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Incest बैलगाड़ी,,,,,

Ek number

Well-Known Member
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राजू की संभोग गाथा दिन प्रतिदिन पुनरुत्थान पर पहुंच रही थी,,,राजू कभी सपने में भी नहीं देखा था कि पूरे गांव में सबसे बड़ा चुडक्कड़ वही निकलेगा जो गांव की हर एक औरत और एक हर एक लड़की की बुक में अपना लंडरुपी झंडा गाडता फिरेगा,,,, और ऐसा भी नहीं था कि राजू ही पहल करता हो,,, जब तक औरत राजू के दमदार लंड का दर्शन नहीं कर लेती तब तक राजू को ही अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में औरतों को विश्वास में लाना पड़ता था लेकिन जैसे ही औरतें राजू के दमदार लंड का दर्शन कर लेती थी उसके बाद राजू को कुछ भी करने की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि औरतें खुद मचल उठती थी राजू के मोटे दमदार को अपनी बुर की गहराई में लेने के लिए,,,,और एक बार राजू के साथ चुदाई कैसे प्राप्त कर लेने के बाद राजू को दोबारा उस औरत के दोनों टांगों के बीच जाने में दिक्कत नहीं होती थी क्योंकि औरतें खुद ही उसे अपनी दोनों टांगों के बीच लाने के लिए तड़प उठती थी,,,, ऐसे ही नए-नए किस्से रोज उसकी जिंदगी से जुड़ते जा रहे थे,,,,।

अपनी मां की गैरमौजूदगी रांजु ने अपनी बुआ के साथ गांड मराई का सुख भोग चुका था,,, और झुमरी की गैर हाजरी में श्याम के साथ मिलकर जिस तरह से उसने श्याम की मां की चुदाई का सुख प्राप्त किया था वह बेहद अद्भुत था और आज की रात भी एक बार फिर से तीनों के मिलन की रात थी,,,, आज भी राजू बहाना करके रात भर श्याम के घर रुका रह गया और रात भर श्याम के साथ मिलकर उसकी मां की जबरदस्त चुदाई का सुख प्राप्त किया,,,,, और यही कार्य गुलाबी रात भर अपने बड़े भाई के साथ करती रही,,,,,,।

सुबह उसे अपनी मां को लेने के लिए हवेली के लिए निकलना था इसलिए आज भी हरिया शाम तक घर पर ही अकेला गुलाबी के साथ समय व्यतीत करने वाला था इस बात की खुशी उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी,,,, बेल गाड़ी लेकर राजू हवेली की तरफ जाने के लिए निकल गया था उसे इस बात की खुशी थी कि आते समय वह‌झुमरी को भी साथ लेकर आएगा लेकिन वह अपने मन में सोच रहा था कि जाते समय जिस तरह का हादसा और हरकत वह अपनी मां के साथ किया था और उसकी मां जिस तरह से खुलकर उसके साथ बातें करने लगी थी अगर ऐसा ही कुछ आगे बढ़ने लगा तो आते समय अकेलापन होने की वजह से वहां किस्मत साथ दे गई तो वह अपनी मां के साथ संभोग सुख प्राप्त करने का और उस अद्भुत सुख को प्राप्त करके अपने आप को खुशनसीब समझेगा लेकिन झुमरी को भी साथ लाने की लालच उसके मन में बस गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,,,, यही सोचता हुआ वह कच्ची सड़क पर से बैलगाड़ी को हांकता हुआ चला जा रहा था कि पीछे से उसके कानों में आवाज सुनाई दी,,,।

ओ राजू,,,, अरे रुक तो,,,,,,
( राजू को यह आवाज भलीभांति परिचित लगी वह बैल की रस्सी को खींचते हुए बैल को रुकने का संकेत दे दिया था,, और पीछे नजर घुमा कर देखा तो दूर से सोनी चली आ रही थी,,,, हाथों में फलों की टोकरी लेकर,,,, साथ में अपनी मदमस्त अल्हड़ जवानी लेकर,,, ,,,,,राजू को साफ नजर आ रहा था की टोकरी में पके हुए आम रखे हुए थे जिसे वह अपनी कमर पर टोकरी को टीका कर उसकी और बढ़ती चली आ रही थी लेकिन राजू एक बात पर गौर कर रहा था कि टोकरी में रखे हुए फलों से ज्यादा उभार उसकी छातियों में था जोकि ब्लाउज में कैद होने के बावजूद भी बड़े साफ तौर पर अपना उभार दिखा रहे थे,,,। बड़े दिनों बाद वह सोनी को देखा था,, वैसे भी सोनी का मतलब खत्म हो चुका था राजू को प्राप्त करना ही उसके साथ संभोग सुख प्राप्त करना ही उसका मकसद था जो कि उसे प्राप्त हो चुका था,,, लेकिन कभी कबार वह राजु से मुलाकात कर लेती थी,,, क्योंकि राजू के लंड की मोटाई लंबाई का सांचा जो उसकी‌ बुर में बन चुका था,,,। राजू की नजर उसकी गोरे बदन पर ही थी हालांकि राजू सोनी के खूबसूरत जिस्म को भोग चुका था लेकिन मर्द तो आखिर मर्द होता है उसकी प्यास कहां बुझने वाली है,,,, सोनी बैलगाड़ी के करीब पहुंचकर बोली,,,।


अरे राजू तो बेल गाड़ी चलाने लगा मुझे तो अपनी आंखों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था,, कहां हो आजकल नजर नहीं आते,,


वो क्या है ना छोटी मालकिन आजकल बहुत व्यस्त रहने लगा हूं बैलगाड़ी जो चलाने लगा हुं,,।

हां वह तो देख ही रही हूं,,,, मुझे मेरे हवेली तक छोड़ दे,,,


कोई बात नहीं छोटी मालकिन मैं वहीं से जा रहा हूं तुम्हें छोड़कर भी चला जाऊंगा,,,


बहुत अच्छा,,, ले यह आन की टोकरी पकड़कर बैलगाड़ी में रख ले,,,(आम की टोकरी को राजू की तरफ आगे बढ़ाते हुए सोनी बोली तो राजू तुरंत हाथ बढ़ाकर आम की टोकरी को अपने हाथों में ले लिया और उसे बैलगाड़ी में रखते हुए बोला,,,))

छोटी मालकिन आम से ज्यादा बड़ी-बड़ी तो तुम्हारी चुचिया है,,,


तभी तुझे मेरी याद नहीं आती,,,(बैलगाड़ी में चढ़ते समय इतना बोलकर सोनी मुस्कुराने लगी)

याद तो बहुत आती है छोटी मलकिन तुम्हारा अंग अंग एकदम खरा सोना है,,, तुम्हारी चूचियां तो सच में लाजवाब है,,,।


चल झूठा लाजवाब होती तो इन्हें मसल ने के लिए जरूर मेरे पास चला आता,,,,


आने को तो मैं कभी भी आ सकता था छोटी मालकिन लेकिन क्या करूं बड़े मालिक का दर्जा लगा रहता है अगर उन्हें हम दोनों के बारे में पता चल गया तो आप तो अच्छी तरह जानती हो कि हम दोनों का क्या होगा तुम्हारा तो फिर भी कुछ नहीं होगा लेकिन मेरा क्या होगा यह तो भगवान ही जानता है,,,


इतना डरते हो बड़े भैया से,,,

नहीं करता तो नहीं हूं लेकिन तुम्हारी चुदाई करते हुए अगर तुम्हारे भैया देख लेंगे तब तो डरना हीं पड़ेगा ना,,,,,


क्यों डर लगता है,,,, हम दोनों को देख भी लिए तो क्या होगा,,,?

क्या बात करती हो छोटी मालकिन कोई भी भाई अगर अपनी बहन को एकदम नंगी किसी लड़के के साथ देखेगा तो उसके दिल पर क्या गुजरेगी वह तो आग बबूला हो जाएगा जब यह देखेगा कि उसकी बहन की बुर में जवान लड़के का नंबर पूरा घुसा हुआ है और वह उसकी बहन की चूची पकड़कर धक्के लगा रहा,,, है,,।
(राजू की यह बातें सुनकर सोनी एकदम गरम होने लगी और राजू की बात सुनकर बोली,,)

वाह राजू तेरी बात ही कुछ और है साला उदाहरण भी ऐसा देता है कि बुर से पानी निकल जाता है,,,,


तुम्हारा निकला क्या छोटी मालकिन,,?(बेल को हांकते हुए जिज्ञासा वस राजु बोला,,,)

अरे तो क्या साली चड्डी गीली हो गई,,,(साड़ी के ऊपर से ही अपनी चड्डी और उसकी यह हरकत राजू पीछे नजर घुमा कर देख लिया था जिससे पजामे के अंदर उसका लंड खड़ा होने लगा था,,,,)

हाय छोटी मालकिन तुम्हारी यही अदा तो पागल कर देती है,,,,


पर तूने जो बुर में आग लगा दिया है उसका क्या,,,?

बुझा लो,,,, वैसे छोटी मालकिन जो तुम साड़ी के अंदर पहनती हो ना चड्डी तुम पर बहुत अच्छी लगती है लेकिन गांव की कोई भी औरत चड्डी नहीं पहनती,,,,

क्यों तू गांव की सारी औरतों की साड़ी उठा उठा कर देखा है क्या,,,?

नहीं नहीं ऐसा शुभ अवसर मुझे मिला तो नहीं है लेकिन जानता जरूर हूं,,,, तुम जब सारे कपड़े उतार कर सिर्फ चड्डी में खड़ी रहती हो ना लंड की हालत खराब हो जाती है ऐसा लगता है कि लंड़ की वंश फट जाएगी,,,,


तुझे चड्डी में, मैं इतनी खूबसूरत लगती हुं,,,,

पूछो मत छोटी मालकिन चड्डी में तो तुम स्वर्ग से उतरी अप्सरा लगती हो,,,
(राजू की बात सुनकर सोनी मन ही मन बहुत खुश हो रही थी राजू पूरी तरह से उसका दीवाना हो चुका था काफी दिनों बाद मिल रहा था लेकिन फिर भी दीवानगी उसी हद की थी जैसे कि पहले,,,)

तो ले तुझे मेरी चड्डी ‌ईतनी अच्छी लगती है ना,,,, तो ले,,,(इतना कहने के साथ ही बैलगाड़ी में बैठे-बैठे ही वह साड़ी को अपनी जांघों तक खींच दीराजू पीछे पलट कर देखने लगा तो हक्का-बक्का रहेगा उसकी आंखों के सामने ही सोनी अपनी साड़ी को जांघों तक खींचकर अपनी गोल-गोल गांड को हल्के से उठाकर अपनी चड्डी को अंगुलियों का सहारा देकर उतारने लगी और देखते ही देखते राजू की आंखों के सामने ही उसकी मोटी मोटी चिकनी जांघों से होती हुई उसकी लाल रंग की चड्डी उसकी लंबी टांगों से होती हुई बाहर निकल गई राजू तो देखता ही रह गया और अपनी लाल रंग की चट्टी को अपने हाथ में लेकर अपनी साड़ी को ठीक करके,,, राजू के चेहरे पर चड्डी को फेंकते हुए बोली,,,) ले अपने पास रख लेना मेरी निशानी,,,मुझे पूरा यकीन है कि मेरी चड्डी देख देख कर तो बहुत तड़पेगा और तब तु मेरे पास जरूर आएगा,,,(सोनी ने बड़े प्यार से अपनी चडडी कोउतारकर राजू के चेहरे पर दे मारी थी राजू अपने चेहरे पर से सोने की लाल रंग की चड्डी को अपने हाथ में लेकरउसे नाक पर लगाकर उसकी खुशबू को अपने अंदर खींचने लगा,,, राजू की बातों से सोनी की बुर गीली होने लगी थी उसमें से नमकीन पानी निकलने लगा था जो कि चड्डी के आगे वाले भाग को पूरी तरह से गिला कर चुका था और उस गीलेपन में से सोनी की बुर‌की मादक खुशबू आ रही थी जिसे मां को के द्वारा अपने सीने में उतारते ही राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,, लंड की नसों में रक्त का प्रवाह बड़ी तेजी से होने लगा वह गहरी सांस लेकर चड्डी की मादक खुशबू को अपने अंदर उतारते हुए बोला,,,)

हाय इसमें से तो तुम्हारी बुर की खुशबू आ रही है बाप रे तुमने तो मेरा लंड खड़ा कर दी,,,,(राजू की बात सुनकर उसकी हालत को देखकर सोनी मन ही मन खुश होने लगी,,, और बोली,,,,)


और तूने जो मेरी बुर में आग लगा दिया है उसका क्या,,,तूं तो जल्दबाजी में लग रहा है,,,, वैसे तू जा कहा रहा था,,,


अरे वही पास वाले गांव में हवेली में शादी थी वही जा रहा हूं अपनी मां को लेने,,,,


अरे वही तो मेरे भैया भी गए हुए हैं और वह भी आज आने वाले हैं राजू हवेली में इस समय कोई नहीं है सही मौका है,,,,,

क्या सच में हवेली में कोई नहीं है,,,?(राजू भी खुश होता हुआ बोला)

अरे हां कोई भी नहीं है अपनी मां को लेने जाने से पहले तू मेरी प्यास बुझा दे राजू,,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो छोटी मालकिन मेरा लंड भी बेकरार है तुम्हारी बुर में जाने के लिए,,,।
(इतना कहने के साथ ही राजू बैल को थोड़ा जोर से हांकने लगा,,, ताकि वहां जल्दी से पहुंच जाए,,,,सोनी की चड्डी अभी भी उसके एक हाथ में थी जिसे वह बार-बार अपनी नाक से लगा कर सुंघ ले रहा था यह देख कर सोनी के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगती थी,,, वाह राजू की हालत को देखते हुए बोली,,)

तुम यह चड्डी अपनी बुआ को दे देना नहीं तो अपनी मां को तुम्हारी मां तो वैसे भी बहुत खूबसूरत है उसकी गोरे बदन पर लाल रंग की चड्डी और ज्यादा खूबसूरत लगेगी,,,।
(सोनी की बात सुनकर कुछ देर के लिए तो राजू कल्पना की दुनिया में खोने लगा था और अपनी मां के बारे में कल्पना करने लगा था कि उसकी मां के लाल रंग की चड्डी पहन कर कैसी दिखेगी,,,, वहएकदम साफ तौर पर कल्पना कर पा रहा था कि उसकी मां पूरी तरह से नंगी होकर जब लाल रंग की चड्डी पहने की तो उसकी बड़ी बड़ी गांड चड्डी के अंदर और ज्यादा खूबसूरत लगेगी,,,, इस कल्पना से तो उसका लंड और ज्यादा टन टना गया,,,,,, लेकिन वह जानता था कि भले वह सोनी की चड्डी अपने साथ अपने घर पर ले कर चला जाए लेकिन वह अपनी मां को इतनी कीमती चड्डी क्या बोल कर देगा इतना तो मैं जानता ही था कि उसकी मां ने कभी चड्डी देखी भी नहीं होगी,,,, और अगर वह ले भी लेगी तो पूछेगी जरूर की लाया कहां से,,,, अब वह खरीद तो सकता नहीं था,,, और यह भी नहीं कह सकता था कि छोटी मालकिन ने उसे इनाम के तौर पर दी है,,, भला एक औरत जवान लड़के को अपनी चड्डी ईनाम के तौर पर क्यों देगी,,, इसीलिए राजू को सोनी की चड्डी अपने साथ ले जाना ठीक नहीं लग रहा था इसलिए वह बोला,,,)


नहीं नहीं छोटी मालकिनमैं तुम्हारी चड्डी अपने घर पर तो लेकर जा सकता हूं लेकिन अपनी मां को क्या बोल कर दूंगा,,,,,,

हां यह बात भी सही है,,,,, चलो कोई बात नहीं अपने पास रखे रहना जब मेरी याद आए तो मेरी चड्डी देख लेना,,,


यह तो और भी मुश्किल है मालकिन,,,


ऐसा क्यों,,,?


तुम्हारी चड्डी देखते ही मुझे तुम्हारी याद आने लगेगी तुम्हारी गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड तुम्हारी दूर,,,, नहीं नहीं तब तो मुझसे रहा नहीं जाएगा,,,,


अरे तब तो और भी अच्छा है तुझसे रहा नहीं जाएगा और तुझे मेरे पास आना ही पड़ेगा,,,,(उसका इतना कहना था कि बातों ही बातों में उसकी हवेली आ गई और वह बोली)
देख तो सही कितनी जल्दी हवेली आ गई,,, बस कर राजु जल्दी से चल अंदर मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,(इतना कहने के साथ ही वह खुद ही बेल गाड़ी पर से नीचे उतर गई और हवेली के अंदर जाने लगे राजू की जल्दी से बैलगाड़ी को वही खड़ी करके सोनी के पीछे पीछे हवेली में जाने लगा,,,,
Nice update
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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Gajab ka kamuk or madakta bhara update rony bhai, kya baat h
 

nickname123

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राजू की संभोग गाथा दिन प्रतिदिन पुनरुत्थान पर पहुंच रही थी,,,राजू कभी सपने में भी नहीं देखा था कि पूरे गांव में सबसे बड़ा चुडक्कड़ वही निकलेगा जो गांव की हर एक औरत और एक हर एक लड़की की बुक में अपना लंडरुपी झंडा गाडता फिरेगा,,,, और ऐसा भी नहीं था कि राजू ही पहल करता हो,,, जब तक औरत राजू के दमदार लंड का दर्शन नहीं कर लेती तब तक राजू को ही अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में औरतों को विश्वास में लाना पड़ता था लेकिन जैसे ही औरतें राजू के दमदार लंड का दर्शन कर लेती थी उसके बाद राजू को कुछ भी करने की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि औरतें खुद मचल उठती थी राजू के मोटे दमदार को अपनी बुर की गहराई में लेने के लिए,,,,और एक बार राजू के साथ चुदाई कैसे प्राप्त कर लेने के बाद राजू को दोबारा उस औरत के दोनों टांगों के बीच जाने में दिक्कत नहीं होती थी क्योंकि औरतें खुद ही उसे अपनी दोनों टांगों के बीच लाने के लिए तड़प उठती थी,,,, ऐसे ही नए-नए किस्से रोज उसकी जिंदगी से जुड़ते जा रहे थे,,,,।

अपनी मां की गैरमौजूदगी रांजु ने अपनी बुआ के साथ गांड मराई का सुख भोग चुका था,,, और झुमरी की गैर हाजरी में श्याम के साथ मिलकर जिस तरह से उसने श्याम की मां की चुदाई का सुख प्राप्त किया था वह बेहद अद्भुत था और आज की रात भी एक बार फिर से तीनों के मिलन की रात थी,,,, आज भी राजू बहाना करके रात भर श्याम के घर रुका रह गया और रात भर श्याम के साथ मिलकर उसकी मां की जबरदस्त चुदाई का सुख प्राप्त किया,,,,, और यही कार्य गुलाबी रात भर अपने बड़े भाई के साथ करती रही,,,,,,।

सुबह उसे अपनी मां को लेने के लिए हवेली के लिए निकलना था इसलिए आज भी हरिया शाम तक घर पर ही अकेला गुलाबी के साथ समय व्यतीत करने वाला था इस बात की खुशी उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी,,,, बेल गाड़ी लेकर राजू हवेली की तरफ जाने के लिए निकल गया था उसे इस बात की खुशी थी कि आते समय वह‌झुमरी को भी साथ लेकर आएगा लेकिन वह अपने मन में सोच रहा था कि जाते समय जिस तरह का हादसा और हरकत वह अपनी मां के साथ किया था और उसकी मां जिस तरह से खुलकर उसके साथ बातें करने लगी थी अगर ऐसा ही कुछ आगे बढ़ने लगा तो आते समय अकेलापन होने की वजह से वहां किस्मत साथ दे गई तो वह अपनी मां के साथ संभोग सुख प्राप्त करने का और उस अद्भुत सुख को प्राप्त करके अपने आप को खुशनसीब समझेगा लेकिन झुमरी को भी साथ लाने की लालच उसके मन में बस गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,,,, यही सोचता हुआ वह कच्ची सड़क पर से बैलगाड़ी को हांकता हुआ चला जा रहा था कि पीछे से उसके कानों में आवाज सुनाई दी,,,।

ओ राजू,,,, अरे रुक तो,,,,,,
( राजू को यह आवाज भलीभांति परिचित लगी वह बैल की रस्सी को खींचते हुए बैल को रुकने का संकेत दे दिया था,, और पीछे नजर घुमा कर देखा तो दूर से सोनी चली आ रही थी,,,, हाथों में फलों की टोकरी लेकर,,,, साथ में अपनी मदमस्त अल्हड़ जवानी लेकर,,, ,,,,,राजू को साफ नजर आ रहा था की टोकरी में पके हुए आम रखे हुए थे जिसे वह अपनी कमर पर टोकरी को टीका कर उसकी और बढ़ती चली आ रही थी लेकिन राजू एक बात पर गौर कर रहा था कि टोकरी में रखे हुए फलों से ज्यादा उभार उसकी छातियों में था जोकि ब्लाउज में कैद होने के बावजूद भी बड़े साफ तौर पर अपना उभार दिखा रहे थे,,,। बड़े दिनों बाद वह सोनी को देखा था,, वैसे भी सोनी का मतलब खत्म हो चुका था राजू को प्राप्त करना ही उसके साथ संभोग सुख प्राप्त करना ही उसका मकसद था जो कि उसे प्राप्त हो चुका था,,, लेकिन कभी कबार वह राजु से मुलाकात कर लेती थी,,, क्योंकि राजू के लंड की मोटाई लंबाई का सांचा जो उसकी‌ बुर में बन चुका था,,,। राजू की नजर उसकी गोरे बदन पर ही थी हालांकि राजू सोनी के खूबसूरत जिस्म को भोग चुका था लेकिन मर्द तो आखिर मर्द होता है उसकी प्यास कहां बुझने वाली है,,,, सोनी बैलगाड़ी के करीब पहुंचकर बोली,,,।


अरे राजू तो बेल गाड़ी चलाने लगा मुझे तो अपनी आंखों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था,, कहां हो आजकल नजर नहीं आते,,


वो क्या है ना छोटी मालकिन आजकल बहुत व्यस्त रहने लगा हूं बैलगाड़ी जो चलाने लगा हुं,,।

हां वह तो देख ही रही हूं,,,, मुझे मेरे हवेली तक छोड़ दे,,,


कोई बात नहीं छोटी मालकिन मैं वहीं से जा रहा हूं तुम्हें छोड़कर भी चला जाऊंगा,,,


बहुत अच्छा,,, ले यह आन की टोकरी पकड़कर बैलगाड़ी में रख ले,,,(आम की टोकरी को राजू की तरफ आगे बढ़ाते हुए सोनी बोली तो राजू तुरंत हाथ बढ़ाकर आम की टोकरी को अपने हाथों में ले लिया और उसे बैलगाड़ी में रखते हुए बोला,,,))

छोटी मालकिन आम से ज्यादा बड़ी-बड़ी तो तुम्हारी चुचिया है,,,


तभी तुझे मेरी याद नहीं आती,,,(बैलगाड़ी में चढ़ते समय इतना बोलकर सोनी मुस्कुराने लगी)

याद तो बहुत आती है छोटी मलकिन तुम्हारा अंग अंग एकदम खरा सोना है,,, तुम्हारी चूचियां तो सच में लाजवाब है,,,।


चल झूठा लाजवाब होती तो इन्हें मसल ने के लिए जरूर मेरे पास चला आता,,,,


आने को तो मैं कभी भी आ सकता था छोटी मालकिन लेकिन क्या करूं बड़े मालिक का दर्जा लगा रहता है अगर उन्हें हम दोनों के बारे में पता चल गया तो आप तो अच्छी तरह जानती हो कि हम दोनों का क्या होगा तुम्हारा तो फिर भी कुछ नहीं होगा लेकिन मेरा क्या होगा यह तो भगवान ही जानता है,,,


इतना डरते हो बड़े भैया से,,,

नहीं करता तो नहीं हूं लेकिन तुम्हारी चुदाई करते हुए अगर तुम्हारे भैया देख लेंगे तब तो डरना हीं पड़ेगा ना,,,,,


क्यों डर लगता है,,,, हम दोनों को देख भी लिए तो क्या होगा,,,?

क्या बात करती हो छोटी मालकिन कोई भी भाई अगर अपनी बहन को एकदम नंगी किसी लड़के के साथ देखेगा तो उसके दिल पर क्या गुजरेगी वह तो आग बबूला हो जाएगा जब यह देखेगा कि उसकी बहन की बुर में जवान लड़के का नंबर पूरा घुसा हुआ है और वह उसकी बहन की चूची पकड़कर धक्के लगा रहा,,, है,,।
(राजू की यह बातें सुनकर सोनी एकदम गरम होने लगी और राजू की बात सुनकर बोली,,)

वाह राजू तेरी बात ही कुछ और है साला उदाहरण भी ऐसा देता है कि बुर से पानी निकल जाता है,,,,


तुम्हारा निकला क्या छोटी मालकिन,,?(बेल को हांकते हुए जिज्ञासा वस राजु बोला,,,)

अरे तो क्या साली चड्डी गीली हो गई,,,(साड़ी के ऊपर से ही अपनी चड्डी और उसकी यह हरकत राजू पीछे नजर घुमा कर देख लिया था जिससे पजामे के अंदर उसका लंड खड़ा होने लगा था,,,,)

हाय छोटी मालकिन तुम्हारी यही अदा तो पागल कर देती है,,,,


पर तूने जो बुर में आग लगा दिया है उसका क्या,,,?

बुझा लो,,,, वैसे छोटी मालकिन जो तुम साड़ी के अंदर पहनती हो ना चड्डी तुम पर बहुत अच्छी लगती है लेकिन गांव की कोई भी औरत चड्डी नहीं पहनती,,,,

क्यों तू गांव की सारी औरतों की साड़ी उठा उठा कर देखा है क्या,,,?

नहीं नहीं ऐसा शुभ अवसर मुझे मिला तो नहीं है लेकिन जानता जरूर हूं,,,, तुम जब सारे कपड़े उतार कर सिर्फ चड्डी में खड़ी रहती हो ना लंड की हालत खराब हो जाती है ऐसा लगता है कि लंड़ की वंश फट जाएगी,,,,


तुझे चड्डी में, मैं इतनी खूबसूरत लगती हुं,,,,

पूछो मत छोटी मालकिन चड्डी में तो तुम स्वर्ग से उतरी अप्सरा लगती हो,,,
(राजू की बात सुनकर सोनी मन ही मन बहुत खुश हो रही थी राजू पूरी तरह से उसका दीवाना हो चुका था काफी दिनों बाद मिल रहा था लेकिन फिर भी दीवानगी उसी हद की थी जैसे कि पहले,,,)

तो ले तुझे मेरी चड्डी ‌ईतनी अच्छी लगती है ना,,,, तो ले,,,(इतना कहने के साथ ही बैलगाड़ी में बैठे-बैठे ही वह साड़ी को अपनी जांघों तक खींच दीराजू पीछे पलट कर देखने लगा तो हक्का-बक्का रहेगा उसकी आंखों के सामने ही सोनी अपनी साड़ी को जांघों तक खींचकर अपनी गोल-गोल गांड को हल्के से उठाकर अपनी चड्डी को अंगुलियों का सहारा देकर उतारने लगी और देखते ही देखते राजू की आंखों के सामने ही उसकी मोटी मोटी चिकनी जांघों से होती हुई उसकी लाल रंग की चड्डी उसकी लंबी टांगों से होती हुई बाहर निकल गई राजू तो देखता ही रह गया और अपनी लाल रंग की चट्टी को अपने हाथ में लेकर अपनी साड़ी को ठीक करके,,, राजू के चेहरे पर चड्डी को फेंकते हुए बोली,,,) ले अपने पास रख लेना मेरी निशानी,,,मुझे पूरा यकीन है कि मेरी चड्डी देख देख कर तो बहुत तड़पेगा और तब तु मेरे पास जरूर आएगा,,,(सोनी ने बड़े प्यार से अपनी चडडी कोउतारकर राजू के चेहरे पर दे मारी थी राजू अपने चेहरे पर से सोने की लाल रंग की चड्डी को अपने हाथ में लेकरउसे नाक पर लगाकर उसकी खुशबू को अपने अंदर खींचने लगा,,, राजू की बातों से सोनी की बुर गीली होने लगी थी उसमें से नमकीन पानी निकलने लगा था जो कि चड्डी के आगे वाले भाग को पूरी तरह से गिला कर चुका था और उस गीलेपन में से सोनी की बुर‌की मादक खुशबू आ रही थी जिसे मां को के द्वारा अपने सीने में उतारते ही राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,, लंड की नसों में रक्त का प्रवाह बड़ी तेजी से होने लगा वह गहरी सांस लेकर चड्डी की मादक खुशबू को अपने अंदर उतारते हुए बोला,,,)

हाय इसमें से तो तुम्हारी बुर की खुशबू आ रही है बाप रे तुमने तो मेरा लंड खड़ा कर दी,,,,(राजू की बात सुनकर उसकी हालत को देखकर सोनी मन ही मन खुश होने लगी,,, और बोली,,,,)


और तूने जो मेरी बुर में आग लगा दिया है उसका क्या,,,तूं तो जल्दबाजी में लग रहा है,,,, वैसे तू जा कहा रहा था,,,


अरे वही पास वाले गांव में हवेली में शादी थी वही जा रहा हूं अपनी मां को लेने,,,,


अरे वही तो मेरे भैया भी गए हुए हैं और वह भी आज आने वाले हैं राजू हवेली में इस समय कोई नहीं है सही मौका है,,,,,

क्या सच में हवेली में कोई नहीं है,,,?(राजू भी खुश होता हुआ बोला)

अरे हां कोई भी नहीं है अपनी मां को लेने जाने से पहले तू मेरी प्यास बुझा दे राजू,,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो छोटी मालकिन मेरा लंड भी बेकरार है तुम्हारी बुर में जाने के लिए,,,।
(इतना कहने के साथ ही राजू बैल को थोड़ा जोर से हांकने लगा,,, ताकि वहां जल्दी से पहुंच जाए,,,,सोनी की चड्डी अभी भी उसके एक हाथ में थी जिसे वह बार-बार अपनी नाक से लगा कर सुंघ ले रहा था यह देख कर सोनी के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगती थी,,, वाह राजू की हालत को देखते हुए बोली,,)

तुम यह चड्डी अपनी बुआ को दे देना नहीं तो अपनी मां को तुम्हारी मां तो वैसे भी बहुत खूबसूरत है उसकी गोरे बदन पर लाल रंग की चड्डी और ज्यादा खूबसूरत लगेगी,,,।
(सोनी की बात सुनकर कुछ देर के लिए तो राजू कल्पना की दुनिया में खोने लगा था और अपनी मां के बारे में कल्पना करने लगा था कि उसकी मां के लाल रंग की चड्डी पहन कर कैसी दिखेगी,,,, वहएकदम साफ तौर पर कल्पना कर पा रहा था कि उसकी मां पूरी तरह से नंगी होकर जब लाल रंग की चड्डी पहने की तो उसकी बड़ी बड़ी गांड चड्डी के अंदर और ज्यादा खूबसूरत लगेगी,,,, इस कल्पना से तो उसका लंड और ज्यादा टन टना गया,,,,,, लेकिन वह जानता था कि भले वह सोनी की चड्डी अपने साथ अपने घर पर ले कर चला जाए लेकिन वह अपनी मां को इतनी कीमती चड्डी क्या बोल कर देगा इतना तो मैं जानता ही था कि उसकी मां ने कभी चड्डी देखी भी नहीं होगी,,,, और अगर वह ले भी लेगी तो पूछेगी जरूर की लाया कहां से,,,, अब वह खरीद तो सकता नहीं था,,, और यह भी नहीं कह सकता था कि छोटी मालकिन ने उसे इनाम के तौर पर दी है,,, भला एक औरत जवान लड़के को अपनी चड्डी ईनाम के तौर पर क्यों देगी,,, इसीलिए राजू को सोनी की चड्डी अपने साथ ले जाना ठीक नहीं लग रहा था इसलिए वह बोला,,,)


नहीं नहीं छोटी मालकिनमैं तुम्हारी चड्डी अपने घर पर तो लेकर जा सकता हूं लेकिन अपनी मां को क्या बोल कर दूंगा,,,,,,

हां यह बात भी सही है,,,,, चलो कोई बात नहीं अपने पास रखे रहना जब मेरी याद आए तो मेरी चड्डी देख लेना,,,


यह तो और भी मुश्किल है मालकिन,,,


ऐसा क्यों,,,?


तुम्हारी चड्डी देखते ही मुझे तुम्हारी याद आने लगेगी तुम्हारी गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड तुम्हारी दूर,,,, नहीं नहीं तब तो मुझसे रहा नहीं जाएगा,,,,


अरे तब तो और भी अच्छा है तुझसे रहा नहीं जाएगा और तुझे मेरे पास आना ही पड़ेगा,,,,(उसका इतना कहना था कि बातों ही बातों में उसकी हवेली आ गई और वह बोली)
देख तो सही कितनी जल्दी हवेली आ गई,,, बस कर राजु जल्दी से चल अंदर मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,(इतना कहने के साथ ही वह खुद ही बेल गाड़ी पर से नीचे उतर गई और हवेली के अंदर जाने लगे राजू की जल्दी से बैलगाड़ी को वही खड़ी करके सोनी के पीछे पीछे हवेली में जाने लगा,,,,
 
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