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Incest बैलगाड़ी,,,,,

Groot 1

I am Groot.
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सोनी बला की खूबसूरत औरत थी,,, कामुकता उसके बदन के हर एक अंग से टपकती रहती थी,,, एकदम गोरी चिकनी मांसल देह वाली वतन का हर एक कटाव मर्दों के टांगों के बीच की हालत खराब कर दे इस तरह से बनी हुई थी,,, नितंबों का घेराव गजब का आकर्षण बांधा हुआ था,,, कसी हुई साड़ी में उसके गोलाकार नितंब बेहद आकर्षक लगते थे मानो के जैसे बड़े-बड़े तरबूज साड़ी के अंदर छुपा दिए गए हो,,,,,,,,,


लाला अपनी बहन की खूबसूरती को अच्छी तरह से जानता था इसलिए तो उसके मजबूरी का पूरा फायदा उठा रहा था और सोनी भी संस्कार वाली औरत नहीं थी,,,, उसके चरित्र में भी कामुकता झलकती थी मर्दों का आकर्षण उसे शुरू से रहा था,,,।,,,अब उसकी नजर राजू पर थी उसके मर्दाना अनु को देखकर वह पूरी तरह से उससे मिलने के लिए व्याकुल हो चुकी थी उसकी अनुभवी आंखें राजू के मर्दाना अंग को देखकर पहचान गई थी कि उसमें बहुत दम है और वह उस‌दम को अपनी बुर के अंदर महसूस करना चाहती थी,,, कौन सी प्रयास में लगी हुई थी कि उसे जोरों की पेशाब लग गई थी,,, पेशाब करने के लिए झाड़ियों के अंदर जाने लगी थी क्योंकि वह जानती थी कि सड़क पर पेशाब करने से किसी की भी नजर उस पर पड सकती थी,,,, उसकी सहेली शांति भी उसके साथ हो चली थी,,,।


झाड़ियों के बीच पहुंचकर एक अच्छी सी जगह देख कर सोनी पेशाब करने के लिए रुक गई अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर देखने लगी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है भले ही वह मर्दों के प्रति आकर्षित हो जाती थी संभोग सुख प्राप्त करने के लिए कुछ भी कर सकती थी लेकिन फिर भी उसकी एक मर्यादा थी,,,,वह जो कुछ भी करती थी दुनिया की नजर से बचकर करती थी किसी को कानों कान खबर नहीं होने देती थी,,,,,,, यही वजह थी कि आज तक किसी को कानों कान इस बात की भनक तक नहीं थी कि लाला की बहन चरित्र की गिरी हुई औरत है,,,,।
Madhu pani bharte huye


अच्छी सी जगह देखकर सोनी खड़ी हो गई थी वह पेशाब करने की तैयारी में थी उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी होती वास्तव में सोनी को इस हाल में देख पाना कि शायद मर्दों की किस्मत की बात थी लेकिन अब तक उसे पेशाब करते हुए किसी ने नहीं देखा था,,,, लेकिन आज शायद जो अभी तक नहीं हुआ था आज होने वाला था,,,,,,,


क्या हुआ मालकिन रुकी में कर लो ना यहां कौन देखने वाला है,,,,

Madhu ki madak adaa kapde dhote huye

english to binary



हां यही तो देख रही हूं पूरी तरह से तसल्ली कर लेने के बाद ही औरतों को बैठ कर पेशाब करना चाहिए नहीं तो तू मर्दों की नजर को तो जानती ही है,,,,


हां मालकिन आप सच कह रही हो,,, मर्दों को तो बस मौका मिलना चाहिए तांक झांक करने का,,,,मैं भी जा अपने घर के पीछे पेशाब करने के लिए जाती हूं तो सामने वाले घर का जवान लड़का हमेशा घूरते रहता है,,,, मुझे तो बहुत शर्म आती है लेकिन क्या करूं मजबूरी रहती है,,,।
Soni raju k khyalo me khoyi huyi


हां यही तो किसी को पता भी नहीं सकती ना ही कुछ कह सकती हो अगर बोलोगी तो बोलोगी भी गोल-गोल बात को घुमा देंगे,,,

हां मालकिन,,,, सच कह रही हूं एक दो बार बोलने की कोशिश भी की,,, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ बल्कि वह तो यह कह कर मेरा मुंह बंद कर दिया कि वह सबको बता देगा कि जानबूझकर मैं जब खड़ा रहता हूं तभी आ कर के पेशाब करती है,,, और मुझे गंदे गंदे इशारे करके अपने पास बुलाती है,,,, सच कहूं तो यह सुनकर मेरी तो बोलती ही बंद हो गई,,,, दुनिया वालों को तो आप जानती ही हो,,,, घुमा फिरा कर इसमें मेरा ही दोष देते,,,,,


अच्छा की तूने की बात को आगे नहीं बढ़ाई वरना गांव वाले तेरा ही दोष देते,,,, औरतों की गांड को इस हाल में देखना मर्दों को कुछ ज्यादा ही अच्छा लगता है तू जानती है मर्द को औरत की गांड सबसे ज्यादा अच्छी लगती है खास करके बड़ी बड़ी गोरी गांड,,,, ईसी के पीछे लट्टु होकर घूमते रहते हैं,,,,।
(सोनी और उसकी सहेली शांति दोनों आपस में बातें कर रहे थे कि हम दोनों की फुसफुसाहट राजू के कानों तक पहुंच गई,,, वह बकरियां चराने आया थाऔर उसे की पेशाब लग गई थी इसलिए वहां झाड़ियों के अंदर चला आया था क्योंकि यहां पर ठंडक थी और बाहर खड़ी थी आने की वजह से गर्मी लग रही थी,,,, उन दोनों औरतों को झाड़ियों के बीच खड़ा देखकर उन दोनों को बातें करते हुए देखकर राजू एक पेड़ के पीछे छुप गया और उन दोनों को चोर नजरों से देखने लगा सोनी पर नजर पड़ते ही उसके होशो हवास उड़ने लगे थे क्योंकि सोनी बेहद खूबसूरती भरा हुआ बदन राजू के होश उड़ा रहा था,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस समय यह दोनों झाड़ियों के बीच क्या कर रही थी,,,, इसलिए एकदम चोर कदमों से पेड़ के पीछे छुप कर उन दोनों की क्रियाकलापों को और उनकी बातों को सुनने लगा,,, अभी तक राजू इस बात का अंदाजा भी नहीं लगा पाया था कि वह दोनों झाड़ियों के अंदर करने क्या है और वह भी इतनी खड़ी दुपहरी में,,,)

इसीलिए शांति मैं जितना हो सकता है उतना अपने आप को बचाकर रखती हूं कहीं भी आते जाते रास्ते में कहीं के साथ लगती तो मैं ऐसी जगह को तलाश करती हूं जहां पर कोई नहीं होता झाड़ियों के पीछे छुप कर ही मौके साफ करती हूं क्योंकि मैं चाहती हूं कि कोई मर्द मेरी गांड को देख ना पाए,,,, क्योंकि मर्दों को औरतों की क्या पसंद होती है,,,,(शांति की तरफ प्रश्नवाचक दृष्टि से देखते हुए बोली,,,)


गांड,,,,,,(शांति हंसते हुए बोली)


हां,,,,,, अब जाकर तुझे समझ में आया है,,,,

(गांड शब्द सुनकर और उन दोनों का हंसना देकर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी क्योंकि उसे लगने लगा कि कुछ ना कुछ जरूर होने वाला है,,,, उसका दिल जोरो से धड़कने लगा,,,,,)


जल्दी से पेशाब कर लेती हूं वैसे ही देर हो चुकी है,,,,।
(यह सुनकर तो राजू की सांसे अटक गई खूबसूरत औरत के मुंह से वह पेशाब करने की बात सुन रहा था,,, और उसके हाव-भाव से राजू को ऐसा ही लग रहा था कि वह उसकी आंखों के सामने ही पेशाब करने वाली है,,,, यह एहसास राजू के लंड में हरकत करने को मजबूर कर दिया और पल भर में ही राजू का लंड अपनी औकात में आ गया,,,, राजू को दूसरी वाली जिसका नाम शांति था ठीक-ठाक लग रही थी लेकिन गोरे बदन वाली हुस्न की मल्लिका सुडोल देह वाली सोनी राजू के तन बदन में आग लगा रही थी उसका गोरा बदन गठीला तराशा हुआ जिस्म राजू के लंड की अकड़ को बढ़ा रही थी,,,, वह अपने सांसो को दुरुस्त किए हुए उस नजारे को देख रहा था जहां पर सोनी खड़ी होकर अभी भी चारों तरफ देख रही थी जहां पर वह खड़ी थी वह जगह थोड़ी सी खुली हुई थी बाकी झाड़ियों से गिरी हुई थी,,,,।जब वह चारों तरफ तसल्ली भरी नजर से घूम कर देख रही थी तभी राजू कि मुझे उसकी गोलाकार गांड पर पड़ी थी तभी से वह उसकी गांड का दीवाना हो गया था,,,, अच्छी तरह से समझ गया था कि साड़ी के अंदर उसका बदन किसी बेश कीमती खजाने से कम नहीं है,,,, राजु उसकी गांड देखने के लिए लालायित हो गया,,,,


अरे मालकिन अब करोगी भी या चक्रर पकर देखती ही रहोगी,,,।


हां हां कर रही हैं मुझे भी जोरों की ही लगी है,,,,
(इतना कहकर वह धीरे-धीरे की साड़ी को उठाना शुरू कर दिया देखकर राजू के तन बदन में आग लगने लगी उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी सोनी पेशाब करने के लिए पूरी तरह से तैयार थी और देखती देते उसकी साड़ी घुटनों तक आ गई राजू की किस्मत बड़े जोरों पर थी क्योंकि उसकी पीठ ठीक राजू के सामने थे मतलब की राजू उसकी गांड के प्रति पूरी तरह से मोहित था और थोड़ी देर में उसने उसकी नंगी गांड दिखने वाली थी पेशाब तो राजू कभी-कभी थी लेकिन इस समय अपनी सांसो को भी रोक कर खड़ा था कि उसकी आहट का उन दोनों को पता ना चल जाए वरना एक खूबसूरत दृश्य पर परदा पड़ जाएगा,,,। सोनी की मांसल पिंडलिया बहुत खूबसूरत लग रही थी सोनी की साड़ी घुटनों तक आ चुकी थी,,,, शांति भी खड़ी होकर सोनी को ही देख रही थी क्योंकि सोनी को भी पता था की खूबसूरती में वह सबसे आगे थी,,, गोरा रंग होने के कारण उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहता था,,, राजू से भी रहा नहीं जा रहा था मुठ मारने के लिए उसकी आंखों के सामने बेहद कामुकता भरा दृश्य नजर आ रहा था इसलिए वह इस दृश्य का पूरा फायदा उठाते हुए अपने पजामे को नीचे करके अपने लंड को बाहर निकाल लिया और सोनी की कामुक अदाओं को देखकर धीरे-धीरे अपने लंड को हीलाना शुरू कर दिया,,,।

कैसा लग रहा था कि मानो सोनी को सब कुछ पता हो और वह धीरे-धीरे अपनी खूबसूरत बदन को दिखाकर राजू को तड़पा रही हो,,,, वह उसी अदा से धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी शांति को भी मजा आ रहा था एक औरत होने के नाते एक औरत की खूबसूरती से उसे अपने अंदर जलन भी महसूस हो रही थी लेकिन कर भी क्या सकती थी आखिरकार वह उसकी मालकिन जो थी और उसे सहेली की तरह रखती थी,,, जैसे-जैसे सोनी की दूधिया मोटी मोटी जांघें नजर आने लगी वैसे वैसे सोनू का हाथ अपने लंड पर बड़ी तेजी से चलने लगा,,, केले के तने की तरह एकदम चिकनी जांघों को देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था वह उसकी गोरी चिकनी जानू को अपने होठ लगाकर चूमना चाहता था अपनी जीभ से चाटना चाहता था,,,,,पहले उसके मन में इस तरह के ख्याल कभी भी नहीं आती थी उसकी आंखों के सामने बने कितनी खूबसूरत औरत क्यों ना खडी हो लेकिन जब सेबुर्के नमकीन रस का स्वाद उसके मुंह लग गया तब से औरतों को देखने का नजरिया उसका बदल गया था और उन्हें देख कर वो अपने मन में गंदे विचारों को जन्म देने लगा था,,, इसीलिए इस तरह के गंदे ख्याल सोनी को देखकर उसके मन में उम्र रहे थे देखते देखते सोनी की साड़ी कमर तक आ गई,,, यह नजारा देखकर राजू को लगने लगा कि कहीं उसकी सांसे ना अटक जाए,,,,,,
Soni jhadiyo k bich


कुदरत का बनाया हुआ बेहद खूबसूरत अंग उसकी आंखों के सामने एकदम नंगा था जिसे देखकर राजू की संभोग की इच्छा तीव्र हो रही थी वह उस औरत की चुदाई करने की अभिलाषा रखने लगा,,,, उसका बस चलता तो अभी उसे यही पकड़ कर पटक कर चोदने लगता लेकिन राजू का चरित्र अभी इतना गिरा नहीं था कितनी घिनौनी हरकत करता वह रजामंदी होने पर ही चुदाई करता अपनी मनमानी कभी नहीं करता क्योंकि इतना तो उसे ज्ञात हो ही चुका था की मर्जी के बिना मजा भी नहीं आता,,,,

सोनी अपनी साड़ी को कमर तक उठाए खड़ी थी उसकी गोरी गोरी उभरी हुई गदराई गांड सुनहरी धूप में चमक रही थी,,,। एक अजीब सा मादकता भरा आकर्षण सोनी की गांड में था जिसे देखकर राजू पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,, शांति भी इसके आकर्षण से बच नहीं पाई थी वह भी अपनी तिरछी नजर से सोनी की गांड को देख रही थी यह देख कर सोनी बोली,,,,,।


तुम ऐसे क्यों देख रही हो तुम्हारे पास भी तो ऐसे ही है,,,


तुम्हारी बहुत खूबसूरत है एकदम गोरी गोरी और उभरी हुई,,,, सच कहूं तो मर्दों को तुम्हारी जैसी ही गांड अच्छी लगती है,,,


तुम्हें कैसे मालूम ,,,(सोनी मुस्कुराते हुए बोली)


मैं किसी लड़के के मुंह से सुनी थी कि उन लोगों को औरत की बड़ी-बड़ी गाड़ी हई पसंद आती है,,,


तुम्हारी भी तो है,,,,


लेकिन तुम्हारी तरह नहीं है मालकिन,,,, काश मेरी भी तुम्हारी जैसी होती तो अब तक ना जाने कितनों को अपने पीछे पीछे घुमाते होती,,,,।


चल बड़ी आई मर्दों को पीछे पीछे घुमाने वाली अगर कोई पीछे पड़ गया ना तो उस दिन समझ में आएगा,,,, की कितनी बड़ी मुसीबत मोल ले ली है,,,,‌।

(राजू उन दोनों की बातों को सुनकर पूरी तरह से उत्तेजित बजा रहा था क्योंकि वह दोनों गार्ड की खूबसूरती के बारे में ही बातें कर रही थी और अपने मुंह से ही बता रही थी कि औरतों की बड़ी-बड़ी गाड़ी मर्दों को ज्यादा पसंद आती हो और उन दोनों का कहना भी सही था क्योंकि राजू खुद यह अब हंस कर चुका था कि उसे भी औरतों की बड़ी-बड़ी गांड ही पसंद आती है,,,, राजू जोर-जोर से मुट्ठ मार रहा था,,,, राजू के पास चुदाई करने के लिए दे दो बुर का जुगाड़ थालेकिन इस समय यहां पर उन दोनों दोनों में से कोई भी बुर उपस्थित नहीं थी और इसलिए लंड की गर्मी को शांत करने के लिए बस यही एक तरीका रह गया था,,,, जिसे वह बखूबी निभा रहा था,,,)

चलो बहुत देर हो गई है भैया को पता चलेगा कि मैं इतनी देर गांव में लगा दी तो गुस्सा करेंगे,,,,
(और इतना कहने के साथ ही सोनी अपनी बड़ी बड़ी गांड लेकर वहीं बैठ गई ठीक राजू की आंखों के सामने और अगले ही पल पेशाब करने लगी,,,, क्षण भर में ही मुतने की मधुर धुन बांसुरी की ध्वनि की तरह राजू के कानों में सुनाई देने लगी राजू एकदम बावला हो गया या मधुर धुन सुनकर उसके होश उड़ गए और वह जोर-जोर से अपना लंड हिलाना शुरू कर दिया पीछे से सोनी का पिछवाड़ा देखकर राजू की हालत खराब होने लगी,,,,,, सोनी का पिछवाड़ा राजू को इतना खूबसूरत लग रहा था मानो कि जैसे खेतों में दो खूबसूरत बड़े-बड़े तरबूज रख दिए गए हो,,,, राजू का मन इस समय उसकी गांड चाटने को कर रहा था हालांकि अभी तक राजू में ना तो कमला चाची की और ना ही अपनी बुआ गुलाबी की गांड को चाटा था,,, लेकिन इस समय सोने की खूबसूरती और उसकी खूबसूरत गांव को देखकर उसके मन में यह इच्छा तीव्र हो रही थी,,,,
Soni ko pesab karte huye dekh kar raju ekdam mast ho raha tha

बुर से निकल रही सीटी की आवाज बांसुरी की मधुर धुन की तरह उसे मोहित कर रही थी,,,, सोनी बड़ी आनंदित होकर मूत्र विसर्जन कर रही थी,,,, बड़े जोरों की पेशाब लगने की वजह से उसे राहत महसूस होने लगी थी,,,, अपने पैरों के आगे की घास को वह पूरी तरह से अपने पेशाब से भिगो डाली थी मानो कि जैसे घास में पानी दिया गया हो,,,राजू जानता था कि थोड़ी देर में पेशाब करके वह उठ जाएगी और एक खूबसूरत नजारे पर पर्दा डाल देगी इसलिए वह उसकी खूबसूरत गांड की आकर्षण मैं जोर-जोर से मुठ मार कर अपना पानी निकाल देना चाहता था इसलिए उसकी हथेली बड़ी जोरों से चल रही थी,,,,, और थोड़ी ही देर में जैसे ही हो पेशाब करके खड़ी हुई अपनी साड़ी को वह नीचे करती इससे पहले ही राजू के लंड से गर्म पानी की पिचकारी फुट पड़ी,,,राजू के लिए पहला मौका था जब वह बाहर किसी औरत को नग्न अवस्था में देखकर अपना लंड हिला कर पानी निकाला था उसे बहुत ही मजा आया था लेकिन उस औरत को चोदने के ख्याल से यह मजा कम ही था,,,,

राजू की आंखों के सामने ही वह अपनी साड़ी को नीचे करके फिर से बेश कीमती खजाने को छुपा ली,,,,राजू अपने क्यों जाने को ऊपर करके हम खड़ा रहा मैं देखना चाहता था कि वह दोनों जाती कहां है,,,, तभी सोनी बोली,,।


चल जल्दी कर गांव से लौटना भी है,,,,
(इतना कहने के साथ ही वह दोनों झाड़ियों से बाहर निकल गई और राजू भी अपनी बकरी को लेकर गांव की तरफ जाने लगा क्योंकि वह दोनों उसी तरफ जा रही थी)
Superb update
 

Luckyloda

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और उधर गुलाबी कि गुलाबों में रात भर राजू का ल** खुलेगा अब देखते हैं कि आज रात दोनों बुआ भतीजे क्या-क्या कांड करते हैं अगले अपडेट का बहुत बेसब्री से इंतजार है
 

ToorJatt7565

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सोनी के अरमान मचल रहे हैं उसे अपनी जवानी पर अपनी खूबसूरती पर अपनी खूबसूरत बदन पर पूरा विश्वास था कि वह अपनी खूबसूरती जोबन के जाल मे रघु को पूरी तरह से फंसा लेगी ,,वह रघु को अपनी हुस्न का जादू दिखा कर उसे अपने आकर्षण में बांध लेना चाहती थी और उसे पूरी तरह से विश्वास था कि वह जैसा चाहती है वैसा ही होगा,,, क्योंकि वह पूरी तरह से जवान थी एकदम गोरी चिट्टी खूबसूरत अंगो की मालकीन ,,, बड़ी बड़ी चुचीयों के साथ साथ बड़ी बड़ी गांड भी आकर्षण का केंद्र बिंदु थी,,, मर्दों को औरतों का जो भी अंग पसंद होता है वह सब कुछ बेहतरीन उम्दा किस्म का सोनी के पास था,,,,,,,
Kasi huyi saree me soni ki madmast gaand

सोनी यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि अगर राजू के सामने वह अपने साड़ी का पल्लू भी नीचे गिरा देगी तो उसकी लाजवाब बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चुचियों का घेराव देखकर वह घुटने टेक देगा,,,,, इसी आत्मविश्वास के साथ वह आगे पढ़ रही थी,,,, और दूसरी तरफ राजू जो अनजाने में ही सोनी की खूबसूरत गदराई गांड के दर्शन कर चुका था पर उसे देख कर मुट्ठ भी मार चुका था,,, उसके गोलाकार नितंबों के घेराव के आकर्षण में पूरी तरह से बंध कर वह भी अपनी बकरियों को लेकर पीछे पीछे हो चला था वह देखना चाहता था कि वह कहां जाती है,,,,,,,
Bistar pe leti huyi kaamroopi Madhu



गांव में पहुंचते ही सोनी,, राजू को ढूंढने का अभियान शुरू कर दी थी क्योंकि वह नहीं जानती थी कि राजू का घर किधर है और वह सीधे-सीधे राजू को ही पढ़ने के लिए नहीं बोल सकती थी दूसरे लड़कों को भी बोलना जरूरी था क्योंकि ताकि किसी को ऐसा न लगे कि जरूर दाल में कुछ काला है,,, समझा-बुझाकर सोनी ने तीन चार लड़कों को पढ़ने के लिए तैयार कर दिया जिसमें से श्याम भी था हालांकि वह पढ़नानहीं चाहता था लेकिन सोने की खूबसूरती देखकर वहां उस पर मोहित हो गया था और इसीलिए वह हामी भर दिया था,,,,, अब उसे राजू की तलाश थी,,,, वह राजू को ढुंढ रही थी साथ में दूसरे लड़के भी थे,,,,,,
Madhu k nitambo ka Maadi gheraav

सोनी के लिए पढ़ाई तो एक बहाना था राजू को अपने जाल में फंसाने के लिए उसके साथ अपनी मनमानी करने के लिए उसके मोटे तगड़े लंड के दर्शन करके उसे अपनी बुर में लेने के लिए,,,,, इसी चक्कर में वह अपनी हवेली छोड़कर गांव में आई थी,,,,,,दो तीन लड़कों को वह तैयार कर चुकी थी पढ़ाने के लिए बस उसे इंतजार और तलाश थी राजू के जो कि राजू भी सोनी के चक्कर में गांव में पीछे पीछे आ गया था लेकिन उसे नहीं मालूम था कि वह गांव में क्या करने के लिए आई है उसे अगर इस बात का अंदाजा होता कि वह गांव में उसी को ढूंढते हुए आई है तो वह कब से उसकी आंखों के सामने आकर खड़ा हो जाता,,,,,,, उसको गांव में चक्कर लगाता है वह देखता राजु घर में चला गया था और खाना खाने लगा,,,,।

सोनी उसे ढूंढ ढूंढ कर परेशान हो रही थी उसे नाम भी तो नहीं मालूम था कि उसका नाम क्या है,,,, पर जिन लड़कों को तैयार की थी उनसे ही पूछ रही थी कि कोई और लड़का हो तो उन्हें भी बोल दो पढ़ने के लिए,,,,, श्याम के साथ जो था वह बार-बार श्याम को राजू को भी पढ़ने के लिए बोलने को कह रहा था लेकिन वह उसे इशारों में चुप रहने को कह रहा था क्योंकि श्याम यह अच्छी बात अच्छी तरह से जानता था कि अगर राजू भी साथ चलेगा तो जरूर,,,, यह भी राजू के ऊपर डोरे डालने के लिए और राजु उसकी खूबसूरत जवानी को देखकर पानी पानी हो जाएगा,,,, और ऐसा वह बिल्कुल भी नहीं चाहता था और वैसे भी श्याम ने भी खेल के मैदान में राजू के मोटे तगड़े लंड को देख लिया था,,,और एक मर्द होने के नाते उसे इस बात का अच्छी तरह से आभास था की औरतों को सबसे ज्यादा क्या पसंद है होता है,,,,इसीलिए वह राजू का नाम पता नहीं रहा था और मैं उसका घर बता रहा था और ना ही अपने साथियों को बताने दे रहा था,,,,,
Khubsurat gaand ki maalkin
sonii



सोनी परेशान हो गई थी कड़ी धूप की वजह से उसके माथे से पसीना टपक रहा था उसकी खूबसूरती कड़ी धूप में सोने की तरह चमक रही थी,,,, उसकी मतवाली गांड देखकर श्याम पागल हुआ जा रहा था,,, उसकी मदमस्त चूचियों के उभार को देखकर,,, श्याम के मुंह में पानी आ रहा था लेकिन वह कुछ कर नहीं सकता था,,,,,,,,


सोनी परेशान होकर अपने मन में सोचने लगी कि वह भी कितनी बुद्धू है ना नाम ना पता ऐसे कैसे उसको ढूंढ रही है उसका मन उदास हो गया था उसे लगने लगा था कि शायद वह लड़का इस गांव का था ही नहीं,,,, क्योंकि लगभग लगभग उसी सभी घर पर जाकर उसे ढूंढने की पूरी कोशिश की थी,,,,, वह अपनी इस निराशा के बारे में अपनी सहेली शांति को भी बता नहीं सकती थी क्योंकि उसकी कामलीला के बारे में उसकी सहेली शांति को भी कुछ भी नहीं पता था और ना ही वह चाहती थी कि किसी को कानों कान पता चले,,,,,, वह बहुत उदास हो गई थी ,,उसके चेहरे पर उदासी और निराशा दोनों साफ झलक रही थी लेकिन खूबसूरती में जरा भी कमी नहीं आई थी,,,,,, बस दो-चार घर ही बचे हुए थे और सोनी ना उम्मीद हो चुकी थी,,,,,, उसे लगने लगा था कि उसके सपनों का राजकुमार इधर नहीं मिलने वाला उसका गांव में आना बेकार साबित हो रहा था खामखा हुआ दो चार लड़कों को और पढ़ने के लिए बोलती थी अपने सर की मुसीबत मोल ले ली थी,,,,,कर भी क्या सकती थी अपने बड़े भाई को यही बहाना करके तो वह गांव में आई थी,,,,,।
Gulabi ki nangi gaand


मालकिन अब दो चार ही घर बचे हैं,,,,,, जल्दी से अपना काम खत्म कर दे घर चलते हैं तो बहुत तेज लग रही है,,,


हां तु ठीक कह रही हैं,,,, यहां कोई है पढ़ने वाला,,,(साथ में चल रहे हैं वह शयाम को संबोधित करते हुए बोली,,)


नहीं नहीं मेम साहब यहां कोई नहीं है,,,,,(श्याम जानबूझकर बोला क्योंकि वह जानता था कि यहां राजू रहता है और वह नहीं चाहता था कि राजू भी साथ में गोरी मेम साहब के पास पढ़ने जाए,,, शाम की बात सुनकर सोनी और ज्यादा निराश हो गई रही सही उम्मीद जवाब दे गई,,, अब कर भी क्या सकते हैं मन मसोसकर वह ,,, श्याम से बोली,,,,)

ठीक है तुम तीनों परसों से,,, आम वाले बगीचे में आ जाना मैं वहीं पर पढ़ाती हूं,,,,


ठीक है मैम साहब,,,,,(श्याम एकदम से खुश होता हुआ बोला लेकिन उसकी निगाह सोनी की छातियों पर टिकी हुई थी जिसका आभास सोनी को हो गया था,,, इसलिए वह अपना पल्लू ठीक करते हुए बोली,,,,)

ठीक है अब आम के बगीचे में मुलाकात होगी,,,।
(श्याम की नजरों को सोनी भांप गई थी उसे श्याम पर गुस्सा भी आ रहा था भले ही सोनी एक प्यासी औरत थी लेकिन वह किसी को भी अपना तन मन यूं ही नहीं सौंप देती थी जिस पर दिल आता था उसी पर वह पूरी तरह से निछावर हो जाती थी,,,,, इतना कहकर वह चलने लगी और श्याम इस बात से खुश था कि अच्छा हुआ राजू से मुलाकात नहीं हुई क्योंकि वह नहीं चाहता था कि इतनी खूबसूरत औरत और उसके बीच राजू आए,,,, क्योंकि पलभर में ही पहली मुलाकात में ही श्याम सोनी को लेकर सपने बुनने लगा था,,,,वह वहीं खड़ा सोनी को जाते हुए देखता रह गया उसकी मटकती गांड श्याम की हालत को खराब कर रही थी,,,, वैसे भी सोनी कमर के नीचे कसी हुई साड़ी पहनती थी जिसकी वजह से उसकी गांड कुछ ज्यादा ही ‌ऊभर कर बाहर नजर आती थी,,,,।

सोनी पूरी तरह से निराश हो चुकी थीउसके मन में तो आ रहा था किन-किन लड़कों को भी ना बोल दे पढ़ने के लिए,,, लेकिन इसी तरह से पढ़ाने की उम्मीद बची हुई थी जो कि राजू से फिर मिला सकती थी इसी उम्मीद के साथ वह,,, आगे बढ़ने लगी की तभी,,, पीछे से उसे पानी के गिरने की आवाज आई तो वह पीछे नजर घुमा कर देखने लगी,,,, खुशी से देखते ही इसकी आंखों में चमक आ गई उसकी बांछें खिल गई उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,,,आखिर खुश क्यों ना होती जिसे ढूंढते हुए वह यहां आई थी वह उसकी आंखों के सामने था,,,, राजू खाना खाकर बाहर हाथ धो रहा था,,,, राजू सोनी को देखने लगा तो दोनों की नजरें आपस में टकरा गई सोनी को देखते ही राजू की आंखों के सामने सोनी की नंगी गांड नाचने लगी,,, राजु को उसकी आंखों के सामने सोनी अपनी साड़ी उठाकर पेशाब करते हुए नजर आने लगी सोनी से नजरें मिलते ही राजू के पजामे में हलचल होने लगी कुछ देर तक तो राजू उसे देखता ही रहेगा थोड़ी ही दूर पर श्याम अपने साथियों के साथ खड़ा होकर यह सब देख रहा था दोनों को इस तरह से आपस में देखा हुआ पाकर श्याम जल भुन गया,,,, सोनी एकदम से हक्की बक्की होकर वहीं खड़ी रह गई,,,,।


कुछ देर बाद सोनी बोली,,,।


ऐ लड़के यहां आओ,,,,
(सोनी एकदम से मुस्कुराते हुए बोली,,,, सोनी को इस तरह से अपने आप को बुलाते हुए पाकर राजू को यकीन नहीं हो रहा था कि जिस खूबसूरत औरत को रहा है कुछ देर पहले झाड़ियों में पेशाब करते हुए देखा था उसकी तरफ आकर्षित हो गया था उसकी गांड को देखकर मदहोश हो गया था वह औरत खुद उसे बुला रही थी,,,,ऐसा लग रहा था कि मानो जैसे वह कोई सपना देख रहा है कुछ देर तक राजू उसी तरह से खड़ा रहा तो सोनी फिर से बोली,,,)


ऐ लड़के सुनाई नहीं दे रहा है क्या,,,? मैं तुम ही से कह रही हूं,,,, इधर आओ,,,


कौन मै,,,?


हां तुम्ही,,,,,

(राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, वह लौटे को वहीं पास में रखकर उसके पास आगे बढ़ने लगा और उसके पास पहुंच कर बोला)


बोलिए क्या हुआ मुझे क्यों बुला रही हो,,,?


पढ़ना चाहते हो,,,,,
Soniii

2014 bmw 550i quarter mile
नहीं नहीं मैं नहीं पढ़ना चाहता,,,,
(पढ़ाई के नाम परराजू एकदम से घबराते हुए बोला क्योंकि वह पढ़ना नहीं चाहता था पढ़ाई के नाम पर उसे सांप सूंघ जाता था गांव के बाहर सरकारी स्कूल थी जिसमें कुछ बच्चे पढ़ने जाया करते थे लेकिन राजू नहीं जाता था और ना ही उसके साथ ही जाया करते थे,,,,,)


क्यों नहीं पढ़ना चाहते पढ़ने में क्या हर्ज है पढ़े-लिखे लोगे तो तुम्हारे काम आएगा हिसाब-किताब समझ पाओगे,,,।


नहीं मुझे नहीं समझना है,,,,
(राजू इतना कहकर घर में जाने ही वाला था कि अंदर से उसकी मां बाहर निकलते हुए बोली)


क्या रे किससे बातें कर रहा है,,,,(इतना कहने के साथ ही उसकी नजर सोनी पर पड़ी तो उसकी खूबसूरती उसकी चमक देखकर मधु समझ गई कि यह कोई बड़े घर की औरत है,,, इसलिए हाथ जोड़ते हुए बोली,,,)

नमस्ते आप कौन हैं मैं पहचानी नहीं,,,,



जी मैं लाला साहब की छोटी बहन हुंंं और बच्चों को पढ़ाने का काम करती हूं,,, इससे मेरा मन भी लग जाता है और बच्चों को कुछ सीखने को भी मिल जाता है,,,,।,,,


अरे अरे आप मालिक की छोटी बहन है,,,, आइए आइए बैठिए,,,, राजू जा अंदर से जाकर खटिया बाहर लेकर आ,,,,, आइए छोटी मालकिन,,,,,
(लाला की छोटी बहन उसके घर आई है यह जानकर मधु बहुत खुश हो रही थी,,, और सोनी अपनी आवभगत देख कर मन ही मन प्रसन्न हो रही थी और उस लड़के का नाम राजू है यह जानकर उसे अच्छा भी लग रहा था,,,, मधु की तकल्लुफ को देखकर सोनी बोली,,,)




अरे रहने दीजिए तकलीफ करने की कोई जरूरत नहीं है,,,


नही नही छोटी मालकिन,,, इसमें तकलीफ वाली कौन सी बात है आप तो हमारी मेहमान है,,,,
(तभी खटिया उठाएं राजू घर से बाहर आ गया उसके मोहक मासूम चेहरे को देखकर सोनी के दिल की धड़कन बढ़ने लगी उसका गठीला बदन उसकी तरफ उसे आकर्षित किए जा रहा था,,, उसके मासूम मोहक चेहरे को देखकर सोनी अपने मन में बोलने लगी कि वाकई में जो खुद इतना खूबसूरत करीला दिखता है तो उसका औजार भी उतना ही दमदार ही होना चाहिए जैसा कि वह देखी थी,,,, राजू वही पर खटिया बिछा दिया,,,, मधु राजू से बोली,,,)


जा जाकर गुड वाला शरबत लेकर आ,,,


नहीं नहीं रहने दीजिए आप खामखा तकलीफ कर रही है,,,,


नहीं नहीं मेहमान नवाजी हमारी औकात के मुताबिक करने दीजिए आखिरकार आप मालिक की छोटी बहन जो है,,,, एक तरह से वह तो हमारे माई बाप है,,,

(मधु की बातें सुनकर सोनी बहुत खुश हो रही थी,,,,, सोनी के मन में पिक्चर बहुत कुछ चल रहा था तो एक तरफ सॉरी की खूबसूरती को देखकर एक अजीब सा आकर्षण भी होता जा रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि गांव मैं कोई औरत इतनी खूबसूरत भी होगी सोनी बातें करते हुए आंखों से ही मधु के देह लालित्य को नाप रही थी,,, मधु की गोल गोल कठोर चूचियां सोने की अनुभवी आंखों से बच नहीं पाई वह अंदाजा लगा ले कि ब्लाउज के अंदर बवाल छिपा हुआ है,,,, सुडौल बदन देखकर सोनी को मन में अजीब सी हलचल होने लगी,,,, सोनी को इस बात का आभास हो गया कि राजू की मां उससे भी ज्यादा खूबसूरत है,,,, बस उससे रंग थोड़ा सा दबा हुआ है,,,, थोड़ी ही देर में राजू गुड वाला शरबत लेकर आ गया खटिया पर सोनी और शांति दोनों बैठ गई थी,,,दो ग्लास में गुड़ वाला शरबत लाकर राजू उन दोनों को थमाने लगा,,,, गुड़ के शरबत वाला गिलास को थाम ते हुए सोनी को इस बात का आभास हो गया था कि जिस तरह से राजू खड़ा है अगर वह साड़ी का पल्लू थोड़ा सा नीचे गिरा देगी तो उसकी गोल-गोल चूचियो की गहरी लंबी लकीर राजू को साफ नजर आने लगेगी,,, और ऐसा ही हुआ एक बहाने से गर्मी का बहाना करते हुए सोनी थोड़ा सा अपना साड़ी का पल्लू अपनी चूचियों पर से सरका दी जिसकी वजह से उसकी गोल-गोल सूचना एकदम साफ नजर आने लगी,,, राजू की नजर जैसे ही सोनी की छातियों पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए उसके मुंह में पानी आ गया,,, पल भर में ही राजू का दिल जोरो से धड़कने लगा राजू को साफ नजर आ रहा था कि ब्लाउज के साइज से कहीं ज्यादा बड़ी उसकी चूचियां थी जो कि उसके ब्लाउज में से बाहर आने के लिए तड़प रही थी,,,,,

शरबत का ग्लास थमाते हुए राजू उसकी चुचियों को ही घूर रहा था,,,,,, इस बात का आभास होने को हो गया था और वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी और खुश भी हो रही थी तिरछी नजरों से उसकी घूमती हुई निगाहों को देखकर ऐसा ही लग रहा था कि मानो वह अपना दोनों हाथों के बढा कर उसकी चूचियों को जोर से पकड़ लेगा उसे दबाना शुरू कर देगा,,,, राजू खा जाने वाली निगाहों से उसकी चूचियों को घूर रहा था और यह एहसास सोनी के तन बदन में आग लगा रहा था क्योंकि जैसा वह चाह रही थी वैसा ही हो रहा था राजू के मन का कबूतर अपने पंख फड़फड़ाने लगा ,,,, अपने मन में यहीं सोचने लगा कि,,, उसकी किस्मत कितनी तेज है कि कुछ देर पहले ही सी हो रात को वापस आप करते हुए देखा था इसकी नंगी बड़ी बड़ी गांड को देखकर वह मुठ्ठ भी मारा था और इस समय उसके ब्लाउज में कैद उसकी दोनों चूचियों को देखकर उसके होश उड़ जा रहे थे उसका मन कर रहा था कि,,, अभी इसी समय उसके ब्लाउज का बटन खोल कर उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां को बाहर निकाल देना और उसे मुंह में लेकर जोर-जोर से पिए जैसा कि वह अपनी बुआ की चुचियों को पी रहा था,,,, सोनी पूरी तरह से गदराई जवानी की मालकिन थी और उसकी गदराई जवानी देख कर राजू का मन डोल रहा था राजू का मन उसे चोदने को कर रहा था,,,,,, मधु राजू की निगाहों से बिल्कुल अनजान थी,,,

Soni jaanbujhkar apne saree ka pallu sarkaa di


शरबत पीकर ग्लास को राजू को थमा ते हुए बोली,,,


पढ़ने आओगे ना राजू,,,,(सोनी की आवाज में एक अजीब सी कशिश थी एक आकर्षण था उसके शब्दों में एक आमंत्रण था जो उसे अपनी तरफ खींच रहा था बुला रहा था जिसे शायद राजू इंकार नहीं कर पा रहा था क्योंकि अब राजू उसके देह लालित्य,,, उसके बदन के आकर्षण में ब"धता चला जा रहा था,,,, वह कुछ बोला नहीं तो मधु ही बोल पड़ी,,,)


जी मालकिन जरूर आएगा पढ़े लिखेगा नहीं तो क्या करेगा,,, दिनभर आवारा की तरह घूमता रहता है शब्दों को पहचानेगा तभी तो कुछ कर पाएगा,,,,

(मधु की बातें सुनकर सोनी खड़ी हो गई और बोली)


तो परसों उन लड़कों के साथ चले जाना,,,(उंगली के इशारे से श्याम और उसके दोस्तों की तरफ इशारा करते हुए,,, जोकि उनमें से श्याम गुस्सा रहा था,,, क्योंकि जिस बात का डर उसे था वही उसकी आंखों के सामने हो रहा था,,, पढ़ाई के नाम पर जिसे डर लगता था वह सोनी के आकर्षण में कुछ बोल नहीं पाया,,, और हां में सिर हिला दिया,,,, इजाजत लेकर सोनी अपने घर की तरफ जाने लगी राजू उसे जाते हुए देखता रह गया उसकी नजर उसकी कमर के नीचे गोलाकार नितंबों पर टिकी हुई थी जिसे कुछ देर पहले व झाड़ियों में एकदम नंगी देख चुका था उसकी नंगी गांड को देखकर जो हाल उसका हुआ था इस समय भी कुछ ऐसा ही वह अपने अंदर महसूस कर रहा था,,,,, मधु भी बहुत खुश थी क्योंकि उसके घर पर लाला की बहन जो आई थी,,,,


धीरे-धीरे रात गहराने लगी खाना खाकर मधु और उसका पति हरिया अपने कमरे में चले गए,,, गुलाबी और राजु दोनों बाहर बैठे हुए थे,,,, दोनों का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि अभी दोनों की प्यास बुझी नहीं थी अभी तो सिर्फ एक ही रात बीती थी अभी तो शुरुआत थी राजु को मालूम था कि आज भी उसे बुआ की बुर चोदने को मिलेगी जो कि उसका लंड पूरी तरह से मचल रहा था और खड़ा भी हो चुका था,,,, वह अपनी बुआ गुलाबी से बोला,,,)


चलो ना बुआ कमरे में अब यहां क्यों बैठी हो,,,,



क्यों तुझसे रहा नहीं जा रहा है क्या,,,,


नहीं बिल्कुल भी नहीं रहा जा रहा है,,,


नहीं बुआ देखो ना कितना तड़प रहा है,,,(इतना कहने के साथ ही राजू एकदम बेशर्म बनता हुआ अपनी बुआ का हांथ पकड़ कर उसे अपने लंड पर रख दिया,,, जिसके कड़क पन का एहसास गुलाबी को अपने हथेली पर होते ही उसकी बुर फुदकने लगी,,, उसका मन तो पहले से ही कर रहा था लेकिन वो थोड़ा अपने भतीजे को तड़पाना चाहती थी,,, लेकिन उसके भतीजे की हरकत ने उसके तन बदन में एक बार फिर से काम ज्वाला को भड़का दिया था,,, अब उससे भी रहा नहीं जा रहा था,,, इसलिए वह बोली,,,)


ठीक है तु कमरे में चल मैं थोड़ी देर में आती हूं,,,,


अब कहां जा रही हो,,,?
Soni kapde utaar kar nangi hone k bad


acura tlx 0 60

अरे आ रही हूं तु चल तो सही,,,,

(इतना कहकर वह खटिया से खड़ी हो गई और राजु भी पजामे के ऊपर से अपने खड़े लंड को सहलाते हुए कमरे के अंदर चला गया,,,, और गुलाबी घर के बाहर पेशाब करने को चली गई उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी,,, थोड़ी देर में पेशाब करके वह कमरे के अंदर आ गई,,, जहां पर राजू खटिया के ऊपर लेटा हुआ था और पैजामा नीचे सरका कर अपने खड़े लंड को हिला रहा था,,, जिसे देखते हीगुलाबी की बुर फुदकने लगी और उसके मुंह में पानी आ गया,,,)
Wah kya mast update diye ho bhai
Man Prafulit ho utha hai.
Wah bhaut khoob
 
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