हंसने लगी और हंसते हुए बोली,,)



बबुआ तुम बहुत अच्छी अच्छी बातें करते हो और सच कहे तो जिस तरह से तुम मेरी खूबसूरती की तारीफ कर रहे हो ना आज तक उन्होंने बिल्कुल भी नहीं किया,,(खटिया पर सो रहे अपने पति की तरफ इशारा करते हुए) यहां तक कि हमारी तरफ ठीक से देखते तक नहीं है बसु का बैल गाड़ी लेकर निकल जाते हैं और रात को इसी तरह से नशे में धुत होकर घर पर आते हैं,,,,(ऐसा कहते हुए पढ़ाई में रखी हुई सब्जी को कढ़ाई सहित चूल्हे पर रखकर उसे गर्म करने लगी,,)

एक बात कहूं भाभी,,,

कहो,,,


सच में तुम्हारी किस्मत खराब है,,,


वह क्यों,,,?


क्योंकि भाभी तुम्हें देखकर कोई इनको, (अशोक की तरफ इशारा करते हुए) इन्हें थोड़ी ना कहेगा कि यह आपके पति है,,, तुम्हारा पति तो होना चाहिए था कोई बांका जवान गठीला बदन वाला लंबा चौड़ा जो तुम्हें अपनी बाहों में भर ले तो तुम्हारे दामन में दुनिया भर की खुशियां भर दे,,,

Gulabi

(राजू की बातें सुनकर बहुत सोच में पड़ गई,,, क्योंकि वह भी जानती थी कि उसकी शादी ऐसे इंसान से नहीं होना चाहिए था लेकिन मजबूरी से गरीबी से मां-बाप परेशान थे इसलिए जो हाथ लगा उसी से बिहा कर दिया,,,,)

बात तो तुम ठीक ही कह रहे हो लेकिन किस्मत का लिखा कौन टाल सकता है शायद मेरी किस्मत में यही था,,,,(कढ़ाई गर्म हो रही थी इसलिए वह दोनों हाथों में कपड़े का टुकड़ा लेकर कढ़ाई को नीचे उतार दी,,, वह खाना परोसने लगी और राजु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)


भाभी मुझे यह सवाल तो नहीं पूछना चाहिए था लेकिन फिर भी मैं पूछ ही लेता हूं कि बच्चे कितने हैं,,,
Gulabi ki khubsurat gaand

बच्चे,,,,(इतना कहकर ना कुछ देर तक जगह किसी ख्यालों में खो गई और फिर थोड़ी देर बाद बोली) नहीं नहीं शादी के 2 साल हो गए हैं लेकिन बच्चे नहीं हैं और ऐसी हालत में तो अच्छा ही है कि नहीं है,,,


नहीं भाभी ऐसा क्यों बोल रही हो बच्चे तो भगवान का दिन होते हैं और बच्चे होंगे तब तुम भी बच्चों में खोई रहोगी तुम्हें भी खुशी मिलेगी,,,,
(राजू की बात से वह पूरी तरह से सहमत थी लेकिन 2 साल हो गए थे बच्चे क्या वह ठीक से संभोग सुख भी प्राप्त नहीं कर पाई थी क्योंकि उसके बदन के मुकाबले उसका पति कुछ भी नहीं था एकदम बढ़िया सा शरीर लेकर जब भी उसके ऊपर चढ़ता था तो तुरंत पानी फेंक देता था असली जवानी का सुख तो वह भोग ही नहीं पाई थी,,, फिर भी वह अपना मन मारते हुए राजु से बोली,,)

हो जाएगा जब होना होगा,,,(इतना कहते हुए वह भोजन की थाली राजू की तरफ आगे बढ़ा दी और पानी लाने के लिए कोने में रखें मटके की तरफ जाने लगी,,,और जाते समय राजू की नजर उसकी गोल गोल गांड पर थी जोकि जवानी के रस से पूरी तरह से भरी हुई थी जिस पर मर्दाना हाथों का शायद सही उपयोग नहीं हुआ था इसलिए गांड का घेराव खेली खाई औरतो वाला बिल्कुल भी नहीं था,,, गांड का आकार एकदम सुगठित था,,,,, शादी को 2 साल हो गया था लेकिन 2 साल में वह बजाना सुख से पूरी तरह से शायद वंचित ही रह गई थी या उसे असली सुख प्राप्त नहीं हुआ था इसलिए उसके बदन में ज्यादा बदलाव नहीं आया था बस थोड़ा सा भराव आ चुका था,,,, फिर भी मटकती हुई गांड देखकर राजू के हौसले पश्त होने लगे,,, प्यासी नजरों से उसके कमर के नीचे के घेराव को देखता है जा रहा था और अपनेपहचाने में उठ रहे तूफान को अपने हाथों से दबाने की कोशिश करता जा रहा था,,,, वह अशोक की बीवी की गांड देख ही रहा था कि वह बोली,,,।

अरे बबुआ तुमने तो हाथ धोए ही नही ,, आ जाओ मैं हाथ धुला देती हूं,,,,
(और इतना सुनते ही राजू अपनी जगह से खड़ा हुआ और
हाथ धो कर वापस आ गया हुआ था ली क्या है बैठ गया और जैसे ही पहला निवाला मुंह में डालने लगा कि तभी वह अशोक की बीवी की तरफ देखते हुए बोला,,,)

तुम खाना खाई हो भाभी,,,,


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नहीं मुझे भूख नहीं है,,, इंतजार करते करते सो गई और फिर लगता है कि मेरी भूख भी सो गई,,,।


अरे ऐसे कैसे मैं तुम्हारे हिस्से का खाना खा जाऊं ऐसा नहीं हो सकता,,,


नहीं बबुआ मुझे भूख नहीं है,,,


नहीं नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं चलेगा मैं तुम्हें खाना खिला कर ही रहूंगा ,,(और इतना कहने के साथ ही राजू अपनी थाली में से निवाला लेकर अशोक की बीवी की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

चलो चलो मैं खोलो,, जल्दी से,,,

अरे बबुआ यह क्या कर रहे हो,,,, मैं तुम्हारे हाथों से खाना खाऊंगी,,,,


अरे तू क्या हो गया खाना ही तो खिला रहे हु जहर थोड़ी खिला रहा हूं,,,,


नहीं मुझे शर्म आ रही है,,,


अरे शर्म कैसी,,,,, चलो जल्दी से मुंह खोलो तुम्हें मेरी कसम,,,,।

(अशोक की बीवी को बहुत शर्म आ रही थी क्योंकि एक जवान लड़के के हाथों से वह खाना कैसे खा ले क्योंकि आज तक उसने ऐसा कभी नहीं की थी और ना ही किसी ने उसे अपने हाथों से खाना ही खिलाया था इसलिए मुझे बहुत शर्म आ रही थी लेकिन ना जाने कैसा आकर्षण था राजू की बातों में कि वह उसकी बातें सुनकर मंत्रमुग्ध हुए जा रही थी,,, उसके थोड़ा सा जबरदस्ती करने से अपना मुंह खोल दी और राजू ने निवाला उसके मुंह में डाल दिया और वह शर्माते हुए खाने लगी,,,और फिर जब एक बार शुरू हुआ तो आगे बढ़ता ही रहा राजू ने धीरे-धीरे करके मुझे खाना खिलाना शुरू कर दिया और वह शर्मा संभालकर खाना खाने लगी लेकिन इस तरह से खाना खाने में उसके बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी और सबसे ज्यादा हाल-चाल उसे ना जाने की अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में महसूस हो रही थी,,,, खाना खाते खाते उसे अपनी बुर की ली होती हुई महसूस हो रही थी,,,,।

और दूसरी तरफ जब हरिया अकेला ही घर पहुंचा तो मधु राजू के बारे में पूछने लगी और हरिया ने सब कुछ बता दिया,,, आज की रात अकेले गुजारना पड़ेगा इस बात से गुलाबी परेशान हो गई थी क्योंकि उसे भी राजू का लंड लिए बिना नींद नहीं आती थी,,, लेकिन तभी उसके मन में जो ख्याल आया वही ख्याल हरिया के मन में भी आ चुका था,,,,,,,।लेकिन यह बात हरिया गुलाबी से कहता गुलाबी उससे पहले ही मौका देकर करो से रात को अपने कमरे में आने के लिए आमंत्रण दे दी थी,,,,।
लेकिन हरिया अपनी बीवी की चुदाई किए बिना उसके कमरे में नहीं जा सकता था क्योंकि उसकी बीवी की भी आदत थी जब तक वह जमकर चुदवा नहीं लेती थी तब तक उसे नींद नहीं आती थी और चुदवाने के बाद वह बहुत ही गहरी नींद में सोती थी जिससे हरिया का काम आसान हो जाता,,, इसलिए जल्दी से खाना खाकर वह अपनी बीवी को संतुष्ट करने में लग गया था,,,

दूसरी तरफ रांची और अशोक की बीवी ने भी खाना खा लिया था वह लोग खाना खाकर हाथ धो ही रहे थे कि तभी उन्हें दूर से आवाज सुनाई दी,,,


जागते रहो,,,, जागते रहो,,,,,,


यह आवाज सुनकर की बीवी एकदम से घबरा गई,,, लेकिन राजू के चेहरे पर घबराहट बिल्कुल भी नहीं थी,,,, अशोक की बीवी को घबराई हुई देखकर राजू बोला,,।

क्या हुआ भाभी इतनी घबराई हुई क्यों हो,,,


अरे बबुआ से मिल रहे हो गांव में चोर उचक्के आने का डर है इसलिए तो जागते रहो जागते रहो की आवाज आ रही है,,,।


अरे भाभी तुम चिंता मत करो मैं हूं ना,,, यहां कोई आने वाला नहीं है और अगर आ भी गया तो तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं हूं ना तीन-चार लोगों को तो मैं संभाल लूंगा,,, और एक दो बचेंगे तो उसे तो तुम ही संभाल लेना,,,


नहीं बबुआ मुझे तो चोर लोगों से बहुत डर लगता है,,,,,


चलो कोई बात नहीं मैं सब को संभाल लूंगा,,,,

गर्मी बहुत थी इसलिए कमरे में सोने का सवाल ही नहीं उठता था इसलिए अशोक की बीवी में अपने पति के बगल में ही खटिया लगा दी,,, आंगन ऊपर से पूरी तरह से खुला हुआ था और चारों तरफ दीवार से गिरी हुई थी,,,, यहां पर हवा बहुत अच्छी लग रही थी लेकिन राजू को नींद थोड़ी आने वाली थी,,,, राजू खटिया पर बैठकर अशोक की बीवी से बोला,,,।


भाभी तुम कहां सोओगी,,,


अरे मैं यही नीचे जाकर सो जाऊंगी तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो बबुआ,,,,।(ऐसा क्या कर वह दोनों खटिया के बीच में चटाई बिछाकर बैठ गई और कुछ देर तक दोनों इधर उधर की बातें करने लगे अशोक की बीवी को भी राजू से बातें करना अच्छा लग रहा था उसे पता ही नहीं चला कि उसका पति नशे में धुत होकर वही सो रहा है वह अपने पति के बारे में बिल्कुल भी भूल चुकी थी कुछ देर बातें करने के बाद थोड़ी रात गहरी होने लगी,,, तो वह खड़ी होकर तभी दरवाजे के पास जाती तो कभी वापस आ जाती राजू उसे देखकर समझ नहीं पा रहा था कि माजरा क्या है आखिरकार वह पूछ ही लिया,,,।


अरे भाभी क्या हुआ ऐसे क्यों रात को चहल कदमी कर रही हो,,,,


क्या बताऊं बबुआ मुझे तो शर्म आ रही है बताने में,,,


अरे ऐसी कौन सी बात है जो मुझे बताने में शर्म आ रही है,,,


मुझे बाहर जाना है बड़े जोरों की,,,,पपपप,,,पैशाब लगी है,,,
(भोली भाली खूबसूरत औरत के मुंह से पेशाब शब्द सुनते ही राजू के लंड ने ठुनकी मारना शुरू कर दिया,,,)
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राजू अशोक को उसके घर पहुंचाने के बाद वहां पर रुकने वाला नहीं था वह वहां से वापस लौट आना चाहता था क्योंकि घर पर गुलाबी कि बुर की याद उसे बहुत आती थी,, क्योंकि अपनी बुआ को बिना चोदे उसे नींद नहीं आती थी,,, लेकिन जैसे ही उसकी नजर अशोक की बीवी पर पड़ी थी उसका इरादा एकदम से बदल गया था,,,,, और वह वहीं पर रुकना ही मुनासिब समझा,,,, और उसका वहां रुकना ऐसा लग रहा था कि धीरे-धीरे सफलता की राह पकड़ रहा था,,, क्योंकि रात पूरी तरह से गहरा चुकी थी,,, उसका पति नशे में बेसुध होकर सो रहा था,,, खाना पीना हो चुका था,,, और राजू चालाकी दिखाते हुए अशोक की बीवी को खुद अपने हाथों से खाना खिलाया था और राजू यहीं पर ही अशोक की बीवी को अपने हाथों से खाना खिलाते ही सफलता की सीढ़ी चढ़ना शुरू कर दिया था,,, वरना एक औरत किसी गैर मर्द के हाथों से खाना क्यों खाए,,,, राजू को अशोक की बीवी बहुत ही भोली भाली भी लग रही थी जो कि वह थी भी,,,,।

दोनों सोने की तैयारी कर रहे थे और तभी अशोक की बीवी को जोरो की पेशाब लगी थी और जिस तरह से वह कांपते स्वर में चोरों की पेशाब लगने वाली बात की थी उसे सुनते ही राजू के लंड ने ठुनकी मारना शुरू कर दिया था,,,,,, एक ऐसी औरत जिसे मैं जानता था कि नहीं था जिसे पहली बार मिला था ज्यादा जान पहचान भी नहीं थी ऐसी खूबसूरत औरत जहां से पेशाब लगने वाली बात बोली तो इसे सुनकर ही राजू की खुशी का ठिकाना ना रहा,,,,,



राजू कुछ देर तक शांत होकर खड़ा रहा और उस खूबसूरत औरत को देखता है जो कि बहुत ही भोलेपन से पेशाब लगने वाली बात कही थी,,,, उसका बार-बार कभी दांया पैर उठाना कभी बाया फिर रह रहकर अपनी कमर पकड़ लेना,,,, ,, यह सब दर्शा रहा था कि उसे कितनी तीव्रता से पेशाब लगी है और यह सब देख कर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,, पेशाब करने वाली बात से ही वह पल भर में ही उसके खूबसूरत बुर के बारे में कल्पना करना शुरू कर दिया था कि उसकी बुर कैसी होगी तुम चिकनी हो क्या मखमली रेशमी बालों से घुरी हुई होगी,,, फिर अपने ही सवाल का खुद ही जवाब देते हुए बोला,,, जैसे भी होगी बहुत खूबसूरत होगी,,,,। राजू सब कुछ भूल कर उसकी खूबसूरत यौवन को वह अपनी आंखों से पी रहा था,,, एक तरफ जहां पेशाब लगने की वजह से अशोक की बीवी की हालत खराब हो जा रही थी वहीं दूसरी तरफ उसके बारे में सोच कर ही राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,, आखिरकार आशु की बीवी से बिल्कुल भी नहीं रहा गया तो वह बोली,,,।



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अरे कुछ करोगे बबुआ,,,, या ऐसे ही खड़े रहोगे,,,।


अरे भाभी इसमें मैं क्या कर सकता हूं पेशाब लगी है तो बाहर जाकर कर लो,,,,,

बाहर,,,,(मुंह बनाते हुए दरवाजे की तरफ देखते हुए) नहीं बाहर मुझे डर लगता है,,,

तो पहले क्या करती थी जब तुम्हें पेशाब लगती थी तब,,,


यही कोने में,,,(आंगन के कोने में उंगली से इशारा करके दिखाते हुए) यहीं पर कर लेती थी,,,


यहां पर,,,(उसके उंगली के इशारे से दिखाए गए कोने की तरफ देखते हुए) यहां पर तुम मुतती थी,,,
(जानबूझकर राजू मुतती शब्द का प्रयोग किया था और वैसे भी अशोक की बीवी के साथ पेशाब के बारे में इतने खुले तौर पर बात करने में इस तरह की उत्तेजना का अनुभव राजू को महसूस हो रही थी राजू पूरी तरह से चुदवासा हो गया था उसके पजामे में हलचल सी होने लगी थी,,,राजू आंगन किस कोने की तरफ देखते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) तो आज भी यहीं कर लो ना इस में दिक्कत क्या है,,,,(जिस तरह से वह भोलेपन से बात कर रही थी राजू को ऐसा ही लग रहा था कि उसके बोलने पर अशोक की निकली उसकी आंखों के सामने ही अपनी साड़ी उठाकर मुतना शुरू कर देगी,,,)

नहीं पागल हो गए हो क्या,,,, पहले कोई नहीं रहता था ,, तब करने मैं कोई दिक्कत नहीं होती थी लेकिन अब तो तुम हो,,,


अरे तो इसमें क्या हुआ मैं थोड़ी ना तुम्हें खा जाऊंगा,,,


देख तो लोगे ना,,,,


क्या देख लूंगा,,,?
(राजू को पूरा यकीन हो गया था कि अशोक की बीवी पूरी तरह से एकदम भोली,,है या तो फिर जानबूझकर इस तरह का नाटक कर रही है क्योंकि कोई भी औरत इस तरह से अनजान लड़के से पेशाब करने वाली बात नहीं कहती,, लेकिन जो भी हो राजू को तो मजा आ रहा था आज की रात उसे रंगीन होने की आशंका नजर आ रही थी,,,। राजू की बात सुनकर अशोक की बीवी शर्माने लगी तो राजू बोला,,,)

बोलो ना भाभी क्या देख लूंगा,,,


अरे मुझे पेशाब करते हुए बबुआ और क्या,,,


इसमें क्या हुआ भाभी अशोक चाचा भी तो देखते होंगे,,,

अरे बबुआ तुम समझने की कोशिश क्यों नहीं करते,,, वह तो मेरे पति हैं,,,(जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए अपने पेशाब पर अंकुश करने की कोशिश करते हुए बोली,,)

तो क्या हुआ है तो इंसान ही,,,




अरे बबुआ तो नहीं समझोगे यहां बड़े बड़े जोरों की लगी हुई है और तुम हो कि बात को इधर उधर घुमा रहे हो,,,


अरे भाभी तो दिक्कत क्या है दरवाजा खोलकर बाहर जाकर कर लो,,,


इतनी हिम्मत होती तो चली नहीं गई होती,,,


क्यों,,,?


अंधेरे में मुझे बहुत डर लगता है वैसे भी रात को चोर उचचको का डर ज्यादा रहता है इसलिए मैं बाहर नहीं जाती,,,,




तो तुम ही बताओ,,, भाभी मैं क्या करूं मैं चलूं साथ में,,,

हां,,,,,( वह एकदम से शरमाते हुए बोली,,,)

और मैंने देख लिया तो,,,,


नहीं नहीं देखना नहीं तुम्हें मेरी कसम मुझे बहुत शर्म आती है,,,,,
(उसके भोलेपन से भरी बातें और उसका भोलापन देखकर राजू की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी वह अपने मन में सोचने लगा कि इसको चोदने में बहुत मजा आएगा,,, उसकी बात मानते हुए राजू बोला,,,)

ठीक है भाभी नहीं देखुंगा बस,,,,,,,


हां,,, ठीक है,,,,
(इतना कहने के साथ ही वह पैर को दबाते हुए दरवाजे की तरफ आगे बढ़ने लगी और राजू का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि भला ऐसा हो सकता था कि बिल्ली को दूध की रखवाली करने के लिए दिया जाए और बिल्ली उसकी रखवाली ही करें,,,, ऐसा बिल्कुल भी मुमकिन नहीं है,,,,,, यह तो सिर्फ एक भरोसा था जो राजू ने अपनी तरफ से अशोक की बीवी को दे रखा था,,,, अशोक की बीवी को तो ऐसा ही था कि वादा कर दिया तो निभाएगा जरूर,,, ऐसे हालात में कोई मर्द अपना वादा निभाए ऐसा मुमकिन भी नहीं है और राजू के लिए तो बिल्कुल भी नहीं,,,,,,,, राजु ने जानबूझकर दीवार से ठगी हुई लालटेन को हाथ में ले लिया क्योंकि वह जानता था कि बाहर अंधेरा होगा भले ही चांदनी रात थी तो क्या हुआ क्योंकि घर के बाहर ढेर सारे पेड़ लगे हुए थे,,, और अंधेरे में राजू उसे पेशाब करता हुआ नहीं देख सकता था,, इसलिए वह लालटेन को हाथ में ले लिया था,,,, और कोने में पड़ा मोटा सा डंडा भी हाथ में ले लिया था,,, क्योंकि रात को कभी कबार जरूरत भी पड़ जाती थी,,,अशोक की बीवी दरवाजे पर खड़ी थी दरवाजा पकड़कर और पीछे नजर कमाकर राजू को भी देख रही थी वह उसके आने का इंतजार कर रही थी क्योंकि वहां के लिए दरवाजा खोलकर बाहर जाने में भी डरती थी,,,,,, जैसे ही राजु उसके पास आया वह दरवाजे की सिटकनी खोलने लगी ,,, दरवाजा के खुलते ही पहले वह चारों तरफ नजर घुमाकर तसल्ली करने लगी और फिर इत्मीनान से अपने पैर घर से बाहर निकाल दि और पीछे पीछे राजू के घर से बाहर आ जा लालटेन को अपने हाथ में लेकर थोड़ा हाथ की कोहनी को मोड़कर उठाए हुए था और लालटेन की रोशनी में तकरीबन 15 फीट की दूरी तक सब कुछ नजर आ रहा था,,,,,,, दो कदम चलने के बाद वह फिर से खड़ी हो गई और इधर-उधर देखने लगी तो राजू बोला,,,।


कहां मुतोगी भाभी,,,,(राजू जानबूझकर इस तरह के खुले शब्दों का प्रयोग कर रहा था,,, वह अशोक की बीवी को उकसाना चाहता था,,, और अशोक की बीवी भी अपने लिए इस तरह का शब्द का प्रयोग एक अनजान जवान लड़के के मुंह से सुन कर सिहर उठी,,,, राजू के सवाल उंगली से इशारा करते हुए बोली,,,)


वहां झाड़ियों के पास,,,


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ठीक है चलो,,,,,,,
(इतना सुनकर जैसे ही अशोक की बीवी अपना एक कदम आगे बढ़ा कि उसके कानों में फिर से वही आवाज सुनाई दी जागते रहो वह एकदम से घबरा गई,,,)

हाय दैया,,,,, लगता है चोर यहीं कहीं आस पास में ही है,,, मुझे तो बहुत डर लग रहा है,,,




क्या भाभी तुम भी बच्चों जैसा डरती हो ऐसे ही धरती रही तो मुझे लगता है अपनी साड़ी गीली कर दोगी,,,,।

धत्,,,,,(अशोक की बीवी एकदम से शरमाते हुए बोली,, राजू जल्द से जल्द,,, अशोक की बीवी की गोल-गोल गांड देखना चाहता था क्योंकि इतना तो अंदाजा लगा ही लिया था कि जब चेहरा इतना खूबसूरत है तो गांड भी खूबसूरत होगी,,,, इसीलिए राजू उतावला हुआ जा रहा था,,,, उसे इस बात का डर भी था कि कहीं अशोक होश में ना आ जाए और अगर ऐसा हो गया तो रंग में भंग पड़ जाएगा,,,, अशोक की बीवी हिम्मत दिखाते हुए अपने कदम आगे बढ़ाने लगी वैसे तो उसकी हिम्मत बिल्कुल भी नहीं होती थी लेकिन उसके साथ राजू था इसलिए उसमें थोड़ी हिम्मत थी,,,, उसका धीरे धीरे से पैर रखकर आगे बढ़ना राजू को बहुत अच्छा लग रहा था उसके पायलों की खन खन से पूरा वातावरण संगीतमय हुआ जा रहा था,,, चूड़ियों की खनक राजू के कानों में पहुंचते ही सीधे उसके लंड पर दस्तक दे रही थी,,,, राजू उसकी गोल-गोल कांड को मटकते हुए लालटेन की पीली रोशनी में एकदम साफ देख पा रहा था,,,

यही तो सबसे बड़ी कमजोरी थी राजू की औरतों की बड़ी-बड़ी गोल गोल गांड,,,, इन्हें देखते ही मदहोश होने लगता था इसीलिए तो इस समय की अशोक की बीवी की गांड को देखकर उसका नियंत्रण अपने आप पर खोता चला जा रहा था उसका मन तो कर रहा था कि आगे बढ़ कर खुद उसकी साड़ी ऊपर कमर तक उठा दी और उसकी नंगी गांड का दीदार कर ले,,,, फिर भी धीरे-धीरे में जो मजा है वह जल्दबाजी में नहीं,,, यही राजू का मूल मंत्र भी था जिसकी वजह से वह अब सफलता हासिल करता आ रहा था और औरतो कि दोनों टांगों के बीच अपना विजय पताका भी लहराता आ रहा था,,, देखते ही देखते अशोक की बीवी सामने की कर्मचारियों के करीब पहुंच गई और राजू जानबूझकर उससे दूर खड़ा रहने की जगह उसे केवल आठ 10 फीट की दूरी पर ही खड़ा हो गया,,, और अशोक की बीवी उसे दूर जाने के लिए ना बोले इसलिए वह पहले ही बोला,,,।)

भाभी लगता तो है कि चोर उचक्के इसी गांव के आसपास में ही तभी जागते रहो की आवाज बार-बार आ रही है,,,।

(इतना सुनते ही वह घबरा गई,,, और उसी जगह पर खड़े खड़े ही अपने चारों तरफ नजर घुमाने लगी,,, और तसल्ली कर लेने के बाद,,, वह अपनी नाजुक उंगलियों को हरकत देते हुए दोनों तरफ से अपनी साड़ी को उंगली से पकड़ ली और उसने ऊपर की तरफ उठाने से पहले,,, राजू की तरफ नजर करके बोली,,,।)

देख बबुआ यहां पर देखना नहीं,,, नहीं तो शर्म के मारे हमारी पेशाब भी रुक जाएगी,,,,


नहीं नहीं भाभी तुम चिंता मत करो मैं नहीं देखूंगा,,,,
( और इतना कहकर दूसरी तरफ देखने का नाटक करने लगा,,,, अशोक के घर पर आकर राजू का समय बहुत अच्छे से गुजर रहा था यहां आने से पहले वह यही सोच रहा था कि अगर वहां रुकना पड़ गया तो रात कैसे बिताएगा,,, लेकिन अशोक की बीवी की खूबसूरती देखकर उसका भोलापन उसकी बातें सुनकर राजू यहां पर जिंदगी भर रुकने को तैयार हो गया था,,,, मौसम भी गर्मी का था लेकिन हवा चलने की वजह से वातावरण में ठंडक आ गई थी,,,, चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था,,, वैसे तो चांदनी रात थी लेकिन चारों तरफ बड़े-बड़े पेड़ होने की वजह से यहां पर अंधेरा था अगर राजू साथ में लालटेन ना लाया होता तो उसे भी ठीक से कुछ दिखाई नहीं देता,,,,सामने का नजारा बेहद खूबसूरत और मादकता से भरा हुआ था जोकि पूरी तरह से अपनी मदहोशी पूरे वातावरण में बिखेरने को तैयार था,,,। राजू की आंखें सब कुछ भूल कर सिर्फ सामने के नजारे को देख रही थी जल्द से जल्द राजू उसकी नंगी गांड के दर्शन करने के लिए तड़प रहा था पर ऐसा लग रहा था कि अशोक की बीवी उसे कुछ ज्यादा ही तड़पा रही है,,,,धीरे-धीरे अशोक की बीबी अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी और चारों तरफ नजर घुमाकर देख भी रही थी,,, राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था लेकिन अशोक की बीवी के मन में घबराहट हो रही थी चोर चोको को लेकर उसे चोर ऊच्चोको से बहुत डर लगता था,,,जैसे-जैसे अशोक की बीवी की साड़ी ऊपर की तरफ जा रही थी वैसे उसे लालटेन की पीली रोशनी में उसकी नंगी चिकनी टांग उजागर होती चली जा रही थी गोरी गोरी मांसल पिंडलिया देखकर राजू का मन ललच रहा था,,, देखते ही देखते उसकी साड़ी उसकी मोटी सुडोल जांघों तक आ गई,,, और मोटी मोटी चिकनी जांघों को देखकर राजु का सब्र का बांध अब टूटने लगा,, राजू का मन उसको चोदने को करने लगा,,,उसकी सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी लालटेन की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,,
चारों तरफ सन्नाटा फैला हुआ था सिर्फ दूर-दूर तक कुत्तों की भौंकने की आवाज आ रही थी,,और रह रह कर झींगुर की आवाज आने लगती थी,,,।

एक तरफ जहां राजू का मन तड़प रहा था उसकी नंगी गोरी गोरी गांड को देखने के लिए वहीं दूसरी तरफ अशोक की बीवी के मन में घबराहट थी कि कहीं कोई आ ना जाए उसे इस बात की चिंता बिल्कुल भी नहीं थी कि उसके पीछे खड़ा एक अनजान जवान लड़का उसे पेशाब करते हुए देखने जा रहा था और वह भी हाथ में लालटेन जिसमें उसका सब कुछ नजर आ रहा था,,, साड़ी को मोटी मोटी जांघों तक उठाकर वह फिर से इधर-उधर देखने लगी तो राजू बोला,,,।)

जल्दी से करो ना भाभी,,, कितना देर कर रही हो,,,


अरे रुको तो बबुआ कोई चोर आ गया तो,,,


अरे नहीं तुम्हारी गांड मार लेगा,,,,
(राजू एकदम से खुले शब्दों में बोल दिया,,, धीरे-धीरे उसे एहसास होने लगा था कि वह बहुत भोली है वह कुछ बोलेगी नहीं इसीलिए राजू खुले शब्दों में बात करने लगा था,,)

हाय दैया यह कैसी बात कर रहे हो,,,, सच कहूं तो मुझे भी इसी बात का डर रहता है,,, इसीलिए तो रात को घर से बाहर निकलने से डर लगता है,,,,,
(उसकी भोली बातें सुनकर राजू के लंड की अकड़ पड़ने लगी वह पूरी तरह से समझ गया था कि कोशिश करने पर आज की रात उसका लंड उसकी बुर में होगा,,,,,, राजू को इस तरह से खुली बातें करने में बहुत मजा आ रहा था,,,थोड़ा थोड़ा मजा अशोक की बीवी को भी आ रहा था हालांकि उसके मन में डर भी था और वह भी चोर को लेकर,,, लेकिन एक जवान लड़की के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर उसे भी अच्छा लगने लगा था राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

अच्छा भाभी एक बात बताना,,,तो,,,


क्या,,,? (वह उसी तरह से सारे को उसी स्थिति में जांघों तक उठाए हुए बोली,,)


पहले कहो नाराज तो नहीं होगी ना,,,


नही बबुआ,,, तुम से क्या नाराज होना,,,


अच्छा एक बात बताओ तुम्हें सच में चोर से ज्यादा डर लगता है या चुदवाने में,,,,
(राजू के मुंह से इस तरह का सवाल सुनकर अशोक की बीवी के भी तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, वह कुछ बोली नहीं बस अपनी नजर को राजू की तरफ घुमा कर उसकी तरफ देखते हूए बोली,,,)

यह कैसा सवाल है बबुआ,,,


अरे सही तो सवाल है,,,तुम्हें रात को बाहर निकलने में डर लगता है और वह भी चोर से,,,और सच कहूं तो अगर तुम्हारे घर में चोर आ भी गया तो तुम्हें देखकर बोला तुम्हारे घर का कोई कीमती सामान नहीं ले जाएगा लेकिन तुम्हारे पास रखा हुआ बेशकीमती खजाना जरूर लुटकर चला जाएगा,,,,,,,


लेकिन मेरे पास कौनसा खजाना पड़ा हुआ है जो लूट कर चला जाएगा,,,



अरे भाभी तो नहीं जानती तुम्हारे पास इतना बेशकीमती खजाना है कि उसे पाने के लिए दो दो रियासतों में मार हो जाए,,,


धत् पागल ,,, मेरे पास कोई खजाना नहीं है,,,,


हे भाभी,,, बहुत बेशकीमती खजाना है,,,

आहहहह,,, तुम रहने दो बबुआ,,, मुझसे अब ज्यादा रोका नहीं जा रहा है,,,,(इतना कहने के साथ ही एक झटके से मोटी मोटी जांघों पर स्थिर साड़ी को वहां एकदम से कमर तक उठा दी,,, पल भर में ही राजू की आंखों के सामने अशोक की बीवी की गोरी गोरी गांड नंगी हो गई,,, राजू तो बस देखता ही रह गया और वह अगले ही पल नीचे बैठ गई मुतने के लिए,,,, और क्षण मात्र में ही उसकी बुर से नमकीन पानी की धार छूटने लगी,,, और गुलाबी बुर में से आ रही मधुर ध्वनि राजु के कानों में मिश्री घोलने लगी,,,।
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राजू की आंखों के सामने ही,,, पेशाब की तीव्रता को नहीं सहन कर पाने की स्थिति में अशोक की बीवी अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर अपनी गोरी गोरी गांड दिखाते हुए मुतने बैठ गई थी,,, राजू के एक हाथ में लालटेन थी और एक हाथ में डंडा,,, लालटेन उसने अपने लालच के बस हाथ में पकड़ रखा था डंडा अशोक की बीवी की तसल्ली के लिए,,,, और जिस चीज का लालच करके वह लालटेन लेकर बाहर आया था,,, उसमें उसे सफलता हाथ लगी थी,,,राजू जानबूझकर अशोक की बीवी से महज आठ दस कदमों की दूरी पर ही खड़ा था,,, अशोक की बीवी के भोलेपन का वह फायदा उठा रहा था और इतनी नजदीक खड़े होने की वजह से लालटेन की पीली रोशनी में अशोक की बीवी की गोरी गोरी गांड और ज्यादा चमक रही थी राजू तो यह देखकर एकदम मदहोश होने लगा,,, पजामें में उसका लंड गदर मचाने को तैयार था,,,, गहरी सांस लेते हुए वह इस लुभावने दृश्य का आनंद ले रहा था,,,



अशोक की बीवी मुतना शुरू कर दी थी और उसकी गुलाबी क्षेत्र में से आ रही सीटी की आवाज राजू के कानों में मिश्री घोल रही थी ,,मदहोशी का रस घोल रही थी,,, राजू अपने तन बदन में एक अद्भुत उत्तेजना का संचार होता हुआ महसूस कर रहा था,,,, उतेजना के मारे राजू का गला सूखता जा रहा था,,, चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था एक तो घने पेड़ के नीचे झाड़ियों के पास अशोक की बीवी बैठकर मुत रही थी ,, इसलिए अंधेरा कुछ ज्यादा ही था,,। अशोक की बीवी,, राजू के वादे पर यकीन कर गई थी यही उसके भोलेपन का सबसे बड़ा सबुत था,, उसे ऐसा ही लग रहा था कि,,,, राजू ने वादा किया है तो वह उसकी तरफ नहीं देखता होगा,,, वह शायद जमाने के दस्तूर से वाकिफ नहीं थी,,,,,, इसलिए वह सिर्फ चोर की चिंता करते हुए मुत रही थी और इधर उधर देख रही थी हालांकि पीछे की तरफ से निश्चित थी इसलिए पीछे की तरफ नजर घुमाकर नहीं देख रही थी,,, और इसी का फायदा उठाते हुए राजू एक बेहद खूबसूरत औरत को पेशाब करते हुए देखना उसकी खूबसूरत गोरी गोरी गांड लालटेन की रोशनी में चमक रही थी और उस गांड की चमक देख कर राजू का मन कर रहा था कि उसकी गांड को अपनी जीभ से चाट जाए,,,, राजू खान लंड पूरी तरह से अकड़न पर था,,, उसमें मीठा मीठा दर्द होने लगा था,, लंड की गर्मी शांत करना बहुत जरूरी हो गया था और इस समय उसका जुगाड केवलअशोक की बीवी के पास था लेकिन देखना यह था कि अशोक की बीवी उसके हाथ में कैसे आती है,,,





गुलाबी छेद से आ रही सीटी की आवाज और पेशाब की धार जो की बड़ी तीव्रता से जमीन पर पड़ रही थी उसकी आवाज दोनों मिलकर एक अद्भुत माहौल बना रहे थे,,,। राजू से बिल्कुल भी सहन नहीं हो रहा था उसकी आंखों के सामने बेहद खूबसूरत औरत अपनी नंगी गांड दिखाते हुए पेशाब कर रही थीराजू का मन कर रहा था कि अपना लंड बाहर निकालकर ठीक है उसके पीछे जाकर बैठ जाए और अपने लंड को उसकी गोरी गोरी गांड पर रगडना शुरू कर दें,,,,,,, चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था झिंगुर और कुत्तों की आवाज ही आ रही थी ऐसे में माहौल बनाने के लिए राजू बोला,,,।



आराम से मुत लो भाभी मैं यहीं खड़ा हूं घबराना नहीं,,,।

(राजू की बातों को सुनकर अशोक की बीवी को हिम्मत मिल रही थी लेकिन उसकी यह बात सुनकर अनजाने नहीं वह पीछे नजर करके देखने लगी तो राजू को अपनी ही गांड की तरफ देखता पाकर वह पल भर में ही शर्म से सिहर उठी,,,मैं तुरंत दोनों हाथों के पीछे की तरफ लाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड पर उसे ढकने के लिए रख दी,,,, उसकी इस हरकत पर राजू मन ही मन मुस्कुराने लगा,,, और उसकी इस हरकत की वजह जानने के लिए बोला,,,)

क्या हुआ भाभी,,,?

अरे बबुआ तुम तो मेरी तरफ ही देख रहे हो,,, मुझे शर्म आ रही है तुम तो वादा किए थे कि देखोगे नहीं,,,,


हां भाभी मैंने तुमसे वादा था किया था कि तुम्हारी तरफ देखूंगा नहीं लेकिन तुमको कुछ पता चला,,,,


क्या,,,?

सच में तुम को कुछ भी पता नहीं चला,,,(राजू जानबूझकर बात बनाते हुए बोला,,)

नहीं तो क्या हुआ,,,,(वह अभी भी अपनी गांड की फांकों को अपनी हथेलियों से ढकने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली,,,)

अरे भाभी अच्छा हुआ तुम्हें पता नहीं चला और अच्छा हुआ कि मैं देख रहा था इसमें कुछ गलत समझना नहीं लेकिन अगर देखता नहीं होता तो शायद सांप तुम्हें काट लिया होता,,,।




ससससस,, सांप,,,कककक,,,, किधर है,,,, किधर है,,,,(इतना कहते हुए घबरा करवा अपनी गोल गोल गांड को उठाकर खाली होने लगी तो राजू उसे सांत्वना देते हुए बोला,,,)


अरे अरे,,,,, यह क्या कर रही हो,,,(मौके का फायदा उठाते के राजू आगे बढ़ा और अशोक की बीपी के बेहद करीब पहुंच कर उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे नीचे की तरफ दबाते हुए बोला,,,) बैठ जाओ भाभी,,, ठीक से मुत तो लो,,,, अब सांप नहीं है चला गया,,, ठीक तुम्हारे पीछे से गया है,,,,अगर मैं उसे डंडे की आवाज से बहकाया ना होता तो शायद वह तुम्हारी गांड में काट लेता,,,,(राजू कहा था अभी भी अशोक की बीवी के कंधे पर था और जिस तरह से हुआ है दबाए हुए था उसकी वजह से अशोक की बीवी वापस अपनी जगह पर बैठ गई थी,,,,


बाप रे इतना कुछ हो गया और मुझे पता तक नहीं चला अच्छा हुआ कि तुम पीछे खड़े थे,,,


अरे अच्छा हुआ कि मैं पीछे खड़ा तो था लेकिन अगर तुम्हें दिया हुआ वादा पूरा करता तो शायद इस समय ना जाने क्या हो गया होता वह तो अच्छा हुआ कि तुम्हारी गोरी गोरी गांड को देखने का लालच में अपने मन में रोक नहीं पाया और तुम्हारी गांड देखने के लिए ही मैं तुम्हारी तरफ देख रहा था और तभी एक बड़ा सा सांप गुजरने लगा,,,,

अशोक की बीवी


आवाज देना था ना,,,


आवाज देता तो तुम हड़बड़ा जाती घबरा जाती और ऐसे में तुम छटपटाने लगती और तुम्हारा पैर अगर उस पर पड़ जाता तो बिना कहे वह तुम्हें काट लेता इसलिए मैं दिमाग से काम लिया,,,,,, मैं कुछ बोला नहीं शांत रहा और उसे जमीन पर डंडा पटक कर उसका ध्यान भटकाने लगा और वह ठीक तुम्हारे पीछे से गुजर गया सच कहूं तो मैं भी एकदम घबरा गया था,,,, मेरे होते हुए अगर तुम्हें सांप काट लेता तो मेरी मर्दानगी पर दाग लग जाता,,,,(राजू अभी भी उसके कंधे पर हाथ रखे हुए था अब उसे उसकी गांड एकदम करीब से नजर आ रही थीजो कि लालटेन की रोशनी में कम साफ दिखाई दे रही थी उस पर दाग धब्बे बिल्कुल भी नहीं थे,,, एकदम बेदाग गोरापन था,,,, अशोक की बीवी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह एकदम से घबरा गई थी,,, उसे लग रहा था कि राजू जो कुछ भी बोला वह सच है,,, लेकिन या तो राजू की बनी बनाई बात थी वह पूरी तरह से अशोक की बीवी को अपने विश्वास में ले लेना चाहता था,,, अशोक की बीवी एकदम घबराई हुई थी इसलिए उसकी घबराहट को कम करते हुए राजू बोला,,,)

भाभी तुम्हारी तो पेशाब ही रुक गई सांप का नाम सुनकर,,, तुम चिंता मत करो ठीक से मुत लो,,, मेरे होते हुए तुम्हें कुछ नहीं होगा,,,,( और यह कहते हुए राजू ठीक उसके पीछे थोड़ा सा बगल में बैठ गया उसका हांथ अभी भी उसके कंधे पर था,,,अशोक की बीवी सांप का नाम सुनकर घबरा तो गई थी लेकिन राजू को अपने इतने करीब बैठा हुआ पाकर अजीब सी स्थिति का अनुभव कर रही थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,, क्योंकि इस तरह से तो कभी उसके पति ने भी उसके साथ नहीं बैठा था,,,, राजु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) तुम चिंता मत करो भाभी पेशाब करो वरना रात को फिर लग जाएगी तो,,, क्या करोगी खामखा नींद खराब होगी,,,,(राजू की हिम्मत बढ़ने लगी थी क्योंकि ऐसा कहते हैं राजू कंधे पर से अपने हाथ को हटा कर सीधे उसकी गोरी गोरी गांड पर रख दिया था,,, और इस समय अशोक की बीवी अपनी हथेली से अपनी गांड को ढकने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं कर रही थी क्योंकि सांप का नाम सुनकर हो रहा है एकदम से सिहर उठी थी और उसके दोनों हथेली अपनी गांड पर से अपने आप ही हट गई थी,,, गोरी गोरी गांड पर हाथ फेरते हुए राजू की उत्तेजना बढ़ने लगी थी एक हाथ में अभी भी उसके लालटेन की जिससे उसकी रोशनी में उसको सब कुछ साफ साफ दिखाई दे रहा था,,,एक अनजान जवान लड़की की हथेली अपनी गांड पर महसूस करते हैं कि अपने आप ही उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ में लगी उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था अपने बदन में उसे अजीब सी हलचल महसूस होने लगी थी,,,, और राजू उसी तरह से अपनी हथेली को उसकी गोल गोल गांड पर फिराते हुए एकदम मदहोशी भरे स्वर में बोला,,,),,

मुतो ना भाभी,,,,,,,,(राजू की हरकत की वजह से अशोक की बीवी की सांसे एकदम गहरी चलने लगी थी उसे अजीब सी हलचल महसूस होने लगी थी उसके बदन में सुरूर सा छाने लगा था,,, और अशोक की बीवी को एकदम स्थिर और शांत देखकर राजू कीमत बढ़ने लगी और वापस की गांड की दोनों फांकों के बीच लाते हुए अपनी हथेली को नीचे की तरफ सरकार ने लगा अपनी मोरी को हरकत देते हुए बहुत ही जल्द वह अशोक की बीवी के गांड के छेद पर अपनी उंगली फिराने लगा,,,,अशोक की बीवी एक दम मस्त हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है,,,,, राजू अपनी हरकत को आगे की ओर बढ़ने लगा अशोक की बीवी की गांड का छेद का स्पर्श अपनी उंगली पर होते ही उसका लंड एक दम फूलने पिचकने लगा,,, राजू के साथ-साथ अशोक की बीवी की हालत खराब होती जा रही थी राजू तो खेला खाया लड़का थाबहुत सी औरतों के साथ में इस तरह के संबंध बना चुका था इसलिए अपनी उत्तेजना को किसी हद तक दबाने में कामयाब हो गया था लेकिन अशोक की बीवी की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,,,, उसकी उखडती हुई सांसो को देखकर,,, राजू समझ गया था कि उसे मजा आ रहा है‌ वह मस्ती के सागर में गोते लगा रही है,,,,,,, अभी तक दोबारा उसकी बुर् के गुलाबी छेद से पेशाब की धार नहीं फुटी थी,,, राजू अपनी हथेली को उसकी गांड के छेद पर हल्के से दबाते हुए अपनी उंगली से उसके भूरे रंग के छेद को दबा दिया जिससे ना चाहते हुए भी अशोक की बीवी के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,,सससहहहह,,,, इस आवाज को सुनते ही राजू समझ गया कि उसका काम आसान होने वाला है,,,,,,, इसलिए फिर से,,,मुतो ना भाभी,,,बोलकर वह अपनी उंगलियों को आगे की तरफ बढ़ाने लगा,,, जैसे-जैसे ऊंगलियां बुर की तरफ आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे,, अशोक की बीबी की सांसे अटकने सी लगी थी,,, इस तरह की मदहोशी का अनुभव उसने आज तक नहीं की थी,,, अपने पति के द्वारा भी इस तरह की हरकत का सामना वह कभी नहीं कर पाई थी इसलिए शायद औरतों के खूबसूरत बदन से मर्दो कि इस तरह की हरकत के बारे में उसे कुछ भी समझ नहीं थी,,,,,।

रात की काली स्याह अंधेरे में पेशाब करते समय अशोक की बीवी को राजू पूरी तरह से उकसाने की कोशिश में लगा हुआ था,,,,, जहां उत्तेजना के मारे राजू की हालत खराब थी वहीं दूसरी तरफ अशोक की बीवी पानी पानी हुए जा रही थी क्योंकि इस तरह की छेड़छाड़ उसके पति ने आज तक उसके साथ नहीं किया था,, उसे तो उसकी बस शराब ही भली थी,,,,,,राजू अपनी हरकतों की वजह से पूरी तरह से अशोक की बीवी को अपनी गिरफ्त में ले चुका था,,,, राजू की हरकतों की वजह से पूरी तरह से भावनाओं में बह जाने के सिवा ऐसा लग रहा था कि जो की बीवी के पास दूसरा कोई चारा नहीं था,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और राजू की उंगलियां उसकी गांड के छेद से आगे की तरफ बढ़ते हुए उसकी बुर की तरफ जा रही थी जो कि केवल एक अंगुल की ही दूरी पर ही थी,,, पर मात्र एक अंगुल की दूरी तय करने में राजू के साथ साथ अशोक की बीवी को भी अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी उत्तेजना और डर के मारे अशोक की बीवी की पेशाब रुक गई थी,,, गांड की दोनों फांकों के बीच की गर्माहट राजू अपने तन बदन में अच्छी तरह से महसूस कर रहा था छोटे से छेद की गर्मी से कहीं उसका लंड पिघल न जाए इस बात का भी उसे डर था,,,,

अशोक की बीवी पेशाब करते हुए


राजू की हरकतों की तड़प अशोक की बीवी के चेहरे पर साफ नजर आ रही थी उसकी सांसे भी गवाही दे रही थी कि वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी है और राजू अपनी उंगली को धीरे-धीरे करके ठीक उसकी गरम बुर पर रखते ही,,, उसके कान में धीरे से फुसफुसाते हुए बोला,,,।

मुतो ना भाभी रुक क्यों गई,,,?

बस राजू का इतना कहना था कि उत्तेजना के मारे एक बार फिर से अशोक की बीवी की गुलामी बुर के गुलाबी छेद में से पेशाब की धार चल चला कर बाहर निकलने लगी जोकि राजू की उंगलियों को भी गर्माहट के साथ भीगोते हुए जमीन पर गिर रही थी,,,, राजु एकदम से मस्त हो गया और अशोक की बीवी भी मदहोश होने लगी उसकी आ्खो में खुमारी जाने लगी किसी ने भी आज तक उसके साथ इस तरह की हरकत नहीं किया था,,, इसलिए राजू की इस तरह की हरकत की वजह से वह पूरी तरह से चुदवासी हुई जा रही थी,,,,,,अभी तक की हरकत को अशोक की बीवी किसी भी तरह से रोकने की कोशिश नहीं की थी इसलिए राजू की भी हिम्मत बढ़ती जा रही थी लालटेन उसके हाथों में थी बड़े से डंडे को व नीचे जमीन पर रख दिया था और उसी हाथ से अशोक की बीवी की बुर को रगड़ रहा था,,,आंखें दोनों की बंद हो चुकी थी दोनों अपनी अपनी दुनिया में पूरी तरह से मस्त हो चुके थे अशोक की बीवी पेशाब की धार अभी भी अपनी गुलाबी छेद में से निकाले जा रही थी,,,,,। अशोक की बीवी की बुर का गुलाबी छेद नीचे होने की वजह से राजू ठीक से उसकी बुर के दर्शन नहीं कर पाया था हालांकि अपनी हथेलियों से टटोलकर वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था,,,बुर की गर्माहट अपनी हथेली पर महसुस करते ही वह अशोक की बीवी के कानों में बोला,,,।)

राजु अशोक की बीवी की बुर से खेलता हुआ


तुम्हारी बुर बहुत गर्म है भाभी,,,,

सहहहहह ,,,,आहहहहहह,,,, यह क्या कर रहे हो बबुआ,,(अपनी दोनों आंखों को मदहोशी के आलम में बंद किए हुए ही वह राजू से बोली,,,)

तुम्हें ठीक से मुता रहा था डर के मारे तुम्हारी पेशाब रुक गई थी ना अगर मैं ऐसा ना करता तो तुम्हारी पेशाब रुकी रह जाती है और तुम्हें पेट में दर्द होना शुरू हो जाता,,,(राजू उसी तरह से अशोक की बीवी की बुर को अपनी हथेली से मसलते हुए बोला,,,, और अशोक की बीवी कुछ बोलने के लायक नहीं थी,,,। धीरे-धीरे अशोक की बीवी मूत्र क्रिया संपन्न कर ली लेकिन राजू की हथेली का आनंद लेने में पूरी तरह सेमशगूल हो गई राजू को इस बात का आभास हो गया था वह उसकी मस्ती को धीरे-धीरे और ज्यादा बढ़ा रहा था,,,,,, इसलिए वह धीरे से अपनी एक उंगली को उसकी बुर के अंदर सरका दिया और जैसे ही ऊंगली गुलाबी छेद में प्रवेश की वैसे ही अशोक की बीवी के मुंह से आह निकल गई,,,, उसकी आह की आवाज सुनकर राजू चारों खाने चित हो गया वह पूरी तरह से मदहोश हो गया और अपनी उंगली को पूरी की पूरी उसकी गुलाबी छेद में डालता हुआ बोला,,,,।

आहहहह भाभी मुत ली हो क्या,,,?

हां बबुआ,,,(गरम आहें भरते हुए वह बोली,,,)


तो लो भाभी अब तुम लालटेन पकड़ो मुझे भी जोरो की पेशाब लगी है,,,(राजू पेशाब करने के बहाने से उसे अपने लंड का दर्शन कराना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि वॉच आज इतनी भी भोली भाली हो लेकिन मोटा तगड़ा लैंड देखकर उसकी भी मस्ती पड़ जाएगी और उसे अपनी बुर में लेने के लिए तैयार हो जाएगी,,,, राजु की बात सुनकर अशोक की बीवी बिना कुछ बोले खड़ी हुई और अपने कपड़ों को व्यवस्थित करने के बाद लालटेन को अपने हाथ में ले ली,,, वह लालटेन को हाथ में लेकर पीछे कदम ले जाती इससे पहले ही जल्दबाजी दिखाते हुए राजू तुरंत अपने पजामे में से अपने लंड को बाहर निकाल लिया,, ताकि लालटेन की रोशनी में वह अच्छी तरह से उसके एजेंट के दीदार कर सके,,, और ऐसा ही हुआ,,,, राजू जैसे ही लंड को अपने पजामे में से बाहर निकाल कर पेशाब करना शुरू किया वैसे ही अशोक की बीवी की नजर उसके मोटे तगड़े लंबे लंड पर चली गई जो कि पूरी तरह से खड़ा था,,, इतने मोटे तगड़े लंबे लंड पर नजर जाते ही अशोक की बीवी की हालत खराब हो गई क्योंकि उसने आज तक केवल अपने पति के ही लंड को देखी थी और अपने पति के लंड के साथ ज्यादा मस्ती नहीं कर पाई थी,,, जोकि राजू के लंड से आधा और पतला ही था,, इसलिए राजू के लंड को देखकर वह पूरी तरह से हैरान हो गई,,,। उसके पैर ज्यों के त्यों वही ठीठक कर रह गए,,,,, राजु के लंड को देखकर अशोक की बीवी की आंखों में चमक आ गई थी,,, उसे यह नजारा बेहद अद्भुत और रमणीय लग रहा था,,, तो राजू भी जानबूझकर अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए पेशाब कर रहा था और अशोक की बीवी की तरफ देखते हुए बोला,,,।


आहहहहह ,,,, भाभी ,,, तुमको पेशाब करता हुआ देखकर ,, मुझे भी जोरो की पैशाब लग गई,,,।
(लेकिन इस बार अशोक की बीवी कुछ बोली नही क्योंकि राजू के लंड को देखकर उसकी आंखों में शर्म की लालिमा छा गई थी,,और वह शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे झुका ली थी,,,। राजू मन ही मन प्रसन्न हो रहा था उसका काम धीरे धीरे बनता हुआ नजर आ रहा था उसे अपने पर पूरा विश्वास हो गया था कि जब वहां अपनी उंगली को उसकी बुर में प्रवेश करा दिया तो लंड डालने में कितना देर लगेगा और वह जरा सा भी विरोध नहीं कर पाई थीऔरतों की संगत में राजू को औरतों के मन में क्या चल रहा है इस बारे में थोड़ा थोड़ा समझ में आने लगा था अशोक को देखकर वह समझ गया था कि उसकी बीवी पूरी तरह से प्यासी है तन की प्यार की,,, उसे तृप्ति का अहसास चाहिए संतुष्टि चाहिए जो कि वही उसे प्रदान कर सकता है,,,, पर आज की रात वह अशोक की बीवी के साथ चुदाई का खेल खेलना चाहता था,,,,।

भोली भाली अशोक के बीवी के मन में राजू के लंड को देखकर भी हलचल हो रही थी और वह अपने मन में यही सोच रही थी कि बाप रे इतना मोटा और लंबा लंड,,, उसके पति का तो इसके सामने कुछ भी नहीं है,,, बाप रे यह बुर में कैसे जाता होगा,,, यह सब सोचते हुए उसे अपनी दोनों टांगों के बीच हलचल सी महसूस होने लगी थी जो कि कुछ देर पहले ही राजू ने अपनी हथेली का कमाल दिखाते हुए उसकी बुर से काम रस निकाल दिया था,,। अशोक की बीवी अभी यही सब सोच रही थी कि उसके कानों में फिर से वही आवाज आई जागते रहो जागते रहो,,,, वह एकदम से घबरा गई,,, और राजू से बोली,,,।


जल्दी करो बबुआ,,,मुझे तो बहुत डर लग रहा है आज बाहर बार जागते रहो जागते रहो चिल्ला रहे हैं,,,


अरे भाभी तुम खामखा डरती हो जब मैं तुम्हारे साथ हूं तो किसी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है,,,।


नहीं नहीं बबुआ सब कुछ तो ठीक है लेकिन जल्दी से अंदर चलो,,,(अशोक की बीवी अपने चारों तरफ नजर घुमाते हुए बोली)


ठीक है भाभी मेरा भी हो गया,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह अपने खड़े लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसे अपने पहचाने को थोड़ा आगे की तरफ खींच कर उसे अंदर डालने की कोशिश करने लगा जो कि उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में था इसलिए पजामे के अंदर जाने में थोड़ी मशक्कत करनी पड़ी आखिरकार वह थोड़ी मशक्कत करने के बाद अपनी पजामे में लंड को ठुंसते हुए बोला,,,।)


क्या करूं भाभी बहुत परेशान कर देता है ज्यादा लंबा और मोटा है ना इसलिए पजामे में ठीक से जाता नहीं है,,,(अपने पजामे को व्यवस्थित करते हुए बोला लेकिन अभी भी उसके पजामे में खूंटा बना हुआ था,,, ज्यादा लंबा और मोटा कहकर राजू अशोक की बीवी को और ज्यादा तडपाना चाहता था,,,,,। और राजू की बातों को सुनकर वह तड़प भी रही थी,,, राजू की बातों को सुनकर अनजाने नहीं अचानक उसके मुंह से निकला,,,।

हां सच में बहुत मोटा और लंबा है,,,,
(अशोक की बीवी का जवाब सुनकर राजे मंद मंद मुस्कुराने लगा और उसके हाथों से लालटेन ले लिया और नीचे पड़ा डंडा भी हाथ में उठा लिया आगे-आगे अशोक की बीवी और पीछे पीछे राजू घर में प्रवेश कर गए,,,, अंदर आते ही अशोक की बीवी राजू से बोली)

अच्छे से दरवाजा बंद कर देना,,,


तुम चिंता मत करो भाभी,,,( और इतना कहने के साथ ही राजू लालटेन को नीचे जमीन पर रख दिया और डंडे को एक तरफ दीवार के सहारे खड़ा करके दरवाजा बंद करके उसकी सीटकनी लगा दिया ,,,, वापस अपने बिस्तर की तरफ आने लगा अशोक की बीवी दोनों खटिया के बीच में चटाई बिछाकर उस पर बैठ गई थी,,, उसके मन में भी हलचल मची हुई थी राजु के लंड को लेकर,,,और राजू बिस्तर पर बैठते हुए बोला,,,।)

क्या हुआ भाभी रात भर जागने का विचार है क्या,,,


नहीं बबुआ लेकिन ना जाने क्यों नींद नहीं आ रही है,,,

(अशोक की बीवी की बात सुनकर राजू समझ गया था कि उसे नींद क्यों नहीं आ रही है वह किसी भी तरह से आज की रात अशोक की बीवी की चुदाई करना चाहता था और दूसरी तरफ राजू के पिताजी हरिया खाना खाने के बाद अपनी छोटी बहन गुलाबी को इशारा करके अपने कमरे में चला गया और अपनी बीवी मधु के सारे कपड़े उतार कर उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया और उसे जबरदस्त तरीके से चोदने लगा दो कि पूरी तरह समझ तो गई थी हरिया यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बीवी को जमके चोदने के बाद वह इत्मीनान से गहरी नींद में सोती है और सुबह से पहले उसकी नींद नहीं खुलती,,इसीलिए हरिया अपनी बीवी को पूरी तरह से तृप्त कर देना चाहता था और थोड़ी ही देर में वहां अपनी बीवी की चुदाई करके कुछ देर तक उसके साथ बिस्तर पर लेटा रहा और जब देखा कि उसकी बीवी गहरी नींद में सो गई है तो वह धीरे से खटिया पर से उठा और बिना आवाज के दरवाजा खोल के बाहर से दरवाजा बंद कर लिया ताकि अगर किसी भी तरह से उसकी नींद खुल भी गई तो वह आराम से कोई बहाना बनाकर बच सकता है,,,, और वहां से निकल कर बगल वाले कमरे में जिसमें गुलाबी सोती है वहां दरवाजे पर आकर दरवाजे पर दस्तक देने के लिए जैसे ही वह हाथ दरवाजे पर रखा दरवाजा अपने आप ही खुल गया,,गुलाबी ने पहले से ही दरवाजा को खुला छोड़ दी थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका बड़ा भाई उसकी बीवी की चुदाई करके उसके पास जरूर आएगा,,, जैसे ही दरवाजा खुला
दरवाजे के खुलने की आवाज सुनकर खटिया पर ऐसे ही लेटकर अपने बड़े भाई का इंतजार कर रही गुलाबी तुरंत से उठ कर बैठ गई और दरवाजे पर अपने बड़े भाई को देख कर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई,,, अंदर आकर दरवाजे को बंद करते हुए हरिया बोला,,,।

क्या बात है तुझे नींद नहीं आ रही है,,,


तुम्हारा इंतजार कर रही थी,,,,

(इतना सुनते ही हरिया आगे बढ़ा और खटिया पर बैठते हुए गुलाबी को अपनी बाहों में लेकर उसे खटिया पर पीठ के बल लेटाते हुए उसके ऊपर पूरी तरह से छा गया,,,।
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एक खटिया पर अशोक नशे में धुत होकर सोया हुआ था दूसरी खटिया पर राजु सोने की तैयारी मैं था,,हालांकि उसकी आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी और दोनों खटिया के बीच में चटाई बिछाकर अशोक की बीवी बेठी हुई थी उसके भी आंखों में नींद नहीं थी जिसका कारण था चोरों का डर और राजु का बमपिलाट लंड जिस का दर्शन वह अभी अभी कुछ देर पहले ही बाहर करके आई थी जब राजू उसकी आंखों के सामने जानबूझकर हाथ से हीलाते हुए मुत रहा था,,,,,,, अशोक की बीवी चटाई पर बैठे-बैठे राजू के लंड के बारे में सोच रही थी भले ही वह एकदम भोली थी ,,, लेकिन मर्दों के लंड के बारे में सोचते ही उसके तन बदन में सिहरन सी दौड़ने लगती थी हालांकि अभी तक वह किसी मर्दाना ताकत के बारे में लंड से वाकिफ ओर मुखातिब नहीं हुई थी,,, उसकी बुर में जाता भी था कि उसके पति का पतला और कमजोर लंड जो कि उसको पूरी तरह से अनुभव नहीं करा पाता था,,,,इसीलिए तो राजू के लंड को देखकर उसकी हालत खराब होने लगी थी वह सोच में पड़ गई थी कितना मोटा और लंबा लंड बुर में जाता कैसे हैं,,, राजू अशोक की बीवी को इस तरह से विचार मग्न देख कर बोला,,,।
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क्या हुआ भाभी नींद नहीं आ रही है क्या,,,?


हां बबुआ नींद बिल्कुल भी नहीं आ रही है,,,


चोरों का डर लग रहा है क्या,,,?

हां,,,,?

अरे यहां चोर आने वाले नहीं हैं तुम चिंता मत करो मैं हूं ना,,,


और आ गए तो तब क्या करोगे,,,


मेरी ताकत पर भरोसा नहीं है भाभी,,, दो तीन से तो मैं ऐसे ही निपट लूंगा,,,, अच्छा एक बात बताओ रुपया पैसा ज्यादा रखी हो क्या,,,

नहीं तो,,,


फिर तो गहने खूब होंगे,,,


अरे नहीं बबुआ ऐसा कुछ भी नहीं है,,,


फिर काहे को डरती हो भाभी,,,, जब लुट कर ले जाने जैसा कुछ भी नहीं है,,,, हां,,,,,, लेकिन कृपया पैसा गहना से भी ज्यादा बेशकीमती चीज है तुम्हारे पास उसे जरूर लूट कर ले जाएंगे,,,,
Ashok ki bibi or raju


क्या,,,? नहीं नहीं ऐसा तो कुछ भी नहीं है मेरे पास,,,


अरे भाभी तुम नहीं जानती कि तुम्हारे पास कितना पैसे कीमती खजाना है दुनिया की दौलत भी लुटा दो तो शायद उसे खरीद नहीं पाओगे,,,।


बबुआ तुम पहेली मत बुझाओ,,,मुझे तो बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा है कि तुम क्या कह रहे हो,,,, मेरे पास और वह भी बेशकीमती खजाना हो ही नहीं सकता,,, शादी जब हुई थी हमारी तब पिताजी के घर से सिर्फ यह कान की झुमकी मेरे पास उसके बाद ना तो वहां से कुछ मिला और ना ही यहां से,,,,
(राजु उसके भोलेपन की बात सुनकर मंद मंद मुस्कुरा रहा था,,,)

और अगर मैं दिखा दूं तो कि तुम्हारे पास बेशकीमती खजाना है तब बोलो क्या दोगी,,,,,


तो ,, क्या,,,,,मतलब ,,,की ,,,तुम्हें उस खजाने में से थोड़ा सा हिस्सा दे दूंगी और क्या,,,,(अशोक की बीवी को ऐसा ही था कि उसके पास खजाना जब है ही नहीं तो वह हिस्सा क्या देगी उसे ऐसा ही लग रहा था कि राजू सिर्फ ऐसे ही बातें बना रहा है,,,,,, और राजू उसकी बात को सुनकर मन बना दो मुस्कुराने लगा ,,, वह ऐसे नाजुक मौके की नजाकत को अच्छी तरह से समझता था,,, और ऐसे ही मौके पर पुरी तरह से झपटता भी था,, और इसीलिए वह अशोक की बीवी से बोला,,,)
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तब इधर आओ खटिया पर बैठो तब मैं तुम्हें बताता हूं,,,।
(इतना सुनते ही अशोक की बीवी उठी और खटिया पर गार्डन कर बैठ गई लेकिन अभी भी उसके दोनों पैर खटिया के नीचे थे इसलिए राजू बोला)

अरे ठीक से बैठ जाओ भाभी पांव ऊपर करके तुम्हें इत्मीनान से दिखाता हूं कि तुम्हारे पास बेशकीमती खजाना क्या है और कहां पर है,,,,,(इस बार राजू की बात सुनकर वो थोड़ा सा सिहर उठी,, उसके बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, फिर भी उसकी बात मानते हो कि अशोक की बीवी अपने पैर खटिया पर रखकर बैठ गई वह राजू से एकदम सट कर बैठी थी,,,, राजू के तन बदन में भी उन्माद की लहर उठ रही थी,,,, अशोक की बीवी उसी तरह से भोलेपन से बोली,,,)

अब दिखाओ बबुआ,,,,, खजाना,,,,।

(उसकी उत्सुकता देखकर राजू की उत्तेजना बढ़ने लगी कभी-कभी उसकी बातें सुनकर उसे उसका भोलापन लगता था तो कभी-कभी राजू को समझ में नहीं आ रहा था कि वह वाकई में भोली है या भोली होने का नाटक कर रही है,,, जो भी हो मजा तो राजू को दोनों तरफ से था,,,,,।
अशोक के बीवी की हालत बहुत ज्यादा खराब होती जा रही है इसके तन बदन उतेजना की लहर उठ रही थी बदन में शोले भड़क रहे थे राजू की हरकत को वह कुछ-कुछ वह समझ रही थी,, राजू के कहने का मतलब को थोड़ा-थोड़ा उसे समझ में आ रहा था लेकिन वह पूरा नतीजा देखना चाहती थी,, और राजू था कि आज उसे तारों की शेर कराना चाहता था,,,, राजू अशोक की बीवी से एकदम से सट गया थाऔरतों की बीवी के बदन की गर्मी से उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और एकदम से चुदवासा भी,,,, उत्तेजना का असर अशोक के बीवी की आवाज पर भी हो रहा था उसके स्वर भारी होते जा रहे थे,,, ऐसे ही वह गहरे स्वर में बोली,,,।



दिखाओ कहां है बेशकीमती खजाना,,,,।


उतावली मत करो भाभी एकदम इत्मीनान से दिखाऊंगा कि तुम्हारे पास कौन सी जगह पर बेशकीमती खजाना है,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपने हाथ को उसके पैरों की उंगलियों पर रखकर उसे हल्के हल्के सहलाने लगा,,,, धीरे-धीरे मदहोशी का असर अशोक की बीवी पर हो रहा था
और राजू पूरी तरह से अपनी हरकत पर उतर आया था धीरे-धीरे वह अपनी हथेलियों कोपेड़ के ऊपर की तरफ नहीं जा रहा था जिससे उसकी साड़ी भी धीरे-धीरे उठती चली जा रही थी,,,, अशोक की बीवी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन राजू की हरकत से उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,, राजू अपनी हरकत को जारी रखते हुए अपनी बातों से उसका मन भी हहला रहा था और उसे उलझा भी रहा था,,,)


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भाभी तुम नहीं जानती कि तुम क्या चीज हो पूरे गांव में तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा,,,ऊफफफ,,, तुम्हारे बदन की खुशबू,,,,ऊममममम,,(औरतों को अपनी जाल में फांसने कापुणे पूरी तरह से अपने विश्वास में लेने का हुनर राजू अच्छी तरह से सीख गया था और इस समय अशोक की बीवी के साथ भी हो रहा था अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर वह गदगद हुए जा रही थी लेकिन साथ ही उसकी हरकत से वह पूरी तरह से मस्त भी हो रही थी,,, उसे अपनी बुर से काम रस बहता हुआ महसूस होने लगा था,,,,धीरे-धीरे अशोक की बीवी मस्ती के सागर में गोते लगा रही थी और मदहोश होते हुए राजू की हरकत को महसूस करते हुए बोली,,,)

सहहहहह ,,,, यह क्या कर रहे हो बबुआ,,,


कुछ नहीं भाभी सिर्फ तुम्हें एहसास दिला रहा हूं कि तुम क्या चीज हो तुम्हारे पास ऐसा कौन सा बेशकीमती खजाना है जिसे देख कर दुनिया पागल हो जाती है,,,,, बस तुम इसी तरह से मेरा साथ देती रहो,,, दोगी ना भाभी मेरा साथ,,,(अपनी हथेली को उसकी सारी को पर उठाते हुए उसके घुटनों पर रखते हुए राजू बोला,,, मदहोशी और उत्तेजना के आलम में वह पूरी तरह से राजु की गिरफ्त में आ चुकी थी,,, अंदर से वह भी एक प्यासी औरत थी जिसकी प्यास राजू ने अपनी हरकत से भड़का दिया था,,, धीरे-धीरे अशोक की बीवी राजू के आगे लाचार होती जा रही थी इसलिए उसकी बात माननी किसी और के पास दूसरा कोई रास्ता भी नहीं था इसलिए वह बोली,,,)

दुंगी,,,,(खुमारी में अपनी आंखों को बंद किए हुए वह बोली,,)

ओहहहह ,,,, भाभी,,,, तुम बहुत अच्छी हो,,,(इतना कहते हुए ही राजू ज्यादा कस के बुर के बेहद करीब ही अशोक की बीवी की चांघ को अपनी हथेली में दबोच लिया जिससे,, अशोक की बीवी के मुंह से सिसकारी फूट पड़ी,,,, उसकी गरम-गरम सिसकारी की आवाज सुनकर राजू एकदम से मस्त होता हुआ बोला,,)


क्या हुआ भाभी इस तरह से क्यों आवाज निकाल रही हो,,,,(राजू की बात सुनकर बड़े होने से अपनी आंखों को खोलते हुए अशोक की बीवी राजू की आंखों में देखते हुए बोली,,,)

मुझे ना जाने क्या हो रहा है,,,,

मैं जानता हूं भाभी तुम्हें क्या हो रहा है,,,,

क्या हो रहा है बबुआ,,,,?(उत्तेजना से सिहरते हुए अशोक की बीवी बोली,,)

Ashok ki bibi k hotho ka chumban lete huye



तुम्हें बहुत मजा आ रहा है भाभी,,,,,,
(अशोक की बीवी को इस बात का अहसास था कि उसे बहुत मजा आ रहा है राजू की हर हरकत पर उसके तन बदन में आग लग रही है मीठा मीठा दर्द भी हो रहा है,,, लेकिन फिर भी वह बोली)

मुझे नहीं मालूम बबुआ,,,, लेकिन तुम अभी तक वह खजाना नहीं दिखाएं,,,,


अभी दिखाता हूं भाभी मेरी पकड़ से ज्यादा दूर नहीं है,,,।
(इस बात को सुनते ही अशोक की बीवी उत्तेजना से सिहर उठी क्योंकि उसे एहसास हो गया था कि राजू किस बारे में बात कर रहा है,,,, वह अभी यही सोच ही रही थी कि राजू अपनी हथेली को पूरी तरह से उसकी बुर पर रखकर अपनी हथेली में दबोच लिया जैसे कि सच में मैं कोई खजाने को मुट्ठी भर भर कर लूट रहा हो,,,, जैसे ही राजू ने उसकी पूर्व को अपनी हथेली में कस के दबोचा,,, वैसे ही तुरंत अशोक की बीवी के मुंह से गरमा गरम सिसकारी की आवाज एकदम मादक स्वर में फूट पड़ी,,,।)


सससहहहह आहहहहहहहहह,,,,बबुआआआआ,,,,आहहहहहह,,, यह क्या कर रहे हो बबुआ,,,


यही तो खजाना है भाभी जिसे दुनिया लूटना चाहती है चोर लूटना चाहते हैं तुम्हारे घर आकर तुम्हारा रुपया पैसा गहना नहीं लूटेंगे बल्कि तुम्हारी दोनों टांग के बीच में छुपी हुई इस खजाने को लूट कर जाएंगे,,,


ओहहहह बबुआ,,,,आहहहहहहह,,,, इस खजाने की बात कर रहे हो मै तो कुछ और ही समझी थी,,,।

भाभी तुम्हारे इस खजाने को देखने के बाद कोई भी मर्द दुनिया का और खजाना देखने और पाने की इच्छा बिल्कुल भी नहीं करेगा,,,


तुम्हारी बातें मुझे समझ में नहीं आती बबुआ,,,,(अशोक की बीवी मस्ती से अपनी आंखों को खोलते हुए राजु की आंखों में देखते हुए बोली,,,, राजू की भी नजरे उसकी नजरों से टकराई और राजू सिरहाने गया और राजू अपने प्यार से होठों को अशोक की बीवी के तपते हुए होंठ पर रख दिया और उसे चूसना शुरू कर दिया,,,अशोक की बीवी को इस तरह के चुंबन का बिल्कुल भी अनुभव नहीं था इसलिए वह पल भर में ही राजू की हरकत से पूरी तरह से कामाग्नि में जलने लगी,,, उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी पोर्न उसकी बुर से काम रस की धारा फूट पड़ी जो कि राजू की हथेलियों को पूरी तरह से अपने काम रस में भिगो दे रही थी,,,, राजू उत्तेजना के मारे अपनी हथेली को जोर-जोर से उसकी बुर पर रगडना शुरू कर दिया,,, चुंबन का आनंद और साथ ही बुर पर हथेली का घर्षण अशोक की बीवी से बर्दाश्त नहीं हो रहा था और वह कसमसा रही थी उसके कसमस आने की वजह से खटिया से चरर चरर की आवाज आ रही थी जो कि यह आवाज वातावरण में और ज्यादा मादकता फैला रही थी,,,, राजू अशोक की बीवी के होठों का रसपान करते हुए उसकी बुर से लगातार खेल रहा था,,,,।

काम ज्वाला अशोक की बीवी के भी तन में भड़क चुकी थी,,, राजू के तो भाग्य खुल गए थे ,, एक ओर बुर को हस्तगत कर लिया था उस पर विजय प्राप्त कर लिया था बस विजय पताका लहराना बाकी था,,,अशोक की बीवी पहली बार इस तरह की उत्तेजना का अनुभव कर रही थी और पहली बार किसी गैर मर्द के हाथों को अपने बदन पर महसूस कर रही थी क्योंकि उसके संपूर्ण बदन पर कब्जा जमाया हुआ था,,,।

अब कैसा लग रहा है भाभी,,,


मत पूछो बबुआ ना जाने कैसी कैसी चीटियां पूरे बदन को काट रही है,,,

ये चीटियां नहीं है भाभी,,, तुम्हें तुम्हारी गदराई जवानी चिकोटी काट रही है,,,,


बस करो बबुआ पास में ही लेटे हैं अगर वह जाग गए तो गजब हो जाएगा,,,।
Raju chuchiyo ka raspan karte huye



कुछ गजब नहीं होगा भाभी,,,(उसके यह कहने का मतलब को अच्छी तरह से राजू समझ गया था राजू जान गया था कि उसका भी चुदवाने का मन है,,, बस अपने पति से थोड़ा डर रही है इसलिए उसके डर को दूर करने के लिए राजू बोला,,,)

तुम्हें तो पता ही होगा ना भाभी कि नशे में धुत होने के बाद इनकी नींद कब खुलती है,,,


अपने आप नहीं खुलती,,, सुबह जगाना पड़ता है तब जाकर उठते हैं,,,(अशोक की बीवी का भी पूरी तरह से मन बन चुका था चुदवाने का इसलिए राजू से सही-सही बता दी थी वरना आनाकानी करती डरती और ऐसा करने से उसे रोकती लेकिन वह भी मजबूर थी अपने बदन के जरूरत के आगे,,, क्योंकि वह संभोग में संतुष्टि के एहसास के लिए तड़प रही थी उसे पूरी तरह से मजा नहीं आ रहा था बस अपनी जिंदगी को चाहिए जा रही थी अभी अभी तो उस पर पूरी तरह से जवानी चली थी और ऐसे में मरियल सा पति उसकी आग बुझाने में सक्षम नहीं था,,, इसलिए बांका जवान मर्द पाकर उसके जवानी की गर्मी उबाल मार रही थी,,, अपनी जवानी को वह बर्बाद नहीं होने देना चाहती थी,,, इसलिए राजू के साथ आज की रात में पूरी तरह से जी लेना चाहती थी,,,, राजू की उसकी बात सुनकर एकदम से खुश हो गया और बोला,,,)


Raju or Ashok ki bibi

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बस फिर क्या चिंता करने की जरूरत नहीं है,,,, मेरी रानी,,,,आज की रात देखना मैं तुम्हारी बेशकीमती खजाने का कितना सही उपयोग करता हूं तब तुम्हें इस बात का एहसास होगा कि वाकई में तुम्हारे पास कितना बेशकीमती खजाना पड़ा है जिसके बारे में तुम्हें और तुम्हारे पति को अहसास तक नहीं है,,,,


वैसे हमारा नाम रानी है बबुआ,,,,


ओहहहह भाभी तुमने तो मुझे खुश कर दिया अपना नाम बता कर जैसा नाम है वैसे ही तुम लगती हो बस थोड़ा सा नसीब गड़बड़ा गया जो इधर आ गई,,,


सच कह रहे हो बबुआ हमारा भी ऐसी शादी करने का कोई इरादा नहीं था लेकिन मां-बाप ने जहां बांध दिया शो आ गई,,,


अब तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो रानी,,, तुम्हारी प्यास बुझाने के लिए तुम्हारा राजा आ गया है,,, वैसे सच कहूं तो जैसे तुम्हारा नाम रानी है मेरा नाम भी राजा ही है,,,(राजू जानबूझकर अपना नाम राजा बता रहा था ताकि रानी और राजा का मिलाप हो सके इसलिए राजू का नाम सुनते ही वह एकदम से खुश होते हुए बोली,,)

ओहहहह क्या सच में तुम्हारा नाम राजा है,,,।


हां मेरी रानी मेरा नाम राजा ही है,,,(राजू जोर-जोर से उसकी बुर मसलते हुए बोला,,,)
Raju


ओहहहह राजा,,, बचपन से ही में गई सपना देखा करती थी कि मेरे होने वाले पति का नाम राजकुमार हो या राजा हो, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया,,,


दुखी मत हो रानी बदन की प्यास बुझाने वाला भी पति से कम नहीं होता आज की रात तुम मुझे अपना पति समझो और मैं तुम्हें अपनी पत्नी,,,,
(राजू की बात सुनते ही वह एकदम से शर्मा गई,,, और उसे शर्माता हुआ देखकर राजू बोला,,)

शर्माते हुए तुम सच में राजकुमारी लगती हो,,,,मुझे तो तुम पर तरस आता है कितनी खूबसूरत राजकुमारी की तरह होने के बावजूद भी तुमने इतने सामान्य से दिखने वाले इंसान से कैसे विवाह कर लिया,,,


तकदीर का लेखा है बबुआ,,,


राजा मेरी रानी,,,


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हां हा राजा,,,(वह हंसते हुए बोली तो राजू उसकी बुर पर हथेली को रगडते हुए बोला,,,)

तुम्हारी बुर पानी बहुत छोड़ रही है रानी क्या इस तरह से पहले भी पानी छोड़ती थी,,,।

नहीं मेरे राजा तुम्हारा हाथ लगने के बाद ही इतना पानी छोड़ रही है,,,।

हाए मेरी जान अब तो आज यह राजा तुम्हारी बुर का गुलाम बन जाएगा,,,, रुको ऐसे नहीं,,,,,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अशोक की बीवी की साड़ी को उतारने लगा अशोक की बीवी भी साड़ी उतरवाने के लिए आतुर हुए जा रही थी,,। लेकिन बीच-बीच में शंका जताते हुए बोल रही थी कि अगर यह जाग गए तो,,, और राजू कुछ भी ना होने का आश्वासन देकर धीरे-धीरे करके उसकी साड़ी उतार फेंका और उसकी ब्लाउज का बटन खोलने लगा क्योंकि ब्लाउज में से ही उसकी चूचियां कयामत ढा रही थी बड़े-बड़े चुचियों की मालकिन जो थी,,,देखते ही देखते राजू उसके प्लस के सारे बटन खोल कर उसके नाम से उसके बदन से अलग कर दिया उसकी नंगी चूचियों को देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था क्योंकि वह एकदम दशहरी आम की तरह नजर आ रही थी और उसके पति को देखकर उसके नशे की आदत होती है कि कल रात में समझ गया था कि यह दबा दबा कर बड़ी नहीं होंगे बल्कि कुदरती रूप से ही इसी आकार की है,,,और इस बात से राजु एकदम से खुश हो गया उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथ में लेकर दबाते हुए बोला,,,)


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औहहहह मेरी रानी तुम्हारी चूचियां कितनी बड़ी बड़ी है,, लगता है तुम्हारे पति सारा कसर तुम्हारी चुचियों पर ही उतारते हैं,,,

धत्,,, वह तो इसकी जरा भी खबर नहीं लेते मेरे ब्लाउज को उतारते तक नहीं है,,,


तो मेरी जान इतनी बड़ी बड़ी कैसे हो गई,,,

शुरू से ऐसे ही,,,है,,,।


आहहहह तब तो बहुत मजा आएगा तुम्हारे मायके में तो लड़के तुम्हारी चूचियां देखकर ही पानी फेंक देते होंगे,,।

धत् कैसी बातें करते हो,,, मै किसी भी लड़के को अपने करीब नहीं आने दि‌ हुं,,,



(राजू को उसकी बातों में सच्चाई नजर आती थी वह दोनों हाथों से उसके पपैया को पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए बारी-बारी से अपने मुंह में लेकर पी रहा था यह अशोक की बीवी के लिए पहला मौका था जब कोई मर्द उसकी चूचियों से खेल रहा था इसलिए उसे बहुत ही मजा आ रहा था,, बल्कि उसे तो इस बात का अहसास तक नहीं था की चुचियों को दबाने में पीने में औरतों को मजा आता है और वही मजा राजू आज उसे प्रदान कर रहा था आज उसे स्त्री होने का गौरव प्राप्त करा रहा था,,,, देखते ही देखते राजू उसकी चूचियों को दबा दबा कर एकदम टमाटर की तरह लाल कर दिया था,,,, राजू बड़ी शिद्दत से अशोक की बीवी की चूचियों से खेल रहा था और उसे इसमें बहुत मजा आ रहा था और मुंह में लेकर जब जब पीता था तब तक उसकी कड़क किशमिश को दांतों तले दबा दे रहा था जिससे उसकी आ निकल जाती थी देखते ही देखते हो पूरी तरह से मस्त हो गई और इसके बाद उसकी चुचियों का स्तनपान करते हुए राजू एक आंख से उसके पेटीकोट का नाड़ा खोने लगा और अगले ही पल उसके पेटीकोट की डोरी को अपने हाथों से खींचकर उसके पेटीकोट को एकदम सा ढीला कर दिया,,,,।

अशोक की बीवी पूरी तरह से पानी पानी हो गई थी वह कसमसा रही थी गरमा गरम सिसकारी ले रही थी उसका सिसकना कसमसाना देखकर राजू समझ गया था कि आप उसकी बुर में लंबा मोटा लंड डालने की आवश्यकता पड़ गई है लेकिन इतनी सी भी राजू कहां मानने वाला था,,, उसे खटिया पर पीठ के बल लेटा दिया ,,खटिया पर लेटने के बाद अपनी तसल्ली के लिए अशोक की बीवी बगल में ही खटिया पर नशे की हालत में सो रहे हैं अपने पति की तरफ देखिए उसी तरह से धुत होकर सो रहा था,,, अशोक की बीवी ना तो कभी कल्पना की थी और ना ही कभी सपने में भी ऐसा सोचती थी कि अपने ही पति के बगल में वह लेट कर किसी गैर जवान लड़के से अपने जवानी की गर्मी को शांत कराएगी,,, राजू उसे पीठ के बल लेटा कर उसकी पेटीकोट को ऊपरी छोर से पकड़कर उसको नीचे की तरफ खींचते हुए बोला,,।


अब तुम पूरी तरह से नंगी होने जा रही हो मेरी महारानी,,,।

जैसी तुम्हारी इच्छा हो वैसा ही करो मेरे राजा,,,।
(अशोक की बीवी पूरी तरह से लाइन पर आ चुकी थी जिसका फायदा राजू पूरी तरह से उठा रहा था,,, और मुस्कुराते हुए इसके पेटीकोट को नीचे की तरफ खींचते हुए वह बोला,,,,,,)



मैं भी देखना चाहता हूं कि नंगी होने के बाद तुम कितनी और ज्यादा खूबसूरत लगती हो,,(पर ऐसा कहते हुए पेटीकोट को खींचकर निकालने लगा तो उसकी गोल-गोल ‌गांड के नीचे पेटीकोट दबने की वजह से नीचे की तरफ नहीं सरक रही थी,,, तो राजू की मदद करते हुए अशोक की बीवी अपनी गांड को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठा दे ताकि उसकी पेटीकोट निकल जाए और ऐसा ही हुआ जैसे ही अशोक की बीवी ने अपनी गांड को हवा में उठाई गई सही राजेश उसकी पेटीकोट को नीचे की तरफ खींच लिया और उसके पेटीकोट को उसके बदन से उतारकर खटिया के नीचे फेंक दिया खटिया पर अशोक की बीवी पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी,,, राजू तो लालटेन की पीली रोशनी में अशोक की बीवी के नंगे बदन को देखता ही रह गया नंगी होने के बाद वह एकदम क़यामत लग रही थी राजू तो एकदम से उसका दीवाना हो गया और उसकी नंगी चिकनी जांघों पर अपनी दोनों हथेलियां रखते हुए बोला,,,।)


बाप रे तुम तो स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा लग रही हो तुम सच में बहुत खूबसूरत हो ,,,(अशोक की बीवी राजू की बातें सुनकर शरमा गई और शर्मा कर दूसरी तरफ नजर फेर ली और राजू अशोक की बीवी के नंगे बदन पर पूरी तरह से कब्जा जमाने के लिए उसकी दोनों टांगों को धीरे धीरे खोलने लगा और अगले ही पल उसकी दोनों टांगों के बीच बैठ गया,,,,अशोक की बीवी को यही लग रहा था कि अब राजू अपने लंड को उसकी बुर में डाल कर उसकी चुदाई करेगा,,, क्योंकि शराबी पति पाकर संभोग के नियम को वह कहां जान पाई थी उसे क्या मालूम था कि संभोग के प्रकरण से कौन कौन सी क्रिया जुड़ी होती है लेकिन आज उसकी सारी जरूरतों को उसकी सारी कमियों को राजू पूरी तरह से दूर करने के लिए उसकी दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बना लिया था और देखते ही देखते अपने होठों को उसकी बुर पर रखकर उस पर चुंबनों की बौछार कर दिया,,,अशोक की बीवी ईसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी इसलिए एकाएक राजू की हरकत की वजह से वह पूरी तरह से सिहर उठी उसके बदन में कंपन होने लगा,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है लेकिन जब तक वह समझ पाती उससे पहले राजू पूरी तरह से उसे अपनी गिरफ्त में ले चुका था उसकी नाजुक सी छोटी सी बुर पर पूरी तरह से कब्जा जमा लिया था,,, और अगले ही पल वह गर्म सिसकारी के साथ राजू की हड़ताल का स्वागत करने लगी और वह भी अपनी कमर ऊपर की तरफ उठा उठा कर,,, राजू उसकी पतली कमर को दोनों हाथों से थाम कर उसकी रसीली बुर पर अपने होठों को रख कर अपनी जीभ को अंदर तक डालकर उसकी मलाई को चाटना शुरू कर दिया,,,,और अशोक की बीवी गरमा गरम सिसकारी लेते हुए कसमसाने लगी,,,।

सहहहहह आहहहह आहहहहहह मेरे राजा जी क्या कर रहे हो,,,आहहहहह बहुत मजा आ रहा है मेरे राजा,,,, आज तक मेरे पति ने इस तरह से कभी मुझे प्यार नहीं किया,,,,आहहहहह मैं तो आज धन्य हुई जा रही हूं,,,,ओहहहहहहह,,,,।

(उसकी गरमा गरम सिसकारी उसकी मद भरी बातों को सुनकर राजू का जोश बढ़ने लगा और वह जोर-जोर से उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया यहां तक की,,, अशोक की बीवी को वह अपनी जीभ से एक बार झाड़ भी दिया,,,,


औहहहह ,, मेरे राजा,,,आहहहहहह मुझसे रहा नहीं जा रहा है कुछ करो मेरे राजा,,,आहहहहहहह,,,,,


उसकी गरमा गरम सिसकारी की आवाज को सुनकर राज्य समझ गया था कि लोहा पूरी तरह से गर्म हो गया है अब हथोड़ा मारने की जरूरत है इसलिए वह तुरंत उठा और अपने कपड़े को उतारने लगा और देखते ही देखते खटिया पर बैठे-बैठे ही अपने कपड़े उतार कर एकदम नंगा हो गया अशोक की बीवी की नजर उस पर पड़ी तो वह पूरी तरह से सिहर उठी,,,उसे अपने अंदर लेने के लिए उत्सुकता भी थी तो एक तरफ उसे डर भी लग रहा था की ईतना मोटा उसकी बुर में जाएगा कैसे,,,, राजु अपने लंड को हाथ में लेकर उसे हीलाते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच जगह बनाते हुए बोला,,,।


अब देखना मेरी जान तुम्हें कैसे तारों की सैर कराता हुं,,,


घुस पाएगा,,,(अशोक की बीवी शंका जताते हुए बोली,,)


पूरा का पूरा घुस जाएगा मेरी रानी देखना कितने आराम से ले लेती हो,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू ढेर सारा थूक मुंह में लेकर उसकी बुर पर गिराने लगायह देखकर अशोक की बीवी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और अगले ही पल राजू मोर्चा संभालते हुए अपने लंड की तोप को उसकी गरमा गरम दीवार से बनी किले पर उसे पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में लेने के लिए टीका दिया,,, जैसे ही अशोक की बीवी राजु के मोटे तगड़े लंड के मोटे सुपाडे को उसकी गरम बुर‌ के गुलाबी छेद पर महसूस कि वऐसे ही उसका पूरा बदन एकदम से कसमसा गई,,, राजू पूरी तरह से उसके ऊपर छाने के लिए तैयार हो चुका थाचांदनी रात थी और ऊपर से लालटेन की रोशनी में सब कुछ नजर आ रहा था बगल में ही उसका पति लेटा हुआ था उसकी बिल्कुल भी चिंता ना करते हुए राजू अपनी मंजिल की तरफ आगे बढ़ रहा था,,,अशोक की बीवी के मन में आशंका थी इसलिए अपनी नजरों को ठीक अपनी दोनों टांगों के बीच टीकाए हुए थी,,,,।

राजू धीरे-धीरे अपने सुपाड़े को उसकी गुलाबी बुर के छेद में डालना शुरू कर दिया,,, उसकी बुर पहले से ही पनीयाई हुई थी और ऊपर से राजू ने ढेर सारा थूक उस पर चुपड़ दीया था,,, इसलिए राजू को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी और धीरे-धीरे उसका मोटा लंड बुर के अंदर सरकना शुरू कर दिया,,,लेकिन अभी तक अपने पति का पतला और हमारी ओर से अपनी बुर में लेती आ रही थी इसलिए अशोक की बीवी को थोड़ा बहुत दर्द का अहसास हो रहा था,,,, लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था,,,,

दर्द और मस्ती का मिलाजुला मिश्रण अशोक की बीवी के चेहरे पर देखने को मिल रहा था,,।उसका मुंह आश्चर्य से खुला का खुला था और वह अभी भी अपनी दोनों टांगों के बीच देख रही थी उसके गुलाबी छेद में राजू का पूरा लंड घुस गया था अशोक की बीवी को बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था कितना मोटा तगड़ा लंबा लंड उसकी बुर की गहराई में कहीं खो गया था,,,, राजू अशोक की बीवी की तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था वह पूरी तरह से तेजी था और अपने हथौड़े को गरम हो चुके लोहे पर पटकने के लिए तैयार था और धीरे-धीरे वह अपनी कमर को आगे पीछे करके हीलाना शुरू कर दिया जैसे-जैसे राजू का मोटा तगड़ा लंबा लंड बुर की अंदर की दीवारों को रगडते हुए अंदर बाहर हो रही थी उसी से अशोक की बीवी का और पानी निकल रहा था,,, उसे मजा आ रहा था,,,।राजू कुछ ही देर में अपनी रफ्तार पकड़ लिया था और अशोक की बीवी को हुमच हुमच कर चोद रहा था,,,।


अशोक की बीवी पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाती हुई नजर आ रही थी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी इस तरह का सुख उसने कभी प्राप्त नहीं की थी अपने आप से ही मन में बोली,,, बाप रे क्या इस तरह से भी चुदाई होती है,,, लेकिन औरत और मर्द के बीच में इस तरह के संबंध के बारे में जहां तक वह सोच सकती थी वहां से आगे राजु उसे एक नई दुनिया में लेकर जा रहा था,,,।

बड़े आराम से लेकिन रगड़ कर राजू का नंद अशोक की बीवी की बुर में अंदर बाहर हो रहा था एक अद्भुत सुख की परिभाषा से आज राजू उसे अवगत करा रहा था,,, बुर पुरी तरह से पनियाई हुई थी इसलिए किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं आ रही थी,,, राजू हर धक्के के साथ अशोक की बीवी की आहहह निकाल दे रहा था वह इतनी जोर जोर से धक्के मार रहा था कि ऐसा लग रहा था कि वह अपने लंड के साथ-साथ अपने अस्तित्व को भी उसकी बुर की गहराई में घुसेड देगा,,, खटीया से चरर चरर की आवाज आ रही थी साथ ही पूरे वातावरण में अशोक की बीवी की गरमा गरम सिसकारियां गुंज रही थी बगल में ही उसका पति लेटा हुआ था लेकिन उसे होश कहां था अगर होश में होता तो शायद आज उसकी बीवी राजू से ना चुद रही होती,,,।
राजू को अशोक की बीवी की चुदाई करने में बहुत मजा आ रहा था क्योंकि उसकी बुर एकदम संकरी थी इसलिए उसमे लंड डालने मे राजु को अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी,,,
देखते ही देखते अशोक की बीवी की सांसे और तेज चलने लगी राजू समझ गया कि वह चरम सुख के बेहद करीब है और वह उसे अपनी बाहों में कस लिया और अपनी कमर को जोर-जोर से कराना शुरू कर दिया क्योंकि वह भी बेहद करीब था झढ़ने में,,, और देखते ही देखते 15 20 धक्कों में दोनों का गर्म लावा फूट पड़ा,,, अशोक की बीवी पूरी तरह से तृप्त हो गई राजू के लंड से निकला गर्म लावा का फव्वारा इतना तेज था कि अशोक की बीवी को अपनी बच्चेदानी पर उसकी पिचकारी महसूस हो रही थी जिससे वह पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी इस तरह का एहसास उसके पति ने कभी नहीं कराया,,,।


दूसरी तरफ हो गया अपनी बीवी के गहरी नींद में सो जाने के बाद अपने कमरे से निकलकर दरवाजे पर बाहर से सिटकनी लगा दिया था और अपनी छोटी बहन के कमरे में घुस गया था जहां पर गुलाबी उसका बेसब्री से इंतजार कर रही थी और हरिया आज की रात इत्मीनान से अपनी बहन की चुदाई करना चाहता था इसलिए धीरे धीरे एक एक करके उसके बदन से सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी कर दिया था,,।
Shaandaar lajawab update bhai
 
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