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Romance भंवर (पूर्ण)

nain11ster

Prime
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nain11ster

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Update:-147





एक सुकून भरी रात थी। अपस्यु वापस से नंदनी के गोद में लेट गया। लेटे-लेटे उसने काफी सालों बाद वहीं सुकून की नीद मिली जो कभी अपनी मां के गोद में लेटकर मिलता था। अपस्यु कर्म पथ पर बढ़ चुका था। मार्ग तैयार था और सफर की शुरवात वो कर चुका था…


नंदनी अपस्यु को माना कर चुकी थी कि किसी को कुछ भी ना बताए, जो करना है करते रहे, बाकी यहां के लोगों को वो खुद संभाल लेगी। अपस्यु काफी सुकून में था, काफी सुबह उसकी नींद खुली और वो सीधा सिन्हा जी के यहां पहुंच गया।


जैसे ही अपस्यु दरवाजे से अंदर गया, वहां का माहौल देखकर… "क्या हो गया मीना इतना उथल पुथल किसने कर दिया।"..


मीना:- किसने, शैतान वैभव ने। ऐमी दीदी की ही सुनता है केवल ये, बाकी ये तो हमारे हाथ भी नहीं आता। दौरा-दौरा कर थका देता है भईया, पाऊं में जैसे पहिए लगे हो।

अपस्यु:- हा हा हा हा… ठीक है एक स्टाफ बढ़ा देते है, तुम्हारा कुछ काम हल्का कर देता हूं। ये ठीक रहेगा ना।


मीना:- ये आप अपने कंजूस शासुर को समझाओ, मै तो उन्हें कह-कह कर थक गई।


अपस्यु:- तुम बापू से क्यों की, ऐमी से बात कर लेती। तू भी ना पागल है।


मीना, बात को टालती… "भईया आप लिए चाय या लाऊं या कॉफी?"


अपस्यु:- मै कुछ पूछ रहा हूं मीना, जवाब क्यों नहीं देती..


मीना:- नहीं जवाब देना तब तो टाल रही थी। हमारे बीच कुछ दिनों से बातचीत बंद है।


अपस्यु:- हा हा हा हा… वैसे इस बार क्या हुआ?


मीना:- नाह ! हम दोनों का मैटर है, हम आपस में समझ लेंगे। हां पर 2 स्टाफ और बढ़ा दो, ये वैभव मेरे बस के बाहर की बात है।


अपस्यु, वहां से उठकर ऐमी के कमरे में जाते हुए… "ठीक है, तुम्हारी नज़र में कोई हो तो देख लेना, वरना मै ढूंढ़ता हूं।"… अपस्यु अपनी बात कहते ऐमी के कमरे में पहुंचा। चादर ताने ऐमी सुकून से लेटी हुई थी।


अपस्यु, बिस्तर पर चढ़ गया, प्यार से ऐमी को देखते हुए उसके चेहरे पर हाथ फेरने लगा। चेहरे पर हाथ का स्पर्श पाते ही ऐमी अपनी आखें खोली। अपस्यु को पास बैठे देख वो मुस्कुराई और चादर से अपने दोनो हाथ निकलकर अपस्यु को अपने बाहों में भर ली, और उसके होंठ चूमती हुई…. "नीचे इंतजार करो बेबी, मै तैयार होकर अाई।"..


अपस्यु:- हम्मम ! जल्दी आना मै इंतजार कर रहा हूं।


कुछ ही देर में ऐमी तैयार होकर नीचे आ चुकी थी। दोनो वहां से मुखर्जी नगर के लिए निकल गए, जहां कॉलेज के प्रिंसिपल आलोक अवस्थी रहते थे। सुबह के 6.30 बजे दोनो वहां पहुंच चुके थे। अपस्यु चोरी से प्रिंसिपल के फ्लैट में चला गया और ऐमी उन चार लड़कियों के फ्लैट में।


आलोक अवस्थी के घर का हॉल पुरा सुनसान था, शायद सभी जॉगिंग के लिए गए थे, वहीं ऐमी जब उन चार लड़कियों के कमरे में गई तो चारो चिर निद्रा में सोई हुई थी। ऐमी बाहर के हॉल में अल्ट्रा एचडी कैमरे को पोजिशन करके एक कमरे में घुसी और बिस्तर पर पानी उड़ेलती हुई 2 लड़कियों को उठाई।


हड़बड़ी में वो दोनो जागते, सामने खड़ी ऐमी को हैरानी से देखने लगी…. "ए कौन है तू, और चोरी से कैसे मेरे कमरे में घुसी।"..


ऐमी:- पुलिस.. 2 मिनट में चारो रूममेट हॉल में.. वरना चारो को घसीटकर थाने ले जाऊंगी और वहां पूछताछ होगी…


ऐमी अपनी बात कहकर हॉल में आ गई, और वहां आराम से बैठकर सुबह का समाचार देखने के लिए टीवी खोली। लेकिन टीवी पर भक्ति चैनल चल रहा था और सामने महीदीपी अपना प्रवचन से लोगों को जीने कि राह सीखा रहा था। सुबह-सुबह महिदीपि को टीवी पर देखकर ही ऐमी का दिमाग खराब हो गया… उसे देखने के साथ ही ऐमी जोर से चिल्लाई… "तुम लोगों का हुआ नहीं रे, जो इतना वक़्त लगा रही है।"..


एक लड़की हड़बड़ा कर बाहर निकल कर आयी… "मैडम वो फ्रेश होकर आ रही है।"..


ऐमी:- साली कमिनियो, ये देख रही है क्या लगा है, सिग्नल जैमर, अंदर अपने यार को फोन लगाना बंद कर वरना पिछवाड़े पर इतने डंडे मारूंगी की मुखर्जी नगर थाने का पूरा नक्शा छप जाएगा। बाहर आओ तुरंत।


ऐमी फिर से एक बार और चिल्लाई, सभी लड़कियां बाहर हॉल में। और फिर शुरू हो गया पूछताछ का दौड़। इधर जबतक अपस्यु हॉल में लगे क्राउच पर आराम से सर टिकाए अपनी सोच में डूबा था। सुबह के 7.15 मिनट हो रहे होंगे। घर का दरवाजा खुला, एक लड़की तौलिए से अपना चेहरा पोछति अंदर घुसी और सुकून की श्वांस लेती क्राउच पर जैसे ही बैठी, पास में अजनबी के लेटे देख… "आआआआआआआआआ"… तेज चींख ..


तेजी के साथ आलोक और उसकी पत्नी भी भागते हुए फ्लैट में पहुंचे… आलोक की बेटी मुंह फाड़ कर चिल्ला रही थी और अपस्यु कुछ दूर पीछे हटकर उसे बड़े गौर से चिल्लाते हुए देख रहा था…


आलोक अपनी बेटी को शांत करवाते…. "तुम यहां क्या कर रहे हो।"..


अपस्यु:- सर मुझे बस 1 मिनट दीजिए… ये खूबसूरत सी लड़की का नाम है रुनझुन, लसिथा उर्फ लिसा की बहुत गहरी दोस्त। शायद जेन और लिसा ने कभी मेरे बारे में इसे बताया हो।..


आलोक की बेटी रुनझुन हैरानी से उसे देखती… "तो वो कमिने लड़के तुम ही हो जिसका नाम अपस्यु है, देखो तुम अभी निकलो मेरे घर से, तुमसे तो लिसा ही बात करेगी।"


आलोक की बीवी, और रुनझुन की मां, आनंदी… "आलोक ये लड़का कौन है, और तुम इसे एक थप्पड़ लगाकर यहां से बाहर क्यों नहीं निकालते। ऐसे आवारा लड़के जो लड़की की डिटेल निकालकर उसके घर में घुसते है, उसे तुम सुन कैसे सकते हो।


आलोक:- अपस्यु क्या तुम्हे लिसा से प्यार है जो तुम उसकी इतनी डिटेल रखे हो या फिर तुम रुनझुन को पसंद करते हो?


रुनझुन:- पापा इससे बात क्यों कर रहे हो? अभी बाहर निकालो इसे?


आनंदी:- आलोक थप्पड़ मार कर बाहर करो।


आलोक:- एक मिनट तुम दोनों जारा अपने गुस्से पर काबू करना सीखो। कितनी बार एक ही बात सीखनी होगी। रुको मै सोमेश और लिसा को ही यहां बुला लेता हूं, सारी बात अभी क्लियर हो जाएगी और यदि दोनो के बीच कुछ होगा तो यहीं इसका रिश्ता भी तय हो जाना है।


रुनझुन:- लेकिन पापा सुनो तो..


आलोक उसे चुप रहने कहा और कॉल लगा दिया। इधर रुनझुन खा जाने वाली नज़रों से देखती हुई उठकर वहां से चली गई। उसकी मां आनंदी भी उठकर जाने लगी तभी, अपस्यु उसे पीछे से टोकते….


"आंटी एक बात तो तय है, आप बिल्कुल माधुरी दीक्षित की तरह खुद को मेंटेन की हुई है। वाह-वाह क्या एंग्री लीड लिया था आपने। बस यहां मां के किरदार कि जगह, बड़ी बहन का किरदार निभाती तो मज़ा आ जाता। एंग्री यंग सिस्टर जो अपनी छोटी बहन के लिए इसलिए परेशान है, क्योंकि एक अनजान लड़का अचानक उसके घर में आ धमाका, जिसे देखकर उसकी बहन परेशान हो गई।"


आनंदी आगे मुड़ी किचेन के ओर जा रही थी। तारीफ की ऐसी चटनी चटाई अपस्यु ने कि आनंदी मुस्कुराए बिना नहीं रह सकी, खासकर वो शब्द बार बार कान में रस घोल रहे थे.. "एंग्री यंग सिस्टर"..


आनंदी किचेन से ही झूठा गुस्सा दिखती…. "लड़के तुम चाय लोगे या कॉफी।"..


अपस्यु:- एंग्री दीदी चाय ही पीला दीजिए।


"एंग्री दीदी, हिहिही"… आनदी चाय बनाने लगी। चाय जबतक तैयार होती लोकेश भी लिसा को लेकर पहुंच गया। परम्परागत घाघरा चोली, पुरा सलिखे से दुपट्टा, नजरें बिल्कुल भूमि में जमी हुई, छम, छम पायल की आवाज.. लिसा को देखकर अपस्यु अपने मुंह पर हाथ रखते… "इतनी सुबह ये तैयार होकर आयी है, या रात को ही सज सवर कर सोती है।"..


लिसा नजर उठा कर वहां मौजूद लोगों को देखी और तेजी से अपस्यु का हाथ पकड़कर उसे सबके बीच से अलग ले जाती, बिल्कुल धीमे आवाज़ में… "कमिने जेन को भगा दिया, इसे लगभग पटा ली हूं तो तुम इसके घर भी पहुंच गए। क्यों मेरी कुंडली में राहु बनकर बैठे हो। प्लीज मेरा भेद मत खोल देना। कहे तो तेरे पाऊं भी पड़ जाऊंगी।"


अपस्यु:- पहले सॉरी बोल। याद है जेन जब गायब हुई थी, तब मुझे तुमने क्या-क्या सुनाया था। मेरे घर आकर कैसी-कैसी धमकी दी थी। ऊपर से 5-6 लड़के को भी भेजी पिटवाने। उसी का बदला है ये सब। दुनिया गोल है लिसा, अपने कर्मो की सजा तुम्हे यहीं भुगतनी होगी।


लिसा:- यहां कपड़े उतार कर सॉरी बोल दूं, या तेरे फ्लैट में आकर सॉरी कहूं।


अपस्यु:- थरकी कहीं की शर्म है कि नहीं कुछ, कुछ ही दूरी पर सब खड़े हैं।


लिसा:- हां तो। अब तू नहीं मानेगा, मेरे हर गर्लफ्रेंड को ऐसे ही परेशान करेगा तो मजबूरी में मुझे यही सब पागलपन करना होगा ना। वैसे मै जानती हूं तुम्हे मुझ में इंट्रेस्ट नहीं। अब खुलकर बात कर रही हूं तो करेक्टर जज मत कर लेना। साला कितना भी कह दो कि हम मॉडर्न हो गए है, लेकिन इन मामलों में सोच एक ही जगह अटकी रहती है लड़कों कि….. उसके लिए कपड़े उतार सकती है, मेरे लिए क्यों नहीं।


अपस्यु:- लड़कियों की सोच ना बताओगी… अरे इससे काम निकलवाना है चलो सिड्यूस करके अपने पीछे लगाओ और अपना काम बनाओ। उस से भी ना हो तो धमकी ही दे दो रेप केस में फसा दूंगी। सोच तो दोनो ओर की है लिसा, एक को दोषी क्यों देना।


लिसा:- सो तो है, लेकिन सब ऐसा नहीं होते। इसके 2 एग्जाम्पल तो हम दोनों है। वो सब छोड़ो और मेरी कोशिश पर नजर ना लगा। ये मुझे अच्छी लगती है।


अपस्यु:- मुझे क्या पता था तुम इसे पटा रही हो। तुम्हारे एफबी पर देखा था इसे, तो थोड़ा सा छेड़ दिया, तुमसे बदला लेने के लिए। मैने तो अंदाजन तीर मारा था, मुझे क्या पता वो सही निशाने पर लग जाएगी।


लिसा:- क्यों छेड़ दिए। मै हूं ना मुझे छेड़ दिया करो। अपनी गर्लफ्रेंड ऐमी को छेड़ा करो। ना मन भाड़े तो मुझे कह दिया करो, मै 10-20 लड़कियों से इंट्रो करवा दूंगी, उसे छेड़ दिया करो। मेरे भाई उसे ना छेड़ा कर, जिसपर मेरा दिल आया है। तू जानता नहीं पर्दे में रहकर ऐसे रिलेशन के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है, वरना बात लीक हो गई तो तुम समझते नहीं कितना बड़ा बॉम्ब भूटेगा।


अपस्यु:- मुझे बता दिया करना किस पर डोरे डाल रही है, वरना मुझे सपना सपना नहीं आएगा। वैसे मेरे बारे में तो इसे बहुत अच्छा बता रखी है। अपने बाप के सामने भी नहीं चुकी मेरी तारीफ करने से।


लिसा:- हीही.. अरे कुछ तो इमोशनल स्टोरी बनानी थी ना और अपने लिए एक इमोशनल बैकग्राउंड तो तैयार करना ही था ना। वैसे वो कामिनी जेन कहां भाग गई बिना बताए, कुछ समझ में ही नहीं आ रहा। उसकी कोई खबर है क्या तेरे पास।


अपस्यु:- उसकी खबर बाद में लेना पहले यहां से चलो वरना ये लोग तुम्हारी शादी मुझसे तय कर देंगे और मैं पहले से एनेगेज्ड हूं।


लिसा:- डरते क्यों हो अभी इन सबको मस्त ड्रामा दिखती हूं।


अपस्यु:- नाह ज्यादा ड्रामा की जरूरत ना होगी, बस 2 मिनट संभाल लेना।


लिसा:- एक शर्त पर तू मेरी हेल्प करेगा। पापा से तेरे बारे में बहुत सुनी हूं। और जो भी सुनी हूं, अच्छा हो सुनी हूं। मेरी नैय्या भी पार लगा ले, दुआएं दूंगी।


अपस्यु:- क्यों ये रुनझुन नहीं पटी क्या?..


लिसा:- सहमत तो है पर पूरी तरह से खुलती नहीं है। बोलती है उसका एक बॉयफ्रेंड है और उसी के साथ वो ज्यादा खुश है। मुझे वक़्त देना मुश्किल होगा।


अपस्यु:- अभी चलते है, बाद ने इसपर बात करेंगे।..


दोनो उधर से हंसते हुए पहुंचे। लिसा आते ही कहने लगी… "आप सब मिलिए मेरे प्यारे दोस्त अपस्यु से। भारत आने के बाद ये मेरा सबसे करीबी है, मेरे पापा और मम्मी के बाद। लेकिन आप सब कतई ये ना समझे कि ये मेरा बॉयफ्रेंड है।"


सोमेश:- हां वही तो मै तबसे इन लोगों को समझा रहा हूं, इसकी पहले से एंगेजमेंट हो चुकी है और जब अपस्यु के लवर से मिलोगे तो कहना भी पाप हो जाएगा कि ये किसी और के पीछे जा सकता है। दोनो आपस में कितने प्यारे लगते है, किसी की नजर ना लगे।


रुनझुन:- सो कौन सी मिस वर्ल्ड है वो..


"सुबह सुबह यहां तो पूरी पंचायत लगी हैं। नेताजी आप मेरी अर्जी पर काम करने के बदले यहां क्या गप्पे लड़ाने आए हैं।"… ऐमी अपने साथ उन चारो को अंदर लाती हुई कहने लगो।


इससे पहले कि कोई कुछ बोलता… "सब जारा ख़ामोश रहेंगे। मै और ऐमी यहां एक छोटे से काम से आए थे। मामला बता दू सबको, क्योंकि शायद सर ने आप लोगों से साझा ना किया हो। ये 4 लड़कियां आपके पड़ोसी है, शायद आप लोग जानते होंगे या नहीं भी। लेकिन इनमें से एक ने अपने दोस्तो से कहा कि आलोक सर ने उसके साथ अश्लील हरकत की है। इसका नतीजा यह हुआ कि, 200 लड़के इनकी बातों में आकर कल कॉलेज में आलोक सर का जुलूस निकालने वाले थे। मीडिया में कल ये लड़कियां और सर ही छाए रहते, ऐसी इनकी प्लैनिंग थी। ये थी पूरी घटना। अब कृप्या आप सब थोड़े शांत रहेंगे तो मै ये मामला सुलझाकर दूसरे काम भी देखूं। ऐमी, क्या रिजल्ट आया।"


ऐमी, 2 लड़की को आगे लाती… "इस लड़की का नाम है कविता, और दूसरी है मालविका। ये दोनो सात्विक आश्रम और महिदिपी की अनुयायि है। कुछ दिन पहले आलोक सर ने सात्विक आश्रम को ढोंग करने की जगह और महिदिपि को ढोंगी बोल दिए थे। उसी का बदला लेने के लिए ये पूरी साजिश रची गई थी। कल शायद सर की फैमिली यहां नहीं थी, दोनो के लिए अच्छा मौका था और दोनो ने बढ़िया सी कहानी रच दी।


इतनी बात सुनते ही वहां का माहौल ही बिगड़ने लगा।…. "मैंने किसी को कहा क्या बोलने, जो सब पागलों कि तरह बोले जा रहे है। सब एक दम ख़ामोश। मुझे अपना काम कर लेने दीजिए, फिर जो करना हो करते रहना। और तुम दोनो, मुझे जारा बताओगी, तुम किसी की अनुयाई हो तो, उसके लिए कहे गए नेगेटिव शब्दों के लिए, क्या तुम किसी के भी जीवन में आग लगा दोगी?"


मालविका:- मेरी कोई निजी दुश्मनी नहीं लेकिन यदि हमारे गुरु के लिए कोई कुछ कहे तो हम चुप नहीं रहेंगे। हम तो डूबेंगे ही, लेकिन उन्हें भी ले डूबेंगे। गलत तरीके से नहीं फसे तो क्या हुआ, मै आश्रम जाकर भक्तों को बताऊंगी ये बात और फिर तमाशा होगा। इसे तो हम किसी भी तरीके से बर्बाद करके है छोड़ेंगे।
 

aman rathore

Enigma ke pankhe
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Update:-147





एक सुकून भरी रात थी। अपस्यु वापस से नंदनी के गोद में लेट गया। लेटे-लेटे उसने काफी सालों बाद वहीं सुकून की नीद मिली जो कभी अपनी मां के गोद में लेटकर मिलता था। अपस्यु कर्म पथ पर बढ़ चुका था। मार्ग तैयार था और सफर की शुरवात वो कर चुका था…


नंदनी अपस्यु को माना कर चुकी थी कि किसी को कुछ भी ना बताए, जो करना है करते रहे, बाकी यहां के लोगों को वो खुद संभाल लेगी। अपस्यु काफी सुकून में था, काफी सुबह उसकी नींद खुली और वो सीधा सिन्हा जी के यहां पहुंच गया।


जैसे ही अपस्यु दरवाजे से अंदर गया, वहां का माहौल देखकर… "क्या हो गया मीना इतना उथल पुथल किसने कर दिया।"..


मीना:- किसने, शैतान वैभव ने। ऐमी दीदी की ही सुनता है केवल ये, बाकी ये तो हमारे हाथ भी नहीं आता। दौरा-दौरा कर थका देता है भईया, पाऊं में जैसे पहिए लगे हो।

अपस्यु:- हा हा हा हा… ठीक है एक स्टाफ बढ़ा देते है, तुम्हारा कुछ काम हल्का कर देता हूं। ये ठीक रहेगा ना।


मीना:- ये आप अपने कंजूस शासुर को समझाओ, मै तो उन्हें कह-कह कर थक गई।


अपस्यु:- तुम बापू से क्यों की, ऐमी से बात कर लेती। तू भी ना पागल है।


मीना, बात को टालती… "भईया आप लिए चाय या लाऊं या कॉफी?"


अपस्यु:- मै कुछ पूछ रहा हूं मीना, जवाब क्यों नहीं देती..


मीना:- नहीं जवाब देना तब तो टाल रही थी। हमारे बीच कुछ दिनों से बातचीत बंद है।


अपस्यु:- हा हा हा हा… वैसे इस बार क्या हुआ?


मीना:- नाह ! हम दोनों का मैटर है, हम आपस में समझ लेंगे। हां पर 2 स्टाफ और बढ़ा दो, ये वैभव मेरे बस के बाहर की बात है।


अपस्यु, वहां से उठकर ऐमी के कमरे में जाते हुए… "ठीक है, तुम्हारी नज़र में कोई हो तो देख लेना, वरना मै ढूंढ़ता हूं।"… अपस्यु अपनी बात कहते ऐमी के कमरे में पहुंचा। चादर ताने ऐमी सुकून से लेटी हुई थी।


अपस्यु, बिस्तर पर चढ़ गया, प्यार से ऐमी को देखते हुए उसके चेहरे पर हाथ फेरने लगा। चेहरे पर हाथ का स्पर्श पाते ही ऐमी अपनी आखें खोली। अपस्यु को पास बैठे देख वो मुस्कुराई और चादर से अपने दोनो हाथ निकलकर अपस्यु को अपने बाहों में भर ली, और उसके होंठ चूमती हुई…. "नीचे इंतजार करो बेबी, मै तैयार होकर अाई।"..


अपस्यु:- हम्मम ! जल्दी आना मै इंतजार कर रहा हूं।


कुछ ही देर में ऐमी तैयार होकर नीचे आ चुकी थी। दोनो वहां से मुखर्जी नगर के लिए निकल गए, जहां कॉलेज के प्रिंसिपल आलोक अवस्थी रहते थे। सुबह के 6.30 बजे दोनो वहां पहुंच चुके थे। अपस्यु चोरी से प्रिंसिपल के फ्लैट में चला गया और ऐमी उन चार लड़कियों के फ्लैट में।


आलोक अवस्थी के घर का हॉल पुरा सुनसान था, शायद सभी जॉगिंग के लिए गए थे, वहीं ऐमी जब उन चार लड़कियों के कमरे में गई तो चारो चिर निद्रा में सोई हुई थी। ऐमी बाहर के हॉल में अल्ट्रा एचडी कैमरे को पोजिशन करके एक कमरे में घुसी और बिस्तर पर पानी उड़ेलती हुई 2 लड़कियों को उठाई।


हड़बड़ी में वो दोनो जागते, सामने खड़ी ऐमी को हैरानी से देखने लगी…. "ए कौन है तू, और चोरी से कैसे मेरे कमरे में घुसी।"..


ऐमी:- पुलिस.. 2 मिनट में चारो रूममेट हॉल में.. वरना चारो को घसीटकर थाने ले जाऊंगी और वहां पूछताछ होगी…


ऐमी अपनी बात कहकर हॉल में आ गई, और वहां आराम से बैठकर सुबह का समाचार देखने के लिए टीवी खोली। लेकिन टीवी पर भक्ति चैनल चल रहा था और सामने महीदीपी अपना प्रवचन से लोगों को जीने कि राह सीखा रहा था। सुबह-सुबह महिदीपि को टीवी पर देखकर ही ऐमी का दिमाग खराब हो गया… उसे देखने के साथ ही ऐमी जोर से चिल्लाई… "तुम लोगों का हुआ नहीं रे, जो इतना वक़्त लगा रही है।"..


एक लड़की हड़बड़ा कर बाहर निकल कर आयी… "मैडम वो फ्रेश होकर आ रही है।"..


ऐमी:- साली कमिनियो, ये देख रही है क्या लगा है, सिग्नल जैमर, अंदर अपने यार को फोन लगाना बंद कर वरना पिछवाड़े पर इतने डंडे मारूंगी की मुखर्जी नगर थाने का पूरा नक्शा छप जाएगा। बाहर आओ तुरंत।


ऐमी फिर से एक बार और चिल्लाई, सभी लड़कियां बाहर हॉल में। और फिर शुरू हो गया पूछताछ का दौड़। इधर जबतक अपस्यु हॉल में लगे क्राउच पर आराम से सर टिकाए अपनी सोच में डूबा था। सुबह के 7.15 मिनट हो रहे होंगे। घर का दरवाजा खुला, एक लड़की तौलिए से अपना चेहरा पोछति अंदर घुसी और सुकून की श्वांस लेती क्राउच पर जैसे ही बैठी, पास में अजनबी के लेटे देख… "आआआआआआआआआ"… तेज चींख ..


तेजी के साथ आलोक और उसकी पत्नी भी भागते हुए फ्लैट में पहुंचे… आलोक की बेटी मुंह फाड़ कर चिल्ला रही थी और अपस्यु कुछ दूर पीछे हटकर उसे बड़े गौर से चिल्लाते हुए देख रहा था…


आलोक अपनी बेटी को शांत करवाते…. "तुम यहां क्या कर रहे हो।"..


अपस्यु:- सर मुझे बस 1 मिनट दीजिए… ये खूबसूरत सी लड़की का नाम है रुनझुन, लसिथा उर्फ लिसा की बहुत गहरी दोस्त। शायद जेन और लिसा ने कभी मेरे बारे में इसे बताया हो।..


आलोक की बेटी रुनझुन हैरानी से उसे देखती… "तो वो कमिने लड़के तुम ही हो जिसका नाम अपस्यु है, देखो तुम अभी निकलो मेरे घर से, तुमसे तो लिसा ही बात करेगी।"


आलोक की बीवी, और रुनझुन की मां, आनंदी… "आलोक ये लड़का कौन है, और तुम इसे एक थप्पड़ लगाकर यहां से बाहर क्यों नहीं निकालते। ऐसे आवारा लड़के जो लड़की की डिटेल निकालकर उसके घर में घुसते है, उसे तुम सुन कैसे सकते हो।


आलोक:- अपस्यु क्या तुम्हे लिसा से प्यार है जो तुम उसकी इतनी डिटेल रखे हो या फिर तुम रुनझुन को पसंद करते हो?


रुनझुन:- पापा इससे बात क्यों कर रहे हो? अभी बाहर निकालो इसे?


आनंदी:- आलोक थप्पड़ मार कर बाहर करो।


आलोक:- एक मिनट तुम दोनों जारा अपने गुस्से पर काबू करना सीखो। कितनी बार एक ही बात सीखनी होगी। रुको मै सोमेश और लिसा को ही यहां बुला लेता हूं, सारी बात अभी क्लियर हो जाएगी और यदि दोनो के बीच कुछ होगा तो यहीं इसका रिश्ता भी तय हो जाना है।


रुनझुन:- लेकिन पापा सुनो तो..


आलोक उसे चुप रहने कहा और कॉल लगा दिया। इधर रुनझुन खा जाने वाली नज़रों से देखती हुई उठकर वहां से चली गई। उसकी मां आनंदी भी उठकर जाने लगी तभी, अपस्यु उसे पीछे से टोकते….


"आंटी एक बात तो तय है, आप बिल्कुल माधुरी दीक्षित की तरह खुद को मेंटेन की हुई है। वाह-वाह क्या एंग्री लीड लिया था आपने। बस यहां मां के किरदार कि जगह, बड़ी बहन का किरदार निभाती तो मज़ा आ जाता। एंग्री यंग सिस्टर जो अपनी छोटी बहन के लिए इसलिए परेशान है, क्योंकि एक अनजान लड़का अचानक उसके घर में आ धमाका, जिसे देखकर उसकी बहन परेशान हो गई।"


आनंदी आगे मुड़ी किचेन के ओर जा रही थी। तारीफ की ऐसी चटनी चटाई अपस्यु ने कि आनंदी मुस्कुराए बिना नहीं रह सकी, खासकर वो शब्द बार बार कान में रस घोल रहे थे.. "एंग्री यंग सिस्टर"..


आनंदी किचेन से ही झूठा गुस्सा दिखती…. "लड़के तुम चाय लोगे या कॉफी।"..


अपस्यु:- एंग्री दीदी चाय ही पीला दीजिए।


"एंग्री दीदी, हिहिही"… आनदी चाय बनाने लगी। चाय जबतक तैयार होती लोकेश भी लिसा को लेकर पहुंच गया। परम्परागत घाघरा चोली, पुरा सलिखे से दुपट्टा, नजरें बिल्कुल भूमि में जमी हुई, छम, छम पायल की आवाज.. लिसा को देखकर अपस्यु अपने मुंह पर हाथ रखते… "इतनी सुबह ये तैयार होकर आयी है, या रात को ही सज सवर कर सोती है।"..


लिसा नजर उठा कर वहां मौजूद लोगों को देखी और तेजी से अपस्यु का हाथ पकड़कर उसे सबके बीच से अलग ले जाती, बिल्कुल धीमे आवाज़ में… "कमिने जेन को भगा दिया, इसे लगभग पटा ली हूं तो तुम इसके घर भी पहुंच गए। क्यों मेरी कुंडली में राहु बनकर बैठे हो। प्लीज मेरा भेद मत खोल देना। कहे तो तेरे पाऊं भी पड़ जाऊंगी।"


अपस्यु:- पहले सॉरी बोल। याद है जेन जब गायब हुई थी, तब मुझे तुमने क्या-क्या सुनाया था। मेरे घर आकर कैसी-कैसी धमकी दी थी। ऊपर से 5-6 लड़के को भी भेजी पिटवाने। उसी का बदला है ये सब। दुनिया गोल है लिसा, अपने कर्मो की सजा तुम्हे यहीं भुगतनी होगी।


लिसा:- यहां कपड़े उतार कर सॉरी बोल दूं, या तेरे फ्लैट में आकर सॉरी कहूं।


अपस्यु:- थरकी कहीं की शर्म है कि नहीं कुछ, कुछ ही दूरी पर सब खड़े हैं।


लिसा:- हां तो। अब तू नहीं मानेगा, मेरे हर गर्लफ्रेंड को ऐसे ही परेशान करेगा तो मजबूरी में मुझे यही सब पागलपन करना होगा ना। वैसे मै जानती हूं तुम्हे मुझ में इंट्रेस्ट नहीं। अब खुलकर बात कर रही हूं तो करेक्टर जज मत कर लेना। साला कितना भी कह दो कि हम मॉडर्न हो गए है, लेकिन इन मामलों में सोच एक ही जगह अटकी रहती है लड़कों कि….. उसके लिए कपड़े उतार सकती है, मेरे लिए क्यों नहीं।


अपस्यु:- लड़कियों की सोच ना बताओगी… अरे इससे काम निकलवाना है चलो सिड्यूस करके अपने पीछे लगाओ और अपना काम बनाओ। उस से भी ना हो तो धमकी ही दे दो रेप केस में फसा दूंगी। सोच तो दोनो ओर की है लिसा, एक को दोषी क्यों देना।


लिसा:- सो तो है, लेकिन सब ऐसा नहीं होते। इसके 2 एग्जाम्पल तो हम दोनों है। वो सब छोड़ो और मेरी कोशिश पर नजर ना लगा। ये मुझे अच्छी लगती है।


अपस्यु:- मुझे क्या पता था तुम इसे पटा रही हो। तुम्हारे एफबी पर देखा था इसे, तो थोड़ा सा छेड़ दिया, तुमसे बदला लेने के लिए। मैने तो अंदाजन तीर मारा था, मुझे क्या पता वो सही निशाने पर लग जाएगी।


लिसा:- क्यों छेड़ दिए। मै हूं ना मुझे छेड़ दिया करो। अपनी गर्लफ्रेंड ऐमी को छेड़ा करो। ना मन भाड़े तो मुझे कह दिया करो, मै 10-20 लड़कियों से इंट्रो करवा दूंगी, उसे छेड़ दिया करो। मेरे भाई उसे ना छेड़ा कर, जिसपर मेरा दिल आया है। तू जानता नहीं पर्दे में रहकर ऐसे रिलेशन के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है, वरना बात लीक हो गई तो तुम समझते नहीं कितना बड़ा बॉम्ब भूटेगा।


अपस्यु:- मुझे बता दिया करना किस पर डोरे डाल रही है, वरना मुझे सपना सपना नहीं आएगा। वैसे मेरे बारे में तो इसे बहुत अच्छा बता रखी है। अपने बाप के सामने भी नहीं चुकी मेरी तारीफ करने से।


लिसा:- हीही.. अरे कुछ तो इमोशनल स्टोरी बनानी थी ना और अपने लिए एक इमोशनल बैकग्राउंड तो तैयार करना ही था ना। वैसे वो कामिनी जेन कहां भाग गई बिना बताए, कुछ समझ में ही नहीं आ रहा। उसकी कोई खबर है क्या तेरे पास।


अपस्यु:- उसकी खबर बाद में लेना पहले यहां से चलो वरना ये लोग तुम्हारी शादी मुझसे तय कर देंगे और मैं पहले से एनेगेज्ड हूं।


लिसा:- डरते क्यों हो अभी इन सबको मस्त ड्रामा दिखती हूं।


अपस्यु:- नाह ज्यादा ड्रामा की जरूरत ना होगी, बस 2 मिनट संभाल लेना।


लिसा:- एक शर्त पर तू मेरी हेल्प करेगा। पापा से तेरे बारे में बहुत सुनी हूं। और जो भी सुनी हूं, अच्छा हो सुनी हूं। मेरी नैय्या भी पार लगा ले, दुआएं दूंगी।


अपस्यु:- क्यों ये रुनझुन नहीं पटी क्या?..


लिसा:- सहमत तो है पर पूरी तरह से खुलती नहीं है। बोलती है उसका एक बॉयफ्रेंड है और उसी के साथ वो ज्यादा खुश है। मुझे वक़्त देना मुश्किल होगा।


अपस्यु:- अभी चलते है, बाद ने इसपर बात करेंगे।..


दोनो उधर से हंसते हुए पहुंचे। लिसा आते ही कहने लगी… "आप सब मिलिए मेरे प्यारे दोस्त अपस्यु से। भारत आने के बाद ये मेरा सबसे करीबी है, मेरे पापा और मम्मी के बाद। लेकिन आप सब कतई ये ना समझे कि ये मेरा बॉयफ्रेंड है।"


सोमेश:- हां वही तो मै तबसे इन लोगों को समझा रहा हूं, इसकी पहले से एंगेजमेंट हो चुकी है और जब अपस्यु के लवर से मिलोगे तो कहना भी पाप हो जाएगा कि ये किसी और के पीछे जा सकता है। दोनो आपस में कितने प्यारे लगते है, किसी की नजर ना लगे।


रुनझुन:- सो कौन सी मिस वर्ल्ड है वो..


"सुबह सुबह यहां तो पूरी पंचायत लगी हैं। नेताजी आप मेरी अर्जी पर काम करने के बदले यहां क्या गप्पे लड़ाने आए हैं।"… ऐमी अपने साथ उन चारो को अंदर लाती हुई कहने लगो।


इससे पहले कि कोई कुछ बोलता… "सब जारा ख़ामोश रहेंगे। मै और ऐमी यहां एक छोटे से काम से आए थे। मामला बता दू सबको, क्योंकि शायद सर ने आप लोगों से साझा ना किया हो। ये 4 लड़कियां आपके पड़ोसी है, शायद आप लोग जानते होंगे या नहीं भी। लेकिन इनमें से एक ने अपने दोस्तो से कहा कि आलोक सर ने उसके साथ अश्लील हरकत की है। इसका नतीजा यह हुआ कि, 200 लड़के इनकी बातों में आकर कल कॉलेज में आलोक सर का जुलूस निकालने वाले थे। मीडिया में कल ये लड़कियां और सर ही छाए रहते, ऐसी इनकी प्लैनिंग थी। ये थी पूरी घटना। अब कृप्या आप सब थोड़े शांत रहेंगे तो मै ये मामला सुलझाकर दूसरे काम भी देखूं। ऐमी, क्या रिजल्ट आया।"


ऐमी, 2 लड़की को आगे लाती… "इस लड़की का नाम है कविता, और दूसरी है मालविका। ये दोनो सात्विक आश्रम और महिदिपी की अनुयायि है। कुछ दिन पहले आलोक सर ने सात्विक आश्रम को ढोंग करने की जगह और महिदिपि को ढोंगी बोल दिए थे। उसी का बदला लेने के लिए ये पूरी साजिश रची गई थी। कल शायद सर की फैमिली यहां नहीं थी, दोनो के लिए अच्छा मौका था और दोनो ने बढ़िया सी कहानी रच दी।


इतनी बात सुनते ही वहां का माहौल ही बिगड़ने लगा।…. "मैंने किसी को कहा क्या बोलने, जो सब पागलों कि तरह बोले जा रहे है। सब एक दम ख़ामोश। मुझे अपना काम कर लेने दीजिए, फिर जो करना हो करते रहना। और तुम दोनो, मुझे जारा बताओगी, तुम किसी की अनुयाई हो तो, उसके लिए कहे गए नेगेटिव शब्दों के लिए, क्या तुम किसी के भी जीवन में आग लगा दोगी?"


मालविका:- मेरी कोई निजी दुश्मनी नहीं लेकिन यदि हमारे गुरु के लिए कोई कुछ कहे तो हम चुप नहीं रहेंगे। हम तो डूबेंगे ही, लेकिन उन्हें भी ले डूबेंगे। गलत तरीके से नहीं फसे तो क्या हुआ, मै आश्रम जाकर भक्तों को बताऊंगी ये बात और फिर तमाशा होगा। इसे तो हम किसी भी तरीके से बर्बाद करके है छोड़ेंगे।
:reading1:
 

aman rathore

Enigma ke pankhe
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Update:-147





एक सुकून भरी रात थी। अपस्यु वापस से नंदनी के गोद में लेट गया। लेटे-लेटे उसने काफी सालों बाद वहीं सुकून की नीद मिली जो कभी अपनी मां के गोद में लेटकर मिलता था। अपस्यु कर्म पथ पर बढ़ चुका था। मार्ग तैयार था और सफर की शुरवात वो कर चुका था…


नंदनी अपस्यु को माना कर चुकी थी कि किसी को कुछ भी ना बताए, जो करना है करते रहे, बाकी यहां के लोगों को वो खुद संभाल लेगी। अपस्यु काफी सुकून में था, काफी सुबह उसकी नींद खुली और वो सीधा सिन्हा जी के यहां पहुंच गया।


जैसे ही अपस्यु दरवाजे से अंदर गया, वहां का माहौल देखकर… "क्या हो गया मीना इतना उथल पुथल किसने कर दिया।"..


मीना:- किसने, शैतान वैभव ने। ऐमी दीदी की ही सुनता है केवल ये, बाकी ये तो हमारे हाथ भी नहीं आता। दौरा-दौरा कर थका देता है भईया, पाऊं में जैसे पहिए लगे हो।

अपस्यु:- हा हा हा हा… ठीक है एक स्टाफ बढ़ा देते है, तुम्हारा कुछ काम हल्का कर देता हूं। ये ठीक रहेगा ना।


मीना:- ये आप अपने कंजूस शासुर को समझाओ, मै तो उन्हें कह-कह कर थक गई।


अपस्यु:- तुम बापू से क्यों की, ऐमी से बात कर लेती। तू भी ना पागल है।


मीना, बात को टालती… "भईया आप लिए चाय या लाऊं या कॉफी?"


अपस्यु:- मै कुछ पूछ रहा हूं मीना, जवाब क्यों नहीं देती..


मीना:- नहीं जवाब देना तब तो टाल रही थी। हमारे बीच कुछ दिनों से बातचीत बंद है।


अपस्यु:- हा हा हा हा… वैसे इस बार क्या हुआ?


मीना:- नाह ! हम दोनों का मैटर है, हम आपस में समझ लेंगे। हां पर 2 स्टाफ और बढ़ा दो, ये वैभव मेरे बस के बाहर की बात है।


अपस्यु, वहां से उठकर ऐमी के कमरे में जाते हुए… "ठीक है, तुम्हारी नज़र में कोई हो तो देख लेना, वरना मै ढूंढ़ता हूं।"… अपस्यु अपनी बात कहते ऐमी के कमरे में पहुंचा। चादर ताने ऐमी सुकून से लेटी हुई थी।


अपस्यु, बिस्तर पर चढ़ गया, प्यार से ऐमी को देखते हुए उसके चेहरे पर हाथ फेरने लगा। चेहरे पर हाथ का स्पर्श पाते ही ऐमी अपनी आखें खोली। अपस्यु को पास बैठे देख वो मुस्कुराई और चादर से अपने दोनो हाथ निकलकर अपस्यु को अपने बाहों में भर ली, और उसके होंठ चूमती हुई…. "नीचे इंतजार करो बेबी, मै तैयार होकर अाई।"..


अपस्यु:- हम्मम ! जल्दी आना मै इंतजार कर रहा हूं।


कुछ ही देर में ऐमी तैयार होकर नीचे आ चुकी थी। दोनो वहां से मुखर्जी नगर के लिए निकल गए, जहां कॉलेज के प्रिंसिपल आलोक अवस्थी रहते थे। सुबह के 6.30 बजे दोनो वहां पहुंच चुके थे। अपस्यु चोरी से प्रिंसिपल के फ्लैट में चला गया और ऐमी उन चार लड़कियों के फ्लैट में।


आलोक अवस्थी के घर का हॉल पुरा सुनसान था, शायद सभी जॉगिंग के लिए गए थे, वहीं ऐमी जब उन चार लड़कियों के कमरे में गई तो चारो चिर निद्रा में सोई हुई थी। ऐमी बाहर के हॉल में अल्ट्रा एचडी कैमरे को पोजिशन करके एक कमरे में घुसी और बिस्तर पर पानी उड़ेलती हुई 2 लड़कियों को उठाई।


हड़बड़ी में वो दोनो जागते, सामने खड़ी ऐमी को हैरानी से देखने लगी…. "ए कौन है तू, और चोरी से कैसे मेरे कमरे में घुसी।"..


ऐमी:- पुलिस.. 2 मिनट में चारो रूममेट हॉल में.. वरना चारो को घसीटकर थाने ले जाऊंगी और वहां पूछताछ होगी…


ऐमी अपनी बात कहकर हॉल में आ गई, और वहां आराम से बैठकर सुबह का समाचार देखने के लिए टीवी खोली। लेकिन टीवी पर भक्ति चैनल चल रहा था और सामने महीदीपी अपना प्रवचन से लोगों को जीने कि राह सीखा रहा था। सुबह-सुबह महिदीपि को टीवी पर देखकर ही ऐमी का दिमाग खराब हो गया… उसे देखने के साथ ही ऐमी जोर से चिल्लाई… "तुम लोगों का हुआ नहीं रे, जो इतना वक़्त लगा रही है।"..


एक लड़की हड़बड़ा कर बाहर निकल कर आयी… "मैडम वो फ्रेश होकर आ रही है।"..


ऐमी:- साली कमिनियो, ये देख रही है क्या लगा है, सिग्नल जैमर, अंदर अपने यार को फोन लगाना बंद कर वरना पिछवाड़े पर इतने डंडे मारूंगी की मुखर्जी नगर थाने का पूरा नक्शा छप जाएगा। बाहर आओ तुरंत।


ऐमी फिर से एक बार और चिल्लाई, सभी लड़कियां बाहर हॉल में। और फिर शुरू हो गया पूछताछ का दौड़। इधर जबतक अपस्यु हॉल में लगे क्राउच पर आराम से सर टिकाए अपनी सोच में डूबा था। सुबह के 7.15 मिनट हो रहे होंगे। घर का दरवाजा खुला, एक लड़की तौलिए से अपना चेहरा पोछति अंदर घुसी और सुकून की श्वांस लेती क्राउच पर जैसे ही बैठी, पास में अजनबी के लेटे देख… "आआआआआआआआआ"… तेज चींख ..


तेजी के साथ आलोक और उसकी पत्नी भी भागते हुए फ्लैट में पहुंचे… आलोक की बेटी मुंह फाड़ कर चिल्ला रही थी और अपस्यु कुछ दूर पीछे हटकर उसे बड़े गौर से चिल्लाते हुए देख रहा था…


आलोक अपनी बेटी को शांत करवाते…. "तुम यहां क्या कर रहे हो।"..


अपस्यु:- सर मुझे बस 1 मिनट दीजिए… ये खूबसूरत सी लड़की का नाम है रुनझुन, लसिथा उर्फ लिसा की बहुत गहरी दोस्त। शायद जेन और लिसा ने कभी मेरे बारे में इसे बताया हो।..


आलोक की बेटी रुनझुन हैरानी से उसे देखती… "तो वो कमिने लड़के तुम ही हो जिसका नाम अपस्यु है, देखो तुम अभी निकलो मेरे घर से, तुमसे तो लिसा ही बात करेगी।"


आलोक की बीवी, और रुनझुन की मां, आनंदी… "आलोक ये लड़का कौन है, और तुम इसे एक थप्पड़ लगाकर यहां से बाहर क्यों नहीं निकालते। ऐसे आवारा लड़के जो लड़की की डिटेल निकालकर उसके घर में घुसते है, उसे तुम सुन कैसे सकते हो।


आलोक:- अपस्यु क्या तुम्हे लिसा से प्यार है जो तुम उसकी इतनी डिटेल रखे हो या फिर तुम रुनझुन को पसंद करते हो?


रुनझुन:- पापा इससे बात क्यों कर रहे हो? अभी बाहर निकालो इसे?


आनंदी:- आलोक थप्पड़ मार कर बाहर करो।


आलोक:- एक मिनट तुम दोनों जारा अपने गुस्से पर काबू करना सीखो। कितनी बार एक ही बात सीखनी होगी। रुको मै सोमेश और लिसा को ही यहां बुला लेता हूं, सारी बात अभी क्लियर हो जाएगी और यदि दोनो के बीच कुछ होगा तो यहीं इसका रिश्ता भी तय हो जाना है।


रुनझुन:- लेकिन पापा सुनो तो..


आलोक उसे चुप रहने कहा और कॉल लगा दिया। इधर रुनझुन खा जाने वाली नज़रों से देखती हुई उठकर वहां से चली गई। उसकी मां आनंदी भी उठकर जाने लगी तभी, अपस्यु उसे पीछे से टोकते….


"आंटी एक बात तो तय है, आप बिल्कुल माधुरी दीक्षित की तरह खुद को मेंटेन की हुई है। वाह-वाह क्या एंग्री लीड लिया था आपने। बस यहां मां के किरदार कि जगह, बड़ी बहन का किरदार निभाती तो मज़ा आ जाता। एंग्री यंग सिस्टर जो अपनी छोटी बहन के लिए इसलिए परेशान है, क्योंकि एक अनजान लड़का अचानक उसके घर में आ धमाका, जिसे देखकर उसकी बहन परेशान हो गई।"


आनंदी आगे मुड़ी किचेन के ओर जा रही थी। तारीफ की ऐसी चटनी चटाई अपस्यु ने कि आनंदी मुस्कुराए बिना नहीं रह सकी, खासकर वो शब्द बार बार कान में रस घोल रहे थे.. "एंग्री यंग सिस्टर"..


आनंदी किचेन से ही झूठा गुस्सा दिखती…. "लड़के तुम चाय लोगे या कॉफी।"..


अपस्यु:- एंग्री दीदी चाय ही पीला दीजिए।


"एंग्री दीदी, हिहिही"… आनदी चाय बनाने लगी। चाय जबतक तैयार होती लोकेश भी लिसा को लेकर पहुंच गया। परम्परागत घाघरा चोली, पुरा सलिखे से दुपट्टा, नजरें बिल्कुल भूमि में जमी हुई, छम, छम पायल की आवाज.. लिसा को देखकर अपस्यु अपने मुंह पर हाथ रखते… "इतनी सुबह ये तैयार होकर आयी है, या रात को ही सज सवर कर सोती है।"..


लिसा नजर उठा कर वहां मौजूद लोगों को देखी और तेजी से अपस्यु का हाथ पकड़कर उसे सबके बीच से अलग ले जाती, बिल्कुल धीमे आवाज़ में… "कमिने जेन को भगा दिया, इसे लगभग पटा ली हूं तो तुम इसके घर भी पहुंच गए। क्यों मेरी कुंडली में राहु बनकर बैठे हो। प्लीज मेरा भेद मत खोल देना। कहे तो तेरे पाऊं भी पड़ जाऊंगी।"


अपस्यु:- पहले सॉरी बोल। याद है जेन जब गायब हुई थी, तब मुझे तुमने क्या-क्या सुनाया था। मेरे घर आकर कैसी-कैसी धमकी दी थी। ऊपर से 5-6 लड़के को भी भेजी पिटवाने। उसी का बदला है ये सब। दुनिया गोल है लिसा, अपने कर्मो की सजा तुम्हे यहीं भुगतनी होगी।


लिसा:- यहां कपड़े उतार कर सॉरी बोल दूं, या तेरे फ्लैट में आकर सॉरी कहूं।


अपस्यु:- थरकी कहीं की शर्म है कि नहीं कुछ, कुछ ही दूरी पर सब खड़े हैं।


लिसा:- हां तो। अब तू नहीं मानेगा, मेरे हर गर्लफ्रेंड को ऐसे ही परेशान करेगा तो मजबूरी में मुझे यही सब पागलपन करना होगा ना। वैसे मै जानती हूं तुम्हे मुझ में इंट्रेस्ट नहीं। अब खुलकर बात कर रही हूं तो करेक्टर जज मत कर लेना। साला कितना भी कह दो कि हम मॉडर्न हो गए है, लेकिन इन मामलों में सोच एक ही जगह अटकी रहती है लड़कों कि….. उसके लिए कपड़े उतार सकती है, मेरे लिए क्यों नहीं।


अपस्यु:- लड़कियों की सोच ना बताओगी… अरे इससे काम निकलवाना है चलो सिड्यूस करके अपने पीछे लगाओ और अपना काम बनाओ। उस से भी ना हो तो धमकी ही दे दो रेप केस में फसा दूंगी। सोच तो दोनो ओर की है लिसा, एक को दोषी क्यों देना।


लिसा:- सो तो है, लेकिन सब ऐसा नहीं होते। इसके 2 एग्जाम्पल तो हम दोनों है। वो सब छोड़ो और मेरी कोशिश पर नजर ना लगा। ये मुझे अच्छी लगती है।


अपस्यु:- मुझे क्या पता था तुम इसे पटा रही हो। तुम्हारे एफबी पर देखा था इसे, तो थोड़ा सा छेड़ दिया, तुमसे बदला लेने के लिए। मैने तो अंदाजन तीर मारा था, मुझे क्या पता वो सही निशाने पर लग जाएगी।


लिसा:- क्यों छेड़ दिए। मै हूं ना मुझे छेड़ दिया करो। अपनी गर्लफ्रेंड ऐमी को छेड़ा करो। ना मन भाड़े तो मुझे कह दिया करो, मै 10-20 लड़कियों से इंट्रो करवा दूंगी, उसे छेड़ दिया करो। मेरे भाई उसे ना छेड़ा कर, जिसपर मेरा दिल आया है। तू जानता नहीं पर्दे में रहकर ऐसे रिलेशन के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है, वरना बात लीक हो गई तो तुम समझते नहीं कितना बड़ा बॉम्ब भूटेगा।


अपस्यु:- मुझे बता दिया करना किस पर डोरे डाल रही है, वरना मुझे सपना सपना नहीं आएगा। वैसे मेरे बारे में तो इसे बहुत अच्छा बता रखी है। अपने बाप के सामने भी नहीं चुकी मेरी तारीफ करने से।


लिसा:- हीही.. अरे कुछ तो इमोशनल स्टोरी बनानी थी ना और अपने लिए एक इमोशनल बैकग्राउंड तो तैयार करना ही था ना। वैसे वो कामिनी जेन कहां भाग गई बिना बताए, कुछ समझ में ही नहीं आ रहा। उसकी कोई खबर है क्या तेरे पास।


अपस्यु:- उसकी खबर बाद में लेना पहले यहां से चलो वरना ये लोग तुम्हारी शादी मुझसे तय कर देंगे और मैं पहले से एनेगेज्ड हूं।


लिसा:- डरते क्यों हो अभी इन सबको मस्त ड्रामा दिखती हूं।


अपस्यु:- नाह ज्यादा ड्रामा की जरूरत ना होगी, बस 2 मिनट संभाल लेना।


लिसा:- एक शर्त पर तू मेरी हेल्प करेगा। पापा से तेरे बारे में बहुत सुनी हूं। और जो भी सुनी हूं, अच्छा हो सुनी हूं। मेरी नैय्या भी पार लगा ले, दुआएं दूंगी।


अपस्यु:- क्यों ये रुनझुन नहीं पटी क्या?..


लिसा:- सहमत तो है पर पूरी तरह से खुलती नहीं है। बोलती है उसका एक बॉयफ्रेंड है और उसी के साथ वो ज्यादा खुश है। मुझे वक़्त देना मुश्किल होगा।


अपस्यु:- अभी चलते है, बाद ने इसपर बात करेंगे।..


दोनो उधर से हंसते हुए पहुंचे। लिसा आते ही कहने लगी… "आप सब मिलिए मेरे प्यारे दोस्त अपस्यु से। भारत आने के बाद ये मेरा सबसे करीबी है, मेरे पापा और मम्मी के बाद। लेकिन आप सब कतई ये ना समझे कि ये मेरा बॉयफ्रेंड है।"


सोमेश:- हां वही तो मै तबसे इन लोगों को समझा रहा हूं, इसकी पहले से एंगेजमेंट हो चुकी है और जब अपस्यु के लवर से मिलोगे तो कहना भी पाप हो जाएगा कि ये किसी और के पीछे जा सकता है। दोनो आपस में कितने प्यारे लगते है, किसी की नजर ना लगे।


रुनझुन:- सो कौन सी मिस वर्ल्ड है वो..


"सुबह सुबह यहां तो पूरी पंचायत लगी हैं। नेताजी आप मेरी अर्जी पर काम करने के बदले यहां क्या गप्पे लड़ाने आए हैं।"… ऐमी अपने साथ उन चारो को अंदर लाती हुई कहने लगो।


इससे पहले कि कोई कुछ बोलता… "सब जारा ख़ामोश रहेंगे। मै और ऐमी यहां एक छोटे से काम से आए थे। मामला बता दू सबको, क्योंकि शायद सर ने आप लोगों से साझा ना किया हो। ये 4 लड़कियां आपके पड़ोसी है, शायद आप लोग जानते होंगे या नहीं भी। लेकिन इनमें से एक ने अपने दोस्तो से कहा कि आलोक सर ने उसके साथ अश्लील हरकत की है। इसका नतीजा यह हुआ कि, 200 लड़के इनकी बातों में आकर कल कॉलेज में आलोक सर का जुलूस निकालने वाले थे। मीडिया में कल ये लड़कियां और सर ही छाए रहते, ऐसी इनकी प्लैनिंग थी। ये थी पूरी घटना। अब कृप्या आप सब थोड़े शांत रहेंगे तो मै ये मामला सुलझाकर दूसरे काम भी देखूं। ऐमी, क्या रिजल्ट आया।"


ऐमी, 2 लड़की को आगे लाती… "इस लड़की का नाम है कविता, और दूसरी है मालविका। ये दोनो सात्विक आश्रम और महिदिपी की अनुयायि है। कुछ दिन पहले आलोक सर ने सात्विक आश्रम को ढोंग करने की जगह और महिदिपि को ढोंगी बोल दिए थे। उसी का बदला लेने के लिए ये पूरी साजिश रची गई थी। कल शायद सर की फैमिली यहां नहीं थी, दोनो के लिए अच्छा मौका था और दोनो ने बढ़िया सी कहानी रच दी।


इतनी बात सुनते ही वहां का माहौल ही बिगड़ने लगा।…. "मैंने किसी को कहा क्या बोलने, जो सब पागलों कि तरह बोले जा रहे है। सब एक दम ख़ामोश। मुझे अपना काम कर लेने दीजिए, फिर जो करना हो करते रहना। और तुम दोनो, मुझे जारा बताओगी, तुम किसी की अनुयाई हो तो, उसके लिए कहे गए नेगेटिव शब्दों के लिए, क्या तुम किसी के भी जीवन में आग लगा दोगी?"


मालविका:- मेरी कोई निजी दुश्मनी नहीं लेकिन यदि हमारे गुरु के लिए कोई कुछ कहे तो हम चुप नहीं रहेंगे। हम तो डूबेंगे ही, लेकिन उन्हें भी ले डूबेंगे। गलत तरीके से नहीं फसे तो क्या हुआ, मै आश्रम जाकर भक्तों को बताऊंगी ये बात और फिर तमाशा होगा। इसे तो हम किसी भी तरीके से बर्बाद करके है छोड़ेंगे।
:superb: :good: :perfect: awesome update hai nain bhai,
behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
ye to principal sahab ka case mahidip se jud gaya hai,
aur vahin lisa bechari ke ek aur girlfriend par apasyu ne dhava bol diya hai :roflol: ,
Ab dekhte hain ki aage kya hota hai
Waiting for next update
 

rgcrazyboy

:dazed:
Prime
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o tere yaha to college bhi aye sa chuna hain ki :D
kise ki baat yaad aagai story ka jo pahala part likha gaya hain use end main jod kar dikha na he ek story ko puri tarah se pura karata hain :D
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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Update:-134



पहले से खौफजदा लोगों में नील ने और खौफ भड़ते, सबको हॉल के एक हिस्से में बिठाया और भागने का अंजाम वैसे ही कटी लाश का रूप दिखाया। देखते ही देखते खूनी खेल खत्म हो गया। रक्त में सरोवर होकर अपस्यु, लाशों कि ढेर पर खड़े होकर हुंकार भरी…. "तो दोस्तों पार्टी कैसी रही।"..


अपस्यु की आवाज़ बता रही थी कि अब इंसाफ होगा, रक्त का खेल खत्म हुआ। अपस्यु की आवाज़ पर एक-एक करके जैसे सबकी हिम्मत टूटी हो, सब के सब बेसुध होकर अपनी जगह बैठकर, कुछ देर तक रोते रहे। अपस्यु के आखों में भी आशु थे, ऐसा लगा जैसे अब शरीर में उसके भी जान नही, लेकिन खुद को संभाले वो अब बस अपने बचे दुश्मनों को देख रहा था।


इसी बीच अारूब की अगुवाई वाली इटेलिजेंस टीम भी वहां पहुंच गई। उफ्फ क्या मंजर था, पूरी जगह से खून की बू आ रही थी और कटे हुए लाश के पास कुछ रोते लोग और खून में पूरे डूबे सिना ताने खड़ा 2 आदमी दृश्य और अपस्यु।


इंटेलिजेंस टीम का एक एजेंट:- माय गॉड, दरिंदगी और हैवानियत है ये.. किसने किया ये पुरा कांड..


अपस्यु एक कदम आगे आकर… "अपनी एजेंसी में बता दीजिएगा, जेके और पल्लवी खत्री के शागिर्दों ने ये पुरा कांड किया है।"


इंटेलिजेंस ऑफिसर:- आज क्या हमे पुरा कचरा साफ करने के लिए रखा गया है?


अारूब:- हम ऑर्डर फॉलो करेंगे ऑफिसर। जो आज के दिन खत्म हुए है वो कोई साधु या महात्मा नहीं है।


अपस्यु:- काया, इन लोगों को जारा दिखा दो, किन कमीनो को अरेस्ट करना है।


काया ने जैसे ही अपने द्वारा अलग किए लोगों को दिखाई, वैसे ही प्रकाश जिंदल, विक्रम राठौड़ और लोकेश चिल्लाने लगा… "हमे भी अरेस्ट कर लो प्लीज, हमे भी अरेस्ट कर लो।"..


जैसे ही लोकेश ने अपनी जुबान खोली, निम्मी एक बड़ी मोटी सी पीन उसके जुबान के इस पार से उस पार निकालती, उसकी जुबान बंद कर दी। सारे ऑफिसर्स देखकर ही दंग रह गए… "सर आप अपना काम करो ना, ये कुछ ज्यादा ही बोल गुहार लगा रहा था, इसलिए जुबान बंद कर दी।


अारूब:- ऑफिसर्स टेक चार्ज और इन लोगों को इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर लेकर चलो। भाई अगर प्रूफ मिल जाता तो आगे की कार्यवाही शुरू हो जाती।


दृश्य:- अपस्यु इनके अरेस्ट होने की वजह दो।


अपस्यु:- कुंजल बेटा वो इनके सर्वर की बैकअप फाइल की हार्ड डिस्क दे दो।


अारूब वो हार्ड डिस्क लेने के बाद…. "थैंक्स ए लौट, हमारा काम खत्म हो गया है। हम कल तक का इंतजार करेंगे, बचे हुए मुख्य आरोपी की कहानी हम तक पहुंच जानी चाहिए।"..


अपस्यु:- मेघा, मनीष मिश्रा के साथ तुम यहां से निकलो। और हां अपने पिता को आखरी बार देखते जाना, बाकी बात मै बाद में करूंगा।


मेघा:- अपस्यु वो मेरे डैड है।


अपस्यु:- मेघा तुम्हे एक मौका मिल रहा है, और ये मौका मै तुम्हे केवल और केवल ध्रुव के वजह से दे रहा हूं, इसलिए तुम डिसाइड कर लो, तुम्हे यहां रुकना है या सुकून से आगे की जिंदगी, ईमानदारी से बितानी है।


मेघा:- सॉरी डैड, शायद स्वार्थी होना मैंने आपसे ही सीखा है। अपना ख्याल रखना।


तकरीबन 40 व्हाइट और ब्लैक कॉलर लोगों को लेकर वहां से इंटलीजेंस टीम निकल गई। साथ में 2 ड्रॉप थे मेघा और मनीष मिश्रा। उन सबके जाते ही 300 लोग उस पार्टी हॉल में पहुंच चुके थे। तकरीबन 100 वीरदोयी लड़कियां जो मन मारकर मजबूरी में उन करुर वीरदोयी के साथ फसी हुई थी, जिनको जीने का हौसला नील देती आ रही थी। इसके अलावा 20 के करीब वीरदोयी पुरुष भी बचे हुए थे जो अपने औरतों कि मजबूरी देखकर यहां रुकने और उनका कहा मानने पर विवश थे। 180 के करीब यहां के इनोसेंट स्टाफ और मज़े के लिए लाई गई लड़कियां थी जो यहां के लोगों के लिए काम करने के साथ उनका मनोरंजन भी किया करती थी।


नील:- कंट्रोल रूम में सजा में हकदार लोग चिपके है, मै चाहती हूं उस खोल दो ताकि उनका भी हिसाब इसी हॉल में हम कर दे। बहुत सोषण किया है हमारा इन हरामजादों ने।


ऐमी:- जैसा तुम चाहो।


ऐमी अपनी बात कहती कमांड ऑफ कर दी और सभी डस्ट पार्टिकल को वापस आने का कमांड दे दी।


दृश्य:- निम्मी जो शुरू किया है उसे अंजाम तक पहुंचा दो।


निम्मी:- नहीं मै नरक की आग ने जी हूं, इसने मेरे जिस्म को उन भूखे कुत्तों के सामने नहीं फेका था, बल्कि मेरे रूह को भी फेका था। मै चाहती हूं, ये जिंदा क्यों है इस बात के लिए तरसे। हर पल खुद को मारने के नए नए तरीके ढूंढे लेकिन इसे मौत ना मिले। नाह ! इसे मारना नहीं है, जिस नरक की आग से मै गुजरी हूं, उस नरक की आग ने जलाना है।


अपस्यु:- स्वास्तिका, इस धरती के बोझ को तैयार करो और मेडिकल सपोर्ट दो। लगता है दोनो बाप बेटे साथ ही रहेंगे। विक्रम राठौड़ तुम्हारे लिए तो ये अच्छी खबर है।


इतने में काया और नील के इशारे पर सभी टेक्निकल टीम के लोगों को उस हॉल में ले आया गया। उन लोगों ने जब वहां की हालत देखी और जिनके सह पर यहां के लड़कियों और औरतों को, बड़े ही निचपुर्ण ढंग से नोचते थे, उसकी लाशों के ढेर देखकर तो कितनों कि मूत निकल आयी। पहला हमला काया ने ही किया था। किसी पागल की तरह वो लगातार रोती हुई, उस अजय को जब चाकू से चीरना शुरू की, तब कई निर्दोष जो इनके सताए थे, सब की आग ऐसी भड़की की केवल लतों और घुसो से उनका काम तमाम कर दिया। ..


लगभग सारा माहौल पूर्ण रूप से शांत पर चुका था। वहां केवल 3 लोग जिंदा बचे थे, और तीनों को बांधकर बार काउंटर के पीछे डाल दिया गया था। अपस्यु काया को इशारे करते हुए कहने लगा, ये जगह तुमलोग साफ करके सभी लोग महल में मिलो।


रात के 11 बजे महल में सभा लग चुकी थी। काया और नील दोनो बराबर बैठी थी। अश्क, नील और काया की हालत देखकर शायद खुद में शर्मिंदा थी। बस यही ख्याल आता, इनके लड़कपन के दिनों में पहले उस डॉक्टर भार्गव ने इन्हे छला, और बाद में इनके अपने ही लोगों ने यहां लाकर इन्हे नोचा। उन्हें देखकर अश्क अपने कान पकड़ती हुई सॉरी कहने लगी… नील और काया दोनो ने उसके कान से हाथ हटाकर कहने लगी… "दिल में प्यार हो तो रिश्ते बने रहते है। अब फिर से मै बीते वक़्त की चर्चा नहीं कर सकती, शायद अब हम कभी ना मिले, कल तक हम ये जगह छोड़कर जा चुके होंगे। एक ही अच्छी याद लेकर जाऊंगी, मेरा बच्चा कोई दरिंदा नहीं बनेगा और तुमने हमारे लिए आशु बहाए।"..



आरव:- अरे आप सब जाने की बात क्यों कर रही हो। मै इस जगह को कमर्शियली डेवलप करने वाला हूं, नए लोगों को कहां से खोज कर लाऊंगा। इस जगह को डेवलप करने के लिए मै 2500 करोड़ देता हूं। आप दोनो यहीं रुको, और सबको पहले कि तरह लीड करो। इस जगह को अच्छे से डेवलप करो.. 4 रुपया आप प्रोफिट बनाओ, उसमे से बस 20 पैसा मुझे दे देना बाकी 3.80 रुपया आपस में बांट लो। अगर ये जगह डेवलप करने में 2500 करोड़ कम लग रहे हैं तो बता दो, मैं और फंडिंग कर दूंगा, बस ये जगह ना छोड़कर जाओ।


आरव की बात सुनकर, दृश्य हैरानी से देखते… "अबे ये क्या है, मतलब ये बहुत बड़ा बिजनेस खोपड़ी है क्या?"..


ऐमी:- येस ! पूरा मायलो ग्रुप की कमान ये सिंगल हैंड संभालने वाला है। इसकी बिजनेस करने का तरीका और आईडिया कमाल के है। ये किसी को भी फेयर टक्कर दे सकता है, बाकी गलत तरीके से कोई हमे टक्कर दे सकता है क्या।


अश्क:- नील, काया, काम भी मिल रहा है और जिम्मेदारी भी। प्लीज यहां से मत जाओ… तुम यहां रुकी रहोगी तो जूनियर और वैभव भी तुम्हरे पास आ जाएंगे। और उन दोनों से मिलने हम भी आते रहेंगे। सॉरी लव, सॉरी अपस्यु, मैंने बिना पूछे अपनी जुबान दे दी।


अश्क की बात सुनकर अपस्यु केवल ऐमी को ही देख रहा था, और ऐमी काया को… ऐसा लग रहा था जैसे अपस्यु और ऐमी का दिल जोड़ों से धड़क रहा हो और वो कुछ भी फैसला नहीं कर पा रहे।..


नील:- हम यहीं रुक रहे है। मेरा बच्चा अपनी दादा दादी के पास पल रहा है, उन्हें वहीं रहने दो। मै ही जाकर मिल लिया करूंगी। ऐमी, अपस्यु तुम्हारे बच्चे तुमसे कोई नहीं लेगा, क्योंकि सबको पता है उनके मां बाप कमजोर नहीं।


काया:- मै भी अपने बच्चे से मिल लीया करूंगी, उसे वहीं रहने दो, और दोनो ऐसे मायूस ना हो। हां लेकिन ये अश्क जुबान बहुत देती है। अश्क जी बस एक ख्वाहिश पूरी करने की जुबान दे दो। एक बार ये दृश्य बिना मेरा नाम जाने और मेरा चेहरा ठीक से देखे, मेरे साथ जो किया था, वो दोबारा अब करने बोलो, मुझे जानने के बाद, फिर मै यहां रुकती हूं।


अश्क:- हीहीहीही.. कपड़े उतारने के बाद किस बेवकूफ को नाम जानने या चेहरा देखने में इंट्रेस्ट रहता है झल्ली। जा ले जा, ना मै रोकूंगी और ना ही दृश्य को ताने दूंगी। बस इस बार ये मत कह देना, वीरदोयी अपना जबजों का वंश बढ़ने के लिए दृश्य और तुम्हरे मिलन से एक बच्चा चाहता है।…


अश्क की बात सुनकर सब लोग हंसने लगे.. इसी बीच स्वास्तिका हाथ के इशारे से दिखाने लगी, जहां पार्थ अकेले में बैठा ड्रिंक ले रहा था और उसके करीब निम्मी जा रही थी।…. स्वास्तिका इशारा करती हुई ऐमी से कहने लगी… "भाभी, प्लीज मुझे इन दोनों की बातें सुननी है।"..


ऐमी मुस्कुराती हुई सबको देखी, पार्थ के लिए हर कोई मुस्कुरा रहा था।.. ऐमी ने उस एरिया का ऑडियो कनेक्ट करके, सबके मोबाइल पर ऑडियो-वीडियो लाइव प्ले लिंक भेज दिया। हर कोई इयरपीस लगाकर, मोबाइल के जरिए कान और आंख दोनो पर लगाए…


निम्मी, पार्थ के ठीक सामने बैठकर अपनी हाथ आगे बढ़ती हुई… "हाय, मै निम्मी सिंह।"..


पार्थ:- नाइस टू मीट यू निम्मी, वैसे ये अजनबी की तरह मिलना।


निम्मी:- तुम्हरे पूरे टीम से मिली हूं, हर कोई कमाल का है और हर किसी में अद्भुत गुण, बस मै तुम्हे जज करने मै असफल हूं की तुममें कौन से गुण हैं।


पार्थ:- कमाल है जी, मैंने एक सवाल पूछा और उसका जवाब देने के बदले उल्टा एक अलग ही सवाल पूछ लिया।

निम्मी:- शायद मै गलत तरीके से मिली और मुझे तुम्हारे सवालों ने ये फील करवाया इसलिए जवाब ना देकर बात आगे बढ़ा दी।


पार्थ:- हाहाहाहा, चलो ये भी अच्छा है। और हां मुझमें कोई गुण नहीं। पहले तो ये भ्रम था कि मैं लड़कियों को पटाकर अपना काम निकाल सकता हूं, तुमसे मिला तो औक़द पता चली कि जिन लड़कियों को मैंने पटाया, वो दरसअल मुझ से खुद पटना चाहती थी।


निम्मी:- मतलब तुम इन लोगों के साथ केवल दोस्ती की वजह से हो, बाकी तुममें कुछ खास नहीं।


पार्थ:- हां मेरा दिल बहलाने के लिए मेरे दोस्त मुझसे कह देते थे कि मै ये जाल बनता हूं, वो जाल बनता हूं, लेकिन हम दोनों को ही पता था कि सब फेक है। हां लेकिन ऐसा नहीं कि मुझमें कोई खास बात नहीं। मै उनसे अलग होकर कहीं कोई गुमनाम ज़िन्दगी बिताऊं और कोई मुझे मारकर चले जाए। बस उनके कान तक ये खबर पहुंच जाए, फिर स्टेटस उनका जो भी हो, उनकी बैंक स्टोरी कितनी भी स्ट्रॉन्ग क्यों ना हो, मेरे दोस्त आएंगे और सबको साफ कर जाएंगे। सो मुझे खास बनाते हैं मेरे दोस्त और मुझे नहीं लगता कि इससे खास भी कुछ हो सकता है।


निम्मी:- हम्मम ! चलो अब मै चलती हूं। एक बार फिर से थैंक्स।


पार्थ:- ओ हसीना, शायद तुमने ठीक से सुना नहीं, मैंने कहा था जितनी लड़कियों को मैंने पटाया वो दरसअल खुद मुझसे पटना चाहती थी..


निम्मी:- तो..


पार्थ:- जब 2 महीने में इतने फासले तय करके सामने बैठ ही गई हो, तो कुछ अपने बारे में भी बताती चली जाओ..


निम्मी:- मै बहुत छोटे से कस्बे में पली हूं, चाकू चलाने का काफी शौक था, ये शौक मुझे गांव के मेले से आया, जब तमाशा दिखाने वाले चाकू का खेल दिखाया करते थे। छोटी सी उम्र का शौक, प्रैक्टिस करते-करते मैं इतना महिर हो गई की लोग मुझसे दूरियां, सिर्फ चाकू की वजह से बनाकर रखते थे। मै गांव के माहौल से वाकिफ थी, नज़रों में हवस और मौके की तलाश, इसलिए मै ज्यादा किसी को मुंह नहीं लगाया करती थी।
..waise yeh khoon kharaba aur details mein honi chahiye :D chaliye koi na burayi pe achhai ki jeet huyi aur badla bhi le liya.. great :good: .. par naa jane kyun main na khush hu.. shayad ap su aur experimental bacha drishy ke group se do chaar log maare jaate toh shayad sukun mile.. aur yeh rahi woh list hai apsu, imli, parth aur aksh :lol:

आरव:- अरे आप सब जाने की बात क्यों कर रही हो। मै इस जगह को कमर्शियली डेवलप करने वाला हूं, नए लोगों को कहां से खोज कर लाऊंगा। इस जगह को डेवलप करने के लिए मै 2500 करोड़ देता हूं।
sirf 2500 crores kyun are 2500000crores de do ushe woh bilkul bhi bura nahi manegi :D
Khair ab yeh parth phir se ghum phir ke ab nimmi ke piche
Khair let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill nainu ji :applause: :applause:
 
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