sunoanuj
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Dono bap bete ke maze ab hariya lala
Ki bahan ke piche padne wala hai…
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- श्याम राजू के होठों पर आई मुस्कान को अच्छी तरह से देख रहा था और उसके मुस्कान के मतलब को भी अच्छी तरह से समझ रहा था,,,,, श्याम कुछ कर सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था सारी बाजी उसके हाथ से निकल चुकी थी ,, उसकी एक गलती उसे राजू के सामने घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था,,,। राजू आज अपने आप को ऊंचाई पर खड़ा महसूस कर रहा था,,,, यह सब श्याम की गलती का नतीजा था जो कि अब भुगतने जा रहा था अगर वह जल्दबाजी में दिखाता तो शायद राजू कभी भी उन दोनों को चुदाई करते हुए ना देखा होता,,,,,,
लेकिन अब होनी को कौन टाल सकता है जो होना था वह हो चुका था बस शयाम को उसका हर्जाना भरना बाकी था,,, श्याम धीरे धीरे चलता हुआ राजू के पास पहुंच गया था राजु नीचे बैठा हुआ श्याम की तरफ देख कर हंस रहा था राजू की हंसी श्याम के दिल पर छुरियां चला रही थी,,,। श्याम अपने आप को निशहाय महसूस कर रहा था,,,,,,उसके मन में इस बात का डर था कि अगर राजू गांव वालों को बता दिया तब क्या होगा,,,,,,,श्याम के मुंह से शब्द नहीं फूट रहे थे वह कुछ भी बोल सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं
जोर जोर से हंसने लगा उसकी हंसी श्याम को कांटे की तरह चुभ रही थी कोई और स्थिति होती तो ,, राजू को मां बहन की गाली सुना दिया होता,,,, लेकिन इस समय खामोश रहना ही उसके लिए उचित था,,,।
यार तू तो छुपा रुस्तम निकला,,,(जोर जोर से हंसते हुए)मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि जो कुछ भी मैंने देखा वह सच है साला मुझे तो अभी तक सब कुछ सपना जैसा लग रहा है,,,,,, जिस तरह से तू अपनी बड़ाई हांकता था मुझे तो ऐसा ही लगता था कि तू गांव की कोई खूबसूरत लड़कियां खूबसूरत भाभी को पटाया होगा और रोज जमकर चुदाई करता होगा,,, तभी इतना बढ़ चढ़कर बोलता था,,,, लेकिन तू तो घर में ही जुगाड़ बना लिया है अपनी ही मां की चुदाई करता है,,,, मैं तो दंग रह गया यार देख कर,,, और तेरी मां भी कैसे घोड़ी बनकर चुदवा रही थी,,,।
मैं तेरे हाथ जोड़ता हूं,,,(दोनों हाथ जोड़ते हुए) यह बात किसी को मत बताना वरना मैं कहीं का नहीं रह जाऊंगा,,,
डरता क्यों है इतनी बहादुरी वाला काम किया है फिर भी घबरा रहा है,,,,
नहीं नहीं राजू तो समझ नहीं रहा है यह बात अगर किसी को पता चल गई तो मेरी तो नाक कट जाएगी इज्जत चली जाएगी,,
मुझे तो पता चल गया ना,,,
तभी तो तेरे हाथ जोड़ता हूं तेरे पांव पडता हूं,,,(श्याम राजू के पैर पकड़ते हुए बोला,,,) यह बात तु किसी को मत बताना,,,,,,, तो तू मेरा पक्का दोस्त है ना,,,
हां वह तो हूं,,,, लेकिन तूने जो काम किया है उसे तो सबको पता चलना चाहिए,,,,,
नहीं-नहीं राजू ऐसा गजब ना करना,,,,
अरे यार तू डरता क्यों है हटा कटा मर्दाना जवान है और वैसे भी तो मर्दों का काम ही होता है चोदना तो तूने कौन सा पाप किया है तूने भी तो चुदाई किया है,,,,(राजू व्यंग कसते हुए बोला,,,,,,, राजू की बात सुनकर श्याम की नजरे नीचे झुक गई,,, राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,,) बोलना श्याम तूने भी तो वही किया है ना जो दूसरे मर्द करते हैं चुदाई,,,, लेकिन किसकी किया है,,,, बोलना श्याम चुप क्यों है देख तुझे इतना खामोश रहेगा उतनी और मुसीबत में पडता जाएगायह बात तो भी अच्छी तरह से जानता है कि जो तूने काम किया है अगर गांव वालों को पता चल गया तो क्या होगा तेरे बारे में लोग क्या सोचेंगे तेरा घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा,,,, और तो और तेरी मां भी बदनाम हो जाएगी,,,, इसलिए बोल तूने किस की चुदाई किया है,,,।
(राजू यह सब जानते हुए भी कि श्याम ने क्या किया है फिर भी वह श्याम के मुंह से सुनना चाहता था उसके मुंह से सुनकर वह एहसास करना चाहता था कि उसे कैसा महसूस होता है,,,, श्याम के पास राजू की बात मानने के सिवा दूसरा कोई चारा नहीं था क्योंकि वह पूरी तरह से राजू के शिकंजे में फंसा हुआ था जिससे छूट पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था,,,। इसलिए अपनी लड़खड़ाती जबान मे बोला,)
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अ,,,,अ,,, अपनी मां की,,,
तब तो श्याम तुझे बहुत मजा आता होगा आता है कि नहीं,,,
बहुत मजा आता है,,,(श्याम अपनी नजरों को नीचे झुकाए हुए ही बोला,,,)
क्या तेरी मां को भी उतना मजा आता है जितना कि तुझे,,,
हां,,,,
(राजू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां को उतना ज्यादा मजा नहीं आता जितना कि उसे आना चाहिए था लेकिन फिर भी वह इस समय शाम की बात पर सहमति दर्शा दिया,,,)
तब तो तुम दोनों कभी भी घर में ही जुगाड़ बना कर चुदाई कर लेते होगे,,,
हां,,,(शर्मिंदगी भरे एहसास से श्याम बोला)
यार मैंने भी देखा था पीछे से जब तू अपनी मां की बुर में डाल रहा था कि उसकी बड़ी बड़ी गांड देखकर मेरा भी लंड खड़ा हो गया था,,,, सच कहूं तो मुझे तो तेरी मां की बड़ी बड़ी गांड बहुत खूबसूरत लगी,,,,।
(राजू की बात सुनकर श्याम अंदर ही अंदर बहुत क्रोधित हो रहा था लेकिन कुछ कर नहीं सकता था इसलिए खामोश होकर सुनता रहा खाकर और कोई वक्त होता तो इसी बात पर वह उसकी मां बहन की गाली देते हुए राजू की मां के बारे में गंदी गंदी बातें करना शुरू कर देता किया करता था लेकिन आज भी जानता था कि वह कुछ बोलने वाला नहीं है इसलिए वह अब तक की सारी कसर निकाल लेना चाहता था,,,)
मुझे तो तेरी मां की गांड अच्छी लगने लगी है लेकिन तुझे अपनी मां के बदन में कौन सा अंग सबसे ज्यादा खूबसूरत लगता है सच सच बताना,,,,(राजू की बात सुनकर शयाम को शर्म महसूस हो रही थीहालांकि इस तरह की गंदी गंदी बातें करने में वह उस्ताद था लेकिन आज खुद इसकी मां की बात चल रही थी इसलिए उसे शर्म महसूस हो रही थी और राजू पर गुस्सा भी आ रहा था श्याम को खामोश देखकर राजू फिर से बोला)
बोल ना यार शर्मा क्यों रहा है अब मुझसे शर्म करने की जरूरत नहीं है और वैसे भी तो सबसे बड़ा बेशर्म है तो शर्म कैसी बता दे मुझे भी तुझे क्या अच्छा लगता है,,,?
मां की बड़ी-बड़ी गांड और उसकी चूचियां,,,,(श्याम उसी तरह से नजरे झुकाए हुए ही बोला)
आहहहह आहहहहह,,, तूने सच कहा वैसे भी मर्दों को औरतों की चूचियां और गांड सबसे पहले आकर्षित करती है लेकिन मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है औरतों की आंख और बाकी बड़ी-बड़ी जो कि तेरी मां के पास है मैं तो पागल हो गया हूं तेरी मां को नंगी देखकर,,,,
(राजू जानबूझकर श्याम के सामने श्याम की मां के बारे में गंदी गंदी बातें करता था क्योंकि इस तरह की बातें खुद श्याम राजू की मां के बारे में बोला करता था उसकी बुआ के बारे में बोला करता था लेकिन तब राजू श्याम का कुछ कर नहीं पाता था लेकिन आज पासा पलट गया था आज बाजी राजू के हाथों में थी,,, किसका वह पूरी तरह से फायदा उठा रहा था राजू की बातें और वह भी अपनी मां के बारे में सुनकर श्याम अंदर ही अंदर गुस्से से तिलमिला जा रहा था अगर ऐसे हालात ना होते तो शायद राजू को यही पटक कर उसकी धुलाई करना शुरू कर देता क्योंकि शरीर में वह राजू से बीस ही था,,,,)
श्याम तेरी मां नंगी होने के बाद स्वर्ग से उतरी अप्सरा की तरह नजर आती है,,,,,, लेकिन एक बात मैं जानना चाहता हूं कि तेरी मां को चोदने से पहले उसके कपड़े कौन उतारता है तू या खुद तेरी मां,,,,।(राजू को श्याम से इस तरह की गंदी बातें करने में बहुत मजा आ रहा था और उत्तेजना का अनुभव हो रहा था क्योंकि श्याम की मां के बारे में बात करके वह अपनी मां के बारे में कल्पना करता था कि अगर श्याम की तरह उसे भी मौका मिल जाता तो कितना मजा आता है और इसी सोच के कारण पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होकर तंबू बनाया हुआ था,,, जिसे वह बार-बार अपने हाथों से ही दबा रहा था और उस पर श्याम की भी नजर पड़ जा रही थी और अपनी मां के बारे में गंदी बातें सुनकर जिस तरह से राजू का लंड खड़ा हो जा रहा था शयाम को बहुत गुस्सा आ रहा था इस बात से कि राजु उसकी मां के बारे गंदी बाते करके चुदवासा हो रहा है,,, लेकिन कुछ भी कर सकने की स्थिति में नहीं था राजू के सवाल का जवाब देना भी जरूरी था इसलिए बोला,,,)
कभी-कभी मैं कभी-कभी मां,,,,
(श्याम का जवाब सुनकर राजू के होठों पर मुस्कुराहट आ गई और वह मुस्कुराते हुए बोला)
मतलब की तेरा जब मन करता है तो तू अपनी मां के कपड़े उतारता है और जब तेरी मां का मन करता है तो वह तेरे कपड़े और साथ ही अपने कपड़े भी उतारती है,,, सही कहा ना,,,।
(इस सवाल के एवज में श्याम हां में सिर हिला दिया)
वाह भाई वाह मुझे तो बहुत मजा आ रहा है तेरी मां के बारे में सारी बातें करके और यही सोच रहा हूं कि तुझे कितना मजा आता होगा मैं तो सिर्फ बात करके ही इतना उत्तेजित हुआ जा रहा हूं देख मेरा लंड कैसे खड़ा हो गया है और तुम तो अपनी मां को चोदता है तुझे कितना मजा आता होगा,,,, लेकिन यह सब कब से चल रहा है?
2 साल से,,,
बाप रे 2 साल से तूने कितना मजा लिया होगा,,,, मेरा तो सोचकर ही कहीं पानी ना निकल जाए,,,,,,, लेकिन मेरे दोस्त शुरुआत कैसे हुई यह तो बता तूने शुरूआत किया जा तेरी मां ने यह हो कैसे गया,,,,
(इस बात से शयाम खामोश रहा कुछ बोल नहीं रहा था,,, तो राजू बोला,,,)
बता ना यार शर्मा क्यों रहे हैं अगर तू चाहता है कि यह राज राज नहीं तो तुझे बताना होगा कि शुरुआत कैसे हुई,,,।
(श्याम के पास इस राज को राज रखने के लिए राजू जैसा बोल रहा था वैसा जवाब उसे देना ही था उसके पास दूसरा कोई रास्ता भी नहीं था इसलिए वह बोला)
तू तो जानता ही है राजू पिताजी का देहांत बहुत पहले हो चुका था मैं अकेले ही थी ,,,, हो सकता है उसका मन करता होगा ऐसे ही घर गया तो मां नहा रही थी एकदम नंगी होकर वह अपनी बुर को जोर-जोर से रगड़ रही थी मैं वही दरवाजे के पीछे छोड़कर सब कुछ देख रहा था लेकिन इस बात का पता मां को हो गया था कि मैं उसे चोरी-छिपे देख रहा हूं और वह जानबूझकर अपनी बुर को जोर-जोर से रगड़ने लगी ,,,(श्याम की बातों को सुनकर राजू का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ गया था जिसे वह पजामे के ऊपर से दबा रहा था,,, और बड़े ध्यान से श्याम की बातों को सुन रहा था,,,) मेरी हालत खराब होती जा रही थी मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं तभी मां की आवाज आई,,,।
क्या आवाज आई,,( राजू उत्सुकता दिखाते हुए बोली)
वह बोली चुप कर मत देख देखना है तो सामने आजा मेरे पास,,,,।
तब तू क्या किया?
मैं पहली बार अपनी मां को बिना कपड़ों के देख रहा था इसलिए मुझे ना जाने क्या हो रहा था मैं अपनी मां की बात सुनकर ठीक उसके सामने जाकर खड़ा हो गया,,, पजामे में मेरा लंड खड़ा हो गया था मेरी मां की नजर उसी पर थी और वह हाथ आगे बढ़ाकर पजामे के ऊपर से मेरे लंड को पकड़ गई और बोली,,,
क्या बोली,,?
यही की ईसमे क्या छुपा कर रखा है दिखा तो मुझे,,, इतना कहने के साथ ही वह मेरा पैजामा उतार दी,,,,, और मेरे लंड को पकड़ ली,,,,
फिर क्या हुआ,,,?
फिर माने मेरे खड़े लंड को पकड़ कर अपनी बुर पर रख दी और मुझे धक्का मारने के लिए गोली,,,मुझे कुछ आता नहीं था लेकिन जिस तरह से मां कह रही थी मैं उसी तरह से कर रहा था मुझे मजा आ रहा था,,,
तेरा लंड तेरी मां की बुर में घुसा,,,?
हां धीरे-धीरे मेरा पूरा लंड मां की बुर में घुस गया,,,
फिर,,,
फिर मैंने मुझे मेरी कमर को आगे पीछे करके ही लाने के लिए मुझे ऐसा करने मुझे बहुत मजा आने लगा और देखते ही देखते मैं अपनी रफ्तार बढ़ाने लगा मां को भी मजा आ रहा था बस ऊस दिन से यह सिलसिला शुरू हो गया,,,
बाप रे,,(गहरी सांस लेते हुए) तेरी कहानी सुनकर तो मेरी हालत खराब हो गई सच में तुझे बहुत मजा आया होगा,,, कुर्सी ले तू रोज अपनी मां की चुदाई करता है,,, झुमरी को यह बात मालूम है,,,
नहीं उसे यह सब नहीं मालुम है,,,
अगर सोच यह बात तेरी बहन को पता चल जाए तो क्या होगा,,,
नहीं नहीं राजू ऐसा मत करना मैं तेरे हाथ जोड़ता हूं जो होना था वह हो गया अब उसको बढा मत,,,मैं तेरे बारे में कभी भी उल्टा सीधा नहीं बोलूंगा तेरी मां और बुआ के बारे में भी कुछ नहीं बोलूंगा,,,,
(श्याम की बातों को सुनकर राजू मंद मंद मुस्कुरा रहा था क्योंकि बच्चे तरह से जानता था कि श्याम पूरी तरह से उस के शिकंजे में आ चुका है,,,, और वह यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि उसकी शर्त भी श्याम मानने को तैयार हो जाएगा,,,,)
चल ठीक है तू कहता है तो यह बात मैं किसी को नहीं बताऊंगा ना गांव वालों को नहीं तेरी बहन को लेकिन इसके बदले में मुझे क्या मिलेगा,,,।
(यह बात सुनते ही श्याम समझ गया कि वह क्या बोलने वाला है इसलिए मन में ही वह राजू को गाली देते हुए बोला)
तू जो कहेगा मैं वहां सब कुछ करने को तैयार हूं मैं तेरी गुलामी करने को तैयार हूं,,,
तेरी गुलामी पाकर मैं क्या करूंगा और वैसे भी मुझे गुलामों की जरूरत नहीं है,,,
कोई बात नहीं तु जो भी बोलेगा मैं वह करने को तैयार हूं,,,
कुछ भी,,,
हां मेरे दोस्त कुछ भी करने को तैयार,,, हु,,,
तो मुझे अपनी मां की दिला दे,,,
यह क्या कह रहा है तू,,,(श्याम जानबूझकर बनावटी गुस्सा करते हुए बोला क्योंकि वह पहले से ही जानता था कि राजू यही बात करेगा) भला यह कैसे हो सकता है,,,
क्यों नहीं हो सकता जब तक बेटा होकर अपनी मां की चुदाई का सकता है तब से मैं तेरा दोस्त हूं क्या मैं तेरी मां को चोद नहीं सकता,,,
नहीं नहीं ऐसा कैसे हो सकता है अगर तू मेरी जगह होता तो क्या मैं तुझसे यह बात बोलता तो क्या तू मान जाता,,,
तब की तब देखा जाता लेकिन इस समय मेरा पलड़ा भारी है अगर नहीं मानना है तो वह भी बोल दे फिर उसके आगे जो होगा मुझे मत कहना,,,,
(राजू की बातें सुनकर श्याम कुछ देर तक सोचने लगा अगर और कोई मौका होता तो वह उसे अपनी मां को हाथ लगाने भी नहीं देता लेकिन वह पूरी तरह से फंस चुका था जिसमें उसकी और उसके परिवार की ही बनाई थी इसलिए श्याम राजू को अपनी मां को चोदने की इजाजत देना ही था और इसलिए वह बोला)
देख मैं तो मान जाऊंगा लेकिन,,,,मैं तुझे अपनी मां के सामने ले जाकर यह नहीं बोलूंगा कि मा तु इससे चुदवा ले,,,, समझा,,,
कोई बात नहीं लेकिन तू,, रजामंदी तो दे रहा है ना,,,
हां,,,(श्याम एकदम से नजरें झुका कर शर्मिंदा होते तो बोला) लेकिन एक बात और अगर मेरी मां नहीं मानी तो फिर तू चला जाएगा और फिर उसके बाद इस बारे में कभी भी बात नहीं करेगा ना ही गांव वालों को कुछ बताएगा,,,
चल कोई बात नहीं पक्का,,,,एक मर्द की जुबान है तेरी मां इंकार कर देगी तो मैं वापस चला लूंगा और उसके बारे में कभी कोई बात नहीं करूंगा,,,,,,
(राजू की बात सुनकर श्याम के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई उसे इतना तो यकीन था कि उसकी मां सामने से कभी राजू को नहीं बोलेगी कि तु मुझे चोद,,, अगर ऐसा होता तो अब तक उसकी मां गांव में न जाने कितने से चुदवा ली होती इतना तो श्याम अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां को अपनी इज्जत की बहुत ज्यादा परवाह थी इस बात से उसे तसल्ली थी कि राजू का काम बनने वाला नहीं हैलेकिन एक बात से उसे शंका की थी कि अगर किसी भी तरह से उसकी मां मर गई है तो फिर उस दिन से वह राजू की गुलाम बन जाएगी क्योंकि राजू के मोटे तगड़े और लंबे लंड को श्याम अपनी आंखों से देख चुका था और वैसा ही लंड उसकी मां को भी चाहिए था,,,,,)
अपनी बात पर कायम रहना राजू देख तू बोला है कि मर्द की जुबान है,,,
मैं वादा करता हूं जैसा मैं बोला हूं वैसा ही करूंगा,,, लेकिन तेरी मां के पास जाने के लिए तुझे ही जुगाड़ करना पड़ेगा क्योंकि मुझे नहीं मालूम है कि तेरी मां किस वक्त घर में अकेली रहती है,,,
जिस समय तू आया था उसी समय मैं घर पर अकेली रहती है और उसी समय उसका नहाने का समय भी है,,,
झुमरी,,,
झुमरी दिन में घर पर नहीं रहती मैं अपनी सहेलियों के घर पर रहती है,,,
चल ठीक है लेकिन तुम मुझे लेकर चलेगा घर पर उसके बाद में सब कुछ संभाल लूंगा तुझे कुछ भी करने की जरूरत नहीं है और ना ही तेरी मां को बिल्कुल भी शक होगा कि इसमें तेरा हाथ है समझ गया ना,,,
(शर्मिंदगी भरी नजरों को नीचे झुका कर श्याम हां में सिर हिला दिया राजू बहुत खुश था कि उसके लिए एक बुर की और जुगाड़ हो गई थी,,,, श्याम की मां की चुदाई करके वाला बहुत आगे की सोच रहा था श्याम की मां को पूरी तरह से खुश करके वह पूरी तरह से उसे अपने वश में करना चाहता था ताकि वह जैसा कहें वैसा ही हो,,, शाम ढल चुकी थी अंधेरा होने लगा था,,,, राजू श्याम से बोला,,,)
अब तो निश्चिंत होकर घर पर जा मैं किसी को कुछ भी नहीं बताऊंगा तुम दोनों का राज मेरे सीने में दफन रहेगा काम मेरा हो गया तो अभी और नहीं
Wah bhai maja aa gaya too much romantic update bro and continue storyपल भर में ही दोनों मां बेटे की अरमान पर पानी फिर गया था,,,,राजू तो खुशी से पागल हुआ जा रहा था जब उसे अपनी मां की ब्लाउज उतारने और उसकी बुक पर हाथ रखने का मौका मिला,,, कुछ ही पल में राजू ने अपनी मां के साथ अपने मन की कर लीया था,,,,, हालांकि राजू मंजिल तक तो नहीं पहुंच पाया था लेकिन सफर का मजा बराबर लिया था,,,, राजू ने अपनी हरकतों से अपनी मां को पूरी तरह से चुदवासी कर दिया थाअगर इन मौके पर उसकी बुआ ना आ जाती तो शायद आज अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालकर उद्घाटन कर दिया होता,,,, अपनी मां की पानी टपकाती बुर को देखकर राजू इतना तो समझ ही गया था कि उसकी मां भी चुदवाना चाहती है,,,, इसीलिए तो राजू की हिम्मत बढ़ती जा रही थी,,,,,,राजू ने अब तक अपनी बाहों में ढेर सारी औरतों को ले चुका था उनके अंगों से खेल चुका था लेकिन जिस तरह का सुख और उन्माद का अनुभव उसे अपनी मां के साथ प्राप्त हुआ था ऐसा अनुभव से अब तक किसी भी औरत के साथ प्राप्त नहीं हुआ था,,,। अपनी मां की बुर की गर्मी को अभी तक वह अपने बदन में महसूस कर रहा था अपनी मां का ब्लाउज उतारने के बाद अपने हाथों में उसकी चूची लेकर जिस तरह से वह दबा रहा था,, ऐसा लग रहा था कि अपनी मां की चूची का सारा रस निचोड़ डालेगा,,,, बार-बार अपने लंड को अपनी मां की गांड पर धंसा रहा था जोकि राजू को यह सुख भी चुदाई से कहीं अधिक आनंद दे रहा था,,,राजू को इस बात की खुशी थी कि उसकी मां बिल्कुल भी ऐतराज नहीं जता रही थी और ना ही उसे आगे बढ़ने से रोक रही थी बल्कि वह खुद उसका साथ दे रही थी,,,,,, राजू अपनी मां को नहीं चोद पाया था इस बात का दुख उसे बराबर था लेकिन इस बात की खुशी भी थी कि ऐन मौके पर अपनी मां को कमरे में छोड़कर कमरे से बाहर निकल गया था करना आज गजब हो जाता वैसे तो गुलाबी के देखे जाने पर भी कोई दिक्कत की बात नहीं थी गुलाबी को समझाना राजू के लिए कोई मुश्किल काम नहीं था लेकिन राजू अपनी मां को अपनी बुआ की नजरों में गिरने नहीं देना चाहता था हालांकि गुलाबी नहीं कई बाहर चुदवाते समय उसे उसकी मां को चोदने की सलाह दे चुकी थी,, उसके अंगों के बारे में बोलकर उसे उत्तेजित करने का प्रयास कर चुकी थी इसलिए गुलाबी के देखे जाने पर भी राजू को किसी बात की दिक्कत नहीं थी क्योंकि गुलाबी खुद परिवार के ईस कुंए में में डुबकी लगा चुकी थी,,,। लेकिन गुलाबी अगर देख लेती तो शायद उसकी मां खुद की नजरों में गिर जाती,,,,,,,।
मधु का मन खाना बनाने में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार वह अपनी नियत से फिसल कैसे गई,,,, अपने मन में ही सोच रही थी कि वह कभी सपने में नहीं सोची थी कि उसका बेटा उसके साथ इस तरह की हरकत करेगा,,, जिसका अंदेशा वह पहले भी अपनी हरकतों से देता आ रहा था,,, बार-बार किसी ना किसी बहाने उसके बदन से सट जाना उसके अंगों को घूरना और तो और अनजाने में जब उसके ऊपर गिरी थी तो जानबूझकर अपनी हथेली को उसकी बुर पर रखकर किस तरह से मसल दिया था,,, उस समय जिस तरह का एहसास उसके तन बदन में हुआ था वही एहसास उस पल को याद करते हैं मधु को अभी अपने बदन में महसूस हो रहा था,,,, और तो और सफर के दौरान चूहे के पीछे छिपकर जयपुर पेशाब कर रही थी तो एक बहाने से उसे देखने के लिए कैसे आ गया था और अपनी आंखों से उसे पेशाब करता हुआ देख भी लिया था,,,,,,। इन सब बातों को याद करके मधु को अपने तन बदन में उत्तेजना का एहसास तो हो ही रहा था लेकिन उसे अपनी गलती का एहसास भी हो रहा था,,, अच्छी तरह से जानती थी कि अपने बेटे को पहली बार में ही डांट फटकार लगाकर उसे रोक देना चाहिए था ताकि वह इतनी आगे ना बढ़ पाता लेकिन उसकी चुप्पी धीरे-धीरे राजू का हौसला बढ़ा रही थी और नतीजन आज मधु अपने ही बेटे से चुदते चुदते रह गई थी,,,,,,,मधु को अपनी गलतियों का एहसास बराबर हो रहा था लेकिन वह इस बात से भी इनकार नहीं कर पा रही थी कि अपनी बेटी की मौजूदगी में ना जाने उसे क्या हो जाता है,,, बाप ने बेटी को रोकना तो चाहती हैं लेकिन उसकी हरकतों का असर ना जाने क्यों उसके बदन में उत्तेजना जगाने लगता है जिसके चलते वह अपने बेटे को चाह कर भी नहीं रोक पाती है,,,,, रोटियां बेलते समय मधु अपने आप से ही बात करते हुए अपने मन में बोल रही थी कि,,,।
मुझे क्या मालूम था कि दरवाजा खुला हुआ है वरना मैं दरवाजा खुला नहीं छोड़ती,,, और वह मुआ भी छुपकर मुझे ही देख रहा था मुझे ब्लाउज की डोरी खोलते हुए देख रहा था और जब नहीं खोल पाई तो कैसे खुद अंदर आ गया,,, वह इतने करीब आ गया था कि मैं उसे रोक नहीं पाए काश उसे रोक लेती तो शायद इस तरह की नौबत कभी नहीं आती लेकिन क्या करूं उसकी मौजूदगी मेरी तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रही थी खासकर के ठीक मेरे पीछे खड़े होना,,,, जिस तरह से वह मेरी डोरी पकड़ा हुआ था न जाने कि मुझे इस बात का एहसास हो रहा था कि वह मेरे कपड़े उतार कर मुझे नंगी करने जा रहा है अपने ही बेटे के बारे में इस तरह से सोचना गलत था लेकिन उस समय कुछ समझ में नहीं आ रहा था मेरी हालत एकदम खराब होती जा रही थी,,,( मधु खाना बनाते समय अपने आप से भी बात किए जा रही थी मानो कि जैसे किसी के आगे अपनी गलतियों को कबूल कर रही हो,,,वह तो अच्छा हुआ कि खाना बनाते समय उसके पास कोई भी नहीं था वरना उसे देखकर ऐसा ही लगता कि शायद उसकी तबीयत खराब है,,,) जैसे ही उसने मेरे ब्लाउज की डोरी को खींचकर खोला ना जाने क्यों मेरी बुर में हलचल होने लगी वह अपने आप ही गीली होने लगी,,, मुझे ऐसा ही लगा था कि ब्लाउज की डोरी खोलने के बाद वह कमरे से बाहर चला जाएगा ,,, लेकिन शायद मेरी खूबसूरत बदन का आकर्षण उसे बाहर जाने से रोक रहा था,,,डोरी के खुल जाने के बाद मेरी नंगी चिकनी पीठ उसकी आंखों के सामने थी शायद उसे देख कर उसकी हालत खराब हो रही थी,,, मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मेरा बेटा होने के बावजूद भी होगा मेरी खूबसूरती के पीछे पड़ा है और तो और मेरे साथ गलत संबंध बनाना चाहता है,,,, मुझे उसे ब्लाउज की डोरी खोलने ही नहीं देना चाहिए था,,लेकिन मैं कर भी क्या सकती थी वह तो एकाएक मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया और मैं कुछ बोल पाती इससे पहले ही ब्लाउज की डोरी को खोल भी दिया,,, थोड़ी देर में मुझे मेरी गांड पर जो कठोर चीज चुभती हुई महसूस हुई उससे तो मैं पागल होने लगी,,, मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि मेरी वजह से मेरे बेटे का लैंड खड़ा हो जाएगा और वह अपनी पूरी औकात नहीं था वरना मेरी गांड पर चुभता नहीं शायद वह जानबूझकर ही मेरी गांड पर अपने लंड का दबाव बना रहा था मुझे एहसास करवा रहा था,,,, और उसकी हिम्मत तो देखो मैं कुछ बोली नहीं तो खुद ही मेरे ब्लाउज को अपने हाथों से उतारकर मुझे नंगी करने लगा,,,, मुझे तो होश भी नहीं था क्योंकि मेरा पूरा वजूद ना जाने क्यों उसके ख्वाबों में हो चला था,,,,वह तो मुझे तब एहसास हुआ जब ब्लाउज मेरी आधी चुचियों से नीचे आ गई और मैं उसे रोकना चाहिए लेकिन अपनी हरकत से वह मुझे विवस कर दिया और देखते ही देखते अपने हाथों से मेरा ब्लाउज उतार कर ऊपर से मुझे नंगी कर दिया यह एहसास है एक मां के लिए बेहद अजीब और ना चाहते हुए भी बेहद उन्माद कारी होता है कि एक मा का ब्लाउज खुद बेटा ही अपने हाथों से उतारे इतने तक तो ठीक थामेरी हालत तब और ज्यादा खराब हो गई क्या हुआ अपने ही हाथों से मेरी चूची पकड़कर दबाना शुरू कर दिया उसकी हिम्मत की तो मैं दाद देना चाहूंगी,,,, कि बिना मेरा इरादा जाने वह नहीं चूचियों से खेल रहा था और वह भी पीछे से मुझे अपनी बाहों में लेकर,,,,हो सकता है कि उसे इस बात का एहसास हो गया हो कि मुझे यह सब कुछ अच्छा लग रहा है वरना वह इतना आगे नहीं बढता,,, वह जिस तरह सेअपने लंड का दबाव मेरी गांड पर बना रहा था मुझे तो डर था कि कहीं पेटीकोट सहित वह अपने लंड को मेरी गांड में ना डाल दे,,,। उसके लंड की ताकत को तो मै समझ गई थी कमजोर लंड के बस में बिल्कुल भी नहीं था इस तरह से गांड पर ठोकर मारना और वह भी पजामें होने के बावजूद भी,,,,,
(रोटी को तवे पर रखते हुए) इतने से भी कहां मानने वाला था ना मैं तो कभी सोची भी नहीं थी कि मेरा बेटा मेरे साथ इस तरह की हरकत करेगा हालांकि पहले भी वह मेरी बुर पर अपनी हथेली रख चुका था जोकि अनजाने में तो बिल्कुल भी नहीं हुआ था लेकिन जानबूझकर की गई हरकत को भी उस समय अनजाने में ही समझ लेना ठीक था लेकिन आज की हरकत तो जानबूझकर ही थी मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था कि वह अपनी हरकतों को आगे बढ़ाते हुए मेरी बुर पर अपनी हथेली रख लेगा,,,, मैं तो हैरान इस बात से हूं कि मैं उसे रोक क्यों नहीं पाई ऐसा बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए था वह तो मेरी पेटीकोट भी उतारना चाहता था मेरी पेटीकोट की डोरी को खोलना चाहता था वह तो अच्छा हुआ इन मौके पर गुलाबी आ गई वरना मैं उसे उस हालत में बिल्कुल भी रोक नहीं पाती और अपनी गलती के कारण मां बेटे के रिश्ते को तार-तार करने में उसकी सहायता कर दी होती,,,,,।(मधु इन सब बातों को सोच कर एकदम हैरान थी उसे इस बात का अहसास अच्छी तरह से ताके उसे उसके बेटे को रोकना चाहिए था ना कि आगे बढ़ने में उसकी मदद करने देना चाहिए था,,, वह तो भोला है जवानी की दौड़ मैं है ऐसे में जवान लड़कों का मन इधर-उधर भटकता ही है,,, लेकिन उसे काबू में रखना चाहिए था अब ऐसी गलती कभी नहीं करेंगी,, अपने बेटे को इस तरह की हरकत करने से वह रोकेगी उसे समझाएंगी,,,।
अरे भाभी क्या सोच रही हो तुम्हारी तबीयत तो ठीक है,,,।
(गुलाबी की आवाज कानों में पढ़ते ही मधु की तंद्रा भंग हुई तो वह शक पकाते हुए गुलाबी की तरफ देखने लगी और हक लाते हुए बोली,,,,)
ककक,,, कुछ नहीं वो क्या है ना कि सफर के दौरान थकावट महसूस हो रही है इसलिए नींद आ रही है,,,
तो रहने दो मैं बना देती हूं,,,
नहीं नहीं बना लूंगी तू अपना काम कर,,,,
(इतना कहकर मत लो फिर से खाना बनाने में लग गई,,, दूसरी तरफ हरिया चाय पान की दुकान पर बैठकर,,, अपने अनसुलझे सवाल का जवाब ढूंढ रहा था,,, वह बीड़ी का कश खींचते हुए वहीं पर बैठे गांव के ही दो-तीन आवारा लोगों से बोला,,,)
यार तुम लोगों से एक बात कहूं किसी को कहोगे तो नहीं,,,
कैसी बातें करते हो यार हरिया तुम्हारी बात भला हम किसी से क्यों कहेंगे,,,
क्या बताऊं यार बात ही कुछ ऐसी है,,,
बताओ तो क्या बात है,,,,
यार एक बार में ब्याज के पैसे देने के लिए लाला की हवेली पर गया था,,
तो क्या हुआ,,,?(उनमें से एक बीड़ी का कष्ट लगाते हुए बोला)
अरे पहले सुन तो,,,, मैं उसकी हवेली पर गया और दरवाजे पर कोई नहीं था इसलिए सीधे अंदर चला गया दरवाजा भी खुला था और मैंने जो अपनी आंखों से देखा हूं आज भी एक एक दृश्य मुझे एकदम अच्छे से याद है,,,।
ऐसा क्या देख लिया था हरिया भाई जो एक एक दृश्य तुम्हें आज भी याद है,,,
नजारा ही कुछ ऐसा था यार कि बताता हूं तो भी तन बदन में अजीब सा होने लगता है,,,,
(हरिया की बातें बीड़ी पानवाला भी कान लगाकर सुन रहा था दिन भर उसका काम ही आई थी गांव भर की बातों की कानाफूसी सुनना,,)
अरे बताओगे भी या पहेलियां ही बुझते रहोगे,,,
बता रहा हूं,,,,(इधर उधर नजर दौड़ा कर देखने के बाद) लेकिन कोई किसी को बताना नहीं,,,
फिर वही यार कब से तो कह रहे हैं किसी को नहीं बताएंगे,,,
यार मैंने हवेली में देखा कि लाला एकदम नंगा पलंग के नीचे खड़ा था और एक खूबसूरत जवान औरत एकदम नंगी एकदम गोरी बदन क्या था एकदम मक्खन मलाई,,, वह घुटने के बल झुकी हुई थी पलंग के ऊपर और लाला उसके पीछे खड़ा होकर उसकी गोरी गोरी गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपना लंड उसकी बुर में पेल रहा था,,,।
(इतना सुनते ही उन लोगों की धोती में हलचल होने लगी)
क्या बात कर रहे हो हरिया,,,
मैं जो कुछ भी कह रहा हूं एकदम सच कह रहा हूं,,,
लेकिन वह औरत ही कौन,?(उनमें से एक उस औरत के बारे में जानने की गरज से बोला)
अरे वही तो नहीं मालूम यार,,,,
कैसी बातें कर रहे हो सब कुछ देखे हो यह नहीं देखे कि वह औरत कौन थी,,?
हां यार सच कह रहा हूं,,(बीड़ी का कस खींचते हुए) वह औरत पूरी तरह से नंगी थी और एकदम को और मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि अगल-बगल के 20 गांव तक मैंने आज तक ऐसी खूबसूरत और गोरी औरत नहीं देखा,,,,,,उसकी सूरत देखने की मैंने बहुत कोशिश किया लेकिन उसके घने बाल से पूरी तरह से उसका चेहरा ढका हुआ था कसम से वह नजारा जब भी याद करता हूं तो तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगती है,,,
लाला की बीवी होगी,,,(उनमें से एक बोला)
नहीं रे लाला की बीवी नहीं है,,,(उनका दूसरा साथी बोला)
मुझे जहां तक इतना मालूम है कि,,, हवेली में लाला के साथ उसकी बहन रहती है,,, कहीं लाला अपनी,,,बहन,,
धत् कैसी बातें कर रहा है,,,(हरिया उसे बीच में ही रोकते हुए बोला,,) कोई अपनी बहन को,,,, नहीं नहीं,,,,
तो तुम ही बताओ हरिया गांव में अगल-बगल के 20 गांव में कितने इस तरह की खूबसूरत औरत को नहीं देखा है और जिस तरह से तुम बता रहे हो हम लोगों ने भी नहीं देखा है और ऐसी खूबसूरती और गोरा बदन केवल लाला की बहन का ही है,,,(उनमें से एक समझाते हुए बोला)
नहीं नहीं फिर भी ऐसा नहीं हो सकता भाई बहन के बीच इस तरह का,,, नहीं बिल्कुल भी नहीं,,।
(हरिया भाई-बहन के बीच के सारे संबंध को मानने से इंकार कर रहा था,,, और भाई ऐसा जानबूझकर कर रहा था वह तो खुद ही अपनी बहन की चुदाई कर चुका था और उसे चोदता आ रहा था,,, उसकी बात सुनकर हरिया भी सोचने पर मजबूर हो गया कि क्या जैसा वह कह रहा है वैसा मुमकिन है फिर अपने मन में सोचने लगा कि अगर उसके और उसकी बहन के बीच इस तरह का रिश्ता बन सकता है तो लाला और उसकी बहन के बीच क्यों नहीं बन सकता आखिरकार दोनों अकेले ही तो है दोनों की अपनी अपनी जरूरतें हैं,,, यह सोचकर हरिया हैरान हो गया,,,,इसके आगे किसी ने कुछ भी नहीं कहा तो थोड़ी देर हरिया वहीं रुक आ रहा और उसके बाद अंधेरा होने पर वापस घर की ओर चल दिया वहीं दूसरी तरफ राजू पूरा गांव घूमते घूमते,,,, सोच करने के लिए खेतों की तरफ जाने लगा तो,,, उसने देखा कि आगे-आगे कमला चाची की बहू चली जा रही है,,, उसे देखते ही राजू के पजामे में हरकत होने लगी उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे और वह भी कमला चाची की बहू के पीछे पीछे चल दिया,,,।
राजू और कमला कि बहु कि शानदार चुदाई होने वाळी हैपल भर में ही दोनों मां बेटे की अरमान पर पानी फिर गया था,,,,राजू तो खुशी से पागल हुआ जा रहा था जब उसे अपनी मां की ब्लाउज उतारने और उसकी बुक पर हाथ रखने का मौका मिला,,, कुछ ही पल में राजू ने अपनी मां के साथ अपने मन की कर लीया था,,,,, हालांकि राजू मंजिल तक तो नहीं पहुंच पाया था लेकिन सफर का मजा बराबर लिया था,,,, राजू ने अपनी हरकतों से अपनी मां को पूरी तरह से चुदवासी कर दिया थाअगर इन मौके पर उसकी बुआ ना आ जाती तो शायद आज अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालकर उद्घाटन कर दिया होता,,,, अपनी मां की पानी टपकाती बुर को देखकर राजू इतना तो समझ ही गया था कि उसकी मां भी चुदवाना चाहती है,,,, इसीलिए तो राजू की हिम्मत बढ़ती जा रही थी,,,,,,राजू ने अब तक अपनी बाहों में ढेर सारी औरतों को ले चुका था उनके अंगों से खेल चुका था लेकिन जिस तरह का सुख और उन्माद का अनुभव उसे अपनी मां के साथ प्राप्त हुआ था ऐसा अनुभव से अब तक किसी भी औरत के साथ प्राप्त नहीं हुआ था,,,। अपनी मां की बुर की गर्मी को अभी तक वह अपने बदन में महसूस कर रहा था अपनी मां का ब्लाउज उतारने के बाद अपने हाथों में उसकी चूची लेकर जिस तरह से वह दबा रहा था,, ऐसा लग रहा था कि अपनी मां की चूची का सारा रस निचोड़ डालेगा,,,, बार-बार अपने लंड को अपनी मां की गांड पर धंसा रहा था जोकि राजू को यह सुख भी चुदाई से कहीं अधिक आनंद दे रहा था,,,राजू को इस बात की खुशी थी कि उसकी मां बिल्कुल भी ऐतराज नहीं जता रही थी और ना ही उसे आगे बढ़ने से रोक रही थी बल्कि वह खुद उसका साथ दे रही थी,,,,,, राजू अपनी मां को नहीं चोद पाया था इस बात का दुख उसे बराबर था लेकिन इस बात की खुशी भी थी कि ऐन मौके पर अपनी मां को कमरे में छोड़कर कमरे से बाहर निकल गया था करना आज गजब हो जाता वैसे तो गुलाबी के देखे जाने पर भी कोई दिक्कत की बात नहीं थी गुलाबी को समझाना राजू के लिए कोई मुश्किल काम नहीं था लेकिन राजू अपनी मां को अपनी बुआ की नजरों में गिरने नहीं देना चाहता था हालांकि गुलाबी नहीं कई बाहर चुदवाते समय उसे उसकी मां को चोदने की सलाह दे चुकी थी,, उसके अंगों के बारे में बोलकर उसे उत्तेजित करने का प्रयास कर चुकी थी इसलिए गुलाबी के देखे जाने पर भी राजू को किसी बात की दिक्कत नहीं थी क्योंकि गुलाबी खुद परिवार के ईस कुंए में में डुबकी लगा चुकी थी,,,। लेकिन गुलाबी अगर देख लेती तो शायद उसकी मां खुद की नजरों में गिर जाती,,,,,,,।
मधु का मन खाना बनाने में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार वह अपनी नियत से फिसल कैसे गई,,,, अपने मन में ही सोच रही थी कि वह कभी सपने में नहीं सोची थी कि उसका बेटा उसके साथ इस तरह की हरकत करेगा,,, जिसका अंदेशा वह पहले भी अपनी हरकतों से देता आ रहा था,,, बार-बार किसी ना किसी बहाने उसके बदन से सट जाना उसके अंगों को घूरना और तो और अनजाने में जब उसके ऊपर गिरी थी तो जानबूझकर अपनी हथेली को उसकी बुर पर रखकर किस तरह से मसल दिया था,,, उस समय जिस तरह का एहसास उसके तन बदन में हुआ था वही एहसास उस पल को याद करते हैं मधु को अभी अपने बदन में महसूस हो रहा था,,,, और तो और सफर के दौरान चूहे के पीछे छिपकर जयपुर पेशाब कर रही थी तो एक बहाने से उसे देखने के लिए कैसे आ गया था और अपनी आंखों से उसे पेशाब करता हुआ देख भी लिया था,,,,,,। इन सब बातों को याद करके मधु को अपने तन बदन में उत्तेजना का एहसास तो हो ही रहा था लेकिन उसे अपनी गलती का एहसास भी हो रहा था,,, अच्छी तरह से जानती थी कि अपने बेटे को पहली बार में ही डांट फटकार लगाकर उसे रोक देना चाहिए था ताकि वह इतनी आगे ना बढ़ पाता लेकिन उसकी चुप्पी धीरे-धीरे राजू का हौसला बढ़ा रही थी और नतीजन आज मधु अपने ही बेटे से चुदते चुदते रह गई थी,,,,,,,मधु को अपनी गलतियों का एहसास बराबर हो रहा था लेकिन वह इस बात से भी इनकार नहीं कर पा रही थी कि अपनी बेटी की मौजूदगी में ना जाने उसे क्या हो जाता है,,, बाप ने बेटी को रोकना तो चाहती हैं लेकिन उसकी हरकतों का असर ना जाने क्यों उसके बदन में उत्तेजना जगाने लगता है जिसके चलते वह अपने बेटे को चाह कर भी नहीं रोक पाती है,,,,, रोटियां बेलते समय मधु अपने आप से ही बात करते हुए अपने मन में बोल रही थी कि,,,।
मुझे क्या मालूम था कि दरवाजा खुला हुआ है वरना मैं दरवाजा खुला नहीं छोड़ती,,, और वह मुआ भी छुपकर मुझे ही देख रहा था मुझे ब्लाउज की डोरी खोलते हुए देख रहा था और जब नहीं खोल पाई तो कैसे खुद अंदर आ गया,,, वह इतने करीब आ गया था कि मैं उसे रोक नहीं पाए काश उसे रोक लेती तो शायद इस तरह की नौबत कभी नहीं आती लेकिन क्या करूं उसकी मौजूदगी मेरी तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रही थी खासकर के ठीक मेरे पीछे खड़े होना,,,, जिस तरह से वह मेरी डोरी पकड़ा हुआ था न जाने कि मुझे इस बात का एहसास हो रहा था कि वह मेरे कपड़े उतार कर मुझे नंगी करने जा रहा है अपने ही बेटे के बारे में इस तरह से सोचना गलत था लेकिन उस समय कुछ समझ में नहीं आ रहा था मेरी हालत एकदम खराब होती जा रही थी,,,( मधु खाना बनाते समय अपने आप से भी बात किए जा रही थी मानो कि जैसे किसी के आगे अपनी गलतियों को कबूल कर रही हो,,,वह तो अच्छा हुआ कि खाना बनाते समय उसके पास कोई भी नहीं था वरना उसे देखकर ऐसा ही लगता कि शायद उसकी तबीयत खराब है,,,) जैसे ही उसने मेरे ब्लाउज की डोरी को खींचकर खोला ना जाने क्यों मेरी बुर में हलचल होने लगी वह अपने आप ही गीली होने लगी,,, मुझे ऐसा ही लगा था कि ब्लाउज की डोरी खोलने के बाद वह कमरे से बाहर चला जाएगा ,,, लेकिन शायद मेरी खूबसूरत बदन का आकर्षण उसे बाहर जाने से रोक रहा था,,,डोरी के खुल जाने के बाद मेरी नंगी चिकनी पीठ उसकी आंखों के सामने थी शायद उसे देख कर उसकी हालत खराब हो रही थी,,, मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मेरा बेटा होने के बावजूद भी होगा मेरी खूबसूरती के पीछे पड़ा है और तो और मेरे साथ गलत संबंध बनाना चाहता है,,,, मुझे उसे ब्लाउज की डोरी खोलने ही नहीं देना चाहिए था,,लेकिन मैं कर भी क्या सकती थी वह तो एकाएक मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया और मैं कुछ बोल पाती इससे पहले ही ब्लाउज की डोरी को खोल भी दिया,,, थोड़ी देर में मुझे मेरी गांड पर जो कठोर चीज चुभती हुई महसूस हुई उससे तो मैं पागल होने लगी,,, मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि मेरी वजह से मेरे बेटे का लैंड खड़ा हो जाएगा और वह अपनी पूरी औकात नहीं था वरना मेरी गांड पर चुभता नहीं शायद वह जानबूझकर ही मेरी गांड पर अपने लंड का दबाव बना रहा था मुझे एहसास करवा रहा था,,,, और उसकी हिम्मत तो देखो मैं कुछ बोली नहीं तो खुद ही मेरे ब्लाउज को अपने हाथों से उतारकर मुझे नंगी करने लगा,,,, मुझे तो होश भी नहीं था क्योंकि मेरा पूरा वजूद ना जाने क्यों उसके ख्वाबों में हो चला था,,,,वह तो मुझे तब एहसास हुआ जब ब्लाउज मेरी आधी चुचियों से नीचे आ गई और मैं उसे रोकना चाहिए लेकिन अपनी हरकत से वह मुझे विवस कर दिया और देखते ही देखते अपने हाथों से मेरा ब्लाउज उतार कर ऊपर से मुझे नंगी कर दिया यह एहसास है एक मां के लिए बेहद अजीब और ना चाहते हुए भी बेहद उन्माद कारी होता है कि एक मा का ब्लाउज खुद बेटा ही अपने हाथों से उतारे इतने तक तो ठीक थामेरी हालत तब और ज्यादा खराब हो गई क्या हुआ अपने ही हाथों से मेरी चूची पकड़कर दबाना शुरू कर दिया उसकी हिम्मत की तो मैं दाद देना चाहूंगी,,,, कि बिना मेरा इरादा जाने वह नहीं चूचियों से खेल रहा था और वह भी पीछे से मुझे अपनी बाहों में लेकर,,,,हो सकता है कि उसे इस बात का एहसास हो गया हो कि मुझे यह सब कुछ अच्छा लग रहा है वरना वह इतना आगे नहीं बढता,,, वह जिस तरह सेअपने लंड का दबाव मेरी गांड पर बना रहा था मुझे तो डर था कि कहीं पेटीकोट सहित वह अपने लंड को मेरी गांड में ना डाल दे,,,। उसके लंड की ताकत को तो मै समझ गई थी कमजोर लंड के बस में बिल्कुल भी नहीं था इस तरह से गांड पर ठोकर मारना और वह भी पजामें होने के बावजूद भी,,,,,
(रोटी को तवे पर रखते हुए) इतने से भी कहां मानने वाला था ना मैं तो कभी सोची भी नहीं थी कि मेरा बेटा मेरे साथ इस तरह की हरकत करेगा हालांकि पहले भी वह मेरी बुर पर अपनी हथेली रख चुका था जोकि अनजाने में तो बिल्कुल भी नहीं हुआ था लेकिन जानबूझकर की गई हरकत को भी उस समय अनजाने में ही समझ लेना ठीक था लेकिन आज की हरकत तो जानबूझकर ही थी मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था कि वह अपनी हरकतों को आगे बढ़ाते हुए मेरी बुर पर अपनी हथेली रख लेगा,,,, मैं तो हैरान इस बात से हूं कि मैं उसे रोक क्यों नहीं पाई ऐसा बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए था वह तो मेरी पेटीकोट भी उतारना चाहता था मेरी पेटीकोट की डोरी को खोलना चाहता था वह तो अच्छा हुआ इन मौके पर गुलाबी आ गई वरना मैं उसे उस हालत में बिल्कुल भी रोक नहीं पाती और अपनी गलती के कारण मां बेटे के रिश्ते को तार-तार करने में उसकी सहायता कर दी होती,,,,,।(मधु इन सब बातों को सोच कर एकदम हैरान थी उसे इस बात का अहसास अच्छी तरह से ताके उसे उसके बेटे को रोकना चाहिए था ना कि आगे बढ़ने में उसकी मदद करने देना चाहिए था,,, वह तो भोला है जवानी की दौड़ मैं है ऐसे में जवान लड़कों का मन इधर-उधर भटकता ही है,,, लेकिन उसे काबू में रखना चाहिए था अब ऐसी गलती कभी नहीं करेंगी,, अपने बेटे को इस तरह की हरकत करने से वह रोकेगी उसे समझाएंगी,,,।
अरे भाभी क्या सोच रही हो तुम्हारी तबीयत तो ठीक है,,,।
(गुलाबी की आवाज कानों में पढ़ते ही मधु की तंद्रा भंग हुई तो वह शक पकाते हुए गुलाबी की तरफ देखने लगी और हक लाते हुए बोली,,,,)
ककक,,, कुछ नहीं वो क्या है ना कि सफर के दौरान थकावट महसूस हो रही है इसलिए नींद आ रही है,,,
तो रहने दो मैं बना देती हूं,,,
नहीं नहीं बना लूंगी तू अपना काम कर,,,,
(इतना कहकर मत लो फिर से खाना बनाने में लग गई,,, दूसरी तरफ हरिया चाय पान की दुकान पर बैठकर,,, अपने अनसुलझे सवाल का जवाब ढूंढ रहा था,,, वह बीड़ी का कश खींचते हुए वहीं पर बैठे गांव के ही दो-तीन आवारा लोगों से बोला,,,)
यार तुम लोगों से एक बात कहूं किसी को कहोगे तो नहीं,,,
कैसी बातें करते हो यार हरिया तुम्हारी बात भला हम किसी से क्यों कहेंगे,,,
क्या बताऊं यार बात ही कुछ ऐसी है,,,
बताओ तो क्या बात है,,,,
यार एक बार में ब्याज के पैसे देने के लिए लाला की हवेली पर गया था,,
तो क्या हुआ,,,?(उनमें से एक बीड़ी का कष्ट लगाते हुए बोला)
अरे पहले सुन तो,,,, मैं उसकी हवेली पर गया और दरवाजे पर कोई नहीं था इसलिए सीधे अंदर चला गया दरवाजा भी खुला था और मैंने जो अपनी आंखों से देखा हूं आज भी एक एक दृश्य मुझे एकदम अच्छे से याद है,,,।
ऐसा क्या देख लिया था हरिया भाई जो एक एक दृश्य तुम्हें आज भी याद है,,,
नजारा ही कुछ ऐसा था यार कि बताता हूं तो भी तन बदन में अजीब सा होने लगता है,,,,
(हरिया की बातें बीड़ी पानवाला भी कान लगाकर सुन रहा था दिन भर उसका काम ही आई थी गांव भर की बातों की कानाफूसी सुनना,,)
अरे बताओगे भी या पहेलियां ही बुझते रहोगे,,,
बता रहा हूं,,,,(इधर उधर नजर दौड़ा कर देखने के बाद) लेकिन कोई किसी को बताना नहीं,,,
फिर वही यार कब से तो कह रहे हैं किसी को नहीं बताएंगे,,,
यार मैंने हवेली में देखा कि लाला एकदम नंगा पलंग के नीचे खड़ा था और एक खूबसूरत जवान औरत एकदम नंगी एकदम गोरी बदन क्या था एकदम मक्खन मलाई,,, वह घुटने के बल झुकी हुई थी पलंग के ऊपर और लाला उसके पीछे खड़ा होकर उसकी गोरी गोरी गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपना लंड उसकी बुर में पेल रहा था,,,।
(इतना सुनते ही उन लोगों की धोती में हलचल होने लगी)
क्या बात कर रहे हो हरिया,,,
मैं जो कुछ भी कह रहा हूं एकदम सच कह रहा हूं,,,
लेकिन वह औरत ही कौन,?(उनमें से एक उस औरत के बारे में जानने की गरज से बोला)
अरे वही तो नहीं मालूम यार,,,,
कैसी बातें कर रहे हो सब कुछ देखे हो यह नहीं देखे कि वह औरत कौन थी,,?
हां यार सच कह रहा हूं,,(बीड़ी का कस खींचते हुए) वह औरत पूरी तरह से नंगी थी और एकदम को और मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि अगल-बगल के 20 गांव तक मैंने आज तक ऐसी खूबसूरत और गोरी औरत नहीं देखा,,,,,,उसकी सूरत देखने की मैंने बहुत कोशिश किया लेकिन उसके घने बाल से पूरी तरह से उसका चेहरा ढका हुआ था कसम से वह नजारा जब भी याद करता हूं तो तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगती है,,,
लाला की बीवी होगी,,,(उनमें से एक बोला)
नहीं रे लाला की बीवी नहीं है,,,(उनका दूसरा साथी बोला)
मुझे जहां तक इतना मालूम है कि,,, हवेली में लाला के साथ उसकी बहन रहती है,,, कहीं लाला अपनी,,,बहन,,
धत् कैसी बातें कर रहा है,,,(हरिया उसे बीच में ही रोकते हुए बोला,,) कोई अपनी बहन को,,,, नहीं नहीं,,,,
तो तुम ही बताओ हरिया गांव में अगल-बगल के 20 गांव में कितने इस तरह की खूबसूरत औरत को नहीं देखा है और जिस तरह से तुम बता रहे हो हम लोगों ने भी नहीं देखा है और ऐसी खूबसूरती और गोरा बदन केवल लाला की बहन का ही है,,,(उनमें से एक समझाते हुए बोला)
नहीं नहीं फिर भी ऐसा नहीं हो सकता भाई बहन के बीच इस तरह का,,, नहीं बिल्कुल भी नहीं,,।
(हरिया भाई-बहन के बीच के सारे संबंध को मानने से इंकार कर रहा था,,, और भाई ऐसा जानबूझकर कर रहा था वह तो खुद ही अपनी बहन की चुदाई कर चुका था और उसे चोदता आ रहा था,,, उसकी बात सुनकर हरिया भी सोचने पर मजबूर हो गया कि क्या जैसा वह कह रहा है वैसा मुमकिन है फिर अपने मन में सोचने लगा कि अगर उसके और उसकी बहन के बीच इस तरह का रिश्ता बन सकता है तो लाला और उसकी बहन के बीच क्यों नहीं बन सकता आखिरकार दोनों अकेले ही तो है दोनों की अपनी अपनी जरूरतें हैं,,, यह सोचकर हरिया हैरान हो गया,,,,इसके आगे किसी ने कुछ भी नहीं कहा तो थोड़ी देर हरिया वहीं रुक आ रहा और उसके बाद अंधेरा होने पर वापस घर की ओर चल दिया वहीं दूसरी तरफ राजू पूरा गांव घूमते घूमते,,,, सोच करने के लिए खेतों की तरफ जाने लगा तो,,, उसने देखा कि आगे-आगे कमला चाची की बहू चली जा रही है,,, उसे देखते ही राजू के पजामे में हरकत होने लगी उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे और वह भी कमला चाची की बहू के पीछे पीछे चल दिया,,,।
पल भर में ही दोनों मां बेटे की अरमान पर पानी फिर गया था,,,,राजू तो खुशी से पागल हुआ जा रहा था जब उसे अपनी मां की ब्लाउज उतारने और उसकी बुक पर हाथ रखने का मौका मिला,,, कुछ ही पल में राजू ने अपनी मां के साथ अपने मन की कर लीया था,,,,, हालांकि राजू मंजिल तक तो नहीं पहुंच पाया था लेकिन सफर का मजा बराबर लिया था,,,, राजू ने अपनी हरकतों से अपनी मां को पूरी तरह से चुदवासी कर दिया थाअगर इन मौके पर उसकी बुआ ना आ जाती तो शायद आज अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालकर उद्घाटन कर दिया होता,,,, अपनी मां की पानी टपकाती बुर को देखकर राजू इतना तो समझ ही गया था कि उसकी मां भी चुदवाना चाहती है,,,, इसीलिए तो राजू की हिम्मत बढ़ती जा रही थी,,,,,,राजू ने अब तक अपनी बाहों में ढेर सारी औरतों को ले चुका था उनके अंगों से खेल चुका था लेकिन जिस तरह का सुख और उन्माद का अनुभव उसे अपनी मां के साथ प्राप्त हुआ था ऐसा अनुभव से अब तक किसी भी औरत के साथ प्राप्त नहीं हुआ था,,,। अपनी मां की बुर की गर्मी को अभी तक वह अपने बदन में महसूस कर रहा था अपनी मां का ब्लाउज उतारने के बाद अपने हाथों में उसकी चूची लेकर जिस तरह से वह दबा रहा था,, ऐसा लग रहा था कि अपनी मां की चूची का सारा रस निचोड़ डालेगा,,,, बार-बार अपने लंड को अपनी मां की गांड पर धंसा रहा था जोकि राजू को यह सुख भी चुदाई से कहीं अधिक आनंद दे रहा था,,,राजू को इस बात की खुशी थी कि उसकी मां बिल्कुल भी ऐतराज नहीं जता रही थी और ना ही उसे आगे बढ़ने से रोक रही थी बल्कि वह खुद उसका साथ दे रही थी,,,,,, राजू अपनी मां को नहीं चोद पाया था इस बात का दुख उसे बराबर था लेकिन इस बात की खुशी भी थी कि ऐन मौके पर अपनी मां को कमरे में छोड़कर कमरे से बाहर निकल गया था करना आज गजब हो जाता वैसे तो गुलाबी के देखे जाने पर भी कोई दिक्कत की बात नहीं थी गुलाबी को समझाना राजू के लिए कोई मुश्किल काम नहीं था लेकिन राजू अपनी मां को अपनी बुआ की नजरों में गिरने नहीं देना चाहता था हालांकि गुलाबी नहीं कई बाहर चुदवाते समय उसे उसकी मां को चोदने की सलाह दे चुकी थी,, उसके अंगों के बारे में बोलकर उसे उत्तेजित करने का प्रयास कर चुकी थी इसलिए गुलाबी के देखे जाने पर भी राजू को किसी बात की दिक्कत नहीं थी क्योंकि गुलाबी खुद परिवार के ईस कुंए में में डुबकी लगा चुकी थी,,,। लेकिन गुलाबी अगर देख लेती तो शायद उसकी मां खुद की नजरों में गिर जाती,,,,,,,।
मधु का मन खाना बनाने में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार वह अपनी नियत से फिसल कैसे गई,,,, अपने मन में ही सोच रही थी कि वह कभी सपने में नहीं सोची थी कि उसका बेटा उसके साथ इस तरह की हरकत करेगा,,, जिसका अंदेशा वह पहले भी अपनी हरकतों से देता आ रहा था,,, बार-बार किसी ना किसी बहाने उसके बदन से सट जाना उसके अंगों को घूरना और तो और अनजाने में जब उसके ऊपर गिरी थी तो जानबूझकर अपनी हथेली को उसकी बुर पर रखकर किस तरह से मसल दिया था,,, उस समय जिस तरह का एहसास उसके तन बदन में हुआ था वही एहसास उस पल को याद करते हैं मधु को अभी अपने बदन में महसूस हो रहा था,,,, और तो और सफर के दौरान चूहे के पीछे छिपकर जयपुर पेशाब कर रही थी तो एक बहाने से उसे देखने के लिए कैसे आ गया था और अपनी आंखों से उसे पेशाब करता हुआ देख भी लिया था,,,,,,। इन सब बातों को याद करके मधु को अपने तन बदन में उत्तेजना का एहसास तो हो ही रहा था लेकिन उसे अपनी गलती का एहसास भी हो रहा था,,, अच्छी तरह से जानती थी कि अपने बेटे को पहली बार में ही डांट फटकार लगाकर उसे रोक देना चाहिए था ताकि वह इतनी आगे ना बढ़ पाता लेकिन उसकी चुप्पी धीरे-धीरे राजू का हौसला बढ़ा रही थी और नतीजन आज मधु अपने ही बेटे से चुदते चुदते रह गई थी,,,,,,,मधु को अपनी गलतियों का एहसास बराबर हो रहा था लेकिन वह इस बात से भी इनकार नहीं कर पा रही थी कि अपनी बेटी की मौजूदगी में ना जाने उसे क्या हो जाता है,,, बाप ने बेटी को रोकना तो चाहती हैं लेकिन उसकी हरकतों का असर ना जाने क्यों उसके बदन में उत्तेजना जगाने लगता है जिसके चलते वह अपने बेटे को चाह कर भी नहीं रोक पाती है,,,,, रोटियां बेलते समय मधु अपने आप से ही बात करते हुए अपने मन में बोल रही थी कि,,,।
मुझे क्या मालूम था कि दरवाजा खुला हुआ है वरना मैं दरवाजा खुला नहीं छोड़ती,,, और वह मुआ भी छुपकर मुझे ही देख रहा था मुझे ब्लाउज की डोरी खोलते हुए देख रहा था और जब नहीं खोल पाई तो कैसे खुद अंदर आ गया,,, वह इतने करीब आ गया था कि मैं उसे रोक नहीं पाए काश उसे रोक लेती तो शायद इस तरह की नौबत कभी नहीं आती लेकिन क्या करूं उसकी मौजूदगी मेरी तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रही थी खासकर के ठीक मेरे पीछे खड़े होना,,,, जिस तरह से वह मेरी डोरी पकड़ा हुआ था न जाने कि मुझे इस बात का एहसास हो रहा था कि वह मेरे कपड़े उतार कर मुझे नंगी करने जा रहा है अपने ही बेटे के बारे में इस तरह से सोचना गलत था लेकिन उस समय कुछ समझ में नहीं आ रहा था मेरी हालत एकदम खराब होती जा रही थी,,,( मधु खाना बनाते समय अपने आप से भी बात किए जा रही थी मानो कि जैसे किसी के आगे अपनी गलतियों को कबूल कर रही हो,,,वह तो अच्छा हुआ कि खाना बनाते समय उसके पास कोई भी नहीं था वरना उसे देखकर ऐसा ही लगता कि शायद उसकी तबीयत खराब है,,,) जैसे ही उसने मेरे ब्लाउज की डोरी को खींचकर खोला ना जाने क्यों मेरी बुर में हलचल होने लगी वह अपने आप ही गीली होने लगी,,, मुझे ऐसा ही लगा था कि ब्लाउज की डोरी खोलने के बाद वह कमरे से बाहर चला जाएगा ,,, लेकिन शायद मेरी खूबसूरत बदन का आकर्षण उसे बाहर जाने से रोक रहा था,,,डोरी के खुल जाने के बाद मेरी नंगी चिकनी पीठ उसकी आंखों के सामने थी शायद उसे देख कर उसकी हालत खराब हो रही थी,,, मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मेरा बेटा होने के बावजूद भी होगा मेरी खूबसूरती के पीछे पड़ा है और तो और मेरे साथ गलत संबंध बनाना चाहता है,,,, मुझे उसे ब्लाउज की डोरी खोलने ही नहीं देना चाहिए था,,लेकिन मैं कर भी क्या सकती थी वह तो एकाएक मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया और मैं कुछ बोल पाती इससे पहले ही ब्लाउज की डोरी को खोल भी दिया,,, थोड़ी देर में मुझे मेरी गांड पर जो कठोर चीज चुभती हुई महसूस हुई उससे तो मैं पागल होने लगी,,, मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि मेरी वजह से मेरे बेटे का लैंड खड़ा हो जाएगा और वह अपनी पूरी औकात नहीं था वरना मेरी गांड पर चुभता नहीं शायद वह जानबूझकर ही मेरी गांड पर अपने लंड का दबाव बना रहा था मुझे एहसास करवा रहा था,,,, और उसकी हिम्मत तो देखो मैं कुछ बोली नहीं तो खुद ही मेरे ब्लाउज को अपने हाथों से उतारकर मुझे नंगी करने लगा,,,, मुझे तो होश भी नहीं था क्योंकि मेरा पूरा वजूद ना जाने क्यों उसके ख्वाबों में हो चला था,,,,वह तो मुझे तब एहसास हुआ जब ब्लाउज मेरी आधी चुचियों से नीचे आ गई और मैं उसे रोकना चाहिए लेकिन अपनी हरकत से वह मुझे विवस कर दिया और देखते ही देखते अपने हाथों से मेरा ब्लाउज उतार कर ऊपर से मुझे नंगी कर दिया यह एहसास है एक मां के लिए बेहद अजीब और ना चाहते हुए भी बेहद उन्माद कारी होता है कि एक मा का ब्लाउज खुद बेटा ही अपने हाथों से उतारे इतने तक तो ठीक थामेरी हालत तब और ज्यादा खराब हो गई क्या हुआ अपने ही हाथों से मेरी चूची पकड़कर दबाना शुरू कर दिया उसकी हिम्मत की तो मैं दाद देना चाहूंगी,,,, कि बिना मेरा इरादा जाने वह नहीं चूचियों से खेल रहा था और वह भी पीछे से मुझे अपनी बाहों में लेकर,,,,हो सकता है कि उसे इस बात का एहसास हो गया हो कि मुझे यह सब कुछ अच्छा लग रहा है वरना वह इतना आगे नहीं बढता,,, वह जिस तरह सेअपने लंड का दबाव मेरी गांड पर बना रहा था मुझे तो डर था कि कहीं पेटीकोट सहित वह अपने लंड को मेरी गांड में ना डाल दे,,,। उसके लंड की ताकत को तो मै समझ गई थी कमजोर लंड के बस में बिल्कुल भी नहीं था इस तरह से गांड पर ठोकर मारना और वह भी पजामें होने के बावजूद भी,,,,,
(रोटी को तवे पर रखते हुए) इतने से भी कहां मानने वाला था ना मैं तो कभी सोची भी नहीं थी कि मेरा बेटा मेरे साथ इस तरह की हरकत करेगा हालांकि पहले भी वह मेरी बुर पर अपनी हथेली रख चुका था जोकि अनजाने में तो बिल्कुल भी नहीं हुआ था लेकिन जानबूझकर की गई हरकत को भी उस समय अनजाने में ही समझ लेना ठीक था लेकिन आज की हरकत तो जानबूझकर ही थी मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था कि वह अपनी हरकतों को आगे बढ़ाते हुए मेरी बुर पर अपनी हथेली रख लेगा,,,, मैं तो हैरान इस बात से हूं कि मैं उसे रोक क्यों नहीं पाई ऐसा बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए था वह तो मेरी पेटीकोट भी उतारना चाहता था मेरी पेटीकोट की डोरी को खोलना चाहता था वह तो अच्छा हुआ इन मौके पर गुलाबी आ गई वरना मैं उसे उस हालत में बिल्कुल भी रोक नहीं पाती और अपनी गलती के कारण मां बेटे के रिश्ते को तार-तार करने में उसकी सहायता कर दी होती,,,,,।(मधु इन सब बातों को सोच कर एकदम हैरान थी उसे इस बात का अहसास अच्छी तरह से ताके उसे उसके बेटे को रोकना चाहिए था ना कि आगे बढ़ने में उसकी मदद करने देना चाहिए था,,, वह तो भोला है जवानी की दौड़ मैं है ऐसे में जवान लड़कों का मन इधर-उधर भटकता ही है,,, लेकिन उसे काबू में रखना चाहिए था अब ऐसी गलती कभी नहीं करेंगी,, अपने बेटे को इस तरह की हरकत करने से वह रोकेगी उसे समझाएंगी,,,।
अरे भाभी क्या सोच रही हो तुम्हारी तबीयत तो ठीक है,,,।
(गुलाबी की आवाज कानों में पढ़ते ही मधु की तंद्रा भंग हुई तो वह शक पकाते हुए गुलाबी की तरफ देखने लगी और हक लाते हुए बोली,,,,)
ककक,,, कुछ नहीं वो क्या है ना कि सफर के दौरान थकावट महसूस हो रही है इसलिए नींद आ रही है,,,
तो रहने दो मैं बना देती हूं,,,
नहीं नहीं बना लूंगी तू अपना काम कर,,,,
(इतना कहकर मत लो फिर से खाना बनाने में लग गई,,, दूसरी तरफ हरिया चाय पान की दुकान पर बैठकर,,, अपने अनसुलझे सवाल का जवाब ढूंढ रहा था,,, वह बीड़ी का कश खींचते हुए वहीं पर बैठे गांव के ही दो-तीन आवारा लोगों से बोला,,,)
यार तुम लोगों से एक बात कहूं किसी को कहोगे तो नहीं,,,
कैसी बातें करते हो यार हरिया तुम्हारी बात भला हम किसी से क्यों कहेंगे,,,
क्या बताऊं यार बात ही कुछ ऐसी है,,,
बताओ तो क्या बात है,,,,
यार एक बार में ब्याज के पैसे देने के लिए लाला की हवेली पर गया था,,
तो क्या हुआ,,,?(उनमें से एक बीड़ी का कष्ट लगाते हुए बोला)
अरे पहले सुन तो,,,, मैं उसकी हवेली पर गया और दरवाजे पर कोई नहीं था इसलिए सीधे अंदर चला गया दरवाजा भी खुला था और मैंने जो अपनी आंखों से देखा हूं आज भी एक एक दृश्य मुझे एकदम अच्छे से याद है,,,।
ऐसा क्या देख लिया था हरिया भाई जो एक एक दृश्य तुम्हें आज भी याद है,,,
नजारा ही कुछ ऐसा था यार कि बताता हूं तो भी तन बदन में अजीब सा होने लगता है,,,,
(हरिया की बातें बीड़ी पानवाला भी कान लगाकर सुन रहा था दिन भर उसका काम ही आई थी गांव भर की बातों की कानाफूसी सुनना,,)
अरे बताओगे भी या पहेलियां ही बुझते रहोगे,,,
बता रहा हूं,,,,(इधर उधर नजर दौड़ा कर देखने के बाद) लेकिन कोई किसी को बताना नहीं,,,
फिर वही यार कब से तो कह रहे हैं किसी को नहीं बताएंगे,,,
यार मैंने हवेली में देखा कि लाला एकदम नंगा पलंग के नीचे खड़ा था और एक खूबसूरत जवान औरत एकदम नंगी एकदम गोरी बदन क्या था एकदम मक्खन मलाई,,, वह घुटने के बल झुकी हुई थी पलंग के ऊपर और लाला उसके पीछे खड़ा होकर उसकी गोरी गोरी गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपना लंड उसकी बुर में पेल रहा था,,,।
(इतना सुनते ही उन लोगों की धोती में हलचल होने लगी)
क्या बात कर रहे हो हरिया,,,
मैं जो कुछ भी कह रहा हूं एकदम सच कह रहा हूं,,,
लेकिन वह औरत ही कौन,?(उनमें से एक उस औरत के बारे में जानने की गरज से बोला)
अरे वही तो नहीं मालूम यार,,,,
कैसी बातें कर रहे हो सब कुछ देखे हो यह नहीं देखे कि वह औरत कौन थी,,?
हां यार सच कह रहा हूं,,(बीड़ी का कस खींचते हुए) वह औरत पूरी तरह से नंगी थी और एकदम को और मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि अगल-बगल के 20 गांव तक मैंने आज तक ऐसी खूबसूरत और गोरी औरत नहीं देखा,,,,,,उसकी सूरत देखने की मैंने बहुत कोशिश किया लेकिन उसके घने बाल से पूरी तरह से उसका चेहरा ढका हुआ था कसम से वह नजारा जब भी याद करता हूं तो तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगती है,,,
लाला की बीवी होगी,,,(उनमें से एक बोला)
नहीं रे लाला की बीवी नहीं है,,,(उनका दूसरा साथी बोला)
मुझे जहां तक इतना मालूम है कि,,, हवेली में लाला के साथ उसकी बहन रहती है,,, कहीं लाला अपनी,,,बहन,,
धत् कैसी बातें कर रहा है,,,(हरिया उसे बीच में ही रोकते हुए बोला,,) कोई अपनी बहन को,,,, नहीं नहीं,,,,
तो तुम ही बताओ हरिया गांव में अगल-बगल के 20 गांव में कितने इस तरह की खूबसूरत औरत को नहीं देखा है और जिस तरह से तुम बता रहे हो हम लोगों ने भी नहीं देखा है और ऐसी खूबसूरती और गोरा बदन केवल लाला की बहन का ही है,,,(उनमें से एक समझाते हुए बोला)
नहीं नहीं फिर भी ऐसा नहीं हो सकता भाई बहन के बीच इस तरह का,,, नहीं बिल्कुल भी नहीं,,।
(हरिया भाई-बहन के बीच के सारे संबंध को मानने से इंकार कर रहा था,,, और भाई ऐसा जानबूझकर कर रहा था वह तो खुद ही अपनी बहन की चुदाई कर चुका था और उसे चोदता आ रहा था,,, उसकी बात सुनकर हरिया भी सोचने पर मजबूर हो गया कि क्या जैसा वह कह रहा है वैसा मुमकिन है फिर अपने मन में सोचने लगा कि अगर उसके और उसकी बहन के बीच इस तरह का रिश्ता बन सकता है तो लाला और उसकी बहन के बीच क्यों नहीं बन सकता आखिरकार दोनों अकेले ही तो है दोनों की अपनी अपनी जरूरतें हैं,,, यह सोचकर हरिया हैरान हो गया,,,,इसके आगे किसी ने कुछ भी नहीं कहा तो थोड़ी देर हरिया वहीं रुक आ रहा और उसके बाद अंधेरा होने पर वापस घर की ओर चल दिया वहीं दूसरी तरफ राजू पूरा गांव घूमते घूमते,,,, सोच करने के लिए खेतों की तरफ जाने लगा तो,,, उसने देखा कि आगे-आगे कमला चाची की बहू चली जा रही है,,, उसे देखते ही राजू के पजामे में हरकत होने लगी उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे और वह भी कमला चाची की बहू के पीछे पीछे चल दिया,,,।