KANCHAN
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लगता है कि आज रात गुलाबी का एक साहसी फैसला उसको जन्नत की सैर कराएगा,
अपडेट रहेगा इसका
अपडेट रहेगा इसका
बहुत-बहुत धन्यवादलगता है कि आज रात गुलाबी का एक साहसी फैसला उसको जन्नत की सैर कराएगा,
अपडेट रहेगा इसका
उत्तेजक अपडेटराजू का दिल जोरों से धड़क रहा था एक बार फिर उसे अपनी मां और अपने पिताजी की चुदाई जो दीखने वाली थी,,,एक बार फिर से वहां अपने पिताजी का लंड अपनी मां की बुर में अंदर बाहर होता हुआ देखने जा रहा था,,, खटिया पर सोते हुए अपनी बुआ की गांड पर हाथ रखने के ख्याल से ही उसका लंड खड़ा हो चुका था,,,, और कमरे के अंदर के दृश्य को देखते ही उसके लंड का कड़क पन एकदम से बढ़ गया,,,,
दूसरी तरफ गुलाबी की भी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकि जिस तरह से राजू उठकर उससे दीवार के छेद के तरफ गया था गुलाबी को लगने लगा था कि राजू को हो ना हो शंका जरूर हो चुकी है कि दीवार के छेद का मामला कुछ और ही है,,,, इसलिए वह कुछ बोली नहीं बस आंखों को हल्का सा खोल कर लेटी रही,,,, राजू अपनी आंखों कोदीवार के उस छोटे से छेद में हटाकर दूसरी तरफ के कमरे के दृश्य को देखने की कोशिश करने लगा,,, तो जल्द ही लालटेन की पीली रोशनी में उसे उसकी मां नजर आई जो कि अभी पूरी तरह से कपड़ों में थी और गिरी हुई गिलास को उठाकर रख रही थी शायद वह पानी पी रही थी,,,,,, अपनी मां को संपूर्ण वस्त्र में देखकर उसकी आंखें वासना से चमकने लगी उसके पिताजी उसी तरह से खटिए पर लेटे हुए थे लेकिन उनके बदन पर भी अभी वस्त्र था,,, दोनों को कपड़ों में देखकर राजू को लगने लगा कि खेल अभी शुरू होने जा रहा है,,, वह टकटकी बांधे नजारे के लुप्त को उठाने लगा थोड़ी ही देर में उसकी मां उसकी आंखों के सामने अपनी साड़ी उतारने लगी यह देखकर राजू के लंड में हरकत होना शुरू हो गया वह समझ गया था कि थोड़ी ही देर में उसकी मां की आंखों के सामने नंगी हो जाएगी,,,,,, पर देखते ही देखते राजू की मां अपनी साड़ी उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दी वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट में ही खड़ी थी,,,,,,, राजू को अंदर के कमरे की बात सुनाई नहीं दे रही थी बस उसे दिखाई दे रहा था,,,, क्योंकि वह दो ना बहुत ही फुसफुसाहट भरे स्वर में बात कर रहे थे,,,राजू अपने मन में सोचने लगा कि काश ऊन दोनों की बात आज भी सुनाई देती तो और मजा आता क्योंकि अपनी मां और पिताजी के मुंह से चुदाई जैसे गंदे शब्दों का प्रयोग उनकी बातें सुनकर राजू की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जाती थी,,,,,,,,,
अपनी मां को कपड़ा उतारते हुए देखकर राजु की हालत खराब हो गई
दूसरी तरफ गुलाबी समझ गई थी कि बगल वाले कमरे में क्या हो रहा है वरना राजू इतनी देर तक वहां खड़ा नहीं रहता और वह यह भी जान गई थी कि उस छोटे से छेद में से उसे सब कुछ नजर आने लगा है,,,, गुलाबी अपने मन में यही सोच रही थी कि अपने मां और अपने पिताजी की चुदाई देखकर उन्हें नंगा देखकर राजू क्या महसूस करेगा उसे कैसा लगेगा कहीं उसे गुस्सा तो नहीं आएगा और यही देखने के लिए वह बड़े गौर से राजू की तरफ देखने लगी,,,,
राजू के मुंह में पानी आ रहा था क्योंकि उसकी नजर इस समय अपनी मां की चूचियों पर टिकी हुई थी जो की पूरी तरह से ब्लाउज में कैद में होने के बावजूद भी मानो जैसे कि उसके ब्लाउज के अंदर खरबूजे भर दिए गए हो इस तरह से ऊभरी हुई नजर आ रही थी जिसे देख कर ही राजू समझ गया था कि उसकी मां की चूची कितनी बड़ी है ऐसा नहीं था कि आज वह देख रहा था अगली बार भी वह अपनी मां कोसंपूर्ण रूप से नंगी देख चुका था और अपनी मां की बड़ी-बड़ी चुचियों को देखकर उसके लंड का तनाव कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था इस समय ब्लाउज के अंदर उसकी मां की चूचियां बेहद आकर्षक लग रही थी ब्लाउज के ऊपर का एक बटन खुला होने की वजह से उसकी गहरी दरार साफ नजर आ रही थी जिसमें राजू का मन डूब जाने को कह रहा था,,,,,, राजू को अपनी मां स्वर्ग से उतरी अप्सरा लग रही थी,,, जो कि किसी भी हाल में कामदेवी नजर आती थी,,,,अपनी मां के खूबसूरत बदन को देखकर भले ही वह वस्त्र में हो या चाहे वस्त्र विहीन,,,राजू की आंखों में एक अद्भुत चमक आ जाती थी जो कि इस समय भी उसकी आंखों में बरकरार थी,,,,। राजू कमरे में बने उस छोटे से छेद के पीछे के रहस्य को अच्छी तरह से समझ गया था और यह भी जान गया था कि इसी क्षेत्र में से उसकी बुआ गुलाबी भी उसी नजारे को देखकर मस्त हो जाती है जिस नजारे को देखकर वह अपने अंदर उत्तेजना की लहर को ऊमडते हुए महसूस कर रहा था,,,।
र राजू की मां धीरे-धीरे अपनी साड़ी उतार रही थी इस तरह से
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खटिया पर नींद का बहाना करके लेटी हुई गुलाबी राजू के हर एक हरकत को बड़ी बारीकी से देख रही थी,,,,, हर एक पल गुलाबी के दिल की धड़कन को बढ़ा रहा था गुलाबी भी,,,इतना तो समझ ही गई थी कि उसका भतीजा राजू समझ ही गया होगा कि उस छोटे से छेद का रहस्य क्या है,,,,,, गुलाबी जानती थी कि कमरे के अंदर संभोग का प्रसारण शुरू हो गया होगा,,,और यही अहसास उसके तन बदन में उत्तेजना को बढ़ा रहा था और उससे ज्यादा वह अपने बदन में कामुकता का एहसास इस बात से कर रही थी कि उस मादक दृश्य को उसका भतीजा राजू खुद अपनी आंखों से देख रहा था,,,, वह देखना चाहती थी कि अपनी मां को चुदते हुए देखकर वह कैसा महसूस करता है,,,,इसलिए उत्तेजना के मारे अपने सूखे गले को अपने ही थूक से गीला करने की कोशिश करते हुए वह टकटकी लगाए देख रही थी,,,।
ब्लाउज के बटन खुलते ही राजू की मां के दोनों खरबूजे बाहर आ गए
राजू अपने मन में यह सोच रहा था कि जल्द से जल्द उसकी मां बाकी के बचे अपने कपड़े उतार कर पूरी नंगी हो जाए बहुत दूर से ही सही अपनी मां को नंगी देखना चाहता था ब्लाउज में कैद उसके दोनों खरबूजे कोअपनी आंखों से देखना चाहता था दोनों टांगों के बीच उसकी पतली गुलाबी दरार को देखकर मस्त होना चाहता था,,,, गोल गोल बड़ी बड़ी गांड को देखकर अपने अंदर दहकते शोले को महसूस करना चाहता था,,,। लेकिन उसकी मां की की बाकी के बचे कपड़े उतारने का नाम नहीं ले रही थी,, बस अपने दोनों हाथ कमर पर रखकर अपने शरीर को गोल-गोल तरीके से हिला रही थी जिसे देख कर उसके पिताजी आहें भर रहे थे,,,,,,राजू अपने मन में यह सोच कर मस्त हो रहा था कि उसकी मां को इस हाल में देखकर उसके पिताजी का लंड खड़ा हो गया होगा क्योंकि दूर से देख कर ही जब उसका लैंड पर जाने में बवाल मचा रहा था तो उसके पिताजी की हालत को वह अच्छी तरह से समझ रहा होगा,,,। अपनी मां को खुशहाल में खाना देखकर राजू अपने मन में ही बोल रहा था कि,,,।
उतार जल्दी उतार मुझे सब कुछ देखना है,,,,।
अपनी मां की मदमस्त चुचियों को देखकर राजू की हालत खराब होने लगी
तभी उसके पिताजी अपनी धोती को उतारने लगे और अगले ही पल वह खटिए पर निर्वस्त्र हो गया,,, राजू अपने पिताजी को देखकर अपने मन में फिर से वही सोचने लगा कि उसके पिताजी की जगह उसका लंड होता तो और मजा आता,,,, उसके पिताजी अपने लंड को हाथ से पकड़ कर ही लेना शुरू कर दिए थे जिसे देखकर उसकी मां मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,,,। अपनी मां को मंद मंद मुस्कुराता हुआ देखकर राजू अपने मन में ही बोलने लगा कि उतारेगी भी या हंसती रहेगी,,।
गुलाबी खटिया पर लेटी लेटी यही सोच रही थी कि अंदर क्या हो रहा होगा,,,,,, उसकी खुद की हालत खराब थी,,,राजू रह-रहकर एक नजर अपनी बुआ गुलाबी पर डाल दे रहा था कि कहीं वह जाग तो नहीं रही है और जब जब वह गुलाबी की तरफ देखता तब तब गुलाबी अपनी आंखों को जल्दी से बंद कर लेती,,, उत्तेजना के मारे गुलाबी और राजू दोनों का हाल बद्तर हुआ जा रहा था,,,,,
राजू टकटकी लगाए सब कुछ देख रहा था वह अपने मन में इस बात से पूरी तरह से तसल्ली किए हुए था कि अच्छा है कि उसके पिताजी यह काम लालटेन के उजाले में करते हैं,,, अगर लालटेन जला रही होती तो उसे कुछ भी देखने का मौका नहीं मिल पाता और अपनी मां का कामुक रुप,,, उसका खूबसूरत बदन उसके अंगों की परिभाषा को ना हीं देख पाता और ना ही समझ पाता,,,।राजू को यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि उसकी मां कपड़े उतार के नंगी होने में इतना नाटक क्यों करती है वह अपने पिताजी की तड़प को अच्छी तरह से समझ रहा था क्योंकि वह खुद तड़प रहा था उत्सुक था अपनी मां को नंगी देखने के लिए वह अपने मन में यह सोच रहा था कि अगर वह खुद अपने पिताजी की जगह मौजूद होता तो वह अपने हाथों से अपनी मां के सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी करने में एक पल की भी देरी ना करता,,,,।
राजू की मां पेटीकोट की डोरी खोल कर पेटीकोट को नीचे सरका दी जिससे राजू को उसकी मां की बुर साफ नजर आने लगी
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यह राजू के मन की बात थीऔर शायद वह अपनी मां के साथ मौका मिलने पर ऐसा ही करता है लेकिन वह इस बात से अनजान था कि एक औरत को मर्द को तड़पाने में इसी तरह से मजा आता है और मर्द को तड़पाने का यह सबसे जबरदस्त तरीका भी है,,,, औरत इसी तरह से अपनी जवानी का जलवा दिखा कर मर्द को घुटनों पर ला देती है उन्हें अपना गुलाम बना देते हैं अपनी जवानी का रस मिलाकर जिंदगी भर अपनी मनमानी करती रहती है,,,, मधु भी इससे अछूती नहीं थी वह भी अपने पति की भले ही चाहे जितनी भी इज्जत करती थी लेकिन रात को बिस्तर पर वह अपने पति को अपनी जवानी का गुलाम ही बना देती थी,,,,,,
राजू का दिल जोरो से धड़क रहा था उसे यह नहीं मालूम था कि उसकी तरह कोई ओर लड़का इस तरह से अपनी मां बाप की चुदाई छुप छुप कर देखता है या नहीं लेकिन इस तरह से देखने में अजीब से सुख की अनुभूति होती है जिसे प्राप्त करके राजू अपने आप को भाग्यशाली समझ रहा था,,,। भले ही यह नैतिक नजरिए से गलत था लेकिन इसमें एक अद्भुत सुख भी था जिससे राजू वंचित नहीं होना चाहता था,,,। धड़कते दिल के साथ हुआ बगल वाले कमरे के नजारे को देख रहा था कि तभी उसके कानों में उसके पिता जी के शब्द पडे,,,।
अरे अब कितना तड़पाओगी,,,
रुको जरा मुझे जोरों की पेशाब लगी है,,,
चुदवाने के नाम पर तुम्हें पेशाब जल्दी लग जाती है,,,
अरे ऐसी बात नहीं है,,,(मधु मुस्कुराते हुए बोली,,,,राजू तो अपनी मां के मुंह से पेशाब करने वाली बात सुनते ही एकदम से उत्तेजित हो गया उसके लंड कि अकड और ज्यादा बढ़ गई,,,। सांसों की गति तेज होने लगी,,,,पहली बार वह अपनी मां के मुंह से इस तरह के शब्दों पसंद आया था इतने खुले तरीके से उसने आज तक पेशाब करने वाली बात नहीं बोली थी इसलिए राजू को अपनी मां के इस बात में बेहद कामुकता का अनुभव हो रहा था,,,,)
अब थोड़ा रुकीए में जल्दी आती हूं,,,(इतना कहकर मधु जाने को हुई ही थी कि हरिया पीछे से आवाज लगाते हुए बोला,,,)
अरे बाहर कहां जा रही हो यही कर लो,,,
( अपने पिताजी की यह बात सुनकर राजू का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,)
अरे पागल हो गए हो गए हो क्या जी यहां नहीं,,,,
अरे तुम भी बेवकूफ हो नाली लगी हुई है ना वहां बैठ कर कर लो बाहर जाने की जरूरत नहीं है,,,(राजू के पिताजी उंगली से इशारा करके बोले,,,)
यहां लेकिन यहां मैंने कभी की नहीं हुं।
तो क्या हुआ अब कर लो बाहर जाने की जरूरत नहीं है,,,।
(राजू की तो सासे ऊपर नीचे हो रही थी,,,, उसकी मां पेशाब करने वाली है इस बात से ही उसके तन बदन में आग लगी हुई थी,,,, क्योंकि अब तक वह अपनी मां को पेशाब करते हुए कभी नहीं देखा था लेकिन ऐसा लग रहा था कि वह आज भी नहीं देख पाएगा क्योंकि उसके पिताजी उंगली के इशारे से घर के कोने की तरफ करने को बोल रहे थे जहां पर पानी गिराया जाता था बर्तन धोने के काम आता था वहां नाली लगी हुई थी ताकि पानी निकल सके और उसी जगह पर उसकी मां के साथ करने जा रहे थे जो की नजरों से दूर थी वहां तक नजर नहीं पहुंच पा रही थी उसकी मां बिना कुछ बोले उस कोने में चली गई और थोड़ी देर में राजू के कानों में पेशाब करने की मधुर धुन सुनाई देने लगी इतना तो जानता ही था कि पेशाब करने पर इस तरह की आवाज निकलती है हालांकि उसने आज तक,,, किसी औरत को पेशाब करते हुए नहीं देखा था,,, इस बात के एहसास सेवह पूरी तरह से मदहोश हो गया कि उसकी मां कोने में बैठ कर के साफ कर रही है पेशाब करते हुए कैसे नजर आती होगी उसकी गांड कैसी दिखाई देती होगी और उसकी मां अपनी पेटी कोट को कमर तक कैसे उठाई होगी,,, यह सब ख्याल राजू के तन बदन में आग लगा रहा था उसके कानों में पढ़ रही परेशान की मधुर धुन बेहद मादक लग रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके कानों में मध घोल दिया गया गया हो राजू के चेहरे का अभाव बदल रहा था जो कि गुलाबी बड़े सांप तौर पर देख पा रही थी राजु के चेहरे पर बदलते भाव को देखकर,,,गुलाबी इतना तो समझ गई थी कि कमरे के अंदर का दृश्य बेहद उत्तेजक होता जा रहा है,,,
थोड़ी ही देर में पेशाब करने की आवाज की मधुर धुन बंद हो गई और राजू समझ गया कि उसकी मां पेशाब कर चुकी है अपने पिताजी के नजर और उसके चेहरे के बदलते हावभाव को देखकर राजु भी समझ गया था कि उसके पिताजी उसकी मां को पेशाब करते हुए देख कर मस्त हुए जा रहे हैं,,,, थोड़ी ही देर में उसकी मां फिर से उसी जगह पर पहुंच गई जहां पर खड़ी थी लेकिन खड़ी होकर अपने पेटिकोट की डोरी को बांट रही थी तो पेटीकोट की डोरी को बांधते हुए देखकर राजू के पिताजी बोले,,,।
अरे अब ईसे क्यों बांध रही हो इसे तो अब उतारना है,,,।
(उसकी बातें सुनकर मधु मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)
मैं तो भूल ही गई थी,,,(इतना कहते हुए भी वह पेटीकोट की डोरी को बांध दी और अगले ही पल अपनी उंगलियों को ब्लाउज पर रख दी और ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,,राजू समझ गया कि उसकी मां पेटीकोट से नहीं ब्लाउज से कपड़े उतारने का शुरुआत करना चाहती है,,, अब राजू के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,,देखते देखते उसकी आंखों के सामने उसकी मां अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अगले ही पल ब्लाउज को उतार कर नीचे फेंक दी,,,राजू को अपनी आंखों के सामने अपना भविष्य नजर आने लगा अपनी मां की गोल गोल बड़ी-बड़ी तनी हुई चूचियों को देखकर उसके लंड में उबाल आना शुरू हो गया,,,,,,
मधु की चूचियां पहले से ही बेहद आकर्षक थी,,तीन तीन बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसकी चूचियां उसी तरह से तनी हुई थी जैसे की जवानी के दिनों में तनी रहती थी,,, दूसरों की तरह उसकी चुचियों में जरा भी लचक नहीं थी यह देखकर राजू के तन बदन में और आग भड़कने रखती थी,,,, और जैसे ही राजू की मां का हाथ पेटीकोट की डोरी पर क्या राजू के दिल की धड़कन और तेजी से चलने लगी वह समझ गया कि अब अकेले ही पल उसकी मां नंगी हो जाएगी उससे यह दृश्य यह कामुकता यह मादकता,,, सही नहीं जा रही थी,,, उसकी सांसे बेहद गहरी चल रही थी,,, उसके पेजामे में बवाल मचा हुआ था उसका लंड पजामा फाड़ कर बाहर आने के लिए मचल रहा था,,,
अब तक गुलाबी उसके चेहरे के बदलते हुए हाव-भाव को देख रही थी,,,उसके लंड की तरफ उसका ध्यान बिल्कुल भी नहीं गया था लेकिन जैसे ही उसकी नजर पजामे पर पड़ी उसके तो होश उड़ गए,,,, पजामे में जबरदस्त तंबू बना हुआ थाअब तो गुलाबी की हालत ज्यादा खराब होने लगी कमरे का दृश्य धीरे-धीरे गरमाता चला जा रहा था,,,,देखते ही देखते राजू की मां ने अपनी पेटीकोट भी उतार कर फेंक दी इस समय वह कमरे में पूरी तरह से नंगी हो गई,,,, राजू की हालत खराब होने लगी और अगले ही पल वहअपना तो अपने पजामे में डाल कर अपने खड़े लंड को पकड़ लिया,,, गुलाबी यह देखकर एकदम से मचल उठी,,,राजू की हरकत और उसकी उत्तेजना देखकर गुलाबी को समझ तो आ ही रहा था कि अंदर कितने से कहते हो कर उसे गुस्सा नहीं बल्कि मजा आ रहा है और ऐसा ही तो वह मन ही मन चाहती भी थी क्योंकि अगर राजू को मजा आएगा तो उसका काम आसान हो जाएगा,,,,।
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राजू की मां कमरे में एकदम नंगी हो गई थी राजु के पिताजी की हालत खराब होती जा रही थी,,,,,,राजू को साफ नजर आ रहा था किसकी पिताजी से रहा नहीं जा रहा था बरवा के लिए पल अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर उसकी मां की गांड पकड़ कर उसे अपनी तरफ से इसलिए बस यह दृश्य राजू से बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुआ और वह पजामे को घुटने तक सरका कर अपना लंड बाहर निकाल लिया और,,, उसे हाथ में लेकर हीलाना शुरू कर दिया,,,, गुलाबी यह देखकर दंग रह गईक्योंकि राजू भूल चुका था कि वह कमरे में है और कमरे में उसकी बुआ गुलाबी भी सो रही है,,,, गुलाबी पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और उसे यही मौका सही भी लग रहा था राजू के लंड को वह पहले भी नजर भर कर देख चुकी थी,,, लेकिन आज का हालात कुछ और था,,,, उससे रहा नहीं गया और वह खटिए पर से उठ खड़ी हुई,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था और इस बात से अनजान राजू कमरे के अंदर अपने मां बाप की गरमा गरम चुदाई देखने जा रहा था,,,, राजू को अपनी मां की गांड बेहद खूबसूरत लग रही थी,,,।