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Incest बैलगाड़ी,,,,,

masterji1970

मम्मी का दीवाना (पागल)
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दोस्तों,

यह कहानी रोनी भाई ने ऐसी लिखी है के दिमाग के तोते उड़ जाते हैं / बहुत ही भावनात्मक कहानी है / ज़िन्दगी को छू लेती है / यह कहानी ऐसी है जैसे कि हमारे साथ साथ ही कोई घटना घाट रही हो / दोस्तों अभी समय के अभाव में बस इतना ही लिख सका हूँ , मेरा दिल तो बहुत कुछ लिखने को कर रहा है /

सभी को प्यार , पड़ते रहिये, खुश रहिये और खुश रखिये
 

rohnny4545

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दोस्तों,

यह कहानी रोनी भाई ने ऐसी लिखी है के दिमाग के तोते उड़ जाते हैं / बहुत ही भावनात्मक कहानी है / ज़िन्दगी को छू लेती है / यह कहानी ऐसी है जैसे कि हमारे साथ साथ ही कोई घटना घाट रही हो / दोस्तों अभी समय के अभाव में बस इतना ही लिख सका हूँ , मेरा दिल तो बहुत कुछ लिखने को कर रहा है /

सभी को प्यार , पड़ते रहिये, खुश रहिये और खुश रखिये
Dhanyawad dost
 

rohnny4545

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जैसे तैसे करके दिन गुजरने लगे थे,,,, राजू के घर वालों को इस बात की भनक तक नहीं लगी थी,, की राजू ने लाला की दी हुई बंदूक को घर में लाकर रखा है,,,,,, मां बेटे के बीच के पवित्र रिश्ते की दीवार एक बार गिर जाने से दोनों मां-बेटे के लिए मर्यादा की दीवार लांघ कर आगे बढ़ना अब कोई बड़ी बात नहीं रह गई थी राजू और मधु अब आपस में छेड़छाड़ करने लगे थे दोनों एक दूसरे के अंगों को कभी पकड़ लेते थे दबा देते थे और ऐसा करने में दोनों को मजा भी आता था,,,, लेकिन मधु इस बात का बेहद ख्याल रखती थी कि उन दोनों की छेड़छाड़ उन दोनों की हरकतों का पता गुलाबी और हरिया को ना हो जाए,,,,।


ऐसे ही एक दिन मधु खाना बना रही थी गर्मी का मौसम था और सुबह का समय था लेकिन फिर भी चुल्हे के सामने बैठने की वजह से उसकी तपन से मधु के माथे से पसीना टपक रहा था वह तवे पर रोटियां सेक रही थी,,,, तभी राजू भी उधर आ गया तो ठीक सामने हरिया खटिया गिरा कर बैठा हुआ था और बीड़ी फुंक रहा था,,,, राजु यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां की सूचियां खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी है और ब्लाउज में ठीक से समा नहीं पाती हैं और ब्लाउज से बाहर आने के लिए हमेशा में चलती मचलती है,,,,,,, राजू खाना बना रही है अपनी मां के पास आते ही ठीक उसके सामने एकदम पास में बैठ गया और उसके ब्लाउज मे उठने जवानी के तूफान को देखते हुए बोला,,,,।

सुबह-सुबह अगर खरबूजा खाने को मिल जाए तो दिन बन जाता है,,,,।(मधु अपने बेटे के कहने का मतलब को और उसके नजर के सिधान को देखते ही शर्म आ गई और आंखों से ही वहां पर उसके पिता के होने का एहसास कराने लगी लेकिन राजू कहां मानने वाला था,,,, इस मामले में धीरे-धीरे निडर होता जा रहा था लेकिन मधु के लिए यह सब कुछ नया था इसलिए उसे घबराहट हो रही थी,,, खरबूजे वाली बात हरिया ने सुन लिया था और बीड़ी का कस खेंचते हुए बोला,,,,,)



अरे पहले जैसा कहां खरबूजा मिलता है,,,, अब तो उसमें मिठास ही नहीं होती,,,,

अरे नहीं पिताजी मैं जगह जानता हूं इतने अच्छे खरबूजे मिलते हैं बड़े-बड़े कि पूछो मत और एकदम रस से भरे हुए,,,,(अपनी मां की चूचियों की तरफ देखते हुए बोला,,,) मैं तो अब रोज खाता हूं,,,

अरे फिर घर के लिए भी लेता आ,,,,

जरूर पिता जी आपके लिए तो मैं खास लेकर आऊंगा क्योंकि मुझे मालूम है मुझे पसंद है तो तुम्हें भी जरूर पसंद आएगी,,,।

(अपने बेटे की बात को सुनकर मधु को घबराहट भी हो रही थी और उसकी बातें एकदम शर्म से पानी पानी कर देने वाली थी,,,, मधु इशारे में अपने बेटे को शांत रहने के लिए बोल रही थी लेकिन राजू शांत बैठने वाला नहीं था उसे साफ दिख रहा था कि उसकी मां की ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खुला हुआ था जिसकी वजह से उसकी गोल-गोल चूचियां कुछ ज्यादा ही बाहर को झलक रही थी,,,, इसलिए वह अपनी मां को उसके ब्लाउज की तरफ निर्देश करता हुआ धीरे से बोला,,,)

तुम्हारा खुला हुआ ब्लाउज का बटन देखकर मेरे पजामे का नाडा ढीला हो जाता है,,,,,,,
(अपने बेटे की बातें सुनकर वह तुरंत अपनी छातियों की तरफ देखी और सच में ब्लाउज का बटन खुला देखकर रोटी को वैसे ही छोड़ कर अपनी ब्लाउज का बटन बंद करने लगे लेकिन हल्की सी आवाज हरिया के कानों तक पहुंच गई थी इसलिए वह बोला,,,)

अरे क्या ढीला हो गया है राजू,,,

अरे कुछ नहीं पता जी पजामे का नाडा बार-बार ढील‌ा हो जा रहा है,,,

अरे तो अपनी मां को दे दे ठीक कर देंगे,,,

मां की वजह से ही तो ढीला हो जा रहा है,,,,।
(इस बार मधु एकदम से झेंप गई वह तुरंत अपने पति की तरफ देखने लगी कि वह क्या प्रतिक्रिया देता है राजू की बात सुनकर लेकिन वह समझ नहीं पा रहा था इसलिए बोला,,,)

ऐसा क्यों कह रहा है राजू,,,

अरे कहु ना तो और क्या करूं मां की वजह से ही तो सब कुछ हो रहा है,,,(पजामे में अपने खड़े लंड को हाथ से दबाते हुए,,,,) कितनी बार कहा हु की मेरा पजामा ठीक कर दो,,, लेकिन मां है कि मेरे पर ध्यान ही नहीं देती,,,



क्यों भाई मधु ऐसा क्यों कर रही हो तो तुम्हारा बेटा जवान हो गया है कमाने लगा है अब तो गांव भर में इसका नाम चर्चा में रहता है फिर भी इसे खुश नहीं कर पा रही हो,,,,
(हरिया औपचारिक रूप से बातें कर रहा था लेकिन संजू और मधु इस समय उसके कहने के मतलब को गलत अर्थ निकाल रहे थे इसलिए दोनों के बदन में अजीब सी हलचल सी हो रही थी,,,) करो उसका पैजामा ठीक तुम्हारी वजह से उसके पजामे का नाड़ा ढीला हो जा रहा है,,,,

सुन ली ना मा अब तो पिताजी ने भी तुम्हें इजाजत दे दिए हैं अब ठीक कर देना,,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने पिताजी की तरफ देखते हुए ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मां की चूची दबा दिया,,, सर्व डर और उत्तेजना के मारे मधु की हालत खराब होती जा रही थी उसकी पूर्व पानी छोड़ रही थी,,,, अपने बेटे की हरकत देखते हुए वह तुरंत अपने बेटे की तरफ देखकर आंख दिखाने लगी लेकिन राजू पर इसका बिल्कुल भी प्रभाव नहीं पड़ रहा था,,,, इसलिए मधु बोली,,)

चल अच्छा रहने दे शिकायत करने को खाना बन गया है खाना खाकर बेल गाड़ी लेकर जा,,,,

खिलाओगी तो क्यों नहीं खाऊंगा और रोटी तो अच्छे से फूलाओ तुम्हें तो पता ही है कि अच्छे से गर्म करने के बाद फुलाने के बाद ही खाने का मजा आता है,,,,।
(मधु अपने बेटे के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी वह जानती थी कि उसका बेटा रोटी के बहाने उसकी बुर के बारे में बात कर रहा था जिसकी वजह से उसकी बुर से मदन रस टपक रहा था)

दिखाई नहीं दे रहा है तुझे फूल तो रही है बराबर,,,

मैं अंधा थोड़ी हूं कहां फूल रही है दिखाओ तो,,,,(इतना कहकर राजू अपनी मां की दोनों टांगों के बीच देखने लगा और मधुर समझ गई कि वह क्या देखना चाह रहा है एकदम से शरमा गई और हरिया की तरफ देखने लगी कि कहीं वह यहां तो नहीं देख रहा है लेकिन वहां बीड़ी पीने में ही मस्त था ऐसा नहीं था कि राजू की हरकतों से अच्छी नहीं लग रही थी उसे राजू की हरकत बेहद उत्तेजित भी कर रही थी लेकिन उसे डर भी लग रहा था कि कहीं उसके पति को भनक ना लग जाए,,,, इसलिए वह बेहद धीमें स्वर में बोली,,,)

राजू क्यों ऐसा कर रहा है जाकर बैठ जा मैं तुझे खाना देती हूं,,,

नहीं ऐसे नहीं पहले मुझे अपनी बुर दिखाओ,,,,(राजू भी अपने पिताजी की तरफ देखकर धीरे से बोला,,)

नहीं दिखाऊंगी,,,(गुस्से का नाटक करते हुए मधु अपने घुटने पर की साड़ी को ठीक करते हुए बोली)

यब तो मऐ यहां से हिलने वाला भी नहीं हूं,, देख रही हो,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी जगह से खड़ा हो गया और उसके खड़ा होते हैं उसके फायदा में भी बना तंबू एकदम से खूटे की तरह नजर आने लगा जिसे देखते ही मधु की बुर फुदकने लगी,,,) मेरी हालत कितनी खराब होती जा रही है तुम्हारी देखने के लिए,,,,
(राजू इस समय पूरी तरह से मस्ती के मूड में था और बार-बार अपने पिताजी की तरफ देख भी ले रहा था कि कहीं वह देख ना ले,,, अपने बेटे की हरकत की वजह से मधु के तन बदन में भी उत्तेजना की लहर उठ रही थी वह भी मदहोश हो रही थी,,, लेकिन अपने पति की मौजूदगी में उसे डर लग रहा था,,, इसलिए वह तवे पर की फूली हुई रोटी चिमटी से पकड़ कर थाली में रखते हुए बोली,,)
राजू भैया तू क्या कर रहा है देख नहीं रहा तेरे पिताजी यहां बैठे हैं मुझे डर लग रहा है,,,,

डर कैसा मुझे तो बिल्कुल भी नहीं लग रहा है देखना चाहती हो,,,(और इतना कहने के साथ ही अपने पिताजी की तरफ देखकर अपने पजामी को तुरंत एक हाथ से नीचे की तरफ सरकार कर अपने खड़े लंड को अपने मां को दिखाने लगा और साथ में अपने दूसरे हाथ से अपने लंड को पकड़ कर उसे तीन चार बार मुठिया भी दिया यह देख कर मधु एकदम से चौक गई और वह दांतो तले उंगली दबा ली उसकी बुर पानी से भर चुकी थी अपने बेटे की हरकत और उसकी हिम्मत को देखकर वह पानी पानी हुई जा रही थी राजू तुरंत एक झलक अपने लंड की दिखाने के बाद वापस पजामे को उपर कर लिया,,,, मधु बोली,,,।)

तू चाहता क्या है,,,

मुझे भी एक झलक अपनी बुर की दिखा दो,,,,

अभी,,,

तो क्या ऐसे ही मौके पर तो ज्यादा मजा आता है,,,

कुछ तो शर्म कर तेरे पिताजी यहीं पर बैठे हैं,,,,
(हरिया अपनी मस्ती में बीड़ी पर बीड़ी फूंक रहा था उसे उसकी पीठ पीछे क्या हो रहा है उसे बिल्कुल भी एहसास तक नहीं था,,,)

तो क्या हुआ मेने नहीं दिखा दिया,,, कहो तो एक बहाने से पिताजी के सामने ही तुम्हें कमरे में ले जाकर चोद दूं,,,

(अपने बेटे की बात सुनकर मैं तो एकदम से शर्मा गई और ‌ धीमे स्वर में बोली,,,)

तू मानेगा नहीं ना,,,,

मैं नहीं मानूंगा,,,
(अपने बेटे की जिद को देखकर मधु अपने पति की तरफ देखने लगी वह उन दोनों की तरफ पीठ करके बीड़ी पी रहा था इस समय वह अपने आप में पूरी तरह से मशगूल था ऐसा नहीं था कि मधु का मन ना कर रहा हो दिखाने का अपने बेटे की हरकत और उसकी हिम्मत को देखकर उसके लंड की झलक को देखकर उसका भी मन कर रहा था कि अपने बेटे को अपने रस से भरी हुई बुर दिखाएं,,, इसलिए वह भी अपने पति की तरफ नजर रखकर अपनी दोनों टांगों को हम कैसे फैला ली और सारी को टांगों के बीच से खोलकर अपनी बुर दिखाने लगी राजू तुरंत अपनी मां की दोनों टांगों के अंदर झांकने लगा लेकिन इस तरह से मजा नहीं आ रहा था इसलिए वह बोला,,,।)

ऐसे नहीं ऐसे दिखाई नहीं दे रहा,,,

फिर कैसे,,,( मधु परेशान होते हुए बोली,,,)

वैसे ही जैसे मैं खड़ा होकर दिखाया था,,,(राजू अपने पिताजी की तरफ देखते हुए बोला,,)

हाय दइया मुझसे यह ना होगा,,,(अपने पति की तरफ देखते हुए) पागल हो गया क्या तू,,,,


थोड़ी तो हिम्मत दिखाओ बहुत मजा आएगा,,,, जल्दी करो नहीं तो कोई आ जाएगा और फिर मैं आज आने वाला नहीं हूं वहीं बैठ के तुम्हें परेशान करते रहूंगा,,,,

राजू तू बहुत शैतान हो गया है,,,,

अब क्या करूं तुम हो ही इतनी खूबसूरत कि शैतान बनना पड़ता है,,,,


अच्छा तू जा अभी बाद में दिखा दूंगी,,,

बाद में तो मैं देखूंगा भी और डाल भी दूंगा इसमें कहने वाली कोई बात नहीं है,,, लेकिन इस समय तो मैं सिर्फ देखना चाहता हूं,,,,,(अपने पिताजी की तरफ देखते हुए) देखो ना पिताजी का ध्यान यहां बिल्कुल भी नहीं है जल्दी से खड़ी होकर दिखा दो,,,,,

तू सच में बहुत शैतान हो गया है,,,, जरा सा भी डर नहीं है कि अगर कोई देख लिया तो क्या होगा,,,

अरे कुछ नहीं होगा,,,।
(मधु का मन भी मचल रहा था अपने बेटे को अपनी बुर के दर्शन कराने के लिए,,, लेकिन इसमें पकड़े जाने का डर भी था अगर ऐसे हालात में किसी ने देख लिया तो क्या होगा यह सोचकर वह घबरा भी रही थी और उत्सुक भी थी वह बार-बार अपनी पति की तरफ देख ले रही थी जो कि काफी देर से उन दोनों की तरफ ना तो ध्यान दे रहा था और ना ही देख रहा था यही सही मौका भी था मधु के लिए इसलिए वह भी बिना कुछ बोले धीरे से खड़ी हुई और अपनी मां को इस तरह से खड़ी होता देखकर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी लंड में उबाल मारने लगा,,,, कोई देख ना ले इस बात की फिक्र राजू को भी थी इसलिए वह अपने पिता की तरह बार-बार देख ले रहा था और दरवाजे की तरफ भी नजर डाल दे रहा था लेकिन दरवाजा बंद था और अंदर से कड़ी लगी हुई थी इसलिए बाहर से किसी के भी आने की आशंका और डर बिल्कुल भी नहीं थी,,,।

मां बेटे दोनों उत्सुक और व्याकुल नजर आ रहे थे बेटा देखने के लिए और मां दिखाने के लिए दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,, राजू की आंखें एकदम चौकन्नी थी मधु के मन में घबराहट भी थी और जिस तरह की हरकत बदलने हो रही थी उसके चलते मधु की बुर से काम रस टपक रहा था,,,, सांस इतनी तेजी से चल रही थी कि मधु की भारी-भरकम छातियां ऊपर नीचे हो रही थी जो कि एक अलग नशा भर रही थी ,,, धीरे-धीरे साड़ी को ऊपर उठाने का समय मधु के पास बिल्कुल भी नहीं था इसलिए वह तुरंत अपनी साड़ी को पकड़ी और एक झटके से अपनी कमर तक उठा दी और साड़ी को कमर तक उठाने के बाद जो नजारा नजर आया,,,, उसे देखकर राजू की आंखों में नशा छा गया और लंड में हलचल होने लगी जो की पूरी तरह से अकड़ गया राजू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि एक बार साड़ी ऊपर करने के बाद तुरंत उसकी मां साड़ी नीचे गिरा देगी इसीलिए वह तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी दो उंगलियों को अपनी मां की खुली हुई बुर पर रखकर उसके काम रस को अपनी उंगली पर लगा लिया यह इतनी जल्दी हुआ कि मधु को भी इस बात का एहसास तक नहीं हुआ लेकिन जब तक उसे पता चलता तब तक देर हो चुकी थी मधु साड़ी अपने नीचे गिराती इससे पहले ही राजू अपनी वह दो उंगलियों को अपने होठों से लगाकर उसका रस जीभ से चाटते हुए बोला,,,)

वाह अब आया ना स्वाद,,,,,
(अपने बेटे की हरकत की वजह से मधु एकदम से जीत गई थी इसलिए तुरंत वह अपनी साड़ी को कमर से नीचे गिरा दी और एक खूबसूरत नजारे पर पर्दा गिरा दी अपने बेटे की हरकत और उसकी बात पर मधु शर्मा कर सिर्फ इतना ही बोल पाई,,,)

बेशर्म कहीं का,,,,
(लेकिन अपने बेटे के द्वारा कही गई बात को हरिया सुन लिया था इसलिए वह बोला)

अरे किस में आ गया स्वाद,,,,

खाने में पिताजी नमक कम था ना मां ने नमक डाल दिया एकदम स्वादिष्ट बना है खाना,,,, आओ आप भी खाइए पहला हक तो आपका ही है,,, उसके बाद झूठा खाने का मजा ही कुछ और है,,,


यह कैसी बातें कर रहा है राजू तू खा ले मैं बाद में खा लूंगा,,,
(हरिया अपने बेटे की बात को बिल्कुल भी समझ नहीं पाया था लेकिन मधु अपने बेटे की कहीं और एक बात को अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए उसकी बात सुनकर शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,,, तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी,,,)

भाभी दरवाजा तो खोलो,,,

जा राजू दरवाजा खोल दे तेरी बुआ आ गई है,,,
(इतना सुनते ही राजू अपनी जगह से उठकर गया और दरवाजा खोल दिया अंदर आते ही गुलाबी अपनी भाभी से बोली,,,)

भाभी घर के पीछे देख कर काम करना वही मैंने सांप देखी हूं,,,

क्या सच में,,,?

हां भाभी बहुत लंबा था,,,,


वह तो होगा ही ना घर के पीछे कितना झाड़ी झंकार है इनसे कितनी बार कहीं हूं कि सब काट कर समतल कर दो लेकिन सुनने का नाम ही नहीं लेते कहीं किसी को काट लिया तब समझ में आएगा,,,

कहां देखी थी गुलाबी,,,(हरिया गुलाबी की तरफ देखते हुए बोला)

वहीं जहां बेल बांधते हैं,,,,

ठीक है फिर मैं आज सारा काम छोड़ कर वहां की सफाई कर देता हूं,,,,

हां ये ठीक रहेगा भैया,,,,,,,,

राजू खाना खाकर अपनी मां की तरफ देख कर मुस्कुरा कर चला गया,,,,, एक बात तो मधु भी मानती थी कि उसके बेटे ने उसके जीवन में उमंग भर दिया था,,,,,,।

राजू बेल गाड़ी लेकर चल पड़ा था तभी उसे ख्याल आया कि क्यों ना आज झुमरी को अपने साथ घूमने ले चले क्योंकि वह भी तो यही चाहती थी,,,,,,, राजू अभी यही सोच रहा था कि सामने से उसे झुमरी आती हुई दिखाई दी और उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी,,,, झुमरी भी राजू को देख ली थी इसलिए उसके चेहरे पर भी खुशी साफ झलक रही थी,,,, खेत में कपड़े धोने के बहाने,, जिस तरह की चुदाई राजे ने उसकी किया था अभी तक इस बारे में सोच कर उसके बदन में सिहरन सी दौड़ जाती थी,,,,, झुमरी बैलगाड़ी के बहुत करीब आ गई थी इसलिए मुस्कुराते हुए राजू झुमरी से बोला,,,।

चलोगी झुमरी सैर पर,,,

कहां घूमाओगे,,,,


जहां तुम कहो,,,

बाजार चलोगे,,,,,

तुम कहो वहां ले चलूंगा,,,,

बाजार में छोला चाट समोसे खिलाने पड़ेंगे,,,

तुम्हें क्या लगता है मैं खर्चे से डर जाऊंगा,,,,

तुम्हारे साथ समय बिताने के लिए तो मैं कुछ भी कीमत चुकाने को तैयार हूं,,,,

ओहहह हो,,, क्या बात है,,,, फिर चलो मैं तैयार हूं लेकिन जल्दी आना,,,,

अरे एकदम जल्दी,,,,

( झुमरी तुरंत बैलगाड़ी में जाकर बैठ गई और राजू निकल गया झुमरी को लेकर,,,,, दोनों के बीच प्यार भरी वार्तालाप हो रही थी,,,,, थोड़ी ही देर में राजू झुमरी को लेकर बाजार पहुंच गया,,,, बाजार में चहल-पहल ज्यादा थी,,, झुमरी तुरंत समोसे चाट की दुकान पर पहुंच गई,,,,,,,, बाजार में आना-जाना झुमरी का बहुत ही कम ही होता था,,यहां तक कि ना के ही बराबर कभी कोई खास मौके पर कपड़े खरीदने होते तो वह बाजार आती थी लेकिन कुछ सालों से वह बाजार का मुंह तक नहीं देखी थी इसलिए बाजार में आकर वह बहुत खुश नजर आ रही थी,,,, पहली बार वह इतनी ज्यादा भीड़ भाड़ बाजार में देख रही थी लोग आ रहे थे जा रहे थे सबके चेहरे पर खुशी थी कोई कपड़े खरीद रहा था कोई चूड़ियां खरीद रहा था कोई सब्जियां खरीद रहा था कोई घर का राशन खरीद रहा था बाजार में आने का यही एक फायदा होता है कि यहां पर भात भात के लोगों से मिलने का मौका मिल जाता है,,,,,,।

समोसे की दुकान पर जाते ही राजू ने समोसे और चाट खरीद कर,, झुमरी को दे दिया और झुमरी बड़े चाव से खाने लगी,,,, झुमरी को देखकर तुरंत उसे उस दिन वाली बात याद आ गई जब इसी तरह से वह अपनी मां को वेद के वहां ले जाते समय रास्ते में इसी तरह से बाजार में रोककर चाट और समोसा खिलाया था और उसकी खूबसूरत बदन को भोगा था,,,, झुमरी का खूबसूरत चेहरा राजू के दिल में बस गया था राजू झुमरी से बेहद प्यार करता था और उसके खूबसूरत बदन को भोग भी चुका था इसलिए फिर से उसको चोदने में राजू को ज्यादा उतावल‌ नहीं था वह जानता था कि भी उसके कहने पर किसी भी समय झुमरी उसे करने देगी आखिरकार उसे भी तो एक मर्द की जरूरत है यह राजू ने खेतों के बीच झुमरी की चुदाई करते हुए भांप लिया था,,,

थोड़ी ही देर में झुमरी नहीं चाट और समोसे का स्वाद ले चुकी थी आज पेट भर कर समोसा और चाट खाई थी झुमरी पानी पीने जा रही थी तो इससे पहले ही राजू उसी दुकान से गरमा गरम जलेबी या ले लिया और उसे पानी पीने से रोकते हुए बोला,,,।

ऐसे नहीं झुमरी जलेबी खा लो फिर पानी पीना मीठा खाने के बाद पानी पीने का मजा ही कुछ और होता है और वैसे भी गर्मी बहुत है,,,

हां तुम सच कह रहे हो गर्मी भी बहुत है और चाट में मिर्चा भी बहुत था देख नहीं रहे हो पसीने से भीग गई हुं,,,, नहाने को मिल जाता तो मजा आ जाता,,,

तो इसमें क्या हो गया यही नल के नीचे बैठ कर नहा लो,,,

धत्,,,, यहां की बात नहीं कर रही हो मैं तुम्हारी तरह पागल नहीं हूं कि सबके सामने बैठकर अपने बदन की नुमाइश करु,,,

तुम्हारे नुमाइश करने की अदा पर पर तो मैं पागल हो गया हूं,,, ना तुम्हें नहाता हुआ देखता और ना तुमसे प्यार होता तो आज मैं तुम्हारे पीछे दीवानों की तरह इधर-उधर घूमता ना रहता,,,,


अच्छा तो यह बात है अगर मेरे पीछे घूमना तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा है तो तुम जा सकते हो,,,

अरे नहीं नहीं मेरी रानी तुम्हारे पीछे तुम्हें जिंदगी भर घूमते रहूंगा,,, लो अब गुस्सा मत करो जलेबी खाओ,,,(इतना कहते हुए राजू कागज के पड़ीका में से जलेबी लेकर झुमरी को थमाने लगा और झुमरी भी मुस्कुराते हुए जलेबी लेकर खाने लगी,,,, इसके बाद पानी पीकर कुछ देर तक दोनों बाजार में इधर-उधर घूमते रहे राजू झुमरी को बहुत कुछ दिलवाना चाहता था लेकिन झुमरी घर पर क्या कहेगी इसलिए कुछ खरीदी नहीं,,,,,,, धीरे-धीरे एकदम दोपहर हो गई थी गर्मी का महीना होने की वजह से धूप बड़े जोरों की पड़ रही थी दोनों का बदन पसीने से तरबतर हो चुका था,,,, राजू झुमरी को लेकर फिर से उसे गांव की ओर निकल गया था लेकिन गांव अभी बहुत दूर था और झुमरी को पसीने से तरबतर होता देखकर राजू दूसरी तरफ बैलगाड़ी को घुमा लिया था,,, किसी अनजान सड़क पर बैलगाड़ी को जाता हुआ देखकर,,, झुमरी बोली,,,


कहां ले जा रहे हो,,,

तुम्हें बहुत खूबसूरत जगह पर ले जा रहा हूं तुम देखोगी तो देखती रह जाओगी,,,

अरे ऐसी कौन सी जगह है जहां पर ले जा रहे हो और मैं देखी नहीं हूं,,,

तुम अभी बहुत कुछ नहीं देखी हो मेरी रानी,,,
(जब भी राजू झुमरी को मेरी रानी चाहता था तब तक झुमरी के तन बदन में हलचल सी हो जाती थी उसे बहुत अच्छा लगता था आपने आपको राजू के मुंह से रानी कहना,,, झुमरी कुछ बोल नहीं पाई दोनों के बीच खामोशी छाई रही,,, लेकिन अब राजू के मन में कुछ और चलने लगा था इस तरह के एकांत और सुनसान माहौल में जहां पर राजू झुमरी को ले जा रहा था वहीं पर झुमरी को चोदने का मन कर रहा था क्योंकि उस तरह के माहौल में एक खूबसूरत लड़की की चुदाई करना बहुत ही ज्यादा मदहोश कर देने वाला पल होता है,,,,, मैं जानता था ऐसे तो झुमरी इंकार नहीं करेगी लेकिन अगर वह खुद उस समय के लिए तैयार हो जाए तो और ज्यादा मजा आए इसलिए बातों का दौर शुरू करते हुए अपनी गरम बातों से वह‌झुमरी को गर्म करना चाहता था इसलिए वह बोला,,,)

सच कहूं तो झुमरी जितनी तुम कपड़ों में खूबसूरत लगती हो उससे भी ज्यादा खूबसूरत बिना कपड़ों की लगती हो एकदम नंगी हो जाने के बाद तो ऐसा लगता है कि स्वर्ग से कोई अप्सरा नीचे जमीन पर उतर आई हो,,,,

चलो रहने दो,,,,

नहीं सच कह रहा हूं झुमरी तुम्हारी जैसी खूबसूरत लड़की मैंने आज तक नहीं देखा उस दिन खेत मैं तुम्हें चोदने के बाद मुझे महसूस हुआ कि वाकई में तुम से खूबसूरत कोई लड़की हो ही नहीं सकती तुम्हारे बदन का हर एक अंग इतना मस्त तराशा हुआ है कि पूछो मत तुम्हारे बदन के हर कोने से रस टपकता है,,,,।
(राजू की इस तरह की बातें जो मेरी को अच्छी लग रही थी आखिरकार वह भी जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थी और ऐसे में एक जवान लड़का एक लड़की की तारीफ और वह भी इस तरह के गंदे शब्दों में करे तो वाकई में लड़की की दिलचस्पी बढ़ ही जाती है,,,, फिर भी जानबूझकर नाटक करते हुए झुमरी बोली,,,)

अभी इस तरह की बातें करना जरूरी है क्या,,,


क्यों नहीं इस तरह का एकांत हम दोनों को कहां मिल पाता है इस तरह की बातें करने का समय कहां मिलता है,,, आज मौका भी है दस्तूर भी है तो क्यों ना इस तरह की बातें कर लिया जाए सच में झुमरी तुम्हारी बुर इतनी कसी हुई है कि पूछो मत,,, तुम्हें पता है मर्दों को सबसे ज्यादा अच्छा क्या लगता है,,,

क्या,,,?(अपनी कसी हुई बुर का जिक्र राजू के मुंह से सुनकर झुमरी के तन बदन में हलचल सी मच आने लगी थी इसलिए वह धीमे से मदहोशी भरे स्वर में बोली थी,,)

लड़कियों की कसी हुई बुर जिस में लंड डालने पर पता चले कि वाकई में वह किसी संकरे चीज में जा रहा है ऐसी जगह पर जहां पर एक उंगली तक जाने में मुश्किल हो,,,,
(इस तरह की गंदी बातें सुनकर झुमरी के मन में कुछ कुछ होने लगा था उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी आज तक इतनी गंदी बातें तुम अपनी सहेलियों के मुंह से भी नहीं सुनी थी जितनी गंदी बात राजू उससे कर रहा था,,, राजू बिना रुके अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) कसम से झुमरी तुम्हारी बुर नहीं एक खूबसूरत संकरा गुफा है जिसमें जाने के लिए दुनिया का हर मर्द धड़कता है मेरी किस्मत इतनी अच्छी थी कि पहला मौका मुझे मिला और यह मौका मैं जिंदगी भर लेना चाहता हूं मैं किसी और को उस गुफा में जाने नहीं दूंगा वह गुफा सिर्फ मेरा है मेरा,,,(अपनी बुर को गुफा का नाम देने पर झुमरी मुस्कुरा रही थी उसे हंसी आ रही थी लेकिन बड़ी मुश्किल से वह अपने हंसी पर काबू करके बैठी हुई थी,,, वह राजू की बातों का मजा ले रही थी,,,) और हां तुम्हारी गांड बहुत लाजवाब है ना ज्यादा बड़ी ना ज्यादा छोटी एकदम सुगठित ऐसी गांड मुझे बहुत पसंद है तभी तो मैं तुम्हारा दीवाना हो गया था तुम्हें नहाते हुए देखकर सबसे पहली नजर मेरी तुम्हारी गांड पर ही गई थी और इतनी खूबसूरत गांड तो मैंने आज तक नहीं देखा था,,,,,।
(राजू कितनी गंदी बातों को सुनकर झुमरी उत्तेजित में जा रही थी उसे अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में सिहरन सी होती हुई महसूस हो रही थी,,,, उसे उस दिन वाला वह पल याद आने लगा जब राजू उसकी दोनों टांगों के बीच आकर अपने मोटे और लंबे लंड को उसकी बुर में डालना शुरू किया था,,,, राजू का जादू उसकी बातों का असर झुमरी पर धीरे-धीरे छाने लगा था उसकी आंखों में खुमारी छाने लगी थी और उसे अपनी बुर गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,,) सच झुमरी मैं बहुत ज्यादा किस्मत वाला हूं जो तुम्हें चोदने का मुझे मौका मिला तुम्हारी बुर में पहली बार मेरा लंड गया है और मैं तुमसे शादी करके जिंदगी भर यह सुख लेना चाहता हूं,,,, बोलो झुमरी क्या तुम मुझसे शादी करोगी,,,

अगर तुमसे शादी ना करना होता तो मैं तुम्हें अपना तन ना सौंपती,,

हाय मेरी जान तुम्हारी यह बातें तो मुझे एकदम खुश कर देती है,,,, देखना जब हम दोनों की शादी होगी तो हम दोनों इसी तरह से रोज घूमने चलेंगे,,,,

(राजू की बातें सुनकर झुमरी बहुत खुश हो रही थी कि तभी सामने उसे झरना दिखाई दिया जो कि पहाड़ के बीच में से गिर रहा था या देखकर वो एकदम से खुश होते हुए बोली,,,)

वह देखो राजू झरना कितना खूबसूरत लग रहा है,,,

यही तो दिखाने के लिए तुमको यहां लाया हूं,,,

बाप रे इतनी भी खूबसूरत जगह होगी मैं तो कभी सोची भी नहीं थी,,,(इतना कहने के साथ ही बेल गाड़ी रुकी नहीं थी कि वह पहले ही नीचे उतर गई तो राजू बोला)
अरे संभल के,,,, चोट ना लग जाए,,,

अरे कुछ नहीं होगा,,,,,(इतना कहने के साथ ही झुमरी ऊंची नीची डगरिया से होते हुए ठीक झड़ने के सामने पहुंच गई जहां उसके सामने छोटा सा तालाब बना हुआ था और उसका पानी एकदम साफ था तालाब में सब कुछ स्वच्छ पानी में एकदम साफ नजर आ रहा था,,,,, राजू की बेल गाड़ी को खड़ी करके झुमरी के पास आ गया और झरने के नजारे को देखने लगा,,,, और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला,,,)

कैसा लगा झुमरी,,,,

बहुत ही खूबसूरत राजू तुमने मुझे यहां लाकर एहसान की है मेरा तो नहाने का मन कर रहा है,,,,

तो रोका किसने है इसीलिए तो मैं तुम्हें यहां पर ले कर आया हूं अब ना जाने कब तुम्हें मौका मिले,,,

सच कह रहे हो राजू ऐसा मौका मैं अपने हाथ से जाने नहीं दूंगी,,,(इतना कहने के साथ ही झुमरी झरने से गिरे रहे पानी से बने तालाब में पैर रखकर अंदर जाने को हुई तो राजू उसका हाथ पकड़ कर,,, अपनी तरफ खींचते हुए बोला,,)



कपड़े पहन कर जाओगी तो मजा नहीं आएगा और वैसे भी कपड़े फिर सोचने वाली नहीं है वापस जाओगे कैसे गीले कपड़े में,,,

फिर,,,?(आश्चर्य से राजू की तरफ देखते हुए बोली)

फिर क्या अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर‌ जाओ बहुत मजा आएगा,,,
(राजू के मुंह से इतना सुनकर झुमरी एकदम से शर्मा गई और बोली,,,)

धत् पागल हो गए हो क्या बिना कपड़ों के में कैसे नहाऊंगी मुझे शर्म आती है,,,

अरे पगली अब मुझसे शर्माने की जरूरत नहीं है हम दोनों के बीच सबकुछ हो चुका है और वैसे भी मैंने तुम्हें पहले भी नंगी नहाते हुए देख चुका हूं इसलिए मुझसे शर्माने की जरूरत नहीं है और वैसे भी हम दोनों के सिवा इस सुनसान जगह पर कोई है भी तो नहीं इसलिए शर्माने की जरूरत नहीं है,,,,।

लेकिन फिर भी,,,,(राजू की बात सुनकर झुमरी का भी मन कर रहा था बीना कपड़े के नंगी होकर तालाब में जाकर नहाने का वह भी इस अनुभव को लेना चाहती थी,,, इसलिए कुछ सोचने के बाद वह एक बड़े से पत्थर के पीछे कहीं और थोड़ी देर बाद पत्थर के पीछे से एकदम नंगी बाहर निकली यह देखकर राजू का लंड एकदम से खड़ा हो गया पत्थर के पीछे कपड़े उतारने गई थी उसे नंगी देखकर राज्यों के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आ गए और वह मुस्कुराते हुए बोला,,,)

यह हुई ना बात,,,,

(झुमरी भी मुस्कुरा रही थी खूबसूरत कुदरत के सौंदर्य का आनंद लेने के लिए वह अपने कपड़ों को त्याग चुकी थी और धीरे-धीरे तालाब के पानी में उतर रही थी तालाब का पानी ठंडा था क्योंकि गर्मी में राहत दे रहा था और एकदम साफ होने की वजह से सब कुछ साफ नजर आ रहा था झुमरी धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी और जैसे-जैसे आगे बढ़ रही थी पानी की गहराई में उसका नंगा बदन डूबता चला जा रहा था और देखते ही देखते तालाब के पानी में उसकी खूबसूरत गांड डूब गई,,,,
Jharne k pani me nahate huye



इसके बाद झुमरी झरने से गिर रहे हैं पानी में नहाने का आनंद लेने लगी उसे बहुत मजा आ रहा था कुदरत से गिरे हुए इस सुंदर से भरपूर जगह पर संपूर्ण नग्न अवस्था में नहाने का मजा ही कुछ और था बार-बार झुमरी राजू को भी तालाब में आज आने के लिए बोल रही थी लेकिन राजु अंदर जा नहीं रहा था तो झुमरी खुद तालाब के बाहर आने लगी और राजू को उसका हाथ पकड़कर अंदर की तरफ ले जाने लगी तो राजू भी तैयार हो गया और तुरंत अपने सारे कपड़े उतार कर वह भी महंगा हो गया तालाब के अंदर झुमरी और राजू दोनों पूरी तरह से नंगे ही थे राजू छाती जितने पानी में झुमरी को अपनी बाहों में लेकर,,, उसकी गोल गोल गांड पर अपना लौंडा रगड़ रहा था जिससे झुमरी एक बार फिर से मदहोश होने लगी थी राजू का लंड झुमरी की बुर में जाने के लिए तड़प रहा था,,,, अब राजू से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था इसलिए राजू झुमरी को तालाब के बाहर लेकर आया और,,, बड़े से पत्थर का सहारा लेकर उसे झुका दिया,,,,


झुमरी के चेहरे से लग रहा था कि वह राजू के लंड को अपने बुर में लेने के लिए तड़प रही है इसलिए राजू भी बिना देर किए पीछे से अपने लंड को झुमरी के गुलाबी छेद में डाल दिया और चोदना शुरू कर दिया एक बार फिर से राजू के लंड को अपनी बाहों में लेकर झुमरी पूरी तरह से झूम गई वह बड़े से पत्थर का सहारा लेकर अपनी गाड़ी को हवा में उठाए राजू से चुदवा‌ रही थी,,,, यह दूसरा मौका था जब झुमरी राजू के साथ एकदम खुले में चुदाई का मजा ले रही थी झुमरी पर जवानी पूरी तरह से छाई हुई थी इसलिए राजू के लंड को अपनी बुर में लेते ही वह पूरी तरह से मस्त हो गई थी और गरमा गरम सिसकारी भरना शुरू कर दी थी,,,,,



ओहहहह राजू,,, आहहहहह,,,, बहुत मजा आ रहा है राजू,,,,ओहहहहह

मुझे भी बहुत मजा आ रहा है मेरी रानी तुम्हें चोदने में बहुत मजा आता है और वह भी एक दम नंगी करके,,,,


आहहहह आहहहह थोड़ा धीरे राजू तुम्हारा बहुत मोटा है,,,

क्या मोटा है मेरी जान,,,,

तुम्हारा लंड,,,(झुमरी एकदम मदहोश होते हुए बोली)

ओहहहह मेरी रानी तुम्हारे मुंह से लंड शब्द कितना अच्छा लगता है,,,,आहहहह मेरा लंड मोटा है तो तुम्हारी बुर भी तो बहुत संकरी है,,, तुम्हारी पतली गली से कितने मुसीबत से गुजर रहा हूं,,,आहहहहह लेकिन तुम मजा बहुत दे रही हो,,,,आहहहहह
Jhumri or raju

दोनों की गरमा गरम आह और सिसकारियां निकल रही थी इस वीराने में खूबसूरत जगह पर उन दोनों की मदमस्त कर देने वाली चुदाई और उनकी गर्मागर्म सिसकारियों की आवाज सुनने वाला कोई नहीं था,,,, एक बड़े से पेड़ के नीचे बेल गाड़ी खड़ी थी चारों तरफ छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा हुआ यह जगह बहुत ही खूबसूरत लग रहा था राजू उसी तरह से झुकाकर झुमरी को चोद रहा था,,,,, दोनों के बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था दोनों को बहुत मजा आ रहा था,,,,, थोड़ी ही देर में राजू ने जगह और आसन बदलते हुए उसे बिठाकर हल्के से पीछे की तरफ झुका दिया और उसकी दोनों टांगों को अपने कंधे पर रखकर अपने लंड को एक बार फिर से उसकी बुर में डाल दिया और इस बार बड़ी तेजी से चोदना शुरु कर दिया राजू का मोटा तगड़ा लंड बड़े आराम से झुमरी की बुर की गहराई नाप रहा था,,,,


कुछ देर तक राजू इसी तरह से झुमरी की चुदाई करता रहा और फिर दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी है और दोनों एक साथ झड़ गए,,,, झुमरी को राजू ने कुछ ही दिनों में तीसरी बार चोदने का सुख दिया था जो मेरी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी इसके बाद झुमरी वापस उस बड़े से पत्थर के पीछे गई और अपने कपड़े पहन कर वापस आ जाए तब तक राजू भी अपने कपड़े पहन चुका था और बैलगाड़ी में जाकर बैठ गया था राजू झुमरी को लेकर गांव में पहुंच गया लेकिन गांव में घुसने से पहले ही झुमरी उतर गई थी ताकि किसी को कुछ भी पता ना चले,,,, अभी भी राजू के पास बहुत समय था इसलिए वह घर जाने की जगह गोदाम की तरफ चला गया था,,,

दूसरी तरफ हरिया घर के पीछे जंगली झाड़ियों को साफ कर रहा था और गुलाबी उसका हाथ बंटा रही थी कड़ी दुपहरी में काम करने की वजह से दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे इसलिए पेड़ की छांव में बैठ गए थे हरिया गुलाबी से बोला,,,।

गुलाबी बहुत दिन हो गए तेरी गुलाबी बुर में लंड नहीं डाला,,,

तो आज डाल दो,,,,

लेकिन तेरी भाभी आ गई तो,,,


इस समय भाभी सो रही होगी,,,

तो चल उसमें चलते हैं,,,(हरिया ने हाथ के इशारे से गुलाबी को घास फूस की बनी झोपड़ी में चलने के लिए बोला जहां पर बेल बांधा जाता था गुलाबी तैयार हो गई और दोनों कुछ ही देर में झोपड़ी के अंदर पहुंच गए एकदम दोपहर का समय था इसलिए सब लोग अपने अपने घरों में आराम कर रहे थे और यही सोचकर गुलाबी भी अपने भाई के साथ सुधारने के लिए तैयार हो गई थी क्योंकि समय उसकी भाभी भी आराम करती थी अंदर पहुंचते ही हरिया अपनी बहन को अपनी बाहों में लेकर उसके लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख कर चूसना शुरू कर दिया और साथ ही कुर्ती के ऊपर से ही उसकी चूची को दबाना शुरू कर दिया गुलाबी पल भर में एकदम गरम हो गई और अपने हाथ से ही अपने सलवार की डोरी खोलने लगी कुछ ही देर में गुलाबी अपने भाई की तरफ अपनी गांड कर के झुक गई और ढीली सलवार को हरिया अपने हाथों से नीचे घुटनों तक लाकर अपने धोती में से अपने खड़े लंड को निकाल लिया और अपनी बहन की बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया दूसरी तरफ मधु जाग रही थी और सोची वह लोग थक गए होंगे इसलिए थोड़ा सा गुड और पानी लेकर पीछे की तरफ आ गई लेकिन दोनों कहीं नजर नहीं आ रहे थे तो वहां हैरान हो गई कि दोनों भाई कहां ,, वह वापस लौटने वाली थी कि तभी उसे कुछ आवाज सुनाई दी उसे समझ में नहीं आ रहा था की आवाज कैसी है वह आवाज की दिशा में धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी और जैसे-जैसे आगे बढ़ रही थी उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी क्योंकि जिस तरह की आवाज आ रही थी वह उस आवाज को अच्छी तरह से पहचान दी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार यह आवाज आ कहां से,,, रही है तभी उसे इस बात का एहसास हुआ की झोपड़ी के अंदर से आवाज आ रही थी और वह धीरे-धीरे झोपड़ी की तरफ दबे कदमों से जाने लगी वह झोपड़ी के दरवाजे के सामने आने की बजाय दूसरी तरफ से देखना चाहती थी कि आखिरकार अंदर हो क्या रहा है,,,,, वह धीरे-धीरे झोपड़ी के बगल में पहुंच गई और वहां से जगह ढूंढने लगी अंदर की तरफ देखने कि आप उसे झोपड़ी के अंदर से आ रही गरमा-गरम सिसकारी की आवाज साफ सुनाई दे रही थी लेकिन बातचीत की आवाज बिल्कुल भी नहीं आ रही थी उस की उत्सुकता बढ़ने लगी थी लेकिन एक डर और शंका भी उसके मन में बैठ गया था और उसी शंका के निवारण के लिए वह जल्दी से एक जगह ढूंढ ली जहां से अंदर की तरफ देखा जा सकता था और वह उसी जगह से अंदर की तरफ देखने लगी और जैसे ही उसकी नजरों ने अंदर के नजारे को देखा उसके तो होश उड़ गए उसको तो जैसे काटो तो खून नहीं इस तरह की हालत हो गई,,,,,।
Madhu jhopdi k andar jhankte huye

अंदर जो कुछ भी हो रहा था उसे देखकर मधु की हालत खराब हो गई थी उसकी सांसे अटक गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी ननद गुलाबी झुकी हुई थी और ठीक उसके पीछे उसका पति उसकी कुर्ती को ऊपर उठाएं उसकी बुर में लंड डालकर चोदा रहा था यह क्या देख रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था एक भाई अपनी बहन को चोद रहा है उसे बहुत गुस्सा आ रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें एकदम आग बबूला हो गई थी वह इसी समय दोनों को रंगे हाथ पकड़ लेना चाहती थी,,,, लेकिन उन दोनों के सामने जाने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी वह साफ देख रही थी कि गुलाबी अपने ही भाई से चुदवाया कर बहुत मस्त हुए जा रही थी और हरिया भी उसकी कमर थामें अपनी कमर हिला रहा था,,,,, यह नजारा देखकर मधु की आंखों के आगे अंधेरा छा गया वह कुछ देर के लिए वहीं पर बैठ गई और अपनी सांसो को दुरुस्त करने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करेगा तेरे से उठी और वापस अपने कमरे में आकर खटिया पर बैठ कर रोने लगी,,,,।
 
Last edited:

sunoanuj

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Bahut jabardast kamuk updates diya hai… Madhu ka yeh reaction .. saaf darshata hai ki uske pati par jo uska andha vishvas tha wo tut gaya… bahut gajab likh rahe ho…
 
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