मधु का काम में मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था,,, जो कुछ भी हुआ था उसका अंदाजा भी मधु को बिल्कुल भी नहीं था अनजाने में ही आज उसने अपने आपको अपने ही बेटे के द्वारा उत्तेजना अवस्था में पाकर शर्म से पानी पानी हो रही थी उसे यकीन नहीं हो पा रहा था कि कुछ देर पहले जो कुछ भी हुआ था वह हकीकत था या एक सपना था,,,। घर का काम करते हुए भी उसके दिल की धड़कन उस पल को याद करके बढ जा रही थी,,,, बाल्टी से रस्सी को खोलते हुए तिरछी नजरों से उसने अपने बेटे के पजामे में बने तंबू को नजर भर कर देख ली थी,,, और उस तंबू को देखकर आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था,,,उसे अपनी नजरों पर भरोसा नहीं हो रहा था अपने मन में सोच रही थी कि इतना बड़ा कैसे हो सकता है क्योंकि वह आज तक अपने पति के ही लंड से भलीभांति परिचित थी और जिस तरह का तंबू उसने अपने बेटे के पजामे में देखी थी उससे उसे पूरा यकीन था कि,,, उसकी लंबाई एक लंबे खीरे की तरह ही होगा वह अपने मन में यह सब सोचती भी थी लेकिन उस पर यकीन कर पाना उसके लिए मुश्किल हुआ जा रहा था,,,, अनजाने में ही अपने बेटे के लंड की तुलना अपने पति से करने के बाद ही उसके मन में यह ख्याल आया कि जब उसके पति का लंड उसकी बुर में इतना खलबली मचाता है अगर उसके बेटे का लंड उसकी बुर में घुस जाएगा तो क्या हाल करेगा,,,,,,,यह ख्याल उसके मन में अनायास ही आया था लेकिन इस ख्याल के मन में आते हैं उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल सी मचने लगी उसकी बुर उत्तेजना के मारे फुदकने लगी,,,,,,,
अपने बेटे के साथ अनायास ही आए संभोग की कल्पना से वह एकदम से शर्मसार हो उठी,,,, उसे अपने इस कल्पना पर शर्मिंदगी का अहसास होने लगा अपनी बेटी के साथ चुदाई करवाने के ख्याल से ही वह अपने हाथ को शर्म के मारे धिक्कारने लगी और जैसे-तैसे वह अपने मन को मना कर अपने काम में लग गई,,,,।
दूसरी तरफ राजू की हालत एकदम खराब थी,,,, चोरी छिपेअपनी मां के नंगे भजन और उसकी जबरदस्त चुदाई को देखकर वह अपनी मां के बारे में गंदी-गंदी कल्पना ही करने लगा था अपनी मां को वह अपनी मां की नजर से नहीं बल्कि एक औरत की नजर से देखने लगा था उसके अंगों को उसके कोमल बदन को देख कर वह उत्तेजना महसूस करने लगा था,,,अपनी मां के बदन को स्पर्श करने की इच्छा उसकी तिरु होने लगी थी लेकिन अनायास ही कुए पर अपनी मां के पिछवाड़े पर अपने लंड का स्पर्श महसूस करके वह पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो गया था,,,। अपनी मां के गोलाकार भारी-भरकम नितंबों का स्पर्श उसे इतना उत्तेजना देगा ईस बारे में उसे एहसास भी नहीं था,,,,, कुएं में से बाल्टी को खींचते समय राजू पजामे में ही सही अपने लंड को अपनी मां की गांड के दरार के बीचो बीच डाल दिया था साड़ी के ऊपर से ही सही लेकिन उसे यह पल बेहद आनंददायक प्रतीत हुआ था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसने यह पराक्रम कर दिया है उस समय वह इतना ज्यादा उत्तेजित था कि उसका मन कर रहा था कि अपनी मां की सारी उठाकर अपने लंड को उसकी बुर में डाल दें जिस तरह से वह कमला चाची की बुर में डालकर पहली बार संभोग के प्रकरण की शुरुआत किया था,,,,,,पहली बार उसे कुए से बाल्टी को खींचने में इतना आनंद आया था और यह कार्य वह पहली बार ही कर रहा था लेकिन इस बात क्या उसे डर भी था कि उसकी हरकत कहीं उसकी मां को पता ना चल गया हो लेकिन अपने मम्मी सोचेंगे क्योंकि जो कुछ भी हुआ था अनजाने में हुआ था शायद बाल्टी को खींचते समय उसकी मां ने इस बात पर ध्यान नहीं देते वरना जरूर उसे डांट लगाती,,,,,,
इस बारे में सोच कर राजू इतना ज्यादा उत्तेजित था कि,,, वह खेत में पहुंचकर पेशाब करने के लिए अपने लंड को बाहर निकाल दिया था उत्तेजना के मारे उसे ऐसा ही लग रहा था कि उसे जोरों की पेशाब लगी है,,, लेकिन उसे ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, इसलिए वह अपनी मां के पिछवाड़े को याद करके अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया था,,,,पेशाब तो वह नहीं कर रहा था लेकिन अपनी मां के ख्यालों में खो कर वो अपने लंड को धीरे धीरे से लाते हुए जोर-जोर से अपनी मुट्ठी में लेकर हिलाना शुरू कर दिया था अनायास ही मुठ मारना शुरू कर दिया ना और उसके ख्यालों में खुद उसकी मां थी जिसे वह अपने पिताजी के साथ नग्न अवस्था में देखकर उसके बारे में गंदे विचारों को जन्म देने लगा था और इस समय भी उसके दिमाग में उसकी मां के प्रति गंदे विचार ही पैदा हो रहे थे वह अपने लंड को हिलाते हुए,,, कल्पना कर रहा था कि जैसे वह अपनी मां की साड़ी को अपने हाथों से कमर तक उठाकर उसकी नंगी गांड को दोनों हाथों में भरकर जोर जोर से दबा रहा है इस तरह का ख्याल मन में लाते ही उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी और कल्पना में उसकी हरकतों से उसकी मां और ज्यादा मदहोश हुए जा रही है,,,,,,वह अपने हाथों से अपनी मां की गांड को जोर जोर से मसल कर उसे उत्तेजित कर रहा था और कल्पना में उसकी मां अत्यधिक उत्तेजना वश अपना हाथ पीछे की तरफ लाकर पजामे में से,,, उसके लंड को बाहर निकालकर हीलाना शुरू कर दी और अपनी गांड के बीचो-बीच लगाते हुए अपने बेटे को आज्ञा देते हुए बोली,,,।
डाल दे बेटा अपने लंड को डाल दे अपने लंड को मेरी बुर में और जोर जोर से चोद,,,।
कल्पना में अपनी मां की मदहोशी और उसकी इस तरह की बातों को सुनकर राजू पूरी तरह से मंत्रमुग्ध होकर अपनी मां की जवानी के आकर्षण में पूरी तरह से खो गया और जोर-जोर से मुठ मारना शुरू कर दिया अपनी मां की आज्ञा पाकर कल्पना में ही वह कल्पनातीत हो कर,,, अपने लंड को अपनी मां की पनीयाई बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया उसकी आंखें बंद थी उसकी कल्पना बहुत ही जबरजस्ती कल्पना मैं भी उसे हकीकत का परिचय हो रहा था बहुत जोर जोर से अपने लंड को हिलाते हुए आखिरकार,,, पिघल गया उसकी जिंदगी का यह पहला हस्तमैथुन था जिसे वह अनायास ही अनजाने में प्राप्त कर चुका था इस क्रिया को करने में उसे अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव और संतुष्टि प्राप्त हो रही थी लेकिन जब उसे यह एहसास हुआ कि यह तो मात्र उसका ख्याल है तो वह यह सोचने लगा कि,,, जब कल्पना में उसे अपनी मां के साथ इतना मजा मिला तो वास्तविक संभोग में उसे अपनी मां के साथ कीतना सुख मिलेगा,,,। इस बारे में सोचते ही उसके होठों पर मुस्कान करने लगी,,,।
Kamlaa chachi ki gaand
दूसरी तरफ लाला की बहन सोनी पूरी तरह से काम विह्वल थी,,, जब से उसने राजू के लंड के दर्शन की थी तब से उसकी हालत खराब थीबार-बार उसकी आंखों के सामने राजु का लंड आसमान की तरफ मुंह उठाए खड़ा नजर आता था,,,,,। जब से उसने राजू के लंड को देखी थी तब से उसे अपनी बुर के अंदर लेने की लालसा बढ़ती जा रही थी,,,,, वो राजू से मुलाकात करना चाहती थी लेकिन कैसे उसे समझ में नहीं आ रहा था तभी उसे इस बारे में ख्याल आया कि वह बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देती है जिससे उन लोगों का भला होता है और उसका समय भी व्यतीत हो जाता है,,, वह अपने मन में सोचने लगी कि क्यों ना राजू को भी पढ़ाया जाए जिससे उसे भी कुछ सीखने को मिलेगा और इस तरह से वह उसे प्राप्त भी कर लेगी सोनी को अपनी यह युक्ति बेहद कारगर लगने लगी वह जल्द से जल्द गांव में जाकर राजू से उसके घर आकर पढ़ने के लिए बोलने के लिए व्याकुल हो गई,,,,,,।
बा राजू के बारे में सोचते हुए अपने भाई लाला को खाना परोस रही थी लाला पालथी मारकर बैठा हुआ था जब सोनी खाना परोस दि तो लाला बोला,,,।
सोनी आज तुमने दूध नहीं टी,,,
नहीं भैया वो क्या है ना कि बिल्ली ने दूध को जूठा कर दिया था इसलिए आज दूध पीने के लिए नहीं है,,,।
बिना दूध के मेरा काम कैसे चलेगा तुम तो जानती हो खाना खाने के तुरंत बाद मुझे एक गिलास दूध पीने की आदत है,,,।(लाला अपनी बहन की बड़ी बड़ी छातियों की तरफ देखते हुए बोला सोनी अपने भाई के नजरिए को अच्छी तरह से समझती थी उसके नजरिए को देखकर उसके होठों पर मुस्कान तेरने लगी और वह बोली,,,)
Soni iki garayyi jawani
चिंता क्यों करते हो भैया मैं हूं ना आज गाय का दूध नहीं मिला तो क्या हुआ मेरा दूध पी कर काम चला लेना ,,(और इतना कहने के साथ ही सोनी अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी अपनी छोटी बहन की यह अदा देखकर लाला का लंड तुरंत हरकत में आ गया,,, और वह अपने फटी आंखों से अपनी बहन की मद मस्त जवानी को देखने लगा अगले ही पल सैनिक अपनी ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अपना मदमस्त कर देने वाली पपाया जैसे चुचियों को अपने भाई के आगे परोस दी और लाला अपनी बहन की चूची को देखकर एक पल भी ठहर नहीं पाया और अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसकी चूची को दशहरी आम की तरफ थाम लिया,,, सोनी उत्तेजना के मारे एकदम गनगना गई,,,
Soni is tarah se apne bhai ko apni chuchiya dikhate huye boli
सोनी अपने भाई के कमजोरी को अच्छी तरह से जानती थी वह जानती थी कि औरत का नंगा बदन उसके भाई की सबसे बड़ी कमजोरी है और इसी कमजोरी के चलते वह अपने भाई के घर में रानी की तरह जिंदगी गुजारतई थी जो चाहती थी वह उसे मिलता था,,,,,, सोनी पहले से ही एक कामुक औरत थी,,,अपने शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक चली जाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ दी थी पति के देहांत के बाद उधर शरीर सुख से वंचित हो गई थी इसीलिए अपने भाई के घर आई थी और उसका भाई उसकी कमजोरी का भरपूर फायदा उठाता था,,,
अपनी बहन की बड़ी बड़ी चूची हो कौन जोर-जोर से दबाते हुए बोला,,,।
आज तो मैं भोजन करने से पहले ही दूध पीना चाहता हूं,,,
क्या भैया मैं भागी थोडी जा रही हुं,,,,( सोनी अपनी दोनों चुचियों पत्नी दोनों हाथों में भरते हुए बोली,,, अपने बड़े भाई को ललचा रही थी यह देखकर लाला के मुंह में पानी आ रहा था साथ ही धोती में खलबली मचने लगी थी,,,)
तुम भागी नहीं जा रही हो सोनी लेकिन तुम्हारी चूची मेरी भूख को और ज्यादा बढ़ा रही है,,,।(इतना कहने के साथ ही लाला अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बहन की चूची को दोनों हाथों में थाम लिया सोनी समझ गई थी कि उसके भाई को किसी और चीज़ की भूख लग गई है इसलिए वह अपने भाई को थोड़ा और तड़पाते हुए बोली,,)
छोड़ो ना भैया खाना खाने के बाद ही मिलेगी,,,,(ऐसा कहते हुए सोनी थोड़ा पीछे हो गई,,, लाला की भूख और तड़प दोनों बढ़ती जा रही थी,,,,,)
नहीं सोनी तुम्हारी चूची देखकर मुझे मेरी भुख बरदाश नहीं हो रही है,,,,,,(और इतना कहते हुएलाला भोजन की थाली को एक तरफ करके घुटनों के बल चलते हो आगे भरा और अपनी बहन सोनी को बाहों में भर लिया और,, और उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर चूमना शुरू कर दिया,,, लाला ऐसा ही था अपनी बहन की मदमस्त जवानी देख कर वह पूरी तरह से निहाल हो चुका था,,, वह अपनी बहन सोनी को नीचे जमीन पर पीठ के बल लिटा दिया और तुरंत अपने होठों को उसके होठों पर से हटा कर उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथों में पकड़ कर बारी-बारी से मुंह लगाकर पीना शुरू कर दिया,,, लाला के लिए उसकी बहन सोनी की चूचियां दशहरी आम से कम नहीं थी वह अपनी बहन की चूची को बड़े शिद्दत से पीता था उसे अपनी बहन की चूचियां बेहद आकर्षक लगती थी ऐसा नहीं था कि विधवा होने के बाद ही वह अपनी बहन के साथ शारीरिक संबंध बनाना शुरू कर दिया था उसका उसके बहन के प्रति पहले से ही आकर्षण था और पहले से ही वह अपनी बहन के साथ शारीरिक संबंध बना चुका था लेकिन उसकी जिंदगी में उसकी बहन हमेशा के लिए आ जाएगी इस बारे में उसे बिल्कुल भी एहसास नहीं था,, अगर उसकी बहन ना होती तो वह अपनी जिंदगी अकेले ही गुजार रहा होता,,,,।
आहहह भैया धीरे से दांत क्यों गड़ा रहे हो,,,,आहहहहहह,,,,,,,
क्या करूं रानी मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है,,,
रोज तो मुंह लगाकर पीते हो फिर भी ईसकी प्यास तुम्हें इतनी क्यों है,,,,!
चूची की कदर शायद एक औरत से ज्यादा एक मर्द को होती है तुम नहीं जानती सोनी मर्द की जिंदगी में औरत की चूची कितना मायने रखती है,,,, बड़ी बड़ी चूची को देखते ही आदमी का लंड खराब हो जाता है,,,,,,।
तुम भी ना भैया एकदम शरारती हो गए हो,,,,,,,
तुम चीज ही ऐसी हो कि शरारती बनना पड़ता है,,,।
अब क्या करें भगवान ने मुझे बनाया ही ऐसा है कि तुम मेरी खूबसूरत बदन के दीवाने हो गए हो,,,,
(अपनी बहन की बात सुनते ही लाला जोर-जोर से उसकी चूची को पीना शुरू कर दिया सोनी को भी बहुत मजा आता था अपने भाई से इस तरह से चूची चुसवाते हुए,,,।
आहहहहह,,,, क्या भैया तुम तो खाना खाते-खाते मेरा दूध पीने लगे,,,, देखना कहीं दरवाजा ना खुला छोड़ दिया हो वरना उस दिन की तरह कोई आ गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे,,,,।
अरे कुछ नहीं होगा मेरी जान आज दरवाजा बंद है,,,,
उस दिन उस हरिया ने मुझे पहचाना तो नहीं था ना,,,
नहीं नहीं बिल्कुल नहीं अगर पहचाना होता तो शायद अब तक गांव में खुशर फुसर होना शुरू हो जाता,,,, वह तो अच्छा हुआ कि तुम्हारे लंबे बालों में तुम्हें पहचानने नहीं दिया,,,, वरना सच में अनर्थ हो जाता,,,,।(ऐसा कहते हुए लाला अपनी बहन की साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,,)
क्या भैया पहले खाना तो खा लो,,,,
खाना बाद में खा लूंगा पहले स्वादिष्ट पकवान तो खा लेने दो,,,, भला ईस पकवान के आगे कोई यह भोजन क्यों करें,,,(ऐसा कहते हो मिला ना अपनी बहन की शादी पूरी तरह से कमर तक उठा दिया कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगी हो गई उसकी गुलाबी बुर को देखकर उसका लंड एकदम ताव में आ गया,,, सोनी को अपने भाई की बातें बड़ी अच्छी लग रही थी,,,,,ऐसा नहीं था कि वह अपने भाई का सिर्फ मन बहलाने के लिए उसका साथ दे रही थी उसकी भाई की हरकत की वजह से उसे भी आनंद आ रहा था,,,, लाला से रहा नहीं जा रहा था और वह तुरंत अपनी धोती को उतार फेंका वह कमर के नीचे पूरी तरह से नंगा हो गया उसका खडा लंड देखकर सोनी की बुर पानी छोड़ने लगी,,,, लेकिन इस समय अपने भाई के लंड को देखकर सोने के मन में राजू के लंड की कल्पना होने लगी अपने मन में सोचने लगी कि काश उसके भाई की जगह वह लड़का होता तो कितना मजा आता ,,,, लाला आनन-फानन में अपनी बहन की दोनों टांगों को चौड़ी करके अपने लिए जगह बना लिया और सोनी इसी मौके की तलाश में थी उसका भाई उसकी बुर में लंड डालता इससे पहले ही सोनी अपने भाई से बोली,,।
भैया में गांव में जाकर कुछ बच्चों को और पढ़ने के लिए बोलना चाहती हुं,,,,
गांव में लेकिन गांव में क्यों जाओगे किसी से खबर भेजवा देती तो ,,,,
नहीं भैया ऐसे मैं खुद जाकर बच्चों को पढ़ने के लिए बोलूंगी तो वो लोग जरूर आएंगे,,, तुम तो जानते हो मैं स्कूल में शिक्षिका बनना चाहती थी लेकिन मेरी पढ़ाई पूरी नहीं हो पाई और मैं गांव में रह गई इसीलिए मैं चाहती हूं कि यहां रह कर अपने शौक को पूरा कर सकु,,,।
Lala soni ki chudai ki taiyari karta hua
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(लाला यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बहन बेहद खूबसूरत है और कामुक भी,,, उसे अपनी बहन पर विश्वास नहीं था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि अगर उसकी बहन से भी शादी होती तो अपने बड़े भाई के साथ शारीरिक संबंध कभी नहीं बनाती और वहां इसीलिए गांव में नहीं जाने देना चाहता था क्योंकि गांव के आवारा लड़कों के संगत में अगर वह पड़ गई तो नाक कट जाती क्योंकि वह अपनी बहन के चरित्र को अच्छे से जानता था इसलिए गांव में जाने के लिए वह हमेशा मना करता था और उसकी बहन चाहती कि नहीं थी लेकिन राजू से मिलने उसे पढ़ने के लिए अपने घर बुलाने के लिए उसे गांव में जाना ही था और वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसका भाई उसे गांव में जाने के लिए कभी भी इजाजत नहीं देता लेकिन संभोग क्रिया स्त्री और पुरुष के बीच ऐसी क्रिया है कि कुछ भी चाय संभोग के समय पुरुष से मनवा लेती है,,,और इसीलिए सोनी अपने भाई को मनाने के लिए इसी समय का इंतजार कर रही थी कुछ देर सोचने के बाद लाला बोला,,,)
Laala apni bahan soni ki chudai karte huye
ठीक है चली जाना लेकिन बार-बार नहीं बस एक ही बार,,,
नहीं भैया बस एक ही बार कुछ बच्चों को पढ़ाने के लिए मनाना है ताकि वह लोग भी पढ़ लिख कर कुछ अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकें,,,,।
ठीक है मेरी जान बस अब कुछ मत बोलो,,,,(लाला को अपनी बहन की चुदाई करने का भुत सवार था और वह एक पल भी बिगाड़ना नहीं चाहता था क्योंकि उसके लंड से उसकी बहन की बुर की दूरी केवल 2 4 अंगुल ही रह गई थी,,, और उससे यह दूरी बर्दाश्त नहीं हुई थी इसलिए आनन-फानन वह अपनी बहन को गांव मे जाने की इजाजत दे दीया था,,, और अगले ही पल उसका लंड उसकी बहन की बुर की गहराई नापने लगा वह जोर-जोर से अपना कमर हिलाना शुरू कर दिया और सोनी गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकाल कर अपने भाई को और उकसाने लगी,,,,,,, थोड़ी ही देर में लाला की गर्मी शांत होगी तो वह अपनी बहन के ऊपर से उठ कर हांफते हुए बगल में बैठ गया और सोनी उठ कर बैठ गई और अपने ब्लाउज के बटन बंद करती हुए बोली,,,।
अब तो दूध नहीं चाहिए ना,,,,
अभी के लिए तो हो गया लेकिन रात के भोजन के समय भी दूध चाहिए,,,
(इतना सुनकर सोनी हंसने लगी,,,,,,, सोनी को इस बात की तसल्ली हो गई थी कि वह जल्द ही राजू से मिलेगी और उसे पढ़ने के लिए मना लेगी और उसके बाद वह अपने मन की कर सकती है,,,,।
रात गहराने लगी थी,,,, गुलाबी को अपने भैया भाभी की चुदाई का इंतजार था और यही नजारा देखने के लिए राजू भी तड़प रहा था,,,, दोनों खटिए पर एक साथ लेटे हुए थे,,, अपनी बुआ के बदन का स्पर्श राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर पैदा कर रहा था वह बात तो अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बुआ भी उसके पिताजी और उसकी मां की चुदाई देखकर गरम होती है,,,, राजू इस बात को सोचकर यह अनुमान लगाने लगा कि जिस तरह से अपनी मां और पिताजी की चुदाई देखकर उसके मन में यह भावना पैदा होती है कि आज उसके पिताजी की जगह हुआ होता तो उसकी मां को चोदने में उसे बहुत मजा आता तो क्या उसकी बुआ भी यही सोचती होगी कि उसकी भाभी की जगह वह होती तो उसके भैया से चुदवाने में बहुत मजा आता,,,,,, इस बात का अनुमान लगाते ही राजु का लंड खड़ा हो गया,,,।वह अपनी बुआ से इस बारे में बात करना चाहता था लेकिन उसे बात करने में डर लग रहा था उसे हराने जा रहा था आखिरकार वह अपनी बुआ से एक बहाने से बोला,,,।
बुआ क्या छिपकली उसी क्षेंद में से आती है मुझे छिपकली से बहुत डर लगता है,,,।
(छेद का जिक्र आते ही गुलाबी थोड़ा घबरा सी गई लेकिन फिर अपने आप को संभालते हुए बोली,,)
हां उसी जगह से आती है लेकिन डरने की जरूरत नहीं है मैं भगा दी हूं,,,।
मैं जाकर देखूं क्या हुआ कहीं उसी छेद में हुई तो,,,
नहीं नहीं देखने की जरूरत नहीं है अभी नहीं है,,,।
(गुलाबी यह बात अच्छी तरह से जानती थी किअगर राजू उज्जैन में देखने की कोशिश करेगा तो बगल वाले कमरे का दृश्य उसे जरूर दिखाई देगा और अगर इसमें कुछ हो रहा होगा उसके भैया और भाभी के बीच तो राजू देख लेगा और वह समझ जाएगा कि वह क्या देखती है,,,)
देखने तो दो बुआ,,, हुई तो मैं भगा दूंगा,,,
नहीं कोई जरूरत नहीं है तू सो जा,,,,
(गुलाबी मन ही मन में डर रही थी राजू की बात सुनकर उसे लगने लगा कि उसका काम बिगड़ रहा है जो नजारे को देखकर वह अपनी गर्मी को शांत करने की थी शायद अब राजू की वजह से उसे देखने में डर महसूस होने रहा था इसलिए एक बहाने से उसे सोने के लिए बोल कर दूसरी तरफ करवट लेकर सो गई लेकिन दूसरी तरफ करवट लेने के चक्कर में जैसे ही वो घुम कर दुसरी तरफ हुई वैसे ही राजू उसकी तरफ मुंह करके करवट ले लिया और अपना एक हाथ उसके ऊपर डालकर उसी से जानबूझकर चपकते हुए बोला,,,)
मुझे भी नींद आ रही है बुआ,,,,
(उसके इतना कहते ही गुलाबी को अपनी गांड पर कड़क चीज धंसती भी महसूस हुई वह पहले भी अपने भतीजे राजू के लंड को देख चुकी थी इसलिए उसे समझते देर नहीं लगी कि उसकी गांड पर क्या चुभ रहा है,,, पल भर में ही उसकी सांसे उपर नीचे हो गई,,,, राजू को भी इस बात का एहसास था कि उसका लंड उसकी बुआ की गांड पर रगड़ खा रहा है क्योंकि पहले भी बार इस अनुभव से गुजर चुका था और वह भी अपनी मां के साथ इसलिए उसे मजा आने लगा वह जानबूझकर सोने का नाटक करने लगा,,, गुलाबी की हालत खराब हो रही थी,,, कुछ कर सकने की हिम्मत उसमें बिल्कुल भी नहीं थी राजू को ही मजा आ रहा था वहीं से आगे बढ़ना चाहता था आप दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी लेकिन पहल करने से दोनों घबरा रहे थे,,, धीरे धीरे समय व्यतीत होने लगा राजू रह रह कर अपनी कमर को आगे की तरफ दबा दे रहा था जिससे गुलाबी को अपनी गांड की गहराई में राजू का लंड महसूस होने लगा था,,,, उसकी आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन वह जानबूझकर सोने का नाटक कर रही थी कुछ देर तक गुलाबी के बदन में कोई भी हरकत ना देख कर राजू को लगने लगा कि वह सो गई है,,,, इसलिए वह अपनी बुआ गुलाबी के साथ अपनी हरकत को बढ़ाना चाहता था,,,, वह गुलाबी कि नरम नरम गांड पर अपना हाथ रख कर उसे महसूस करना चाहता था,,,वह ऐसा करने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया ही था कि बगल वाले कमरे से गिलास गिरने की आवाज आई और वह रुक गया,,,,, उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी वह समझ गया कि बगल वाले कमरे में फिर से वही खेल शुरू हो गया है,,,,,,और वह फिर से उसी नजारे को देखने के लिए खटिया पर से उठ खड़ा हुआ और धीरे-धीरे अपने कदम उसे दीवार के छेद की तरफ बढ़ाने लगा गुलाबी जो कि सोई नहीं थी सिर्फ सोने का नाटक कर रही थी वह राजू की हर एक हरकत को चोरी-छिपे देख रही थी,,,।