बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट हैएक तरफ गुलाबी महुआ से बातें कर रही थी और दूसरी तरफ राजू गुलाबी की गोल गोल गांड को सलवार के ऊपर से ही अपने हाथों में ले लेकर दबा रहा था,,,, और साथ में भेजा मैंने अपने खड़े लंड को बार-बार अपनी बुआ की गांड पर धंशा दे रहा था,,,राजू की यह हरकतें गुलाबी के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी को और ज्यादा भड़का रही थी अगर इस समय महुआ साथ में ना होती तो गुलाबी खुद राजु के लंड पर चढ गई होती,,,,,,, बुआ को तो इस बात का आभास तक नहीं था कि उसके बगल में ही है काम क्रीड़ा की शुरुआत हो चुकी है वह तो अपने ही बातों में तल्लीन थी,,,
महुआ
राजू ने अपनी कामुक हरकतों से अपनी बुआ को पूरी तरह से गर्म कर दिया था,,,,, महुआ को नींद आने लगी थी इसलिए वह सोने से पहले राजू से बोली,,,।
राजू लालटेन बुझा देना,,, मुझे उजाले में नींद नहीं आती,,,
ज़ी दीदी,,,,(अपनी बहन की बात सुनते ही राजू प्रसन्न हो गया था क्योंकि अब तो उसका काम और भी आसान हो जाता वह तुरंत खड़ा हुआ और लालटेन की ज्योत को बुझा दिया और वापस आकर चटाई पर लेट गया,,,,थोड़ी ही देर में दोनों को जब इस बात का एहसास हो गया कि महुआ गहरी नींद में सो रही है तो तुरंत गुलाबी राजू की तरफ घूमी और अंधेरे में ही राजू को अपनी बाहों में भरकर अपने लाल-लाल होठों को उसके होंठ पर रख दी दोनों काफी उत्तेजित हो चुके थे और राजू तुरंत अपना एक हाथ गुलाबी की कमर में डालकर उसे अपनी तरफ खींच दिया जिससे दोनों का बदन आपस में एकदम से सट गया और राजू का लंड पजामे में होने के बावजूद भी गुलाबी कि बुर पर ठोकर मारने लगा,,,,, गुलाबी इसी ठोकर के लिए तो मरी जा रही थी वह पूरी तरह से रोमांचित हो उठी,,,, अपनी बुर पर अपने भतीजे के लंड की ठोकर उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी वह जल्द से जल्द अपने भतीजे के लंड को अपनी बुर में ले लेना चाहती थी,,, गुलाबी मदहोश होते हुए अपने भतीजे के होठों का रसपान कर रही थी और राजू कभी गुलाबी की गांड तो कभी चूची को अपनी हथेली में लेकर दबा रहा था,,,,,,,।
राजू अपनी बुआ के कपड़े उतार कर मजा लेना चाहता था,,,इसलिए अपना हाथ सलवार की दूरी पर रखकर उसे खींचने की तैयारी में ही था कि गुलाबी उस पर हाथ रखकर धीरे से बोली,,,,।
मुझे नंगी करेगा क्या,,?
तो क्या हुआ नंगी किए बिना मजा नहीं आएगा,,,
बगल में महुआ सो रही है,,,
तो क्या हुआ दीदी तो गहरी नहीं तुम्हें और वैसे भी कमरे में अंधेरा है कुछ दिखने वाला नहीं है,,,।
(राजू के मुंह से इतना सुनते ही गुलाबी राजू के हाथ पर से अपना हाथ हटा लिया और उसे आगे बढ़ने की इजाजत दे दी अगले ही पल राजू गुलाबी की सलवार की डोरी को हाथ में पकड़ कर खींच दीया था,, अगले ही पल गुलाबी की कमर कसी हुई सलवार एकदम ढीली हो गई राजू की सांसे बड़ी तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी वह तुरंत अपनी बुआ की सलवार में हाथ डालकर उसकी कचोरी जैसी फूली हुई बुर को अपनी उंगलियों से टटोलने लगा,,,, अपने भतीजे की उंगली को अपनी फुली हुई बुर पर महसूस करते ही गुलाबी पूरी तरह से मदहोश होने लगी,,,, उसकी सांसे धुकनी की तरह तेज हो गई,,, राजू अपनी बुआ की बुर टटोल ते हुए उसके गीलेपन को अच्छी तरह से महसूस कर रहा था और उसमें से उठ रही मदक खुशबू पूरे वातावरण को मदहोश बना रही थी रात के अंधेरे में और कमरे के अंधेरे में,,, जमीन आसमान का फर्क था,,,रात के अंधेरे में दिन भर की थकान उतारते हुए लोग चैन की नींद सोते हैं तो कुछ लोग संभोग क्रीडा में पूरी तरह से लिप्त हो जाते हैं,,, और कुछ ऐसा ही गुलाबी और राजू भी कर रहे थे हालांकि दोनों का रिश्ता बेहद पवित्र था लेकिन दोनों बुआ और भतीजा होने से पहले एक मर्द और एक औरत थे जिनके बीच शारीरिक आकर्षण लाजमी था,,,,,,, राजू को अपनी बुआ की खुली हुई बुर गरमा गरम कचोरी की तरह महसूस हो रही थी उत्तेजना का अनुभव करते हुए राजू रह-रहकर गुलाबी की बुर को अपनी मुट्ठी में भींच ले रहा था मानो कि जैसेउसके हाथ में गुलाब जामुन आ गया हो और वह दबाकर उसका सारा रस निकाल देना चाहता हो,,,।
दोनों का प्रगाढ चुंबन जारी था,,,,सलवार की डोरी खोल देने के बाद भी राजू में अभी तक अपने बुआ के बदन से सलवार को अलग नहीं किया था लेकिन उसके नंगे पन को अच्छी तरह से महसूस कर रहा था,,,,,।
ओहहहह बुआ तुम तो एकदम मलाई हो,,,(एक बार फिर से जोर से अपनी बुआ की बुर को अपनी मुट्ठी में दबाते हुए बोला,,,)
सहहहहह धीरे,,,, महुआ जाग जाएगी,,,,
नहीं जागेगी,,,, देख नहीं रही हो कैसे सो रही है,,,, कसम से पूरा तुम्हारे लिए बिना तो मुझे नींद भी नहीं आती इसलिए तुम्हें परेशान हो गया था कि दीदी के रहते मैं तुम्हारी चुदाई कैसे कर पाऊंगा,,,
हारे मैं भी इसीलिए परेशान थी,,,,,जैसा तेरा हाल है वैसा मेरा भी हाल है जब तक तेरा लंड मेरी बुर की गहराई नहीं नापता तब तक मुझे भी नींद नहीं आती,,,
अच्छा हुआ बुआ हम दोनों को जुगाड़ मिल गया,,,।
(ऐसा कहते हुए गुलाबी खुद ही अपने पैरों के सहारे से अपनी सलवार उतारने की कोशिश कर रही थी और यह देखकर राजू चुटकी लेते हुए बोला,,)
हाय मेरी बुआ,,,, बड़ी जल्दी पड़ी है तुम्हें नंगी होने की,,,
क्या करूं रे जब तक नंगी नहीं हो जाती तब तक चुदवाने का मजा ही नहीं आता,,,
सच बोलूं तो गोवा मुझे भी तुम्हें नंगी करके चोदने में ही मजा आता है,,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू अपनी जगह पर उठ कर बैठ गया और अपने हाथों से अपनी बुआ की सलवार को उतारने का था देखते ही देखते राजू ने बगल में सो रही अपनी बड़ी दीदी के पास लेटी हुई अपनी बुआ की सलवार उतार कर कमर से नीचे उसे नंगी कर दिया और उसकी चिकनी जांघ पर अपनी हथेली फिराते हुए बोला,,,)
सहहहहह आहहहहह कितनी मुलायम जांघ है तुम्हारी मन करता है कि तुम्हारा पूरा बदन अपनी जीभ से चाट जाऊं,,,,
तो चाट जाना रे,,,, बोलता क्यों है करके दिखा,,,,
हाय मेरी बुआ रानी तेरी यही अदा तो मुझे दीवाना कर दि है,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू नेकुर्ती के ऊपर से ही गुलाबी की चूचियों को इतनी कसके तब आया कि उसकी चीख निकल गई लेकिन वह जल्दी अपनी चीख को दबा दी,,, और गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)
हरामी मादरचोद इतनी जोर से कोई दबाता है क्या,,,
क्या करूं बुआ तुम्हारी बातों से मुझे जोश आ गया था,,,।
जोश आ जाएगा तो क्या गांड मार लेगा,,,
वह तो मैं तुम्हारी मार ही चुका हूं,,,, चलो छोड़ो सब बात मुझे अपना दूध पिला दो,,,
अरे बुद्धू अभी इसमें से दूध निकलता ही कहां है,,,
तो क्या हुआ बुआ मजा तो आता है ना चूसने में,,,
तू सच में बहुत शैतान हो गया है और थोड़ा कम बोल देख नहीं रहा है बगल में महारानी सो रही है,,,,
कसम से बोला अगर आज कमरे में दीदी नहीं होती तो सुबह तक तुम्हारी चुदाई करता,,,
क्यों आज तेरा जोश ईतना ज्यादा बढ़ गया है,,,,
तुम्हारी बातों से बुआ,,,, अब थोड़ा सा उठो और मुझे कुर्ती उतारने दो,,,।
(राजू का इतना कहना था कि गुलाबी धीरे से उठ कर बैठ गई और राजू अपने हाथों से उसकी कुर्ती उतारने लगा देखते ही देखते रात के अंधेरे में कमरे के अंदर गुलाबी पूरी तरह से नंगी हो गई लेकिन उसके नंगे पन को अंधेरे में राजू देख नहीं पा रहा था लेकिन महसूस जरूर कर रहा था क्योंकि उसके दोनों हाथ गुलाबी की दोनों संतरा को थामें हुए थे,,, गुलाबी की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी फुली हुई कचोरी में से नमकीन चटनी निकल रही थी,,,, जिसको चाटने के लिए राजू का मन तड़प रहा था,,,,,, लेकिन राजू के हाथों में गुलाबी के संतरे आ जाने से कुछ देर के लिए उसका मन बदल गया था और वह अगले ही पल,,, गुलाबी के छुहारे को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया,,,, गुलाबी उत्तेजना के मारे गदगद हो गई,,,,।
राजू पूरी मस्ती के साथ गुलाबी की दोनों चूचियों को दबा दबा कर पी रहा था,,,,और गुलाबी मजे लेकर राजू को अपना चूची पीला रही थी,,,।
सहहहहह आहहहहहह ऊईईईईई ,,,,राजु आहहहहहहह बहुत मजा आ रहा है रे,,,(गुलाबी मादकता भरी लेकिन एकदम धीमे श्वर में बोल रही थी,,,,,,यह डर दोनों को था कि कहीं महुआ जागना जाएं लेकिन जवानी के जोश और औरत के भजन की चाहत में इंसान सब कुछ भूल जाता है एक औरत के जिस्म को पाने के लिए वह किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहता है वैसा ही कुछ दोनों इस समय कर रहे थे कि बगल में महुआ के होने के बावजूद भी दोनों एक दूसरे से अपनी प्यास बुझाने की खातिर एक दूसरे के अंगों से मजे ले रहे थे एक दूसरे की हरकतों का पूरा लुफ्त उठा रहे थे राजू तो फिर भी अभी पूरे कपड़ों में थाने की गुलाबी पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी उसके कपड़ों को उतारकर राजू बगल में रख दिया था,,,,,।
राजू जल्द से जल्द अपने मोटे तगड़े गंड को अपनी बुआ की बुर में डालकर उसकी चुदाई कर देना चाहता था लेकिन जुदाई से पहले की क्रीड़ा में उसे बेहद आनंद की प्राप्ति होती थी और उसकी हर एक हरकत का मजा गुलाबी पूरे जोश के साथ लेती थी और इसीलिए राजू जल्द ही अपनी बुआ की दोनों टांगों के बीच पहुंच गया रात के अंधेरे में कुछ भी दिख नहीं रहा था लेकिन राजु को इतना तो अंदाजा था ही की गुलाबी चूची और बुर कहां है और इसीलिए वहां अपने दोनों हाथों को गुलाबी की गांड के नीचे डाल कर उसे अपनी तरफ खींच लिया और अपने प्यासे होठों को कमरे के अंधेरे में गुलाबी की बुर पर रख दीया,,,।,, जैसे ही राजू के प्यासे होठ गुलाबी की तपती हुई बुर पर इस पर से हुई वैसे ही गुलाबी के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी और वह अगले ही पर अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठा दी ताकि राजू आराम से उसकी बुर का रस पी सके,,,गुलाबी की इस हरकत पर राजू करके उसकी कमर को अपनी हथेली से दबा दिया और जितना हो सकता था उतनी जीभ को गुलाबी की गुलाबी बुर की गहराई में गाड दिया,,,
राजू की यह हरकत इतनी ज्यादा मादकता भरी थी कि पहली बार में ही गुलाबी राजू की जीभ के कारण अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं कर पाई और भल भलाकर अपना मदन रसबहाने लगी,,,,,लेकिन राजू ने अपनी बुआ की बुर में से निकले बदन रस को अमृत की बूंद समझकर जीभ से होले होले पूरा का पूरा चट कर गया,,, और एक बार फिर से अपनी बुआ को उत्तेजित करने में लग गया राजू पागलों की तरह अपनी बुआ की बुर चाट रहा था उसके मदन रस में उसका पूरा चेहरा सन गया था और उसमें से उठ रही मादक खुशबू राजू को और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी देखते ही देखते राजू अपनी दो उंगली को उसकी बुर में डालकर अंदर बाहर करने का ऐसा करने से गुलाबी पूरी तरह से चुदवाती हो गई और अपने मुंह से गर्मागर्म सिसकारी की आवाज निकालने लगी वह मदहोशी में भूल गई कि बगल में महुआ सो रही है,,,,।
गरमा गरम सिसकारी की आवाज कानों में पड़ते ही महुआ की नींद खुल गई ,,,,जवानी से भरी हुई महुआ जवानी का खेल खेल चुकी महुआ भला इस काम क्रीड़ा के गरमा गरम सिसकारी की आवाज को कैसे नहीं पहचानती प्यासी औरत के कानों में दूसरी प्यासी औरत की गरमा गरम सिसकारी की आवाज एकदम साफ सुनाई दे रही थी ऐसे में महुआ के होश उड़ गए क्योंकि जब उसे यह ज्ञात हुआ कि कमरे में तो केवल उसका छोटा भाई राजू और उसकी बुआ गुलाबी ही सो रहे थे तो यह आवाज कैसी है,,,, गुलाबी अभी भी राजू की हरकत की वजह से पूरी तरह से मदहोश होकर सिसकारी की आवाज निकाल रही थी कमरे के अंधेरे में भगवा को कुछ नजर नहीं आ रहा था बस दो काली परछाई नजर आ रही थी और उस काली परछाई उसे साफ दिखाई दे रही थी कि एक परछाई लेटी हुई है और दूसरी परछाई दोनों टांगों के बीच झुकी हुई है,,,,,महुआ की हालत खराब होने लगी गरमा गरम सिसकारी की आवाज सुनकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह दोनों परछाई है किसकी उसके बगल में तो राजू और गुलाबी सो रहे थे और दोनों के बीच इस तरह के संबंध स्थापित होना नामुमकिन था,,,,,
गुलाबी और राजू
लगातार गुलाबी के मुंह से गर्मागर्म सिसकारी की आवाज आ रही थी दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी इसलिए दोनों की आवाज सुनने की कोई गुंजाइश महुवा को नजर नहीं आ रही थी क्योंकि दोनों अपने-अपने काम में लगे हुए थे,,,, महुआ के दिमाग में ढेर सारे सवाल उठने लगे वह सोचने लगी कि अगर दोनों परछाई उसके छोटे भाई राजू और उसकी बुआ की हुई तो क्या होगा वह सोचने लगी कि क्या है इसे घरेलू रिश्तो के बीच इस तरह के संबंध मुमकिन है उसे समझ में नहीं आ रहा था उसकी आंखें जो देख रही थी उससेउसे बिल्कुल भी तसल्ली नहीं हो पा रही थी कि आखिरकार दोनों पर चाहिए किसकी यही जानने के लिए वह लालटेन को जलाना चाहती थी,,, उसकी भी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी आखिरकार वह भी जवानी से भरी हुई थी और एक औरत की गरमा गरम सिसकारी की आवाज सुनकर उसके तन बदन में भी चुदवाश की लहर दौड़ रही थी क्योंकि शादीशुदा होने के बावजूद भी वह अभी तक प्यासी ही थी,,,, वह दोनों परछाई की हकीकत जानने के लिए धीरे से उठी और कोने में लटक रही लालटेन को जला दी लालटेन की लौ जलते ही पूरे कमरे में पीली रोशनी फैल गई और उस पीली रोशनी में उसकी आंखें जिस दृश्य को देखी उसे देख कर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई और आश्चर्य से खुला का खुला रह गया,,,,।
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट हैलालटेन के जलते ही लालटेन की पीली रोशनी में जो दृश्य महुआ की आंखों के सामने नजर आया उसे देखते ही महुआ के होश उड़ गए उसकी आंखें फटी की फटी रह गई और वह आश्चर्य से खुला रह गया क्योंकि उसने कभी सपने में भी इस तरह के दृश्य की कल्पना नहीं की थी,,,,,,। पल भर में ही महुआ की सांसे धुकनी की तरह चलने लगी,,,उसे तो समझ में नहीं आ रहा था कि जो कुछ भी वह देख रही है वह हकीकत है या कोई सपना,,,,लालटेन की पीली रोशनी में उसे साफ नजर आ रहा था कि उसकी बुआ चटाई पर एकदम नंगी होकर पीठ के बल लेटी हुई थी और उसकी दोनों टांगें खुली हुई थी,,, टांगों के बीच उसका छोटा भाई राजू जो कि अब पूरी तरह से जवान हो चुका था वह झुका हुआ था और वह उसकी बुर में अपनी जीभ डालकर चाट रहा था,,,,,,,,।
लालटेन की रोशनी कमरे में फैलते हैं गुलाबी और राजू दोनों हक्के बक्के रह गए दोनों के होश उड़ गए दोनों की चोरी आज पकड़ी गई थी दोनों ने अपनी भावनाओं पर अपनी जवानी पर काबू नहीं कर पाए थे जिसका नतीजा यह था कि आज दोनों अपनी बुआ की आंखों के सामने काम क्रीडा में लिप्त नजर आ गए थे,,, जैसे ही लालटेन की रोशनी कमरे में पहली वैसे ही राजू की जीभ गुलाबी की गुलाबी बुर में धंसी की धंसी रह गई,,, और गुलाबी को समझते देर नहीं लगी कि कमरे में लालटेन की रोशनी किसकी वजह से हुई है क्योंकि उसके बगल वाली जगह खाली थी वह महुआ से नजर तक मिलाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी,,,, महुआ उसी तरह से आश्चर्य से भरी हुई ही बोली,,,।
यह क्या हो रहा है,,,?
(महुआ के सवाल का जवाब ना तू राजू के पास था और ना ही गुलाबी के पास क्योंकि दोनों आज रंगे हाथ पकड़े गए थे अगर कोई महुआ को उन दोनों के बारे में उन दोनों की बात बताता तो शायद यह जानकर राजु और गुलाबी अपनी तरफ से अपने बचाव में कुछ कह भी सकते थे लेकिन यहां कहने के लिए कुछ भी नहीं था,,,, राजू एक बार अपनी बहन की तरफ देखा और दूसरी बार उसकी तरफ देखने की उसकी हिम्मत नहीं हुई वह धीरे से अपना मुंह गुलाबी की बुर से हटाया और बगल में पड़ी चादर को खुद ही गुलाबी के नंगे बदन पर डाल दिया और वही सर पकड़ कर बैठ गया,,,,महुआ जान चुकी थी कि दोनों के पास कहने के लिए कोई शब्द नहीं थे इसलिए वह उन दोनों की तरफ आगे बढ़ी और दोनों को लगभग डांटते हुए बोली,,,,।)
यह सब क्या हो रहा है बुआ,,,, और वह भी राजू के साथराजू तुझे बिल्कुल भी शर्म नहीं आई इस तरह की हरकत करते हुए और वह भी अपने ही बुआ के साथ,,,,।
दीदी मैं,,,,
बस चुप हो जा मुझे कुछ नहीं सुनना तुम दोनों आपस में ही इस तरह का गलत काम कर रहे हो पवित्र रिश्ते को तार-तार कर रहे हो,,,, मैं कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि मुझे यह सब देखना पड़ेगा,,,,।
(गुलाबी तो महुआ की बात सुनकर रोने लगी थी और राजू वहीं पास में खामोश बेटा सिर्फ अपनी बड़ी दीदी की बातें सुन रहा था,,,,)
तुम दोनों को यह सब करते शर्म नहीं आई,,,,,, अगर मां और बाबू जी को पता चलेगा तो क्या होगा तुम दोनों को पता है,,,,।
(इतना सुनते ही गुलाबी झट से अपनी जगह पर उठ कर बैठ गई और महुआ का पांव पकड़ ली और बोली,,)
नहीं नहीं महुआ ऐसा बिल्कुल भी मत करना,,, नहीं तो मैं मर जाऊंगी,,,,,,।
अरे अरे यह क्या कर रही हो बुआ,,,, तुम पहले मेरा पांव छोड़ो,,,, पागल हो गई हो मेरा पैर पकड़ रही हो,,,,
(अपने पैर छुड़ाने में गुलाबी के बदन से राजू के द्वारा डाली गई चादर हट गई और उसकी नंगी चूचियां महुआ को नजर आने लगी जो कि बेहद खूबसूरत गोलाई लिए हुए थी,,,, और महुआ की खुद की चूची बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी हो गई थी क्योंकि वह लगभग गांव में शादी से पहले रोज ही लड़कों से दबवाती थी और उन्हें पिलाती भी थी,, इसलिए उसे अपनी बुआ की संतरे जैसी चूचियां आकर्षित कर रही थी,,,, महुआ की वहीं बैठ गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं लेकिन जिस तरह का नजारा उसने अपनी आंखों से देखी थी उसे देखकर उसके तन बदन में हलचल सी मच ने लगी थी वह भी उत्तेजना महसूस कर रही थी और इसी के चलते उसकी बुर से भी मदन रस टपक रहा था,,,लालटेन की पीली रोशनी में उसने साफ देखी थी कि कितने बजे लेकर उसकी बुआ उसके भाई से अपनी बुर चटवा रही थी,,,। महुआ खेली खाई जरूर थी लेकिन उसने कभी बुर चटाई का आनंद नहीं ली थी क्योंकि गांव में इत्मीनान से चोरी-छिपे चुदवाने का मजा उसने नहीं ले पाई थी बस जहां भी मौका मिलता था वहां पर अपनी सलवार खोल कर खड़ी हो जाती थी,, और चुदवा लेती थी इतना ही उसे मौका मिल पाता था और कभी-कभी केवल कमीज के ऊपर से या कम इसको थोड़ा उठाकर चूची को दबवाने का मजा ले लेती थी,,, हालांकि उसे चुची दबवाने का शुख ज्यादा मिला था लेकिन बुर पर लंड के सिवा होंठों का स्पर्श आज तक नहीं हुआ था,,,इसलिए तो इस अद्भुत दृश्य को देखकर उसके मन में भी भावनाएं जागने लगी उसकी भी इच्छा जोर करने लगी,,,,वह सिर्फ दोनों को डराना धमकाना चाहती थी ताकि उसका भी उल्लू सीधा हो सके आखिरकार शादी के बाद से वह प्यासी ही थे और एक प्यासी औरत को और क्या चाहिए था,,,, सब कुछ उसकी आंखों के सामने ही था,,, बस उसे अच्छी तरह से अपने लिए उपयोग में लाना था,,,,, कुछ देर की खामोशी के बाद महुआ बोली,,,।)
चुप रहो बुआ रोना बंद करो मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि तुम दोनों के बीच इस तरह का संबंध स्थापित हो जाएगा मुझे तो देखकर एकदम शर्म आ रही है लेकिन तुम चिंता मत करो मैं मां और बाबू जी को कुछ भी नहीं बताऊंगी,,,।
(इतना सुनते ही दोनों की आंखों में चमक आ गयी दोनों आश्चर्य से; महुआ की तरफ देखने लगी इस बात से उन दोनों को संतुष्टि थी कि महुआ उन दोनों की बात किसी को नहीं बताएगी,,,, महुआ अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली)
मैं किसी को कुछ भी नहीं बताऊंगी लेकिन मुझे यह जानना है कि तुम दोनों के बीच आखिर यह रिश्ता कैसे जन्म ले लिया,,, ऐसा तो बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए था,,,, बोलो बुआ,,,।
महुआ मैं तुझसे बड़ी हूं,,,, लेकिन मेरे से जल्दी तेरी शादी हो गई एक औरत होने के नाते तुझे भी है पता होना चाहिए कि समय आने पर औरत को मर्द की जरूरत पड़ने लगती है,,,मुझे भी ऐसा महसूस होने लगा था लेकिन मैं कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि मेरा रिश्ता अपने ही भतीजे के साथ हो जाएगा,,,,,,, लेकिन यह सब करने का मेरा इरादा बिल्कुल भी नहीं था जो कुछ भी हुआ अनजाने में ही हुआ,,, ना तो इसमें मेरी कोई गलती है और ना ही राजू की,,,
वही तो मैं पूछ रही हूं बुआ कि ऐसा कैसे हो गया क्यों तुम इतना मजबूर हो गई,,,।
(अपनी बड़ी बहन की बातों को सुनकर राजू को भी तसल्ली हो रही थी कि उन दोनों का राज,, राज ही रहेगा उसकी बड़ी दीदी ऐसा कुछ भी नहीं करेगी जिससे दोनों को शर्मिंदा होना पड़े,,,, गुलाबी भी इत्मीनान हो चुकी थी वह खुलकर बताने लगी थी वह बोली,,,)
मजबूर,,,, महुआ ,,, मेरी जगह अगर तू होती तो तेरा भी वही हाल होता जो मेरा उस समय था,,,,,,
ऐसा क्या हो गया था,,,,(महुआ उत्सुकता दिखाते हुए बोली,,)
यह पूछ क्या नहीं हुआ,,,, मेरा तो दिमाग ही घूम गया था,,,
अरे बताएगी भी या ऐसे ही पहेलियां बुझती रहेगी,,,
(राजू बड़े गौर से देने की बातों को सुन रहा था,,, जिस तरह की उत्सुकता महुआ दिखा रही थी उसे देखते हुए राजू का दिमाग घूम रहा,,, था,, गांव की बहुत सी औरतों के संगत में आकर राजू औरतों के मन का हाल समझने लगा था,,, इसीलिए तो वह अपनी बड़ी बहन के मन की जिज्ञासा को भांपकर अंदर ही अंदर प्रसन्न हुआ जा रहा था,,,, महुआ की बात सुनकर गुलाबी बोली,,)
अरे क्या बताऊं महुआ,,,, यह सब बात में किसी को बताती नहीं लेकिन तुझे बताना पड़ रहा है क्योंकि मजबूरी है,,,,
इसीलिए तो कह रही हूं बुआ जल्दी से बता दो,,,(अपने होठों पर कामुक मुस्कान लाते हुए महुआ बोली )
तू तो जानती ही है मैं और राजू एक ही खटिया पर सोते हैं लेकिन उस दिन से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था कि मेरे मन में राजू को लेकर गलत भावना जागी हो साथ में भले सोते थे लेकिन ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था,,, सुबह जब मेरी आंख खुली तो मैं आलस मरोडते हुए खटिया पर बैठ गई बाहर अभी भी अंधेरा था,,,कमरे में लालटेन चल रही थी और लालटेन की पीली रोशनी पूरे कमरे में जगमगा रही थीमैं सोची सुबह हो गई है तो राजू को भी चढ़ा दूं इसलिए राजू की तरफ देख कर उसे जगाने ही वाली थी कि मेरी नजर उसके लंड पर पड़ी जो कि टुवाल लपेटे होने की वजह से उसका लंड बाहर निकला हुआ था और महुआ कसम से मेरी तो हालत ही खराब हो गई,,, राजू का लंड कितना मोटा और तगड़ा और लंबा है कि पूछो मत,,, छत की तरफ टनटना कर खड़ा था सच कहूं तो महुआ,,, राजू का लंड देखते ही मेरी बुर कुलबुलाने लगी,,, इस तरह से कहने में अब मुझे तेरे सामने किसी भी प्रकार की शर्म नहीं है क्योंकि जो सच है वह सच है,,,,
(अपनी बुआ की बात सुनकर महुआ अपने मन में सोचने लगी कि राजू के पास ऐसा कैसा लंड है किसी से देखकर बुआ रिश्ते नातों को एक तरफ रख कर उसके ऊपर ही चढ़ गई,,,और उसके मन में यह ख्याल आने लगा कि गांव के सभी जवान लड़कों का लगभग उसने लंड को देखी थी और उसे अपनी बुर में ले भी चुकी थी,,, बुआ के बताए अनुसार इतना तो दमदार किसी का भी नहीं था,,, यह सब सोचकर महुआ की उत्सुकता अपने भाई के लंड को देखने के लिए बढ़ने लगी,,, कुछ देर तीनों के बीच शांति छाई रही और फिर गुलाबी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)
सच कहूं तो महुआ राजू के लंड को अपने हाथ में पकड़ने की इच्छा को मैं रोक नहीं पाई और उसे में अपना हाथ बढ़ा कर पकड़ ली राजू खाना कितना गर्म था कि लंड को पकड़ते ही उसकी गर्मी से मेरी बुर का पानी पिघलने लगा,,,
(अपनी बुआ के मुंह से इतनी गंदी बात को सुनकर महुआ के तन बदन में आग लगने लगी,,,) और उसी समय राजू की नींद खुल गई पहले तो वह एकदम से घबरा गया लेकिन सच कहूं महुआ राजू के लंड को छोड़ने की मेरी इच्छा बिल्कुल भी नहीं हो रही थी इसलिए मैं उसके लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे करके हिलाने लगी थोड़ी ही देर में राजू मेरी आंखों की भाषा को समझ गया,,, आखिरकार वह भी पूरी तरह से जवान था और आंखों ही आंखों में इशारा होते ही मैं वापस खटिया पर लेट गई और अपनी सलवार उतार कर एक तरफ फेंक दी बाहर अभी भी अंधेरा था इसलिए हम दोनों के पास समय था राजू को कुछ भी नहीं आता था और ना मुझे लेकिन इतना तो मैं जानती थी कि चुदाई कैसे होती है इसलिए मैं खुद ही अपनी टांगे फैलाकर,,, राजू के लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी बुर पर रख दिया और उसे अंदर डालकर अपनी कमर हिलाने के लिए बोली बस फिर क्या था यह सिलसिला शुरू हो गया और आज तक चालू ही है,,, मैं आज तुझे बता रही हूं महुआ मैं तुझसे बड़ी हूं सबसे पहले मेरे बदन में जवानी चिकोटि काट रही थीमेरी शादी तुझसे पहले होनी चाहिए थी लेकिन ना जाने क्यों भैया ने तेरी शादी पहले कर दी इसलिए मुझे तुझसे थोड़ी जलन होती थी लेकिन राजू के मिल जाने के बाद मुझे तेरी शादी का कोई भी अफसोस नहीं रह गया मुझे तो राजू के साथ बहुत मजा आता है,,,,
(गुलाबी सब कुछ बिना शर्माए बता दें क्योंकि वह जानती थी कि अब महुआ से शर्म करने का कोई फायदा नहीं है और उसे यकीन था कि राज के लंड के बारे में सुनकर महुआ का भी मन डोल उठेगा भले ही वह उसकी बड़ी बहन हे ,,,,, भाई बहन के रिश्तो के बीच वह पहले से ही चुदाई का सुख भोग चुकी थी इसलिए उसकी नजर में भाई बहन के रिश्ते की मर्यादाऔर पवित्रता कोई मायने नहीं रखती थी और इस बात को भी वह भली-भांति जानती थी कि जब औरत के बदन में चुदास की लहर उठती है तो वह यह नहीं देखती कि सामने वाला मर्द उसका भाई है चाचा है मामा है या बेटा है बस उसे तो अपनी प्यास बुझाने से मतलब होता है,,,, और जिस तरह की बात उसने महुआ को बताई थी पक्के तौर पर उसे यकीन था कि उसकी बुर भी पानी छोड़ रही होगी इसलिए महुआ कुछ बोलती उससे पहले ही गुलाबी अपना दांव खेलते हुए बोली,,,)
देखेगी महुआ अपने भाई के लंड को,,,, बस एक बार देख ले तेरा इरादा ना बदल जाए तो कहना,,,
(इतना सुनते ही राजू का मन प्रसन्नता से झूमने लगा उसे लगने लगा कि उसकी बहन भी अब उससे चुदने वाली है लेकिन फिर भी वह जानबूझकर आनाकानी करते हुए बोला)
नहीं नहीं बुआ ऐसा नहीं हो सकता,,, वह मेरी दीदी है मैं ऐसा नहीं कर सकता,,,
अरे बुद्धू मैं तुझे तेरी दीदी को चोदने के लिए नहीं बोल रही हूं उसे सिर्फ तेरा हथियार दिखाने के लिए बोल रही हु,,,
नहीं बुआ मुझे शर्म आ रही है,,,,
अरे पगले मेरे साथ तुझे शर्म नहीं आती मैं तो तेरी बुआ हूं ना,,,,
(गुलाबी और राज्यों के बीच की बात को सुनकर महुआ से रहा नहीं जा रहा था वह जल्द से जल्द अपने भाई के लंड को देखना चाहती थी,,,, इसलिए वह खुद ही बोली,,,)
दिखा दे राजू नहीं तो मैं तुम दोनों की करतूतें मां और बाबू जी को बता दूंगी,,,,।
(अपनी बहन की बात सुनकर राजू को बिल्कुल भी डर नहीं लगा क्योंकि वह समझ चुका था कि उसकी बहन के मन में क्या चल रहा है लेकिन फिर भी डरने का नाटक करते हुए बोला,,,)
नहीं नहीं दीदी ऐसा बिल्कुल भी मत करना मैं दिखाता हूं,,,
(इतना कहना के साथ ही राजू खड़ा हो गया और पहले से ही अपनी बुआ की गरमा गरम बातों को सुनकर उसका लंड खड़ा हो चुका था जो कि पजामे में पूरी तरह से तंबू बनाया हुआ था इस पर नजर पड़ते ही महुवा के तन बदन में सनसनी सी दौड़ने लगी अपनी बुआ की कही बात उसे सच लगने लगी,,,,खेली खाई महुआ को समझ में आ गया था कि पजामे के अंदर वाकई में गदर मचाने वाला हथियार है,,,,राजू जानबूझकर अपनी दीदी के सामने बिल्कुल भी शर्मनाक करते हुए एकदम से खड़ा हो गया था,,,, गुलाबी पास में बैठ कर मुस्कुरा रही थी,,,,, राजू गुलाबी की तरफ देखा तो गुलाबी बोली,,)
शर्मा मत दिखा दे वैसे भी तेरे जीजा तेरी दीदी की चुदाई नहीं कर पाते हैं,,, इसलिए तो तेरी दीदी प्यासी है,,,,।
(कोई और समय होता तो शायद अपनी बुआ की बात का महुआ को बहुत बुरा लगता लेकिन इस समय का हालात बिल्कुल अलग था इसलिए अपनी बुआ की बात का उसे बिल्कुल भी अफसोस नहीं हो रहा था वह तो वह तो उत्सुक थी अपने भाई के नंगे लंड को देखने के लिए,,,, और राजू भी ललाईत था अपने नंदू को अपनी बहन को दिखाने के लिए इसलिए वह पजामे को पकड़कर एक झटके में नीचे कर दिया और उसका लंड लहरा के एकदम से बाहर आ गया पहचाने से बाहर आकर झूलते हुए लंड को देखकर वाकई में महुआ की बुर से पानी गिरने लगा महुआ तो आश्चर्य से अपनी हथेली को अपने मुंह पर लगा दी,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई उसने आज तक इस तरह का लंबा तगड़ा मोटा लंड नहीं देखी थी,,,, महुआ के तन बदन में हलचल सी होने लगी और वह अपने मन में सोचने लगी कि वाकई में उसकी बुआ जो कुछ भी कह रही थी सच कह रही थी इस नाम के लंड को देखकर तो कोई भी औरत अपनी राह भटक जाए,,,, इसे अपने अंदर लेने के लिए किसी भी औरत का मन मचल जाए,,,,।)
बाप रे,,,,(महुआ एकदम आश्चर्य जनक शब्दों में बोली राजू अपनी दीदी के मुंह से यह शब्द सुनकर अंदर ही अंदर बहुत खुश होने लगा वह समझ गया था कि उसकी दीदी भी अपनी दोनों टांग उसके लिए खोलने वाली है,,,, महुआ की हालत को देखकर गुलाबी उसकी जवानी की आग में घी डालते हुए बोली,,,,)
पकड़ ले महुआ अपने भाई के लंड को,,,,,, देख क्या रही है मैं जानती हूं तू प्यासी है तेरा पति तुझे ठीक से चोद नहीं पाता इसीलिए तु मां नहीं बन पा रही है अब तो तेरे पास मौका और दस्तूर दोनों है,,,, यह राज हम तीनों के बीच ही रहेगा,,, अपने भाई से चुदवा कर अपने पांव भारी कर ले कहीं ऐसा ना हो जाएगी तेरे ससुराल वाले तेरे पति की शादी दूसरे जगा कर दे और तुझे ठोकर खाने के लिए छोड़ दें,,,,।
(गुलाबी की बातें महुआ के दिमाग पर हथौड़े की तरह बज रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसके बुआ के कहे अनुसार वास्तव में वह आप एकदम प्यासी थी और मां बनने वाली बात से वह समझ नहीं पा रही थी कि वह क्या करें क्योंकि उसके ससुराल वाले उसके पति की गलती मानने को बिल्कुल भी तैयार नहीं थे जिस तरह का रवैया उन लोगों का था उसे देखते हुए महुवा को भी लग रहा था कि कहीं उसे घर से बाहर ना निकाल दें,,,, लेकिन फिर अपने मन में सोचने लगी कि अगर अपने भाई से चुदवा कर वह गर्भवती हो गई,,तो,,, क्या होगा,,, यह बात अगर किसी को पता चल गई तो क्या होगा,,, अपने ही भाई के बच्चे की मां बनने में कैसा लगेगा,,,, फिर अपने ही सवाल का जवाब अपने आप को देते हुए वह अपने मन में सोची,,,, लोगों को पता ही नहीं चलेगा कि यह बच्चा किसका है उसका घर संसार भी बच जाएगा और एक अद्भुत सुख और तृप्ति का एहसास उसे भी मस्त कर देगा,,, काफी सोच विचार करने के बाद भगवा अपने मन में ठान ली,,,, राजू अभी भी उसी तरह से खड़ा था उसे आप अपनी बहन के सामने अपना लंड दिखाने में बिल्कुल भी शर्म महसूस नहीं हो रही थी बल्कि वह अपनी बहन की उत्तेजना को बढ़ाने के लिए खुद अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करके हिलाना शुरू कर दिया जिसे देखकर महुआ से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा अपना हाथ आगे बनाकर अपने भाई के लंड को थाम ली,,,जवानी और मर्दाना ताकत से भरे हुए राजू के लंड की गर्मी को अपनी हथेली में महसूस करते ही महुआ को वह गर्मी अपनी दोनों टांगों के बीच महसूस होने लगी और उस गर्मी को पाकर उसकी पूर्व से मदन रस पिघलने लगा,,,,, और उत्तेजना के मारे महुआ अपने भाई के लैंड को अपनी मुट्ठी में और जोर से कस ली ऐसा करने से उसके मुख से अनजाने में ही गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,।
सहहहहह आहहहहहहह राजू,,,,
लालटेन के जलते ही लालटेन की पीली रोशनी में जो दृश्य महुआ की आंखों के सामने नजर आया उसे देखते ही महुआ के होश उड़ गए उसकी आंखें फटी की फटी रह गई और वह आश्चर्य से खुला रह गया क्योंकि उसने कभी सपने में भी इस तरह के दृश्य की कल्पना नहीं की थी,,,,,,। पल भर में ही महुआ की सांसे धुकनी की तरह चलने लगी,,,उसे तो समझ में नहीं आ रहा था कि जो कुछ भी वह देख रही है वह हकीकत है या कोई सपना,,,,लालटेन की पीली रोशनी में उसे साफ नजर आ रहा था कि उसकी बुआ चटाई पर एकदम नंगी होकर पीठ के बल लेटी हुई थी और उसकी दोनों टांगें खुली हुई थी,,, टांगों के बीच उसका छोटा भाई राजू जो कि अब पूरी तरह से जवान हो चुका था वह झुका हुआ था और वह उसकी बुर में अपनी जीभ डालकर चाट रहा था,,,,,,,,।
लालटेन की रोशनी कमरे में फैलते हैं गुलाबी और राजू दोनों हक्के बक्के रह गए दोनों के होश उड़ गए दोनों की चोरी आज पकड़ी गई थी दोनों ने अपनी भावनाओं पर अपनी जवानी पर काबू नहीं कर पाए थे जिसका नतीजा यह था कि आज दोनों अपनी बुआ की आंखों के सामने काम क्रीडा में लिप्त नजर आ गए थे,,, जैसे ही लालटेन की रोशनी कमरे में पहली वैसे ही राजू की जीभ गुलाबी की गुलाबी बुर में धंसी की धंसी रह गई,,, और गुलाबी को समझते देर नहीं लगी कि कमरे में लालटेन की रोशनी किसकी वजह से हुई है क्योंकि उसके बगल वाली जगह खाली थी वह महुआ से नजर तक मिलाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी,,,, महुआ उसी तरह से आश्चर्य से भरी हुई ही बोली,,,।
यह क्या हो रहा है,,,?
(महुआ के सवाल का जवाब ना तू राजू के पास था और ना ही गुलाबी के पास क्योंकि दोनों आज रंगे हाथ पकड़े गए थे अगर कोई महुआ को उन दोनों के बारे में उन दोनों की बात बताता तो शायद यह जानकर राजु और गुलाबी अपनी तरफ से अपने बचाव में कुछ कह भी सकते थे लेकिन यहां कहने के लिए कुछ भी नहीं था,,,, राजू एक बार अपनी बहन की तरफ देखा और दूसरी बार उसकी तरफ देखने की उसकी हिम्मत नहीं हुई वह धीरे से अपना मुंह गुलाबी की बुर से हटाया और बगल में पड़ी चादर को खुद ही गुलाबी के नंगे बदन पर डाल दिया और वही सर पकड़ कर बैठ गया,,,,महुआ जान चुकी थी कि दोनों के पास कहने के लिए कोई शब्द नहीं थे इसलिए वह उन दोनों की तरफ आगे बढ़ी और दोनों को लगभग डांटते हुए बोली,,,,।)
यह सब क्या हो रहा है बुआ,,,, और वह भी राजू के साथराजू तुझे बिल्कुल भी शर्म नहीं आई इस तरह की हरकत करते हुए और वह भी अपने ही बुआ के साथ,,,,।
दीदी मैं,,,,
बस चुप हो जा मुझे कुछ नहीं सुनना तुम दोनों आपस में ही इस तरह का गलत काम कर रहे हो पवित्र रिश्ते को तार-तार कर रहे हो,,,, मैं कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि मुझे यह सब देखना पड़ेगा,,,,।
(गुलाबी तो महुआ की बात सुनकर रोने लगी थी और राजू वहीं पास में खामोश बेटा सिर्फ अपनी बड़ी दीदी की बातें सुन रहा था,,,,)
तुम दोनों को यह सब करते शर्म नहीं आई,,,,,, अगर मां और बाबू जी को पता चलेगा तो क्या होगा तुम दोनों को पता है,,,,।
(इतना सुनते ही गुलाबी झट से अपनी जगह पर उठ कर बैठ गई और महुआ का पांव पकड़ ली और बोली,,)
नहीं नहीं महुआ ऐसा बिल्कुल भी मत करना,,, नहीं तो मैं मर जाऊंगी,,,,,,।
अरे अरे यह क्या कर रही हो बुआ,,,, तुम पहले मेरा पांव छोड़ो,,,, पागल हो गई हो मेरा पैर पकड़ रही हो,,,,
(अपने पैर छुड़ाने में गुलाबी के बदन से राजू के द्वारा डाली गई चादर हट गई और उसकी नंगी चूचियां महुआ को नजर आने लगी जो कि बेहद खूबसूरत गोलाई लिए हुए थी,,,, और महुआ की खुद की चूची बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी हो गई थी क्योंकि वह लगभग गांव में शादी से पहले रोज ही लड़कों से दबवाती थी और उन्हें पिलाती भी थी,, इसलिए उसे अपनी बुआ की संतरे जैसी चूचियां आकर्षित कर रही थी,,,, महुआ की वहीं बैठ गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं लेकिन जिस तरह का नजारा उसने अपनी आंखों से देखी थी उसे देखकर उसके तन बदन में हलचल सी मच ने लगी थी वह भी उत्तेजना महसूस कर रही थी और इसी के चलते उसकी बुर से भी मदन रस टपक रहा था,,,लालटेन की पीली रोशनी में उसने साफ देखी थी कि कितने बजे लेकर उसकी बुआ उसके भाई से अपनी बुर चटवा रही थी,,,। महुआ खेली खाई जरूर थी लेकिन उसने कभी बुर चटाई का आनंद नहीं ली थी क्योंकि गांव में इत्मीनान से चोरी-छिपे चुदवाने का मजा उसने नहीं ले पाई थी बस जहां भी मौका मिलता था वहां पर अपनी सलवार खोल कर खड़ी हो जाती थी,, और चुदवा लेती थी इतना ही उसे मौका मिल पाता था और कभी-कभी केवल कमीज के ऊपर से या कम इसको थोड़ा उठाकर चूची को दबवाने का मजा ले लेती थी,,, हालांकि उसे चुची दबवाने का शुख ज्यादा मिला था लेकिन बुर पर लंड के सिवा होंठों का स्पर्श आज तक नहीं हुआ था,,,इसलिए तो इस अद्भुत दृश्य को देखकर उसके मन में भी भावनाएं जागने लगी उसकी भी इच्छा जोर करने लगी,,,,वह सिर्फ दोनों को डराना धमकाना चाहती थी ताकि उसका भी उल्लू सीधा हो सके आखिरकार शादी के बाद से वह प्यासी ही थे और एक प्यासी औरत को और क्या चाहिए था,,,, सब कुछ उसकी आंखों के सामने ही था,,, बस उसे अच्छी तरह से अपने लिए उपयोग में लाना था,,,,, कुछ देर की खामोशी के बाद महुआ बोली,,,।)
चुप रहो बुआ रोना बंद करो मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि तुम दोनों के बीच इस तरह का संबंध स्थापित हो जाएगा मुझे तो देखकर एकदम शर्म आ रही है लेकिन तुम चिंता मत करो मैं मां और बाबू जी को कुछ भी नहीं बताऊंगी,,,।
(इतना सुनते ही दोनों की आंखों में चमक आ गयी दोनों आश्चर्य से; महुआ की तरफ देखने लगी इस बात से उन दोनों को संतुष्टि थी कि महुआ उन दोनों की बात किसी को नहीं बताएगी,,,, महुआ अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली)
मैं किसी को कुछ भी नहीं बताऊंगी लेकिन मुझे यह जानना है कि तुम दोनों के बीच आखिर यह रिश्ता कैसे जन्म ले लिया,,, ऐसा तो बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए था,,,, बोलो बुआ,,,।
महुआ मैं तुझसे बड़ी हूं,,,, लेकिन मेरे से जल्दी तेरी शादी हो गई एक औरत होने के नाते तुझे भी है पता होना चाहिए कि समय आने पर औरत को मर्द की जरूरत पड़ने लगती है,,,मुझे भी ऐसा महसूस होने लगा था लेकिन मैं कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि मेरा रिश्ता अपने ही भतीजे के साथ हो जाएगा,,,,,,, लेकिन यह सब करने का मेरा इरादा बिल्कुल भी नहीं था जो कुछ भी हुआ अनजाने में ही हुआ,,, ना तो इसमें मेरी कोई गलती है और ना ही राजू की,,,
वही तो मैं पूछ रही हूं बुआ कि ऐसा कैसे हो गया क्यों तुम इतना मजबूर हो गई,,,।
(अपनी बड़ी बहन की बातों को सुनकर राजू को भी तसल्ली हो रही थी कि उन दोनों का राज,, राज ही रहेगा उसकी बड़ी दीदी ऐसा कुछ भी नहीं करेगी जिससे दोनों को शर्मिंदा होना पड़े,,,, गुलाबी भी इत्मीनान हो चुकी थी वह खुलकर बताने लगी थी वह बोली,,,)
मजबूर,,,, महुआ ,,, मेरी जगह अगर तू होती तो तेरा भी वही हाल होता जो मेरा उस समय था,,,,,,
ऐसा क्या हो गया था,,,,(महुआ उत्सुकता दिखाते हुए बोली,,)
यह पूछ क्या नहीं हुआ,,,, मेरा तो दिमाग ही घूम गया था,,,
अरे बताएगी भी या ऐसे ही पहेलियां बुझती रहेगी,,,
(राजू बड़े गौर से देने की बातों को सुन रहा था,,, जिस तरह की उत्सुकता महुआ दिखा रही थी उसे देखते हुए राजू का दिमाग घूम रहा,,, था,, गांव की बहुत सी औरतों के संगत में आकर राजू औरतों के मन का हाल समझने लगा था,,, इसीलिए तो वह अपनी बड़ी बहन के मन की जिज्ञासा को भांपकर अंदर ही अंदर प्रसन्न हुआ जा रहा था,,,, महुआ की बात सुनकर गुलाबी बोली,,)
अरे क्या बताऊं महुआ,,,, यह सब बात में किसी को बताती नहीं लेकिन तुझे बताना पड़ रहा है क्योंकि मजबूरी है,,,,
इसीलिए तो कह रही हूं बुआ जल्दी से बता दो,,,(अपने होठों पर कामुक मुस्कान लाते हुए महुआ बोली )
तू तो जानती ही है मैं और राजू एक ही खटिया पर सोते हैं लेकिन उस दिन से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था कि मेरे मन में राजू को लेकर गलत भावना जागी हो साथ में भले सोते थे लेकिन ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था,,, सुबह जब मेरी आंख खुली तो मैं आलस मरोडते हुए खटिया पर बैठ गई बाहर अभी भी अंधेरा था,,,कमरे में लालटेन चल रही थी और लालटेन की पीली रोशनी पूरे कमरे में जगमगा रही थीमैं सोची सुबह हो गई है तो राजू को भी चढ़ा दूं इसलिए राजू की तरफ देख कर उसे जगाने ही वाली थी कि मेरी नजर उसके लंड पर पड़ी जो कि टुवाल लपेटे होने की वजह से उसका लंड बाहर निकला हुआ था और महुआ कसम से मेरी तो हालत ही खराब हो गई,,, राजू का लंड कितना मोटा और तगड़ा और लंबा है कि पूछो मत,,, छत की तरफ टनटना कर खड़ा था सच कहूं तो महुआ,,, राजू का लंड देखते ही मेरी बुर कुलबुलाने लगी,,, इस तरह से कहने में अब मुझे तेरे सामने किसी भी प्रकार की शर्म नहीं है क्योंकि जो सच है वह सच है,,,,
(अपनी बुआ की बात सुनकर महुआ अपने मन में सोचने लगी कि राजू के पास ऐसा कैसा लंड है किसी से देखकर बुआ रिश्ते नातों को एक तरफ रख कर उसके ऊपर ही चढ़ गई,,,और उसके मन में यह ख्याल आने लगा कि गांव के सभी जवान लड़कों का लगभग उसने लंड को देखी थी और उसे अपनी बुर में ले भी चुकी थी,,, बुआ के बताए अनुसार इतना तो दमदार किसी का भी नहीं था,,, यह सब सोचकर महुआ की उत्सुकता अपने भाई के लंड को देखने के लिए बढ़ने लगी,,, कुछ देर तीनों के बीच शांति छाई रही और फिर गुलाबी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)
सच कहूं तो महुआ राजू के लंड को अपने हाथ में पकड़ने की इच्छा को मैं रोक नहीं पाई और उसे में अपना हाथ बढ़ा कर पकड़ ली राजू खाना कितना गर्म था कि लंड को पकड़ते ही उसकी गर्मी से मेरी बुर का पानी पिघलने लगा,,,
(अपनी बुआ के मुंह से इतनी गंदी बात को सुनकर महुआ के तन बदन में आग लगने लगी,,,) और उसी समय राजू की नींद खुल गई पहले तो वह एकदम से घबरा गया लेकिन सच कहूं महुआ राजू के लंड को छोड़ने की मेरी इच्छा बिल्कुल भी नहीं हो रही थी इसलिए मैं उसके लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे करके हिलाने लगी थोड़ी ही देर में राजू मेरी आंखों की भाषा को समझ गया,,, आखिरकार वह भी पूरी तरह से जवान था और आंखों ही आंखों में इशारा होते ही मैं वापस खटिया पर लेट गई और अपनी सलवार उतार कर एक तरफ फेंक दी बाहर अभी भी अंधेरा था इसलिए हम दोनों के पास समय था राजू को कुछ भी नहीं आता था और ना मुझे लेकिन इतना तो मैं जानती थी कि चुदाई कैसे होती है इसलिए मैं खुद ही अपनी टांगे फैलाकर,,, राजू के लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी बुर पर रख दिया और उसे अंदर डालकर अपनी कमर हिलाने के लिए बोली बस फिर क्या था यह सिलसिला शुरू हो गया और आज तक चालू ही है,,, मैं आज तुझे बता रही हूं महुआ मैं तुझसे बड़ी हूं सबसे पहले मेरे बदन में जवानी चिकोटि काट रही थीमेरी शादी तुझसे पहले होनी चाहिए थी लेकिन ना जाने क्यों भैया ने तेरी शादी पहले कर दी इसलिए मुझे तुझसे थोड़ी जलन होती थी लेकिन राजू के मिल जाने के बाद मुझे तेरी शादी का कोई भी अफसोस नहीं रह गया मुझे तो राजू के साथ बहुत मजा आता है,,,,
(गुलाबी सब कुछ बिना शर्माए बता दें क्योंकि वह जानती थी कि अब महुआ से शर्म करने का कोई फायदा नहीं है और उसे यकीन था कि राज के लंड के बारे में सुनकर महुआ का भी मन डोल उठेगा भले ही वह उसकी बड़ी बहन हे ,,,,, भाई बहन के रिश्तो के बीच वह पहले से ही चुदाई का सुख भोग चुकी थी इसलिए उसकी नजर में भाई बहन के रिश्ते की मर्यादाऔर पवित्रता कोई मायने नहीं रखती थी और इस बात को भी वह भली-भांति जानती थी कि जब औरत के बदन में चुदास की लहर उठती है तो वह यह नहीं देखती कि सामने वाला मर्द उसका भाई है चाचा है मामा है या बेटा है बस उसे तो अपनी प्यास बुझाने से मतलब होता है,,,, और जिस तरह की बात उसने महुआ को बताई थी पक्के तौर पर उसे यकीन था कि उसकी बुर भी पानी छोड़ रही होगी इसलिए महुआ कुछ बोलती उससे पहले ही गुलाबी अपना दांव खेलते हुए बोली,,,)
देखेगी महुआ अपने भाई के लंड को,,,, बस एक बार देख ले तेरा इरादा ना बदल जाए तो कहना,,,
(इतना सुनते ही राजू का मन प्रसन्नता से झूमने लगा उसे लगने लगा कि उसकी बहन भी अब उससे चुदने वाली है लेकिन फिर भी वह जानबूझकर आनाकानी करते हुए बोला)
नहीं नहीं बुआ ऐसा नहीं हो सकता,,, वह मेरी दीदी है मैं ऐसा नहीं कर सकता,,,
अरे बुद्धू मैं तुझे तेरी दीदी को चोदने के लिए नहीं बोल रही हूं उसे सिर्फ तेरा हथियार दिखाने के लिए बोल रही हु,,,
नहीं बुआ मुझे शर्म आ रही है,,,,
अरे पगले मेरे साथ तुझे शर्म नहीं आती मैं तो तेरी बुआ हूं ना,,,,
(गुलाबी और राज्यों के बीच की बात को सुनकर महुआ से रहा नहीं जा रहा था वह जल्द से जल्द अपने भाई के लंड को देखना चाहती थी,,,, इसलिए वह खुद ही बोली,,,)
दिखा दे राजू नहीं तो मैं तुम दोनों की करतूतें मां और बाबू जी को बता दूंगी,,,,।
(अपनी बहन की बात सुनकर राजू को बिल्कुल भी डर नहीं लगा क्योंकि वह समझ चुका था कि उसकी बहन के मन में क्या चल रहा है लेकिन फिर भी डरने का नाटक करते हुए बोला,,,)
नहीं नहीं दीदी ऐसा बिल्कुल भी मत करना मैं दिखाता हूं,,,
(इतना कहना के साथ ही राजू खड़ा हो गया और पहले से ही अपनी बुआ की गरमा गरम बातों को सुनकर उसका लंड खड़ा हो चुका था जो कि पजामे में पूरी तरह से तंबू बनाया हुआ था इस पर नजर पड़ते ही महुवा के तन बदन में सनसनी सी दौड़ने लगी अपनी बुआ की कही बात उसे सच लगने लगी,,,,खेली खाई महुआ को समझ में आ गया था कि पजामे के अंदर वाकई में गदर मचाने वाला हथियार है,,,,राजू जानबूझकर अपनी दीदी के सामने बिल्कुल भी शर्मनाक करते हुए एकदम से खड़ा हो गया था,,,, गुलाबी पास में बैठ कर मुस्कुरा रही थी,,,,, राजू गुलाबी की तरफ देखा तो गुलाबी बोली,,)
शर्मा मत दिखा दे वैसे भी तेरे जीजा तेरी दीदी की चुदाई नहीं कर पाते हैं,,, इसलिए तो तेरी दीदी प्यासी है,,,,।
(कोई और समय होता तो शायद अपनी बुआ की बात का महुआ को बहुत बुरा लगता लेकिन इस समय का हालात बिल्कुल अलग था इसलिए अपनी बुआ की बात का उसे बिल्कुल भी अफसोस नहीं हो रहा था वह तो वह तो उत्सुक थी अपने भाई के नंगे लंड को देखने के लिए,,,, और राजू भी ललाईत था अपने नंदू को अपनी बहन को दिखाने के लिए इसलिए वह पजामे को पकड़कर एक झटके में नीचे कर दिया और उसका लंड लहरा के एकदम से बाहर आ गया पहचाने से बाहर आकर झूलते हुए लंड को देखकर वाकई में महुआ की बुर से पानी गिरने लगा महुआ तो आश्चर्य से अपनी हथेली को अपने मुंह पर लगा दी,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई उसने आज तक इस तरह का लंबा तगड़ा मोटा लंड नहीं देखी थी,,,, महुआ के तन बदन में हलचल सी होने लगी और वह अपने मन में सोचने लगी कि वाकई में उसकी बुआ जो कुछ भी कह रही थी सच कह रही थी इस नाम के लंड को देखकर तो कोई भी औरत अपनी राह भटक जाए,,,, इसे अपने अंदर लेने के लिए किसी भी औरत का मन मचल जाए,,,,।)
बाप रे,,,,(महुआ एकदम आश्चर्य जनक शब्दों में बोली राजू अपनी दीदी के मुंह से यह शब्द सुनकर अंदर ही अंदर बहुत खुश होने लगा वह समझ गया था कि उसकी दीदी भी अपनी दोनों टांग उसके लिए खोलने वाली है,,,, महुआ की हालत को देखकर गुलाबी उसकी जवानी की आग में घी डालते हुए बोली,,,,)
पकड़ ले महुआ अपने भाई के लंड को,,,,,, देख क्या रही है मैं जानती हूं तू प्यासी है तेरा पति तुझे ठीक से चोद नहीं पाता इसीलिए तु मां नहीं बन पा रही है अब तो तेरे पास मौका और दस्तूर दोनों है,,,, यह राज हम तीनों के बीच ही रहेगा,,, अपने भाई से चुदवा कर अपने पांव भारी कर ले कहीं ऐसा ना हो जाएगी तेरे ससुराल वाले तेरे पति की शादी दूसरे जगा कर दे और तुझे ठोकर खाने के लिए छोड़ दें,,,,।
(गुलाबी की बातें महुआ के दिमाग पर हथौड़े की तरह बज रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसके बुआ के कहे अनुसार वास्तव में वह आप एकदम प्यासी थी और मां बनने वाली बात से वह समझ नहीं पा रही थी कि वह क्या करें क्योंकि उसके ससुराल वाले उसके पति की गलती मानने को बिल्कुल भी तैयार नहीं थे जिस तरह का रवैया उन लोगों का था उसे देखते हुए महुवा को भी लग रहा था कि कहीं उसे घर से बाहर ना निकाल दें,,,, लेकिन फिर अपने मन में सोचने लगी कि अगर अपने भाई से चुदवा कर वह गर्भवती हो गई,,तो,,, क्या होगा,,, यह बात अगर किसी को पता चल गई तो क्या होगा,,, अपने ही भाई के बच्चे की मां बनने में कैसा लगेगा,,,, फिर अपने ही सवाल का जवाब अपने आप को देते हुए वह अपने मन में सोची,,,, लोगों को पता ही नहीं चलेगा कि यह बच्चा किसका है उसका घर संसार भी बच जाएगा और एक अद्भुत सुख और तृप्ति का एहसास उसे भी मस्त कर देगा,,, काफी सोच विचार करने के बाद भगवा अपने मन में ठान ली,,,, राजू अभी भी उसी तरह से खड़ा था उसे आप अपनी बहन के सामने अपना लंड दिखाने में बिल्कुल भी शर्म महसूस नहीं हो रही थी बल्कि वह अपनी बहन की उत्तेजना को बढ़ाने के लिए खुद अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करके हिलाना शुरू कर दिया जिसे देखकर महुआ से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा अपना हाथ आगे बनाकर अपने भाई के लंड को थाम ली,,,जवानी और मर्दाना ताकत से भरे हुए राजू के लंड की गर्मी को अपनी हथेली में महसूस करते ही महुआ को वह गर्मी अपनी दोनों टांगों के बीच महसूस होने लगी और उस गर्मी को पाकर उसकी पूर्व से मदन रस पिघलने लगा,,,,, और उत्तेजना के मारे महुआ अपने भाई के लैंड को अपनी मुट्ठी में और जोर से कस ली ऐसा करने से उसके मुख से अनजाने में ही गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,।
सहहहहह आहहहहहहह राजू,,,,