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Romance भंवर (पूर्ण)

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Update:-145




अपस्यु अपनी बात कहकर काया की ओर देखने लगा। काया भी अपस्यु की बातों का अभिवादन करती हुई मुस्कुराई और अपस्यु के कहे अनुसार काम करने का वादा करती हुई, अपने फ्लैट को देखने चल दी।


अपस्यु उसे 303 नंबर की फ्लैट दिखाने लगा। सारा सामान सब कुछ पहले से उस फ्लैट में मौजूद था। काया फ्लैट को देखती हुई… "यहां तो सारा सामान पहले से है।"


अपस्यु:- मेरे तो हर फ्लैट में ऐसे ही जरूरत के सारे समान मिल जाएंगे।


काया:- हम्मम ! अच्छा है लेकिन अपस्यु पुरा दिन घर में रहकर मै बोर नहीं हो जाऊंगी।


अपस्यु:- हां पता है इसलिए मैं 2 ऑप्शन सोच रखा था। या तो मायलो का ऑफिस ज्वाइन कर लो और वहां एक अच्छा सा लड़का देखकर उसे से शादी कर लो, या फिर अपना कोई काम शुरू कर दो, जिसमें तुम्हे रुचि हो। एक बढ़िया सा लड़का देखो और परिवार संग खुशियां बांटो।


काया:- मेरी एक ड्रीम जॉब है, मदद करोगे।


अपस्यु:- कौन सा ड्रीम जॉब..


काया:- रैंप वॉक का। मै एक मॉडल बनना चाहती थी।


अपस्यु:- हां तो बन जाओ। मै स्वास्तिका से बात कर लेता हूं, वो तुम्हे प्रोफेशनली तैयार होना सीखा देगी। यहां पता कर लो कि कौन मॉडलिंग सिखाता है, वहां जाकर ट्रेनिंग ले लेना। बाकी अपनी कंपनी के ब्रांड प्रमोशन के लिए तुम्हे ही ले लिया जाएगा। हैप्पी ना।


काया:- वेरी हैप्पी, और हां थैंक्स.. तुम वाकई बहुत प्यारे हो।


कुछ देर और काया से बात करने अपस्यु जैसे ही वहां से निकलने लगा, कुंजल में उसे तुरंत कॉलेज पहुंचने के लिए बोल दी। यूं तो अपस्यु का मन थोड़ा मिश्रा परिवार घूमकर आने का हो रहा था, लेकिन कुंजल के बुलावे के कारन उसे दौलतराम कॉलेज पहुंचना परा।


"कैसी हो लावणी। और कुंजल दीदी जी क्यों याद किया आपने।"… अपस्यु, कुंजल और लावणी के पास बैठते हुए कहने लगा।


लावणी:- आरव नहीं आया कॉलेज।


अपस्यु:- कल से शायद वो भी आ जाए।


कुंजल:- लावणी अभी जिस काम के लिए बुलाया है उसे तो कह दो।


अपस्यु:- लावणी, लेकिन तू तो भाभी कहती थी ना।


कुंजल:- हिहिहिहिही… कॉलेज है भईया, यहां थोड़े ना भाभी कहूंगी, वरना बेचारी शरमाई, शरमाई सी घूमेगी।


अपस्यु:- ओह ऐसी बात है क्या। वैसे ये टेबल खाली क्यों है? सुनो सुमित भाई, 3 कॉफी देना।


लावणी:- हां कॉफी भी पी लेंगे, लेकिन पहले हमारी भी तो सुन लीजिए।


अपस्यु:- हां बोलिए मिस लवली, आपको देख लो तो अपने आप मुस्कान आ जाती है।


लावणी:- प्रिंसिपल को मैनेज करना है, उन्होंने हमारे कॉलेज से गायब होने के कारन नोटिस दे दिया है।


अपस्यु:- हां ठीक है वो मैनेज हो जाएंगे। और कुछ।


"हां, मुझे क्लास करने में मज़ा नहीं आ रहा, कल से चुपचाप क्लास अटेंड करने आ जाना।"… पीछे से साची उसके कंधे पर हाथ देती हुई कहने लगी।


अपस्यु:- हां ठीक है कल से क्लास अटेंड करने आ जाऊंगा। वैसे कुछ नया ताज़ा।


साची:- हां सुनैना मैम तुम्हारे बारे में अक्सर पूछती रहती है।


अपस्यु:- हां ठीक है कल से आ जाऊंगा, ज्यादा फिरकी लेने की जरूरत नहीं है। पहले चलो प्रिंसिपल ऑफिस, वहां उन्हें मैनेज करना है, बिना छुट्टी के गायब रहे है तो बहुत ही ज्यादा खफा है।


साची:- पर मै क्यों जाऊं?


अपस्यु, साची का हांथ पकड़कर खिंचते हुए बाहर ले जाते…. "नौटंकी मत करो ज्यादा, बस जो बोला वो करो।"….


दोनो को यूं एक दूसरे के साथ जाते देख, लावणी गहरी श्वांस लेती हुई कहने लगी… "ऐसा लग रहा है अब सब नॉर्मल हो गया है दोनो के बीच।"..


कुंजल:- हां सही कही। बहुत बुरे दौर से गुजरना पड़ा था साची को भी। ..


इधर अपस्यु, साची का हाथ खिंचते प्रिंसिपल ऑफिस के ओर बढ़ रहा था… "अरे हाथ तो छोड़ो मेरा, वरना कलाई तुम्हारे हाथ में रह जाएगी। वैसे भी मै ही उल्टा तुम्हे खींचकर लाने वाली थी, बहुत सी बातें करनी है तुमसे।


अपस्यु, साची की कलाई छोड़कर उसकी ओर मुड़ते हुए… "हां जनता हूं, इसलिए खींचकर लाना पड़ा, वरना तुम फटी ढोल कैंटीन में ही पूछना शुरू कर देती।"..


दोनो साथ चलते हुए पार्किंग में पहुंचे और अपस्यु उसे कार में बिठाया…. "फिर से पागलपन वाले राइड पर चल रहे हो क्या?"..


अपस्यु:- नहीं रे बाबा, ये कार साउंड प्रूफ है इसलिए लेकर आया। तुम कुछ पूछो उससे पहले ही बता दूं, 15 अगस्त की रात तुम्हारे पापा भी उसी महफिल में थे और इंटेलिजेंस की पूरी टीम थी वहां पर।


साची, अपस्यु के गले लगती…. "तुम्हारा धन्यवाद, मै अपने पापा से बहुत प्यार करती हूं। तुमने जो भी मेरे लिए किया उसका शुक्रिया।"..


अपस्यु:- अरे झल्ली कार में गले ना लगो, लोग गलत समझ लेंगे।


साची:- जिसे जो सोचना है सोचे, लेकिन जो कुछ भी तुमने मेरे पापा के लिए किया है, उसका शुक्रिया।


अपस्यु:- हां ठीक है, वैसे ध्रुव का क्या हाल है?


साची:- आज कल थोड़े टेंशन में रहता है, बोल रहा था यूएस वापस चला जाएगा।


अपस्यु:- हां बुरा वक़्त उसके लिए भी चल रहा है। लेकिन मै भी क्या कर सकता हूं, प्रकाश जिंदल मुख्य अभियुक्त था।


साची:- छोड़ ये, मै संभाल लुंगी उसे, बस मेरा एक छोटा सा काम कर देना।


अपस्यु:- हां बोलो ना..


साची:- मेरे घर का माहौल ठीक नहीं है। पापा और छोटे पापा में आए दिन किसी ना किसी बात को लेकर बहस होते रहती हैं। अब तुम लोग राठौड़ मेंशन शिफ्ट कर गए हो, तो कुछ दिनों के लिए अपना फ्लैट ध्रुव को दे देते, जबतक दिल्ली में वो अपना कोई स्थाई ठिकाना नहीं ढूंढ लेता।


अपस्यु:- पागल हो तुम भी, एक कॉल कर देती तो अब तक सब हो भी गया होता। तुम क्या मूहर्त का इंतजार कर रही थी, या मेरे कॉलेज आने का।


साची:- बात वो नहीं है अपस्यु। ध्रुव पुरा लीगल मामले में फसा हुआ है। ध्रुव अपने पिता के बिजनेस को आगे बढ़ा रहा था और प्रकाश अंकल के नाम की जितनी भी चीजें थी, उसपर स्टे लग गया है। यहां तक कि अकाउंट पर भी। ध्रुव पुरा सड़क पर आ चुका है। मेघा दीदी हालांकि अपने हिस्से के आधे पैसे दे रही थी, लेकिन ध्रुव ने नहीं लिया। पता नहीं उसके दिमाग में क्या चल रहा है।


अपस्यु ने उसी वक़्त काया से बात करके उसे कुछ समझाया और कुछ पेपर्स लेकर सिन्हा जी के ऑफिस पहुंचने के लिए कहने लगा। और इधर से अपस्यु ने भी अपना कार स्टार्ट कर लिया।… "अभी तो कहे थे कोई ड्राइव नहीं, सिर्फ बात करनी है।"..


अपस्यु:- तब सिचुएशन ऐसी नहीं बनी थी ना, अब बन गई है।


साची:- मतलब मै समझी नहीं।


"एक मिनट होल्ड करो।"…. साची को रोककर उसने ऐमी को कॉल लगा दिया..


ऐमी:- जी सर कहिए..


"बापू के ऑफिस पहुंचो, एक ऑफिशियल मीटिंग के लिए।"… कहकर अपस्यु ने फोन काट दिया और साची को लेकर सिन्हा जी के ऑफिस पहुंच गया। ऑफिस के रिसेप्शन में बैठकर 2 मिनट भी नहीं हुए होंगे, ऐमी पहुंच गई… "हेल्लो साची कैसी हो।"..


साची:- अच्छी हूं, तुम बताओ।


ऐमी:- मै भी अच्छी हूं। अपस्यु डैड कोर्ट गए है। अगर छोटा काम है तो उन्होंने बोला है हाई कोर्ट से करवा लेने के लिए, और बहुत जरूर है तो 2 बजे में एक बार बात कर लेने, नहीं तो रविवार की सुबह आराम से बात कर लेंगे।


अपस्यु:- नहीं बहुत ज्यादा इमरजेंसी नहीं है। रात को बस बापू के कान में डाल देना ध्रुव की कंपनी लीगल में फस गई है, उसे निकालना है। और अभी चलते हैं, एक फ्लैट काया के नाम पर रजिस्टर करना है और दूसरा साची के नाम पर।


ऐमी:- ठीक है चलो चला जाए।


अपस्यु:- क्या हुआ कुछ कर रही थी क्या?


ऐमी:- नहीं वैभव के स्कूल जाना था वहां से कॉल आया था।


अपस्यु:- कितने बजे जाना है।


ऐमी:- नहीं तुम रहने दो मै चली जाऊंगी। तुम इनका काम करवा दो।


अपस्यु:- ठीक है, तुम जाओ मैं फ्री होकर तुमसे बात करता हूं।


साची:- अरे ये तुम दोनों आपस में ही क्या बातें कर गए, कुछ मुझे भी समझने दो। अपस्यु तुम यहां मुझे क्यों लेकर आए हो, और ये फ्लैट रजिस्ट्रेशन का क्या चक्कर है? प्लीज ऐसे कंफ्यूज मत किया करो।


अपस्यु:- मै एक फ्लैट तुम्हारे नाम से रजिस्ट्रेशन करवा रहा हूं, तुम उसे ध्रुव को गिफ्ट कर देना।


साची:- पागल हो क्या, मै नहीं ले सकती।


अपस्यु:- एहसान नहीं कर रहा मै। उसकी कंपनी लीगल में फसी है, मै क्लीन चिट दिलवाकर जब काम शुरू करवा दूंगा, तब अपना घर खरीदने के बाद मुझे वो फ्लैट वापस कर देना।


साची:- तो इतना चक्कर क्यों घूमना, जबतक काम नहीं शुरू हो जाता तबतक रह लेने दो, बाद में वो शिफ्ट कर जाएगा।


ऐमी:- नाह ! ऐसा नहीं होगा और तुम ज्यादा मुंह मत खोलो। जैसा अपस्यु ने कहा वैसा ही होगा।


लगभग 15 मिनट की मशक्कत के बाद साची राजी हुई। इस बीच काया भी पहुंच गई थी। अपस्यु ने फ्लैट 303 और 304 का रजिस्ट्रेशन दोनो के नाम पर करके वहां से वापस कॉलेज निकल आया। अपस्यु कॉलेज लौटते ही, लावणी और कुंजल के काम से सीधा प्रिंसिपल ऑफिस पहुंच गया।


लेकिन प्रिंसिपल ऑफिस के बाहर भारी भिड़ थी और वहां मौजूद छात्र काफी गुस्से में नजर आ रहे थे।…. "क्या हुआ यहां, किसी का मर्डर तो नहीं हो गया साची।"..


"रुको पता करके बताती हूं।"…. साची इतना कहकर एक विदर्थी को टोकती… "सुनिए यहां इतने स्टूडेंट क्यों जमा हो हुए है।"..


स्टूडेंट:- आज इस साले प्रिंसिपल का जुलूस निकालना है।


साची:- मैटर क्या है दोस्त..


स्टूडेंट:- हाय पहली मुलाकात में ही दोस्ती। मेरा नाम सुभाष है, बी टेक थर्ड ईयर।


अपस्यु:- भाई दौलतराम कॉलेज में बी टेक स्टूडेंट क्या कर रहे है? ये तो हम जैसे नॉर्मल स्टूडेंट का नॉर्मल डिग्री कॉलेज है।


स्टूडेंट:- तू कौन है बे जो इतनी इंक्वायरी कर रहा है। चल पीछे हट..


अपस्यु:- वाह दोस्त मेरे कॉलेज में आकर मुझे ही पीछे हटने कह रहा है। अब जल्दी मैटर बताएगा, हमारे प्रिंसिपल की घेराबंदी क्यों कर रहा है?


स्टूडेंट:- तेरे प्रिंसिपल ने हमारे एक दोस्त को छेड़ा है, उसे तो आज सबक सीखा कर जाएंगे। थोड़ी देर में पूरी मीडिया यहां होगी, फिर हम तेरे प्रिंसिपल की धज्जियां उड़ा देंगे।


अपस्यु:- चल अपने लीडर को बुला, वरना कहीं मैंने गेट बंद करवा दिया तो यहां से टूटी-फूटी हालात में जाओगे।


स्टूडेंट, अपस्यु का कॉलर पकड़ते… "साले तू मुझे धमाका रहा है। चल भाग यहां से मादारचो..."… कहते हुए उस स्टूडेंट ने धक्का दे दिया। साची बौखलाई आगे बढ़ी ही थी कि अपस्यु उसे रोकते हुए भिड़ से दूर लाया और कहने लगा… "जाकर क्रिश से कहना मेन गेट बंद कर दे और जिसको भी फ्री का एक्शन देखना हो, बोल देना प्रिंसिपल ऑफिस पहुंच जाए।"..


अपस्यु, ने साची को वहां से भेज दिया और तुरंत कार में से अपना 4 फिट वाला 2 रॉड निकलकर, प्रिंसिपल ऑफिस के पास वापस आया। इस बार कोई बात नहीं, अपस्यु ने एक रॉड उस लड़के के पाऊं पर मरा और वो दर्द से चिल्लाते हुए वहीं बैठ गया। उसे दर्द में चिल्लाते देख, कुछ और स्टूडेंट पीछे मुरे। लेकिन इससे पहले वो कुछ बोलते या करते, अपस्यु के रॉड चल रहे थे और छात्र पाऊं पकड़कर नीचे बैठते जा रहे थे।


तकरीबन 10 स्टूडेंट को जब अपस्यु नीचे बिठा दिया तब आक्रोशित स्टूडेंट ने अपस्यु को चारो ओर से घेर लिया। अपस्यु अपना रॉड वहीं नीचे सड़क पर पटकते हुए चिल्लाया… "जिस-जिस को लगता है कि हमारे कॉलेज में आकर हमे ही गुंडई दिखा सकते हैं, वो आगे बढ़े। वरना अपने लीडर को भेज।"..



लेकिन कुछ लड़कों के नसीब में मार खाना लिखा था। वो अपस्यु पर झपटने की कोशिश करने लगे। अपस्यु बड़े आराम से नीचे बैठकर हर किसी के पाऊं को अपने रॉड का शिकार बनाता जा रहा था। 2 मिनट और गुजरे होंगे, वहां 20 लड़के जमीन पर बैठकर बाप बाप चिल्ला रहे थे।… "जिस-जिस को आज मार खाने का भूत सवार है वो आ जाए।".. अपस्यु की मार से घबराए विधार्थी ने बीच से जगह बना दी। इधर अपस्यु का भिर के अंदर से चिल्लाना सुनकर, कुंजल चिल्लाई… "भाई बीच में तुम फसे हो क्या?"..


अपस्यु:- मै क्यों फसने लगा कुंजल, यही लोग मुझे मारने का मुहरत निकाल रहे है। तू भी रॉड लेकर आयी हैं क्या?


कुंजल:- हां थोड़े एक्शन मै भी कर लेती अगर तुम बात करने के मूड में ना आओ तो।


अपस्यु:- अरे इनका लीडर ना आ रहा है। मैं बीच में आराम से बैठ हूं, तू रास्ता बना कर आ जा। आज दोनो साथ में एक्शन करेंगे।


भयभीत छात्र जो अपस्यु से थोड़ी दूरी बनाकर उसे घेरे थे, सबके एक दूसरे को आगे भेजकर खुद पीछे रहना चाह रहे थे और इसी चक्कर में कोई भी हमला नहीं कर रहा था। लेकिन इधर जैसे ही कुंजल को हरी झंडी मिली, वो भी अपना रॉड उठाकर एक्शन में मूड में आ गई। तभी लड़के एक किनारे होते…. "हम सब स्टूडेंट है, आपस में क्यों एक्शन करना दीदी.. आप जाओ भईया के पास।"..
 
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भिड़ ने डर से रास्ता छोड़ दिया और कुंजल अपस्यु के पास पहुंच गई। अपस्यु अपने रॉड को जमीन में पटकते… "देखो मुझे प्रिंसिपल सर से भी मिलना है, उनसे कुछ बात करनी है। अब तुमलोग में से कोई यहां आकर मैटर बताएगा, या मै सबकी चमरी उधेड़ दूं।


"मेरा नाम विकास है, और मै अपने कॉलेज के स्टूडेंट संघ का प्रेसिडेंट हूं। देखो हम स्टूडेंट के बीच में लफड़ा नहीं चाहते है। तुम हमें शांति से काम करने दो। आपस में बैर अच्छी नहीं। अभी हम भले 200 है, लेकिन कब ये 200 लोग 2 लाख में बदल जाएंगे, पता भी नहीं चलेगा।"..


अपस्यु:- पूरे दिल्ली में एक तू ही स्टूडेंट नेता है या यहां और भी लोग है खजूर। तू अकेला नहीं जो भिड़ जुटा सकता है, इसलिए पहले अपनी टोन बदल, और आराम से बात करना सीख।


विकाश:- हम्मम ! देख भाई हम यहां तेरे प्रिंसिपल से मिलने आए हैं, उसने हमारे साथ पढ़ने वाली एक लड़की के साथ अश्लील हरकत की है।


अपस्यु:- लड़की का वीडियो वाइरल हो गया क्या?


विकास:- नहीं वीडियो वाइरल नहीं हुआ है। बस हमे अपने दोस्तो से पता चला। तेरे प्रिंसिपल के बाजू वाले फ्लैट में 4 लड़कियां रहती है, उन्हीं में से 1 के साथ उसने ये अश्लील हरकत की है और बाकी 3 ने कन्फर्म किया हैं। देख दोस्त हम अपने जायज मांग पर है और तूने यहां कईयों को तोड़ दिया।


अपस्यु, कुंजल के कान में कुछ कहा और कार की चाभी उसे देते हुए, विकास से कहने लगा… "देख विकास मुझे 3 दिन का समय दे, यदि बात में सच्चाई निकली तो मैं उसके अगले 2 दिन में अपने प्रिंसिपल को लीगल लेकर जाऊंगा और सजा दिलवाऊंगा। यदि मै ऐसा ना कर पाया, फिर तुम्हे जो सही लगे वो करना, हम में से कोई बीच में नहीं आयेगा।"..


विकास:- ठीक है दोस्त हम 5 दिन रुक लेंगे और वादा रहा यदि वो लोग लड़की गलत निकली तो उन्हें तुम लीगल में लेकर जाना, हम में से कोई भी बीच में नहीं आएगा।


इतने में कुंजल भी वहां आ गई। उसके हाथ में 5 लाख रुपए थे, जो उसने अपस्यु को थमा दिए। अपस्यु उन पैसों को विकास के हाथ में देते हुए… "30 लोग टूटे है, उन्हें 15000 दे देना इलाज के लिए"..


विकास:- बाकी के 50000..


अपस्यु:- इतने सारे मेरे बाहर के दोस्त आए हैं, उन सबके के लिए एक छोटी सी पार्टी अरेंज कर देना।


विकास:- दे रहा है तो पुरा दे ना, फिर दारू तू देगा, चखना हम अरेंज करे।


अपस्यु:- काउंटी पार्टी है मेरे भाई, बाकी के काउंटी कर लेना… और हां विकास बाहर शायद पुलिस आयी हो तो बोल देना मैटर सैटल हो गया है, अंदर आने की जरूरत नहीं है। यहां प्रिंसिपल से मै फोन करवा दूंगा


विकास, अपस्यु की बात सुनकर हंसने लगा और वहां से अपने साथियों को लेकर चला गया। अपस्यु ने भी अपना रॉड कुंजल को दे दिया और जैसे ही खड़ा हुआ, प्रिंसिपल दौड़ते हुए उसके पास पहुंचे।… "तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया, तुम आओ मेरे साथ।"


प्रिंसिपल उसे अपने साथ चेंबर में लाते…. "तुम्हारा धन्यवाद मै कैसे कहूं, मुझे समझ में नहीं आ रहा।"


अपस्यु:- सर बूढ़े हो गए हो लेकिन दिमाग से हवस मिटती नहीं।


प्रिंसीपल:- हाहाहाहा, सीधा इल्ज़ाम। वैसे तुम्हारा नाम क्या है?


अपस्यु:- जी अपस्यु…


प्रिंसिपल:- ओह हो तो तुम हो अपस्यु। तुम्हे तो लगभग हमने कॉलेज से निकाल दिया है, केवल सुनैना के कारन तुम बचे हुए हो।


अपस्यु:- काम की बात कर ले सर…


प्रिंसिपल:- हां काम कि बात। देखो घटना 2 लोगों के बीच की है और सबूत कुछ नहीं।


अपस्यु:- हां लेकिन आप दोषी है। ये मै दाबे के साथ कह सकता हूं।


प्रिंसिपल:- और तुम्हारे ऐसा कहने का आधार..


अपस्यु:- सुनीता नायर, लालनी मिश्रा, अरुणा नामदेव, जसप्रीत कौर, उत्तमरीत डिल्लो.. और भी नाम गिनवा दूं क्या?


प्रिंसिपल:- भाई तुम जासूस हो क्या। हां सबके नाम सही है लेकिन इतने अंदर की खबर तुम कहां से निकाल लाए।


अपस्यु:- आप के दोस्त सोमेश से, कहो तो फोन लगा दूं..


प्रिंसिपल:- मदर.. सॉरी, उसे लगाओ फोन और मेरी बात करवाओ..


अपस्यु ने तुरंत वहीं से सोमेश को कॉल लगा दिया। सोमेश कॉल उठाते ही… "देख अपस्यु मै बहुत बिजी हूं, अगर किसी बात को लेकर भेजा खाओगे तो मै फोन काट दूंगा।"..


अपस्यु:- आपके मित्र आलोक अवस्थी जी है मेरे साथ, और उनके चर्चे आम होने से मैंने अभी के लिए बचा लिया है।


प्रिंसिपल:- तुम मामूली लड़के नहीं हो अपस्यु, फोन स्पीकर पर डालो…


जैसे ही फोन स्पीकर पर हुआ… "सोमेश तूने इस बच्चे से मेरे कॉलेज की कहानी बताई।"..


सोमेश:- वो तो मेरा बाप है, कुछ देर में तू भी ये बात मान लेगा। ये बताओ ये क्या कह रहा है, तुम्हारे चर्चे आम होने से क्या मतलब था उसका।


प्रिंसिपल:- मुझ पर फिर से वही इल्ज़ाम लगा है, लेकिन यार इस बार मै दुखी हूं, बहुत दुखी। 22-23 की बच्ची है यार और मै अचंभे में हूं।


सोमेश:- अपस्यु, आलोक क्लीन है। मैंने जितनी भी लड़कियों के नाम बोले थे, उन सब के साथ बहुत फ्रेंडली रिलेशन था आलोक का। तुम ये समझ लो कि उस समय में जब एक लड़का-लड़की का साथ देखा जाना चर्चा का विषय बन जाता था, उस वक़्त आलोक पूरी रात उनके साथ पढ़ता था। और पढ़ना मतलब केवल पढ़ना। वो अपने समय का फिजिक्स में गोल्डमेडलिस्ट था। वो यूएस, यूके, जर्मनी में कहीं भी हो सकता था, लेकिन उसने अपना घर चुना।

आलोक आईआईटी में पढ़ा सकता था, लेकिन उसने डिग्री कॉलेज चुना और यहां के छात्रों को फिजिक्स पढाता है। इसके कई सारे स्टूडेंट विदेशों में है। इसके लिखे कई सारे टॉपिक टेक्स्ट बुक में है। यूं समझ लो इसकी तारीफ में मेरा पूरा दिन निकल जाएगा लेकिन चर्चा खत्म नहीं होगी। मुझे नहीं पता उस लड़की ने ऐसा क्यों किया, लेकिन मेरा दोस्त क्लीन है।


अपस्यु:- बहुत गहरी दोस्ती लगती है। चलो मै फोन रखता हूं, कल आऊंगा मिलने।


सोमेश:- नाना बिल्कुल मत आना, मै बाहर जा रहा हूं कुछ महीनों के लिए।


अपस्यु, फोन काटते हुए….. "ठीक है सर आप क्लीन है अब मै मान गया। मै आपका काम कर दूंगा लेकिन उसके बदले में मुझे कुछ चाहिए।"..


सोमेश:- हाहाहाहा.. बदले में क्या चाहिए वो भी बता ही दो।


अपस्यु:- आप मुझे फिजिक्स पढ़ाएंगे।


सोमेश:- क्या ? लेकिन तुम तो..


अपस्यु:- हां मै तो हिन्दी का छात्र हूं। लेकिन आपके लिए 30 लड़कों की टांग तोड़ी ना, अब आपका केस भी सॉल्व करूंगा। तो क्या ये सब मेरा विषय है।


प्रिंसिपल:- हम्मम ! ठीक है मै तुम्हे पढ़ा दूंगा, बस इस मामले को सुलझा दो। मै तो अब भी नहीं समझ पा रहा की हुआ क्या? सुबह तक तो सब नॉर्मल ही था।

अपस्यु:- सर एक बात और थी, मेरी बहन कुंजल और मेरी होने वाली भाभी लावणी कुछ दिनों के लिए कॉलेज नहीं आए थे और आपने उन्हें नोटिस भिजवा दिया।


प्रिंसिपल:- वो लड़की साची और आरव तुम्हारे रिश्ते में नहीं है क्या?


अपस्यु:- है ना सर, साची मेरी एक्स गर्लफ्रेंड है और मेरी होने वाली भाभी की चचेरी बहन। और आरव मेरा भाई है, जिसकी शादी लावणी से होने वाली है।


प्रिंसिपल:- कमाल है, पुरा खानदान ही यहां कॉलेज में है। वैसे वो तुम्ही हो ना जिसने होम मिनिस्टर के बेटे को मार खिलवाया था इन्हीं दोनों बहनों के हाथो।


अपस्यु:- हां वो नाचीज़ मै ही हूं। चलता हूं सर, कल मुलाकात करेंगे।


अपस्यु अपनी बात कहकर जैसे ही प्रिंसिपल ऑफिस से बाहर निकला, कुंजल समेत सब लोग वहीं मौजूद थे। जैसे ही अपस्यु बाहर आया सब लोग हूटिंग करने लगे। उन्हें हूटिंग करते देख प्रिंसिपल बाहर आ गया और घूरती नज़रों से सबको देखने लगा। प्रिंसिपल को देखकर हर कोई वहां से भागने में ही भलाई समझे।


पूरे कॉलेज में आज अपस्यु के एक्शन की ही चर्चा हो रही थी। कुंजल तो जैसे खुद में प्राउड टाइप फील कर रही थी और अपने आसपास महफिल सजाए अपस्यु की कहानी बता रही थी। वहीं अपस्यु जब प्रिंसिपल ऑफिस से बाहर आया उसी वक़्त कंचन का संदेश उसके पास पहुंच गया और वो उसे तुरंत घर आने के लिए कह रही थी।


अपस्यु जैसे ही घर पहुंचा, वहां का माहौल काफी टेंशन भरा था, और कंचन का उड़ा चेहरा देखकर लग रहा था बहुत रोई है। जैसे ही वो अपस्यु को देखी, हिचकियां लेती वो लिपट गई। हिचकियां लेती बस किसी तरह एक ही बात रटती रही।…. "किसी तरह दिल को सुकून दिया की ऐक्सिडेंट में मरी थी मेरी बहन लेकिन उसे तो वक़्त से पहले किसी ने छीन लिया।"


कंचन सच बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी, और अपस्यु उसे किसी तरह शांत करवा रहा था। काफी वक़्त लगा तब कहीं जाकर वो शांत हुई। किन्तु जब शांत हुई तो बिल्कुल ही शांत थी, शायद अपनी बहन के कत्ल के बारे में सुनकर सदमे में चली गई थी, ठीक वैसे ही जैसे यहां हर किसी का हाल पहली बार का था।


कंचन जब शांत हुई तब उसे रह-रह कर ये बात भी अखरती रही की प्रताप महल में इतने ताने सुनने के बाद भी अपस्यु ने किसी को अपने दर्द कि दास्तां नहीं सुनाई। अपनी मां के लिए सफाई पेश करता रहा, लेकिन यह किसी को नहीं कहा को दृश्य के लड़ाई में तो वो ना होकर भी साथ था, लेकिन उसकी लड़ाई में तो हम कभी थे ही नहीं, और ना ही उसने दृश्य से कभी मदद मांगी।


कंचन, राठौड़ मेंशन में शाम तक रुकी, फिर दृश्य को बुलाकर वो वापस प्रताप महल चली गई, क्योंकि कुछ लोगों को ये कहानी सुनानी जरूरी थी, जिसने भी अपस्यु पर सवाल उठाए थे। रात का वक़्त था, खाना खाने के बाद अपस्यु नंदनी के कमरे में ही आ गया और उसके गोद में सर रखकर लेट गया।


नंदनी उसके बालो में हाथ डाल कर धीरे-धीरे सर को दबाती हुई… "हम्मम ! मेरा बेटा आज चिंता में है क्या?"


अपस्यु:- हां थोड़ी सी मां। वैसे अभी तो मासी का ख्याल आ रहा है। ऊपर से आप पर गुस्सा भी। उन्हें सब बता दिया।


नंदनी:- मुझे लगा सब खत्म हो गया तो मैंने बता दिया। आखिर सच जानने का हक उन्हें भी है।


अपस्यु:- चलो छोड़ो उन्हें, मैंने दृश्य भईया से कह दिया है अभी इस बात को पूरा राज ही रखे। गलती हो गई सबके तरह आपको भी समझा देना चाहिए था अभी बीते बातों की चर्चा किसी से नहीं करने..


नंदनी:- लेकिन क्यों, अब तो सब खत्म है ना?


अपस्यु:- पहली बात… अभी मैंने सबको मना किया है, अपनी बीती कहानी किसी को नहीं बताने और पुरा राज रखने, क्योंकि हमारी पूरी कहानी टीवी पर आएगी। दूसरी बात जिसे हमने खत्म किया वो एक हिस्सा था, दूसरा हिस्सा बाकी है। और चौंकना मत।


नंदनी ऊपर से ही एक चमाट लगाते… "जी तो कर रहा है तबीयत से पिटाई करूं। जरूर यहां कुछ ऐसा कहने आया है जिससे मेरे दिल में छेद होने वाला होगा।"


अपस्यु, उठकर बैठ गया और नंदनी को समझाते हुए कहने लगा…. "मां आप मेरी बात सुनो। मै ये काम खामोशी से करना चाहता हूं और परिवार से अभी किसी को सामिल नहीं कर सकता। मैंने अपने जरूरत के लोगों को साथ ले लिया है। बस आखरी तमाशा जब होगा तब संबको सामिल करूंगा और उसमे आप भी होंगी।


नंदनी:- हम्मम ! तेरी बहुत फिक्र होती है कभी कभी। अब वो बात बताओ जो मुझे परेशान करने वाली है।


अपस्यु:- मै ज्यादातर वक़्त बाहर ही रहने वाला हूं। यूं समझ लो मेरा यहां रहना कभी-कभी होगा। ज्यादातर वक़्त फ्लैट में ही बीतेगा।


नंदनी:- साफ साफ क्यों नहीं कह देता हमारे साथ नहीं रहेगा।


अपस्यु:- मां, ऐसे इमोशनल करोगी तो मै कुछ नहीं कर पाऊंगा। उनकी मां कैसे रहती है जिनके बच्चे बॉर्डर पर होते हैं।


नंदनी:- हां तो उनके बच्चे बॉर्डर पर जाने से पहले कई साल तक अपनी मां के पास रहते है। तू उड़ता-फिरता रहता है। अपस्यु अपने सारे काम यहां से नही कर सकता क्या?


अपस्यु, नंदनी के गाल को चूमते… "मां मै तुम्हारे पास ही तो हूं। एक बात और कल से आप कंपनी का भी कुछ काम देख लो, क्योंकि आरव की अभी डिग्री तो कंप्लीट होने दो, इसी बहाने आप कम के कम सास-बहू सीरियल से तो दूर रहोगी।


नंदनी:- घर में जब इतने थ्रिल और सस्पेंस चल रहे हो फिर टीवी देखने की क्या जरूरत। वैसे तुम्हारा सुझाव अच्छा है, थोड़ा थ्रिल मै ऑफिस में भी बटोर लूंगी, वैसे भी अभी तो पुरा स्टाफ उनका ही होगा। लोगों की ठीक से पहचान करनी भी जरूरी है। एक बात और बेफिक्र होकर आगे बढ़ो पूरी हिम्मत से, यहां पुरा मै अकेले संभालेंगी, सभी को।


एक सुकून भरी रात थी। अपस्यु वापस से नंदनी के गोद में लेट गया। लेटे-लेटे उसने काफी सालों बाद वहीं सुकून की नीद मिली जो कभी अपनी मां के गोद में लेटकर मिलता था। अपस्यु कर्म पथ पर बढ़ चुका था। मार्ग तैयार था और सफर की शुरवात वो कर चुका था…
 
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अपस्यु अपनी बात कहकर काया की ओर देखने लगा। काया भी अपस्यु की बातों का अभिवादन करती हुई मुस्कुराई और अपस्यु के कहे अनुसार काम करने का वादा करती हुई, अपने फ्लैट को देखने चल दी।


अपस्यु उसे 303 नंबर की फ्लैट दिखाने लगा। सारा सामान सब कुछ पहले से उस फ्लैट में मौजूद था। काया फ्लैट को देखती हुई… "यहां तो सारा सामान पहले से है।"


अपस्यु:- मेरे तो हर फ्लैट में ऐसे ही जरूरत के सारे समान मिल जाएंगे।


काया:- हम्मम ! अच्छा है लेकिन अपस्यु पुरा दिन घर में रहकर मै बोर नहीं हो जाऊंगी।


अपस्यु:- हां पता है इसलिए मैं 2 ऑप्शन सोच रखा था। या तो मायलो का ऑफिस ज्वाइन कर लो और वहां एक अच्छा सा लड़का देखकर उसे से शादी कर लो, या फिर अपना कोई काम शुरू कर दो, जिसमें तुम्हे रुचि हो। एक बढ़िया सा लड़का देखो और परिवार संग खुशियां बांटो।


काया:- मेरी एक ड्रीम जॉब है, मदद करोगे।


अपस्यु:- कौन सा ड्रीम जॉब..


काया:- रैंप वॉक का। मै एक मॉडल बनना चाहती थी।


अपस्यु:- हां तो बन जाओ। मै स्वास्तिका से बात कर लेता हूं, वो तुम्हे प्रोफेशनली तैयार होना सीखा देगी। यहां पता कर लो कि कौन मॉडलिंग सिखाता है, वहां जाकर ट्रेनिंग ले लेना। बाकी अपनी कंपनी के ब्रांड प्रमोशन के लिए तुम्हे ही ले लिया जाएगा। हैप्पी ना।


काया:- वेरी हैप्पी, और हां थैंक्स.. तुम वाकई बहुत प्यारे हो।


कुछ देर और काया से बात करने अपस्यु जैसे ही वहां से निकलने लगा, कुंजल में उसे तुरंत कॉलेज पहुंचने के लिए बोल दी। यूं तो अपस्यु का मन थोड़ा मिश्रा परिवार घूमकर आने का हो रहा था, लेकिन कुंजल के बुलावे के कारन उसे दौलतराम कॉलेज पहुंचना परा।


"कैसी हो लावणी। और कुंजल दीदी जी क्यों याद किया आपने।"… अपस्यु, कुंजल और लावणी के पास बैठते हुए कहने लगा।


लावणी:- आरव नहीं आया कॉलेज।


अपस्यु:- कल से शायद वो भी आ जाए।


कुंजल:- लावणी अभी जिस काम के लिए बुलाया है उसे तो कह दो।


अपस्यु:- लावणी, लेकिन तू तो भाभी कहती थी ना।


कुंजल:- हिहिहिहिही… कॉलेज है भईया, यहां थोड़े ना भाभी कहूंगी, वरना बेचारी शरमाई, शरमाई सी घूमेगी।


अपस्यु:- ओह ऐसी बात है क्या। वैसे ये टेबल खाली क्यों है? सुनो सुमित भाई, 3 कॉफी देना।


लावणी:- हां कॉफी भी पी लेंगे, लेकिन पहले हमारी भी तो सुन लीजिए।


अपस्यु:- हां बोलिए मिस लवली, आपको देख लो तो अपने आप मुस्कान आ जाती है।


लावणी:- प्रिंसिपल को मैनेज करना है, उन्होंने हमारे कॉलेज से गायब होने के कारन नोटिस दे दिया है।


अपस्यु:- हां ठीक है वो मैनेज हो जाएंगे। और कुछ।


"हां, मुझे क्लास करने में मज़ा नहीं आ रहा, कल से चुपचाप क्लास अटेंड करने आ जाना।"… पीछे से साची उसके कंधे पर हाथ देती हुई कहने लगी।


अपस्यु:- हां ठीक है कल से क्लास अटेंड करने आ जाऊंगा। वैसे कुछ नया ताज़ा।


साची:- हां सुनैना मैम तुम्हारे बारे में अक्सर पूछती रहती है।


अपस्यु:- हां ठीक है कल से आ जाऊंगा, ज्यादा फिरकी लेने की जरूरत नहीं है। पहले चलो प्रिंसिपल ऑफिस, वहां उन्हें मैनेज करना है, बिना छुट्टी के गायब रहे है तो बहुत ही ज्यादा खफा है।


साची:- पर मै क्यों जाऊं?


अपस्यु, साची का हांथ पकड़कर खिंचते हुए बाहर ले जाते…. "नौटंकी मत करो ज्यादा, बस जो बोला वो करो।"….


दोनो को यूं एक दूसरे के साथ जाते देख, लावणी गहरी श्वांस लेती हुई कहने लगी… "ऐसा लग रहा है अब सब नॉर्मल हो गया है दोनो के बीच।"..


कुंजल:- हां सही कही। बहुत बुरे दौर से गुजरना पड़ा था साची को भी। ..


इधर अपस्यु, साची का हाथ खिंचते प्रिंसिपल ऑफिस के ओर बढ़ रहा था… "अरे हाथ तो छोड़ो मेरा, वरना कलाई तुम्हारे हाथ में रह जाएगी। वैसे भी मै ही उल्टा तुम्हे खींचकर लाने वाली थी, बहुत सी बातें करनी है तुमसे।


अपस्यु, साची की कलाई छोड़कर उसकी ओर मुड़ते हुए… "हां जनता हूं, इसलिए खींचकर लाना पड़ा, वरना तुम फटी ढोल कैंटीन में ही पूछना शुरू कर देती।"..


दोनो साथ चलते हुए पार्किंग में पहुंचे और अपस्यु उसे कार में बिठाया…. "फिर से पागलपन वाले राइड पर चल रहे हो क्या?"..


अपस्यु:- नहीं रे बाबा, ये कार साउंड प्रूफ है इसलिए लेकर आया। तुम कुछ पूछो उससे पहले ही बता दूं, 15 अगस्त की रात तुम्हारे पापा भी उसी महफिल में थे और इंटेलिजेंस की पूरी टीम थी वहां पर।


साची, अपस्यु के गले लगती…. "तुम्हारा धन्यवाद, मै अपने पापा से बहुत प्यार करती हूं। तुमने जो भी मेरे लिए किया उसका शुक्रिया।"..


अपस्यु:- अरे झल्ली कार में गले ना लगो, लोग गलत समझ लेंगे।


साची:- जिसे जो सोचना है सोचे, लेकिन जो कुछ भी तुमने मेरे पापा के लिए किया है, उसका शुक्रिया।


अपस्यु:- हां ठीक है, वैसे ध्रुव का क्या हाल है?


साची:- आज कल थोड़े टेंशन में रहता है, बोल रहा था यूएस वापस चला जाएगा।


अपस्यु:- हां बुरा वक़्त उसके लिए भी चल रहा है। लेकिन मै भी क्या कर सकता हूं, प्रकाश जिंदल मुख्य अभियुक्त था।


साची:- छोड़ ये, मै संभाल लुंगी उसे, बस मेरा एक छोटा सा काम कर देना।


अपस्यु:- हां बोलो ना..


साची:- मेरे घर का माहौल ठीक नहीं है। पापा और छोटे पापा में आए दिन किसी ना किसी बात को लेकर बहस होते रहती हैं। अब तुम लोग राठौड़ मेंशन शिफ्ट कर गए हो, तो कुछ दिनों के लिए अपना फ्लैट ध्रुव को दे देते, जबतक दिल्ली में वो अपना कोई स्थाई ठिकाना नहीं ढूंढ लेता।


अपस्यु:- पागल हो तुम भी, एक कॉल कर देती तो अब तक सब हो भी गया होता। तुम क्या मूहर्त का इंतजार कर रही थी, या मेरे कॉलेज आने का।


साची:- बात वो नहीं है अपस्यु। ध्रुव पुरा लीगल मामले में फसा हुआ है। ध्रुव अपने पिता के बिजनेस को आगे बढ़ा रहा था और प्रकाश अंकल के नाम की जितनी भी चीजें थी, उसपर स्टे लग गया है। यहां तक कि अकाउंट पर भी। ध्रुव पुरा सड़क पर आ चुका है। मेघा दीदी हालांकि अपने हिस्से के आधे पैसे दे रही थी, लेकिन ध्रुव ने नहीं लिया। पता नहीं उसके दिमाग में क्या चल रहा है।


अपस्यु ने उसी वक़्त काया से बात करके उसे कुछ समझाया और कुछ पेपर्स लेकर सिन्हा जी के ऑफिस पहुंचने के लिए कहने लगा। और इधर से अपस्यु ने भी अपना कार स्टार्ट कर लिया।… "अभी तो कहे थे कोई ड्राइव नहीं, सिर्फ बात करनी है।"..


अपस्यु:- तब सिचुएशन ऐसी नहीं बनी थी ना, अब बन गई है।


साची:- मतलब मै समझी नहीं।


"एक मिनट होल्ड करो।"…. साची को रोककर उसने ऐमी को कॉल लगा दिया..


ऐमी:- जी सर कहिए..


"बापू के ऑफिस पहुंचो, एक ऑफिशियल मीटिंग के लिए।"… कहकर अपस्यु ने फोन काट दिया और साची को लेकर सिन्हा जी के ऑफिस पहुंच गया। ऑफिस के रिसेप्शन में बैठकर 2 मिनट भी नहीं हुए होंगे, ऐमी पहुंच गई… "हेल्लो साची कैसी हो।"..


साची:- अच्छी हूं, तुम बताओ।


ऐमी:- मै भी अच्छी हूं। अपस्यु डैड कोर्ट गए है। अगर छोटा काम है तो उन्होंने बोला है हाई कोर्ट से करवा लेने के लिए, और बहुत जरूर है तो 2 बजे में एक बार बात कर लेने, नहीं तो रविवार की सुबह आराम से बात कर लेंगे।


अपस्यु:- नहीं बहुत ज्यादा इमरजेंसी नहीं है। रात को बस बापू के कान में डाल देना ध्रुव की कंपनी लीगल में फस गई है, उसे निकालना है। और अभी चलते हैं, एक फ्लैट काया के नाम पर रजिस्टर करना है और दूसरा साची के नाम पर।


ऐमी:- ठीक है चलो चला जाए।


अपस्यु:- क्या हुआ कुछ कर रही थी क्या?


ऐमी:- नहीं वैभव के स्कूल जाना था वहां से कॉल आया था।


अपस्यु:- कितने बजे जाना है।


ऐमी:- नहीं तुम रहने दो मै चली जाऊंगी। तुम इनका काम करवा दो।


अपस्यु:- ठीक है, तुम जाओ मैं फ्री होकर तुमसे बात करता हूं।


साची:- अरे ये तुम दोनों आपस में ही क्या बातें कर गए, कुछ मुझे भी समझने दो। अपस्यु तुम यहां मुझे क्यों लेकर आए हो, और ये फ्लैट रजिस्ट्रेशन का क्या चक्कर है? प्लीज ऐसे कंफ्यूज मत किया करो।


अपस्यु:- मै एक फ्लैट तुम्हारे नाम से रजिस्ट्रेशन करवा रहा हूं, तुम उसे ध्रुव को गिफ्ट कर देना।


साची:- पागल हो क्या, मै नहीं ले सकती।


अपस्यु:- एहसान नहीं कर रहा मै। उसकी कंपनी लीगल में फसी है, मै क्लीन चिट दिलवाकर जब काम शुरू करवा दूंगा, तब अपना घर खरीदने के बाद मुझे वो फ्लैट वापस कर देना।


साची:- तो इतना चक्कर क्यों घूमना, जबतक काम नहीं शुरू हो जाता तबतक रह लेने दो, बाद में वो शिफ्ट कर जाएगा।


ऐमी:- नाह ! ऐसा नहीं होगा और तुम ज्यादा मुंह मत खोलो। जैसा अपस्यु ने कहा वैसा ही होगा।


लगभग 15 मिनट की मशक्कत के बाद साची राजी हुई। इस बीच काया भी पहुंच गई थी। अपस्यु ने फ्लैट 303 और 304 का रजिस्ट्रेशन दोनो के नाम पर करके वहां से वापस कॉलेज निकल आया। अपस्यु कॉलेज लौटते ही, लावणी और कुंजल के काम से सीधा प्रिंसिपल ऑफिस पहुंच गया।


लेकिन प्रिंसिपल ऑफिस के बाहर भारी भिड़ थी और वहां मौजूद छात्र काफी गुस्से में नजर आ रहे थे।…. "क्या हुआ यहां, किसी का मर्डर तो नहीं हो गया साची।"..


"रुको पता करके बताती हूं।"…. साची इतना कहकर एक विदर्थी को टोकती… "सुनिए यहां इतने स्टूडेंट क्यों जमा हो हुए है।"..


स्टूडेंट:- आज इस साले प्रिंसिपल का जुलूस निकालना है।


साची:- मैटर क्या है दोस्त..


स्टूडेंट:- हाय पहली मुलाकात में ही दोस्ती। मेरा नाम सुभाष है, बी टेक थर्ड ईयर।


अपस्यु:- भाई दौलतराम कॉलेज में बी टेक स्टूडेंट क्या कर रहे है? ये तो हम जैसे नॉर्मल स्टूडेंट का नॉर्मल डिग्री कॉलेज है।


स्टूडेंट:- तू कौन है बे जो इतनी इंक्वायरी कर रहा है। चल पीछे हट..


अपस्यु:- वाह दोस्त मेरे कॉलेज में आकर मुझे ही पीछे हटने कह रहा है। अब जल्दी मैटर बताएगा, हमारे प्रिंसिपल की घेराबंदी क्यों कर रहा है?


स्टूडेंट:- तेरे प्रिंसिपल ने हमारे एक दोस्त को छेड़ा है, उसे तो आज सबक सीखा कर जाएंगे। थोड़ी देर में पूरी मीडिया यहां होगी, फिर हम तेरे प्रिंसिपल की धज्जियां उड़ा देंगे।


अपस्यु:- चल अपने लीडर को बुला, वरना कहीं मैंने गेट बंद करवा दिया तो यहां से टूटी-फूटी हालात में जाओगे।


स्टूडेंट, अपस्यु का कॉलर पकड़ते… "साले तू मुझे धमाका रहा है। चल भाग यहां से मादारचो..."… कहते हुए उस स्टूडेंट ने धक्का दे दिया। साची बौखलाई आगे बढ़ी ही थी कि अपस्यु उसे रोकते हुए भिड़ से दूर लाया और कहने लगा… "जाकर क्रिश से कहना मेन गेट बंद कर दे और जिसको भी फ्री का एक्शन देखना हो, बोल देना प्रिंसिपल ऑफिस पहुंच जाए।"..


अपस्यु, ने साची को वहां से भेज दिया और तुरंत कार में से अपना 4 फिट वाला 2 रॉड निकलकर, प्रिंसिपल ऑफिस के पास वापस आया। इस बार कोई बात नहीं, अपस्यु ने एक रॉड उस लड़के के पाऊं पर मरा और वो दर्द से चिल्लाते हुए वहीं बैठ गया। उसे दर्द में चिल्लाते देख, कुछ और स्टूडेंट पीछे मुरे। लेकिन इससे पहले वो कुछ बोलते या करते, अपस्यु के रॉड चल रहे थे और छात्र पाऊं पकड़कर नीचे बैठते जा रहे थे।


तकरीबन 10 स्टूडेंट को जब अपस्यु नीचे बिठा दिया तब आक्रोशित स्टूडेंट ने अपस्यु को चारो ओर से घेर लिया। अपस्यु अपना रॉड वहीं नीचे सड़क पर पटकते हुए चिल्लाया… "जिस-जिस को लगता है कि हमारे कॉलेज में आकर हमे ही गुंडई दिखा सकते हैं, वो आगे बढ़े। वरना अपने लीडर को भेज।"..



लेकिन कुछ लड़कों के नसीब में मार खाना लिखा था। वो अपस्यु पर झपटने की कोशिश करने लगे। अपस्यु बड़े आराम से नीचे बैठकर हर किसी के पाऊं को अपने रॉड का शिकार बनाता जा रहा था। 2 मिनट और गुजरे होंगे, वहां 20 लड़के जमीन पर बैठकर बाप बाप चिल्ला रहे थे।… "जिस-जिस को आज मार खाने का भूत सवार है वो आ जाए।".. अपस्यु की मार से घबराए विधार्थी ने बीच से जगह बना दी। इधर अपस्यु का भिर के अंदर से चिल्लाना सुनकर, कुंजल चिल्लाई… "भाई बीच में तुम फसे हो क्या?"..


अपस्यु:- मै क्यों फसने लगा कुंजल, यही लोग मुझे मारने का मुहरत निकाल रहे है। तू भी रॉड लेकर आयी हैं क्या?


कुंजल:- हां थोड़े एक्शन मै भी कर लेती अगर तुम बात करने के मूड में ना आओ तो।


अपस्यु:- अरे इनका लीडर ना आ रहा है। मैं बीच में आराम से बैठ हूं, तू रास्ता बना कर आ जा। आज दोनो साथ में एक्शन करेंगे।


भयभीत छात्र जो अपस्यु से थोड़ी दूरी बनाकर उसे घेरे थे, सबके एक दूसरे को आगे भेजकर खुद पीछे रहना चाह रहे थे और इसी चक्कर में कोई भी हमला नहीं कर रहा था। लेकिन इधर जैसे ही कुंजल को हरी झंडी मिली, वो भी अपना रॉड उठाकर एक्शन में मूड में आ गई। तभी लड़के एक किनारे होते…. "हम सब स्टूडेंट है, आपस में क्यों एक्शन करना दीदी.. आप जाओ भईया के पास।"..
nice update ..sachi ke papa bach gaye police se .?..dhruv ko rehne ke liye flat de deta ,saachi ke naam register karo aur jab paise aa jaaye to dobara return le lo itna bakheda kyu kar raha hai hero ? ..

college ka jhagada mast hai ??..hero rod leke sabko dhi raha hai ?...aur kunjal bhi ab aa gayi ?...
 

Indrajeet

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Update to bahut badhiya h bhai but aaj Sunday h aur itne se me man na bharega ...we want more
 
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भिड़ ने डर से रास्ता छोड़ दिया और कुंजल अपस्यु के पास पहुंच गई। अपस्यु अपने रॉड को जमीन में पटकते… "देखो मुझे प्रिंसिपल सर से भी मिलना है, उनसे कुछ बात करनी है। अब तुमलोग में से कोई यहां आकर मैटर बताएगा, या मै सबकी चमरी उधेड़ दूं।


"मेरा नाम विकास है, और मै अपने कॉलेज के स्टूडेंट संघ का प्रेसिडेंट हूं। देखो हम स्टूडेंट के बीच में लफड़ा नहीं चाहते है। तुम हमें शांति से काम करने दो। आपस में बैर अच्छी नहीं। अभी हम भले 200 है, लेकिन कब ये 200 लोग 2 लाख में बदल जाएंगे, पता भी नहीं चलेगा।"..


अपस्यु:- पूरे दिल्ली में एक तू ही स्टूडेंट नेता है या यहां और भी लोग है खजूर। तू अकेला नहीं जो भिड़ जुटा सकता है, इसलिए पहले अपनी टोन बदल, और आराम से बात करना सीख।


विकाश:- हम्मम ! देख भाई हम यहां तेरे प्रिंसिपल से मिलने आए हैं, उसने हमारे साथ पढ़ने वाली एक लड़की के साथ अश्लील हरकत की है।


अपस्यु:- लड़की का वीडियो वाइरल हो गया क्या?


विकास:- नहीं वीडियो वाइरल नहीं हुआ है। बस हमे अपने दोस्तो से पता चला। तेरे प्रिंसिपल के बाजू वाले फ्लैट में 4 लड़कियां रहती है, उन्हीं में से 1 के साथ उसने ये अश्लील हरकत की है और बाकी 3 ने कन्फर्म किया हैं। देख दोस्त हम अपने जायज मांग पर है और तूने यहां कईयों को तोड़ दिया।


अपस्यु, कुंजल के कान में कुछ कहा और कार की चाभी उसे देते हुए, विकास से कहने लगा… "देख विकास मुझे 3 दिन का समय दे, यदि बात में सच्चाई निकली तो मैं उसके अगले 2 दिन में अपने प्रिंसिपल को लीगल लेकर जाऊंगा और सजा दिलवाऊंगा। यदि मै ऐसा ना कर पाया, फिर तुम्हे जो सही लगे वो करना, हम में से कोई बीच में नहीं आयेगा।"..


विकास:- ठीक है दोस्त हम 5 दिन रुक लेंगे और वादा रहा यदि वो लोग लड़की गलत निकली तो उन्हें तुम लीगल में लेकर जाना, हम में से कोई भी बीच में नहीं आएगा।


इतने में कुंजल भी वहां आ गई। उसके हाथ में 5 लाख रुपए थे, जो उसने अपस्यु को थमा दिए। अपस्यु उन पैसों को विकास के हाथ में देते हुए… "30 लोग टूटे है, उन्हें 15000 दे देना इलाज के लिए"..


विकास:- बाकी के 50000..


अपस्यु:- इतने सारे मेरे बाहर के दोस्त आए हैं, उन सबके के लिए एक छोटी सी पार्टी अरेंज कर देना।


विकास:- दे रहा है तो पुरा दे ना, फिर दारू तू देगा, चखना हम अरेंज करे।


अपस्यु:- काउंटी पार्टी है मेरे भाई, बाकी के काउंटी कर लेना… और हां विकास बाहर शायद पुलिस आयी हो तो बोल देना मैटर सैटल हो गया है, अंदर आने की जरूरत नहीं है। यहां प्रिंसिपल से मै फोन करवा दूंगा


विकास, अपस्यु की बात सुनकर हंसने लगा और वहां से अपने साथियों को लेकर चला गया। अपस्यु ने भी अपना रॉड कुंजल को दे दिया और जैसे ही खड़ा हुआ, प्रिंसिपल दौड़ते हुए उसके पास पहुंचे।… "तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया, तुम आओ मेरे साथ।"


प्रिंसिपल उसे अपने साथ चेंबर में लाते…. "तुम्हारा धन्यवाद मै कैसे कहूं, मुझे समझ में नहीं आ रहा।"


अपस्यु:- सर बूढ़े हो गए हो लेकिन दिमाग से हवस मिटती नहीं।


प्रिंसीपल:- हाहाहाहा, सीधा इल्ज़ाम। वैसे तुम्हारा नाम क्या है?


अपस्यु:- जी अपस्यु…


प्रिंसिपल:- ओह हो तो तुम हो अपस्यु। तुम्हे तो लगभग हमने कॉलेज से निकाल दिया है, केवल सुनैना के कारन तुम बचे हुए हो।


अपस्यु:- काम की बात कर ले सर…


प्रिंसिपल:- हां काम कि बात। देखो घटना 2 लोगों के बीच की है और सबूत कुछ नहीं।


अपस्यु:- हां लेकिन आप दोषी है। ये मै दाबे के साथ कह सकता हूं।


प्रिंसिपल:- और तुम्हारे ऐसा कहने का आधार..


अपस्यु:- सुनीता नायर, लालनी मिश्रा, अरुणा नामदेव, जसप्रीत कौर, उत्तमरीत डिल्लो.. और भी नाम गिनवा दूं क्या?


प्रिंसिपल:- भाई तुम जासूस हो क्या। हां सबके नाम सही है लेकिन इतने अंदर की खबर तुम कहां से निकाल लाए।


अपस्यु:- आप के दोस्त सोमेश से, कहो तो फोन लगा दूं..


प्रिंसिपल:- मदर.. सॉरी, उसे लगाओ फोन और मेरी बात करवाओ..


अपस्यु ने तुरंत वहीं से सोमेश को कॉल लगा दिया। सोमेश कॉल उठाते ही… "देख अपस्यु मै बहुत बिजी हूं, अगर किसी बात को लेकर भेजा खाओगे तो मै फोन काट दूंगा।"..


अपस्यु:- आपके मित्र आलोक अवस्थी जी है मेरे साथ, और उनके चर्चे आम होने से मैंने अभी के लिए बचा लिया है।


प्रिंसिपल:- तुम मामूली लड़के नहीं हो अपस्यु, फोन स्पीकर पर डालो…


जैसे ही फोन स्पीकर पर हुआ… "सोमेश तूने इस बच्चे से मेरे कॉलेज की कहानी बताई।"..


सोमेश:- वो तो मेरा बाप है, कुछ देर में तू भी ये बात मान लेगा। ये बताओ ये क्या कह रहा है, तुम्हारे चर्चे आम होने से क्या मतलब था उसका।


प्रिंसिपल:- मुझ पर फिर से वही इल्ज़ाम लगा है, लेकिन यार इस बार मै दुखी हूं, बहुत दुखी। 22-23 की बच्ची है यार और मै अचंभे में हूं।


सोमेश:- अपस्यु, आलोक क्लीन है। मैंने जितनी भी लड़कियों के नाम बोले थे, उन सब के साथ बहुत फ्रेंडली रिलेशन था आलोक का। तुम ये समझ लो कि उस समय में जब एक लड़का-लड़की का साथ देखा जाना चर्चा का विषय बन जाता था, उस वक़्त आलोक पूरी रात उनके साथ पढ़ता था। और पढ़ना मतलब केवल पढ़ना। वो अपने समय का फिजिक्स में गोल्डमेडलिस्ट था। वो यूएस, यूके, जर्मनी में कहीं भी हो सकता था, लेकिन उसने अपना घर चुना।

आलोक आईआईटी में पढ़ा सकता था, लेकिन उसने डिग्री कॉलेज चुना और यहां के छात्रों को फिजिक्स पढाता है। इसके कई सारे स्टूडेंट विदेशों में है। इसके लिखे कई सारे टॉपिक टेक्स्ट बुक में है। यूं समझ लो इसकी तारीफ में मेरा पूरा दिन निकल जाएगा लेकिन चर्चा खत्म नहीं होगी। मुझे नहीं पता उस लड़की ने ऐसा क्यों किया, लेकिन मेरा दोस्त क्लीन है।


अपस्यु:- बहुत गहरी दोस्ती लगती है। चलो मै फोन रखता हूं, कल आऊंगा मिलने।


सोमेश:- नाना बिल्कुल मत आना, मै बाहर जा रहा हूं कुछ महीनों के लिए।


अपस्यु, फोन काटते हुए….. "ठीक है सर आप क्लीन है अब मै मान गया। मै आपका काम कर दूंगा लेकिन उसके बदले में मुझे कुछ चाहिए।"..


सोमेश:- हाहाहाहा.. बदले में क्या चाहिए वो भी बता ही दो।


अपस्यु:- आप मुझे फिजिक्स पढ़ाएंगे।


सोमेश:- क्या ? लेकिन तुम तो..


अपस्यु:- हां मै तो हिन्दी का छात्र हूं। लेकिन आपके लिए 30 लड़कों की टांग तोड़ी ना, अब आपका केस भी सॉल्व करूंगा। तो क्या ये सब मेरा विषय है।


प्रिंसिपल:- हम्मम ! ठीक है मै तुम्हे पढ़ा दूंगा, बस इस मामले को सुलझा दो। मै तो अब भी नहीं समझ पा रहा की हुआ क्या? सुबह तक तो सब नॉर्मल ही था।

अपस्यु:- सर एक बात और थी, मेरी बहन कुंजल और मेरी होने वाली भाभी लावणी कुछ दिनों के लिए कॉलेज नहीं आए थे और आपने उन्हें नोटिस भिजवा दिया।


प्रिंसिपल:- वो लड़की साची और आरव तुम्हारे रिश्ते में नहीं है क्या?


अपस्यु:- है ना सर, साची मेरी एक्स गर्लफ्रेंड है और मेरी होने वाली भाभी की चचेरी बहन। और आरव मेरा भाई है, जिसकी शादी लावणी से होने वाली है।


प्रिंसिपल:- कमाल है, पुरा खानदान ही यहां कॉलेज में है। वैसे वो तुम्ही हो ना जिसने होम मिनिस्टर के बेटे को मार खिलवाया था इन्हीं दोनों बहनों के हाथो।


अपस्यु:- हां वो नाचीज़ मै ही हूं। चलता हूं सर, कल मुलाकात करेंगे।


अपस्यु अपनी बात कहकर जैसे ही प्रिंसिपल ऑफिस से बाहर निकला, कुंजल समेत सब लोग वहीं मौजूद थे। जैसे ही अपस्यु बाहर आया सब लोग हूटिंग करने लगे। उन्हें हूटिंग करते देख प्रिंसिपल बाहर आ गया और घूरती नज़रों से सबको देखने लगा। प्रिंसिपल को देखकर हर कोई वहां से भागने में ही भलाई समझे।


पूरे कॉलेज में आज अपस्यु के एक्शन की ही चर्चा हो रही थी। कुंजल तो जैसे खुद में प्राउड टाइप फील कर रही थी और अपने आसपास महफिल सजाए अपस्यु की कहानी बता रही थी। वहीं अपस्यु जब प्रिंसिपल ऑफिस से बाहर आया उसी वक़्त कंचन का संदेश उसके पास पहुंच गया और वो उसे तुरंत घर आने के लिए कह रही थी।


अपस्यु जैसे ही घर पहुंचा, वहां का माहौल काफी टेंशन भरा था, और कंचन का उड़ा चेहरा देखकर लग रहा था बहुत रोई है। जैसे ही वो अपस्यु को देखी, हिचकियां लेती वो लिपट गई। हिचकियां लेती बस किसी तरह एक ही बात रटती रही।…. "किसी तरह दिल को सुकून दिया की ऐक्सिडेंट में मरी थी मेरी बहन लेकिन उसे तो वक़्त से पहले किसी ने छीन लिया।"


कंचन सच बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी, और अपस्यु उसे किसी तरह शांत करवा रहा था। काफी वक़्त लगा तब कहीं जाकर वो शांत हुई। किन्तु जब शांत हुई तो बिल्कुल ही शांत थी, शायद अपनी बहन के कत्ल के बारे में सुनकर सदमे में चली गई थी, ठीक वैसे ही जैसे यहां हर किसी का हाल पहली बार का था।


कंचन जब शांत हुई तब उसे रह-रह कर ये बात भी अखरती रही की प्रताप महल में इतने ताने सुनने के बाद भी अपस्यु ने किसी को अपने दर्द कि दास्तां नहीं सुनाई। अपनी मां के लिए सफाई पेश करता रहा, लेकिन यह किसी को नहीं कहा को दृश्य के लड़ाई में तो वो ना होकर भी साथ था, लेकिन उसकी लड़ाई में तो हम कभी थे ही नहीं, और ना ही उसने दृश्य से कभी मदद मांगी।


कंचन, राठौड़ मेंशन में शाम तक रुकी, फिर दृश्य को बुलाकर वो वापस प्रताप महल चली गई, क्योंकि कुछ लोगों को ये कहानी सुनानी जरूरी थी, जिसने भी अपस्यु पर सवाल उठाए थे। रात का वक़्त था, खाना खाने के बाद अपस्यु नंदनी के कमरे में ही आ गया और उसके गोद में सर रखकर लेट गया।


नंदनी उसके बालो में हाथ डाल कर धीरे-धीरे सर को दबाती हुई… "हम्मम ! मेरा बेटा आज चिंता में है क्या?"


अपस्यु:- हां थोड़ी सी मां। वैसे अभी तो मासी का ख्याल आ रहा है। ऊपर से आप पर गुस्सा भी। उन्हें सब बता दिया।


नंदनी:- मुझे लगा सब खत्म हो गया तो मैंने बता दिया। आखिर सच जानने का हक उन्हें भी है।


अपस्यु:- चलो छोड़ो उन्हें, मैंने दृश्य भईया से कह दिया है अभी इस बात को पूरा राज ही रखे। गलती हो गई सबके तरह आपको भी समझा देना चाहिए था अभी बीते बातों की चर्चा किसी से नहीं करने..


नंदनी:- लेकिन क्यों, अब तो सब खत्म है ना?


अपस्यु:- पहली बात… अभी मैंने सबको मना किया है, अपनी बीती कहानी किसी को नहीं बताने और पुरा राज रखने, क्योंकि हमारी पूरी कहानी टीवी पर आएगी। दूसरी बात जिसे हमने खत्म किया वो एक हिस्सा था, दूसरा हिस्सा बाकी है। और चौंकना मत।


नंदनी ऊपर से ही एक चमाट लगाते… "जी तो कर रहा है तबीयत से पिटाई करूं। जरूर यहां कुछ ऐसा कहने आया है जिससे मेरे दिल में छेद होने वाला होगा।"


अपस्यु, उठकर बैठ गया और नंदनी को समझाते हुए कहने लगा…. "मां आप मेरी बात सुनो। मै ये काम खामोशी से करना चाहता हूं और परिवार से अभी किसी को सामिल नहीं कर सकता। मैंने अपने जरूरत के लोगों को साथ ले लिया है। बस आखरी तमाशा जब होगा तब संबको सामिल करूंगा और उसमे आप भी होंगी।


नंदनी:- हम्मम ! तेरी बहुत फिक्र होती है कभी कभी। अब वो बात बताओ जो मुझे परेशान करने वाली है।


अपस्यु:- मै ज्यादातर वक़्त बाहर ही रहने वाला हूं। यूं समझ लो मेरा यहां रहना कभी-कभी होगा। ज्यादातर वक़्त फ्लैट में ही बीतेगा।


नंदनी:- साफ साफ क्यों नहीं कह देता हमारे साथ नहीं रहेगा।


अपस्यु:- मां, ऐसे इमोशनल करोगी तो मै कुछ नहीं कर पाऊंगा। उनकी मां कैसे रहती है जिनके बच्चे बॉर्डर पर होते हैं।


नंदनी:- हां तो उनके बच्चे बॉर्डर पर जाने से पहले कई साल तक अपनी मां के पास रहते है। तू उड़ता-फिरता रहता है। अपस्यु अपने सारे काम यहां से नही कर सकता क्या?


अपस्यु, नंदनी के गाल को चूमते… "मां मै तुम्हारे पास ही तो हूं। एक बात और कल से आप कंपनी का भी कुछ काम देख लो, क्योंकि आरव की अभी डिग्री तो कंप्लीट होने दो, इसी बहाने आप कम के कम सास-बहू सीरियल से तो दूर रहोगी।


नंदनी:- घर में जब इतने थ्रिल और सस्पेंस चल रहे हो फिर टीवी देखने की क्या जरूरत। वैसे तुम्हारा सुझाव अच्छा है, थोड़ा थ्रिल मै ऑफिस में भी बटोर लूंगी, वैसे भी अभी तो पुरा स्टाफ उनका ही होगा। लोगों की ठीक से पहचान करनी भी जरूरी है। एक बात और बेफिक्र होकर आगे बढ़ो पूरी हिम्मत से, यहां पुरा मै अकेले संभालेंगी, सभी को।


एक सुकून भरी रात थी। अपस्यु वापस से नंदनी के गोद में लेट गया। लेटे-लेटे उसने काफी सालों बाद वहीं सुकून की नीद मिली जो कभी अपनी मां के गोद में लेटकर मिलता था। अपस्यु कर्म पथ पर बढ़ चुका था। मार्ग तैयार था और सफर की शुरवात वो कर चुका था…
nice update ...principal nirdosh hai aur wo ladkiya usko fasa rahi hai? dekhte hai apasyu kaise bachata hai principal ko ..

kanchan ko sach bata diya nandini ne aur wo jaake payal ko sunayegi ,,par hero kyu nahi chahta ki sabko ( pariwar ke logo ko ) . sach pata chale ??..
 

Black water

Vasudhaiv Kutumbakam
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अपस्यु अपनी बात कहकर काया की ओर देखने लगा। काया भी अपस्यु की बातों का अभिवादन करती हुई मुस्कुराई और अपस्यु के कहे अनुसार काम करने का वादा करती हुई, अपने फ्लैट को देखने चल दी।


अपस्यु उसे 303 नंबर की फ्लैट दिखाने लगा। सारा सामान सब कुछ पहले से उस फ्लैट में मौजूद था। काया फ्लैट को देखती हुई… "यहां तो सारा सामान पहले से है।"


अपस्यु:- मेरे तो हर फ्लैट में ऐसे ही जरूरत के सारे समान मिल जाएंगे।


काया:- हम्मम ! अच्छा है लेकिन अपस्यु पुरा दिन घर में रहकर मै बोर नहीं हो जाऊंगी।


अपस्यु:- हां पता है इसलिए मैं 2 ऑप्शन सोच रखा था। या तो मायलो का ऑफिस ज्वाइन कर लो और वहां एक अच्छा सा लड़का देखकर उसे से शादी कर लो, या फिर अपना कोई काम शुरू कर दो, जिसमें तुम्हे रुचि हो। एक बढ़िया सा लड़का देखो और परिवार संग खुशियां बांटो।


काया:- मेरी एक ड्रीम जॉब है, मदद करोगे।


अपस्यु:- कौन सा ड्रीम जॉब..


काया:- रैंप वॉक का। मै एक मॉडल बनना चाहती थी।


अपस्यु:- हां तो बन जाओ। मै स्वास्तिका से बात कर लेता हूं, वो तुम्हे प्रोफेशनली तैयार होना सीखा देगी। यहां पता कर लो कि कौन मॉडलिंग सिखाता है, वहां जाकर ट्रेनिंग ले लेना। बाकी अपनी कंपनी के ब्रांड प्रमोशन के लिए तुम्हे ही ले लिया जाएगा। हैप्पी ना।


काया:- वेरी हैप्पी, और हां थैंक्स.. तुम वाकई बहुत प्यारे हो।


कुछ देर और काया से बात करने अपस्यु जैसे ही वहां से निकलने लगा, कुंजल में उसे तुरंत कॉलेज पहुंचने के लिए बोल दी। यूं तो अपस्यु का मन थोड़ा मिश्रा परिवार घूमकर आने का हो रहा था, लेकिन कुंजल के बुलावे के कारन उसे दौलतराम कॉलेज पहुंचना परा।


"कैसी हो लावणी। और कुंजल दीदी जी क्यों याद किया आपने।"… अपस्यु, कुंजल और लावणी के पास बैठते हुए कहने लगा।


लावणी:- आरव नहीं आया कॉलेज।


अपस्यु:- कल से शायद वो भी आ जाए।


कुंजल:- लावणी अभी जिस काम के लिए बुलाया है उसे तो कह दो।


अपस्यु:- लावणी, लेकिन तू तो भाभी कहती थी ना।


कुंजल:- हिहिहिहिही… कॉलेज है भईया, यहां थोड़े ना भाभी कहूंगी, वरना बेचारी शरमाई, शरमाई सी घूमेगी।


अपस्यु:- ओह ऐसी बात है क्या। वैसे ये टेबल खाली क्यों है? सुनो सुमित भाई, 3 कॉफी देना।


लावणी:- हां कॉफी भी पी लेंगे, लेकिन पहले हमारी भी तो सुन लीजिए।


अपस्यु:- हां बोलिए मिस लवली, आपको देख लो तो अपने आप मुस्कान आ जाती है।


लावणी:- प्रिंसिपल को मैनेज करना है, उन्होंने हमारे कॉलेज से गायब होने के कारन नोटिस दे दिया है।


अपस्यु:- हां ठीक है वो मैनेज हो जाएंगे। और कुछ।


"हां, मुझे क्लास करने में मज़ा नहीं आ रहा, कल से चुपचाप क्लास अटेंड करने आ जाना।"… पीछे से साची उसके कंधे पर हाथ देती हुई कहने लगी।


अपस्यु:- हां ठीक है कल से क्लास अटेंड करने आ जाऊंगा। वैसे कुछ नया ताज़ा।


साची:- हां सुनैना मैम तुम्हारे बारे में अक्सर पूछती रहती है।


अपस्यु:- हां ठीक है कल से आ जाऊंगा, ज्यादा फिरकी लेने की जरूरत नहीं है। पहले चलो प्रिंसिपल ऑफिस, वहां उन्हें मैनेज करना है, बिना छुट्टी के गायब रहे है तो बहुत ही ज्यादा खफा है।


साची:- पर मै क्यों जाऊं?


अपस्यु, साची का हांथ पकड़कर खिंचते हुए बाहर ले जाते…. "नौटंकी मत करो ज्यादा, बस जो बोला वो करो।"….


दोनो को यूं एक दूसरे के साथ जाते देख, लावणी गहरी श्वांस लेती हुई कहने लगी… "ऐसा लग रहा है अब सब नॉर्मल हो गया है दोनो के बीच।"..


कुंजल:- हां सही कही। बहुत बुरे दौर से गुजरना पड़ा था साची को भी। ..


इधर अपस्यु, साची का हाथ खिंचते प्रिंसिपल ऑफिस के ओर बढ़ रहा था… "अरे हाथ तो छोड़ो मेरा, वरना कलाई तुम्हारे हाथ में रह जाएगी। वैसे भी मै ही उल्टा तुम्हे खींचकर लाने वाली थी, बहुत सी बातें करनी है तुमसे।


अपस्यु, साची की कलाई छोड़कर उसकी ओर मुड़ते हुए… "हां जनता हूं, इसलिए खींचकर लाना पड़ा, वरना तुम फटी ढोल कैंटीन में ही पूछना शुरू कर देती।"..


दोनो साथ चलते हुए पार्किंग में पहुंचे और अपस्यु उसे कार में बिठाया…. "फिर से पागलपन वाले राइड पर चल रहे हो क्या?"..


अपस्यु:- नहीं रे बाबा, ये कार साउंड प्रूफ है इसलिए लेकर आया। तुम कुछ पूछो उससे पहले ही बता दूं, 15 अगस्त की रात तुम्हारे पापा भी उसी महफिल में थे और इंटेलिजेंस की पूरी टीम थी वहां पर।


साची, अपस्यु के गले लगती…. "तुम्हारा धन्यवाद, मै अपने पापा से बहुत प्यार करती हूं। तुमने जो भी मेरे लिए किया उसका शुक्रिया।"..


अपस्यु:- अरे झल्ली कार में गले ना लगो, लोग गलत समझ लेंगे।


साची:- जिसे जो सोचना है सोचे, लेकिन जो कुछ भी तुमने मेरे पापा के लिए किया है, उसका शुक्रिया।


अपस्यु:- हां ठीक है, वैसे ध्रुव का क्या हाल है?


साची:- आज कल थोड़े टेंशन में रहता है, बोल रहा था यूएस वापस चला जाएगा।


अपस्यु:- हां बुरा वक़्त उसके लिए भी चल रहा है। लेकिन मै भी क्या कर सकता हूं, प्रकाश जिंदल मुख्य अभियुक्त था।


साची:- छोड़ ये, मै संभाल लुंगी उसे, बस मेरा एक छोटा सा काम कर देना।


अपस्यु:- हां बोलो ना..


साची:- मेरे घर का माहौल ठीक नहीं है। पापा और छोटे पापा में आए दिन किसी ना किसी बात को लेकर बहस होते रहती हैं। अब तुम लोग राठौड़ मेंशन शिफ्ट कर गए हो, तो कुछ दिनों के लिए अपना फ्लैट ध्रुव को दे देते, जबतक दिल्ली में वो अपना कोई स्थाई ठिकाना नहीं ढूंढ लेता।


अपस्यु:- पागल हो तुम भी, एक कॉल कर देती तो अब तक सब हो भी गया होता। तुम क्या मूहर्त का इंतजार कर रही थी, या मेरे कॉलेज आने का।


साची:- बात वो नहीं है अपस्यु। ध्रुव पुरा लीगल मामले में फसा हुआ है। ध्रुव अपने पिता के बिजनेस को आगे बढ़ा रहा था और प्रकाश अंकल के नाम की जितनी भी चीजें थी, उसपर स्टे लग गया है। यहां तक कि अकाउंट पर भी। ध्रुव पुरा सड़क पर आ चुका है। मेघा दीदी हालांकि अपने हिस्से के आधे पैसे दे रही थी, लेकिन ध्रुव ने नहीं लिया। पता नहीं उसके दिमाग में क्या चल रहा है।


अपस्यु ने उसी वक़्त काया से बात करके उसे कुछ समझाया और कुछ पेपर्स लेकर सिन्हा जी के ऑफिस पहुंचने के लिए कहने लगा। और इधर से अपस्यु ने भी अपना कार स्टार्ट कर लिया।… "अभी तो कहे थे कोई ड्राइव नहीं, सिर्फ बात करनी है।"..


अपस्यु:- तब सिचुएशन ऐसी नहीं बनी थी ना, अब बन गई है।


साची:- मतलब मै समझी नहीं।


"एक मिनट होल्ड करो।"…. साची को रोककर उसने ऐमी को कॉल लगा दिया..


ऐमी:- जी सर कहिए..


"बापू के ऑफिस पहुंचो, एक ऑफिशियल मीटिंग के लिए।"… कहकर अपस्यु ने फोन काट दिया और साची को लेकर सिन्हा जी के ऑफिस पहुंच गया। ऑफिस के रिसेप्शन में बैठकर 2 मिनट भी नहीं हुए होंगे, ऐमी पहुंच गई… "हेल्लो साची कैसी हो।"..


साची:- अच्छी हूं, तुम बताओ।


ऐमी:- मै भी अच्छी हूं। अपस्यु डैड कोर्ट गए है। अगर छोटा काम है तो उन्होंने बोला है हाई कोर्ट से करवा लेने के लिए, और बहुत जरूर है तो 2 बजे में एक बार बात कर लेने, नहीं तो रविवार की सुबह आराम से बात कर लेंगे।


अपस्यु:- नहीं बहुत ज्यादा इमरजेंसी नहीं है। रात को बस बापू के कान में डाल देना ध्रुव की कंपनी लीगल में फस गई है, उसे निकालना है। और अभी चलते हैं, एक फ्लैट काया के नाम पर रजिस्टर करना है और दूसरा साची के नाम पर।


ऐमी:- ठीक है चलो चला जाए।


अपस्यु:- क्या हुआ कुछ कर रही थी क्या?


ऐमी:- नहीं वैभव के स्कूल जाना था वहां से कॉल आया था।


अपस्यु:- कितने बजे जाना है।


ऐमी:- नहीं तुम रहने दो मै चली जाऊंगी। तुम इनका काम करवा दो।


अपस्यु:- ठीक है, तुम जाओ मैं फ्री होकर तुमसे बात करता हूं।


साची:- अरे ये तुम दोनों आपस में ही क्या बातें कर गए, कुछ मुझे भी समझने दो। अपस्यु तुम यहां मुझे क्यों लेकर आए हो, और ये फ्लैट रजिस्ट्रेशन का क्या चक्कर है? प्लीज ऐसे कंफ्यूज मत किया करो।


अपस्यु:- मै एक फ्लैट तुम्हारे नाम से रजिस्ट्रेशन करवा रहा हूं, तुम उसे ध्रुव को गिफ्ट कर देना।


साची:- पागल हो क्या, मै नहीं ले सकती।


अपस्यु:- एहसान नहीं कर रहा मै। उसकी कंपनी लीगल में फसी है, मै क्लीन चिट दिलवाकर जब काम शुरू करवा दूंगा, तब अपना घर खरीदने के बाद मुझे वो फ्लैट वापस कर देना।


साची:- तो इतना चक्कर क्यों घूमना, जबतक काम नहीं शुरू हो जाता तबतक रह लेने दो, बाद में वो शिफ्ट कर जाएगा।


ऐमी:- नाह ! ऐसा नहीं होगा और तुम ज्यादा मुंह मत खोलो। जैसा अपस्यु ने कहा वैसा ही होगा।


लगभग 15 मिनट की मशक्कत के बाद साची राजी हुई। इस बीच काया भी पहुंच गई थी। अपस्यु ने फ्लैट 303 और 304 का रजिस्ट्रेशन दोनो के नाम पर करके वहां से वापस कॉलेज निकल आया। अपस्यु कॉलेज लौटते ही, लावणी और कुंजल के काम से सीधा प्रिंसिपल ऑफिस पहुंच गया।


लेकिन प्रिंसिपल ऑफिस के बाहर भारी भिड़ थी और वहां मौजूद छात्र काफी गुस्से में नजर आ रहे थे।…. "क्या हुआ यहां, किसी का मर्डर तो नहीं हो गया साची।"..


"रुको पता करके बताती हूं।"…. साची इतना कहकर एक विदर्थी को टोकती… "सुनिए यहां इतने स्टूडेंट क्यों जमा हो हुए है।"..


स्टूडेंट:- आज इस साले प्रिंसिपल का जुलूस निकालना है।


साची:- मैटर क्या है दोस्त..


स्टूडेंट:- हाय पहली मुलाकात में ही दोस्ती। मेरा नाम सुभाष है, बी टेक थर्ड ईयर।


अपस्यु:- भाई दौलतराम कॉलेज में बी टेक स्टूडेंट क्या कर रहे है? ये तो हम जैसे नॉर्मल स्टूडेंट का नॉर्मल डिग्री कॉलेज है।


स्टूडेंट:- तू कौन है बे जो इतनी इंक्वायरी कर रहा है। चल पीछे हट..


अपस्यु:- वाह दोस्त मेरे कॉलेज में आकर मुझे ही पीछे हटने कह रहा है। अब जल्दी मैटर बताएगा, हमारे प्रिंसिपल की घेराबंदी क्यों कर रहा है?


स्टूडेंट:- तेरे प्रिंसिपल ने हमारे एक दोस्त को छेड़ा है, उसे तो आज सबक सीखा कर जाएंगे। थोड़ी देर में पूरी मीडिया यहां होगी, फिर हम तेरे प्रिंसिपल की धज्जियां उड़ा देंगे।


अपस्यु:- चल अपने लीडर को बुला, वरना कहीं मैंने गेट बंद करवा दिया तो यहां से टूटी-फूटी हालात में जाओगे।


स्टूडेंट, अपस्यु का कॉलर पकड़ते… "साले तू मुझे धमाका रहा है। चल भाग यहां से मादारचो..."… कहते हुए उस स्टूडेंट ने धक्का दे दिया। साची बौखलाई आगे बढ़ी ही थी कि अपस्यु उसे रोकते हुए भिड़ से दूर लाया और कहने लगा… "जाकर क्रिश से कहना मेन गेट बंद कर दे और जिसको भी फ्री का एक्शन देखना हो, बोल देना प्रिंसिपल ऑफिस पहुंच जाए।"..


अपस्यु, ने साची को वहां से भेज दिया और तुरंत कार में से अपना 4 फिट वाला 2 रॉड निकलकर, प्रिंसिपल ऑफिस के पास वापस आया। इस बार कोई बात नहीं, अपस्यु ने एक रॉड उस लड़के के पाऊं पर मरा और वो दर्द से चिल्लाते हुए वहीं बैठ गया। उसे दर्द में चिल्लाते देख, कुछ और स्टूडेंट पीछे मुरे। लेकिन इससे पहले वो कुछ बोलते या करते, अपस्यु के रॉड चल रहे थे और छात्र पाऊं पकड़कर नीचे बैठते जा रहे थे।


तकरीबन 10 स्टूडेंट को जब अपस्यु नीचे बिठा दिया तब आक्रोशित स्टूडेंट ने अपस्यु को चारो ओर से घेर लिया। अपस्यु अपना रॉड वहीं नीचे सड़क पर पटकते हुए चिल्लाया… "जिस-जिस को लगता है कि हमारे कॉलेज में आकर हमे ही गुंडई दिखा सकते हैं, वो आगे बढ़े। वरना अपने लीडर को भेज।"..



लेकिन कुछ लड़कों के नसीब में मार खाना लिखा था। वो अपस्यु पर झपटने की कोशिश करने लगे। अपस्यु बड़े आराम से नीचे बैठकर हर किसी के पाऊं को अपने रॉड का शिकार बनाता जा रहा था। 2 मिनट और गुजरे होंगे, वहां 20 लड़के जमीन पर बैठकर बाप बाप चिल्ला रहे थे।… "जिस-जिस को आज मार खाने का भूत सवार है वो आ जाए।".. अपस्यु की मार से घबराए विधार्थी ने बीच से जगह बना दी। इधर अपस्यु का भिर के अंदर से चिल्लाना सुनकर, कुंजल चिल्लाई… "भाई बीच में तुम फसे हो क्या?"..


अपस्यु:- मै क्यों फसने लगा कुंजल, यही लोग मुझे मारने का मुहरत निकाल रहे है। तू भी रॉड लेकर आयी हैं क्या?


कुंजल:- हां थोड़े एक्शन मै भी कर लेती अगर तुम बात करने के मूड में ना आओ तो।


अपस्यु:- अरे इनका लीडर ना आ रहा है। मैं बीच में आराम से बैठ हूं, तू रास्ता बना कर आ जा। आज दोनो साथ में एक्शन करेंगे।


भयभीत छात्र जो अपस्यु से थोड़ी दूरी बनाकर उसे घेरे थे, सबके एक दूसरे को आगे भेजकर खुद पीछे रहना चाह रहे थे और इसी चक्कर में कोई भी हमला नहीं कर रहा था। लेकिन इधर जैसे ही कुंजल को हरी झंडी मिली, वो भी अपना रॉड उठाकर एक्शन में मूड में आ गई। तभी लड़के एक किनारे होते…. "हम सब स्टूडेंट है, आपस में क्यों एक्शन करना दीदी.. आप जाओ भईया के पास।"..
Super fantastic update bhai
College ki kand achha tha super
 

rgcrazyboy

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apsayu karm patha par tha or safar ki shuruat kar chuka tha uske aage kya huaa vo kon batai ga :bat:
 
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