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अपस्यु अपनी बात कहकर काया की ओर देखने लगा। काया भी अपस्यु की बातों का अभिवादन करती हुई मुस्कुराई और अपस्यु के कहे अनुसार काम करने का वादा करती हुई, अपने फ्लैट को देखने चल दी।
अपस्यु उसे 303 नंबर की फ्लैट दिखाने लगा। सारा सामान सब कुछ पहले से उस फ्लैट में मौजूद था। काया फ्लैट को देखती हुई… "यहां तो सारा सामान पहले से है।"
अपस्यु:- मेरे तो हर फ्लैट में ऐसे ही जरूरत के सारे समान मिल जाएंगे।
काया:- हम्मम ! अच्छा है लेकिन अपस्यु पुरा दिन घर में रहकर मै बोर नहीं हो जाऊंगी।
अपस्यु:- हां पता है इसलिए मैं 2 ऑप्शन सोच रखा था। या तो मायलो का ऑफिस ज्वाइन कर लो और वहां एक अच्छा सा लड़का देखकर उसे से शादी कर लो, या फिर अपना कोई काम शुरू कर दो, जिसमें तुम्हे रुचि हो। एक बढ़िया सा लड़का देखो और परिवार संग खुशियां बांटो।
काया:- मेरी एक ड्रीम जॉब है, मदद करोगे।
अपस्यु:- कौन सा ड्रीम जॉब..
काया:- रैंप वॉक का। मै एक मॉडल बनना चाहती थी।
अपस्यु:- हां तो बन जाओ। मै स्वास्तिका से बात कर लेता हूं, वो तुम्हे प्रोफेशनली तैयार होना सीखा देगी। यहां पता कर लो कि कौन मॉडलिंग सिखाता है, वहां जाकर ट्रेनिंग ले लेना। बाकी अपनी कंपनी के ब्रांड प्रमोशन के लिए तुम्हे ही ले लिया जाएगा। हैप्पी ना।
काया:- वेरी हैप्पी, और हां थैंक्स.. तुम वाकई बहुत प्यारे हो।
कुछ देर और काया से बात करने अपस्यु जैसे ही वहां से निकलने लगा, कुंजल में उसे तुरंत कॉलेज पहुंचने के लिए बोल दी। यूं तो अपस्यु का मन थोड़ा मिश्रा परिवार घूमकर आने का हो रहा था, लेकिन कुंजल के बुलावे के कारन उसे दौलतराम कॉलेज पहुंचना परा।
"कैसी हो लावणी। और कुंजल दीदी जी क्यों याद किया आपने।"… अपस्यु, कुंजल और लावणी के पास बैठते हुए कहने लगा।
लावणी:- आरव नहीं आया कॉलेज।
अपस्यु:- कल से शायद वो भी आ जाए।
कुंजल:- लावणी अभी जिस काम के लिए बुलाया है उसे तो कह दो।
अपस्यु:- लावणी, लेकिन तू तो भाभी कहती थी ना।
कुंजल:- हिहिहिहिही… कॉलेज है भईया, यहां थोड़े ना भाभी कहूंगी, वरना बेचारी शरमाई, शरमाई सी घूमेगी।
अपस्यु:- ओह ऐसी बात है क्या। वैसे ये टेबल खाली क्यों है? सुनो सुमित भाई, 3 कॉफी देना।
लावणी:- हां कॉफी भी पी लेंगे, लेकिन पहले हमारी भी तो सुन लीजिए।
अपस्यु:- हां बोलिए मिस लवली, आपको देख लो तो अपने आप मुस्कान आ जाती है।
लावणी:- प्रिंसिपल को मैनेज करना है, उन्होंने हमारे कॉलेज से गायब होने के कारन नोटिस दे दिया है।
अपस्यु:- हां ठीक है वो मैनेज हो जाएंगे। और कुछ।
"हां, मुझे क्लास करने में मज़ा नहीं आ रहा, कल से चुपचाप क्लास अटेंड करने आ जाना।"… पीछे से साची उसके कंधे पर हाथ देती हुई कहने लगी।
अपस्यु:- हां ठीक है कल से क्लास अटेंड करने आ जाऊंगा। वैसे कुछ नया ताज़ा।
साची:- हां सुनैना मैम तुम्हारे बारे में अक्सर पूछती रहती है।
अपस्यु:- हां ठीक है कल से आ जाऊंगा, ज्यादा फिरकी लेने की जरूरत नहीं है। पहले चलो प्रिंसिपल ऑफिस, वहां उन्हें मैनेज करना है, बिना छुट्टी के गायब रहे है तो बहुत ही ज्यादा खफा है।
साची:- पर मै क्यों जाऊं?
अपस्यु, साची का हांथ पकड़कर खिंचते हुए बाहर ले जाते…. "नौटंकी मत करो ज्यादा, बस जो बोला वो करो।"….
दोनो को यूं एक दूसरे के साथ जाते देख, लावणी गहरी श्वांस लेती हुई कहने लगी… "ऐसा लग रहा है अब सब नॉर्मल हो गया है दोनो के बीच।"..
कुंजल:- हां सही कही। बहुत बुरे दौर से गुजरना पड़ा था साची को भी। ..
इधर अपस्यु, साची का हाथ खिंचते प्रिंसिपल ऑफिस के ओर बढ़ रहा था… "अरे हाथ तो छोड़ो मेरा, वरना कलाई तुम्हारे हाथ में रह जाएगी। वैसे भी मै ही उल्टा तुम्हे खींचकर लाने वाली थी, बहुत सी बातें करनी है तुमसे।
अपस्यु, साची की कलाई छोड़कर उसकी ओर मुड़ते हुए… "हां जनता हूं, इसलिए खींचकर लाना पड़ा, वरना तुम फटी ढोल कैंटीन में ही पूछना शुरू कर देती।"..
दोनो साथ चलते हुए पार्किंग में पहुंचे और अपस्यु उसे कार में बिठाया…. "फिर से पागलपन वाले राइड पर चल रहे हो क्या?"..
अपस्यु:- नहीं रे बाबा, ये कार साउंड प्रूफ है इसलिए लेकर आया। तुम कुछ पूछो उससे पहले ही बता दूं, 15 अगस्त की रात तुम्हारे पापा भी उसी महफिल में थे और इंटेलिजेंस की पूरी टीम थी वहां पर।
साची, अपस्यु के गले लगती…. "तुम्हारा धन्यवाद, मै अपने पापा से बहुत प्यार करती हूं। तुमने जो भी मेरे लिए किया उसका शुक्रिया।"..
अपस्यु:- अरे झल्ली कार में गले ना लगो, लोग गलत समझ लेंगे।
साची:- जिसे जो सोचना है सोचे, लेकिन जो कुछ भी तुमने मेरे पापा के लिए किया है, उसका शुक्रिया।
अपस्यु:- हां ठीक है, वैसे ध्रुव का क्या हाल है?
साची:- आज कल थोड़े टेंशन में रहता है, बोल रहा था यूएस वापस चला जाएगा।
अपस्यु:- हां बुरा वक़्त उसके लिए भी चल रहा है। लेकिन मै भी क्या कर सकता हूं, प्रकाश जिंदल मुख्य अभियुक्त था।
साची:- छोड़ ये, मै संभाल लुंगी उसे, बस मेरा एक छोटा सा काम कर देना।
अपस्यु:- हां बोलो ना..
साची:- मेरे घर का माहौल ठीक नहीं है। पापा और छोटे पापा में आए दिन किसी ना किसी बात को लेकर बहस होते रहती हैं। अब तुम लोग राठौड़ मेंशन शिफ्ट कर गए हो, तो कुछ दिनों के लिए अपना फ्लैट ध्रुव को दे देते, जबतक दिल्ली में वो अपना कोई स्थाई ठिकाना नहीं ढूंढ लेता।
अपस्यु:- पागल हो तुम भी, एक कॉल कर देती तो अब तक सब हो भी गया होता। तुम क्या मूहर्त का इंतजार कर रही थी, या मेरे कॉलेज आने का।
साची:- बात वो नहीं है अपस्यु। ध्रुव पुरा लीगल मामले में फसा हुआ है। ध्रुव अपने पिता के बिजनेस को आगे बढ़ा रहा था और प्रकाश अंकल के नाम की जितनी भी चीजें थी, उसपर स्टे लग गया है। यहां तक कि अकाउंट पर भी। ध्रुव पुरा सड़क पर आ चुका है। मेघा दीदी हालांकि अपने हिस्से के आधे पैसे दे रही थी, लेकिन ध्रुव ने नहीं लिया। पता नहीं उसके दिमाग में क्या चल रहा है।
अपस्यु ने उसी वक़्त काया से बात करके उसे कुछ समझाया और कुछ पेपर्स लेकर सिन्हा जी के ऑफिस पहुंचने के लिए कहने लगा। और इधर से अपस्यु ने भी अपना कार स्टार्ट कर लिया।… "अभी तो कहे थे कोई ड्राइव नहीं, सिर्फ बात करनी है।"..
अपस्यु:- तब सिचुएशन ऐसी नहीं बनी थी ना, अब बन गई है।
साची:- मतलब मै समझी नहीं।
"एक मिनट होल्ड करो।"…. साची को रोककर उसने ऐमी को कॉल लगा दिया..
ऐमी:- जी सर कहिए..
"बापू के ऑफिस पहुंचो, एक ऑफिशियल मीटिंग के लिए।"… कहकर अपस्यु ने फोन काट दिया और साची को लेकर सिन्हा जी के ऑफिस पहुंच गया। ऑफिस के रिसेप्शन में बैठकर 2 मिनट भी नहीं हुए होंगे, ऐमी पहुंच गई… "हेल्लो साची कैसी हो।"..
साची:- अच्छी हूं, तुम बताओ।
ऐमी:- मै भी अच्छी हूं। अपस्यु डैड कोर्ट गए है। अगर छोटा काम है तो उन्होंने बोला है हाई कोर्ट से करवा लेने के लिए, और बहुत जरूर है तो 2 बजे में एक बार बात कर लेने, नहीं तो रविवार की सुबह आराम से बात कर लेंगे।
अपस्यु:- नहीं बहुत ज्यादा इमरजेंसी नहीं है। रात को बस बापू के कान में डाल देना ध्रुव की कंपनी लीगल में फस गई है, उसे निकालना है। और अभी चलते हैं, एक फ्लैट काया के नाम पर रजिस्टर करना है और दूसरा साची के नाम पर।
ऐमी:- ठीक है चलो चला जाए।
अपस्यु:- क्या हुआ कुछ कर रही थी क्या?
ऐमी:- नहीं वैभव के स्कूल जाना था वहां से कॉल आया था।
अपस्यु:- कितने बजे जाना है।
ऐमी:- नहीं तुम रहने दो मै चली जाऊंगी। तुम इनका काम करवा दो।
अपस्यु:- ठीक है, तुम जाओ मैं फ्री होकर तुमसे बात करता हूं।
साची:- अरे ये तुम दोनों आपस में ही क्या बातें कर गए, कुछ मुझे भी समझने दो। अपस्यु तुम यहां मुझे क्यों लेकर आए हो, और ये फ्लैट रजिस्ट्रेशन का क्या चक्कर है? प्लीज ऐसे कंफ्यूज मत किया करो।
अपस्यु:- मै एक फ्लैट तुम्हारे नाम से रजिस्ट्रेशन करवा रहा हूं, तुम उसे ध्रुव को गिफ्ट कर देना।
साची:- पागल हो क्या, मै नहीं ले सकती।
अपस्यु:- एहसान नहीं कर रहा मै। उसकी कंपनी लीगल में फसी है, मै क्लीन चिट दिलवाकर जब काम शुरू करवा दूंगा, तब अपना घर खरीदने के बाद मुझे वो फ्लैट वापस कर देना।
साची:- तो इतना चक्कर क्यों घूमना, जबतक काम नहीं शुरू हो जाता तबतक रह लेने दो, बाद में वो शिफ्ट कर जाएगा।
ऐमी:- नाह ! ऐसा नहीं होगा और तुम ज्यादा मुंह मत खोलो। जैसा अपस्यु ने कहा वैसा ही होगा।
लगभग 15 मिनट की मशक्कत के बाद साची राजी हुई। इस बीच काया भी पहुंच गई थी। अपस्यु ने फ्लैट 303 और 304 का रजिस्ट्रेशन दोनो के नाम पर करके वहां से वापस कॉलेज निकल आया। अपस्यु कॉलेज लौटते ही, लावणी और कुंजल के काम से सीधा प्रिंसिपल ऑफिस पहुंच गया।
लेकिन प्रिंसिपल ऑफिस के बाहर भारी भिड़ थी और वहां मौजूद छात्र काफी गुस्से में नजर आ रहे थे।…. "क्या हुआ यहां, किसी का मर्डर तो नहीं हो गया साची।"..
"रुको पता करके बताती हूं।"…. साची इतना कहकर एक विदर्थी को टोकती… "सुनिए यहां इतने स्टूडेंट क्यों जमा हो हुए है।"..
स्टूडेंट:- आज इस साले प्रिंसिपल का जुलूस निकालना है।
साची:- मैटर क्या है दोस्त..
स्टूडेंट:- हाय पहली मुलाकात में ही दोस्ती। मेरा नाम सुभाष है, बी टेक थर्ड ईयर।
अपस्यु:- भाई दौलतराम कॉलेज में बी टेक स्टूडेंट क्या कर रहे है? ये तो हम जैसे नॉर्मल स्टूडेंट का नॉर्मल डिग्री कॉलेज है।
स्टूडेंट:- तू कौन है बे जो इतनी इंक्वायरी कर रहा है। चल पीछे हट..
अपस्यु:- वाह दोस्त मेरे कॉलेज में आकर मुझे ही पीछे हटने कह रहा है। अब जल्दी मैटर बताएगा, हमारे प्रिंसिपल की घेराबंदी क्यों कर रहा है?
स्टूडेंट:- तेरे प्रिंसिपल ने हमारे एक दोस्त को छेड़ा है, उसे तो आज सबक सीखा कर जाएंगे। थोड़ी देर में पूरी मीडिया यहां होगी, फिर हम तेरे प्रिंसिपल की धज्जियां उड़ा देंगे।
अपस्यु:- चल अपने लीडर को बुला, वरना कहीं मैंने गेट बंद करवा दिया तो यहां से टूटी-फूटी हालात में जाओगे।
स्टूडेंट, अपस्यु का कॉलर पकड़ते… "साले तू मुझे धमाका रहा है। चल भाग यहां से मादारचो..."… कहते हुए उस स्टूडेंट ने धक्का दे दिया। साची बौखलाई आगे बढ़ी ही थी कि अपस्यु उसे रोकते हुए भिड़ से दूर लाया और कहने लगा… "जाकर क्रिश से कहना मेन गेट बंद कर दे और जिसको भी फ्री का एक्शन देखना हो, बोल देना प्रिंसिपल ऑफिस पहुंच जाए।"..
अपस्यु, ने साची को वहां से भेज दिया और तुरंत कार में से अपना 4 फिट वाला 2 रॉड निकलकर, प्रिंसिपल ऑफिस के पास वापस आया। इस बार कोई बात नहीं, अपस्यु ने एक रॉड उस लड़के के पाऊं पर मरा और वो दर्द से चिल्लाते हुए वहीं बैठ गया। उसे दर्द में चिल्लाते देख, कुछ और स्टूडेंट पीछे मुरे। लेकिन इससे पहले वो कुछ बोलते या करते, अपस्यु के रॉड चल रहे थे और छात्र पाऊं पकड़कर नीचे बैठते जा रहे थे।
तकरीबन 10 स्टूडेंट को जब अपस्यु नीचे बिठा दिया तब आक्रोशित स्टूडेंट ने अपस्यु को चारो ओर से घेर लिया। अपस्यु अपना रॉड वहीं नीचे सड़क पर पटकते हुए चिल्लाया… "जिस-जिस को लगता है कि हमारे कॉलेज में आकर हमे ही गुंडई दिखा सकते हैं, वो आगे बढ़े। वरना अपने लीडर को भेज।"..
लेकिन कुछ लड़कों के नसीब में मार खाना लिखा था। वो अपस्यु पर झपटने की कोशिश करने लगे। अपस्यु बड़े आराम से नीचे बैठकर हर किसी के पाऊं को अपने रॉड का शिकार बनाता जा रहा था। 2 मिनट और गुजरे होंगे, वहां 20 लड़के जमीन पर बैठकर बाप बाप चिल्ला रहे थे।… "जिस-जिस को आज मार खाने का भूत सवार है वो आ जाए।".. अपस्यु की मार से घबराए विधार्थी ने बीच से जगह बना दी। इधर अपस्यु का भिर के अंदर से चिल्लाना सुनकर, कुंजल चिल्लाई… "भाई बीच में तुम फसे हो क्या?"..
अपस्यु:- मै क्यों फसने लगा कुंजल, यही लोग मुझे मारने का मुहरत निकाल रहे है। तू भी रॉड लेकर आयी हैं क्या?
कुंजल:- हां थोड़े एक्शन मै भी कर लेती अगर तुम बात करने के मूड में ना आओ तो।
अपस्यु:- अरे इनका लीडर ना आ रहा है। मैं बीच में आराम से बैठ हूं, तू रास्ता बना कर आ जा। आज दोनो साथ में एक्शन करेंगे।
भयभीत छात्र जो अपस्यु से थोड़ी दूरी बनाकर उसे घेरे थे, सबके एक दूसरे को आगे भेजकर खुद पीछे रहना चाह रहे थे और इसी चक्कर में कोई भी हमला नहीं कर रहा था। लेकिन इधर जैसे ही कुंजल को हरी झंडी मिली, वो भी अपना रॉड उठाकर एक्शन में मूड में आ गई। तभी लड़के एक किनारे होते…. "हम सब स्टूडेंट है, आपस में क्यों एक्शन करना दीदी.. आप जाओ भईया के पास।"..