राजू हरिया का बड़ा लड़का था जो कि जवान हो रहा था,,, लेकिन एकदम भोला भला,,,,,, दिनभर यहां वहां घूमता ही रहता था घर में उसके पैर कम ही टिकते थे,,,,, इसीलिए तो अंधेरा हो चुका था लेकिन अभी तक घर पर नहीं आया था,,,। राजू की चिंता हरिया को हमेशा रहती थी,,, क्योंकि वह जानता था कि उसकी माली हालत इतनी अच्छी नहीं थी कि वह अपने बच्चों की अच्छे से परवरिश कर सके उन्हें पढ़ा लिखा सके लेकिन फिर भी वह उन्हें अच्छा इंसान बनना चाहता था लेकिन इसके विपरीत राजू दिन भर घूमता फिरता रहता था कभी यहां कभी वहां,,,,,, घर का कोई काम भी नहीं करता था,,,, ऐसा नहीं था कि वह अपने मां-बाप की बात नहीं मानता था,,, बस थोड़ा सा लापरवाह जो कि इस उम्र में लगभग सभी लड़के होते हैं,,, पानी का गिलास मुंह से लगाने से पहले हरिया बोला,,,।
गुलाबी तू ही बता क्या करूं इस लड़के का,,,,,,(इतना कहकर वह पानी पीने लगा,,, पानी पीकर पानी का गिलास नीचे रख दिया जिसे गुलाबी नीचे झुककर उठाते हुए बोली,,,)
सब सही हो जाएगा भैया अभी लड़का है खेलने खाने के दिन है,,,
यह तो ठीक है गुलाबी लेकिन अब उसे मेरा हाथ बढ़ाना चाहिए,,,, मेरे साथ रेलवे स्टेशन पर आना चाहिए सवारियां ढोना चाहिए,,, कुछ सीखना चाहिए कल को अगर मैं नारहा तो क्या होगा अगर कुछ सीखा रहेगा तभी तो इस घर की बागडोर संभाल पाएगा,,,,।
ना ,,,,ना,,,, भैया भगवान के लिए ऐसा मत कहो तुमको कुछ नहीं होगा,,,,,,,,
(अपने बड़े भाई की बात सुनकर गुलाबी चिंतित हो गई थी,, उसकी चिंता भरे मुखड़े को देखकर हरिया मुस्कुराता हुआ बोला,,,)
चल पकड़ी इस दुनिया में जो आया है वह तो जाएगा इसमें चिंता करने वाली कौन सी बात है और जा जरा उसे ढूंढ कर तो लिया ना जाने कहां खेल रहा है रात को भी ईसे चैन नही
है,,,,
ठीक है भैया मैं अभी बुला कर लाती हूं,,,,
(इतना कहकर गुलाबी घर से बाहर राजू को ढूंढने के लिए चली गई और हरिया खटिया से उठकर रसोई घर मैं आ गया जहां पर उसकी बीवी मधु खाना बना रही थी,,, हरिया रसोई घर में खड़ा था और मधु चूल्हे के सामने बैठकर रोटियां पका रही थी,,,, गर्मी का मौसम ऊपर से चूल्हे की आंच से मधु का बदन पसीने से तरबतर हो चुका था,,, उसका ब्लाउज पसीने में भीगा हुआ था जिसकी वजह से उसकी गोलाकार चुचियों की निप्पल भीगे हुए ब्लाउज में से बाहर झांक रही थी गर्मी की वजह से मधु भी,,, अपनी साड़ी के पल्लू को कंधे से नीचे गिरा दी थी जिससे उसकी भारी भरकम छातियां एकदम साफ नजर आ रही थी,,, खरबूजे जैसी बड़ी बड़ी गोल चुचियों के बीच की पतली दरार बेहद गहरी और किसी नदी की भांति लंबी नजर आ रही थी,, जिसे देखकर हरिया के मुंह में पानी आ रहा था वैसे तो वह संभोग का आदि बिल्कुल भी नहीं था,,, नहीं किसी के औरत को देखना उसे पसंद था लेकिन अपनी बीवी मधु की खूबसूरती देखते ही उसके तन बदन में हलचल सी होने लगती थी,,,, मधु खाना बनाते समय कपड़ों के मामले में एकदम लापरवाह हो जाती थी,,, वह घुटना मोड़ के नीचे जमीन पर सटाकर और एक पैर को घुटने से मोड़कर बैठी हुई थी जिसकी वजह से उसकी साड़ी घुटनों से ऊपर चढ़ चुकी थी इसलिए उसकी गोरी गोरी मांसल पिंडलिया नजर आ रही थी और अपनी बीवी की गोरी गोरी चिकनी मांसल टांगों को देखकर हरिया के मुंह के साथ-साथ,, उसके लंड में भी पानी आ रहा था जिसकी वजह से उसकी धोती में हलचल होना शुरु हो गया था,,, पसीने की बूंदें उसके माथे से होते हुएकिसी मोती के दाने की तरह उसके गोरे गोरे भरे हुए गाल को छेड़ते हुए उसकी गर्दन से होकर उसकी चुचियों के उभार पर फिसलते हुए ब्लाउज की धारी को भिगो रही थी बालों की लट उलझी हुई थी जिसे वह बार-बार आटा ऊंगलियों से सुलझाने की कोशिश कर रही थी,,, बेहद खूबसूरत और अद्भुत नजारा था इसे देखकर हरिया के दिन भर की थकान दूर हो रही थी,,,। रोटी को बेल कर उसे गर्म तवे पर रखते हुए मधु बोली,,,।
आप यहां क्या कर रहे हैं जी,,,, अभी खाना बनने में थोड़ा समय लगेगा,,, अब खटिया पर बैठ कर इंतजार करिए मैं खाना तैयार कर लेकर आती हूं,,,,।
क्या करती हो सुधा,,,,, दिन भर पैसे कमाने के चक्कर में घर से बाहर रहता हूं तुमसे दूर रहता हूं और यही तो मौका मिलता है तुम्हें जी भर के देखने का वह भी मुझसे छीन ना चाहती हो,,,(ऐसा कहते हुए हरिया वही नीचे बैठ गया और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) दिन भर की थकान तुम्हारा खूबसूरत चेहरा देखते ही दूर हो जाती है,,,
(अपने पति की बातें सुनकर सुधा को शर्म आ रही थी,,, वह शर्मा रही थी और अपने चेहरे को छुपाने की कोशिश कर रही थी,,,, लेकिन हरियाअपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर जैसे किसी गुलाब के फूल को अपनी हथेली में लेता हो इस तरह से अपनी बीवी की खूबसूरत चेहरे को अपने हथेली में लेते हुए बोला,,,)
क्या मधु तीन तीन बच्चों की मां हो गई हो फिर भी मुझसे शर्मारही हो,,,,,,
छोड़ो जी क्या करते हो,,, बच्चे आ जाएंगे,,,,(मधु अपने चेहरे को दूसरी तरफ घुमाते हुए बोली,,,)
अरे कोई नहीं आएगा,,,,(इतना कहते ही जैसे ही वह अपनी बीवी मधु के ब्लाउज पर हाथ रखकर उसकी चूची को दबाया ही था कि आंगन से गुलाबी की आवाज सुनाई दी और वह तुरंत उठ कर खड़ा हो गया,,,।)
देखो भैया राजु आ गया,,,,
(एकाएक गुलाबी की आवाज सुनते ही हरिया सकपका गया था,,, और यही हाल मधु का भी था,,, वह एकदम से शरमा गई थी,,, गनीमत यही थी कि,, गुलाबी ने कुछ देखी नहीं थी,,,, हरिया तुरंत आंगन में आ गया,,,,, और अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर,,,, थोड़ा शांत होता होता हुआ बोला,,,।)
क्या राजू,,,,, यह सब क्या हो रहा है,,,,,,,
कककक,,, कुछ नहीं पिताजी,,,,(राजू घबराते हुए बोला,,,,, राजू अपने पिताजी की बहुत इज्जत करता था और उनसे डरता भी था,,,)
कुछ नहीं क्या दिन भर आवारा लड़कों की तरह घूमते रहते हो,,,, तुम बड़े हो गए हैं तुम्हें तो घर की जिम्मेदारी संभालना चाहिए,,, घर के काम में हाथ बंटाना चाहिए,,,।
( अपने पिताजी की बातों को सुनकर राजू कुछ बोला नहीं बस अपनी नजरों को नीचे झुकाए खड़ा रहा,,,)
देख रही हो गुलाबी अब ये कुछ बोलेगा भी नहीं,,,,
रहने दो भैया समय के साथ सब सीख जाएगा,,,,(गुलाबी राजू का बीच बचाव करते हुए बोली,,,) अभी तो इसके भी खेलने खाने के ही दिन है,,,(राजू के कंधों पर अपने दोनों हाथ रखते हुए उसके पीछे आकर बोली) ,,,,,,,
जाओ जाकर हाथ मुंह धो कर जल्दी से आओ खाना तैयार हो रहा है,,,,।
ठीक है पिताजी,,,(इतना कहकर राजु खुश होता हुआ,, बाहर हाथ मुंह धोने के लिए चला गया,,, तभी मधु खाना बनाकर अपने कपड़ों को ठीक करते हुए बाहर आंगन में आ गई और अपनी साड़ी के पल्लू से अपने माथे के पसीने को पोछते हुए बोली,,,)
आप तो ठीक से डांटते ही नही है,,, तभी तो आवारा की तरह घूमता रहता है,,,।
अब राजू मेरे बराबर हो गया है इस तरह से डांट ना ठीक नहीं है वैसे भी आज नहीं तो कल सब कुछ सीख ही जाएगा,,,,,,
भाभी भैया ठीक कह रहे हैं,,,
हां तुम तो अपने भैया का ही पक्ष लोगी,,,,,
(मधु की बात से गुलाबी मुस्कुराने लगी और उसे मुस्कुराता हुआ देखकर मधु बोली,,,)
चलो जल्दी से खाना परोसने में मेरी मदद करो,,,।
तुम रहने दो भाभी में सबके लिए खाना परोस कर लेकर आती हूं,,,,,, आप भी भैया के साथ बैठ जाओ खाना खाने,,,,
(इतना कहकर गुलाबी रसोई घर में चली गई और मधु मुस्कुराते हुए अपने पति हरिया के पास बैठ गई,,,, हरिया अपनी छोटी बहन गुलाबी को जाते हुए देख रहा था,,, और बोला,,,)
कोई अच्छा सा लड़का देखकर गुलाबी के भी हाथ पीले कर दु तो समझ लो गंगा नहा लिया,,,,,
आप सही कह रहे हो मुन्ना के बाबु,,,,(मधु अपने पति की बातों में सुर मिलाते हुए बोली,,)
वैसे तो मुझे सबसे पहले गुलाबी की शादी करनी चाहिए थी लेकिन हालात ही कुछ ऐसे बन गए थे कि मुझे अपनी बड़ी बेटी की शादी करना पड़ा,,,, उसके विवाह के लिए लिया हुआ कर्ज अभी तक चुका रहा हूं कल लाला को उसके ब्याज के पैसे भी देने जाने हैं,,, लाला का करते चुकाऊ तो गुलाबी के विवाह के लिए पैसे ले लु और वैसे भी बैलगाड़ी का भी कर्जा चुकाना है,,,,(हरिया आंगन में से आसमान को देखते हुए बोली,,,)
तुम चिंता मत करो मुन्ना के बाबू,,, राम सब कुछ पूरा करेंगे,,,,
(इतने में राजू भी आकर वहीं बैठ गया और गुलाबी एक-एक करके सबके आगे थाली रखने लगी,,, और मधु अपने साड़ी के पल्लू को ठीक करने लगी क्योंकि चुचीया कुछ ज्यादा बड़ी होने की वजह से ब्लाउज में से चूचियों के बीच की लकीर कुछ ज्यादा ही बड़ी नजर आती थी,,,, और यही हरिया को बेहद पसंद थी,,,, सब लोग खाना खाने लगे,,और, खाना खाने के बाद सोने की तैयारी करने लगे,,, राजू अपनी बुआ गुलाबी के साथ सोता था और हरिया उसकी बीवी मधु और छोटा लड़का मुन्ना एक साथ सोते थे,,,,,,, गुलाबी जब राजू को लेकर बगल वाले कमरे में जाने लगी तो मधु गुलाबी को आवाज देते हुए बोली,,,)
अरे गुलाबी,,,
क्या हुआ भाभी,,,?
ले आज मुन्ना को अपने पास सुला ले,,, रात को बहुत परेशान करता है और तुम्हारे भैया सो नहीं पाते,,,,
ठीक है भाभी लाइए मुन्ना को मुझे दो,,,(इतना कहते हुए गुलाबी मुन्ना को अपनी भाभी की गोद में से अपनी गोद में ले ली,,, और कमरे में चली गई राजू को नींद आ रही थी इसलिए चारपाई पर पडते ही वह सो गया,,, गुलाबी को नींद नहीं आ रही थी,,,, क्योंकि वह मुन्ना को अपने पास सुलाने का मतलब अच्छी तरह से जानती थी,,,,
दूसरी तरफ हरिया मधु से बोला,,,,)
बड़ी सफाई से बहाना करके तमन्ना को गुलाबी के पास सोने के लिए भेज देती हो,,,
तो क्या मुन्ना को गुलाबी के पास ना भेजु तो और क्या करूं,,,
चलो ठीक है लेकिन जिस काम के लिए मुन्ना को उसकी बुआ के पास भेजी हो वह काम शुरु तो करो,,,,(हरिया चारपाई पर लेटता हुआ बोला,,,)
मुझे शर्म आती है जी,,,,(मधु शर्म के मारे अपने हाथों से अपने चेहरे को ढंकते हुए बोली,,,)
अरे मुझसे क्या शर्माना,,, चलो जल्दी करो कपड़े उतारो,,,,
आप कहते हो तो उतारती हूं वरना तो मुझे तो नींद आ रही थी,,,,(इतना कहने के साथ ही है मधु अपने हाथों से अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,,, उत्तेजना के मारे उसकी सांसे भारी हो चली थी,,,,, उसका खुद का मन चुदवाने के लिए कर रहा था क्योंकि रसोई में हरिया ने अपनी हरकत की वजह से उसको उत्तेजित कर दिया था,,, देखते ही देखते मधु अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अपने ब्लाउज को उतार फेंकी,,,हरिया की नजर जेसे ही अपनी बीवी के भारी भरकम गोल गोल खरबूजे जैसे चुचियों पर पड़ी उसके मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ गया और वह अपनी धोती खोलने लगा,,,, मधु को अपने पति का खड़ा लंड देखने की इच्छा हो रही थी अच्छी तरह से जानती थी कि ईतनी देर में उसके पति का लंड खड़ा हो गया होगा,,,
वह जल्दी जल्दी अपनी साड़ी भी उतार कर नीचे फेंक दी,,, अब वह अपने पति की आंखों के सामने केवल पेटीकोट में खड़ी थी,,, हरिया पूरी तरह से मस्त हो चुका था वह अपनी धोती खोल चुका था उसका लंड आसमान की तरफ मुंह उठाए खड़ा था,,, हरिया अपना एक हाथ आगे बढ़ाते अपनी बीवी के पेटीकोट की डोरी को खींच दिया जिससे मधु को बिल्कुल भी संभलने का मौका नहीं मिला और उसकी पेटीकोट उसकी कमर से नीचे उसके पैरों में जाकर गिर गई,,, हरिया के साथ-साथ मधु की पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी तीन तीन बच्चों की मां होने के बावजूद भी मधु एकदम खूबसूरत और गठीला बदन की मालकिन थी क्योंकि अभी भी वह खेतों में सारा काम अकेले ही करती थी,,,, मधु के नंगे बदन को देख कर हरिया के मुंह में पानी आ रहा था उससे रहा नहीं गया और वह खुद अपने हाथों को आगे बढ़ाकर मधु के कमर को थाम लिया और उसे अपने ऊपर चारपाई पर खींच लिया,,, मधु का मखमली खूबसूरत बदन उत्तेजना से तप रहा था,,, हरिया तुरंत उसे अपनी बाहों में भर लिया जैसे कि कहीं वह भागी जा रही हो,,, मधु भी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी वह भी अपनी पती को अपनी बाहों में लेकर चूमना शुरु कर दी,,,।
हरिया अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हुए असली बीवी मधु को तुरंत अपनी बाहों में लिए हुए ही पलटी मार दिया और उसे नीचे और खुद ऊपर आ गया,,,,,, दोनों की सांसें बड़ी तेजी से चल रही थी,,,,,, पल भर में ही मौसम की गर्मी और बदन की तपन से मधु पसीने से तरबतर हो गई,,,, पसीने में तर बतर मधु का खूबसूरत बदन और भी ज्यादा मादक और उत्तेजक लग रहा था,,,,,,,, हरिया पूरी तरह से बाजी अपने हाथों में ले लिया था,,, वैसे भी बिस्तर पर मर्दों की अगुवाई ही ज्यादा मायने रखती है,,,,,,
दिन भर की थकान वह अपनी बीवी की चुदाई करके मिटाना चाहता था,,,, पसीने से तरबतर चुचीया हरिया के हाथों में ठीक से समा नहीं पा रही थी,,। बार-बार उसकी हथेली फिसल जा रही थी मानो किसी टेकरी को पकड़ रहा हो,,,, फिर भी हरिया बड़े जोर लगाकर मधु की चूचियों को दबा रहा था और मधु को बहुत मजा आ रहा था,,।
मधु के लिए यही एक पल होता था जब वह पूरी तरह से खुल जाती है और अपनी जिंदगी का भरपूर आनंद लुटती थी,,, हरिया पागलों की तरह अपनी बीवी की चुचियों को मुंह में भर कर पी रहा था मधु की सिसकारी कमरे में गूंजने लगी थी,,,, हरिया का खड़ा लंड बार-बार मधु की जांघों के लिए रगड़ खा जा रहा था,,। जिससे मधु की आनंद और तड़प दोनों बढ़ जा रही थी,,।
अब दोनों से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था इसलिए हरिया अपनी बीवी की दोनों टांगों को फैला कर अपनी खड़े लंड को उसकी बुर में डाल दिया और अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया मधु चुदाई से पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,, वह भी गर्म सिसकारी के साथ अपने पति का पूरा साथ दे रही थी,,, हरिया कमर हिलाता हुआ अपनी बीवी को चोद रहा था,,,। मधु के मुंह से उसकी गरम सिसकारी बड़ी तेजी से निकल रही थी,,,मधु इस बात से पूरी तरह से बेखबर थी कि उसके बाजू वाले कमरे में उसकी ननद गुलाबी उसकी गरम सिसकारियां को सुन रही है राजु और मुन्ना दोनों सो चुके थे,,,लेकिन गुलाबी अच्छी तरह से जानती थी कि आज रात क्या होने वाला है इसलिए उसकी आंखों में नींद नहीं थी,,, यह उसके लिए पहली बार नहीं था,,। आए दिन उसे उसके भैया भाभी की गरम आवाजें सुनाई देती थी जिसे सुनकर वह गर्म हो जाती थी क्योंकि उसकी भी शादी की उम्र हो चुकी थी जवान हो चुकी थी उसके तन बदन में भी भावनाएं जोर मारने लगी थी उसकी जवानी बदन में चीकोटी काटने लगी थी,,,। इसलिए तो अपनी भाभी की चुदाई की गरमा गरम आवाज सुनकर उसने भी अपनी सलवार की दूरी को खोल कर उसने अपना हाथ डाल दी थी और अपनी उंगली को अपनी गुलाबी बुर की छेंद में डालकर उसे छेड़ रही थी,,,,
दूसरी तरफ हरिया पूरा जोर लगा दिया था अपनी बीवी को चोदने में,,, और थोड़ी देर बाद दोनों हांफने लगे,,,, दूसरी तरफ गुलाबी का भी पानी निकल गया,,, हरिया और मधु नग्न अवस्था में ही एक दूसरे की बाहों में चारपाई मैं गहरी नींद मे सो गए,,,