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Koi bat nahi sir bahot hi jald nayi kahani aane wali heभाई ऐसे दी एंड की अपेक्षा नही थी
Intejar hia bhia... Nayi kahani ka
बहुत ही शानदार अपडेट हैराजू और गुलाबी दोनों की सगाई हो चुकी थी सगाई में राजू ने दिल खोलकर खर्चा किया था और पूरे गांव वालों के साथ साथ गांव के जमींदार और उसकी बहन को भी आमंत्रित किया था जो की खुशी खुशी राजू और गुलाबी की सगाई में शामिल भी हुए थे,,,, नाच गाना भोजन सब का प्रबंध राजू ने बड़े अच्छे से किया था,,,,,,,, झुमरी की सगाई राजू के साथ रंजीत से देखी नहीं जा रही थी रंजीत उस दिन से ही चुनरी के पीछे अपने आदमी को लगा दिया था जिस दिन से उसकी नजर झुमरी पर पड़ी थी और झुमरी के चलते राजू ने उसकी जमकर पिटाई की थी,,,,, राजू और झुमरी की सगाई रंजीत ने अपनी आंखों से देखा था और एकदम आग बबूला हो गया था झुमरी की खूबसूरती को वह पाना चाहता था उसे भोगना चाहता था लेकिन राजू के चलते ऐसा मुमकिन नहीं था इसीलिए दोनों की सगाई की बात वहां विक्रम सिंह से कर दिया था और यह भी कह दिया था कि,,, लाला पर दिए गए धमकी का असर बिल्कुल भी नहीं हो रहा है और वह तो निश्चिंत होकर पूरे गांव में घूम रहा है सगाई में शामिल होकर आनंदित हो रहा है नाच गाने का मजा ले रहा है इतना सुनकर विक्रम सिंह एकदम क्रोध से भर गया था उसे लगा था कि उसकी दी गई धमकी से लाला डर जाएगा और अपने आप ही सब कुछ उसके नाम कर देगा लेकिन राजू का साथ पाकर लाला में जाना गई थी और वह विक्रम सिंह के दिए गए धमकी पर बिना गौर किए अपना जिंदगी जी रहा था,,,,
इसलिए विक्रम सिंह आगबबूला होकर अपने आदमियों को लेकर हवेली की तरफ निकल गया था,,,,,, जहां पर निश्चिंत होकर लाला अपनी हवेली में बैठकर हुक्का गुड़गुड़ा रहा था,,,,,,,, विक्रम सिंह जैसे ही हवेली के मुख्य द्वार पर पहुंचा उसके आदमी पहरेदार को मारना शुरू कर दिए और एकाएक हुए हमले से वह दोनों को समझ नहीं पाए और तुरंत वहां से भाग लिए,,,,, लाला को इस बात का आभास तक नहीं था कि जिसके सहारे वह हवेली में निश्चिंत होकर रह रहा था वही दोनों मुसीबत की घड़ी में हवेली छोड़कर भाग खड़े हुए थे,,,, विक्रम सिंह मुख्य द्वार को पार करके हवेली के बड़े दरवाजे के लक पहुंचा और जोर से आवाज लगाता हुआ दरवाजा खोलने लगा,,,।
लाला कहां है निकल बाहर,,,(इतना कहने के साथ ही विक्रम सिंह दरवाजा खोल कर हवेली में प्रवेश कर गया,,, सामने ही गद्दी पर बैठ कर लाला हुक्का गुड़गुड़ा रहा था विक्रम सिंह को देखते ही उसकी आंखें एकदम से फटी की फटी रह गई उसके बदन में खून जमने लगा वह सोचा नहीं था कि विक्रम सिंह इस तरह से उसकी हवेली में आ जाएगा वह तो निश्चिंत था कि दरवाजे पर पहरेदार खड़ा कर रखा है लेकिन उसे क्या मालूम था कि पहरेदार मुसीबत की घड़ी में उसे छोड़कर भाग खड़े होंगे,,,,)
विक्रम सिंह तुम यहां,,,(विक्रम सिंह को गुस्से में देख कर लाना अपने मुंह में से हुक्के की पाइप को बाहर निकालते हुए बोला,,,)
तुझे क्या लगा मैं यहां नहीं आ सकता दरवाजे पर दो पहरेदार खड़ा कर दिया तो क्या तू निश्चिंत हो गया वह दोनों तो कब से भाग खड़े हुए हैं,,,,,
(इतना सुनते ही लाला के पसीने छूटने लगे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें फिर भी स्थिति को संभालने हेतु वह बोला)
हुआ क्या है विक्रम सिंह मुझे कुछ तो बताओ,,,,
देख रहे हो चाचा इसके तेवर बदले बदले से लग रहे हैं जैसे इसे कुछ मालूम ही नहीं है,,,,
देख रहा हूं रंजीत पहली बार ऐसा हुआ है कि मेरी दी गई धमकी का किसी पर बिल्कुल भी असर नहीं हुआ है,,,,, वरना आज तक किसी की हिम्मत नहीं हुई की मेरी बात को काट सकें वह तो पिताजी की दोस्ती के खातिर मैंने इसे 1 महीने का समय दे दिया था लेकिन मुझे नहीं लगता कि इसे जरा भी फर्क पड़ा होगा,,,,,
यह कैसी बातें कर रहे हो विक्रम सिंह हमारे पिताजी और तुम्हारे पिताजी के बीच गहरी दोस्ती थी,,,, थोड़ा तो लिहाज करो तुम तो तू तड़ाका वाली बातें कर रहे हो,,,,
क्योंकि तू मान सम्मान के लायक नहीं है,,,,, मैं बात को इधर उधर ना घुमा कर सीधे मुद्दे पर आता हूं,,,, देख मैंने तुझे 1 महीने का समय दिया था,,,,, इस बीच तुझे हमारे पिताजी के द्वारा दिया गया उधार पैसा चुकाना था या फिर अपनी मर्जी से अपनी हवेली खेत खलियान और गोदाम सब कुछ हमारे नाम करना था,,,,, लेकिन मुझे नहीं लगता कि तूने इस बारे में थोड़ा भी विचार किया होगा,,,,।
विचार कैसा करना विक्रम सिंह,,,, हमारे पिताजी ने तुम्हारे पिताजी से जितनी भी रकम उधार मिली थी एक-एक पाई सूत समेत चुका दिए हैं कुछ दिन पहले ही हमें रकम चुकाई का कागजात मिला है,,,,,,।
(इतना सुनते ही विक्रम सिंह के चेहरे पर हे रानी के भाव नजर आने लगे,,,,, वह रंजीत सिंह की तरफ देखने लगा रंजीत सिंह भी थोड़ा सा चौक गया था लाला की बात को सुनकर लेकिन फिर वह बोला)
ऐसा है तो दिखाओ कागजात,,,,
हां हां मैं अभी लेकर आता हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही लाला अपने कमरे में गया और थोड़ी देर बाद एक पुरानी सी डायरी लेकर आया,,,,,, और उसके पन्ने पलट कर उसे अपने पिताजी की लिखावट दिखाने लगा जिसमें साफ-साफ उसके पिताजी ने लिख रखा था कि अब उसके ऊपर कोई भी कर्जा नहीं है उसने एक-एक पाई चुका दिया है,, जोकि देने वाले के नाम सहित लिखा हुआ था लाला जैसे ही डायरी का पन्ना खोल कर रंजीत और उसके चाचा विक्रम सिंह की तरफ आगे बढ़ा कर दिखाने लगा और विक्रम सिंह डायरी पर लिखे हुए उस उधार नामा को पढ़ते ही जोर जोर से हंसने लगा उसे हंसता हुआ देखकर लाला समझ गया था कि उसके दिमाग में क्या चल रहा है लेकिन फिर भी बोला)
क्या हुआ विक्रम सिंह तुम ऐसे क्यों हंस रहे हो,,,
अरे बेवकूफ आदमी हंसु नहीं तो और क्या करूं,,,,
(विक्रम सिंह के साथ-साथ उसके आदमी लोग भी है जोर जोर से हंस रहे थे मानो कि लाला की खिल्ली उड़ा रहे हो,,,,,) तुम मुझे क्या दिखा रहा है डायरी पर लिखा हुआ लिखावट क्या यह मान्य है ये कोई दस्तावेज है,,,,
लेकिन विक्रम सिंह मेरे पिताजी ने जो रकम तुम्हारे पिताजी से उधार लिया था वह भी तो कोई दस्तावेज में लिखा हुआ नहीं था बस दोस्ती के खातिर ले लिए थे ना कोई दस्तावेज ना कोई लिखावट ना कुछ गिरवी रखना ऐसा तो कुछ बात नहीं हुआ था,,,,
अभी तो लाला वह पिताजी का जमाना था लेकिन यह जमाना मेरा है मेरे लिखावट को नहीं मानता और मुझे तुम्हारी जमीन जायदाद गोदाम खेत खलियान सब कुछ चाहिए अगर यह सब बचाना चाहते हो तो रकम मुझे वापस लौटा दो मैं चला जाऊंगा,,,,
नहीं नहीं विक्रम सिंह ऐसा क्यों कर रहे हो थोड़ा तो अपनी जमीदारी की लाज रखो अपने पिताजी और मेरे पिताजी के रिश्ते के बारे में तो सोचो,,,,, यह हवेली खेत खलियान गोदाम यह सब कुछ बाप दादा की कमाई हुई है हमारी इज्जत है सब कुछ है मैं ऐसे कैसे तुम्हें दे दुं,,,,
(इतना सुनते ही विक्रम सिंह एकदम से क्रोधित हो गया और दोनों हाथ को आगे बढ़ा कर लाला की छाती पर जोर से पीटते हुए उसके गिरेबान को पकड़ लिया और उसे अपनी तरफ खींच लिया और गुस्से में बोला)
हरामजादे अब तक मैंने तुझे प्यार से समझाया लेकिन अब तू मेरा गुस्सा देखेगा,,,,, कल तक अपनी मर्जी से तुझे सब कुछ मेरे नाम करना होगा अगर ऐसा नहीं किया तो तेरी लाश आम के बगीचे पर लटकी मिलेगी याद रखना तू अभी भी मेरा कुछ नहीं कर पाएगा और कल भी कुछ भी उखाड़ नहीं पाएगा याद रख लेना अब फैसला तुझे करना है कि जमीन जायदाद हवेली से चिपके रहना है ,,,इसके लिए जान देना है या फिर जिंदा रहना है,,,,,
(विक्रम सिंह लाला को धमका ही रहा था कि तभी नहा कर तरोताजा होकर सोनी उस कक्ष में प्रवेश की उसे नहीं मालूम था कि उस कक्ष में विक्रम सिंह अपने आदमियों के साथ खड़ा है उसे तो लगा था कि उसका समय सिर्फ उसका भाई ही है इसलिए वह केवल साड़ी पहनी थी और अपनी चुचियों को छुपाने के लिए ब्लाउज नहीं पहनी थी उस पर सिर्फ अपनी साड़ी कंधे पर डालकर अपनी दोनों चुचियों को साड़ी के पल्लू से छुपाई हुई थी जो कि नहा कर आने की वजह से अभी भी उसके बदन पर गीलापन था जिसकी वजह से साड़ी भी गीली हो चुकी थी और उसकी दमदार जानलेवा चुचियों से चिपक कर मदमस्त कर देने वाली चूचियों को उजागर कर रही थी,,,,,,
जैसे ही सोनी उस कच्छ में आई इतने सारे आदमियों को देखकर,,, वह जिस हालत में थी अच्छी तरह से जानती थी वह जानती थी कि उसकी दोनों चूचियां एकदम साफ नजर आ रही थी और उसे ऐसा ही लगा था कि कच्छ में सिर्फ उसका बड़ा भाई ही है इसलिए वह पूरी तरह से निश्चिंत थी लेकिन वह एकदम से घबरा गई थी और अपनी दोनों जवानी को छुपाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वह ऐसा कर पाती इससे पहले ही विक्रम सिंह के साथ-साथ रंजीत सिंह और उसके साथियों की भी नजर सोनी की मदमस्त कर देने वाली दोनों जवानी पर पड़ चुकी थी विक्रम सिंह तो सोनी को इस हालात में देखकर एकदम से उत्तेजित हो गया और लाला को छोड़कर तुरंत सोनी की तरफ गया और उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच कर उसे अपनी बाहों में भर लिया जिस तरह से विक्रम सिंह ने सोनी को अपनी तरफ खींचा था उसकी पीठ विक्रम सिंह की छाती से एकदम से चिपक गई थी और विक्रम सिंह अपनी मजबूत भुजाओं में बड़ी मजबूती से सोनी को भर लिया था जिससे उसकी गोल-गोल उभरी हुई गांड सीधे विक्रम सिंह के लंड से टकरा रही थी जो कि पल भर में उत्तेजित होकर खड़ा हो चुका था अपनी नरम नरम गांड पर विक्रम सिंह के कठोर लंड का स्पर्श पाते ही सोनी एकदम से घबरा गई और विक्रम सिंह की मौके का फायदा उठाते हुए अपने दोनों हाथ को उसके खरबूजे जैसी चूची पर रख दिया जो की पूरी तरह से नंगी थी और बोला,,,।
वाह मेरी रानी तू खामखा इस हवेली में अपनी जवानी को पानी पानी कर रही है चल मेरे साथ तुझे अपनी रखेल बनाकर रखूंगा और रोज रात को तुझे चांद की सैर कराऊंगा,,,
छोड़ हरामजादे,,,, छोड़ मुझे,,,,(सोनी अपने आपको विक्रम सिंह की पकड़ से छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन यह मुमकिन बिल्कुल भी नहीं था और यह देखकर लाला भी एकदम आग बबूला हो गया और विक्रम सिंह की तरफ आगे बढ़ते हुए जोर से चिल्लाया)
हरामजादे विक्रम सिंह आज मैं तुझे नहीं छोडूंगा,,,,(उसका इतना कहकर विक्रम सिंह की तरफ आगे बढ़ना था कि विक्रम सिंह का आदमी तुरंत उसे दबोच लिया उसके गले पर चाकू रख दिया और बोला)
जरा सी भी चला कर दिखाया तो यही तेरी गर्दन धड़ से अलग कर दूंगा,,,,
(लाला एकदम से घबरा गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करेगा एकदम से फंस चुका था विक्रम सिंह की ताकत को अच्छी तरह से जानता था और साथ ही उसके आदमियों को भी जोकि कही गई बात को पूरा करने में बिल्कुल भी वक्त नहीं लगाते हो बस इशारा मिलने के लिए दी थी लेकिन विक्रम सिंह मुस्कुराकर फिर से सोने के ऊपर अपना पूरा ध्यान बटोर लिया और उसके कंधे पर से साड़ी का पल्लू हटाते हुए उसकी चुचियों को एकदम नंगी कर दिया और उसकी नंगी चूची को अपने दोनों हाथों में भरकर जोर जोर से दबाते हुए बोला,,,)
मेरी रानी छटपटाती हुई औरतें मुझे बहुत पसंद है औरत जितना छटपटाती है उसे चोदने के उतना ही मजा आता है कितना मजा आएगा जब लाला की आंखों के सामने उसकी बहन की बुर में मेरा लंड जाएगा और मैं जी भर कर इसे चोदूंगा,,,,।
(विक्रम सिंह की अश्लील हरकत और अपनी बहन के बारे में इतनी गंदी बात सुनकर लाला एकदम से क्रोध में भरकर भले ही अपनी बहन के साथ उसका संबंध शारीरिक तौर पर था लेकिन फिर भी थी तो उसकी बहन ही इसलिए वह दूसरे के मुंह से अपनी बहन के लिए इस तरह की गंदी बातें कैसे सुन सकता था इसलिए वह जोर से चिल्लाया ही था)
विक्रम,,,(और इतने में ही उसके आदमी का चाकू गर्दन पर दबाव बढ़ाने लगा और लाला एकदम से घबरा गया,,,, एकदम से वह खामोश हो गया विक्रम सिंह एक नजर लाला के ऊपर डाला और फिर अपनी हथेली को जोर-जोर से सोने की चूची पर रखकर जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया उसे इस समय इतना गजब कहानी प्राप्त हो रहा था कि पूछो मत लेकिन सोनी एकदम घबराई हुई थी उसे इस बात का डर था कि कहीं विक्रम सिंह उसके साथ अपनी मनमानी ना कर बैठे,,,,, सोनी इतनी खूबसूरत है कि उसका खूबसूरत बदल और उसकी चूची देखकर रंजीत सिंह के मुंह में पानी आ रहा था और उसके आदमियों की भी हालत खराब थी वह लोग एकदम गौर से सोने की हालत को देख रहे थे और उसकी चूची को अपनी मालिक विक्रम सिंह की हथेली में देखकर मस्त हुए जा रहे थे,,,,, अपने होठों को सोने के गर्दन पर रख उसे चुंबन करने के साथ-साथ उसकी चूची को दबाते हुए विक्रम सिंह बोला,,,)
लाला तुझे अपने बाप दादा की कमाई हुई धन दौलत शोहरत से इतना प्यार है लेकिन क्या तुझे अपने घर की इज्जत से भी उतना ही प्यार है जितना हवेली के लिए जान देने को तैयार हो गया है सोच अगर तेरी बहन की इज्जत लूट गई तो पूरे गांव में पूरे गांव में क्या पास पड़ोस के तेरी थु थु हो जाएगी,,,, और जब सबको पता चलेगा कि तेरी बहन मेरी रखैल बन कर मेरे हवेली में रहती है तब क्या होगा तेरी इज्जत एक कौड़ी की नहीं रह जाएगी तब क्या करेगा इस हवेली को इस जायदाद को इस व्यापार को,,,, विक्रम सिंह अपनी बातों से लाला को डराने की कोशिश भी कर रहा था और सोनी की गरम जवानी के चलते वह पूरी तरह से गर्म भी हो चुका था उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर सोनी की गांड में घुसा चला जा रहा था और सोनी अपनी गांड के बीचो बीच विक्रम सिंह के लंड को महसूस करके कसमसा रही थी वह किसी भी तरह से विक्रम सिंह की कैद से छूटना चाहती थी लेकिन वह अपने आप को छुड़ा नहीं पा रही थी,,,,, लाला की हालत खराब हो चुकी थी उसकी आंखों के सामने ही विक्रम सिंह उसकी बहन की इज्जत पर हाथ डाल रहा था विक्रम सिंह ऐसा कर सकता था इस बात को लाला अच्छी तरह से जानता था क्योंकि वह एक नंबर का गिरा हुआ इंसान था,,,,)
लाला जरा सोच तेरी आंखों के सामने इसी समय अगर मैं तेरी बहन की साड़ी उतार कर उसे पूरी तरह से नंगी कर दूं तो भी तो कुछ नहीं कर पाएगा और सोच मैं अपने लंड को तेरी बहन के मुंह में डाल भी दूं तो भी उसके पास भी उसे चूसने के सिवा और कोई रास्ता नहीं बचेगा तेरी बहन तेरी आंखों के सामने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसेगी ना तू कुछ कर पाएगा वरना तेरी बहन और फिर यही अपने हाथों के सामने ही मैं तेरी बहन की बुर में लंड डालकर उसे चोदूंगा और फिर पीछे से भी तेरी बहन की गांड मारूंगा निश्चित तौर पर तेरी बहन को शुरू शुरू में अच्छा तो नहीं लगेगा लेकिन मेरा बलशाली लंड पाकर तेरी बहन धन्य हो जाएगी और फिर खुद ही मेरी रखैल बनने के लिए तैयार हो जाएगी क्योंकि औरतों को खुश करने में मैं माहिर हूं एक बार तेरी बहन मेरे लंड की सवारी करने की फिर इसे सवारी पर से उतरने का नाम ही नहीं लेगी तब तू सोच तेरी क्या हालत होगी जब तेरी बहन भी तुझे छोड़कर मेरे पास आ जाएंगे और अगर इतने से भी तेरा दिल ना भरे तो मेरे बाद मेरा भतीजा और मेरे आदमी लोग भी तेरी बहन पर चढ़ेंगे तब तु क्या कर लेगा,,,,,।
(विक्रम सिंह की धमकी को सुनकर और उसकी हरकत को देखकर लाला रोने लगा वह घबरा चुका था क्योंकि वह जानता था कि वह विक्रम सिंह का कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता और रोते हुए बोला)
मेरी बहन को छोड़ दो उसका क्या कसूर है उसके साथ ऐसा गलत व्यवहार मत करो,,,,
मैं भी तो यही चाहता हूं लाला लेकिन तू शायद अपनी बहन की इज्जत की परवाह नहीं करता तुझे तो सिर्फ हवेली से प्यार है जमीन जायदाद जमीदारी से प्यार है लेकिन अपनी बहन से जरा भी प्यार नहीं है इसीलिए तुझे आखरी मौका देता हूं कल शाम तक तू अपनी जमीन जायदाद हवेली खेत खलियान गोदाम सब कुछ मेरे नाम पर कर देना अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर दूसरे तरीके से तो मैं हासिल करना जानता ही हूं और लेकिन तब तेरा और भी ज्यादा बिगड़ जाएगा तेरी बहन मेरे हवेली की रखैल बन कर रह जाएगी जिस पर रोज न जाने कितने लोग चढ़ेंगे मेरा भतीजा तो अभी से तैयार है क्यों रंजीत,,,,।
चाचा जी आप के इशारे की देरी है वरना मेरा लंड तो कब से तैयार है इसकी बुर में जाने के लिए,,,,
नहीं नहीं विक्रम सिंह ऐसा बिल्कुल भी मत करना,,,,,, मैं कहीं का नहीं रह जाऊंगा किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाऊंगा,,,
इसीलिए तो प्यार से काम ले रहा हूं अभी तो मैं जा रहा हूं लेकिन कल शाम तक अगर तू मेरी बात नहीं मानी तो जो कुछ भी होगा उसका जिम्मेदार तु खुद होगा,,,,,
चलो,,,,,।
(इतना कहकर विक्रम सिंह हवेली के बाहर जाने लगा और पीछे पीछे उसके आदमी और उसका भतीजा रंजीत सिंह जाने लगा रंजीत सिंह धीरे से अपने चाचा से बोला,,,)
क्या चाचा जी यही मौका था उसकी जमीन जायदाद अपने नाम करने का,,,,
अरे बुद्धू मैं जानता हूं इसी समय में सब कुछ अपने नाम करवा सकता था लेकिन यह भी जानता हूं कि लाला के पास अब कोई रास्ता नहीं लाला मेरी ताकत से अब अच्छी तरह से वाकिफ हो गया है देख नहीं रहा था कि से रो रहा है मुझे पूरा यकीन है कि ये खुद ही कल सब कुछ मेरे नाम पर कर देगा,,,,,
अगर ऐसा नहीं हुआ तो चाचा,,,,
अगर ऐसा नहीं हुआ तो कल बहुत कुछ हो जाएगा,,,,,,
(हवेली के अंदर विक्रम सिंह के जाते ही सोनी रोते हुए अपने भाई के सीने से लग गई और लाला भी रोने लगा वह दोनों अच्छी तरह से जानते थे कि वह दोनों की ताकत एकदम से खत्म हो चुकी है अब क्या होने वाला है इस बात का एहसास दोनों को नहीं था लेकिन दोनों इतना जरूर जानते थे कि अगर विक्रम सिंह की कही बात सच हो गई तो बरसों की पुरखों की बनी बनाई इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी,,,,)
लाला की हालत खराब हो चुकी थी सोनी के चेहरे पर घबराहट के बादल अभी तक छाए हुए थे वह अपने आपको विक्रम सिंह की कैद में पाकर पूरी तरह से घबरा गई थी,,,, और विक्रम सिंह के जाते ही अपने भाई के गले से लग कर रोने लगी थी क्योंकि आज उसे लगने लगा कि कि आज उसकी इज्जत विक्रम सिंह के हाथों लूटने का है और ऐसे हालात में उसका भाई उसकी इज्जत बचाने में बिल्कुल भी सक्षम नहीं है इस बात को लाला भी अच्छी तरह से जानता था,,,, अपनी आंखों के सामने ही अपनी बहन की बेज्जती होते हुए वह बड़ी शर्मिंदगी से देख रहा था,,,, ऐसा नहीं था कि उसे गुस्सा नहीं आया था वह बहुत क्रोध में था लेकिन वह अपनी बहन को बचाने के लिए कुछ भी कर नहीं सकता था उसकी आंखों के सामने ही विक्रम सिंह उसकी बहन की नरम नरम चुचियों को दोनों हथेली में लेकर मजे लेकर दबा रहा था और उसके साथ ही इस नजारे को देखकर मन ही मन में उत्साहित और उत्तेजित हो रहे थे,,,,, लाल आप इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि अगर विक्रम सिंह चाहता तो उसकी आंखों के सामने ही हवेली के अंदर ही उसकी बहन की इज्जत लूट सकता था उसको चोद सकता था,,,,, लेकिन उसने ऐसा कुछ किया नहीं लेकिन अगर लाला ने जैसा वह कहता है वैसा नहीं किया तो जरूर विक्रम सिंह उसकी जमीन जायदाद तो लेगा ही लेगा और उसके घर की इज्जत उसकी बहन की इज्जत भी लूट लेगा इसीलिए तो लाला पूरी तरह से घबरा गया था ऐसे में उसकी सारी उम्मीद केवल राजू से ही थी राजू पर ही के घर की इज्जत टिकी हुई थी,,,,।
Ranjeet Singh apni chachi k sath ye karna chahta thA
अब क्या होगा भैया,,,, मुझे तो बहुत घबराहट हो रही है,,, अगर यह हवेली जमीन जायदाद कारोबार उसके नाम नाकिया के हाथों जैसा वह कह कर गया है वैसा करने में देर बिल्कुल भी नहीं लगेगी,,,,
मैं जानता हूं सोनी अब ऐसे में केवल राजू ही हमारी मदद कर सकता है,,,,, मैं अभी जाकर उससे मिलता हूं,,,,
(इतना कहने के साथ ही लाला हवेली से बाहर निकल गया राजू को बुला लाने के लिए उसके पास कोई आदमी नहीं था क्योंकि विक्रम सिंह के डर से सभी भाग खड़े हुए थे,,,,, लाला अच्छी तरह से जानता था कि इस समय राजू गोदाम पर ही होगा इसलिए वह बिना देर किए सीधा गोदाम पर पहुंच गया,,,,,, गोदाम पर पहुंचकर वह गोदाम में ना प्रवेश करके एक घने पेड़ के नीचे लगी कुर्सी पर बैठ गया और वहीं से आवाज देता हुआ अपने आदमी से बोला,,,,)
तुरंत जाओ राजू को बुलाकर लाओ,,,
जी मालिक,,,,(इतना कहने के साथ ही वह आदमी गोदाम में गया और थोड़ी देर बाद राजू को अपने साथ लेकर आया लाला जी को कुर्सी पर बैठा देखकर राजू बोला)
अरे लाला जी आप यहां अरे यहां आने की जरूरत नहीं थी गोदाम में संतरो को शहर भेजने का बंदोबस्त किया जा रहा है और काम अच्छा चल रहा है,,,।
(लाला राजू की बात पर गौर ना करते हुए दूसरे आदमी से बोला)
Ranjeetsingh apni chachi ko bhogne k liye tadap Raha tha
तुम जाओ अपना काम करो,,,,
(इतना सुनते ही वह आदमी वापस गोदाम में चला गया)
बात क्या है लाला जी आज आप कुछ ज्यादा ही परेशान लग रहे हैं,,,,।
(राजू की बात सुनते ही लाला की आंखों में आंसू भर गए और वह अपनी नजरों को नीचे झुका कर बोला)
क्या बताऊं राजू,,,,, आज तो सोनी की इज्जत जाते-जाते बची है,,,,
क्या कह रहे हो लाला,,,(राजू एकदम से चौकते हुए बोला,,)
विक्रम सिंह अपने आदमी सहित घर पर आया था और मेरे साथ मारपीट करने लगा उसी समय ना जाने कहां से सोनी भी आ गई और सोनी के साथ बदतमीजी करने लगा उसने सोनी के साथ,,,,,,,(इतना कहने के साथ ही लाला फफक कर रो पड़ा उसे रोता हुआ देखकर राजू इधर-उधर देखने लगा और उसे समझाते हुए बोला)
यह क्या कर रहे हैं लाला जी अगर आप इस तरह रोने लगोगे तो कोई देखेगा तो क्या कहेगा,,,,, इज्जत खराब हो जाएगी,,,,,
Ranjeet ki pyas apni Chachi Ko dekhkar Badhti ja rahi thi
इज्जत तो खराब होनी है,,, विक्रम सिंह मेरी आंखों के सामने मेरी बहन की नंगी चूचियों को अपने हाथ में लेकर जोर जोर से दबा कर मजे ले रहा था साथ में उसके आदमी भी जोर जोर से हंस कर मेरी बदतमीजी का मजा ले रहे थे,,,
क्या कह रहे हो लाला विक्रम सिंह ने सोनी के साथ इतना गलत किया,,,,
हां राजू और धमकी भी दिया है कि कल शाम तक अगर मैंने उसकी बात नहीं मानी तो वहां जमीन जा जात तो अपने नाम करवा ही लेगा और फिर सोनी को भी अपने साथ उठाकर ले जाएगा और अपनी रखेल बनाकर रखेगा,,,,,
क्या उस हरामजादे ने ऐसा क्या कर गया है,,,,,
हां राजू मुझे तो बहुत डर लग रहा है,,,,,
Vikram singh ki bibi
घबराओ मत लाला अब समय आ गया है इस पार या उस पार,,,,
तुम से ही उम्मीद है राजू,,,,, दरवाजे पर जो दरबान रखे थे वह तो भाग खड़े हुए,,,,,
चिंता मत करो गोदाम भर के संतरे पड़े हैं उन्हें शहर भेजना जरूरी है बस यह काम खत्म होते ही मैं खुद हवेली पर चलूंगा,,,, और हां अपने कुछ आदमियों को भी मैं तैयार कर देता हूं,,,,,,, विक्रम सिंह अपने इरादे में कभी कामयाब नहीं हो पाएगा,,,,,,,,,(क्रोध से अपनी दोनों मूट्ठीयों को बांधते हुए बोला,,,,) लाला आप घर जाइए मैं सब संभाल लूंगा,,,,,
देखो राजू हमारी आखिरी उम्मीद तुम ही हो इसीलिए मैंने अपनी जायदाद का बारिश तुम्हें बनाया हूं क्योंकि तुम ही पूरी तरह से सक्षम हो इसकी देखभाल करने के लिए,,,
Vikram singh apni biwi ko chodta hua
चिंता मत करो लाला मैं तुम्हारे विश्वास को बिल्कुल भी टूटने नहीं दूंगा और वादा करता हूं कि विक्रम सिंह जायदाद का जमीन का 1 इंची टुकड़ा भी नहीं ले सकता,,,,,,
मुझे तुमसे यही उम्मीद है राजू,,,,(इतना कहने के साथ ही लाला अपनी जगह से खड़ा हो गया,,,) जो कुछ भी करना जल्दी करना कल शाम तक का ही समय है,,,,
चिंता मत करो लाला,,,,,, घर जाओ मैं अपने आदमियों को इकट्ठा करता हूं,,,,,,,,,।
Ranjeetsingh or uski chachi
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(राजू की तसल्ली भरी बातें सुनकर लाला वहां से चला गया और राजू गोदाम में चला गया और सबसे पहले श्याम के पास जाकर उसे,,,,, अपने साथियों को जो कि दूसरे गांव में रहते थे उन्हें कल सुबह गोदाम पर चले आने के लिए बोला,,,,,, और फिर काम में लग गया,,,, राजू अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर उस दिन मा ना रोकी होती तो उसी दिन विक्रम सिंह का काम तमाम कर दिया होता तो यह दिन देखना नहीं पड़ता,,,,, जबसे राजू ने बहादुरी दिखाते हुए बंदूक की गोली से दो डाकुओं को गिरा दिया था तब से उसका आत्मविश्वास और ज्यादा बढ़ गया था और फिर विक्रम सिंह को तो वह कुत्ते की तरह पीठ भी चुका था,,,, इसलिए उसे ऐसा ही लग रहा था कि वह विक्रम सिंह से जरूर टक्कर ले पाएगा लेकिन वह पूरी तरह से इस मामले में आत्मविश्वास से भरा हुआ नहीं था वह जानता था क्रम सिंह को उसके आदमियों को इसलिए दिमाग से काम ले रहा था,,,,,,,।
Vikram singh or uski bibi
जहां एक तरफ राजू लाला को दिलासा देकर उसे वापस हवेली भेज चुका था वहीं दूसरी तरफ रंजीत सिंह अपने चाचा के कान भरने में लगा हुआ था,,,।)
यह क्या किया चाचा जी मौका अच्छा था सब कुछ अपने नाम करवा लेना चाहिए था और साथ में उसकी बहन कितनी मलाई से भरी हुई लग रही थी अगर उसी समय उसे चोद दिए होते तो,,, मजा आ जाता देख नहीं रहे थे कैसे फड़फड़ा रही थी कबूतर की तरह तुम्हारे हाथों में,,,,, कसम से चाचा लाला की बहन एकदम मलाई लग रही थी कितनी गोरी चिट्टी थी मानो धरती पर चांद उतर आया हो,,,,,,,
सही कह रहा है रंजीत उसकी दोनों चुची को हाथ में पकड़ कर तो मुझे ऐसा लग रहा था कि मैंने अपने हाथों में आसमान के चांद को भर लिया है सच कहूं तो इतनी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा जबसे लाला की बहन को देखा हूं तब से उसे चोदने का मन कर रहा है,,,,
सही मौका तो था चाचा उसकी जमीन जायदाद भी ले लेते हो उसकी बहन की चुदाई भी कर देते देखे नहीं थे तुम जब उसकी चूची को जोर जोर से दबा रहे थे उसकी सूची एकदम लाल टमाटर की तरह हो गई थी मुझे तो देखकर ही मेरे मुंह में पानी आ रहा था,,,,,
Pahli bar Ranjeet apni Chachi Ko chudwate hue dekha tha
सही कह रहा है रंजीत,,,,, उसकी चूची की गर्मी अभी तक मेरी,,(दोनों हथेलियों को ऊपर की तरफ उठाकर उन्हें देखते हुए) हथेली में महसूस हो रही है,,,, मैं यह सोच रहा हूं कि जब उसकी चूची इतनी खूबसूरत है तो उसकी बुर कितनी लाजवाब होगी,,,,,
हां चाचा सही में अगर तुम उसकी साड़ी उतारकर उसे नंगी कर दी होते तो शायद उसकी खूबसूरती हमें भी देखने को मिल जाती हम भी तो देखते कि लाला अपने खजाने में इतना बेशुमार खजाना छुपाकर कैसे रखा है,,,,
तू चिंता मत कर रंजीत कल शाम को ही हम लाला की हवेली पर चलेंगे और उसकी बहन के साथ जी भर कर मजा करेंगे,,,
अरे धीरे से चाचा जी चाची सुन ली तो गजब हो जाएगा,,,(रंजीत कमरे के चारों तरफ खिड़की और दरवाजे की तरफ देखते हुए बोला और फिर आकर भरकर दरवाजे को धीरे से बंद कर दिया)
अरे छोड़ रंजीत तेरी चाची कहां देखने वाली है वह तो नाक बजाकर सो रही होगी,,,,
Pahli bar Apne chacha aur Chachi Ko is halat mein dekhkar Ranjeet Singh Dang rah gaya tha
लेकिन चाचा अब यह सब छोड़ देना चाहिए क्योंकि तुम बाहर खूबसूरत औरत को खोजते हो जबकि घर में ही चाची इतनी खूबसूरत है उनके जैसी खूबसूरत औरत तो अगल-बगल के 25 50 गांव में भी नहीं होगी,,,,,,,,,,(शराब की बोतल का ढक्कन खोल कर कांच के प्याले में शराब को डालते हुए रंजीत बोला,,,,, और फिर उसका आज के प्याले में शराब को भरकर उस प्याले को अपने चाचा को थमाते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) किसी दिन चाची को यह सब पता चल गया ना तुम्हारे रासलीला के बारे में तो गजब हो जाएगा,,,
अरे उस मादरचोद को,,,(रंजीत के हाथ में से शराब के प्याले को लेते हुए) कुछ भी पता है चलने वाला नहीं है एकदम बेवकूफ है वह नहीं तो इतने बरसों से मैं इतनी औरतों के साथ एश करते आ रहा हूं अब तक उसे भनक लग जाती,,,,,,,,,
इतने बरसों से मुझे तो लगा चाचा की दो 3 साल से ही यह सब चल रहा है,,,
अरे पागल जब मेरी शादी नहीं हुई थी सबसे चुदाई का खेल खेल रहा हूं तुझे पता है खेतों में काम करने औरतें आती थी,,, और मैं मन हुआ तो पैसे देकर वरना जबरदस्ती ही जो पसंद आ जाए उस औरत की चुदाई करता था,,,,,
क्या बात कर रहे हो चाचा,,,,
अरे मैं सही कह रहा हूं,,,(शराब की चुस्की लेते हुए रंजीत सिंह के द्वारा बनाया गया यह पांचवा प्याला था जिसे पीकर विक्रम सिंह एकदम नशे में हो चुका था और ऐसा वह जानबूझकर कर रहा था क्योंकि रंजीत सिंह अपनी चाची को अपने चाचा की असलियत दिखाना चाहता था अपनी चाची को वह अपने चाचा के मुंह से ही अपनी रंगरेलियां अपनी रासलीला ओं के बारे में सुनवाना चाहता था और उसकी चाची दरवाजे के पीछे खड़ी होकर अपने पति की कामलीला के बारे में उसके ही मुंह से सुन रही थी और रो रही थी वह अपने पति पर बहुत भरोसा करती थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जो कुछ भी वह अपने कानों से सुन रही है वह हकीकत है या कोई ख्वाब है लेकिन यह ख्वाब बिल्कुल भी नहीं था,,, सब कुछ हकीकत था,,,, रंजीत जानबूझकर अपने चाचा से इस तरह की बातें कर रहा था ताकि उसकी चाची विक्रम सिंह के मुंह से ही उसके हकीकत के बारे में सुनें,,,)
क्या चाचा तुम तो बहुत रसिया किस्म के आदमी हो,,, तुम्हारी कामलीला को विवाह के बाद तो रोक देना चाहिए था क्योंकि इतनी सुंदर बीवी जो मिली थी,,,,
अरे बुद्धू जब चारों तरफ खूबसूरत औरत हो और जिसकी जब चाहे तब मिल जा रही हो फिर उसे क्या बीवी से मजा मिलेगा,,,,(शराब का पांचवा पहला भी खत्म करते हुए बोला और रंजीत से आगे बढ़कर उस खाली प्याले को ले लिया औरउसने फिर से शराब डालने लगा,,,,,और बोला,,,)
सही कह रहे हो चाचा लेकिन यह सब चाची के साथ तो धोखा ही है जिस दिन चाची को पता चलेगा उस दिन क्या होगा,,,
Is halat mein apni Chachi Ko dekhkar,,, uska husn Ranjeet Singh ke dimag per chha chuka tha
अरे भोसड़ा चोदी को कहां पता चलेगा,,, रंडी को कुछ आता ही नहीं है पति को कैसे खुश किया जाता है इसके बारे में पता ही नहीं है बस जब चोदने चलो बस दोनों टांगें खोलकर पड़ी रहेगी कुछ भी नहीं आता उसे मुंह में लेने के लिए बोलो तो कहे कि मुझे उल्टी आ जाएगी,,,, साली को अपने पति को खुश करना आता ही नहीं है जब देखो तब घर का कामकाज करती रहती है तुझे पता है रात को भी जब उसे चोदने के लिए कहो तो भी ,, थकान का बहाना बनाती है,,,,,।
लेकिन चाचा जी,,,(शराब के प्याले को फिर से विक्रम सिंह के हाथ में थमाते हुए ,,) मैंने देखा था तब तो चाची तो तुम्हारा बराबर साथ दे रही थी,,,,.
(रंजीत सिंह की यह बात सुनकर विक्रम सिंह मुस्कुराने लगा और मुस्कुराते हुए वह शराब के प्याले को अपने हाथ में लेकर बोला)
बड़ा हरामि है तू,,,(फिर सर आपको एक ही सांस में दटकते हुए वह गहरी सांस लेते हुए बोला,,,) अरे हरामि उस दिन भी तुझे देखने में धोखा हुआ था,,, उस दिन की तेरी चाची अपनी मर्जी से तैयार नहीं हुई थी बल्कि मैंने ही जबरदस्ती करते हुए उसे रंडी के सारे कपड़े अपने हाथों से उतार दिए थे और उसका ब्लाउज उतारने में तो उसका ब्लाउज भी फट गया था बेशक तेरी चाची की चूचियां बड़ी बड़ी है लेकिन उन्हें वह बात नहीं है जो लाला की बहन की चूची में थी,,,, साली फिर भी कितना नखरा दिखाती है तेरी चाची उसे जबरदस्ती नंगी करके जबरदस्ती घोड़ी बनाकर चोद रहा था वरना उस दिन भी मुझे प्यासा रहना पड़ता,,,,।
चाचा थोड़ा तो शर्म करो चाची के बारे में इस तरह की बातें करते हुए चाची को पता चल गया तो गजब हो जाएगा,,,
कुछ नहीं होगा साली कुछ नहीं जानती,,,, इतने बरसों में देखा औलाद पैदा नहीं कर पाई वह रंडी क्या गजब करेगी,,,,,।
(विक्रम सिंह की इस बात पर दरवाजे के पीछे छुप कर उसकी बात सुन रही उसकी बीवी के तो होश उड़ गए औलाद वाली बात सुनकर उसका कलेजा छलनी छलनी हो गया था)
मैं तो देखना तेरी चाची की गांड पर लात मारकर इस हवेली से निकाल दूंगा और फिर लाला की बहन को इस हवेली की रखेल बनाकर रखूंगा और उसे चोद चोद कर देखना इस हवेली का वारसदार पैदा करूंगा,,,,,,,
(इतना कहते हुए विक्रम सिंह एकदम से अपना होश खो बैठा और बिस्तर पर तुरंत गिर पड़ा रंजीत सिंह का काम बन चुका था वह तुरंत विक्रम सिंह को चादर ओड़ाते हुए बोला,,,)
अब सो जाओ चाचा तुम बहुत नशे में हो,,,,।
(और थोड़ी ही देर में जैसे ही विक्रम सिंह खर्राटा लेने लगा,,,, रंजीत सिंह मुस्कुराता हुआ दरवाजे के करीब गया और वहां पर एकदम से अपने चेहरे का भाव ऐसा बना लिया मानो कि जैसे दुनिया भर का दुख उसे ही हो वह जैसे ही दरवाजा खोला विक्रम सिंह की बीवी रोते हुए दूसरे कमरे की तरफ लगभग लगभग भागते हुए जाने लगी और रंजीत सिंह उसके पीछे पीछे चल पड़ा,,,,,, विक्रम सिंह की बीवी कमरे में दाखिल होते ही बीना दरवाजा बंद किए अपने बिस्तर पर जाकर गिर गई और रोने लगी,,,, दरवाजा खुला था तुरंत रंजीत सिंह कमरे में दाखिल हो गया और दरवाजे को बंद करके कड़ी लगा दिया,,,,, रंजीत सिंह अपनी चाची के बिस्तर पर बैठ गया और अपनी चाची के कंधे पर हाथ रखकर उसे सांत्वना देते हुए बोला,,,,)
रोओ मत चाची मैं कहता था ना कि चाचा जी ठीक नहीं है वह सिर्फ तुम्हें धोखा दे रहे हैं,,,,(इतना सुनते ही विक्रम सिंह की बीवी और जोर से रोने लगी) रोने से कुछ होने वाला नहीं है चाचा आज तुम्हें चाचा जी का असली रूप समझ में आ गया ना वह तुमसे प्यार बिल्कुल भी नहीं करते हैं बस तुमसे रिश्ता निभा रहे हैं और जब,,,, बदन की गर्मी बढ़ जाती है तब तुम्हारे साथ संबंध बनाकर अपनी गर्मी शांत कर लेते हैं और बाकी असली प्यार तो दूसरी औरतों के साथ निभा रहे हैं,,,,।
(इतना सुनकर रोते हुए विक्रम सिंह की बीवी बिस्तर पर बैठ गई और आंसू बहाते हुए रंजीत सिंह से बोली)
रंजीत मेरे में कोई कमी है क्या,,,,?
नहीं चाची तुम्हारे में कोई कमी नहीं है कमी तो सिर्फ चाचा में है तुम बहुत खूबसूरत,,,, हो,,,(रोते हुए विक्रम सिंह की बीवी की खूबसूरती और ज्यादा बढ़ गई थी खुले बाल में उसका गोल-गोल खूबसूरत चेहरा चांद का टुकड़ा लग रहा था जिसे रंजीत सिंह देखकर मन ही मन में उत्साहित और उत्तेजित हो रहा था,,, अपनी चाची के आंसू पहुंचने के बहाने उसके गोरे-गोरे गाल को स्पर्श करना चाहता था इसलिए अपने हाथ आगे बढ़ाकर वह अपनी चाची के आंसुओं को अपने हाथों से पोछते हुए बोला,,,)
चाची तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा लेकिन पता नहीं क्यों चाचा जी तुम्हारे साथ इस तरह का व्यवहार करते हैं सच कहूं तो चाचा बहुत गंदे हैं क्योंकि मैं उनके साथ दिन-रात रहता हूं और उनकी रंगरेलियो के बारे में सिर्फ मैं ही जानता हूं और कोई नहीं,,,,, तुम्हें पता है चाचा कुछ देर पहले ही हम लोग लाला के घर वसूली करने के लिए गए थे लेकिन वहां पर चाचा ने लाला की बहन को अपने हाथों में पकड़ लिया उसे अपनी बाहों में भर कर उसकी चूची को जोर जोर से दबाने लगे उसे मजा लेने लगे और सच कहूं तो उसे इस हवेली में लेकर आना चाहते हैं चाचा को पता नहीं वह क्यों खूबसूरत लगती है जबकि मुझे ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता,,,,)
रंजीत तेरे चाचा अगर उस औरत को इस घर में लेकर आएंगे तो तुम्हें जीते जी मर जाऊंगी,,,,,
मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं होने दूंगा चाची,,,, सच कहूं तो चाचा तुम्हें रास्ते से हटाना चाहते हैं,,,,।
(इतना सुनते ही विक्रम सिंह की बीवी एकदम से चोदते हुए रंजीत की तरफ देखने लगी और बोली)
मतलब,,,,
मतलब यही कि चाची चाचा तुम्हें जान से मार देना चाहते हैं और फिर उस औरत को अपने घर में लाकर उससे विवाह करके अपनी बीवी बनाना चाहते हैं,,,,
नहीं यह झूठ है,,,,
अभी भी चाची तुम उस इंसान पर भरोसा कर रही हो,,,(रंजीत अपनी चाची से बातें जरूर कर रहा था लेकिन उसकी निगाहें अपनी चाची की भारी-भरकम छातियों पर थी जोकि रोते समय अपने आप ही ब्लाउज का पहला बटन खुल जाने की वजह से उसकी लाजवाब चूचियां बाहर निकलने के लिए तड़प रही थी और उसी को रंजीत सिंह प्यासी आंखों से देख रहा था वैसे तो जब से वह अपनी चाची को संपूर्ण रूप से नंगी देखा था अपने चाचा से चुदवाते हुए तब से रंजीत सिंह का लंड अपनी चाची के नाम से ही खड़ा हो जा रहा था,,,,) वह तुम्हें सच में रास्ते से हटाना चाहता है और उस औरत को इस घर में लेकर आना चाहता है तो नहीं जानती चाची चाचा ने इतनी औरतों के साथ संबंध बनाए हैं कि अगर गिनने लोगों की तो तुम्हारे होश उड़ जाएंगे,,,,,,,
अब मेरा क्या होगा रंजीत,,,, जिसे मैं देवता समझ कर पुजती रही वह तो राक्षस निकला,,,,
मैं चाची तुम्हें पहले ही बता देना चाहता था लेकिन मैं जानता था कि तुम मेरी बात पर विश्वास नहीं करोगी इसलिए मैं चाचा के मुंह से ही सारी हकीकत तुम्हें सुनाना चाहता था और तुमने अपने कानों से सुनी ना उस राक्षस की हैवानियत,,,,,,,,
तुम नहीं जानती चाची चाचा जी के जिस्मानी ताल्लुकात छोटी घर की औरतों से लेकर के हवेली की औरतों तक है असली प्यार वहां उन औरतों से ही करते हैं तुम्हें पता है पंद्रह पंद्रह दिन तक चाचा जी घर से क्यों गायब रहते थे वह दूसरी औरतों के साथ अपनी हवस मिटाने के लिए दिन गुजारते थे इसलिए घर पर नहीं आते थे,,,,,
(सुनते ही बिक्रम सिंह की औरत रंजीत के कंधे पर सर रखकर फफक फफक कर रोने लगी रंजीत सिंह तो यही चाहता ही था वह तुरंत अपनी चाची को सांत्वना देने के लिए अपने हाथ को उसकी चिकनी पीठ पर रख दिया और उसे सहलाते हुए बोला,,,,)
यह रोने का समय नहीं है चाची बल्कि अपने आप को संभालने का समय है अपने आप को इस मुसीबत से निकालने का समय है तो मैं भी वही करना चाहिए जो चाचा ने तुम्हारे साथ किया है,,,,
बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है लाला ने राजू को विक्रम ने जो किया था इसके बारे में बता दिया है राजू ने लाला को समझा कर हवेली भेज दिया है और श्याम को बोलकर विक्रम का सामना करने के लिए दूसरे गांव से आदमी बुला लिए है१,,,,,,यह रोने का समय नहीं है चाची बल्कि अपने आप को संभालने का समय है अपने आप को इस मुसीबत से निकालने का समय है तुम्हें भी वही करना चाहिए जो चाचा ने तुम्हारे साथ किया है,,,,,,,(रंजीत अपनी चाची को सांत्वना देने के बहाने उसकी चिकनी पीठ को सहला रहा था और ऐसा करने में उसे अद्भुत आनंद के साथ-साथ उत्तेजना का अनुभव हो रहा था पहली मर्तबा वह अपनी चाची को संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में देखा था उसके नंगे बदन का कसक उसकी आंखों में पूरी तरह से नशा बनकर छाया हुआ था इससे पहले उसने कभी भी अपनी चाची को इस रूप में देखा नहीं था और ना ही कभी अपनी चाची के बारे में अपने मन में गंदे विचार लाया था लेकिन अपनी चाची को अपने ही चाचा से चुदवाते हुए देखकर उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां देखकर उसके दूध जैसा गोरा बदन देखकर उसकी बड़ी बड़ी गांड देखकर और उसके मुख से निकलने वाली गर्मागर्म सिसकारी की आवाज सुनकर उसका मन और इमान पूरी तरह से डोल चुका था,,,, लाख कोशिश के बावजूद भी वह अपने मन पर काबू नहीं कर पाया था तब जाकर वह अपनी चाची को भोगने के लिए इस तरह का खेल रच डाला था अपने ही चाचा के साथ वह गद्दारी करते हुए उसे शराब पिलाकर शराब के नशे में सारी हकीकत उसके ही मुंह से उगलवा लिया था जिसे सुनकर रंजीत की चाची एकदम सदमे में आ चुकी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह बेहद शर्मिंदा थी और अपनी किस्मत पर वही जा रही थी वैसी का सहारा लेते हुए अपने आप को संभालने के लिए वह अपने ही भतीजे का कंधे का सहारा लेकर रो रही थी,,,,,)
रंजीत सिंह इस तरह से अपनी चाची के कपड़ों को खोलते हुए
चाची मैं तुम्हें बहुत पहले ही यह सब बता देना चाहता था लेकिन मुझे डर लगता था कि कहीं हकीकत जाने के बाद तुम्हें विश्वास नहीं हुआ तो मेरा जीना दूभर हो जाएगा,,,, लेकिन जब मेरी आंखों के सामने ही चाचा जी ने लाला की बहन के साथ अश्लील हरकत की है और अपना मन का इरादा बताएं तब मुझसे रहा नहीं गया और तब मैं चाचा जी की सच्चाई तुम्हारे सामने लाना चाहता था इसीलिए आज यह सब नाटक रचना पड़ा,,,,, यही सही मौका है चाची अपनी आंख पर पड़े पर्दे को हटाकर सच्चाई को हकीकत को देखने की कोशिश करो अगर तुम नहीं जागी तो चाचा जी तुम्हें हमेशा के लिए सुला देंगे ,,,, जिस नाम का सिंदूर तुम अपने माथे पर सजाती हो उसी के नाम का सिंदूर कोई और लगाने लगेगा और तुम राख हो जाओगे क्योंकि तुम चाचा जी को नहीं जानती चाचा जी तुम्हें देखने में सीधे साधे लगते हैं लेकिन जल्लाद है जल्लाद तुम्हें रास्ते से हटाने का पूरा मन बना लिए हैं,,,,
(हकीकत को सुनने के बाद रंजीत की चाची अंदर ही अंदर सिहर उठी थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह एकदम घबराई हुई थी अपने कानों से अपने पति की दरिंदगी भरी बातों को सुनकर उनके इरादों को जानकर और रंजीत के मुंह से सारी हकीकत को सुनने के बाद उसे भी लगने लगा था कि उसके पति उसे मार डालेंगे उसे अपने रास्ते से हटाकर उसकी सौतन को घर में लाकर उसे बीवी का दर्जा देंगे,,,,, वह अपने आप को संभालते हुए रंजीत के कंधों पर से अपने सिर को उठाई और रंजीत की आंखों में देखते हुए बोली,,,,)
अपनी चाची के खूबसूरत हुस्न को देखकर पागल होता हुआ रंजीत
मैं क्या करूं रंजीत मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है तू ही कोई रास्ता दिखा मैं मरना नहीं चाहती,,,,
पागल हो गई हो क्या जी मेरे होते हुए तुम्हारा कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता चाचा जी तुम्हें मार नहीं सकते मैं तुम्हें वादा करता हूं अब मैं तुम्हारे और चाचाजी के बीच ढाल बनकर खड़ा रहूंगा मुझ पर तो भरोसा है ना चाची,,,,(ऐसा कहते हुए रंजीत उत्तेजना से भरा जा रहा था वह धीरे-धीरे अपनी चाची के खूबसूरत गोल गोल चेहरे को अपने दोनों हथेली में ले लिया था मानो जैसे एक पति या प्रेमी अपनी प्रेमिका या पत्नी के खूबसूरत चेहरे को अपनी दोनों हथेलियों में ले लेता है,,,,, आज किसी भी तरह से वह अपनी चाची को हासिल कर लेना चाहता था क्योंकि उसके चाचा जी पूरी तरह से नशे की हालत में अपने कमरे में डूब कर सो रहे थे और यही मौका भी था अपनी चाची को बहकाने का,,,, रंजीत की हरकत से एक अजीब सी हलचल उसकी चाची के भी तन बदन में होने लगी थी वह भी ना जाने क्यों अपने पति की हकीकत जानने के बाद अपने भतीजे के प्रति जैसे उसका प्यार उमड़ रहा हो इस तरह से उसकी आंखों में अजीब सी खुमारी जाने लगी थी वह अपने भतीजे की आंखों में देखे जा रही थी और रंजीत अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) बोलो ना चाची मुझ पर तो भरोसा है ना तुम्हें,,,,
अब तो तेरा ही भरोसा है रे मैं तो इस हवेली में बिल्कुल अकेली पड़ गई हूं,,,
रंजीत सिंह और उसकी चाची कुछ इस तरह से
triangular ruler smileys
ऐसा कभी मत सोचना चाची अभी मैं जिंदा हूं,,, चाचा जी ना जाने क्यों घर में इतनी खूबसूरत बीवी छोड़कर बाहर औरतों के पीछे घूमते रहते हैं जिसे अपने घर में लाना चाहते हैं वह तुम्हारी खूबसूरती के आगे तुम्हारे पैरों की धूल बराबर भी नहीं है,,,,,,,(इस तरह की तारीफ से युक्त बातें करते हुए रंजीत अपने होठों को अपनी चाची के लाल-लाल होठों की तरफ बढ़ाई जा रहा था और एक औरत होने के नाते अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर वह गदगद हुए जा रही थी वह भी भावनाओं में बहकर आई थी और देखते ही देखते रंजीत अपने प्यासे होठों को अपनी चाची के लाल-लाल होठों पर रख दिया पल भर के लिए उसकी चाची अपने होठों को पीछे खींचने की कोशिश की क्योंकि वह भी एक संस्कारी औरत थी लेकिन रंजीत की बातों को सुनकर उसके बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी जिस के बहकावे में आकर वह अपने आप को रोक नहीं पाई और जैसे ही हो आपने लाल-लाल होठों को पीछे की तरफ ले गई थी वैसे ही हल्के से उसे आगे की तरफ लाई बस फिर क्या था रंजीत को खुला दौर में चुका था इतने से ही वह अपनी चाची की भावनाओं को समझ गया था और अगले ही पल अपने होठों को तुरंत आगे बढ़ाया और अपनी चाची के लाल लाल होठों को अपने मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया,,,, रंजीत की चाची पूरी तरह से मस्त हो गई वह भी अपने भतीजे का साथ देने लगी अच्छे बुरे के बीच का फर्क करने की क्षमता उसमें बिल्कुल भी नहीं रह गई थी वह एक तरफ अपने पति की बेवफाई से ग्रस्त थी और दूसरी तरफ अपने भतीजे की बातों से मस्त थी इसलिए इस समय उसे यह सब बिल्कुल भी गलत नहीं लग रहा था रंजीत तो इसी पल के लिए पागल था इसी पल का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहा था और वह पल आज उसकी मुट्ठी में आ चुका था वह पागलों की तरह अपनी चाची के लाल लाल होठों का रसपान करते हुए उसे अपनी बाहों की कैद में कसने लगा था देखते ही देखते अपनी चाची को अपनी छाती से एकदम से लगाकर उसके होठों का रसपान कर रहा था और उसकी कड़क चूचियों को अपनी छाती पर चुभता हुआ महसूस कर रहा,,,,,था,,,, और मन ही मन अपने चाचा को गाली देते हुए बोल रहा था कि मादरचोद कितना बेवकूफ है मैं इतनी सुंदर औरत है फिर भी बाहर भटकता रहता है,,,,,, रंजीत पहली बार इतनी सुंदर नारी को अपनी बाहों में लेकर उसके होठों का रसपान कर रहा था जभी सच था कि अभी तक उसकी चाची को गर्भवती होने का मौका प्राप्त नहीं हुआ था इसलिए वह और ज्यादा दुखी थी,,,,,,।
अपनी चाची की बुर से खेलता हुआ रंजीत
रंजीत किसी भी तरह से अपनी पकड़ को ढीली नहीं करना चाहता था वह जानता था कि अगर किसी भी वक्त उसकी चाची का स्त्रीत्व जाग गया तो यह सुनहरा मौका उसके जीवन की कालीख बनकर रह जाएगी इसीलिए वो किसी भी तरह से अपनी चाची पर पूरी तरह से काबू कर लेना चाहता था और इसीलिए वह अपनी चाची को बाहों में लिए हुए ही उसे बिस्तर पर झुकाना शुरू कर दिया और देखते-देखते वह अपनी चाची को पीठ के बल लेटा कर उसके ऊपर पूरी तरह से छा गया था,,,,,,, रंजीत अपनी चाची को पीट के बल लेटा कर उसके ऊपर उसकी दोनों टांगों के बीच लेटा हुआ था,,,, जिससे उसकी चाची को अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी बुर पर अपने भतीजे का लंड ठोकर मारता हुआ महसूस हो रहा था,,, और इस एहसास से तो वह और ज्यादा व्याकुल हुए जा रही थी,,,,,।
रंजीत अपनी उत्तेजना को काबू नहीं कर पा रहा था और पल-पल अपनी चाची की उत्तेजना को बढ़ाता जा रहा था और लगातार अपनी चाची को पूरी तरह से मदहोश कर देने के हेतु वह जानता था कि उसका लंड इस समय साड़ी के ऊपर से ही उसकी चाची की बुर पर ठोकर मार रहा है ,,, इसलिए बाहर अपनी कमर को अपनी चाची की बुर पर उठाता गिराता था जिससे यह एहसास हो रहा था कि मानो कि जैसे वह उसकी चुदाई कर रहा हो,,,, रंजीत की चाची मदहोश में जा रही थी अभी भी दोनों के बीच चुंबन का क्रियाकलाप जारी था इसी दौरान वह नीचे से भी अपनी चाची को मदहोश करते हुए उसके दोनों खरबूजा को भी दोनों हाथों में पकड़ कर जोर जोर से दबाने लगा भले ही रंजीत की चाची के खरबूजे ब्लाउज के अंदर कैद थे लेकिन फिर भी रंजीत को एहसास हो रहा था कि मानों जैसे वह अपनी चाची की नंगी चूचियों को दबा रहा हो,,,,,,
रंजीत सिंह और उसकी चाची
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रंजीत की चाची की नथुने से गरमा गरम सांसे अंदर बाहर हो रही थी जिससे रंजीत और ज्यादा मदहोश हो जा रहा था वह अपनी चाची के लाल-लाल होठों का रसपान करते हुए भी उसके ब्लाउज का बटन खोलने लगा और देखते ही देखते वह अपनी चाची के ब्लाउज के सारे बटन को खोल कर उसकी चूचियों को ब्लाउज की कैद से आजाद कर दिया,,,,,,, इस दौरान रंजीत की चाची ने उसे रोकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की थी और इसी से रंजीत की हिम्मत बढ़ने लगी थी और उसे इस बात का एहसास हो गया था कि आप उसकी चाची रुकने वाली नहीं है और इसी अवसर का लाभ लेते हुए वह अपने होठों को अपनी चाची के होठों से अलग किया और धीरे से वह अपने चेहरे को ऊपर की तरफ उठाया और अपनी नजरों को अपनी चाची की दोनों चुचियों पर स्थिर कर दिया और गहरी गहरी सांस लेते हुए बोला,,,,।
विक्रम सिंह की बीवी अपने भतीजे से मजा लेते हुए
मैंने आज तक इतनी लाजवाब और खूबसूरत चुचियां नहीं देखी तुम सच में चाची स्वर्ग की अप्सरा लगती हो,,,,(और इतना कहने के साथ ही अपनी चाची की दोनों नंगी सूचियों को दोनों हाथों में पकड़ लिया और उसे जोर जोर से दबाने लगा रंजीत की चाची को भी स्वर्ग का आनंद प्राप्त हो रहा था वह रंजीत की तरफ देखी और रंजीत अपनी चाची की तरफ दोनों की नजरें आपस में टकराई और शर्म की लालिमा रंजीत की चाची के गोरे गालों पर छाने लगी और वह सुर्ख लाल हो गए इसी मौके का फायदा उठाते हुए रंजीत अपनी चाची की आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए,,,,,,, धीरे से अपनी चाची की चूची के छुआरे को अपने होठों के बीच ले लिया और जैसे ही वह अपने होठों के बीच अपनी चाची के छुहारे को लिया उसकी चाची एकदम से सिहर उठी और उसके मुख से गर्मागर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,,यसयहहहहहहह आहहहहहहहह,,,।
विक्रम सिंह की बीवी मजा लेते हुए
यह आवाज आजादी की थी अपने पति की कैद से छूटने की आजादी अपने पति की बेवफाई से बदला लेने की आजादी अपने खूबसूरती पर गर्व करने की आजादी और अपने बदन की प्यास को सही मायने में बुझाने की आजादी और इस आवाज को सुनकर रंजीत सिंह पूरी तरह से मदहोश हो गया और पागलों की तरह जितना हो सकता था उतना अपनी चाची की चूची को छुहारा सहित अपने मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया ऐसा लग रहा था कि मानो कोई छोटा बच्चा उसका दूध पी रहा हो,,, रणजीत सिंह की बीवी भी पूरी तरह से मजा ले रही थी आज तक उसने अपने पति के साथ इस तरह का आनंद प्राप्त नहीं की थी क्योंकि वह बिस्तर पर अपने पति का साथ शर्म और संस्कार के मारे थे नहीं पाती थी,,,, लेकिन आज उसके दिल में भी कहीं ना कहीं अपने पति से बदला लेने की आग थी जिसकी बदौलत वह अपने भतीजे के साथ बिस्तर पर उसका पूरा साथ देते हुए आनंद ले रही थी,,,,,
विक्रम सिंह की बीवी की खूबसूरती के मामले में किसी से कम नहीं थी गोरा बदन मांसल देह बड़े-बड़े गोल-गोल नितंब खरबूजे जैसी चूचियां एक मर्द को आकर्षित करने के लिए सब कुछ उसके पास था लेकिन विक्रम सिंह औरतों का शौकीन था इसलिए घर की मुर्गी उसके लिए दाल बराबर थी लेकिन आज इसी दाल से रंजीत अपनी भूख मिटा रहा था,,,,,, रंजीत भी कई दिनों से प्यासा था झुमरी की कसर वह अपनी चाची से उतार लेना चाहता था इसलिए उसकी बड़ी बड़ी चूचीयो से बराबर का खेल रहा था,,,,, रंजीत सिंह भी इस खेल में पूरी तरह से खिलाड़ी था क्योंकि वह भी सही जवानी का स्वाद चख चुका था इसलिए बिस्तर पर देर ना करते हुए वह तुरंत अपनी चाची की साड़ी की गिठान को खोलने लगा और उसकी चूची का रसपान लगातार करते रहा,,,, देखते ही देखते स्तनपान करते हुए भी रंजीत अपनी चाची की साड़ी को खोलना शुरू कर दिया और उसकी चाची भी उसका पूरा सहयोग देते हुए शादी को उतारने में उसकी मदद करने लगी,,,,।
अपनी चाची की जमकर चुदाई करता हुआ रंजीत
साड़ी के उतरते ही रंजीत सिंह पेटीकोट की डोरी को अपने हाथ से पकड़ कर जोर से खींच लिया और कमर पर कसी हुई पेटीकोट एकदम से ढीली हो गई,,,, और फिर पेटीकोट को उतारे बिना ही पेटीकोट के अंदर अपना हाथ ले जाकर वहां सीधे अपनी हथेली को अपनी चाची की बुर पर रख दिया जो की पूरी तरह से दहक रही थी,,,,, अपनी गरमा गरम बुर पर अपने भतीजे की हथेली को महसूस करते ही वह एकदम से पानी पानी हो गई और एकदम से कसमसाने लगी,,,,सहहहहह आहहहहहहह
क्या हुआ चाची बहुत मजा आ रहा है क्या,,,,
पूछ मत ना जाने क्या हो रहा है बदन में,,,,
चाची तुम बहुत खूबसूरत हो स्वर्ग से उतरी हुई आप सारा की तरह लगती हो लेकिन फिर भी तुम्हारा यह हाल है शायद चाचा जी तुम्हारे लायक बिल्कुल भी नहीं है,,,,, तभी तो तुम्हें जीवन का इतना अनमोल सुख देने में असफल साबित हो रहे हैं लेकिन तुम चिंता मत करो चाचा मैं तुम्हारी सारी जरूरतें पूरी करूंगा,,,,,(ऐसा कहते हुए रंजीत सिंह अपनी चाची की मदहोशी को और ज्यादा बढ़ाते हुए उंगली से उसकी बुर को कुरेद ने लगा जिससे उसकी चाची की मदहोशी और ज्यादा बढ़ते जा रही थी,,,,,,,, और फिर एक बार फिर से अपनी चाची के लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख दिया जिसका साथ उसकी चाची बराबर देने लगी और फिर थोड़ी ही देर में वहां अपनी चाची के लाल लाल होठों से अपने होठों को हटाकर धीरे-धीरे चुंबन करता हुआ नीचे की तरफ बढ़ने लगा जैसे ही नाभि के करीब आया वह अपनी जीभ निकालकर अपनी चाची की गहरी नाभि को चाटना शुरू कर दिया जिससे उसकी चाची की मदहोशी और ज्यादा बढ़ने लगी वह पूरी तरह से मस्त है जा रही थी बार-बार उसकी बुर से मदन रस का बहाव हो रहा था,,,,।
रंजीत सिंह और उसकी चाची
रंजीत सिंह आज बहुत खुश था क्योंकि पहली बार वह अपनी चाची को हासिल करने कि सोचा और आज उसकी चाची बिस्तर पर थी जिसके कपड़े उतार कर वह उसे नंगी करने जा रहा था देखते ही देखते रंजीत अपनी चाची की पेटीकोट को दोनों हाथों से पकड़कर उसे नीचे की तरफ किसके लगा लेकिन भारी-भरकम गांड के दबाव के नीचे होने के कारण पेटीकोट नीचे की तरफ नहीं सरक रही थी,,, जिसके कारण खुद उसकी चाची उसका साथ देते हुए अपनी भारी-भरकम गांड को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठा ली और,, रंजीत ने तुरंत पेटीकोट को एक झटके से नीचे की तरफ खींच लिया और अगले ही पल वह अपनी चाची को पूरी तरह से निर्वस्त्र कर दिया उसकी चाची अपने ही बिस्तर पर पूरी तरह से नंगी थी,,,,, अपनी चाची के गोरे-गोरे नंगे बदन को देखते ही रंजीत की आंखें चोंधीया गई,,,, उत्तेजना के मारे उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी ,,,,,, आज तक उसने इतनी खूबसूरत औरत नहीं देखा था इसलिए फटी आंखों से अपनी चाची की जवानी को देखते हुए वह बोला,,,।
चाची सच में चाचा एकदम पागल है तुम्हारी जैसी जवानी से भरी हुई औरत पाकर भी दूसरी औरतों के पीछे घूम रहे कसम से मेरी अगर ऐसी औरत होती तो मैं तो दिन रात उसे बिस्तर पर लेकर ऐसे ही पड़ा रहता,,,।
(इतना सुनते ही वह एकदम से शर्मा गई और शर्मा कर अपनी नजर को दूसरी तरफ घुमा ली रंजीत भी औरतों को खुश करना अच्छी तरह से जानता था इसलिए धीरे-धीरे वह अपनी चाची की दोनों टांगों के बीच अपनी जगह बना लिया और अपनी चाची की बुर के करीब अपने होठों को ले जाकर के गहरी सांस लेकर उसकी खुशबू को अपने अंदर लेने लगा जिसके कारण उत्तेजना के मारे रंजीत की चाची उसकी तरफ देखने लगी और रंजीत भी अपनी चाची की तरफ देखने लगा दोनों की नजरें आपस में टकराई लेकिन इस बार रंजीत की चाची शर्मा कर अपनी नजरों को दूसरी तरफ नहीं घुमाई बस रंजीत को देखती रही व रंजीत की हरकत को देखना चाहती थी और देखते-देखते रंजीत अपनी चाची की आंखों में देखते हुए अपने होठों को अपनी चाची की फूली हुई बुर पर रख दिया जो की कचोरी की तरह एकदम फुल चुकी थी,,,, रंजीत की इस हरकत पर उसकी चाची एकदम से सिहर उठी उत्तेजना के गोले उसके बदन से उठने लगे उत्तेजना की चिंगारी उसके बदन के हर एक कोने से फुटने लगी और वह पूरी तरह से मदहोश हो गई और कसमसाने लगी,,,, उसकी मोटी मोटी जांघों में थरथराहट होने लगी और रंजीत तुरंत अपने दोनों हाथों से उसकी मोटी मोटी जाऊंगा को थाम लिया और अपनी फोटो को पागलों की तरह उसकी बुर पर रगड़ना शुरु कर दिया यह अद्भुत था रंजीत की चाची के लिए क्योंकि इस तरह से धीरे-धीरे प्यार तो उसके पति ने भी नहीं किया था लेकिन आज रंजीत सिंह पूरी तरह से अपनी चाची पर छा गया था और अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया था वह मदहोश में जा रही थी वह बिस्तर पर तड़पा रही थी उत्तेजना के मारे अपने सर को इधर उधर भटक रहे थे और रंजीत पागलों की तरह अपनी चाची की बुर को रसमलाई की तरह चाट रहा था,,,,।
अपनी खूबसूरत चाची पर रंजीत सिंह अपना दम दिखाते हुए
लेकिन अब उसके लिए सब्र करना बड़ा मुश्किल हो जा रहा था क्योंकि अब उसकी चाची से भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था वह तुरंत अपनी चाची की बुर पर से अपने होठों को हटाया और तुरंत अपने कपड़ों को उतारकर एकदम नंगा हो गया अपने भतीजे के मोटे तगड़े लंड को देखकर विक्रम सिंह की औरत के बदन में अजीब सी हलचल होने लगी वह मदहोश होने लगी और अगले ही पल रंजीत सिंह दोनों टांगों के बीच जगह बनाते हुए अपने लंड को अपनी चाची की बुर में डालना शुरू कर दिया पहले से ही रंजीत की चाची की बुर पानी पानी हो चुकी थी इसलिए गीली बुर पाकर एक झटके में ही रंजीत का लंड उसकी चाची की बुर में घुस गया और फिर वह अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,,।
रंजीत सिंह की चाची मदहोश हुए जा रही थी वह इतनी उत्तेजना कभी भी महसूस नहीं की थी जितना कि आज महसूस कर रही थी,,,, रंजीत अपनी चाची की बड़ी बड़ी चूची को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी कमर हिला रहा था और उसकी चाची पूरी तरह से मस्त होकर अपने भतीजे से छुड़वा रही थी आज पहली मर्तबा था जब वह अपने पति को छोड़कर किसी गैर मर्द के साथ जिस्मानी ताल्लुकात बना रही थी और इस संबंध से वह पूरी तरह से तृप्त हो रही थी वह मस्त हो रही थी इतना सुख से आज तक कभी प्राप्त नहीं हुआ था शायद विक्रम सिंह ही उसके साथ बिस्तर पर नरमी से कभी पेश नहीं आता था बस जब भी आता था तो उसे नंगी करके चोदने लगता था जिससे उसकी बुर कभी गीली हो ही नहीं पाती थी और उसे दर्द महसूस होता था लेकिन रंजीत ने उसे आज उसे अद्भुत सुख प्रदान किया था,,,,,,,,,
रंजीत सिंह और उसकी चाची
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थोड़ी ही देर में दोनों गर्म सांसों के साथ झड़ गए और रंजीत अपनी चाची के बगल में ही पीठ के बल धम्म से गिर गया और गहरी गहरी सांस लेने लगा,,,, थोड़ी देर बाद जब आशंका तूफान शांत हुआ तो उसकी चाची बोली,,,,
अगर उनको पता चल गया तो,,,
चाचा को कभी भी पता नहीं चलेगा तुमने जो आज की हो यह चाचा जी की बेवफाई का बदला है और इसे हमेशा अपने सीने में संजो कर रखना क्योंकि ऐसे पति के साथ पत्नियों को ऐसा ही सलूक करना चाहिए और देखना चाचा जी तुम्हें रास्ते से कभी नहीं हटा पाएंगे क्योंकि अब तुम मेरी अमानत हो और मैं तुम्हारा बाल भी बांका नहीं होने दूंगा,,,,,।
(अपने भतीजे की बात सुनकर वह एकदम गदगद हो गई और खुद उसके माथे पर अपने होंठ रख कर उसे चुम ली आज रंजीत बहुत खुश था क्योंकि आज उसकी खूबसूरत चाची उसकी हो चुकी थी रंजीत सिंह के दिमाग में बड़ी गहरी चाल चल रही थी वह अपने चाचा को अपने रास्ते से हटा देना चाहता था और फिर उसकी जायदाद के साथ-साथ उसकी बीवी पर भी पूरी तरह से कब्जा कर लेना चाहता था क्योंकि आज उसकी बीवी भी उसकी हो चुकी थी और जिस तरह का जहर रंजीत ने अपनी चाची के कानों में खोला था उसके चलते उसकी चाची को बिल्कुल भी शक नहीं होता,,,,, थोड़ी देर में रंजीत सिंह की चाची गहरी नींद में सोने लगी और रंजीत सिंह धीरे से बिस्तर पर से उठा और अपने कपड़े पहन कर अपनी चाची के कमरे से बाहर आ गया लेकिन दरवाजा हल्का सा खुला छोड़ दिया था वजह से ही कमरे से बाहर निकल कर आगे की तरफ जाने लगा पीछे से घर का नौकर उसे अपनी मालकिन के कमरे से निकलता हुआ देख लिया और साथ में यह भी देख लिया कि वह अपने कपड़ों को दुरुस्त कर रहा था अपने कुर्ते के बटन को बंद कर रहा था उसे कुछ दाल में काला नजर आया,,,, वो धीरे से अपनी मालकिन की कमरे की तरफ गया तो दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था और वह थोड़े से खुलें दरवाजे के अंदर झांका तो अंदर का नजारा देखकर दंग रह गया,,,,, अंदर उसकी मालकिन एकदम नंगी पीठ के बल लेटी हुई थी और उसकी गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड दिखाई दे रही थी और यह नजारा देखकर विक्रम सिंह का नौकर एकदम से चौक गया और वह तुरंत उस जगह से हट गया,,,,,
पहली बार विक्रम सिंह की बीवी चुदाई से मस्त हुई थी
धीरे-धीरे शाम ढलने लगी थी,,,, विक्रम सिंह अपने भतीजे के साथ बैठा हुआ था लेकिन आज वह अपने भतीजे को देखकर अंदर ही अंदर क्रोधित नजर आ रहा था उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था उसने तुरंत अपने भतीजे को आदेश दिया,,,,।
रंजीत हम कल का इंतजार नहीं कर सकते कल तक हो सकता है कि लाला कोई जुगाड़ कर ले या कुछ नया बवाल खड़ा कर दे इसलिए इसी समय अपने आदमी को ले जाओ और लाला उसकी बहन को उठाकर गोदाम पर पहुंचे मैं भी वहीं पहुंचता हूं,,,,
यह हुई ना बात चाचा जी,,,, कल करे सो आज कर,,,,, मैं भी अपने आदमियों को इकट्ठा करता हूं और लाला और उसकी बहन को उठा कर लाता हूं,,,,
जा जल्दी कर मैं गोदाम के लिए निकलता हूं देखना कोई गड़बड़ ना हो,,,,
कोई गड़बड़ नहीं होगी चाचा जी,,,,,
(और इतना कहने के साथ ही वह अपने आदमियों के साथ लाला की हवेली के लिए निकल गया विक्रम सिंह अपने भतीजे को जाते हुए देख रहा था और मन में ठान लिया था कि आज रंजीत का भी काम तमाम हो जाएगा क्योंकि उसके नौकर ने सब कुछ विक्रम सिंह को बता दिया था और जब से विक्रम सिंह अपनी बीवी और अपने भतीजे की करतूत के बारे में सुना था तब से वह आग बबूला हो रहा था उसके सर पर खून सवार था लेकिन वह अपने भतीजे को ऐसी मौत नहीं देना चाहता था जिससे लोगों को शक हो कि एक चाचा ने ही अपने भतीजे को मार डाला वह उसे इस तरह से मारना चाहता था कि किसी को कानों कान खबर तक ना हो किसी को शक ना हो कि उसके भतीजे को मारा किसने,,,,, तभी वह अपनी बीवी की तरफ देखा जो कि घर का काम कर रही थी ,,,, और अपने मन में ही कहा कि इससे तुम्हें बाद में निपट लूंगा बहुत आग लगी है इसकी दूर में,,,,।
इतना कहने के साथ ही वह भी गोदाम के लिए निकल गया आज के आज वह अपना सारा हिसाब-किताब पूरा कर लेना चाहता था लाला के साथ भी और अपने भतीजे के साथ भी,,,।
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट हैविक्रम सिंह को जब इस बात का पता चला कि उसका भतीजा ही उसके घर की इज्जत से खेल रहा है तब वह एकदम आग बबूला हो गया उसके दिमाग में बहुत कुछ चलने लगा पल भर में उसे ऐसा लगने लगा कि जैसे लाला नहीं बल्कि उसका भतीजा ही उसका सबसे बड़ा दुश्मन है और वह किसी भी तरीके से अपने भतीजे को रास्ते से हटा देना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि एक बार शुरुआत हो जाने के बाद कामक्रीड़ा का यह खेल कभी रुकने वाला नहीं था,,,, और विक्रम सिंह ऐसा कभी नहीं चाहता था कि दूसरों की इज्जत से खेलने वाले के घर में खुद कोई उसके इज्जत से खेलें जबसे अपने नौकर के मुंह से उसने अपनी बीवी और अपने भतीजे के बारे में सुना था तब से वह एकदम आग बबूला हो गया था उसकी आंखों में खून उतर आया था,,,,, और विक्रम सिंह अपने भतीजे रणजीत सिंह को मौत के घाट उतारने के लिए तैयार हो चुका था क्योंकि वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि रंजीत उसके साथ इतना बड़ा धोखा करेगा अपनी ही चाची के साथ शारीरिक संबंध बनाएगा,,,,।
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इसीलिए तो जो काम उसे कल करना था आज ही रात को वह काम तमाम कर देना चाहता था लाला के साथ-साथ वह रंजीत सिंह का भी पत्ता साफ कर देना चाहता था,,,,, इसलिए तो उसने रंजीत सिंह को अपने आदमियों के साथ लाला और उसकी बहन को उठाकर गोदाम पर ले आने के लिए बोला था और रंजीत भी खुशी-खुशी तैयार हो चुका था क्योंकि उसके मन में भी बहुत कुछ चल रहा था वह भी आज की रात अपने और अपनी चाची के रास्ते से अपने चाचा जी को हटा देना चाहता था उसके दिमाग में भी षड्यंत्र रचा हुआ था एक बार वह अपने रास्ते से विक्रम सिंह को हटा देता तो जमीन जायदाद का मालिक व खुद बन जाता है और अपनी चाची को रखेल बनाकर जिंदगी भर उसके साथ मौज करता हुआ जिंदगी काटता,,,,, रंजीत सिंह के दिमाग में ऐसा कुछ भी पहले नहीं आया था लेकिन जब से उसने अपनी चाची को संपूर्ण रूप से लग्न अवस्था में अपने चाचा जी से चुदवाती हुए देखा था तब से उसका गोरा बदन उसका मांसल देह उसकी आंखों में बस गया था उसकी मदहोश जवानी का रस पीने के लिए वह तड़प रहा था और अपनी चाची की मदहोश जवानी का रस का स्वाद चखने में वह कामयाब भी हो चुका था लेकिन वह जिंदगी भर के लिए अपनी चाची का साथ चाहता था जिसके लिए अपने चाचा जी को रास्ते से हटाना उसके लिए बेहद जरूरी था,,,,,,
विक्रम सिंह की बीवी को तो इस बात का एहसास तक नहीं था कि उसकी कामलीला के बारे में उसके पति को पता चल गया है इसलिए वह निश्चिंत होकर सहज रूप से घर का काम कर रही थी अगर उसे जरा भी अंदेशा होता कि उसकी कामलीला के बारे में उसके पति को पता चल गया है तो अब तक तो वह ना जाने क्या कर बैठती,,,,, क्योंकि वह इस तरह की औरत बिल्कुल भी नहीं थी वह संस्कार और मर्यादा में रहने वाली औरत थी,,,,,,, अपने पति को छोड़कर वह किसी दूसरे मर्द के बारे में सपने में भी कभी नहीं सोचती थी वह तो अपने भतीजे के बहकावे में आ गई थी और जो कुछ भी उसने अपने पति के मुंह से अपने कानों से सुनी थी उसे सुनकर वह पूरी तरह से टूट चुकी थी,,,, उसे अपने आप को संभालने के लिए करने की जरूरत थी और वह कंधा उसके भतीजे का था और उसके भतीजे ने अपनी चाची के भोलेपन का फायदा उठाते हुए उसके साथ शारीरिक संबंध बनाकर उसे संतुष्टि प्रदान किया था जिसके चलते अनजाने में ही वह अपने भतीजे से पूरी तरह से तृप्त होकर उसके साथ संभोग का आनंद लूट चुकी थी,,,, अपने पति के बेवफाई के बारे में तो अच्छी तरह से जानती थी लेकिन उसकी खुद की बेवफाई क्या रंग लाती है इस बारे में उसे अंदेशा भी नहीं था,,,,।
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रंजीत सिंह और उसके आदमी लाला की हवेली के लिए निकल चुके थे,,,, और दूसरी तरफ जब से झुमरी की सगाई राजू के साथ हुई थी तब से झुमरी अपनी होने वाली सास के हर एक काम में हाथ बंटाती थी झुमरी को भी अच्छा लगता था और मधु को भी अपनी बहू के साथ समय बिताना अच्छा लगने लगा था और इसी तरह से वह दोनों खेत में सब्जियां तोड़ रहे थे,,,, झुमरी प्रसन्नता बड़े भाव से अपनी सास से बातें कर रही थी,,,।
मा जी जब मैं विवाह करके तुम्हारे घर में बहू बनकर आ जाऊंगी तब देखना मैं तुम्हें घर का एक भी काम नहीं करने दूंगी सारा काम मैं ही करूंगी,,,,(सब्जियां तोड़ते हुए झुमरी बोली)
मुझे भी तेरी जैसी ही बहू चाहिए थी मेरे बेटे ने मेरे मन की इच्छा को पूरी कर दिया है ऐसे ही हमेशा बनी रहना हंसते खेलते रहना दूसरे बहुओं की तरह झगड़ा मार मेरे घर में नहीं चाहिए और वैसे भी तू अकेली ही घर में है इसलिए किसी बात की दिक्कत तो होनी नहीं चाहिए,,,,,
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मा जी मैं कभी भी शिकायत का मौका नहीं दूंगी,,,,,
बस यही चाहिए मुझे बहु,,,, गुलाबी कभी साथ में विवाह हो जाएगा वह अपने ससुराल चली जाएगी तब घर के कामकाज में घर गृहस्ती में तेरा ही सहारा बना रहेगा,,,,।
(इसी तरह से दोनों सब्जियां तोड़ते हुए बातें कर रहे थे शाम ढल चुकी थी धीरे-धीरे अंधेरा हो रहा था आने वाले खतरे से वह दोनों बिल्कुल अनजान थे,,,, वहीं दूसरी तरफ घोड़ों पर सवार होकर रणजीत सिंह और उसके आदमी लाला की हवेली पर पहुंच गए चार पांच घोड़ों को साथ में आता हुआ देखकर,,,, जो दूसरे दरबार रखे हुए थे वह भी भाग खड़े हुए,,,,,,, घोड़ों को वही हवेली के दरवाजे के पास खड़ा करके रंजीत और उसके आदमी हवेली में प्रवेश कर गए,,,,,, लाला इस बात से अनजान हुक्का गुड़गुड़ा रहा था,,,,, रंजीत सिंह और उसके आदमी को देखते ही लाला एकदम से घबरा गया और बोला,,,,।
तुम लोग इस समय यहां क्या करने आए हो,,,,,
अरे लाला चाचा जी ने बुलवाया है,,,,
चाचा जी लेकिन अभी क्यों कल तक की मोहलत थी ना,,,,
चाचा जी को पता नहीं क्या सो जा और सारी मोहब्बत खत्म कर दिया और तुम्हें और तुम्हारी बहन को गोदाम पर लेकर आने के लिए बोले हैं,,,,
गोदाम पर कौन से गोदाम पर,,,,(लाला आश्चर्य जताते हुए बोला)
अरे तुम्हारे गोदाम पर लाला और कहां,,,,,
देखो रंजीत यह गलत है वादे के मुताबिक कल तक का समय हम लोगों के पास है,,,,,
समय दिया भी तो था चाचा जी ने और दिया हुआ समय वापस भी ले लिया चाचा जी ने इसमें हम क्या कर सकते हैं चलना तो पड़ेगा ही आराम से या जोर-जबर्दस्ती से,,,,, आराम से चलोगे तो तुम्हारा फायदा है जोर जबरदस्ती से चलोगे तो तुम्हारा ही नुकसान है,,,, और हां,,,,(हवेली के चारों तरफ नजर घुमाकर देखते हुए) तुम्हारी वह खूबसूरत बहन कहां है,,,,, चिकनी मखमली बदन वाली खरबूजे जैसी चूची वाली जिसका मजा दबा दबा कर चाचा जी ने ले चुके हैं अब शायद तुम्हारी बहन का दूध पीना चाहते हैं इसीलिए आज ही बुलाए हैं,,,,।
(अपनी बहन के बारे में इस तरह की गंदी बातें सुनकर लाला एकदम से क्रोध से भर गया क्योंकि दोपहर में ही विक्रम सिंह ने उसकी बहन के साथ अभद्र व्यवहार किया था उसके अंगों से खेला था और इस समय उसका भतीजा उसकी बहन के बारे में अत्यधिक गंदी बातें कर रहा था इसलिए लाला से रहा नहीं गया हुआ एकदम से क्रोध से भर गया और जोर से चिल्लाया,,,,)
हरामजादे,,,, तेरी इतनी हिम्मत,,,, मेरी हवेली में खड़ा होकर मेरी बहन के बारे में गंदी बातें कर रहा है,,,,।
(लाला की बात सुनते ही रंजीत सिंह और उसके आदमी जोर-जोर से हंसने लगे,,,,और, रंजीत सिंह हंसते हुए बोला)
रस्सी जल गई लेकिन बल नहीं गया सुबह में क्या हुआ था भूल गया ज्यादा हिम्मत देखने का शौक है तो बता देना इसी समय तेरी आंखों के सामने तेरी बहन को चोद डालूंगा और तू कुछ नहीं कर,, पाएगा समझा ऐसे भी तेरी बहन की जवानी पर मेरी भी नजर गड़ी हुई है लेकिन मैं देखना चाहता हूं कि चाचा जी क्या करते हैं उसके बाद जो करना होगा मैं करूंगा,,,,,,,,।
(लाला जानता था कि मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर पाएगा इसलिए खामोश हो गया और रंजीत सिंह बोला,,)
चलो ले चलो इसको,,,,, मैं इसकी बहन को लेकर आता हूं,,,,,
नहीं रंजीत छोड़ दे उसे मुझे ले चल,,,, उसे कुछ भी मत करना,,,,।(लाला चिल्लाता है क्या लेकिन उसकी ठीक ना चली रंजीत सिंह के आदमी उसे पकड़ कर हवेली के बाहर लेकर जाने लगे,,,, और रंजीत सिंह लाला की बहन को ढूंढने लगा,,,,,,,, इधर-उधर ढुंढते हुए वह अंदर ही अंदर हवेली के पीछे की तरफ जाने लगा जहां पर रंजीत को लाला की बहन खाना बनाते हुए नजर आ गई और वह मुस्कुराने लगा उसे देखते ही लाला की बहन के हाथ पांव सूख गए ,,, वह एकदम से घबरा गई,,,, और लगभग लगभग चिल्लाते हुए बोली,,,)
तू यहां क्या कर रहा है,,,,
तुझे लेने आया हूं मेरी रानी,,,,
बकवास बंद कर जबान संभाल कर बोल,,,,
भाई बहन दोनों एक जैसे ही हैं,,,, तू भी अपनी भाई की तरह सुबह वाली बात भूल गई जब चाचा जी तेरी चूची को जोर जोर से दबा रहे थे तब तो तेरी अकड़ कहां खो गई थी,,,,
एक अबला नारी पर अपनी मर्दानगी दिखाते तुम चाचा भतीजा को शर्म नहीं आती,,,।
शर्म आती तो सुबह में चाचा जी तेरी चूची से मजा ना लिए होते हम लोगों का तो काम ही यही है,,,,, अब जल्दी से उठ चल मेरे साथ,,,,।
कहां मैं कहीं नहीं जाऊंगी,,,,
अरे तुझे अकेले नहीं ले जा रहे हैं तेरा भैया भी साथ में है,,,,
कहां ले जा रहे मेरे भाई को,,,,
चल देख लेना कहां ले जाते हैं,,,,,(इतना कहने के साथ ही रंजीत आगे बढ़ा और उसका हाथ पकड़कर उठाने लगा लेकिन वह इंकार करने लगी तो,,,, जबरदस्ती उसे अपनी बाहों में जकड़ कर उसी तरह से उठाकर हवेली के बीचो बीच लेकर आया लेकिन जिस तरह से रंजीत सिंह ने उसे उठाया था उसकी गोल गोल गांड रंजीत सिंह के लंड पर रगड़ खा रही थी जिससे रंजीत सिंह एकदम मस्त हुआ जा रहा था,,,,, और उठाने के बहाने वह आगे से ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूची को जोर जोर से दबा दे रहा था अरिजीत सिंह लाला की बहन को उठाकर ले जाने में मजा भी बहुत ले रहा था और वह चीख रही थी चिल्ला रही थी जिसका रंजीत सिंह पर बिल्कुल भी असर नहीं हो रहा था अगर उसके पास मौका होता तो इसी समय लाला की बहन को पटक कर चोद दिया होता,,,,, लेकिन रंजीत सिंह का ऐसा करना ठीक नहीं था क्योंकि रंजीत सिंह अच्छी तरह से जानता था कि उसके चाचा की नजर लाला की बहन पर है और लाला की बहन की जवानी से खेलना चाहता है अगर उसके पहले वह लाला की बहन के साथ जोर जबरदस्ती किया तो उसके चाचा को बुरा लग जाएगा,,,,, लाला की बहन रंजीत की पकड़ में बहुत तेज फड़फड़ा रही थी इसलिए रंजीत सिंह थोड़ा दम दिखाते हुए उसे उठा कर कंधे पर बोझे की तरह टांग लिया,,,,, और हवेली के बाहर आ गया जहां पर पहले से ही लाला खड़ा था रंजीत सिंह के कंधे पर अपनी बहन को देखकर वह फिर से उसे छोड़ देने की गुहार लगाने लगा लेकिन रंजीत सिंह कहां मानने वाला था वह जिस तरह से उठाया था वह लाला की आंखों के सामने ही साड़ी को उसकी कमर तक उठाकर उसकी नंगी गांड को दिखाते हुए बोला,,,,।
देख ले लाला अपनी बहन की गांड बिल्कुल भी चला कर दिखाने की कोशिश मत करना वरना एक एक करके तेरी बहन की गांड में लंड डालेंगे,,,,,
नहीं नहीं रंजीत ऐसा बिल्कुल भी मत करना जैसा तु कहता है मैं वैसा ही करूंगा,,,,।(रंजीत सिंह को आज राजू पर बहुत गुस्सा आ रहा था क्योंकि जब जब मुसीबत की घड़ी आई थी तब तक राजू उस जगह पर गैरहाजिर देता था और आज भी यही हो रहा था रंजीत सिंह ने पहले ही राजू को तैयार रहने के लिए कह दिया था लेकिन राजू गायब था इसलिए उसे ऐसा लग रहा था कि राजू को अपने व्यापार और हवेली के साथ-साथ जमीदारी का बागडोर देना कहीं उसके लिए गलत साबित तो नहीं हो गया है,,,,, रंजीत का आदमी घोड़े पर बैठ चुका था और लाला भी उसके पीछे बैठ गया था रंजीत सिंह ने लाला की बहन सोनी को पहले उठाकर घोड़े पर बैठाया और फिर उसके पीछे बैठ गया उसके पीछे बैठने में घुसे अद्भुत सुख का अहसास हो रहा था क्योंकि उसका लंड उसकी गांड से स्पर्श हो रहा था जिस तरह से वह पीछे से उसकी बाहों में भी थी लाला की आंखों के सामने ही वह उसके गर्दन पर अपने होंठ रख कर उसके बदन की खुशबू को अपने अंदर खींच रहा था और फिर अपने कुछ आदमियों को बोला,,,।)
तुम तीनों जाओ झुमरी को भी उठा कर ले आओ आज का दिन बहुत अच्छा है आज के दिन में अपने मन की इच्छा पूरी करूंगा और झुमरी को अपनी रखेल बनाकर रखूंगा,,,,,, राजू शादी करना चाहता है ना झुमरी से लेकिन उसके पहले झुमरी के साथ में सुहागरात मनाऊंगा,,,,।
(रंजीत की बात सुनते ही लाला और उसकी बहन एकदम से घबरा गए लेकिन कुछ बोल नहीं पाए और रंजीत के तीनों आदमी जी मालिक कहकर गांव की तरफ निकल गए और रंजीत घोड़े को आगे बढ़ा दिया घोड़े पर आगे लाला की बहन को बैठाने पर उसे बहुत मजा आ रहा था,,,,,, रंजीत सिंह अपने आदमियों के साथ गोदाम की तरफ निकल गया था और कुछ आदमी गांव की तरफ जहां पर झुमरी और उसकी होने वाली सास अभी भी बातें कर रहे थे अंधेरा हो चुका था रंजीत सिंह अपने उसी आदमी को भेजा था जो दिन-रात झुमरी के पीछे साए की तरह लगा रहता था उसे मालूम था कि झुमरी कहां पर हो कि और देखते ही देखते वह खेतों में पहुंच गया था,,,,।
झुमरी और मधु एकदम से घबरा गए जब तीनों तरफ से घोड़े आकर उनके इर्द-गिर्द नाचने लगे तीनों के मुंह बांधे हुए थे मधु को ऐसा लगा कि शायद डाकू आ गए हैं बदला लेने के लिए और देखते ही देखते हैं उनमें से एक घोड़े से नीचे उतरा और झुमरी का हाथ पकड़कर उसे खींचने लगा हो तो उसे छुड़ाने की कोशिश करने लगे लेकिन मधु को एक धक्का मारा और मधु जाकर नीचे गिर गई,,,,,।
मा जी मुझे बचाओ यह लोग मुझे कहां ले जा रहे हैं,,,
छोड़ दे हरामजादे मेरी बहू को मैं तेरा खून पी जाऊंगी,,,,।
(लेकिन वह लोग बिना कुछ बोले एक बार फिर से मधु को धक्का मारा और वह फिर से नीचे जमीन पर गिर गई,,,, और झुमरी को जबरदस्ती घोड़े पर बैठा कर वह लोग भी गोदाम की तरफ निकल गए और मधु रोते हुए भागते हुए अपने घर की तरफ जाने लगी कि उसे रास्ते में ही श्याम और राजू दोनों मिल गए राजू अपनी मां की हालत देखकर एकदम से घबरा गया और,,,,, दोनों हाथों से उसे पकड़ कर बोला,,,)
यह क्या हो गया मां तुम ऐसे क्यों भाग रही हो,,,,
मैं लुट गई बेटा मेरी बहू को डाकू उठाकर ले गए,,,,,
क्या डाकू,,,,?(राजू एकदम से आश्चर्य जताते हुए बोला श्याम भी एकदम से घबरा गया था क्योंकि वह समझ गया था कि किसे उठाकर ले गए हैं,,,,,)
हां बेटा हम दोनों सब्जी तोड़कर खेत में से आ रहे थे तभी 3 घुड़सवार हम दोनों को तीनों तरफ से घेर लिया और उसमें से नीचे उतरा तीनों के मुंह पर कपड़ा बंधा हुआ था और मुझे धक्का देकर बहू को उठाकर ले गया,,,,,
कहां ले गया मा,,,,,
वही जो थोड़ा बहुत जंगल जैसा रास्ता है सीधा तेरे गोदाम की तरफ,,,,, कुछ कर बेटा नहीं तो गजब हो जाएगा,,,,
तुम चिंता मत करो मैं लेकिन यह बात गांव में किसी को भी मत बताना वरना बदनामी हो जाएगी,,,,, तुम घर जाओ मैं कुछ करता हूं,,,,
(मधु अपने घर की तरफ चली गई,,,, श्याम जोकी बहुत चिंतित था वह बोला,,,)
अब क्या करें राजू कौन ले गया होगा,,,,
यह डाकू का काम नहीं हो सकता अगर वह तीनों डाकू होते तो मां को भी उठाकर ले जाते यह जरूर रंजीत सिंह का काम है,,,,
रंजीत सिंह वह जमीदार विक्रम सिंह का भतीजा,,,,
हां भाई हराम ज्यादा उसकी नजर बहुत पहले से ही झुमरी पर है,,,,,
मैं उसका खून पी जाऊंगा राजू,,,,,
श्याम अब हम लोगों के पास समय भी नहीं है कि हम लोग अपने आदमियों को बुलाएं क्योंकि उन्हें तो कल आने के लिए खड़े हैं और आज ही यह सब कांड हो गया है हमें ही कुछ ना कुछ करना होगा,,,, तु यही रुक मैं अभी आता हूं,,,।
(इतना कहने के साथ ही राजू दौड़ता हुआ गया और थोड़ी ही देर में दो बंदूक लेकर आ गया एक शाम को पकड़ाते हुए बोला,,,।)
तू चला तो लेगा ना,,,
बिल्कुल श्याम आज तो इज्जत का सवाल है आज मैं किसी को भी नहीं छोडूंगा,,,,
चल पहले लाला के वहां चलते हैं,,,,, वहां पर दरवाजे पर पहरेदार होंगे उन्हें भी साथ में ले लेते हैं,,,।
तु ठीक कह रहा है श्याम,,,।
(दोनों लगभग भागते हुए हवेली की तरफ जाने लगे अंधेरा हो चुका था इसलिए किसी के भी द्वारा देखे जाने की गुंजाइश बिल्कुल भी नहीं थी,,,, किसी को कानो कान खबर नहीं थी कि झुमरी को डाकू उठा ले गए हैं सब लोग निश्चिंत होकर अपना अपना काम कर रहे थे लेकिन राजू के घर सन्नाटा छाया हुआ था क्योंकि मधु ने अपने पति और गुलाबी को इस बात के बारे में बता दी थी और वह दोनों भी एकदम चिंतित नजर आ रहे थे,,,,,,, धीरे-धीरे रात गहराने लगी थी राजू और श्याम दोनों बहुत चिंतित थे राजू अपने मन में सोच रहा था कि ना जाने वह हराम ज्यादा झुमरी के साथ क्या-क्या किया होगा,,,,, यह सब सोचते सोचते हो वह दोनों हवेली पर पहुंच गए लेकिन हवेली के दरवाजे पर पहुंचे तो पहरेदार गायब था दरवाजा खुला हुआ था हवेली की तरफ भाग कर अंदर गए तो हवेली के अंदर का भी दरवाजा खुला हुआ था उन दोनों को कुछ अजीब होने की गंध आ गई थी हवेली के अंदर जाकर देखे तो कहीं कोई भी नहीं था राजू को समझते देर नहीं लगी कि विक्रम सिंह ने अपना कारनामा कर दिया है,,,,, राजू एकदम गुस्से में था और वह दीवाल में सजावट के लिए रखी हुई धारदार कटार को ले लिया है कटार श्याम को दिया और एक अपने कमर में खोज दिया क्योंकि वह जानता था कि वहां पर इस तरह के हथियार की जरूरत पड़ेगी,,,, श्याम को कुछ समझ में नहीं आ रहा था इसलिए वह बोला,,,।
राजू मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है हवेली में भी कोई नहीं है दरवाजे पर भी कोई नहीं है लाला और उसकी बहन गए कहां,,,,
तू नहीं जानता श्याम झुमरी की तरह लाल और उसकी बहन को भी विक्रम सिंह के आदमी उठा लिए हैं,,,,।
हे भगवान आज क्या गजब होने वाला है,,,(श्याम घबराहट भरे स्वर में बोला)
आज विक्रम और रंजीत दोनों की मौत आई है आज वह दोनों मेरे हाथ से बच नहीं पाएंगे,,,,,,
(और इतना कहने के साथ ही राजू और श्याम दोनों गोदाम की तरफ निकल गए,,,,,,,।
गोदाम का नजारा पूरी तरह से बदल चुका था जहां रात का सन्नाटा झींगुर की आवाज और जंगली जानवर की आवाज के साथ गुजरता था वहीं पर आज महफिल जमी हुई थी,,,,,,,, रंजीत सिंह के आदमी झुमरी को भी लेकर गोदाम में पहुंच चुके थे,,,,,,,,,।
गोदाम के बीचो बीच विक्रम सिंह बिछे हुए गद्दे पर आराम से बैठा हुआ था,,,, लाला के हाथ और पैर दोनों बैठे हुए थे और वह खड़ा होकर अपने आप को छुड़ाने की कोशिश कर रहा था,,,, सोनी सहमी सी खड़ी थी जिसे देखकर विक्रम सिंह लार टपका रहा था,,,,, और वहीं पर झुमरी को रंजीत सिंह पीछे से दोनों हाथों को पकड़कर खड़ा था और वह सूखने की कोशिश कर रही थी जिसकी वजह से झुमरी की गोल-गोल गांड रंजीत सिंह का लंड पर स्पर्श कर जा रही थी जिसकी वजह से रंजीत सिंह का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और इस बात का एहसास झुमरी को भी बहुत अच्छी तरह से हो रहा था और वह बार-बार अपनी गांड को उसके लंड की पहुंच से दूर करने की कोशिश कर रही थी लेकिन बार-बार रंजीत अपनी कमर को आगे की तरफ कर दे रहा था,,,,,
देख लाला तुझे मैंने इतनी इज्जत से समझाया लेकिन तू नहीं माना इसलिए मुझे जोर-जबर्दस्ती करना पड़ रहा है,,,, अगर तू बिना जोर-जबर्दस्ती के सब कुछ मेरे नाम कर दिया होता तो शायद यह दिन तेरे को देखना नहीं पड़ता और तेरी बहन भी सही सलामत रहती,,,,
pic upload
विक्रम सिंह में सब कुछ तेरे नाम करने को तैयार हूं लेकिन मेरी बहन को छोड़ दें,,,,,
तेरी बहन के साथ साथ आज भी नहीं चिड़िया भी हाथ लग गई है रंजीत तेरी पसंद भी बहुत लाजवाब है देख कैसी चिड़िया की तरह फड़फड़ा रही है,,,,,
चाचा जी बहुत दिनों से इसके ऊपर मेरी नजर थी आज जाकर हाथ में आई है,,,,
तो आज जी भर कर इसके साथ अपने अरमान पूरे कर लेना बाद में क्या हो किसको क्या पता,,,,,
(इशारे ही इशारे में विक्रम सिंह रंजीत सिंह के सामने अपनी मनसा दर्शा रहा था लेकिन रंजीत सिंह समझ नहीं पा रहा था और वह अपने चाचा की बात सुनकर उसकी हां में हां मिलाते हुए बोला,,,)
सही कह रहे हो चाचा इसीलिए तो मैं तुम्हारे लिए लाला की बहन और अपने लिए इस फुलझड़ी को लेकर आया हूं,,,,
इस फुलझड़ी का स्वाद पहले तू चकले ना उसके बाद में इसकी गुलाबी पत्तों को मसल लूंगा क्योंकि इसकी उम्र की गुलाब की कली से खेलने का मजा ही कुछ और है,,,,,
मुझे जाने दो मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूं मैंने क्या बिगड़ा है तुम्हारा,,,,(उन दोनों की बात सुनकर झुमरी रोते हुए उन दोनों से बोली लेकिन इसका उन दोनों पर बिल्कुल भी असर नहीं पड़ रहा था बल्कि विक्रम सिंह झुमरी की बात सुनकर बोला)
तुम्हारा यही कसूर है कि तुम बहुत खूबसूरत हो और इस लाला की बहन की भी यही बदकिस्मती है कि यह एकदम मक्खन मलाई की तरह है जिस पर मेरा मन आ गया है,,,,,
नहीं विक्रम सिंह ऐसा बिल्कुल भी मत करना मैं सब कुछ तेरे नाम पर करने को तैयार हूं फिर तू ऐसा जुल्म क्यों कर रहा है,,,,,
Lala ki bahan soni
चल अच्छा ठीक है लाला तेरी बात मैं मान लेता हूं तो सब कुछ मेरे नाम पर कर दें और यहां से अपनी बहन को लेकर और इस फुलझड़ी को भी लेकर चले जा,,,,,
लाओ मैं दस्तखत कर देता हूं आज से मेरा इस गोदाम पर जमीन जायदाद पर बिल्कुल भी हक नहीं है,,,,
रंजीत कागजात लेकर आ और पेन लेकर आ,,,,
जी चाचा जी,,,,।
(और जल्दी से रंजीत सिंह कागजात और पेन लेकर आया जिस पर रंजीत सिंह एक-एक करके सभी पन्नों पर लाला के हस्ताक्षर ले लिया और अब लाला पूरी तरह से अपनी जमीन जायदाद हवेली गोदाम सब कुछ विक्रम सिंह के नाम कर चुका था जिसकी तसल्ली कर लेने के बाद मुस्कुराता हुआ रंजीत अपने चाचा के पास आया और उसे कागजात दिखाने लगा,,,, ताजा देखते ही विक्रम सिंह की आंखों में चमक आ गई और वह तुरंत रंजीत सिंह के हाथों से कागजात लेकर उसे गोल गोल घुमा कर अपने कुत्ते के अंदर डाल दिया,,,,)
अब लाला तुमने अच्छा काम किया है,,,,
अब हमें जाने दो विक्रम सिंह हम दोनों भाई बहन यह गांव छोड़कर बहुत दूर चले जाएंगे,,,,,,।
चले जाना अब तुम्हें मैं नहीं रोकूंगा,,,,, लेकिन अभी एक काम और मेरा रह गया है,,,,
क्या,,,,?
तुम्हारी बहन को अपनी रखेल बना कर रखना,,,,
विक्रम सिंह यह क्या बकवास है तेरे कहने के मुताबिक मैंने सब कुछ तेरे नाम पर कर दिया हूं फिर ऐसा क्यों,,,?
क्योंकि तेरी बहन पर मेरा दिल आ गया है और मैं जिंदगी भर इसे अपने साथ रखना चाहता हूं बहुत गर्म है तेरी बहन इसका अंग अंग मदहोश कर देने वाला कितना मजा आएगा जब मैं तेरी बहन की बुर में लंड डालूंगा,,,,
Lala ki bahan
हरामजादे कुत्ते,,,,,
रंजीत इसका हाथ फिर से बांध दें इसे लग रहा था कि सब कुछ मेरे नाम पर कर देगा तो भी मैं इसे जाने दूंगा ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो सकता मैं अपने दुश्मन को कभी नहीं छोड़ता,,,,,।
सही कह रहे हो चाचा जी,,,,
(इतना कहने के साथ ही रंजीत आगे बढ़ा और लाला के हाथ को फिर से बांध दिया लाला की बहन सोनी एकदम से घबरा गई डर के मारे उसके पसीने छूटने लगे,,,,, दूसरी तरफ लगातार झुमरी जाने के लिए हाथ जोड़कर मना रहे थे लेकिन उसकी बात का किसी पर भी प्रभाव नहीं पड़ रहा था क्योंकि उसे भी तो मस्ती करने के लिए उठाकर लाए थे इसलिए कैसे छोड़ देते हैं और विक्रम सिंह भी झुमरी की जवानी को देखना चाहता था उसके अंगों से खेलना चाहता था उससे जी भर कर मजा लेना चाहता था इसलिए अपने एक आदमी को आदेश दिया,,,,)
इसका भी दोनों हाथ बांध दो और मुंह भी बांध दो बहुत शोर मचाती है,,,,।
(विक्रम सिंह के आदेश पर झुमरी का भी हाथ और मुंह दोनों बांध दिया गया,,,,, और फिर विक्रम सिंह जोर से चिल्लाया,,,,)
मेरी जान,,,, अब जल्दी से अपने कपड़े उतारना शुरू कर दें वरना तेरे कपड़े उतारे नहीं जाएंगे फाड़े जाएंगे,,,
नहीं विक्रम सिंह ऐसा मत करो मेरी बहन को जाने दो,,,,
कैसे जाने देना ना तेरी बहन ने रातों की नींद हराम करके रखी है,,,, तू कपड़े उतार वरना तेरे भाई के सीने में गोली दाग दूं,,,,,(इतना कहने के साथ ही विक्रम सिंह बंदूक को अपने हाथ में उठा लिया और उसका निशाना लाला के सीने पर लगा दिया,,,)
नहीं नहीं जैसा तुम कहोगे मैं वैसा ही करने को तैयार हूं,,,
तो जल्दी से एक एक करके अपने कपड़े उतार अपनी जवानी दिखा वरना तेरा भाई चैन की नींद सो जाएगा,,,।
(सोनी एकदम से घबरा गई थी वह समझ गई थी कि विक्रम सिंह कुछ भी कर सकता है क्योंकि अपने वादे के मुताबिक वह जमीन जायदाद सब कुछ अपने नाम कर लेने के बावजूद भी उन दोनों को जाने नहीं दे रहा था,,,,, वह जल्दी से विक्रम सिंह के ठीक सामने आकर खड़ी हो गई थी तकरीबन दोनों के बीच 2 मीटर की दूरी थी वह अपने साड़ी का पल्लू अपने कंधे पर से नीचे गिरा दी थी जिससे उसका जोबन से भरा हुआ छाती एकदम से लहरा उठा था,,,,, लेकिन फिर वह झुमरी की तरफ देखी और बोली,,,,)
विक्रम सिंह मैं तो तुम्हारे पास हूं ना उस लड़की को जाने दो वह नादान है,,,,
तुझे नादान दिखती है पूरी जवानी से भरी हुई है और लड़कियों के मामले में तो मुझे समझाने की कोशिश मत कर तुझ से ज्यादा मुझे अनुभव है,,,,।
(सोनी अच्छी तरह से समझ गई थी कि उसके किसी भी बात का विक्रम सिंह के पर असर पड़ने वाला नहीं है इसलिए वह उसकी बात मानते हुए अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी लाला से यह देखा नहीं जा रहा था और वह अपनी नजरों को दूसरी तरफ घुमा लिया था बाकी विक्रम सिंह के साथी इस नजारे को बड़े चाव से देख रहे थे,,,, और दूसरी तरफ राजू और श्याम दोनों गोदाम के पास पहुंच चुके थे गोदाम से थोड़ी दूरी पर उन्हें एक पायल मिली थी जो कि झुमरी की ही थी उस पागल को देखकर ही राजू दिन से आग बबूला हो गया था क्योंकि वह इस पायल को पहचानता था उसने कई बार झुमरी से प्यार करते हुए उसके पायल को भी चूमा था,,,, अपनी बहन के पायल को देखकर श्याम एकदम से क्रोधित हो गया और चिल्लाने वाला था कि उसे रोकते हुए राजू बोला)
शांति से कामले श्याम ,,,, तू इस तरह से चिल्लाएगा तो सारा काम बिगड़ जाएगा हमें दिमाग से काम लेना है क्योंकि वह लोग ज्यादा संख्या में है,,,,, आराम से एकदम आराम से और हां अपनी कटार हाथ में ले ले बंदूक का प्रयोग बिल्कुल भी मत करना हमें किसी भी तरह से गोदाम के अंदर दाखिल होना है,,,,,(इतना कहते हुए दोनों सीधे गोदाम के सामने पहुंच गए जहां ढेर सारी झाड़ियां थी उसे झाड़ियों के पीछे छुपकर देखने लगे गोदाम के बाहर 5 लोग पहरेदारी कर रहे थे उन्हें देखकर राजू सोच में पड़ गया और तभी उसके दिमाग में एक युक्ति सूझी,,,,)
दूसरी तरफ सोनी धीरे-धीरे करके अपने ब्लाउज का बटन खोल रही थी और आखरी बटन के खुलते ही उसके मदमस्त कर देने वाले दोनों खरबूजे हल्के हल्के नजर आने लगे जिस पर नजर पड़ते ही विक्रम सिंह की सांस ऊपर नीचे होने लगी और यह नजारा बाकी लोग भी देखकर उत्तेजित होने लगे लेकिन लाला शर्मिंदगी के एहसास से गड़ा जा रहा था और राजू को सब कुछ सपने के एवज में आज अपने आपको ही कोश रहा था,,,,,।
वह मेरी रानी तेरी जैसी चूचियां तो मैंने आज तक किसी की भी नहीं देखी इतनी कड़क खरबूजे जैसी तनी हुई देखकर ही मुंह में पानी आ जाता है जल्दी से ब्लाउज उतार कर फेंक दे,,,, मैं तुझे जल्द से जल्द नंगी देखना चाहता हूं,,,,,।
(सोनी अंदर ही अंदर क्रोध से चली जा रही थी लेकिन कुछ कर नहीं सकती थी इसलिए विक्रम सिंह की बात मानते भी अपने ब्लाउज को उतारने लगी,,,.
वहीं दूसरी तरफ राजू के घर में सन्नाटा मचा हुआ था उसकी मां उसके पिताजी उसकी बुआ तीनो लोग एकदम चिंतित थे कुछ समझ में नहीं आ रहा था तभी श्याम की मां झुमरी को खोजते हुए मधु के घर आ गई और दरवाजे पर दस्तक देने लगी दरवाजे पर हो रही दस्तक की आवाज सुनकर तीनों एकदम से घबरा गए लेकिन फिर तीनों को ऐसा लगा कि शायद राजू वापस आ गया होगा इसलिए मधु तुरंत उठ कर खड़ी हुई और भागते हुए गई दरवाजा खोल दी लेकिन दरवाजा के खुलते ही सामने श्याम की मां को देख कर मधु फिर से उदास हो गई ,,,,,,, और शयाम की मां चिंतित स्वर में मधु से बोली,,,,।
झुमरी आई है क्या यहां पर,,,,।
(इतना सुनकर मधु उदास हो गई और फिर से कमरे की तरफ जाने लगी तो हरीया बोला,,,)
श्याम की मां गजब हो गया है,,,, झुमरी को डाकु उठा ले गए,,,,
यह क्या कह रहे हो राजू के बापू,,,,,
मैं ठीक है रहा हूं राजू और श्याम उन्ही के पीछे गए हैं,,,,,
(इतना सुनते ही श्याम की मां जोर से रोने ही वाली थी एकदम से चुप कराते हुए बोली)
चुप रहो श्याम की मां बिल्कुल भी शोर मत मचाना अगर गांव जवार को पता चल गया तो कल को मुंह दिखाने के लायक नहीं रह जाएंगे,,,,
मैं तो जीते जी मर जाऊंगी राजू की मां,,,
हमारी भी तो इज्जत का सवाल है आखिरकार वह हमारे घर की होने वाली बहू है,,,,
चिंता मत करो भाभी जरूर कुछ ना कुछ जुगाड़ कर लेगा देखी नहीं थी डाकुओं को कैसे मार भगाया था,,,,
अब तो राजू से ही उम्मीद है,,,,(,,, राजू की मां श्याम की मां की तरफ देखते हुए बोली)
दूसरी तरफ राजू झुमरी के पायल को अपने हाथ में लेकर उसे झाड़ियों के अंदर बजाने लगा,,,, वह पहरेदारी कर रहे आदमियों का ध्यान अपनी तरफ भटका ना चाहता था और ऐसा ही हुआ पायल की आवाज सुनकर उन लोगों का ध्यान झाड़ियों में गया तो उन लोगों को कुछ समझ में नहीं आया जो कि राजू नीचे झुक कर देर तक बजाता रहा,,,, तभी उनमें से एक बोला,,,)
कहीं झाड़ियों में लड़की तो नहीं आई है जा जाकर देख तो सही हम लोगों का भी दिन बन जाए,,,,
अभी जा कर देखता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही 2 लोग झाडीयों की तरफ जाने लगे,,,, राजू धीरे-धीरे पायल बजाता हुआ पीछे की तरफ जा रहा था ताकि झाड़ियों में कुछ भी दिखाई ना दे और श्याम को उसी तरह से दुबक कर बैठने के लिए कहा था देखते ही देखते दोनों आदमी झाड़ियों के अंदर जाने लगे अंधेरा बहुत था और उन दोनों ने एक बेवकूफी की थी कि हाथ में लालटेन लेकर नहीं आए थे वह दोनों उसी तरह से पायल की आवाज की तरफ आगे बढ़ने लगे उन दोनों के मन में यह लालच थी कि शायद कोई औरत होगी और इसी लालच में हो दोनों आगे बढ़ते चले जा रहे थे जब राजू को लगने लगा कि उन लोगों का कद झाड़ियों से कम हो गया है तो राजू ने श्याम को इशारा किया और राजू खुद निकल कर बाहर आया और,,,, जैसे ही दोनों की नजर राजू और श्याम पर पड़ी वह दोनों कुछ बोल पाते इससे पहले ही एक तरफ से श्याम और दूसरी तरफ से राजू ने कटार का वार दोनों के गर्दन पर कर दिया और दोनों एक साथ नीचे गिर गए,,,,,,,,, और फिर दोनों को खींचकर थोड़ी दूर पर ले जाकर वापस अपनी जगह पर आकर पायल बजाने लगे,,,,।
दूसरी तरफ गोदाम के अंदर का नजारा मदहोशी से भरने लगा था कमर के ऊपर लाला की बहन सोनी एकदम नंगी हो चुकी थी उसकी मदमस्त कर देने वाली दोनों चूचियां अपनी जवानी की आबादी कह रही थी जिसे देखकर विक्रम सिंह के साथ-साथ रंजीत सिंह और उसके आदमी उत्तेजित हुए जा रहे थे,,, और इस बेशर्मी भरे नजारे को देखकर झुमरी अपनी आंखों को बंद कर ली थी उसे इस बात का डर था कि अब उसका भी नंबर आने वाला है वह लोग उसे छोड़ने वाले नहीं हैं,,,,।
वह मेरी रानी तेरी चूची पर तो पूरी सल्तनत लुटाने के लिए तैयार हूं इतनी कम सीन मदमस्त चूचियां मैंने आज तक नहीं देखा,,,(विक्रम सिंह की बातों को सुनकर लाला की बहन शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी लेकिन कुछ कर सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी और दूसरी तरफ लाला अपनी आंखों को दूसरी तरफ घुमा कर खून के आंसू रो रहा था और विक्रम सिंह अगला आदेश देते हुए बोला,,,)
अब अपनी साड़ी भी उतार मेरी जान,,,,,(और इतना कहने के साथ ही बंदूक को वापस लाला के छाती पर निशाना लगाते हुए मुस्कुराने लगा और फिर सोनी अपनी साड़ी के गीत हम जो की कमर से खोंश उसे खोलने लगी और धीरे-धीरे अपनी साड़ी को उतारने लगी एक औरत का अपने हाथों से साड़ी उतार कर मर्द को खुश करने का अदा ही कुछ और होता है जिसमें नशा ही नशा होता है लेकिन चारदीवारी के अंदर अगर औरत अपनी खुशी से किसी मर्द को खुश करने के लिए क्या करें तो चार चांद लग जाता है लेकिन यहां पर ऐसा कुछ भी नहीं था सोनी मजबूरी में विक्रम सिंह और उसके आदमियों के बीच अपने वस्त्र का त्याग करके नंगी होने जा रही थी इसलिए अंदर ही अंदर वह भी खून के आंसू रो रही थी ऐसा करना उसकी मजबूरी थी,,,, और देखते ही देखते वह अपने साड़ी को उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दिया और इस समय विक्रम सिंह की आंखों के सामने वह केवल पेटीकोट में ही थी,,,,,
दूसरी तरफ अपने दोनों आदमियों को वापस आता ना देख कर तीनों थोड़े चिंतित हो गए तो दो फिर से आगे बढ़ गए देखने के लिए कि आखिरकार दोनों गए कहां उन दोनों के मन में ऐसी शंका थी क्या नहीं दोनों वाकई में किसी औरत के साथ मस्ती तो नहीं करने लगे क्योंकि पायल की आवाज अभी भी लगातार आ रही थी इसलिए थोड़ी देर में वह दोनों भी उसी जगह पर पहुंच गए जहां पर राजू और श्याम छुपे हुए थे और राजू और सामने इन दोनों का भी वही हाल किया जो उन दोनों का किया था अब रह गया था अब रह गया था पांचवा,,,,,,, 4 लोगों को मौत के घाट उतार कर श्याम और राजू का आत्मविश्वास बढ़ चुका था वह लोग फिर से पायल को उसी तरह से बचाने लगे और पांचवा पहरेदार एकदम से परेशान हो गया उसके मन में डर भी था कि कहीं कुछ अजीब तो नहीं हो गया है और इस बात की उत्सुकता भी थी कि कहीं यह चारों औरत के पीछे तो नहीं चले गए,,,,, और इसीलिए वह भी धीरे से भी जगह की तरफ आगे बढ़ा लेकिन उसके हाथ में लालटेन थी वह थोड़ा चालाक था और जैसे ही झाड़ियों के पास पहुंचा लालटेन की रोशनी में राजू उसे नजर आ गया और वह शोर मचा था इससे पहले ही राजू ने अपनी कटार को खींचकर उसके ऊपर वार किया और कटार सीधे उसकी गर्दन में घुस गई और उसके शब्द उसके गले में ही घुट कर रह गए और वह तुरंत नीचे गिर गया राजू तुरंत आगे बढ़ा और उसके गले में से कटार को निकाल लिया,,,,
दूसरी तरफ सोनी को सिर्फ पेटीकोट में देखकर विक्रम सिंह की आंखों में हवस की चमक नजर आने लगी वह पूरी तरह से मदहोश हो गया और अपनी जगह से खड़ा होकर वह खुद सोनी के पास आ गया और उसके लाल-लाल होठों पर अपने हॉट रखते हुए बोला,,,,
आज सारी रात तेरे साथ मजे लूंगा ,,,(और इतना कहने के साथ ही,,,, अपना एक हाथ पेटीकोट की डोरी पर रखकर उसे तुरंत अपनी उंगलियों के बीच दबाया और झटके से साथ खींच दिया और अगले ही पल पेटीकोट सोनी की कमर से एकदम से ढीली हो गई और विक्रम सिंह ने अपने हाथ से उसे छोड़ दिया और पेटीकोट भर बनाकर उसके कदमों में जा गिरी और पल भर में ही सोनी सब लोगों की आंखों के सामने एकदम नंगी हो गई लालटेन की पीली रोशनी में उसकी नंगी जवानी पूरी तरह से आभा बिखेर रही थी उसकी जवानी तेज से भरी हुई थी जिसे देखकर अच्छे अच्छों का लंड खड़ा हो गया था,,,,,।
सोनी की खूबसूरत नंगी जवानी रणजीत सिंह भी पागल हो गया था और वह तुरंत सोनी के करीब आ गया था,,,,,, और वह अपने चाचा की आंखों के सामने ही सोने की गोल-गोल गांड पर हाथ रखकर हल्के से दबाते हुए अपने चाचा से बोला,,,,।
चाचा जी इसकी गांड एकदम मक्खन की तरह चीकनी है मेरी तो उंगलियां फिसल जा रही है,,,,।
(बस फिर क्या था विक्रम सिंह की आंखों में खून उतर आया था वह रंजीत की हरकत से कल्पना करने लगा था कि इसी तरह से रंजीत सिंह उसकी बीवी की गांड को भी अपनी हथेली में लेकर दबाया होगा उसकी चूचियों को दबा दबा कर अपनी मुंह में लेकर पिया होगा उसकी पूर्ण कर रस अपने होठों से चाटा होगा उसकी औरत बेशर्म बनकर अपने ही भतीजे के साथ मजा ली होगी,,,, यही सब सोच कर नसका दिमाग खराब हुआ जा रहा था उसके दिलो-दिमाग पर यह सभी दृश्यों के साथ एक दृश्य और छाया हुआ था कि उसकी बीवी अपनी दोनों टांगे फैलाकर अपनी भतीजे के लंड को अपनी बुर में लेकर उसकी नंगी पीठ पर अपनी हथेलियां फिरा रही होगी और रंजीत अपनी चाची की बुर में अपना लंड डालकर जोर-जोर से अपनी कमर हिला रहा होगा यह सब सोचकर वह एक दम से आग बबूला हो गया और रंजीत की तरफ देखता हुआ बोला,,,)
एकदम मक्खन जैसी ना रंजीत,,,
हां चाचा जी बहुत मजा आएगा,,,,।
बहुत मजा आएगा ना,,,, हां बहुत मजा आएगा,,,,(और इतना कहने के साथ ही गद्दे पर पड़ा चमड़े का पट्टा हाथ में ले लिया और रंजीत की तरफ गुस्से से देखते हुए बिना कुछ बोले उसकी पीठ पर वह चमड़े का पट्टा चला दिया,,,, और जैसे ही वह चमड़े का पट्टा रंजीत सिंह के पीठ पर पड़ा वह एकदम दर्द से चीख पड़ा,,,)
आहहह चाचा जी के क्या कर रहे हैं,,,,।
(इस नजारे को देखकर सब कोई हैरान हो गए विक्रम सिंह के गुस्से और अपने ही भतीजे पर पट्टा चलाना किसी को समझ में नहीं आ रहा था और फिर दूसरा वार करते हुए विक्रम सिंह बोला)
औरतों को नंगी देखने के बाद तेरा दिमाग काम नहीं करता ना,,,,(ऐसा कहने के साथ ही फिर से विक्रम सिंह ने उस पर चमड़ी के पट्टे का वार किया पल भर में ही रंजीत सिंह का कुर्ता एकदम से फट गया और उसकी पीठ पर लाल निशान पड़ गए जिसमें से खून बहने लगा,,,, विक्रम सिंह के आदमियों को बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है और किसी की हिम्मत भी नहीं थी विक्रम सिंह से पूछने की,,,, विक्रम सिंह गुस्से में आकर पट्टे का वार पर वार करने लगा,,,, रंजीत सिंह को समझ में नहीं आ रहा था कि सब क्या हो रहा है वह पूछे जा रहा था कि आखिरकार उसका गुनाह क्या है तो गुस्से में विक्रम सिंह बोला,,,)
हरामजादे तुझे पता नहीं है कि तेरा गुनाह कौन सा है तूने क्या गुनाह किया है मेरी पीठ पीछे मेरे ही घर की इज्जत से खेल रहा था तू वह तो अच्छा हुआ कि नौकर ने बता दिया,,,,,, वरना तू,,,,(इतना कहने के साथ ही फिर से जोर से खींचकर पट्टा मारा और रंजीत सिंह के मुंह से चीख निकल गई रंजीत से समझ गया था कि अब उसका बचना असंभव है,,,, उसका वार उसी पर भारी पड़ गया था वह कुछ और सोच कर आया था लेकिन सब कुछ उल्टा पड़ गया था,,,,,, तभी वह विक्रम सिंह के वार से थोड़ी दूर जाकर गिरा और फिर अपने ही आदमी के हाथ से धारदार तलवार खींच लिया और विक्रम सिंह की तरफ चिल्लाता हुआ जोर से थोड़ा ही था कि विक्रम सिंह फुर्ती दिखाता हुआ बंदूक उठा लिया और गोली दाग दिया रंजीत सिंह के सीने में रंजीत सिंह हवा में ही लटक कर रह गया और तुरंत नीचे गिर गया,,,,, गोली की आवाज सुनकर विक्रम सिंह के आदमी भी एकदम से घबरा गए रंजीत सिंह का काम तमाम हो चुका था,,,,,,
यह गद्दार है हमारे साथ गद्दारी किया है इसकी यही सजा है तुम दोनों इसीलिए जाकर पीछे नदी में फेंक दो,,,,,।
(इतना सुनते ही दोनों आदमी रंजीत सिंह को उठाकर गोदाम के पीछे की तरफ ले जाने लगे और गोली की आवाज सुनकर बाहर खड़े राजू और श्याम एकदम से घबरा गए थे उन्हें कुछ अंदेशा होता हुआ महसूस होने लगा और वह लोग तुरंत धीरे से गोदाम का दरवाजा खोलकर गोदाम में प्रवेश कर गए और अनाज के बोरे के पीछे से सब कुछ देखने लगे,,,,, विक्रम सिंह की बात सुनकर इतना तो सब लोग समझ गए थे कि विक्रम सिंह के घर में ही रंजीत सिंह उनकी इज्जत से खेल रहा था,,, फिर भी पूरी तरह से नग्न अवस्था में खड़ी सोनी हिम्मत दिखाते हुए विक्रम सिंह से बोली,,,)
तुमने अपने ही भतीजे का खून क्यों कर दिया,,,,।
(इतना सुनते ही राजू और से हम समझ गए थे कि जो गोली की आवाज आई थी वह गोली रंजीत सिंह के लिए चली थी लेकिन ऐसा क्यों हो गया यह भी श्याम नहीं जानते थे)
हमारी नजर में गद्दारी की सजा यही है,,,,, उसने हमारे साथ गद्दारी किया था जिसका फल उसे मिल चुका है,,,,,,,।
(राजू और श्याम दोनों अनाज के बोरे के पीछे छिपकर सब कुछ देख रहे थे कहां कौन खड़ा है सब कुछ समझ रहे थे धीरे से वह लोग आगे बढ़े और एक-एक करके सारे आदमियों के सर पर वार करके धीरे से बेहोश कर दिया जिसके बारे में किसी को पता तक नहीं चला,,,, यह राजू के सूझबूझ का ही नतीजा था कि बिना गोली चलाई उन दोनों ने आधे से ज्यादा लोगों को चैन की नींद सुला दिए थे जिससे उन दोनों का आत्मविश्वास भी बढ़ गया था,,,,)
बस मेरी रानी अब बिल्कुल भी देर मत करो मुझसे रहा नहीं जा रहा है तुम्हारी जवानी से खेलने के बाद में इस हसीना की जवानी से भी खेलूंगा देखो तो सही इस उम्र में यह कितना पानी छोड़ती है,,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह अपने पर जाने की डोरी को खोलकर धीरे से उसे नीचे छोड़ दिया और अपने खड़े लंड को हाथ में लेकर खिलाते हुए वह सोनी के कंधे पर हाथ रखकर उसे नीचे की तरफ बैठने के लिए इशारा करने लगा अभी तक किसी को भी कानो कान खबर तक नहीं हुई थी कि गोदाम में राजू और शयाम दोनों आ चुके हैं,,,,।
दूसरी तरफ मधु बहुत चिंतित थी वह अपने बेटे और बहू दोनों के लिए बहुत परेशान थी उसे रहा नहीं जा रहा था इतना तो उसे पता था कि वह लोग गोदाम की तरफ गए इनसे दूर किसी तरह से वह धीरे से अपने घर से बाहर निकली और गोदाम की तरफ चली गई आखिरकार वाह एक मां थी और अपने बेटे को मुसीबत में देखकर वह शांति से कैसे बैठ सकती थी,,,,।
सोनी का मन बिल्कुल भी नहीं था लेकिन विक्रम सिंह की बात माने बिना उसके पास कोई और चारा भी नहीं था वह धीरे मसे घुटनों के बल बैठ गई हो अपना हाथ आगे बढ़ाकर विक्रम सिंह के लंड को अपने हाथ में पकड़ ली,,,,, राजू और श्याम सब कुछ देख रहे थे अभी भी सामने की तरफ दो आदमी थे जो झुमरी की तरफ खड़े थे राजू और श्याम दोनों धीरे से दोनों तरफ से आगे बढ़े अनाज के बोरे की आड़ में अपने आप को छुपते छुपाते उन दोनों के पास पहुंचे और,,,, दोनों को मार गिराया दूसरी तरफ सोनी के नरम नरम हाथों में अपने मोटे लंड को महसूस करते हैं विक्रम सिंह उन्मादित स्थिति में अपनी आंखों को बंद कर लिया था इसलिए उसे कुछ पता नहीं चला,,,,, राजू तुरंत वहां से दौड़ते हुए विक्रम सिंह के पास आया सोनी उसके लंड को मुंह में भरती उससे पहले ही एक लात मार कर विक्रम सिंह को चारों खाने चित कर दिया,,,,, विक्रम सिंह तो मानो आसमान से सीधा नीचे गिर गया हो उसे कुछ समझ में नहीं आया जब आंख खोल कर देखा तो उसके सामने राजू खड़ा था और राजू हाथ में बंदूक लिए हुए जोर से चिल्लाया,,,,।
हरामजादे तेरा खेल खत्म हो गया है,,,,,।
(इतना सुनते ही झुमरी जो अब तक आंखों को बंद किए हुए थे वह तुरंत राजू की आवाज सुनते ही आंखों को खोल दी और जोर से चिल्लाते हुए बोली,,,,।)
राजु,,,,,, राजू तुम आ गए,,,,
(तब तक लाला की भी जान में जान आ गई थी वह देखा तो राजू खड़ा था उसकी आंखों में चमक आ गई और वह भी जोर से चिल्लाया)
राजू तू आ गया,,,,,,।
(सोनी को भी अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था वह भी राजू को अपनी आंखों के सामने देख कर खुश होते हुए बोली)
राजू तुम आ गए,,,,,,।
(श्याम अपनी बहन का मुंह खोलने लगा जो कि बंदा हुआ था और वह ठीक से बोल नहीं पा रही थी वह तुरंत मुंह खोल कर उसके हाथ में बंधी रस्सी भी खोलने लगा,,,,, अपने भाई को देख कर खुश होते हुए बोली,,)
श्याम तू भी आ गया,,,,
कैसे नहीं आता बहना एक बहन मुसीबत में हो और भाई ना आए ऐसा कैसे हो सकता है,,,,।
हरामजादे बहुत रुला दिया तूने सबको अब तेरा समय आ गया है,,,(जोर से सीने पर लात मारते हुए राजू बोला,,,, अपनी बहन की रस्सी खोलने के बाद श्याम तुरंत गया और लाला की राशि खोलने लगा और जैसे ही लाला आजाद हुआ वह राजू के पास आ गया और बोला,,,,)
राजू तेरी अमानत यह कुर्ते में छुपा कर रखा है,,,,(इतना सुनते ही श्याम जी उधर आ गया और लाला की बात सुनकर विक्रम सिंह के कुर्ते में से कागजात निकालकर राजू की तरफ दिखाने लगा तो राजू बोला)
इसे जला डाल श्याम,,, और साथ में मैं इसे भी जला दूंगा,,,,।
(और इतना कहने के साथ ही राजू विक्रम सिंह के सीने पर वार पर वार करने लगा विक्रम सिंह एकदम से आहत हो चुका था क्योंकि पहले बार में ही वह एकदम से ढेर हो चुका था,,,,,)
मुझे छोड़ दे राजू मैं हार गया हूं,,,
ऐसे कैसे छोड़ दूं हरामजादे तूने आज मेरी होने वाली बीवी को उठा कर लाया है तेरी गंदी नजर आवाज में उखाड़ फेंकुंगा,,,,
(और इतना कहने के साथ ही राजू उसके सीने पर लगातार पैरों से वार करता रहा और झुमरी और मारने के लिए बोलती नहीं लेकिन तभी जो रंजीत सिंह को गोदाम के पीछे नदी में फेंकने के लिए गए थे वह दोनों उधर आ गए और पासा पलट ता हुआ देखकर वह दोनों तुरंत आगे बढ़े और श्याम के सर पर लकड़ी का वार करके उसे वहीं ढेर कर दिया वह बेहोश होकर गिर गया ,,,,, और राजू को समझ पाता इससे पहले ही उन दोनों ने एक साथ राजू पवार किया और राजू के सिर में चोट लग गई और वह भी बेहोश हो गया,,,,,, झुमरी सहित लाला और सोनी एकदम से घबरा गए,,,, विक्रम सिंह के आदमी विक्रम सिंह को उठाकर खड़ा किया विक्रम सिंह एकदम क्रोध में का एक बार फिर से बाजी उसके हाथ में आ चुकी थी और वह फिर से चमड़े का पट्टा अपने हाथ में ले लिया और फिर राजू पर बरसाना शुरू कर दिया,,,,,,।
राजू पर चमड़ा का पट्टा बरसता हुआ देखकर झुमरी से रहा नहीं गया झुमरी रोते हुए दौड़ते हुए आए और राजू से लिपट गई विक्रम सिंह की आंखों में जुनून सवार था वहसीपन सवार हो चुका था उसे केवल राजू दिखाई दे रहा था और वह पट्टा बरसाए जा रहा था झुमरी के बदन से भी खून निकलने लगा था यह देखकर,,,, सोनी से भी रहा नहीं गया और वह उन दोनों के ऊपर लेट गई लेकिन विक्रम सिंह ने उसे भी नहीं छोड़ा सोनी को भी चार-पांच पट्टा जड़ दिया उसके भी बदन से खून आने लगा,,,,,, वह अभी पूरी तरह से नंगी थी,,,,,,।
हराम जादा ,,,,,,,,,,,,विक्रम सिंह से टक्कर लेने चला है,,,,,,
(एक बार फिर से रोना गाना शुरू हो गया था और विक्रम सिंह गद्दे के नीचे से रखा हुआ दूसरा कागजात निकाला और इस बार,,,,, सिर्फ लाला को अपनी आंख ही दिखाया था और वो डर के मारे वापस से कागजात पर हस्ताक्षर करने लगा एक बार फिर से बाजी पलटते ही लाला की सारी जमीन जायदाद विक्रम सिंह अपने नाम कर लिया था,,,,,,)
उठो राजू उठो,,,,,, तुम्हारी ऐसी हालत मुझसे देखी नहीं जा रही है,,,,,, अगर तुम्हें कुछ हो गया तो मैं भी मर जाऊंगी,,,,,
(झुमरी की बात सुनकर जोर-जोर से विक्रम सिंह हंसने लगा और हंसते हुए बोला)
मर गया मादरचोद,,,,, अपने आपको तीस मार खान समझता था,,,,
हरामजादे अगर राजू को कुछ हो गया तो मैं तुझे जिंदा नहीं छोडूंगी,,,,,,(झुमरी गुस्से में विक्रम सिंह पर गुर्राते हुए बोली,,,)
तु क्या अब मैं ही तुझे नहीं छोडूंगा तुम दोनों को अपनी रखेल बनाकर रखूंगा,,,,, और इस लाला को मरना ही होगा मैं अपने किसी दुश्मन को नहीं छोड़ता,,,,,,,।
(यह सब हो ही रहा था कि तभी मधु भी गोदाम पर पहुंच गई और,,, जोर से चिल्लाते हुए गोदाम में दाखिल होते हुए बोली,,,)
राजू कहां है ,,,,,राजू,,,,,,,,,, मेरा राजू कहां है,,,,,।
(अपनी मां की आवाज सुनते ही राजू के बदन में जान आने लगी वह धीरे से अपनी आंख खोला तो सामने उसकी मां नजर आई ,,,, अपनी मां की आवाज सुनते हैं और अपनी मां को देखते ही राजू में जैसे जान आ गई और दूसरी तरफ विक्रम सिंह राजू की मां को देखते ही पुराने अरमान जाग गए क्योंकि वह राजू की मां को पूरी तरह से नग्न अवस्था में देख चुका था और राजू के साथ ही इसी गोदाम में चुदवाते हुए,,, लेकिन इस बात को नहीं जानता था कि राजू और वह औरत के बीच मां बेटे का रिश्ता है लेकिन आज अपनी आंखों के सामने एक बार फिर से गोदाम में उसको देखकर उसकी आंखों में चमक आ गई वह एकदम से प्रसन्न हो गया और बोला,,,,,)
अरे वाह आज भगवान मुझ पर पूरी तरह से मेहरबान है दो तो थी ही आज तीसरी भी आ गई इसे भी मैं अपनी हवेली पर लेकर जाऊंगा यह तो इन दोनों से भी ज्यादा नमकीन है,,,,, तुझे तो मैं अच्छी तरह से जानता हूं तू वही औरत है ना जो उस दिन इसी गोदाम पर,,,,, ईसी मादरर्चोद के साथ,,,,,(राजू समझ गया था कि अब जिस राज के बारे में आज तक किसी को कानों कान खबर नहीं पड़ा विक्रम सिंह आज सबके सामने वह राज उगल देगा राजू एकदम से घबरा गया वह नहीं चाहता था कि उसके और उसकी मां के बीच जिस तरह का संबंध है वह किसी को भी पता चले इसलिए जैसे उसकी जान में जान आ गई हो उसके हाथ के आगे ही कटार रखी हुई थी वह हाथ बढ़ा कर उसका कटार को थाम लिया ,,,,, मधु की अपनी आंखों के सामने अपनी बेटे का हाल देख कर और विक्रम सिंह को देखकर बुरी तरह से सहम गई थी वो एकदम से स्थिर हो गई थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें और विक्रम सिंह एक बार फिर से अपनी बात को दोहराते हुए बोला,,,,) तू वही औरत है ना जो उस दिन इस गोदाम पर,, इस मादरचोद के साथ,,,,, बस उसका इतना कहना था कि उसके मुंह से आगे के शब्द फूट नहीं पाए और राजू फुर्ती दिखाते हुए कटार खींचकर मारा और वह धारदार कटार सीधे जाकर विक्रम सिंह की गर्दन में घुस गया और विक्रम सिंह एकदम से तड़प उठा और वहीं गिर गया,,,,,,,,, मधु भी एकदम से घबरा गई थी उसे भी लग रहा था कि विक्रम सिंह उसकी हकीकत आज सबके सामने उगल देगा लेकिन जैसे ही वह नीचे गिर पड़ा वैसे ही वह दौड़ते हुए राजू से जाकर लिपट गई और रोने लगी,,,,,
विक्रम सिंह के खत्म होते हैं सब लोगों ने राहत की सांस ली झुमरी दौड़ते हुए गई और अपने भाई के चेहरे पर पानी का छिड़काव करने लगी उसे भी धीरे-धीरे होश आ गया,,,, श्याम के होश आते ही,,,, झुमरी खुशी के मारे उसे अपने गले लगा ली थोड़ी ही देर में श्याम की मां गुलाबी और हरिया भी वहां पर पहुंच गए लेकिन सब को सही सलामत देखकर सब ने राहत की सांस ली थोड़ा बहुत सभी लोग लहूलुहान हो चुके थे राजू धीरे से उठा और विक्रम सिंह के हाथ में से कागजात ले लिया और उसे फाड़ कर फेंक दिया आज लाला बहुत खुश था,,,, क्योंकि आज उसका सबसे बड़ा दुश्मन इस दुनिया से जा चुका था अब उसे परेशान करने वाला कोई नहीं था लेकिन फिर वह राजू से बोला,,,,।
राजू यहां पर इतना सारा खून खराबा हुआ है गांव वालों को क्या जवाब देंगे,,,,
गांव वालों को इतना कहना है कि डाकुओं ने अपना बदला लेने के लिए गोदाम पर हमला कर दिया और जो मिला उसे मार कर चले गए क्योंकि सब लोग यही जानते हैं कि डाकुओं पर हमला करने वाला में नहीं बल्कि लाला ही है और कह देंगे कि यहां पर महफिल जमने वाली थी किसी वजह से लाला देर से पहुंचे और तब तक डाकू अपना काम कर चुके थे,,,,
हां भैया राजू ठीक कह रहे हो किसी को कानों कान खबर तक नहीं पड़ेगी कि यहां रात को क्या हुआ है,,,,,
और ऐसा ही हुआ सुबह यह खबर गांव में आग की तरह फैल गई सभी लोग इस कत्लेआम का जिम्मेदार डाकुओं को ही ठहरा रहे थे,,,,, जिससे राजू और लाला पूरी तरह से निश्चिंत हो गए थे,,,,, निश्चित की हुई तारीख के दिन गुलाबी और राजू और झुमरी की शादी की जिम्मेदारी लाला ने अपने सिर पर ले लिया और पूरे गांव के साथ-साथ हवेली को भी दुल्हन की तरह सजा दिया लाला ने अपनी जान पहचान रिश्तेदारों को सभी को इस विवाह में बुलाया और सभी के सामने राजू को अपना वारस दार घोषित कर दिया,,,,,,
विवाह के पश्चात खुशी-खुशी गुलाबी अपने ससुराल जा चुकी थी और राजू झुमरी को अपनी दुल्हन बनाकर अपने कमरे में नहीं आया था आज उसकी सुहागरात थी झुमरी दुल्हन के रूप में और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी इस वजह से उतरी हुई अप्सरा लग रही थी जिसे देखते ही राजू एकदम पागल हो गया था और बिस्तर पर बैठ कर उसका घूंघट उठाते हुए बोला,,,,।
झुमरी तुम बहुत खूबसूरत हो आज तो जी भर कर तुम्हारी जवानी से खेलूंगा,,,,, और इतना कहने के साथ ही राजू ने जैसे ही अपने प्यासे होठों को झुमरी कर लाल-लाल होठों की तरफ आगे बढ़ाया वैसे ही झुमरी हाथ आगे बढ़ाकर उसके होठों पर अपनी हथेली रखते हुए बोली,,,।
अरे यार इतनी जल्दबाजी भी क्या है पहले दरवाजा तो बंद कर लो,,,,
अरे बाप रे खुशी खुशी में मै तो भूल ही गया,,,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू बिस्तर पर से उठा और दरवाजा बंद कर दिया)
,,,,,THE END,,,,,