U.and.me
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Erotic update superb....हरिया की सुबह बेहद कामुकता भरी थी,,, अपनी प्यास बुझाने के लिए उसके पास खुदका कुंवा था जिसमें से हरदम मधुर रस झरता रहता था उस रस को पाकर हरिया पूरी तरह से तृप्त हो चुका था,,, मधु को लेकर हरिया को अपनी किस्मत पर गर्व भी होता था क्योंकि,,, मधु एकदम रूपवती थी खूबसूरती में उसका मुकाबला कोई नहीं कर सकता था,,,,,,,,, और ऐसी नारी को पत्नी के रूप में पाकर और उसे भोगकर हरिया अपनी किस्मत पर फूला नहीं समा रहा था,,, रात को चांदनी में भीगी हुई बीती ही थी लेकिन सुबह सुबह ही उसकी बीवी ने चुदाई का सुख देकर चार चांद लगा दी थी,,,।
सुबह-सुबह मधु नित्य क्रिया से निपट कर रसोई में जुट गई थी और गुलाबी पूरे घर की सफाई कर रही थी,,,,,, और आंगन में हरिया खटिया पर बैठा हुआ नीम का दातुन अपने दांतो पर घीस रहा था,,, उसके ठीक सामने नीचे झुक कर गुलाबी झाड़ू लगा रही थी जिसकी वजह से ,,, जिससे उसके दोनों नारंगीया,,, कुर्ती में से बाहर की तरफ झलक रहे थे अनजाने में ही हरिया की नजर अपनी बहन के कुर्ती के अंदर तक पहुंच गई,,,, हरिया अपनी बहन की चूची को देखते ही एक दम दंग रह गया,,, गुलाबी की चुचियों का आकार नारंगी जितना ही था जिसकी वजह से उसकी चूचियों के दोनों निप्पल छुहारे की तरह नजर आ रहे थे हरिया के लिए यह पहला मौका था जब वह पहली बार अपनी बहन गुलाबी की चुचियों को देख रहा था,,। पल भर में ही उत्तेजना से गनगना गया,,,,,,,गुलाबी इस बात से पूरी तरह से बेखबर कि उसके भाई की नजर उसके कुर्ती के अंदर है वह उसी तरह से अपने में मगन होकर झाड़ू लगा रही थी,,। लेकिन हरिया अपने आप को संभाल लिया वह जानता था कि अपनी बहन की चुचियों को देखकर उसके मन में जिस तरह की भावना पैदा हो रही है वह बिल्कुल गलत है इसलिए वह अपनी नजरों को दूसरी तरफ घुमा लिया,,,,,,,,,, वाह अपना सारा ध्यान दातुन करने में लगाने लगा लेकिन नजरों के आगे बेबस होकर एक बार फिर उसकी नजर इसी तरह चली गई जहां पर उसकी बहन झाड़ू लगा रही थी और इस बार-बार झुकी हुई थी जिसकी वजह से उसकी गोलाकार गांड भरकर सलवार के बाहर नजर आ रही थी,,,,,,गुलाबी की उभरी हुई गांड गुलाबी की गदराई जवानी की निशानी थी,,, ,,, यह नजारा हरिया के होश उड़ा रहा था गुलाबी की मदहोश कर देने वाली जवानी को देख कर हरिया समझ गया था कि उसकी बहन पुरी तरह से जवान हो चुकी है,,,। शादी की उम्र निकली जा रही है ऐसे में उसे भी एक मोटे तगड़े लंड की जरूरत है जो उसकी गदराई जवानी को पूरी तरह से अपने हाथों में समेट सके उसे भरपूर प्यार दे सके उसकी जवानी को तृप्त कर सके और,,,, यह सोचकर ही हरिया का लंड खड़ा होने लगा था,,और अपने खड़े होते लंड पर गौर करते ही उसके होश उड़ गए और जैसे अपने ही बात को काटते हुए अपने मन में बोला,,,।
नहीं नहीं यह क्या सोच रहा है यह बिल्कुल गलत है,,, ऐसा सोचना भी पाप है,,,छी,,,,, ऐसी गंदी बात उसके दिमाग में आई कैसे,,,,,,,
(इस तरह की गंदी बात को सोचकर हरिया का होश उड़ गया था वह कभी सपने में भी अपनी बहन के लिए इतने गंदे विचार अपने मन में नहीं आया था लेकिन आज उसे क्या हो गया था,,,इस तरह के विचार भी अपने मन में लाने के लिए उसके संस्कार उसे गवाही नहीं दे रहे थे,,,, अपनी नजरों को कोसने लगा और तुरंत वहां से उठ कर चला गया,,,, वह हाथ में धोकर खाने के लिए भी नहीं रुका और बैलगाड़ी को लेकर सवारी ढूंढने के लिए निकल गया,,, मधु उसे रोकने की कोशिश भी की लेकिन वह जल्दबाजी में होने का बहाना करके निकल गया,,,,,।
दूसरी तरफ झाड़ू मारते समय गुलाबी के मन में भी अजीब अजीब से ख्याल आ रहे थे रात को जिस तरह की आवाज उसके कानों में पड़ती है उसके बारे में सोच कर गुलाबी की दोनों टांगों के बीच हलचल सी हो रही थी और उसे खुद अपनी बुर में से रिसाव होता हुआ महसूस हो रहा था,,,।
झाड़ू लगाते समय अपनी भाभी की तरफ देख रही थी जो कि रोटियां बेल रही थी,,,, अपनी भाभी का भोला और मासूम चेहरे को देखकर गुलाबी सोचने लगी कि,,,, क्या यह वही औरत है जो रात को अपने आप पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पाती और गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकालती है,,,,गुलाबी अपने मन में यही सोच रही थी कि उसकी भाभी के भोले भाले मुखड़े को देखकर रात में वह कैसी होगी ,,,, बिस्तर पर क्या गुल खिलाती है,,,,इसका अंदाजा नहीं लगा सकता,,,, गुलाबी को अपनी भाभी की गरमा गरम सिसकारी की आवाज बेचैन कर देती थी,,,उसे एक तरह से अपनी बातें कि इस तरह की कर्मा कर्म से शिकारियों की आवाज सुनने में मजा भी आने लगा था और वह अपने मन में ही अपनी भैया और भाभी को लेकर ना जाने कैसे-कैसे कल्पना ओ को एक नया ढांचा देती रहती थी,,,, वैसे तो उसे अपने भाई को देख कर भी ऐसा कभी नहीं लगा था कि,,, बिस्तर पर उसका भाई उसकी भाभी की चीखें निकाल देगा,,, क्योंकि उसका भाई बेहद भोला भाला और शरीफ इंसान था जो कभी भी किसी और को गलत नजरों से कभी नहीं देखा लेकिन उसकी भाभी की गरमा गरम सिसकारी और उसकी आह की आवाज गुलाबी की सोच को बदल कर रख दिया था,,,,उसे पूरा यकीन हो गया था कि उसका भाई बिस्तर पर उसकी भाभी की जवानी को नीचोड़ कर रख देता है,,,। झाड़ू लगाते हुए वह अपने मन में यह सोचने लगी कि उसके भाई का लंड कैसा होगा,,,कितना बड़ा होगा कितना मोटा होगा इस बात का अंदाजा लगाना गुलाबी के लिए बेहद मुश्किल काम था क्योंकि अब तक उसने एक जवान मर्दाना लंड को अपनी आंखों से देखी भी नहीं थी,,,, बस केवल आज ही सुबह सुबह उसकी चुभन को अपनी दोनों जांघों के बीच महसूस की थी,,, और अभी अपने भतीजे के,,,,, उस समय राजू कैलेंडर को देखने की कामना उसके मन में प्रज्वलित तो हुई थी लेकिन वह अपने आप को संभाल ले गई थी,,,,,, लेकिन इस समय उसके मन में मन मंथन सा चल रहा है वह अपने भाई की मांग को लेकर दुविधा में थे उसके आकार को उसकी लंबाई को उसकी मोटाई को लेकर पूरी तरह से दुविधा में थी,,,,,अपने मन में यही सोच रही थी कि उसके भाई का लैंड कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा लंबा होगा तभी तो उसकी भाभी की चीख निकल जाती थी,,,,,,लेकिन गुलाबी यह सोच कर हैरान थी कि उसकी भाभी को मजा आता भी होगा या नहीं क्योंकि इस बात को वह बिल्कुल भी समझ नहीं पा रही थी कि उसकी भाभी की तो चीख निकल जाती थी सिसकारी की आवाज अलग से इसी आवाज को लेकर दुविधा में थी,,,और यह सवाल और किसी से पूछ भी नहीं सकती कि अपनी भाभी से भी नहीं क्योंकि उसे बहुत शर्म आती थी,,,। वह उसी तरह से झाड़ू लगाती रही,,,,।
खाना तैयार हो चुका था,,, मुन्ना भी पड़ोस के बच्चों के साथ खेल रहा था,,, और राजू उठने के साथ ही अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिए भाग गया था,,,,,,
गुलाबी मैं नदी पर जा रही हूं नहाने और कुछ कपड़े भी धोने है,,, तुम्हारे कपड़े हो तो लाओ मुझे भी दे दो मैं उसे भी धो दूंगी,,,,(एक बाल्टी और लोटा साथ में कपड़ों का ढेर अपने हाथ में लटकाए वह जाने के लिए तैयार थी कि तभी गुलाबी भी बोली,,,)
मुझे भी नहाने चलना है भाभी रुको मैं अभी आती हूं,,,
( और थोड़ी ही देर में गुलाबी भी अपने कपड़ों को लेकर आ गई और दोनों भाभी और ननद नदी की तरफ जाने लगी,,, अक्सर गांव की औरतें नहाने के लिए नदी पर ही जाया करती थी,,,,,, और यही गुलाबी और मधु का भी नीति क्रिया थी,,,,,, मधु को राह में चलते हुए देखना भी एक मादक सुख के बराबर ही था,,, इसीलिए तो जबकि वहां नदी की तरफ जाती थी तो गांव के हर मर्दों का ताता से लग जाता था उसे चलते हुए देखने के लिए क्योंकि जब वह चलती थी तो उस की गदराई गांड की लचक गांव के मर्दों के मन में लालच सी भर देती थी,,, मधु की मटकती गांड को देखकर सब के मुंह में पानी आ जाता था,,,, और तुरंत ही पजामे में तंबू सा बन जाता था,,,गांव के मर्द बिस्तर पर अपनी बीवी के साथ अवस्था में भी उत्तेजना का अनुभव ना करते हो जितना कि मधु को चलते हुए देखकर उसकी गदराई गांड को देखकर उत्तेजित हो जाते थे उसके मांसल चिकनी कमर के कटाव को देखकर जिस तरह से कामोत्तेजना का अनुभव करते थे शायद ही उस तरह की उत्तेजना वह अपनी बीवी के साथ महसूस करते हो,,, क्योंकि मधु की बड़ी-बड़ी गोलाकार गगराई गांड को देखते ही उनके परिजनों में हलचल सी होने लगती थी और उसने तुरंत असंभव भी बन जाता था शायद मधु की चौड़ी गांड में उन्हें अपना मुंह मारने की इच्छा करती थी,,।वह लोग अपने मन में यही कल्पना करते थे कि मधु जब अपने कपड़े उतार कर नंगी होती होगी तो स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लगती होगी,,,, उसके बदन के हर एक अंग के बारे में कल्पना करते रहते थे,,,, हालांकि नजरों के पारखी कमर से बंधी हुई कसी साड़ी में से झांकते हुए उसके नितंबों के उभार को देख कर समझ जाते थे कि साड़ी के अंदर बवाल मचाने वाला सामान है,,, छातियों की चौड़ाई और उसका उभार उसकी मदमस्त कर देने वाली गोलाईयो को अपने आप ही प्रदर्शित करती थी,,, जिसे देखकर हर मर्द की आह निकल जाती थी,,,, साड़ी की किनारी जरा सी बगल में हो जाते ही बेहद आकर्षक नाभि और उसकी गहराई छोटी सी बुर से कम नहीं लगती थी,,,। जिसमे अपनी जीभ डालकर ओस की बूंद के सामान पसीने की बुंदो कि ठंडक को अपने अंदर उतारने को हर किसी का मन ललचता रहता था,,। सब मिलाकर मधु गांव के लिए स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा से कम नहीं थी जैसे भोगने की कल्पना गांव का हर एक मर्द करता रहता था और उसे याद करके उसकी मादक कल्पना में अपने आप को रचाते हुए मुट्ठ मारा करता था,,,।
सड़क पर चलते हुए मधु को भी इस बात का अहसास अच्छी तरह से था कि सभी मर्दों की नजर उस पर ही टिकी रहती थी,,, आते जाते सब की प्यासी नजर उसके अंगों पर ही टिकी रहती थी शुरु शुरु में मधु इन नजरों से बचने की पूरी कोशिश करती थी उसे शर्म महसूस होती कि उसे डर भी लगता था लेकिन धीरे-धीरे आदत सी बन गई थी,,, इसलिए वह अपनी ही मस्ती में आती जाती थी,,,।
देखते ही देखते दोनों भाभी और ननद नदी पर पहुंच गए थे,,,।
Erotic update superbहरिया की सुबह बेहद कामुकता भरी थी,,, अपनी प्यास बुझाने के लिए उसके पास खुदका कुंवा था जिसमें से हरदम मधुर रस झरता रहता था उस रस को पाकर हरिया पूरी तरह से तृप्त हो चुका था,,, मधु को लेकर हरिया को अपनी किस्मत पर गर्व भी होता था क्योंकि,,, मधु एकदम रूपवती थी खूबसूरती में उसका मुकाबला कोई नहीं कर सकता था,,,,,,,,, और ऐसी नारी को पत्नी के रूप में पाकर और उसे भोगकर हरिया अपनी किस्मत पर फूला नहीं समा रहा था,,, रात को चांदनी में भीगी हुई बीती ही थी लेकिन सुबह सुबह ही उसकी बीवी ने चुदाई का सुख देकर चार चांद लगा दी थी,,,।
सुबह-सुबह मधु नित्य क्रिया से निपट कर रसोई में जुट गई थी और गुलाबी पूरे घर की सफाई कर रही थी,,,,,, और आंगन में हरिया खटिया पर बैठा हुआ नीम का दातुन अपने दांतो पर घीस रहा था,,, उसके ठीक सामने नीचे झुक कर गुलाबी झाड़ू लगा रही थी जिसकी वजह से ,,, जिससे उसके दोनों नारंगीया,,, कुर्ती में से बाहर की तरफ झलक रहे थे अनजाने में ही हरिया की नजर अपनी बहन के कुर्ती के अंदर तक पहुंच गई,,,, हरिया अपनी बहन की चूची को देखते ही एक दम दंग रह गया,,, गुलाबी की चुचियों का आकार नारंगी जितना ही था जिसकी वजह से उसकी चूचियों के दोनों निप्पल छुहारे की तरह नजर आ रहे थे हरिया के लिए यह पहला मौका था जब वह पहली बार अपनी बहन गुलाबी की चुचियों को देख रहा था,,। पल भर में ही उत्तेजना से गनगना गया,,,,,,,गुलाबी इस बात से पूरी तरह से बेखबर कि उसके भाई की नजर उसके कुर्ती के अंदर है वह उसी तरह से अपने में मगन होकर झाड़ू लगा रही थी,,। लेकिन हरिया अपने आप को संभाल लिया वह जानता था कि अपनी बहन की चुचियों को देखकर उसके मन में जिस तरह की भावना पैदा हो रही है वह बिल्कुल गलत है इसलिए वह अपनी नजरों को दूसरी तरफ घुमा लिया,,,,,,,,,, वाह अपना सारा ध्यान दातुन करने में लगाने लगा लेकिन नजरों के आगे बेबस होकर एक बार फिर उसकी नजर इसी तरह चली गई जहां पर उसकी बहन झाड़ू लगा रही थी और इस बार-बार झुकी हुई थी जिसकी वजह से उसकी गोलाकार गांड भरकर सलवार के बाहर नजर आ रही थी,,,,,,गुलाबी की उभरी हुई गांड गुलाबी की गदराई जवानी की निशानी थी,,, ,,, यह नजारा हरिया के होश उड़ा रहा था गुलाबी की मदहोश कर देने वाली जवानी को देख कर हरिया समझ गया था कि उसकी बहन पुरी तरह से जवान हो चुकी है,,,। शादी की उम्र निकली जा रही है ऐसे में उसे भी एक मोटे तगड़े लंड की जरूरत है जो उसकी गदराई जवानी को पूरी तरह से अपने हाथों में समेट सके उसे भरपूर प्यार दे सके उसकी जवानी को तृप्त कर सके और,,,, यह सोचकर ही हरिया का लंड खड़ा होने लगा था,,और अपने खड़े होते लंड पर गौर करते ही उसके होश उड़ गए और जैसे अपने ही बात को काटते हुए अपने मन में बोला,,,।
नहीं नहीं यह क्या सोच रहा है यह बिल्कुल गलत है,,, ऐसा सोचना भी पाप है,,,छी,,,,, ऐसी गंदी बात उसके दिमाग में आई कैसे,,,,,,,
(इस तरह की गंदी बात को सोचकर हरिया का होश उड़ गया था वह कभी सपने में भी अपनी बहन के लिए इतने गंदे विचार अपने मन में नहीं आया था लेकिन आज उसे क्या हो गया था,,,इस तरह के विचार भी अपने मन में लाने के लिए उसके संस्कार उसे गवाही नहीं दे रहे थे,,,, अपनी नजरों को कोसने लगा और तुरंत वहां से उठ कर चला गया,,,, वह हाथ में धोकर खाने के लिए भी नहीं रुका और बैलगाड़ी को लेकर सवारी ढूंढने के लिए निकल गया,,, मधु उसे रोकने की कोशिश भी की लेकिन वह जल्दबाजी में होने का बहाना करके निकल गया,,,,,।
दूसरी तरफ झाड़ू मारते समय गुलाबी के मन में भी अजीब अजीब से ख्याल आ रहे थे रात को जिस तरह की आवाज उसके कानों में पड़ती है उसके बारे में सोच कर गुलाबी की दोनों टांगों के बीच हलचल सी हो रही थी और उसे खुद अपनी बुर में से रिसाव होता हुआ महसूस हो रहा था,,,।
झाड़ू लगाते समय अपनी भाभी की तरफ देख रही थी जो कि रोटियां बेल रही थी,,,, अपनी भाभी का भोला और मासूम चेहरे को देखकर गुलाबी सोचने लगी कि,,,, क्या यह वही औरत है जो रात को अपने आप पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पाती और गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकालती है,,,,गुलाबी अपने मन में यही सोच रही थी कि उसकी भाभी के भोले भाले मुखड़े को देखकर रात में वह कैसी होगी ,,,, बिस्तर पर क्या गुल खिलाती है,,,,इसका अंदाजा नहीं लगा सकता,,,, गुलाबी को अपनी भाभी की गरमा गरम सिसकारी की आवाज बेचैन कर देती थी,,,उसे एक तरह से अपनी बातें कि इस तरह की कर्मा कर्म से शिकारियों की आवाज सुनने में मजा भी आने लगा था और वह अपने मन में ही अपनी भैया और भाभी को लेकर ना जाने कैसे-कैसे कल्पना ओ को एक नया ढांचा देती रहती थी,,,, वैसे तो उसे अपने भाई को देख कर भी ऐसा कभी नहीं लगा था कि,,, बिस्तर पर उसका भाई उसकी भाभी की चीखें निकाल देगा,,, क्योंकि उसका भाई बेहद भोला भाला और शरीफ इंसान था जो कभी भी किसी और को गलत नजरों से कभी नहीं देखा लेकिन उसकी भाभी की गरमा गरम सिसकारी और उसकी आह की आवाज गुलाबी की सोच को बदल कर रख दिया था,,,,उसे पूरा यकीन हो गया था कि उसका भाई बिस्तर पर उसकी भाभी की जवानी को नीचोड़ कर रख देता है,,,। झाड़ू लगाते हुए वह अपने मन में यह सोचने लगी कि उसके भाई का लंड कैसा होगा,,,कितना बड़ा होगा कितना मोटा होगा इस बात का अंदाजा लगाना गुलाबी के लिए बेहद मुश्किल काम था क्योंकि अब तक उसने एक जवान मर्दाना लंड को अपनी आंखों से देखी भी नहीं थी,,,, बस केवल आज ही सुबह सुबह उसकी चुभन को अपनी दोनों जांघों के बीच महसूस की थी,,, और अभी अपने भतीजे के,,,,, उस समय राजू कैलेंडर को देखने की कामना उसके मन में प्रज्वलित तो हुई थी लेकिन वह अपने आप को संभाल ले गई थी,,,,,, लेकिन इस समय उसके मन में मन मंथन सा चल रहा है वह अपने भाई की मांग को लेकर दुविधा में थे उसके आकार को उसकी लंबाई को उसकी मोटाई को लेकर पूरी तरह से दुविधा में थी,,,,,अपने मन में यही सोच रही थी कि उसके भाई का लैंड कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा लंबा होगा तभी तो उसकी भाभी की चीख निकल जाती थी,,,,,,लेकिन गुलाबी यह सोच कर हैरान थी कि उसकी भाभी को मजा आता भी होगा या नहीं क्योंकि इस बात को वह बिल्कुल भी समझ नहीं पा रही थी कि उसकी भाभी की तो चीख निकल जाती थी सिसकारी की आवाज अलग से इसी आवाज को लेकर दुविधा में थी,,,और यह सवाल और किसी से पूछ भी नहीं सकती कि अपनी भाभी से भी नहीं क्योंकि उसे बहुत शर्म आती थी,,,। वह उसी तरह से झाड़ू लगाती रही,,,,।
खाना तैयार हो चुका था,,, मुन्ना भी पड़ोस के बच्चों के साथ खेल रहा था,,, और राजू उठने के साथ ही अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिए भाग गया था,,,,,,
गुलाबी मैं नदी पर जा रही हूं नहाने और कुछ कपड़े भी धोने है,,, तुम्हारे कपड़े हो तो लाओ मुझे भी दे दो मैं उसे भी धो दूंगी,,,,(एक बाल्टी और लोटा साथ में कपड़ों का ढेर अपने हाथ में लटकाए वह जाने के लिए तैयार थी कि तभी गुलाबी भी बोली,,,)
मुझे भी नहाने चलना है भाभी रुको मैं अभी आती हूं,,,
( और थोड़ी ही देर में गुलाबी भी अपने कपड़ों को लेकर आ गई और दोनों भाभी और ननद नदी की तरफ जाने लगी,,, अक्सर गांव की औरतें नहाने के लिए नदी पर ही जाया करती थी,,,,,, और यही गुलाबी और मधु का भी नीति क्रिया थी,,,,,, मधु को राह में चलते हुए देखना भी एक मादक सुख के बराबर ही था,,, इसीलिए तो जबकि वहां नदी की तरफ जाती थी तो गांव के हर मर्दों का ताता से लग जाता था उसे चलते हुए देखने के लिए क्योंकि जब वह चलती थी तो उस की गदराई गांड की लचक गांव के मर्दों के मन में लालच सी भर देती थी,,, मधु की मटकती गांड को देखकर सब के मुंह में पानी आ जाता था,,,, और तुरंत ही पजामे में तंबू सा बन जाता था,,,गांव के मर्द बिस्तर पर अपनी बीवी के साथ अवस्था में भी उत्तेजना का अनुभव ना करते हो जितना कि मधु को चलते हुए देखकर उसकी गदराई गांड को देखकर उत्तेजित हो जाते थे उसके मांसल चिकनी कमर के कटाव को देखकर जिस तरह से कामोत्तेजना का अनुभव करते थे शायद ही उस तरह की उत्तेजना वह अपनी बीवी के साथ महसूस करते हो,,, क्योंकि मधु की बड़ी-बड़ी गोलाकार गगराई गांड को देखते ही उनके परिजनों में हलचल सी होने लगती थी और उसने तुरंत असंभव भी बन जाता था शायद मधु की चौड़ी गांड में उन्हें अपना मुंह मारने की इच्छा करती थी,,।वह लोग अपने मन में यही कल्पना करते थे कि मधु जब अपने कपड़े उतार कर नंगी होती होगी तो स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लगती होगी,,,, उसके बदन के हर एक अंग के बारे में कल्पना करते रहते थे,,,, हालांकि नजरों के पारखी कमर से बंधी हुई कसी साड़ी में से झांकते हुए उसके नितंबों के उभार को देख कर समझ जाते थे कि साड़ी के अंदर बवाल मचाने वाला सामान है,,, छातियों की चौड़ाई और उसका उभार उसकी मदमस्त कर देने वाली गोलाईयो को अपने आप ही प्रदर्शित करती थी,,, जिसे देखकर हर मर्द की आह निकल जाती थी,,,, साड़ी की किनारी जरा सी बगल में हो जाते ही बेहद आकर्षक नाभि और उसकी गहराई छोटी सी बुर से कम नहीं लगती थी,,,। जिसमे अपनी जीभ डालकर ओस की बूंद के सामान पसीने की बुंदो कि ठंडक को अपने अंदर उतारने को हर किसी का मन ललचता रहता था,,। सब मिलाकर मधु गांव के लिए स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा से कम नहीं थी जैसे भोगने की कल्पना गांव का हर एक मर्द करता रहता था और उसे याद करके उसकी मादक कल्पना में अपने आप को रचाते हुए मुट्ठ मारा करता था,,,।
सड़क पर चलते हुए मधु को भी इस बात का अहसास अच्छी तरह से था कि सभी मर्दों की नजर उस पर ही टिकी रहती थी,,, आते जाते सब की प्यासी नजर उसके अंगों पर ही टिकी रहती थी शुरु शुरु में मधु इन नजरों से बचने की पूरी कोशिश करती थी उसे शर्म महसूस होती कि उसे डर भी लगता था लेकिन धीरे-धीरे आदत सी बन गई थी,,, इसलिए वह अपनी ही मस्ती में आती जाती थी,,,।
देखते ही देखते दोनों भाभी और ननद नदी पर पहुंच गए थे,,,।
Gulabi kawari he. Bhabhi se bahot se rahasyo ko janq ne ko betab. Komarya utsukh or chul bulata hi hota he. Sahi bhabhi mili he use. Irsha hona bhi lazmi he. Khilte yovan or khele khae yovan me antar to hota hi he. Maza aa gaya..मधु और मधु की ननंद गुलाबी दोनों नदी पर पहुंच चुकी थी,,,,,, गांव की नदी बहुत खूबसूरत थी 12 महीने अपनी एक ही लय में बहती रहती थी,,, चारों तरफ फैली हरियाली नदी की सुंदरता को और ज्यादा बढ़ा देती थी,,,,। बड़े बड़े घने पेड़ों पर बसर करती पंछियां अपनी मधुर आवाज से वातावरण को और ज्यादा खूबसूरत बना देती थी,,,। गांव की है नदी केवल खेती और प्यास बुझाने का साधन भर नहीं थी बल्कि,, यह नदी कामुकता के भी दर्शन कराती थी,,, गांव की औरतों का झुंड दोपहर तक इस नदी पर हमेशा बना रहता था यहीं पर औरतें कपड़े धोती थी और नहाती भी थी,,,,,, उनके बदन पर के वस्त्र नहाते समय उनकी खूबसूरती को और ज्यादा निखारते और उभारते थे,, गांव के मर्द उनके बदन के इसी उभार को देखने के लिए लालायित रहते थे और किसी ने किसी बहाने नदी पर पहुंच ही जाते थे,,,औरतों को यह बात अच्छी तरह से मालूम रहती थी लेकिन क्या करें वह लोग भी मजबूर थी कुछ औरतें शर्म महसूस करती थी और कुछ औरतें जानबूझकर अपना सब कुछ दिखाती थी,,,,,,,।
गुलाबी और मधु दोनों नदी पर पहुंचकर एक अच्छी सी जगह ढूंढने लगी और बड़े से पत्थर के पीछे होने चका भी मिल गई वहां पर दूसरी कोई औरत नहीं थी,,,।
चल गुलाबी उस पत्थर के पीछे चलते हैं,,,(मधु उंगली के इशारे से बड़े पत्थर के पीछे इशारा करते हुए बोली,,,)
हां भाभी वह जगह ठीक रहेगी ,,,( गुलाबी भी अपनी भाभी के सुर में सुर मिलाते हुए बोली,,,,,, इतना सुनते ही मधु आगे-आगे बड़े-बड़े पत्थर पर इधर-उधर पैर रखते हैं नीचे उतरने लगी और उसकी इस टेढ़ी-मेढ़ी चाल की वजह से उसकी भारी-भरकम भरावदार गांड पानी भरे गुब्बारे की तरह ऊपर नीचे होने लगी,,, जिसे देखकर मर्दों के मुंह में तो पानी आता ही था लेकिन गुलाबी के भी मन में हलचल सी मच ने लगी,,,, गुलाबी भी अपनी भाभी की बड़ी-बड़ी गांड की दीवानी थीक्योंकि एक औरत होने के नाते वह भी अच्छी तरह से यह बात जानती थी कि औरतों की खूबसूरती में उसकी गोल-गोल बड़ी गांड ही चार चांद लगाती है,,,, जो कि उसकी भाभी के पास भरपूर था,,,, आगे आगे चलती हुई अपने भाभी की मदमस्त चाल के साथ उसकी भारी-भरकम गांड की तुलना अपनी गांड से मन ही मन करने लगी जो कि किसी भी मामले में उसकी भाभी की गांड से बिल्कुल भी जोड़ नहीं मिला पा रही थी,,,,,,,,, इस बात को वह समझ नहीं पा रही थी कि आखिरकार उसकी गांड उसकी भाभी से छोटी क्यो है,,,इसका कारण उसे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था जिसका एक ही कारण था कि वह शादीशुदा नहीं थी और संभोग सुख से एकदम अनजान थी,,,, उसके बदन पर उसके अंगों परउसके मखमली कोमल अंगों के अंदरूनी दीवारों पर मर्दाना अंग की रगड़ अभी तक नहीं हुई थी,,, और अगर गुलाबी भी यह शख्स प्राप्त कर लेती तो शायद उसके बदन में भी भराव आना शुरू हो जाता क्योंकि शादी होने के बाद से ही औरतों के बदन में उनके अंगों में भराव आना शुरू हो जाता है,,,, और इसी बात से अनजान थी,,,,।
मधु बड़े सहूलियत से और सलीके से एक हाथ में कपड़ों का ढेर लिएऔर दूसरे हाथ में बाल्टी लिए होने के बावजूद भी उसी हाथ से अपनी साड़ी को कमर से पकड़ कर हल्के से उठाए हुए थी,,, जिससे उसके बदन की कामुकता और अंगों की खूबसूरती और ज्यादा पर जा रही थी उसकी गोरी गोरी चिकनी और उसकी मांसल पिंटिया साफ नजर आ रही थी जिसे देखने वाला इस समय उस जगह पर कोई भी नहीं था,,, क्योंकि वह दोनों एक बड़े पत्थर के पीछे की तरफ जा रही थी जहां पर किसी की नजर नहीं पहुंच पाती थी,,, लेकिन गुलाबी अपनी आंखों से देख कर मन ही मन अपनी भाभी से ही ईर्ष्या कर रही थी,,,,,,,,, अपनी भाभी के कदमों का पीछा करते हुए गुलाबी भी जहां जहां पर मधु कदम रख रही थी वहां वहां पर वादी कदम रखकर आगे बढ़ रही थी वह देखते देखते दोनों बड़े से पत्थर के पीछे एक सुरक्षित जगह पर पहुंच गए थे जहां पर आराम से नदी के पानी में नहाया भी जा सकता था और कपड़े भी धोया जा सकता था ,,,,,,,
मधु वहां पहुंचते ही कपड़े के ढेर को बड़े से पत्थर पर रख दी और बाल्टी को भी नीचे रख दी,,, और बोली,,,।
पहले कपड़े धोलु तब नहाऊंगी,,,(और इतना कहने के साथ ही नीचे बैठ गई,,,)
लाओ में भी मदद कर देती हूं,,,(और इतना कहकर वह भी नीचे बैठ गई,,,, दोनों भाभी और ननद गंदे कपड़ों को धोने लगे,,,,,,गुलाबी के मन में ढेर सारे सवाल पैदा हो रहे थे जो कि अपने भाभी से पूछना चाहती थी लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी क्योंकि उसने अभी तक अपनी भाभी से उस तरह के मजाक कभी नहीं की थी,,, लेकिन अब उसका मन करने लगा था कि वह भी अपनी भाभी से गंदे गंदे मजाक करें क्योंकि वह देती थी कि गांव में,,,दूसरी ननदे अपनी भाभियों से गंदे गंदे मजाक करती रहती थी,,। लेकिन शुरू कैसे किया जाए यह उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,।,,, दोनों भाभी और ननद अपनी दोनों टांगों को फैला कर उसने अपना सिर डालकर नजरें नीचे झुका कर कपड़ों को धो रही थी जिसकी वजह से मधु की खरबूजे जैसी चूचियां ब्लाउज से बाहर आने के लिए उतावली हो गई थी,,,, जिसे देखकर गुलाबी की भी हालत खराब हो रही थी,,,, गुलाबी कुछ बोलना चाहती थी लेकिन बोल नहीं पा रही थी,,,, मैं तो उसी तरह से कपड़ों को मलमल कर दो रही थी जिसकी वजह से हाथ को आगे पीछे करने की वजह से उसकी गोल-गोल चूचियां आपस में रगड़ खा रही थी,,,,। चुचियों का घेराव कुछ ज्यादा था और क्लाउड छोटा इसे देखकर गुलाबी को थोड़ा डर भी लग रहा था कि जिस तरह से उसकी दोनों चूचियां आपस में रगड़ खाकर इधर-उधर हो रही है कहीं उसकी वजह से ब्लाउज का बटन ना टूट जाए,,,,,,,, यह नजारा गुलाबी के लिए उन्माद पैदा कर रहा था,,,,,
मधु एक-एक करके धीरे-धीरे सारे कपड़ों को मलमल कर दो रही थी जिसमें गुलाबी उसका साथ दे रही थी,,,, गुलाबी की चुचियों का आकार नारंगी जितना था,,,जिसकी वजह से कपड़े धोते समय उसकी चूची के बीच जबरदस्त रगड़ हो ऐसा मुमकिन बिल्कुल भी नहीं था इसलिए उसका मन थोड़ा उदास हो जाता था,,,। और वह अपना मन मसोस कर रह जाती थी,,,,।लेकिन थोड़ी देर बाद उसे वह नजारा नजर आया जिसके बारे में वह कभी सोची भी नहीं थी,,,उसकी भाभी कपड़े धोने में इतनी ज्यादा तकलीफ हो गई थी कि अपनी साड़ी को घुटनों के ऊपर तक चढ़ा दी थी और टांगों को फैलाए होने की वजह से,,, दोपहर की कड़ी धूप की रोशनी सीधे मधु की दोनों टांगों के बीच उसकी साड़ी के अंदर तक पहुंच रही थी और जिसकी वजह से उसकी बालों वाली बुरएकदम साफ नजर आ रही थी जिस पर नजर पड़ते ही गुलाबी की आंखें चोडी हो गई,,, गुलाबी के लिए यह पहला मौका नहीं था जब वह किसी औरत की बुर को देख रही थी इससे पहले भी नहाते समय सौच करते समय अपने साथ की सहेलियों और औरतों की बुर को वह पहले भी देख चुकी है,,,लेकिन यह उसके लिए पहला मौका था जब वह अपनी ही भाभी की बुर को अपनी आंखों से देख रही थी उस पर रेशमी मखमली बालों के झुरमुट को देखकर उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी थी,,,।
गुलाबी के हाथ कपड़ों पर चलते चलते रुक गए थे वह अपनी भाभी की बुर के आकर्षण में पूरी तरह से खो चुकी थी,,,,,, एक औरत का एक औरत के प्रति आकर्षण एक अद्भुत घटना के बराबर होती है क्योंकि एक औरत एक औरत के प्रति तभी आकर्षित होती है जब उसमें कुछ ज्यादा ही खूबसूरती नजर आती हैं जो कि गुलाबी को अपनी भाभी की खूबसूरती में नजर आ रही थी वैसे तो जिस तरह की बुर उसकी भाभी की थी उसी तरह की बुर उसकी भी थी लेकिन उसकी भाभी की बुर में अजीब सा आकर्षण था,,,,।
गुलाबी अपनी भाभी की दिल तोड़ के प्रति जिस तरह से आकर्षित होते हुए अपने आपको महसूस करते हुए अपने मन में सोचने लगी कि जब उसका यह हाल है तो दूसरे मर्द इस हाल में उसकी भाभी को देखले तो उनका क्या होगा,,,, पर उसके बड़े भाई का जो कि उसका तो उसके भाभी पर पूरी तरह से हक था और वह रात में उस की चुदाई भी करता था,,,उसे समझ में आने लगा था कि इसीलिए तो उसके भैया उसकी भाभी की पूरी तरह से दीवाने हो चुके हैं तीन तीन बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसकी अपनी पूरी तरह से सुगठित और खूबसूरत थी ऐसा लगता था कि बच्चों के जन्म के बाद इस उम्र में भी उसकी खूबसूरती बढ़ती जा रही थी,,,,।
मधु का ध्यान अपनी खुली हुई टांगों पर बिल्कुल भी नहीं था और उसमें से चाहत रही उसकी बुराई तो बिल्कुल भी नहीं उसे इस बात का अंदेशा भी नहीं था कि उसका सब कुछ नजर आ रहा है,,,, गुलाबी से रहा नहीं जा रहा था और ना चाहते हुए भी वह अपनी भाभी से बोली,,,।
भाभी तुम्हारी वह नजर आ रही है,,,
क्या,,,?(मधु कपड़े धोने में इतनी तल्लीन हो गई थी कि गुलाबी की बात पर पूरी तरह से ध्यान दिए बिना ही बोली तो इस बार एक औरत होने के नाते दूसरी औरत से शर्म क्या करना इस बारे में सोचकर वह बोली),,,
भाभी तुम्हारी बुर नजर आ रही है,,,,।
(गुलाबी है शब्द एकदम शरमाते हुए बोली थी और गुलाबी के शब्दों को सुनते ही जैसे मधु को तेज झटका लगा हो और मैं तुरंत अपनी दोनों खुली हुई टांगों के बीच नजर डाली तो वास्तव में उसकी बुर साफ नजर आ रही थी वह तुरंत अपनी दोनों टांगों को सिकोड़ ली,,, यह देखकर गुलाबी हंसने लगी उसे हंसता हुआ देखकर मधु बोली,,)
हंस क्या रही हो,,, ऐसा लगता है कि जैसे तुम्हारे पास है ही नहीं,,,,
मेरे पास भी है बाद में एक तुम्हारी जितनी खूबसूरत नहीं है (गुलाबी हंसते हुए बोली,,,)
क्यों मेरे में पंख लगे हुए हैं क्या,,,?(कपड़ों को बाल्टी में डालते हुए बोली)
पंख नहीं लगे हुए हैं लेकिन तुम्हारे झांट के बाल मुझे बहुत खूबसूरत लग रहे हैं,,,,।
धत पागल हो गई है तू ,,,, जैसे मेरी है वैसे तेरी भी है कुछ अलग नहीं है,,,,(मधु मुस्कुराते हुए बोली)
नहीं भाभी तुम्हारी सबसे अलग है,,,
क्यों तू सबकी देखती रहती है क्या,,,?
देखती तो नहीं रहती हो लेकिन जिस तरह से तुम्हारी नजर आ गई है उसी तरह से दूसरों की भी नजर आए जाती है इसलिए कहती हूं कि तुम्हारी सबसे खूबसूरत है,,,
तेरी शादी हो जाएगी ना तो तेरी भी खूबसूरत हो जाएगी,,,(बचे हुए कपड़ों को बाल्टी में डालते हुए मधु बोली उसकी मुस्कुराहट उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे)
क्यों भाभी शादी होने के बाद खूबसूरत क्यों हो जाएगी,,,
अरे ये तो शादी हो जाएगी तभी पता चलेगा,,,,(मधुर बात को टालने की गरज से बोली,,,)
नहीं नहीं भाभी मुझे बताओ शादी हो जाने के बाद ही क्यों खूबसूरत हो जाएगी,,,,
धत्त तु बिल्कुल पागल इतनी बड़ी हो गई लेकिन कुछ पता ही नहीं है चल अब रहने दे मुझे नहाने दे कपड़े धुल गए हैं,,,(इतना कहने के साथ ही मधु खड़ी हो गई और चारों तरफ नजर घुमाकर यह तसल्ली करने लगी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है और पूरी तरह से तसल्ली करने के बाद अपनी साड़ी को कंधों पर से हटा कर उसे कमर से खोलने लगी,,,)
नहीं भाभी पहले बताओ वरना आज मैं नदी में जाने नहीं दूंगी,,,(इतना कहने के साथ ही गुलाबी भी खड़ी हो गई और साड़ी के पल्लू कस के अपने हाथों में पकड़ ली,,,, मैं तो उसके हाथों से अपनी साड़ी के पल्लू को छुडाते हुए बोली,,)
गुलाबी रहने दे मुझे नहाने दे देर हो रही है,,,(मधु अपनी मेहनत के हाथों से साड़ी के पल्लू को छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली)
नहीं भाभी आज तो मैं तुम्हें नहाने नहीं दूंगी जब तक तुम बताओगी नहीं,,,,,
(गुलाबी को इतना अंदाजा तो था कि उसकी भाभी किस बारे में बात करेंगे लेकिन वह अपनी भाभी के मुंह से सुनना चाहती थी इसलिए वह जिद कर रही थी उसकी भाभी भी तैश में आकर बोली,,,)
अच्छा तु नहीं मानेगी,,,
नहीं भाभी बिल्कुल भी नहीं मानूंगी,,,, शादी होने के बाद ही क्यों मेरी वह खूबसूरत हो जाएगी,,,।)
क्योंकि मेरी ननद रानी शादी के बाद जब तेरा आदमी अपना लंड तेरी बुर में डालकर चोदेगा तो खुद ब खुद तुझे समझ में आ जाएगा,,,,
( मधु एकदम खुले शब्दों में अपने ननद से बोल दी और गुलाबी अपनी भाभी की बात सुनते ही एकदम शर्मा गई,,, और उसके साड़ी के पल्लू को छोड़ दी अपनी ननद को इस तरह से शर्माता हुआ देखकर मधु मुस्कुराते हुए बोली,,,)
अब समझ में आया तुझे कि मेरी बुर ईतनी खूबसूरत क्यों हो गई है,,,,(साड़ी को पूरी तरह से खोलकर नीचे पत्थर पर रखते हुए बोली,,, अपनी भाभी की बातें सुनकर गुलाबी को शर्म महसूस हो रही थी लेकिन अपनी भाभी की बात ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर को पैदा कर रही थी उसे अपनी दोनों टांगों के बीच कुछ कुछ होता हुआ महसूस हो रहा था,,,।मधु की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और उसका शर्म थोड़ा-थोड़ा खुलते जा रहा था इसलिए वह भी बोली,,,)
मतलब भैया तुम्हारी बुर में रोज अपना लंड डालते हैं तभी इतनी खूबसूरत हो गई है,,,,(इतना बोलने में गुलाबी शर्म से पानी पानी हो गई थी लेकिन इतना बोलने में जो सुख उसे प्राप्त हुआ था शायद ही कोई बात कोई शब्द बोलने में उसे इतना मजा आया था मधुर भी हैरान थी अपनी ननद के मुंह से इस तरह से खुली बातें सुनकर फिर भी हंसने लगी क्योंकि वह जानती थी गुलाबी शादी लायक हो चुकी है बस शादी करने की देरी है इसलिए उसके मन में भी इस तरह की बातें भावनाएं उमड रही होगी,,,,,इसलिए अपनी मेहनत किस तरह की बातें सुनकर उसका जवाब देते हुए मधु मुस्कुरा कर बोली,,,)
डालेंगे ही ना शादी करके लाए हैं यही तो करने के लिए लाए हैं,,,रोज रात को मेरी बुर में लंड डाल देते है और चोदना शुरू कर देते हैं,,,,(मधु के चेहरे पर यह गंदी बात बोलते हुए शर्म की लाली अपनी लालिमा भी कह रही थी उसका मुखड़ा और खूबसूरत लग रहा था और वह अपना ब्लाउज और पेटीकोट उतारे बिना नदी के पानी में धीरे धीरे उतरने लगी और पीछे पीछे गुलाबी लेकिन वह ना तो अपनी सलवार उतारी थी ना ही कुर्ती ऐसे ही नदी में उतर रही थी,, अपनी भाभी की बात सुनकर गुलाबी बोली,,,)
अच्छा,,,तभी मैं सोचूं कि तुम्हारे कमरे से अजीब अजीब सी आवाजें क्यों आती है भैया तुम्हारी बुर में लंड डालकर चोदते हुए फिर कभी तुम्हारे मुंह से आवाज निकलती है,,,
(इतना कहते हुए गुलाबी के दिल की धड़कन एकदम से बढ़ गई थी और इस तरह की बातों को सुनकर मत हो एकदम से शर्मा गई थी और शरमाते हुए बोली,,,)
तु लगता है यहीं सब आवाज सुनती रहती है,,,,(मधु पूरी तरह से नदी में उतर चुकी थी,,, उसका पेटीकोट पानी की सतह के एग्जाम उत्तर गुब्बारे की तरह फुल कर उड़ने जैसा हो गया था जिसे मधु अपने दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे पानी में डालते हुए बोली,,,,)
मैं जानबूझकर तो सुनती नहीं हुं,,, आवाज आती है तो कानो में रुई तो ठुंस नहीं लूंगी,,,,(इतना कहते हुए वह नदी के पानी को अपने हाथों से ही अपने ऊपर डालने लगी,,, और मधु भी अपने उपर पानी डालने लगी,,, देखते ही देखते गुलाबी के साथ-साथ मधु का ब्लाउज भी पूरी तरह से भी गया और उसके बदन से एकदम से चिपक गया जिसकी वजह से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां का आकार एकदम साफ चलकने लगा और उसकी कड़ी कड़ी निप्पल कीसी भाले की नोक की तरह ब्लाउज को फाड़ कर बाहर आने के लिए आतुर होने लगी,,, क्योंकि गुलाबी को साफ नजर आ रहा था अपनी भाभी की विशाल छातियों को देखकर गुलाबी मुंह में पानी लाते हुए बोली,,,।
हाय भाभी तुम्हारी उसने आज तक कितनी बड़ी-बड़ी है मेरी तो कितनी छोटी है तुम्हारी एकदम खरबूजे जैसी है मेरी तो एकदम संतरे की तरह है,,,,,
मैं कह रही हूं चिंता मत कर तेरी शादी जब हो जाएगी ना तो तेरा आदमी जब जोर जोर से दबाएगा उसे मुंह में भरकर पिएगा तो यह भी बड़ी हो जाएगी,,,,
(मधु एक नजर अपनी चुचियों की तरफ डालकर गुलाबी को तसल्ली देते हुए बोली)
धत् भाभी तुम तो हमेशा,,,,
अरे हमेशा क्या सच कह रही हूं मैं भी जब शादी करके आई थी तो,,,मेरी चूचियां भी तेरे जैसी ही थी छोटी छोटी लेकिन तेरा भैया इसे दबा दबा कर एकदम खरबूजे जैसी बड़ी कर दीए है तभी तो इनकी खूबसूरती और ज्यादा बढ़ गई है,,, सच कहूं तो औरतों की खूबसूरती बड़ी-बड़ी चुचीयां और बड़ी-बड़ी गांड से ही होती है,,,,।
(मधु मजाक ही मजाक में गुलाबी को औरतों के बदन की सच्चाई बता रही थी जो कि यह सच भी था,,,, अपनी भाभी की बातें सुनकर गुलाबी बोली,,)
क्या तुम सच कह रही हो भाभी,,,?
हा रे में एक दम सच कह रही हूं देखना जब तेरी शादी हो जाएगी ना तो तेरे बदन में भी भराव आना शुरू हो जाएगा तेरी छोटी छोटी चूचियां बड़ी हो जाएंगी तेरी गांड भी बड़ी हो जाएगी और तेरी बुर भी एकदम खूबसूरत हो जाएगी तब देखना तेरी खूबसूरती में चार चांद लग जाएंगे बस एक बार शादी हो जाने दो,,,,,,,
(शादी वाली बात सुनकर गुलाबी अपनी शादी के बारे में सोचने लगी क्योंकि वह भी यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि शादी के बाद औरतों की जिंदगी बिस्तर पर और ज्यादा खूबसूरत हो जाती है,,,एक मर्द के हाथों में उनका खूबसूरत बदन आकर और भी ज्यादा खिल उठता है,,,, देखते देखते दोनों भाभी और ननद नहा चुके थे और नदी से बाहर आ गए थे,,,,,
मधु बड़े से पत्थर के पीछे खड़ी होकर,,,अपनी ब्लाउज के बटन खोलने लगी और अपने ब्लाउस को पूरी तरह से उतारती है इससे पहले ही पेटीकोट को अपने सर के ऊपर से डालकर अपने बदन को ढकने लगेगा और ढकने के बाद अपने ब्लाउज के साथ-साथ अपने पेटिकोट की डोरी खोल कर उसे भी नीचे अपने पैरों के सहारे से उतार दी,,, पेटिकोट के अंदर वह पूरी तरह से नंगी थी गुलाबी भी इसी तरह से एक एक कर के अपने सारे कपड़े उतारती थी लेकिन पूरे कपड़े उतारने से पहले अपनी कुर्ती पहली थी जो कि उसके कमर के नीचे तक आती थी,,,, लेकिन कुर्ती को अपनी कमर से नीचे करते समय इसकी गोरी गोरी सुडोल चिकनी गांड को देखकर बोली,,,)
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गुलाबी तेरी गांड तो अभी से इतनी खूबसूरत है जब तु अपने आदमी से चुदवाएगी और तेरी गांड ओर बड़ी होगी तब तो तू एकदम क़यामत लगेगी,,,।
(अपनी भाभी की बात सुनते ही गुलाबी एकदम से शर्मा गई
तब तक मधु अपने कपड़े बदल चुकी थी,,,, और धुले हुए कपड़े को समेटने लगी थी,,,,,,अपनी भाभी की बात सुनकर गुलाबी कुछ बोले नहीं थी बस मुस्कुराते हुए अपने उतारे हुए कपड़े और अपनी भाभी को उतारे कपड़े को धोने लगी और थोड़ी देर बाद सारे कपड़ों को इकट्ठा करके बाल्टी और लौटे को लेकर घर की तरफ निकल गई,,)
super hot update. maja aa gayaमहुआ शादी के बाद से एकदम प्यासी थी,,, और रात को अनजाने में ही अपनी आंखों से जो नजारा उसने देखी थी,,, उसे देखकर वह पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी,,, उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था अपनी बुआ के कहने पर उसने अपनी आंखों से अपने छोटे भाई के लंड क
को देखकर पूरी तरह से मस्त हो गई उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि किसी का लंड ईतना मोटा लंबा और तगड़ा होता है इसलिए उसे छूने की अपनी लालच को वह दबा नहीं पाई अपनी बुआ के कहने पर वह अपना हाथ बढ़ा कर अपने भाई के लंड को अपनी मुट्ठी में दबा ली,,, लंड की मोटाई और गरम महसूस करते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौडने लगी और साथ ही लंड की गर्मी पाकर उसकी बुर से मदन रस पिघलने लगा,,,,,।
यह बेहद अद्भुत नजारा था जिसके बारे में तीनों में से किसी ने भी कल्पना नहीं किया था वैसे तो सब कुछ कल्पना से परे यह होता जा रहा था लेकिन इस समय कमरे का नजारा जो बना हुआ था वह बेहद कामोत्तेजना से भरा हुआ था,,, गुलाबी जो की पूरी नंगी थी वह बैठी हुई थी और राजू अपने पजामे को घुटनो तक नीचे करके अपने खाने लंड को अपनी बहन को दिखा रहा था और उसकी बहन बिल्कुल भी सोच विचार किया दिलाई अपना हाथ बढ़ा कर उसके लंड को पकड़े हुए थे,,,, उत्तेजना के मारे महुआ के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी थी वह पल भर में ही शादी के पहले के सारे दृश्य को याद करने लगी उसने गांव के लगभग लगभग सभी लड़कों से चुदाई का आनंद लूटी थी लेकिन जिस तरह का लंड उसके भाई का था उस तरह की लंड से वह कभी भी मुखातिब नहीं हो पाई थी इसलिए तो अपने भाई के लंड को पकड़ कर वह पूरी तरह से मचल उठी थी उसकी गरमा गरम सिसकारी की आवाज सुनकर हमको गुलाबी बोली,,,।
क्यों रे महुआ क्या हुआ,,, निकल गई ना तेरी सिसकारी,,,, जब तेरा यह हाल है तो सोच मेरा क्या हुआ होगा,,,,मुझे पूरा यकीन है कि तेरा भी मन इसे अपनी बुर में लेकर चुदवाने को कर रहा होगा,,,,।
(गुलाबी की बातों को सुनकर एक तरफ राजू पूरी तरह से मस्ती से सराबोर हुआ जा रहा था क्योंकि एक तरह से उसकी बुआ उसका ही काम कर रही थी,,, और दूसरी तरफ गुलाबी की बात को सुनकर महुवा हक्की बककी हो गई थी,,, क्योंकि सीधे-सीधे उसकी बुआ उसे अपने भाई से ही चुदवाने के लिए बोल रही थी,, उत्तेजना के मारे महुआ का गला सूखता चला जा रहा था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था जो कुछ भी उसकी बुआ कह रही थी उसमें उसकी ही भलाई थी,, लेकिन उसे शर्म भी आ रही थी क्योंकि आज तक उसने किसी रिश्ते के बीच अवैध संबंध को ना तो देखी थी और ना ही उसके बारे में कभी सुनी थी इसीलिए अपने भाई के साथ शारीरिक संबंध बनाने में उसे अजीब लग रहा था,,, राजू अपनी बुआ की बात सुनकर अपनी बड़ी दीदी के जवाब का इंतजार कर रहा था और उसे पक्के तौर पर मालूम था कि जिस तरह से उसकी बहन ने उसके लंड को पकड़ कर अपने आप पर काबू न कर पाने कि सूरत में उसके मुख से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी थी उसे देखते हुए उसे समझ में आ गया था कि उसकी बहन की दोनों टांगें उसके लिए जरूर खुलेगी,,,,,, वह कुछ बोल नहीं रहा था बस स भरी नजर से अपनी बुआ और अपनी दीदी को देख रहा था महुआ को समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या बोलेवह कभी गुलाबी को तो कभी अपने भाई राजू को देख रही थी लेकिन हाथ में अभी भी राजू का लंड पकड़े हुए थे जिससे वह धीरे-धीरे करके हिला रही थी,,, उसे इस तरह से विचार मग्न देखकर गुलाबी फिर बोली,,,।)
क्या सोच रही है रे किसी को कानों कान खबर तक नहीं पड़ेगी तेरा काम भी बन जाएगा और तेरी प्यास भी बुझ जाएगी जानती हो ना ससुराल में बच्चे ना होने से कितने ताने सुनना पड़ता है और तो और ससुराल वाले कहीं तुझे घर से निकाल दिया तब तू क्या करेगी,,,।
(महुआ के लिए उसकी बुआ की बातें सोचने पर मजबूर कर दी थी उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह ऐसा दिन भी देखेगी अपने भाई के बारे में तो इस तरह कि उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी भले ही वह बेहद कामुक लड़की होने के साथ-साथ गांव के लड़कों से चुदाई का सुख प्राप्त कर चुकी थी लेकिन अपने भाई के बारे में कभी भी वह गलत नहीं सोची थी लेकिन आज कमरे में अपने भाई के लंड को पकड़कर और पूरी तरह से मचल उठी थी उसे अपनी बुर में लेने के लिए,,,। लंड की गर्मी उसे मदहोश कर रही थी वह अपनी बुआ की तरफ देख कर बोली,,,)
लेकिन बुआ यह मेरा छोटा भाई है,,,
मेरा भी तो भतीजा है,,, लेकिन मैंने तो रिश्ते नाते नहीं देखी अरे पगली जब बुर में आग लगी होती है ना तो बुर भाई बाप नहीं देखती बस देखती है तो उनका लंड क्योंकि उनकी बुर में जाकर उनकी प्यास बुझा सके और मैं दावे के साथ कह सकते हो कि तेरी प्यास को तृप्त करने वाला इस समय से तेरा भाई नहीं है जो तुझे चोद कर तुझे तृप्त भी करेगा और तुझे पेट से भी करेगा ताकि तू अपने ससुराल में सर उठाकर जी सकें,,,,,,,।
(गुलाबी की बातें महुआ को 100 फ़ीसदी सच लग रही थी जो कुछ भी महुआ अपने कानों से सुन रही थी उसमें उसका ही फायदा था आखिरकार वा उसकी बुआ थी कोई गैर तो थी नहीं और वैसे भी अपनी बुआ की बात ना मानती तो भी महुआ का मन अपने भाई से चुदवाने के लिए मचल उठाना,,, फिर भी वह थोड़ी देर खामोश रहने के बाद बोली,,,)
राजू को तो एतराज होगा ना,,,,
अरे तू कैसी बातें कर रही पगली भला राजू को इसमें कौन सा एतराज होगा उसके तो मजे ही मजे हैं एक और वह उसे चोदने को मिल जाएगी,,, और अपने मजे के साथ साथ वह तेरा दुख भी दूर कर देगा,,, क्यों राजू तुझे कोई ऐतराज है,,,(राजू की तरफ देखते हुए गुलाबी बोली,,, राजू की उत्तेजना बढ़ती जा रही क्योंकि अब वह अपनी बहन की चुदाई करने वाला था इसलिए बिना जवाब दिए ही वह,,, अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बहन की छाती पर से उसके साड़ी का पल्लू पकड़ कर नीचे गिरा दिया और उसकी आंखों के सामने उसकी बड़ी बहन की भारी-भरकम चूचियां जोकि ब्लाउज में कह दी थी वह पूरी तरह से अपना आकर्षण जमाने लगे ब्लाउज का ऊपर का एक बटन खुला हुआ था जिसकी वजह से उसकी भारी-भरकम खरबूजे जैसी चूचियां बाहर को निकलने को तैयार थी,,,, इस हरकत से महुआ एकदम शर्म से लाल हो गई क्योंकि उसके भाई ने बिना कुछ बोले ही उसकी जवानी पर से पर्दा हटा दिया था शर्मा कर महुआ ने अपनी नजरों को नीचे झुका ली,,, लेकिन अभी भी उसके हाथ में राजू का लंड था,,, राजू की हरकत देखते हुए गुलाबी बोली,,,)
देखी मेरी महुआ रानी तेरे भाई को कोई एतराज नहीं है उसे तो बस बुर से मतलब है और बुर बुआ की हो या बड़ी दीदी की,,, इसे अगर मौका मिले तो यह तो तेरी मां की भी जुदाई कर दे,,,,(अपनी बुआ की यह बात सुनकर राजू अपनी बुआ की तरफ देख कर मुस्कुराने लगी और अपनी बुआ की बात और राजू का मुस्कुराता हुआ देखकर महुआ शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी उसे समझ में आ रहा था कि उसका छोटा भाई कितना बदल चुका है और उसे बदलने में उसकी बुआ का पूरा हाथ है,,,, इन सब बातों का इस समय कोई मायने नहीं था इस बात को वह भी अच्छी तरह से जानती थी वह भी 2 साल से प्यासी थी इसलिए आज अपने भाई के मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर में लेकर अपनी प्यास बुझाना चाहती थी जिसके लिए वह पूरी तरह से लालायित भी थी,,,वह अपने मन में यही सब सोच रही थी कि राजू अपनी हरकत को आगे बढ़ाते हुए ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया था,,,,,,अपनी बहन की चूची को ब्लाउज के ऊपर से ही अपने हाथ में लेते ही राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी अपनी बहन के बारे में उसने आज तक कभी इस तरह की भावना नहीं रखा था और वह भी शायद इसलिए कि उसकी बहन 2 साल पहले ही शादी करके अपने ससुराल जा चुकी थी और उस समय का राजू मैं और इस समय के राजु में जमीन आसमान का फर्क था ,,,, अगर इस समय महुआ का विवाह ना हुआ होता तो शायद राजू अब तक अपनी बड़ी दीदी को कब से चोद चुका होता,, जब वह अपनी मां को चोदने की लालसा में पूरी तरह से जल रहा था तब तो उसकी बहन खुद ही पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थी ऐसे में वह अपनी बहन को जरूर चोदता,,,,,,, क्योंकि राजू अधिकतर औरतों की बड़ी-बड़ी कौन-कौन गांड से आकर्षित होता था और महुआ की गांड तो बवाल थी,,, उसकी गोल-गोल साड़ी में कसी हुई बड़ी बड़ी गांड देखकर,,, राजू का मन जरूर उसके ऊपर मोहित हो गया होता,,,, वैसे भी राजू की मुलाकात उसकी बहन से शाम ढलने के बाद हुई थी अंधेरे में वह अपनी बहन को ठीक से देख नहीं पा रहा था लेकिन इस समय लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था पहली बार वह अपनी बहन की बड़ी बड़ी चूचीयो पर नजर गड़ाया हुआ था जिसे वो खुद अपने हाथों में लेकर जोर जोर से दबा रहा था,,,, महुवाअपने भाई के हथेलियों की ताकत को देखकर रोमांचित हुए जा रही थी क्योंकि उसे इतनी सही समझ में आ गया था कि उसका भाई रात भर उसको रगड़ कर चोदेगा,,, और यही तो वह चाहती थी,,,,,,।
लालटेन की पीली रोशनी में राजू अपनी बहन की मदमस्त कर देने वाली जवानी को अपनी आंखों से देख कर पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था और इसी मदहोशी का कसर वह अपनी बहन की चूची पर उतार रहा था,,,जिसे वो ब्लाउज के ऊपर से ही जोर जोर से दबाता हुआ अपनी बहन की गरमा गरम संस्कारी निकाल रहा था,,, उत्तेजित होते हुए महुआ अपनी बुर से पानी छोड़ रही थी,,,,,, और राजू अपनी बहन की चूची दबाता हुआ मस्त होकर बोला,,,।
सहहहह आहहहहह,,, क्या मस्त चूचियां है दीदी,,,,
(राजू की बात सुनकर गुलाबी बोली,,,)
देखी महुआ रानी तेरे भाई की बेशर्मी और तुझे लगता था कि तेरा भाई तुझे चोदने के लिए तैयार नहीं होगा अरे तूने अभी इसकी बेशर्मी देखी कहां है देखना एक बार जब तेरी बुर में लंड जाएगा ना तो तेरी ऐसी चुदाई करेगा कि तू पानी मांगने लगेगी,,,,,,
(अपनी बुआ की बात सुनकर गुलाबी पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी उससे कुछ बोला नहीं जा रहा था हम अपने बाल की हरकत से पूरी तरह से हैरान थी कि उसके भाई में जरा भी शर्म लिहाज नहीं रह गया था पहली बार में ही वह अपनी बहन के साथ बिना शर्मा इस तरह की हरकत कर रहा था इस बात से महुआ पूरी तरह से हैरान भी थी और आनंदित भी हो रही थी,,,,)
हाय दीदी तेरी चूचियां ब्लाउज में जब इतनी कसी हुई है तो नंगी कितनी मस्त लगती होगी,,,, रुक दीदी मैं तेरा ब्लाउज उतारता हूं,,,।
(महुआ की तो सांसे ऊपर नीचे हो रही थी इतनी भाई की बातों को सुनकर और वह भी बेहद गंदी,,,, शर्म से और उत्तेजना से महुआ की टांगें थरथरा रही थी क्योंकि बिना उसका जवाब सुने ही राजू अपनी ऊंगलीयो को हरकत मे लाते हुए उसके ब्लाउज के बटन खोलना शुरू कर दिया था जैसे-जैसे बटन खुलता जा रहा था वैसे वैसे महुआ की सांसे ऊपर नीचे होती जा रही थी और देखते-देखते राजू अपनी बहन के ब्लाउज का आखिरी बटन खोल दिया उत्तेजना के मारे और इस बात के एहसास से की अब उसकी चूचियां उसके भाई की आंखों के सामने एकदम नंगी हो जाएंगी और वह इस अहसास से पूरी तरह से उत्तेजित हो गई और अपने भाई के लंड को कस कर अपनी मुट्ठी में दबोच ली,,, वह इतनी कसकर लंड को मुट्ठी में दबाई थी कि राजू की चीख निकलने वाली थी लेकिन वह अपने बहन के सामने पहली बार में ही कमजोर नहीं देखना चाहता था इसलिए अपने लंड के दर्द को वह अपनी बहन की चूची को देखने की खुशी में पी गया था,,, और ब्लाउज केखुलते ही जो नजारा उसकी आंखों के सामने दिखाई दिया उसे देखकर उसका मुंह खुला का खुला रह गया,,,,।
Mahua ki badi badi chuchiyo ko dabata hua raju
महुआ की बड़ी-बड़ी और गोल-गोल चुचियां एकदम आकर्षक लग रही थी और वह भी तनी हुई,,, बड़ी होने के बावजूद भी चुचियों में जरा सा भी लचक पन नहीं था,,, अपनी बड़ी बहन की चूची को देखते ही राजू के मुंह में पानी आ गया राजू अपनी बहन की चूची को देखता ही रह गया और यह देखकर कि उसका छोटा भाई उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को प्यासी नजरों से देख रहा है महुआ की आंखें शर्म से झुक गई उसके तन बदन में खलबली सी मचने लगी,,, महुआ गांव के बहुत से लड़कों के साथ चुदाई का खेल खेल चुकी थी,,। लेकिन इस तरह से किसी भी लड़की के सामने शर्म से पानी पानी नहीं हुई थी लेकिन अपने भाई के सामने उसे बहुत शर्म आ रही थीक्योंकि चाहे कुछ भी हो रिश्ते से तो वह उसका छोटा भाई ही था इसलिए महुआ के गाल शर्म से लाल हुए जा रहे थे और दूसरी तरफ राजू एकदम बेशर्म बनता हुआ अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाया और अपनी बहन की छाती को दबाना शुरू कर दिया,,,, पल भर में ही महुआ के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,, राजू की हरकतों से महुआ बहुत ही जल्द गर्म होने लगी थी दूसरी तरफ गुलाबी मुस्कुराते हुए दोनों की हरकत को देख रही थी,,, दोनों खड़े थे और गुलाबी घुटनों के बल बैठ गई थी वह अपने ऊपर से चादर को पूरी तरह से हटा चुकी थी कमरे में इस समय गुलाबी ही पूरी तरह से नंगी थी बाकी महुआ अर्धनग्न अवस्था में थी,,, और राजू के बदन पर अभी भी उसके सारे वस्त्र थे,,,, महुआ की गरम सिसकारी की आवाज सुनकर गुलाबी बोली,,,।
देखी ना मेरी रानी तेरी हालत खराब होने लगी ना,,,, अरे तेरा भाई है ही ऐसा किसी भी औरत का पानी निकाल दे,,,,
(इतना कहते हुए गुलाबी खुद ही अपनी नारंगी यों को जोर जोर से दबा रही थी,,,,अपनी बहन की बड़ी बड़ी चूची को दबाते हुए राजू अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी बुआ उसकी बड़ी दीदी से बड़ी होने के बावजूद भी उसकी चूची नारंगी की तरह छोटी थी लेकिन उसकी दीदी की चूची बड़ी-बड़ी थी,,,, जो कि यह बात राजू बिल्कुल भी नहीं जानता था कि उसकी बहन गांव के लड़कों से अपनी चूची दबवा दबवा कर बड़ी कर दी है,,,, अपनी बुआ की बातें सुनकर महुआ कुछ भी बोल नहीं रही थी क्योंकि गुलाबी के कहे अनुसार ही उसकी भी हालत खराब हो रही थी उसकी आंखों में मदहोशी छाने लगी थी होठ हल्के खुले हुए थे,,,, और वह गहरी गहरी सांस ले रही थी और राजू,,, अपनी बड़ी दीदी की चुचियों को दशहरी आम की तरह जोर जोर से दबा रहा था,,,, और अपनी बहन की खूबसूरत चेहरे की तरफ देख रहा था जिसके बदलते हाव-भाव को देखकर समझ गया था कि उसकी हरकत से उसकी बहन को बहुत मजा आ रहा है और उसके मजा को और ज्यादा बढ़ाने के लिए राजू अपने दोनों हाथों को अपनी बहन की चूची पर से हटा कर उसकी कमर पर रखती है और कमर को जोर से पकड़ कर अपनी तरफ एक झटके से खींच लिया,,,, उसकी बहन आह की आवाज के साथ एकदम से उसकी बाहों में आ गई और वह कुछ समझ पाती इससे पहले ही राजू अपनी प्यासी होठों को अपनी बहन की चूची के कड़क खजूर पर रखकर उस का रस चूसना शुरू कर दिया इस हरकत से महुआ पूरी तरह से तिलमिला उठी उसके बदन में उत्तेजना का तूफान उठने लगा और वह अपने भाई के सर पर हाथ रख कर उसे अपनी चूची पर दबाना शुरू कर दिया महुआ की हालत को देखकर गुलाबी बहुत खुश हो रही थी,,, क्योकी वह अब समझ चुकी थी,की उसका राज अब राज ही रहने वाला है,,,,, ।
राजू पागलों की तरह अपनी बहन की चूची को पकड़े बिना ही बारी-बारी से अपने होठों को अपनी बहन की दोनों चुचियों पर रखकर उसे चूस रहा था और दोनों हाथ को जो कि कमर पर थे उन्हें थोड़ा सा नीचे ले जाकर अपनी बहन की बड़ी बड़ी गांड को पकड़कर दबा रहा था,,,,अपनी बहन की गांड पर हाथ रखते ही उसे अब जाकर इस बात का एहसास हुआ कि उसकी बहन की गांड भी बड़ी-बड़ी है क्योंकि वह अपनी बहन को रात के अंधेरे में ठीक से देख नहीं पाया था लेकिन यहां कमरे में लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,, अपनी बहन की बड़ी-बड़ी कांड दबाने में राजू को बहुत मजा आ रहा था,,,, दूसरी तरफ महुआ अपने भाई की हरकत से पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी उसे यकीन ही नहीं हो रहा था,,,की उसका छोटा भाई उसे इस तरह से मजा दे रहा है क्योंकि उसे अपने भाई से इस तरह की उम्मीद ही नहीं थी लेकिन आज उस एहसास हो रहा था कि उसका भाई पूरी तरह से मर्द हो चुका है,,,,महुआ के मुंह से लगातार गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकल रही थी,,,, गुलाबी के तन बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,, गुलाबी घुटनों के बल आगे बढ़ते हुए राजू के करीब पहुंच गई और घुटनों पर अटका हुआ पजामे को पकड़कर उसे उतारना शुरू कर दी और देखते ही देखते राजू कि अपने पैरों का सहारा देकर अपने पजामे को निकाल कर एक तरफ कर दिया,,, अब वह कमर के नीचे पूरी तरह से नंगा था उसका लंड पूरी तरह से टनटनाकर अपनी औकात में आ चुका था,,,, यह शायद राजू के लिए अपनी बहन की जवानी का नशा ही था जो उसके लंड का कड़क पन कुछ ज्यादा ही बढ़ चुका था,,,,
,,महुआ की गरमा गरम सिसकारी की आवाज सुनकर गुलाबी से भी रहा नहीं जा रहा था और वह राजू के लंड को पकड़ कर उसे सीधा अपने मुंह में डालकर चूसना शुरू कर दी,,,, यह देखकर महुआ के तन बदन में आग लग गई महुआ की सांसे ऊपर नीचे होने लगी इतने मोटे तगड़े लंड को गुलाबी बड़े आराम से अपने मुंह में लेकर चूस रही थी,,, यह देखकर महुआ को समझते देर नहीं लगी कि शादीशुदा ना होने के बावजूद भी उसकी बुआ जवानी का पूरा मजा लूट रही थी और वह शादीशुदा होने के बावजूद भी बिस्तर में सिर्फ करवट बदलकर तड़प रही थी,,,,,,, महुआ अपने भाई को तो कभी गुलाबी को देख रही थी,,,, जितना मजा लेकर उसका भाई उसकी चूची को पी रहा था इतना मजा लेकर किसी ने भी उसकी चूची से इतना प्यार नहीं किया था बस उसे जोर-जोर से बेरहमो की तरह दबाया ही था,,,, इसलिए तो महुआ को भी बहुत मजा आ रहा है राजू बारी-बारी से स्तन मर्दन और स्तनपान का मजा ले भी रहा था और उसे दे भी रहा था,,,।
पैरों में घुटनों के बल बैठी हुई गुलाबी को देखकर और उसकी हरकत को देखकर महुआ से रहा नहीं गया और अपना हाथ अपनी बुआ के सर पर रखकर होले होले उसे सह लाते हुए बोली, ्,,।
बुआ तुम तो एकदम छिनार हो गई हो,,,,
आज तुमहे भी तुम्हारा भाई रंडी बना देगा,,,(बाबा की बात का जवाब देने के लिए राजू के लंड को अपने मुंह में से निकाल कर बोली और वापस फिर से बोलने के बाद भी लंड को फिर से मुंह में ले ली मानो कि जैसे लंड के लिए वह अपने मुंह को उसका घर बना दि हो,,,।,, अपनी बुआ के मुंह से अपने लिए रंडी शब्द सुनकर ना जाने क्यों महुआ के तन बदन में उत्तेजना की लहर कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी,,,,,,क्योंकि उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि वह इस समय जो भी कर रही है एक रंडी का ही काम कर रही है क्योंकि वह रिश्ते नातों को एक तरफ रख कर अपने भाई के साथ रंगरलिया मना रही थी,,,अपनी बुआ को अपने भाई का मोटा तगड़ा लंबा लंड मुंह में लेकर चुसता हुआ देखकर उसकी भी इच्छा कर रही थी कि वह भी अपने भाई के लंड को मुंह में लेकर उसे चूसे,,,हालांकि गांव के कई लड़कों ने उसके मुंह में जबरदस्ती अपना लंड डालकर उसे चुसवाया था लेकिन जितने भी लंड महुआ ने अपने मुंह में ली थी वह सब राजू के लंड से आधा भी नहीं था,,,,।
कुछ देर तक कमरे में पूरी तरह से खामोशी छाई रही तीनों अपने अपने तरीके से आनंद ले रहे थे कमरे का माहौल पूरी तरह से करवा चुका था लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था बगल वाले कमरे में हरिया और मधु दोनों चुदाई का सुख भोग कर गहरी नींद में सो रहे थे,,, उन दोनों को यह कहां मालूम था कि बगल वाले कमरे में ही उनके बच्चे जवानी का मजा लूट रहे हैं,,,,, गुलाबी कुछ देर तक राजू के लंबे-लंबे को अपने गले तक उतार कर रुकी है जाती थी और फिर वापस उसे अपने मुंह से बाहर निकाल दे रही थी ऐसा करने से उसकी सांस ऊपर नीचे हो जा रही थी लेकिन आनंद की कोई पराकाष्ठा नहीं थी उसे बहुत मजा आ रहा था,,,, कुछ देर तक गुलाबी उसी तरह से मजा लेती रही और फिर उसके बाद वह खड़ी हो गई उसके मुंह से लार होंठों से नीचे टपक रही थी,,,।
राजू का जोश बढ़ता जा रहा था वह जल्द से जल्द अपनी बहन के सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी करना चाहता था और उसकी नंगी जवानी को अपनी आंखों से देखना चाहता था कि लालटेन की पीली रोशनी में उसे साफ लगने लगा था कि उसकी बहन बला की खूबसूरत थीऔर उसे अपनी किस्मत पर गर्व होने लगा था कि आज परिवार में ही अपनी बुआ के साथ-साथ अपनी बहन की भी चुदाई करने वाला है,,,,उत्तेजना से भरी हुई महुआ राजू की तरफ ठीक से नजर नहीं मिला पा रही थी वह गहरी गहरी सांस ले रही थी और राजू था कि पूरी तरह से जोश से भरा हुआ था वह तुरंत महुआ की कमर में एक बार फिर से हाथ डालकर से अपनी तरफ खींचा और अपनी बाहों में ले लिया लेकिन इस बार हुआ है उसे घुमाकर पीठ की तरफ से उसे अपनी बाहों में कस लिया ऐसा करने से उसकी बड़ी बड़ी गांड एकदम सीधे राजू के लंड से रगड़ खाने लगी,,, लंड की ठोकर और रगड़ महुआ साड़ी के ऊपर से अपनी गांड पर महसूस करते हुए पूरी तरह से मस्त हो गई,,,,,, राजू बेहतरीन अदा से अपनी बहन की दोनों बाहों को पकड़कर,,, गर्दन पर चुंबनो की बौछार कर दिया वैसे भी औरत का सबसे संवेदनशील अंग उसकी गर्दन ही होती है उस पर चुंबन करते ही औरतों के तन बदन में चुदवाश की लहर दौड़ने लगती है,,,, और यही असर महुवा को भी हो रहा था और मैं उत्तेजना के मारे अपनी बड़ी बड़ी गांड को अपनी भाई की तरफ ठेलने लगी जो कि उसका भाई अपनी बहन की गांड की ठोकर को अपने लंड का सहारा देकर रोक दे रहा था,,,,राजू पूरी तरह से मस्त हो जा रहा था उससे एक पल भी रुकना बर्दाश्त नहीं हो रहा था और वहां अपनी बहन का ब्लाउज पकड़ कर उसकी दोनों बाहों में से ब्लाउज को निकालकर नीचे जमीन पर फेंक दिया कमर के ऊपर महुवा पूरी तरह से नंगी हो गई एक बार फिर से राजू अपनी बहन के कंधे को पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया और उसके खरबूजे जैसी चुचियों को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया और हल्के हल्के साड़ी के ऊपर से अपने लंड को अपनी बहन की गांड पर रगड़ना शुरु कर दिया,,,, उत्तेजना के मारे महुआ का गला सूखता चला जा रहा था,,, राजू की हरकत को देखकर गुलाबी से भी रहा नहीं जा रहा था और वह आगे बढ़कर महुआ की चुची को थामने लगी,,,,,,,,, औरत के अंगों से गुलाबी पहले भी मजे ले चुकी थी और वह भी अपनी सहेली के साथ,,, और उस पल का वह खूब मजा भी ली थी इसलिए वो जानती थी कि महुआ की चूची दबाने ने उसे भी मजा आएगा,,,गुलाबी के द्वारा अपनी चूची पकड़े जाने पर बबुआ फिर से सिहर उठे क्योंकि उसके लिए यह पहला अवसर था जब उसकी चूची को कोई औरत हाथ लगा रही थी राजू अपनी बुआ का हाथ चुची पर लगते ही अपने हाथ को उस पर से हटाते हुए बोला,,,।
दीदी तुम्हारी चूची बहुत बड़ी-बड़ी है बहुत खूबसूरत है तभी तो देखो बुआ भी दबा रही है,,,(इतना कहते हुए साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगा और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) लेकिन समझ में नहीं आता कि तुम्हारी चुची बुआ से बड़ी बड़ी क्यों हो गई,,,,।(इतना कहते हुए राजू अपनी बहन की साड़ी को एकदम कमर तक उठा दिया कमर के नीचे से उसकी नंगी गांड राजू के नंगे लंड से रगड़ खाने लगी,,, और नंगी गांड और लंड की रगड़ से महुआ के तन बदन में गर्मी पैदा होने लगी जिसकी वजह से उसका काम रस पीघलने लगा,,,लेकिन राजू के सवाल का क्या जवाब देना है इस बारे में महुआ को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी चूची बड़ी-बड़ी कैसे हो गई,,,, महुआ कुछ बोल पाती इससे पहले ही गुलाबी चुटकी लेते हैं बोली,,,)
अरे बुद्धू तेरी मां की चूची बड़ी बड़ी है ना इसके लिए तेरी बहन की भी चूची बड़ी-बड़ी है,,,,तेरी बहन की चूची तेरी मां पर गई है देखता नहीं तेरी मां की चूची कितनी बड़ी बड़ी है,,, ऐसा लगता है कि तेरी मां की चूची ब्लाउज फाड़ कर बाहर आ जाएगी,,,,(गुलाबी जानबूझकर ऐसे माहौल में राजू की मां का जिक्र छेड़ देती थी और ऐसा करने पर राजू का जोश और ज्यादा बढ़ जाता था,,,, राजू और ज्यादा उत्तेजित होते हुए अपने लंड को पकड़ कर अपनी बहन की गांड की बीच की गहरी दरार में रगड़ते हुए बोला,,)
बक बुआ ऐसा थोड़ी ना है मां की चूची पिताजी रोज दबाते होंगे इसीलिए तो बड़ी बड़ी हो गई है,,,(महुआ राजू के मुंह से अपनी मां के लिए इतनी गंदी बात सुनकर एकदम से दंग रह गई लेकिन ना जाने क्यों इस समय जो हरकत राजू के लंड से उसकी गांड पर हो रहा था उसे देखते हुए राजू की बात उसे और भी ज्यादा उन्मादीत कर रही थी,,, राजू अपनी बात को और आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
दीदी की भी चूची जीजा दबाते होंगे इसलिए बड़ी बड़ी हो गई है,,,,
अरे बुद्धू तेरे जीजा कर इसे मजा देते तो तेरे साथ यह सब करने की जरूरत ही कहां होती,,,,
,,(इतना सुनते ही राजू अपनी बहन के चेहरे को पकड़कर अपनी तरफ घुमा लिया और उसकी आंखों में देखने लगा कुछ देर तक महुआ भी अपनी भाई की आंखों में देखने लगी लेकिन वह ज्यादा देर तक अपने भाई से नजर नहीं मिला पाई और अपनी नजरों को नीचे झुका ली,,, मानो कि जैसे अपने नजरों को नीचे झुका कर ही वह अपनी बुआ की बातों के साथ होने का प्रमाण दे रही हो अपनी बहन की झुकी हुई नजरों को देखकर राजू समझ गया था और वह अपने पैसे होठों को अपनी बहन को लाल-लाल होठों पर रखकर चुंबन करने लगा,,,, राजू की इस हरकत से महुआ एकदम से सिहर उठी,,, उसके बदन में इस चुंबन से कंपन होने लगा,,, राजू को अपनी बहन के होठों का रस शहद से भी ज्यादा मीठा लग रहा था,,,, राजू पागलों की तरह अपनी बहन के होंठों को चूस रहा था और गुलाबी थी कि महुआ की चूची को पकड़कर मुंह में डालकर चूसना शुरु कर दी,,, महुआ पर दोनों तरफ से कामुकता भरा हमला हो रहा था जिससे वह पूरी तरह से धराशाई होते चली जा रही थी,,, महुआ के लिए हालत एकदम खराब होती चली जा रही थी,,, राजू का लंड लगातार महुआ की नंगी गोरी गोरी गांड पर रगड़ खा रहा था जिससे महुआ के तन बदन में हलचल सी मची हुई थी,,,,, महुवा अपने बदन में अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी वह जल्द से जल्द अपने भाई के लंड को अपनी बुर की गहराई में देखना चाहती थी लेकिन ऐसा इतनी जल्दी हो पाना संभव बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि राजू जब तक अपनी बहन की जवानी का रस अपने होठों से चखना ले तब तक उसमें अपने लंड की हिस्सेदारी बिल्कुल भी नहीं रखता था,,,,,,।
कमरे में वातावरण की नहीं बल्कि तीनों की जवानी की गर्मी छाई हुई थी ,,,, एक तरफ जवानी की गर्मी पिघल कर मांगा और गुलाबी की पूर्व से टपक रही थी और दूसरी तरफ वातावरण की गर्मी से तीनों के माथे से पसीना छूट रहा था,,,, अपनी गांड पर अपने भाई का लंड चुभता हुआ महसूस करकेमहुआ समझ गई थी कि उसके भाई के पास दमदार हथियार हैं क्योंकि उसकी पुर का भोसड़ा बना देगा,,,, अपनी बहन के फोटो का रसपान करते हुए राजू पूरी तरह से कामोतेजीत हो चुका था और दोनों हाथों को नीचे की तरफ लाकर अपनी बहन की बड़ी बड़ी गांड को दोनों हथेलियों में दबोचते हुए बोला,,,।
हाय मेरी रानी आज देखना मैं कैसे निकालता हूं तेरा पानी,,,।
(अपने छोटे भाई के मुंह से अपने लिए इस तरह के असली शब्दों को सुनकर महुआ उत्तेजना से गदगद हो गई,,,, राजू अपनी बहन की गांड को दोनों हाथों से मसलते हुए एक हाथ को आगे की तरफ लेकर उसके चिकने पेट पर रख दिया और उसे अपनी हथेली में उत्तेजना के मारे दबोच लिया,,, जिससे महुआ के मुंह से दर्द के कराह के साथ-साथ मदहोशी भरी सिसकारी भी फुट पड़ी,,,,।)
सससहहहह आहहहहहहह ,,,, दीदी तू कितनी अच्छी है तेरा बदन कितना खूबसूरत है एकदम मक्खन से बना हुआ है तेरी गदराई जवानी की खुशबू मेरे लंड को बहुत तड़पा रही है,,,,,(ऐसा कहते हुए राजू,, अपनी हथेली को अपनी बहन की बुर पर रखते हुए एकदम से गर्म होते हुए बोला,,,)
सहहहहह हाय दीदी तेरी बुर कितनी गरम है और कितना पानी छोड़ रही है,,,, लगता है तेरा चुदवाने का बहुत मन कर रहा है,,,,।(इतना कहते हुए राजू अपनी बहन की बुर पर अपनी पूरी हथेली रखकर उसे अपनी हथेली में दबा लिया उत्तेजना के मारे महुआ की बुर कचोरी की तरह पूरी हुई थी और उसमें से उसकी चटनी बाहर निकल रही थी,,,अपने भाई के मुंह से इतने अश्लील शब्दों को सुनकर महुआ से रहा नहीं जा रहा था वह पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका भाई उसके साथ ऐसी बातें कर रहा है जैसे कि वह किसी रंडी के साथ कर रहा हो लेकिन ना जाने क्यों महुआ को अपनी भाई की बातें इस समय बिल्कुल भी गलत नहीं लग रही थी बल्कि उसे तो अपने भाई की बात सुन कर बहुत मजा आ रहा था,,,लेकिन अपने भाई के बात का बिल्कुल भी जवाब नहीं दे पा रही थी इस तरह की गंदी बातें तो प्यार करते समय उसका पति ने भी नहीं किया था इसलिए इस तरह की बातें महुआ को और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी,,,,,,।
दूसरी तरफ गुलाबी पूरी तरह से महुआ की चूचियों पर छाई हुई थी वह बारी-बारी से लगातार महुआ की चूची को मुंह में लेकर पी पीकर टमाटर की तरह लाल कर दी थी,,, वह भी अपना एक हाथ नीचे की तरफ लाकर महुआ की बुर से निकल रहा है पानी को देखना चाहती थी लेकिन उस पर राजू की हथेली चिपकी हुई थी इसलिए राजू की हथेली को हटाते हुए बोली,,,
Mahua apne bhai k lund se khelti huyi
हटा तो राजू मैं भी तो देखूं तेरी दीदी कितना पानी छोड़ रही है,,,
उतना ही पानी छोड़ रही है बुआ जैसा कि तुम पहली बार छोड़ रही थी,,,(ऐसा कहते हुए राज्य अपनी बहन की बुर पर से अपनी हथेली को हटा दिया लेकिन अपने भाई की बात सुनकर महुवा समझ गई थी कि यह दोनों एकदम बेशर्म हो चुके हैं,,,, राजू की हथेली हटते ही गुलाबी अपनी हथेली महुआ की बुर पर रख दी और वाकई में उसने से बहुत पानी छोड़ रहा था,,, महुआ की बुर पर हाथ रखते ही गुलाबी आसरे जताते में बोली,,,,,।
हाय रे दैया तेरी बुर में तो बाढ आया हुआ है,,,, राजू इसका कुछ कर नहीं तो यह इस बाढ में बह जाएगी,,,,
मुझे भी ऐसा ही लग रहा है बुआ लगता है दीदी काफी दिनों से चुदी नहीं है इसलिए इतना पानी छोड़ रही है,,,(राजू एकदम से बेशर्मी की सारी हदें पार करता हुआ बोला,,,अपने भाई की बातें सुनकर महुआ शर्म से लाल हुई जा रही थी वह एक शब्द भी नहीं बोल पा रही थी और गुलाबी और राजू थे कि गंदी से गंदी बातें किए जा रहे थे ऐसे माहौल में इस तरह की गंदी बातें माहौल को और ज्यादा गर्म कर देती है,,,, इसका एहसास महुआ को अच्छी तरह से हो रहा था,,,,,राजू अपनी बात पूरी करने के साथ ही अपने दोनों हाथों को आगे की तरफ लाकर अपनी बहन की शादी की गिठान खोलने लगा और अपनी बहन की साड़ी को खोलकर उसे नंगी करना चाहता था और देखते-देखते राजू अपने हाथों से अपनी बहन की साड़ी को खोलने लगा यह एहसास महुआ के लिए बेहद अद्भुत था क्योंकि वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसके जीवन में ऐसा फल आएगा कि मैं उसका भाई भी उसकी साड़ी उतारकर उसे नंगी करेगा,,,,उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी जिसके साथ उसकी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी और यही ऊपर नीचे होती हुई चूचियां गुलाबी का मनमोह ले रही थी,,, देखते ही देखते राजू अपनी बहन की शाडी को खोल दिया और पेटीकोट कीडोरी को एक झटके में ही खींच दिया डोरी के खुलते ही पेटीकोट का कसाव महुआ की कमर से एकदम ढीला हो गया और वह झरझरा कर उसके कदमों में गिर गया लालटेन की पीली रोशनी में एक ही झटके में महुआ पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी शर्म के मारे को अपने नंगे पन को छुपाने के लिए अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर उसे ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी,,, यह देखकर गुलाबी और राजू दोनों हंसने लगे और राजू हंसते हुए बोला,,,।
इसे छुपाने का अब कोई फायदा नहीं है दीदी इसे छुपाओगी तो मेरा लंड अंदर कैसे लोगी,,,,(राजू ठीक अपनी बहन के सामने आकर अपने लंड को हिलाते हुए बोला अपने भाई के हाथ में उसके हिलते हुए लंड को देखकर महुआ पूरी तरह से मचल उठी,,,,और गहरी सांस लेते हुए शर्मा कर अपने भाई के लंड पर से अपनी नजरों को दूसरी तरफ घुमा ली,,,, राजू अपनी बहन की जवानी का स्वाद चखना चाहता था इसलिए ठीक उसके सामने घुटनों के बल बैठ गया,,, महुवा के दिल जोरों से धड़क रहा था उसे कुछ कुछ समझ में आ रहा था कि उसके भाई उसके साथ क्या करने वाला है,,,, लेकीन हैरान थी महुआ यह देखकर की उसके भाई का लंड अभी तक उसी तरह से खड़ा का खड़ा है और उसे बिल्कुल भी जल्दबाजी नहीं है बुर में डालकर शांत होने की क्योंकि 2 घंटे से ज्यादा गुजर चुके थे अभी तक वहां सिर्फ और बदन से ही खेल रहा था,,,,,महुआ से अपना धड़कता दिन काबू में नहीं हो रहा था वह गहरी सांस लेते हुए राजू की तरफ देखने लगी राजू भी अपनी बहन की तरफ देख रहा था दोनों की नजरें आपस में टकराई और महुआ शर्मा कर अपनी नजरों को दूसरी तरफ घुमा ली गुलाबी यह सब देखकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,,।राजू भी अपनी बहन की नंगी बुर को देखना चाहता था उसकी बनावट को देखना चाहता था,,,इसलिए अपना हाथ बढ़ाकर अपनी बहन का हाथ पकड़कर उसे बुर से हटाने लगा,,, तो शर्मा कर महुआ बोली,,,।
नहीं,,,,,,,
(इतना कहकर वह गहरी गहरी सांस लेने की तकरीबन 2 घंटे बाद उसके मुंह से यह शब्द निकले थे,,,, जिसमें उसकी लगभग लगभग हामी ही थी वह तो सिर्फ शर्मा कर ना बोल रही थी,,,,राजू अब अपनी बहन की कहां सुनने वाला था वह अपनी बहन की कलाई कस के पकड़ कर उसे हटा दिया और उसकी नंगी बुर को लालटेन की पीली रोशनी में जी भर कर देखने लगा अपनी बहन की बुर को देखकर उसके तन बदन में हलचल सी होने लगी अपनी बुआ के बाद यह दूसरी बार था कि वह अपने परिवार में अपनी बहन की बुर को इतने नजदीक से देख रहा था,,,,दूर से तो वह अपनी मां की बुर को भी देख चुका था और उस पर हाथ भी लगा चुका था लेकिन इतने करीब से अभी तक अपनी मां की बुर के दर्शन नहीं कर पाया था,,,,,, इसलिए अपनी बहन की मदमस्त कर देने वाली कसी हुई बुर को देखकर राजू बोला,,,।)
वाह रे दीदी क्या मस्त बुर है तेरी लगता ही नहीं है कि तू शादीशुदा है ऐसा लगता है कि तेरी बुर में अभी तक लंड गया ही नहीं है,,,,।(राजू को देखने पर अपनी बहन की बुर कुंवारी लड़की की तरह ही लग रही थी एकदम कसी हुई है पत्नी दरार की तरह उसमें से अभी भी गुलाबी पत्ती बाहर नहीं निकली थी,,,,, इसलिए राजू को ऐसा ही लग रहा था कि उसकी बहन की बुर कुंवारी लड़की कि तरह है राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
लगता है जीजा जी तुझे चोदते नहीं और मुझे नहीं लगता कि उनका लंड मोटा तगड़ा लंबा होगा वरना तेरी बुर अब तक तो भोसड़ा बन गई होती,,,,,(महुआ अपने भाई के कामुक शब्दों के बाण को झेल नहीं पा रही थी वह पल पल उत्तेजना के सागर में डूबती चली जा रही थी अपने भाई की अश्लील बातें उसे बेहद आनंदित कर रही थी और देखते ही देखते राजू अपने प्यासे होठों को अपनी बहन की तपती हुई बुर पर रख दिया जिसमें से लावा बह रहा था,,,, अपने भाई के होठों को अपनी बुर पर महसूस करते ही महुआ के तन बदन में हलचल सी मच ने लगी उसके पैरों में कंपन होने लगा वह किसने ही वाली थी कि तुरंत गुलाबी उसके पीछे जाकर उसे बाहों में भर लिया और उसकी चूची पर अपने दोनों हाथ रख दी,,,इस तरह से वह महुआ को गिरने से तो बचा ली लेकिन उत्तेजना के सागर में ऐसा लग रहा था कि वह खुद उसका सिर पकड़ कर डुबो रही हो वह तुरंत चूची को दबाना शुरू कर दी और अपनी नंगी बुर को उसकी बड़ी बड़ी गांड पर रगड़ना शुरु कर दी महुआ दोनों तरफ से पीस रही थी जिसमें से पीसने के बाद आनंद का फुवारा फूट रहा था,,, राजू अपनी बहन की नमकीन बुर को चाटने शुरू कर दिया था हल्के हल्के बालों से सुसज्जित महुआ की बुर मादक खुशबू बिखेर रही थी जिस के नशे में राजू मदहोश हुआ जा रहा था वह अपनी दोनों हथेली को अपनी बहन की गांड पर रखकर जोर से दबाते हुए जितना हो सकता था उतना अपनी जीभ को उसकी बुर के अंदर डालकर उसकी मलाई को चाट रहा था,,,,।
hawaii emoticons
यह अनुभव महुआ के लिए बिल्कुल नया था वह पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी सांसो की गति एकदम तेज चल रही थी जिस पर अब महुआ का बिल्कुल भी काबू नहीं था वह उत्तेजना के मारे अपने दोनों हाथों को अपने भाई के सिर पर रखकर उसके बाल को अपनी मुट्ठी में कस के भींच ली थी और उसके होठों को कस के अपनी बुर पर दबा ली थी,,,,,,, महुआ के मुंह से लगातार सिसकारी की आवाज फुट रही थी और दूसरी तरफ गुलाबी हल्के हल्के अपनी कमर हिला रही थी मानो कि जैसे महुआ की चुदाई कर रही हो,,,,राजू पूरी तरह से अपनी बहन की जवानी का रस पीने में लगा हुआ था जिस बात का एतराज गुलाबी को बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि वह जानती थी कि इस समय महुआ को अग्रिमता देना बेहद जरूरी है,,,,।
सहहहह आहहहहह राजू तू तो मुझे पागल कर दिया है रे आहहहहह राजू,,,,,ऊमममममम ऊममममममम,,,( ऐसा कहते हुए महुआ अपनी गांड को गोल गोल घुमा रही थी,,,,
राजू भी अपनी बहन की बुर को चाट कर मस्त हुआ जा रहा था कुछ देर तक यह क्रीडा चलती रही अब समय आ गया था महुवा को असली चुदाई का सुख देने का इसलिए राजू अपनी बहन की बुर पर से अपना मुंह हटा कर उसकी कमर पकड़ कर खड़ा हुआ और एक बार अपनी बहन की आंखों में जाते हुए फिर से उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिया,,, होंठों पर अभी भी महुआ के बुरका रस लगा हुआ था जो कि इस तरह के चुंबन से वह काम रस महुआ के भी होंठों से लग कर उसके गले लग जा रहा था,,, पहली बार महुआ के होठों पर बुर का रसलग रहा था और पहली बार उसे ही इस बात का एहसास हुआ कि बुरके रस का स्वाद कितना कसैला और नमकीन होता है लेकिन फिर भी मर्द लोग कितना जी जान लगाकर उसे चाटते रहते हैं,,, थोड़ी ही देर में महुआ को भी अपनी बुर का स्वाद अच्छा लगने लगा,,,
देखते ही देखते राजू महुआ के कंधों पर दोनों हाथ रखकर उसे नीचे की तरफ बैठाने लगा महुवा को समझ में नहीं आ रहा था कि उसका भाई ऐसा क्यों कर रहा हैथोड़ी ही देर में अपने घुटनों के बल आने पर ही उसे समझ में आ गया कि उसका भाई उससे क्या करना चाहता है,,,, राजू अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ कर उसके सुपाड़े को अपनी बहन के होठों पर रख देना शुरू कर दिया इससे महुआ एकदम से मदहोश होने लगी और अगले ही पल अपने होठों को खोल कर अपनी बहन के लंड को अपने मुंह में आने का निमंत्रण दे दी देखते ही देखते महुआ को इस खेल में मजा आने लगा,,,,,,, वह अपने भाई के मोटे तगड़े लंबे लंड को अपने गले तक उतार कर मजा ले रही थी अपने मुंह में लेने पर ही उसे पता चला कि उसके भाई का लंड कितना दमदार है,,,,, धीरे-धीरे राजू अपनी कमर ही रहना शुरू कर दिया और गुलाबी पूरी तरह से मस्त होकर राजू के कंधे में हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींच कर उसके मुंह को अपनी चूची पर रख दी जिसे राजू बड़े चाव से मुंह में लेकर पीना शुरु कर दिया तीनों आनंद के सागर में गोते लगा रहे थे कुछ देर तक यह क्रीडा इसी तरह से चलती रही,,,, महुआ की बुर में आग लगी हुई थी,,,, राजू अब समझ गया था कि उसकी बहन को लंड चाहिए इसलिए अपने लंड को अपनी बहन के मुंह में से बाहर निकाल कर उसे चटाई पर लेटने के लिए बोला,,,,।
अपने भाई के द्वारा दिए जा रहे इस तरह के निर्देश महुवा को शर्मसार कर रहे थे लेकिन क्या करें उसे भी तो मजा आ रहा था और उसे भी तो मां बनना था ताकि वह अपने ससुराल वालों का मुंह बंद कर सके वह जानती थी कि उसके पति से कुछ होने वाला नहीं है जो एक ही झटके में झड़ जाता हो वह क्या मां बनाने की क्षमता रखता है,,, महुआ अपने मन में सोचने लगी कि उसका भाई उसे उसके ससुराल में इज्जत दिलाएगा उसे मां बना कर,,,,इसलिए अपने भाई की बात मानते हुए अपने सर के नीचे तकिया रखकर वह पीठ के बल लेट गई राजू अपनी बुआ की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोला,,,।
बुआ अब देखना मैं दीदी की कैसे चुदाई करता हूं दीदी देखना पानी मांगने लगेगी,,,
(राजू की बातें सुनकर महुवा शर्म आ रही थी,,, और दूसरी तरफ गुलाबी महुआ का हौसला बढ़ाते हुए बोली,,,)
अरे तभी तो वह तेरे नीचे आने को तैयार हो गई है अब देखना अपनी बहन का ख्याल रखना ससुराल में उसकी इज्जत खराब ना होने पाए,,,,जितने दिन यहां रहेगी उतने दिन तुझे इसे चोदना होगा,,,
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो बुआ अब यह जिम्मेदारी मेरी है,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी बहन के दोनों टांगों के बीच घुटनों के बल बैठ गया और अपने लिए जगह बनाने लगा महुआ का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि कुछ ही देर में उसके भाई का मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर की सैर करने वाला था,,,महुआ के मन में एक शंका थी कि ईतना मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में घुस पाएगा कि नहीं इसलिए अपनी शंका को दूर करने के लिए वह बोली,,,।)
अरे दीदी तो बिल्कुल भी चिंता मत करो देखना एकदम सरपट दौड़ेगा,,,,
अरे पगली तो बिल्कुल भी चिंता मत कर मुझे भी पहले इसी तरह का डर लगता था लेकिन अब देख बड़े आराम से ले लेती हूं,,,, तुझे तेरा भाई देखना जन्नत की सैर कराएगा ऐसा पेलेगा की तु जिंदगी भर याद रखेगी,,,,।
(इतना कहकर वह हंसने लगी और राजू अपने लंड के सुपाड़े को अपनी बहन की गुलाबी बुर पर रख दूया जोकी पूरी तरह से पानीयाई हुई थी,,,, महुआ की सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था राजू अपने लंड के मोटे से पानी को जो कि आलू बुखारा की तरह एकदम गोल था,,, वो धीरे धीरे पनियाई बुर के अंदर सरकना शुरू कर दिया,,,देखते ही देखते राजू के लंड का सुपाड़ा बाबा की गोरकी अंदर प्रवेश कर गया यह देखकर महुआ के चेहरे पर सुकून नजर आ रहा था लेकिन दर्द की भी रेखाएं खींची हुई थी,,, क्योंकि पहली बार उसकी बुर के अंदर इतना मोटा लंड जो जा रहा था,,,। उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी राजू बड़ी समझदारी से काम ले रहा था,,, वह एक झटके में ही पूरा का पूरा लंड अपनी बहन की बुर में डाल सकता था लेकिन ऐसा करने से उसकी बहन को बहुत दर्द होता,,, इसलिए राजु ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहता था ,,,, लेकिन धीरे-धीरे राजू अपने मोटे तगड़े लंड को अपनी बहन की बुर की गहराई में पहुंचा ही दिया,,,, महुआ धीरे से अपना सर उठा कर अपनी दोनों टांगों के बीच देखी तो हैरान रह गई,,, क्योंकि वह सोची भी नहीं थी कि उसके भाई का मोटा तगड़ा लंबा लंड इतने आराम से उसकी दूर की गहराई में प्रवेश कर जाएगा लेकिन जो कुछ भी हो अपनी आंखों से देख रही थी वह बिल्कुल सच था दर्द तो थोड़ा हुआ ही था लेकिनअंदर घुसते हुए बुर की अंदरूनी दीवारों पर रखकर खाकर जिस तरह का आनंद दिया था उस तरह की आनंद की कल्पना भी उसने कभी नहीं की थी,,,,अपना पूरा लंड अपनी बहन की बुर की गहराई में उतार कर रहा है जो लंबी सांस लेते हुए बोला,,,।
देख दीदी बोला था ना आराम से चला जाएगा,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बहन की चुची पर रख दिया और उसे ज़ोर से दबाते हुए अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया,,,, या देखकर गुलाबी भी उत्तेजित हो गई और वह आगे की तरफ मुंह करके अपनी बड़ी बड़ी गांड को महुआ के चेहरे पर रखने लगी महुआ को तो पहले समझ में नहीं आया कि उसकी बुआ क्या कर रही है लेकिन जैसे ही गुलाबी की बुर उसके होठों से स्पर्श हुई उसे समझते देर नहीं लगी कि उसे क्या करना है वह भी राजू की तरह अपनी जी बाहर निकाल कर अपनी बुआ की बुर को चाटना शुरू कर दी अद्भुत दृश्य कमरे के अंदर अपनी गर्मी फैला रहा था इसके बारे में उन तीनों ने कभी कल्पना भी नहीं किए थे,,, गुलाबी की गरमा गरम सिसकारी गूंजने लगी और अपनी बुआ की गांड को अपनी आंखों के सामने देखकर राजु की उत्तेजनाऔर ज्यादा बढ़ने लगी वहां अपनी बुआ की चूची को पकड़कर अपनी बुआ की गांड दबोच लिया और उस पर जोर जोर से चपत लगाता हुआ धक्के लगाने लगा,,,,, महुआ की हालत खराब हो रही थी,,, महुआ के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी लगातार फूट रही थी आज जाकर उसे अपने भाई से चुदाई का असली सुख मिल रहा था,,,, वह सही मायने में अपने भाई को असली मर्द मानने लगी क्योंकि वाकई में वहां उसकी बुर को रगड़ रगड़ कर चोद रहा था,,, अपने भाई की दमदार चुदाई को देखकर वह समझ गई थी कि उसका मां बनना एकदम तय है इस बात की खुशी उसके चेहरे पर साफ नजर आई थी इसलिए वह अपने भाई के दमदार धकको को खुशी-खुशी झेल रही थी,,,,
राजू को भी अपनी बहन चोदने का बहुत मजा आ रहा था वह लगातार अपनी कमर हिला रहा था और अपने लंड की तरफ भी देख रहा था जो कि महुआ की बुर में गोल छल्ला बनाए हुए था,,,,पहली चुदाई में हीं राजू ने अपनी बहन की बुर को चौड़ा कर दिया था,,,,, राजू के माथे से पसीना छूट रहा था और यही हाल गुलाबी और महुवा का भी था,,, राजू का जोश बढ़ता जा रहा था दूसरी तरफ महुआ की सिसकारी की आवाज भी बढतू जा रही थी,, अपनी बुआ की बड़ी बड़ी गांड अपनी आंखों के सामने देखकर उससे रहा नहीं जा रहा था,,,इसलिए उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था और अपना दोनों हाथ अपनी बुआ की कमर पर रखकर उसे अपनी तरफ खींच लिया देखते ही देखते उसकी बुआ अपने घुटनों के बल बैठकर घोड़ी बन गई और राजू अपनी बहन की बुर में से अपना लंड बाहर निकाल कर अपनी बुआ की बुर में डाल दिया और उसे घसा घसा चोदना शुरु कर दिया,,,, महुआ देखकर हैरान थी 10 15 धक्कों के बाद वह अपना लंड वापस निकाल करअपनी बहन की बुर में डाल दिया और उसे चोदना शुरु कर दिया यही क्रिया पर बार-बार कर रहा था कभी अपनी बुआ को तो कभी अपनी बहन को चोद रहा था एक ही लंड से वह एक साथ दो दो औरतों को संतुष्ट करने में लगा था,,, महुआ की सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी या देखकर गुलाबी समझ गई थी कि महुआ का पानी निकलने वाला है इसलिए वह राजू से बोली,,,,
राजू तू हम दोनों को एक साथ भले चोदलेकिन अपना पानी अपनी बहन की बुर में ही निकालना देखना यह जिम्मेदारी तेरी है उसे मां बनाना है उसे पेट से करना है,,,
ठीक है बुआ,,,(और इतना कहने के साथ ही एक बार अपनी बुआ की बुर में 10 15 धक्के एक साथ मारने के बाद वह अपना लंड अपनी बुआ की बुर में से बाहर निकाल कर अपनी बहन की बुर में डाल दिया और जबरदस्त धक्के पर धक्का पेलने लगा,,, महुआ का बदन अकड़ने लगा था उसका पानी किसी भी पर निकलने वाला था इसीलिए गुलाबी भी एक बार फिर से अपनी बुर को उसके होठों पर रखकर दबाना शुरू कर दी,,,और राजू अपनी बहन की कमर पकड़कर जोर-जोर धक्के लगाने लगा और अगले ही पल दोनों एक साथ गरमागरम आह के साथ झड़ना शुरू कर दिए राजू अपने लंड को तब तक अपनी बहन की बुर से बाहर नहीं निकाला जब तक उसका पानी पूरा का पूरा पानी में नहीं गिर गया,,, और वह भी अपनी बहन के ऊपर गिर कर हांफने लगा,,,,
Wow... Hariya ko to samzi ek rasta hi dikh gaya. Ab gulabi ka bhi man me aana hi he. Vo pahele bhi akarshit ho chuka tha. Ab lala or uski bahen ka seen jo dekh liya mast updateनहाने के बाद मधु और गुलाबी दोनों की खूबसूरती और ज्यादा खील उठी थी,,,,,, नदी पर नहाते समय दोनों के बीच जिस तरह की गंदी बातें हुई थी उसको लेकर गुलाबी की हालत खराब थी,,,,,मधु को अपनी ननद से इस तरह की गंदी बातें कर रहे हो आजकल तो लगा था लेकिन उसे कोई खास फर्क नहीं पड़ा था क्योंकि वह तो खेली खाई थी,,, तीन बच्चों की मां थी,,,,, लंड बुर चुदाई शब्द उसके लिए कोई नया नहीं था यह सब गुलाबी के लिए बिल्कुल नया था इस तरह की बातें करने से ही उसकी टांगों के बीच की पतली दरार से मदन रस का रिशाव होना शुरू हो जाता था,,,,,,,,
दूसरी तरफ हरिया परेशान था इस बात को लेकर कि आज वह अपनी बहन के बारे में बहुत ही गंदी बातें सोच गया था,,, ऐसा उसके साथ कभी नहीं हुआ था,,, यह पहली मर्तबा था जब वह अपनी बहन को झाड़ू लगाते हुए देख रहा था उसकी मस्त कर देने वाली नारंगी जैसी चुचियों को देख कर उसके खुद के मुंह में पानी आ गया था,, उसकी गदराई गांड पर पहली बार उसकी नजर पड़ी थी और उसे इस बात का एहसास हुआ था कि उसकी बहन वाकई में बहुत खूबसूरत है,,,,,, और बस इतने में वह अपनी बहन के बारे में गंदी बातों को सोचने लगा,,, इसमें उसकी कोई भी गलती नहीं थी अगर वह भाई के नजरीए से देखता तो शायद उसे अपनी बहन को लेकर इतने गंदे विचार कभी नहीं आते लेकिन वह एक मर्द के नजरिए से देख रहा था,, अपनी गलती पर उसे पछतावा भी हो रहा था,,,,,,,,, जिसके कारण आज उसका मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था स्टेशन के बाहर वह बड़े से आम के पेड़ के नीचे अपनी बेल गाड़ी खड़ी करके बैलगाड़ी में ही बैठा हुआ था,,, कुछ सवारियों को ले जाने के लिए उसने इनकार भी कर दिया यह देखकर उसके बाकी के साथी पूछने लगे कि आखिर वह सवारी क्यों नहीं ढो रहा,,, जवाब में उसने तबीयत ना ठीक होने का बहाना कर दिया,,,,। उस दिन के बारे में सोचने लगा था वह आपने मरती हुई मां को वचन दिया कि वह गुलाबी कोअपनी छोटी बहन नहीं बल्कि अपनी लड़की समझ कर उसका पालन पोषण करेगा और उसकी अच्छे से शादी भी करेगा,,,,,, और अब तक उसने अपने वचन को निभाता भी आया बस हाथ पीले करने के लिए हाथ में पैसे कम पड़ रहे थे,,, अच्छा सा घर बार देखकर हरिया उसकी शादी करने के फिराक में था,,,,,,, उसे इस बात का अफसोस भी था की पहले गुलाबी की शादी करने की जगह वह अपनी बड़ी बेटी की शादी कर चुका था,,,,,, उस समय हालात ही कुछ ऐसे हो गए थे कि उसे अपनी बड़ी बेटी की शादी करना पड़ा,,, जिसकी वजह से गुलाबी की शादी में विलंब होने लगा,,,,,,,, यह सब भी वह अच्छे से कर लेगा इसका उसे पूरा भरोसा था लेकिन आज सुबह जो कुछ भी हुआ था उससे वह पूरी तरह से हील चुका था,,, अपने ख्यालों को वह दफन कर देना चाहता था ताकि इस तरह के ख्याल उसके मन में कभी दोबारा ना उभरे,,,,,।
अपने मन को अपने आप को कसम में बांधकर वह अपने आप को तसल्ली देने लगा यही कशमकश में शाम हो गई,,, दूसरे बैलगाड़ी वाले वहां से जा चुके थे,,, वह अभी भी वहीं खड़ा था आज कोई सवारी बैठा या नहीं था इसलिए एक आने की भी कमाई नहीं हुई थी,,,,, फिर भी उसे आज अफसोस नहीं था,,,वह अपनी बहन गाड़ी लेकर जाने ही वाला था कि तभी उसे एक सवारी ने आवाज लगाया,,, और वह रुक गया,,वैसे तो सवारी दे जाने का उसका मन बिल्कुल भी नहीं था लेकिन उस सवारी को उसी गांव जाना था जहां पर लाला का घर था,,, और आज हरिया को लाला के ब्याज के पैसे भी चुकाने थे इसलिए उस सवारी को बैठा लिया,,,,।
शाम ढल चुकी थी और रात की स्याही वातावरण में फैल रही थी,,, हरिया सवारी को गांव में उतार कर लाला की हवेली की तरफ बढ़ चुका था और हवेली पर पहुंचकर,,, बेल गाड़ी खड़ी किया और हवेली मैं प्रवेश किया दरवाजे पर आज कोई नहीं था,,,,,, धीरे-धीरे वह अंदर की तरफ बढ़ने लगा,,,दो-तीन बार मालिक मालिक कहकर आवाज भी लगाया लेकिन कोई जवाब नहीं,,,,,, हरिया के मन हो रहा था कि वापस लौट चलें कल आकर पैसे दे देगा लेकिन वह यह बात अच्छी तरह से जानता था कि लाना वक्त का बेहद पाबंद है जिस समय पर तय किया गया उसी समय पर पैसा चुकाने पर ही गनीमत है वरना वह और ज्यादा ब्याज लगा लेता है,,,,इसलिए हरिया अपने मन में सोचा कि यहां तक आ गया है तो पैसे देकर ही घर जाएगा लेकिन कोई नजर नहीं आ रहा था,,,, हरिया धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा और जैसे ही लाला के कमरे के करीब पहुंचा तो उसे अंदर से जोर-जोर से हांफने की आवाज आ रही थी,,,,,,, हरिया थोड़ा बहुत घबराया हुआ था इसलिए उसे कुछ समझ में नहीं आया और वह दरवाजे पर पहुंचकर दरवाजा पूरी तरह से खुला हुआ था और सामने का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए,,,,,,,,,,
बिस्तर पर एक औरत पूरी तरह से नंगी घुटनों के बल और हाथ की कोहनी केबल बैठकर झुकी हुई थी उसकी गांड हवा में लहरा रही थी और उसके ठीक पीछे लाला उसकी बड़ी-बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपने लंड को उसकी गुलाबी बुर में डालकर जोर-जोर से चोद रहा था,,,हरिया को तो कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या करें वहां खड़ा रहेगा वापस लौट जाएं इतना समय उसके में बिल्कुल भी नहीं था,,,, हरिया आखिरकार एक इंसान ही था,,, और मानव मन से ग्रस्त होकर भाभी इस हालात में भी उस औरत के चेहरे को देख कर पहचानने की कोशिश कर रहा था लेकिन ऐसा कर पाना उसके लिए बेहद नामुमकिन सा था,,, क्योंकि उस औरत के गाने काले काले लंबे बाल उसके एक तरफ के चेहरे को ढक कर रखे हुए थे,,,और उसी तरफ हरीया खड़ा भी था जिससे उस औरत को पहचाने नहीं मैं उसे बेहद दिक्कत हो रही थी क्योंकि उसका चेहरा ही नहीं दिख रहा था,,,,,उस औरत की गरम सिसकारी की आवाज हरिया के कानों में बराबर सुनाई दे रही थी और लाला बड़ी मस्ती के साथ उस औरत की चुदाई कर रहा था,,। पल भर में ही हरिया की सांसे ऊपर नीचे होने लगी उसे उम्मीद नहीं थी कि इस तरह का दृश्य लाला के कमरे में देखने को मिलेगा,,,अभी तक उन दोनों में से किसी की भी नजर हरिया पर नहीं गई थी,, लाला बड़ी मस्ती के साथ उस औरत की बड़ी-बड़ी गांड पर चपत लगाते हुए अपनी कमर हिला रहा था,,,,,,,,
और जोर से ,,,,,और जोर से,,,,, कहते हुए वो औरत लाला को और ज्यादा उकसा रही थी,,,,, हरिया इससे ज्यादा देख पाता इससे पहले ही,,,,, उसके हाथ से,,, दरवाजे के पास ही सजावट के लिए रखा हुआ पीतल का घड़ा नीचे गिर गया और उसकी आवाज के साथ ही लाला एकदम घबराते हुए दरवाजे की तरफ नजर घुमाकर देखा तो वहां हरिया खड़ा था वह एकदम से सन्न रह गया,,, उस औरत की तो एकदम सांस ही अटक गई लेकिन वहां अपनी नजरों को दरवाजे की तरफ नहीं तुम्हारी उसी तरह से झुकी रह गई,,,, हरिया को दरवाजा पर खड़ा हुआ देखकर लाला जोर से चिल्लाया,,,।
हरिया यह क्या बदतमीजी है,,,,
मममम,,, मालिक मुझसे भूल हो गई कोई नहीं था तो मैं यहां तक आ गया,,,,
तो क्या अभी भी यही खड़े रहने का विचार है,,,,(लाला उसी अवस्था में अपने लंड को पूरी तरह से उस औरत की बुर में घुसाए हुए और उसकी बड़ी-बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों से थामे हुए बोला,,,,लाला को देखकर ऐसा ही लग रहा था कि जैसे रंग में भंग पड़ गया हो और वह इस कार्य को अधूरा नहीं छोड़ना चाहता था इसीलिए तो अपने आप को अपने नंगे बदन को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं किया था और ना ही उस औरत ने जिस अवस्था में थी उसी अवस्था में मूर्तिवंत बनी रही,,,,)
मममम,,, मालिक आज की तारीख थी पैसे देने आया हूं,,,(हरिया घबराते हुए हाथ जोड़कर बोला लेकिन उसकी नजर उस औरत के नंगे बदन पर घूम रही थी,,,)
तो क्या पैसे मुझे यहां देगा बाहर बैठ कर इंतजार कर मैं आता हूं,,,,,,, जा अब भाग यहां से,,,
(लाला गुस्से में आ चुका था और उसके गुस्से को देखकर हरिया का वहां खड़े रहना ठीक नहीं था बस तुरंत बाहर मेहमान खाने में आकर बैठ गया,,,)
हराम जादा मादरचोद,,,,,(हरिया को गंदी गाली देते हुए जोर-जोर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया तभी वह औरत बोली,,)
तुमको बोली थी भैया दरवाजा बंद कर लो लेकिन तुम तो इतने नशे में हो जाते हो कि दरवाजा बंद करना भी भूल जाते हो,,,,,,, अगर वह यह सब जाकर बाहर कह दिया तो,,,मेरे साथ साथ आपकी भी बदनामी हो जाएगी और गांव वाले क्या कहेंगे,,,,,,,
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो सोनी हरिया तुम्हारा चेहरा नहीं देख पाया है,,,, तुम्हारे घने घने रेशमी बालों की कारण आज हम दोनों साफ साफ बच गए हैं,,,,(लाला उसके रेशमी बालों को अपने हाथ में पकड़ते हुए बोला),,,,
बस भैया अब रहा नहीं जाता जोर जोर से धक्के लगाओ,,, आज पूरा लंड डाल दो मेरी बुर में फाड़ दो अपनी बहन की बुर,,,,,, भैया,,,,,
यह बात है,,,,, तो ले मेरी रानी बहन,,,,तेरा बड़ा भाई कैसी तेरी चुदाई करता है कैसी तेरी बुर का भोसड़ा बनाता है,,,,,(इतना कहते ही लाला जोर जोर से धक्के लगाना शुरू कर दिया और उसके मुंह से आहहह आहहहह की आवाज पूरे कमरे में गुंजने लगी,,, उसके पपीते जैसे बड़े-बड़े चूचियां नीचे हवा में झुलने लगे,,, जिससे लाला अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर थाम लिया था और जोर जोर से दबा रहा था,,,, सोनी उसकी छोटी बहन थी जो कि शादी के बाद 3 साल के भीतर ही बिधवा बन गई थी,,, कोई बच्चा नहीं था ससुराल वाले कुछ महीने तक उसे अपने साथ रखें और वापस उसे अपने मायके भेज दिए,,,, सोनी बहुत ही कामुक औरत थी,,, उसे छत्रछाया भी चाहिए थी और अपने बदन की प्यासी भी बुझाना था वो जानती थी कि उसका भाई शादी नहीं किया था इसलिए उसकी भी कुछ जरूरते थी,,, और वह अपने भाई के साथ संबंध बना बैठी,,, लाला भी तन का प्यासा था,,,,जब उसकी बहन खुद तैयार थी तो उसे भला क्या कर आज हो सकता था और तब से दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो गया और हर रात लाला अपनी बहन की चुदाई करता था,,,, जिससे लाला और पूरे हवेली में सोनी का वर्चस्व बढ़ता जा रहा था जो सोनी कहती थी वही होता था,,,,,,,, दुनिया की नजरों में अच्छे बने रहने के लिए लाला की बहन सोनी गांव के बच्चों को घर बुलाकर पढ़ाती भी थी जिससे गांव में उसकी इज्जत मान सम्मान बढ़ गया था,,,,
लाला के धक्के तेज रफ्तार से शुरु हो गए थे जिसे सोनी बड़े आराम से झेल ले रही थी,,,, दोनों की सांसो की गति तेज हो गई थी लाला की बहन सोनी बिस्तर पर बिछाए हुए चादर को अपनी मुट्ठी में जोरों से भींच ली थी,,,,, और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए,,,,,,, लाला अपनी बहन की चिकनी सीट पर मुंह रखकर उसकी चिकनी पीठ को चाटते हुए झडने लगा था,,,, जब दोनों की सांसे दुरुस्त हुई तो लाला अपनी बहन के ऊपर से उठा और लाला की बहन सोनू चादर को अपने बदन पर डालते हुए बोली,,,,।
भैया जाकर उस हरिया को डांटना तो,,,, कहीं बाहर जाकर सबको बक ना दे,,,,,,,
तुम चिंता मत करो सोनी मैं अभी जाकर उसी खबर लेता हूं और वैसे भी वह तुम्हें देखा नहीं है,,,,,,(इतना कहते हुए लाला अपनी कमर पर धोती बांधते हुए कमरे से बाहर निकल गया और दूसरी तरफ मेहमान खाने में हरिया बैठकर कमरे के अंदर के दृश्य के बारे में सोच रहा था और बार-बार यह सोच रहा था कि लाला तो विवाहित नहीं है शादी नहीं किया है तो वह कीस औरत को चोद रहा था,,, बिस्तर पर घुटनों के बल बैठकर चुदवाने वाली वह औरत कौन थी,,,, वह और चेहरा को सोचता है इससे पहले ही लाला वहां आ गया और हरिया को डांटते हुए बोला,,,।)
हरिया तू पागल हो गया क्या तुझे जरा भी तमीज नहीं है कि किसी के घर कैसे जाया जाता है,,,, और तू कोई घर का सदस्य नहीं है जो बिना पूछे घर में घुस गया,,,,।
नहीं नहीं मालिक मैं माफी चाहता हूं ऐसी कोई बात नहीं है मुझसे भूल हो गई मुझे माफ कर दो,,,,।
ठीक है आज तो माफ कर देता हूं लेकिन आएगा इस तरह की गलती बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिए और यह बात भी तो कान खोल कर सुन लेना कि अगर कमरे वाली बात बाहर गई तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा,,,,
नहीं नहीं मालिक ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा आप तो हमारे मारी बात है भला आपके बारे में अनाप-शनाप बोल कर अपने पैर पर क्यों कुल्हाड़ी मारे,,,, भरोसा रखिए मालिक कमरे की बात मेरे सीने में दफन हो गई है यह बात किसी को कानों कान खबर तक नहीं पड़ेगी,,,,
ठीक है लाओ रुपए,,,,,
मैं कल आ जाता मालिक लेकिन मैं जानता हूं कि दिए हुए तारीख पर ही पैसा चुकाना जरूरी होता है इसलिए मुझे आना पड़ा,,,(हरिया अपने कुर्ते के जेब में हाथ डालकर पेसे निकालते हुए बोला,,,,)
यह लो मालिक,,,,,(इतना कहने के साथ ही हरिया हाथ आगे बढ़ाकर रुपए को लाला के हाथों में रखने लगा इसे लाला बड़े प्यार से हाथ आगे बढ़ा कर रुपए को अपने हाथों में ले लिया,,, और गिनने लगा,,,, पूरे रुपयों की तसल्ली कर लेने के बाद वह हरिया से बोला,,,,)
ठीक है तू वादे का पक्का है इसीलिए जरूरत पड़ने पर तुझे ₹पए उधार दे देता हूं,,,,,,
इसीलिए तो आपके द्वार पर आते हैं मालिक,,,,
ठीक है हरिया अब तु जा सकता है,,,,
ठीक है मालिक,,,,(और इतना कहने के साथ ही हरिया हवेली से बाहर आ गया उसके मन मस्तिष्क पर लाला के कमरे वाला दृश्य पूरी तरह से छप चुका था,,,,और वह घर पहुंच कर खाना खाने के बाद सोने के लिए जैसे ही अपने कमरे में गया वैसे हीअपने बीवी के सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी कर दिया और ताबड़तोड़ उसकी चुदाई करना शुरू कर दिया जिसकी सिसकारी की आवाज सुनकर बाजू वाले कमरे में सो रही गुलाबी की भी हालत खराब होने लगी,,,।
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया राजू की बडी सहन महुआ मायके आगयी और अपनी दुःख कहानी बता दी की क्यो वो गर्भवती नहीं हो पा रहीमधु घर पर पहुंची तो घर पर उसकी बड़ी बेटी आई हुई थी जिसे देखकर मधु एकदम से खुश हो गई क्योंकि शादी के 2 साल बाद पहली बार वह घर पर आई थी ,,,, मधु अपनी बड़ी बेटी को बरसों बाद देखकर एकदम खुशी से झूम उठी,,,।
महुआ तू,,,, तू कब आई,,,(घर में प्रवेश करते हुए मधु बोली,,, और अपनी मां को देखते ही महुआ अपनी जगह से खड़ी होते हुए अपनी मां की तरफ आगे बढ़ते हुए बोली,,,)
अभी अभी आ रही हूं मां,,,,(इतना कहने के साथ ही महुआ अपनी मां के पैर छूकर आशीर्वाद लेने लगी)
जीती रहो बेटी,,,, लेकिन तुम्हें लेकर कौन आया,,,
छोटा देवर आया था,,,,
रुका नहीं,,,,
नहीं उसे शादी में जाना था इसलिए तुरंत छोड़ कर चला गया,,,,
Mahuaa
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चलो कोई बात नहीं,,, गुलाबी,,,, महुआ को पानी पिलाई या नहीं,,,
यह भी कोई पूछने वाली बात है भाभी,,,,,,
बुआ ने आते ही मेरा मुंह मीठा कराकर पानी पिला दी,,, मां,,, बुआ मेरा बहुत ख्याल रखती है,,,
हां सो तो है,,,,
अच्छा राजू नजर नहीं आ रहा है वह कहां गया,,,,,,
(राजू का जिक्र आते ही,,, मधु को कुछ देर पहले का दृश्य याद आने लगा,,,, राजू के मोटे तगड़े लंड को जिंदगी में पहली बार वह अपनी आंखों से देख रही थी,, इसे देखते ही उसकी दोनों टांगों के बीच की खलबली को अभी भी महसूस कर रही थी,,,, इतना मोटा तगड़ा और लंबा लंड उसने आज तक कभी नहीं देखी थी,,,अपने बेटे के लंड की गर्माहट को अभी भी अपनी हथेली के साथ-साथ पूरे जिस्म में महसूस कर पा रही थी,,, अपनी मां को ख्यालों में खोया हुआ देखकर महुआ फिर से बोली,,,)
अरे मां मैं तुमसे पूछ रही हूं,,,,,, राजू दिखाई नहीं दे रहा है कहां है,,,?
अरे होगा कहां,,,अपने आवारा दोस्तों के साथ गांव में घूम रहा होगा कुछ दिनों से अपने पिताजी के साथ बैलगाड़ी पर भी नहीं जा रहा है,,,,
Madhu ki gadrayi gaand
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राजू बैलगाड़ी चलाता है,,,(महुआ आश्चर्य से बोली,,)
तो क्या,,,,लेकिन कुछ दिनों से जा नहीं रहा है आज ही इसकी खबर लेती हूं,,,, चल वो जाने दे चल कर कुछ खा ले लंबा सफर तय करके आइ ह6 थक गई होगी,,,
हां मां सो तो हैं,,, मुझे बड़ी जोरों की भूख लगी है,,,।
तो इंतजार किस बात का महुआ,,, चलो खाना लगा देती हूं अपने तीनों साथ में खा लेते हैं,,,,(गुलाबी उत्साहित होते हुए बोली,,,, और तीनों हाथ मुंह धोकर खाना खाने बैठ गए,,,,,,,बातों ही बातों में गुलाबी बात को छेड़ते हुए बोली,,,)
क्यों महुआ रानी 2 साल हो गए हैं खुशखबरी कब सुना रही हो,,,,,
(गुलाबी की बात सुनते ही मधु भी उसके सुर में सुर लगाते हुए बोली,,,)
हां बेटी 2 साल हो गए हैं अभी तक हुआ क्यों नहीं,,,,, गांव वाले बात करते होंगे,,,।
(उन दोनों की बात सुनते ही महुआ थोड़ी उदास हो गई,,,,उसका उदास चेहरा देखकर मधु से रहा नहीं जा रहा था वहां काफी चिंतित नजर आ रही थी इसलिए फिर से बोली,,,)
क्या हुआ महुआ खामोश क्यों हो गई क्या कोई चिंता वाली बात है,,,,,,।
क्या बताऊं मां,,,,(कुछ देर विचार करने के बाद) पिताजी ने जल्दबाजी में मेरी शादी ऐसी जगह कर दी कि मेरी जिंदगी नरक हो गई है पिताजी ने किसी भी प्रकार की जांच पड़ताल किए बिना ही मुझे उस घर में ब्याह दिया,,, और फिर मेरी जिंदगी एकदम खराब हो गई,,,।
(महुआ की बात सुनते ही गुलाबी और मधु दोनों एकदम से चिंतित हो गए और मधु बोली)
क्यों क्या हो गया बेटी,,,,
क्या बताऊं ,,, रोज का झगड़ा,,,
किस बात का झगड़ा,,,(मधु हाथ में निवाला पकड़े हुए ही बोली,,, गुलाबी भी चिंतित मुद्रा में महुआ की तरफ देख रही थी,,,)
,, यही,,,(इतना कहकर महुआ खामोश हो गई,,, तो गुलाबी बोली)
अरे बता ना क्या हो गया किस बात का झगड़ा हमें बताएं कि नहीं तो हम कैसे सुलझाएंगे,,,,
क्या बताऊं बुआ,,,,, शादी को 2 साल हो गए हैं,,,,
तो,,,(मधु बोली)
तो क्या,,, सास को दादी बनना है,,,
तो इसमें कौन सी बड़ी बात है शादी हुआ है तो सब कुछ धीरे-धीरे हो ही जाएगा,,,(गुलाबी बोली)
लेकिन 2 साल गुजर चुके हैं बुआ,,,,
मैं तेरी बात को अच्छी तरह से समझ रही हूं महुआ,,,,,शादी के 2 साल गुजर चुके हैं अब तक तेरे पांव भारी हो जाना चाहिए था,,,(जिस बात को बताने में महुआ झिझक रही थी मधु उसे खुलकर बता दी,,,)
अब तो सांस ननद दोनों ताना कसने लगी है,,,(महुआ एकदम उदास होते हुए बोली मधु अपनी बेटी का दर्द अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए वह बोली,,)
दामाद जी कुछ नहीं बोलते,,,
वह किसी से कम नहीं वह भी मुझे बात-बात पर ताना देता रहता है,,, दिन भर जुआ शराब और रात को घर से बाहर ही रहता है,,,,,,।
तेरे साथ,,,(मधु एकदम गंभीर मुद्रा में बोले मधु के कहने का मतलब को महुआ की तरह से समझ रही थी इसलिए बोली)
होता है लेकिन जोर जबरदस्ती का,,,, और 2 मिनट में ही ढेर,,,,।
(महुआ के कहने के मतलब को मधु अच्छी तरह से समझ रही थी और महुआ को यह बताने में शर्म भी महसूस हो रही थी लेकिन वह किसी भी तरह से अपनी गलती बिल्कुल भी नहीं है यही दर्शना चाहती थी और वास्तव में इस में महुआ की गलती बिल्कुल भी नहीं थी,,, महुआ का पति शराबी था दिनभर शराब के नशे में डूबा रहता था रात में कभी कबार उसके साथ संबंध बनाने की कोशिश भी करता था तो एकदम ढेर हो जाता था,,,,भगवा इस बात को अच्छी तरह से जानती थी और अपने पति की करतूत अपनी सास से वह बताती भी थी लेकिन उसके साथसथी कि उसकी बात मानने को तैयार ही नहीं थी और सारा दोष महुआ को ही देती थी इसलिए वह लड़ झगड़ कर कुछ दिनों के लिए मायके आ गई थी,,,, सारी बात सुनने के बाद महुआ और गुलाबी दोनों चिंतित हो गई थी,,, इसलिए महुआ उसको सांत्वना देते हुए बोली,,,)
कोई बात नहीं बेटी तू चिंता मत कर किसी किसी को थोड़ा समय बाद ही मां बनने का सुख मिलता है,,, तुझे भी जल्द ही मिल जाएगा अब खाना खा चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है,,,,।
(इसके बाद तीनों ने खाना खाई और आराम करने लगी,,, शाम ढलने लगी थी हरिया बैलगाड़ी लेकर घर पर पहुंच गया,,,, बैलगाड़ी के पेर में बने घुंघरू की आवाज को सुनकर,,, मधु उत्साहित होते हुए बोली,,,)
महुआ तेरे बाबूजी आ गए हैं,,,,
(इतना सुनते ही अपनी बुआ के बगल में बैठकर सब्जी काट रहे महुआ तुरंत उठ कर खड़ी हो गई और उस लगभग भागते हुए घर के बाहर गई हरिया बैलगाड़ी को बेल से अलग कर रहा था उसे देखते ही महुवा तुरंत बाबूजी के कहकर आगे बढ़ी और पाव छूने लगी हरिया तो एकदम से चौंक हीं गया क्योंकि उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी महुआ के इधर होने की क्योंकि 2 साल गुजर गए थे कोई हाल समाचार नहीं मिला था और ना ही हरिया ही महुआ के घर पर गया था इसलिए 2 साल बाद महुआ को देखकर वह एकदम खुश हो गया,,)
खुश रहो खुश रहो बेटी तुम कब आई,,,
दोपहर में ही आई हूं बाबूजी,,,,
पूरे 2 साल गुजर गए एक 2 साल में तुम्हें कभी भी हम लोगों का हाल समाचार नहीं ली,,,
ऐसी कोई बात नहीं है बाबू जी,,,,, कोई पहुंचाने को तैयार ही नहीं होता था,,,,
कोई बात नहीं तू अंदर चल में बेल को बांधकर आता हूं,,,,
जी बाबू जी,,,(इतना कहकर महुआ घर में चली गई और हरिया बहन को लेकर घर के पीछे की तरफ उसे बांधने के लिए चला गया,,,, इसके बाद गुलाबी पानी लेकर हरिया के लिए लेकर आई,,, हरिया गुलाबी के हाथ में से पानी का लोटा लेते हुए दूसरे हाथ से उसकी चूची दबाते हुए बोला,,,)
साला मौका नहीं मिल रहा है तुझे चोदने का,,, तेरी बुर का रस अभी तक मेरे लंड पर लगा हुआ है,,,
क्या कर रहे हो भैया जरा धीरे बोलो अब तो महुआ भी आ गई है अगर सुन ली तो बखेडा हो जाएगा,,,
अरे कोई नहीं सुनेगा,,,,(धीरे-धीरे पानी को पीते हुए बोला पानी पी लेने के बाद वापस लौटे को गुलाबी के हाथ में पकड़ाते हुए बोला,,,) अरे सुनना मैं कह रहा था कि चलना घर के पीछे बस सलवार खोल कर खड़ी हो जाना बाकी का काम मैं संभाल लूंगा,,,
अरे पागल हो गए हो क्या भैया,,,(घर के द्वार की तरफ देखते हुए बोले) कोई देख लिया तो गजब हो जाएगा,,,और जब तक महुआ है तब तक ऐसी होती कोई भी हरकत मत करना महुआ हमेशा मेरे पास ही रहती है इसलिए कुछ करने का मौका भी नहीं मिलेगा,,,,
(गुलाबी की बात सुनते ही हरिया लंबी सांस लेते हुए अफसोस भरे स्वर में बोला)
चल कोई बात नहीं तेरी भाभी से ही काम चलाना पड़ेगा,,,,
(और इतना कहकर हरिया और गुलाबी दोनों घर में प्रवेश कर गए मधु जो कि खाना बना रही थी हरिया को रसोई घर की तरफ आता हुआ देख कर बोली),,
अजी सुनते हैं कुछ दिनों से राजू को साथ में क्यों नहीं ले जाते दिनभर यहां-वहां घूमता फिरता है,,,
अरे ले तो जाऊ लेकिन समय पर रहता था वह तो बैल गाड़ी ले जाते समय गायब रहता है,,, अच्छा आने दो आज ईसे बताता हूं,,,यह समय हो गया अभी तक यह घर पर नहीं आया ना जाने कहां घूमता फिरता रहता है,,,।
हां जरा डांटीएगा तो,, लापरवाह होता जा रहा है,,,,,,(तवे पर रोटी को सेंकते हुए वह बोली,,,, थोड़ी देर में सब कोई अपना काम करने लगे खाना बनकर तैयार हो गया था तभी राजू घूमता का घर में प्रवेश किया,,,, उस पर नजर पड़ते ही मधु बोली,,,)
आ गए हैं लाट साहब,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर राजू अपनी मां की तरफ देखने लगा उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां ऐसा क्यों बोल रही हो तभी उसके पिताजी बोलें,,,)
राजू दिन भर कहां घूमता फिरता रहता है तुझे मेरे साथ बैलगाड़ी पर चलना चाहिए था ना कुछ दिनों से चल क्यों नहीं रहा है तू,,,।
ओ ओ ,,,, क्या है ना पिताजी,,,वो,,,,
क्या वो वो लगा रहा है दिनभर गांव के आवारा लड़कों के साथ घूमता रहता है,,, तुझे घर की जिम्मेदारी का कुछ भान है या नहीं,,,,
ऐसा कुछ भी नहीं है पिताजी कुछ दिनों से मुझे अपनी तबीयत सही नहीं लग रही थी इसलिए नहीं गया,,,।
(राजू अपनी मां की तरफ देख कर बोल रहा था उसे समझ में आ गया था कि उसके पिताजी उसे डांट क्यों रहे हैं लेकिन इतना तो उसे तसल्ली थी कि उसकी मां ने खेत वाली बात को नहीं बताई थी,,,,,)
अरे तबीयत खराब है तो मुझसे कहा होता अपनी मां से कहां होता किसी से बोला भी तो नहीं,,,
(अभी यह डांट फटकार चल ही रही थी कि बाहर महुआ जोकि पानी लेने गई थी वह घर में प्रवेश करते हुए और पानी भरी बाल्टी को एक कोने में रखते हुए बोली,,,)
क्या बाबू जी मेरे भाई को खामखा डांट रहे हो,,,,।
अरे दीदी तुम,,,, तुम कब आई,,,
घर में रहोगे तब ना पता चलेगा कि घर में कौन आ रहा है कौन जा रहा है,,,,(एक बार फिर से थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए हरिया बोला,,, अपने पिताजी की बात को अनसुना करते हुए वह तुरंत महुआ की तरफ आगे बढ़ा,,,,महुआ अपने भाई से 2 साल बाद मिल रही थी इसलिए प्यार से उसे गले लगा ली,,,, राजू भी 2 साल बाद अपनी बहन को देखकर पूरी तरह से खुश हो गया था इसलिए वहां भी एकदम से अपनी बहन को गले लगा लिया था लेकिन इस हरकत की वजह से राजू की छातियों में उसकी बहन की गोल-गोल खरबूजे जैसी चूचियां चुभती हुई महसूस होने लगी यह एहसास राजू को अंदर तक उत्तेजित कर गया,,,,, लेकिन महुआ सहज बनी रहे और वह राजू को अलग करते हुए बोली,,,।
तू बहुत शैतान हो गया है दिन भर इधर-उधर घूमता रहता है ऐसा नहीं कि बाबू जी के काम में हाथ बटाए,,,
कल से जरूर जाऊंगा दीदी,,,,
हां जरूर जाना तू अब बड़ा हो गया है लेकिन मेरे लिए तो मेरा छोटा भाई ही है,,,,
(महुआ की बात सुनकर गुलाबी अपने मन में बोली देखना छोटे भाई का अब बड़ा हो गया है कहीं तेरी बुर में ना घुसा दे,,,।
थोड़ी ही देर में पूरा परिवार एक साथ खाना खाने के लिए बैठ गया था और खाना खा लेने के बाद मधु ने महुआ को राजू और गुलाबी के साथ सोने के लिए बोली,,, वैसे तो सब कुछ ठीक था नहीं गुलाबी और राजू का एक दूसरे के बिना चलने वाला बिल्कुल भी नहीं था राजू जब तक गुलाबी की चुदाई नहीं करता था तब तक उसे नींद नहीं आती थी और यही हाल गुलाबी का भी था बिना राजू करूंगा अपनी बुर में लिए उसे चैन बिल्कुल भी नहीं आता था इसलिए दोनों परेशान नजर आ रहे थे महुआ की मौजूदगी में ,,,दोनों को अपनी प्यास बुझाने का मौका नहीं मिलता लेकिन फिर भी करके आ सकते थे बेमन से राजू ने खटिया को खड़ी कर दिया और एक कोने में रख दिया क्योंकि वह जानता था एक घटिया पर तीनों नहीं सो सकते इसलिए नीचे चटाई बिछड़ना जरूरी था,,,, गुलाबी बीच में सो गई और राजू और महुआ दोनों किनारे किनारे पर सो गए गुलाबी जानबूझकर बीच में सोई थी क्योंकि वह किसी ना किसी बहाने राजू से चुदाई का आनंद लेना चाहती थी,,,,
दूसरी तरफ हरिया बात करते हो अपने बीवी के कपड़े एक-एक करके उतार रहा था,,, जब वह ब्लाउज का बटन खोल रहा था तभी मधु बोली,,,।
लड़की ब्याने से पहले एक बार लड़के के बारे में पूछताछ कर लिए होते तो शायद यह दिन नहीं देखना पड़ता,,,,
क्यों ऐसा क्या हो गया,,,?(ब्लाउज का आखरी बटन खोलते हुए बोला)
ससुराल में रोज उसे ताना सुनने को मिल रहा है,,,
ताना लेकिन क्यों,,,,?(हरिया अपनी बीवी की चूची को मुंह में लेते हुए बोला)
क्यों क्या पांव भारी नहीं हुए हैं इसलिए,,, आप भी तो बिना सोचे समझे कहीं भी उसका शादी कर दिए,,,
राजू की मां तुम तो अच्छी तरह से जानती हो उस समय के हालात कैसे थे,,, महुआ की हरकतें कितनी गंदी हो चुकी थी तुम्हें मालूम है ना मैंने ही गन्ने के खेत में दो लड़कों के साथ उसे पकड़ा था,,,, अगर आनंद थाना में मैं उसका साथी नहीं करवाता तो शायद बदनामी हो जाती और फिर उसकी शादी कभी नहीं हो पाती,,,
जानती हूं,,,, लेकिन उसका दुख देखा नहीं जाता,,,
अरे राजू की मां तूम खा म खा परेशान हो रही हो,,, किसी किसी को ढेर में बच्चे होते हैं,,,
मैं भी तो उसे यही कह रही थी लेकिन ससुराल के ताने से वह परेशान हो चुकी है,,,
चिंता मत करो सब कुछ ठीक हो जाएगा,,,(और इतना कहने के साथ ही वह मधु को पीठ के बल खटीया पर लिटाते हुए उसकी दोनों टांगों को खोल दिया और उसकी बुर में समा गया,,, दूसरी तरफ चटाई पर तीनों लेटे हुए थे गुलाबी और महुआ आपस में बात कर रहे थे और राजू था कि अपनी बहन की नजर बचाकर गुलाबी जो कि उसकी तरफ मुंह करके बात कर रही थी सलवार के ऊपर से उसकी गांड को जोर जोर से दबा रहा था,,,,राजू की हरकतों से गुलाबी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी,,,,