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मधु 2 दिनों तक ठीक से चल नहीं पा रही थी हल्दी वाला दूध पी पी करवा है अपनी बुर की सूजन और दर्द को कम कर दी थी ऐसा लेकिन पहली बार हुआ था जब उसे अपनी बुर में इस तरह की सूजन और दर्द महसूस हो रहा था जिसकी वजह था उसके बेटे का मोटा तगड़ा लंड लेकिन अपने बेटे को थोड़ा अद्भुत अविस्मरणीय चुदाई का सुख भोग कर वह पूरी तरह से तृप्त हो चुकी थी उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि इस तरह से भी कोई चोद सकता है,,,, मधु आंगन में झाड़ू लगा रही थी और गुलाबी सब्जी काट रही थी आज तो बहुत राहत था मधु को तभी और ठीक से झाड़ू लगा पा रही थी वरना झुकना भी उसका मुश्किल हो गया था इतनी तेज कमर की दर्द कर रही थी क्योंकि संजू के जबरदस्त धक्को का प्रहार वह पता नहीं कैसे उस समय झेल ले रही थी लेकिन उसका आंसर उसे अब देखने को मिल रहा था,,,,
क्या भाभी अब कमर का दर्द कैसा है,,,,(सब्जी काटते हुए गुलाबी बोली)
अब जा कर रहा था हुआ है वरना बेल गाड़ी में बैठ कर इतना लंबा सफर तय करना मेरे लिए तो बहुत मुश्किल हो गया था इसीलिए मेरा पूरा बदन दर्द कर रहा था,,,,
(मधु जानबूझकर अपने बदन के दर्द का कारण बैलगाड़ी का सफर बता रही थी अब वह यह कैसे खुलकर कह दे कि अपने ही बेटे से चुदवाकर अपने बदन का दर्द मोल ले ली थी,,,, मधु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)
मैंने तो आज तक ऐसी तूफानी बारिश कभी नहीं देखी थी,,, इतना आंधी तूफान तेज हवा बादलों का गर्जना सबकुछ कितना भयानक था,,,
हां भाभी तुम सच कह रही हो लेकिन तुम रुकी कहां थी,,, भैया और मुझ को कितनी चिंता हो रही थी पता है,,,।
(गुलाबी भी बहाना बनाते हुए बोल रही थी क्योंकि वह भी रात भर तूफानी बारिश का मजा अपने भाई से चुदवा कर ले रही थी,,,)
अरे वह तो अच्छा हुआ कि गांव से निकलने ही वाले थे कि बारिश शुरू हो गई वरना रास्ते में दिक्कत हो जाती सर छुपाने की जगह नहीं मिलती,,,
अच्छा हुआ भाभी तुम गांव में ही रुक गई,,,
गुलाबी वैद्य जी की पत्नी ने हमें रुकने का प्रबंध कर दिया था तब जाकर हम लोग शांति से रात बिता पाए थे वरना गजब हो जाता,,,,
(इतना कहते हुए मधु अपने आप से ही बोली अरे पूछ मत गुलाबी रात को क्या-क्या हुआ इतना मजा आया कि बता नहीं सकती)
अच्छा भाभी अब तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना,,,
हां धीरे-धीरे आराम हो जाएगा वेद जी ने कहा था कि 15 20 दिन लगेंगे लेकिन एकदम ठीक हो जाओगी,,,
चलो अच्छा है,,,,
(इतना कहकर गुलाबी वापस सब्जी काटने लगी और मधु घर की सफाई करने में जुट गई और दूसरी तरफ,,, राजू आज बेल गाड़ी लेकर नहीं गया था उसके पिताजी गए थे इसलिए वह गांव में इधर-उधर घूम रहा था कि तभी कपड़ों का ढेर लेकर झुमरी उसे खेतों की तरफ जाती हुई दिखाई दी,,,वह, पीछे पीछे जाने लगा,,,,,, झुमरी की चाल बड़ी मतवाली थी,,, ऊंची नीची पगडंडियों पर पैर रखते हुए उसके नितंबों का आकार कभी बढ़ जाता तो कभी सिमट कर रह जाता,,, यह देख कर राजू के तन बदन में झनझनाहट हो रही थी झुमरी से वह सच्चा प्रेम करता था,, और चुनरी के लिए उसके मन में अजीब सी चाहत थी,,, चुनरी के बारे में वह कभी अपने मन में गंदे ख्याल आता नहीं था लेकिन उसको देखकर उसके तन बदन में हलचल जरूर होती थी उसकी खूबसूरती उसके बदन का बनावट राजू को उसकी तरफ हमेशा आकर्षित करती थी,,,,
राजू को लग रहा था कि झुमरी कपड़े धोने के लिए नदी की तरफ जा रही है लेकिन वह खेतों की तरफ घूम गई तो वह भी खेत की तरफ जाने लगा यहां पर किसी का आना-जाना बिल्कुल भी नहीं था चारों तरफ खेत लहलहा रहे थे और बीच की पगडंडी से झुमरी अपनी गांड मटकाते मस्तानी चाल लिए चली जा रही थी,,,, चारों तरफ देखकर तसल्ली कर लेने के बाद राजू पीछे से उसे आवाज लगाते हुए बोला,,,,।
झुमरी ये झुमरी रुको तो कहां चली जा रही हो,,,
(जानी पहचानी आवाज सुनते ही झुमरी माई खड़ी हो गई और पीछे नजर कर कर देखी तो राजू को अपने पीछे पाकर वह एकदम खुश हो गई क्योंकि काफी दिनों बाद दोनों मिल रहे थे राजू लगभग दौड़ता हुआ उसके करीब गया और बोला,,,)
अरे कहां जा रही हो झुमरी,,,?
देख नहीं रहा है कपड़े धोने जा रही हूं तुझे भी चलना है तो बोल,,,,
अरे क्यों नहीं तुम्हारे साथ तो मैं दुनिया के किसी भी कोने में जाने के लिए तैयार हूं,,,
(राजू की यह बात सुनकर झुमरी मन ही मन में मुस्कुराने लगी और बोली)
अच्छा यह बात है मेरे साथ तू कहीं भी चल सकता है,,,
हां क्यों नहीं कहो तो मैं तुम्हारी परछाई बन जाऊं,,,,
परछाई भी तो रात में साथ छोड़ देती है,,,,
तुम्हें तुम्हारी सांसे बन जाऊंगा,,,,
अरे वाह बहुत बड़ी-बड़ी बातें करता है,,, यह सब नहीं करना है लेकिन चलो मेरे साथ कपड़े धोने में मेरी मदद कर दो,,,
अरे इतनी सी बात,,, तुम्हारे खेत में ही चलना है ना ट्यूबवेल के पास,,,
हां वही चलना है,,,,।
(इतना सुनते ही राजू झुमरी के हाथों से कपड़ों का ढेर ले लिया और आगे आगे चलने लगा झुमरि यह देख कर मुस्कुराने लगी झुमरी राजू को पहले से ही पसंद करती थी लेकिन जिस दिन से दूसरे गांव में उसने उसकी इज्जत बचाई थी तब से राजू के लिए उसके मन में प्यार और सम्मान दोनों और ज्यादा बढ़ गया था,,,, देखते ही देखते दोनों लहलहाते खेतों के बीच आ गए ट्यूबवेल के पास राजू कपड़ों का ढेर रखते हुए बोला,,,,)
रुको मैं मशीन चालू कर देता हूं,,,(इतना कहने के साथ ही राजू पास में ही घास फूस की बनी झोपड़ी के अंदर गया और मशीन चालू कर दिया देखते ही देखते बड़ी सी पाइप में से पानी निकलना शुरू हो गया और झुमरी मुस्कुराते हुए वहां जाकर बैठ गई और कपड़े धोने लगी और तुरंत राजू उसके सामने आकर बैठ गया और कपड़े लेकर दोनों शुरू कर दिया यह देखकर झुमरी उसे रोकते हुए बोली,,,)
अरे यह क्या कर रहा है मैं तो मजाक कर रही थी धोना नहीं है मैं धो दुंगी,,,,
तुम मजाक कर रही थी लेकिन मैं थोड़ी ना मजाक कर रहा था तुम्हारा साथ देने का वादा किया हूं तो पीछे नहीं हटने वाला हूं,,,,
(और इतना कहकर कपड़े धोने लगा,,, झुमरी राजू को देखकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी वह बहुत खुश हो रही थी राजू का भोलापन उसे बहुत अच्छा लगता था,,,, कपड़े धोते हुए राजू झुमरी से बात करते हुए बोला,,,)
और झुमरी चाची का क्या हाल है तबीयत तो ठीक है ना,,,
हां वह तो एकदम ठीक है,,,।
(चाची का जिक्र छेड़ते ही राजू की आंखों के सामने सब कुछ वह सब साफ नजर आने लगा जो कुछ महीने पहले राजू ने किया था श्याम और उसकी मां को रंगे हाथ पकड़ना जिसके बारे में उसकी मां को बिल्कुल भनक तक नहीं थी और उसी का फायदा उठाकर शाम को विश्वास में लेकर उसकी मां के साथ चुदाई करना और श्याम और राजू दोनों का मिलकर श्याम की मां की चुदाई करना बेहद अद्भुत और रोमांचक कारी कांड था जिसके बारे में वह झुमरी को बिल्कुल भी बताना नहीं चाहता था क्योंकि वह इसी राज के चलते श्याम को पूरी तरह से अपने वश में किया हुआ था जैसा वह बोलता था श्याम वैसा ही करता था,,, राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
चाची बहुत अच्छी है ,,,,
हां सो तो है,,,,,,,
अरे राजू तू तो बैलगाड़ी भी चलाने लगा है स्टेशन पर जाता है सवारी ढोने के लिए,,,,
हां पिताजी ने मुझे भी सिखा दिया है,,,
बहुत मजा आता होगा ना दिन भर इधर-उधर घूम लो और पैसे भी कमा लो,,,
हां बहुत मजा आता है रोज नए नए लोग मिलते हैं रेलवे स्टेशन देखने का रोज मौका मिलता है तुझे बताऊं झुमरी जब ट्रेन आती है ना तो छुक छुक की आवाज आती है ऊपर से काला काला धुआं निकलता है इतना मजा आता है उसे देखने में कि पूछो मत मन करता है कि स्टेशन पर ही रह जाऊं,,,,
मेरा भी बहुत मन करता है इधर-उधर घूमने का स्टेशन देखने का मैं कभी स्टेशन नहीं देखी हूं तू कभी गाड़ी में बैठा है,,,
नहीं तो और वैसे भी हमें कौन सा दूसरे शहर जाना है,,,
हां यह भी है,,,,,
तुम रेलवे स्टेशन देखना चाहती हो बैलगाड़ी में बैठना चाहती हो,,,
हां राजू लेकिन कौन दिखाएगा कौन बैठाएगा ,,,,
अरे मैं हूं ना झुमरी तुम चिंता क्यों करती हो मैं तुम्हें बैलगाड़ी पर लेकर घुमाऊंगा स्टेशन के दिखाऊंगा और गाड़ी भी दिखाऊंगा देखना बहुत मजा आएगा,,,,
सच राजू,,,,
कसम से झुमरी मैं तुमसे कभी झूठ नहीं बोलता,,,,
राजू मैं बहुत खुश हूं कि तू मेरा इतना ख्याल रखता है,,,,
(इतना कहकर वह वापस कपड़े धोने लगी और राजू उसके खूबसूरत चेहरे को देखता ही रह गया नाक में छोटी सी नथनी पहनी हुई थी जिसकी वजह से उसका चेहरा और भी ज्यादा खूबसूरत होता है बालों की लट है उसके खूबसूरत चेहरे पर बार-बार अठखेलियां कर रही थी जिसे वह बार-बार अपनी हथेली का सहारा लेकर उसे अपने कान के पीछे कर देती थी लेकिन वापस हवा के झोंके में उसकी बालों की लटे उसके चेहरे पर आ जाती थी,,,, ट्यूबवेल में से जोरो से पानी के गिरने की वजह से उसकी बौछार उसकी कुर्ती को भिगो रही थी जो कि कुर्ती के आगे वाला भाग लिख रहा था और कुर्ती के भीगने की वजह से उसकी दोनों नौरंगिया उभरकर साफ नजर आ रहे थे क्योंकि कपड़ा उससे चिपक गया था यह देखकर राजू के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी राजू बार-बार अपनी नजरों को उधर से हटाना चाहता था लेकिन झुमरी के खूबसूरत बदन का आकर्षण इतना जबरदस्त था कि राजू अपने आप को रोक नहीं पा रहा था और बार-बार उसकी नजर उसकी दोनों नारंगी ऊपर चली जा रही थी इस बात का आभास झुमरी को बिल्कुल भी नहीं,,, था,,,,,।
देखते ही देखते कपड़े धोते समय पानी में राजू के भी कपड़े गीले होने लगे थे उसका पैजामा पूरी तरह से भीग चुका था,,, राजू कपड़ों के ढेर में से अनजाने में ही झुमरी की सलवार को लेकर जो रहा था झुमरी जब उसके हाथों में अपनी सलवार देखी तो शर्म से पानी पानी हो गई उसे बड़ा अजीब लग रहा था कि एक जवान लड़का उसकी सलवार को अपने हाथों से धो रहा है,,,, झुमरी उसके हाथ से अपनी सलवार को वापस ले लेना चाहती थी लेकिन ऐसा करने में उसे शर्म महसूस हो रही थी क्योंकि अगर वह ऐसा करती तो राजू उसके बारे में क्या सोचता शायद उसकी सलवार के बारे में सोच कर उसे भी इस बात का एहसास होता की सलवार की वजह से वह शर्मा रही है,,,, इसलिए राजू के हाथ में से सलवार लेने की उसकी हिम्मत नहीं हुई और राजू देखते देखे उसकी सलवार को एकदम धोकर पानी से भरी बाल्टी में डाल दिया था,,, झुमरी की सलवार को राजू भी अच्छी तरह से पहचानता था इसलिए उसकी सलवार धोते समय उसके बदन में भी उत्तेजना का एहसास हो रहा था सलवार के ऊपरी हिस्से पर साबुन लगाते समय राजू इस तरह की कल्पना कर रहा था कि मानो कि जैसे वह उसकी सलवार पर नहीं बल्कि झुमरी की गांड पर साबुन लगा रहा हो,,, क्योंकि राजू जानता था कि इसी सलवार के अंदर झुमरी अपना बेशकीमती खजाना छुपाती है जिसके बारे में सोचकर वह पूरी तरह से मस्त हो जाता है,,,,
खड़ी दुपहरी में खेतों के बीच ट्यूबवेल के नीचे कपड़े धोने का सिलसिला लगातार जारी था पानी में रहने की वजह से राजू का पैजामा पूरी तरह से गिला हो चुका था और राजू दूसरे कपड़े लेने के लिए जैसे ही खड़ा हुआ झुमरी की नजर राजू के गीले पर जाने पर पड़ी और पजामे के अंदर टनटनाए हुए उसके लंड पर जोकि पैजामा पूरी तरह से गीला होने की वजह से राजू के लंड का आकार उसका अक्स एकदम साफ नजर आ रहा था जिसे देखकर खुद झुमरी के तन बदन में आग लगने लगी झुमरी ने अभी तक जवान लंड के दर्शन नहीं किए थे लंड के आकार के बारे में उसने सिर्फ कल्पना ही की थी उसे देखी नहीं थी लेकिन आज पहली बार राजू के पजामे में खड़े लंड को देखकर उसकी दोनों टांगों के बीच अजीब सी हलचल होने लगी थी वह तुरंत अपनी नजरों को नीचे झुका ली थी और राजू को भी इस बात का आभास नहीं था वह भी कपड़े लेकर वापस नीचे बैठकर कपड़े धोना शुरू कर दिया था,,,,
अभी तक झुमरी के लिए सब कुछ सही चल रहा था लेकिन संजू के लंड का नजारा देखकर वह असहज महसूस कर रही थी,,, देखते ही देखते झुमरी का भी कुर्ती पूरी तरह से पानी में गीला हो गया था और उसमें से भी झुमरी की लाजवाब गोल-गोल नारंगी एकदम साफ नजर आने लगी थी जिस पर बार-बार राजू की नजर चली जा रही थी कपड़े धोते समय झुमरी चोर नजरों से राजू की तरफ देखी तो उसकी नजरों को अपनी छातियों की तरफ पाकर वो एकदम से शर्म से पानी पानी हो गई वह अपनी नजरों को नीचे छुड़ाकर अपनी छातियों की तरफ देखी तो उसके होश उड़ गए उसकी चूची एकदम साफ झलक रही थी उसका आकार कुर्ती में होने के बावजूद भी एकदम साफ नजर आ रहा था जिसे राजू अपनी प्यासी आंखों से देख रहा था अब झुमरी के लिए यह राजू का देखना असहनीय होता जा रहा था उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी ऐसा लग रहा था कि मानो राजू अपनी नजरों से उसके बदन में चीकोटी काट रहा हो वह कसमसा रही थी,,,, झुमरी अपनी छातियों को ढक लेना चाहती थी लेकिन राजू की आंखों के सामने ऐसा करने से वह और भी ज्यादा शर्म का अनुभव करने लगती है इसलिए ऐसा करने से हिचकी आ रही थी वह ऐसा जता रही थी कि मानो राजू की हरकत का उसे अंदाजा ही नहीं है,,,, देखते ही देखते सारे कपड़े दोनों ने मिलकर धो दिए थे अब उन्हें सूखने के लिए डालना था और इसीलिए राजू फिर से खड़ा हो गया और इस बार गीले पजामे में से राजू के लंड का आकार एकदम साफ नजर आने लगा एक बार फिर से झुमरी उस दृश्य को देखकर गनगना गई,,,, राजू को तो इस बात का अहसास तक नहीं था कि झुमरी उसके पजामे में उसके टनटन आए हुए लंड को देख रही है वह अपनी ही मस्ती में मशगूल था वह गीले कपड़ों को लेकर सूखने के लिए डालने लगा जंगली झाड़ियां उगी हुई थी उसी पर वह एक-एक करके सारे कपड़ों को डाल रहा था और झुमरी भी उसके साथ में उसका हाथ बंटा रही थी,,, दोनों करीब-करीब एकदम पास में ही खड़े थे बस दोनों के बीच 2 फुट की ही दूरी थी राजू भी गीले कपड़ों को सूखने के लिए डाल रहा था और झुमरी भी गीले कपड़ों को सूखने के लिए जा रही थी लेकिन उसकी तिरछी नजर राजू के पजामे पर टिकी हुई थी जिसमें उसका मोटा तगड़ा लंड झुमरी के होश उड़ा रहा था राजू को इस बात का आभास तक नहीं था लेकिन जैसे ही वह झुमरी की तरफ देखा और उसकी झुकी हुई नजरों को अपने पजामे की तरफ देखा तो उसके भी तन बदन में आग लग गई उसे अब जाकर इस बात का अहसास हुआ कि पजामे के अंदर उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका है,,,, झुमरी के सामने उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह झुमरी की नजरों से अपने लंड को छुपाए या इसी तरह से सब कुछ चलने दे,,,,, झुमरी की आंखों के सामने अपने टनटनाए लंड को ढकना यह हरकत झुमरी को शर्मिंदा कर सकती थी इसलिए राजू इस तरह की हरकत करना नहीं चाहता था इसलिए जैसा चल रहा है वैसा ही वह अनजान बनकर चलने देना चाहता था राजू को अब मजा आने लगा था क्योंकि झुमरी उसकी मर्दानगी की तरफ देख रही थी झुमरी के तन बदन में और ज्यादा आग लगाने के लिए राजू अपने गीले हो चले कुर्ते को झुमरी की आंखों के सामने ही उतार दिया और कुर्ते को उतारते ही राजू की चौड़ी छाती एकदम नंगी हो गई और यह देखकर झुमरी के बदन में हलचल सी होने लगी,,,,,,,,, राजू की चौड़ी नंगी छाती सुनहरी धूप में चमक रही थी,, राजू की नंगी चौड़ी छाती की तरफ देखकर झुमरी शर्मा रही थी,,, राजू अपने कुर्ते को अपने हाथों में लेकर उसका पानी गारते हुए बोला,,,।
मैं भी पूरा भीग गया इसे भी सुखाने के लिए डालना पड़ेगा,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू अपने खिले कुर्ते को झाड़ियों पर रखकर सूखने के लिए छोड़ दिया झुमरी वापस उसी जगह पर आ गई थी उसे नहाना था,,,, लेकिन राजू की मौजूदगी में उसे नहाने में शर्म आ रही थी हालांकि पहली मुलाकात में ही राजू है झुमरी को संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में नहाते हुए देखा था लेकिन इस बात से उस समय झुमरी अनजान थी इसलिए उस समय उसे शर्म का एहसास नहीं हुआ था लेकिन आज राजू से उसे शर्म आ रही थी राजू की उसी जगह पर आ गया था जानबूझकर राजू झुमरी की आंखों के सामने ही खड़ा था ताकि झुमरी की नजर उसके तने हुए लंड पर चला जाए और ऐसा ही हो रहा था झुमरी चोर नजरों से राजू के पजामे की तरफ देख रही थी और उसे देख कर अंदर ही अंदर सिहर उठ रही थी,,,,। झुमरी को इस तरह से खड़ी देखकर राजू बोला,,,।
अब बोलो झुमरी क्या करना है,,,?
करना क्या है मुझे नहाना है,,,
तो नहाओ ना,,,
तुम्हारे सामने नहीं नहीं तुम जाओ मैं नहा लूंगी,,,
अब क्यों शर्मा रही हो जानती हो ना मैं तुम्हें नहाते हुए देख चुका हूं और वह भी एकदम नंगी,,,
(राजू के मुंह से अपने लिए नंगी शब्द सुनकर झुमरी के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी,,,, फिर भी वह जानबूझकर राजू के शब्दों पर गौर ना करने का बहाना करते हुए सहज रूप से बोली,,,)
अरे वह तो अनजाने में ही लेकिन अभी तो मैं सब कुछ जान रही हो ना अभी चले जाओ मुझे शर्म आ रही है,,,
तुम्हें शर्म आ रही है लेकिन मुझे तो अच्छा लग रहा है एक बार फिर से मैं तुम्हें उसी हालत में देखना चाहता हूं जैसा कि मैं पहली बार देखा था मेरी आंखें फटी की फटी रह गई थी तुम्हारे नंगे बदन को देख कर,,,,,(राजू झुमरी के साथ थोड़ा खोलना चाहता था इसलिए इस तरह के शब्दों का प्रयोग कर रहा था और ऐसा शब्दों का प्रयोग झुमरी के सामने करते हुए उसके लंड का कड़क पन और ज्यादा बढ़ रहा था जिस पर बार-बार झुमरी की नजर चली जा रही थी और उसे देखकर उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल हो रही थी,,,,)
वह तो अनजाने में उस समय की बात कुछ और थी अभी चले जाओ,,,
झुमरी तुम खामखा शर्म कर रही हो और वह भी मेरे सामने तुम जानती हो मैं तुमसे प्यार करता हूं और वह भी सच्चा प्यार झुमरी मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं तुम्हारे साथ अपना जीवन को जानना चाहता हूं क्योंकि मैं जानता हूं कि तुमसे अच्छी खूबसूरत मुझे दूसरी जीवनसाथी नहीं मिल सकती क्या तुम मुझसे शादी करना चाहोगी,,,,
यह क्या कह रहे हो राजू,,,,(झुमरी शर्मा कर दूसरी तरफ नजर घुमाते हुए ) मुझसे इस तरह की बात मत करो मुझे शर्म आती है,,,, तुम यहां से चले जाओ,,,
चला जाऊंगा लेकिन पहले एक बात का खुलासा कर दूं क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो या नहीं या फिर मैं खामखा तुम्हारे पीछे अपना समय बर्बाद कर रहा हूं,,,
(राजू के मुंह से प्यार का इजहार सुनकर झुमरी के तन बदन में उत्तेजना के साथ-साथ आनंद की फुहार फूटने लगी वह राजू के मुंह से यही सुनना चाहती थी क्योंकि वह भी राजू से विवाह का सपना देखने लगी थी लेकिन अपने प्यार का इजहार करने में उसे शर्म महसूस हो रही थी लेकिन फिर भी हिम्मत करते हुए वह बोली)
राजू मैं भी तुमसे प्यार करती हूं अब और मुझसे मत पूछो चले जाओ यहां से मुझे शर्म आ रही है,,,
(राजू झुमरी के मुंह से यह सुनकर एकदम खुशी से चूमने लगा और एकदम प्रसन्न होते हुए बोला)
बस बस झुमरी मुझे मेरे सवाल का जवाब देकर तुमने मुझे खुश कर दी हो मैं चला जाता हूं तुम नहा लो लेकिन उस दिन की तरह ही नहाना एकदम नंगी होकर क्योंकि तुम नंगी होकर जब भी नहाती हो बहुत खूबसूरत लगती हो ऐसा लगता है कि स्वर्ग से कोई अप्सरा नीचे धरती पर उतर आई हो,,,।
(राजू के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर झुमरी अंदर ही अंदर बेहद प्रसन्न होने लगी और राजू इतना कहकर जाने लगा झुमरी उसे रोक लेना चाहती थी उसे अपनी आंखों के सामने बैठ आना चाहती थी और उसकी ही बातों को मानते हुए अपने कपड़े उतार कर उसके सामने नंगी रहना चाहती थी लेकिन ऐसा करने में उसे शर्म महसूस हो रही थी वह कैसे भला राजू को रोक लेती है और उसकी आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जाती इसलिए वह उसे जाते हुए देखती रही थोड़ा दुख से हो रहा था लेकिन फिर भी अपने मन को इस बात से मना ली थी कि राजू उससे प्यार करता है और उससे शादी करना चाहता है देखते ही देखते राजू उसकी आंखों से ओझल हो गया और वह राजू के ख्यालों में खो कर धीरे-धीरे अपने कपड़े उतार कर नंगी होने लगी,,,, अपनी गीले कपड़ों को उतारते हुए वह बार-बार उसी दिशा में देख ले रही थी जहां से राजू गया था,,,
क्या भाभी अब कमर का दर्द कैसा है,,,,(सब्जी काटते हुए गुलाबी बोली)
अब जा कर रहा था हुआ है वरना बेल गाड़ी में बैठ कर इतना लंबा सफर तय करना मेरे लिए तो बहुत मुश्किल हो गया था इसीलिए मेरा पूरा बदन दर्द कर रहा था,,,,
(मधु जानबूझकर अपने बदन के दर्द का कारण बैलगाड़ी का सफर बता रही थी अब वह यह कैसे खुलकर कह दे कि अपने ही बेटे से चुदवाकर अपने बदन का दर्द मोल ले ली थी,,,, मधु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)
मैंने तो आज तक ऐसी तूफानी बारिश कभी नहीं देखी थी,,, इतना आंधी तूफान तेज हवा बादलों का गर्जना सबकुछ कितना भयानक था,,,
हां भाभी तुम सच कह रही हो लेकिन तुम रुकी कहां थी,,, भैया और मुझ को कितनी चिंता हो रही थी पता है,,,।
(गुलाबी भी बहाना बनाते हुए बोल रही थी क्योंकि वह भी रात भर तूफानी बारिश का मजा अपने भाई से चुदवा कर ले रही थी,,,)
अरे वह तो अच्छा हुआ कि गांव से निकलने ही वाले थे कि बारिश शुरू हो गई वरना रास्ते में दिक्कत हो जाती सर छुपाने की जगह नहीं मिलती,,,
अच्छा हुआ भाभी तुम गांव में ही रुक गई,,,
गुलाबी वैद्य जी की पत्नी ने हमें रुकने का प्रबंध कर दिया था तब जाकर हम लोग शांति से रात बिता पाए थे वरना गजब हो जाता,,,,
(इतना कहते हुए मधु अपने आप से ही बोली अरे पूछ मत गुलाबी रात को क्या-क्या हुआ इतना मजा आया कि बता नहीं सकती)
अच्छा भाभी अब तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना,,,
हां धीरे-धीरे आराम हो जाएगा वेद जी ने कहा था कि 15 20 दिन लगेंगे लेकिन एकदम ठीक हो जाओगी,,,
चलो अच्छा है,,,,
(इतना कहकर गुलाबी वापस सब्जी काटने लगी और मधु घर की सफाई करने में जुट गई और दूसरी तरफ,,, राजू आज बेल गाड़ी लेकर नहीं गया था उसके पिताजी गए थे इसलिए वह गांव में इधर-उधर घूम रहा था कि तभी कपड़ों का ढेर लेकर झुमरी उसे खेतों की तरफ जाती हुई दिखाई दी,,,वह, पीछे पीछे जाने लगा,,,,,, झुमरी की चाल बड़ी मतवाली थी,,, ऊंची नीची पगडंडियों पर पैर रखते हुए उसके नितंबों का आकार कभी बढ़ जाता तो कभी सिमट कर रह जाता,,, यह देख कर राजू के तन बदन में झनझनाहट हो रही थी झुमरी से वह सच्चा प्रेम करता था,, और चुनरी के लिए उसके मन में अजीब सी चाहत थी,,, चुनरी के बारे में वह कभी अपने मन में गंदे ख्याल आता नहीं था लेकिन उसको देखकर उसके तन बदन में हलचल जरूर होती थी उसकी खूबसूरती उसके बदन का बनावट राजू को उसकी तरफ हमेशा आकर्षित करती थी,,,,
राजू को लग रहा था कि झुमरी कपड़े धोने के लिए नदी की तरफ जा रही है लेकिन वह खेतों की तरफ घूम गई तो वह भी खेत की तरफ जाने लगा यहां पर किसी का आना-जाना बिल्कुल भी नहीं था चारों तरफ खेत लहलहा रहे थे और बीच की पगडंडी से झुमरी अपनी गांड मटकाते मस्तानी चाल लिए चली जा रही थी,,,, चारों तरफ देखकर तसल्ली कर लेने के बाद राजू पीछे से उसे आवाज लगाते हुए बोला,,,,।
झुमरी ये झुमरी रुको तो कहां चली जा रही हो,,,
(जानी पहचानी आवाज सुनते ही झुमरी माई खड़ी हो गई और पीछे नजर कर कर देखी तो राजू को अपने पीछे पाकर वह एकदम खुश हो गई क्योंकि काफी दिनों बाद दोनों मिल रहे थे राजू लगभग दौड़ता हुआ उसके करीब गया और बोला,,,)
अरे कहां जा रही हो झुमरी,,,?
देख नहीं रहा है कपड़े धोने जा रही हूं तुझे भी चलना है तो बोल,,,,
अरे क्यों नहीं तुम्हारे साथ तो मैं दुनिया के किसी भी कोने में जाने के लिए तैयार हूं,,,
(राजू की यह बात सुनकर झुमरी मन ही मन में मुस्कुराने लगी और बोली)
अच्छा यह बात है मेरे साथ तू कहीं भी चल सकता है,,,
हां क्यों नहीं कहो तो मैं तुम्हारी परछाई बन जाऊं,,,,
परछाई भी तो रात में साथ छोड़ देती है,,,,
तुम्हें तुम्हारी सांसे बन जाऊंगा,,,,
अरे वाह बहुत बड़ी-बड़ी बातें करता है,,, यह सब नहीं करना है लेकिन चलो मेरे साथ कपड़े धोने में मेरी मदद कर दो,,,
अरे इतनी सी बात,,, तुम्हारे खेत में ही चलना है ना ट्यूबवेल के पास,,,
हां वही चलना है,,,,।
(इतना सुनते ही राजू झुमरी के हाथों से कपड़ों का ढेर ले लिया और आगे आगे चलने लगा झुमरि यह देख कर मुस्कुराने लगी झुमरी राजू को पहले से ही पसंद करती थी लेकिन जिस दिन से दूसरे गांव में उसने उसकी इज्जत बचाई थी तब से राजू के लिए उसके मन में प्यार और सम्मान दोनों और ज्यादा बढ़ गया था,,,, देखते ही देखते दोनों लहलहाते खेतों के बीच आ गए ट्यूबवेल के पास राजू कपड़ों का ढेर रखते हुए बोला,,,,)
रुको मैं मशीन चालू कर देता हूं,,,(इतना कहने के साथ ही राजू पास में ही घास फूस की बनी झोपड़ी के अंदर गया और मशीन चालू कर दिया देखते ही देखते बड़ी सी पाइप में से पानी निकलना शुरू हो गया और झुमरी मुस्कुराते हुए वहां जाकर बैठ गई और कपड़े धोने लगी और तुरंत राजू उसके सामने आकर बैठ गया और कपड़े लेकर दोनों शुरू कर दिया यह देखकर झुमरी उसे रोकते हुए बोली,,,)
अरे यह क्या कर रहा है मैं तो मजाक कर रही थी धोना नहीं है मैं धो दुंगी,,,,
तुम मजाक कर रही थी लेकिन मैं थोड़ी ना मजाक कर रहा था तुम्हारा साथ देने का वादा किया हूं तो पीछे नहीं हटने वाला हूं,,,,
(और इतना कहकर कपड़े धोने लगा,,, झुमरी राजू को देखकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी वह बहुत खुश हो रही थी राजू का भोलापन उसे बहुत अच्छा लगता था,,,, कपड़े धोते हुए राजू झुमरी से बात करते हुए बोला,,,)
और झुमरी चाची का क्या हाल है तबीयत तो ठीक है ना,,,
हां वह तो एकदम ठीक है,,,।
(चाची का जिक्र छेड़ते ही राजू की आंखों के सामने सब कुछ वह सब साफ नजर आने लगा जो कुछ महीने पहले राजू ने किया था श्याम और उसकी मां को रंगे हाथ पकड़ना जिसके बारे में उसकी मां को बिल्कुल भनक तक नहीं थी और उसी का फायदा उठाकर शाम को विश्वास में लेकर उसकी मां के साथ चुदाई करना और श्याम और राजू दोनों का मिलकर श्याम की मां की चुदाई करना बेहद अद्भुत और रोमांचक कारी कांड था जिसके बारे में वह झुमरी को बिल्कुल भी बताना नहीं चाहता था क्योंकि वह इसी राज के चलते श्याम को पूरी तरह से अपने वश में किया हुआ था जैसा वह बोलता था श्याम वैसा ही करता था,,, राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
चाची बहुत अच्छी है ,,,,
हां सो तो है,,,,,,,
अरे राजू तू तो बैलगाड़ी भी चलाने लगा है स्टेशन पर जाता है सवारी ढोने के लिए,,,,
हां पिताजी ने मुझे भी सिखा दिया है,,,
बहुत मजा आता होगा ना दिन भर इधर-उधर घूम लो और पैसे भी कमा लो,,,
हां बहुत मजा आता है रोज नए नए लोग मिलते हैं रेलवे स्टेशन देखने का रोज मौका मिलता है तुझे बताऊं झुमरी जब ट्रेन आती है ना तो छुक छुक की आवाज आती है ऊपर से काला काला धुआं निकलता है इतना मजा आता है उसे देखने में कि पूछो मत मन करता है कि स्टेशन पर ही रह जाऊं,,,,
मेरा भी बहुत मन करता है इधर-उधर घूमने का स्टेशन देखने का मैं कभी स्टेशन नहीं देखी हूं तू कभी गाड़ी में बैठा है,,,
नहीं तो और वैसे भी हमें कौन सा दूसरे शहर जाना है,,,
हां यह भी है,,,,,
तुम रेलवे स्टेशन देखना चाहती हो बैलगाड़ी में बैठना चाहती हो,,,
हां राजू लेकिन कौन दिखाएगा कौन बैठाएगा ,,,,
अरे मैं हूं ना झुमरी तुम चिंता क्यों करती हो मैं तुम्हें बैलगाड़ी पर लेकर घुमाऊंगा स्टेशन के दिखाऊंगा और गाड़ी भी दिखाऊंगा देखना बहुत मजा आएगा,,,,
सच राजू,,,,
कसम से झुमरी मैं तुमसे कभी झूठ नहीं बोलता,,,,
राजू मैं बहुत खुश हूं कि तू मेरा इतना ख्याल रखता है,,,,
(इतना कहकर वह वापस कपड़े धोने लगी और राजू उसके खूबसूरत चेहरे को देखता ही रह गया नाक में छोटी सी नथनी पहनी हुई थी जिसकी वजह से उसका चेहरा और भी ज्यादा खूबसूरत होता है बालों की लट है उसके खूबसूरत चेहरे पर बार-बार अठखेलियां कर रही थी जिसे वह बार-बार अपनी हथेली का सहारा लेकर उसे अपने कान के पीछे कर देती थी लेकिन वापस हवा के झोंके में उसकी बालों की लटे उसके चेहरे पर आ जाती थी,,,, ट्यूबवेल में से जोरो से पानी के गिरने की वजह से उसकी बौछार उसकी कुर्ती को भिगो रही थी जो कि कुर्ती के आगे वाला भाग लिख रहा था और कुर्ती के भीगने की वजह से उसकी दोनों नौरंगिया उभरकर साफ नजर आ रहे थे क्योंकि कपड़ा उससे चिपक गया था यह देखकर राजू के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी राजू बार-बार अपनी नजरों को उधर से हटाना चाहता था लेकिन झुमरी के खूबसूरत बदन का आकर्षण इतना जबरदस्त था कि राजू अपने आप को रोक नहीं पा रहा था और बार-बार उसकी नजर उसकी दोनों नारंगी ऊपर चली जा रही थी इस बात का आभास झुमरी को बिल्कुल भी नहीं,,, था,,,,,।
देखते ही देखते कपड़े धोते समय पानी में राजू के भी कपड़े गीले होने लगे थे उसका पैजामा पूरी तरह से भीग चुका था,,, राजू कपड़ों के ढेर में से अनजाने में ही झुमरी की सलवार को लेकर जो रहा था झुमरी जब उसके हाथों में अपनी सलवार देखी तो शर्म से पानी पानी हो गई उसे बड़ा अजीब लग रहा था कि एक जवान लड़का उसकी सलवार को अपने हाथों से धो रहा है,,,, झुमरी उसके हाथ से अपनी सलवार को वापस ले लेना चाहती थी लेकिन ऐसा करने में उसे शर्म महसूस हो रही थी क्योंकि अगर वह ऐसा करती तो राजू उसके बारे में क्या सोचता शायद उसकी सलवार के बारे में सोच कर उसे भी इस बात का एहसास होता की सलवार की वजह से वह शर्मा रही है,,,, इसलिए राजू के हाथ में से सलवार लेने की उसकी हिम्मत नहीं हुई और राजू देखते देखे उसकी सलवार को एकदम धोकर पानी से भरी बाल्टी में डाल दिया था,,, झुमरी की सलवार को राजू भी अच्छी तरह से पहचानता था इसलिए उसकी सलवार धोते समय उसके बदन में भी उत्तेजना का एहसास हो रहा था सलवार के ऊपरी हिस्से पर साबुन लगाते समय राजू इस तरह की कल्पना कर रहा था कि मानो कि जैसे वह उसकी सलवार पर नहीं बल्कि झुमरी की गांड पर साबुन लगा रहा हो,,, क्योंकि राजू जानता था कि इसी सलवार के अंदर झुमरी अपना बेशकीमती खजाना छुपाती है जिसके बारे में सोचकर वह पूरी तरह से मस्त हो जाता है,,,,
खड़ी दुपहरी में खेतों के बीच ट्यूबवेल के नीचे कपड़े धोने का सिलसिला लगातार जारी था पानी में रहने की वजह से राजू का पैजामा पूरी तरह से गिला हो चुका था और राजू दूसरे कपड़े लेने के लिए जैसे ही खड़ा हुआ झुमरी की नजर राजू के गीले पर जाने पर पड़ी और पजामे के अंदर टनटनाए हुए उसके लंड पर जोकि पैजामा पूरी तरह से गीला होने की वजह से राजू के लंड का आकार उसका अक्स एकदम साफ नजर आ रहा था जिसे देखकर खुद झुमरी के तन बदन में आग लगने लगी झुमरी ने अभी तक जवान लंड के दर्शन नहीं किए थे लंड के आकार के बारे में उसने सिर्फ कल्पना ही की थी उसे देखी नहीं थी लेकिन आज पहली बार राजू के पजामे में खड़े लंड को देखकर उसकी दोनों टांगों के बीच अजीब सी हलचल होने लगी थी वह तुरंत अपनी नजरों को नीचे झुका ली थी और राजू को भी इस बात का आभास नहीं था वह भी कपड़े लेकर वापस नीचे बैठकर कपड़े धोना शुरू कर दिया था,,,,
अभी तक झुमरी के लिए सब कुछ सही चल रहा था लेकिन संजू के लंड का नजारा देखकर वह असहज महसूस कर रही थी,,, देखते ही देखते झुमरी का भी कुर्ती पूरी तरह से पानी में गीला हो गया था और उसमें से भी झुमरी की लाजवाब गोल-गोल नारंगी एकदम साफ नजर आने लगी थी जिस पर बार-बार राजू की नजर चली जा रही थी कपड़े धोते समय झुमरी चोर नजरों से राजू की तरफ देखी तो उसकी नजरों को अपनी छातियों की तरफ पाकर वो एकदम से शर्म से पानी पानी हो गई वह अपनी नजरों को नीचे छुड़ाकर अपनी छातियों की तरफ देखी तो उसके होश उड़ गए उसकी चूची एकदम साफ झलक रही थी उसका आकार कुर्ती में होने के बावजूद भी एकदम साफ नजर आ रहा था जिसे राजू अपनी प्यासी आंखों से देख रहा था अब झुमरी के लिए यह राजू का देखना असहनीय होता जा रहा था उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी ऐसा लग रहा था कि मानो राजू अपनी नजरों से उसके बदन में चीकोटी काट रहा हो वह कसमसा रही थी,,,, झुमरी अपनी छातियों को ढक लेना चाहती थी लेकिन राजू की आंखों के सामने ऐसा करने से वह और भी ज्यादा शर्म का अनुभव करने लगती है इसलिए ऐसा करने से हिचकी आ रही थी वह ऐसा जता रही थी कि मानो राजू की हरकत का उसे अंदाजा ही नहीं है,,,, देखते ही देखते सारे कपड़े दोनों ने मिलकर धो दिए थे अब उन्हें सूखने के लिए डालना था और इसीलिए राजू फिर से खड़ा हो गया और इस बार गीले पजामे में से राजू के लंड का आकार एकदम साफ नजर आने लगा एक बार फिर से झुमरी उस दृश्य को देखकर गनगना गई,,,, राजू को तो इस बात का अहसास तक नहीं था कि झुमरी उसके पजामे में उसके टनटन आए हुए लंड को देख रही है वह अपनी ही मस्ती में मशगूल था वह गीले कपड़ों को लेकर सूखने के लिए डालने लगा जंगली झाड़ियां उगी हुई थी उसी पर वह एक-एक करके सारे कपड़ों को डाल रहा था और झुमरी भी उसके साथ में उसका हाथ बंटा रही थी,,, दोनों करीब-करीब एकदम पास में ही खड़े थे बस दोनों के बीच 2 फुट की ही दूरी थी राजू भी गीले कपड़ों को सूखने के लिए डाल रहा था और झुमरी भी गीले कपड़ों को सूखने के लिए जा रही थी लेकिन उसकी तिरछी नजर राजू के पजामे पर टिकी हुई थी जिसमें उसका मोटा तगड़ा लंड झुमरी के होश उड़ा रहा था राजू को इस बात का आभास तक नहीं था लेकिन जैसे ही वह झुमरी की तरफ देखा और उसकी झुकी हुई नजरों को अपने पजामे की तरफ देखा तो उसके भी तन बदन में आग लग गई उसे अब जाकर इस बात का अहसास हुआ कि पजामे के अंदर उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका है,,,, झुमरी के सामने उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह झुमरी की नजरों से अपने लंड को छुपाए या इसी तरह से सब कुछ चलने दे,,,,, झुमरी की आंखों के सामने अपने टनटनाए लंड को ढकना यह हरकत झुमरी को शर्मिंदा कर सकती थी इसलिए राजू इस तरह की हरकत करना नहीं चाहता था इसलिए जैसा चल रहा है वैसा ही वह अनजान बनकर चलने देना चाहता था राजू को अब मजा आने लगा था क्योंकि झुमरी उसकी मर्दानगी की तरफ देख रही थी झुमरी के तन बदन में और ज्यादा आग लगाने के लिए राजू अपने गीले हो चले कुर्ते को झुमरी की आंखों के सामने ही उतार दिया और कुर्ते को उतारते ही राजू की चौड़ी छाती एकदम नंगी हो गई और यह देखकर झुमरी के बदन में हलचल सी होने लगी,,,,,,,,, राजू की चौड़ी नंगी छाती सुनहरी धूप में चमक रही थी,, राजू की नंगी चौड़ी छाती की तरफ देखकर झुमरी शर्मा रही थी,,, राजू अपने कुर्ते को अपने हाथों में लेकर उसका पानी गारते हुए बोला,,,।
मैं भी पूरा भीग गया इसे भी सुखाने के लिए डालना पड़ेगा,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू अपने खिले कुर्ते को झाड़ियों पर रखकर सूखने के लिए छोड़ दिया झुमरी वापस उसी जगह पर आ गई थी उसे नहाना था,,,, लेकिन राजू की मौजूदगी में उसे नहाने में शर्म आ रही थी हालांकि पहली मुलाकात में ही राजू है झुमरी को संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में नहाते हुए देखा था लेकिन इस बात से उस समय झुमरी अनजान थी इसलिए उस समय उसे शर्म का एहसास नहीं हुआ था लेकिन आज राजू से उसे शर्म आ रही थी राजू की उसी जगह पर आ गया था जानबूझकर राजू झुमरी की आंखों के सामने ही खड़ा था ताकि झुमरी की नजर उसके तने हुए लंड पर चला जाए और ऐसा ही हो रहा था झुमरी चोर नजरों से राजू के पजामे की तरफ देख रही थी और उसे देख कर अंदर ही अंदर सिहर उठ रही थी,,,,। झुमरी को इस तरह से खड़ी देखकर राजू बोला,,,।
अब बोलो झुमरी क्या करना है,,,?
करना क्या है मुझे नहाना है,,,
तो नहाओ ना,,,
तुम्हारे सामने नहीं नहीं तुम जाओ मैं नहा लूंगी,,,
अब क्यों शर्मा रही हो जानती हो ना मैं तुम्हें नहाते हुए देख चुका हूं और वह भी एकदम नंगी,,,
(राजू के मुंह से अपने लिए नंगी शब्द सुनकर झुमरी के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी,,,, फिर भी वह जानबूझकर राजू के शब्दों पर गौर ना करने का बहाना करते हुए सहज रूप से बोली,,,)
अरे वह तो अनजाने में ही लेकिन अभी तो मैं सब कुछ जान रही हो ना अभी चले जाओ मुझे शर्म आ रही है,,,
तुम्हें शर्म आ रही है लेकिन मुझे तो अच्छा लग रहा है एक बार फिर से मैं तुम्हें उसी हालत में देखना चाहता हूं जैसा कि मैं पहली बार देखा था मेरी आंखें फटी की फटी रह गई थी तुम्हारे नंगे बदन को देख कर,,,,,(राजू झुमरी के साथ थोड़ा खोलना चाहता था इसलिए इस तरह के शब्दों का प्रयोग कर रहा था और ऐसा शब्दों का प्रयोग झुमरी के सामने करते हुए उसके लंड का कड़क पन और ज्यादा बढ़ रहा था जिस पर बार-बार झुमरी की नजर चली जा रही थी और उसे देखकर उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल हो रही थी,,,,)
वह तो अनजाने में उस समय की बात कुछ और थी अभी चले जाओ,,,
झुमरी तुम खामखा शर्म कर रही हो और वह भी मेरे सामने तुम जानती हो मैं तुमसे प्यार करता हूं और वह भी सच्चा प्यार झुमरी मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं तुम्हारे साथ अपना जीवन को जानना चाहता हूं क्योंकि मैं जानता हूं कि तुमसे अच्छी खूबसूरत मुझे दूसरी जीवनसाथी नहीं मिल सकती क्या तुम मुझसे शादी करना चाहोगी,,,,
यह क्या कह रहे हो राजू,,,,(झुमरी शर्मा कर दूसरी तरफ नजर घुमाते हुए ) मुझसे इस तरह की बात मत करो मुझे शर्म आती है,,,, तुम यहां से चले जाओ,,,
चला जाऊंगा लेकिन पहले एक बात का खुलासा कर दूं क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो या नहीं या फिर मैं खामखा तुम्हारे पीछे अपना समय बर्बाद कर रहा हूं,,,
(राजू के मुंह से प्यार का इजहार सुनकर झुमरी के तन बदन में उत्तेजना के साथ-साथ आनंद की फुहार फूटने लगी वह राजू के मुंह से यही सुनना चाहती थी क्योंकि वह भी राजू से विवाह का सपना देखने लगी थी लेकिन अपने प्यार का इजहार करने में उसे शर्म महसूस हो रही थी लेकिन फिर भी हिम्मत करते हुए वह बोली)
राजू मैं भी तुमसे प्यार करती हूं अब और मुझसे मत पूछो चले जाओ यहां से मुझे शर्म आ रही है,,,
(राजू झुमरी के मुंह से यह सुनकर एकदम खुशी से चूमने लगा और एकदम प्रसन्न होते हुए बोला)
बस बस झुमरी मुझे मेरे सवाल का जवाब देकर तुमने मुझे खुश कर दी हो मैं चला जाता हूं तुम नहा लो लेकिन उस दिन की तरह ही नहाना एकदम नंगी होकर क्योंकि तुम नंगी होकर जब भी नहाती हो बहुत खूबसूरत लगती हो ऐसा लगता है कि स्वर्ग से कोई अप्सरा नीचे धरती पर उतर आई हो,,,।
(राजू के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर झुमरी अंदर ही अंदर बेहद प्रसन्न होने लगी और राजू इतना कहकर जाने लगा झुमरी उसे रोक लेना चाहती थी उसे अपनी आंखों के सामने बैठ आना चाहती थी और उसकी ही बातों को मानते हुए अपने कपड़े उतार कर उसके सामने नंगी रहना चाहती थी लेकिन ऐसा करने में उसे शर्म महसूस हो रही थी वह कैसे भला राजू को रोक लेती है और उसकी आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जाती इसलिए वह उसे जाते हुए देखती रही थोड़ा दुख से हो रहा था लेकिन फिर भी अपने मन को इस बात से मना ली थी कि राजू उससे प्यार करता है और उससे शादी करना चाहता है देखते ही देखते राजू उसकी आंखों से ओझल हो गया और वह राजू के ख्यालों में खो कर धीरे-धीरे अपने कपड़े उतार कर नंगी होने लगी,,,, अपनी गीले कपड़ों को उतारते हुए वह बार-बार उसी दिशा में देख ले रही थी जहां से राजू गया था,,,