Vikashkumar
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Bhut hi achchha seen bna ab aayga mza jawan londa or ka love seenराजू घर पर पहुंच चुका था,,, आज उसने बदमाशों से बचाकर झुमरी के मन में अपने लिए एक खास जगह बना लिया था,,, रास्ते भर झुमरी तिरछी नजरों से राजू को देखते आ रही थी,,,राजू उसे अब और ज्यादा अच्छा लगने लगा था वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जिस लड़के को वह पसंद की है वह अच्छा तो है ही लेकिन उसमें दम भी है उसकी लाज बचाने का,,, और आज झुमरी अपनी आंखों से देख भी ली थी अगर वह सही समय पर ना आता तो शायद,,, उसकी इज्जत लूट गई होती जिसे वह संभाल कर सिर्फ अपने पति के लिए रखी थी और जिसके लिए रखी थी उसी ने आज उसकी इज्जत भी बचा ली थी क्योंकि मन ही मन झुमरी राजू से शादी के सपने देखने लगी थी,, लेकिन अब उसे लगने लगा था कि उसने अपने जीवनसाथी का सही चयन किया है,,,,,,,,,।
राजू बैल गाड़ी लेकर शाम को घर पहुंचा था,, तब तक गुलाबी और उसका बड़ा भाई मिलकर संभोग की चरम सुख को बार-बार प्राप्त कर रहे थे लेकिन उन लोगों के आने से पहले ही दोनों अपने-अपने काम में लग गए थे,,, घर पर जब राजु पहुंचा तो ना तो उसके पिताजी घर पर थे और ना ही गुलाबी ,,,,,गुलाबी खेत की तरफ गई हुई थी और हरिया गांव के नुक्कड़ पर चाय पान बीड़ी की दुकान पर बैठा हुआ था,,,,,,, हरिया अपने संगी साथी के साथ गपशप में लगा हुआ था और वीडीके कस खींच रहा था,,,,।
दूसरी तरफ घर पर पहुंचते ही मधु अपने कपड़े बदलने लगी क्योंकि शादी में गई हुई थी इसलिए नई साड़ी पहनी हुई थी,,, वह अपने कमरे में अपनी साड़ी को उतार कर रस्सी पर टांग की और अपने ब्लाउज की डोरी को खोलने की कोशिश करने लगी अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर डोरी खोलने में उसे काफी मशक्कत झेलनी पड़ रही थी और उससे डोरी खुल भी नहीं रही थी वैसे तो औपचारिक रूप से वह बटन वाला ब्लाउज ही पहनती थी लेकिन शादी ब्याह के लिए उसने अलग से ब्लाउज सिलवा कर रखी थी,,,, पहनते समय वह गुलाबी से उसकी डोरी बंधवाई थी लेकिन इस समय गुलाबी घर पर नहीं थी,,, और उसका हाथ पीछे की तरफ ठीक से नहीं पहुंच पा रहा था और अपनी मां की यह हरकत राजू चोरी-छिपे दरवाजे की ओट में खड़ा होकर देख रहा था वैसे तो उसे इस बात का इंतजार था कि कब उसकी मां अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाए,,,,बहुत बार बार अपनी मां को नंगी देख भी चुका था और चुदवाते हुए भी देख चुका था अपनी मां की पूरी में अपने पिताजी के लंड को अंदर बाहर होता हुआ देखा था और खुद अपनी मां को अपने पिताजी के लंड पर गांड उछाल उछाल कर पटकते हुए देखा था अपना दूध पिलाते हुए देखा था अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड देख चुका था लेकिन फिर भी अपनी मां को नग्न अवस्था में देखने की यह प्यास उसकी बुझती ही नहीं थी वह जानता था कि समय घर पर ना तो उसकी बुआ है और ना ही उसके पिताजी इसलिए वह इत्मीनान से अपनी मां को अपने हाथों से नंगी होता हुआ देखना चाहता था मधु को तो इस बात का आभास तक नहीं था कि दरवाजे की ओट में छिपकर उसका बेटा उसे कपड़े उतारते हुए देख रहा है,,,,।
जिस तरह से उसकी मां अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ जाकर ब्लाउज की डोरी को पकड़कर खींचने की कोशिश कर रही थी उसे देखता हुआ राजू अपने मन में सोच रहा था कि अगर उसको यह मौका मिलता तो सुबह एक झटके में ब्लाउज की डोरी खोल कर उसे नंगी कर दिया होता,,,,एक तरफ राजू अपने मन में यह सोच भी रहा था और इस बात से गुस्सा भी हो रहा था कि उसकी मां ब्लाउज की डोरी नहीं खोल पा रही है क्योंकि जितनी हो तेरी कर रही थी उतनी और ज्यादा उत्सुकता राजू को अपनी मां को नंगी देखने के लिए बढ़ती जा रही थी,,,,,,।
राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि उसकी मां उसकी आंखों के सामने ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी उसका गदराया बदन राजू के तन बदन में आग लगा रहा था,,, कमर की पतली धारी मधु की खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे वहीं दूसरी तरफ वही कमर की पतली धारी राजू के लंड की ऐठन बढ़ा रही थी,,,,, मधु की बड़ी बड़ी गांड पेटीकोट में भी नहीं समा रही थी एकदम कसी हुई पेटीकोट में राजू को अपनी मां की गांड बादलों के पीछे छुपा हुआ चांद नजर आ रहा था जिसे वह अपने हाथों में पकड़ कर देखना चाहता था अपनी हथेली में उतार लेना चाहता था,,,
राजू बार-बार दरवाजे की तरफ भी देख ले रहा था कि कहीं कोई आ ना जाए,,, क्योंकि उसे इस बात का डर भी था कि अगर कोई ने देख लिया तो क्या कहेगा,,,,,,।
अपनी मां के गदराए बदन को देखकर राजू का लंड खड़ा हो चुका था,,,, जिस तरह से बना अपनी साड़ी को उतार कर रस्सी पर टांगे कि उसे देखते हुए राजू समझ गया था कि उसकी मां अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होने वाली है और वह इस बात को भूल चुकी थी कि दरवाजा खुला है वरना बा दरवाजा बंद करना कभी नहीं भूलती इसी का फायदा उठाते हुए राजू दरवाजे की ओट के पीछे छुपा हुआ था,,,, मधु बार-बार अपने हाथ को जितना हो सकता था उतना पीछे की तरफ से जाकर ब्लाउज की डोरी को खोलने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसकी उंगलियां गिठान तक नहीं पहुंच पा रही थी,,,, इस अद्भुत मादकता से भरे नजारे को देखकर राजू के मन में विचार आने लगा कि क्यों ना वह खुद ही कमरे में जाकर अपनी मां के ब्लाउज की डोरी खोल दे,,, क्योंकि सफर के दौरान दोनों के बीच काफी खुलापन आ रहा था जिसका आनंद खुद उसकी मां भी ले रही थी और तो और कुए के पीछे वह अपनी मां को पेशाब करते हुए भी देख चुका था और यह एहसास मधु को भी था कि उसका बेटा उसे पेशाब करते हुए देख लिया है उसकी नंगी बड़ी बड़ी गांड को अपनी आंखों से देख लिया है उस पर मधु के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी,,,,लेकिन इस बात की झिझक उसके मन में बिल्कुल भी नहीं थी कि उसका बेटा उसे पेशाब करते हुए देख लिया है बल्कि इस बात से उसे उत्तेजना का एहसास हो रहा था और वह इस बात के लिए अपने बेटे को कुछ भी नहीं कही थी इसी से राजू का मन आगे बढ़ रहा था,,,,
मधु पूरी कोशिश में लगी हुई थी लेकिन कामयाबी उसके हाथ नहीं लग रही थी हाथ पीछे की तरफ लाकर ब्लाउज की डोरी तक पहुंचने की कोशिश में उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां उछल रही थी मानो कि जैसे दो बड़े-बड़े खर्चे इसकी ब्लाउज में डाल दिए गए हैं और वह किसी भी पर उछल कर बाहर आ जाएंगे,,,, राजू की नजर अपनी मां की चोटियों के साथ-साथ उसके गदरीए जिस्म और पेटीकोट में कसी हुई उसकी गान्ड जो की हिलोरे मार रही थी उस पर टिकी हुई थी,,, थक हार कर अपनी नाकामयाब कोशिश के चलते मधु रोने जैसी हो गई थी,,,।
धत् तेरी की मुझे यह ब्लाउज पहनना ही नहीं चाहिए था एक तो यह गुलाबी पता नहीं कहां चली गई है,,, अब क्या करूं गुलाबी के आने तक का इंतजार करु तब तक तो बहुत देर हो जाएगी खाना बनाने का समय हो रहा है,,,।
(मधु अपने मन में यही सोच रही थी कि राजू कमरे में प्रवेश करने का अपना मन बना चुका था यह सोच कर कि जो भी होगा देखा जाएगा,,, क्योंकि अभी तक की अपनी हरकतों से जिस तरह से उसने अपनी मां को परेशान किया था उसे देखते हुए राजू समझ गया था कि अगर उसकी मां को एतराज जताना होता तो पहले ही उसे डांट चुकी होती फटकार चुकी होती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था क्योंकि राजू ने अपनी मां के साथ बहुत कुछ कर चुका था कुएं में से पानी निकालते समय गाय की डोरी खींचते समय उस समय तो राजू ने अपनी मां के साथ खुली छूट लेते हुए अपनी मां की बुर पर अपनी हथेली रगड़ दिया था,,,जिस बात का एहसास उसकी मां को भी था लेकिन उसने कुछ नहीं कही थी और सफर के दौरान भी दोनों के बीच बातों ही बातों में बहुत कुछ हुआ था लेकिन फिर भी उसकी मां एतराज नहीं जताई थी इसीलिए राजू को पिछली बातों के बारे में सोच कर हिम्मत बढ़ती जा रही थी,,,,, मधु कुछ और सोच पाती इससे पहले ही राजू कमरे में प्रवेश करते हुए एकदम से बोला,,,।
क्या हुआ मा तुमसे ब्लाउज की डोरी नहीं खोली जा रही है मैं खोल दूं क्या,,,,,,
(एकाएक राजू की आवाज सुनकर मधु एकदम से चौक गई थी क्योंकि उसे यकीन नहीं हो रहा था कितनी जल्दी कोई उसकी कमरे में आ जाएगा,, और खुद जिस हालत में थी उससे वह पूरी तरह से सकपका गई थी,,,उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसका बेटा कमरे में आ चुका है और वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट में है साड़ी वह उतार चुकी थी,,,इसलिए वह अपने बेटे की आंखों के सामने इस हालत में खुद को देखकर शर्म से पानी पानी होने लगी,,,,राजू की बात सुनकर वह कुछ बोल पाती इससे पहले ही राजू खुद अपनी मां के ठीक पीछे पहुंच गया और अपनी मां की इजाजत पाए बिना ही अपनी मां की ब्लाउज की डोरी को दोनों हाथों से थाम लिया,,,, मधु की तो सांस ही अटक गई उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, मधु अर्धनग्न अवस्था में किस हालत में उसके पीछे उसका बेटा खड़ा था और उसकी ब्लाउज की डोरी को पकड़े हुए था,,,, ऐसे हालत में मां के तन बदन में कैसी हलचल होती है वह शायद मधु से बेहतर कोई नहीं जानता था,,,,।
पल भर में ही मधु की आंखों के सामने सफर के दौरान वाला दृश्य घूमने लगा जब रास्ते में कुंवा देखकर पानी पीने के लिए दोनों बैल गाड़ी से नीचे उतरे थे और उसी समय उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी थी और कोई के पीछे बड़े पत्थर के पीछे जाकर वहां पेशाब कर रही थी तभी राजू उसे ढूंढता हुआ वहां तक आ गया था और उसे पेशाब करता हुआ देख लिया था उसकी नंगी नंगी गोरी गोरी गांड को अपनी आंखों से देख लिया था उस समय के एहसास को मधु इस समय महसूस कर रही थी इस समय राजू उसके पीछे खड़ा होकर उसकी ब्लाउज की डोरी को अपने दोनों हाथों से थामे हुए था और मधु को ऐसा एहसास हो रहा था कि जैसे उसका बेटा फिर से उसे पेशाब करते हुए देखना है मैं तो एकदम शर्म से पानी-पानी हुए जा रही थी पल भर में उसके माथे पर पसीने की बूंदें उपसने लगू सांसो की गति तेज होने लगी,,,, उत्तेजना के मारे मधु का गला सूख रहा था वह इतनी शर्म से पानी-पानी हो जा रही थी कि अपनी नजर घुमाकर पीछे अपने बेटे की तरफ देखने भर की हिम्मत नहीं थी,,,और राजू ठीक उसके पीछे खड़ा था उसका लंड पूरी तरह से पैजामा में तनकर तंबू बनाया हुआ था,,, और राजू कैलेंडर और मधु की गांड से दोनों के बीच का फासला केवल चार अंगुल का था,,,अगर मधु कसमस आते हुए जरा सा भी अपने बदन में हलचल करती तो उसकी गांड ठीक राजू के लंड पर रगड़ खा जाती,,,।
राजू अपने हाथ में अपनी मां के ब्लाउज की डोरी पकड़े हुए था और उसे खींचने की तैयारी में था लेकिन उससे पहले वह अपनी नजरों को नीचे झुका कर पेटीकोट में कसी हुई अपनी मां की गांड की उधार को देख रहा था जिससे उसके लंड का फैसला केवल चार अंगुल था राजू का मन तो कर रहा था कि,, अपनी कमर को आगे धक्का देकर अपने लंड को पेटीकोट सहित अपनी मां की गांड में डाल दे,,,,,,कई औरतों के संगत में आकर उनकी खूबसूरत जिस्म को छोड़कर राजू औरत के हर एक एहसास से वाकिफ हो चुका था इस समय वह अपनी मां की गहरी चलती सांसो को देखकर समझ गया था कि उसकी मां के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही है,,,,राजू के मन में हो रहा था कि मौके का फायदा उठा लिया जाया करो किसी भी प्रकार की हरकत करेगा तो उससे उसकी मां को बेहद आनंद की अनुभूति होगी वह उत्तेजित हो जाएगी और दूसरी औरतों की तरह वह भी चुदवासी हो जाएगी,,,
राजू के हाथों में ब्लाउज की डोरी थी जिसे खींचने से ही डोरी खुल जाती है और ब्लाउज का कसाव बड़ी बड़ी चूचीयो से ढीला पड़ने लगता,,,और यही देखने के लिए राजू अपनी मां के ब्लाउज की डोरी को एक दूसरे की विरुद्ध खींचने लगा और देखते ही देखते ब्लाउज की कसी हुई डोरी खुलने लगी,,, राजू का दिल जोरो से धड़कने लगा और यही एहसास यही असर मधु के तन बदन में भी हो रहा था,,,वह कभी सोचा नहीं कि कृष्णा बेटा अपने हाथों से उसका ब्लाउज की डोरी को खोलेगा मधु को खुद इस बात का एहसास हो रहा था कि जैसे उसका बेटा उसके ब्लाउज की डोरी खोल कर उसे अपने हाथों से नंगी करने जा रहा है,,,यह एहसास ही उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल सा मचाया हुआ था,,, मधु की बुर से काम रस की बुंद अमृत की बूंद बन कर टपक रही थी,,,।
राजू के तन बदन में आग लगी हुई थी इतना अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव पहली बार कर रहा था राजू की कमर लप-लप आ रही थी आगे बढ़ने के लिए अपनी मां की गांड को स्पर्श करने के लिए,,, राजू अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ को देख रहा था जिस पर पसीने की बूंदें मोती के दाने की तरह फिसल रही थी,,,, मधु से राजू की लंबाई थोड़ी ज्यादा थी इसलिए उसे पीछे खड़े होने के बावजूद भी अपनी मां का ब्लाउज साफ नजर आ रहा था जिसमें से गहरी सांस के साथ उसकी उठती बैठती चूचियां उसे साफ नजर आ रही थी राजू अपनी मां की चूचियों को दोनों हाथ से पकड़ कर दबाना चाहता था,,,, उसे मुंह में लेकर उसका दूध पीना चाहता था,,,, लेकिन राजू अपने आप पर काबू किए हुए थे वह इस खेल में धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहता था क्योंकि उसे इस बात का एहसास हो गया था कि उसकी हरकत का मजा उसकी मां भी ले रही थी वरना कब का ही वह डांट कर कमरे से बाहर निकाल दी होती,,,राजू अपनी मां के ब्लाउज की डोरी को खोल चुका था और डोरी को अलग अलग कर चुका था पीछे से ब्लाउज की डोरी खुलते ही उसकी मां की पीठ एकदम नंगी हो गई जिस पर राजू अपने होंठों का स्पर्श करना चाहता था,,,डोरी को दोनों हाथों में पकड़े हुए राजू अपनी मां की नंगी चिकिनी पीठ के बीच की गहरी दरार को देख रहा था जो कि उसके नितंबों के ऊपरी सतह तक पहुंच रही थी और नीचे एक बेहद अद्भुत कामदारी गड्ढा बनाए हुए थी जिसमें राजू का मन डुब जाने को कर रहा था,,,,,,दोनों के बीच काफी देर से किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हुई थी इसलिए राजू ही वार्तालाप की शुरुआत करते हुए अपनी मां से बोला,,,,।
कककक,कीतना कस के बांधी थी,,,,(इतना कहते हुए जो काम मधु को अपने हाथों से करना था राजू खुद अपने हाथों से करने लगा था इतना कहते हुए अपनी मां के ब्लाउज को उसके कंधे से नीचे की तरफ ले जाने लगा बेहद मादकता भरे अदा से मधु के तन बदन में आग लग रही थी खास करके उसकी बुर में,,, जिसमें से काम रस लगातार बहता चला जा रहा था,,,, राजू अपनी मां की खामोशी को उसकी तरफ से आमंत्रण समझ रहा था और हिम्मत करके वह एक कदम आगे बढ़ा जिससे पजामे में तना हुआ तंबू मधु की गांड के पीछे पीछे रगड़ खाने लगा,,,, राजू का लंड मधु अपनी गांड पर महसूस करते ही एकदम से सिहर उठी,,,,, राजू अपनी मां की प्रतिक्रिया देखना चाहता था इसलिए हल्के हल्के अपने लंड को उसकी गांड से सटा रहा था लेकिन जब उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसकी मां बिल्कुल भी ऐतराज नहीं कर रही है बल्कि उसकी हरकत का मजा ले रही है तब उसकी हिम्मत बढ़ने लगी अब तक राजू अपनी मां के ब्लाउज को उसके हरदेव बहुत अकेला चुका था आगे से ब्लाउज सूचियों का साथ छोड़ते हुए पत्ता गोभी के पत्ते की तरह अलग होने लगा था कि अपनी चूचियों को नंगी होता देखकर शर्म के मारे मधु अपने दोनों हाथों को अपनी छाती से लगा ली और राजू को,,, ब्लाउज उतारने से मना कर रही थी लेकिन राजू औरतों के हिसाब से अच्छी तरह से वाकिफ हो गया था अपनी मां की कह रही चलती सांसो को हुआ अच्छी तरह से पहचान रहा था वह जानता था कि उसकी मां उत्तेजित हो रही है उसे मजा आ रहा है और अपने मन में पक्के तौर से कहने लगा कि जरूर उसकी मां की बुर से पानी निकल रहा होगा उसकी मां की बुर गीली हो रही होगी,,,, क्योंकि अब तक जितनी भी औरतों को चोदता आ रहा था वह जानता था कि उसकी हरकत की वजह से सबसे पहले उनकी बुर गीली होती थी,, अपनी मां की बुर गीली होने के अहसास से ही राजु पूरी तरह से मस्त हो चुका था,,, वह ईस बार कमर को कुछ ज्यादा ही जोर से आगे की तरफ ठेला तो इस बार उसका लंड मधु की गांड के बीचो बीच धंसता हुआ महसूस हुआ,,, मधु एकदम से मस्त हो गई वह अपने बेटे को रोकना चाहती थी लेकिन एक अजीब सी मस्ती के सागर में वह हिलोरे मार रही थी इसलिए ना चाहते हुए भी उसकी हरकत का मजा ले रही थी,,,,।
राजू पूरी तरह से उत्तेजित होकर चुका था वह एकदम से चुदवासा हो चुका था ब्लाउज भी उसकी आधी चूची पर रुकी हुई थी इसलिए वहां उत्तेजित अवस्था में अपनी मां के बदन से एकदम से सट गया,,,, जऐसे ही मधु ने अपने बेटे को अपनी पीठ और गांड से एकदम से सटता हुआ महसूस की उत्तेजना के मारे उसके मुख से सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,अपनी मां की उत्तेजित अवस्था का इससे बड़ा सबूत और क्या मिलने वाला था,,,,, राजू समझ गया कि उसकी मां चुदवासी हो रही है,,,इसलिए इस मौके का वह पूरी तरह से फायदा उठाना चाहता था वह अपनी मां के गर्दन पर अपने होंठ को रख कर,,, चुंबन करने लगा राजू अपनी हरकत से अपनी मां को पूरी तरह से विवश कर रहा था और साथ ही ब्लाउज को अलग करने लगा इस बार उसकी मां उसे रोक नहीं पाई और देखते ही देखते राजू अपने हाथों से अपनी मां का ब्लाउज उतारकर उसे कमर के ऊपर नंगी कर चुका था,,,, राजू लगातार अपने लंड का दबाव अपनी मां की गांड पर बनाया हुआ था जोकि पेटीकोट सहीत उसकी गांड की दरार में धंसा चला जा रहा थी,,,, इससे ही मधु को अपने बेटे के लैंड की ताकत का एहसास होने लगा था,,,, ब्लाउज के अलग होते ही राजू अपने आप पर सब्र नहीं कर पाया और जो कुछ वह अपनी कल्पना में करने की सोच रहा था वह तुरंत अपने हाथ को अपनी मां की चूची पर रख कर जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया और पल भर में उसे इस बात का अहसास हो गया कि अब तक गांव की जितनी भी औरतों की चूचियां उसके हाथ में आई थी सबसे जबरदस्त गोल गोल खरबूजे जैसी चूचियां उसकी मां की ही थी जिसे वह जोर-जोर से बता रहा था,,,मधु अपने बेटे की हरकत से पूरी तरह से कसमसा रही थी और उत्तेजना के चलते खुद ही अपने गांड को पीछे की तरफ अपने बेटे के लंड पर दबा रही थी,,,,।
राजू समझ गया था कि उसका काम बनने वाला है वह देखना चाहता था कि उसकी मां की बुर की ली हुई या नहीं इसलिए एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर पेटीकोट के ऊपर से अपनी मां की बुर वाली जगह पर दबाने लगा और तुरंत उसे अपनी मां की बुर के की गीलेपन का एहसास होने लगा पेटीकोट आगे से एकदम गीली हो चुकी थी,,,। राजू का लंड अपनी मां की बुर गीली होता हुआ देखकर और भी ज्यादा कड़क हो गया,,,,।
दोनों की गहरी सांसे पूरे कमरे में शोर मचा रही थी दोनों को इस बात का अहसास तक नहीं था कि हरिया और गुलाबी में से कोई भी घर में आ सकता है राजू इस मौके का पूरा फायदा उठाते हो अपनी मां की पेटीकोट को ऊपर की तरफ उठाने लगा और कमर तक उठाकर अपनी हथेली को अपनी मां की बुर पर रख दिया,,, बुर क्या थी भट्टी की तरह तप रही थी जिसे ठंडा करने के लिए लंड का फुआरा चाहिए था,,,, मधु उत्तेजित अवस्था में कसमसाते हुए अपनी बड़ी बड़ी गांड को पजामे में तने हुए अपनी बेटे के लंड पर गोल गोल घुमा कर रगड़ने लगी,,,,अपनी मां की हरकत को देखकर राजू पूरी तरह से चुदवासी हुआ जा रहा था और इसी समय अपनी मां की बुर में लंड डालकर चोदने का इरादा बना लिया था,,, और इसीलिए वहां अपनी मां की पेटीकोट की डोरी को पकड़कर खींचने ही वाला था कि बाहर बाल्टी के रखने की आवाज सुनाई थी वैसे ही तुरंत राजू बिना देर की अपनी मां को उसी अवस्था में छोड़कर उसके कमरे से बाहर निकल गया और,,, मधु को भी यह एहसास होते ही वह तुरंत दूसरे ब्लाउज को लेकर पहनाने लगी और,,,, दरवाजे की तरफ देखी तो राजु जा चुका था,,, जल्द ही मधु दूसरी साड़ी पहनकर अपने आपको व्यवस्थित कर लेती और कमरे से जैसे बाहर आई वैसे ही गुलाबी पानी से भरी बाल्टी लाकर वही रखते हुए बोली,,।
तुम कब आई भाभी,,,
अभी कुछ ही देर हुआ है,,,,,।
(इतना कहने के साथ ही खाना बनाने की तैयारी में लग गई और भगवान से प्रार्थना करने लगी की अच्छा हुआ गुलाबी के देखने से पहले ही सब कुछ ठीक हो गया था)
राजू घर पर पहुंच चुका था,,, आज उसने बदमाशों से बचाकर झुमरी के मन में अपने लिए एक खास जगह बना लिया था,,, रास्ते भर झुमरी तिरछी नजरों से राजू को देखते आ रही थी,,,राजू उसे अब और ज्यादा अच्छा लगने लगा था वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जिस लड़के को वह पसंद की है वह अच्छा तो है ही लेकिन उसमें दम भी है उसकी लाज बचाने का,,, और आज झुमरी अपनी आंखों से देख भी ली थी अगर वह सही समय पर ना आता तो शायद,,, उसकी इज्जत लूट गई होती जिसे वह संभाल कर सिर्फ अपने पति के लिए रखी थी और जिसके लिए रखी थी उसी ने आज उसकी इज्जत भी बचा ली थी क्योंकि मन ही मन झुमरी राजू से शादी के सपने देखने लगी थी,, लेकिन अब उसे लगने लगा था कि उसने अपने जीवनसाथी का सही चयन किया है,,,,,,,,,।
राजू बैल गाड़ी लेकर शाम को घर पहुंचा था,, तब तक गुलाबी और उसका बड़ा भाई मिलकर संभोग की चरम सुख को बार-बार प्राप्त कर रहे थे लेकिन उन लोगों के आने से पहले ही दोनों अपने-अपने काम में लग गए थे,,, घर पर जब राजु पहुंचा तो ना तो उसके पिताजी घर पर थे और ना ही गुलाबी ,,,,,गुलाबी खेत की तरफ गई हुई थी और हरिया गांव के नुक्कड़ पर चाय पान बीड़ी की दुकान पर बैठा हुआ था,,,,,,, हरिया अपने संगी साथी के साथ गपशप में लगा हुआ था और वीडीके कस खींच रहा था,,,,।
दूसरी तरफ घर पर पहुंचते ही मधु अपने कपड़े बदलने लगी क्योंकि शादी में गई हुई थी इसलिए नई साड़ी पहनी हुई थी,,, वह अपने कमरे में अपनी साड़ी को उतार कर रस्सी पर टांग की और अपने ब्लाउज की डोरी को खोलने की कोशिश करने लगी अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर डोरी खोलने में उसे काफी मशक्कत झेलनी पड़ रही थी और उससे डोरी खुल भी नहीं रही थी वैसे तो औपचारिक रूप से वह बटन वाला ब्लाउज ही पहनती थी लेकिन शादी ब्याह के लिए उसने अलग से ब्लाउज सिलवा कर रखी थी,,,, पहनते समय वह गुलाबी से उसकी डोरी बंधवाई थी लेकिन इस समय गुलाबी घर पर नहीं थी,,, और उसका हाथ पीछे की तरफ ठीक से नहीं पहुंच पा रहा था और अपनी मां की यह हरकत राजू चोरी-छिपे दरवाजे की ओट में खड़ा होकर देख रहा था वैसे तो उसे इस बात का इंतजार था कि कब उसकी मां अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाए,,,,बहुत बार बार अपनी मां को नंगी देख भी चुका था और चुदवाते हुए भी देख चुका था अपनी मां की पूरी में अपने पिताजी के लंड को अंदर बाहर होता हुआ देखा था और खुद अपनी मां को अपने पिताजी के लंड पर गांड उछाल उछाल कर पटकते हुए देखा था अपना दूध पिलाते हुए देखा था अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड देख चुका था लेकिन फिर भी अपनी मां को नग्न अवस्था में देखने की यह प्यास उसकी बुझती ही नहीं थी वह जानता था कि समय घर पर ना तो उसकी बुआ है और ना ही उसके पिताजी इसलिए वह इत्मीनान से अपनी मां को अपने हाथों से नंगी होता हुआ देखना चाहता था मधु को तो इस बात का आभास तक नहीं था कि दरवाजे की ओट में छिपकर उसका बेटा उसे कपड़े उतारते हुए देख रहा है,,,,।
जिस तरह से उसकी मां अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ जाकर ब्लाउज की डोरी को पकड़कर खींचने की कोशिश कर रही थी उसे देखता हुआ राजू अपने मन में सोच रहा था कि अगर उसको यह मौका मिलता तो सुबह एक झटके में ब्लाउज की डोरी खोल कर उसे नंगी कर दिया होता,,,,एक तरफ राजू अपने मन में यह सोच भी रहा था और इस बात से गुस्सा भी हो रहा था कि उसकी मां ब्लाउज की डोरी नहीं खोल पा रही है क्योंकि जितनी हो तेरी कर रही थी उतनी और ज्यादा उत्सुकता राजू को अपनी मां को नंगी देखने के लिए बढ़ती जा रही थी,,,,,,।
राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि उसकी मां उसकी आंखों के सामने ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी उसका गदराया बदन राजू के तन बदन में आग लगा रहा था,,, कमर की पतली धारी मधु की खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे वहीं दूसरी तरफ वही कमर की पतली धारी राजू के लंड की ऐठन बढ़ा रही थी,,,,, मधु की बड़ी बड़ी गांड पेटीकोट में भी नहीं समा रही थी एकदम कसी हुई पेटीकोट में राजू को अपनी मां की गांड बादलों के पीछे छुपा हुआ चांद नजर आ रहा था जिसे वह अपने हाथों में पकड़ कर देखना चाहता था अपनी हथेली में उतार लेना चाहता था,,,
राजू बार-बार दरवाजे की तरफ भी देख ले रहा था कि कहीं कोई आ ना जाए,,, क्योंकि उसे इस बात का डर भी था कि अगर कोई ने देख लिया तो क्या कहेगा,,,,,,।
अपनी मां के गदराए बदन को देखकर राजू का लंड खड़ा हो चुका था,,,, जिस तरह से बना अपनी साड़ी को उतार कर रस्सी पर टांगे कि उसे देखते हुए राजू समझ गया था कि उसकी मां अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होने वाली है और वह इस बात को भूल चुकी थी कि दरवाजा खुला है वरना बा दरवाजा बंद करना कभी नहीं भूलती इसी का फायदा उठाते हुए राजू दरवाजे की ओट के पीछे छुपा हुआ था,,,, मधु बार-बार अपने हाथ को जितना हो सकता था उतना पीछे की तरफ से जाकर ब्लाउज की डोरी को खोलने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसकी उंगलियां गिठान तक नहीं पहुंच पा रही थी,,,, इस अद्भुत मादकता से भरे नजारे को देखकर राजू के मन में विचार आने लगा कि क्यों ना वह खुद ही कमरे में जाकर अपनी मां के ब्लाउज की डोरी खोल दे,,, क्योंकि सफर के दौरान दोनों के बीच काफी खुलापन आ रहा था जिसका आनंद खुद उसकी मां भी ले रही थी और तो और कुए के पीछे वह अपनी मां को पेशाब करते हुए भी देख चुका था और यह एहसास मधु को भी था कि उसका बेटा उसे पेशाब करते हुए देख लिया है उसकी नंगी बड़ी बड़ी गांड को अपनी आंखों से देख लिया है उस पर मधु के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी,,,,लेकिन इस बात की झिझक उसके मन में बिल्कुल भी नहीं थी कि उसका बेटा उसे पेशाब करते हुए देख लिया है बल्कि इस बात से उसे उत्तेजना का एहसास हो रहा था और वह इस बात के लिए अपने बेटे को कुछ भी नहीं कही थी इसी से राजू का मन आगे बढ़ रहा था,,,,
मधु पूरी कोशिश में लगी हुई थी लेकिन कामयाबी उसके हाथ नहीं लग रही थी हाथ पीछे की तरफ लाकर ब्लाउज की डोरी तक पहुंचने की कोशिश में उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां उछल रही थी मानो कि जैसे दो बड़े-बड़े खर्चे इसकी ब्लाउज में डाल दिए गए हैं और वह किसी भी पर उछल कर बाहर आ जाएंगे,,,, राजू की नजर अपनी मां की चोटियों के साथ-साथ उसके गदरीए जिस्म और पेटीकोट में कसी हुई उसकी गान्ड जो की हिलोरे मार रही थी उस पर टिकी हुई थी,,, थक हार कर अपनी नाकामयाब कोशिश के चलते मधु रोने जैसी हो गई थी,,,।
धत् तेरी की मुझे यह ब्लाउज पहनना ही नहीं चाहिए था एक तो यह गुलाबी पता नहीं कहां चली गई है,,, अब क्या करूं गुलाबी के आने तक का इंतजार करु तब तक तो बहुत देर हो जाएगी खाना बनाने का समय हो रहा है,,,।
(मधु अपने मन में यही सोच रही थी कि राजू कमरे में प्रवेश करने का अपना मन बना चुका था यह सोच कर कि जो भी होगा देखा जाएगा,,, क्योंकि अभी तक की अपनी हरकतों से जिस तरह से उसने अपनी मां को परेशान किया था उसे देखते हुए राजू समझ गया था कि अगर उसकी मां को एतराज जताना होता तो पहले ही उसे डांट चुकी होती फटकार चुकी होती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था क्योंकि राजू ने अपनी मां के साथ बहुत कुछ कर चुका था कुएं में से पानी निकालते समय गाय की डोरी खींचते समय उस समय तो राजू ने अपनी मां के साथ खुली छूट लेते हुए अपनी मां की बुर पर अपनी हथेली रगड़ दिया था,,,जिस बात का एहसास उसकी मां को भी था लेकिन उसने कुछ नहीं कही थी और सफर के दौरान भी दोनों के बीच बातों ही बातों में बहुत कुछ हुआ था लेकिन फिर भी उसकी मां एतराज नहीं जताई थी इसीलिए राजू को पिछली बातों के बारे में सोच कर हिम्मत बढ़ती जा रही थी,,,,, मधु कुछ और सोच पाती इससे पहले ही राजू कमरे में प्रवेश करते हुए एकदम से बोला,,,।
क्या हुआ मा तुमसे ब्लाउज की डोरी नहीं खोली जा रही है मैं खोल दूं क्या,,,,,,
(एकाएक राजू की आवाज सुनकर मधु एकदम से चौक गई थी क्योंकि उसे यकीन नहीं हो रहा था कितनी जल्दी कोई उसकी कमरे में आ जाएगा,, और खुद जिस हालत में थी उससे वह पूरी तरह से सकपका गई थी,,,उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसका बेटा कमरे में आ चुका है और वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट में है साड़ी वह उतार चुकी थी,,,इसलिए वह अपने बेटे की आंखों के सामने इस हालत में खुद को देखकर शर्म से पानी पानी होने लगी,,,,राजू की बात सुनकर वह कुछ बोल पाती इससे पहले ही राजू खुद अपनी मां के ठीक पीछे पहुंच गया और अपनी मां की इजाजत पाए बिना ही अपनी मां की ब्लाउज की डोरी को दोनों हाथों से थाम लिया,,,, मधु की तो सांस ही अटक गई उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, मधु अर्धनग्न अवस्था में किस हालत में उसके पीछे उसका बेटा खड़ा था और उसकी ब्लाउज की डोरी को पकड़े हुए था,,,, ऐसे हालत में मां के तन बदन में कैसी हलचल होती है वह शायद मधु से बेहतर कोई नहीं जानता था,,,,।
पल भर में ही मधु की आंखों के सामने सफर के दौरान वाला दृश्य घूमने लगा जब रास्ते में कुंवा देखकर पानी पीने के लिए दोनों बैल गाड़ी से नीचे उतरे थे और उसी समय उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी थी और कोई के पीछे बड़े पत्थर के पीछे जाकर वहां पेशाब कर रही थी तभी राजू उसे ढूंढता हुआ वहां तक आ गया था और उसे पेशाब करता हुआ देख लिया था उसकी नंगी नंगी गोरी गोरी गांड को अपनी आंखों से देख लिया था उस समय के एहसास को मधु इस समय महसूस कर रही थी इस समय राजू उसके पीछे खड़ा होकर उसकी ब्लाउज की डोरी को अपने दोनों हाथों से थामे हुए था और मधु को ऐसा एहसास हो रहा था कि जैसे उसका बेटा फिर से उसे पेशाब करते हुए देखना है मैं तो एकदम शर्म से पानी-पानी हुए जा रही थी पल भर में उसके माथे पर पसीने की बूंदें उपसने लगू सांसो की गति तेज होने लगी,,,, उत्तेजना के मारे मधु का गला सूख रहा था वह इतनी शर्म से पानी-पानी हो जा रही थी कि अपनी नजर घुमाकर पीछे अपने बेटे की तरफ देखने भर की हिम्मत नहीं थी,,,और राजू ठीक उसके पीछे खड़ा था उसका लंड पूरी तरह से पैजामा में तनकर तंबू बनाया हुआ था,,, और राजू कैलेंडर और मधु की गांड से दोनों के बीच का फासला केवल चार अंगुल का था,,,अगर मधु कसमस आते हुए जरा सा भी अपने बदन में हलचल करती तो उसकी गांड ठीक राजू के लंड पर रगड़ खा जाती,,,।
राजू अपने हाथ में अपनी मां के ब्लाउज की डोरी पकड़े हुए था और उसे खींचने की तैयारी में था लेकिन उससे पहले वह अपनी नजरों को नीचे झुका कर पेटीकोट में कसी हुई अपनी मां की गांड की उधार को देख रहा था जिससे उसके लंड का फैसला केवल चार अंगुल था राजू का मन तो कर रहा था कि,, अपनी कमर को आगे धक्का देकर अपने लंड को पेटीकोट सहित अपनी मां की गांड में डाल दे,,,,,,कई औरतों के संगत में आकर उनकी खूबसूरत जिस्म को छोड़कर राजू औरत के हर एक एहसास से वाकिफ हो चुका था इस समय वह अपनी मां की गहरी चलती सांसो को देखकर समझ गया था कि उसकी मां के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही है,,,,राजू के मन में हो रहा था कि मौके का फायदा उठा लिया जाया करो किसी भी प्रकार की हरकत करेगा तो उससे उसकी मां को बेहद आनंद की अनुभूति होगी वह उत्तेजित हो जाएगी और दूसरी औरतों की तरह वह भी चुदवासी हो जाएगी,,,
राजू के हाथों में ब्लाउज की डोरी थी जिसे खींचने से ही डोरी खुल जाती है और ब्लाउज का कसाव बड़ी बड़ी चूचीयो से ढीला पड़ने लगता,,,और यही देखने के लिए राजू अपनी मां के ब्लाउज की डोरी को एक दूसरे की विरुद्ध खींचने लगा और देखते ही देखते ब्लाउज की कसी हुई डोरी खुलने लगी,,, राजू का दिल जोरो से धड़कने लगा और यही एहसास यही असर मधु के तन बदन में भी हो रहा था,,,वह कभी सोचा नहीं कि कृष्णा बेटा अपने हाथों से उसका ब्लाउज की डोरी को खोलेगा मधु को खुद इस बात का एहसास हो रहा था कि जैसे उसका बेटा उसके ब्लाउज की डोरी खोल कर उसे अपने हाथों से नंगी करने जा रहा है,,,यह एहसास ही उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल सा मचाया हुआ था,,, मधु की बुर से काम रस की बुंद अमृत की बूंद बन कर टपक रही थी,,,।
राजू के तन बदन में आग लगी हुई थी इतना अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव पहली बार कर रहा था राजू की कमर लप-लप आ रही थी आगे बढ़ने के लिए अपनी मां की गांड को स्पर्श करने के लिए,,, राजू अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ को देख रहा था जिस पर पसीने की बूंदें मोती के दाने की तरह फिसल रही थी,,,, मधु से राजू की लंबाई थोड़ी ज्यादा थी इसलिए उसे पीछे खड़े होने के बावजूद भी अपनी मां का ब्लाउज साफ नजर आ रहा था जिसमें से गहरी सांस के साथ उसकी उठती बैठती चूचियां उसे साफ नजर आ रही थी राजू अपनी मां की चूचियों को दोनों हाथ से पकड़ कर दबाना चाहता था,,,, उसे मुंह में लेकर उसका दूध पीना चाहता था,,,, लेकिन राजू अपने आप पर काबू किए हुए थे वह इस खेल में धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहता था क्योंकि उसे इस बात का एहसास हो गया था कि उसकी हरकत का मजा उसकी मां भी ले रही थी वरना कब का ही वह डांट कर कमरे से बाहर निकाल दी होती,,,राजू अपनी मां के ब्लाउज की डोरी को खोल चुका था और डोरी को अलग अलग कर चुका था पीछे से ब्लाउज की डोरी खुलते ही उसकी मां की पीठ एकदम नंगी हो गई जिस पर राजू अपने होंठों का स्पर्श करना चाहता था,,,डोरी को दोनों हाथों में पकड़े हुए राजू अपनी मां की नंगी चिकिनी पीठ के बीच की गहरी दरार को देख रहा था जो कि उसके नितंबों के ऊपरी सतह तक पहुंच रही थी और नीचे एक बेहद अद्भुत कामदारी गड्ढा बनाए हुए थी जिसमें राजू का मन डुब जाने को कर रहा था,,,,,,दोनों के बीच काफी देर से किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हुई थी इसलिए राजू ही वार्तालाप की शुरुआत करते हुए अपनी मां से बोला,,,,।
कककक,कीतना कस के बांधी थी,,,,(इतना कहते हुए जो काम मधु को अपने हाथों से करना था राजू खुद अपने हाथों से करने लगा था इतना कहते हुए अपनी मां के ब्लाउज को उसके कंधे से नीचे की तरफ ले जाने लगा बेहद मादकता भरे अदा से मधु के तन बदन में आग लग रही थी खास करके उसकी बुर में,,, जिसमें से काम रस लगातार बहता चला जा रहा था,,,, राजू अपनी मां की खामोशी को उसकी तरफ से आमंत्रण समझ रहा था और हिम्मत करके वह एक कदम आगे बढ़ा जिससे पजामे में तना हुआ तंबू मधु की गांड के पीछे पीछे रगड़ खाने लगा,,,, राजू का लंड मधु अपनी गांड पर महसूस करते ही एकदम से सिहर उठी,,,,, राजू अपनी मां की प्रतिक्रिया देखना चाहता था इसलिए हल्के हल्के अपने लंड को उसकी गांड से सटा रहा था लेकिन जब उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसकी मां बिल्कुल भी ऐतराज नहीं कर रही है बल्कि उसकी हरकत का मजा ले रही है तब उसकी हिम्मत बढ़ने लगी अब तक राजू अपनी मां के ब्लाउज को उसके हरदेव बहुत अकेला चुका था आगे से ब्लाउज सूचियों का साथ छोड़ते हुए पत्ता गोभी के पत्ते की तरह अलग होने लगा था कि अपनी चूचियों को नंगी होता देखकर शर्म के मारे मधु अपने दोनों हाथों को अपनी छाती से लगा ली और राजू को,,, ब्लाउज उतारने से मना कर रही थी लेकिन राजू औरतों के हिसाब से अच्छी तरह से वाकिफ हो गया था अपनी मां की कह रही चलती सांसो को हुआ अच्छी तरह से पहचान रहा था वह जानता था कि उसकी मां उत्तेजित हो रही है उसे मजा आ रहा है और अपने मन में पक्के तौर से कहने लगा कि जरूर उसकी मां की बुर से पानी निकल रहा होगा उसकी मां की बुर गीली हो रही होगी,,,, क्योंकि अब तक जितनी भी औरतों को चोदता आ रहा था वह जानता था कि उसकी हरकत की वजह से सबसे पहले उनकी बुर गीली होती थी,, अपनी मां की बुर गीली होने के अहसास से ही राजु पूरी तरह से मस्त हो चुका था,,, वह ईस बार कमर को कुछ ज्यादा ही जोर से आगे की तरफ ठेला तो इस बार उसका लंड मधु की गांड के बीचो बीच धंसता हुआ महसूस हुआ,,, मधु एकदम से मस्त हो गई वह अपने बेटे को रोकना चाहती थी लेकिन एक अजीब सी मस्ती के सागर में वह हिलोरे मार रही थी इसलिए ना चाहते हुए भी उसकी हरकत का मजा ले रही थी,,,,।
राजू पूरी तरह से उत्तेजित होकर चुका था वह एकदम से चुदवासा हो चुका था ब्लाउज भी उसकी आधी चूची पर रुकी हुई थी इसलिए वहां उत्तेजित अवस्था में अपनी मां के बदन से एकदम से सट गया,,,, जऐसे ही मधु ने अपने बेटे को अपनी पीठ और गांड से एकदम से सटता हुआ महसूस की उत्तेजना के मारे उसके मुख से सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,अपनी मां की उत्तेजित अवस्था का इससे बड़ा सबूत और क्या मिलने वाला था,,,,, राजू समझ गया कि उसकी मां चुदवासी हो रही है,,,इसलिए इस मौके का वह पूरी तरह से फायदा उठाना चाहता था वह अपनी मां के गर्दन पर अपने होंठ को रख कर,,, चुंबन करने लगा राजू अपनी हरकत से अपनी मां को पूरी तरह से विवश कर रहा था और साथ ही ब्लाउज को अलग करने लगा इस बार उसकी मां उसे रोक नहीं पाई और देखते ही देखते राजू अपने हाथों से अपनी मां का ब्लाउज उतारकर उसे कमर के ऊपर नंगी कर चुका था,,,, राजू लगातार अपने लंड का दबाव अपनी मां की गांड पर बनाया हुआ था जोकि पेटीकोट सहीत उसकी गांड की दरार में धंसा चला जा रहा थी,,,, इससे ही मधु को अपने बेटे के लैंड की ताकत का एहसास होने लगा था,,,, ब्लाउज के अलग होते ही राजू अपने आप पर सब्र नहीं कर पाया और जो कुछ वह अपनी कल्पना में करने की सोच रहा था वह तुरंत अपने हाथ को अपनी मां की चूची पर रख कर जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया और पल भर में उसे इस बात का अहसास हो गया कि अब तक गांव की जितनी भी औरतों की चूचियां उसके हाथ में आई थी सबसे जबरदस्त गोल गोल खरबूजे जैसी चूचियां उसकी मां की ही थी जिसे वह जोर-जोर से बता रहा था,,,मधु अपने बेटे की हरकत से पूरी तरह से कसमसा रही थी और उत्तेजना के चलते खुद ही अपने गांड को पीछे की तरफ अपने बेटे के लंड पर दबा रही थी,,,,।
राजू समझ गया था कि उसका काम बनने वाला है वह देखना चाहता था कि उसकी मां की बुर की ली हुई या नहीं इसलिए एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर पेटीकोट के ऊपर से अपनी मां की बुर वाली जगह पर दबाने लगा और तुरंत उसे अपनी मां की बुर के की गीलेपन का एहसास होने लगा पेटीकोट आगे से एकदम गीली हो चुकी थी,,,। राजू का लंड अपनी मां की बुर गीली होता हुआ देखकर और भी ज्यादा कड़क हो गया,,,,।
दोनों की गहरी सांसे पूरे कमरे में शोर मचा रही थी दोनों को इस बात का अहसास तक नहीं था कि हरिया और गुलाबी में से कोई भी घर में आ सकता है राजू इस मौके का पूरा फायदा उठाते हो अपनी मां की पेटीकोट को ऊपर की तरफ उठाने लगा और कमर तक उठाकर अपनी हथेली को अपनी मां की बुर पर रख दिया,,, बुर क्या थी भट्टी की तरह तप रही थी जिसे ठंडा करने के लिए लंड का फुआरा चाहिए था,,,, मधु उत्तेजित अवस्था में कसमसाते हुए अपनी बड़ी बड़ी गांड को पजामे में तने हुए अपनी बेटे के लंड पर गोल गोल घुमा कर रगड़ने लगी,,,,अपनी मां की हरकत को देखकर राजू पूरी तरह से चुदवासी हुआ जा रहा था और इसी समय अपनी मां की बुर में लंड डालकर चोदने का इरादा बना लिया था,,, और इसीलिए वहां अपनी मां की पेटीकोट की डोरी को पकड़कर खींचने ही वाला था कि बाहर बाल्टी के रखने की आवाज सुनाई थी वैसे ही तुरंत राजू बिना देर की अपनी मां को उसी अवस्था में छोड़कर उसके कमरे से बाहर निकल गया और,,, मधु को भी यह एहसास होते ही वह तुरंत दूसरे ब्लाउज को लेकर पहनाने लगी और,,,, दरवाजे की तरफ देखी तो राजु जा चुका था,,, जल्द ही मधु दूसरी साड़ी पहनकर अपने आपको व्यवस्थित कर लेती और कमरे से जैसे बाहर आई वैसे ही गुलाबी पानी से भरी बाल्टी लाकर वही रखते हुए बोली,,।
तुम कब आई भाभी,,,
अभी कुछ ही देर हुआ है,,,,,।
(इतना कहने के साथ ही खाना बनाने की तैयारी में लग गई और भगवान से प्रार्थना करने लगी की अच्छा हुआ गुलाबी के देखने से पहले ही सब कुछ ठीक हो गया था)
Wah bhai maja aa gaya too much romantic update bro and continue storyराजू घर पर पहुंच चुका था,,, आज उसने बदमाशों से बचाकर झुमरी के मन में अपने लिए एक खास जगह बना लिया था,,, रास्ते भर झुमरी तिरछी नजरों से राजू को देखते आ रही थी,,,राजू उसे अब और ज्यादा अच्छा लगने लगा था वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जिस लड़के को वह पसंद की है वह अच्छा तो है ही लेकिन उसमें दम भी है उसकी लाज बचाने का,,, और आज झुमरी अपनी आंखों से देख भी ली थी अगर वह सही समय पर ना आता तो शायद,,, उसकी इज्जत लूट गई होती जिसे वह संभाल कर सिर्फ अपने पति के लिए रखी थी और जिसके लिए रखी थी उसी ने आज उसकी इज्जत भी बचा ली थी क्योंकि मन ही मन झुमरी राजू से शादी के सपने देखने लगी थी,, लेकिन अब उसे लगने लगा था कि उसने अपने जीवनसाथी का सही चयन किया है,,,,,,,,,।
राजू बैल गाड़ी लेकर शाम को घर पहुंचा था,, तब तक गुलाबी और उसका बड़ा भाई मिलकर संभोग की चरम सुख को बार-बार प्राप्त कर रहे थे लेकिन उन लोगों के आने से पहले ही दोनों अपने-अपने काम में लग गए थे,,, घर पर जब राजु पहुंचा तो ना तो उसके पिताजी घर पर थे और ना ही गुलाबी ,,,,,गुलाबी खेत की तरफ गई हुई थी और हरिया गांव के नुक्कड़ पर चाय पान बीड़ी की दुकान पर बैठा हुआ था,,,,,,, हरिया अपने संगी साथी के साथ गपशप में लगा हुआ था और वीडीके कस खींच रहा था,,,,।
दूसरी तरफ घर पर पहुंचते ही मधु अपने कपड़े बदलने लगी क्योंकि शादी में गई हुई थी इसलिए नई साड़ी पहनी हुई थी,,, वह अपने कमरे में अपनी साड़ी को उतार कर रस्सी पर टांग की और अपने ब्लाउज की डोरी को खोलने की कोशिश करने लगी अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर डोरी खोलने में उसे काफी मशक्कत झेलनी पड़ रही थी और उससे डोरी खुल भी नहीं रही थी वैसे तो औपचारिक रूप से वह बटन वाला ब्लाउज ही पहनती थी लेकिन शादी ब्याह के लिए उसने अलग से ब्लाउज सिलवा कर रखी थी,,,, पहनते समय वह गुलाबी से उसकी डोरी बंधवाई थी लेकिन इस समय गुलाबी घर पर नहीं थी,,, और उसका हाथ पीछे की तरफ ठीक से नहीं पहुंच पा रहा था और अपनी मां की यह हरकत राजू चोरी-छिपे दरवाजे की ओट में खड़ा होकर देख रहा था वैसे तो उसे इस बात का इंतजार था कि कब उसकी मां अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाए,,,,बहुत बार बार अपनी मां को नंगी देख भी चुका था और चुदवाते हुए भी देख चुका था अपनी मां की पूरी में अपने पिताजी के लंड को अंदर बाहर होता हुआ देखा था और खुद अपनी मां को अपने पिताजी के लंड पर गांड उछाल उछाल कर पटकते हुए देखा था अपना दूध पिलाते हुए देखा था अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड देख चुका था लेकिन फिर भी अपनी मां को नग्न अवस्था में देखने की यह प्यास उसकी बुझती ही नहीं थी वह जानता था कि समय घर पर ना तो उसकी बुआ है और ना ही उसके पिताजी इसलिए वह इत्मीनान से अपनी मां को अपने हाथों से नंगी होता हुआ देखना चाहता था मधु को तो इस बात का आभास तक नहीं था कि दरवाजे की ओट में छिपकर उसका बेटा उसे कपड़े उतारते हुए देख रहा है,,,,।
जिस तरह से उसकी मां अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ जाकर ब्लाउज की डोरी को पकड़कर खींचने की कोशिश कर रही थी उसे देखता हुआ राजू अपने मन में सोच रहा था कि अगर उसको यह मौका मिलता तो सुबह एक झटके में ब्लाउज की डोरी खोल कर उसे नंगी कर दिया होता,,,,एक तरफ राजू अपने मन में यह सोच भी रहा था और इस बात से गुस्सा भी हो रहा था कि उसकी मां ब्लाउज की डोरी नहीं खोल पा रही है क्योंकि जितनी हो तेरी कर रही थी उतनी और ज्यादा उत्सुकता राजू को अपनी मां को नंगी देखने के लिए बढ़ती जा रही थी,,,,,,।
राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि उसकी मां उसकी आंखों के सामने ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी उसका गदराया बदन राजू के तन बदन में आग लगा रहा था,,, कमर की पतली धारी मधु की खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे वहीं दूसरी तरफ वही कमर की पतली धारी राजू के लंड की ऐठन बढ़ा रही थी,,,,, मधु की बड़ी बड़ी गांड पेटीकोट में भी नहीं समा रही थी एकदम कसी हुई पेटीकोट में राजू को अपनी मां की गांड बादलों के पीछे छुपा हुआ चांद नजर आ रहा था जिसे वह अपने हाथों में पकड़ कर देखना चाहता था अपनी हथेली में उतार लेना चाहता था,,,
राजू बार-बार दरवाजे की तरफ भी देख ले रहा था कि कहीं कोई आ ना जाए,,, क्योंकि उसे इस बात का डर भी था कि अगर कोई ने देख लिया तो क्या कहेगा,,,,,,।
अपनी मां के गदराए बदन को देखकर राजू का लंड खड़ा हो चुका था,,,, जिस तरह से बना अपनी साड़ी को उतार कर रस्सी पर टांगे कि उसे देखते हुए राजू समझ गया था कि उसकी मां अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होने वाली है और वह इस बात को भूल चुकी थी कि दरवाजा खुला है वरना बा दरवाजा बंद करना कभी नहीं भूलती इसी का फायदा उठाते हुए राजू दरवाजे की ओट के पीछे छुपा हुआ था,,,, मधु बार-बार अपने हाथ को जितना हो सकता था उतना पीछे की तरफ से जाकर ब्लाउज की डोरी को खोलने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसकी उंगलियां गिठान तक नहीं पहुंच पा रही थी,,,, इस अद्भुत मादकता से भरे नजारे को देखकर राजू के मन में विचार आने लगा कि क्यों ना वह खुद ही कमरे में जाकर अपनी मां के ब्लाउज की डोरी खोल दे,,, क्योंकि सफर के दौरान दोनों के बीच काफी खुलापन आ रहा था जिसका आनंद खुद उसकी मां भी ले रही थी और तो और कुए के पीछे वह अपनी मां को पेशाब करते हुए भी देख चुका था और यह एहसास मधु को भी था कि उसका बेटा उसे पेशाब करते हुए देख लिया है उसकी नंगी बड़ी बड़ी गांड को अपनी आंखों से देख लिया है उस पर मधु के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी,,,,लेकिन इस बात की झिझक उसके मन में बिल्कुल भी नहीं थी कि उसका बेटा उसे पेशाब करते हुए देख लिया है बल्कि इस बात से उसे उत्तेजना का एहसास हो रहा था और वह इस बात के लिए अपने बेटे को कुछ भी नहीं कही थी इसी से राजू का मन आगे बढ़ रहा था,,,,
मधु पूरी कोशिश में लगी हुई थी लेकिन कामयाबी उसके हाथ नहीं लग रही थी हाथ पीछे की तरफ लाकर ब्लाउज की डोरी तक पहुंचने की कोशिश में उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां उछल रही थी मानो कि जैसे दो बड़े-बड़े खर्चे इसकी ब्लाउज में डाल दिए गए हैं और वह किसी भी पर उछल कर बाहर आ जाएंगे,,,, राजू की नजर अपनी मां की चोटियों के साथ-साथ उसके गदरीए जिस्म और पेटीकोट में कसी हुई उसकी गान्ड जो की हिलोरे मार रही थी उस पर टिकी हुई थी,,, थक हार कर अपनी नाकामयाब कोशिश के चलते मधु रोने जैसी हो गई थी,,,।
धत् तेरी की मुझे यह ब्लाउज पहनना ही नहीं चाहिए था एक तो यह गुलाबी पता नहीं कहां चली गई है,,, अब क्या करूं गुलाबी के आने तक का इंतजार करु तब तक तो बहुत देर हो जाएगी खाना बनाने का समय हो रहा है,,,।
(मधु अपने मन में यही सोच रही थी कि राजू कमरे में प्रवेश करने का अपना मन बना चुका था यह सोच कर कि जो भी होगा देखा जाएगा,,, क्योंकि अभी तक की अपनी हरकतों से जिस तरह से उसने अपनी मां को परेशान किया था उसे देखते हुए राजू समझ गया था कि अगर उसकी मां को एतराज जताना होता तो पहले ही उसे डांट चुकी होती फटकार चुकी होती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था क्योंकि राजू ने अपनी मां के साथ बहुत कुछ कर चुका था कुएं में से पानी निकालते समय गाय की डोरी खींचते समय उस समय तो राजू ने अपनी मां के साथ खुली छूट लेते हुए अपनी मां की बुर पर अपनी हथेली रगड़ दिया था,,,जिस बात का एहसास उसकी मां को भी था लेकिन उसने कुछ नहीं कही थी और सफर के दौरान भी दोनों के बीच बातों ही बातों में बहुत कुछ हुआ था लेकिन फिर भी उसकी मां एतराज नहीं जताई थी इसीलिए राजू को पिछली बातों के बारे में सोच कर हिम्मत बढ़ती जा रही थी,,,,, मधु कुछ और सोच पाती इससे पहले ही राजू कमरे में प्रवेश करते हुए एकदम से बोला,,,।
क्या हुआ मा तुमसे ब्लाउज की डोरी नहीं खोली जा रही है मैं खोल दूं क्या,,,,,,
(एकाएक राजू की आवाज सुनकर मधु एकदम से चौक गई थी क्योंकि उसे यकीन नहीं हो रहा था कितनी जल्दी कोई उसकी कमरे में आ जाएगा,, और खुद जिस हालत में थी उससे वह पूरी तरह से सकपका गई थी,,,उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसका बेटा कमरे में आ चुका है और वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट में है साड़ी वह उतार चुकी थी,,,इसलिए वह अपने बेटे की आंखों के सामने इस हालत में खुद को देखकर शर्म से पानी पानी होने लगी,,,,राजू की बात सुनकर वह कुछ बोल पाती इससे पहले ही राजू खुद अपनी मां के ठीक पीछे पहुंच गया और अपनी मां की इजाजत पाए बिना ही अपनी मां की ब्लाउज की डोरी को दोनों हाथों से थाम लिया,,,, मधु की तो सांस ही अटक गई उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, मधु अर्धनग्न अवस्था में किस हालत में उसके पीछे उसका बेटा खड़ा था और उसकी ब्लाउज की डोरी को पकड़े हुए था,,,, ऐसे हालत में मां के तन बदन में कैसी हलचल होती है वह शायद मधु से बेहतर कोई नहीं जानता था,,,,।
पल भर में ही मधु की आंखों के सामने सफर के दौरान वाला दृश्य घूमने लगा जब रास्ते में कुंवा देखकर पानी पीने के लिए दोनों बैल गाड़ी से नीचे उतरे थे और उसी समय उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी थी और कोई के पीछे बड़े पत्थर के पीछे जाकर वहां पेशाब कर रही थी तभी राजू उसे ढूंढता हुआ वहां तक आ गया था और उसे पेशाब करता हुआ देख लिया था उसकी नंगी नंगी गोरी गोरी गांड को अपनी आंखों से देख लिया था उस समय के एहसास को मधु इस समय महसूस कर रही थी इस समय राजू उसके पीछे खड़ा होकर उसकी ब्लाउज की डोरी को अपने दोनों हाथों से थामे हुए था और मधु को ऐसा एहसास हो रहा था कि जैसे उसका बेटा फिर से उसे पेशाब करते हुए देखना है मैं तो एकदम शर्म से पानी-पानी हुए जा रही थी पल भर में उसके माथे पर पसीने की बूंदें उपसने लगू सांसो की गति तेज होने लगी,,,, उत्तेजना के मारे मधु का गला सूख रहा था वह इतनी शर्म से पानी-पानी हो जा रही थी कि अपनी नजर घुमाकर पीछे अपने बेटे की तरफ देखने भर की हिम्मत नहीं थी,,,और राजू ठीक उसके पीछे खड़ा था उसका लंड पूरी तरह से पैजामा में तनकर तंबू बनाया हुआ था,,, और राजू कैलेंडर और मधु की गांड से दोनों के बीच का फासला केवल चार अंगुल का था,,,अगर मधु कसमस आते हुए जरा सा भी अपने बदन में हलचल करती तो उसकी गांड ठीक राजू के लंड पर रगड़ खा जाती,,,।
राजू अपने हाथ में अपनी मां के ब्लाउज की डोरी पकड़े हुए था और उसे खींचने की तैयारी में था लेकिन उससे पहले वह अपनी नजरों को नीचे झुका कर पेटीकोट में कसी हुई अपनी मां की गांड की उधार को देख रहा था जिससे उसके लंड का फैसला केवल चार अंगुल था राजू का मन तो कर रहा था कि,, अपनी कमर को आगे धक्का देकर अपने लंड को पेटीकोट सहित अपनी मां की गांड में डाल दे,,,,,,कई औरतों के संगत में आकर उनकी खूबसूरत जिस्म को छोड़कर राजू औरत के हर एक एहसास से वाकिफ हो चुका था इस समय वह अपनी मां की गहरी चलती सांसो को देखकर समझ गया था कि उसकी मां के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही है,,,,राजू के मन में हो रहा था कि मौके का फायदा उठा लिया जाया करो किसी भी प्रकार की हरकत करेगा तो उससे उसकी मां को बेहद आनंद की अनुभूति होगी वह उत्तेजित हो जाएगी और दूसरी औरतों की तरह वह भी चुदवासी हो जाएगी,,,
राजू के हाथों में ब्लाउज की डोरी थी जिसे खींचने से ही डोरी खुल जाती है और ब्लाउज का कसाव बड़ी बड़ी चूचीयो से ढीला पड़ने लगता,,,और यही देखने के लिए राजू अपनी मां के ब्लाउज की डोरी को एक दूसरे की विरुद्ध खींचने लगा और देखते ही देखते ब्लाउज की कसी हुई डोरी खुलने लगी,,, राजू का दिल जोरो से धड़कने लगा और यही एहसास यही असर मधु के तन बदन में भी हो रहा था,,,वह कभी सोचा नहीं कि कृष्णा बेटा अपने हाथों से उसका ब्लाउज की डोरी को खोलेगा मधु को खुद इस बात का एहसास हो रहा था कि जैसे उसका बेटा उसके ब्लाउज की डोरी खोल कर उसे अपने हाथों से नंगी करने जा रहा है,,,यह एहसास ही उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल सा मचाया हुआ था,,, मधु की बुर से काम रस की बुंद अमृत की बूंद बन कर टपक रही थी,,,।
राजू के तन बदन में आग लगी हुई थी इतना अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव पहली बार कर रहा था राजू की कमर लप-लप आ रही थी आगे बढ़ने के लिए अपनी मां की गांड को स्पर्श करने के लिए,,, राजू अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ को देख रहा था जिस पर पसीने की बूंदें मोती के दाने की तरह फिसल रही थी,,,, मधु से राजू की लंबाई थोड़ी ज्यादा थी इसलिए उसे पीछे खड़े होने के बावजूद भी अपनी मां का ब्लाउज साफ नजर आ रहा था जिसमें से गहरी सांस के साथ उसकी उठती बैठती चूचियां उसे साफ नजर आ रही थी राजू अपनी मां की चूचियों को दोनों हाथ से पकड़ कर दबाना चाहता था,,,, उसे मुंह में लेकर उसका दूध पीना चाहता था,,,, लेकिन राजू अपने आप पर काबू किए हुए थे वह इस खेल में धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहता था क्योंकि उसे इस बात का एहसास हो गया था कि उसकी हरकत का मजा उसकी मां भी ले रही थी वरना कब का ही वह डांट कर कमरे से बाहर निकाल दी होती,,,राजू अपनी मां के ब्लाउज की डोरी को खोल चुका था और डोरी को अलग अलग कर चुका था पीछे से ब्लाउज की डोरी खुलते ही उसकी मां की पीठ एकदम नंगी हो गई जिस पर राजू अपने होंठों का स्पर्श करना चाहता था,,,डोरी को दोनों हाथों में पकड़े हुए राजू अपनी मां की नंगी चिकिनी पीठ के बीच की गहरी दरार को देख रहा था जो कि उसके नितंबों के ऊपरी सतह तक पहुंच रही थी और नीचे एक बेहद अद्भुत कामदारी गड्ढा बनाए हुए थी जिसमें राजू का मन डुब जाने को कर रहा था,,,,,,दोनों के बीच काफी देर से किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हुई थी इसलिए राजू ही वार्तालाप की शुरुआत करते हुए अपनी मां से बोला,,,,।
कककक,कीतना कस के बांधी थी,,,,(इतना कहते हुए जो काम मधु को अपने हाथों से करना था राजू खुद अपने हाथों से करने लगा था इतना कहते हुए अपनी मां के ब्लाउज को उसके कंधे से नीचे की तरफ ले जाने लगा बेहद मादकता भरे अदा से मधु के तन बदन में आग लग रही थी खास करके उसकी बुर में,,, जिसमें से काम रस लगातार बहता चला जा रहा था,,,, राजू अपनी मां की खामोशी को उसकी तरफ से आमंत्रण समझ रहा था और हिम्मत करके वह एक कदम आगे बढ़ा जिससे पजामे में तना हुआ तंबू मधु की गांड के पीछे पीछे रगड़ खाने लगा,,,, राजू का लंड मधु अपनी गांड पर महसूस करते ही एकदम से सिहर उठी,,,,, राजू अपनी मां की प्रतिक्रिया देखना चाहता था इसलिए हल्के हल्के अपने लंड को उसकी गांड से सटा रहा था लेकिन जब उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसकी मां बिल्कुल भी ऐतराज नहीं कर रही है बल्कि उसकी हरकत का मजा ले रही है तब उसकी हिम्मत बढ़ने लगी अब तक राजू अपनी मां के ब्लाउज को उसके हरदेव बहुत अकेला चुका था आगे से ब्लाउज सूचियों का साथ छोड़ते हुए पत्ता गोभी के पत्ते की तरह अलग होने लगा था कि अपनी चूचियों को नंगी होता देखकर शर्म के मारे मधु अपने दोनों हाथों को अपनी छाती से लगा ली और राजू को,,, ब्लाउज उतारने से मना कर रही थी लेकिन राजू औरतों के हिसाब से अच्छी तरह से वाकिफ हो गया था अपनी मां की कह रही चलती सांसो को हुआ अच्छी तरह से पहचान रहा था वह जानता था कि उसकी मां उत्तेजित हो रही है उसे मजा आ रहा है और अपने मन में पक्के तौर से कहने लगा कि जरूर उसकी मां की बुर से पानी निकल रहा होगा उसकी मां की बुर गीली हो रही होगी,,,, क्योंकि अब तक जितनी भी औरतों को चोदता आ रहा था वह जानता था कि उसकी हरकत की वजह से सबसे पहले उनकी बुर गीली होती थी,, अपनी मां की बुर गीली होने के अहसास से ही राजु पूरी तरह से मस्त हो चुका था,,, वह ईस बार कमर को कुछ ज्यादा ही जोर से आगे की तरफ ठेला तो इस बार उसका लंड मधु की गांड के बीचो बीच धंसता हुआ महसूस हुआ,,, मधु एकदम से मस्त हो गई वह अपने बेटे को रोकना चाहती थी लेकिन एक अजीब सी मस्ती के सागर में वह हिलोरे मार रही थी इसलिए ना चाहते हुए भी उसकी हरकत का मजा ले रही थी,,,,।
राजू पूरी तरह से उत्तेजित होकर चुका था वह एकदम से चुदवासा हो चुका था ब्लाउज भी उसकी आधी चूची पर रुकी हुई थी इसलिए वहां उत्तेजित अवस्था में अपनी मां के बदन से एकदम से सट गया,,,, जऐसे ही मधु ने अपने बेटे को अपनी पीठ और गांड से एकदम से सटता हुआ महसूस की उत्तेजना के मारे उसके मुख से सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,अपनी मां की उत्तेजित अवस्था का इससे बड़ा सबूत और क्या मिलने वाला था,,,,, राजू समझ गया कि उसकी मां चुदवासी हो रही है,,,इसलिए इस मौके का वह पूरी तरह से फायदा उठाना चाहता था वह अपनी मां के गर्दन पर अपने होंठ को रख कर,,, चुंबन करने लगा राजू अपनी हरकत से अपनी मां को पूरी तरह से विवश कर रहा था और साथ ही ब्लाउज को अलग करने लगा इस बार उसकी मां उसे रोक नहीं पाई और देखते ही देखते राजू अपने हाथों से अपनी मां का ब्लाउज उतारकर उसे कमर के ऊपर नंगी कर चुका था,,,, राजू लगातार अपने लंड का दबाव अपनी मां की गांड पर बनाया हुआ था जोकि पेटीकोट सहीत उसकी गांड की दरार में धंसा चला जा रहा थी,,,, इससे ही मधु को अपने बेटे के लैंड की ताकत का एहसास होने लगा था,,,, ब्लाउज के अलग होते ही राजू अपने आप पर सब्र नहीं कर पाया और जो कुछ वह अपनी कल्पना में करने की सोच रहा था वह तुरंत अपने हाथ को अपनी मां की चूची पर रख कर जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया और पल भर में उसे इस बात का अहसास हो गया कि अब तक गांव की जितनी भी औरतों की चूचियां उसके हाथ में आई थी सबसे जबरदस्त गोल गोल खरबूजे जैसी चूचियां उसकी मां की ही थी जिसे वह जोर-जोर से बता रहा था,,,मधु अपने बेटे की हरकत से पूरी तरह से कसमसा रही थी और उत्तेजना के चलते खुद ही अपने गांड को पीछे की तरफ अपने बेटे के लंड पर दबा रही थी,,,,।
राजू समझ गया था कि उसका काम बनने वाला है वह देखना चाहता था कि उसकी मां की बुर की ली हुई या नहीं इसलिए एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर पेटीकोट के ऊपर से अपनी मां की बुर वाली जगह पर दबाने लगा और तुरंत उसे अपनी मां की बुर के की गीलेपन का एहसास होने लगा पेटीकोट आगे से एकदम गीली हो चुकी थी,,,। राजू का लंड अपनी मां की बुर गीली होता हुआ देखकर और भी ज्यादा कड़क हो गया,,,,।
दोनों की गहरी सांसे पूरे कमरे में शोर मचा रही थी दोनों को इस बात का अहसास तक नहीं था कि हरिया और गुलाबी में से कोई भी घर में आ सकता है राजू इस मौके का पूरा फायदा उठाते हो अपनी मां की पेटीकोट को ऊपर की तरफ उठाने लगा और कमर तक उठाकर अपनी हथेली को अपनी मां की बुर पर रख दिया,,, बुर क्या थी भट्टी की तरह तप रही थी जिसे ठंडा करने के लिए लंड का फुआरा चाहिए था,,,, मधु उत्तेजित अवस्था में कसमसाते हुए अपनी बड़ी बड़ी गांड को पजामे में तने हुए अपनी बेटे के लंड पर गोल गोल घुमा कर रगड़ने लगी,,,,अपनी मां की हरकत को देखकर राजू पूरी तरह से चुदवासी हुआ जा रहा था और इसी समय अपनी मां की बुर में लंड डालकर चोदने का इरादा बना लिया था,,, और इसीलिए वहां अपनी मां की पेटीकोट की डोरी को पकड़कर खींचने ही वाला था कि बाहर बाल्टी के रखने की आवाज सुनाई थी वैसे ही तुरंत राजू बिना देर की अपनी मां को उसी अवस्था में छोड़कर उसके कमरे से बाहर निकल गया और,,, मधु को भी यह एहसास होते ही वह तुरंत दूसरे ब्लाउज को लेकर पहनाने लगी और,,,, दरवाजे की तरफ देखी तो राजु जा चुका था,,, जल्द ही मधु दूसरी साड़ी पहनकर अपने आपको व्यवस्थित कर लेती और कमरे से जैसे बाहर आई वैसे ही गुलाबी पानी से भरी बाल्टी लाकर वही रखते हुए बोली,,।
तुम कब आई भाभी,,,
अभी कुछ ही देर हुआ है,,,,,।
(इतना कहने के साथ ही खाना बनाने की तैयारी में लग गई और भगवान से प्रार्थना करने लगी की अच्छा हुआ गुलाबी के देखने से पहले ही सब कुछ ठीक हो गया था)