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Incest बैलगाड़ी,,,,,

Enjoywuth

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Lagta hai ab sab raj khilne wale hai aur shayad kahani ka aant bhi najdeek hai...Ronny bhai...Aapki jar kahani ka ek alag hi maza hai...Agale update jaldi se dena
 

roshan ji

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जिंदगी में जिस बारे में कभी कल्पना नहीं की थी और ना ही कभी सोची थी ऐसा दृश्य अपनी आंखों से देख कर,,, उसके पसीने छूट गए थे उसकी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा था वह किसी भी तरह से अपने आप को संभालते हुए अपने कमरे तक आई थी और खटिया पर बैठ कर रोने लगी थी उसे अपने पति से और अपनी मेहनत से यह उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका पति पीठ पीछे इस तरह की गुल खिलाएगा और अपनी ही छोटी बहन के साथ रंगरेलियां मनाएगा,,,,, मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, वह सोच में पड़ गई थी कि ऐसा कैसे हो गया गुलाबी तो अपने बड़े भाई की बहुत इज्जत करती थी सम्मान देती थी और हरिया भी उसे अपनी बेटी की तरह ही रहता था तो फिर दोनों में इस तरह के संबंध कब स्थापित हो गए,,,, मधु झोपड़ी के अंदर के दृश्य को देखकर इतना तो समझ गई थी कि यह रिश्ता नया नया बिल्कुल भी नहीं था वह काफी समय से चलता रहा था क्योंकि दोनों आपस में एकदम खुल चुके थे और अगर ऐसा है तो अब तक उसे दोनों के बीच शक क्यों नहीं हुआ दोनों की हरकतों का पता क्यों नहीं चला यही सोचकर मधु हैरान हुई जा रही थी,,,, उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया था भाई-बहन के बीच इस तरह का रिश्ता कैसे हो सकता है,,,, बार-बार मधु की आंखों के सामने झोपड़ी वाला तेरे से नजर आ रहा था जब उसका पति अपनी बहन की कमर थामें उसकी बुर में लंड पर रहा था और गुलाबी भी बहुत मजा ले रही थी उसकी आंखों में बिल्कुल भी शर्म नजर नहीं आ रही थी बल्कि अपने भाई से चुदवाने का एक असीम सुख एक तृप्ति का एहसास उसके चेहरे पर नजर आ रहा था,,,,, गुलाबी अपनी राह कैसे भटक गई और उसका पति कैसे अपना धर्म और फर्ज भूल गया एक खूबसूरत बीवी होने के बावजूद भी आखिरकार उसके पैर क्यों डगमगा गए आखिरकार रोज रात को तो वह अपने पति को खुश कर देती थी जैसा वह चाहता था वैसा ही करती थी फिर ऐसा कौन सा कभी उसके प्यार में रह गया कि उसका पति अपनी ही बहन के साथ मुंह काला कर रहा है,,,,,,,,

मधु के अंतर्मन में विचारों का बवंडर उठ रहा था जिसमें से निकलने का कोई राह उसे नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था वह समझ नहीं पा रही थी कि कहां जाए क्या करें उसे बहुत गुस्सा आ रहा था अभी भी उसके आंखों से आंसू निकल रहे थे अपनी पति की बेवफाई के चलते वह यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और तो और एक भाई और बहन के बीच इस तरह के शारीरिक रिश्ते को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी वह अपने मन में ठान ली थी कि अभी दोनों घर पर आएंगे और दोनों को झोपड़ी वाली बात कहेंगी लेकिन फिर अपने मन में सोचने लगी कि उन दोनों से कहेगी क्या,,,, कैसे शुरुआत करेगी दोनों अपना मुंह काला जरूर कर रहे थे लेकिन शर्मिंदगी का अहसास मधु को रहा था,,,,,, मधु तुम दोनों से बात करने के नाम से ही शर्मा रही थी,,,, मधु बहुत गुस्से में थी अगर इस समय दोनों इधर आ गए होते तो शायद मधु उनसे जरूर सवाल-जवाब कर लेती हो ना होने का हो जाता,,, जैसे तैसे करके खटिया पर रोते रोते उसे नींद लग गई और वह कब सो गई उसे पता ही नहीं चला शाम को जब गुलाबी उसे उठाई तब जाकर उसकी नींद खुली लेकिन गुलाबी को देखकर उसके चेहरे के भाव एकदम से बदल गए,,,,,, गुलाबी से गुस्से में दोपहर वाली बात बोलने हीं जा रही थी कि तभी,,,, उसे राजू का ख्याल आ गया राजू का ख्याल आते ही अपने और अपने बेटे के बीच की उस रिश्ते के बारे में भी याद आ गया,,,,, जिस रिश्ते के बीच शारीरिक रिश्ते को देखकर वह गुलाबी को सवाल जवाब करने जा रही थी वो एकदम से खामोश हो गई,,, आखिरकार वह अभी तो उसी कश्ती में सवार थी,,, जिस कश्ती के गुलाबी और हरिया भी मुसाफिर थे,,,,,,,

क्या हुआ क्या सोच रही हो भाभी,,,,(गुलाबी के द्वारा हाथ पकड़कर हिलाने की वजह से मधु की तंद्रा भंग हुई और वहां एकदम से जैसे होश में आई हो इस तरह से हड़बड़ा कर गुलाबी की तरफ देखने लगी और अपने गुस्से को शांत करके बोली)

हो गई सफाई गुलाबी,,,

हां भाभी वो तो कब से हो गई मैं और भैया मिलकर पूरे पिछवाड़े की झाड़ी झंकडीयो को साफ कर दिए,,,
(गुलाबी की है बातें सुनकर मधु मन मे हीं बोली कि हां मैं देखी थी कि कैसे अपना पिछवाड़ा अपने भाई के सामने परोस कर मजा ले रहे थे,,,)

चल ठीक होगा अब जल्दी से घर की सफाई कर दे में खाना बनाने की तैयारी करती हुं,,,,(इतना कहकर मधु खटिया पर से उठने लगी वह एकदम सहज होकर गुलाबी से बात कर रही थी लेकिन अंदर ही अंदर बात चल रही थी गुलाबी को देखकर ही उसका दिल एकदम से जलने लगा था,,,, कभी-कभी ऐसा होता था कि जोर-जोर से चिल्ला चिल्ला कर गुलाबी से सब कुछ बता दे जो उसने अपनी आंखों से देखी थी लेकिन अपने आप को शांत कर के वह‌ अपनी और अपने बेटे के बीच के रिश्ते के बारे में सोचने लगती थी और यह सोच कर चिंतित हो जाती थी कि अगर उसे और उसके बेटे को बाहर का छोड़ो घर में ही किसी ने देख लिया तो क्या होगा,,,,, लेकिन तभी उसकी आंखों की चमक बढ़ गई उसे ख्याल आया कि अगर वह गुलाबी से झोपड़ी के अंदर गुलाबी और उसके भैया के लिए जो कुछ भी हो रहा था उसे बता दे तो अगर भविष्य में किसी ने भी उसे और उसके बेटे को रंगे हाथ पकड़ भी लिया तो बात धरी की धरी रह जाएगी कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा क्योंकि वह खुद दोनों को रंगे हाथ पकड़ चुकी थी,,, ऐसा सोच कर उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी लेकिन फिर भी जो कुछ भी उसने अपनी आंखों से देखी थी उसका दर्द उससे सहन नहीं हो रहा था,,,, इस बारे में वह मौका देकर गुलाबी से बात करना चाहती थी और वह बात करने के लिए कल का दिन है न कि की थी वह कल के दिन गुलाबी को नदी पर कपड़े धोने के लिए ले जाना चाहती थी और वहीं पर इस बारे में बहस करना चाहती थी और अपने लिए रास्ता भी साफ कर लेना चाहती थी,,, क्योंकि गुलाबी ने अपनी गर्म जवानी के चलते जो कुछ भी कर रही थी वह पाप तो था ही लेकिन पाप वह खुद भी कर रही थी क्योंकि जवानी के जोश में गुलाबी एक बार भटक सकती थी लेकिन वह तो उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच चुकी थी जहां पर सही गलत का फैसला करना सब कुछ उसके हाथ में ही था लेकिन फिर भी बदन की जरूरत और जवानी के जोश ने उसे भी बहका दिया था और वह अपने ही बेटे के साथ पाप लीला को कामलीला में बदल दी थी,,,,

खैर जैसे-तैसे मधु ने खाना बनाई और रात को सबके साथ मिलकर भोजन भी की इसके बाद वह अपने कमरे में चली गई लेकिन गुस्से के कारण बाहर या को अपने बदन पर हाथ नहीं लगानी थी और दर्द का बहाना करके सो गई,,,,
दूसरे दिन मधु अपने पति और गुलाबी की हरकतों पर नजर रखे हुए थे और धीरे-धीरे से पता चल रहा था कि वाकई में वह दोनों के बीच पहले से ही यह रिश्ता कायम हो चुका था क्योंकि जारी लगाते समय गुलाबी अपने बड़े भाई को देख कर मुस्कुरा ले रही थी और हरिया भी गुलाबी को देखकर मुस्कुरा भी ले रहा था और बेशर्मी दिखाते हुए धोती के ऊपर से अपने लैंड को दबा दे रहा था अपने पति की हरकत से मधु पूरी तरह से शर्मसार हुए जा रही थी क्योंकि इस बात का एहसास मधु को भी अच्छी तरह था कि गुलाबी से वह कई मायने में खूबसूरत और जवानी से लबालब भरी हुई है लेकिन फिर भी हरिया इतनी खूबसूरत बीवी होने के बावजूद भी पतली सी नाजुक सी गुलाबी के साथ मुंह काला कर रहा था इसीलिए मधु को गुस्सा भी आ रहा था,,,,।

थोड़ी ही देर में हरिया और राजू दोनों अपनी अपनी राह पर निकल गए और मधु गुलाबी से बोली,,,।

गुलाबी सारा काम छोड़ आज नदी पर कपड़े धोने चलना है,,,

ठीक है भाभी मैं भी अपने कुछ कपड़े ले लेती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपने कमरे में गई और अपने और राजू के भी कुछ कपड़ों को साथ में ले ली,,, गंदी कपड़ों का ढेरो अपने साथ में लेकर अपने कमरे से बाहर आई तो मधु बड़े गौर से से खूबसूरत चेहरे को देखने लगी यह देखकर गुलाबी शर्माते हुए बोली,,,।

क्या हुआ भाभी ऐसे क्यों देख रही हो पहले कभी मुझे देखी नहीं हो क्या,,,?

देखी तो हूं लेकिन यह भी देख रही हूं कि तेरे चेहरे की खूबसूरती में बदलाव आ रहा है अब तो मर्दों को अपनी तरफ रीझाने लायक हो गई है,,,
(अपनी भाभी की यह बात सुनते ही गुलाबी एकदम से शर्म आ गई और शर्म के कारण उसके गोरे गोरे गाल लाल हो गए और वह शरमाते हुए बोली)

क्या भाभी तुम भी मजाक कर रही हो,,,

मजाक नहीं कर रही हो सच कह रही हूं,,,, अब तेरी बुर चोदने लायक हो‌ गई है,,,,
(इस बार तो गुलाबी एकदम से शरमा गई और,, वह कुछ बोल नहीं पाई बस घर से बाहर निकल गए मधु उसकी बिजली ही चाल को देख रही थी उसकी गांड के उभार को देख रही थी पहली बार मधु का ध्यान उसके नितंबों के उभार पर गया था जो कि वाकई में अब चौड़ी होती जा रही थी,,,,, अरे देख कर वह‌मन में सोचने लगी कि यही देखकर उसका आदमी अपनी बहन पर बहक गया है,,, गुलाबी आगे-आगे चल रही थी और मधु पीछे पीछे मधु रास्ते में उसे बहस नहीं करना चाहती थी वहां पर पहुंचकर कपड़े धोते हुए उससे बात करना चाहती थी लेकिन अपने मन में यह सोचने लगी कि अगर गुलाबी का मन अपने ही बड़े भाई पर इस तरह से बह सकता है उससे अपनी जवानी की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही है तब तो वह राजू के साथ एक ही खटिया पर सोती है और राजू की मर्दाना ताकत से तो वह पूरी तरह से अवगत हो चुकी थी और राजू की हरकत को देखते हुए अब उसे शंका होने लगी थी कि क्या ऐसा तो नहीं कि राजू और गुलाबी के बीच में भी कुछ खिचड़ी पक गई हो,,,,, यह सोचकर मधु का दिमाग घूमने लगा था अब उसके मन में शंका के बादल घिरने लगे थे,,, अब तो उसे राजू के चरित्र को लेकर शंका होने लगी थी क्योंकि राजू भी बहुत पहले से उसके पीछे पड़ा हुआ था और इसीलिए उसके शंका करने का कारण और भी मजबूत होते जा रहा था वह सोच रही थी कि जब उसका बेटा अपनी मां के पीछे इस कदर उसे चोदने के लिए पड़ा था तब तो वह अपनी बुआ के साथ एक ही खटिया पर सोता था,,,, जब वह अपनी मां के साथ गंदी से गंदी हरकत कर सकता था तो क्या अपनी बुआ के साथ नहीं किया होगा,,,, यह सोचते हैं मधु के दिमाग में राजू से जुड़ी पिछली कई घटनाएं घूमने लगी,,,, कुवे पर से पानी की बाल्टी खींचते समय उसकी मदद करने के बहाने उसके नितंबों पर अपने लंड की रगड़ महसूस करवाना,,, उसे प्यासी नजरों से घूरना किसी ने किसी बहाने उसके अंगों को स्पर्श करना और मधु को वह घटना याद आने लगी जब वह बेशर्मी दिखाते हुए शादी में ले जाते समय उसे गंदी गंदी बात कर रहा था और पत्थर के पीछे जब वह पेशाब करने का ही तो 1 बहाने से उसे देखने लगा था मधु को अभी भी याद था कि उस समय राजू ने उसकी नंगी गांड को देख लिया था और फिर घर के पीछे बेल को बांधते समय जिस तरह की हरकत किया था उसकी हरकत से उसकी दूर में भी पानी आ गया था इस बहाने से उसकी बुर पर हथेली रखकर रगड़ दिया था,,, औरत और वेद के वहां दवा दिलाने के बहाने रास्ते भर गंदी बातें करना और बरसात पर जाने की वजह से खंडहर के अंदर इस तरह की कामुक हरकत करना जिसकी वजह से वह खुद अपने आप को संभाल नहीं पाई थी वह अपने बेटे के आगे घुटने टेक दी थी उसकी चालाकी उसकी मर्दानगी और उसकी औरत को खुश करने की कला को देखकर मधु को शक होने लगा कि वह एक ही कमरे में एक ही खटिया पर सोती हुई अपनी बुआ को बख्शा होगा,,, क्योंकि अच्छी तरह से जानती थी कि उसके बेटे को भी अपने लंड की गर्मी शांत करने के लिए बुर की जरूरत थी जो कि उसकी बुआ जवान और खूबसूरत भी थी तो जरूर एक ही खटिया पर सोने का उसने फायदा उठाया होगा,,,, इन सभी सवालों का जवाब दो अब सिर्फ गुलाबी ही दे सकती है और इसी बारे में सोचते सोचते वह कब नदी पर पहुंच गए उसे पता ही नहीं चला,,,।
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Dinkar

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माँ- बेटे चुदाई संबंध पर भोजपुरी की कविता, एक तोहफा रोनी भाई के लिए

दम धरअ ए बबुआ, केतना पेलवा आपन माई,
धके सुतल बाड़ सांझी से भोरे तक ओढ़ेके रजाई,
आवात बड़ि ज़ोर से परेसर, जाई द ना मूते,
फेन चलि आइब, हम तोहरा संगे लंगटे सूते,
निकल जाई मूत ऐजे, निकल जाई मूत ऐजे
देखा ना बाहर बेटवा, हो गइले बड़ इजोरवा,
लेते लेत तोर लंडवा, बुर हो जाई भोंसरवा,

जोशमें खो जाला होश, देखावे गंदा फिलमवा,
पनियाईल बुर खोजे लांड़े, होखे बड़ सितमवा,
चुस चुस पनिया, सुखा देताअ माई के बुरवा,
भीजा देता थुकवा से दुनूके, लगावे बड़ लुड़वा,
अजब सुख मिलीले, अजब सुख मिलिले,
घुसात लंडवा जब, उठाइके अपन कोरवा,
लेत लेत तोर लंडवा, बुर हो जाई भोंसरवा,

समझ में आवत नइखे, खुश होई की पछताई,
बेटवा जइसन मानी,कि करि तोहरा संग सगाई,
अलता लगाई पैरवा में कि, हाथे मेंहदी रचाई,
रतिया खातिर बतावा, बिछाई खटिया की चटाई,
अब कौनो परदा नइखे, अब कौनो परदा नइखे,
हम तोहर घोड़ी हवे, तू हमार हो गइले घोड़वा,
लेत लेत तोर लंडवा, बुर हो जाई भोंसरवा।

कभू चोदेले चढिके, त कभू पाछे से कुतिया बनाके,
चोदत बाड़े हमके घरमें, बाबूजी के चुतिया बनाके,
मुंह में जीभ घुसावत बारे,चुसत बारअ हमार ठोरवा,
जबो मिलेले मौका, छोड़े ना हमरा चोदे बर जोरवा,
मुंह में राखेले पैंटी, मुंह में राखेले पैंटी,
घुसाके लंडवा मुंह में, चुसावे गोल सुपड़वा,
लेत लेत तोर लंडवा, बुर हो जाई भोंसरवा।

पीके हमार दूध, तू हो गइल पूरा जवान मरदवा,
लंडवा कड़क तोहर, घुसे बुरवा त होखे बड़ा दरदवा,
बाबूजी तोहार फ़ेल बारे, जब तू करे अईसे चोदाई,
कभू ना चुसले बूर के, ना करवैले लण्ड के चुसाई,
हम तोहर रानी बानि, हम तोहर रानी बानि,
चोदआ असही बहइँया में लेके, तू ह हमार राजवा,
लेत लेत तोहर लंडवा, बूर हो जाई भोंसरवा,

बुझावा, हम बानि बहुत दिन से लण्ड के पियासल,
तोहार लंडवा देखके, हमार बुरवा हो जावेला पनियायल,
का करि राजा बेटा, अब रतिया ना कटेला तोहरा बिन,
चोदावे के मौका देखतानी, जब बूर करेला बिन बिन,
असही माई चोदल करअ, असही माई चोदल करअ,
मौका जब भी लागे, रातिया होखे चाहे दुपहरवा,
लेत लेत तोहर लंडवा बूर हो जाई भोंसरवा,

जब तू चोदेले हमके, अंखियन से आँखिया मिलाके,
कइके पूरे लंगटे हमके, हमार खटिया पर सुताके,
भूल जातानि की तू हमार बेटवा ह, हम तोर माई,
तू बुझावेले हमर भतार, हम हो जानी तोर लुगाई,
छितराई बूर के हम, छितराई बूर के हम,
तोके भतार बुझके चोदाई में आवे आनंद अपरवा,
लेत लेत तोहर लंडवा, बूर हो जाई भोंसरवा,

घर में चोदअ, चाहे ले चलअ बाड़ी जउन खेतवा,
उठाके साड़ी, बेझिजक बुर में घुसावअ अपन बेंतवा,
पेलअ हमके के अईसे, जइसे गाय के कोनो सांडवा,
अईसे चोदआ चुच्ची भींचके, बूर से टकरावे दुनु आँडवा,
कउनु रहम ना करिहा, कउनु रहम ना करिहा,
लूटआ हमार खजनवा, जइसे की कोनो लुटेरवा,
लेत लेत तोहर लंडवा, बूर हो जाई भोंसरवा,

जब जब पेलबु हमके, बुलाके आपन माई ऐ राजा,
तब तब चुई बूर से ढेर पनिया, बजाई खूब बाजा,
जाने अब कइसे तोहरा बिन ई जिनगी कटाई,
ले चलअ हमके, जहां तोहरे पर जिनगी लुटाई,
चुवाके बुरवा में पानी, चुवाके बुरवा में पानी,
कअ द गाभिन, इमे ना होई ककरो कसुरवा,
लेत लेत तोहर लंडवा, बूर हो जाई भोंसरवा


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Kya mast likhi h bhai isi bhasha me aisi koi kahani bhi likho maza aa jayega
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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जिंदगी में जिस बारे में कभी कल्पना नहीं की थी और ना ही कभी सोची थी ऐसा दृश्य अपनी आंखों से देख कर,,, उसके पसीने छूट गए थे उसकी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा था वह किसी भी तरह से अपने आप को संभालते हुए अपने कमरे तक आई थी और खटिया पर बैठ कर रोने लगी थी उसे अपने पति से और अपनी मेहनत से यह उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका पति पीठ पीछे इस तरह की गुल खिलाएगा और अपनी ही छोटी बहन के साथ रंगरेलियां मनाएगा,,,,, मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, वह सोच में पड़ गई थी कि ऐसा कैसे हो गया गुलाबी तो अपने बड़े भाई की बहुत इज्जत करती थी सम्मान देती थी और हरिया भी उसे अपनी बेटी की तरह ही रहता था तो फिर दोनों में इस तरह के संबंध कब स्थापित हो गए,,,, मधु झोपड़ी के अंदर के दृश्य को देखकर इतना तो समझ गई थी कि यह रिश्ता नया नया बिल्कुल भी नहीं था वह काफी समय से चलता रहा था क्योंकि दोनों आपस में एकदम खुल चुके थे और अगर ऐसा है तो अब तक उसे दोनों के बीच शक क्यों नहीं हुआ दोनों की हरकतों का पता क्यों नहीं चला यही सोचकर मधु हैरान हुई जा रही थी,,,, उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया था भाई-बहन के बीच इस तरह का रिश्ता कैसे हो सकता है,,,, बार-बार मधु की आंखों के सामने झोपड़ी वाला तेरे से नजर आ रहा था जब उसका पति अपनी बहन की कमर थामें उसकी बुर में लंड पर रहा था और गुलाबी भी बहुत मजा ले रही थी उसकी आंखों में बिल्कुल भी शर्म नजर नहीं आ रही थी बल्कि अपने भाई से चुदवाने का एक असीम सुख एक तृप्ति का एहसास उसके चेहरे पर नजर आ रहा था,,,,, गुलाबी अपनी राह कैसे भटक गई और उसका पति कैसे अपना धर्म और फर्ज भूल गया एक खूबसूरत बीवी होने के बावजूद भी आखिरकार उसके पैर क्यों डगमगा गए आखिरकार रोज रात को तो वह अपने पति को खुश कर देती थी जैसा वह चाहता था वैसा ही करती थी फिर ऐसा कौन सा कभी उसके प्यार में रह गया कि उसका पति अपनी ही बहन के साथ मुंह काला कर रहा है,,,,,,,,

मधु के अंतर्मन में विचारों का बवंडर उठ रहा था जिसमें से निकलने का कोई राह उसे नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था वह समझ नहीं पा रही थी कि कहां जाए क्या करें उसे बहुत गुस्सा आ रहा था अभी भी उसके आंखों से आंसू निकल रहे थे अपनी पति की बेवफाई के चलते वह यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और तो और एक भाई और बहन के बीच इस तरह के शारीरिक रिश्ते को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी वह अपने मन में ठान ली थी कि अभी दोनों घर पर आएंगे और दोनों को झोपड़ी वाली बात कहेंगी लेकिन फिर अपने मन में सोचने लगी कि उन दोनों से कहेगी क्या,,,, कैसे शुरुआत करेगी दोनों अपना मुंह काला जरूर कर रहे थे लेकिन शर्मिंदगी का अहसास मधु को रहा था,,,,,, मधु तुम दोनों से बात करने के नाम से ही शर्मा रही थी,,,, मधु बहुत गुस्से में थी अगर इस समय दोनों इधर आ गए होते तो शायद मधु उनसे जरूर सवाल-जवाब कर लेती हो ना होने का हो जाता,,, जैसे तैसे करके खटिया पर रोते रोते उसे नींद लग गई और वह कब सो गई उसे पता ही नहीं चला शाम को जब गुलाबी उसे उठाई तब जाकर उसकी नींद खुली लेकिन गुलाबी को देखकर उसके चेहरे के भाव एकदम से बदल गए,,,,,, गुलाबी से गुस्से में दोपहर वाली बात बोलने हीं जा रही थी कि तभी,,,, उसे राजू का ख्याल आ गया राजू का ख्याल आते ही अपने और अपने बेटे के बीच की उस रिश्ते के बारे में भी याद आ गया,,,,, जिस रिश्ते के बीच शारीरिक रिश्ते को देखकर वह गुलाबी को सवाल जवाब करने जा रही थी वो एकदम से खामोश हो गई,,, आखिरकार वह अभी तो उसी कश्ती में सवार थी,,, जिस कश्ती के गुलाबी और हरिया भी मुसाफिर थे,,,,,,,

क्या हुआ क्या सोच रही हो भाभी,,,,(गुलाबी के द्वारा हाथ पकड़कर हिलाने की वजह से मधु की तंद्रा भंग हुई और वहां एकदम से जैसे होश में आई हो इस तरह से हड़बड़ा कर गुलाबी की तरफ देखने लगी और अपने गुस्से को शांत करके बोली)

हो गई सफाई गुलाबी,,,

हां भाभी वो तो कब से हो गई मैं और भैया मिलकर पूरे पिछवाड़े की झाड़ी झंकडीयो को साफ कर दिए,,,
(गुलाबी की है बातें सुनकर मधु मन मे हीं बोली कि हां मैं देखी थी कि कैसे अपना पिछवाड़ा अपने भाई के सामने परोस कर मजा ले रहे थे,,,)

चल ठीक होगा अब जल्दी से घर की सफाई कर दे में खाना बनाने की तैयारी करती हुं,,,,(इतना कहकर मधु खटिया पर से उठने लगी वह एकदम सहज होकर गुलाबी से बात कर रही थी लेकिन अंदर ही अंदर बात चल रही थी गुलाबी को देखकर ही उसका दिल एकदम से जलने लगा था,,,, कभी-कभी ऐसा होता था कि जोर-जोर से चिल्ला चिल्ला कर गुलाबी से सब कुछ बता दे जो उसने अपनी आंखों से देखी थी लेकिन अपने आप को शांत कर के वह‌ अपनी और अपने बेटे के बीच के रिश्ते के बारे में सोचने लगती थी और यह सोच कर चिंतित हो जाती थी कि अगर उसे और उसके बेटे को बाहर का छोड़ो घर में ही किसी ने देख लिया तो क्या होगा,,,,, लेकिन तभी उसकी आंखों की चमक बढ़ गई उसे ख्याल आया कि अगर वह गुलाबी से झोपड़ी के अंदर गुलाबी और उसके भैया के लिए जो कुछ भी हो रहा था उसे बता दे तो अगर भविष्य में किसी ने भी उसे और उसके बेटे को रंगे हाथ पकड़ भी लिया तो बात धरी की धरी रह जाएगी कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा क्योंकि वह खुद दोनों को रंगे हाथ पकड़ चुकी थी,,, ऐसा सोच कर उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी लेकिन फिर भी जो कुछ भी उसने अपनी आंखों से देखी थी उसका दर्द उससे सहन नहीं हो रहा था,,,, इस बारे में वह मौका देकर गुलाबी से बात करना चाहती थी और वह बात करने के लिए कल का दिन है न कि की थी वह कल के दिन गुलाबी को नदी पर कपड़े धोने के लिए ले जाना चाहती थी और वहीं पर इस बारे में बहस करना चाहती थी और अपने लिए रास्ता भी साफ कर लेना चाहती थी,,, क्योंकि गुलाबी ने अपनी गर्म जवानी के चलते जो कुछ भी कर रही थी वह पाप तो था ही लेकिन पाप वह खुद भी कर रही थी क्योंकि जवानी के जोश में गुलाबी एक बार भटक सकती थी लेकिन वह तो उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच चुकी थी जहां पर सही गलत का फैसला करना सब कुछ उसके हाथ में ही था लेकिन फिर भी बदन की जरूरत और जवानी के जोश ने उसे भी बहका दिया था और वह अपने ही बेटे के साथ पाप लीला को कामलीला में बदल दी थी,,,,

खैर जैसे-तैसे मधु ने खाना बनाई और रात को सबके साथ मिलकर भोजन भी की इसके बाद वह अपने कमरे में चली गई लेकिन गुस्से के कारण बाहर या को अपने बदन पर हाथ नहीं लगानी थी और दर्द का बहाना करके सो गई,,,,
दूसरे दिन मधु अपने पति और गुलाबी की हरकतों पर नजर रखे हुए थे और धीरे-धीरे से पता चल रहा था कि वाकई में वह दोनों के बीच पहले से ही यह रिश्ता कायम हो चुका था क्योंकि जारी लगाते समय गुलाबी अपने बड़े भाई को देख कर मुस्कुरा ले रही थी और हरिया भी गुलाबी को देखकर मुस्कुरा भी ले रहा था और बेशर्मी दिखाते हुए धोती के ऊपर से अपने लैंड को दबा दे रहा था अपने पति की हरकत से मधु पूरी तरह से शर्मसार हुए जा रही थी क्योंकि इस बात का एहसास मधु को भी अच्छी तरह था कि गुलाबी से वह कई मायने में खूबसूरत और जवानी से लबालब भरी हुई है लेकिन फिर भी हरिया इतनी खूबसूरत बीवी होने के बावजूद भी पतली सी नाजुक सी गुलाबी के साथ मुंह काला कर रहा था इसीलिए मधु को गुस्सा भी आ रहा था,,,,।

थोड़ी ही देर में हरिया और राजू दोनों अपनी अपनी राह पर निकल गए और मधु गुलाबी से बोली,,,।

गुलाबी सारा काम छोड़ आज नदी पर कपड़े धोने चलना है,,,

ठीक है भाभी मैं भी अपने कुछ कपड़े ले लेती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपने कमरे में गई और अपने और राजू के भी कुछ कपड़ों को साथ में ले ली,,, गंदी कपड़ों का ढेरो अपने साथ में लेकर अपने कमरे से बाहर आई तो मधु बड़े गौर से से खूबसूरत चेहरे को देखने लगी यह देखकर गुलाबी शर्माते हुए बोली,,,।

क्या हुआ भाभी ऐसे क्यों देख रही हो पहले कभी मुझे देखी नहीं हो क्या,,,?

देखी तो हूं लेकिन यह भी देख रही हूं कि तेरे चेहरे की खूबसूरती में बदलाव आ रहा है अब तो मर्दों को अपनी तरफ रीझाने लायक हो गई है,,,
(अपनी भाभी की यह बात सुनते ही गुलाबी एकदम से शर्म आ गई और शर्म के कारण उसके गोरे गोरे गाल लाल हो गए और वह शरमाते हुए बोली)

क्या भाभी तुम भी मजाक कर रही हो,,,

मजाक नहीं कर रही हो सच कह रही हूं,,,, अब तेरी बुर चोदने लायक हो‌ गई है,,,,
(इस बार तो गुलाबी एकदम से शरमा गई और,, वह कुछ बोल नहीं पाई बस घर से बाहर निकल गए मधु उसकी बिजली ही चाल को देख रही थी उसकी गांड के उभार को देख रही थी पहली बार मधु का ध्यान उसके नितंबों के उभार पर गया था जो कि वाकई में अब चौड़ी होती जा रही थी,,,,, अरे देख कर वह‌मन में सोचने लगी कि यही देखकर उसका आदमी अपनी बहन पर बहक गया है,,, गुलाबी आगे-आगे चल रही थी और मधु पीछे पीछे मधु रास्ते में उसे बहस नहीं करना चाहती थी वहां पर पहुंचकर कपड़े धोते हुए उससे बात करना चाहती थी लेकिन अपने मन में यह सोचने लगी कि अगर गुलाबी का मन अपने ही बड़े भाई पर इस तरह से बह सकता है उससे अपनी जवानी की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही है तब तो वह राजू के साथ एक ही खटिया पर सोती है और राजू की मर्दाना ताकत से तो वह पूरी तरह से अवगत हो चुकी थी और राजू की हरकत को देखते हुए अब उसे शंका होने लगी थी कि क्या ऐसा तो नहीं कि राजू और गुलाबी के बीच में भी कुछ खिचड़ी पक गई हो,,,,, यह सोचकर मधु का दिमाग घूमने लगा था अब उसके मन में शंका के बादल घिरने लगे थे,,, अब तो उसे राजू के चरित्र को लेकर शंका होने लगी थी क्योंकि राजू भी बहुत पहले से उसके पीछे पड़ा हुआ था और इसीलिए उसके शंका करने का कारण और भी मजबूत होते जा रहा था वह सोच रही थी कि जब उसका बेटा अपनी मां के पीछे इस कदर उसे चोदने के लिए पड़ा था तब तो वह अपनी बुआ के साथ एक ही खटिया पर सोता था,,,, जब वह अपनी मां के साथ गंदी से गंदी हरकत कर सकता था तो क्या अपनी बुआ के साथ नहीं किया होगा,,,, यह सोचते हैं मधु के दिमाग में राजू से जुड़ी पिछली कई घटनाएं घूमने लगी,,,, कुवे पर से पानी की बाल्टी खींचते समय उसकी मदद करने के बहाने उसके नितंबों पर अपने लंड की रगड़ महसूस करवाना,,, उसे प्यासी नजरों से घूरना किसी ने किसी बहाने उसके अंगों को स्पर्श करना और मधु को वह घटना याद आने लगी जब वह बेशर्मी दिखाते हुए शादी में ले जाते समय उसे गंदी गंदी बात कर रहा था और पत्थर के पीछे जब वह पेशाब करने का ही तो 1 बहाने से उसे देखने लगा था मधु को अभी भी याद था कि उस समय राजू ने उसकी नंगी गांड को देख लिया था और फिर घर के पीछे बेल को बांधते समय जिस तरह की हरकत किया था उसकी हरकत से उसकी दूर में भी पानी आ गया था इस बहाने से उसकी बुर पर हथेली रखकर रगड़ दिया था,,, औरत और वेद के वहां दवा दिलाने के बहाने रास्ते भर गंदी बातें करना और बरसात पर जाने की वजह से खंडहर के अंदर इस तरह की कामुक हरकत करना जिसकी वजह से वह खुद अपने आप को संभाल नहीं पाई थी वह अपने बेटे के आगे घुटने टेक दी थी उसकी चालाकी उसकी मर्दानगी और उसकी औरत को खुश करने की कला को देखकर मधु को शक होने लगा कि वह एक ही कमरे में एक ही खटिया पर सोती हुई अपनी बुआ को बख्शा होगा,,, क्योंकि अच्छी तरह से जानती थी कि उसके बेटे को भी अपने लंड की गर्मी शांत करने के लिए बुर की जरूरत थी जो कि उसकी बुआ जवान और खूबसूरत भी थी तो जरूर एक ही खटिया पर सोने का उसने फायदा उठाया होगा,,,, इन सभी सवालों का जवाब दो अब सिर्फ गुलाबी ही दे सकती है और इसी बारे में सोचते सोचते वह कब नदी पर पहुंच गए उसे पता ही नहीं चला,,,।
Bohot Khoob rony bhai, kya bat hai,
Madhu ko ab sab kuch samajh aaraha hai, dekhne wali baat ye hai ki madhu ja agla kadam kya hoga??
Great Update Again.
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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Ek number

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जिंदगी में जिस बारे में कभी कल्पना नहीं की थी और ना ही कभी सोची थी ऐसा दृश्य अपनी आंखों से देख कर,,, उसके पसीने छूट गए थे उसकी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा था वह किसी भी तरह से अपने आप को संभालते हुए अपने कमरे तक आई थी और खटिया पर बैठ कर रोने लगी थी उसे अपने पति से और अपनी मेहनत से यह उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका पति पीठ पीछे इस तरह की गुल खिलाएगा और अपनी ही छोटी बहन के साथ रंगरेलियां मनाएगा,,,,, मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, वह सोच में पड़ गई थी कि ऐसा कैसे हो गया गुलाबी तो अपने बड़े भाई की बहुत इज्जत करती थी सम्मान देती थी और हरिया भी उसे अपनी बेटी की तरह ही रहता था तो फिर दोनों में इस तरह के संबंध कब स्थापित हो गए,,,, मधु झोपड़ी के अंदर के दृश्य को देखकर इतना तो समझ गई थी कि यह रिश्ता नया नया बिल्कुल भी नहीं था वह काफी समय से चलता रहा था क्योंकि दोनों आपस में एकदम खुल चुके थे और अगर ऐसा है तो अब तक उसे दोनों के बीच शक क्यों नहीं हुआ दोनों की हरकतों का पता क्यों नहीं चला यही सोचकर मधु हैरान हुई जा रही थी,,,, उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया था भाई-बहन के बीच इस तरह का रिश्ता कैसे हो सकता है,,,, बार-बार मधु की आंखों के सामने झोपड़ी वाला तेरे से नजर आ रहा था जब उसका पति अपनी बहन की कमर थामें उसकी बुर में लंड पर रहा था और गुलाबी भी बहुत मजा ले रही थी उसकी आंखों में बिल्कुल भी शर्म नजर नहीं आ रही थी बल्कि अपने भाई से चुदवाने का एक असीम सुख एक तृप्ति का एहसास उसके चेहरे पर नजर आ रहा था,,,,, गुलाबी अपनी राह कैसे भटक गई और उसका पति कैसे अपना धर्म और फर्ज भूल गया एक खूबसूरत बीवी होने के बावजूद भी आखिरकार उसके पैर क्यों डगमगा गए आखिरकार रोज रात को तो वह अपने पति को खुश कर देती थी जैसा वह चाहता था वैसा ही करती थी फिर ऐसा कौन सा कभी उसके प्यार में रह गया कि उसका पति अपनी ही बहन के साथ मुंह काला कर रहा है,,,,,,,,

मधु के अंतर्मन में विचारों का बवंडर उठ रहा था जिसमें से निकलने का कोई राह उसे नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था वह समझ नहीं पा रही थी कि कहां जाए क्या करें उसे बहुत गुस्सा आ रहा था अभी भी उसके आंखों से आंसू निकल रहे थे अपनी पति की बेवफाई के चलते वह यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और तो और एक भाई और बहन के बीच इस तरह के शारीरिक रिश्ते को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी वह अपने मन में ठान ली थी कि अभी दोनों घर पर आएंगे और दोनों को झोपड़ी वाली बात कहेंगी लेकिन फिर अपने मन में सोचने लगी कि उन दोनों से कहेगी क्या,,,, कैसे शुरुआत करेगी दोनों अपना मुंह काला जरूर कर रहे थे लेकिन शर्मिंदगी का अहसास मधु को रहा था,,,,,, मधु तुम दोनों से बात करने के नाम से ही शर्मा रही थी,,,, मधु बहुत गुस्से में थी अगर इस समय दोनों इधर आ गए होते तो शायद मधु उनसे जरूर सवाल-जवाब कर लेती हो ना होने का हो जाता,,, जैसे तैसे करके खटिया पर रोते रोते उसे नींद लग गई और वह कब सो गई उसे पता ही नहीं चला शाम को जब गुलाबी उसे उठाई तब जाकर उसकी नींद खुली लेकिन गुलाबी को देखकर उसके चेहरे के भाव एकदम से बदल गए,,,,,, गुलाबी से गुस्से में दोपहर वाली बात बोलने हीं जा रही थी कि तभी,,,, उसे राजू का ख्याल आ गया राजू का ख्याल आते ही अपने और अपने बेटे के बीच की उस रिश्ते के बारे में भी याद आ गया,,,,, जिस रिश्ते के बीच शारीरिक रिश्ते को देखकर वह गुलाबी को सवाल जवाब करने जा रही थी वो एकदम से खामोश हो गई,,, आखिरकार वह अभी तो उसी कश्ती में सवार थी,,, जिस कश्ती के गुलाबी और हरिया भी मुसाफिर थे,,,,,,,

क्या हुआ क्या सोच रही हो भाभी,,,,(गुलाबी के द्वारा हाथ पकड़कर हिलाने की वजह से मधु की तंद्रा भंग हुई और वहां एकदम से जैसे होश में आई हो इस तरह से हड़बड़ा कर गुलाबी की तरफ देखने लगी और अपने गुस्से को शांत करके बोली)

हो गई सफाई गुलाबी,,,

हां भाभी वो तो कब से हो गई मैं और भैया मिलकर पूरे पिछवाड़े की झाड़ी झंकडीयो को साफ कर दिए,,,
(गुलाबी की है बातें सुनकर मधु मन मे हीं बोली कि हां मैं देखी थी कि कैसे अपना पिछवाड़ा अपने भाई के सामने परोस कर मजा ले रहे थे,,,)

चल ठीक होगा अब जल्दी से घर की सफाई कर दे में खाना बनाने की तैयारी करती हुं,,,,(इतना कहकर मधु खटिया पर से उठने लगी वह एकदम सहज होकर गुलाबी से बात कर रही थी लेकिन अंदर ही अंदर बात चल रही थी गुलाबी को देखकर ही उसका दिल एकदम से जलने लगा था,,,, कभी-कभी ऐसा होता था कि जोर-जोर से चिल्ला चिल्ला कर गुलाबी से सब कुछ बता दे जो उसने अपनी आंखों से देखी थी लेकिन अपने आप को शांत कर के वह‌ अपनी और अपने बेटे के बीच के रिश्ते के बारे में सोचने लगती थी और यह सोच कर चिंतित हो जाती थी कि अगर उसे और उसके बेटे को बाहर का छोड़ो घर में ही किसी ने देख लिया तो क्या होगा,,,,, लेकिन तभी उसकी आंखों की चमक बढ़ गई उसे ख्याल आया कि अगर वह गुलाबी से झोपड़ी के अंदर गुलाबी और उसके भैया के लिए जो कुछ भी हो रहा था उसे बता दे तो अगर भविष्य में किसी ने भी उसे और उसके बेटे को रंगे हाथ पकड़ भी लिया तो बात धरी की धरी रह जाएगी कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा क्योंकि वह खुद दोनों को रंगे हाथ पकड़ चुकी थी,,, ऐसा सोच कर उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी लेकिन फिर भी जो कुछ भी उसने अपनी आंखों से देखी थी उसका दर्द उससे सहन नहीं हो रहा था,,,, इस बारे में वह मौका देकर गुलाबी से बात करना चाहती थी और वह बात करने के लिए कल का दिन है न कि की थी वह कल के दिन गुलाबी को नदी पर कपड़े धोने के लिए ले जाना चाहती थी और वहीं पर इस बारे में बहस करना चाहती थी और अपने लिए रास्ता भी साफ कर लेना चाहती थी,,, क्योंकि गुलाबी ने अपनी गर्म जवानी के चलते जो कुछ भी कर रही थी वह पाप तो था ही लेकिन पाप वह खुद भी कर रही थी क्योंकि जवानी के जोश में गुलाबी एक बार भटक सकती थी लेकिन वह तो उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच चुकी थी जहां पर सही गलत का फैसला करना सब कुछ उसके हाथ में ही था लेकिन फिर भी बदन की जरूरत और जवानी के जोश ने उसे भी बहका दिया था और वह अपने ही बेटे के साथ पाप लीला को कामलीला में बदल दी थी,,,,

खैर जैसे-तैसे मधु ने खाना बनाई और रात को सबके साथ मिलकर भोजन भी की इसके बाद वह अपने कमरे में चली गई लेकिन गुस्से के कारण बाहर या को अपने बदन पर हाथ नहीं लगानी थी और दर्द का बहाना करके सो गई,,,,
दूसरे दिन मधु अपने पति और गुलाबी की हरकतों पर नजर रखे हुए थे और धीरे-धीरे से पता चल रहा था कि वाकई में वह दोनों के बीच पहले से ही यह रिश्ता कायम हो चुका था क्योंकि जारी लगाते समय गुलाबी अपने बड़े भाई को देख कर मुस्कुरा ले रही थी और हरिया भी गुलाबी को देखकर मुस्कुरा भी ले रहा था और बेशर्मी दिखाते हुए धोती के ऊपर से अपने लैंड को दबा दे रहा था अपने पति की हरकत से मधु पूरी तरह से शर्मसार हुए जा रही थी क्योंकि इस बात का एहसास मधु को भी अच्छी तरह था कि गुलाबी से वह कई मायने में खूबसूरत और जवानी से लबालब भरी हुई है लेकिन फिर भी हरिया इतनी खूबसूरत बीवी होने के बावजूद भी पतली सी नाजुक सी गुलाबी के साथ मुंह काला कर रहा था इसीलिए मधु को गुस्सा भी आ रहा था,,,,।

थोड़ी ही देर में हरिया और राजू दोनों अपनी अपनी राह पर निकल गए और मधु गुलाबी से बोली,,,।

गुलाबी सारा काम छोड़ आज नदी पर कपड़े धोने चलना है,,,

ठीक है भाभी मैं भी अपने कुछ कपड़े ले लेती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपने कमरे में गई और अपने और राजू के भी कुछ कपड़ों को साथ में ले ली,,, गंदी कपड़ों का ढेरो अपने साथ में लेकर अपने कमरे से बाहर आई तो मधु बड़े गौर से से खूबसूरत चेहरे को देखने लगी यह देखकर गुलाबी शर्माते हुए बोली,,,।

क्या हुआ भाभी ऐसे क्यों देख रही हो पहले कभी मुझे देखी नहीं हो क्या,,,?

देखी तो हूं लेकिन यह भी देख रही हूं कि तेरे चेहरे की खूबसूरती में बदलाव आ रहा है अब तो मर्दों को अपनी तरफ रीझाने लायक हो गई है,,,
(अपनी भाभी की यह बात सुनते ही गुलाबी एकदम से शर्म आ गई और शर्म के कारण उसके गोरे गोरे गाल लाल हो गए और वह शरमाते हुए बोली)

क्या भाभी तुम भी मजाक कर रही हो,,,

मजाक नहीं कर रही हो सच कह रही हूं,,,, अब तेरी बुर चोदने लायक हो‌ गई है,,,,
(इस बार तो गुलाबी एकदम से शरमा गई और,, वह कुछ बोल नहीं पाई बस घर से बाहर निकल गए मधु उसकी बिजली ही चाल को देख रही थी उसकी गांड के उभार को देख रही थी पहली बार मधु का ध्यान उसके नितंबों के उभार पर गया था जो कि वाकई में अब चौड़ी होती जा रही थी,,,,, अरे देख कर वह‌मन में सोचने लगी कि यही देखकर उसका आदमी अपनी बहन पर बहक गया है,,, गुलाबी आगे-आगे चल रही थी और मधु पीछे पीछे मधु रास्ते में उसे बहस नहीं करना चाहती थी वहां पर पहुंचकर कपड़े धोते हुए उससे बात करना चाहती थी लेकिन अपने मन में यह सोचने लगी कि अगर गुलाबी का मन अपने ही बड़े भाई पर इस तरह से बह सकता है उससे अपनी जवानी की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही है तब तो वह राजू के साथ एक ही खटिया पर सोती है और राजू की मर्दाना ताकत से तो वह पूरी तरह से अवगत हो चुकी थी और राजू की हरकत को देखते हुए अब उसे शंका होने लगी थी कि क्या ऐसा तो नहीं कि राजू और गुलाबी के बीच में भी कुछ खिचड़ी पक गई हो,,,,, यह सोचकर मधु का दिमाग घूमने लगा था अब उसके मन में शंका के बादल घिरने लगे थे,,, अब तो उसे राजू के चरित्र को लेकर शंका होने लगी थी क्योंकि राजू भी बहुत पहले से उसके पीछे पड़ा हुआ था और इसीलिए उसके शंका करने का कारण और भी मजबूत होते जा रहा था वह सोच रही थी कि जब उसका बेटा अपनी मां के पीछे इस कदर उसे चोदने के लिए पड़ा था तब तो वह अपनी बुआ के साथ एक ही खटिया पर सोता था,,,, जब वह अपनी मां के साथ गंदी से गंदी हरकत कर सकता था तो क्या अपनी बुआ के साथ नहीं किया होगा,,,, यह सोचते हैं मधु के दिमाग में राजू से जुड़ी पिछली कई घटनाएं घूमने लगी,,,, कुवे पर से पानी की बाल्टी खींचते समय उसकी मदद करने के बहाने उसके नितंबों पर अपने लंड की रगड़ महसूस करवाना,,, उसे प्यासी नजरों से घूरना किसी ने किसी बहाने उसके अंगों को स्पर्श करना और मधु को वह घटना याद आने लगी जब वह बेशर्मी दिखाते हुए शादी में ले जाते समय उसे गंदी गंदी बात कर रहा था और पत्थर के पीछे जब वह पेशाब करने का ही तो 1 बहाने से उसे देखने लगा था मधु को अभी भी याद था कि उस समय राजू ने उसकी नंगी गांड को देख लिया था और फिर घर के पीछे बेल को बांधते समय जिस तरह की हरकत किया था उसकी हरकत से उसकी दूर में भी पानी आ गया था इस बहाने से उसकी बुर पर हथेली रखकर रगड़ दिया था,,, औरत और वेद के वहां दवा दिलाने के बहाने रास्ते भर गंदी बातें करना और बरसात पर जाने की वजह से खंडहर के अंदर इस तरह की कामुक हरकत करना जिसकी वजह से वह खुद अपने आप को संभाल नहीं पाई थी वह अपने बेटे के आगे घुटने टेक दी थी उसकी चालाकी उसकी मर्दानगी और उसकी औरत को खुश करने की कला को देखकर मधु को शक होने लगा कि वह एक ही कमरे में एक ही खटिया पर सोती हुई अपनी बुआ को बख्शा होगा,,, क्योंकि अच्छी तरह से जानती थी कि उसके बेटे को भी अपने लंड की गर्मी शांत करने के लिए बुर की जरूरत थी जो कि उसकी बुआ जवान और खूबसूरत भी थी तो जरूर एक ही खटिया पर सोने का उसने फायदा उठाया होगा,,,, इन सभी सवालों का जवाब दो अब सिर्फ गुलाबी ही दे सकती है और इसी बारे में सोचते सोचते वह कब नदी पर पहुंच गए उसे पता ही नहीं चला,,,।
Nice update
 

rohnny4545

Well-Known Member
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Lagta hai ab sab raj khilne wale hai aur shayad kahani ka aant bhi najdeek hai...Ronny bhai...Aapki jar kahani ka ek alag hi maza hai...Agale update jaldi se dena

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Raju or jhumri talaab k kinare kuch is tarah se
 
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