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Adultery भाभियों का रहस्य

Ek number

Well-Known Member
8,112
17,420
173
अध्याय 20
उमंगो से भरे उस प्रेम की बरसात ख़त्म हो चुकी थी , हम दोनों एक दुसरे के बांहों में बान्हे डाले लेटे हुए थे , भोर होने को थी की कोकू उठ खड़ी हुई …
“अब मुझे चलना चाहिए ..”
उसने उठते हुए कहा
“फिर कब आओगी “
मैं उसके हाथो को सहला रहा था
“अब कभी नहीं , आपके प्रेम ने मुझे मुक्त किया है अब मैं अपने प्रेम में आपको बंधना नहीं चाहती , आपके प्रेम का जोग लेके मैं जोगिनी बन जाना चाहती हु “
उसकी बातो से मुझे एक झटका सा लगा लेकिन फिर मैं सम्हला, मैं उसके प्रेम की क़द्र करता था …
मैं चुप ही रहा वो फिर से बोली
“प्रेम करना मेरी फितरत में है कुवर लेकिन अब इस जीवन भर ये प्रेम आपका ही रहेगा “
उसके होठो में मुस्कान और आँखों में हल्का पानी था ..
मुझे वो गजल याद आ गई ,
‘जिनके होठो में हँसी पाँव में छाले होंगे , हां वही लोग तेरे चाहने वाले होंगे ‘
मन भारी था उससे बिछड़ने का गम था , लेकिन उसने सही दिशा को चुना इस बात की ख़ुशी भी थी , अब वो किसी की गुलाम नहीं थी , आजादी की कीमत बहुत होती है लेकिन आजादी आजादी होती है …
मैं उसे जाते हुए देखता रहा , उसने एक बार भी मुड़कर पीछे नहीं देखा , शायद उस भी ये डर होगा की कही वो मुड़े और जा ही ना पाए …
*********
मेरा काम इस झील में ख़त्म हो चूका था और मैं अब हवेली जाने को तैयार हो गया , मेरे आने की खबर मुझसे पहले ही वंहा पहुच चुकी थी , ढोल नंगाड़े बजाये जा रहे थे , कई आँखे बेताबी से मेरा दीदार कर रही थी जब मैं गेट के पास पंहुचा तो सामने अंकित , अन्नू और अम्मा खड़े थे , ये तीन A मेरे जीवन के तीन पहलु थे , दोस्ती, प्रेम और परिवार के प्रतिक …
कई आँखे डबडबाई हुई थी , मेरे इन्तजार में कई आँखे बिछी हुई थी , बीते कुछ दिन मेरे जीवन के निर्णायक दिन थे , अब मैं निशांत नहीं रह गया था , पूरी तरह से कुवर बन चूका था , कुवरगढ़ का भविष्य कुवर निशांत सिह ठाकुर ….
मेरे आते ही अम्मा ने बड़े ही प्यार से मेरी आरती की और उसके बाद अन्नू मेरे गले से लग गई …
थोड़ी देर तक वो रोते ही रही , फिर अंकित भी मुझसे लिपट गया …
“बहुत थक गया होगा इसे आराम करने दो , “
आखिर में अम्मा के बोलने पर सब थोडा शांत हुआ , मैं अब अपने कमरे में था और अन्नू मुझसे लिपटी हुई बैठी थी …
“कितना इन्तजार करवा दिया कुवर जी …”
मैंने उसके चहरे को उठाया और उसके होठो पर अपने होठ डाल दिए , मेरी हमदम , मेरी हमराही थी वो , मेरी सबसे अच्छी दोस्त और हमसफर भी , अब मैं उसे हमराज बनाना चाहता था …
“अन्नू तुमसे बहुत सारी बाते करनी है , मेरा ये एक्सीडेंट और फिर मेरा यु ठीक हो जाना , फिर मेरा जंगल में ही यु रुक जाना , बहुत सारे राज है जो तुम्हे बताना जरुरी है आखिर तुम मेरी जीवन संगनी बनने वाली हो “
अन्नू ने प्यार से मेरे गालो पर हाथ फेरा
“फिक्र मत करो , मुझे सब पता है , अम्मा ने मुझे सब बताया , ये भी की उस रात झील के किनारे क्या हुआ और तुम कैसे ठीक हुए , मेरे लिए ये बात अहम नहीं है की तुम कैसे ठीक हुए , ये अहम् है की तुम आज ठीक हो , मेरे साथ हो , मेरे पास हो , मैं तुम्हारे बांहों में हु , मेरे लिए इतना ही काफी है “
“लेकिन शायद तुम्हे पता नहीं की इस गाँव के प्रति मेरी एक जिम्मेदारी भी है “
वो मुस्कुराई
“मुझे सब पता है निशांत ,मैं तुम्हारे और तुम्हारी जिम्मेदारी के बीच कभी नहीं आउंगी , ना ही तुम्हारी शक्तियों के प्रयोग से तुम्हे रोकूंगी , मैं जानती हु की तुम जन्हा भी रहोगे मेरे ही रहोगे “
उसकी बात पर मुझे बहुत प्यार आया और मैंने उसके होठो को अपने होठो में भर लिया …
हम एक दुसरे के होठो में खोये हुए थे की वंहा अम्मा आ गई
“पहले शादी तो हो जाने दो फिर सुहागरात भी मना लेना “
अम्मा की आवाज सुनकर मैं बुरी तरह से सकपकाया , वही अन्नू को जैसे कोई फर्क नहीं पड़ा
“अम्मा आपने तो मेरे पति के साथ सुहागरात के मजे ले लिए और मुझे रोक रही हो “
अन्नू की बात सुनकर अम्मा बुरी तरह से हडबडा गई ..
“चुप कर बेशर्म … “ उनका गोरा चहरा शर्म से लाल हो चूका था , मुझे भी इस बात से बेहद ही असहज महसूस हो रहा था , मैं वंहा से उठ कर जाने लगा , तभी अन्नू ने मेरा हाथ थाम लिया …
“आप कहा चले , दोनों ने मिलकर कांड तो किया है लेकिन स्वीकारने की हालत किसी में नही है , देखो कैसे दोनों नजरे चुरा रहे हो … “
“अन्नू वंहा जो हुआ वो … समझा करो , अम्मा मेरी माँ जैसी है “
मैंने अन्नू को थोडा डांटते हुए कहा , और अन्नू खिलखिला कर हँस पड़ी , अम्मा भी असहज होकर वंहा से जाने लगी लेकिन अन्नू ने जल्दी से उनका हाथ पकड कर उन्हें थाम लिया ..
“ओहो इतनी शर्म भी किस काम की , अम्मा सच सच बताओ की आपको भी मजा आया था या नही “
अम्मा शर्म के मारे पानी पानी हो रही थी , पूरा शरीर पसीने से भीग गया था , माथे का लाल सिंदूर बहकर बिखरने लगा था , गुलाबी रंग की रंगत थोड़ी और भी गुलाबी हो गई थी , और लाल सिंदूर के बिखरने से वो और भी कामुक प्रतीत होने लगी थी , उनकी सांसो में तेजी का अहसास मैं भी कर पा रहा था …
“हाय इतनी कामुकता की मुह से आवाज भी ना निकले “ अन्नू ने अम्मा को चिढाया ..
“चुप कर तू “ वो झूठे गुस्से से अन्नू पर हाथ चला दिया लेकिन अन्नू हंसती हुई बच गई , फिर अन्नू ने एक हरकत कर दी ..
उसने अम्मा के पीछे जाकर अम्मा को मेरे तरफ ढकेल दिया , अम्मा मेरे उपर आ गिरी और उनके साथ मैं बिस्तर में गिर गया ..
अन्नू अम्मा के पीछे आकर चढ़ गई , अब अम्मा मेरे और अन्नू के बीच फंसी हुई थी , वो कोई भी हरकत नहीं कर पा रही थी , वही मैं भी बेहद ही नर्वस हो गया था ,जिस महिला के सामने बात करने से भी मेरी आवाज लडखडा जाती थी उसके साथ ऐसे हालत में होना …
“निशांत तुम्हे बहुत जिम्मेदारिया पूरी करनी है ना , तो शुरुवात तुम्हे अम्मा से ही करनी होगी ,आखिर तुमपर सबसे पहला हक़ इनका ही है , पूरा जीवन ये मर्द के सुख से वांछित रही , और ना ही इन्हें ओलाद का सुख ही मिला , इन्हें दोनों की कमी ना हो ये तूम्हारी जिम्मेदारी है , मैं बाहर से कमरा लगा रही हु मुझे बाहर तक इनकी चीखे सुनाई देनी चाहिए ..”
अन्नू इतना बोलकर तेजी से बाहर की ओर निकली , हम दोनों उसे रोकने की कोशिस करते लेकिन देर हो चुकी थी , दरवाजा बंद हो चूका था , मैंने दरवाजा खटखटाया ..
“अन्नू ये क्या पागलपन है , खोलो दरवाजा ..”
“कुवर पहले घर को तो सम्हाल लो फिर गांव सम्हालना “
अन्नू इतना बोलकर वंहा से जा चुकी थी ..
मैं घबराया हुआ पलटा तो अम्मा की भी हालत किसी सुहागरात की सेज पर बैठे दुल्हन सी थी ..
साड़ी और बाल बिखरे हुए थे , माथे का सिंदूर फैला हुआ था , शेरनी सी अम्मा आज सिकुचाई सी बैठी थी , छतिया तेजी से उपर निचे हो रहे थे और उनके बीच फंसा मंगलसूत्र बाहर निकल आया था , चहरा दमक रहा था लेकिन शर्म से लाल हुआ जा रहा था , उन्हें देख कर मेरा लिंग भी अकड कर तम्बू बन चूका था , अंदर का लौडू फुदक फुदक कर एक मजेदार सम्भोग की कामना कर रहा था लेकिन रिश्तो की मरियादा को मैं यु तोडना नहीं चाहता था ..
“माफ़ करना अम्मा ये अन्नू पागल है कुछ भी बोलती है “
मैं दूर ही खड़े हुए बोला , अम्मा ने एक नजर उठा कर मुझे देखा
“सच ही तो बोल रही है , सभी ओरते तेरी ही आस में बैठी है , तू ही तो उन्हें ख़ुशी देगा …”
“हां लेकिन …” मैं बोलते बोलते रुक गया था , मैं सभी को ख़ुशी देने के लिए आया हु लेकिन क्या अम्मा उस ख़ुशी से वांछित रहेगी ..??
एक सवाल मेरे मन में कौंध गया , एक तरफ रिश्तो की मरियादा तो दूसरी तरफ उनकी ख़ुशी ..
लौडू मेरे अंदर ऐसे फुदक रहा था जैसे कोई दावत मिलने वाली हो , वही मैं एयर कंडीसन की ठडक के बावजूद पसीने से भीगा जा रहा था , मन किया की थोडा पास जाऊ ..
मैं थोडा पास पंहुचा ..
“अम्मा …” मैं बिस्तर में बैठता हुआ बोला
“कुछ मत बोलो निशांत मैंने तुम्हे बेटे की तरह प्यार किया है , तुम्हे पला है , ये जो भी हो रहा है ये अजीब है , लेकिन सच ये है की मैं भी तुमसे मिलन करने को मरी जा रही हु , हा रिस्तो की दिवार हमारे बीच ही , बात ये है की इसे पहले कौन तोड़ेगा , मेरी इतनी हिम्मत नही कि मैं इसे तोड़ पाऊ “
उन्होंने नजरे निचे कर ली , लौडू ने मुझे अंदर से धिक्कारा …
“इन्हें सुख देना तेरा कर्तव्य है चूतिये अब इतना क्या सोच रहा है , इनके बड़े बड़े वक्षो पर ध्यान लगा और कूद जा … तोड़ दे दिवार और हो जा एक , कर ले अपनी अम्मा से सम्भोग “
लौडू चिल्लाया , मैं बुरी तरह से डर के काँप रहा था , ये एक अजीब सी बेचैनी थी , एक तरफ मैं ये नहीं करना चाहता था दूसरी तरफ ये मेरी जिम्मेदारी भी थी , और मेरा शरीर भी अब बागी होने लगा था ..
मैंने अम्मा की सुन्दरता को निहारा , वो अभी भी जवान थी और जवानी के हर लक्षण उनके शरीर में मौजूद थे , हल्का गदराया गोरा अंग साड़ी में लिपटा हुआ मादक लग रहा था , वही पसीने से भीग कर वो और भी हसीन लग रही थी , मैं उनके और पास आया , और उनके साड़ी के अन्दर अपने हाथो को ले जाते हुए मैंने उनके पैरो को पकड लिया ..
“आह “ वो चुह्क गई और शर्म से अपना सर और भी झुका लिया ..
उनकी इस अदा ने मुझे और भी उत्तेजित कर दिया था , मैं हाथो को और भी अंदर डालते हुए उनके जन्घो को सहलाने लगा , उनकी आँखे बंद हो गई , वो मुझे रोकने को छटपटाई और इसी बेचैनी में मेरा हाथ और फिसला और उनके जन्घो के बीच चला गया ..
“आह बेटा रुको “
वो इस उत्तेजना से भरे हवस के वार को झेल नही पा रही थी , वो वही गिर गई और आँखे मूंदे हुए इस सुख का मजा लेने लगी वही मैं भी अब हवास की आंधी में बहने को तैयार था , ये एक अजीब सा अहसास था , मेरे लिए ये शयद पहली बार था , दिल अभी भी जोरो से धडक रहा था , मैंने उनके दोनों पैरो को फैला दिया उनकी साड़ी भी उपर खिसक चुकी थी , मेरा मुह सीधे उनके योनी से जा लगा ..
“आह बेटा …” वो चीख उठी , मैं उनकी योनी को लगभग खा रहा था ..
दोनों के उमंग की सीमा चरम पर पहुच चुकी थी मैंने बिना देर किये उनके अंतःवस्त्रो को उनके जांघ से निकाल दिया और अपने लिंग को उनकी योनी में डालकर उनकी गीली योनी के घर्षण का सुख लेने लगा , वो बिस्तर में पड़ी थी और उनकी साड़ी उनके कमर से उपर थी , निचे के अंगो को छोड़कर बाकि के अंगो में अभी भी कपडे डाले हुए थे …
मैं जोरो से धक्के मरता हुआ उनके चहरे को देख रहा था , एक दिवार टूट चुकी थी और वो आँखे बंद कर इस बंदिश से आजद खोने का मजा ले रही थी , उन्होंने जब आँखे खोली तो मुझे खुद को देखता हुआ पाया , उन्होंने बुरी तरह से शर्मा कर अपना मुह फेर लिया , लेकिन उनके होठो पर एक मुस्कान आ गई थी ..
उनकी इस अदा ने मेरा जोश और भी बढ़ा दिया था और जोश में घोड़े दौड़ता हुआ मैंने उनकी कोख भर दी …
हम दोनों ही एक साथ मजे में चिल्लाये थे , हम शांत हुए और कमरे का दरवाजा खुला , सामने अन्नू मुस्कुराते हुए खड़ी थी , अम्मा बिना कुछ कहे ही जल्दी से उठी और अपने कपड़ो को सही करते हुए कमरे से निकल कर भागी ……
Behtreen update
 

@09vk

Member
358
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123
अध्याय 20
उमंगो से भरे उस प्रेम की बरसात ख़त्म हो चुकी थी , हम दोनों एक दुसरे के बांहों में बान्हे डाले लेटे हुए थे , भोर होने को थी की कोकू उठ खड़ी हुई …
“अब मुझे चलना चाहिए ..”
उसने उठते हुए कहा
“फिर कब आओगी “
मैं उसके हाथो को सहला रहा था
“अब कभी नहीं , आपके प्रेम ने मुझे मुक्त किया है अब मैं अपने प्रेम में आपको बंधना नहीं चाहती , आपके प्रेम का जोग लेके मैं जोगिनी बन जाना चाहती हु “
उसकी बातो से मुझे एक झटका सा लगा लेकिन फिर मैं सम्हला, मैं उसके प्रेम की क़द्र करता था …
मैं चुप ही रहा वो फिर से बोली
“प्रेम करना मेरी फितरत में है कुवर लेकिन अब इस जीवन भर ये प्रेम आपका ही रहेगा “
उसके होठो में मुस्कान और आँखों में हल्का पानी था ..
मुझे वो गजल याद आ गई ,
‘जिनके होठो में हँसी पाँव में छाले होंगे , हां वही लोग तेरे चाहने वाले होंगे ‘
मन भारी था उससे बिछड़ने का गम था , लेकिन उसने सही दिशा को चुना इस बात की ख़ुशी भी थी , अब वो किसी की गुलाम नहीं थी , आजादी की कीमत बहुत होती है लेकिन आजादी आजादी होती है …
मैं उसे जाते हुए देखता रहा , उसने एक बार भी मुड़कर पीछे नहीं देखा , शायद उस भी ये डर होगा की कही वो मुड़े और जा ही ना पाए …
*********
मेरा काम इस झील में ख़त्म हो चूका था और मैं अब हवेली जाने को तैयार हो गया , मेरे आने की खबर मुझसे पहले ही वंहा पहुच चुकी थी , ढोल नंगाड़े बजाये जा रहे थे , कई आँखे बेताबी से मेरा दीदार कर रही थी जब मैं गेट के पास पंहुचा तो सामने अंकित , अन्नू और अम्मा खड़े थे , ये तीन A मेरे जीवन के तीन पहलु थे , दोस्ती, प्रेम और परिवार के प्रतिक …
कई आँखे डबडबाई हुई थी , मेरे इन्तजार में कई आँखे बिछी हुई थी , बीते कुछ दिन मेरे जीवन के निर्णायक दिन थे , अब मैं निशांत नहीं रह गया था , पूरी तरह से कुवर बन चूका था , कुवरगढ़ का भविष्य कुवर निशांत सिह ठाकुर ….
मेरे आते ही अम्मा ने बड़े ही प्यार से मेरी आरती की और उसके बाद अन्नू मेरे गले से लग गई …
थोड़ी देर तक वो रोते ही रही , फिर अंकित भी मुझसे लिपट गया …
“बहुत थक गया होगा इसे आराम करने दो , “
आखिर में अम्मा के बोलने पर सब थोडा शांत हुआ , मैं अब अपने कमरे में था और अन्नू मुझसे लिपटी हुई बैठी थी …
“कितना इन्तजार करवा दिया कुवर जी …”
मैंने उसके चहरे को उठाया और उसके होठो पर अपने होठ डाल दिए , मेरी हमदम , मेरी हमराही थी वो , मेरी सबसे अच्छी दोस्त और हमसफर भी , अब मैं उसे हमराज बनाना चाहता था …
“अन्नू तुमसे बहुत सारी बाते करनी है , मेरा ये एक्सीडेंट और फिर मेरा यु ठीक हो जाना , फिर मेरा जंगल में ही यु रुक जाना , बहुत सारे राज है जो तुम्हे बताना जरुरी है आखिर तुम मेरी जीवन संगनी बनने वाली हो “
अन्नू ने प्यार से मेरे गालो पर हाथ फेरा
“फिक्र मत करो , मुझे सब पता है , अम्मा ने मुझे सब बताया , ये भी की उस रात झील के किनारे क्या हुआ और तुम कैसे ठीक हुए , मेरे लिए ये बात अहम नहीं है की तुम कैसे ठीक हुए , ये अहम् है की तुम आज ठीक हो , मेरे साथ हो , मेरे पास हो , मैं तुम्हारे बांहों में हु , मेरे लिए इतना ही काफी है “
“लेकिन शायद तुम्हे पता नहीं की इस गाँव के प्रति मेरी एक जिम्मेदारी भी है “
वो मुस्कुराई
“मुझे सब पता है निशांत ,मैं तुम्हारे और तुम्हारी जिम्मेदारी के बीच कभी नहीं आउंगी , ना ही तुम्हारी शक्तियों के प्रयोग से तुम्हे रोकूंगी , मैं जानती हु की तुम जन्हा भी रहोगे मेरे ही रहोगे “
उसकी बात पर मुझे बहुत प्यार आया और मैंने उसके होठो को अपने होठो में भर लिया …
हम एक दुसरे के होठो में खोये हुए थे की वंहा अम्मा आ गई
“पहले शादी तो हो जाने दो फिर सुहागरात भी मना लेना “
अम्मा की आवाज सुनकर मैं बुरी तरह से सकपकाया , वही अन्नू को जैसे कोई फर्क नहीं पड़ा
“अम्मा आपने तो मेरे पति के साथ सुहागरात के मजे ले लिए और मुझे रोक रही हो “
अन्नू की बात सुनकर अम्मा बुरी तरह से हडबडा गई ..
“चुप कर बेशर्म … “ उनका गोरा चहरा शर्म से लाल हो चूका था , मुझे भी इस बात से बेहद ही असहज महसूस हो रहा था , मैं वंहा से उठ कर जाने लगा , तभी अन्नू ने मेरा हाथ थाम लिया …
“आप कहा चले , दोनों ने मिलकर कांड तो किया है लेकिन स्वीकारने की हालत किसी में नही है , देखो कैसे दोनों नजरे चुरा रहे हो … “
“अन्नू वंहा जो हुआ वो … समझा करो , अम्मा मेरी माँ जैसी है “
मैंने अन्नू को थोडा डांटते हुए कहा , और अन्नू खिलखिला कर हँस पड़ी , अम्मा भी असहज होकर वंहा से जाने लगी लेकिन अन्नू ने जल्दी से उनका हाथ पकड कर उन्हें थाम लिया ..
“ओहो इतनी शर्म भी किस काम की , अम्मा सच सच बताओ की आपको भी मजा आया था या नही “
अम्मा शर्म के मारे पानी पानी हो रही थी , पूरा शरीर पसीने से भीग गया था , माथे का लाल सिंदूर बहकर बिखरने लगा था , गुलाबी रंग की रंगत थोड़ी और भी गुलाबी हो गई थी , और लाल सिंदूर के बिखरने से वो और भी कामुक प्रतीत होने लगी थी , उनकी सांसो में तेजी का अहसास मैं भी कर पा रहा था …
“हाय इतनी कामुकता की मुह से आवाज भी ना निकले “ अन्नू ने अम्मा को चिढाया ..
“चुप कर तू “ वो झूठे गुस्से से अन्नू पर हाथ चला दिया लेकिन अन्नू हंसती हुई बच गई , फिर अन्नू ने एक हरकत कर दी ..
उसने अम्मा के पीछे जाकर अम्मा को मेरे तरफ ढकेल दिया , अम्मा मेरे उपर आ गिरी और उनके साथ मैं बिस्तर में गिर गया ..
अन्नू अम्मा के पीछे आकर चढ़ गई , अब अम्मा मेरे और अन्नू के बीच फंसी हुई थी , वो कोई भी हरकत नहीं कर पा रही थी , वही मैं भी बेहद ही नर्वस हो गया था ,जिस महिला के सामने बात करने से भी मेरी आवाज लडखडा जाती थी उसके साथ ऐसे हालत में होना …
“निशांत तुम्हे बहुत जिम्मेदारिया पूरी करनी है ना , तो शुरुवात तुम्हे अम्मा से ही करनी होगी ,आखिर तुमपर सबसे पहला हक़ इनका ही है , पूरा जीवन ये मर्द के सुख से वांछित रही , और ना ही इन्हें ओलाद का सुख ही मिला , इन्हें दोनों की कमी ना हो ये तूम्हारी जिम्मेदारी है , मैं बाहर से कमरा लगा रही हु मुझे बाहर तक इनकी चीखे सुनाई देनी चाहिए ..”
अन्नू इतना बोलकर तेजी से बाहर की ओर निकली , हम दोनों उसे रोकने की कोशिस करते लेकिन देर हो चुकी थी , दरवाजा बंद हो चूका था , मैंने दरवाजा खटखटाया ..
“अन्नू ये क्या पागलपन है , खोलो दरवाजा ..”
“कुवर पहले घर को तो सम्हाल लो फिर गांव सम्हालना “
अन्नू इतना बोलकर वंहा से जा चुकी थी ..
मैं घबराया हुआ पलटा तो अम्मा की भी हालत किसी सुहागरात की सेज पर बैठे दुल्हन सी थी ..
साड़ी और बाल बिखरे हुए थे , माथे का सिंदूर फैला हुआ था , शेरनी सी अम्मा आज सिकुचाई सी बैठी थी , छतिया तेजी से उपर निचे हो रहे थे और उनके बीच फंसा मंगलसूत्र बाहर निकल आया था , चहरा दमक रहा था लेकिन शर्म से लाल हुआ जा रहा था , उन्हें देख कर मेरा लिंग भी अकड कर तम्बू बन चूका था , अंदर का लौडू फुदक फुदक कर एक मजेदार सम्भोग की कामना कर रहा था लेकिन रिश्तो की मरियादा को मैं यु तोडना नहीं चाहता था ..
“माफ़ करना अम्मा ये अन्नू पागल है कुछ भी बोलती है “
मैं दूर ही खड़े हुए बोला , अम्मा ने एक नजर उठा कर मुझे देखा
“सच ही तो बोल रही है , सभी ओरते तेरी ही आस में बैठी है , तू ही तो उन्हें ख़ुशी देगा …”
“हां लेकिन …” मैं बोलते बोलते रुक गया था , मैं सभी को ख़ुशी देने के लिए आया हु लेकिन क्या अम्मा उस ख़ुशी से वांछित रहेगी ..??
एक सवाल मेरे मन में कौंध गया , एक तरफ रिश्तो की मरियादा तो दूसरी तरफ उनकी ख़ुशी ..
लौडू मेरे अंदर ऐसे फुदक रहा था जैसे कोई दावत मिलने वाली हो , वही मैं एयर कंडीसन की ठडक के बावजूद पसीने से भीगा जा रहा था , मन किया की थोडा पास जाऊ ..
मैं थोडा पास पंहुचा ..
“अम्मा …” मैं बिस्तर में बैठता हुआ बोला
“कुछ मत बोलो निशांत मैंने तुम्हे बेटे की तरह प्यार किया है , तुम्हे पला है , ये जो भी हो रहा है ये अजीब है , लेकिन सच ये है की मैं भी तुमसे मिलन करने को मरी जा रही हु , हा रिस्तो की दिवार हमारे बीच ही , बात ये है की इसे पहले कौन तोड़ेगा , मेरी इतनी हिम्मत नही कि मैं इसे तोड़ पाऊ “
उन्होंने नजरे निचे कर ली , लौडू ने मुझे अंदर से धिक्कारा …
“इन्हें सुख देना तेरा कर्तव्य है चूतिये अब इतना क्या सोच रहा है , इनके बड़े बड़े वक्षो पर ध्यान लगा और कूद जा … तोड़ दे दिवार और हो जा एक , कर ले अपनी अम्मा से सम्भोग “
लौडू चिल्लाया , मैं बुरी तरह से डर के काँप रहा था , ये एक अजीब सी बेचैनी थी , एक तरफ मैं ये नहीं करना चाहता था दूसरी तरफ ये मेरी जिम्मेदारी भी थी , और मेरा शरीर भी अब बागी होने लगा था ..
मैंने अम्मा की सुन्दरता को निहारा , वो अभी भी जवान थी और जवानी के हर लक्षण उनके शरीर में मौजूद थे , हल्का गदराया गोरा अंग साड़ी में लिपटा हुआ मादक लग रहा था , वही पसीने से भीग कर वो और भी हसीन लग रही थी , मैं उनके और पास आया , और उनके साड़ी के अन्दर अपने हाथो को ले जाते हुए मैंने उनके पैरो को पकड लिया ..
“आह “ वो चुह्क गई और शर्म से अपना सर और भी झुका लिया ..
उनकी इस अदा ने मुझे और भी उत्तेजित कर दिया था , मैं हाथो को और भी अंदर डालते हुए उनके जन्घो को सहलाने लगा , उनकी आँखे बंद हो गई , वो मुझे रोकने को छटपटाई और इसी बेचैनी में मेरा हाथ और फिसला और उनके जन्घो के बीच चला गया ..
“आह बेटा रुको “
वो इस उत्तेजना से भरे हवस के वार को झेल नही पा रही थी , वो वही गिर गई और आँखे मूंदे हुए इस सुख का मजा लेने लगी वही मैं भी अब हवास की आंधी में बहने को तैयार था , ये एक अजीब सा अहसास था , मेरे लिए ये शयद पहली बार था , दिल अभी भी जोरो से धडक रहा था , मैंने उनके दोनों पैरो को फैला दिया उनकी साड़ी भी उपर खिसक चुकी थी , मेरा मुह सीधे उनके योनी से जा लगा ..
“आह बेटा …” वो चीख उठी , मैं उनकी योनी को लगभग खा रहा था ..
दोनों के उमंग की सीमा चरम पर पहुच चुकी थी मैंने बिना देर किये उनके अंतःवस्त्रो को उनके जांघ से निकाल दिया और अपने लिंग को उनकी योनी में डालकर उनकी गीली योनी के घर्षण का सुख लेने लगा , वो बिस्तर में पड़ी थी और उनकी साड़ी उनके कमर से उपर थी , निचे के अंगो को छोड़कर बाकि के अंगो में अभी भी कपडे डाले हुए थे …
मैं जोरो से धक्के मरता हुआ उनके चहरे को देख रहा था , एक दिवार टूट चुकी थी और वो आँखे बंद कर इस बंदिश से आजद खोने का मजा ले रही थी , उन्होंने जब आँखे खोली तो मुझे खुद को देखता हुआ पाया , उन्होंने बुरी तरह से शर्मा कर अपना मुह फेर लिया , लेकिन उनके होठो पर एक मुस्कान आ गई थी ..
उनकी इस अदा ने मेरा जोश और भी बढ़ा दिया था और जोश में घोड़े दौड़ता हुआ मैंने उनकी कोख भर दी …
हम दोनों ही एक साथ मजे में चिल्लाये थे , हम शांत हुए और कमरे का दरवाजा खुला , सामने अन्नू मुस्कुराते हुए खड़ी थी , अम्मा बिना कुछ कहे ही जल्दी से उठी और अपने कपड़ो को सही करते हुए कमरे से निकल कर भागी ……
Bahut acha👏👏👏👌
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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उमंगो से भरे उस प्रेम की बरसात ख़त्म हो चुकी थी , हम दोनों एक दुसरे के बांहों में बान्हे डाले लेटे हुए थे , भोर होने को थी की कोकू उठ खड़ी हुई …
“अब मुझे चलना चाहिए ..”
उसने उठते हुए कहा
“फिर कब आओगी “
मैं उसके हाथो को सहला रहा था
“अब कभी नहीं , आपके प्रेम ने मुझे मुक्त किया है अब मैं अपने प्रेम में आपको बंधना नहीं चाहती , आपके प्रेम का जोग लेके मैं जोगिनी बन जाना चाहती हु “
उसकी बातो से मुझे एक झटका सा लगा लेकिन फिर मैं सम्हला, मैं उसके प्रेम की क़द्र करता था …
मैं चुप ही रहा वो फिर से बोली
“प्रेम करना मेरी फितरत में है कुवर लेकिन अब इस जीवन भर ये प्रेम आपका ही रहेगा “
उसके होठो में मुस्कान और आँखों में हल्का पानी था ..
मुझे वो गजल याद आ गई ,
‘जिनके होठो में हँसी पाँव में छाले होंगे , हां वही लोग तेरे चाहने वाले होंगे ‘
मन भारी था उससे बिछड़ने का गम था , लेकिन उसने सही दिशा को चुना इस बात की ख़ुशी भी थी , अब वो किसी की गुलाम नहीं थी , आजादी की कीमत बहुत होती है लेकिन आजादी आजादी होती है …
मैं उसे जाते हुए देखता रहा , उसने एक बार भी मुड़कर पीछे नहीं देखा , शायद उस भी ये डर होगा की कही वो मुड़े और जा ही ना पाए …
*********
मेरा काम इस झील में ख़त्म हो चूका था और मैं अब हवेली जाने को तैयार हो गया , मेरे आने की खबर मुझसे पहले ही वंहा पहुच चुकी थी , ढोल नंगाड़े बजाये जा रहे थे , कई आँखे बेताबी से मेरा दीदार कर रही थी जब मैं गेट के पास पंहुचा तो सामने अंकित , अन्नू और अम्मा खड़े थे , ये तीन A मेरे जीवन के तीन पहलु थे , दोस्ती, प्रेम और परिवार के प्रतिक …
कई आँखे डबडबाई हुई थी , मेरे इन्तजार में कई आँखे बिछी हुई थी , बीते कुछ दिन मेरे जीवन के निर्णायक दिन थे , अब मैं निशांत नहीं रह गया था , पूरी तरह से कुवर बन चूका था , कुवरगढ़ का भविष्य कुवर निशांत सिह ठाकुर ….
मेरे आते ही अम्मा ने बड़े ही प्यार से मेरी आरती की और उसके बाद अन्नू मेरे गले से लग गई …
थोड़ी देर तक वो रोते ही रही , फिर अंकित भी मुझसे लिपट गया …
“बहुत थक गया होगा इसे आराम करने दो , “
आखिर में अम्मा के बोलने पर सब थोडा शांत हुआ , मैं अब अपने कमरे में था और अन्नू मुझसे लिपटी हुई बैठी थी …
“कितना इन्तजार करवा दिया कुवर जी …”
मैंने उसके चहरे को उठाया और उसके होठो पर अपने होठ डाल दिए , मेरी हमदम , मेरी हमराही थी वो , मेरी सबसे अच्छी दोस्त और हमसफर भी , अब मैं उसे हमराज बनाना चाहता था …
“अन्नू तुमसे बहुत सारी बाते करनी है , मेरा ये एक्सीडेंट और फिर मेरा यु ठीक हो जाना , फिर मेरा जंगल में ही यु रुक जाना , बहुत सारे राज है जो तुम्हे बताना जरुरी है आखिर तुम मेरी जीवन संगनी बनने वाली हो “
अन्नू ने प्यार से मेरे गालो पर हाथ फेरा
“फिक्र मत करो , मुझे सब पता है , अम्मा ने मुझे सब बताया , ये भी की उस रात झील के किनारे क्या हुआ और तुम कैसे ठीक हुए , मेरे लिए ये बात अहम नहीं है की तुम कैसे ठीक हुए , ये अहम् है की तुम आज ठीक हो , मेरे साथ हो , मेरे पास हो , मैं तुम्हारे बांहों में हु , मेरे लिए इतना ही काफी है “
“लेकिन शायद तुम्हे पता नहीं की इस गाँव के प्रति मेरी एक जिम्मेदारी भी है “
वो मुस्कुराई
“मुझे सब पता है निशांत ,मैं तुम्हारे और तुम्हारी जिम्मेदारी के बीच कभी नहीं आउंगी , ना ही तुम्हारी शक्तियों के प्रयोग से तुम्हे रोकूंगी , मैं जानती हु की तुम जन्हा भी रहोगे मेरे ही रहोगे “
उसकी बात पर मुझे बहुत प्यार आया और मैंने उसके होठो को अपने होठो में भर लिया …
हम एक दुसरे के होठो में खोये हुए थे की वंहा अम्मा आ गई
“पहले शादी तो हो जाने दो फिर सुहागरात भी मना लेना “
अम्मा की आवाज सुनकर मैं बुरी तरह से सकपकाया , वही अन्नू को जैसे कोई फर्क नहीं पड़ा
“अम्मा आपने तो मेरे पति के साथ सुहागरात के मजे ले लिए और मुझे रोक रही हो “
अन्नू की बात सुनकर अम्मा बुरी तरह से हडबडा गई ..
“चुप कर बेशर्म … “ उनका गोरा चहरा शर्म से लाल हो चूका था , मुझे भी इस बात से बेहद ही असहज महसूस हो रहा था , मैं वंहा से उठ कर जाने लगा , तभी अन्नू ने मेरा हाथ थाम लिया …
“आप कहा चले , दोनों ने मिलकर कांड तो किया है लेकिन स्वीकारने की हालत किसी में नही है , देखो कैसे दोनों नजरे चुरा रहे हो … “
“अन्नू वंहा जो हुआ वो … समझा करो , अम्मा मेरी माँ जैसी है “
मैंने अन्नू को थोडा डांटते हुए कहा , और अन्नू खिलखिला कर हँस पड़ी , अम्मा भी असहज होकर वंहा से जाने लगी लेकिन अन्नू ने जल्दी से उनका हाथ पकड कर उन्हें थाम लिया ..
“ओहो इतनी शर्म भी किस काम की , अम्मा सच सच बताओ की आपको भी मजा आया था या नही “
अम्मा शर्म के मारे पानी पानी हो रही थी , पूरा शरीर पसीने से भीग गया था , माथे का लाल सिंदूर बहकर बिखरने लगा था , गुलाबी रंग की रंगत थोड़ी और भी गुलाबी हो गई थी , और लाल सिंदूर के बिखरने से वो और भी कामुक प्रतीत होने लगी थी , उनकी सांसो में तेजी का अहसास मैं भी कर पा रहा था …
“हाय इतनी कामुकता की मुह से आवाज भी ना निकले “ अन्नू ने अम्मा को चिढाया ..
“चुप कर तू “ वो झूठे गुस्से से अन्नू पर हाथ चला दिया लेकिन अन्नू हंसती हुई बच गई , फिर अन्नू ने एक हरकत कर दी ..
उसने अम्मा के पीछे जाकर अम्मा को मेरे तरफ ढकेल दिया , अम्मा मेरे उपर आ गिरी और उनके साथ मैं बिस्तर में गिर गया ..
अन्नू अम्मा के पीछे आकर चढ़ गई , अब अम्मा मेरे और अन्नू के बीच फंसी हुई थी , वो कोई भी हरकत नहीं कर पा रही थी , वही मैं भी बेहद ही नर्वस हो गया था ,जिस महिला के सामने बात करने से भी मेरी आवाज लडखडा जाती थी उसके साथ ऐसे हालत में होना …
“निशांत तुम्हे बहुत जिम्मेदारिया पूरी करनी है ना , तो शुरुवात तुम्हे अम्मा से ही करनी होगी ,आखिर तुमपर सबसे पहला हक़ इनका ही है , पूरा जीवन ये मर्द के सुख से वांछित रही , और ना ही इन्हें ओलाद का सुख ही मिला , इन्हें दोनों की कमी ना हो ये तूम्हारी जिम्मेदारी है , मैं बाहर से कमरा लगा रही हु मुझे बाहर तक इनकी चीखे सुनाई देनी चाहिए ..”
अन्नू इतना बोलकर तेजी से बाहर की ओर निकली , हम दोनों उसे रोकने की कोशिस करते लेकिन देर हो चुकी थी , दरवाजा बंद हो चूका था , मैंने दरवाजा खटखटाया ..
“अन्नू ये क्या पागलपन है , खोलो दरवाजा ..”
“कुवर पहले घर को तो सम्हाल लो फिर गांव सम्हालना “
अन्नू इतना बोलकर वंहा से जा चुकी थी ..
मैं घबराया हुआ पलटा तो अम्मा की भी हालत किसी सुहागरात की सेज पर बैठे दुल्हन सी थी ..
साड़ी और बाल बिखरे हुए थे , माथे का सिंदूर फैला हुआ था , शेरनी सी अम्मा आज सिकुचाई सी बैठी थी , छतिया तेजी से उपर निचे हो रहे थे और उनके बीच फंसा मंगलसूत्र बाहर निकल आया था , चहरा दमक रहा था लेकिन शर्म से लाल हुआ जा रहा था , उन्हें देख कर मेरा लिंग भी अकड कर तम्बू बन चूका था , अंदर का लौडू फुदक फुदक कर एक मजेदार सम्भोग की कामना कर रहा था लेकिन रिश्तो की मरियादा को मैं यु तोडना नहीं चाहता था ..
“माफ़ करना अम्मा ये अन्नू पागल है कुछ भी बोलती है “
मैं दूर ही खड़े हुए बोला , अम्मा ने एक नजर उठा कर मुझे देखा
“सच ही तो बोल रही है , सभी ओरते तेरी ही आस में बैठी है , तू ही तो उन्हें ख़ुशी देगा …”
“हां लेकिन …” मैं बोलते बोलते रुक गया था , मैं सभी को ख़ुशी देने के लिए आया हु लेकिन क्या अम्मा उस ख़ुशी से वांछित रहेगी ..??
एक सवाल मेरे मन में कौंध गया , एक तरफ रिश्तो की मरियादा तो दूसरी तरफ उनकी ख़ुशी ..
लौडू मेरे अंदर ऐसे फुदक रहा था जैसे कोई दावत मिलने वाली हो , वही मैं एयर कंडीसन की ठडक के बावजूद पसीने से भीगा जा रहा था , मन किया की थोडा पास जाऊ ..
मैं थोडा पास पंहुचा ..
“अम्मा …” मैं बिस्तर में बैठता हुआ बोला
“कुछ मत बोलो निशांत मैंने तुम्हे बेटे की तरह प्यार किया है , तुम्हे पला है , ये जो भी हो रहा है ये अजीब है , लेकिन सच ये है की मैं भी तुमसे मिलन करने को मरी जा रही हु , हा रिस्तो की दिवार हमारे बीच ही , बात ये है की इसे पहले कौन तोड़ेगा , मेरी इतनी हिम्मत नही कि मैं इसे तोड़ पाऊ “
उन्होंने नजरे निचे कर ली , लौडू ने मुझे अंदर से धिक्कारा …
“इन्हें सुख देना तेरा कर्तव्य है चूतिये अब इतना क्या सोच रहा है , इनके बड़े बड़े वक्षो पर ध्यान लगा और कूद जा … तोड़ दे दिवार और हो जा एक , कर ले अपनी अम्मा से सम्भोग “
लौडू चिल्लाया , मैं बुरी तरह से डर के काँप रहा था , ये एक अजीब सी बेचैनी थी , एक तरफ मैं ये नहीं करना चाहता था दूसरी तरफ ये मेरी जिम्मेदारी भी थी , और मेरा शरीर भी अब बागी होने लगा था ..
मैंने अम्मा की सुन्दरता को निहारा , वो अभी भी जवान थी और जवानी के हर लक्षण उनके शरीर में मौजूद थे , हल्का गदराया गोरा अंग साड़ी में लिपटा हुआ मादक लग रहा था , वही पसीने से भीग कर वो और भी हसीन लग रही थी , मैं उनके और पास आया , और उनके साड़ी के अन्दर अपने हाथो को ले जाते हुए मैंने उनके पैरो को पकड लिया ..
“आह “ वो चुह्क गई और शर्म से अपना सर और भी झुका लिया ..
उनकी इस अदा ने मुझे और भी उत्तेजित कर दिया था , मैं हाथो को और भी अंदर डालते हुए उनके जन्घो को सहलाने लगा , उनकी आँखे बंद हो गई , वो मुझे रोकने को छटपटाई और इसी बेचैनी में मेरा हाथ और फिसला और उनके जन्घो के बीच चला गया ..
“आह बेटा रुको “
वो इस उत्तेजना से भरे हवस के वार को झेल नही पा रही थी , वो वही गिर गई और आँखे मूंदे हुए इस सुख का मजा लेने लगी वही मैं भी अब हवास की आंधी में बहने को तैयार था , ये एक अजीब सा अहसास था , मेरे लिए ये शयद पहली बार था , दिल अभी भी जोरो से धडक रहा था , मैंने उनके दोनों पैरो को फैला दिया उनकी साड़ी भी उपर खिसक चुकी थी , मेरा मुह सीधे उनके योनी से जा लगा ..
“आह बेटा …” वो चीख उठी , मैं उनकी योनी को लगभग खा रहा था ..
दोनों के उमंग की सीमा चरम पर पहुच चुकी थी मैंने बिना देर किये उनके अंतःवस्त्रो को उनके जांघ से निकाल दिया और अपने लिंग को उनकी योनी में डालकर उनकी गीली योनी के घर्षण का सुख लेने लगा , वो बिस्तर में पड़ी थी और उनकी साड़ी उनके कमर से उपर थी , निचे के अंगो को छोड़कर बाकि के अंगो में अभी भी कपडे डाले हुए थे …
मैं जोरो से धक्के मरता हुआ उनके चहरे को देख रहा था , एक दिवार टूट चुकी थी और वो आँखे बंद कर इस बंदिश से आजद खोने का मजा ले रही थी , उन्होंने जब आँखे खोली तो मुझे खुद को देखता हुआ पाया , उन्होंने बुरी तरह से शर्मा कर अपना मुह फेर लिया , लेकिन उनके होठो पर एक मुस्कान आ गई थी ..
उनकी इस अदा ने मेरा जोश और भी बढ़ा दिया था और जोश में घोड़े दौड़ता हुआ मैंने उनकी कोख भर दी …
हम दोनों ही एक साथ मजे में चिल्लाये थे , हम शांत हुए और कमरे का दरवाजा खुला , सामने अन्नू मुस्कुराते हुए खड़ी थी , अम्मा बिना कुछ कहे ही जल्दी से उठी और अपने कपड़ो को सही करते हुए कमरे से निकल कर भागी ……
जिनके होठो में हँसी पाँव में छाले होंगे , हां वही लोग तेरे चाहने वाले होंगे ‘

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161
793
93
अध्याय 20
उमंगो से भरे उस प्रेम की बरसात ख़त्म हो चुकी थी , हम दोनों एक दुसरे के बांहों में बान्हे डाले लेटे हुए थे , भोर होने को थी की कोकू उठ खड़ी हुई …
“अब मुझे चलना चाहिए ..”
उसने उठते हुए कहा
“फिर कब आओगी “
मैं उसके हाथो को सहला रहा था
“अब कभी नहीं , आपके प्रेम ने मुझे मुक्त किया है अब मैं अपने प्रेम में आपको बंधना नहीं चाहती , आपके प्रेम का जोग लेके मैं जोगिनी बन जाना चाहती हु “
उसकी बातो से मुझे एक झटका सा लगा लेकिन फिर मैं सम्हला, मैं उसके प्रेम की क़द्र करता था …
मैं चुप ही रहा वो फिर से बोली
“प्रेम करना मेरी फितरत में है कुवर लेकिन अब इस जीवन भर ये प्रेम आपका ही रहेगा “
उसके होठो में मुस्कान और आँखों में हल्का पानी था ..
मुझे वो गजल याद आ गई ,
‘जिनके होठो में हँसी पाँव में छाले होंगे , हां वही लोग तेरे चाहने वाले होंगे ‘
मन भारी था उससे बिछड़ने का गम था , लेकिन उसने सही दिशा को चुना इस बात की ख़ुशी भी थी , अब वो किसी की गुलाम नहीं थी , आजादी की कीमत बहुत होती है लेकिन आजादी आजादी होती है …
मैं उसे जाते हुए देखता रहा , उसने एक बार भी मुड़कर पीछे नहीं देखा , शायद उस भी ये डर होगा की कही वो मुड़े और जा ही ना पाए …
*********
मेरा काम इस झील में ख़त्म हो चूका था और मैं अब हवेली जाने को तैयार हो गया , मेरे आने की खबर मुझसे पहले ही वंहा पहुच चुकी थी , ढोल नंगाड़े बजाये जा रहे थे , कई आँखे बेताबी से मेरा दीदार कर रही थी जब मैं गेट के पास पंहुचा तो सामने अंकित , अन्नू और अम्मा खड़े थे , ये तीन A मेरे जीवन के तीन पहलु थे , दोस्ती, प्रेम और परिवार के प्रतिक …
कई आँखे डबडबाई हुई थी , मेरे इन्तजार में कई आँखे बिछी हुई थी , बीते कुछ दिन मेरे जीवन के निर्णायक दिन थे , अब मैं निशांत नहीं रह गया था , पूरी तरह से कुवर बन चूका था , कुवरगढ़ का भविष्य कुवर निशांत सिह ठाकुर ….
मेरे आते ही अम्मा ने बड़े ही प्यार से मेरी आरती की और उसके बाद अन्नू मेरे गले से लग गई …
थोड़ी देर तक वो रोते ही रही , फिर अंकित भी मुझसे लिपट गया …
“बहुत थक गया होगा इसे आराम करने दो , “
आखिर में अम्मा के बोलने पर सब थोडा शांत हुआ , मैं अब अपने कमरे में था और अन्नू मुझसे लिपटी हुई बैठी थी …
“कितना इन्तजार करवा दिया कुवर जी …”
मैंने उसके चहरे को उठाया और उसके होठो पर अपने होठ डाल दिए , मेरी हमदम , मेरी हमराही थी वो , मेरी सबसे अच्छी दोस्त और हमसफर भी , अब मैं उसे हमराज बनाना चाहता था …
“अन्नू तुमसे बहुत सारी बाते करनी है , मेरा ये एक्सीडेंट और फिर मेरा यु ठीक हो जाना , फिर मेरा जंगल में ही यु रुक जाना , बहुत सारे राज है जो तुम्हे बताना जरुरी है आखिर तुम मेरी जीवन संगनी बनने वाली हो “
अन्नू ने प्यार से मेरे गालो पर हाथ फेरा
“फिक्र मत करो , मुझे सब पता है , अम्मा ने मुझे सब बताया , ये भी की उस रात झील के किनारे क्या हुआ और तुम कैसे ठीक हुए , मेरे लिए ये बात अहम नहीं है की तुम कैसे ठीक हुए , ये अहम् है की तुम आज ठीक हो , मेरे साथ हो , मेरे पास हो , मैं तुम्हारे बांहों में हु , मेरे लिए इतना ही काफी है “
“लेकिन शायद तुम्हे पता नहीं की इस गाँव के प्रति मेरी एक जिम्मेदारी भी है “
वो मुस्कुराई
“मुझे सब पता है निशांत ,मैं तुम्हारे और तुम्हारी जिम्मेदारी के बीच कभी नहीं आउंगी , ना ही तुम्हारी शक्तियों के प्रयोग से तुम्हे रोकूंगी , मैं जानती हु की तुम जन्हा भी रहोगे मेरे ही रहोगे “
उसकी बात पर मुझे बहुत प्यार आया और मैंने उसके होठो को अपने होठो में भर लिया …
हम एक दुसरे के होठो में खोये हुए थे की वंहा अम्मा आ गई
“पहले शादी तो हो जाने दो फिर सुहागरात भी मना लेना “
अम्मा की आवाज सुनकर मैं बुरी तरह से सकपकाया , वही अन्नू को जैसे कोई फर्क नहीं पड़ा
“अम्मा आपने तो मेरे पति के साथ सुहागरात के मजे ले लिए और मुझे रोक रही हो “
अन्नू की बात सुनकर अम्मा बुरी तरह से हडबडा गई ..
“चुप कर बेशर्म … “ उनका गोरा चहरा शर्म से लाल हो चूका था , मुझे भी इस बात से बेहद ही असहज महसूस हो रहा था , मैं वंहा से उठ कर जाने लगा , तभी अन्नू ने मेरा हाथ थाम लिया …
“आप कहा चले , दोनों ने मिलकर कांड तो किया है लेकिन स्वीकारने की हालत किसी में नही है , देखो कैसे दोनों नजरे चुरा रहे हो … “
“अन्नू वंहा जो हुआ वो … समझा करो , अम्मा मेरी माँ जैसी है “
मैंने अन्नू को थोडा डांटते हुए कहा , और अन्नू खिलखिला कर हँस पड़ी , अम्मा भी असहज होकर वंहा से जाने लगी लेकिन अन्नू ने जल्दी से उनका हाथ पकड कर उन्हें थाम लिया ..
“ओहो इतनी शर्म भी किस काम की , अम्मा सच सच बताओ की आपको भी मजा आया था या नही “
अम्मा शर्म के मारे पानी पानी हो रही थी , पूरा शरीर पसीने से भीग गया था , माथे का लाल सिंदूर बहकर बिखरने लगा था , गुलाबी रंग की रंगत थोड़ी और भी गुलाबी हो गई थी , और लाल सिंदूर के बिखरने से वो और भी कामुक प्रतीत होने लगी थी , उनकी सांसो में तेजी का अहसास मैं भी कर पा रहा था …
“हाय इतनी कामुकता की मुह से आवाज भी ना निकले “ अन्नू ने अम्मा को चिढाया ..
“चुप कर तू “ वो झूठे गुस्से से अन्नू पर हाथ चला दिया लेकिन अन्नू हंसती हुई बच गई , फिर अन्नू ने एक हरकत कर दी ..
उसने अम्मा के पीछे जाकर अम्मा को मेरे तरफ ढकेल दिया , अम्मा मेरे उपर आ गिरी और उनके साथ मैं बिस्तर में गिर गया ..
अन्नू अम्मा के पीछे आकर चढ़ गई , अब अम्मा मेरे और अन्नू के बीच फंसी हुई थी , वो कोई भी हरकत नहीं कर पा रही थी , वही मैं भी बेहद ही नर्वस हो गया था ,जिस महिला के सामने बात करने से भी मेरी आवाज लडखडा जाती थी उसके साथ ऐसे हालत में होना …
“निशांत तुम्हे बहुत जिम्मेदारिया पूरी करनी है ना , तो शुरुवात तुम्हे अम्मा से ही करनी होगी ,आखिर तुमपर सबसे पहला हक़ इनका ही है , पूरा जीवन ये मर्द के सुख से वांछित रही , और ना ही इन्हें ओलाद का सुख ही मिला , इन्हें दोनों की कमी ना हो ये तूम्हारी जिम्मेदारी है , मैं बाहर से कमरा लगा रही हु मुझे बाहर तक इनकी चीखे सुनाई देनी चाहिए ..”
अन्नू इतना बोलकर तेजी से बाहर की ओर निकली , हम दोनों उसे रोकने की कोशिस करते लेकिन देर हो चुकी थी , दरवाजा बंद हो चूका था , मैंने दरवाजा खटखटाया ..
“अन्नू ये क्या पागलपन है , खोलो दरवाजा ..”
“कुवर पहले घर को तो सम्हाल लो फिर गांव सम्हालना “
अन्नू इतना बोलकर वंहा से जा चुकी थी ..
मैं घबराया हुआ पलटा तो अम्मा की भी हालत किसी सुहागरात की सेज पर बैठे दुल्हन सी थी ..
साड़ी और बाल बिखरे हुए थे , माथे का सिंदूर फैला हुआ था , शेरनी सी अम्मा आज सिकुचाई सी बैठी थी , छतिया तेजी से उपर निचे हो रहे थे और उनके बीच फंसा मंगलसूत्र बाहर निकल आया था , चहरा दमक रहा था लेकिन शर्म से लाल हुआ जा रहा था , उन्हें देख कर मेरा लिंग भी अकड कर तम्बू बन चूका था , अंदर का लौडू फुदक फुदक कर एक मजेदार सम्भोग की कामना कर रहा था लेकिन रिश्तो की मरियादा को मैं यु तोडना नहीं चाहता था ..
“माफ़ करना अम्मा ये अन्नू पागल है कुछ भी बोलती है “
मैं दूर ही खड़े हुए बोला , अम्मा ने एक नजर उठा कर मुझे देखा
“सच ही तो बोल रही है , सभी ओरते तेरी ही आस में बैठी है , तू ही तो उन्हें ख़ुशी देगा …”
“हां लेकिन …” मैं बोलते बोलते रुक गया था , मैं सभी को ख़ुशी देने के लिए आया हु लेकिन क्या अम्मा उस ख़ुशी से वांछित रहेगी ..??
एक सवाल मेरे मन में कौंध गया , एक तरफ रिश्तो की मरियादा तो दूसरी तरफ उनकी ख़ुशी ..
लौडू मेरे अंदर ऐसे फुदक रहा था जैसे कोई दावत मिलने वाली हो , वही मैं एयर कंडीसन की ठडक के बावजूद पसीने से भीगा जा रहा था , मन किया की थोडा पास जाऊ ..
मैं थोडा पास पंहुचा ..
“अम्मा …” मैं बिस्तर में बैठता हुआ बोला
“कुछ मत बोलो निशांत मैंने तुम्हे बेटे की तरह प्यार किया है , तुम्हे पला है , ये जो भी हो रहा है ये अजीब है , लेकिन सच ये है की मैं भी तुमसे मिलन करने को मरी जा रही हु , हा रिस्तो की दिवार हमारे बीच ही , बात ये है की इसे पहले कौन तोड़ेगा , मेरी इतनी हिम्मत नही कि मैं इसे तोड़ पाऊ “
उन्होंने नजरे निचे कर ली , लौडू ने मुझे अंदर से धिक्कारा …
“इन्हें सुख देना तेरा कर्तव्य है चूतिये अब इतना क्या सोच रहा है , इनके बड़े बड़े वक्षो पर ध्यान लगा और कूद जा … तोड़ दे दिवार और हो जा एक , कर ले अपनी अम्मा से सम्भोग “
लौडू चिल्लाया , मैं बुरी तरह से डर के काँप रहा था , ये एक अजीब सी बेचैनी थी , एक तरफ मैं ये नहीं करना चाहता था दूसरी तरफ ये मेरी जिम्मेदारी भी थी , और मेरा शरीर भी अब बागी होने लगा था ..
मैंने अम्मा की सुन्दरता को निहारा , वो अभी भी जवान थी और जवानी के हर लक्षण उनके शरीर में मौजूद थे , हल्का गदराया गोरा अंग साड़ी में लिपटा हुआ मादक लग रहा था , वही पसीने से भीग कर वो और भी हसीन लग रही थी , मैं उनके और पास आया , और उनके साड़ी के अन्दर अपने हाथो को ले जाते हुए मैंने उनके पैरो को पकड लिया ..
“आह “ वो चुह्क गई और शर्म से अपना सर और भी झुका लिया ..
उनकी इस अदा ने मुझे और भी उत्तेजित कर दिया था , मैं हाथो को और भी अंदर डालते हुए उनके जन्घो को सहलाने लगा , उनकी आँखे बंद हो गई , वो मुझे रोकने को छटपटाई और इसी बेचैनी में मेरा हाथ और फिसला और उनके जन्घो के बीच चला गया ..
“आह बेटा रुको “
वो इस उत्तेजना से भरे हवस के वार को झेल नही पा रही थी , वो वही गिर गई और आँखे मूंदे हुए इस सुख का मजा लेने लगी वही मैं भी अब हवास की आंधी में बहने को तैयार था , ये एक अजीब सा अहसास था , मेरे लिए ये शयद पहली बार था , दिल अभी भी जोरो से धडक रहा था , मैंने उनके दोनों पैरो को फैला दिया उनकी साड़ी भी उपर खिसक चुकी थी , मेरा मुह सीधे उनके योनी से जा लगा ..
“आह बेटा …” वो चीख उठी , मैं उनकी योनी को लगभग खा रहा था ..
दोनों के उमंग की सीमा चरम पर पहुच चुकी थी मैंने बिना देर किये उनके अंतःवस्त्रो को उनके जांघ से निकाल दिया और अपने लिंग को उनकी योनी में डालकर उनकी गीली योनी के घर्षण का सुख लेने लगा , वो बिस्तर में पड़ी थी और उनकी साड़ी उनके कमर से उपर थी , निचे के अंगो को छोड़कर बाकि के अंगो में अभी भी कपडे डाले हुए थे …
मैं जोरो से धक्के मरता हुआ उनके चहरे को देख रहा था , एक दिवार टूट चुकी थी और वो आँखे बंद कर इस बंदिश से आजद खोने का मजा ले रही थी , उन्होंने जब आँखे खोली तो मुझे खुद को देखता हुआ पाया , उन्होंने बुरी तरह से शर्मा कर अपना मुह फेर लिया , लेकिन उनके होठो पर एक मुस्कान आ गई थी ..
उनकी इस अदा ने मेरा जोश और भी बढ़ा दिया था और जोश में घोड़े दौड़ता हुआ मैंने उनकी कोख भर दी …
हम दोनों ही एक साथ मजे में चिल्लाये थे , हम शांत हुए और कमरे का दरवाजा खुला , सामने अन्नू मुस्कुराते हुए खड़ी थी , अम्मा बिना कुछ कहे ही जल्दी से उठी और अपने कपड़ो को सही करते हुए कमरे से निकल कर भागी ……
Lodu ko maja de diya tumne aakhir
 

imdelta

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1,020
138
अध्याय 20
उमंगो से भरे उस प्रेम की बरसात ख़त्म हो चुकी थी , हम दोनों एक दुसरे के बांहों में बान्हे डाले लेटे हुए थे , भोर होने को थी की कोकू उठ खड़ी हुई …
“अब मुझे चलना चाहिए ..”
उसने उठते हुए कहा
“फिर कब आओगी “
मैं उसके हाथो को सहला रहा था
“अब कभी नहीं , आपके प्रेम ने मुझे मुक्त किया है अब मैं अपने प्रेम में आपको बंधना नहीं चाहती , आपके प्रेम का जोग लेके मैं जोगिनी बन जाना चाहती हु “
उसकी बातो से मुझे एक झटका सा लगा लेकिन फिर मैं सम्हला, मैं उसके प्रेम की क़द्र करता था …
मैं चुप ही रहा वो फिर से बोली
“प्रेम करना मेरी फितरत में है कुवर लेकिन अब इस जीवन भर ये प्रेम आपका ही रहेगा “
उसके होठो में मुस्कान और आँखों में हल्का पानी था ..
मुझे वो गजल याद आ गई ,
‘जिनके होठो में हँसी पाँव में छाले होंगे , हां वही लोग तेरे चाहने वाले होंगे ‘
मन भारी था उससे बिछड़ने का गम था , लेकिन उसने सही दिशा को चुना इस बात की ख़ुशी भी थी , अब वो किसी की गुलाम नहीं थी , आजादी की कीमत बहुत होती है लेकिन आजादी आजादी होती है …
मैं उसे जाते हुए देखता रहा , उसने एक बार भी मुड़कर पीछे नहीं देखा , शायद उस भी ये डर होगा की कही वो मुड़े और जा ही ना पाए …
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मेरा काम इस झील में ख़त्म हो चूका था और मैं अब हवेली जाने को तैयार हो गया , मेरे आने की खबर मुझसे पहले ही वंहा पहुच चुकी थी , ढोल नंगाड़े बजाये जा रहे थे , कई आँखे बेताबी से मेरा दीदार कर रही थी जब मैं गेट के पास पंहुचा तो सामने अंकित , अन्नू और अम्मा खड़े थे , ये तीन A मेरे जीवन के तीन पहलु थे , दोस्ती, प्रेम और परिवार के प्रतिक …
कई आँखे डबडबाई हुई थी , मेरे इन्तजार में कई आँखे बिछी हुई थी , बीते कुछ दिन मेरे जीवन के निर्णायक दिन थे , अब मैं निशांत नहीं रह गया था , पूरी तरह से कुवर बन चूका था , कुवरगढ़ का भविष्य कुवर निशांत सिह ठाकुर ….
मेरे आते ही अम्मा ने बड़े ही प्यार से मेरी आरती की और उसके बाद अन्नू मेरे गले से लग गई …
थोड़ी देर तक वो रोते ही रही , फिर अंकित भी मुझसे लिपट गया …
“बहुत थक गया होगा इसे आराम करने दो , “
आखिर में अम्मा के बोलने पर सब थोडा शांत हुआ , मैं अब अपने कमरे में था और अन्नू मुझसे लिपटी हुई बैठी थी …
“कितना इन्तजार करवा दिया कुवर जी …”
मैंने उसके चहरे को उठाया और उसके होठो पर अपने होठ डाल दिए , मेरी हमदम , मेरी हमराही थी वो , मेरी सबसे अच्छी दोस्त और हमसफर भी , अब मैं उसे हमराज बनाना चाहता था …
“अन्नू तुमसे बहुत सारी बाते करनी है , मेरा ये एक्सीडेंट और फिर मेरा यु ठीक हो जाना , फिर मेरा जंगल में ही यु रुक जाना , बहुत सारे राज है जो तुम्हे बताना जरुरी है आखिर तुम मेरी जीवन संगनी बनने वाली हो “
अन्नू ने प्यार से मेरे गालो पर हाथ फेरा
“फिक्र मत करो , मुझे सब पता है , अम्मा ने मुझे सब बताया , ये भी की उस रात झील के किनारे क्या हुआ और तुम कैसे ठीक हुए , मेरे लिए ये बात अहम नहीं है की तुम कैसे ठीक हुए , ये अहम् है की तुम आज ठीक हो , मेरे साथ हो , मेरे पास हो , मैं तुम्हारे बांहों में हु , मेरे लिए इतना ही काफी है “
“लेकिन शायद तुम्हे पता नहीं की इस गाँव के प्रति मेरी एक जिम्मेदारी भी है “
वो मुस्कुराई
“मुझे सब पता है निशांत ,मैं तुम्हारे और तुम्हारी जिम्मेदारी के बीच कभी नहीं आउंगी , ना ही तुम्हारी शक्तियों के प्रयोग से तुम्हे रोकूंगी , मैं जानती हु की तुम जन्हा भी रहोगे मेरे ही रहोगे “
उसकी बात पर मुझे बहुत प्यार आया और मैंने उसके होठो को अपने होठो में भर लिया …
हम एक दुसरे के होठो में खोये हुए थे की वंहा अम्मा आ गई
“पहले शादी तो हो जाने दो फिर सुहागरात भी मना लेना “
अम्मा की आवाज सुनकर मैं बुरी तरह से सकपकाया , वही अन्नू को जैसे कोई फर्क नहीं पड़ा
“अम्मा आपने तो मेरे पति के साथ सुहागरात के मजे ले लिए और मुझे रोक रही हो “
अन्नू की बात सुनकर अम्मा बुरी तरह से हडबडा गई ..
“चुप कर बेशर्म … “ उनका गोरा चहरा शर्म से लाल हो चूका था , मुझे भी इस बात से बेहद ही असहज महसूस हो रहा था , मैं वंहा से उठ कर जाने लगा , तभी अन्नू ने मेरा हाथ थाम लिया …
“आप कहा चले , दोनों ने मिलकर कांड तो किया है लेकिन स्वीकारने की हालत किसी में नही है , देखो कैसे दोनों नजरे चुरा रहे हो … “
“अन्नू वंहा जो हुआ वो … समझा करो , अम्मा मेरी माँ जैसी है “
मैंने अन्नू को थोडा डांटते हुए कहा , और अन्नू खिलखिला कर हँस पड़ी , अम्मा भी असहज होकर वंहा से जाने लगी लेकिन अन्नू ने जल्दी से उनका हाथ पकड कर उन्हें थाम लिया ..
“ओहो इतनी शर्म भी किस काम की , अम्मा सच सच बताओ की आपको भी मजा आया था या नही “
अम्मा शर्म के मारे पानी पानी हो रही थी , पूरा शरीर पसीने से भीग गया था , माथे का लाल सिंदूर बहकर बिखरने लगा था , गुलाबी रंग की रंगत थोड़ी और भी गुलाबी हो गई थी , और लाल सिंदूर के बिखरने से वो और भी कामुक प्रतीत होने लगी थी , उनकी सांसो में तेजी का अहसास मैं भी कर पा रहा था …
“हाय इतनी कामुकता की मुह से आवाज भी ना निकले “ अन्नू ने अम्मा को चिढाया ..
“चुप कर तू “ वो झूठे गुस्से से अन्नू पर हाथ चला दिया लेकिन अन्नू हंसती हुई बच गई , फिर अन्नू ने एक हरकत कर दी ..
उसने अम्मा के पीछे जाकर अम्मा को मेरे तरफ ढकेल दिया , अम्मा मेरे उपर आ गिरी और उनके साथ मैं बिस्तर में गिर गया ..
अन्नू अम्मा के पीछे आकर चढ़ गई , अब अम्मा मेरे और अन्नू के बीच फंसी हुई थी , वो कोई भी हरकत नहीं कर पा रही थी , वही मैं भी बेहद ही नर्वस हो गया था ,जिस महिला के सामने बात करने से भी मेरी आवाज लडखडा जाती थी उसके साथ ऐसे हालत में होना …
“निशांत तुम्हे बहुत जिम्मेदारिया पूरी करनी है ना , तो शुरुवात तुम्हे अम्मा से ही करनी होगी ,आखिर तुमपर सबसे पहला हक़ इनका ही है , पूरा जीवन ये मर्द के सुख से वांछित रही , और ना ही इन्हें ओलाद का सुख ही मिला , इन्हें दोनों की कमी ना हो ये तूम्हारी जिम्मेदारी है , मैं बाहर से कमरा लगा रही हु मुझे बाहर तक इनकी चीखे सुनाई देनी चाहिए ..”
अन्नू इतना बोलकर तेजी से बाहर की ओर निकली , हम दोनों उसे रोकने की कोशिस करते लेकिन देर हो चुकी थी , दरवाजा बंद हो चूका था , मैंने दरवाजा खटखटाया ..
“अन्नू ये क्या पागलपन है , खोलो दरवाजा ..”
“कुवर पहले घर को तो सम्हाल लो फिर गांव सम्हालना “
अन्नू इतना बोलकर वंहा से जा चुकी थी ..
मैं घबराया हुआ पलटा तो अम्मा की भी हालत किसी सुहागरात की सेज पर बैठे दुल्हन सी थी ..
साड़ी और बाल बिखरे हुए थे , माथे का सिंदूर फैला हुआ था , शेरनी सी अम्मा आज सिकुचाई सी बैठी थी , छतिया तेजी से उपर निचे हो रहे थे और उनके बीच फंसा मंगलसूत्र बाहर निकल आया था , चहरा दमक रहा था लेकिन शर्म से लाल हुआ जा रहा था , उन्हें देख कर मेरा लिंग भी अकड कर तम्बू बन चूका था , अंदर का लौडू फुदक फुदक कर एक मजेदार सम्भोग की कामना कर रहा था लेकिन रिश्तो की मरियादा को मैं यु तोडना नहीं चाहता था ..
“माफ़ करना अम्मा ये अन्नू पागल है कुछ भी बोलती है “
मैं दूर ही खड़े हुए बोला , अम्मा ने एक नजर उठा कर मुझे देखा
“सच ही तो बोल रही है , सभी ओरते तेरी ही आस में बैठी है , तू ही तो उन्हें ख़ुशी देगा …”
“हां लेकिन …” मैं बोलते बोलते रुक गया था , मैं सभी को ख़ुशी देने के लिए आया हु लेकिन क्या अम्मा उस ख़ुशी से वांछित रहेगी ..??
एक सवाल मेरे मन में कौंध गया , एक तरफ रिश्तो की मरियादा तो दूसरी तरफ उनकी ख़ुशी ..
लौडू मेरे अंदर ऐसे फुदक रहा था जैसे कोई दावत मिलने वाली हो , वही मैं एयर कंडीसन की ठडक के बावजूद पसीने से भीगा जा रहा था , मन किया की थोडा पास जाऊ ..
मैं थोडा पास पंहुचा ..
“अम्मा …” मैं बिस्तर में बैठता हुआ बोला
“कुछ मत बोलो निशांत मैंने तुम्हे बेटे की तरह प्यार किया है , तुम्हे पला है , ये जो भी हो रहा है ये अजीब है , लेकिन सच ये है की मैं भी तुमसे मिलन करने को मरी जा रही हु , हा रिस्तो की दिवार हमारे बीच ही , बात ये है की इसे पहले कौन तोड़ेगा , मेरी इतनी हिम्मत नही कि मैं इसे तोड़ पाऊ “
उन्होंने नजरे निचे कर ली , लौडू ने मुझे अंदर से धिक्कारा …
“इन्हें सुख देना तेरा कर्तव्य है चूतिये अब इतना क्या सोच रहा है , इनके बड़े बड़े वक्षो पर ध्यान लगा और कूद जा … तोड़ दे दिवार और हो जा एक , कर ले अपनी अम्मा से सम्भोग “
लौडू चिल्लाया , मैं बुरी तरह से डर के काँप रहा था , ये एक अजीब सी बेचैनी थी , एक तरफ मैं ये नहीं करना चाहता था दूसरी तरफ ये मेरी जिम्मेदारी भी थी , और मेरा शरीर भी अब बागी होने लगा था ..
मैंने अम्मा की सुन्दरता को निहारा , वो अभी भी जवान थी और जवानी के हर लक्षण उनके शरीर में मौजूद थे , हल्का गदराया गोरा अंग साड़ी में लिपटा हुआ मादक लग रहा था , वही पसीने से भीग कर वो और भी हसीन लग रही थी , मैं उनके और पास आया , और उनके साड़ी के अन्दर अपने हाथो को ले जाते हुए मैंने उनके पैरो को पकड लिया ..
“आह “ वो चुह्क गई और शर्म से अपना सर और भी झुका लिया ..
उनकी इस अदा ने मुझे और भी उत्तेजित कर दिया था , मैं हाथो को और भी अंदर डालते हुए उनके जन्घो को सहलाने लगा , उनकी आँखे बंद हो गई , वो मुझे रोकने को छटपटाई और इसी बेचैनी में मेरा हाथ और फिसला और उनके जन्घो के बीच चला गया ..
“आह बेटा रुको “
वो इस उत्तेजना से भरे हवस के वार को झेल नही पा रही थी , वो वही गिर गई और आँखे मूंदे हुए इस सुख का मजा लेने लगी वही मैं भी अब हवास की आंधी में बहने को तैयार था , ये एक अजीब सा अहसास था , मेरे लिए ये शयद पहली बार था , दिल अभी भी जोरो से धडक रहा था , मैंने उनके दोनों पैरो को फैला दिया उनकी साड़ी भी उपर खिसक चुकी थी , मेरा मुह सीधे उनके योनी से जा लगा ..
“आह बेटा …” वो चीख उठी , मैं उनकी योनी को लगभग खा रहा था ..
दोनों के उमंग की सीमा चरम पर पहुच चुकी थी मैंने बिना देर किये उनके अंतःवस्त्रो को उनके जांघ से निकाल दिया और अपने लिंग को उनकी योनी में डालकर उनकी गीली योनी के घर्षण का सुख लेने लगा , वो बिस्तर में पड़ी थी और उनकी साड़ी उनके कमर से उपर थी , निचे के अंगो को छोड़कर बाकि के अंगो में अभी भी कपडे डाले हुए थे …
मैं जोरो से धक्के मरता हुआ उनके चहरे को देख रहा था , एक दिवार टूट चुकी थी और वो आँखे बंद कर इस बंदिश से आजद खोने का मजा ले रही थी , उन्होंने जब आँखे खोली तो मुझे खुद को देखता हुआ पाया , उन्होंने बुरी तरह से शर्मा कर अपना मुह फेर लिया , लेकिन उनके होठो पर एक मुस्कान आ गई थी ..
उनकी इस अदा ने मेरा जोश और भी बढ़ा दिया था और जोश में घोड़े दौड़ता हुआ मैंने उनकी कोख भर दी …
हम दोनों ही एक साथ मजे में चिल्लाये थे , हम शांत हुए और कमरे का दरवाजा खुला , सामने अन्नू मुस्कुराते हुए खड़ी थी , अम्मा बिना कुछ कहे ही जल्दी से उठी और अपने कपड़ो को सही करते हुए कमरे से निकल कर भागी ……

Samaj nhi aa rha ye anu kiski kmi puri kar rahi he
Ya
Koi nya suspense la rahi he
 

Innocent_devil

Evil by heart angel by mind 🖤
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mai barastī hai fazāoñ pe nasha taarī hai

mere saaqī ne kahīñ jaam uchhāle hoñge



BHai ek request hai . Sex scenes ko thoda detail me likhiye . Direct chodampatti me mood nahi ban paata . Foreplay jyada rakhiye , sex scenes ko erotica jaise likhiye . Bas padhte padhte hi logo k yoni aur ling me paani chhalak jaaye .
 

DARK WOLFKING

Supreme
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अध्याय 19
रात का वक्त था जब मुझे पायलो की आवाज सुने दी ,
मैं आराम से उस पत्थर पर बैठा हुआ था , यही सोच रहा था की मुझे आगे क्या करना है …
“कैसे हो मेरे सजन “
कोकू की मदहोश आवाज मेरे कानो में पड़ी “
“बस तुम्हारे बारे में ही सोच रहा था ..” मैंने मुस्कुराते हुए कहा
“ओह क्या सोच रहे थे ..??”
वो इठलाते हुए मेरे गोद में आकर बैठ गई , कोई देखे तो शायद यकीन ना कर पाए की ये कोई आम इन्सान नहीं बल्कि एक शक्तिशाली प्रजाति की चुड़ैल है ..
मैंने प्यार से उसके गालो में एक चुम्मन लिया , वो थोड़ी मचली और अपने शरीर को मेरे लिए सोपते हुए खुद को ढीला छोड़ दिया , मैंने उसकी कमर को सहलाते हुए उसके गालो में फिर से एक चुम्मन किया …
“मैं सोच रहा था की तुम कितनी प्यारी हो , लेकिन … “
“लेकिन क्या ..??”
“लेकिन फिर भी मैं तुमसे प्यार नहीं करता , हा मैं तुम्हे चाहता जरुर हु, तुम्हे पाने की एक तीव्र इक्छा मेरे अंदर है लेकिन … मैं किसी और से प्रेम करता हु “
मेरी बात सुनकर वो उठ कर खड़ी हो गई , वो मेरे सामने ही थी , अचानक से एक हवा आई और उसके बाल पूरी तरह से बिखर गए , उसकी आँखे एकटक मुझे ही देखे जा रही थी …
“मतलब मैं तुम्हारे लिए सिर्फ एक रंडी हु , जिसे तुम जब चाहोगे बस भोगोगे और उसके बाद … उसके बाद मैं तुम्हारी कुछ नहीं …”
मैं जानता था की ये होने वाला है, मैं ये भी जानता था की ये खतरनाक हो सकता है , लेकिन उसे आजाद करने का यही एक रास्ता मुझे मिला था की मैं उसे सच सच बता दू …
“नही ऐसी बात तो नहीं , लेकिन मैं तुमसे प्यार नहीं करता और यही सच है , मेरे दिल में तुम्हारे लिए सम्मान है लेकिन …”
“सम्मान …” वो जोरो से चिल्लाई , माहोल अजीब सा हो गया था , चारो ओर पत्ते उड़ने लगे थे, झील का पानी अचानक से शोर करने लगा था , हवाए तेज हो गई थी , कोकू की सफ़ेद आँखों में रक्त उतरने लगा था ..
“मेरे जिस्म को भोगने को तुम सम्मान कहते हो , तुम्हे बस मेरा जिस्म प्यारा है , मैं नहीं … तुम मुझे एक रखैल बना कर रखना चाहते हो , अपनी गुलाम .. जैसा मेरे साथ हमेशा से लोग करते आये है … तुम भी वैसे ही हो … हो ना … सभी पहले प्रेम का दिखावा करते है , 15 दिनों तक रोज सम्भोग करके मुझे अपनी गुलाम बना लेते है और उसके बाद उनकी असलियत सामने आती है ,.. तुम भी वैसे ही हो ..”
वो गुस्से से लाल हो रही थी लेकिन मेरे चहरे मे महज एक मुस्कान थी ..
“मैं सच में तुम्हारा सम्मान करता हु ,इसलिए और मैं तुम्हे गुलाम नहीं बनाना चाहता , बल्कि तुम्हे मुक्त करना चाहता हु ,जिससे तुम फिर से किसी दुष्ट के प्रेम में ना पड़ जाओ , मैं चाहता हु की तुम मेरे भी प्रेम में ना पड़ो …”
मेरी बात का जैसे उसपर कोई असर नहीं हुआ , हवाए बहुत तेज हो गई थी , वो हवा में उठने लगी , चारो ओर एक बवंडर सा उठने लगा था , झील का शांत पानी हिलोरे मारता हुआ बड़ी बड़ी लहरे बना रहा था , पत्तिया और धुल बवंडर की चपेट में आकर मेरे गोल गोल घूम रहे थे …
“तुमने मुझे धोखा दिया , मुझे फ़साने की कोशिस की …”
उसकी बात सुनकर मेरा दिमाग ख़राब हो गया …
“साला ये तुम लडकियों की प्रोब्लम क्या है , अगर तुमसे झूठ बोलकर प्यार का दिखावा करो तो तुम लोग सोना बाबु बोलकर सब कुछ खोलकर सामने रख देती हो , लेकिन अगर कोई सच्चा आदमी मिल जाए जो तुम्हे सच बता दे तो तुम्हे लगता है की उसने तुम्हारे साथ खिलवाड़ किया ..??? मैं चाहता तो तुम्हे प्यार के झूठे सपने दिखता रहता और 15 दिनों के बाद तुम खुद ब खुद मेरी गुलाम बन जाती , उसके बाद मैं तुम्हारा जैसा चाहता वैसा इस्तमाल करता , लेकिन मैं तुम्हे गुलाम नहीं बनाना चाहता , मैंने तुम्हे सच बता दिया , मैं तुम्हे इस दुष्चक्र से मुक्त करना चाहता हु और तुम मुझे मरने पर उतारू हो गई , अरे प्यार क्या कोई खेल है जो किसी से भी हो जायेगा , मैं किसी और से प्यार करता हु और करता रहूँगा , हां तुम्हे मेरे साथ कुछ करना है तो तुम्हारा स्वागत है , वरना जाओ यंहा से तुम मुक्त हो जाओ …या फिर अभी मुझे मार दो मैं यही खड़ा हु ”
मैंने चिल्ला कर ये कहा था , वो मेरी बात सुनकर वो शांत हो गई और उसके साथ पूरा माहोल ही शांत हो गया , लेकिन अभी भी वो मुझे गुस्से से देख रही थी …
“मैं तुमसे प्यार करने लगी थी कुवर “
उसने चिल्लाते हुए कहा , उसकी बात सुनकर मैं जोरो से हँस पड़ा
“नहीं कोकू तुम मुझसे प्यार नहीं करती थी , हा तुम्हे ये लगता जरुर है , क्योकि तुम्हे बनाया ही ऐसा गया है की जो तुम्हारी परीक्षा में पास हो जाये तूम उसके प्यार में पड़ जाओगी , तुम ही नहीं तुम्हारे जैसी जो भी चुड़ैले है उनका यही हाल होता है , और इसी बात का फायदा जादूगर और तांत्रिक उठाते है तूम जैसी चुड़ैल को बस में करने के लिए … ये देखो “
मैंने वो पुस्तक उसके सामने खोल कर रख दी ,
“मैंने भी ये पढ़ी और ये जाना ही की तुम्हे मुक्त कैसे किया जाए , हा ये अलग बात है की इसके लिए मुझे अपने जान को जोखिम में डालना पड़ा “
वो उस पुस्तक को देखने लगी , देखते देखते उसकी आँखों में आंसू आ गए ..
वो मुझसे लिपट गई ..
“तुमने मुझे मुक्त किया , तुम चाहते तो मुझे गुलाम बना कर इस्तमाल कर सकते थे लकिन तुमने …”
वो रोने लगी , मैंने उसके बालो को सहलाया
“तुम्हारी प्रजाति की चुड़ैले बहुत ही अजीब होती है , इतनी संवेदनशील की प्रेम के लिए खुद को सौप दे , इसीलिए मैं तुम्हारा और तुम्हारी प्रजाति का सम्मान करता हु , लेकिन तुम्हे मुक्त होने के लिए भावना से उठकर दिमाग भी लगाना होगा , मैं जानता हु की तुम हो ही ऐसी की तुम दिमाग की बिलकुल नहीं सुनती बल्कि दिल से ही काम लेती हो , लेकिन अब नहीं तुम्हे अपना दिमाग भी चलाना होगा ताकि तुम बुरे व्यक्तियों से बच सको और सच्ची मोहोब्बत ढूंढ कर उन्हें अपना सबकुछ सौप सको …”
उसने अपने आंसू पोंछे
“मेरे लिए तो तुम ही मेरी सच्ची मोहोब्बत हो , मैं अभी तुम्हे अपना सब कुछ सोपती हु , तुम्हे 15 दिन का इन्तजार नहीं करना होगा “
उसकी बात सुनकर मैंने अपना माथा पकड़ लिया ,
“मैं तुम्हे मुक्त करना चाहता हु और तुम हो की बंधन में बंधने को तुली हो …”
वो मुस्कुराई
“प्रेम का बंधन अजीब है कुवर , ये दर्द तो देता है लेकिन इस दर्द में जीने में भी एक मजा है और ये मजा सिर्फ आशिक ही जानते है , जब उन्हें पता हो की उन्हें इस दर्द के बदले कुछ नहीं मिलने वाला लेकिन फिर भी वो अपना सब कुछ अपने प्रेम पर लुटाने को तैयार रहते है , चाहे इसका अंजाम उनके लिए कुछ भी हो , वो एक आह भी नहीं भरते सब कुछ प्रेम की खातिर सहते है “
मैंने उसके आँखों से लपकते हुए आंसू को अपनी उंगली से पोंछा
“तुम पागल हो , प्रेम की खातिर बिना सोचे समझे खुद को मिटा देना प्रेम नहीं बल्कि मुर्खता है “
उसके आँखों में आंसू था लेकिन फिर भी वो मेरी बात सुनकर मुस्कराई
“मुर्खता और विद्वता तो उन्हें समझ आता है जो दिमाग लगाते है , प्रेमी दिमाग की सुनता ही कहा है , उसके लिए तो दिल ही सब कुछ है , आप भी समझ जाओगे जब आपको प्रेम होगा , सच्चा प्रेम , फिर आप भी दिमाग नहीं लगाओगे , कभी सही गलत की नहीं सोचोगे , बस अपने प्रेम के लिए कुछ भी कर जाओगे …
ये मुर्खता है तो ये मुर्खता ही मंजूर है , खुद को तुम्हारे लिए सौप दिया है अब चाहो तो धुत्कार दो या लाड दुलार दो , मैं अब आपकी हु “
वो मेरे पैरो में सर रख कर बैठ गई , मैं इसे मुक्त करना चाहता था लेकिन इसे अनजाने में ही प्रेम के बंधन में फंसा बैठा , एक अजीब सी पीड़ा ने मेरे मन को झकझोर दिया , इसने मेरे लिए खुद को समर्पित कर दिया था ,मैं इसी कसमकस में था की आखिर मैं अब क्या करू , मैं अगर उसे अपनाता हु तो क्या ये उसका शोषण नहीं होगा ..??? और उसे ठुकरा दू तो क्या ये उसके पवित्र प्रेम का अपमान नहीं होगा ???
क्या मैं सच उसका शोषण करूँगा ???
क्या उसके देह को भोगना उसका शोषण नहीं होगा ???
उसने तो सब कुछ मेरे उपर ही छोड़ दिया है , मेरा एक कदम क्या मुझे ही दुःख देने को काफी नहीं होगा , क्या मैं जानकर ये कर पाउँगा की मैं उसका इस्तमाल कर रहा हु ???
मैं बेचैन हो गया था , तभी लौडू जाग गया …
“इधर से चोदो , उधर से चोदो , जिधर से मन है उधर से चोदो , उल्टे चोदो सीधे चोदो , अगर चाहो तो उड़कर चोदो , मुह में चोदो , चुद में चोदो अगर चाहो तो गांड में चोदो , चोदो चोदो कसकर चोदो … इसी हुस्न की मलिका तुम्हे यही कह रही है की तुम जैसे चाहो वो तुम्हे देने को तैयार है , और तू साले गांडू यंहा भी अपनी चुतिया हरकत से बाज नहीं आ रहा है , अरे ये तुझे दुनिया की हर स्त्री से ज्यादा यौन सुख दे सकती है , तेरे लिए कुछ भी कर सकती है और तू इस उधेड़ बुन में लगा हुआ है …. महाचुतिया है तू , महा गांडू है साले तू , इसी झील में डूबकर मर जा , मेरा दोस्त कहलाने के तो लायक भी नहीं है तू “
“तू क्या चाहता है ??? की मैं इसे चोदु , इसके जिस्म का इस्तमाल अपनी हवस की पूर्ति के लिए करू , इसका दैहिक शोषण करू , इसके प्रेम का ऐसे फायदा उठाऊ “
मैं लौडू के लिए भड़क गया था ,
“अबे काहे का इस्तमाल जब वो खुद तुझे सब देने को तैयार है “
“तू चुप कर मादरचोद, कभी चुद और चुदाई के बाहर भी सोच ले , दुनिया बहुत बड़ी है , और भावना नाम की भी एक चीज होती है दुनिया में …”मैंने गुस्से में कहा
“भावना …?? ये कौन सी नयी चुद आ गई “
मैंने अपना सर पकड़ लिया , मैं भी किसे समझा रहा था जिसका अस्तित्व ही यौन क्रिया के कारन हुआ , जिसे सम्भोग के अलावा और कुछ आता ही नहीं सम्भोग ही उसे ताकत देती है मैं उसे भावनात्मकता के बारे में समझा रहा था ,
“तू अभी चुप रह बस ..”
मैंने हारकर लौडू को कहा
“हा कर ले मुझे चुप , मत मान मेरी , रहने दे अपने लंड को ऐसे ही कड़ा और खड़ा , तड़प भोसड़ीके , बहुत नैतिकता की बाते करता है , नैतिकता से क्या दुनिया चलती है …”
मैं उससे बहस नहीं करना चाहता था इसलिए मैं चुप ही रहा और वो भी चुप हो गया ..
मैंने कोकू को उठाया …
“तुम बहुत प्यारी हो कोकू , तुमने खुद को मेरे लिए समर्पित कर दिया लेकिन मुझे ये डर है की मेरे कारन तुम्हारा अपमान ना हो जाए , कही मैं अपनी हवस की आग में बहकर तुम्हारे प्रेम का नाजायज फायदा ना उठा लू , कही मैं तुम्हारा शोषण ना कर बैठू “
मेरी बात सुनकर वो हँस पड़ी …
“कुवर यही चीज तो आपको खास बनाती है , आपकी इसी बात के कारण तो मैंने खुद को आपके सामने समर्पित कर दिया , मुझे पता है की आप कभी मेरा शोषण नहीं करोगे , लेकिन अगर आप मेरा उपभोग करो , अगर मेरा जिस्म आपके आग को ठंडा करने के काम में आये , अगर मेरे प्रेम के लहरों से आपके मन में थोड़ी भी तृप्ति मिले , अगर मेरी योनी का भोग आपको संतुष्टि पहुचाये तो मैं खुद को धन्य मानूंगी … मैं आपके प्रेम के लिए कुछ भी कर सकती हु , आप को अगर मुझे दर्द देकर भी सुख मिले तो मुझे दर्द दीजिए , मेरा सौभाग्य होगा की मैं आपके सुख की कारक बनी “
कोकू के मेरे लिए प्रेम को देखकर मैं भी द्रवित होने लगा था , उसका प्रेम और समर्पण मेरे मन में उसके लिए इज्जत को और भी बढ़ा रहा था , मैंने खींचकर उसे खुद से लगा लिया ..
“मुझे माफ़ कर दो कोकू , मैं इस लायक नहीं की तुम्हारा प्रेम समझ पाऊ …”
मैंने उसे खुद से लपेटते हुए कहा
वो मुस्कुराई
“प्रेम समझने की चीज है भी नहीं कुवर , प्रेम तो करने की चीज है , जीने की चीज है , मरने की चीज है , इसके साथ जिया जाता है , इसे अपने जीवन में उतार लेना ही प्रेम को जीना है , प्रेम एक सागर है जिसमे डूब जाना ही जीना है , प्रेम एक नदी है जिसकी धार में मंजिल की परवाह करे बिना बहते जाना ही प्रेम को जीना है , मैं भी आपके प्रेम में बहना चाहती हु , बिना मंजिल की परवाह किये , आपके प्रेम की धार मुझे जन्हा ले जाए मैं जाने को तैयार हु ,मुझे बहा ले चलो , अपनी धार में बहा लो , चाहे मजधार में या किनारे में जन्हा ले जाओगे मैं बहती जाउंगी “
उसने अपने शरीर को मेरे शरीर से ठिका कर खुद को छोड़ दिया था , मैं भी उसके प्रेम की धार में बहने को तैयार हो गया , उसका इतना प्रेम देख मैं भी बह गया था .मैंने उसके चहरे को उठाया वो किसी नए खिले फुल सी ताजा और मासूम थी , बड़ी आँखे आंसू से डबडबाई हुई थी , आंसू की एक बूंद जब उसकी आँखों को छोडती हुई लुद्की तो मैंने उसे अपने होठो में भर लिया , मेरी इस हरकत से वो मुस्कुराई और मेरे सर को अपनी ओर खींचते हुए अपने होठो को मेरे होठो से मिला दिया , हमारे होठ मिले और जीभ एक दुसरे से खेलने लगे , मैं उस प्रेम से भरे सागर में डूब रहा था , हमारी सांसे एक लय में नृत्य कर रही थी , जिस्म एक दुसरे से सटने को बेताब हो रहे थे , एक दुसरे को चुमते हुए हम हवा में उठने लगे , जो भी हो रहा था वो बस हो रहा था , भावनाओ का सैलाब आ चूका था और हम उसमे बह रहे थे ..
वो मुझसे लग हुई हम जमीन से कुछ फुट उपर थे ..
मैं चमत्कृत था लेकिन डरा नहीं , मैं जानता था की ये कोकू की भावनाओ का उफान है और उसकी ही शक्तियों का परिणाम है की हम हवा में उठे हुए है ..
वो मुझसे थोड़ी अलग हुई और हाथो को फैला कर उसने अपने शरीर को एक झटका दिया , उसके बाल हवा में लहराने लगे और शरीर का हर वस्त्र उसके शरीर को छोड़कर निचे गिर गया , उसने मुझे बड़े प्रेम से देखा और अपने हाथो को मेरे ओर बढाया , मुझे एक हवा के झोके सा आता महसूस हुआ और उसने मुझे एक ही झटके में निर्वस्त्र कर दिया …
वो उड़ते हुए मेरे पास आई और हम दोनों फिर से एक दुसरे में समाने लगे , जितना हम एक दुसरे के होठो में खोते जाते उतना हम जमीन से उपर उठते जाते थे ..
“यही सो जाओ ..” मैंने कोकू को कहा , वो वही हवा में लेट गई , ऐसा लग रहा था जैसे की किसी बिस्तर में लेटी हो , मैं उसके उपर आ चूका था , मैंने निचे देखा तो नजारा देख कर मेरा मन झूम उठा ..
हम जमीन से बहुत उपर थे पास वाली पहाड़ी की चोटी हमारे बराबर में लग रही थी ..
रात के अँधेरे के कारण कुछ साफ़ तो नहीं दिख रहा था लेकिन थोड़ी दूर जलती हुई लाइट से मैं अपने गाँव और बाजु के गाँव को पहचान जरुर पा रहा था ..
“यंहा से गिरा मत देना “ मैंने उसके गालो को चुमते हुए कहा , वो मुस्कुराई
“मेरे रहते आपको खरोच तक नहीं आएगी , बेफिक्र रहिये “ उसने मुस्कुराते हुए मेरे गालो को सहलाया ,,
मैं उसके होठो को चुमते हुए उसके उपर लेट गया , हम दोनों के शरीर एक दुसरे में घुल गए थे , मैंने उसकी योनी में अपने लिंग को सहलाया , वो आह भरते हुए मुझसे और भी लिपट गई , मेरा लिंग उसकी योनी में उतरने लगा , वो मुझे और भी जोरो से चूमने लगी और हमारा शरीर हवा में इधर उधर उड़ने लगा , मैंने अपनी कमर को तेजी से चलाया और उसने अपने पैरो को मेरे कमर में बांध दिया , हमारा शरीर इधर उधर उड़ रहा था , हम उड़ते हुए अपने गांव से दूर निकल गए थे , मुझे एक पहाड़ की चोटी दिखाई दी जिससे झरना बह रहा था …
“उस ओर चलो “ मैंने कोकू से कहा
“आप जिधर जाना चाहे बस सोचे , हम उधर चले जायेंगे , पूरी कमान आपके हाथो में सौप दी है “
मूझे पहली बार इस ताकत का अहसास हुआ , मैं अपने हिसाब से इधर उधर जा रहा था ,
वो अकास में लेटी हुई थी और मैं उसके उपर सवारी करता हुआ उस गिरते हुए झरने के समीप पहुच गया , पहाड़ की चोटी पर झरने के नजदीक मैंने उसे फिर से खड़ा कर दिया और उस झरने के निचे ला दिया ,,,
झरना हमारे उपर से बहकर निचे जमीन में गिर रहा था , मैंने उसके हाथो को चट्टान से टिका दिया और उसके पीछे खड़ा होकर उसके योनी में अपने लिंग का प्रवेश करवा दिया ..
पानी हमारे उपर से जा रहा था , हम दोनों ही भीग चुके थे , एक अजीब सा उतावलापन मेरे अंदर मचल रहा था और उस मजे में मैं खुद को भूलकर उसे पूरा पाने की चाह में धक्के लगाये जा रहा था , मैंने उसे कसकर जकड़ा और हम निचे गिरने लगे ,हम निचे गिर रहे थे और मैं उसके पीछे खड़ा जोरो से धक्के दे रहा था अचानक से मैंने उसे लिटा दिया और पीछे से उसके उपर आकर उसकी सवारी करने लगा , हम ऐसे ही नीचे गिरे जा रहे थे , जमीन बस आने ही वाली थी जन्हा से झरना एक नदी के रूप में तब्दील हो जाता है ..
लेकिन हम नीचे नहीं गिरे और नदी के समांतर उड़ने लगे , उड़ते हुए मैं पीछे से जोरो से धक्के लगा रहा था , हम नदी से थोड़े ही उपर थे , कभी कभी मैं नदी के पानी में हाथ फेरता हुआ कोकू के उपर झिड़क दिया , मैंने उसे थोडा और दबाया और कोकू नदी के पानी के अंदर चली गई , उड़ने की स्पीड भी काफी थी , पानी छिटकने लगा था , हम दोनों ही एक बार नदी के पानी के अंदर ही कुछ दूर तक चले फिर उपर उठाकर आसमान की ओर बढ़ गए , इस बार मैं खड़ा था और वो मेरे कमर में अपने पैरो को फ़साये हुए उछल रही थी , हम सीधे ही उपर जा रहे थे , उपर और उपर और उपर , मुझे जमीन दिखाई देनी बंद हो गई एक साथ पूरी पृथ्वी ही दिख रही थी , कई देश एक साथ दिखाई दे रहे थे , उपर तो अँधेरा था लेकिन पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश पड़ रहा था , उसके एक ओर तो अँधेरा था लेकिन दुसरे ओर प्रकाश …
मेरी सांसे उचटने लगी थी मुझे साँस लेने में दिक्कत होने लगी ..
“ये उचाई मानवों के लिए नहीं है कुवर नीचे चलिए “
कोकू ने मेरी उत्सुकता को देखकर हँसते हुए कहा और हम उल्टे होकर तेजी से निचे गिरने लगे , वो पल इतना उत्तेजक था की तेजी से गिरते हुए मैंने अपना वीर्य कोकू की योनी में उधेड़ दिया , कोकू ने भी मुझे पूरी ताकत से जकड़ लिया था , मेरा वीर्य उसकी योनी में बार बार तेजी से जा रहा था ,मुझे लग रहा था की अब यही आखरी पल है मैं इस पल में खुद को तबाह करने को तैयार था , जमीन अब पास ही थी की हमारी स्पीड कम होने लगी , शायद कोकू ने कमान फिर से अपने हाथो में ले ली थी , स्पीड कम होते हुए हम धीरे से जमीन में आ गए हम फिर से उसी जगह पर थे जहा से हमने शुरू किया था …
“मजा आ गया “ मैंने कोकू से कहा उसकी आँखों में आंसू थे ..
“आपने मुझे अपना बना कर मुझे धन्य कर दिया कुवर “
उसकी ये प्यारी बात सुनकर मैंने फिर से उसके होठो को अपने होठो में भर लिया था ……….
majedar update ..koku ke saath sex ka aanand le liya nishant ne .
 
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