धीरे-धीरे दिन-ब-दिन गुलाबी के हाव भाव बदलने लगे थे,,,,, अपनी आंखों से अपने भैया और भाभी को चुदवाते हुए देखकर उसके तन बदन में उस दृश्य को याद करके हलचल सी मच जाती थी और उसकी बुर पानी छोड़ने लगती थी इस उमर में उसे भी एक जवान मोटे तगड़े लंड की जरूरत महसूस होने लगी थी,,,,, लेकिन अपनी भाभी को अपने भैया से चुदवाते हुए देखकर उसकी जो हालत हुई थी और अपनी भैया के लंड को अपनी भाभी की बुर में अंदर बाहर होता हुआ देखकर वह भी पहली बार अपनी बुर के अंदर अपनी ऊंगलियो को प्रवेश करा दी थी ऐसा करने में उसे बहुत ही आनंद की अनुभूति हुई थी हालाकी उंगलियां लंड का मजा बिल्कुल भी नहीं दे सकती थी लेकिन फिर भी अपनी जवानी की गर्मी को शांत करने के लिए यही एक उचित मार्ग था जो कि वह जब चाहे तब उपयोग कर सकती थी,,,,,,,, लेकिन धीरे-धीरे उसका सब्र जवाब देने लगा था उसे अपनी जरूरतों के अधीन होकर इतना यकीन हो गया था कि अगर कोई भी उसकी चुदाई करना चाहेगा तो उससे चुदवा लेगी,,,, लेकिन यह कब कैसे और कहां होगा इसके बारे में उसे भी ज्ञात नहीं था वह सब कुछ समय पर छोड़ चुकी थी,,,,।
दूसरी तरफ राजू दूसरे लड़कों की तरह चालाक और समझदार औरतों के मामले में बिल्कुल भी नहीं था वरना अब तक वह अपने लंड का सही उपयोग कर चुका होता,,, अभी तक तो उसने अपने हाथ का उपयोग करके मुठ भी नहीं मारा था जबकि गांव के उसके हम उम्र के इस क्रिया को रोज ही करते थे,,, और ज्यादातर लड़कों की कल्पना में राजू की खूबसूरत यवन से भरी हुई मादकता छलकाती हुई उसकी मां और उसकी बुआ ही रहती थी,,,,।
हरिया रोज की तरह रेलवे स्टेशन पर सवारी का इंतजार कर रहा था,,,,, और उसके बाकी साथी भी बेल गाड़ी लेकर रेलवे स्टेशन पर ही थे और हरिया और उसका एक साथी बड़े घने पेड़ के नीचे बैठकर बीडी सुलगा कर उसका कस खींच रहे थे,,,, अभी ट्रेन आने में समय था,,,,,,, हरिया के मन में उस दिन लाला के घर वाले दृश्य ही घूम रहा था,,,, वह यह जानना चाहता था कि उस दिन लाला के बिस्तर पर उसके साथ पूरी तरह से नंगी होकर कौन औरत चुदवा रही थी,,, क्योंकि जहां तक मैं जानता था लाला के घर में कोई भी औरत नहीं रहती थी लाला की बीवी थी नहीं तो आखिरकार,,, वह औरत कौन थी जो लाला एकदम नंगी होकर चुदवा रही थी,,, और उसके पहुंच जाने पर भी उसे जरा भी फर्क नहीं किया और उसी तरह से वह चुदाई में तल्लीन रही,,,, यही सोचते हुए वह बीड़ी का कश् खींच रहा था,,,, और आसमान की तरफ देखकर इसी बारे में सोच रहा था कि उसका साथी जोकि बीडी जलाकर माचिस को अपनी धोती में खोंसते हुए बोला,,,,)
क्या हुआ यार क्या बात है किस चिंता में डूबा हुआ है,,,,
यार मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,(कुछ देर सोचने के बाद बोला)
अरे क्या समझ में नहीं आ रहा है कुछ बोलेगा तभी तो पता चलेगा,,,,
यार मैं सोच रहा था कि अपने गांव में कोई ऐसी औरत है जो पैसे लेकर गंदा काम करती हो,,,,
क्या बात है यार तू यह क्यों पूछने लगा क्या भाभी अब मजा नहीं देती क्या,,,?(वो एकदम से आश्चर्य जताते हुए बोला) या बाहर की औरतों से मजा लेना चाहता है,,,,
अरे ऐसी बात नहीं है यार मै कुछ और सोच रहा हूं,,,
अरे क्या सोच रहा है मुझे भी बताएगा तेरी बातों से तो यह लग रहा है कि तू मजा लेना चाहता है और जहां तक मेरा सवाल है कि भाभी बहुत खूबसूरत है और तुझे बहुत प्यार करती है फिर तू ऐसा क्यों कर रहा है,,,(जोर से बीड़ी खींचते हुए वह बोला)
अरे पागल हो गया क्या तु मैं अपने लिए नहीं पूछ रहा हूं मेरे मन में किसी को लेकर शंका जाग रही है इसलिए पूछ रहा हूं,,,,(हरिया झुंझलाते हुए बोला,,)
अच्छा ठीक है लेकिन किसके लिए यह तो बता,,,
नहीं नहीं यार मैं अभी नहीं बता सकता हो सकता है मेरा सोचना और देखना दोनों गलत हो और ऐसे में किसी की इज्जत जा सकती है इसी के मान मर्यादा खत्म हो सकती है इसलिए मैं बता नहीं सकता पहले तो मुझे बता क्या कोई ऐसी औरत है अपने गांव में या आस-पास के गांव में,,,,
लेकिन तुम मुझसे ही क्यों पूछ रहा है मैं क्या ऐसी औरतों के पास जाता रहता हूं क्या,,,,
नहीं नहीं यह बात नहीं है तू शराब के ठेके पर जाता है ना तो वहां तो तुझे कई किस्म के लोग मिलते होंगे हो सकता है उनसे सुना हो,,,,,,,
हां मिलते तो बहुत हैं,,,, लेकिन कुछ इस तरह की खबर मुझे है नहीं,,,,(तभी उसकी नजर स्टेशन मास्टर पर पड़ी जो की स्टेशन से बाहर निकल कर कच्ची सड़क के नीचे की तरफ झाड़ियां में जा रहा था,,, उस पर नजर पड़ते ही वह एकदम उत्साहित स्वर में बोला,,,)
चल उठ मेरे साथ मैं तुझे कुछ दिखाता हूं,,,,(इतना कहते हुए वह खड़ा हुआ और साथ ही हरिया का हाथ पकड़ कर उसे खड़ा करने लगा,,, तो हरीया उसका सहारा लेकर खड़ा होते हुए बोला,,,)
अरे कहां ले चल रहा है क्या दिखाने ,,,,
पहले तू आ तो सही तुझे मैं कुछ दिखाता हूं शायद तेरा काम बन जाए,,,,
(और इतना कहकर वह हरिया का हाथ पकड़ कर उसे उसी दिशा में ले गया जहां पर स्टेशन मास्टर चुपके छुपाते हुए झाड़ियों के अंदर गया था,,,,,हरिया को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह उसे कहां ले जा रहा है और क्या दिखाना चाहता है,,, वह हरिया को झाड़ियों के अंदर ले जाने लगा हरिया को कुछ अजीब लग रहा था लेकिन फिर भी वह उसके साथ चलता चला जा रहा था,,,,,देखते ही देखते वह दोनों झाड़ियों के बीच पहुंच गए और एक मोटा सा बड़ा पेड़ के पीछे अपने आप को छुपा कर खड़े हो गए,,,,
यहां क्यों लाया मुझे ,,,(हरिया उत्सुकता जताते हुए बोला)
तेरे काम की चीज यहीं है,,,,
यहां कहां,,,?
वह देख सामने,,,,(वह हाथ की उंगली से इशारा करते हुए हरिया को बोला और हरिया उसके उंगली के ईसारे की तरफ देखा तो उसके होश उड़ गए,,,,)
अरे यह तो अपने स्टेशन मास्टर है,,,,,,, लेकिन वह औरत कौन है बाप रे,,,,, यह क्या हो रहा है,,,,,
देखता जा,,, और पहचानने की कोशिश कर,,,,
(हरिया उस झाड़ी के अंदर के दृश्य को देखकर पूरी तरह से रोमांचित हो उठा था उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था स्टेशन मास्टर तकरीबन 52 वर्ष के आदमी थे हरिया को अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था क्योंकि वह स्टेशन मास्टर एक औरत की चुदाई कर रहे थे,,,औरत साड़ी को कमर तक उठाकर पेड़ पकड़कर झुकी हुई थी और की बड़ी-बड़ी गांड हवा में लहरा रही थी जिसे स्टेशन मास्टर अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपना लंड उसकी बुर में पेल रहा था,,,,,,,, हरिया को समझ में नहीं आ रहा था कि वह औरत कौन है इस समय हरिया की नजर सिर्फ उसकी परी परी कहां पर टिकी हुई थी जो कि स्टेशन मास्टर के हाथों में थी और उसका लंड उसकी बुर में अंदर बाहर हो रहा था,,,, हरिया रोमांचित तो हुआ ही था लेकिन काफी हद तक आश्चर्यचकित भी था क्योंकि उसे स्टेशन मास्टर से इस तरह की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी क्योंकि स्टेशन मास्टर बहुत ही कड़क इंसान था और वह बेवजह स्टेशन में किसी को भी प्रवेश करने नहीं देता था खासकर के बैल गाड़ी वालों को,,,,,,जिस रफ्तार से उसे स्टेशन मास्टर की कमर आगे पीछे हो रही थी हरिया को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि इस उम्र में भी कोई इतनी तेजी से कमर हिलाता होगा,,,लेकिन यह बात शायद मैं भूल गया था कि चुदाई के मामले में इंसान अगर बिस्तर भी पकड़ा हो तो उठ कर खड़ा हो जाता है,,,,,,हरिया के कानों में उस औरत की आवाज साफ सुनाई दे रही थी जो कि स्टेशन मास्टर के हर धक्के पर ओहह बाबुजी,,,,आहहहह बाबुजी कर रही थी,,,,
हरिया को यकीन नहीं हो रहा था कि इस उम्र में भी स्टेशन मास्टर उस औरत की इतनी जबरदस्त चुदाई कर रहा है कि उसकी आहहह निकल जा रही है,,,,।,,)
देख रहा है हरिया कितना जबरदस्त ने जा रहा है इस उम्र में भी स्टेशन मास्टर बड़ी कुर्ती दिखा रहे हैं,,, और उस औरत को देख कितने मजे ले रही है,,,,।
हां यार देख तो रहा हूं लेकिन वह औरत है कौन,,,?
अरे ठीक से उसका चेहरा तो देख,,,,
अरे हां यार यह तो वही औरत है जो स्टेशन पर मुरमुरे बेचती है,,,,,
हां अभी पहचाना उसको देख कर कुछ समझ में आ रहा है,,,, कहीं तु ईसी औरत के बारे में तो बात नहीं कर रहा था,,,
नहीं नहीं यार यह वह औरतनहीं है जिसको मैं देखा था वह तो खानदानी लग रही थी और एकदम गोरी चिट्टी भरे बदन की थी और उम्र भी उसकी कम थी मतलब कि इस औरत से कम थी,,,,, और यह तो हल्की सांवले रंग की है,,,, लेकिन मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिरकार यह औरत ऐसा गंदा काम क्यों करवा रही हैं,,,,
अरे उसकी मजबूरी होगी,,,,
ऐसी कैसी मजबूरी बड़े आराम से तो मुरमुरे बेचती है,,,,
बेचती तो है लेकिन,,,, देखता नहीं है बेझिझक स्टेशन के अंदर बाहर आती जाती रहती है,,,,स्टेशन मास्टर की कृपा है तभी तो ऐसा करती है और पैसों की जरूरत भी होगी जोकि स्टेशन मास्टर कुछ पैसे दे देता होगा,,,,, और वैसे भी सांवली है तो क्या हुआ इसका बदन भी तो भरा हुआ है बड़ी-बड़ी चूचियां,,,, जब मुरमुरे खरीदने जाता हूं तो जी भर कर उसकी चूचियां देखता हूं,,,,
तू भी कितनी गंदी सोच रखता है,,,,(हरिया उसे थोड़ा सा डांटते हुए बोला)
अच्छा मैं गंदी सोच रखता हूं,,,,
तो जरा अपने पजामे की तरफ देख,,,, खड़ा क्यों हो गया है,,,
(उसकी बात सुनते ही हरिया अपने पजामे की तरफ देखा तो शर्मा गया,,,, और बोला कुछ नहीं बस फिर से उस नजारे को देखने लगाअभी स्टेशन मास्टर जोर-जोर से उस औरत की गांड पर चपत लगा रहा था और उस चपत को खा कर ऐसा लग रहा था कि उस औरत की मस्ती और बढ़ जा रही थी,,,,,)
आहहहहह ,,,,,,आहहहहहहह बाबुजी,,,,, क्या कर रहे हैं,,,।
कुछ नहीं मेरी रानी मजे ले रहा है ऐसे ही मुझे मजा दिया कर पूरा स्टेशन तेरे नाम कर दूंगा,,,,
ओहहहह,,,,, मजे तो आपको बहुत देती हूं बाबूजी,,,, आजकल पैसो की बड़ी तंगी है,,,
तू चिंता मत कर मेरी रानी मैं हूं ना बस ऐसे ही रोज मुझसे चुदवा लिया कर पैसों की बिल्कुल भी कमी नहीं होगी,,,,आहहहहह आहहहहहह मेरी रानी,,,,
बहुत मजा आ रहा है मेरे राजा और जोर जोर से धक्के लगाओ,,,,
(पैसों की बात सुनते ही उस औरत की मस्ती और ज्यादा बढ़ गई थी और वह और मजे से लेकर उसे सेशन मास्टर से चुदवाने लगी थी,,,,, हरिया की भी हालत खराब हो रही थी और उस साथी की भी दोनों का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका थाहरिया का मन कर रहा था कि वह भी बीच में कूद जाए और उस औरत की बुर में अपना लंड डालकर अपनी गर्मी शांत कर ले,,,, सभी उसका साथी बोला,,,,)
चल हरीया आज अपना काम भी बना लेते हैं,,,
अब क्या करने जा रहा है तू,,,,
हम दोनों का काम बनाने देखता नहीं है हम लोगों को वह स्टेशन में घुसने भी नहीं देता,,,,
तो वहां जाकर क्या होगा,,,,
तू आ तो सही,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह हरिया का हाथ पकड़कर पेड़ के पीछे से बाहर आ गया और उसे स्टेशन मास्टर को आवाज देते हुए उसकी तरफ बढ़ने लगा)
अरे वह बड़े बाबू यह क्या हो रहा है,,,,,
(इतना सुनते ही वह एकदम से हड़बड़ा गया उसको तो जैसे सांप सूंघ गया हो और वह औरत पूरी तरह से सक पका गई,,,, स्टेशन मास्टर को तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसका लंड अभी भी उस औरत की बुर में घुसा हुआ था और वह घबराया हुआ हरिया और उसके साथी को ही देख रहा था,,,,)
अरे रुक क्यों गए बड़े बाबू अपना काम जारी रखिए,,,,(हरिया का साथी बड़े इत्मीनान से अपनी बात कह रहा था और वह औरत शर्म के मारे अपना मुंह छुपाने की कोशिश कर रही थी तो वह बोला)
मुंह छुपाने की जरूरत नहीं है हम तुम्हें पहचानते हैं,,, और बड़े बाबू आप चुदाई जारी रखिए,,,,,
देखो मैं तुम दोनों के हाथ जोड़ता हूं यहां जो कुछ भी हो रहा है इसके बारे में किसी को कुछ मत कहना,,,,( वह स्टेशन मास्टर हाथ जोड़ते हुए बोला,,,,, स्टेशन मास्टर को इस तरह से हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाता हुआ देखकर हरिया बोला,,,)
बिल्कुल भी चिंता मत करिए हम दोनों यह बात किसी को नहीं बताएंगे ,,(तभी उसका साथी बीच में बोल पड़ा)
लेकिन इसमें हमारा क्या फायदा होगा,,,,
क्या चाहते हो तुम दोनों,,,,
देखिए हम दोनों कुछ नहीं,,,,(तभी वह बीच में ही हरिया की बात काटते हुए बोला)
हम दोनों को बेझिझक स्टेशन में घुसकर सवारी लेने की इजाजत देना पड़ेगा हमें कोई रोकेगा नहीं,,,,,,(अपने साथी के पास चलकर हरिया उसकी तरफ अच्छे से देख लेना क्योंकि जो बात हुआ स्टेशन मास्टर से मंगवाना चाहता था इसमें उन दोनों का बहुत फायदा था इससे वह दोनों बेझिझक स्टेशन के अंदर घुस कर सवारी ढो सकते थे और उनसे थोड़ा किराया भी ज्यादा ले सकते थे,,,, यह तो हरिया के लिए सोने पर सुहागा जैसा था,,,, इसलिए बीच में कुछ बोला नहीं,,,) बोलो बड़े बाबू मंजू है कि हम लोग बाहर जाकर सबको बता दें,,,,
नहीं नहीं ऐसा मत करना नहीं तो मैं बदनाम हो जाऊंगी,,,,( वह औरत रुंआसी होते हुए बोली,,,)
ठीक है तुम दोनों को मैं मंजूरी देता हूं,,,, अब कर लु,,(स्टेशन मास्टर उस औरत की गांड पकड़ते हुए बोला,,,)
ठीक है कर लो ट्रेन आने वाली है क्या हम लोग स्टेशन के अंदर जा सकते हैं,,,,
जा सकते हो जो कोई रोके तो मेरा नाम बता देना,,,,
ठीक है बड़े बाबू जी,,,,(इतना कहने के साथ ही वह हंसता हुआ हरिया का हाथ पकड़ लिया और जाने लगा हरिया जाते-जाते मोड़ कर एक बार उन दोनों पर नजर डाला तो स्टेशन मास्टर फिर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,,,)
देखा ना आज एक फायदा हो गया,,,,
हां तु ठीक कह रहा है इसमें हम दोनों का ही फायदा है,, चल जल्दी ट्रेन आने वाली है,,,,
(इतना कहकर दोनों स्टेशन के अंदर चले गए,,, फायदा होने के बावजूद भी हरिया का मन अभी भी उदास था क्योंकि लाला के साथ वाली औरत के बारे में उसे अभी भी कुछ भी पता नहीं था,,,)