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रात गहराई हुई थी चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था,,, आज गुलाबी दिन भर की थकान से थककर खटिया पर पडते ही सो गई थी,,,, लेकिन आज अचानक ही राजू के लिए खुल गई थी ऐसा उसके साथ पता नहीं था लेकिन आज अचानक ही उसकी आंख खुली थी,,,,
पानी पीने के बाद का कुतूहल बस उसी जगह पर पहुंच गया था जहां पर उसने कुछ दिन पहले गुलाबी को झांकते हुए देखा था,,,, थोड़ी मशक्कत करने के बाद उसे वह छेद दिख ही गया,,, उसे अंदाजा नहीं था कि उस छोटे से छेद से उसकी बुआ गुलाबी क्या देख रही थी,,,, लेकिन अपनी नजरों को उस छेद में से आर पार करते हुए उसे जो नजर आया उसे देखकर उसके होश उड़ गए उसकी आंखें फटी की फटी रह गई और पल भर में उसकी सांसों की गति तेज हो गई,,,,,,,,
इस तरह से राजू दीवार के उस छोटे से छेद में से देख रहा था
बगल के कमरे में भी लालटेन जल रही थी जिसकी रोशनी में पूरा कमरा प्रकाशित हो रहा था बगल के कमरे में सब कुछ साफ नजर आ रहा था ,,,राजू की नजरें साफ देख पा रही थी कि खटिए पर उसके पिताजी लेटे हुए थे और वह भी बिल्कुल नंगे,,, राजू की नजर उसके पिताजी के लंड पर थी,,, जिसे उसके पिताजी अपने हाथों में लेकर हवा में लहराते हुए हिला रहे थे,,,,,, राजू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसके पिताजी क्या कर रहे हैं राजू की नजरे उसकी मां को ढूंढ रही थी,,, लेकिन राजू को अपनी मां नजर नहीं आ रही थी राजू हैरान था अपने पिताजी की हरकत को देखकर लेकिन अपने मन में यह सोच रहा था कि उसकी मां कहां गई,,, तभी उसे हल्की सी आवाज सुनाई दी,,,।
अरे क्या कर रही हो जल्दी से आओ ना,,,
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आ रही हूं आप भी ना बहुत उतावले हो जाते हो,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही राजू का दिल जोरों से धड़कने लगा,,,, अपने पिताजी को नंग धड़ंग हालत में देख कर और अपना लंड हीलीते हुए देखकर और दो दो बार कमला चाची के साथ संभोग करने के बाद उसे इतना तो अंदाजा लग गया था कि कमरे के अंदर उसकी मां और उसके पिताजी कुछ अद्भुत कार्य करने जा रहे हैं जिसके बारे में सोच कर ही राजू मदहोश हुआ जा रहा था क्योंकि आज तक उसने अपने पिताजी को इस हालत में नहीं देखा था,,, लेकिन आज उसके जीवन में कुछ नया और अद्भुत होने जा रहा था जिसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं किया था तभी उसकी मां दाहिने तरफ से आती हुई दिखाई गई जिसके बदन पर साड़ी नहीं थी और वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट में ही थी,,,, वैसे तो अक्सर लड़के अपनी मां को कपड़े बदलते हुए या अर्धनग्न अवस्था में या तो फिर पूरी तरह से नंगी देख ही लेते हैं लेकिन राजू के साथ अब तक ऐसा नहीं हुआ था राजू अपनी मां को मां के कपड़े में बदलते हुए देखा था ना ही अर्धनग्न अवस्था में और ना ही पूरी तरह से नंगी लेकिन आज उसके जीवन में अद्भुत होने जा रहा था जिसके लिए वह अपनी सांसों को थाम कर उस छोटे से छेद में नजर धशाएं खड़ा था,,,, मधु उसी तरह से ब्लाउज और पेटीकोट में ही हरिया के पास पहुंच गई और अपने कमर पर हाथ रखते हुए मुस्कुराते हुए बोली,,)
अपना तो खुद ही सोते हैं और ना ही मुझे सोने देते हैं आप जानते हैं दिन भर कितना काम लगा रहता है और आप हैं कि रात को सोने की जगह मेरी नींद हराम करके रखते हैं,,,
अरे मेरी रानी नींद तो मेरी हराम हो जाती है तुम्हारी खूबसूरती देखकर,,,, तीन तीन बच्चों की मां हो गई हो लेकिन अभी भी पूरी तरह से जवान लगती हो,,,
बाप रे ना जाने कब तुम्हारी प्यास बुझेगी,,,,
यह प्यास कभी नहीं बुझने वाली मेरी रानी,,,,,,(हरिया अपने लंड को हिलाते हुए बोला,,,,राजू अपने बाप की हरकत और उसकी बातों को सुनकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था उसे थोड़ा अजीब लग रहा था लेकिन ना जाने क्यों इस दृश्य में इस वार्तालाप में एक आकर्षण था जिसके प्रति व खींचता चला जा रहा था अपने पिताजी को इस हालत में देखना उसके लिए गवारा नहीं था लेकिन वह चाह कर भी अपने आप को नहीं रोक पा रहा था वह साफ तौर पर देख पा रहा था कि उसके पिताजी खटिया पर निश्चिंत नंगा होकर अपने लंड को हिलाते हुए लेटे हुए थे और उसकी मां सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट नहीं उसके पास में खड़ी थी उसके लंबे घने बाल उसके नितंबों तक आ रहे थे उसकी बलखाती कमर एक नया ही राजू के जीवन में प्रकरण की शुरुआत कर रही थी अपनी मां का मांसल खूबसूरत बदन के प्रति राजू का आकर्षण बढ़ता जा रहा था हालांकि आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ था वह अपनी मां को इस नजरों से कभी नहीं देखा था लेकिन,,, कमला चाची की बदौलत उसकी सोच और नजरों में बदलाव आ गया था,,,,,,, राजू की मां राजू के पिताजी के पास में खड़ी होकर अठखेलियां करते हुए हल्के हल्के अपने बदन को हीला रही थी जिसकी वजह से उसकी चूड़ियों की खनक वातावरण में मादकता फैला रही थी,,,, राजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,, राजू के अंतर्मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी वह जानता था कि अपनी मां और पिताजी को इस हालत में देखना अच्छी बात नहीं है और वह वहां से हट जाना चाहता था उस नजारे को देखना नहीं चाहता था लेकिन फिर भी जवानी के जिस दौर से वह गुजर रहा था उस दौर में सोचने समझने की शक्ति इस शारीरिक आकर्षण के मामले में छीण हो जाती है,,, इसलिए वह सही बुरे का फैसला नहीं कर पा रहा था बस उस नजारे को देखकर जाना था वह देखना चाहता था कि आगे क्या होता है,,,)
अरे खड़ी ही रहोगी या कपड़े उतार कर आओगी,,,।
(अपने पिताजी की यह बात सुनते ही राजू के तन बदन में मदहोशी का रस घुलने लगा क्योंकि सीधे-सीधे उसके पिताजी उसकी मां को कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए कह रहे थे और राजू आंखें फाड़े उस दृश्य को देख रहा था,,, वह जानता था कि उसके पिताजी की आज्ञा पाकर उसकी मां अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाएगी और राजू यही देखना चाहता था कि बिना कपड़ों की उसकी मां कैसी दिखती है,,,। अपने पिताजी की बातें सुनकर राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह जानता था कि अगर उसकी मां उसके पिताजी की बात मानेगी तो अकेले पाए उसकी मां उसे बिना कपड़ों के देखने को मिलेगी,,,, यह पल उसके लिए अद्भुत था ,,। उसके बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,,, वह बार-बार खटिया पर सोई हुई अपनी बुआ की तरफ देख ले रहा था,,,,वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि दीवार में बने उस छोटे से छेद से उसे इतना बेहतरीन खूबसूरत मादक दृश्य देखने को मिलेगा,,,, उसकी मां अभी भी कमर पर हाथ रखे खटिया पर लेटे उसके पिताजी को देख रही थी और मुस्कुरा रही थी,,, मुस्कुराते हुए राजू को अपनी मां बेहद खूबसूरत लग रही थी और उसके पिताजी हाथ में अपने खड़े लंड को पकड़े हीला रहे थे,,,, बार-बार मधु की नजर अपने पति के लंड पर चली जा रही थी जो कि राजू को साफ तौर पर नजर आ रहा था,,,,,,)
अब मुस्कुराती ही रहोगी कि अपने कपड़े भी उतारोगी,,,,
नहीं आज मैं कपड़े नहीं उतारूंगी,,, आज ऐसे ही कर लो,,,
(अपने मां के मुंह से ऐसे ही कर लो शब्द सुनकर उसका दिमाग झन्ना गया ऐसे ही कर लो का मतलब वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां उसे चोदने के लिए बोल रही थी वह अपनी मां के मुंह से इस तरह की अश्लील शब्दों को कभी सुना नहीं था इसलिए पहली बार इस तरह के शब्दों को सुनकर वह हैरान भी था लेकिन कामुकता के मदहोशी भरे इस पल को जी भी रहा था उसे ना जाने क्यों अपनी मां के मुंह से इस तरह के गंदे शब्द अच्छे लग रहे थे,,, लेकिन अपनी मां की बातों को सुनकर वह थोड़ा निराश हुआ क्योंकि उसकी मां कपड़े उतारने के लिए तैयार नहीं थी और अगर ऐसा होता तो राजू को अपनी मां का नंगा बदन देखने को नहीं मिलता और ऐसा वह नहीं चाहता था लेकिन अपने मन में आए इस ख्याल से कि अपनी मां को नंगी देखें वह इस बात से उत्तेजित भी था और हैरान भी था क्योंकि वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपनी मां को नंगी देखने का ख्याल अपने मन में लाएगा लेकिन इस समय हालात बदलते हुए नजर आ रहे थे,,, वह सच में अपनी मां को न्गनावस्था में देखना चाहता था उसकी खूबसूरती को देखना चाहता था उसके बदन के बनावट को देखना चाहता था,,,,दो बार कमला चाची की जमकर चुदाई करने के बाद भी वह कमला चाची को संपूर्ण रूप से निर्वस्त्र नहीं देखा था एक औरत नंगी होने के बाद कैसी दिखती है यह उसके कल्पना के परे था लेकिन उनके नंगे कोमल अंगों को देखकरपर इस समय जिस तरह के हालात बन रहे थे उसे देखते हुए राजू अपने मन में यही चाहता था कि एक औरत के नंगे बदन को अपनी नजरों से देखें जो कि उस समय उसकी आंखों के सामने उसकी मां थी,,,,,, वह अपने मन में यही सब सोच रहा था कि तभी उसके पिताजी बोले,,,)
नहीं नहीं ऐसा मत करो मेरी रानी,,, तुम तो अच्छी तरह से जानते हो कि तुम्हें नंगी करके चोदने में जो मजा है वह मुझे सिर्फ साड़ी उठाकर चोदने में नहीं है,,,,,(हरिया एकदम मदहोश होता हुआ बोला,,, और राजू अपनी पिताजी की यह बात सुनकर एकदम मस्त हो गया क्योंकि आज तक उसने इतने अश्लील शब्दअपने घर के किसी भी सदस्य के मुंह से सुना नहीं था और आज तो उसके पिताजी लेकिन खुले शब्दों में उसकी मां को चोदने के लिए बोल रहे थे,,,राजू इस बात से और ज्यादा हैरान था कि उसकी मां को उसके पिताजी के कहे शब्दों उसकी बातों से कोई आपत्ति नहीं थी वह तो मुस्कुराए जा रही थी,,,,,)
लेकिन आज मेरा मन नहीं है जी,,,,,,,
ऐसे कैसे मन नहीं है मैं जानता हूं तुम्हारा भी मन कर रहा है बुर पानी छोड़ रही है और कह रही हो कि मेरा मन नहीं है,,,
(हरिया की बातें राजू के मन पर अपना कह रहा असर छोड़ रही थी अपनी मां के बारे में इस तरह की गंदी बातें सुनकर उसे गुस्सा नहीं बल्कि ना जाने क्यों आनंद आ रहा था और वैसे भी उसकी मां को गंदी बात बोलने वाला कोई दूसरा नहीं उसके ही पिताजी थे इसलिए उसे कोई आपत्ति नहीं थी इसलिए तो उसे इस तरह की बातें सुनने में मजा आ रहा था,,,राजू की मदहोशी इस बात से और ज्यादा बढ़ गई थी कि उसके पिताजी खुला शब्दों में उसकी मां की बुर के बारे में बात कर रहे थे,,, इसलिए राजू की सांसे ऊपर नीचे हो रहे थे,,,,)
आपको कैसे मालूम कि मेरी बुर पानी छोड़ रही है,,,(मधु भी मुस्कुराते हुए बोली और राजुअपनी मां के मुंह से इस ताकि गंदी बातें सुनकर पूरी तरह से बावला हो गया था ,, पजामे में उसका लंड अकड़ने लगा,,, क्योंकि उसकी मां लाज शर्म छोड़कर एकदम खुले शब्दों में अपने अंग का नाम ले रही थी,,,)
राजू अपनी मां की मदमस्त चुचियों को देखकर मस्त हुआ जा रहा था
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मुझे सब पता है मेरी रानी,,,, कहो तो पेटीकोट उठा कर दिखा दु,,,,,
नहीं नहीं रहने दीजिए वैसे भी उतारना ही पड़ेगा,,,,
यह हुई ना बात मेरी रानी है मुझे पूरा यकीन था कि तुम मेरी बात जरुर मानोगी मुझे निराश नहीं करोगी क्योंकि तुम भी यह बात अच्छी तरह से जानती हो कि नंगी करके चोदने में चुदवाने में जो मजा है वो किसी में नहीं,,,,
(एक एक शब्द राजू के कानों में मधुर और मादकता भरे रस को बोल रहे थे अपने पिताजी की बातें राजू की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ा रहे थे और उनकी बातों को सुनकर उसकी मां मुस्कुरा रही थी जिसका मतलब साफ था कि अब वह उसके पिताजी की बात मानते हुए अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जाएगी इस बात का एहसास राजू को होते ही वह ना चाहते हुए भी पजामे के ऊपर से अपने लंड को पकड़ लिया,,,,,)
आपकी बात तो माननी ही पड़ेगी,,,,( और इतना कहने के साथ ही खटिया के पास खड़ी होकर मधु अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी और हरिया अपना हाथ आगे बढ़ा कर पेटीकोट के ऊपर से ही अपनी बीवी मधु की गांड को पकड़ने लगा दबोचने लगा,,,,उत्तेजना की दृष्टि से राजू के लिए यह सब असहनीय होता जा रहा था क्योंकि उसका बदन उत्तेजना की पराकाष्ठा को पार कर जा रहा था,,,, वह दीवार में बने छोटे से छेद के जरिए बगल वाले कमरे की एक नई दुनिया को झांक रहा था जो कि अब तक उसकी आंखों से और उसकी सोच से बिल्कुल अनजान था,,,। राजू ने कभी भी अपनी मां के बारे में इस तरह की कल्पना नहीं किया था अपनी मां के बारे में ही क्यों उसने तो किसी के बारे में भी इस तरह की कल्पना नहीं किया था,,,, वह अब तक अपनी मां को एक साथ ही रूप में ही देखता रहा था जो कि उसके लिए एक आदर्श थी आदर्श तो अभी भी थी लेकिन उसका दूसरा पहलू उसे आज नजर आ रहा था,,,,, राजू साफ तौर पर देख पा रहा था कि उसके पिताजी उसकी मां की गांड से पेटिकोट के ऊपर से ही खेल रहे थे,,।
जोकि राजू को अपने पिताजी की यह हरकत बेहद मदहोश कर देने वाली लग रही थी,,, राजू की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी देखते ही देखते मधु एक-एक करके अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी और बटन के खुलते ही राज्य की आंखों के सामने बेहद खूबसूरत नजारा नजर आने लगा राजू अपनी मां की गोल-गोल खरबूजे जैसी चुचियों को देखकर मस्त हो गया,,,, उसने अभी तक किसी औरत की चूचियों को संपूर्ण रुप से नग्न अवस्था में नहीं देखा था आज पहली बार वह अपनी मां की सूचियों को और वह भी एक दम नंगी देख रहा था,,,। मधु अपने ब्लाउज को अपनी बाहों में से निकालते हुए बोली,,,।
अब तो खुश है ना जी,,,,,
अरे मेरी रानी यही अदा तो मुझे मार देती है तुम्हारी चुचियां देखे बिना तू मेरा दिन नहीं गुजरता,,,,(हरिया की बात सुनकर मधु मंद मंद मुस्कुरा रही थी अपने पति के मुंह से अपनी और अपने बदन की खूबसूरती की प्रशंसा सुनकर मधु और ज्यादा प्रसन्न हुए जा रही थी,,,भले ही वह कपड़े उतारने में आनाकानी कर रही थी लेकिन यह बात वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसे भी सारे कपड़े उतारने के बाद ही मजा आता था राजू के तो दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी कमर से ऊपर उसकी मां पूरी तरह से नंगी थी उसकी गोल-गोल बड़ी-बड़ी चूचियां दशहरी आम की तरह छातियों पर लहलहा रही थी,,, जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था राजू ने अब तक किसी और अतिथियों को देखा नहीं था इसलिए किसी दूसरी औरतों की चुचियों से उसकी मां की सूचियों की तुलना करना उसके लिए मुश्किल था लेकिन फिर भी वह इतना तो समझ गया था कि चुचियां कितनी खूबसूरत होती है,,,,राजू अपने दिल की धड़कन पर काम करने की भरपूर कोशिश कर रहा था लेकिन बगल के कमरे का नजारा इतना गरमा गरम झांकी वहां चाह कर भी अपने आप पर अंकुश नहीं रख पा रहा था,,,, गहरी रात में कमरे के अंदर इस तरह का दृश्य नजर आता है इस बारे में राजु को मालूम ही नहीं था वह तो बस इतना ही जानता था कि रात को सोया जाता है,,, लेकिन आज अपनी आंखों से दुनिया की ओर रिश्तो के बीच की सच्चाई को देख रहा था और समझ रहा था,,,,,,, राजू को एक औरत की खूबसूरती की व्याख्या मालूम नहीं थी,,,। लेकिन इतना जरूर समझ रहा था कि उसकी मां बहुत खूबसूरत है जो कि उसे अपनी आंखों से दिखाई दे रहा था छातियों की शोभा बढ़ा रहे उसकी कर तुमसे जैसी सूचियां और एकदम दशहरी आम की तरह तनी हुई और उस पर किसमिस के दाने की तरह तनी हुई निप्पल को देख कर राजू के मुंह में पानी आ रहा था,,,, मधु एकदम गोरी थी इसलिए इसके गोरे बदन पर उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियां और ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,,,,,,, राजू की हालत तो वैसे ही खराब भी जा रही थी लेकिन उसकी मां की हरकत को देखकर राजू के तन बदन में उत्तेजना के शोले भड़कने लगे,,, क्योंकि उसकी मां अपने दोनों चुचियों को हर बच्चे की तरह नीचे से अपने हथेली में भरकर उसे ऊपर की तरफ उठाते हुए हल्के हल्के दबाने लगी,,, यह देख कर राजू के पिता जी बोले,,,,।
यह सब तुम मुझ पर छोड़ दो रानी,,,, और आओ मेरे पास इतना कहने के साथ ही राजू के पिताजी एक हाथ आगे बढ़ाकर उसकी मां की पेटीकोट की डोरी को खींच लिया और पेटीकोट की डोरी खींचते हैं वह एकदम से ढीली हो गई और तुरंत राजू के पिताजी डोरी को अपने हाथों से छोड़ दिया और डोरी के छोड़ते ही पेटीकोट भरभरा कर नीचे उसके कदमों में गिर गई,,,, और अगले ही पल राजू की आंखों के सामने उसकी मां एकदम नंगी हो गई ,,, राजू की आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि उसकी आंखों के सामने पहली बार उसकी मां पूरी तरह से महंगी हुई थी जो कि उसके पिताजी ने अपने हाथों से किया था अपने मा बाप की कामुक हरकत को वह पहली बार अपनी आंखों से देख रहा था उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था,,,। वह बार-बार अपनी आंखों को मल कर अपने आप को तसल्ली दी रहना चाहता था कि वह वाकई में अपनी आंखों से देख रहा है या उसका कोई सपना या कल्पना है,,,, लेकिन जो कुछ भी वह अपनी आंखों से देख रहा था वह शत प्रतिशत सत्य था जिसमें चेहरा भी मिलावट नहीं था उसकी आंखों के सामने बगल वाले कमरे में उसके पिताजी के साथ-साथ उसकी मां पूरी तरह से नंगी थी,,,,
राजू अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी मां नंगी होने के बाद और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा उसकी आंखों के सामने खड़ी हो गोरा रंग बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियां छातियों की शोभा बढ़ाती हुई,,,, मांसल चिकना पेट उसने कमर की तरफ हल्का सा कटाव जो कि उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहा था केले के तने के समान मोटी मोटी चिकनी जांघें जिस को देखकर ऋषि मुनि का भी तप भंग हो जाए,,,,,,, राजूका मन अपनी खूबसूरत मां की खूबसूरत गांड देखने को कर रहा था उसे पूरा विश्वास था कि इतनी खूबसूरत उसकी मां है उससे भी कई ज्यादा खूबसूरत उसकी गांड होगी,,,, और इसीलिए अपनी मां की गांड देखने के लिए होना चाह रहा था लेकिन उसकी मां एक ही तरफ से उसे नजर आ रही थी,,,। इसलिए ना तो उसे उसकी मां की गांड दिख रही थी ना ही उसकी मां की बुर देख रही थी जो कि दोनों को देखने की तमन्ना उसके मन में प्रज्वलित हो रही थी,,,,, राजू का यही सोचना था कि उसके पिता जी बोले,,,।
अरे मेरी रानी,,, खड़े-खड़े अपनी गांड तो दिखाओ सच कहता हूं तुम्हारी गांड देखकर गांव वालों का लंड खड़ा हो जाता होगा,,,,
धत्,,,, कैसी बातें कर रहे हो जी मैं गांव वालों के लिए थोड़ी हूं तुम्हारे लिए हुं,,,,
वह तो तुम मेरे लिए ही हो लेकिन मैं अपने मन की बात बता रहा था जो कि सच है,,,,
गांव वाले मेरे बारे में क्या सोचते हैं इसका मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता,,,,
इसमें तुम्हारा कसूर नहीं है रानी तुम्हारे बदन की ओर से मारी गांड की बनावट ही कुछ ऐसी है कि ना चाहते हुए भी उस पर नजर चली जाती ही जाती है,,,।
(राजू अपने पिताजी के मुंह से अपनी मां के लिए ऐसी बात सुनकर एकदम दंग हो गया था उसे तुरंत अपने दोस्त से आम की बात याद आने लगी तो उस दिन उसकी मां और बुआ के बारे में गंदी गंदी बातें कर रहा था तो वह अपने मन में यही सोचने लगा कि क्या वह सच बोल रहा था क्या गांव के लड़के गांव के मर्द उसकी मां और बुआ को देखकर यही सोचते हैं,,, अपने पिताजी की इस बात पर राजु का दिल और ज्यादा धड़कने लगा,,,कमला चाची को चोदने के बाद उसे चोदने के अर्थ को बची तरह से समझ गया था इसीलिए वह अपने-अपने सोचने लगा कि गांव के लड़के उसके दोस्त क्या उसकी मां को चोदने का सपना देखते हैं उसके पिताजी की मानें तो यह बात सनातन सत्य थी अब उसे इस बात का एहसास होने लगा था कि उसकी बुआ और उसकी मां पर है खूबसूरत औरत है अपनी मां के बदन की बनावट को देखकर राजु अब समझने लगा था कि वाकई में उसकी मां और बुआ को देख कर सबका मन चोदने को करते हो ना इस बात का ख्याल मन नहीं आते ही उसे इस ख्याल से गुस्सा भी आ रहा था लेकिन ना जाने क्यों ईस बात से उसकी उत्तेजना भी बढ रही थी,,,। राजू बड़ी शिद्दत से दीवार के उस छोटे से छेद से बगल वाले कमरे में अपने पिताजी और अपनी मां की काम लीला को अपनी आंखों से देख रहा था,,,लेकिन बार-बार अपनी बुआ पर भी नजर मार ले रहा था कि कहीं वह जागना जाए लेकिन एक बात उसके जेहन में पूरी तरह से बैठ गई थी कि उस दिन उसकी बुआ उसे झूठ बोली थी कि छिपकली को भगा रही है वह भी इसी छेद से उसकी मां और उसके पिताजी की चुदाई देखती है,,,, यह ख्याल मन में आते ही उत्तेजना के मारे राजू को अपने लंड में दर्द महसूस होने लगा,,,।
अरे दिखाओ भी,,,
क्या करते हो मुन्ना के बाबु तीन -तीन बच्चों के बाप हो गए हैं लेकिन फिर भी ऐसी हरकत करते हो जैसे कि मैं पहली बार तुम्हारी आंखों के सामने आई हूं,,,
सच कह रही हो मधुरानी ईतने बरस हो गए लेकिन आज भी ऐसा लग रहा है कि आज हमारी सुहागरात है,,,।
(सुहागरात का जिक्र होते ही मधु एकदम से शर्मा गई,,,)
एक बार घूम जाओ मुझे तुम्हारी गांड देखना है,,,,
(राजू के पिताजी अपने खडे लंड को हिलाते हुए बोले,,,, राजू की हालत खराब हो रही थी उसके पिताजी खुले शब्दों में उसकी मां को अपनी गांड दिखाने को बोल रहे थे पल भर में ही राजू का अपनी मां को देखने का नजरिया बदल गया था,,, अपनी मां और पिताजी के मुंह से गंदे गंदे शब्दों को सुनकर और उनकी गंदी हरकतों की बदौलत राजू के तन बदन में मदहोशी का नशा छाने लगा था इसलिए वह बगल वाले कमरे में खड़ी उसकी मां को एक औरत के नजरिए से देख रहा था उसके खूबसूरत अंगों को देखकर मस्त हो रहा था,,, राजू का लंड पजामे के अंदर गदर मचाया हुआ था,,, इस उत्तेजनात्मक स्थिति मेंराजू को वह पहले आधा रहा था जब वह अपना मोटा तगड़ा लेने कमला चाची की बुर में डालकर अंदर बाहर कर रहा था राजू के इस बात का एहसास होने लगा कि बदन की गर्मी को शांत करने का यही एक तरीका है और इस समय उसे खुद चोदने का बहुत मन कर रहा था पल भर में उसके मन में यह ख्याल आया कि काश बगल वाले कमरे में उसके पिताजी की जगह वह होता तो कितना मजा आता,,,, यह ख्याल मन में आते ही राजू कीउत्तेजना परम शिखर पर पहुंच गई लेकिन इतनी गंदे ख्याल की बदौलत उसे अपने आप पर गुस्सा भी आ रहा था लेकिन वह अपने आप पर अंकुश कसने में नाकामयाब साबित हो रहा था क्योंकि इस तरह के गंदे ख्याल के कारण उसके तन बदन में मस्ती की लहर दौड़ रही थी,,,, उसके पिताजी उसकी मां को गांड दिखाने के लिए कह रहे थे और उसकी मां शर्मा रही थी,,,उसके पिताजी के इस प्रस्ताव पर राजू खुद सहमत था क्योंकि उसके पिताजी जितना उत्सुक थे उसकी मां की गांड देखने के लिए उससे कहीं ज्यादा उत्सुक राजू था अपनी मां की गांड के दर्शन करने के लिए,,,,।
क्रमशः,,,,,
पानी पीने के बाद का कुतूहल बस उसी जगह पर पहुंच गया था जहां पर उसने कुछ दिन पहले गुलाबी को झांकते हुए देखा था,,,, थोड़ी मशक्कत करने के बाद उसे वह छेद दिख ही गया,,, उसे अंदाजा नहीं था कि उस छोटे से छेद से उसकी बुआ गुलाबी क्या देख रही थी,,,, लेकिन अपनी नजरों को उस छेद में से आर पार करते हुए उसे जो नजर आया उसे देखकर उसके होश उड़ गए उसकी आंखें फटी की फटी रह गई और पल भर में उसकी सांसों की गति तेज हो गई,,,,,,,,
इस तरह से राजू दीवार के उस छोटे से छेद में से देख रहा था
बगल के कमरे में भी लालटेन जल रही थी जिसकी रोशनी में पूरा कमरा प्रकाशित हो रहा था बगल के कमरे में सब कुछ साफ नजर आ रहा था ,,,राजू की नजरें साफ देख पा रही थी कि खटिए पर उसके पिताजी लेटे हुए थे और वह भी बिल्कुल नंगे,,, राजू की नजर उसके पिताजी के लंड पर थी,,, जिसे उसके पिताजी अपने हाथों में लेकर हवा में लहराते हुए हिला रहे थे,,,,,, राजू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसके पिताजी क्या कर रहे हैं राजू की नजरे उसकी मां को ढूंढ रही थी,,, लेकिन राजू को अपनी मां नजर नहीं आ रही थी राजू हैरान था अपने पिताजी की हरकत को देखकर लेकिन अपने मन में यह सोच रहा था कि उसकी मां कहां गई,,, तभी उसे हल्की सी आवाज सुनाई दी,,,।
अरे क्या कर रही हो जल्दी से आओ ना,,,
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आ रही हूं आप भी ना बहुत उतावले हो जाते हो,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही राजू का दिल जोरों से धड़कने लगा,,,, अपने पिताजी को नंग धड़ंग हालत में देख कर और अपना लंड हीलीते हुए देखकर और दो दो बार कमला चाची के साथ संभोग करने के बाद उसे इतना तो अंदाजा लग गया था कि कमरे के अंदर उसकी मां और उसके पिताजी कुछ अद्भुत कार्य करने जा रहे हैं जिसके बारे में सोच कर ही राजू मदहोश हुआ जा रहा था क्योंकि आज तक उसने अपने पिताजी को इस हालत में नहीं देखा था,,, लेकिन आज उसके जीवन में कुछ नया और अद्भुत होने जा रहा था जिसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं किया था तभी उसकी मां दाहिने तरफ से आती हुई दिखाई गई जिसके बदन पर साड़ी नहीं थी और वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट में ही थी,,,, वैसे तो अक्सर लड़के अपनी मां को कपड़े बदलते हुए या अर्धनग्न अवस्था में या तो फिर पूरी तरह से नंगी देख ही लेते हैं लेकिन राजू के साथ अब तक ऐसा नहीं हुआ था राजू अपनी मां को मां के कपड़े में बदलते हुए देखा था ना ही अर्धनग्न अवस्था में और ना ही पूरी तरह से नंगी लेकिन आज उसके जीवन में अद्भुत होने जा रहा था जिसके लिए वह अपनी सांसों को थाम कर उस छोटे से छेद में नजर धशाएं खड़ा था,,,, मधु उसी तरह से ब्लाउज और पेटीकोट में ही हरिया के पास पहुंच गई और अपने कमर पर हाथ रखते हुए मुस्कुराते हुए बोली,,)
अपना तो खुद ही सोते हैं और ना ही मुझे सोने देते हैं आप जानते हैं दिन भर कितना काम लगा रहता है और आप हैं कि रात को सोने की जगह मेरी नींद हराम करके रखते हैं,,,
अरे मेरी रानी नींद तो मेरी हराम हो जाती है तुम्हारी खूबसूरती देखकर,,,, तीन तीन बच्चों की मां हो गई हो लेकिन अभी भी पूरी तरह से जवान लगती हो,,,
बाप रे ना जाने कब तुम्हारी प्यास बुझेगी,,,,
यह प्यास कभी नहीं बुझने वाली मेरी रानी,,,,,,(हरिया अपने लंड को हिलाते हुए बोला,,,,राजू अपने बाप की हरकत और उसकी बातों को सुनकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था उसे थोड़ा अजीब लग रहा था लेकिन ना जाने क्यों इस दृश्य में इस वार्तालाप में एक आकर्षण था जिसके प्रति व खींचता चला जा रहा था अपने पिताजी को इस हालत में देखना उसके लिए गवारा नहीं था लेकिन वह चाह कर भी अपने आप को नहीं रोक पा रहा था वह साफ तौर पर देख पा रहा था कि उसके पिताजी खटिया पर निश्चिंत नंगा होकर अपने लंड को हिलाते हुए लेटे हुए थे और उसकी मां सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट नहीं उसके पास में खड़ी थी उसके लंबे घने बाल उसके नितंबों तक आ रहे थे उसकी बलखाती कमर एक नया ही राजू के जीवन में प्रकरण की शुरुआत कर रही थी अपनी मां का मांसल खूबसूरत बदन के प्रति राजू का आकर्षण बढ़ता जा रहा था हालांकि आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ था वह अपनी मां को इस नजरों से कभी नहीं देखा था लेकिन,,, कमला चाची की बदौलत उसकी सोच और नजरों में बदलाव आ गया था,,,,,,, राजू की मां राजू के पिताजी के पास में खड़ी होकर अठखेलियां करते हुए हल्के हल्के अपने बदन को हीला रही थी जिसकी वजह से उसकी चूड़ियों की खनक वातावरण में मादकता फैला रही थी,,,, राजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,, राजू के अंतर्मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी वह जानता था कि अपनी मां और पिताजी को इस हालत में देखना अच्छी बात नहीं है और वह वहां से हट जाना चाहता था उस नजारे को देखना नहीं चाहता था लेकिन फिर भी जवानी के जिस दौर से वह गुजर रहा था उस दौर में सोचने समझने की शक्ति इस शारीरिक आकर्षण के मामले में छीण हो जाती है,,, इसलिए वह सही बुरे का फैसला नहीं कर पा रहा था बस उस नजारे को देखकर जाना था वह देखना चाहता था कि आगे क्या होता है,,,)
अरे खड़ी ही रहोगी या कपड़े उतार कर आओगी,,,।
(अपने पिताजी की यह बात सुनते ही राजू के तन बदन में मदहोशी का रस घुलने लगा क्योंकि सीधे-सीधे उसके पिताजी उसकी मां को कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए कह रहे थे और राजू आंखें फाड़े उस दृश्य को देख रहा था,,, वह जानता था कि उसके पिताजी की आज्ञा पाकर उसकी मां अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाएगी और राजू यही देखना चाहता था कि बिना कपड़ों की उसकी मां कैसी दिखती है,,,। अपने पिताजी की बातें सुनकर राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह जानता था कि अगर उसकी मां उसके पिताजी की बात मानेगी तो अकेले पाए उसकी मां उसे बिना कपड़ों के देखने को मिलेगी,,,, यह पल उसके लिए अद्भुत था ,,। उसके बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,,, वह बार-बार खटिया पर सोई हुई अपनी बुआ की तरफ देख ले रहा था,,,,वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि दीवार में बने उस छोटे से छेद से उसे इतना बेहतरीन खूबसूरत मादक दृश्य देखने को मिलेगा,,,, उसकी मां अभी भी कमर पर हाथ रखे खटिया पर लेटे उसके पिताजी को देख रही थी और मुस्कुरा रही थी,,, मुस्कुराते हुए राजू को अपनी मां बेहद खूबसूरत लग रही थी और उसके पिताजी हाथ में अपने खड़े लंड को पकड़े हीला रहे थे,,,, बार-बार मधु की नजर अपने पति के लंड पर चली जा रही थी जो कि राजू को साफ तौर पर नजर आ रहा था,,,,,,)
अब मुस्कुराती ही रहोगी कि अपने कपड़े भी उतारोगी,,,,
नहीं आज मैं कपड़े नहीं उतारूंगी,,, आज ऐसे ही कर लो,,,
(अपने मां के मुंह से ऐसे ही कर लो शब्द सुनकर उसका दिमाग झन्ना गया ऐसे ही कर लो का मतलब वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां उसे चोदने के लिए बोल रही थी वह अपनी मां के मुंह से इस तरह की अश्लील शब्दों को कभी सुना नहीं था इसलिए पहली बार इस तरह के शब्दों को सुनकर वह हैरान भी था लेकिन कामुकता के मदहोशी भरे इस पल को जी भी रहा था उसे ना जाने क्यों अपनी मां के मुंह से इस तरह के गंदे शब्द अच्छे लग रहे थे,,, लेकिन अपनी मां की बातों को सुनकर वह थोड़ा निराश हुआ क्योंकि उसकी मां कपड़े उतारने के लिए तैयार नहीं थी और अगर ऐसा होता तो राजू को अपनी मां का नंगा बदन देखने को नहीं मिलता और ऐसा वह नहीं चाहता था लेकिन अपने मन में आए इस ख्याल से कि अपनी मां को नंगी देखें वह इस बात से उत्तेजित भी था और हैरान भी था क्योंकि वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपनी मां को नंगी देखने का ख्याल अपने मन में लाएगा लेकिन इस समय हालात बदलते हुए नजर आ रहे थे,,, वह सच में अपनी मां को न्गनावस्था में देखना चाहता था उसकी खूबसूरती को देखना चाहता था उसके बदन के बनावट को देखना चाहता था,,,,दो बार कमला चाची की जमकर चुदाई करने के बाद भी वह कमला चाची को संपूर्ण रूप से निर्वस्त्र नहीं देखा था एक औरत नंगी होने के बाद कैसी दिखती है यह उसके कल्पना के परे था लेकिन उनके नंगे कोमल अंगों को देखकरपर इस समय जिस तरह के हालात बन रहे थे उसे देखते हुए राजू अपने मन में यही चाहता था कि एक औरत के नंगे बदन को अपनी नजरों से देखें जो कि उस समय उसकी आंखों के सामने उसकी मां थी,,,,,, वह अपने मन में यही सब सोच रहा था कि तभी उसके पिताजी बोले,,,)
नहीं नहीं ऐसा मत करो मेरी रानी,,, तुम तो अच्छी तरह से जानते हो कि तुम्हें नंगी करके चोदने में जो मजा है वह मुझे सिर्फ साड़ी उठाकर चोदने में नहीं है,,,,,(हरिया एकदम मदहोश होता हुआ बोला,,, और राजू अपनी पिताजी की यह बात सुनकर एकदम मस्त हो गया क्योंकि आज तक उसने इतने अश्लील शब्दअपने घर के किसी भी सदस्य के मुंह से सुना नहीं था और आज तो उसके पिताजी लेकिन खुले शब्दों में उसकी मां को चोदने के लिए बोल रहे थे,,,राजू इस बात से और ज्यादा हैरान था कि उसकी मां को उसके पिताजी के कहे शब्दों उसकी बातों से कोई आपत्ति नहीं थी वह तो मुस्कुराए जा रही थी,,,,,)
लेकिन आज मेरा मन नहीं है जी,,,,,,,
ऐसे कैसे मन नहीं है मैं जानता हूं तुम्हारा भी मन कर रहा है बुर पानी छोड़ रही है और कह रही हो कि मेरा मन नहीं है,,,
(हरिया की बातें राजू के मन पर अपना कह रहा असर छोड़ रही थी अपनी मां के बारे में इस तरह की गंदी बातें सुनकर उसे गुस्सा नहीं बल्कि ना जाने क्यों आनंद आ रहा था और वैसे भी उसकी मां को गंदी बात बोलने वाला कोई दूसरा नहीं उसके ही पिताजी थे इसलिए उसे कोई आपत्ति नहीं थी इसलिए तो उसे इस तरह की बातें सुनने में मजा आ रहा था,,,राजू की मदहोशी इस बात से और ज्यादा बढ़ गई थी कि उसके पिताजी खुला शब्दों में उसकी मां की बुर के बारे में बात कर रहे थे,,, इसलिए राजू की सांसे ऊपर नीचे हो रहे थे,,,,)
आपको कैसे मालूम कि मेरी बुर पानी छोड़ रही है,,,(मधु भी मुस्कुराते हुए बोली और राजुअपनी मां के मुंह से इस ताकि गंदी बातें सुनकर पूरी तरह से बावला हो गया था ,, पजामे में उसका लंड अकड़ने लगा,,, क्योंकि उसकी मां लाज शर्म छोड़कर एकदम खुले शब्दों में अपने अंग का नाम ले रही थी,,,)
राजू अपनी मां की मदमस्त चुचियों को देखकर मस्त हुआ जा रहा था
small crowd images
मुझे सब पता है मेरी रानी,,,, कहो तो पेटीकोट उठा कर दिखा दु,,,,,
नहीं नहीं रहने दीजिए वैसे भी उतारना ही पड़ेगा,,,,
यह हुई ना बात मेरी रानी है मुझे पूरा यकीन था कि तुम मेरी बात जरुर मानोगी मुझे निराश नहीं करोगी क्योंकि तुम भी यह बात अच्छी तरह से जानती हो कि नंगी करके चोदने में चुदवाने में जो मजा है वो किसी में नहीं,,,,
(एक एक शब्द राजू के कानों में मधुर और मादकता भरे रस को बोल रहे थे अपने पिताजी की बातें राजू की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ा रहे थे और उनकी बातों को सुनकर उसकी मां मुस्कुरा रही थी जिसका मतलब साफ था कि अब वह उसके पिताजी की बात मानते हुए अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जाएगी इस बात का एहसास राजू को होते ही वह ना चाहते हुए भी पजामे के ऊपर से अपने लंड को पकड़ लिया,,,,,)
आपकी बात तो माननी ही पड़ेगी,,,,( और इतना कहने के साथ ही खटिया के पास खड़ी होकर मधु अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी और हरिया अपना हाथ आगे बढ़ा कर पेटीकोट के ऊपर से ही अपनी बीवी मधु की गांड को पकड़ने लगा दबोचने लगा,,,,उत्तेजना की दृष्टि से राजू के लिए यह सब असहनीय होता जा रहा था क्योंकि उसका बदन उत्तेजना की पराकाष्ठा को पार कर जा रहा था,,,, वह दीवार में बने छोटे से छेद के जरिए बगल वाले कमरे की एक नई दुनिया को झांक रहा था जो कि अब तक उसकी आंखों से और उसकी सोच से बिल्कुल अनजान था,,,। राजू ने कभी भी अपनी मां के बारे में इस तरह की कल्पना नहीं किया था अपनी मां के बारे में ही क्यों उसने तो किसी के बारे में भी इस तरह की कल्पना नहीं किया था,,,, वह अब तक अपनी मां को एक साथ ही रूप में ही देखता रहा था जो कि उसके लिए एक आदर्श थी आदर्श तो अभी भी थी लेकिन उसका दूसरा पहलू उसे आज नजर आ रहा था,,,,, राजू साफ तौर पर देख पा रहा था कि उसके पिताजी उसकी मां की गांड से पेटिकोट के ऊपर से ही खेल रहे थे,,।
जोकि राजू को अपने पिताजी की यह हरकत बेहद मदहोश कर देने वाली लग रही थी,,, राजू की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी देखते ही देखते मधु एक-एक करके अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी और बटन के खुलते ही राज्य की आंखों के सामने बेहद खूबसूरत नजारा नजर आने लगा राजू अपनी मां की गोल-गोल खरबूजे जैसी चुचियों को देखकर मस्त हो गया,,,, उसने अभी तक किसी औरत की चूचियों को संपूर्ण रुप से नग्न अवस्था में नहीं देखा था आज पहली बार वह अपनी मां की सूचियों को और वह भी एक दम नंगी देख रहा था,,,। मधु अपने ब्लाउज को अपनी बाहों में से निकालते हुए बोली,,,।
अब तो खुश है ना जी,,,,,
अरे मेरी रानी यही अदा तो मुझे मार देती है तुम्हारी चुचियां देखे बिना तू मेरा दिन नहीं गुजरता,,,,(हरिया की बात सुनकर मधु मंद मंद मुस्कुरा रही थी अपने पति के मुंह से अपनी और अपने बदन की खूबसूरती की प्रशंसा सुनकर मधु और ज्यादा प्रसन्न हुए जा रही थी,,,भले ही वह कपड़े उतारने में आनाकानी कर रही थी लेकिन यह बात वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसे भी सारे कपड़े उतारने के बाद ही मजा आता था राजू के तो दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी कमर से ऊपर उसकी मां पूरी तरह से नंगी थी उसकी गोल-गोल बड़ी-बड़ी चूचियां दशहरी आम की तरह छातियों पर लहलहा रही थी,,, जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था राजू ने अब तक किसी और अतिथियों को देखा नहीं था इसलिए किसी दूसरी औरतों की चुचियों से उसकी मां की सूचियों की तुलना करना उसके लिए मुश्किल था लेकिन फिर भी वह इतना तो समझ गया था कि चुचियां कितनी खूबसूरत होती है,,,,राजू अपने दिल की धड़कन पर काम करने की भरपूर कोशिश कर रहा था लेकिन बगल के कमरे का नजारा इतना गरमा गरम झांकी वहां चाह कर भी अपने आप पर अंकुश नहीं रख पा रहा था,,,, गहरी रात में कमरे के अंदर इस तरह का दृश्य नजर आता है इस बारे में राजु को मालूम ही नहीं था वह तो बस इतना ही जानता था कि रात को सोया जाता है,,, लेकिन आज अपनी आंखों से दुनिया की ओर रिश्तो के बीच की सच्चाई को देख रहा था और समझ रहा था,,,,,,, राजू को एक औरत की खूबसूरती की व्याख्या मालूम नहीं थी,,,। लेकिन इतना जरूर समझ रहा था कि उसकी मां बहुत खूबसूरत है जो कि उसे अपनी आंखों से दिखाई दे रहा था छातियों की शोभा बढ़ा रहे उसकी कर तुमसे जैसी सूचियां और एकदम दशहरी आम की तरह तनी हुई और उस पर किसमिस के दाने की तरह तनी हुई निप्पल को देख कर राजू के मुंह में पानी आ रहा था,,,, मधु एकदम गोरी थी इसलिए इसके गोरे बदन पर उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियां और ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,,,,,,, राजू की हालत तो वैसे ही खराब भी जा रही थी लेकिन उसकी मां की हरकत को देखकर राजू के तन बदन में उत्तेजना के शोले भड़कने लगे,,, क्योंकि उसकी मां अपने दोनों चुचियों को हर बच्चे की तरह नीचे से अपने हथेली में भरकर उसे ऊपर की तरफ उठाते हुए हल्के हल्के दबाने लगी,,, यह देख कर राजू के पिता जी बोले,,,,।
यह सब तुम मुझ पर छोड़ दो रानी,,,, और आओ मेरे पास इतना कहने के साथ ही राजू के पिताजी एक हाथ आगे बढ़ाकर उसकी मां की पेटीकोट की डोरी को खींच लिया और पेटीकोट की डोरी खींचते हैं वह एकदम से ढीली हो गई और तुरंत राजू के पिताजी डोरी को अपने हाथों से छोड़ दिया और डोरी के छोड़ते ही पेटीकोट भरभरा कर नीचे उसके कदमों में गिर गई,,,, और अगले ही पल राजू की आंखों के सामने उसकी मां एकदम नंगी हो गई ,,, राजू की आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि उसकी आंखों के सामने पहली बार उसकी मां पूरी तरह से महंगी हुई थी जो कि उसके पिताजी ने अपने हाथों से किया था अपने मा बाप की कामुक हरकत को वह पहली बार अपनी आंखों से देख रहा था उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था,,,। वह बार-बार अपनी आंखों को मल कर अपने आप को तसल्ली दी रहना चाहता था कि वह वाकई में अपनी आंखों से देख रहा है या उसका कोई सपना या कल्पना है,,,, लेकिन जो कुछ भी वह अपनी आंखों से देख रहा था वह शत प्रतिशत सत्य था जिसमें चेहरा भी मिलावट नहीं था उसकी आंखों के सामने बगल वाले कमरे में उसके पिताजी के साथ-साथ उसकी मां पूरी तरह से नंगी थी,,,,
राजू अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी मां नंगी होने के बाद और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा उसकी आंखों के सामने खड़ी हो गोरा रंग बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियां छातियों की शोभा बढ़ाती हुई,,,, मांसल चिकना पेट उसने कमर की तरफ हल्का सा कटाव जो कि उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहा था केले के तने के समान मोटी मोटी चिकनी जांघें जिस को देखकर ऋषि मुनि का भी तप भंग हो जाए,,,,,,, राजूका मन अपनी खूबसूरत मां की खूबसूरत गांड देखने को कर रहा था उसे पूरा विश्वास था कि इतनी खूबसूरत उसकी मां है उससे भी कई ज्यादा खूबसूरत उसकी गांड होगी,,,, और इसीलिए अपनी मां की गांड देखने के लिए होना चाह रहा था लेकिन उसकी मां एक ही तरफ से उसे नजर आ रही थी,,,। इसलिए ना तो उसे उसकी मां की गांड दिख रही थी ना ही उसकी मां की बुर देख रही थी जो कि दोनों को देखने की तमन्ना उसके मन में प्रज्वलित हो रही थी,,,,, राजू का यही सोचना था कि उसके पिता जी बोले,,,।
अरे मेरी रानी,,, खड़े-खड़े अपनी गांड तो दिखाओ सच कहता हूं तुम्हारी गांड देखकर गांव वालों का लंड खड़ा हो जाता होगा,,,,
धत्,,,, कैसी बातें कर रहे हो जी मैं गांव वालों के लिए थोड़ी हूं तुम्हारे लिए हुं,,,,
वह तो तुम मेरे लिए ही हो लेकिन मैं अपने मन की बात बता रहा था जो कि सच है,,,,
गांव वाले मेरे बारे में क्या सोचते हैं इसका मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता,,,,
इसमें तुम्हारा कसूर नहीं है रानी तुम्हारे बदन की ओर से मारी गांड की बनावट ही कुछ ऐसी है कि ना चाहते हुए भी उस पर नजर चली जाती ही जाती है,,,।
(राजू अपने पिताजी के मुंह से अपनी मां के लिए ऐसी बात सुनकर एकदम दंग हो गया था उसे तुरंत अपने दोस्त से आम की बात याद आने लगी तो उस दिन उसकी मां और बुआ के बारे में गंदी गंदी बातें कर रहा था तो वह अपने मन में यही सोचने लगा कि क्या वह सच बोल रहा था क्या गांव के लड़के गांव के मर्द उसकी मां और बुआ को देखकर यही सोचते हैं,,, अपने पिताजी की इस बात पर राजु का दिल और ज्यादा धड़कने लगा,,,कमला चाची को चोदने के बाद उसे चोदने के अर्थ को बची तरह से समझ गया था इसीलिए वह अपने-अपने सोचने लगा कि गांव के लड़के उसके दोस्त क्या उसकी मां को चोदने का सपना देखते हैं उसके पिताजी की मानें तो यह बात सनातन सत्य थी अब उसे इस बात का एहसास होने लगा था कि उसकी बुआ और उसकी मां पर है खूबसूरत औरत है अपनी मां के बदन की बनावट को देखकर राजु अब समझने लगा था कि वाकई में उसकी मां और बुआ को देख कर सबका मन चोदने को करते हो ना इस बात का ख्याल मन नहीं आते ही उसे इस ख्याल से गुस्सा भी आ रहा था लेकिन ना जाने क्यों ईस बात से उसकी उत्तेजना भी बढ रही थी,,,। राजू बड़ी शिद्दत से दीवार के उस छोटे से छेद से बगल वाले कमरे में अपने पिताजी और अपनी मां की काम लीला को अपनी आंखों से देख रहा था,,,लेकिन बार-बार अपनी बुआ पर भी नजर मार ले रहा था कि कहीं वह जागना जाए लेकिन एक बात उसके जेहन में पूरी तरह से बैठ गई थी कि उस दिन उसकी बुआ उसे झूठ बोली थी कि छिपकली को भगा रही है वह भी इसी छेद से उसकी मां और उसके पिताजी की चुदाई देखती है,,,, यह ख्याल मन में आते ही उत्तेजना के मारे राजू को अपने लंड में दर्द महसूस होने लगा,,,।
अरे दिखाओ भी,,,
क्या करते हो मुन्ना के बाबु तीन -तीन बच्चों के बाप हो गए हैं लेकिन फिर भी ऐसी हरकत करते हो जैसे कि मैं पहली बार तुम्हारी आंखों के सामने आई हूं,,,
सच कह रही हो मधुरानी ईतने बरस हो गए लेकिन आज भी ऐसा लग रहा है कि आज हमारी सुहागरात है,,,।
(सुहागरात का जिक्र होते ही मधु एकदम से शर्मा गई,,,)
एक बार घूम जाओ मुझे तुम्हारी गांड देखना है,,,,
(राजू के पिताजी अपने खडे लंड को हिलाते हुए बोले,,,, राजू की हालत खराब हो रही थी उसके पिताजी खुले शब्दों में उसकी मां को अपनी गांड दिखाने को बोल रहे थे पल भर में ही राजू का अपनी मां को देखने का नजरिया बदल गया था,,, अपनी मां और पिताजी के मुंह से गंदे गंदे शब्दों को सुनकर और उनकी गंदी हरकतों की बदौलत राजू के तन बदन में मदहोशी का नशा छाने लगा था इसलिए वह बगल वाले कमरे में खड़ी उसकी मां को एक औरत के नजरिए से देख रहा था उसके खूबसूरत अंगों को देखकर मस्त हो रहा था,,, राजू का लंड पजामे के अंदर गदर मचाया हुआ था,,, इस उत्तेजनात्मक स्थिति मेंराजू को वह पहले आधा रहा था जब वह अपना मोटा तगड़ा लेने कमला चाची की बुर में डालकर अंदर बाहर कर रहा था राजू के इस बात का एहसास होने लगा कि बदन की गर्मी को शांत करने का यही एक तरीका है और इस समय उसे खुद चोदने का बहुत मन कर रहा था पल भर में उसके मन में यह ख्याल आया कि काश बगल वाले कमरे में उसके पिताजी की जगह वह होता तो कितना मजा आता,,,, यह ख्याल मन में आते ही राजू कीउत्तेजना परम शिखर पर पहुंच गई लेकिन इतनी गंदे ख्याल की बदौलत उसे अपने आप पर गुस्सा भी आ रहा था लेकिन वह अपने आप पर अंकुश कसने में नाकामयाब साबित हो रहा था क्योंकि इस तरह के गंदे ख्याल के कारण उसके तन बदन में मस्ती की लहर दौड़ रही थी,,,, उसके पिताजी उसकी मां को गांड दिखाने के लिए कह रहे थे और उसकी मां शर्मा रही थी,,,उसके पिताजी के इस प्रस्ताव पर राजू खुद सहमत था क्योंकि उसके पिताजी जितना उत्सुक थे उसकी मां की गांड देखने के लिए उससे कहीं ज्यादा उत्सुक राजू था अपनी मां की गांड के दर्शन करने के लिए,,,,।
क्रमशः,,,,,
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